06-09-2017, 01:49 PM,
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RE: ब्रा वाली दुकान
अगले दिन सुबह 11 बजे मुनब्बर अंकल के घर पहुँच गया। शुक्रवार का दिन था सरकारी छुट्टी न होने के कारण मुनब्बर अंकल घर पर नहीं थे, जबकि उनकी बेटी शमीना अभी स्कूल से वापस नहीं आई थीं। शमीना से छोटी बेटी अभी जो 10 साल की थी उसकी तबीयत खराब थी जिसकी वजह से वह स्कूल नहीं गई और घर पर ही एक कमरे में सो रही थी। घर गया तो सलमा आंटी ने खुश होकर मुझे अंदर बुला लिया। मगर वह कुछ कुछ मुझसे शर्मा भी रही थीं। उन्होंने मुझे उसी कमरे में बिठा दिया जहां मुनब्बर अंकल के होते हुए बैठा था। यह मुख्य कक्ष था टीवी भी लगा हुआ था। मुझे बैठाकर आंटी किचन में चली गई और कुछ ही देर में मीठे सिरप का एक गिलास बनाकर मेरे लिए ले आई मेरे सामने पड़ी टेबल पर सलमा आंटी झुकी और सिरप का जग जो एक बड़ी ट्रे में था मेरे सामने रखा, जिसके दौरान झुकने की वजह से उनकी कमीज से उनके बड़े 38 आकार के मम्मे कमीज से बाहर निकलने की कोशिश करने लगे, मेरी नजर उनकी कमीज के अंदर मौजूद मम्मों और उनके बीच की गहरी लाइन पर पड़ी तो मुझे कुछ कुछ होने लगा, मैंने तुरंत ही अपना चेहरा नीचे कर लिया। आंटी भी तुरंत ही सीधी हो गई और मेरे साथ वाली कुर्सी पर बैठ गईं और बोलीं बेटा पानी पियो।
उनकी नजरें मेरे हाथ में मौजूद शापर पर थीं। मगर वह मुझसे शापर मांगते हुए संकोच कर रही थीं। गर्मी अधिक थी मैंने जल्दी जल्दी सिरप का एक गिलास पिया और फिर आंटी को देखा। आंटी ने तब सफेद रंग की एक कमीज पहन रखी थी और गले में दुपट्टा ले रखा था, कमीज ठीक थी और गर्मी की वजह से शायद आंटी ने समीज़ भी नहीं पहनी थी जिसकी वजह से उनका काले रंग का ब्रा भी सफेद कमीज में से बड़ा स्पष्ट नजर आ रहा था। उन्हें ऐसी हालत में देख कर मुझे अपने अंडरवेअर में बेचैनी महसूस होने लगी थी, मगर मैं पूरी कोशिश कर रहा था कि सलवार में मौजूद हथियार अपना सिर न उठाए तो अच्छा है वरना सलमा आंटी ने नोट कर लिया तो शर्मिंदगी होगी। सिरप पीने के बाद आंटी ने शापर को देखते हुए पूछा और बेटा तुम्हारा काम कैसा जा रहा है, मैंने कहा आंटी काम तो अच्छा जा रहा है, और बहुत जल्दी सीख भी गया हूँ, अब तो इकबाल साहब दुकान पर हों या न हों पूरी दुकान में ही संभालता हूं, चाहे किसी को अपने लिए ब्रा लेने हों या मेकअप का समान, सब कुछ में ही डील करता हूँ। यह कहते हुए मैंने शापर पकड़ कर उसमें हाथ डाला और सारे ब्रा निकालकर आंटी सामने टेबल पर रख दिए।
