गुलाबो
08-24-2023, 11:10 AM,
#11
RE: गुलाबो
अच्छा गुलाबो एक आइडिया आया है दिमाग में, क्यों ना में भैय्या - भाभी से कहूं कि आगे कि पढ़ाई के लिए वो तुझे मेरे साथ शहर भेज दें ।

ओह राजा कमाल का आइडिया है, आप तो कल ही मम्मी पापा से बात कर लो, मुझसे ज्यादा इंतजार नहीं होता।

ठीक है कल बात करता हू... चाचा मेरे कूल्हे सहलाता हुआ बोला।

मेरा दिल खुशी से उछलने लगा।
सुनो जी... इस को चूस दूं...में बोली।

चाचा - मेरा तो मूड नहीं है, तेरी इच्छा हो रही है तो चूस ले।

इच्छा क्या जी ... मुझे तो इस पर प्यार आ रहा है...पूरी जिंदगी इसका ख्याल जो रखना है...मेंने कहा।

चूस ले फिर...पूंछ क्या रही हैं।

मेंने तुरंत से चाचा का पिलपिला सोया हुआ लंड मुंह में ले लिया और चूसने लगी। एक मिनट में लंड ने विकराल रूप धारण कर लिया और चाचा के मुंह से सिसकारियां निकलने लगी।

मुझे लंड चूसते हुए दस मिनट हुए होंगे... अचानक चाचा ने मेरा मुंह अपने लंड पर जोर से दबा लिया.... गुलाबो मेरी जान में झड़ रहा हूं....

अचानक मेरे मुंह में गर्म गर्म वीर्य का फुव्वारा फूटा और मेरा मुंह नमकीन मलाई से भर गया ... मेंने उसकी एक बूंद भी बेकार नहीं जाने दी और सारा पी गई।

तत्पश्चात मेंने चांटा के चाचा का लंड साफ़ किया और बांहों में बांहें डाल कर सो गये।
सुबह सब आंगन में बैठें चाय पी रहे थे, तब चाचा ने प्रस्ताव रखा।

चाचा - भैय्या गुलाब ने अच्छे नम्बरों से स्नातक उपाधि प्राप्त कर ली है , मेरा सुझाव है कि स्नातकोत्तर के लिए, इसे शहर के कालेज में दाखिला दिला देते हैं। वहां मेरे साथ रह लेगा , इतना बड़ा घर वैसे भी अकेले में मुझे काटने को दौड़ता है।

पापा - छोटे तू कितना ख्याल रखता है, अपने भतीजे का , ये खुशकिस्मत हैं कि इसे तेरे जैसा चाचा मिला।

में मन ही मन हंस रहा था... पिताजी को क्या पता कि इस समय चाचा के दिमाग में सिर्फ मेरी गांड़ है, और मेरे दिमाग में सिर्फ चाचा का काला मुस्टंडा लंड है।

मेरा मन खुशी से उछल रहा था, क्योंकि मेरा चाचा के साथ जाना तय हो गया था।
उस रात मैंने चाचा के लंड को दो बार चूस के उसका वीर्य पीया।

आखिर वो घड़ी आ गई जब मैं और चाचा शहर के लिए रवाना होने वाले थे । 
अम्मा ने प्यार से मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए कहा.... बेटा अपने चाचा को ज्यादा परेशान मत करना

अरे अम्मा में तो नहीं करूंगा.... अपने देवर जी से कहो कि वो मुझे परेशान न करे ... में शरारत से मुस्कराते हुए बोला।

मां कि आंखों में एक दम के लिए चमक आईं, फिर वह सामान्य होते हुए बोली...चुप कर बदमाश... चाचा ने तुझे क्या तंग करना है।

मुस्कराते हुए मैंने मन ही मन सोचा... इस मुस्टंडे ने तो आज मेरी गांड़ फाड़ देनी है। 

शहर तक का रास्ता तीन घंटों का था, अतः हम तीन बजे घर से चल दिए ,

 में ये तय कर चुकी थी कि घर पहुंचते ही सबसे पहले मैं नंगी हो कर चाचा के सामने घोड़ी बन जाऊंगी और गांड़ फटे या में मर ही क्यों ना जाऊं, चाचा का लंड अपनी गांड़ में ले कर रहुंगी।
 
हैं जी , वहां तो यह डर नहीं रहेगा कि कोई मेरी चीख सुनकर आप जाएगा.... मेंने चाचा को छेड़ते हुए पूछा।

चाचा - नहीं जान वहां तेरी पुकार या फ़रियाद सुनने वाला कोई नहीं होगा ...तू पूरी तरह मेरे और मेरे मुस्टंडे के रहमो-करम पर निर्भर होगी। चाचा के चेहरे पर शैतानी मुस्कान थी।

ठीक है, ये तो मेरा ख्याल रखेगा, मुझे विश्वास है।... मेंने चाचा के लंड को पजामे के ऊपर से ही सहलाते हुए कहा।

ये तो घर पहुंच कर ही पता पड़ेगा... चाचा मुस्कराते हुए बोले।

हम लोग 2*2डीलक्स बस में थे और चाचा खिड़की की तरफ थे , में अपने सर को आगे की सीट पर रखें सोने का नाटक कर रही थी, और मेरा हाथ चाचा की जांघें और लंड को पजामे के ऊपर से ही सहला रहा था , मेंने महसूस किया कि चाचा का लंड पूरी तरह फनफनाया हुआ था।

तभी चाचा बोला ....चल अब सहलाना बंद कर दस पंद्रह मिनट में शहर पहुंचने वाले हैं , लंड को शांत होने दें।

अगर बंद नहीं करूं तो... मेंने शरारती भाव से पूछा ।

चाचा ने मेरे को घूर कर देखा और बोला.... बहनचोदी घर पहुंच कर बताता हूं, नहीं तेरी गांड़ फाड़ी ना तो मेरा नाम संग्राम नहीं...तीन दिन तक लगंडा कर चलेगी।

देखा जाएगा.... में बेपरवाही से बोली।

आखिर सांय करीब साढ़े छः बजे हम शहर पहुंच गए, हल्का-सा धुंधलका जाने लगा था ।

बस स्टैंड से निकलते ही चाचा सीधे एक मेडिकल स्टोर पर पहुंचा

चाचा...भाई एक ऐलोवेरा जेल की बड़ी ट्यूब और एक कंडोम का पैकेट देना।

जी साहब, पैकट कितने पीसिज वाला दे दूं , दुकानदार मेरी तरफ नजर करते हुए मुस्कुरा कर बोला। 

मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया, में उसकी मुस्कराहट का मतलब समझ रही थी।

चाचा...दस पीस वाला दे दे , डाटेड....चाचा बिना झिझके बोला।

दुकान से बाहर आते ही मैंने पूछा...ये कंडोम क्यों लिये?

मेरी जान में चुदाई के काम आएंगे... चाचा हंसते हुए बोला।


नहीं जी , ये कुछ काम नहीं आने वाले मेरे राजा क्योंकि मेंने आपके वीर्य की एक बूंद भी बर्बाद नहीं होने देनी , सब अंदर लेना है , मुंह में या दुलारी में... मेंने दृढ़ता से कहा।

अच्छा जी ऐसा क्यों... चाचा ने पूंछा 
इससे ही तो मेरी जवानी में शवाव आएगा ... मेंने कहा।

ठीक है जैसी रानी साहिबा की इच्छा...चाचा ने प्यार जताते हुए कहा।

ऐ जी सुनो, आप तो घर पर पहनने के लिए तीन चार ड्रेस ले लो ।.... मेंने कहा।

बोल मेरी प्यारी क्या लेना है... चाचा ने पूछा।

दो जोड़ी घाघरा चोली , दो नाइटी, दो पेंटी और दो पेडेड ब्रा ले लेते हैं, बाकी बाद में देखेंगे.... मेंने कहा।
क्यों नहीं मेरी जान, तुझे तो मैं अपनी पटरानी बना कर रखूंगा ... चाचा खुशी खुशी बोला।

हम लोग अच्छी बड़ी रेडीमेड कपड़े की दुकान पर पहुंचे।

चाचा ने सेल्स बाय को घाघरा चोली ‌दिखाने को कहा।

किस नाप के दिखाऊ साहब .... सेल्स बाय ने सवाल किया।

चाचा ने एक छण के लिए सोचा, फिर बिना लाग लपेट के बोला....इसके नाप के।
 सेल्स वाय ने मुझे कामुक नज़रों से देखा और हल्के से मुस्कुरा दिया...में फिर से शर्म से लाल हो गयी।

तभी चाचा की नजर सड़क की दूसरी तरफ स्थिति शराब के ठेके पर पड़ी।

तू पसंद कर तब तक मैं आता हूं कह कर चाचा शराब के ठेके की तरफ चल दिया।

अब मेरे और सेल्स बाय के नजदीक कोई नहीं था।

वह घाघरा दिखाने के बहाने आगे झुका और धीरे से बोला....नई दुल्हन बन कर मजे लेगा।

शर्म से मुंह नीचे करते हुए में बोली... हां जिंदगी में पहली बार।

वो फिर धीरे से बोला सम्भल कर रहना, साइज में तेरे से तीन गुना है... निचोड़ कर रख देगा।

अब जो होगा देखा जाएगा... मेंने अब बेशर्मी से ज़बाब दिया।

उसकी थोड़ी हिम्मत बढ़ी कहने लगा.... कभी किसी बात की जरूरत है बताना , मोबाइल नंबर देदो , वैसे भी कभी मिलने आना। 

मेनै उसे घूर कर देखा और गुस्से में बोली...अब तू जूते खाएगा।

वो एकदम सकपका गया और चुपचाप कपड़े दिखाने लगा। तभी चाचा पव्वा चढ़ा कर वापस आ गया।

हो गया भी सब... चाचा ने पूछा।
हां हो गया... मेंने जबाब दिया, में अभी अपने आपको चाचा की दुल्हन समझ‌ रही थी।

चाचा ने पैसे दिये, और हम आटो कर घर की और चल दिए।

चाचा ने हाल ही में अच्छा बड़ा चार कमरों का घर बनाया  था, जो शहर के बाहरी हिस्से में एक नव विकसित कालोनी में स्थित था । आस पास चार पांच घरों तक कोई बसाबट भी नहीं थी।

आखिर हम घर पहुंच गए, मेरा दिल तेजी से धड़क रहा था

जैसे ही हम घर के अंदर पहुंचे, में उछल कर चाचा की गोद में चढ़ गई और चाचा को बेतहाशा चूमने लगी, मेंने अपनी दोनों टांगें चाचा की कमर पर कस रखी थी और अपनी बाहों को‌ चाचा के गले में लपेट कर चाचा के चेहरे को चूमे जा रही थी।

मेरे राजा अब बर्दाश्त नहीं हो रहा, प्लीज़ -प्लीज मुझे अपना बना लीजिए, चोद दीजिए मुझे, में कितना भी चीखूं, चिल्लाऊं, रोऊं या तड़पूं, आप रहम मत करना मेरे राजा...में पता नहीं क्या क्या अनर्गल बड़बड़ाये जा रही थी।

तभी चाचा ने अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख जोर से चूसने लगे तथा अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी। 
ये मेरे लिए अद्भुत अनुभव था, मेंने कभी सोचा नहीं था कि किसी क्रिया में इतना आंनद आ सकता हैं।

मेरे हाथ चाचा की पीठ को मसल रहे थे, जबकि चाचा के दोनों हाथ मेरे छोटे छोटे नितम्बों को मसल रहे थे।

चाचा मुझे गोदी में उठाएं हुए बेडरूम में पहुंचा ‌, और मुझे बिस्तर पर पटक दिया और मुझ पर चढ़ मुझे रगड़ने लगा।

आहहहहह गुलाबो मेरी जान मेरा लंड तेरी दुलारी में घुसने के लिए कब से तड़प रहा है ...चाचा मेरे नितंबों को जोर से रगड़ता हुआ बड़बड़ा रहा था ... इसे अपने अंदर लेवन से गी ना मेरी जान , जिंदगी भर तेरी पूजा करूंगा मेरी रानी बस मेरे मेरे लंड को शांत कर दें, नहीं तो ज्यादा तनाव से ये फट जाएगा।

में तुरंत से उठी और चाचा के पजामे का नाड़ा खोलते हुए बोली... मेरे राजा इसका ख्याल में नहीं रखूंगी तो और कौन रखेगा, पूजा  आप मेरी नहीं, मैं करूंगी इसकी । 
इसके साथ ही मैंने चाचा का अंडरवियर भी उतार दिया अब मेरे सामने 8 इंच लम्बा 5 इंच मोटा काला भुजंग चारों तरफ लम्बी लम्बी झांटों से घिरा चाचा का लंड खड़ा था। 
उसको देख कर एक बार तो मेरे शरीर में डर की सर्द लहर दौड़ गई कि ये तो 
दूसरे ही क्षण मुझे ख्याल आया इसके साथ तो जीवन भर का रिश्ता रखना है , इसके साथ ही मेरा डर उसके प्रति प्यार में बदल गया और मैंने उसे गपाक से अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी।

चाचा आंनद के सागर में गोते लगाता हुआ सिसकियां भर रहा था...मेरी रानी तुमने मुझे बहुत सुख दिया है आहहहहह इतने आंनद की तो मैंने कभी कल्पना भी नहीं करी थी। मेरे दोनों हाथ चाचा के भारी बालों भरे चूतड़ों को ससहला रहे थे।

करीब पांच मिनट तक चाचा मेरे मुंह की चुदाई करता रहा, फिर अपना लंड मेरे मुंह से निकालते हुए बोला...अब मुझे भी तेरी दुलारी को प्यार करने दे।
 चाचा ने मुझे गोदी में उठाया और मेरे होंठों को चूमा , और मुझे पलंग पर बैठा, नंगा ही झूमता हुआ दूसरे कमरे में गया, उस पर शराब का नशा होने लगा था।
चाचा का विशाल काला बालों भरा शरीर तथा 8 इंच लम्बा मोटा लंड, मुझे बहुत ही कामुक लग रहा था। 

कुछ ही क्षणों में चाचा  लुब्रिकेटिंग जैल की ट्यूब लेकर आया ।

इसी बीच, में नंगी हो पलंग पर चौपाया बन गयी , और चाचा की तरफ अपनी गांड़ करके बोली .... आजा मेरे सांड चढ़ जा अपनी बकरी पर, तेरी बकरी तेरा लंड घुसवाने के लिए तैयार है।
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08-25-2023, 12:05 PM,
#12
RE: गुलाबो
सांड और बकरी की तुलना सुन चाचा हंसने लगा ...बात तो तेरी सही है, जोड़ी तो अपनी सांड और बकरी की ही है।

में अपने नितम्ब कामुक अंदाज में हिलाने लगी।

हाय , मेरी जान तेरा पिछड़ा कितना सुन्दर है .....चाचा मेरे नितम्बों पर हाथ फेरते हुए बोला, और ये भूरा गुलाब  तो क़यामत है। चाचा ने मेरी गांड़ पर ऊंगली चलाते हुए कहा।

मुझे एक झटका सा लगा और उत्तेजना से मेरे नितंब धिरकने‌ लगे ।
हाय रे मेरी जान इसको किसी की नजर ना लगे.... चाचा ने मेरी गांड़ के फूल को चूमते हुए कहा, अब चाचा की जीभ मेरे नितंबों, उनके बीच की खाई और गांड़ को किसी कुत्ते की तरह चाट रही थी।

मेरी हालत खराब थी उत्तेजना और गुदगुदी के कारण मेरे नितंब बुरी तरह थरथरा रहे थे। मेरे राजा बस करो .... आईईईई अम्मा री ऐसे तो आंनद से मेरी जान ही निकल जाएगी , ऊं ऊऊूऊऊ मेरे राजा आह रे तूने आज मुझे लड़की होने का अहसास कराया, उफ़ ये मस्ती मेरी जान ले लेगी .. मेरे राजा सारी जिंदगी तेरी रखैल बन कर रहूंगी, रोजाना तेरे लंड को धो कर लंडार्मत पियूंगी।

अब चाचा ने मेरी गांड़ पर लुब्रिकेटिंग जैल लगा ऊंगली अंदर बाहर करनी शुरू की , फिर चाचा दो उंगलियों को अंदर कर गांड़ का छल्ला ढीला करने लगा।

अचानक मुझे लगा मेरी गांड़ के  मुहाने पर गर्म गर्म आलू रख दिया, चाचा ने अपना सुपाड़ा गांड़ के छेद पर रखा था , में  लंड के अंदर घुसने का इंतजार करने लगी।

अब चाचा  बहुत ही हल्के हल्के धक्के लगा रहा था, मगर सुपाड़ा अन्दर नहीं जा पा रहा था। अचानक चाचा ने थोड़ा तेज धक्का मारा , मुझे मेरी गांड़ का छल्ला फैलता सा लगा और टीस सी लगी ,में एक दम से हिली उईईई मां मरी , राजा जरा हौले करो ना दुखती है।

अब अंदर तो डालूंगा ही, ऐसे ये अंदर जा ही नहीं रहा ...आआआआ चाचा सिसया के बोला , मेंने कुछ नहीं कहा बस चाचा के शिश्न की चमड़ी और मेरी गांड़ की चमड़ी के स्पर्श और रगड़ का आंनद ले रही थी।

चाचा ने फिर एक तेज धक्का मारा ...ऊई मांममंम ... मेरे मुंह से निकला और मेंने आगे की और झटका खाया।

चाचा का सुपाड़ा अभी अंदर प्रविष्ट नही हो पाया था , चाचा ने इसी तरह आठ दस धक्के और लगाए ।
में सिसकते हुए धक्कों का आंनद ले रही थी, तभी मुझे ऐसा लगा कि किसी ने मेरी गांड़ में खंजर घुसेड़ दिया हो....ऊइइइइ अम्मा में मरी , मरी फाड़ दी हाययय रे।....

