मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
06-11-2021, 12:30 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
कोरोना का तोहफा- पार्ट -2

कोरोना का तोहफा- पार्ट -1 में आपने पढ़ा कि 14 दिन तक मेरे घर पर पत्नी की तरह रह कर चुदाई कराते कराते मनीषा ने मुझे दीवाना बना दिया.

जब लॉकडाउन में ढील मिली तो वो बंगलौर जाने को हुई तो मैं भी उसके साथ घर से निकला और उसे मंगलसूत्र, चूड़ी, बिंदी, सिन्दूर आदि दिलाकर दुल्हन बना कर भेजा.
मैंने उससे कहा- बंगलौर जाकर सबको बताना कि तुम्हारी शादी हो गई है, कुछ दिनों में मैं वहाँ आऊंगा और तुम्हारे सब दोस्तों को पार्टी देंगे. मैं लगातार बंगलौर आता जाता रहूंगा.

बंगलौर जाने के करीब बीस पचीस दिन बाद मनीषा का फोन आया कि वो प्रेगनेंट है.
यह सुनकर मैं तुरन्त बंगलौर पहुंचा और वहां उसके तमाम दोस्तों को पार्टी दी.

बंगलौर में तो मनीषा की बात बन गई, अब सुनील जी को कैसे खबर की जाये, इस पर मंथन शुरू हुआ.
अंततः निष्कर्ष निकला कि शैली समझदार है, उसे राजदार बनाया जाये, वो भी दो किश्तों में.

पहली बार मनीषा ने उसे बताया कि मैंने लव मैरिज कर ली है, मम्मी पापा को समझाकर राजी करो.
फिर कुछ दिन बाद बताया कि प्रेगनेंट हूँ.

शैली के बार बार जीजा जी की फोटोज मांगने पर एक दिन मनीषा ने बता दिया कि विजय कपूर ही तुम्हारे जीजा जी हैं.

यह जानने के अगले दिन शैली मेरे घर आई और मुझे चाकलेट देते हुए बोली- साली की तरफ से जीजा जी को सप्रेम भेंट! जीजा जी, जो कुछ भी हुआ, हमारे लिए बिल्कुल भी आश्चर्यजनक नहीं है क्योंकि करीब पन्द्रह साल पहले हमारे घर एक महात्मा जी आये थे और हम सब लोगों के हाथ व कुण्डली देखकर बताया था कि इन तीनों लड़कियों की शादी नहीं होगी, सिर्फ मँझली की हो सकती है, और वो भी ऐसे होगी कि आप सब लोग हैरान हो जायेंगे. और वैसा ही हुआ भी है.

अब शैली अक्सर मेरे घर आने लगी, मेरे लिए भोजन भी आ जाता. रोज रोज आने और सौम्य व्यवहार के कारण शैली मुझे अच्छी लगने लगी.
पाँच फीट दो इंच कद, सांवला रंग, दुबला पतला शरीर, न चूचियां, न चूतड़, पतली पतली टाँगें. कुछ भी तो नहीं था जो आकर्षित करता.
बस एक ही आकर्षण था कि वो मेरी साली थी और कुंवारी थी.

काफी सोचने के बाद मैंने उसे चोदने का मन बना लिया क्योंकि वो जैसी भी थी, मुठ मारने से तो बेहतर थी.

शैली एक दिन मेरे लिए खाने की थाली लेकर आई तो मैंने उससे कहा: शैली, बैठो. मुझे तुमसे दो बातें करनी हैं.
“बताइये जीजा जी?” कहते हुए शैली बैठ गई.

तो मैंने उससे कहा- कुछ दिन बाद मनीषा की डिलीवरी का समय आ जायेगा, तुमको बंगलौर चलना पड़ेगा और काफी दिन तक रूकना पड़ेगा.
“मुझे मालूम है और मैं तैयार हूँ. और दूसरी बात?”

“दूसरी बात यह है कि तुम मेरी साली हो और साली आधी घरवाली होती है. समझ रही हो ना, मैं क्या कहना चाहता हूँ?”
“क्या कहूँ, जीजा जी? लड़की अपना कौमार्य बचाकर रखती है अपने पति के लिए. मुझे मालूम है कि मेरी शादी नहीं होनी है. तो मैं किसके लिए बचाकर रखूँ. आप बड़े हैं, समझदार हैं, प्रोटेक्शन का ध्यान रखिये तो मुझे आपकी बात मानने में मुझे कोई आपत्ति नहीं.”

“क्या रात को मेरे यहाँ रुक सकती हो? मैं चाहता हूं कि हम पहली बार रात को मिलें.”
“मैं कोशिश करती हूँ. आपको बता दूँगी.”

दो दिन बाद शैली ने बताया कि मैंने दीदी को सब कुछ सच सच बताकर राजी कर लिया है, उनका कहना है कि मम्मी पापा दस साढ़े दस बजे तक सो जाते हैं, तुम ग्यारह बजे चली जाना, सुबह मैं सम्भाल लूंगी.

मैंने पूछा- आज रात को इन्तजार करूँ?
“आज नहीं, कल.”

अगले दिन रात के ग्यारह बजे भी नहीं थे कि शैली आ गई.
गुलाबी रंग का सलवार सूट पहने शैली रोज की अपेक्षा सुन्दर लग रही थी, शायद ब्यूटी पार्लर होकर आई थी.

शैली को लेकर मैं बेडरूम में आ गया. उसके मस्तक पर चुम्बन करके मैंने उसे गले से लगाया और उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगा.
एक एक करके मैंने शैली के सारे कपड़े उतार दिये. उसके परफ्यूम से कमरा महकने लगा.

मुसम्मी जैसी छोटी छोटी ठोस चूचियां और सफाचट चूत मेरे सामने थी. मैंने भी अपनी टीशर्ट और लोअर उतार दिया और पूरी तरह से नंगा हो गया.
मैं बेड के किनारे पैर लटकाकर बैठ गया और सामने खड़ी शैली की मुसम्मियों का रसपान करने लगा. मेरे हाथ शैली की चूत व चूतड़ों के आसपास रेंगते हुए उसे कामोत्तेजित कर रहे थे. थोड़ी ही देर में शैली की चूत गीली होने लगी तो मैं उसमें धीरे धीरे उंगली करने लगा.

मुसम्मियां चूसने और चूत के गीले होने की खबर लगते ही मेरा लण्ड टनटना गया. शैली की टाँगें फैला कर मैंने उसे अपनी गोद में बिठा लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये.

अपनी चूत को मेरे लण्ड से रगड़ने के मकसद से शैली आगे पीछे होकर सेटिंग करने लगी तो मैंने अपने लण्ड का सुपारा उसकी चूत के मुखद्वार पर रखकर शैली को अपनी ओर खींचा तो मेरे लण्ड के सुपारे ने शैली की चूत का मुखद्वार लॉक कर दिया.

शैली की चूत से चिकना रस बह रहा था जिससे मेरे लण्ड का सुपारा गीला हो गया. शैली के होंठ चूसते चूसते मैंने उसकी टाँगें फैलाकर चौड़ी कर दीं और उसकी कमर पकड़कर झटके से अपनी ओर खींचा तो मेरे लण्ड के सुपारे ने शैली की चूत में जगह बना ली.

सुपारा अन्दर होते ही शैली चिहुंकी जरूर लेकिन उसके होंठ मेरे होंठों में फँसे हुए थे और कमर को मैंने जकड़ रखा था इसलिए वो कसमसा कर रह गई.

लण्ड की भी बड़ी अजीब फितरत है, जैसे ही सुपारा चूत के अन्दर जाता है, लण्ड पूरा अन्दर जाने को बेकरार होने लगता है.

शैली की कमर को धीरे धीरे अपनी ओर दबाते हुए मैंने आधा लण्ड उसकी चूत में पेल दिया. अब मैंने शैली की कमर पकड़कर धीरे धीरे आगे पीछे करना शुरू किया जिससे मेरा लण्ड शैली की चूत के अन्दर बाहर होने लगा.

इसमें मजा मिलता देखकर शैली मेरे लण्ड पर फुदक फुदक कर उछलने लगी.

कुछ देर बाद मैंने अपना लण्ड शैली की चूत से बाहर निकाला और उसे बेड पर लिटा दिया.

अलमारी से क्रीम की शीशी और कॉण्डोम का पैकेट निकाल कर मैं भी बेड पर आ गया. अपने लण्ड पर क्रीम मलकर मैंने अपनी ऊँगली पर ढेर सी क्रीम लेकर शैली की चूत के अन्दर उंगली फेर दी. शैली की टाँगों के बीच आकर मैंने अपने लण्ड का सुपारा उसकी चूत के मुखद्वार पर रखकर धक्का मारा तो मेरा आधा लण्ड शैली की चूत के अन्दर हो गया. चार छह बार अन्दर बाहर करते हुए
मैंने जोर से धक्का मारा तो शैली की चूत की झिल्ली फाड़ते हुए मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में समा गया.

चूत की झिल्ली फटने से शैली इतनी जोर से चिल्लाई कि अगर मैं उसका मुँह बंद न करता तो सारा मुहल्ला जाग जाता.
शैली की आँखों से आँसू छलक आये.

उसके आँसू पोंछते हुए मैंने दिलासा दिया- पहली बार थोड़ा दर्द होता है, अभी ठीक हो जायेगा.
तभी शैली के मोबाइल की घंटी बजी, देखा तो नमिता का कॉल था.
शैली ने मेरी तरफ देखा तो मैंने कहा- उठा लो।

उसने फोन उठाया और खुद को संयत करते हुए कहा- हैलो!
“क्या हुआ?” नमिता ने पूछा.
“कुछ नहीं. क्यों पूछ रही हो?”

“तुम जब से गई हो मुझे नींद नहीं आ रही. अभी ऐसा लगा कि तुम चिल्लाई हो तो मुझसे रहा नहीं गया, इसलिए फोन मिला दिया. तुम ठीक तो हो ना? चिल्लाई क्यों थी?”

“अरे बिल्कुल ठीक हूँ, दीदी. मैं चिल्लाई नहीं थी, वो जब अन्दर गया था तो मेरी चीख निकल गई थी.”
“तेरा काम हो गया? मेरा मतलब है कि वो सब हो गया?”
“हाँ, दीदी हो गया. मैं घर आकर बताऊँगी, अभी सो जाओ.”
इतना कहकर शैली ने फोन काट दिया.

शैली की मुसम्मियों का रस चूसते चूसते मैंने उसको चोदना शुरू किया. फच फच की आवाज के साथ लण्ड अन्दर बाहर हो रहा था.

मैंने अपना लण्ड शैली की चूत बाहर निकाला और टॉवल से पोंछा. शैली की चूत से रिसते खून से मेरा लण्ड सराबोर हो गया था.

अपने लण्ड पर डॉटेड कॉण्डोम चढ़ाकर मैं फिर से शैली को चोदने लगा. पता नहीं वो कॉण्डोम की डॉट्स का असर था या शैली दर्द के भँवर से बाहर निकल आई थी. लेकिन जो भी था, वो पूरे जोश से चुदवा रही थी.

लण्ड को चूत के अन्दर फँसाये हुए ही मैंने करवट लेकर शैली को ऊपर कर लिया और मैं पीठ के बल लेट गया.

शैली ने मेरे दोनों हाथ पकड़कर लगाम बना ली और उछल उछलकर घुड़सवारी करने लगी. शैली फुदक फुदक कर मुझे चोद रही थी और मैं अपने हाथों से उसकी मुसम्मियों का रस निचोड़ रहा था. थोड़ी देर में शैली की चूत ने पानी छोड़ दिया तो वो निढाल होकर मेरे ऊपर लेट गई.

मैंने शैली को बेड पर लिटाया और उसके चूतड़ों के नीचे तकिया रखकर अपना लण्ड उसकी चूत में पेल दिया. पहले पैसेंजर ट्रेन, फिर एक्सप्रेस और अंततः शताब्दी की रफ्तार से चोदते चोदते मेरा सफर पूरा हुआ और मेरे लण्ड ने फव्वारा छोड़ दिया.

घड़ी में दो बज रहे थे, हम दोनों ने एक एक गिलास गुनगुना दूध पिया और नंगे ही लिपटकर सो गये.

करीब दो घंटे बाद मुझे पेशाब लगी तो नींद खुल गई, मैं पेशाब करके वापस आया और 69 की मुद्रा में लेटकर शैली की चूत चाटने लगा. थोड़ी ही देर में शैली की नींद खुल गई और उसने मेरे लण्ड का सुपारा चाटकर चुदाई के दूसरे राउण्ड की तैयारी शुरू कर दी.

,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
Reply
06-11-2021, 12:30 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
कोरोना का तोहफा- पार्ट -3

कोरोना का तोहफा- पार्ट -2 में आपने पढ़ा कि रात में दो बार चुद कर पड़ोस वाली लड़की शैली भोर में ही अपने घर चली गई.

दोपहर में मेरे खाने की थाली लेकर आई तो मुझसे बोली- जीजू, नमिता दीदी भी आपके साथ …
मैंने कहा- नमिता तो जब आयेगी तब आयेगी, फिलहाल तुम तो आओ.
यह कहकर मैंने शैली को पकड़ लिया और ड्राइंग रूम में सोफे पर गिरा कर चोद दिया.

शाम को शैली ने कॉल करके पूछा- आज रात को दीदी आना चाहे तो?
“वो हमारी साली साहिबा हैं, उनका स्वागत है.”

रात को ग्यारह बजे नमिता आई, मैंने दरवाजा खोला तो नजरें झुकाये खड़ी थी.

मैं उसे लेकर ड्राइंग रूम में आ गया. फ्रिज से पेप्सी की बॉटल व दो गिलास लेकर मैं उसके साथ बैठ गया. मैंने पेप्सी में व्हिस्की मिला रखी थी.
दो गिलास पेप्सी मतलब दो पेग व्हिस्की अन्दर हो गई तो मैं नमिता को लेकर बेडरूम में आ गया.

