खुल्लम-खुल्ला प्यार करेंगे
11-19-2014, 10:20 AM,
#1
Lightbulb  खुल्लम-खुल्ला प्यार करेंगे
राज का मन बार बार रूपल को सोच सोच कर तड़प जाता था। जाने रूपल में क्या ऐसी कशिश थी कि उसका दिल उसकी ओर खिंचा जाता था। साहिल की तकदीर अच्छी थी कि उसे ऐसी रूपमती बीवी मिली थी। आज भी राज का लण्ड उसके बारे में सोच सोच कर तन्ना उठा था। अंजलि राज की पत्नी थी, पर कहते हैं ना दूसरो की चीज़ हमेशा अच्छी लगती है, शायद राज का यही सोचना था। उधर अंजलि भी साहिल पर शायद मरती थी। ऐसा नहीं था था रूपल और साहिल भी राज और अंजलि की तरफ़ आकर्षित नहीं थे, उनका भी यही हाल था।

आज सवेरे भी ऑफ़िस जाने से पहले राज साहिल के घर की ओर मुड़ गया। उसे कोई काम नहीं था, बस उसे रूपल से मिलने की चाह थी। आशा के मुताबिक रूपल घर में ही थी और घर का काम कर रही थी। रूपल ने ज्योंही राज को देखा, उसका दिल खिल उठा। राज किचन में आ गया और बातों बातों में रूपल को हमेशा की तरह छूने लगा।

हमेशा की तरह रुपल ने भी कोई विरोध नहीं किया, बल्कि उसे तो और अच्छा लग रहा था। आज राज ने थोड़ी और हिम्मत की और धीरे से रूपल के गाण्ड के गोलों पर अपना हाथ फ़ेर दिया। रूपल के बदन में सनसनी सी फ़ैल गई। जब राज ने कोई प्रतिक्रिया नहीं देखी तो उसने फिर से नीचे हाथ ले जा कर उसके एक चूतड़ के गोले को दबा दिया। उसके नरम से चूतड़ का स्पर्श राज के मन में बस से गये।

रूपल का बदन कांप सा गया। रास्ता साफ़ था ... वो एक कदम और आगे बढ़ गया और उसकी गाण्ड में अपनी अंगुली दबा दी। रूपल ने भी मामला साफ़ करने की गरज से पहले तो उसकी अंगुली को अपने चूतड़ों के बीच दबा लिया, फिर धीरे से पीछे उसके सीने पर अपना सर रख दिया।

राज का मन बाग बाग हो गया। उसने धीरे से रूपल के उभरे हुये स्तन पर अपना हाथ रख दिया। राज को उसके दिल की धड़कन साफ़ महसूस होने लगी थी। रूपल के स्तन दब गये और वातावरण में एक सिसकारी गूंज गई। राज का लण्ड तन्ना उठा और उसके चूतड़ो की दरार में घुसने को इधर उधर ठोकरें मारने लगा। राज का चेहरा रूपल के चेहरे पर झुक गया और उसके अधर अपने अधरों से दबा दिये। रूपल का चेहरा तमतमा उठा, उस पर ललाई फ़ैल गई।

"राज, अह्ह्ह्ह प्लीज..." रूपल उसके मोहक स्पर्श से थरथरा उठी। उसके कोमल होंठ फ़ड़फ़ड़ाने लगे थे। तभी मोबाईल बज उठा। वो जैसे मदहोशी से जाग गई। शरमा कर वो भाग खड़ी हुई और मोबाईल उठा लिया।

साहिल का फोन था वो एक घण्टे के बाद घर आने वाला था। राज ने रूपल को फिर से दबाने की कोशिश की, पर रूपल ने उसे मना कर दिया।

"देखो साहिल आने वाला है, फिर कभी ..."और वो एक बार फिर शरमा गई।

"बस एक बार ! फिर मैं जाता हूँ..." उसने अपना सर झुका लिया। राज ने उसे खींच कर अपने से चिपका लिया और उसके अधर चूसने लगा। उसके हाथों ने उसकी चूत दबा दी। वो थोड़ा सा कसमसाई और अपने आप को छुड़ा लिया।