में उछल कर आगे गिरी और एक हाथ से अपनी गांड़ को दबाए हुए तकिये पर बैठ गई , मेरी आंखों से आंसू बह रहे थे 

ऐसे डालते हैं क्या , मेरी फ़ाड़ के रख दी , मेंने और नहीं करना बहुत दर्द हो रहा है जी .... मेंने रोते हुए कहा।

मगर चाचा पर तो दारू का और वासना का नशा सबार था , वो मरी तरफ बढ़ा...में फुर्ती से उठ कर नंगी ही एक हाथ से अपनी गांड़ दबाएं दुसरे कमरे की तरफ भागी पीछे पीछे चाचा भी अपना खड़ा लंड लेकर मेरे पीछे दौड़ा , इससे पहले कि मैं दरवाजे का कुंडा लगातीं, चाचा ने मुझे जबरन गोदी में उठा लिया।
चाचा ने बेरहमी से मुझे बिस्तर पर फैंका , और मुझ पर चढ़ गया, उसने दोनों हाथ मेरी पतली कमर पर लपेटे और मुझे बकरी बना लिया, चाचा मुझे इतनी कसी कर जकड़ा हुआ था कि मैं हिल भी नहीं सकतीं थीं।

चाचा ने अपना सुपाड़ा मेरी गांड़ पर रखा और अंदर दबाना शुरू किया, मैं हलाल होते जानबर की तरह चिल्लाई....ईईईईई मर गई, कोई बचाओ....में मर जाऊंगी, प्लीज़ मुझे छोड़ दो.. मम्मी ईईईईई
मगर चाचा ने कोई रहम नहीं दिखाया, एक बार में ही जड तक अपना लंड मेरी गांड़ में घुसेड़ दिया। दर्द के मारे में अर्धबेहोशी की हालत में आ गयी थी , मेरा चेहरा आंसुओं से भरा हुआ था।

अब चाचा कुछ झण के लिए रूका फिर अपना लंड बाहर 
खींच कर दूसरा धक्का लगाया, फिर तीसरा फिर चौथा ... चाचा ने दनादन धक्के लगाने शुरू कर दिये , हर धक्के के साथ मेरी चीख निकल जाती थी। करीब सौ धक्के लगाने के बाद चाचा रूका उसने मुझे पेट के बल लिटा दिया और नीचे एक तकिया लगा दिया, जिससे मेरी गांड़ थोड़ी ऊपर  उठ गई, चाचा पूरे जोश से मेरे शरीर को रगड़ रहा था उसका लंड मेरी गांड़ का बुरी तरह मर्दन कर रहा था ।
मुझे इतनी बुरी तरह जकड़ रखा था कि मैं हिल भी नहीं सकतीं थीं, मेरा मुंह गद्दे में गडा हुआ था और में सिसकियां ले रही थी ।
 चाचा को मुझे रौंदते हुए करीब बीस मिनट हो गए थे, अचानक चाचा ने अपनी रफ़्तार बढ़ा और अरने भैंसें की तरह डकराने लगा ... आहहहहह मेरी जान में झड़ने वाला हूं ....हुं हुं ‌हु ...मेरी गुलाबो में आ रहा हूं .... आजआनूनू में तो गया ...कहता हुआ चाचा मेरे ऊपर औंध गया।

मुझे लगा किसी ने कटोरी भर गर्म घी मेरी गांड में भर दिया हो। में आंखें बंद कर चाचा के नीचे दबी पड़ी थी। 

करीब पांच मिनट बाद चाचा मेरे ऊपर से उठा और मेरा सिर चूम कर बगल में सो गया , में हिलने डुलने की हालत में नहीं थी , अतः वैसे ही पड़ी रही पता नहीं कब नींद ने मुझे आ घेरा।

रात में मेरी आंखें खुली, घड़ी में एक बजा था, में उठी लड़खड़ाते हुए बाथरूम की और चली , चाचा का वीर्य और हल्का सा खून , मेरी गांड़ से बहकर जांघों पर आया हुआ था 

बाथरूम आकर मैंने हाथ पैर साफ किये, फिर टायलेट सीट पर बैठ कर हाथ से अपनी गांड़ का जायजा लिया , मेरी गांड़ का मुंह किसी गुफा की तरह खुला हुआ था ...हरामी ने मेरी गांड़ का क्या हाल कर दिया ...मैं बड़बड़ाई... तत्पश्चात काफी देर तक मैं हैंड शावर से अपनी गांड़ पर ठंडे पानी की फुहार मारती रही फिर आकर सो गयी।
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08-26-2023, 04:29 PM,
#13
RE: गुलाबो
मुझे शहर आए हुए आज चौथा दिन था , मेरी गांड़ का दर्द अब ठीक था तथा मेरी चाल भी ठीक हो गई थी। इन तीन दिनों में चाचा से अलग दूसरे कमरे में सोती थी। चाचा ने भी किसी तरह की ज़िद या जोर जबरदस्ती नहीं की थी, वो एक दम सामान्य व्यवहार कर रहे थे, जैसे कुछ हुआ ही नहीं ।

मेरा गुस्सा भी अब उतर चुका था तथा मुझे चाचा पर फिर से प्यार आने लगा था, या समझो की मेरी गांड़ में फिर खुजली होने लगी थी या कहो वो लंड खाने को मचलने लगी थी।

मेरी समस्या ये थी कि में पहली चुदाई के बाद चाचा से झगड़ पड़ी थी और तीन दिन से अलग सो रही थी तो अब किस मुंह से चाचा के पास जाऊं। पूरा दिन में पलंग पर लेटी अपने हाथ से रगड़ रगड़ कर अपनी गांड़ को शांत करने की असफल कोशिश करती रही।

रात का खाना खा कर हम लोग अपने अपने कमरे में चले , में पलंग पर करीब चार घंटे करबट बदलती रही मगर मुझे नींद नहीं आ रही थी। मेरा शरीर, चाचा के कठोर शरीर के नीचे पिसना चाहता था तथा गांड़ विशाल लंड खाने को बैचेन थी।
जब मेरी कामुकता बर्दाश्त से बाहर हो गई तो मैं बाथरूम से ऐलोवेरा जेल ले कर चाचा रूम की और चल दी। चाचा अपने पलंग पर सिर्फ तहमद पहन कर सो रहे थे  उनका विशाल बालों भरा शरीर ऊपर से पूरा नग्न था। उनका लंड तहमद के नीचे किसी तोप की तरह से खड़ा था । ये दृश्य देख कर मेरे मुंह मे पानी आ गया। मेंने पलंग पर चढ़ कर आहिस्ता से चाचा के तहमद को हटा उनके काले मुस्टंडे लंड को प्यार से चूमा। इस समय वो काला मुस्टंडा मुझे दुनिया की सबसे सुंदर लिंग लग रहा था।

मेंने अपनी गांड़ में ऐलोवेरा जेल अच्छी तरह भरी व कुछ देर अपनी गांड़ में ऊंगली कर उसके छल्ले को थोड़ा ठीला किया। तत्पश्चात चाचा के शिश्न पर अच्छी तरह जैल लगाई और अपना घाघरा कमर तक उठा , चाचा की कमर कोअपने दोनों पैरों के बीच कर उस पर उकडू बैठ गई, चाचा के लंड को अपनी गांड़ के मुहाने लगाया और धीरे धीरे दबाब बनाते हुए लंड को अंदर लेना शुरू किया। थोड़े से प्रयास के बाद मुझे मेरी गांड़ का छल्ला बहुत दर्द के साथ
फैलता हुआ महसूस हुआ, चूंकि इस बार में दर्द सहने के लिए मानसिक रूप से तैयार थी , मैं रूकी नहीं और दांत भींच कर दर्द सहते हुए पूरा लंड अपनी गांड़ में समा लिया। अब चाचा का आठ इंची लंड पूरी तरह मेरी गांड़ में था।
में फिर ऊपर उठी चाचा का आधे से ज्यादा लंड गांड़ से बाहर निकल आया , मेंने फिर दबाव बना कर उसे अंदर कर लिया। 
इस बार चाचा की नींद खुल गई, उन्होंने मेरी आंखों में आंखें डाल मुस्कराते हुए कहा..... मेरी जान मुझे पता था कि तू जरूर मेरे पास आएगी।
भावेश में मेरी आंखों में आसूं आ गये, मेंने अपने कोमल हाथों से चाचा के सीने पर मुक्के मारते हुए कहा.....आप बहुत निर्मोही हो जी ...आप खुद नहीं आ सकते थे मेरे पास , में तीन दिन से में अकेली सो़ रही हूं।

चाचा ने मेरी कमर पर अपनी बांहें लपेट मुझे अपने सीने से लगा लिया, और बोलें ....ना मेरी गुड़िया ऐसी बात नहीं है मुझे तेरे गुस्से और चुदाई से हुईं तकलीफ का अंदाजा नहीं था इसलिए मैं सोच रहा था कि तुझे एक सप्ताह आराम करने देता हूं अन्यथा तू जानती है कि अब में तेरे बिना रह नहीं सकता।
में भी तुम्हारे बिना नहीं रह सकती मेरी जान... मेंने चाचा के होंठों को चूमते हुए कहा।.... हां एक बात और आज से आपका और मेरा .. चाचा - भतीजे वाला रिश्ता खत्म । आज से हम जब तक हमारी शादी नहीं हो जाती पति पत्नी की तरह लिव इन रिलेशन में रहेंगे।

औ के मेरी जान.. चाचा ने कहा और एक जोरदार धक्का कमर उचका कर मारा।
ईईईईई मरी ... ये क्या कर रहे हो,...आज जो भी करना है में करुंगी।

तो जल्दी करो ना मेरी गुलाबो... लंड मर्दन के लिए बैचेन है चाचा ने कहा।

मेंने कमर हिला कर धक्के लगाने की  कोशिश करी मगर नाकाम रही क्योंकि इसका मुझे बिल्कुल भी अभ्यास नहीं था। 
कैसे करूं.. मेरे से हो नहीं रहा ... मेंने हार कर चाचा से पूछा 

मेरी जान तुम मेरे लन्ड पर बैठी हो और आगे मेरे सीने पर झुकी हुई हो अतः घुटने के सहारे अपने नितम्ब उठाओ और फिर नीचे ले आओ । चाचा मुझे समझाता हुआ बोला।

मेंने फिर कोशिश की इस बार में कामयाब रही और धीरे धीरे धक्के लगाने लगी। करीब तीस धक्कों के बाद मेरा दर्द भी गायब हो गया था और लंड भी बड़ी आसानी से मेरी गांड़ का मर्दन कर रहा था।

अब मैं चुदाई का वास्तविक आंनद ले रही थीं मेरे मुंह से अजीब-अजीब सी आवाजें निकल रही थी, चाचा के हाथ मेरी पीठ और नितम्बों को सहला रहे थे।

आहहहहह मेरे राजा गुदा मर्दन में इतना मज़ा आ सकता है ये मेंने कभी सोचा ही नहीं था .... मेरी जान तेरे लंड पर कुर्बान जाऊ ...उई अरे मेरी अम्मा देख तेरी बेटी  आज लंड पर चढ़ गई ...हाय रे मर ही जाऊंगी।
 आहहहहह मेरी जान गुलाबो तू तो बिल्कुल किसी प्रोफेशनल चुद्दकड की तरह चुदाई कर रही है... हआआआ हो हो  मेरी रंडी निचोड़ लें मेरे लंड को उफफं.. चाचा सिसकियां लेता हुआ बडबडाए जा रहा था।

मेरे सैंया आपका लंड क्या में तो आपको ही निचोड़ दूंगी थोड़े दिन रूक जाओ ....हाययय रे दैय्या री मर गई , अचानक चाचा ने नीचे से कमर उचका कर जोरदार धक्का मारा।

बहनचोदी मुझे धमकाती है कि मुझे ही निचोड़ हूंहूंह लेगी ...आहह भूल गयी तीन दिनों तक ठीक से चल नहीं पाती थी ....ये ले हूं हूं आह चाचा ने कमर उछाल उछाल कर धक्के लगाने शुरू कर दिये।

आहहहहह..मेरे राजा ...उईईई.. मार जोर से धक्के ...अरे मरी रे ...फाड़ दे मेरी ... ईईईईई..में उत्तेजना के अतिरेक से बड़बड़ाये जा रही थी।


फिर मैं चाचा के उपर से उठी....मेरी जान अब मैं नीचे लेटती हूं तू मेरे पर चढ़ाई कर ...जब तक मेरा सांड मुझ पर चढ़ कर मेरे शरीर को रौंदेगा नहीं मजा नहीं आयेगा। 

में पीठ के बल लेट गयी , अपने नितम्बों के नीचे तकिया लगा अपने पैर मोड़ कर ऊपर उठा मैंने अपनी गुदा चाचा के सामने कर दी....आजा मेरे राजा पीस दे अपनी रंडी के शरीर को , फाड़ दे मेरी गांड़.... में वासना में सराबोर स्बर में बोली।

चाचा ने अपना सुपाड़ा मेरी गुदा के छेद पर लगाया और एक ही धक्के में पूरा घुसेड़ दिया।
अब 
आआईईई मर गई रे.... थोड़ा धीरे कर ले हरामखोर...में जोर से चीखी। इस आसान से चाचा के लंड की पहुंच मेरी आंतों तक हो गयी थी और लंड ने मेरी आंतों पर जोरदार चोट पहुंचाई थी।

बहनचोदी अभी कुछ देर पहले तो बड़ी उछल रही थी...अब क्या हो गया...हूंम्म्म ये ले फाड़ दूंगा आज तेरी।

मेरी सारी अकड़ ठीली पड़ गयी थी, में गिड़गिड़ाते हुए बोली.... मेरे राजा इस आसन से लंड मेरी आंतों तक पहुंच रहा है, मुझे अभी इतना सहने की आदत नहीं है, मेरे पेट में दर्द हो रहा है, फिर तीन दिन के लिए बिस्तर पर पड़ जाएंगी क्या फ़ायदा ... ईईईईई मां धीरे।

चाचा बोला .. ठीक है बता कैसे करवायेगी?