कोल्ड क्रीम की शीशी व कॉण्डोम का पैकेट बेड पर रखकर मैंने अपनी टीशर्ट उतार दी, अब मैंने सिर्फ़ लोअर पहना था. नमिता की सलवार व कमीज उतार कर मैंने उसे अपने सीने से लगा लिया.

नमिता की पीठ पर हाथ पर फेरते फेरते मैंने उसकी ब्रा का हुक खोलकर उसके कबूतर आजाद कर दिये. नमिता के कबूतर मेरे सीने से सटकर मुझे उद्वेलित करने लगे.

उस कुंवारी लड़की के चूतड़ों को हल्के हाथों से दबाते हुए मैंने उसे अपनी ओर खींचा तो मेरा लण्ड उसकी बूर से सट गया. नमिता की पैन्टी उतार कर मैंने उसके चूतड़ों और बूर के आसपास हाथ फेरा और अपनी हथेली पर कोल्ड क्रीम लेकर नमिता की बूर और गांड की मसाज करने लगा. मसाज के दौरान मैं बार बार अपने हाथ के अँगूठे से नमिता की गांड का छेद सहलाने लगा.

नमिता की गांड के छेद की मसाज करते करते मैंने अपना अँगूठा उसकी गांड में डाला तो उचक गई. उसने अपनी गांड सिकोड़ना चाहा लेकिन अँगूठा उसकी गांड के अन्दर जा चुका था.
अपना अँगूठा नमिता की गांड में चलाते हुए मैं उसके होंठ चूसने लगा.

मैंने देखा कि नमिता अपनी बूर सहला रही है तो मैंने उसकी गांड से अँगूठा निकाल कर बूर में डाल दिया.

अब मैंने नमिता से कहा- मुझे तुम्हारे दोनों छेदों में लण्ड डालना है, पहले किसमें डालूँ?
लोअर के ऊपर से ही मेरा लण्ड पकड़ कर नमिता ने अपनी बूर पर रख दिया.

मैंने अपना लोअर उतार कर अपना लण्ड नमिता के मुँह में डालते हुए उसे चूसने को कहा. नमिता के चूसने से मेरे लण्ड का सुपारा फूलकर संतरे के आकार का हो गया.

नमिता ने अपने मुँह से मेरा लण्ड निकाला और मुझे प्यास लगी है, पानी पीकर आती हूँ.
कहती हुई वो किचन में चली गई. उसके पीछे पीछे मैं भी किचन में पहुंचा, वो पानी पी चुकी थी.

नमिता की कोहनियां किचन स्लैब पर टिका कर मैंने उसे घोड़ी बना दिया और उसके पीछे आकर उसकी टाँगें फैला दीं. नमिता की बूर के लब खोलकर मैंने अपने लण्ड का सुपारा रखा और नमिता की कमर पकड़ कर धक्का मारा पहले धक्के में सुपारा और दूसरे में पूरा लण्ड नमिता की बूर में चला गया.

दर्द से कराहती नमिता ने कहा- तुम्हारा लण्ड बहुत लम्बा है और मोटा भी. इसीलिए कल शैली भी चिल्लाई थी.
“मेरे लण्ड से पहले भी कोई लण्ड ले चुकी हो क्या?”
“नहीं जीजू. लिया तो नहीं. बस लेते लेते रह गई थी.”
“मैं समझा नहीं?”

हुआ यूँ था कि:

कुछ समय पहले मेरे दांत में भयानक दर्द हुआ तो मैं पापा के साथ डेन्टल कॉलेज गई. वहां काफी भीड़ थी, देर लगती देख पापा मुझे छोड़कर बैंक चले गए और कह गये कि तुम्हारा काम हो जाये तो मुझे फोन करना. चार पाँच घंटे तक इन्तजार के बाद मेरा नम्बर आया तो मैं अन्दर पहुंची. डॉक्टर ने मेरी जाँच की और बताया कि आरसीटी करनी पड़ेगी, एक दिन छोड़कर एक दिन आना पड़ेगा.

डॉक्टर साहब मैं बहुत दूर से आई हूँ और चार पाँच घंटे बाद नम्बर आया है.
कोई बात नहीं, अब आप परसों आइयेगा. और दो बजे आइयेगा ताकि आपको बैठना न पड़े.
लेकिन डॉक्टर साहब, पर्चा तो दस बजे तक ही बनता है.
आप अपना यही पर्चा छोड़ जाइये, अब दोबारा पर्चा न बनवाइयेगा.
मैंने पापा को कॉल किया तो उन्होंने कहा कि ऑटो से लौट जाओ.

अगली निर्धारित तिथि को मैं दो बजे पहुंची तो डॉक्टर साहब ने तुरन्त बुलवा लिया.

मैंने महसूस किया कि डॉक्टर साहब मेरे में कुछ विशेष रूचि ले रहे थे. मेरी आरसीटी करते हुए वो अनावश्यक रूप से मेरे गाल छू रहे थे. चूंकि उन्होंने मुझे कुछ विशेष सुविधा दी थी, इसलिए मैं विरोध नहीं कर सकी.

अगली विजिट पर डॉक्टर साहब ने कहा कि तुम्हारी आरसीटी हो जाये फिर तुम्हारी कॉस्मेटिक सर्जरी करके तुम्हारे दाँत बहुत सुन्दर कर दूँगा. तुम मुझे अच्छी लगती हो, मैं चाहता कि तुम और अच्छी लगो, तुम हँसो तो तुम्हारे दाँत मोतियों जैसे दिखें.

ऐसी बातें करते करते डॉक्टर साहब ने मेरी चूचियों पर हाथ फेर दिया. तीन चार विजिट के बाद डॉक्टर साहब मुझसे इतना खुल गये कि मौका मिलते ही मेरी चूचियां और चूतड़ दबा देते.

इसी तरह मैं एक दिन दो बजे पहुंची तो कोई पेशेंट नहीं था, उनका सहायक भी नहीं था. तभी मुझे ध्यान आया कि आज शनिवार है और शनिवार को हॉस्पिटल एक बजे तक ही खुलता है.

मैं डेन्टल चेयर पर बैठ गई. डॉक्टर साहब मेरे करीब आये, मेरा मुँह खोलकर देखा और फिर अचानक मेरे होंठों पर अपने होंठ रखकर अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी. मेरे लिए यह नया लेकिन रोमांचक अनुभव था.

डॉक्टर साहब ने मेरे कुर्ते में हाथ डालकर मेरी चूची पकड़ ली, ये सब मुझे भी अच्छा लग रहा था.

तभी डॉक्टर साहब ने क्लीनिक का दरवाजा अन्दर से लॉक कर दिया और मेरे करीब आकर मेरा कुर्ता व ब्रा ऊपर उठाकर मेरी चूची चूसने लगे. मैं डेन्टल चेयर पर अधलेटी थी. तभी डॉक्टर साहब ने अपनी पैन्ट की चेन खोल कर अपना लण्ड बाहर निकाला और मेरे हाथ में पकड़ाते हुए सहलाने का इशारा किया.

मेरी बूर में चींटियां रेंगने लगीं थी. डॉक्टर साहब का लण्ड टाइट हो गया तो उन्होंने मेरी सलवार और पैन्टी उतार दी और मेरी बूर चाटने लगे. कुछ देर तक मेरी बूर चाटने के बाद डॉक्टर साहब ने चेयर नीचे कर दी और मेरे ऊपर लेट गये. डॉक्टर साहब ने अपना लण्ड मेरी बूर पर रखना चाहा लेकिन पैन्ट पहने होने के कारण उनको असुविधा हो रही थी.

डॉक्टर साहब ने अपने जूते, पैन्ट और चड्डी उतारी और फिर से मेरे ऊपर आ गये. अपने हाथ में लण्ड पकड़कर वो मेरी बूर पर रखकर अन्दर डालने लगे. वो मेरी बूर में लण्ड डालने के लिए बहुत उतावले हो रहे थे लेकिन उनका लण्ड अब उतना टाइट नहीं था जैसा पहले था.

उन्होंने अपना लण्ड हिलाकर उसकी खाल आगे पीछे करके टाइट करने की कोशिश की, असफल होने पर उन्होंने अपना लण्ड मेरे मुँह में दे दिया और चूसने को कहा. मेरे चूसते ही डॉक्टर साहब का लण्ड टाइट हो गया.

उन्होंने मुझे फर्श पर लेटने को कहा तो मैं फर्श पर लेट गई, दरअसल मैं भी चुदासी हो चुकी थी. मेरे फर्श पर लेटते ही वो मेरी टाँगों के बीच आ गए और मेरी बूर के लब खोलकर अपना गर्म लण्ड रख दिया. मैं जन्नत के द्वार पर दस्तक दे रही थी और डॉक्टर साहब का लण्ड मेरे योनिद्वार पर.

डॉक्टर साहब ने मेरी कमर पकड़कर अपना लण्ड अन्दर धकेला लेकिन उनका लण्ड अन्दर गया नहीं, डॉक्टर साहब ने फिर से धक्का मारा लेकिन कामयाब नहीं हुए.

डॉक्टर साहब उठे और एक शीशी में से कोई जेल लेकर अपने लण्ड पर मला और मेरी बूर के लब खोलकर सटीक निशाना लगाया. डॉक्टर साहब के धक्का मारते ही उनका लण्ड वहां से फिसल गया और मेरी नाभि तक सरक आया. डॉक्टर साहब ने फिर से लण्ड को निशाने पर रखा मेरी कमर को कसकर पकड़ा और धीरे धीरे दबाव बनाते हुए लण्ड को अन्दर करने लगे.

आनंद की कल्पना में खोई मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं. डॉक्टर साहब के दबाव बनाने के बावजूद उनका लण्ड मेरी बूर के लबों से आगे नहीं बढ़ पाया. इसी बीच डॉक्टर साहब के लण्ड ने पिचकारी छोड़ दी, उनका वीर्य मेरी बूर के प्रवेश मार्ग पर फैल गया.

डॉक्टर साहब उठे, अपने कपड़े पहने और बोले- अब तुम परसों आना, मैं शिलाजीत या वियाग्रा खाकर आऊंगा तब तुम्हें जन्नत का मजा दूँगा. इस बीच मैं भी अपने कपड़े पहन चुकी थी.

मैं वहां से चल पड़ी तभी मुझे अपनी सहेलियों की बातें याद आने लगीं कि बदनामी और प्रेग्नेंसी के डर से वो पुरुषों से दूर रहती हैं और खीरा, ककड़ी आदि से मजा लेती हैं.

ऑटो स्टैण्ड पर पहुंची तो वहां खीरा, ककड़ी बेचने वाले खड़े थे. मैंने अपनी पसंद के चार खीरे लिये और सामने स्थित सुलभ शौचालय में घुस गई. अपनी सलवार व पैन्टी नीचे खिसकाकर मैंने एक खीरा अपनी बूर में ठोंक दिया, चार छह बार खीरा बूर के अन्दर बाहर किया और पैन्टी ऊपर खिसकाकर सलवार पहनकर बाहर आ गई.

बूर में खीरा फँसा होने के कारण मेरी चाल कुछ बदल गई थी लेकिन इसे मैं ही नोटिस कर सकती थी. थोड़ी देर में सिटी बस आ गई, मैंने पीछे की एक खाली सीट ले ली और रास्ते भर अपनी बूर को खीरा खिलाती रही.

इस बीच मेरी बूर ने दो बार पानी छोड़ा. मैंने चुपके से खीरा निकाला और बस में छोड़कर घर आ गई. तब से आज तक खीरा, ककड़ी, गाजर ही मेरे साथी रहे हैं लेकिन आज तुम्हारे लण्ड ने मुझे यह अहसास करा दिया कि लण्ड का कोई विकल्प नहीं.

नमिता की बातें सुनने के दौरान मेरा लण्ड अपना काम जारी रखे था, नमिता की बूर से बहती रसधारा से सराबोर लण्ड मैंने उसकी बूर से निकाला और गांड के छेद पर रख दिया.

मैंने धक्का मारकर अपना लण्ड नमिता की गांड में ठोकना चाहा लेकिन उसके दर्द को ध्यान में रखते हुए देसी घी का डिब्बा खोला और अपने लण्ड व नमिता की गांड पर मलकर अपना लण्ड निशाने पर रखा. नमिता की टाँगें फैला दीं और उससे कहा कि अपनी गांड को ढीला छोड़ दे.

नमिता की कमर पकड़ कर मैंने धक्का मारा तो पहले धक्के में मेरे लण्ड का सुपारा और दूसरे धक्के में मेरा पूरा लण्ड नमिता की गांड में सरक गया. गांड के चुन्नट फटने से हुआ दर्द नमिता सह नहीं पाई और चिल्ला पड़ी, हालांकि उसने खुद ही अपना मुँह दबोच लिया.

गांड में दस बीस ठोकरें खाने के बाद नमिता बोली- बहुत दर्द हो रहा है जीजू, अब बस करो!
नमिता की गांड से अपना लण्ड बाहर खींचकर मैंने उसे गोद में उठा लिया और बेडरूम में आकर बेड पर लिटा दिया.

अपने लण्ड पर कॉण्डोम चढ़ा कर मैंने नमिता की बूर में डाल दिया और उसके कबूतरों से खेलने लगा. तभी उसके मोबाइल की घंटी बजी, शैली की कॉल थी.

“क्या हुआ, दीदी? फोन क्यों नहीं उठा रही हो?”
“उठाया तो.”
“पहले दो बार पूरी पूरी घंटी बज गईं, तब नहीं उठाया.’
“पता ही नहीं चला, दरअसल हम लोग किचन में थे और फोन बेडरूम में था.”

“जब तुम चिल्लाई थी तो उस समय क्या किचन में थी?”
“हाँ, किचन में पानी पीने गई थी.”