आंटी ने ब्रा पर नज़र पड़ते ही पहले तो बौखला कर इधर उधर देखना शुरू कर दिया जैसे तसल्ली कर रही हों कि हमें कोई देख तो नहीं रहा और नज़रें चुरा चुरा कर ब्रा देखने लगीं। मैं समझ गया था कि वे वास्तव में दुकान पर जाते हुए शरमाती होंगी गैर मर्दों से अपने अंदर पहनने वाली चीजें लेते हुए। मगर पिछले कुछ महीनों के दौरान मैं एक अच्छा सेल्स मेन बन चुका था, और महिलाओं को ब्रा दिखाने के लिए पर्याप्त अनुभव भी हो गया था। मैंने पहले एक काले रंग का ही फोम वाला ब्रा उठाया और आंटी के पास खिसक कर बैठ गया, और मैंने वह ब्रा आंटी के सामने किया और आंटी को दिखाते हुए बोला, यह देखना आंटी यह बहुत अच्छी है। कितनी सॉफ्ट है और उसके अंदर फोम भी लगा हुआ है जिससे आकार थोड़ा बड़ा लगता है और सौंदर्य में वृद्धि होती है। अब की बार आंटी के हाथ कांपते हुए लग रहे थे, उन्होने कांपते हाथों मेरे हाथ से ब्रा पकड़ा और उसको ध्यान से देखने लगीं, लेकिन उनके चेहरे से परेशानी स्पष्ट हो रही थी। मैंने फिर आंटी को देखते हुए कहा आपने पहले भी काले रंग का ब्रा ही पहन रखा है, यह रंग तो आपके पास है। आप रहने दें, लाल रंग में देख लें मैंने उनके हाथ से ब्रा पकड़ लिया और लाल रंग का फोम वाला ब्रा उठाकर उन्हें पकड़ा दिया।
आंटी ने कहा मेरा आकार तो पहले से ही बहुत बड़ा है उससे तो और भी बड़ा दिखेगा ... मैंने मुस्कुराते हुए कहा नहीं आंटी आपका आकार तो अच्छा है, पुरुषों को यही आकार की पसंद होता है और अगर थोड़े बड़े भी लगेंगे तो भी ब्रा नहीं लगेगा बल्कि आपकी सुंदरता में और वृद्धि हो जाएगी। यह सुनकर सलमा आंटी होंठो ही होंठो मे मुस्कुराई और बोली अच्छा तुम कहते हो तो मान लेती हूँ मगर मुझे तो लगता है कि मेरा आकार बड़ा बड़ा है। सलमा आंटी की हिचकिचाहट धीरे धीरे कम हो रही थी। फिर मैंने कहा आंटी पहले तुम पहन कर देख लो तो मैं आपको और भी दिखा देता हूं। आंटी ने कहा नहीं पहनने की क्या जरूरत है, बाद में देख लूँगी नहीं। मैंने कहा अरे आंटी फायदा क्या फिर अपनी दुकान होने का ... यह तो आप दुकान से जाकर भी इस तरह बिना देखे ला सकती हैं, अगर आकार बाद में खराब निकले तो चेंज करना पड़ता है। अब मैं आया हुआ हूँ तो पहन कर जाँच लें अगर ये ठीक नहीं तो कोई और दिखा दूँगा। मेरी बात सुनकर आंटी ने सोचा कि सलमान तू सही है। यही सोचकर वह लाल रंग का फोम वाला ब्रा लेकर उठी और अपने कमरे में चली गईं।
कमरे में जाकर आंटी ने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया और थोड़ी देर के बाद बाहर आईं तो अब उनकी कमीज के नीचे काले की बजाय लाल रंग का ब्रा लग रहा था। आंटी मेरे पास आई तो मैं ने पूछा आंटी कैसा लगा ब्रा ??? आंटी ने कुछ सोचते हुए कहा ठीक है, लेकिन मुझे लग रहा है कि इससे सीने का आकार और अधिक बड़ा लगने लगा है। मैंने आंटी के बूब्स को घूरते हुए कहा अरे नहीं आंटी, यह तो बहुत सुंदर लग रहा है आप पर। अंकल मुनब्बर तो आपका यह लाल रंग का ब्रा देखेंगे तो लट्टू हो जाएंगे आप पर .
मेरी बात सुनकर आंटी शरमाते हुए बोलीं, चल बदमाश .. फिर मैंने आंटी से पूछा, आंटी आकार तो ठीक है ना इस ब्रा का ???
आंटी ने कहा हां बेटा ठीक है। मैंने पूछा और कोई प्रॉब्लम आदि या फिटिंग कोई समस्या तो नहीं ??