मैं उल्टी लेट जाती हूं नीचे तकिया रख कर । में बोली 

चल जल्दी कर । चाचा बोला

में तुरंत पेट के बल लेट गयी तथा नीचे तकिया रख लिया , इससे मेरे नितंब उभर कर चाचा के सामने आ गये।

चाचा ने दोनों हाथ मेरे नितंबों पर फेरते हुए उनको खोला और अपना सुपाड़ा मेरी गुदा द्वार पर रख हल्का सा धक्का लगाया, उसका पूरा लंड फिसलता हुआ मेरी गांड़ में घुस गया। ...आहहहहह मेरे सैंया ऐसे ही करो। में सिसकते हुए बोली।

ये आसन मेरे अनुकूल था क्योंकि चाचा का लंड मेरी आंतों तक पहुंच तो रहा था, पर चोट नहीं पहुंचा पा रहा था।  क्योंकि मेरे नितंब थोड़ा अवरोध पैदा कर रहे थे।

चाचा मेरी पीठ पर औंध गया था और दमादम धक्के लगा रहा था और में उसके नीचे दबी सिसकियां भर रही थी।

करीब दस मिनट ऐसे ही मेरी चुदाई करने के पश्चात अचानक चाचा ने धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी।

हूं हूं हूं मेरी गुलाबो में मेंरा निकलने वाला है ... में झड़ने वाला हूं ...मेरी जान आहहहहह में गया । चाचा ने मुझे कस कर जकड़ लिया।

उईई...मेरे राजा ...आहह ..अंदर ही झाड़ दो मेरे सैंया ... है अम्मा री । अचानक मुझे लगा मेरी गांड़ में लावा फैल गया।

करीब पांच मिनट बाद मैं उठी अपने घाघरे से ही पहल अपनी गांड़ साफ करी । चाचा का लंड अच्छे से पोंछा उसे प्यार से सहलाते हुए चूमा फिर चाचा से चिपक कर कर सो गयी।

क्रमशः
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08-30-2023, 01:55 PM,
#14
RE: गुलाबो
मुझे चाचा के साथ रहते हुए एक साल से ऊपर हो गया, इस एक साल के दौरान रोजाना दिन में दो बार मेरी‌ चुदाई जरूर होती थी,इस कारण मेरा शरीर काफी गदरा (खिल) गया था।
मेरे नितंब  नियमित रुप से धक्के खा खा कर बड़े हो गये थे

पेट भी हल्का सा बढ़ गया था , जांघें और बांहें भी पुष्ट हो गई थी , मम्मे भी चाचा ने मसल मसल कर किसी जवान होती लड़की से कर दिये थे, पर में पेडड ब्रा अभी भी पहनती थी मेरा गोरा रंग अब हल्का गुलाबी हो गया था , मैंने बाल बढ़ा लिये थे अब मैं बाहर भी घाघरा चोली पहन कर ही जाती थी । मेरे सेक्सी शरीर को मौहल्ले के मर्द कामुक नज़रों से देखते थे , कुछ मनचले तो अपना लंड पैंट के ऊपर से ही खुजाते हुए अश्लील इशारे करते थे। में इन बातों का पूरा आनन्द लेती थी।

मेरे पूर्ण लड़की बनने में सिर्फ एक रूकावट थी , वो थी मेरी छोटी सी नुन्नी , में जल्द से जल्द उससे छुटकारा चाहती थी और इसलिए मैं जितनी जल्दी हो सके अपना सेक्स चेंज आपरेशन करवाना चाहती थी।

हमारे परिवार वालों को मेरे और चाचा के सम्बन्धों के बारे में पता चल गया था और उन्होंने हमें इस रूप में  स्वीकार कर लिया  था। 

हुआ यूं कि एक इतवार मेरे पिता मान सिंह जी अचानक चाचा से मिलने पहुंच गये इत्तेफाक से उस समय घर का दरवाजा अंदर से बंद नहीं था। अंदर मेरे चाचा मुझे गोद में बैठा कर  मेरी पुष्ट जांघें और भारी नितम्बों को सहलाते हुए टेलीविजन का आंनद ले रहें थे , मेरा घाघरा मेरी कमर तक ऊपर उठा हुआ था।

अंदर का दृश्य देखकर पिता जी की आंखें खुली खुली रह गयी । में तो कूद कर बेडरूम में भागी और दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। चाचा आश्चर्य से उठे उनके मुंह से सिर्फ इतना निकला.... अरे भाई साहब आप ।

पिता जी ... हां मैं ‌, ये बताओ ये क्या वासना का नंगा नाच लगा रखा है घर में, में कब से कह रहा हूं कि शादी कर ले ... मेरी तो सुनता ही नहीं,पता नहीं कहां कहां मुंह मारता रहता है।... कौन है ये लड़की? और गुलाब कहां है । पिताजी ने गुस्से से कांपते हुए पूछा।... जाहिर है पिता जी मुझे मेरे बदले हुए रूप में पहचान नहीं पाए थे। 

चाचा के तो मुंह में जैसे दही जम गया था, वह नीचे मुंह किये चुपचाप खड़े थे।

बोलता क्यों नहीं ये लड़की कौन है और गुलाब कहां है? जुबां को लकवा मार गया क्या?... पिताजी जोर से गरजे।

चाचा कुछ देर सोचते रहे फिर बोले...भाई साहब बात ये है कि वो लड़की और कोई नहीं गुलाब ही है।

अब तो जैसे पिताजी के सिर पर आसमान टूट पड़ा हो , उनके हाथ पैर कांपने लगे , और वो लड़खड़ाती आबाज में बोले ....ये क्या किया तूने मेरे बेटे के साथ ... इसलिए ही तू उसे गांव से शहर लाया था?

नहीं भाई साहब ... ऐसी बात नहीं है, गुलाब शुरू से ही शारीरिक रुप से लड़का होते हुए भी दिलों दिमाग से लड़की ही है , आपने कभी उसकी तरफ ध्यान ही नहीं दिया।.. चाचा बहुत शांत स्वर में बोले , अब उनका डर व अपराधबोध खत्म हो चुका था।

बुला उसे... गुलाब... पिताजी ने मुझे पुकारा।

मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था। मगर यह सोच कर कि एक न एक दिन तो सच्चाई सब के सामने आनी ही है, में घाघरा चोली पहने पहने‌ ही , पिता जी के सामने आ गई और उनके पैर छुए। 

ये सब क्या है और कब से चल रहा है।... पिताजी ने गम्भीर स्वर में पूछा।

मेंने सिर झुकाए हुए जबाब दिया... पिताजी जब से होश सम्हाला है, मेंने अपने आप को लड़की ही महसूस किया है।

पिता जी बोले...किस किस को इसके बारे में मालूम है?

 मेरे और चाचा के सम्बंधो के बारे में सिर्फ आपको और मानसिक रूप से मेरे लड़की होने के बारे में अम्मा और दीदीयों को... मेंने सिर झुकाए झुकाए जबाब दिया।

अब तुम्हारा इरादा क्या है.... पिताजी ने पुछा।

पिताजी में जिस स्थिति में हूं, बहुत खुश हूं... में लड़का बन कर नहीं जी सकती अगर मुझसे जबरदस्ती की गयी तो मैं आत्महत्या कर लूंगी।... मेंने दृढ़ता से जबाब दिया।

तू बिक्रम (चाचा) के साथ कब तक रह पायेगा, उसने भी अपना घर बसाना होगा ... पिताजी ने गम्भीरता से पूछा।

नहीं हमने प्लान कर रखा है हम जल्द ही मेरा सेक्स चेंज सर्जरी करवा लेंगे और फिर जीवन भर पति पत्नी की तरह रहेंगे, अगर जरूरत पड़ी तो बच्चा गोद ले लेंगे.... मेंने भी पूरी गम्भीरता से जबाब दिया।

हां भई् तू बता,  तू क्या कहता है.. पिताजी चाचा की तरफ मुखातिब होते हुए बोले।

भाई साहब, ये जो कह रहीं हैं बिल्कुल सही कह रही है, में कसम खाता हूं कि जिंदगी भर इसे नहीं छोड़ूंगा और ना कभी भी इसे किसी भी प्रकार का दुख दूंगा ... चाचा ने बहुत ही आदर भाव से जबाब दिया।

पिताजी कुछ समय खामोश रहे फिर सोफे से उठते हुए बोले ... जैसी तुम लोगों की मर्जी, मेरे पास और कोई चारा भी नहीं,  अब में चलता हूं।

में और चाचा फुर्ती से उठे और पिताजी के पैर पकड़ लिए।
आप अभी तो आएं हैं , थोड़ा रूककर जाइयेगा, हम जानते हैं कि आप हमारे से नाराज़ हैं, मगर हमारी भी मजबूरी है, हम एक-दूसरे के बिना रह नहीं सकते... मेंने रोते हुए गुहार लगाई ।

पिताजी  मेरी दोनों बाहें पकड़ कर उठाते हुए बोले ...ना बेटे ना तो मैं तुमसे नाराज़ हूं ना ही मैंने तुम लोगों से सम्बंध तोड़ा है,  अभी चार बजे वकील से मेरी मीटिंग है, इसलिए जा रहा हूं। 

हम दोनों ने पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया।

पिताजी के जाने के बाद दरवाजा बन्द करते ही में दौड़ कर चाचा के सीने से चिपक गई और जोर जोर से रोने लगी।

चाचा ने मेरी ठोड़ी पकड़ मेरा मुंह ऊपर उठाया और  मेरे माथे को चूमते हुए बोले...पगली रोती क्यों है, आज का दिन तो बहुत शुभ है, अब हम बिना किसी डर के , बिना किसी भी अपराधबोध के परिवार से जुड़े रह कर अपनी जिंदगी जी सकेंगे। चाचा के हाथ मेरे बालों को सहला रहें थे।


ये ख़ुशी के आंसू हैं, आज मेरे सिर से बहुत बड़ा बोझ उतर गया...में चाचा से चिपकती हुई उनकी पीठ पर हाथ फेरती हुई बोली।

मेरी जान आज तो तूने गजब की हिम्मत दिखाई, में तो सोच रहा था कि तू मुझे छोड़ कर भाई साहब के साथ ना चल दे...चाचा के हाथ मेरी पीठ सहला रहे थे, उन्होंने मुझे कस कर जकड़ रखा था। में उनके खड़े लंड का दबाव अपने पेट पर महसूस कर रही थी।

मेरे में हिम्मत तो आपके साथ होने से आ गई...में पजामे के ऊपर से ही चाचा के आंड सहलाते हुए बोली।

चाचा नेअपना एक हाथ मेरी पीठ से नीचे ले जाकर मेरे घाघरे मे घुसेड़ दिया और मेरे चूतड़ों को जोर जोर से दबाते हुए मेरे गुदा द्वार को सहलाने लगे।

अब मेरे मुंह से सिसकारियां निकलने लगी। औहहहह जी क्या करते हो थोड़ा तो सब्र करो..अभी तो पिताजी गये है।

मेरी जान तू क़रीब हो तो कोई भी सब्र नहीं कर सकता , चाचा ने मेरी गुदा खोदते हुए कहा।

उईईई मां.. मान जाओ ना...में मचल कर बोली।

तभी चाचा ने मेरे घाघरे का नाड़ा खींच लिया इससे मेरा घाघरा सरसराते हुए जमीन पर गिर गया। अब मैं चाचा के सामने सिर्फ चोली में खड़ी थी । चाचा दोनों हाथों से मेरे बड़े बड़े गुलाबी नितम्बों को मसल रहे थे।

मेंने भी चाचा के पजामे का नाड़ा खोल दिया जिससे उनका पजामा भी फर्श पर आ गया । मेंने चाचा के फनफनाए लंड को पकड़ा और अपने पेट पर रगड़ने लगी।

चल गुड़िया पलंग पर चलते हैं कहते हुए चाचा ने मुझे गोद में उठा लिया। में अब पहले वाली चालीस किलो की पतली दुबली गुलाबो नहीं बल्कि पैंसठ किलो बजन की गदराई हुई जवानी थी , फिर भी चाचा आसानी से मुझे गोद में उठा बेडरूम ले आया और मुझे पलंग पर पटक दिया।

औफ हो देखो मेरा साजन कितना ताकतवर है,नजर ना लगे जाए मेरे सैंया को... में इतरा कर हंसते हुए बोली।

अरे मेरी जान मर्द की असली ताकत तो पलंग युद्ध में पता पड़ती है ... चाचा ने हंसते हुए जबाब दिया।

फिर चाचा पीठ के बल सीधे लेट गये ,आजा मेरे मुंह पर बैठ जा , मेरा मन तेरी दुलारी को प्यार करने का हो रहा है... चाचा ने कहा।

में चाचा के मुंह पर अपनी चौड़ी गांड़ रख कर बैठ गई और आगे झुक कर चाचा का लौड़ा मुंह में लेकर चूसने लगी।

चाचा अपनी जीभ से मेरी गांड़ चाट रहा था मुझे अजीब सी सिरहन हो रही थी, अचानक चाचा ने मेरे गुदा द्वार को चाटना शुरू किया और जोर लगा अपनी जीभ मेरी गुदा में करीब आधा इंच घुसा दी । उईईईई ये क्या कर रहे हो जी गुदगुदी होती है ... मेंने अपनी गांड़ हिलाते हुए कहा।

ये सच है कि पिछले डेढ़ साल में मेरी गांड़ सैकड़ों बार चुदी होगी, मगर हर बार मुझे लगता था कि पहली बार चुदी रहीं हैं।

चाचा ने जबाव नहीं नहीं दिया और अपनी जीभ मेरी गांड़ में चलता रहा। यहां मैं बता दूं कि मैं नियमित रूप से एनिमा का उपयोग करती हूं , जिससे मेरी आंते और गुदा मार्ग एक दम साफ़ सुथरा रहता था। 
  
आहहहहह सुनो जी अब बर्दाश्त नहीं हो रहा, अब लंड अंदर कर दो । मगर चाचा ने मेरी बात नहीं सुनी और जीभ चलाना जा रखा ।

उईईईई है ईश्वर में मररर जाऊंगी, उईईईई प्लीज़ रुक जाओ मैं व्याकुल स्वर में बोली। उत्तेजना के कारण मेरा बुरा हाल था , मेरी गांड़ का छेद बुरी तरह लपलपा रहा था तथा मोटे मोटे कूल्हे धिरक रहे थे।

आईईईई अम्मा... मेंने अपनी गांड़ चाचा के मुंह से हटाने की कोशिश करी मगर चाचा ने अपने दोनों हाथों से पकड़ कर मेरे भारी चूतड फिर से अपने मुंह पर दबा लिए।

उईईई औहहहह आपको मेरी कसम रूक जाओ , मेंने थोड़े अधिकार युक्त स्वर में कहा।

अब चाचा ने मुंह मेरी गांड़ से हटाया और बोले ...क्या हुआ।

अब अंदर डाल दो बहुत परेशानी हो रही है ... मेंने कहा।

चाचा: चल फिर बैठ जा मेरे ऊपर और लंड अपनी गांड़ में घुसा कर चोद दे मुझे।

में : नहीं मेने‌ ऊपर बैठ कर नहीं चुदवाना। जब तक आप मुझे अपने सवा सौ किलो के शरीर  के नीचे दबा कर ना चोदो  तब तक मुझे मजा नहीं आता।

