RE: गुलाबो
मंगलवार सुबह 8 बजे की ट्रेन पकड़ कर हम लोग 10 बजे शहर पहुंच गए। मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था तथा में अजीब सी घबराहट महसूस कर रही थी।
क्यों जी कोई गडबड तो नहीं होगी , मुझे डर लग रहा है.... में चाचा का हाथ कस कर पकड़ते हुए बोली।
अरे पगली गड़बड़ी क्या होगी, सब ठीक होगा में तेरे साथ हूं ना .... चाचा ने मुझे ढांढस बंधाते हुए कहा।
अच्छा चल अब परेशान मत हो, अच्छा अच्छा सोच....में आटो बुलाता हूं ।
अगले दस मिनट में हम लोग अस्पताल पहुंच चुके थे। ये एक मध्यम आकार का सुव्यवस्थित अस्पताल था
रिसेप्शन पर एक सांवले रंग व मांसल शरीर की दक्षिण भारतीय लड़की बैठी थी , में और चाचा सीधे रिसेप्शन पर पहुंचे।
मेंने गौर किया कि रिसेप्शनिस्ट की नजरें मेरे शरीर का बारीकी से मुआयना कर रही है। में अपने पारंपरिक परिधान में थी , हल्के प्याजी रंग का साटिन का घाघरा जिस पर छोटे-छोटे फूल छपे हुए थे और उसी कपड़े का व्लाउज पहना हुआ था।
डाक्टर साहब है... चाचा ने रिसेप्शनिस्ट से पूछा।
हां जी मौजूद हैं.. आपका अपाइंटमेंट किस नाम से है? उसने सवाल किया।
जी गुलाबो के नाम से... चाचा ने जबाब दिया।।
उसने रजिस्टर चैक करके , मेरी तरफ मुस्करा कर देखते हुए कहा...आप लोग बैठिये अगला नम्बर आपका ही है।
में और चाचा हाल में बैठ गये , मेने चाचा का हाथ कस कर पकड़ रखा था ... जी मुझे काफी घबराहट हो रही है ... मेंने डरते हुए चाचा से कहा।
चाचा: अरे जानू किस बात की घबराहट?
डाक्टर क्या सोचेगा ... मेंने कहा
तू पागल है, एक बात बताऊं डाक्टर ने आज तक तेरे जैसा सुंदर व सैक्सी शरीर नहीं देखा होगा, तू लाजबाव है , मेरी जान, घबरा मत .... चाचा मेरा मनोबल बढ़ाते हुए बोले।
तभी मेरी नजर रिसेप्शनिस्ट पर पड़ी, वो कनखियो से मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी.. मेंने उसे पूरी तरह नज़र अंदाज़ किया और अपनी बारी का इंतजार करने लगी।
करीब दस मिनट के इंतजार के बाद हमारा नम्बर आया, मैंने तेजी से धड़कते दिल के साथ डाक्टर के कमरे में प्रवेश किया।
डाक्टर एक चालीस साल उम्र का करीब छह फिट लम्बा बलिष्ठ शरीर का एकदम गोरा आदमी था, साक्षात कामदेव का अवतार ।
में पहली नजर में ही उस पर फ़िदा हो गयी ऐसा पहली बार हुआ था कि चाचा के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति को देख कर मेरी गुदा में खुजली होने लगी हो।
मेंने महसूस किया कि डाक्टर की नजरें भी मेरे शरीर को टटोल रही है।
में आप की क्या सेवा कर सकता हूं? डाक्टर ने पूछा
चाचा ने हमारी सारी जरूरतें डाक्टर को बिना किसी झिझक के विस्तार से बता दी।
डाक्टर: ठीक है विक्रम जी और गुलाबो जी में आपको बताना चाहूंगा कि ये कोई बहुत मुश्किल सर्जरी नहीं है, ना ही इसमें किसी प्रकार का खतरा है। मगर आपको छह महीने तक हर पन्द्रह दिन बाद फीमेल हार्मोन के इंजेक्शन लगवाने तथा मसाज करवाने यहां आना पड़ेगा ताकि नारी अंगों का अच्छा विकास हो सके।