“पानी पीने में कौन चिल्लाता है?”
“दरअसल मैं किचन में पानी पीने ही गई थी तभी जीजू आ गये और वहीं किचन में … समझ रही हो ना?”
“हाँ दीदी, समझ रही हूँ. अपना ख्याल रखना, बड़ा जालिम जीजू मिला है. चलो फोन रखो, इन्ज्वॉय करो और हाँ, प्रोटेक्शन का ध्यान रखना.”

“हाँ शैली. जीजू ने रेनकोट पहन लिया है.”

नमिता ने फोन रखा और चूतड़ उठा उठा कर चुदवाने लगी. उस रात नमिता को तीन बार चोदा. नमिता और शैली दोनों बहनें बारी बारी से चुदती हैं और यह सब कुछ मनीषा की जानकारी में है.

तो दोस्तो, अनचुदी बूर की चोदाई कहानी कैसी लगी आपको?
Reply
06-11-2021, 12:30 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
फुफेरी बहन की चुत मारी

मेरे प्यारे दोस्तो नमस्कार. आप सब कैसे हैं. मुझे यह जान कर बहुत अच्छा लगा कि आप सबको मेरी लिखी सेक्स कहानी बहुत पसंद आई. मुझे उम्मीद है कि आप सब इस तरह से मुझे प्यार और समर्थन देते रहेंगे और मेरी कहानी को पसंद करते रहेंगे.

मैं अपने बारे में बता देता हूँ कि मेरा नाम सन्दीप सिंह है और मेरी उम्र 26 साल है. मेरी हाईट 5 फुट 7 इंच है और मेरा शरीर बिल्कुल फिट है. उसकी वजह ये है कि मैं प्रतिदिन एक्सरसाइज करता हूँ. मेरे लंड का साइज़ करीब 7 इंच लम्बा है और ये करीब 2.5 इंच मोटा है.

मैं दिल्ली में जॉब करता हूँ. वैसे मैं उत्तर प्रदेश के एक शहर कानपुर का रहने वाला हूँ. वैसे हमारा शहर कानपुर बहुत बड़ा है, पर काम के चलते मैं दिल्ली में हूँ. यहां मैं अपने दोस्त के साथ रहता हूँ.

ये सेक्स कहानी सच्चाई पर आधारित है जो आज मैं आप लोगों के साथ शेयर कर रहा हूँ.

आज की ये सेक्स कहानी मेरी और मेरी बुआ की लड़की के बीच हुई चुदाई की है. मेरी बुआ की तीन बेटियां हैं … जिसमें दो की शादी हो चुकी है. सबसे छोटी बेटी मेरी उम्र की है. उसका नाम शालिनी है. ये उसका बदला हुआ नाम है.

जिस समय मैं इंटर में पढ़ रहा था, वो बीए कर रही थी. उसका बदन बहुत ही कामुक है. वो बिल्कुल गोरी है. उसकी हाइट कुछ कम है … मतलब यही कोई पांच फुट एक इंच है. फिगर साइज़ 30-28-32 के करीब है. उसकी जवानी को देख कर हर कोई उसे चोदना चाहेगा. मैंने खुद कई बार ये देखा था कि उसको देख कर बहुतों के लंड खड़े हो जाते थे. मैंने कई बार अपनी बहन शालिनी के नाम की मुठ मारी थी.

ये बात तब की है, जब वो मकर संक्रान्ति पर मेरे घर आयी हुई थी. चूंकि उससे उम्र का फर्क ज्यादा नहीं होने से वो मुझसे बड़ी खुली हुई थी और हम दोनों एक दूसरे से हर तरह की बातें कर लेते थे. मैं और वो साथ में लेट जाते थे लेकिन अभी तक कभी चुदाई जैसा कुछ नहीं हुआ था.

एक दिन रात मैं और मेरी ताऊ जी की बेटी और शालिनी साथ में लेटे थे. हम लोग एक चादर में ही तीनों लेटे हुए थे. मैं शालिनी के बगल में लेटा था. उस दिन मैंने अन्तर्वासना पर भाई बहन की चुदाई की एक बड़ी ही मस्त सेक्स कहानी पढ़ी थी, जिस वजह से मेरा मूड बना हुआ था.

उस दिन शालिनी ने भी एक छोटा सा स्कर्ट और स्लीवलैस टॉप पहना हुआ था. इसमें वो काफी गदराई हुई लग रही थी. उसने एक मस्त सी महक वाला सेंट भी लगाया हुआ था.

एक तो उसका नाटे कद का पूरा भरा हुआ बदन मुझे वैसे ही मस्त लग रहा था और ऊपर से मेरे दिमाग में बहन की चुत चुदाई की सेक्स कहानी घुसी हुई थी.

मैं उसके बगल में लेटा हुआ उसके जिस्म से अपने जिस्म को लगभग चिपकाए हुए लेटा था. उसकी बातें तो मुझे समझ ही नहीं आ रही थीं, लेकिन उसके जिस्म से आती हुई खुशबू मुझे बड़ी लज्जत दे रही थी.

तभी उसने अपनी जांघ को खुजाना शुरू कर दिया. उसकी कोहनी से मेरे सीने को रगड़न होने लगी. मैंने उसकी तरफ देखा तो वो मुस्कुरा दी. मुझे उसकी इस मुस्कान में एक अलग सी मस्ती महसूस हुई.
मैंने उसकी आंखों में आंखें डालीं, तो उसने मुझे एक आंख मार दी. उसकी इस हरकत से मैं हड़बड़ा गया. वो हल्के से हंस दी.

मुझे समझ आ गया कि ये भी गरम है. मैंने अपना मोबाइल निकाला और अन्तर्वासना साईट खोल दी. उसने मोबाइल में झांका और अपनी कुहनी को मेरे हाथ से एक इशारे से रगड़ दिया.

मुझे समझ आ गया कि खेल हो सकता है. मैंने उसके बगल में लेटी अपने ताऊ जी की लड़की को देखा, तो वो अपनी आंखें बंद किए सो सी रही थी. मैं अपना हाथ नीचे को ले गया और शालिनी की जांघ पर सटा दिया.

मैं चौंक गया कि शालिनी ने अपनी स्कर्ट को पूरा ऊपर को उठाया हुआ था. उसकी चिकनी जांघ एकदम खुली हुई थी. मैं अभी कुछ समझता कि उसने अपना हाथ मेरे हाथ पर रख दिया. मैंने उसके हाथ की उंगलियों में एक अलग सी हरकत होती महसूस की, तो मैंने हिम्मत करते हुए उसकी जांघ पर हाथ रख दिया. उसने कुछ भी नहीं कहा बल्कि वो खुद भी मेरे हाथ पर अपना हाथ रखे रही.

मैंने अब अपने हाथ को उसकी जांघ पर फेरना शुरू किया, तो उसने अपना मुँह ताऊ की लड़की की तरफ कर लिया और अपने जांघों को थोड़ा खोल दिया. मैं उसकी जांघ पर हाथ फेरने लगा. वो मस्ती लेती रही.

फिर मैंने धीरे से अपना दूसरा हाथ उसके मम्मों पर रख दिया. उसने कुछ नहीं कहा. मैंने करवट ले ली और नीचे वाले हाथ से उसकी जांघ को मसलना चालू किया और ऊपर वाले हाथ से धीरे धीरे उसके मम्मों को सहलाने लगा.

चूंकि बगल में ताऊ जी की लड़की लेटी थी, तो मैं ज्यादा खुल कर कुछ नहीं कर पा रहा था. मैं न तो उसके मम्मों को दबा पा रहा था और न ही उसकी चुत तक उंगली ले जाने की हिम्मत हो रही थी.

हालांकि इस घटना के बाद मैंने ताऊ जी की बेटी को भी खूब चोदा था.

मैं धीरे धीरे उसके दोनों मम्मों को बारी बारी से दबाता रहा. नीचे एक हाथ से उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी चुत को भी सहलाता रहा. उसकी पैंटी गीली हो चुकी थी. मैं उसकी पैंटी में हाथ डालने ही वाला था कि ताऊ जी की लड़की ने इसी तरफ करवट ले ली और अपना हाथ शालिनी के मम्मों पर रख दिया.

मैंने जल्दी से अपना हाथ हटा लिया.

कुछ देर बाद शालिनी ने मुझे रोका और मेरे गाल पर एक किस करके वो मुझे सो जाने का इशारा करने लगी.

मैं उस रात इससे ज्यादा कुछ नहीं कर सका और लंड पर उसका हाथ रखवा कर सो गया.

बस उस दिन उतना ही हो पाया. लेकिन इस घटना से हम दोनों के मन में एक दूसरे को चोदने की ललक जाग गई थी.

मुझे बस अब इस बात का इन्तजार रहता था कि कब शालिनी अकेले में मिले और मैं उसको चोद सकूं.

मगर शालिनी इस बार सिर्फ दो दिन के लिए हमारे घर आई थी. इन दो दिनों में हम दोनों को अकेले में मिलने का टाईम नहीं मिल सका. वो अपने घर चली गई.

अब हम दोनों फोन सेक्स करने लगे थे. वीडियो चैट करके एक दूसरे के लंड चुत को ठंडा कर लेते थे.

इसके बाद एक बार मुझे उसके घर जाने का अवसर मिला, तो मैं उस दिन उसे चोदने की पूरी तैयारी से गया हुआ था. मगर उस दिन भी कुछ ऐसा हुआ कि उसके घर कुछ अधिक मेहमान आ गए और हम दोनों को मिलने का मौका न मिल सका.

बस दो मिनट का टाइम मिला, जिसमें मैंने उसे अपनी बांहों में लेकर उसके मम्मे दबाए और उसको चूम कर छोड़ दिया. उसने भी मेरे लंड को पेंट के ऊपर से ही दबा कर आग लगा कर छोड़ दिया. उस दिन भी हमारे बीच इससे ज्यादा कुछ नहीं हो सका था.

तभी एक अवसर आया. मेरे परिवार में एक शादी तय हुई. शादी की डेट अगले माह जून में निकली. मुझे जब इस बात का पता चला, तो मुझे लगा कि मेरी किस्मत खुल गयी. शादी में तो उसे आना ही था. मैं लंड सहलाते हुए शालिनी की चुत चुदाई के सपने देखने लगा.

उस दिन उससे वीडियो चैट भी की और हम दोनों ने एक दूसरे के लंड चुत का रस निकाल दिया.

फिर वो दिन भी आ गया. वो अपनी मम्मी के साथ आयी थी. उसे देख कर मुझे बहुत सुकून मिला.

दिन में तो हमारी मुलाकत नहीं हो पायी क्योंकि शादी के कामों के कारण मुझे टाईम ही नहीं मिला.

शादी वाले दिन, रात में जब जयमाला का कार्यक्रम खत्म हो गया. उसके बाद मैंने उसे खोजना शुरू किया. वो मुझे दिख ही नहीं रही थी.

मैं मायूस होकर अपने कमरे में गया. जैसे ही मैं कमरे के अन्दर गया, तो देखा कि शालिनी कपड़े बदल रही थी.

मैंने दरवाजा बंद किया और उसके गले में पीछे से किस करने लगा. पहले तो उसने मना किया … लेकिन मैं नहीं माना. मैं उसके मम्मों को धीरे धीरे सहलाने लगा. उसको अपनी बांहों में उठा कर बेड पर ले गया और उसे सीधा लिटा दिया. अगले ही पल मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसके होंठों को पीने लगा. वो भी मेरा साथ देने लगी. मैं अपने दोनों हाथों से उसके दोनों मम्मों को मसलने लगा.

धीरे-धीरे करके मैंने उसके टॉप को उतार दिया. उसने नीचे रेड कलर की ब्रा पहनी हुई थी. उसकी ब्रा के ऊपर से ही मैं उसके मम्मों को पीने लगा. फिर धीरे-धीरे अपने हाथ से उसके जींस के ऊपर से उसकी चुत को सहलाने लगा.

शालिनी के मुँह से मादक आवाजें निकल रही थीं, जो मुझे और जोश दिला रही थीं.

मैंने उसकी ब्रा को उसके मम्मों से निकाल दिया … और मम्मों को बारी बारी से चूसने लगा. फिर मैंने उसकी जींस निकाल दी. अपने होंठों से उसके पेट को चूमता हुआ मैं नीचे आ गया. उसकी लाल रंग की पैंटी के ऊपर से ही उसकी चुत को सूंघने लगा. चुत से बहुत ही अच्छी खुशबू आ रही थी.

मैं चड्डी के ऊपर से चुत पर जीभ फेरने लगा. उसका रस निकलने लगा. वो कसमसाते हुए अपनी वासना से लड़ रही थी. फिर मैंने धीरे से उसकी पैंटी निकाल दी.

शालिनी की चुत पर बाल उगे थे. देख कर मुझे ऐसा लगा, जैसे उसने बहुत दिनों से चुत को साफ नहीं किया हो.

मुझे चुत चूसना बहुत अच्छा लगता है. मैं उसकी चुत की फांकों में अपनी जीभ फेरते हुए चुत चाटने लगा. उसने भी मस्ती से अपनी टांगें हवा में उठा दीं. उसकी चुत पूरी खुल गई थी. मैं जीभ को चुत के अन्दर डाल कर चूसने लगा.

जैसे ही मैंने उसकी चुत में जीभ डाली … वो अचानक से मेरा सर अपनी चुत में दबाने लगी. मैंने बहुत देर तक उसकी चुत चूसी. वो झड़ गई, तो मैंने उसकी चुत का पानी भी चाट लिया.

फिर मैंने अपना लंड उसके मुँह में देने की कोशिश की, लेकिन उसने लंड चूसने से मना कर दिया. मुझे अपना लंड चुसवाना बहुत अच्छा लगता है. मगर उसने मेरा लंड चूसा ही नहीं. एक बार को तो मायूसी हुई, मगर मैंने सोचा कि आज पहली बार है … बाद में लंड चूसने लगेगी.