साली, मेरे नीचे दब कर चुदने के कारण ही तेरा वजन एक साल में पच्चीस किलो बढ़ गया और तू पतली दुबली लड़की से छोटा हाथी बन गई.... चाचा ने हंसते हुए कहा।

क्या में इतनी मोटी हो गई ? मेंने इतरा कर पूछा 

अरे नहीं मेरी जान तू तो बहुत सेक्सी शरीर की हो गई है। चाचा ने दोनों हाथों से मेरा चेहरा पकड़ प्यार से चूमते हुए कहा।

मैं चाचा के सामने पीठ के बल लेट गयी , मेरी चौड़ी गुलाबी गांड़ , पुष्ट जांघों और उभरे हुए पेट को देखते हुए चाचा बोले... गुलाबो तेरा ये कामुक शरीर देख कर अच्छे से अच्छे साधु संत की भी नियत खराब हो जाए।

मेरे स्वामी आपके इस विशाल फनफनाते लंड को देख कर कोई भी अप्सरा अपना घाघरा उतार आप के सामने चुदने के लिए घोड़ी बन जाऐ।

चाचा मेरी दोनों पुष्ट जांघों के बीच आ गये अपना लंड मेरी गुदा द्वार पर रख दबाव बना कर एक बार में ही अपना पूरा लंड मेरी गांड़ में घुसेड़ दिया

औहहहह मेरे साजन अब थोड़ा चैन आया....में सिसक कर बोली ।

अच्छा लगा मेरी चुद्दकड जान को चाचा ने मेरा माथा चूमते हुए कहा 
अब चाचा ने मेरे से चिपक कर मेरी गांड़ में अपना बमबइलाट लंड पेलना शुरू किया, मुझे बहुत ही मजा आ रहा था

आहहह आहहह उईईईई मेरी मां तेरी बेटी को चोद दिया रे, मेरे उपर चढ़ कर मेरे को रौंद दिया... आहहह मां ...आकर बचा ले,.... अत्यधिक उत्तेजना के कारण में अनर्गल बड़बड़ाये जा रही थी।

मेरी जांघें चाचा के चूतड़ों पर कसी हुई थी और मेरे हाथ चाचा की पीठ पर कस कर बंधे हुए थेे , में चाचा से जोर से चिपकी हुई थी , जैसे उनके शरीर में ही समा जाऊंगी।

चाचा पूरे जोश से मुझ पर चढ़े , धक्के लगाए जा रहे थे, पूरा कमरा उनकी जांघों और मेरे मोटे चूतड़ों के टकराने से पैदा हुई धप धप  तथा लंड के गांड़ के अंदर बाहर होने से होने वाली फच फच फच की आवाज से गूंज रहा था।

करीब पन्द्रह मिनट बाद अचानक चाचा डकराया... गुलाबो मेरा झड़ने वाला है।

आप अंदर ही झाड़ दें .. मेंने कहा।

नहीं में तो तेरे पेट को रगड़ूंगा... कहते हुए चाचा ने अपना लंड मेरी गांड़ से निकाल कर मेरे पेट पर दबा दिया और धक्के मारे मार कर पेट पर रगड़ने लगे , उन्होंने मुझे कस कर दबोच रखा था।

मेरे स्वामी ऐसे मेरा पेट दबता है, उस में दर्द होता है , प्लीज़ ऐसे मत करो ... आईईईई ..में दर्द से कराहते हुए बोली।

चाचा ने मेरी एक नहीं सुनी , अचानक मुझे चिरपरिचित चिकना गर्म पर्दाथ मेरे पेट पर फैलता महसूस हुआ और मेंने राहत की सांस ली।

चाचा करीब तीन मिनट मेरे ऊपर ऐसे ही पड़ा रहा फिर उठ कर बाथरूम चला गया । मेंने चाचा के वीर्य से अपने पेट की अच्छे से मालिश करनी फिर नंगी ही सो गई।

क्रमशः
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09-01-2023, 05:43 PM,
#15
RE: गुलाबो
मेरी नींद फोन की घंटी की आवाज से खुली, घड़ी में शाम के सात बज रहे थे, मेंने फोन उठाया -दीदी का फोन था.... हेलो, हां दीदी नमस्ते... मेंने कहा।

दीदी: और छुटकी, कैसी है तू ।
मैं : बस दीदी भगवान की कृपया है , सब ठीक ठाक चल रहा है।

दीदी: यार तूने तो कमाल कर दिया, तूने अपने और चाचा के सम्बन्ध में पिताजी को सब कुछ साफ़ साफ़ बता दिया, और फिर उनको इस बात के लिए राजी भी कर लिया कि तू चाचा के साथ ही रहेगी।

में : दीदी , आप ही बताओ और क्या करती ,आज या कल सबको पता चल ही जाना था , इसलिए मैंने सोचा सब सच सच बता दूं।

दीदी: वो तो ठीक है , पर तूने पिताजी के सामने हिम्मत खूब दिखाईं।

में : मजबूरी थी दीदी, और फिर ये भी साथ थे इससे हिम्मत बढ़ गयी।

दीदी : अच्छा छुटकी एक बात बता, दिन में कितनी बार लेती है।

में : क्या दीदी, में समझीं नहीं।

दीदी: अब ज्यादा नादान मत बन , चल सीधे सीधे पूछती हूं , चाचा तूझे दिन में कितनी बार चोदते हैं।

में : हटो दीदी, आप बडी खराब हो, ऐसी गन्दी बातें करती हो।

दीदी : अच्छा जी खुद तो चुदवातीं है , वो गंदी बात नहीं होती , मेंने पूछ लिया तो गंदी बात हो गई। चल जल्दी से सच सच बता।

में : दीदी दिन में दो बार तथा छुट्टी वाले दिन तीन बार करते हैं।

दीदी : ओह हो, साली इक्कीस साल की उम्र में दिन में तीन
तीन बार चुदतीं है। एक साले हम है पच्चीस साल के हो गये अभी तक किसी खड़े लंड के दर्शन ही नहीं किए।

में : दीदी, आप भी कैसी बातें करती है।

दीदी: कैसी क्या सही बात कर रही हूं । अच्छा यार एक काम कर चाचा से कह कर हमारे लिए भी कोई इंतजाम कर दे, कब तक इन बैंगन और खीरों से काम चलाऊंगी, इन से चूत की गर्मी तो शांत हो जाती है, मगर बदन को भी तो रगड़ाई चाहिए।

में : दीदी बात तो आप बिल्कुल सही कह रहे हो, असली संतुष्टि तो तभी मिलती है , जब कोई आप पर चढ़ कर आपके शरीर को अच्छी तरह रौंदे ।

दीदी : अच्छा छोटी,  एक बात और बता।

में : क्या

दीदी : यही की चाचा का लंड कैसा है?

में : हटो दीदी कैसी बातें करती हो , में फोन काट रही हूं।

दीदी: नहीं छोटी, तुझे मेरी कसम बता ना , पूरे डिटेल में बता।

में : ठीक है फिर सुनो , वो बिल्कुल काला है , आठ इंच लम्बा और पांच इंच मोटा , चारों तरफ़ से झांटों से घिरा हुआ भयंकर लंड है।

दीदी: तू इतना बड़ा घुसवा लेती है,अपने अंदर।

में : डेढ़ साल से तो ले ही रही हूं।

दीदी : कोई परेशानी नहीं होती?

में : दीदी, ऐसी बात भी नहीं है, पहली बार तो फट ही गई थी , खून निकल आया था और तीन दिन तक पलंग पर पड़ी रही थी।

दीदी : हाय रे, बड़ा जुल्म हो गया था, मेरी छुटकी के साथ, नाजुक सी गांड़ फाड़ दी थी जालिम चाचा ने।

में : दीदी वो तो अब बीते समय की बातें हो गयी।

दीदी : अब तो सब ठीक है, आराम से चुदा लेती है, ज्यादा चीखती चिल्लाती तो नहीं है।

में : दीदी अब तो इनके साथ,इन जैसे तीन और आ जाऐं तो उनको भी निपटा दूं।  जहां तक चीखने चिल्लाने का सवाल है वो औरत मस्ती में या अपने मर्द को जोश दिलाने या उनकी मर्दानगी को ठेस ना पहुंचे इस लिए चीखती है।

दीदी : अच्छा ये बता चाचा चुदाई कितनी देर तक करते हैं।

में  : दीदी आप तो पूरा इन्टरव्यू ले रहे हो।

दीदी : तू बताना, में अपना ज्ञान बढ़ा रही हूं।

में : कभी पंद्रह मिनट कभी बीस मिनिट और अगर नशें में हो तो तीस चालीस मिनट तक पेलते रहते हैं।

दीदी : तब तो तेरे बुरे हाल हो जाते होंगे।

में : बात ये है दीदी खुली हुई गांड़ या चूत में भले ही घोड़े का लंड डालो तब भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा , मगर तकलीफ तब होती है जब एक सौ पच्चीस किलो का सांड आधा घंटा दबा कर पड़ा रहे तो सांस घुटने लगती है, या आपकी टांगों को अपने कंधों पर रख पेलता रहे तो पैर दर्द करने लगते हैं।या ज्यादा देर घोड़ी बन कर चुदाते रहो तो कभी कभी पेट में दर्द होने लगता है।

दीदी : अरे मेरी बन्नो को चुदाई का काफी ज्ञान है।

में : अरे दीदी ज्ञान क्या, अक्सर इनमें से किसी परिस्थिति से गुजरना पड़ता है।

दीदी : चाचा से कह के हमारी भी कोई सेटिंग करवा दें तो हम भी इन परिस्थितियों का मजा ले लें।

में : ठीक है दीदी इनसे बात करूंगी।

दीदी : ठीक है, औ के बाएं , मुझे भी बाथरूम जाना है खीरा लेकर, तेरी बातों ने मेरी चूत गीली कर दी।

क्रमशः
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09-05-2023, 07:12 AM,
#16
RE: गुलाबो
गुलाबो, किस का फोन था... चाचा ने बेडरूम में घुसते हुए पूछा।

कुछ नहीं दीदी का था । मेंने कहा

चाचा: क्या कह रही थी।

मुझे हंसी आ गई और हंसते हुए बोली...कह क्या रही थी मेरा इंटरव्यू ले रही थी , हमारी सेक्स लाइफ के बारे में।

चाचा : तूने क्या कहा?

में: मेंने सब कुछ डिटेल में बता दिया ।

फिर ... चाचा ने उत्सुकता से पूछा।

कह रही थी कि आपसे कहूं कि उनके लिए भी कोई इंतजाम कर दे , उन्होंने आज तक किसी मर्द का खड़ा लंड नहीं देखा। ... मेंने हंसते हुए कहा।

खडे लंड को देखने के लिए तेरी जैसी हिम्मत चाहिए है , मेरी जान चाचा ने मुझे बांहों में कसते हुए कहा।

 मेरे मे तो हिम्मत आपके कारण आई जी.... मेंने चाचा को खुश करने के लिए कहा।

चल उसके लिए भी कुछ सोचते हैं चाचा ने कहा ...अब उनके हाथ मेरी पीठ से हट कर मेरे भारी नितम्बों को बुरी तरह मसल रहें थे।

छोड़ो जी आप फिर शुरू मत हो जाना, अभी दोपहर में तो में तो रगड़ रगड़ कर मेरे सारे नट बोल्ट ढीले कर दिये, अभी तक सारा शरीर दुख रहा है... में अपने आप को चाचा से छुड़ाते हुए बोली। 

जाहिर है में चाचा की ईगो को सन्तुष्ट करने के लिए झूठ बोल रही थी अन्यथा मेरी गांड़ तो हमेशा लंड खाने को तैयार रहती थी।

यार मैं सोच रहा था कि बसंत कौर ( दीदी) का टांका रमेश के साथ फिट करना दूं ... अचानक चाचा खुशी से चहकते हुए बोला।

में : ये रमेश कौन है जी।

चाचा : मेरे साथ ही काम करता है, तीस साल का कुवांरा है, उसका भी कहना है कि उसने आज तक किसी औरत की चूत नहीं देखी। मुठ मार कर काम चलाता है।

में : यह तो बहुत बढ़िया रहेगा जी , अगर दोनों एक दूसरे को पसंद कर लें , और हम उनकी शादी करवा दें , तो परिवार में अपना रुतबा भी बढ़ेगा।

मेरी जान बहुत होशियार है... कहते हुए चाचा ने झुक कर मेरे नितंब पर घाघरे के ऊपर से ही काट लिया

उईईईई क्या करते हो , कोई ऐसे करते हैं क्या, जानवरों की तरह ... में चिल्लाई।

चाचा: अरे यार एक आइडिया आया है, आज रात हम छत पर खुले आसमान में, जानवरों की तरह नंगे रहेंगे और जानवरों की तरह ही चुदाई करेंगे , हाथों का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं होगा।

नहीं बाबा, मुझे तो खुले में चुदने में शर्म आएगी... मेंने इतराते हुए कहा। हालांकि मन ही मन में खुश थी कि एक नया प्रयोग होगा। 

चाचा : शर्म वरम कुछ नहीं अब तो तय हो गया, में बाजार जाकर नी पेड ले आता हूं, ताकि घुटने ना छिलें।

ये कह कर चाचा बाजार चले गए। खुले आसमान के नीचे जानवरों की तरह नंगे घूमेंगे और चुदाई करेंगे ये सोच कर ही में रोमांचित हो रही थी, मेरी गांड़ में तीव्र खुजली होने लगीं थीं।

रात के ग्यारह बजे थे, चाचा अब तक चार पैग चढ़ा चुके थे 

'गुलाबो' चाचा ने जोर से पुकारा।

आ रही हूं जी...मेंने जबाब दिया ।

में बैठक में पहुंची , देखा चाचा सोफे पर बैठ कर शराब पी रहे थे , अब बस भी करो जी कितनी पियोगे... मेंने अधिकार पूर्ण स्वर में कहा।

इधर आ मेरी रानो मेरे सामने...ये आखरी पैग है , अब नहीं पियूंगा,अब बस तुझे देखूंगा।.... चाचा नशे की तरंग में बोला।

में चाचा के सामने जा कर खड़ी हो गई.... हां जी देखो क्या देखना है।.... मेंने कहा।

ऐसे नहीं...कह कर चाचा ने मेरे घाघरे का नाड़ा खोल दिया , मेरा घाघरा सरसराते हुए जमीन पर जा गिरा , फिर चाचा ने मेरी चोली की डोरी खोल कर वो भी उतार दी, अब मैं चाचा के सामने मादरजात नंगी खड़ी थी।

चाचा ने मेरे हल्के से उभरे हुए पेट को प्यार से चूमा, और अपने हाथ पीछे ले जाकर मेरे मारी नितम्बों को हिलाने लगा।

मेरी जान पता है तेरे इन पुष्ट गुलाबी  नितम्बों की मादक थिरकन देख किसी  साधु संत की नियत भी खराब हो सकती हैं। ......चाचा शराब के नशे में भावुक होते हुए बोले।

में : अरे छोड़िये भी आप कैसी बात करते हैं। 

मेरी जान में सही कह रहा हूं, ...चाचा जीभ से मेरी चूचियां चूस रहे थे.... तेरा शरीर इतना कामुक है ना कि मुझे हमेशा यही डर सताता रहता है कि मैं तो काम पर चला जाता हूं, पीछे से तुझे अकेला पाकर कोई तेरे साथ बलात्कार ही ना कर जाए, में घर लौटूं तो पता चले मेरी गुलाबो का सामूहिक बलात्कार हो गया । .... चाचा अत्यंत ही भावुकता में बोला।