आंटी ने कहा नहीं बेटा बिल्कुल सही है, कोई समस्या नहीं। फिर मैंने आंटी को एक नेट का ब्रा दिखाया। यह हल्के नीले रंग का ब्रा था जिसके ऊपरी हिस्से पर जालीदार नेट लगी हुई थी। इस ब्रा से मम्मों का आकार स्पष्ट नजर आता था, जबकि निपल्स और निचला हिस्सा ढका रहता था मैंने आंटी को ब्रा पकड़ा दिया और कहा आंटी भी चेक कर लें। आंटी ने मेरे हाथ से वह ब्रा पकड़ा और उसको पलट कर देखने लगी, फिर बोलीं इसमें तो नजर आएंगे। मैंने कहा जी आंटी, यह बहुत सेक्सी ब्रा है, मॉर्डन महिलाए मेरे से नेट का ब्रा लेकर जाती हैं। मेरी बात सुनकर आंटी धीरे आवाज में बोलीं, हां मगर तुम्हारे अंकल सेक्सी नहीं हैं ना आंटी ने यह बात बड़ी धीरे आवाज़ में कही थी मगर मैंने सुना था, लेकिन मैं अनजान बना रहा और आंटी से पूछा, आंटी आपने मुझसे कुछ कहा ??? आंटी बोलीं नहीं बेटा कुछ नहीं। यह चेक कर लेती हूँ।
आंटी फिर अपने कमरे की तरफ जाने लगी तो इस बार मैं भी आंटी के पीछे ब्रा उठाकर चल पड़ा। आंटी दरवाजा बंद करने लगीं तो मुझे दरवाजे पर ही देखकर बोली क्या है ?? मैंने कहा आंटी आप बार बार कमीज उतारेन्गी, फिर ब्रा पहनकर कमीज फिर पहनेंगी, तो फिर से बाहर आकर दूसरा ब्रा लेंगी, मैं यहीं कमरे के बाहर ही खड़ा हो जाता हूं, आप ब्रा पहनकर जाँच करें, जो ठीक लगे वह रख लें, और फिर वह उतारकर मुझसे दूसरा ब्रा मांग ले, मैं बाहर से ही आपको पकड़ा दूंगा जिससे आपका समय बचेगा। आंटी ने कहा ये ठीक है। और दरवाजा बंद कर लिया। कुछ देर बाद दरवाजा खुला तो आंटी ने एक हाथ बाहर निकाल कर ब्रा मेरी तरफ बढ़ाया और बोलीं यह ठीक नहीं, काफी तंग है कोई और दिखा। मैंने आंटी का गोरा गोरा हाथ देखा और एक पल के लिए सोचा कितना मज़ा अगर यह हाथ पकड़ कर आंटी को ऐसे ही बाहर खींच लूँ, मगर मैंने तुरंत ही इस विचार को अपने मन से झटक दिया। और एक और नेट का ब्रा जो पिंक कलर का था आंटी की ओर बढ़ा दिया। आंटी ने वह ब्रा पकड़ा और दरवाजा बंद कर लिया। थोड़े इंतजार के बाद दरवाजा खुला और आंटी ने कहा बेटा उसका आकार ठीक है, और मैंने आईने में देखा है, यह अच्छा भी लग रहा है। मैंने कहा ठीक है आंटी वह उतारकर आप एक साइड पर रख दें, मैं आपको और ब्रा पकड़ाता हूँ। आंटी ने ठीक है
आंटी ने ब्रा उतारना शुरू किया, मगर इस बार वह शायद दरवाजा बंद करना भूल गई थी। मैंने थोड़ा आगे होकर डरते डरते अंदर झांकने की कोशिश की तो आंटी की कमर मेरी तरफ थी, उनके दोनों हाथ पीछे कमर पर थे और वह अपने ब्रा के हुक खोल रही थीं। क्या चिकनी और सुंदर कमर थी आंटी की, देखने मे मज़ा आ गया था, नीचे सलवार में उनके बड़ेबड़े चूतड़ बहुत सुंदर लग रहे थे, मन कर रहा था कि अब आगे बढ़ुँ और उनके चूतड़ों की लाइन में अपना लंड फंसा दूं आंटी ने ब्रा उतार कर सामने पड़ी मेज पर रख दिया और वापस मुड़ने लगी। जैसे ही आंटी वापस मूडी, मैं एकदम से पीछे हो गया और ऐसे इधर उधर देखने लगा जैसे मुझे कुछ पता ही न हो।
फिर आंटी का फिर से एक हाथ बाहर आया और आंटी ने कहा बेटा और कौन सा ब्रा है वह भी दिखा दो। मैंने एक और ब्रा जो कपास का था और स्किन कलर का था वह आगे बढ़ा दिया, आंटी ने कलर देखकर कहा बेटा ये कलर तो पड़े हैं पहले भी मेरे पास।
मैंने कहा कोई बात नहीं आंटी, आप पहन कर तो देखें हो सकता है यह आपको पसंद आ जाए। दरअसल मैं आंटी को फिर से देखने का चांस लेना चाहता था, इसलिए मैंने सोचा, अब आंटी यह पहन कर देंगी कि नहीं कोई और दो, तो 2 बार अधिक आंटी को देखने का चांस मिल सकता है, और हो सकता है इस से ज़्यादा भी मिले