अब मैंने पोजीशन बनाई और लंड के सुपारे को उसकी चुत की फांकों में फेरा. वो मचल गई और गांड उठाते हुए लंड अन्दर लेने की कोशिश करने लगी.

फिर धीरे से मैंने अपने लंड का सुपारा उसकी चुत में फंसाया और चुत के दाने को रगड़ने लगा.

उसने एक मादक सिसकारी ली और फिर से मेरी कमर पकड़ कर अपनी तरफ खींचा. मैंने उसकी चुत में लंड पेल दिया. उसे थोड़ा सा दर्द हुआ … लेकिन थोड़ी देर में उसका दर्द सही हो गया.

अब मैं उसकी चुत में लंड को आगे पीछे करने लगा. इससे शालिनी को भी मजा आने लगा. वो अपने चूतड़ों को चलाने लगी. उसकी आवाजों में मादकता बढ़ती ही जा रही थी.

करीब आधे घन्टे की चुदाई के बाद मैंने अपना पानी उसकी चुत में ही डाल दिया और उसी के ऊपर लेटा रहा.

उस पूरी रात मैंने और शालिनी ने चार बार चुदाई की. जब वो सुबह उठी, तो सही से चल भी नहीं पा रही थी. मैंने उसे एक दर्द खत्म करने की दवा दी. और गर्भनिरोधक गोली का एक पैकेट भी लाकर दे दिया.

मैंने उससे कहा- इसे खा लेना … नहीं तो नौ महीने बाद मेरे बेटे की मम्मी बन जाओगी.

वो शर्म से लाल हो गई और मेरी छाती पर मुक्का मारने लगी.

अब तक बारात बिदा हो गई थी. इसके बाद वो भी अपनी मम्मी के साथ अपने घर चली गयी.

उसके बाद हमने बहुत बार उसके घर में चुदाई की. एक बार जब हम दोनों चुदाई कर रहे थे, तो शालिनी की बहन ने हमें चुदाई करते देख लिया था. वो सेक्स स्टोरी मैं कभी बाद में आप लोगों के साथ शेयर करूंगा कि मैंने कैसे उन दोनों की एक साथ चुदाई की.

शालिनी की अब शादी हो चुकी है. अब वो सरकारी टीचर है. एक दिन उसका कॉल आया था. उसने मुझे मिलने के लिए बुलाया है. मैं जाकर उससे मिला … फिर क्या हुआ, ये सब मैं अगले भाग में बताऊंगा.

आप लोगों को मेरी सेक्स स्टोरी कैसी लगी … प्लीज़ मुझे जरूर बताएं. मुझे इन्तजार रहेगा.
Reply
06-11-2021, 12:30 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
खुल्लम खुल्ला प्यार करेंगे

इस कहानी के सारे पात्र १८ वर्ष से ज्यादा आयु के हैं. यह कहानी एक काल्पनिक कहानी है. आशा है की आप को यह नयी प्रस्तुति पसंद आएगी.

*****

कहानी के दो पात्र हैं, पराग और अनुपमा. पहला भाग अनुपमा की जुबानी है.

ये उस समय की बात हैं जब मैं सुरत शहर में रहने वाली १९ वर्षीय आकर्षक युवती थी. मेरे पिताजी का काफी बड़ा कारोबार हैं और मैं बचपन से ही अमीर परिवार में हूँ.

मैं सांवले रंग की पांच फ़ीट दस इंच लम्बी और मादक शरीर की मालकिन हूँ. मेरे सौंदर्य की विशेषता हैं मेरी भावविभोर आँखें. मेरे कई लड़के दोस्त हैं मगर किसी को भी मैंने ज्यादा भाव नहीं दिया था. मैं पढ़ाई से ज्यादा फ़िल्में देखना, मौज मस्ती करना और श्रृंगार प्रसाधन (मेकअप) में ज्यादा रूचि रखती थी. मेरे विद्यालय में कई शर्मीले लड़के मुझपर मरते रहते थे मगर मुझसे बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे.

मैंने बड़ी मुश्किल से बारहवीं की परीक्षा पास की, मगर मुझे मुंबई शहर के सब से बड़े कॉलेज में संगणक विज्ञान (कंप्यूटर सायन्स) पढ़ने की इच्छा थी. पिताजी ने उस कॉलेज को बड़ी राशि चंदे के रूप में दी और फिर मैंने उसी कॉलेज में दाखिला ले लिया. मुझे कंप्यूटर के बारे ज्यादा जानकारी नहीं थी, बस गर्मी की छुट्टियोंमें एक कोर्स किया हुआ था. पहले दिन की पहली क्लास होते ही मैं समझ गयी की ये कोर्स मेरे बस की बात नहीं हैं. तभी मेरी नज़र थोड़ी दूरी पर खड़े एक हसीन युवक पर गयी. उसका चेहरा कुछ जाना पहचाना सा लग रहा था. शायद वो मेरे साथ सुरत के विद्यालय में पढता था. मैंने उसकी ओर हाथ हिलाकर हाय कहा. उसकी तो जैसे सांस रूक गयी हो. मेरी जैसी सुन्दर और हॉट लड़की पहचान दिखाते ही वो तो जैसे बावला हो गया.

मैंने आगे बढ़ कर उस से कहा, "हेलो, लगता है तुम भी मेरे स्कूल से ही हो."

"हाँ, अनुपमा, मेरा नाम पराग है," उसने कहा.

"ओह, तुम तो मेरा नाम भी जानते हो!"

"तुम पूरे स्कूल में सबसे लोकप्रिय लड़की थी, फिर मैं तुम्हारा नाम कैसे नहीं जानता."

मैं कहा, "चलो मुझे अच्छा लगा की कोई तो मेरी पहचान का हैं यहां पर. क्या तुमने भी डोनेशन देकर दाखिला लिया हैं?"

"अरे नहीं, मैं तो मेरिट में आया हूँ इसलिए इतने बड़े कॉलेज में मुझे एडमिशन मिला हैं," उसने मुस्कुराते हुए कहा.

उसी समय मुझे यह चार साल का कोर्स पास करने का रास्ता मिल गया. अब बस अपनी सुंदरता से इस होशियार लड़के को अपने जाल में फसाना था.

"ओह पराग, चलो आज से हम एक दुसरे के बेस्ट फ्रेंड्स (सबसे अच्छे दोस्त) बनके रहेंगे. मैं भी किसी और को यहाँ जानती नहीं हूँ."

फिर मैंने यहाँ वहाँ की बाते करते हुए पता लगाया की वो कॉलेज के छात्रावास (हॉस्टल) में ही रहता हैं. उसके पास कोई कंप्यूटर नहीं था, इसलिए उसे कॉलेज की सुविधा पर ही निर्भर रहना था और कई बार कॉलेज के लैब में घंटो प्रतीक्षा करनी पड़ती.

मुझे तो मेरे पिताजी ने कॉलेज के नजदीक ही एक आलिशान फ्लैट भाड़े पर लेकर दिया था. उसमे एक नया कंप्यूटर भी था. भोजन बनाने के लिए और घर का काम करने के लिए एक कामवाली भी थी. कमी थी बस पढ़ाई करने की. अब इस स्मार्ट और स्कॉलर लड़के को लुभाकर वो कमी भी पूरी करना था.

कुछ ही दिनोमें पराग नियमित रूप से मेरे किराये के घर पर आने लगा. मैं भी उससे मीठी मीठी बाते करती थी और वो मुझे पढ़ा दिया करता था. उसे भी कंप्यूटर के लिए कॉलेज के लैब में घंटो प्रतीक्षा नहीं करना पड़ता था. मेरे जैसी सुन्दर लड़की का साथ जैसे माने बोनस था. मुझे पढ़ाते पढ़ाते उसकी भी फिर से पढ़ाई (रिवीजन) हो जाती थी. वो जितना दिखने में अच्छा था, उससे भी ज्यादा दिमाग से तेज था. उसका स्वभाव बहुत सीधा और हंसमुख था. मुझे भी पराग अच्छा लगने लग गया था. अब वो शाम का खाना भी मेरे साथ ही खाया करता था, सिर्फ सोने के लिए हॉस्टल चला जाता था.

पराग अक्सर छुप छुप कर मेरी सुंदरता को निहारता रहता था. अमीर घर से होने के कारण मैं मिनी स्कर्ट, खुले गले के टॉप्स और छोटे छोटे फ्रॉक्स आम तौर पर पहनती थी. कभी कभी तो पराग मेरे सुडौल स्तनोंके बीच की दरार, मदमस्त गांड और अध नंगी मांसल टांगो को देखकर उत्तेजित भी हो जाता था. अपने पैंट में तने हुए लौड़े को छुपाने की चेष्टा करता रहता. मुझे भी अपने जवानी के जलवे बिखेरकर उसे तडपाने में बड़ा आनंद मिलता था. थोड़ा दिखाना और थोड़ा छुपाना, यही तो लड़कियों का सबसे बड़ा अस्त्र होता हैं!

दो तीन महीनों के बाद एक दिन मैंने देखा की पराग का चेहरा किसी समस्या में उलझा हुआ हैं. बार बार पूछने पर भी उसने कुछ नहीं बताया. फिर मैंने उसके करीबी दोस्त गौरव से पूछा, तब पता चला की उसे आर्थिक समस्या हो गयी थी. हॉस्टल में रहना और सुबह का नास्ता तथा भोजन के खर्चे के लिए दिक्कत हो रही थी. मैंने तुरंत अपने डैड को फ़ोन किया.

"डैड, मैंने आप को पराग के बारे मैं बताया था ना. वो मेरा सबसे अच्छा दोस्त और मेरा प्राइवेट शिक्षक भी हैं."

"हाँ हाँ बेटी, मुझे याद हैं. क्या बात हैं, उसने कुछ.."

"नहीं डैड, वो तो बहोत ही अच्छा लड़का हैं मगर अभी मुसीबत मैं हैं और मैं उसकी मदद करना चाहती हूँ."
Reply
06-11-2021, 12:31 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
सारा मामला मैंने डैड को फ़ोन पर बता दिया. दो दिन में ही उन्होंने मेरी ही बिल्डिंग में एक छोटा सा कमरा पराग के लिए ले लिया. अब उसे हॉस्टल और खाने पीने का कोई भी खर्चा नहीं उठाना पड़ेगा. होशियार के साथ बहुत स्वाभिमानी भी होने के कारण पराग इस बात के लिए मान नहीं रहा था. फिर मैंने उससे कहा, "देखो, तुम्हे मेरी सौगंध, चलो इसे कर्जा समझ कर ले लो. जब तुम्हारी बढ़िया सी नौकरी लग जाए, तब सूत समेत सारा वापस कर देना."

आखिर कार मैंने उसे मना ही लिया. अब तो सुबह अपने फ्लैट में नहाकर वो सीधा मेरे कमरे पर ही आ जाता. हम दोनों मिलके नास्ता बना लेते थे. दोपहर के खाने के लिए कामवाली एक दिन पहले ही बना के जाती थी. फिर शाम को घर लौट कर पढ़ाई और रात का खाना भी साथ में ही खाते थे. ऐसे लगता था की पति पत्नी हैं सिर्फ रात को साथ में सोते नहीं हैं, बस!

रविवार के दिन हम घूमने या फिल्म देखने चले जाते थे. पराग अब मेरे लिए बहुत प्रोटेक्टिव हो गया था. मेरी छोटी से छोटी चीज़ का ख़याल रखता और मुझे भीड़ के धक्को से भी बचा लेता था. मैं भी उसके साथ अपने आप को सुरक्षित पाती थी. एक दिन हम फिल्म देखने थोड़ी देरी से पहुँच गए. पूरा थिएटर घना अँधेरा था. उसने मुझ से बिना पूंछे मेरी कमर मैं हाथ डाल कर मुझे धीरे धीरे सही जगह पर ले गया और सीट पर बिठा दिया.

मैंने उसका हाथ पकड़ कर धीरे से कहा, "थैंक यु पराग."

उसने मेरे हाथ को हलके से दबाया और मेरी तरफ मुस्कुराया.

कुछ देर तक हम दोनोंके हाथ मिले हुए थे. कुछ समय बाद उसने मेरे हाथ को बड़े प्यार से सहलाया और फिर अपना हाथ हटाना चाहा. तब मैंने उसके हाथ को रोका और फिर अगले ढाई घंटे वो मेरे हांथोको सहलाता रहा. मैंने स्लीवलेस ड्रेस पहनी थी, इसलिए उसके हाथोंकी उंगलिया मेरी भुजाओं पर भी बीच बीच में थिरकती थी. अब जभी भी हम दोनों फिल्म देखने जाते थे, पराग मेरी मुलायम बाहोंको और कंधोंको सहलाता. बगीचे में हम एक दुसरे के कमर में हाथ डालकर चलते.

शनिवार और रविवार की सुबह हम दोनों नजदीक के पार्क में सुबह पांच बजे दौड़ने जाते थे. मेरे तंग चोली नुमा टॉप और शॉर्ट्स में मचलते हुए भरपूर वक्ष, गदरायी हुई मांसल जाँघे और गोलाकार नितम्ब उसे दीवाना कर देते थे. पराग नहीं चाहता था की मेरी यह भड़कती जवानी कोई और आदमी देखे और मुझे छेड़े, इसीलिए हम इतनी सुबह जाते थे और छ बजने से पहले वापस आ जाते थे. गर्मी की दिनोंमें पराग टी-शर्ट नहीं पहनता था, सिर्फ शॉर्ट्स पर ही दौड़ता था. उसकी कसी हुई बालोंसे भरी छाती पर छलकता पसीना देखना मुझे भी अच्छा लगता था.

कुछ और समय के बाद परीक्षा समाप्त कर हम दोनों छुट्टिया मनाने के लिए सुरत आ गए. मेरे डैड मेरे लिए हवाई जहाज की टिकट कराना चाहते थे, मगर मैं और पराग दोनों एक साथ रेल्वे से आये. पहले दो-तीन दिन तो अपने सहेलियोंसे और रिश्तेदारोंसे मिलने में चले गए. फिर मैंने पराग से फ़ोन पर बात की.