अजी ऐसा कहीं होता है... मेंने कहा मगर मेरे दिमाग में सामुहिक बलात्कार की फेन्टैसी जन्म ले चुकी थी, में सोच रही थी अगर ऐसा हो जाए तो कितना मज़ा आएगा, तीन तीन मर्द मेरे शरीर से चिपके होंगे और अलग-अलग तरह के लंड से मुझे चोदेंगे।

मेंने चाचा से कहा....ये सब छोड़िये और अपनी बछिया पर चढ़ने की तैयारी कीजिए.... मेंने नी पैड पहन लिये थे और चौपाया बन चाचा की तरफ अपनी गांड़ करके गरमाई गाय की तरह रम्भाते हुए अपने चूतड हिला रही थी।

मेरी ये हरकत देख चाचा ने तुरंत अपनी तहमद और बनियान उतार फेंक दी और नी पेड पहन कर चौपाया बन गया। चाचा बालों भरे विशाल काछले शरीर के कारण एकदम काला सांड लग रहा था, चाचा  सांड की तरह मुंह उठाकर डकराया, मेंने देखा चाचा का लंड धीरे धीरे झटके खाता हुआ खड़ा हो रहा है।

में चौपाया की तरह सीढ़ियों की तरफ भागी, मेरे पीछे पीछे सांड रुपी चाचा भी रम्भाते हुआ दौड़ा। कुछ ही झण में हम दोनों छत पर खुले आसमान के नीचे थे।

छत पर पहुंच कर मैं इधर उधर देख कर रम्भाई, तभी पीछे से मेरा सांड आकर मेरी गांड़ सूंघने लगा, में बिदक कर आगे बढ़ गई सांड भी मेरे पीछे पीछे आया और मेरी गांड़ चाटने लगा, उत्तेजना से मेरा मुंह गाय की तरह खुला गया।

अब सांड ने अपने आगे के दोनों पैर ( हाथ) मेरी पीठ पर रख कर एक जबरदस्त धक्का मारा , लंड मेरे चूतड़ों से जोर से टकराया और एक तरफ को फिसल गया। 

शर्तों के अनुसार ना तो हाथों का इस्तेमाल करना था , ना ही किसी लुब्रिकेटिंग जैल का ,  चुदाई बिल्कुल जानवर की तरह करनी थी  बिना किसी मदद के । यह एक विकट स्थिति थी, मेरे सहयोग के बिना मेरी गांड़ में लंड प्रवेश कर ही नहीं सकता था , इसलिए मैंने सांड को कुछ देर सताने का मन बना लिया था।

अब हालत यह थी कि जब भी सांड  लंड अंदर डालने के लिए धक्का लगाता में आगे भाग लेती , और उसका लंड मेरे चूतड़ों से टकरा कर इधर उधर फिसल जाता। 

ये खेल करीब आधा घंटा चलता रहा, फिर मुझे सांड के लंड पर दया आ गई , और में छत के एक कोने में गांड़ निकाल कर खड़ी हो गई, सांड छत के बीचों बीच हताशा की स्थति में खड़ा मुझे याचना भरी नजरों से देख रहा था।

मुझे कोने में खड़ा देख वो धीरे धीरे मेरी तरफ आया और अपने आगे के दोनों पैर मेरी पीठ पर रख , अपने सुपाड़े को मेरी गांड़ के छेद पर रखने की कोशिश करने लगा, इस बार मैंने सहयोग किया और अपनी गांड़ हिला कर  उसके सुपाड़े को अपने छेद पर लगा लिया। तभी मुझे अपनी गांड़ के छेद पर गर्म गर्म चिकना तरल पर्दाथ फैलता हुआ महसूस हुआ। उसने अपना पेशाब तथा प्रीकम मेरी गांड़ पर निकाल दिया था ताकि छेद को चिकनाई मिल जाए।

में बिल्कुल कोने में खड़ी थी इसलिए इधर उधर भाग भी नहीं सकतीं थीं। तभी सांड ने एक करारा धक्का मारा और उसका आधे से ज्यादा लंड मेरी गांड़ में घुस गया, में लड़खड़ाई और मुंह घोल के ऐंएऐंऐंऐं करने लगी, तभी दूसरा धक्का लगा और पूरा लंड अंदर घुसा दिया , मेंने बिदक कर इधर उधर होकर लंड गांड़ से निकालने की कोशिश करी पर कामयाब नही हो सकी ।

मेंने जो सांड को आधा घंटा तरसाया था अब वो उसका बदला ले रहा था और हुमच हुमच कर तेज धक्के लगा रहा था पूरी छत धप धप की आबाज से गूंज रही थी।
, में पिछले बीस मिनट से चौपाया बनी सांड के धुआंधार धक्के खा रही थी, मेरे पैरों और हाथों में तेज दर्द हो रहा था परन्तु में चीख चिल्ला भी नहीं सकतीं थीं क्योंकि 
 में तो बछिया के रोल में थी । अतः सिर्फ मुंह खोल के रम्भा रही थी।

करीब आधे घंटे की चुदाई के बाद सांड ने ढेर सारा वीर्य मेरी गांड में उड़ेल दिया, हम दोनों की सांसें तेज तेज चल रही थी तथा शरीर पसीने में लथपथ थे, थोड़ी देर सांड मेरे ऊपर ऐसे ही चढ़ा रहा फिर पुच की आवाज के साथ अपना लंड मेरी गांड़ से बाहर निकाल लिया, लंड के निकलते ही मेरी गांड़ से वीर्य बाहर बहने लगा , सांड ने उसे चाट कर मेरी‌ गांड़ अच्छे से साफ करी , मेंने भी सांड के लंड को प्यार से चूमा फिर उसे चांटा कर साफ़ कर दिया। चुदाई का यह अनुभव मेरा अब तक का सबसे अच्छा अनुभव था।
हम लोग कुछ देर छत पर ही लेटे रहे फिर बेडरूम मे आकर  सो गये। 
क्रमशः
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09-08-2023, 10:12 PM,
#17
RE: गुलाबो
शाम को जब चाचा घर लौटे तो बहुत खुश थे ।

गुलाबो आज तो मिठाई खिला दे... चाचा सोफे पर बैठते हुए बोले।

ऐसा क्या हुआ जी,  बहुत खुश लग रहें हो ... में सोफे पर चाचा से सट कर बैठती हुई बोली।

चाचा ने प्यार से मेरे होंठों को चूमा और बोले....मेरी जान आज मेंने रमेश से तेरी  दीदी ( बसंत कौर) के बारे मे बात की थी, पहले तो वो नखरे दिखा रहा था पर जब मैंने अपने फोन पर उसकी फोटो दिखाई तो साले की लार टपने लगी और एकदम से राजी हो गया।

ये बात सुन कर मेरा मन बाग बाग हो गया, में चाचा को बाहों में भर कस कर उनसे चिपट गई....आप बहुत अच्छे हो जी , आपने बहुत ही पुण्य का काम किया है पिताजी और अम्मा बहुत खुश हो जाएंगे, वो कब से दीदी के रिश्ते को लेकर परेशान थे... में भावुक होते हुए बोली।

चाचा : मेरी जान में तेरा कहा कैसे टाल सकता था , में तुझे से अपने खुद से भी ज्यादा प्यार करता हूं, और तेरी खुशी के लिए कुछ भी कर सकता हूं।

चाचा की बातें सुनकर मेरे मन में भावनाओं का ज्वार-भाटा फूट पड़ा ..मेंने चाचा को और कस कर जकड़ लिया और उनके होंठों से अपने होंठ मिला अपनी जीभ उनके मुंह में डाल दी।

और चाचा की गोद में चढ़ कर बैठ गई मेरे पैर चाचा की कमर को लपटे हुए थे, मेरे नितम्ब चाचा के लंड को महसूस कर रहे थे। मेंने चाचा की शर्ट के बटन खोल उसे उनके शरीर से अलग किया और उनको  चूमते हुए उनके सीने को सहलाने लगी ।

चाचा : मेरी जान बहुत मूड में हैं, चल बेडरूम मे चलते हैं।

नहीं जी,आज में अपनी मर्जी से जैसा मुझे अच्छा लगेगा वैसे करूंगी। रोजाना तुम मुझे अपनी मर्जी के अनुसार चोदते हो आज में आप को चोदूंगी....कह कर में चाचा के होंठ चूसने लगी, मेरे हाथ चाचा के बाल सहला रहें थे।

में चाचा के लंड को अपनी गांड़ के नीचे खड़ा होते हुए महसूस कर रही थी, ...आहहह मेरी जान आज चोद दे मुझे चाचा मेरी पीठ मसलते हुए बोला। 
में चाचा के गले चूमते हुए अपने होंठ चाचा के कंधे पर लाई और कंधे पर जोर से दांत गडा दिए।
ओएएएए ये क्या कर रही हैं .... चाचा दर्द से बिलबिलाते हुए चिल्लाया।

क्यों क्या हुआ मेरे राजा... मेंने हंसते हुए पूछा।

चाचा :  तूने इतनी जोर से काट लिया, दर्द होता है यार।

क्या जी, आप मेरे लिए इतना भी दर्द नहीं सहा सकते.... मेंने चाचा का डायलॉग उन्हीं पर मारा। चाचा कुछ नहीं बोला बस आंहे भरता रहा।

में चाचा की गोद से उतर कर उनके सामने नीचे बैठ गयी , में अब उनके सीने को चाट रही थी, मैंने चाचा की चूचियों पर हल्के से दांत गड़ाए, चाचा फिर चिल्लाया...आाआआ मान जा खून निकालेगी?  मेंने कोई जबाब नहीं दिया ।

 मैंने चाचा की पैंट और अंडरवियर उतार दिये, मेरे सामने चाचा की काली भुसंड तोप तनी हुई थी , में बेतहाशा चाचा की पुष्ट काली जांघों को चाट रही थी और मेरे हाथ चाचा के बड़े-बड़े और मुलायम टट्टो को सहला रहे थे । मेरी इस क्रिया से चाचा काफी कामातुर हो गिड़गिड़ाने लगा था

गुलाबो मेरी जान प्लीज़ अब इसे अंदर ले ले .... चाचा गिड़गिड़ाते हुए बोला।

अंदर ले लूंगी मेरे राजा अभी जरा अपने शरीर से खेलने तो दो ... मेंने चाचा के टट्टो को हल्के से दबाते हुए कहा।

रानी.... आहहह ...अब बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा... अरे मेरी मां,.... मेरा लन्ड उत्तेजना से फट जाएगा री मान जा ...चाचा ने तड़प कर अपने शरीर को तोडते मरोड़ते हुए कहा। 

मेंने चाचा के सुपाड़े को प्यार से चूमा... इसे फटने कैसे दूंगी मेरे राजा, ये फट गया तो मेरी गांड़ विधवा हो जाएगी , ऐसा तो मैं कभी नहीं होने दूंगी .... मेंने चाचा का लंड अपने दोनों हाथों में ले धीरे-धीरे मुठ मारते हुए कहा।

मेरी गुड़िया अब और ज्यादा मत तडफा, मेरे से बिल्कुल काबू नहीं हो रहा .... चाचा याचना भरे स्वर में बोला।

ठीक है ... में उठा कर खड़ी हो गई, चाचा के माथे को चूमा फिर अपने घाघरे का नाड़ा खोल दिया मेरा घाघरा जमीं पर गया, फिर मैंने अपनी चोली भी उतार दी । अब चाचा के सामने मेरा मांसल बदन मादरजात नंगा था।

चाचा ने बेचैनी से मेरे नितंबों को पकड़ अपनी तरफ खींचा ..... आजा रानी मेरे लंड पर बैठ जा .... में मरा जा रहा हूं , चाचा अपने चूतड उछाल उछाल कर हवा में ही धक्के मारे जा रहा था।

चाचा की बैचेनी देख मुझे मजा आ रहा था , में चाचा के शरीर को अपने दोनों पैरों के बीच कर उस पर बैठ गयी मैने हथेली पर थूक लेकर अपनी गांड़ तथा चाचा के सुपाड़े पर अच्छी तरह चुपड़ा। अब मैंने एक हाथ से चाचा के लंड को पकड़ कर अपनी गांड़ के छेद पर सेट किया और अपनी सारा वजन चाचा के लंड पर डाल उसपर बैठे गयी। 

चाचा का लंड मेरी गांड़ में ऐसे घुसता चला गया, जैसे म्यान में तलवार। चाचा ने मेरे बदन को बाहों में भर लिया और ढंडी सांस भरते हुए बोला.... आहहहहह मेरी रानी अब जाकर चैन पड़ा।

चाचा का पूरा लंड जड़ तक मेरी गांड़ में समाया हुआ था , मुझे भी बहुत चैन मिला था .... चोद दे ... मेरे राजा ...फाड़ दे मेरी आहहहहह बहुत मज़ा आ रहा है ... उईईईई मां रे....में चाचा के उपर उछल उछल कर  धक्के लगाते हुए चिल्ला रही थी।
 
ले मेरी जान  घुसेड़ ले निचोड़ लें मेरे लंड को... आहहह तेरी गांड़ बहुत प्यारी है मेरी गुलाबो मन करता है जिंदगी भर इसमें अपना लंड डाले पड़ा रहूं ..ओओओ ...अब चाचा ने भी नीचे से धक्के लगाने शुरू कर दिये थे ।

मेरी हालत उस घुड़सवार जैसी थी जो तेजी से घोडा दौड़ा रहा हो‌ ।.... आहहहहह और जोर से धक्का मार.. मेंने चाचा की जांघ पर थप्पड़ मारते हुए कहा ...., बहुत अच्छे और तेज फाड़ दे मेरी आईईईई मां अपने टट्टे भी घुसा दे मेरे अंदर मादरचोद, दम नहीं है क्या । में अनर्गल चिल्लाए जा रही थी ।‌

पूरी बैठक मेरे चूतड़ों और चाचा की जांघों की टक्कर से पैदा होने वाली धप धप और गांड़ चुदाई की फच फच की आवाज से गूंज रही थी।

तभी मेरे पास पड़े मोबाइल की रिंग बजी , मेंने देखा दीदी का फोन था मैंने देखा दीदी का फोन था , मेंने काल रिसीव कर फोन वहीं छोड़ दिया। पूरे कमरे में चुदाई की धप धप , फच फच और हमारी सिसकारियां गूंज रही थी, में दीदी को वहीं सुनाना चाहती थी।

लगभग पन्द्रह मिनट की घनघोर चुदाई के बाद चाचा चिल्लाया..... गुलाबो मेरी जान मेरा निकलने वाला है....में झड़ने वाला हूं।

नहीं... आहहहहह.. मेरे राजा अभी मत झड़ना ... उईईईई मां... बहुत मज़ा आ रहा है।

करीब दस धक्कों के बाद चाचा फिर बोला ..... मेरी रानी मेरे से नहीं रूका जा रहा ...हाय रे मेरा निकलने वाला है।

आहहहहह...भड़वे , मुझे बीच में ही प्यासा छोड़ेगा क्या बस पांच मिनट और रुक जा ...में आवेश में चिल्लाई।

मगर चाचा अपने आपको रोक नहीं पाया.....आआआ...मेरा निकल रहा है, तेरी गांड़ में इतनी गर्मी है कि मैं रोक नहीं पाया रे .….. आहहहहह में तो गया।

और चाचा की तोप ने मेरी गांड़ में गोले दागने शुरू कर दिये... मगर में उसके लंड को छोड़ने के मूड में नहीं थी, उसके झड़ने के बाबजूद में धक्के लगाए जा रही थी, मगर कुछ ही देर में लंड ढीला हो गया।

चाचा ने अपना सर मेरे कंधे पर रखा हुआ था.... मुझे माफ़ कर दे गुलाबो आज में पूरा साथ नहीं दे पाया... चाचा दुखी स्वर में बोला।
में खुश थी कि आज मेंने चाचा और उसके लंड की औकात क्या है, ये चाचा को दिखा दी थी । फिर भी मैं उन्हें सांत्वना देती हुई बोली...कुछ नहीं जी कभी कभी हो जाता है, माफी तो मुझे मांगनी चाहिए कि जोश में आकर आपको गाली दे दी , आप तो मेरे देवता हैं।

फिर मैं चाचा के ऊपर से उठी पंच करके चाचा का लंड मेरी गांड़ से बाहर निकला साथ ही ढ़ेर सारा चाचा वीर्य मेरी गांड़ से टपकने लगा।

तभी मुझे ध्यान आया कि मोबाइल तो आन ही पड़ा है , मेने फोन उठाया। 

में : हैलो दीदी नमस्ते
दीदी : बन्नो आज तो तूने घमासान चुदाई करी है , और जीत भी तू ही गई। मुझे अपनी चुदाई की लाइव कामेंटरी सुनाने के लिए धन्यवाद, आज तो मुझे भी मोटा खीरा लेना पड़ेगा तब आराम मिलेगा।

में : दीदी आपके लिए भी खीरे का इंतजाम कर दिया है।

दीदी : कौन है?