एक बात तो मानने वाली थी कि 40 साल की उम्र होने के बावजूद आंटी का शरीर बहुत सेक्सी था। उन्होंने अपने शरीर को न तो अधिक मोटा होने दिया था और न ही उनका शरीर लटकना शुरू हुआ था, इस उम्र में आमतौर पर पाकिस्तानी महिलाए या तो बहुत मोटी हो जाती हैं, या फिर उनका मास लटकना शुरू हो जाता है, मगर आंटी का शरीर ऐसा बिल्कुल नहीं था। खैर आंटी ने अब फिर मेरे हाथ से स्किन कलर का ब्रा पकड़ लिया था और फिर पहले की तरह ही उन्होंने दरवाजा बंद नहीं किया था। जैसे ही आंटी ने मेरे हाथ से ब्रा पकड़ा में फिर से आगे खिसका और आंटी के दर्शन करने के लिए दरवाजे में मौजूद थोड़ी सी जगह से आंटी के शरीर देखने की कोशिश करने लगा। जैसे ही मैं आगे बढ़कर अंदर देखने लगा, तब आंटी का चेहरा मेरी तरफ ही था, लेकिन उनकी निगाहें अपने हाथ में मौजूद ब्रा पर थीं। और वह धीरे धीरे दूसरी ओर मुड़ रही थीं। इसी दौरान मैंने सौभाग्य से आंटी के 38 आकार के मम्मे देख लिए। वाह ..... क्या मम्मे थे। दिल किया कि उनको अपने मुंह में लेकर उनका सारा दूध पी जाऊं, लेकिन फिलहाल मुझे जूते खाने से डर लग रहा था इसलिए मैंने इस इच्छा को मन में ही दबा लिया।
इस उम्र में भी आंटी के मम्मे चूसने लायक थे। और उनके मम्मों पर ब्राउन रंग का दायरा कुछ ज्यादा ही बड़ा था, और उनके निपल्स भी कुछ बड़े थे, लेकिन वह किसी भी आदमी को आकर्षित करने के लिए अच्छे मम्मे थे। अब आंटी अपना मुंह दूसरी तरफ कर चुकी थीं और स्किन कलर का ब्रा पहन रही थीं, आंटी के दूसरी तरफ शीशा माजूद था जो मुझे नजर नहीं आ रहा था, ब्रा पहनने के बाद आंटी ने अपने आप को इस शीशे में देखा, लेकिन शायद उन्हें यह ब्रा पसंद नहीं आया तो उन्होंने वह ब्रा उतारा और वापस मूड गई, इस बीच मैं तुरंत ही वापस पीछे होकर खड़ा हो गया था। मैं तो पीछे हो गया, मगर मेरा लंड जो इस समय मेरी सलवार में था वह खड़ा होकर अपनी उपस्थिति का एहसास दिलाने लगा था। आंटी फिर बाहर हुईं, यानी अपना हाथ बाहर निकाला और ब्रा मुझे पकड़ा दिया, इस बीच एक और ब्रा आंटी को पकड़ाया इसी तरह, 2, 3 ब्रा आंटी ने चेक किए। इस दौरान दरवाजा थोड़ा और खुल गया था और अब मेरे लिए अंदर का नज़ारा पहले से बहुत बेहतर हो गया था। अब मुझे आंटी के सामने मौजूद दर्पण भी नजर आ रहा था, और जब आंटी अपना ब्रा उतार रही थीं और दूसरा ब्रा पहन रही थीं, उस दौरान मैंने आंटी के बूब्स का बड़ी बारीकी से निरीक्षण कर लिया था और उन्हें देखकर अब मेरे लंड की बुरी हालत हो रही थी, मेरा लंड की टोपी से निकलने वाला फीता दार पानी अब मेरी सलवार को गीला कर रहा था मगर मुझे उसकी कोई चिंता नहीं थी, मुझे तो उस समय बस मम्मे देखने का शौक था। संक्षेप में आंटी सलमा ने एक एक करके सारे ब्रा चेक कर लिए और फिर एक अंतिम ब्रा जो मैंने उन्हें दिखाया, वह हल्के पीले रंग का था और उसके ऊपर लाल और हल्के नीले रंग के छोटे फूल बने हुए थे। वह ब्रा पहन कर आंटी ने ऊपर से कमीज पहनी और फिर अन्य 2 ब्रा उठाकर कमरे से बाहर आ गई।
मैं आंटी के आगे चलता चलता वापस पहले वाले कमरे में अपनी जगह पर बैठ गया और बैठने से पहले अपने लंड को पकड़ पैरों के बीच दबा दिया। मेरे पीछे पीछे आंटी सलमा भी आकर बैठ गईं और बोलीं बस बेटा यह 3 ब्रा ही रखूंगी। इनका बता दो कितने पैसे बनते हैं। मैंने कहा आंटी आप यह बताएं आपको पसंद भी आया है या नहीं ?? आंटी बोलीं अच्छे हैं, सभी अच्छे हैं, लेकिन मुझे बस 3 चाहिए, पहले वाले फटे पुराने हैं, उनसे 3 से 2 महीने तो निकल ही जाएंगे आराम से। मैंने आंटी के बूब्स पर नज़र डालते हुए कहा, आंटी मुझे तो यही अधिक पसंद आया था जो इस समय आपने पहना हुआ है ... आंटी ने चौंक कर अपने मम्मों की ओर देखा और यह देखकर थोड़ी शर्मिंदा हुई कि उनका ब्रा कमीज से दिख रहा है, लेकिन फिर वह बोलीं हां यह भी अच्छा है, बाकी भी अच्छे हैं। अब तुम पैसे बता दो।
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