"हाय अनु, कैसी हो तुम?" आजकल उसने मुझे अनु कहना शुरू कर दिया था.

"मैं तो एकदम मजे में हूँ, और तुम?"

"मैं भी ठीक हूँ मगर तुम्हारे साथ की इतनी आदत हो गयी हैं, की यहाँ कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा."

मैं समझ गयी की ये लड़का मेरे प्यार में पागल हुए जा रहा था. उसी शाम को हम दोनों मिले. वो अपने दोस्त की मोटरसाइकिल पर आया था. साथ में घूमे, बहुत सारी बाते की, डिनर और आइस क्रीम साथ में खाया. अब पराग बड़ा प्रसन्न लग रहा था. रात के करीब साढ़े नौ बजे उसने मुझे मेरे घर के करीब मोटरसाइकिल से उतार दिया.

"मुझे तुम्हारी बहुत याद आएगी अनु," पराग ने कहा.

"जब भी याद आये, फ़ोन कर दो," कहते हुए मैंने उसके हाथ को चूमा.

छुट्टियोंके दौरान हम बीच बीच में मिलते रहे. जब वापस जाने का दिन आया, तब वो प्लेटफार्म पर मेरा इंतज़ार कर रहा था. ट्रैन के चलते ही मैं नाइट सूट पहनकर आयी. बाजू की बर्थ पर लेटे लेटे हम धीरे धीरे बाते करते रहे. मुंबई सेन्ट्रल कब आया पता ही नहीं चला.

फिर से कॉलेज, पढ़ाई और प्रोजेक्ट का काम चलने लगा. एक दिन रात के ग्यारह बजे तक हम पढ़ रहे थे. पराग निकलने के लिए उठ रहा था तभी अचानक बिजली चली गयी. कड़कती बिजली और गरजते बादलोंके आवाज़ से मुझे बड़ा डर लगता हैं, इसलिए मैंने उसे रोक लिया. टॉर्च और मोमबत्ती के सहारे थोड़ा उजाला कर दिया. उसके सोने के लिए हॉल में बिस्तर बिछाया और मैं अंदर बैडरूम में चली गयी. जाते जाते मैंने मुस्कुराते हुए कहा, "पराग, क्योंकि बाथरूम बैडरूम के अंदर हैं इसलिए मैं दरवाजा खुला ही छोड़ देती हूँ."

थोड़ी ही देर में फिर से बादलोंका गरजना फिर शुरू हुआ, मैं तुरंत बाहर आयी और पराग को नींद से जगाया.

"तुम अंदर आ जाओ मुझे बहुत डर लग रहा हैं. "

तभी फिर से बिजली कड़की, और मैं परागसे लिपट गयी. पहली बार वो मेरे शरीर को इतने करीब से अनुभव कर रहा था. उसने मुझे बाहोंमें लेकर मेरे सर को प्यार से सहलाया. हम दोनों बैडरूम के अंदर तो आ गए, मगर अब साथ में सोते कैसे? फिर पराग ने मुझे बेड पर लिटाया और थोड़ी सी दूरी पर खुद लेट गया. बस मेरा हाथ उसके मजबूत हाथ में था, ताकि मुझे डर ना लगे. थोड़ी सी आँख लगी थी की पांच दस मिनट के बाद बिजली, बादल और तेज़ बरसात फिर से शुरू हो गयी. मैं डर के मारे करवट बदल कर उसके एकदम पास चली गयी और एक मोटे कम्बल के अंदर हम दोनों एक दुसरे से लिपट गए. हम दोनों एक दुसरे के नाम लेते हुए और भी करीब आ गए. अब मेरे कठोर स्तन उसकी छाती पर दब रहे थे और मेरी जाँघे उसकी हेयरी जाँघोंसे सटी हुई थी. उसका कड़क लौड़ा मेरी मुनिया पर अपना फन मार रहा था.

"सॉरी अनु, मैंने कण्ट्रोल करने की बहुत कोशिश की मगर.."

"पराग, ये तो स्वाभाविक हैं, और मुझे ख़ुशी हुई की मैं तुमको इतनी अच्छी लगती हूँ," यह कहकर मैंने उसके गालों पर एक हल्का सा चुम्बन जड़ दिया.

"ओह अनु, तुम कितनी स्वीट हो," पराग ने मेरे गालोंको चूमते हुए मुझे और करीब खींचा.

मेरे बालोंको हटाकर मेरी गर्दन पर जैसे ही उसने किस किया, मैं तो पूरी उत्तेजित हो गयी. समय न गंवाते हुए, पराग ने अपने होठ मेरे रसीले होठों पर रख दिए. यह हमारा पहला चुम्बन था, मेरे लिए भी और शायद पराग के लिए भी.

उसके टी-शर्ट के अंदर हाथ डालकर मैं उसकी पीठ सहलाने लगी. पराग अब मेरे होठोंको चूस रहा था. उसकी जीभ मेरी जीभ से खेलते हुए मेरे मुँह के अंदर चली गयी. अब उसका एक हाथ मेरी नाईट गाउन को ऊपर की तरफ सरकाने लगा. मैंने उसे रोकने की विफल कोशिश की मगर उसके बलिष्ठ हाथों ने नाईट गाउन को घुटने के ऊपर तक सरका दिया. अब मेरी गर्दन, गला, कान और क्लीवेज को चूमते हुए उसने मुझे पूरी तरह बेबस कर दिया.

जैसे ही पराग का हाथ मेरी मांसल, पुष्ट और मुलायम जांघोंको सहलाने लगा, मेरी भी चूत गीली होने लग गयी. अब पराग ने अपना चेहरा मेरे वक्षोंके बीच कर दिया और मेरे उन्नत स्तनोंको चूमने लगा. इतने दिनोंसे हम दोनों भी खुद को रोक रहे थे, मगर आज सब्र का बाँध टूट रहा था. मैंने दोनों हाथोंसे पराग की टी-शर्ट ऊपर उठा दी. उसने भी एक झटके में अपनी टी-शर्ट खोलकर फेंक दी. उसी पल वो नीचे सरक गया और मेरी मुलायम जांघोंको चूमने लगा. अब मेरी नाईट गाउन कमर तक आ गयी थी और नंगी जाँघों पर चुम्बनों की बौछार हो रही थी.

"ओह, पराग डार्लिंग, अब और मत तड़पाओ," आज पहली बार मैंने उसे डार्लिंग कहा था.

"अनु, मेरी जान, तुम कितनी सुन्दर, हॉट और सेक्सी हो," जांघोंको चूमते हुए उसने अब मेरी पैंटी को चूमना शुरू कर था.

अब मुझसे भी रहा नहीं गया, और मैंने अपनी नाईट गाउन सर के ऊपर से निकाल दी. मैंने पराग को ऊपर खींचकर बाहोंमें ले लिया. ब्रा में कैसे मेरे स्तनोंको वो फिरसे चूमने और चाटने लगा.

"तुम्हारी शार्ट निकाल दो ना डार्लिंग," मैंने चुपके से कहा.

अगले ही क्षण उसकी शार्ट और फ्रेंची अंडरवियर शरीर से अलग हो गयी. अब वो पूरा नंगा था और उसका लम्बा चौड़ा कड़क लंड मेरी चूत की गुफा में सवार होने के लिए मचल रहा था. अब पराग ने आव देखा न ताव, और मेरी ब्रा का हुक खोल दिया. कन्धों पे से ब्रा के पट्टे हट गए और मेरे दोनों उन्नत कठोर वक्ष अपने बन्धनोंसे से मुक्त हो गए. बेताब होकर पराग बारी बारी दोनों वक्षोंको मुँह में लेकर चूसने लगा. एक वक्ष को चूसकर दुसरे को मुँह में लेने से पहले वो मेरी आँखों में देखता और मेरे मुख से सिसकारियां निकलती.

जोश में आकर मैं भी अब अपना आपा खो चुकी थी. अब पराग ने उसकी दोनों हाथो की उंगलिया मेरी पैंटी में डाल दी और उसे नीचे की तरफ खिसकाने लगा. मैंने भी अपने नितम्बोँको धीरे से उठाकर उसकी सहायता की. अब हम दोनों पूर्ण रूप से नग्नावस्थामें थे. मेरी गीली योनि से चिकनाहट का रिसाव हो रहा था.

"पराग, मेरी योनि को चूमो और चाटो न," मैंने अपनी आँखें मूंदते हुए कहा. सुरत में देखि हुई हर ब्लू फिल्म में ओरल सेक्स शुरू में हमेशा रहता था. इसीलिए, मैंने उसे फरमाइश की. तुरंत नीचे जाकर उसने मेरी टांगोंको खोल दिया और अपना मुँह घुसेड़ दिया. जैसे ही उसके होंठ और जीभ मेरी योनि को प्यार करने लगे, मैं पूर्ण रूप से कामोत्तेजित हो गयी. लगातार बीस मिनट तक वो मुझे चाटता और चूमता रहा.

"आह, ओह, यस्स, फक, चाटो मुझे, हाँ, वहीँ पर, आह, ओह पराग, यस्स हाँ.."

"आह, ओह, पराग, तुम उल्टा हो कर सिक्सटी नाइन में आ जाओ," अब मैं अपने जीवन के पहले सम्भोग के लिए पूरी तरह से तैयार हो रही थी.

जैसे ही पलट कर पराग का कड़क लौड़ा मेरे मुँह के पास आया, मैंने उसे निगल लिया. उसके लौड़े पर वीर्य की दो चार बूंदे थी जिन्हे मैंने अपनी जीभ से चाट लिया.

अब पराग के मुँह से सेक्सी आवाजे निकलने लगी और उसने मेरी चूत के होठोंको हटाकर जोर जोर से दाना चाटने लगा. थोड़े ही समय में मुझे एक और जबरदस्त ऑर्गैज़म आया और दो मिनट के बाद पराग का सख्त लौड़ा मेरे मुँह में झड़ गया. ये मेरा लंड चूसने का पहला अनुभव था फिर भी मैं बिना संकोच उसका सारा वीर्य पी गयी.

अब हम दोनों फिर से एक दुसरे की बाहों में आ गए और पराग मेरे वक्षोंको चूमते हुए बोलै, "अनु डार्लिंग, तुम कितनी प्यारी हो. आय लव यू जान."

"हाँ डार्लिंग, आय टू लव यू हनी." मैंने अपनी मीठी आवाज़ में उसके कानोंमें कहा.

"आज अपने पास कंडोम नहीं हैं और तूम पिल्स भी नहीं ले रही हो, इसलिए आज चुदाई नहीं कर सकते अनु डार्लिंग," पराग के मुँह से चुदाई जैसा शब्द नया और एकदम सेक्सी लग रहा था. हम दोनोंने तय किया की कंडोम पहनने के बाद सम्भोग का असली मज़ा नहीं आएगा, इसलिए अगले ही दिन से मैंने गर्भनिरोधक गोलिया लेना शुरू किया और हमारा सम्भोग सूख का आदान प्रदान शुरू हो गया.
Reply
06-11-2021, 12:31 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
मेरी योनि का सील दो साल पहले ही साइकिल चलाते समय फट गया था. शावर के नीचे नहाते हुए कई बार मैं अपनी दो-तीन उंगलियोंसे हस्तमैथुन भी करती थी. सुरत में पोर्न फिल्म देखने के बाद खीरा, गाजर और मूली भी घुसेड़ चुकी थी. इसलिए मुझे चुदाई से कोई डर नहीं था. बस मनपसंद लड़का मिलना था, जो अब पूरा हो गया था.

अगली रात में पहली बार जब उसने मेरी चूत में अपना कड़क लंड पेल दिया, तब थोड़ा दर्द हुआ मगर जल्द ही दर्द घट गया और मज़ा आने लगा. मेरी टाँगे फैलाकर मिशनरी पोज में पराग मुझे चोद रहा था. दोनों हाथोंसे मेरे स्तन मसलकर मुझे चोदे जा रहा था.

"अनु डार्लिंग, कितने सालोंसे तुझे चोदने के लिए तरस रहा था मैं, अब तू मेरी रानी और मैं तेरा राजा. रोज रात में कम से काम तीन -चार बार चोद चोद कर तुझे पूरा खुश कर दूंगा मेरी रानी. फक, तेरी चूत कितनी मस्त हैं, और कितनी टाइट है."

"आह मेरे राजा, चोद मुझे, फक मी हार्डर, आह आह, चोद मुझे," मैं जोर जोर से चिल्लाती रही.

पंद्रह मिनट तक लगातार चुदाई का दौर चला. हम दोनों पसीने से तर तर हो गए थे.

पोर्न फिल्म तो पराग ने भी देखि थी, इसलिए उसे भी डॉगी पोज के बारे में पता था. "चल मेरी जान, अब तुझे पीछे से लेता हूँ, आजा."

"क्या मस्त गांड हैं तेरी अनु डार्लिंग," कहते हुए उसने पीछे से अपना लैंड पेल दिया. मुझपर झुककर मेरे स्तनोंको निचोड़ता रहा और डॉगी पोज में चोदता गया. करीब पंद्रह मिनट के बाद जब उसका पानी छूटने वाला था तब उसने पूंछा, "कहाँ निकालू मेरा पानी?"

मैंने कहा, "अंदर ही छोड़ दे गर्मागर्म पानी. मेरी प्यास बुझा दे जानू."

अगले ही पल मुझे गरम वीर्य का मेरी चूत के अंदर विस्फोट होता महसूस हुआ. दोनों भी बिलकुल निढाल हो कर काफी देर तक लेटे रहे. फिर उसने मुझे अपनी बाहोंमें भरके प्यार से चूम लिया. फिर हम दोनों सपनोंकी दुनिया में खो गए. सुबह के चार बजे के करीब फिर से चूत और लौड़े का घमासान युद्ध हुआ और अब की बार सिक्सटी नाइन की पोज में उसका पानी मेरे मुँह में झड़ गया.