में : है इनका दोस्त, हम इतवार को पिताजी व अम्मा से बात करने आएंगे।

दीदी : अरे मेरी लाडो तू तो कमाल की निकली, इसीलिए चाचा तेरे पर फ़िदा है।

में : अच्छा दीदी रात में बात करूंगी अभी तो बैठक में एकदम नंगी खड़ी हूं 

कह कर मैंने फोन काट दिया, अपने कपड़े उठाए और बाथरूम की तरफ चल दी , अपनी सफाई करके फिर रात का खाना भी बनाना था।
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09-16-2023, 11:38 PM,
#18
RE: गुलाबो
इतवार को सुबह की चुदाई के बाद , में जल्दी से नहा धोकर गांव जाने के लिए तैयार हो गयी मैने लाल और हरा घाघरा, लाल चोली तथा लाल ओढ़नी पहना था । मेंने शीशे में अपने आप को देखा , मेरे बाहर को निकले हुए नितम्ब, थोड़ा उभरा हुआ पेट , गहरी बड़ी नाभि और पुष्ट भरी हुई बांहों को देख में खुद पर फ़िदा हो गयी और शर्माकर शीशे के सामने से हट गईं।  पिताजी मुझे इस रूप में देख चुके थे मगर मां और दीदी ने अभी तक मुझे लड़की के रुप में नहीं देखा था उन लोगों कि मुझे इस रूप में देख कर क्या प्रतिक्रिया होगी,  में ये सोच कर परेशान थी , मगर साथ ही में किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए मानसिक रूप से तैयार भी थी। 

तभी चाचा भी तैयार हो कर निकले .... ओह हो मेरी छम्मक छल्लो बिल्कुल पटाखा लग रही है कहते हुए चाचा ने मेरे नितंबों पर एक थप्पड़ मारा और घाघरे ऊपर से ही मेरी गांड़ रगड़ दी।

हटो जी, आपको हर समय एक ही चीज नजर आती है .... में छिटक कर चाचा से दूर हटती हुई बोली।

मेरी जान तू चीज ही ऐसी है.... चाचा ने हंसते हुए कहा।

आपको मेरी सेक्स चेंज सर्जरी के बारे में सोचने की फुर्सत तो है नहीं, केवल अपना मज़ा याद रहता है..... मेंने नाराजगी भरे अंदाज में कहा।

औ यार नहीं, में तुझे बताना भूल गया, मेंने पता किया था , सर्जरी के लिए सिंगापुर जाने की जरूरत नहीं बल्कि दिल्ली में ही अच्छे डॉक्टर मौजूद हैं जोकि काफी कम खर्च में इस सर्जरी को अंजाम दे सकते हैं ... मेंने एक डाक्टर से दो दिन बाद का अपाएमेंट लिया है...चाचा ने उत्साह से कहा।

ये सुनते ही मैं खुशी से झूम उठी और लपक कर चाचा को अपनी बाहों में भर लिया....आप बहुत अच्छे हो जी ... मेंने चाचा के होंठों का चुम्बन लेते हुए कहा। में चाचा के सीने से लगी हुई थी तथा मे अपने दोनों हाथ चाचा की शर्ट के अंदर डाल उनकी बालों भरी पीठ सहला रही थी।

अच्छा अब छोड़ नहीं तो लेट हो जाएंगे... चाचा ने अपने आपको छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा।

मगर में उनके और जोर से चिपक गयी ... मुझे इस पर बहुत प्यार आ रहा है,  मेंने चाचा के लंड को पैंट के ऊपर से ही सहलाते हुए कहा।

प्यार आना तो ठीक है मेरी जान , मगर गांव पहुंचने में देरी हो जायगी ... चाचा ने कहा।

देरी होती है तो हो जाने दो, मुझे तो इसे प्यार करना है.... मेंने चाचा की पैंट के हुक व जिप खोल कर चाचा की पैंट नीचे खिसका दी । 

अब चाचा का काला मोटा लंड सुप्त अवस्था में मेरे सामने लटक रहा था , में तुरंत घुटने के बल जमीन पर बैठ गई और चाचा का सोया हुआ लंड अपने मुंह में ले कर चूसने लगी चाचा के लंड की मादक महक मुझे दीवाना कर रही थी  , मेरे दोनों हाथ चाचा के चूतड़ों को सहला रहे थे ।

आहहहहह मेरी जान ऐसे ही चूसती रह बहुत अच्छा लग रहा है... आहहहहह आआआ... चाचा के मुंह से आनंदमय सिसकियां निकल रही थीं, वो दोनों हाथों से मेरे सिर के बाल सहला रहे थे।

चाचा का लंड तुंरत से खड़ा होना शुरू हो गया था , कुछ ही क्षणों में वो अपने पूरे आकार में आ गया, वो मुश्किल से मेरे मुंह में फिट हो रहा था। अब चाचा ने मेरा सिर पकड़ कर मेरे मुंह में धक्के लगाने शुरू कर दिये थे।
आहहहहह मेरी जान बहुत मज़ा आ रहा है ओफफंफ इतना मज़ा तो तेरी गांड़ मे भी नहीं है आआआआ ले मेरी जान... चाचा अनर्गल चिल्लाए जा रहा था।

मेरे मुंह से सिर्फ गल्ल्प गल्ल्प और गूं गूं  की आवाजें आ रही थी, इतना मोटा लंड मेरे मुंह में संटिग कर रहा था , इससे मुझे सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी , मेरा दम घुट रहा था। चाचा करीब पांच मिनट तक मेरे मुंह को चोदता रहा फिर मैंने जबरदस्ती अपने मुंह से उसका लंड निकाल दिया। 

मेंने कुछ झण अपने आप को व्यवस्थित किया फिर अपने घाघरे को कमर तक ऊपर कर डायनिंग टेबल पर हाथ रख थोड़ा सा झुक गई और अपनी गांड़ चाचा की और उभार दी , ....अब जल्दी से अंदर डाल दो जी ... में बैचेनी से बोली।

चाचा मेरे पीछे बैठ गये और हाथों से मेरे दोनों चूतड फैला कर मेरी गांड़ चाटने लगे तथा अपनी जीभ मेरी गांड़ के छेद में घुसाने लगे इससे मेरे शरीर में सनसनी सी फ़ैल गयी।

उईईईई अब बस करो जी आहहह आप तो जल्दी से लंड अंदर घुसेड़ दो नहीं तो गांव जाने में लेट हो जाएंगे.… ईईईईई...मेरा उत्तेजना के मारे बुरा हाल था।

चाचा ने मेरी गांड़ चाटना बंद कर दिया और मेरी गांड़ के छेद पर ढेर सारा थूक निकाल कर मलने लगा, उत्तेजना से मेरी गांड़ का छेद परपराने लगा था फिर मैंने अपनी गांड़ के छेद पर चाचा का गर्म गर्म सुपाड़ा महसूस किया इससे  मेरे शरीर में सिरहन सी दौड़ गई , हालांकि की में इसे शहर को सैकड़ों बार अपनी गांड़ में ले चुकी थी।

चाचा ने दोनों हाथों से मेरी कमर को पकड़ा और अपना लंड अंदर धकेलना शुरू किया, मुझे गांड़ का छल्ला फैलता हुआ महसूस हुआ , फिर अचानक ही चाचा ने पूरा लंड एक ही धक्के में अंदर कर दिया।

उईईईई मां मेरे मुंह से चीख निकली, मेंने एक हाथ पीछे ले जाकर देखा , चाचा का आठ इंची लंड जड़ तक मेरी गांड़ में घुसा हुआ था अब चाचा ने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिये थे

हां हां हां...जी ऐसे ही  धक्के मारो राजा...अम्मा री मर गई... बहुत मज़ा आ रहा है ‌, थोड़ा और ज़ोर से ...और जोर से मारो जी ... आहहहहह मां .... में तो खड़े खड़े चुद गई रे.. 

मेरी सिसकारियों से चाचा का जोश बढ़ता जा रहा था , उसने ताबड़तोड़ धक्के लगाने शुरू कर दिये थे साथ ही मेरे चूतड़ों पर थप्पड़ मार रहा था.....ले मेरी रंडी आहहह बहुत शौक है ना तुझे चुदाई का हहहह साली फाड़ दूंगा तेरी.... चाचा ने थप्पड़ मार मार कर मेरे चूतड लाल कर दिये थे ।

अब बस करो जी आईईईई दर्द हो रहा है , धीरे करो जी मर जाऊंगी उईईईई मां... में चाचा को जोश दिलाने के लिये जोर जोर से छटपटा रही थी।

साली आग भी तेरी ही गांड़ में लगी हुई थी, अब चिल्ला रही है धीरे करो.. धीरे करो....ले बहनचोदी आज तेरी पूरी तसल्ली कराता हूं.... कहते हुए चाचा जोर जोर से धक्के लगाने लगा।‌

हाय रे अम्मा आज नहीं बचूंगी, ओह गॉड इस राक्षस से बचा ले रे मेरी नाजुक सी गांड़ फाड़ दी , में मस्ती में चिल्ला रही थी।

चाचा करीब दस मिनट तक ऐसे ही चोदता रहा फिर मिमियाने लगा..हाय गुलाबो मेरी जान , मेरी रानी आहहहहह मेरा निकलने वाला है ।

अभी मत झडो जी थोड़ी देर तो और करो ना ...मेंने कहा।

रानी मेरे से अब रूका नहीं जायेगा आहहह... चाचा मेरी पीठ से चिपकते हुए बोला... गुलाबो में आ रहा हूं आहहहहह आहहहहह आहहहहह करते हुए चाचा ने अपने वीर्य से मेरी गांड़ को भर दिया और जोर जोर से हांफने लगा।
सौरी मेरी जान, में जल्दी झड़ गया तेरे को प्यासा छोड़ दिया चाचा शर्मिन्दा होते हुए बोला , और पउक्क की आवाज के साथ अपना लंड मेरी गांड़ से निकाल लिया।

मेरे राजा किसने कह दिया कि मैं प्यासी रह गई, आपने तो मेरी बैंड बजा दी ...आप के साथ तो मुझे परम सुख मिलता है जी....में चाचा के मनोबल को बढ़ाने की गर्ज से बोली मुझे डर था कि चाचा हीनभावना का शिकार ना हो जाए। फिर मैंने डायनिंग टेबल से पेपर नेपकिन उठा अपनी गांड़ तथा चाचा के लंड की अच्छी तरह सफ़ाई करी।

चलिये जी मोटरसाइकिल निकालिये अब लेट हो रहें हैं .... मेंने कहा, फिर हम गांव के लिए निकल पड़े।

क्रमशः
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11-28-2023, 04:00 PM,
#19
RE: गुलाबो
करीब तीन घंटे बाद हम लोग अपने गांव के घर पर थे । पिताजी ने दरवाजा खोला, उन्होंने ऊपर से नीचे मुझे भरपूर नज़र से देखा, चूंकि वो मुझे पहले भी इस रूप में देख चुके थे, उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

पांऐ लागू भाई साहब... चाचा ने पिता जी के पैर छूते हुए कहा। 

जीता रह छोटे खूब खुश रह ।  पिताजी चाचा जी को आशीर्वाद देते हुए बोले।

नमस्ते पिताजी... कहते हुए पिताजी के पैर छूने झूकी।

जीती रह ..  पिताजी ने मेरी पीठ पर हाथ फेरते हुए कहा, मेने महसूस किया उन्होंने हल्के से मेरा कूल्हा भी सहला दिया। 


मगर भई, अब मैं तेरा पिता नहीं बल्कि तेरा जेठ हूं .... पिताजी हंसते हुए बोलें... ओर हां अब तू मुझ से घूंघट काढ़ ले कहीं बाद में संग्राम शिकायत करें भाई साहब ये क्या कर दिया। कहते हुए पिताजी ने जोर से ठहाका लगाया।

फिर हम लोग अंदर बैठक में आ गये ... आजा मेरे बच्चे कहते हुए अम्मा ने मुझे अपनी बाहों में भर जोर से दबोच लिया मेरा मुंह उनके अति विकसित स्तनों में घुसा जा रहा था। पिताजी ने उन्हें मेरे बारे में शायद सब बता दिया था इसलिए उन्हें मेरे नारी रूप से कोई आश्चर्य नहीं हुआ।

तू ठीक तो है अम्मा ने पूरे शरीर को टटोलते हुए पूछा।

में बिल्कुल ठीक हूं और मजे में हूं, आप बिल्कुल चिंता ना करें : मेंने हंसते हुए कहा।

चिंता कैसे ना करूं, आखिर तेरी मां हूं... मां ने मेरा मूंह चूमते हुए कहा।

तभी चाचा ने कमरे मे प्रवेश किया.... भाभी पांऐ लागूं ... चाचा अम्मा के पांव छूते हुए बोले।

आओ देवर जी कैसे हैं आप? हमारी छुटकी का पूरा ख्याल तो रखते हैं ना , मां के चेहरे पर कामुक मुस्कान तैर रही थी।

बस भाभी देख लो सब आपके सामने ही है , बस आपका आशीर्वाद चाहिए। चाचा ने मुस्कराते हुए कहा।

छोड़ो देवर जी , अब आप हमारा आशीर्वाद कहां लेते हो , हम तो हमेशा तैयार रहते हैं अपना आशीर्वाद देने के लिए आप ही नहीं आते ... मां ने कामुक मुस्कान चेहरे पर लाते हुए कहा। मां बेबाकी से हम दोनों के सामने द्विअर्थी बात कर रही थी। जिसे सुनकर दीदी मुस्करा रही थी , और में परेशान थी।

चल छोटी इनको बात करने दे, अपन तो दूसरे कमरे में चलते हैं। दीदी मेरा हाथ पकड़ कर मुझे खींचती हुई दूसरे कमरे में ले गई , कमरे में पहुंचते ही दीदी ने दरवाजा बन्द कर लिया और मुझे कस कर बाहों में भर लिया।

यार छुटकी तेरा शरीर कितना गदरा गया, तू तो बहुत सेक्सी हो गई यार , अगर मेरे लंड होता तो तुझे यहीं पटक कर चोद देती.... दीदी मेरे नितंबों को बुरी तरह मसल रही थी।