अपने होंठों को पोंछती हुई वो मुसकराई।

राज का दिल अब ऑफ़िस जाने को नहीं कर रहा था, सो वह घर की ओर मुड़ गया। रास्ते से उसने मिठाई का डब्बा भी पैक करा लिया था। उसने कार पार्क की और सीढ़ियाँ चढता हुआ अपने फ़्लैट तक आ गया। दरवाजा अन्दर से बन्द था। अन्दर से बातें करने की आवाजें आ रही थी। उत्सुकतावश वो बगल की खिड़की पर गया और एक टूटे हुये शीशे में से उसने झांक कर देखा।

साहिल ने अंजलि को अपनी गोदी में बैठा रखा था और अंजलि बेशर्मी से उसके गले में बाहें डाल कर उसे चूमे जा रही थी। साहिल उसकी चूंचियों को सहला रहा था। राज जलन के मारे भड़क उठा।

उसके हाथों की मुठ्ठियाँ कसने लगी। जैसे तैसे उसने अपने आप को काबू किया और सीढ़ियाँ उतर कर नीचे आ गया। उसने नीचे जा कर अंजलि को फोन किया।

अंजलि ने बताया कि साहिल भैया भी आये हुये हैं। साहिल ने अपने आपको ठीक किया और जल्दी से जाकर दरवाजा खोल दिया। फिर वापस आकर शरीफ़ों की तरह सोफ़े पर बैठ गया। राज शान्त हो कर अन्दर आ गया।

"लो मिठाई खाओ ... आज बहुत शुभ दिन है...!" राज ने जले हुये अन्दाज से कहा।

"क्या बात है ... हमें भी तो बताओ?" साहिल ने पूछा।

"भई, आज मुझे मेरा एक पुराना साथी मिल गया, बड़ी खुशी हुई मुझे !"

मन में गुस्सा तो भरा था पर उसने साहिल की बीवी रूपल को आज खूब दबाया था, यही मन में तसल्ली थी। अंजलि को भी राज ने साहिल को दबाते हुये देख लिया था, फिर बात बराबर सी हो गई थी। साहिल की बीवी के स्तन, चूतड़ों को मसलने पर उसके पति को मिठाई खिलाना उसके मन को तसल्ली दे रहा था।

दूसरे दिन राज रूपल के फोन पर जल्दी बुलाने से वो उसके यहां फ़टाफ़ट पहुँच गया। राज़ जल्दी से अन्दर लेकर रूपल ने उसे चूम लिया।

"जानती हो कल मैंने साहिल को मिठाई खिलाई !"

"अच्छा, कोई खास बात थी क्या ?"

"तुमसे मजे जो किए थे ... पर एक बात बात कांटे की तरह मुझे तड़पा रही है।"

"धत्त ... ये भी कोई बात हुई... वैसे क्या बात तड़पा रही है?" रूपल ने हंसते हुये कहा।

"बुरा ना मानो तो बताऊं...?"

"मुझे पता है ... पर तुम बताओ...!"

राज ने उसकी तरफ़ आश्चर्य से देखा और कहा,"तुम्हें कुछ नहीं मालूम रूपल ! साहिल अंजलि से लगा हुआ है मैंने कल खुद देखा है।"

"तो क्या हुआ, तुम मेरे से लग जाओ ...वैसे मुझे यह सब पता है।" रूपल ने हंसते हुये कहा।

"क्या कह रही हो? तुमने साहिल को मना नहीं किया?"

