Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:33 PM,
#50
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
मैं स्खलन की और बढ़ने लगा उसके होंटो की गर्मी को मेरे लिए अब बर्दाश्त करना मुस्किल हो रहा था और फिर जल्दी ही मैंने उसके मुह को अपने लंड पर दबा लिया वीर्य की बूंदे उसके मुह में गिरते हुए गले की गहराई में उतरती चली गयी, रति को उसकी उम्मीद नहीं थी मेरा खारा सा पानी का स्वाद उसके पुरे मुह में घुल गया आज तो ऐसे झड़ने में मजा आ गया था 


खांसते हुए रति ने मेरे लंड को अपने मुह से निकाला और थूकने लगी पर देर हो चुकी थी मेरा पानी तो अब तक उसके पेट में पहूँच चुका था , खांसते हुए वो बोली-“बहुत गंदे हो तुम ”

मैं- क्या हुआ, चलो इस बहाने तुमने कोई अच्छी चीज़ टेस्ट कर ली 

रति ने पानी से अपने गले को खंखारना शुरू किया अब बारी मेरी थी काम रस को चखने की, पता नहीं क्यों मुझे तो चूत से टपकते हुए रस को पीना बहुत ही भाता था, मैंने उसकी टांगो को फैलाते हुए अपने लबो को चूत के मुहाने पर लगाया और काम चालु कर दिया 

रति की आहे फिर से कमरे में गूंजने लगी 


आह आह आराम से काटो मत काटो मत 


पर उसकी कौन सुने वो भी जब ऐसी करारी चूत हो जल्दी ही रति भी फोरम में अ गयी थी और अपनी गांड को हिलाते हुए अपने जोबन का रस मुझ पर चालकाने लगी थी पुच पुच पुच की आवाज उसकी चूत से आ रही थी समुन्दर का खारा पानी झर झर के बह रहा था मैंने शरारत करते हुए उसके भाग्नसे को मुह में लिया और उसको जीभ से रगड़ने लगा , रति की हालात हुई ख़राब उसके जिस्म का पूरा खून जैसे चेहरे में उतार आया हो रति का बदन अकड़ने लगा उसकी आँखे बंद हो गयी अपने आप उसकी गांड मेरी जीभ की ताल पर थिरक रही थी 


रति लगातार अपनी टांगो को पटक रही थी और फिर वो एक दम से ऐसे शांत पड़ गयी जैसे की प्राण ही छुट गए हो शरीर से, ढेर सारा पानी मेरे मुह में गिर पड़ा चटखारे लेटे हुए मैं पी गया इस से पहले की वो अपनी सांसो को दुरुस्त कर पाती मैंने अपने लंड को चूत पर रख दिया , रति चूँकि अभी अभी झड़ी थी पर चूत तो मारनी ही थी फिर इंतज़ार करने का क्या फायदा , रति मेरे नीचे पिसने लगी उसकी चूत गीली होने में थोडा समय ले रही थी जिस से उसको कुछ परेशानी हो रही थी पर एक बार लंड बस घुस जाए चूत में फिर वो अपने आप सेट हो जाता है 


जल्दी ही उसकी चूत मेरे लंड से ताल मिलाने लगी, वासना का तूफ़ान फिर से उमड़ आया था हूँमच हूँमच कर मैं ऊपर नीचे होते हुए रति को सम्भोग सुख से रूबरू करवा रहा था पल पल हर पल हम दोनों के अरमान एक दुसरे में यु ही समाये रहने के , उसकी दोनों टाँगे मेरे कंधो पर आ चुकी थी चुदाई का खुमार बरस रहा था हम दोनों पर एक इस सुख के लिए तो आवारा भँवरे कलियों के पीछे दिन रात मंडराया करते है ,रति मेरा पूरा साथ दे रही थी मेरे हर धक्के का जवाब देते हुए चूमा छाती के साथ गजब चुदाई चल रही थी तभी रति बोली – अन्दर म़त छोड़ना 


मैं कुछ नहीं बोला बस चोदता रहा उसको , साँसे बहुत तेज गरम हो गयी थी पल पल बहुत भारी लगने लगा था रति के बदन की गर्मी मेरे बदन में भरने लगी थी , मैंने उसको अपनी बाहों में कस लिया उसने अपने कुल्हे ऊपर किये और मैंने अपना पानी चूत में ही छोड़ इडया मेरा पूरा शरीर मस्ती में डूबता चला गया रति को साथ लिए लिए इस भवसागर को फिर से पार कर गया था मैं
उस रात हमने तीन बार चुदाई की, सुबह मेरी आँख थोडा देर से खुली रति तब तक नहा-धो चुकी थी 

वो- आज बहुत देर तक सोये 

मैं- हाँ थोडा थक सा गया था, मैं उठा और बाथरूम की तरफ जाने लगा तो वो बोली- 
“नंगे ही जाओगे कुछ तो पहन लो ”

मेरी निगाह अपने जिस्म पर गयी रात को मैं नंगा ही सो गया था , थोड़ी शर्म भी आई मैंने पास पड़ी चादर लपेटी और बाथरूम में घुस गया सर भारी भारी सा महसूस हो रहा था तो ठंडा होने के लिए काफ़ी देर तक नहाता रहा वापिस आया तब तक रति ने नाश्ता लगा दिया था , पर मैंने खाने से मना कर दिया 

वो- क्या हुआ 

मैं- थोडा सर दर्द हो रहा है 

वो- लाओ मैं मालिश कर देती हूँ 

रति मेरे गीले बालो में अपने हाथ फिराते हुए मालिश करने लगी और थोड़ी ही देर में मुझे राहत मिलने लगी शायद मेरी नींन्द पूरी नहीं हुई थी तो फिर से मुझ पर उसका असर होने लगा पता नहीं कब आँख लग गयी मेरी , पर ज़ब जागा तो शाम के चार बज रहे थे, आज तो बड़ा सोया था मैं , नीनू के साथ भी नहीं जा पाया था अब उसकी बाते सुनूंगा वो अलग एक कडक चाय पीकर कुछ होश में आया मैं , चाय की चुस्कियां लेटे हुए मैं गुजर गए पिछले हफ्ते के बारे में सोचने लगा कितना खूबसूरत था , और कब गुजर गया पता नहीं चला बिलकुल भी 

ऐसे लगता था की जैसे यही थी मेरी जिंदगी यही तो मैं जीना चाहता था घर की जरा भी याद नहीं आई थी मुझे दुनिया जैसे रति के चारो तरफ ही सिमटने लगी थी मेरी , शाम को मैं रति की स्कूटी ले आया था कुछ फोटो जो मैंने खीची थी वो भी ले आया था , ये जो तस्वीरे होती हैं ना, इनकी एक बात बहुत बुरी लगती है मुझे जब भी देखो , दिल को परेशान कर ही देती है कही ना कही, तस्वीरों को देखते हुए रति बोली- 
“तो, ये है तुम्हारी दोस्त ”

मैं- हूँ 

वो-अच्छी लड़की है 

मैं- मैं क्या बुरा हूँ 

रति- बुरे तो हो ही तुम, एक काम करो कल नीनू को यहाँ बुला लो मैं मिलना चाहूंगी उस से 

मैं- तुम क्यों मिलना चाहती हो उस से 

वो- तुम्हे ऐतराज़ है तो रहने दो 

मैं- मुझे क्या ऐतराज़ होगा, मैं तो ऐसे ही पूछ रहा था 
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RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - by sexstories - 12-29-2018, 02:33 PM

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