यार दीदी ये क्या हो रहा है, लगता है सब की नियत मेरे पर खराब हो रही है। अम्मा ने भी बांहों में दबोच कर चूतड सहला दिए थे , पिताजी ने भी पीठ पर हाथ फेरते हुए कूल्हों पर हाथ फेर दिया था, और कह रहे थे कि में तेरा पिता नहीं जेठ हूं, मुझसे घूंघट किया कर , कहीं बाद में पछताऐ.... मेंने हैरान होते हुए कहा।

छोटी अगर बापू ने ऐसा कहा है ना , तो यकीन कर देर सबेर बापू अपने नौ इंच के मूसल से तेरी रगड़ाई जरूर करेगा ..... दीदी ने मुस्कराते हुए कहा।

हाय दीदी आप कैसी बात कर रहीं हैं... मेंने आश्चर्य से पूछा।

सही बता रही हूं छोटी , बापू गांड़ का बहुत बड़ा चोदूं है, मेंने देखा है किस बुरी तरह से अम्मा की गांड़ मारता है .... अम्मा जैसी चुद्दकड औरत की भी चीखें निकल जाती है... अम्मा को घोड़ी बना कर उसके मोटे कूल्हे व कमर पकड़ कर गांड़ में जंगली दरिंदों की तरह धक्के मारता है मां चीखती रहती है मगर जब तक अपना पानी से मां की गांड़ में भर ना दे ,छोड़ता नहीं है... दीदी ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा।

और तो और जब कभी ताऊ जी मुम्बई से आते हैं वो भी अम्मा की गांड़ ही मारते हैं... मेंने देखा है, बापू और ताऊ दोनों मिलकर किस तरह मां को चोदते हैं.... बापू नीचे से मां की योनि में अपना लंड डाल कर चोदता है उसी समय ताऊ ऊपर से मां की गांड़ में अपना लंड पेलता है....बीच में मां सैंडविच बन कर पिसती रहती .. मां कितना भी रोएं चिल्लाएं इन जानवरों पर कोई असर नहीं पड़ता....ये तो जब तक दो तीन बार झड़ ना जाऐ उसको उस पर से उतरते ही नहीं है....मां से पूरा दिन बिस्तर से उठा भी नहीं जाता इतना बुरा हाल कर देते हैं ... दीदी विस्तार से सब बातें बता रही थी। 

दीदी दोनों एक साथ मिलकर चोदते  हैं... मेंने आश्चर्य से पूछा ।


हां रे छोटी ... मां चाचा से भी चुदाती है....चाचा को भी गांड मारने का शौक है.... उन्हें मां को उल्टा लिटा कर उसकी गांड़ खोदने में मजा आता है और ऐसे मां भी मजे में चुदवातीं है.... दीदी ने बताया।

दीदी जब घर के सारे मर्द बिना रोक-टोक के चुदाई करते हैं, तो आप कैसे बच गईं.... मेंने दीदी से पूछा।

वह इसलिए मेरी जान क्योंकि अभी तक मेरी शादी नहीं हुई, जिस दिन मेरी शादी हो गई में भी आगे -पीछे , ऊपर - नीचे सब तरफ से चोदी जाऊंगी...  मगर एक बात बताऊं... दीदी बोली।

में : बताओ

यह तय है कि तू बहुत जल्द बापू और चाचा से एक साथ चुदेगी.... दीदी पूरे विश्वास से बोली।

अरे बाप रे में तो मर ही जाऊंगी...में नकली डर दिखाते हुए बोली... वैसे दीदी कभी कभी मुझे लगता है कि सिर्फ चाचा का लंड मेरे लिए काफी नहीं है... मेंने अपने मन की बात दीदी के सामने रखी।

अच्छा मेरी चुद्दकड बहना ...तो अब तेरा एक लंड से पूरा नहीं पड़ेगा... इसमें क्या बात है ये तो चमड़ी की गांड़ है घिस थोड़े ही जाएगी... दुनिया में करोड़ों लंड है किसी से भी चुदवा ... दीदी बिंदास अंदाज में बोली।

फिर दीदी ने बिना समय गंवाए अपनी टी-शर्ट उतार फैंकी, और मेरा सिर पकड़ अपनी एक चूची मेरे मुंह में दे दी .... उन्होंने नीचे ब्रा नहीं पहनी थी....ले मेरी चूचियां चूस दे... बहुत समय हो गया इन्हें चुसाएं हुए .... दीदी उत्तेजित स्वर में बोली।

मेंने तुरंत से दीदी का दायां स्तन अपने मुंह में गपक लिया और उसे जोर जोर से चूसने लगी, अपना दांए हाथ मेंने दीदी के बाएं स्तन पर रखा और उसे को बुरी तरह मसलने लगी मेरी कोशिश उनको पूरी तरह निचोड़ लेने की थी।

दीदी के मुंह से दबी दबी सिसकियां निकल रही थी.... हाय छुटकी धीरे कर रे... दर्द होता है... अरे आहहहहह काट क्यों रही है जख्म हो जाएगा ... दीदी जल बिन मछली की तरह तड़प रही थी, मगर वो तेज आवाज नहीं निकाल सकती थी क्योंकि घर में सब मौजूद थे।

अब मैं अपने बांय हाथ को नीचे ले जाकर, दीदी की चूत को जीन्स के ऊपर से ही मसल रही थी ... दीदी की चूत इतनी पनिया गई थी कि पानी जींस पर भी दिखाई देने लगा था , मेने दीदी की जीन्स का बटन खोला और अपना हाथ पेन्टी के अंदर डाल दिया... दीदी की झांटों भरी चूत चिकने पानी से बुरी तरह भीगी हुई थी... मेंने अपनी अंगुलियों से दीदी की चूत के दाने को मसलने लगी।
 
अब उत्तेजना दीदी की बर्दाश्त से बाहर हो गई थी वह दबी आवाज में सिसकियां भर रही थी..... छुटकी मेरी जान बस कर आहहहहह में मर जाऊंगी उईईईई प्लीज़ जल्दी से लंड अंदर कर दे. 

मुझे समझ नहीं आया दीदी किस लंड की बात कर रही है क्योंकि मेरी छोटी सी नुन्नी तो किसी काम की थी नहीं ... खैर मैंने दीदी की पैंटी को उनके शरीर से अलग किया... और दीदी के स्तन से मुंह हटा.... दीदी के सीने .. पेट और नाभि को चूमते हुए अपना मुंह नीचे ले आई ।

अब मैं दीदी की झांटों भरी चूत चांटा रही थी ... मेंने दीदी को पलंग पर लेट जाने के लिए कहा .... दीदी तुरंत से पूर्णतया नग्न मेरे सामने लेट गई और अपनी जांघें फैला कर अपनी चूत खोल दी ... में भी पलंग पर जा चढ़ी और दीदी की चूत पर मुंह रख उनकी चूत के दाने को जीभ से कुरेदने लगी।

आहहहहह छोटी आराम से कर ... मुझे मारेगी क्या.... दीदी अपनी चूत बुरी तरह उछाल रही थी..... छोटी वो मेरी अलमारी में.... उईईईई मरी ... कपड़ों के पीछे स्ट्रैप डिल्डो पड़ा है ... आहहहहह अम्मा री ....उसे पहन कर जल्दी से मुझे चोद दे।

अच्छा जी डिल्डो भी रखा हुआ है... तभी में सोचूं की ये चूत का भोसड़ा कैसे बना हुआ है... मेंने आश्चर्य से कहा।

हम तो महारानी की शादी की बात करने आए हैं और रानी साहिबा तो अपना दरबार लुटाए बैठीं है ।

ये सब बातें बाद में करेंगे अभी तू तुरंत से इसमें डिल्डो घुसा... दीदी बेचैनी से बोली।

मेंने अलमारी में से डिल्डो निकाला....ये एक काले रंग का दस इंच लम्बा तथा करीब सात इंच मोटा... सिलिकॉन से बना लचीला लंड की तरह दिखने वाला डिल्डो था जिस पर नसें तक बनाईं गई थी....उसे देख मेरी आंखें फटी की फटी रह गई।

दीदी आप इतना बड़ा ले लेती है.... में दीदी से मुखातिब होते हुए बोली।

छोटी ..तू फालतू की बकवास ना कर और इसको पहन कर जल्दी से मुझे चोद दे...अब रहा नहीं जा रहा।

मेंने तुरंत से अपने सारे कपड़े उतारे और उस डिल्डो को पहन लिया, ऐसा लग रहा था कि मेरा लंड तन कर खड़ा हुआ है। में दीदी की जगह ड्रेसिंग टेबल के सामने चली गई और खुद को निहारने लगी , मेरा पांच फीट दो इंच का गदराया हुआ गोरा शरीर उस पर दस इंच लम्बा काला लंड, में अपने आप को देखकर बेतहाशा हंसने लगी।

वहां खड़ी खड़ी दांत क्या फाड़ रही है अ, जल्दी से मुझे पर चढ़ जा .... दीदी टांगें फैलाकर कर चिल्लाई।

आता हूं मेरी जान क्यों मरे जा रही है.... अभी तेरी भोंसड़ी और गांड़ दोनों फाड़ता हूं.... में मर्द की भूमिका अदा करते हुए बोली.... मेंने ड्रेसिंग टेबल से ऐलोवेरा जेल उठाईं और ढेर सारी अपने लंड (डिल्डो) पर मिली।

अब मैं दीदी की जांघों के बीच बैठी जोर जोर से दीदी की चूत अपने हाथों से थपथपा रही थी ....जीजी उत्तेजना में नीचे से अपनी चूत उछाल रही थी।

छोटी अब पेल भी दे क्यों तड़फा रही है.... दीदी बैचेनी से बोली।

ठीक है मेरी जान .... कहते हुए मैंने दीदी के दोनों पैर अपने कंधों पर रखे और अपने लंड ( डिल्डो) को दीदी की चूत पर रगड़ते हुए उसके छेद पर सेट कर हल्का सा धक्का दिया, डिल्डो का सुपाड़ा थोड़ा सा अन्दर घुसा। 

दीदी... आहहहहह छोटी ऐसे ही डाल दें अंदर।

मेंने दीदी की दोनों जांघों को अच्छे से पकड़ा और डिल्डो को दीदी की चूत में धकेलती चली गई ।

दीदी ज़ोर से चीखने को हुईं मेंने तुरंत से अपने हाथ से उसका मुंह बंद कर दिया अन्यथा उसकी चीख सुनकर घरवाले क्या पड़ोसी भी आ जाते ... दीदी की आंखें उलट गई व उनसे आंसू बहने लगे... दीदी मेरे से छूटने के लिए छटपटा रही थी...में शरीर में उससे तगड़ी थी और मेने उसे ऐसे दबोच रखा था जेसे मुर्गा मुर्गी को चोदते वक्त दबोच लेता है। 

मेंने दीदी का मुंह दबाया हुआ था मगर वो दर्द से हिचकियां लिए जा रही थी ....दस इंच का डिल्डो करीब पूरा ही दीदी की चूत में घुसा हुआ था ....कुछ पल रूकने के बाद मेंने डिल्डो करीब आधा बाहर निकाल कर दूसरा धक्का लगाया फिर तीसरा और लगातार धक्के लगाने लगी ।

दीदी बुरी तरह छटपटा रही थी उसने मुश्किल से मेरा हाथ अपने मुंह से हटाया और रोते हुए बोली..... हरामजादी ऐसे डालते हैं क्या तू मेरी बच्चेदानी घायल कर देगी .... आहहहहह अम्मा री.. अच्छा इस कुतिया से चुदवाया ... अपने हाथ से ही कर लेती तो ठीक रहता... पूरे दस इंच का घुसेड़ दिया पता नहीं मेरी बच्चेदानी का क्या हाल हुआ होगा।

अरे रे मेरी बच्ची के दर्द हो रहा है, अच्छा अब हौले हौले करूगा.....में दीदी को दबोचे हुए उसके सर को सहलाते हुए, मर्द के रोल में बोली।

अब मैंने धक्कों की रफ्तार कम कर दी थी तथा लंड भी पूरी तरह अंदर नहीं घुसेड़ रही थी ..... इससे दीदी को थोड़ी राहत मिली और मजा भी आने लगा था , उन्होंने अपनी टांगें मेरी कमर पर कस रखी थी और अपने हाथों से मेरी पीठ मसल रही थी।

हां छोटी ऐसे ही करती रही आहहहहह मररर मरी रे अम्मा कितना मज़ा आ रहा है उईईईई छोटी ऐसे चुदने में बहुत मज़ा है रे ..... दीदी उत्तेजनावश अनाप शनाप बोले जा रही थी .... धीरे धीरे दीदी अभ्यस्त हो थी जा रही थी अब उनके हाथ मेरे नितंबों पर थे और वो मुझे तेज धक्के मारने के लिए उकसा रही थी.... छोटी थोड़ा और ज़ोर से , पूरा डाल दें अंदर आहहहहह रे मरी रे मेरी फट गयी.... शाबाश और तेज छोटी फाड़ दे मेरी...तेरा लंड मेरी बच्चेदानी पर चोट कर रहा है उईईईई मरी.. डाल दें अपना बच्चा मेरे पेट पर में ....फुला दे मेरा पेट....आहहह अम्मा री उईईई मरी ... छोटी और तेज में झड़ने वाली हूं!

मेंने अपने दोनों हाथ  दीदी के नितम्बों के नीचे ले जाकर उन्हें थोड़ा सा उठाया और दीदी की‌एक चूंची अपने मुंह में ले चूसती हुई ताबड़तोड़ धक्के मारने लगी।

हाययय रे मर गई ...थोड़ा तो रहम कर मर जाऊंगी... उईईईई आहहहहह हाय रे अम्मा बचा ले . में झड़ने वाली हूं.... अचानक दीदी मुझ से कस कर चिपक गई... छोटी मेरा निकल रहा है ...हाययय रे में तो गयी .... कहते हुए दीदी ने भरभरा कर पानी छोड़ दिया.... उनकी पकड़ एकदम से ठीली हो गयी और वो लम्बी लम्बी सांसें लेने लगी। 

पसीने में तर-बतर हम लोग कुछ देर वैसे ही लेटे रहे, तभी अम्मा की आवाज सुनाई दी मैं तो अपने कपड़े उठाए कर तुरंत बाथरूम में घुस गई। और दीदी ने भी फुर्ती से अपने कपड़े पहन‌ लिए।
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12-04-2023, 06:42 PM,
#20
RE: गुलाबो
मंगलवार सुबह 8 बजे की ट्रेन पकड़ कर हम लोग 10 बजे शहर पहुंच गए। मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था तथा में अजीब सी घबराहट महसूस कर रही थी।

क्यों जी कोई गडबड तो नहीं होगी , मुझे डर लग रहा है.... में चाचा का हाथ कस कर पकड़ते हुए बोली।

अरे पगली गड़बड़ी क्या होगी, सब ठीक होगा में ‌तेरे साथ हूं ना .... चाचा ने मुझे ढांढस बंधाते हुए कहा।

अच्छा चल अब परेशान मत हो, अच्छा अच्छा सोच....में आटो बुलाता हूं ।

अगले दस मिनट में हम लोग अस्पताल पहुंच चुके थे। ये एक मध्यम आकार का सुव्यवस्थित अस्पताल था

रिसेप्शन पर एक सांवले रंग व मांसल शरीर की दक्षिण भारतीय लड़की बैठी थी , में और चाचा सीधे रिसेप्शन पर पहुंचे।

मेंने गौर किया कि रिसेप्शनिस्ट की नजरें मेरे शरीर का बारीकी से मुआयना कर रही है। में अपने पारंपरिक परिधान में थी , हल्के प्याजी रंग का साटिन का घाघरा जिस पर छोटे-छोटे फूल छपे हुए थे और उसी कपड़े का व्लाउज पहना हुआ था।

डाक्टर साहब है... चाचा ने रिसेप्शनिस्ट से पूछा।

हां जी मौजूद हैं.. आपका अपाइंटमेंट किस नाम से है? उसने सवाल किया।

जी गुलाबो के नाम से... चाचा ने जबाब दिया।।

उसने रजिस्टर चैक करके , मेरी तरफ मुस्करा कर देखते हुए कहा...आप लोग बैठिये अगला नम्बर आपका ही है।

में और चाचा हाल में बैठ गये , मेने चाचा का हाथ कस कर पकड़ रखा था ... जी मुझे काफी घबराहट हो रही है ... मेंने डरते हुए चाचा से कहा।

चाचा: अरे जानू किस बात की घबराहट?