जहां तक प्रसव का सवाल है वो तो सम्भव नहीं है, मगर हम प्रसव व प्रसव पीड़ा की पूर्ण अनुभूति करवा देंगे। और उस मामले मे में सलाह दूंगा कृत्रिम प्रसव भी हम योनि मार्ग से ना करके गुदा मार्ग से करेंगे क्योंकि इनकी गुदा इस तरह के दर्द सहने की अभ्यस्त हो चुकी है।
में सर झुकाए सारी बातें सुन रही थी .. मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया था।
सारी बातें सुनने के पश्चात चाचा ने डाक्टर से मुखातिब होते हुए कहा.... डाक्टर साहब बाकी सब तो ठीक है, मगर मुझे हर पन्द्रह दिन बाद छुट्टी नहीं मिलेगी...इसका क्या उपाय है।
डाक्टर: आपका गांव तो नजदीक ही है तथा वहां से सीधी ट्रेन भी है, आप ऐसा करना गुलाबो जी को वहां से ट्रेन मे बैठा देना यहां हम स्टेशन पर उतार लेंगे।
मेंने देखा डाक्टर के चेहरे पर खूबसूरत मुस्कान थी।
ये सुन कर चाचा के चेहरे पर खुशी दौड़ गई....हां ये ठीक रहेगा... चाचा ने कहा।
आइये गुलाबो जी में कुछ जरूरी चेक-अप कर लूं, फिर उसी के अनुसार सर्जरी प्लान करूंगा.... डाक्टर अपनी सीट से उठता हुआ बोला।
मेंने घबराहट में चाचा की तरफ देखा।
अरे आप घबराए नहीं, में कुछ नहीं करूंगा ... डाक्टर ने हंसते हुए कहा...और मेरा हाथ पकड़ कर परीक्षण कक्ष में ले गया।
ये एक बड़ा कमरा था जिसमें एक पलंग, दो परीक्षण टेबल, दो तीन कुर्सियां और एक काफी बड़ा आईना लगा हुआ था।
गुलाबो जी सबसे पहले तो आप घबराना बंद कीजिए, अब हम दोनों एक टीम है तथा हम दोनों ने मिलकर छह महीने मे आपकी काया बिल्कुल बदल देनी है... डाक्टर ने मेरी आंखों में प्यार से झांकते हुए कहा ... और यह तभी सम्भव है जब हम एक दूसरे से संकोच बिल्कुल ना करें।
मेंने महसूस किया की डाक्टर के हाथ मेरी पीठ को सहला रहे थे। अब मेरी घबराहट काफी कम हो गई थी, डाक्टर से तो मैं पहले ही बहुत प्रभावित थी , में अब बैचेनी से उसके अगले कदम का इंतजार कर रही थी।
आप पानी लेंगी.... डाक्टर ने पूछा।
जी नहीं धन्यवाद... मेंने कहा
ठीक है, गुलाबो जी अब आप अपने कपड़े उतार कर उस टेबल पर लेट जाइए .... डाक्टर बोला।
मेरा शर्म के मारे मुंह लाल हो गया... वैसे तो मैं डॉक्टर पर पूरी तरह फ़िदा थी और उसके नीचे लेटने को भी तैयार थी....मगर अकस्मात कपड़े उतारने की बात से सकपका गई और प्रतिक्रिया विहीन खडी रही।
तभी डाक्टर मेरे पास आया एक हाथ से मेरा हाथ पकड़ा दूसरे हाथ से मेरी पीठ सहलाते हुए प्यार से मेरी आंखों में झांकते हुए बोला... देखिए मेने पहले ही आपसे कह दिया है कि मुझसे शर्माना नहीं है... चलिये जल्दी उतारिये।
ठीक है जी ... कह कर मैंने अपनी ओढ़नी, घाघरा और चोली उतार दिए, अब में डाक्टर के सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी।
आप बहुत सुन्दर है, गुलाबो जी.. इतना सुन्दर शरीर मेने पहले कभी नहीं देखा.... डाक्टर एकटक मेरे शरीर को देखता हुआ बोला।
आप मुझे शर्मिन्दा कर रहे हैं जी ...में शरमाते हुए बोली।
नहीं कसम से मैं झूठ नहीं बोल रहा... डाक्टर मेरे करीब आया ओर एक हाथ मेरी कमर में डाल मुझे मुझे निरीक्षण टेबल तक लाया और उस पर मुझे सीधा लेटा दिया।