अगले तीन साल तक यही दौर चला, दिन में जमके पढ़ाई और रात में जमके चुदाई. मैं जो कंप्यूटर सायन्स में अपने बलबूते पर पास भी न हो सकती थी, उसे अंतिम परीक्षा में ६५% मार्क्स मिले. पराग पूरे क्लास में हर साल अव्वल रहा और उसे ८६% मार्क्स मिले. हम दोनोंकी जोड़ी अच्छा रंग लायी. पढ़ाई और चुदाई का यह अनोखा मेल रहा. अंतिम साल आते आते, पराग को बैंगलोर की बड़ी कंपनी में बहुत अच्छी नौकरी लग गयी. जैसे ही उसने ज्वाइन किया, दो महीने के बाद मैंने उसे मेरे डैड से हमारी शादी के लिए बात करने के लिए कहा.

पहले तो डैड इस रिश्ते के लिए राजी नहीं हुए, मगर हम दोनोंने उन्हें मना लिया. धूमधाम से शादी हुई और हम दोनों हनीमून मनाने के लिए मालदीव चले गए. बड़े से पांच तारांकित (फाइव स्टार) होटल में दस दिन का हनीमून सूट का प्रबंध था.

एक तो हनीमून, उसमे भी मालदीव जैसी रूमानी जगह, और पहचान ने वाला कोई नहीं. हम जब रूम के अंदर चुदाई नहीं करते थे, तब बीच पर और स्विमिंग पूल में बिंधास्त मस्ती करते. पराग सिर्फ शॉर्ट्स में और मैं सिर्फ टू पीस बिकिनी में घुमते, आलिंगन, चुम्बन और मौज मस्ती करते रहते. होटल के कई लोग (आदमी और औरते भी) हमें घूरते रहते. एक दो कपल्स आकर हमसे दोस्ती करने की कोशिश भी करे, मगर हमने किसी को घास नहीं डाली. हनीमून पर सिर्फ मैं और मेरा पराग, बस हम दोनों ही जिंदगी का मजा ले रहे थे.

हमारे मालदीव से निकलने के दो दिन पहले होटल में एक बड़ी पार्टी थी. बड़े से बॉल रूम के अंदर लगभग सात सौ लोग झूम रहे थे और शराब में डूबे हुए थे. ज्यादा तर लोग जवान जोड़े ही थे, जो आलिंगन, चुम्बन और एक दुसरे को सहलाने में मग्न थे. पराग ने मुझे आँखों आंखोमें पूछा और मैंने भी अपनी हामी भर दी. हम दोनों नाचते नाचते बॉल रूम के बीच लगे हुए बड़े से टेबल पर चढ़ गए और नाचते नाचते अपने कपडे उतारने लग गए. सारी भीड़ की नज़रे हम पर आ गयी.

अब मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी और पराग सिर्फ छोटी सी फ्रेंची में. हमें देखते देखते बाकी के लोग भी अपने और अपने पार्टनर के कपडे उतारने लगे. जैसे ही मेरी ब्रा निकल गयी, सभी लोगोने जोरशोरोसे चिल्लाकर मुझे और भी प्रोत्साहित किया. किसी और के सामने नंगा होना (और चुदाई करना) हम दोनोंके लिए बिलकुल ही नया था. आवेश में आकर मैंने पराग की फ्रेंची खींचकर उतार दी, और उसने भी मेरी ब्रा और पैंटी खोल दी. अब सारे लोग तालिया बजा बजाकर "फक, फक" के नारे लगाने लगे.

पराग ने मुझे टेबल पर सुला दिया और सैंकड़ो लोगोंके सामने चोदना शुरू किया. हमारी देखा देखि थोड़े और जोड़े भी चुदाई में जुट गए. मेरे वक्षोंको मसलते हुए पराग मुझे चोदता गया. फिर हम कभी मिशनरी तो कभी डॉगी और कभी सिक्सटी नाइन में सम्भोग सुख लेते गए. एक बार झड़ने के बाद आधा घंटा विश्राम किया और फिर चुदाई में लग गए. टेबल काफी बड़ा होने के कारण पांच सात और जोड़े हमारे इर्द गिर्द लेट कर चुदाई का आनंद लेने लगे. एक या दो जोड़े भारतीय, बाकी के सारे जोड़े अमेरिकन या यूरोपियन थे. सारे जोड़े एक दुसरे से काफी नजदीक थे और मुस्कुराकर दूसरोंके पार्टनर की तरफ देखते हुए अपने पार्टनर को चोद रहे थे. जब मैं और पराग दुसरे राउंड के बाद थक कर लेटे, तब एक ऑस्ट्रेलियाई जोड़ा हमारे और करीब आया. लड़की २६ या २७ साल की थी और लड़का २८ साल का होगा. दोनों भी दिखने में आकर्षक और सेक्सी थे. लड़की के बड़े बड़े बूब्ज़ देखकर पराग की तो लार टपकना ही बाकी थी.

जैसे ही लड़के ने पास आकर मेरे सामने अपनी बाहे फैलाई, मैंने पराग की और देखा. उसने इशारा कर दिया और मैं उस सुन्दर और तगड़े युवक से लिपट गयी. उसने अपना नाम जॉन बताया. पराग ने उस सेक्सी लड़की को आलिंगन किया और उसने अपना नाम क्रिस्टीना बताया. चारो चूमा चाटी में लग गए. इतने सारे लोगोंके सामने दो बार चुदाई करने के बाद हमारी लज्जा हमारे कपडोंकी तरह उतर चुकी थी. होंठ चूसना, वक्षोंको मसलना/चूसना, टाँगे और गांड को सहलाना और चूत में ऊँगली से सुख देना काफी देर तक जारी रहा. इतना सब होने के बाद भी मैं किसी अनजान लड़के से पूर्ण सम्भोग के लिए तैयार नहीं थी.

मैंने पराग को इशारा कर दिया. फिर हम दोनोंने उन दोनोंको अपनी अपनी बाहोंसे छुड़ाया, सॉरी कहा, और अपने कपडे उठाकर कमरे की तरफ चल दिए. कमरे में जाते ही टब बाथ में खूब नहाये और फिर बिस्तर पर शुरू हो गए.

"पराग, उस लड़के का, जॉन का, लौड़ा इतना मस्त, मोटा और लम्बा था," मेरे मुँह से अचानक निकल गया.

"हाँ अनु डार्लिंग, मैंने भी देखा. और क्रिस्टीना तो क्या जबरदस्त माल थी. ये बड़े बड़े बूब्ज और एकदम टाइट चूत," उसने भी बेबाक होकर कहा.

अगले एक घंटे तक हम दोनों जॉन और क्रिस्टीना के बारे में सोच सोच कर सेक्स का आनंद लेते रहे. जीवन में पहली बार किसी और के बारे में कल्पना करते हुए हम एक दुसरे को चोद रहे थे.

"क्या तुम सचमुच क्रिस्टीना को चोदना चाहते थे, सच बताओ."

"सच तो ये हैं की, हाँ मैं उसे चोदने के लिए तैयार था. मगर अगर तुम जॉन से चुदने के लिए राजी होती तो ही."

"पराग, वो दोनों अनजान लोग, उनको कोई गुप्तरोग या कोई ऐसी बीमारी भी हो सकती थी. और वैसे भी मैंने आज तक तुम्हारे सिवा किसी और के साथ सेक्स करने के बारे में कभी भी नहीं सोचा।"

"हाँ, मेरी जान, कोई बात नहीं. हम दोनों अपने आप से बहुत खुश हैं."

मैंने पराग की बात मान तो ली, मगर दिल के एक कोने में एक ख़याल जरूर आया, की हर मर्द की तरह इसे भी किसी दूसरी सुन्दर सेक्सी लड़की को चोदने की तमन्ना तो हैं.
Reply
06-11-2021, 12:31 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
मालदीव से वापस आने के बाद हम बैंगलोर में एक साल तक रहे. पूरा समय हमारी सेक्स लाइफ जोरदार रही. पोर्न फिल्म देखकर गर्म होक चुदाई करना हमारे लिए आम था. कभी कभी जॉन और क्रिस्टीना को याद करके काफी फैंटसी वाली चुदाई होती थी. मैं भी बढ़ चढ़ कर जॉन मुझे कैसे चोद रहा हैं उसका वर्णन करती. पराग भी क्रिस्टीना को अलग अलग प्रकार से चोदने के बारे में विस्तार से बोलता. अब तक उन दोनोंके अलावा किसी और के बारे में सोचा नहीं था. शायद पराग को डर था की मुझे बुरा न लग जाए.

फिर पराग को मुंबई की एक बड़ी कंपनी का ऑफर आया. वहांपर बहुत सारे उम्मीद्वारोंके बीच कांटे की टक्कर थी. सूरत मुंबई से नजदीक होने के कारण हम दोनों भी चाह रहे थे की वो नौकरी मिल जाए. फिर मेरे डैड के एक ख़ास दोस्त की पहचान से पराग को वो नौकरी मिल गयी. हम मुंबई मायानगरी में जाकर बस गए. डैड ने जुहू के एकदम पॉश लोगोंके बीच हमें एक महंगा सा दो बैडरूम वाला फ्लैट दिलाया, उसका किराया बैंगलोर के किराये से तीन गुना था. पराग को उसकी कंपनी से गाडी और ड्राइवर भी मिला हुआ था. कुल मिलाकर कहे तो, हमारी पांचो उंगलिया घी में और सर कढ़ाई में था.

अब धीरे धीरे हमारे सेक्स लाइफ में थोड़ी बोरियत आ गयी, वही बाते, वही सम्भोग के तरीके, कुछ सामान्य सा हो गया. परोक्ष रूप से पराग ने गांड चुदाई (ऐनल सेक्स) के बारे में बात छेड़ने का एक-दो बार प्रयास किया, मगर मुझे उसमें बिलकुल रूचि नहीं थी. पोर्न फिल्म में भी अगर वैसा दृश्य आये तो हम उसे आगे कर देते थे. अब सेक्स लाइफ को रंगीन बनाने के लिए हमने कुछ फैशन, मॉडलिंग, टीवी और फिल्म से जुड़े लोगोंसे पहचान बनायीं. उनके साथ हाई सोसाइटी पार्टियोंमें जाने लग गए. पराग विदेशी सूट और मैं सेक्सी गाउन या दुसरे अंगप्रदर्शन करने वाले कपडे पहनती थी. इन पार्टियोंमें कभी कोई मॉडल, कोई टीवी स्टार या अमीर व्यवसायी से मुलाक़ात हो जाती थी. हमसे कई जवान और खूबसूरत जोड़े आकर मिलते थे, लगभग सभी के मन में अदलाबदली से सम्भोग करने की इच्छा थी. क्योंकि ऐसी पार्टियोंमें अक्सर लोग दुसरे सेक्सी जोडोंकी तलाश में ही जाते थे.

इन पार्टियोंमें जाकर भी कोई ऐसा कपल नहीं मिला जिसके साथ अदलाबदली करने की इच्छा हो. कुछ दिन के बाद जब हम एक पोर्न फिल्म देख रहे थे, तब उसमें एक ऐसा दृश्य आया, जहाँ पर लड़की अपनी सहेली को अपने पति से चुदवाती हैं. थ्रीसम सेक्स वाला वो दृश्य देखते हुए मैं पराग का लंड चूसने लगी.

अनायास ही पराग के मुँह से निकल गया, "काश ऐसा थ्रीसम का मज़ा मुझे भी मिले. अनु डार्लिंग, मैं तुम और कोई सुन्दर हॉट सी लड़की तीनो एक साथ रात भर चुदाई करे, कितना मजा आयेगा हनी."

पराग के तने हुए लौड़े को बाहर निकालकर मैंने उसकी आँखोमें देखा और पूंछा, "डार्लिंग, क्या सचमुच मेरे और कोई और लड़की के साथ थ्रीसम करना चाहते हो?"

"सिर्फ सोच के तो खुश हो जाऊं. अपनी अनेक फैंटसी में से यह एक और," मुझे बुरा न लगे इसलिए पराग ने बात को पलटने की कोशिश की.

"नहीं डार्लिंग, तुम अगर सचमुच मेरे साथ किसी और हॉट लड़की के साथ सेक्स करोगे तो मुझे भी अच्छा लगेगा. मैं बस किसी दुसरे आदमी के साथ चुदाई करना नहीं चाहती." मैंने उसका लंड चूसना जारी रखा.

"अनु डार्लिंग, क्या तुम सच कह रही हो? क्या इसका अर्थ ये हैं की तुम किसी जोड़े के साथ स्वैपिंग नहीं करोगी, मगर किसी और लड़की को हम दोनोंके साथ थ्रीसम सेक्स में शामिल करने के लिए तैयार हो?"

मैंने लौड़ा चूसते हुए हाँ में सर हिलाया और फिर कहा, "तुम्हारी ख़ुशी में ही मेरी ख़ुशी है जान."

बस इतना सुनते ही पराग का फव्वारा निकल गया और मेरे मुँह में गाढ़ा और गरम वीर्य छोड़ दिया.

हम दोनों एक दुसरे को चिपक कर कुछ समय तक लेटे रहे, फिर मैंने उसकी आंखोंमें झाँक कर कहा, "पराग, मैं सचमुच दिल से कह रही हूँ, किसी हॉट लड़की के साथ थ्रीसम करेंगे. तुम मेरे जानकारी के बगैर किसी लड़की को चोदोगे तो मुझे बुरा लगेगा, मगर मेरे साथ एक ही बिस्तर पर हम तीनों सेक्स का आनंद लेंगे, तो मुझे ख़ुशी होगी. मुझे भी इस बात की संतुष्टि होगी की मैंने तुम्हे सुख देने में कोई कसर नहीं छोड़ी."