डाक्टर क्या सोचेगा ... मेंने कहा

तू पागल है, एक बात बताऊं डाक्टर ने आज तक तेरे जैसा सुंदर व सैक्सी शरीर नहीं देखा होगा, तू लाजबाव है , मेरी जान, घबरा मत .... चाचा मेरा मनोबल बढ़ाते हुए बोले।

तभी मेरी नजर रिसेप्शनिस्ट पर पड़ी, वो कनखियो से मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी.. मेंने उसे पूरी तरह नज़र अंदाज़ किया और अपनी बारी का इंतजार करने लगी।

करीब दस मिनट के इंतजार के बाद हमारा नम्बर आया, मैंने तेजी से धड़कते दिल के साथ डाक्टर के कमरे में प्रवेश किया।

डाक्टर एक चालीस साल उम्र का करीब छह फिट लम्बा बलिष्ठ शरीर का एकदम गोरा आदमी था, साक्षात कामदेव का अवतार । 

में पहली नजर में ही उस पर फ़िदा हो गयी ऐसा पहली बार हुआ था कि चाचा के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति को देख कर मेरी गुदा में खुजली होने लगी हो।

मेंने महसूस किया कि डाक्टर की नजरें भी मेरे शरीर को टटोल रही है।

में आप की क्या सेवा कर सकता हूं? डाक्टर ने पूछा

चाचा ने हमारी सारी जरूरतें डाक्टर को बिना किसी झिझक के विस्तार से बता दी।

डाक्टर: ठीक है विक्रम जी और गुलाबो जी में आपको बताना चाहूंगा कि ये कोई बहुत मुश्किल सर्जरी नहीं है, ना ही इसमें किसी प्रकार का खतरा है। मगर आपको छह महीने तक हर पन्द्रह दिन बाद फीमेल हार्मोन के इंजेक्शन लगवाने तथा मसाज करवाने  यहां आना पड़ेगा ताकि नारी अंगों का अच्छा विकास हो सके।
जहां तक प्रसव का सवाल है वो तो सम्भव नहीं है, मगर हम प्रसव व प्रसव पीड़ा की पूर्ण अनुभूति करवा देंगे। और उस मामले मे में सलाह दूंगा कृत्रिम प्रसव भी हम योनि मार्ग से ना करके गुदा मार्ग से करेंगे क्योंकि इनकी गुदा इस तरह के दर्द सहने की अभ्यस्त हो चुकी है।

में सर झुकाए सारी बातें सुन रही थी .. मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया था।

सारी बातें सुनने के पश्चात चाचा ने डाक्टर से मुखातिब होते हुए कहा.... डाक्टर साहब बाकी सब तो ठीक है, मगर मुझे हर पन्द्रह दिन बाद छुट्टी नहीं मिलेगी...इसका क्या उपाय है।

डाक्टर: आपका गांव तो नजदीक ही है तथा वहां से सीधी ट्रेन भी है,  आप ऐसा करना गुलाबो जी को वहां से ट्रेन मे बैठा देना यहां हम स्टेशन पर उतार लेंगे।

मेंने देखा डाक्टर के चेहरे पर खूबसूरत मुस्कान थी।

ये सुन कर चाचा के चेहरे पर खुशी दौड़ गई....हां ये ठीक रहेगा... चाचा ने कहा।

आइये गुलाबो जी में कुछ जरूरी चेक-अप कर लूं, फिर उसी के अनुसार सर्जरी प्लान करूंगा.... डाक्टर अपनी सीट से उठता हुआ बोला।

मेंने घबराहट में चाचा की तरफ देखा।

अरे आप घबराए नहीं, में कुछ नहीं करूंगा ... डाक्टर ने हंसते हुए कहा...और मेरा हाथ पकड़ कर परीक्षण कक्ष में ले गया।
 ये एक बड़ा कमरा था जिसमें एक पलंग, दो परीक्षण टेबल, दो तीन कुर्सियां और एक काफी बड़ा आईना लगा हुआ था।

गुलाबो जी सबसे पहले तो आप घबराना बंद कीजिए, अब हम दोनों एक टीम है तथा हम दोनों ने मिलकर छह महीने मे आपकी काया बिल्कुल बदल देनी है... डाक्टर ने मेरी आंखों में प्यार से झांकते हुए कहा ... और यह तभी सम्भव है जब हम एक दूसरे से संकोच बिल्कुल ना करें।

मेंने महसूस किया की डाक्टर के हाथ मेरी पीठ को सहला रहे थे। अब मेरी घबराहट काफी कम हो गई थी, डाक्टर से तो मैं पहले ही बहुत प्रभावित थी , में अब बैचेनी से उसके अगले कदम का इंतजार कर रही थी।

आप पानी लेंगी.... डाक्टर ने पूछा।

 जी नहीं धन्यवाद... मेंने कहा

ठीक है, गुलाबो जी अब आप अपने कपड़े उतार कर उस टेबल पर लेट जाइए .... डाक्टर बोला।
 
मेरा शर्म के मारे मुंह लाल हो गया... वैसे तो मैं डॉक्टर पर पूरी तरह फ़िदा थी और उसके नीचे लेटने को भी तैयार थी....मगर अकस्मात कपड़े उतारने की बात से सकपका गई और प्रतिक्रिया विहीन खडी रही।

तभी डाक्टर मेरे पास आया एक हाथ से मेरा हाथ पकड़ा दूसरे हाथ से मेरी पीठ सहलाते हुए प्यार से मेरी आंखों में झांकते हुए बोला... देखिए मेने पहले ही आपसे कह दिया है कि मुझसे शर्माना नहीं है... चलिये जल्दी उतारिये।

ठीक है जी ... कह कर मैंने अपनी ओढ़नी, घाघरा और चोली उतार दिए, अब में डाक्टर के सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी।

आप बहुत सुन्दर है, गुलाबो जी.. इतना सुन्दर शरीर मेने पहले कभी नहीं देखा.... डाक्टर एकटक मेरे शरीर को देखता हुआ बोला।

आप मुझे शर्मिन्दा कर रहे हैं जी ...में शरमाते हुए बोली।

नहीं कसम से मैं झूठ नहीं बोल रहा... डाक्टर मेरे करीब आया ओर एक हाथ मेरी कमर में डाल मुझे मुझे निरीक्षण टेबल तक लाया और उस पर मुझे सीधा लेटा दिया।

में बहुत ज्यादा रोमांचित थी , डाक्टर बड़े गौर से मेरे गदराये बदन का मुआयना कर रहा था.... मेंने शर्म से आंखें बंद कर ली और अपने दोनों हाथों से अपनी छोटी सी गुलाबी नुन्नी को छिपा लिया। 

नहीं नहीं गुलाबो जी आपको शरमाने की जरूरत नहीं है आप बहुत सुन्दर हो, में बता चुका हूं,इतना सुन्दर बदन मेने आज तक नहीं देखा। ....डाक्टर मेरे दोनों हाथ पकड़ कर उन्हें सहलाते हुए बोला ।

भगवान से सिर्फ एक ग़लती हुई है जहां एक प्यारी सी योनि होनी चाहिए थी वहां उसने ये नुन्नी बना दी । .....कोई बात नहीं मैं पूरी कोशिश करूंगा कि यहां बहुत सुंदर योनि बना दूं। डाक्टर मेरी आंखों में झांकते हुए अभी भी मेरे हाथों को सहला रहा था... उसकी इन हरकतों के कारण मे उस पर पूरी तरह से मोहित हो चुकी थी।

अब डाक्टर के हाथ मेरी नुन्नी को टटोल रहे थे

ये तो बहुत छोटी है डाक्टर साहब, इसका होना ना होना बराबर है... मेंने डाक्टर से कहा।

गुलाबो जी, में इसका साइज नहीं देख रहा, में देख रहा हूं चमड़ी पर्याप्त मात्रा में है या नहीं , जो कि है ,उसी से तो योनि बनेगी। .... डाक्टर हंसते हुए बोला।

डाक्टर के हाथ मेरी जांघों व पेट पर थिरक रहे थे, धिरे धिरे डाक्टर के हाथ मेरी थोड़ी थोड़ी उभरी हुई चूचियों पर आएं, डाक्टर मेरी चूचियों को सहला व दबा रहा था इससे में अपने आप पर काबू नहीं कर पा रही थी, मेरे मुंह से हल्की-हल्की सिसकियां निकलने लगी।

ओहहह डाक्टर साहब प्लीज़ रूकिए ना , मेरे से बर्दाश्त नहीं हो रहा ... मेंने सिसकते हुए कहा।

ठीक है,गुलाबो जी में चेक कर रहा था ये खाली हार्मोन के इंजेक्शन से बड़े हो जाएंगे या सिलीकॉन इंप्लांट करना पड़ेगा । अच्छा अब आप ऐसा करें कि उल्टी लेट जाएं ... डाक्टर बोला।

मेंने उलटी होते हुए डाक्टर के लंड की तरफ निगाह डाली, डाक्टर के लंड ने तन कर उसकी पेंट का तम्बू बनाया हुआ था, ये देख कर मेरा मन खुशी से झूम उठा , मेरा शरीर उत्तेजना से हल्का हल्का कांप रहा था।

में टेबल पर उलटी लेटी थी डाक्टर मेरे पीठ और कूल्हे सहला रहा था बीच बीच में कूल्हों को मसल भी देता था , मुझे समझ नहीं आ रहा था कि इन हरकतों का सर्जरी से क्या संबंध है , तभी मेने महसूस किया कि उसने मेरे कूल्हों को फैला कर चौड़ा किया और मैरी गुदा का चुम्बन लेने लगा। 

में एकदम से हूंचकी और बोली...आप ये क्या कर रहे हैं।

डाक्टर एकदम से चौंक कर हटा और मेरे सामने गिड़गिड़ाने लगा.... मुझे माफ़ कर दीजिए गुलाबो जी मेरे दिल - दिमाग मेरे काबू में नहीं है.... में कोई बुरा आदमी नहीं हूं, मेरी पत्नी का स्वर्गवास हुए दो साल हो गए मगर मेंने कभी किसी भी औरत को वासना भरी नजर से नहीं देखा मगर जब से आपको देखा है मैं बुरी तरह से काम वासना की आग में धधक रहा हूं... में आपसे बहुत प्यार करता हूं और आपके बिना नहीं रह सकता।

वो बात तो ठीक है डाक्टर साहब, पर आपको पता है मैं किसी के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही हूं ... में उसे कैसे धोका दे सकती हूं.... में घबरा कर बोली।

ये में नहीं जानता मगर ये सही है कि मैं आपके बिना नहीं रह सकता, प्लीज़ मुझे आपको एक बार बाहों में लेने दीजिए।

में डाक्टर के सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी.... आपने तो मुझे बड़े धर्म संकट में डाल दिया डाक्टर, में सोचते हुए बोली.... खैर चलो अभी हम एक दूसरे के साथ नहीं रह सकते पर एक दूसरे की जरूरतें तो पूरी कर सकते हैं।

ये सुनते ही उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया- में भी अपनी बाहें उसकी कमर पर लपेट कर उसके जोर से चिपक गई ।, 

उसका लंड मेरे पेट में गड रहा था तथा उसके हाथ मेरे नितंबों को बुरी तरह मसल रहें थे ।

में भी अपना हाथ उसके लंड पर रख उसे पेंट के उपर से ही रगड़ने लगी , उत्तेजना से मेरा बुरा हाल था।

सुनो जी अपना हथियार दिखाओ ना... आपने तो मेरा पूरा शरीर देख लिया.... मेंने उत्तेजना से कांपती आवाज़ में कहा।

डाक्टर ने तुरंत से अपनी पेंट निचे खिसका दी...अब जो मेरे सामने था वो मेरी सोच से भी परे था , मेंने कभी सोचा नहीं था कि कोई लंड इतना सुन्दर भी हो सकता है ...वो गुलाबी रंग का आठ इंच लम्बा तथा खीरे जैसा मोटा और लोहे की तरह सख्त लंड था जिसका सुपाड़ा पहाड़ी आलू सा लग रहा था तथा झांटों का नाम भी नहीं था।

मेंने अब तक सिर्फ चाचा का काला भुसंड झांटों भरा लंड ही देखा था अतः इतने सुन्दर लंड को देख मंत्रमुग्ध हो गई तथा घुटनों के बल जमीन पर बैठ उसे सहलाने लगी, मेंने उसके लंड का दीर्घ चुम्बन लिया, उसके मुंह से हल्की सी सिसकारी निकली। तभी उसकी स्मार्ट वॉच ने दो बजे का अलार्म बजा दिया।

अलार्म सुनते ही डाक्टर को जेसे झटका सा लगा, औह गुलाबो जी हमको रुकना पड़ेगा काफी समय हो गया बाहर और भी मरीज इंतजार कर रहे हैं ... उसने अपने कपड़े ठीक करते हुए कहा।

मेरे ऊपर तो जैसे घड़ों पानी पड़ गया, मेरा प्लान तो उसका लंड चूस कर उसका वीर्य पीने का था। 

कोई बात नहीं जी अब तो अपन मिलते रहेंगे। में अपनी काम भावना को दबा कर बोली, और तुरंत कपड़े पहन डाक्टर के साथ बाहर आ गई।

बाहर चाचा बेसब्री से हमारा इंतजार कर रहा था।

हां तो बिक्रम सिंह जी मेंने अच्छी तरह इनकी जांच कर ली है, सब ठीक है आपको छह महीने बाद बिल्कुल बदली हुई गुलाबो जी मिलेंगी , हम आज से ही काम शुरू करते हैं, नर्स इनके अभी इंजेक्शन लगा देगी फिर आप इन्हें 15 दिनों बाद लाइयेगा। .... डाक्टर ने चाचा को समझाया।

मगर डाक्टर साहब इसमें खर्च कितना आएगा।... चाचा ने सकुचाते हुए पूछा।

अरे आप खर्च की चिंता ना करें जो ठीक लगे दे देना...

फिर भी डाक्टर साहब एक बार सब कार्यरत हो जाए तो ठीक रहेगा।‌... चाचा ने विनीत भाव से कहा।

ओके...आप ऐसा करो किसी और अस्पताल से पता कर लो वो जितना बताएं उसका आधा दे देना, वैसे नहीं दोगे तब भी चलेगा, हम यहां सिर्फ कमानें के लिए थोड़े ही बैठे है.... डाक्टर मुस्कराते हुए बोला।

ठीक है जी ... चाचा के चेहरे पर खुशी के भाव थे ।

जबकि में मन ही मन मुस्कुरा रही थी और सोच रही थी कि सारी फीस तो ये मेरे शरीर से वसूलेगा । मगर मैं मन ही मन खुश थी और डाक्टर पर पूरी तरह फ़िदा थी, मेरा वश चलता तो चाचा के सामने ही उससे चुदा लेती।
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