रूपल राज के समीप आ गई और उसे मीठी नजरों से देखने लगी।

"कैसे कहती? उसने भी तो मुझे तुमसे मिलने को कह दिया है ना !" रूपल ने सर झुका कर बताया।

" ओह्ह्ह ... तो क्या अंजलि भी जान गई है?" राज का दिल धड़क उठा।

"हां, कल मैंने साहिल को बताया था कि तुमने मुझे कैसे प्यार से दबाया था, उसने आज अंजलि को बता दिया होगा।"

राज ने रूपल को अपनी बाहों के घेरे में ले लिया और उसे चूमने लगा।

"राज, आज अपन सब मिल कर एक पार्टी रखते है ... और फिर तुम मुझे और साहिल अंजलि को ... बोलो चलेगा ना ?" रूपल ने कुछ संकोच से कहा।

"अंजलि क्या कहेगी...?" राज का लण्ड यह सुन कर खड़ा हो गया। उसे यह सब विश्वस्नीय नहीं लग रहा था। पर ये सब कितना उत्तेजक होगा ... अंजलि अपने पति के सामने चुदेगी और रूपल उसके सामने...।

"यह उसी का सुझाव है, मजा आयेगा, एक बार खुल जायेंगे तो कभी भी आकर मुझे ..."

रूपल वासना में डूबी जा रही थी। राज का लण्ड रूपल को चोदने को बेताब होने लगा था। और अब यह इतनी रोमान्चक बात ... कैसे होगा ये सब ... एक दूसरे के सामने ... शरम नहीं आयेगी ... राज ने अपना सर झटक दिया, उसने सोचा ये औरतें इतनी बेशरम हो सकती है तो फिर मैं तो मर्द हूँ ... काहे की शरम करूँ !!!

उसने रूपल को अपनी बाहों में उठा लिया और बिस्तर के पास ले आया।

"बस करो, अभी नहीं, शाम को करना ... बड़ा मजा आयेगा !"

"पर मेरा मन तो तुम्हें पाने को बेताब हो रहा है !"

"देखो कितना मजा आयेगा, जब हम चारों ही शरम टूटेगी, मैं तो शरम के मारे मर ही जाऊंगी, जब अंजलि और साहिल के सामने ... हाय राम !!!"

राज ने उसे बिस्तर के ऊपर ही उसे हवा में छोड़ दिया और वो धम्म से बिस्तर पर आ गिरी। रूपल उठी और राज को वो लगभग धकेलते हुये बाहर ले आई। फिर एक चुम्मा दे कर मुस्करा दी।

"शाम को !"

राज मुस्करा उठा और चला गया।

शाम को ऑफ़िस से सीधा घर पहुंचा। अंजलि ने उसे बहुत प्यार से स्वागत किया। कुछ ही देर में वो चाय और नाश्ता ले आई। अंजलि ने सर झुकाये मुझे तिरछी नजरों से देखा और कहा,"आज शाम को रुपल के यहां पार्टी है ... आठ बजे चलना है !"

राज उठा और अंजलि के पीछे जा कर उसके स्तन दबा दिये। अंजलि ने सर उठा कर उसे देखा और राज ने उसके होंठ चूम लिये।

"तुम बहुत अच्छी हो, थेन्क्स जानू...!"

अंजलि की नजरें झुक गई।

"सॉरी राज, मैंने तुम्हें साहिल के बारे में कुछ नहीं बताया।"

"मैंने देख लिया था ... बताने की क्या जरूरत थी ... आई लव यू डार्लिंग !"

"ओह्ह, मेरे राज, आई लव यू टू... तुम्हें यह सब देख कर गुस्सा नहीं आया?" वो राज से लिपट गई।
"मैं तुमसे बहुत प्यार करता हू, स्वीटी !!! तुम्हें जिससे भी, जैसा भी आनन्द मिले, मेरे दिल को शांति मिलती है ... तुम साहिल से खूब मजे लो, पर मुझे अपने दिल में रखना।" राज भावना में बह कर बोला। अंजलि राज से और चिपक गई।

शाम गहरी होते ही दोनों साहिल के घर पहुँच चुके थे। साहिल राज के पास आ कर बैठ गया और उनके शराब के जाम चलने लगे। रूपल और अंजलि भी धीरे धीरे बातें करने लगी थी।

"क्या बातें हो रही है...?" साहिल ने पूछा।
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