अगले कई दिनोंतक हम ऐसी सुन्दर, हॉट और अकेली लड़की कौन हो सकती हैं इसके बारे में सोचते रहे. अचानक मैंने कहा, "पराग, तुम्हारे ऑफिस की रिसेप्शनिस्ट डॉली भी तो जबरदस्त माल हैं. क्या उसका कोई बॉयफ्रेंड या पति हैं?"

"मेरे ख्याल से उसका एक बॉयफ्रेंड था मगर कुछ दिन पहले ही दोनोंका रिश्ता टूट गया हैं. कल ही ऑफिस के लोग इस बारेमें बात कर रहे थे."

"फिर क्या सोचना हैं, मार दो हथोड़ा!"

"मगर मेरी उसके साथ कुछ ख़ास जान पहचान नहीं हैं डार्लिंग. और उसपर इतने सारे लड़के मरते रहते हैं, वो किसी शादीशुदा कपल के साथ क्यों घुल मिल जायेगी?"

"उस बात का जिम्मा मेरा. अब कल से तुम दोपहर के खाने पर घर नहीं आओगे."

"मगर क्यों? और उसका डॉली से क्या सम्बन्ध हैं?"

"तुम बस देखते जाओ."

पराग मुझे अच्छे से जानता था, अगर एक बात मैंने ठान ली तो फिर उसे पूरी कर के रहूंगी. अगले ही दिन से रोज ड्राइवर पराग को ऑफिस छोड़कर घर वापिस आने लगा. मैं करीब एक बजे उसका भोजन लेकर ड्राइवर के साथ ऑफिस पहुँच जाती थी. पहले ही दिन डब्बा चपरासी को देने के बाद मैंने डॉली से मुलाक़ात की और फिर ये सिलसिला रोज चलता रहा. अब मैं उसकी तारीफ करने लगी और अक्सर छोटा सा डब्बा (जिसमे पकोड़े, मिठाई या कुछ नमकीन) डॉली को भी देने लगी.

अब ऑफिस में जाने के समय और शाम को लौटते समय पराग भी डॉली से बातचीत करने लग गया. अपनी सुंदरता की प्रशंसा कौनसी लड़की को अच्छी नहीं लगती? दो-तीन हफ्तोंमें मैं और डॉली ख़ास दोस्त बन गए. उसने अपना मोबाइल नंबर मुझे दिया और हम दोनों कभी एक दुसरे को मेसेजस भेजने तो कभी फ़ोन पर गप्पे मारने लग गए. अब तक बात सिर्फ दोस्ती और उसकी असीमित तारीफ़ तक ही सिमित थी. इस मामले में बहुत सावधानी से काम लेना ज़रूरी था, क्योंकि डॉली पराग के ही ऑफिस में काम करती थी.

डॉली आयु में हमसे दो साल बड़ी थी. वो भी मेरी तरह सांवली थी मगर उसके वक्ष मुझसे थोड़े बड़े दीखते थे. उसका चेहरा अभिनेत्री सायरा बनो से काफी मिलता था. वो तीन और लड़कियोंके साथ एक छोटे से फ्लैट में रहती थी जो ऑफिस से काफी दूर था. उसकी तीनो रूम मैट्स स्वभाव से कुछ ख़ास अच्छी नहीं थी, और वो मजबूरी में उनके साथ रहती थी. एक दिन बातों बातों में पता चला की अगले हफ्ते डॉली का जन्मदिन हैं मगर उसने कोई ख़ास प्लान बनाया नहीं था. मैंने तुरंत कहा, "डॉली, इस बार का यह ख़ास दिन तुम मेरे और पराग के साथ बिताओ. हम तुम्हारे जन्मदिन को यादगार बनाने की पूरी कोशिश करेंगे."

"अरे नहीं अनुपमा, आप क्यों कष्ट उठा रही हैं, और वैसे भी मेरा जन्मदिन बुधवार को हैं, हफ्ते के बिलकुल बीच में. आप दोनोको अगले दो दिन कठिनाई हो जायेगी."

"अगर तुम मुझे और पराग को अपना मित्र मानती हो तो तुम हमारे साथ आओगी. नहीं तो मैं समझूंगी की मैं तुम्हारी कुछ नहीं."

अब इतना कुछ बोलने के बाद बिचारी डॉली को मेरी बात माननी ही पड़ी. रात को चुदाई के समय ये किस्सा मैंने पराग को बताया. फिर हमने उसे किसी बढ़िया से थ्री स्टार रेस्ट्रॉन्ट में ले जाने की योजना बनायीं. हम शाकाहारी हैं मगर डॉली तो मांसाहार भी लेती थी, इसलिए ऐसे रेस्ट्रॉन्ट को चुना जहाँ दोनों भी स्वादिष्ट मिलते हैं. साथ में बड़ा सा बर्थडे केक और मेकअप सामान उपहार के स्वरुप में ले लिया.

बुधवार के दिन मैं सज धज कर चार बजे के करीब ऑफिस पहुँच गयी. मेरा एक सुन्दर सा गाउन मैंने डॉली को दिया और वो बाथरूम में जाकर उसे पहन कर आ गयी. तब तक पराग भी आ गए थे. फिर हम तीनो कार में बैठ कर उस रेस्ट्रॉन्ट पर पहुँच गए. आज ड्राइवर को शाम को देर तक रुकने के लिए कहके रखा हुआ था, जिसके उसे अच्छे खासे पैसे भी मिलते थे.
Reply
06-11-2021, 12:31 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
रेस्ट्रॉन्ट पहुँचते ही बर्थडे केक और उपहार (गिफ्ट) टेबल पर मंगवाया. इतना बड़ा केक और इतना अच्छा उपहार देख कर डॉली ख़ुशी के मारे फूली नहीं समा रही थी. केक काटने के समय रेस्ट्रॉन्ट के स्टाफ ने और बाकी मेहमानोने भी तालिया बजाकर डॉली का अभिनन्दन किया. केक काटकर उसने हम दोनोंको खिलाया फिर खुद भी खाया. फिर उसने मुझे अपनी बाहोंमें जकड कर मेरे गालों पर चुम्बन करके मुझे सौ बार थैंक यू कहा. फिर वो पराग के भी गले मिली और उसे भी बार बार थैंक यू कहती रही.

केक के बाद भोजन की बारी आयी. हम दोनोंके लिए शाकाहारी और डॉली के लिए शाकाहारी और माँसाहारी पदार्थ मंगवाए. सभी को भोजन बहुत स्वादिष्ट लगा. पान खाकर हम लोग आस पास थोड़ देर तक घूमे. अब डॉली के दायी तरफ मैं थी और बायीं तरफ पराग. उसने खुद हो कर हम दोनोंके हाथ पकड़ लिए थे. अब ऐसा लगने लगा था की उसे हम दोनोंका साथ अच्छा लगने लगा था. टहलते टहलते अब पराग दोनोंके बीच आ गए. मैंने उसे आंखोंसे इशारा किया और उसने हम दोनोकी कमर में हाथ डाल दिया. डॉली को बिलकुल अटपटा या बुरा नहीं लगा.

आधे - एक घंटे तक हम तीनो ऐसी ही टहलते और बाते करते रहे. फिर कार में बैठकर हम तीनो निकल गए. हमने डॉली को उसके घर पर पहुंचा दिया. कार से नीचे उतरने के बाद फिर एक बार उसने हम दोनोंको गले लगाकर थैंक यू कहा. फिर हम दोनों कार में बैठकर अपने घर चले गए.

बैडरूम में जाते ही हम डॉली के बारे में फैंटसी करने लगे. "अनु डार्लिंग, आज लो नैक गाउन में डॉली की चूचिया कितनी मस्त लग रही थी," कहते हुए पराग ने मेरी चुत चाटना आरम्भ किया.

"हाँ, पराग डार्लिंग, सोचो की तुम मेरी नहीं डॉली की चुत चाट रहे हो. आज जब उसने तुम्हे गले लगाया तब तुम्हारा लौड़ा खड़ा हो गया था, जो मुझे भी दिखाई दिया."

"हाँ, अनु डार्लिंग, मुझे यकीन हैं की उसे भी मेरे लौड़े की चुभन महसूस हुई होगी."

"फिर भी दूसरी बार उसने तुम्हे गले लगाया, जब वो कार से उतरी थी. इसका अर्थ, उसे तुम्हारा लंड का चुभना बुरा नहीं लगा."

"आह मेरी डॉली जान. क्या मीठी और रसदार चूत है तुम्हारी. बड़ा मज़ा आ रहा हैं इसे चाटने में."

"चाट इसे पराग, कितने प्यार से चाट रहे हो, डार्लिंग," अब मैंने डॉली का रोल प्ले शुरू किया.

"ओह डॉली, देख अब मैं दो उंगलिया घुसेड़ कर तेरी चुत को और सुख देता हूँ एंड उसे और गीली करता हों," ये कहकर पराग ने मेरी पहले से ही गीली चुत को दो उंगलियोंसे चोदना आरंभ किया.

अगले आधे घंटे तक हमारा रोल प्ले चला और फिर धुआंधार सम्भोग के बाद हम दोनों एक दुसरे को लिपट कर सो गए. काफी दिनोंके बाद इतनी कायदे से चुदाई हुई थी. रोल प्ले हमेशा ही सेक्स में तड़का लगाने का काम करता है.

अगले दो-तीन महीनोंतक हम ऐसे ही डॉली से मिलते रहे और वो हमारे करीब आती गयी. रविवार के दिन हम तीनो फिल्म देखने जाते थे और अक्सर पराग को डॉली से स्पर्श करने का कोई न कोई मौका मिल ही जाता. जभी भी वो हमारे घर पर आती थी, हम दोनोंके साथ बिनधास्त हंसी मज़ाक, एडल्ट जोक्स और एक दुसरे के अंगोंको छेड़ना आम बात हो गयी. कई बार तो वो पराग के साथ ही शाम को हमारे घर आ जाती थी. साथ में भोजन करने के बाद ताश, कैरम या अंताक्षरी खेलते थे. फिर देर रात को वो, मैं और पराग (खुद गाडी चलाकर) उसे उसके घर पर छोड़ने जाते थे. उसके सामने मैं और पराग एक दुसरे को चूमना और सहलाना आम बात थी, बल्कि डॉली को भी वो सब देखने में मज़ा आने लगा था.

एक रविवार को हम तीनो दो घंटे जॉगिंग करके आये. घर पर आने के बाद मैंने जान बूझ कर कमर में मोच आने का नाटक किया. फिर पराग और डॉली ने मिलकर मेरी कमर, पीठ और जांघोंकी तेल लगाकर मालिश की. वो करते समय डॉली काफी हॉट हो गयी थी ऐसा पराग ने मुझे बाद में बताया. शायद उसने भी किसी सुन्दर और सेक्सी लड़की को इतना नजदीक से लगभग नंगा देखा नहीं होगा. मालिश करने के समय खुद के कपडे तेल से खराब न हो जाए ये बहाना करके पराग सिर्फ छोटी सी शॉर्ट में ही था. उसकी बालों से भरी और कसरत से कमाई हुई छाती और नंगी जाँघे देखकर भी शायद डॉली उत्तेजित हुई होगी.

दो हफ्तोँके बाद जब हम फिर रविवार की जॉगिंग के बाद मिले तब मैंने कहा, "पिछली बार तुम दोनोने मेरी इतनी अच्छी मालिश की. मैं पूरी तरह ठीक हो गयी और मुझे बड़ा फ्रेश लग रहा हैं. अब इस बार किस की मालिश होगी?"

"अरे यार अनु, वो तो तुम को मोच आयी थी इसलिए हमने मालिश की थी," डॉली ने हँसते हुए कहा. अब वो भी मुझे अनु बुलाने लग गयी थी.

"नहीं यार, मैं चाहती हूँ की मैं तुम दोनोंमेंसे एक को आज मालिश करू," मैं भी ज़िद पर अड़ गयी. मेरी बाते सुन कर पराग मन ही मन मुस्कुरा रहा था.

आखिर कार मैं और डॉली मिलकर पराग की मालिश करेंगे यह तय हुआ.

पराग सिर्फ फ्रेंची पर लेट गया. डॉली को उसके बदन को मसलने में शर्म आ रही थी, मगर उसके भी मन में लड्डू फुट रहे थे, की ऐसे बांके जवान की मालिश करने मिलेगी. कपडोंको तेल लगकर वो ख़राब ना हो जाए ये बहाना कर के मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी पहनकर आयी. मैंने डॉली से भी अपने ऊपर के कपडे उतारने के लिए कहा. मगर वो मानी नहीं. वैसे तो पराग की मालिश करने के लिए उसका तैयार होना ही बहोत बड़ी बात थी.

अब हाथोंमे तेल लगाकर पीठ की मालिश से शुरुआत हुई. पराग की पीठ को हम दोनों मालिश करने लगे, मैं एक तरफ और डॉली दूसरी तरफ से. दस मिनट के बाद अब जांघोंकी मालिश शुरू हो गयी. मैंने देखा की डॉली भी पराग के अध् नंगे बदन को मसलने से काफी उत्तेजित हो गयी थी. डॉली की सांस भारी हो गयी थी, माथे पर पसीना और दिल धक् धक् कर रहा था. मालिश पूरी होने के बाद पराग उठकर नहाने चला गया. तब उसकी फ्रेंची में तना हुआ उसका लंड देखकर डॉली और भी उत्तेजित हुई ऐसा लगा.

