ससुर कमीना और बहू नगीना
04-09-2017, 03:01 PM,
#21
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
सुबह रानी के हाथ की चाय पीते हुए राजीव पूछा: रानी तुम्हारा पिरीयड कब आता है?
रानी: जी अगले चार पाँच दिन में आ जाना चाहिए।
राजीव मुस्कुराया: इस बार नहीं आएगा। मुझे पक्का विश्वास है कि तुम गर्भ से हो जाओगी।
रानी ख़ुशी से उसकी गोद में बैठ कर उसको चूम ली और बोली: बस राजा आपकी बात सच हो जाए तो मेरा जीवन ही सँवर जाएगा।
राजीव: उसकी चूचि दबाते हुए बोला: अच्छा अपने पति से भी चुदवाती रहती हो कि नहीं?
रानी मुँह बना कर: हाँ वह भी तीन चार दिन में एक बार कर ही लेता है पर पाँच मिनट में आहह्ह करके साला खलास हो जाता है।
राजीव: चलो ना मैं तो तुमको एक एक घंटे रगड़ता ही हूँ ना। वो चोदे या ना चोदे क्या फ़र्क़ पड़ता है।
तभी सरला का sms आया: अभी बात कर सकती हूँ?
राजीव ने रानी की बुर को सलवार के ऊपर से दबाकर आँख मारकर कहा: समधन से बात करूँगा।
रानी: हमको भी सुनना है प्लीज़।
राजीव ने फ़ोन लगाया और स्पीकर मोड में डाल दिया। रानी की सलवार का नाड़ा खोला और उसकी पैंटी में हाथ डालकर उसकी बुर को सहलाते हुए बोला: हाय सरला कैसी हो?
सरला : मैं ठीक हूँ, आपको ये बताना था कि श्याम भाई सांब तो मना कर दिए आने के लिए। अब मैं अकेली ही आऊँगी ।
राजीव ने रानी की बुर में दो ऊँगली डाली और बोला: कितने बजे तक आ जाओगी?
सरला: मैं क़रीब ११ बजे तक तो आ ही जाऊँगी। मैं आपको फ़ोन कर दूँगी बस अड्डे से।
राजीव: नहीं, तुम मुझे पहले फ़ोन कर देना, ताकि तुम्हें बस अड्डे पर इंतज़ार ना करना पड़े।
फिर राजीव ने उसके बुर से उँगलियाँ निकाली और उनको चाट लिया। रानी ने उसके हाथ में हाथ मारा और कान में कहा: छी क्या गंदे आदमी हो।
सरला: ठीक है भाई सांब।
रानी की चूचि दबाते हुए राजीव बोला: वो काली साड़ी याद है ना और स्लीव्लेस ब्लाउस भी। तुम्हें इस रूप में देखने की बहुत इच्छा है।
सरला: अब मैं आपको क्या बोलूँ, साड़ी तो है पर ब्लाउस चार साल पुराना है छोटा हो गया है। उसमें साँस रुक रही है। समझ नहीं आ रहा है कि क्या करूँ।
राजीव: अरे ये समस्या तो सरिता को भी आती थी, हर दो साल में उसका बदन भर जाता था और ब्लाउस यहाँ तक की ब्रा भी छोटी हो जाती थी। वो इसका दोष मुझे देती थी हा हा कहती थी कि मैंने दबा दबा कर बड़ा कर दिया, हा हा । बहुत मज़ाक़िया थी वो।
बातों बातों में राजीव कमीनेपन पर उतर आया था।
सरला: क्या भाई सांब कैसी बातें कर रहे हैं वह भी स्वर्गीय भाभी जी के बारे में।
राजीव: अरे वही तो, फिर वह ब्लाउस की सिलाई खोल लेती थी और फिर से सिल लेती थी ढीला करके। पर ब्रा तो नई लाता था मैं बड़े साइज़ की, हा हा।
रानी उसको देखते हुए फुसफुसाई : बहुत कमीने साहब हो आप।
सरला: आप भी ना कुछ भी बोले जा रहे हैं। मैं समझ गयी कि मुझे क्या करना है। अच्छा अब रखती हूँ, बाई।
राजीव : ठीक है मिलते हैं। बाई।
अब फ़ोन काटकर वह रानी को बोला: आज सरला आ रही है क़रीब १२ बजे। मैं चाहता हूँ कि तुम अपना काम करके खाना लगा कर ११:३० बजे तक चले जाना।
रानी: तो आज समधन की चुदाई का प्लान है, है ना?