में बहुत ज्यादा रोमांचित थी , डाक्टर बड़े गौर से मेरे गदराये बदन का मुआयना कर रहा था.... मेंने शर्म से आंखें बंद कर ली और अपने दोनों हाथों से अपनी छोटी सी गुलाबी नुन्नी को छिपा लिया।
नहीं नहीं गुलाबो जी आपको शरमाने की जरूरत नहीं है आप बहुत सुन्दर हो, में बता चुका हूं,इतना सुन्दर बदन मेने आज तक नहीं देखा। ....डाक्टर मेरे दोनों हाथ पकड़ कर उन्हें सहलाते हुए बोला ।
भगवान से सिर्फ एक ग़लती हुई है जहां एक प्यारी सी योनि होनी चाहिए थी वहां उसने ये नुन्नी बना दी । .....कोई बात नहीं मैं पूरी कोशिश करूंगा कि यहां बहुत सुंदर योनि बना दूं। डाक्टर मेरी आंखों में झांकते हुए अभी भी मेरे हाथों को सहला रहा था... उसकी इन हरकतों के कारण मे उस पर पूरी तरह से मोहित हो चुकी थी।
अब डाक्टर के हाथ मेरी नुन्नी को टटोल रहे थे
ये तो बहुत छोटी है डाक्टर साहब, इसका होना ना होना बराबर है... मेंने डाक्टर से कहा।
गुलाबो जी, में इसका साइज नहीं देख रहा, में देख रहा हूं चमड़ी पर्याप्त मात्रा में है या नहीं , जो कि है ,उसी से तो योनि बनेगी। .... डाक्टर हंसते हुए बोला।
डाक्टर के हाथ मेरी जांघों व पेट पर थिरक रहे थे, धिरे धिरे डाक्टर के हाथ मेरी थोड़ी थोड़ी उभरी हुई चूचियों पर आएं, डाक्टर मेरी चूचियों को सहला व दबा रहा था इससे में अपने आप पर काबू नहीं कर पा रही थी, मेरे मुंह से हल्की-हल्की सिसकियां निकलने लगी।
ओहहह डाक्टर साहब प्लीज़ रूकिए ना , मेरे से बर्दाश्त नहीं हो रहा ... मेंने सिसकते हुए कहा।
ठीक है,गुलाबो जी में चेक कर रहा था ये खाली हार्मोन के इंजेक्शन से बड़े हो जाएंगे या सिलीकॉन इंप्लांट करना पड़ेगा । अच्छा अब आप ऐसा करें कि उल्टी लेट जाएं ... डाक्टर बोला।
मेंने उलटी होते हुए डाक्टर के लंड की तरफ निगाह डाली, डाक्टर के लंड ने तन कर उसकी पेंट का तम्बू बनाया हुआ था, ये देख कर मेरा मन खुशी से झूम उठा , मेरा शरीर उत्तेजना से हल्का हल्का कांप रहा था।
में टेबल पर उलटी लेटी थी डाक्टर मेरे पीठ और कूल्हे सहला रहा था बीच बीच में कूल्हों को मसल भी देता था , मुझे समझ नहीं आ रहा था कि इन हरकतों का सर्जरी से क्या संबंध है , तभी मेने महसूस किया कि उसने मेरे कूल्हों को फैला कर चौड़ा किया और मैरी गुदा का चुम्बन लेने लगा।
में एकदम से हूंचकी और बोली...आप ये क्या कर रहे हैं।
डाक्टर एकदम से चौंक कर हटा और मेरे सामने गिड़गिड़ाने लगा.... मुझे माफ़ कर दीजिए गुलाबो जी मेरे दिल - दिमाग मेरे काबू में नहीं है.... में कोई बुरा आदमी नहीं हूं, मेरी पत्नी का स्वर्गवास हुए दो साल हो गए मगर मेंने कभी किसी भी औरत को वासना भरी नजर से नहीं देखा मगर जब से आपको देखा है मैं बुरी तरह से काम वासना की आग में धधक रहा हूं... में आपसे बहुत प्यार करता हूं और आपके बिना नहीं रह सकता।
वो बात तो ठीक है डाक्टर साहब, पर आपको पता है मैं किसी के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही हूं ... में उसे कैसे धोका दे सकती हूं.... में घबरा कर बोली।
ये में नहीं जानता मगर ये सही है कि मैं आपके बिना नहीं रह सकता, प्लीज़ मुझे आपको एक बार बाहों में लेने दीजिए।