फिर रात में मैं और पराग डॉली के बारे में सोचके जबरदस्त सेक्स में जुटे रहे. अगर हमारी ये योजना सफल हो जाती तो मेरी आँखों के सामने मेरा पति पराग हमारी दोस्त डॉली को चोदने वाला था. पता नहीं मगर क्यों मुझे इस बात से बिलकुल जलन की भावना नहीं हो रही थी. शायद मैं पराग से इतना प्यार करती हूँ की उसे खुश देखने के लिए मैं कुछ भी करने के लिए तैयार हो गयी थी. हो सकता हैं की मैं पराग और डॉली के साथ थ्रीसम भी करने को भी मन बना चुकी थी.
Reply
06-11-2021, 12:31 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
दो हफ़्तों के बाद जब हम जॉगिंग के लिए मिले तब डॉली हमसे आँखें चुरा रही थी, क्योंकि मालिश करवाने की अब उसकी बारी थी. वो पराग के सामने ब्रा और पैंटी में आकर उसीके हाथोंसे मालिश करवाने में शर्मा रही थी. वैसे आज उसकी जवानी कसे हुए टॉप और शॉर्ट्स में गजब ढा रही थी. आज उसके टॉप का गला कुछ ज्यादा ही खुला था, जिससे उसके भरपूर वक्ष लुभा रहे थे. शायद वो अपनी टांगोंकी वैक्सिंग भी करके आयी थी, इसलिए उसकी त्वचा भी चमक रही थी. जॉगिंग करते समय एक दो बार पराग का हाथ उसकी गदराई हुई गांड पर और तंग वक्षोंको लग गया था. इन सब बातोंके कारण पराग की शार्ट में उसका कड़क हथियार तम्बू बनकर खड़ा हो गया था.

इतना अंग प्रदर्शन करने के बाद भी डॉली को पराग के सामने सिर्फ ब्रा और पैंटी में लेटने से लज्जा का अनुभव हो रहा था. जब हम तीनों घर पहुंचे तब मैंने इस समस्या का एक हल निकाला. पहले पराग सिर्फ नीले रंग की फ्रेंची पहन कर आया. उसके बाद मैंने उसकी आँखों पर पट्टी बाँध दी, ताकि उसे कुछ भी दिखाई न दे. इसके बाद डॉली अपने संगमरमर से बदन पर सिर्फ गुलाबी रंग की ब्रा और पैंटी पहन पर कमरे में आ गयी और पेट के बल लेट गयी. उसका गदराया हुआ मस्त बदन देखकर मैं भी झूम उठी. इतनी हॉट और सेक्सी लड़की के साथ थ्रीसम के ख्याल से मैं भी उत्तेजित हो गयी. न जाने क्यों मेरी योनि से भी गीलापन महसूस होने लगा.

अब कांपते हुए हाथोंसे मैंने डॉली की ब्रा का हुक खोल दिया और दोनों पट्टे बाजू में हटा दिए. अब उसके पूरे बदन पर केवल छोटी सी पैंटी ही थी. मैंने पराग के हाथो में तेल लगाकर उसके हाथ डॉली की नंगी पीठ पर रख दिए. वो कुछ भी देखे बिना डॉली की पीठ को मालिश करने लग गया. जैसे ही पराग के हाथों ने उसके तन को छुआ, डॉली कसमसाने लगी. उसकी मुलायम काया को मसलने से उसका औजार और भी सख्त हो गया. अब किसी भी बात की परवाह किये बगैर पराग ने अपनी फ्रेंची उतार दी और अपने तने हुए लौड़े को आज़ाद किया. पूर्ण रूप से नंगे पराग को सिर्फ पैंटी पहनकर लेटी हुई कामसुन्दरी डॉली की मालिश करते हुए देखना किसी पोर्न फिल्म से कम नहीं था.

दूसरी और से मैं भी उसकी मुलायम पीठ को सहलाने लगी. मालिश करते करते पराग का हाथ अक्सर नीचे डॉली की गांड पर चला जाता था, क्योंकि उसे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था. मालिश करते करते कई बार उसके हाथ डॉली की पैंटी में घुस गए. मुझे पता था की आँखों की पट्टी का तो बहाना था, पराग को डॉली की गांड भी मसलना था. जब जब पराग का हाथ डॉली की पैंटी में घुसता, वो एक मादक सिसकारी भर लेती थी. एक बार भी उसने न गुस्सा किया या पराग को रोकने के लिए भी नहीं कहा. इसका साफ़ मतलब था की वो भी उसको एन्जॉय कर रही थी. कई बार जब पराग मालिश के लिए खड़े रहने की जगह बदलता, तब उसके कड़क लिंग का स्पर्श डॉली के शरीर को हो जाता. हर बार वो रोमांच से काँप उठती थी.

"क्या डॉली मालिश अच्छी लग रही हैं न?" मैंने मुस्कुराते हुए पूंछा.

"हाँ, अनु, बदन एकदम हल्का सा लग रहा हैं, और बहुत मजा आ रहा हैं."

"हाँ, मज़ा तो मालिश करने वाले को भी बड़ा आ रहा हैं," मैंने व्यंग कसते हुए कहा.

फिर मैंने पराग के हाथ डॉली की भरी हुई, मांसल और पुष्ट जाँघों पर रखा और हम दोनों मिलके जाँघोंकी मालिश करने लगे. पराग का हाथ पैंटी के नीचे के हिस्से से अंदर घुसने लगा. फिर वही सिसकारियां और फिर वही पराग का डॉली के सेक्सी शरीर को सलामी देता हुआ लंड. इस सारे माहौल से उत्तेजित होने से मेरी खुद की पैंटी भी पूरी तरह गीली हो गयी.

पराग को डॉली की पिण्डलियोंकी मालिश में लगाकर मैंने अपने दोनों हाथ डॉली की पैंटी में घुसा दिए. मैं उसके गोल मटोल चूतडोंको मसलने लगी. डॉली की उत्तेजना अपनी चरम सीमा पर थी.

अब बिना संकोच किये वह बोल उठी, "आह, अनु, कितना मज़ा आ रहा हैं. तुम कितनी प्यारी हो और कितना अच्छा मसाज कर रही हो. आह, आह, फक, ऐसा सुख पहली बार मिल रहा हैं."

मैंने उसकी पैंटी निकाल कर उसके घुट्नोंतक नीचे कर दी और पूरी ताकत से उसकी गांड को मसलने लगी. जैसे ही मैं उसपर झुकती, मेरे कठोर वक्ष उसपर दब जाते. फिर मुझे भी मस्ती आयी और मैंने पराग के दोनों हाथ डॉली की गांड पर रख दिए और मैं खुद थोड़ा पीछे हट गयी. पराग पूरी लगन से उन भरे हुए नितम्बोँको मसलता गया. बीच बीच में पराग की उंगलिया डॉली के योनि को भी स्पर्श कर रही थी. डॉली को भी समझ में आ गया की ये मर्द के मजबूत हाथ उसकी गांड को मसल रहे हैं और मेरे दोनों हाथोंका स्पर्श नहीं हो रहा है.

"डॉली रानी, अब पराग के बलिष्ठ हाथ की सुपर हॉट मालिश का मज़ा लो. हाय , कितना सेक्सी हैं यह नज़ारा," मैंने कहा और डॉली के सर को प्यार से सहलाने लगी.

"ओह पराग, कितना अच्छा मसल रहे हो तुम, ओह माय गॉड, यस, ओह फक, आह, आह," डॉली को खुद को पता नहीं चल रहा था की वो क्या बोल रही थी.

मुझे यकीन था की उसकी चुत भी योनिरस से पूरी तरह गीली हो गयी होगी. आखिर पराग ने उन मस्त चूतड़ों पर से अपने हाथ हटा दिए. मालिश पूरी हो गयी थी.

डॉली ने उठ कर अपनी पैंटी पहन ली और ब्रा को अच्छे से बाँध लिया फिर मेरे गले लग गयी. हम दोनों भी पसीने से और गीली चूत से लबालब थी. बिना संकोच मैंने उसके होठों पर अपने होठ रख दिए. उसने भी मेरे चुम्बन का स्वीकार किया और दो मिनट तक हम एक दूजे के होठों को चूसती रही. अब उसने मेरी बाहों से निकल कर पराग की तरफ मुड़ गयी.

मुझे कुछ समझ में आये इसके पहले उसने मेरे नंगे और तने हुए लौड़े से भरपूर पति को बाहों में भर लिया. उसकी कठोर चूचिया पराग की छाती पर दबने लगी. पराग ने डॉली को जबरदस्त किस किया और वो भी अपनी जीभ से उसका मुँहतोड़ जवाब देने लगी. पराग के हाथ डॉली की पीठ और गांड को सहलाते हुए उसकी चूचियोंपर चले गए. अब इतना सब हो जाने के बाद पराग के आँखों की पट्टी का कोई मतलब ही नहीं रहा. इसलिए मैंने पराग को पीछे से आलिंगन दिया और उसकी आँखों की पट्टी उतार दी. अब उसकी छाती को डॉली के स्तनोंका और पीठ को मेरे पुष्ट स्तनोंका स्पर्श मिल रहा था.
Reply
06-11-2021, 12:32 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
जैसे ही पराग ने डॉली को सिर्फ ब्रा और पैंटी में देखा, वो तो और भी पागल हो गया. उसने झट से उसकी ब्रा का हुक खोला और ब्रा को उसके शरीर निकल कर जमीन पर फेंका. डॉली के नीचे लिटाकर पराग उसकी चूचिया बारी बारी चूसने लगा. मैंने भी अपने कपडे उतारे और पराग का तगड़ा लौड़ा मुँह में लेकर चूसने लगी. पराग ने डॉली की पैंटी निकाल दी और उसकी गीली चूत चाटने लगा. मैंने डॉली के भरे हुए स्तनोंको चाटना और उसके निप्पल्स को चूसना शुरू किया.

"ओह अनु, तुम दोनों कितने सेक्सी हो. ऐसी मालिश कर दी की अब हम तीनो एक साथ सेक्स करेंगे. पराग, ऐसे ही चाटो मेरी चूत, आह आह, फक, आय ऍम सो फकिंग हॉर्नी."

"डॉली डार्लिंग, क्या मीठी मीठी चूत हैं तेरी, और कितना जूस निकलते जा रहा हैं," डॉली की चूत चाटते हुए और दो उंगलियोंसे चोदते हुए पराग ने कहा.

पराग ने डॉली की जाँघे और फैलाकर अब तीन उंगलिया घुसेड़ने लगा. योनि रास से भरी उंगलिया चाट कर और भी जोर लगाकर चाटने और चोदने लगा.

"क्या मस्त माल हैं तू डॉली, चल अब तू मेरी चूत चाट," कहकर मैं उसके मुँह पर अपनी गीली चूत लगाकर बैठ गयी. आज तक दोनों भी लड़कियोने सिर्फ लडकोंके साथ ही सम्भोग किया था, मगर मालिश के बाद हम तीनो इतने गर्म हो गए थे की हर कोई कुछ भी करने को तैयार था. डॉली मेरी चूत को चाटते हुए योनि से निकलता पानी निगलती गयी. फिर उसने मेरा क्लाइटोरिस का दाना मुँह में लिया और उसे चूसती गई. मुझे जल्द ही एक ज़बरदस्त ओर्गास्म आया. मेरे चूत के रस से डॉली का चेहरा भर गया.

इतने छोटे से पलंग पर बड़ी दिक्कत हो रही थी. हमारा मास्टर बेड काफी लम्बा और चौड़ा था. थ्रीसम सेक्स के लिए एकदम सही था. पराग ने डॉली को उठाकर बैडरूम में लेके गया, मैं भी पीछे पीछे गयी. पराग से सब्र नहीं हो रहा था, उसने एक कंडोम निकालकर अपने लौड़े पर चढ़ाया और डॉली की टाँगे खोलकर उसे चोदने लगा. आज पहली बार मेरा पति मेरे सामने किसी और लड़की को चोद रहा था. फिर भी मुझे जरा भी ईर्ष्या या जलन नहीं हुई. मैं डॉली के स्तनोंको चूसती और उसके निप्पल्स को हलके से काटते गयी.

पराग डॉली को मिशनरी स्टाइल में पूरी ताकत लगाकर चोद रहा था. डॉली के मुँह से सिसकारियां और आंखोंसे ख़ुशी के आंसू छलक रहे थे. पराग का एक नयी लड़की के साथ भरपूर सम्भोग का सपना साकार हो रहा था.

"चल डॉली, अब कुतिया बन जा, तुझे डॉगी स्टाइल में पीछे से चोदता हूँ," कहकर पराग उसके बदन पर से उठा. मैंने पराग को बाहों में लेकर किस किया और पूंछा, "अब तो खुश हो न मेरी जान?"

"हां अनु डार्लिंग, इसको चोदने के बाद तुमको चोदना है. तुमने इसको पटाया इसलिए आज इतना सारा सुख मिल रहा हैं मुझे. जब मैं तुम्हे चोदना शुरू करूंगा तब ये सेक्सी डॉली तुम्हारी चूचियोंको चूसेगी."

डॉली अब डॉगी पोज में आ गयी और एक ही झटके में पराग का लम्बा चौड़ा लंड उसकी चूत में धक्के मारने लगा. मैं डॉली की गांड, वक्ष और जांघोंको सहलाती रही. फिर मैंने पराग और डॉली दोनोंको बिस्तर के नीचले हिस्से में जाने को कहा. मैं ऊपर के हिस्से में पीठ के बल लेट गयी और डॉली का मुँह अपनी चूत से सटा दिया.

अब डॉली मेरी चूत चाटकर बहता हुआ पानी पी रही थी और मैं आँखें मूंदकर आनंद लेने लगी. करीब चालीस मिनट तक पराग डॉगी स्टाइल में चोद कर डॉली को स्वर्ग का सुख धरती पर ही दे रहा था. जैसे ही पराग झड़ने को हुआ, उसने चूत से लौड़ा निकाल दिया। फिर कंडोम हटाकर सारा वीर्य डॉली के मुँह में गिरा दिया. इतना सारा और इतना गाढ़ा वीर्य निकला की काफी सारा उसके होठोंसे बाहर उसके गालों, बूब्स पर और जाँघों पर गिरा. मैंने डॉली को नीचे लिटाया और उसके शरीर पे से सारा वीर्य चाट चाट कर पी गयी.
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,299,743 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 522,281 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,151,085 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 871,902 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,542,180 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 1,986,877 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,796,743 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,515,282 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,825,543 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 266,178 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 12 Guest(s)