में डाक्टर के सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी.... आपने तो मुझे बड़े धर्म संकट में डाल दिया डाक्टर, में सोचते हुए बोली.... खैर चलो अभी हम एक दूसरे के साथ नहीं रह सकते पर एक दूसरे की जरूरतें तो पूरी कर सकते हैं।
ये सुनते ही उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया- में भी अपनी बाहें उसकी कमर पर लपेट कर उसके जोर से चिपक गई ।,
उसका लंड मेरे पेट में गड रहा था तथा उसके हाथ मेरे नितंबों को बुरी तरह मसल रहें थे ।
में भी अपना हाथ उसके लंड पर रख उसे पेंट के उपर से ही रगड़ने लगी , उत्तेजना से मेरा बुरा हाल था।
सुनो जी अपना हथियार दिखाओ ना... आपने तो मेरा पूरा शरीर देख लिया.... मेंने उत्तेजना से कांपती आवाज़ में कहा।
डाक्टर ने तुरंत से अपनी पेंट निचे खिसका दी...अब जो मेरे सामने था वो मेरी सोच से भी परे था , मेंने कभी सोचा नहीं था कि कोई लंड इतना सुन्दर भी हो सकता है ...वो गुलाबी रंग का आठ इंच लम्बा तथा खीरे जैसा मोटा और लोहे की तरह सख्त लंड था जिसका सुपाड़ा पहाड़ी आलू सा लग रहा था तथा झांटों का नाम भी नहीं था।
मेंने अब तक सिर्फ चाचा का काला भुसंड झांटों भरा लंड ही देखा था अतः इतने सुन्दर लंड को देख मंत्रमुग्ध हो गई तथा घुटनों के बल जमीन पर बैठ उसे सहलाने लगी, मेंने उसके लंड का दीर्घ चुम्बन लिया, उसके मुंह से हल्की सी सिसकारी निकली। तभी उसकी स्मार्ट वॉच ने दो बजे का अलार्म बजा दिया।
अलार्म सुनते ही डाक्टर को जेसे झटका सा लगा, औह गुलाबो जी हमको रुकना पड़ेगा काफी समय हो गया बाहर और भी मरीज इंतजार कर रहे हैं ... उसने अपने कपड़े ठीक करते हुए कहा।
मेरे ऊपर तो जैसे घड़ों पानी पड़ गया, मेरा प्लान तो उसका लंड चूस कर उसका वीर्य पीने का था।
कोई बात नहीं जी अब तो अपन मिलते रहेंगे। में अपनी काम भावना को दबा कर बोली, और तुरंत कपड़े पहन डाक्टर के साथ बाहर आ गई।
बाहर चाचा बेसब्री से हमारा इंतजार कर रहा था।
हां तो बिक्रम सिंह जी मेंने अच्छी तरह इनकी जांच कर ली है, सब ठीक है आपको छह महीने बाद बिल्कुल बदली हुई गुलाबो जी मिलेंगी , हम आज से ही काम शुरू करते हैं, नर्स इनके अभी इंजेक्शन लगा देगी फिर आप इन्हें 15 दिनों बाद लाइयेगा। .... डाक्टर ने चाचा को समझाया।
मगर डाक्टर साहब इसमें खर्च कितना आएगा।... चाचा ने सकुचाते हुए पूछा।
अरे आप खर्च की चिंता ना करें जो ठीक लगे दे देना...
फिर भी डाक्टर साहब एक बार सब कार्यरत हो जाए तो ठीक रहेगा।... चाचा ने विनीत भाव से कहा।
ओके...आप ऐसा करो किसी और अस्पताल से पता कर लो वो जितना बताएं उसका आधा दे देना, वैसे नहीं दोगे तब भी चलेगा, हम यहां सिर्फ कमानें के लिए थोड़े ही बैठे है.... डाक्टर मुस्कराते हुए बोला।
ठीक है जी ... चाचा के चेहरे पर खुशी के भाव थे ।
जबकि में मन ही मन मुस्कुरा रही थी और सोच रही थी कि सारी फीस तो ये मेरे शरीर से वसूलेगा । मगर मैं मन ही मन खुश थी और डाक्टर पर पूरी तरह फ़िदा थी, मेरा वश चलता तो चाचा के सामने ही उससे चुदा लेती।
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