राजीव: सही सोचा तुमने, कोशिश तो करूँगा ही। अब चुदाई होगी या नहीं यह तो सरला पर निर्भर है।
रानी: ठीक है मैं जल्दी चली जाऊँगी आप मज़े करना। वह यह कहकर उसकी गोद से उठी और किचन में जाने लगी।
राजीव: रानी आज तुमको नहीं चोदूंग़ा । मैं चाहता हूँ कि अपना माल बचा कर रखूँ सरला के लिए।
रानी हंस कर बोली: कहीं उसको भी प्रेगनेंट मत कर देना?
राजीव: हा हा नहीं अब इस उम्र में क्या होगा उसका?
फिर वह नहाने चला गया। थोड़ी देर बाद शिवा भी उठकर आया और रानी ने उसे भी चाय दी।
राजीव: आज तुम्हारी सास आ रही है।
शिवा: हाँ मालिनी का SMS आया है अभी। क्यों आ रहीं हैं?
राजीव: सगाई के बारे में कुछ बात करनी है उसने।
शिवा: ओह तो क्या मेरा होना भी ज़रूरी है?
राजीव: अरे नहीं बेटा तुम उसमें क्या करोगे? वैसे मैं उनको तुमसे मिलवाने दुकान में ले आऊँगा ।
शिवा: ठीक है पापा अब मैं नहा लेता हूँ।
फिर बाद में दोनों नाश्ता किया और शिवा दुकान चला गया। रानी भी खाना बनाने लगी।
राजीव ने अपने बेडरूम का दरवाज़ा बंद किया और तिजोरी से हीरे के तीन सेट निकाले और कुछ सोने के भी निकाले । फिर वह उनको देखकर सोचने लगा कि सरला पर कौन सा ear ring अच्छा लगेगा। फिर उसने एक हीरे का कान का झुमका पसंद किया। अब वह तय्यार था सरला का दिल जीतने के लिए।

राजीव ने आज एक बढ़िया टी शर्ट और जींस पहनी और सेंट लगाकर स्पोर्ट्स शू पहने। आज वह सरला को पटाने का कोई मौक़ा नहीं छोड़ना चाहता था।
रानी जा चुकी थी और वह अब तय्यार था तभी सरला का फ़ोन आया : मैं बस अड्डे पहुँचनी वाली हूँ।
राजीव: बस मैं अभी दस मिनट मे पहुँच रहा हूँ।
राजीव की कार जब बस अड्डे पहुँची तो बस अभी आइ नहीं थी।
वह इंतज़ार कर रहा था तभी बस आयी और फिर उसमें से सरला उतरी काली साड़ी में। आह क्या जँच रही थी। उसका गोरा दूधिया बदन मस्त दिख रहा था काली साड़ी में। कसी साड़ी में छातियों का उभार पहाड़ सा दिख रहा था। जब वह पास आइ तो पारदर्शी साड़ी से उसका गोरा पेट और गहरी नाभि देखकर राजीव का लौड़ा झटके मार उठा।
तभी एक स्कूटर उसके पास आकर हॉर्न बजाया और वह पलटी उससे दूर होने के लिए और राजीव की तो जैसे साँस ही रुक गयी। क्या मस्त बड़े बड़े गोल गोल चूतर थे। बहुत ही आकर्षक दिख रहे थे।टाइट पहनी साड़ी से पैंटी की लकीरें भी साफ़ दिख रही थीं। अब तो उसको अपना लौड़ा पैंट में अजस्ट करना ही पड़ा।
जब वह पास आइ तो उसने हाथ जोड़कर उसे नमस्ते की और उसने भी उसके हाथ को पकड़कर कहा: नमस्ते। सफ़र में कोई परेशानी तो नहीं हुई?
सरला: दो घंटे में क्या परेशानी होगी?
राजीव: अरे इतनी हॉट दिख रही हो किसी ने रास्ते में तंग तो नहीं किया?
सरला: आप भी ना ,मेरे साथ एक महिला ही बैठी थी ।
राजीव : चलो तब ठीक है, अगर कोई आदमी होता तो तुमको तंग कर डालता।
सरला: अब चलिए यहाँ से पता नहीं क्या क्या बोले जा रहे हैं।
राजीव: चलो,कार वहाँ है।
फिर राजीव ने कार चालू की और बातें करने लगा।
राजीव: तो काली साड़ी पहन ही ली। थैंक्स मेरी बात रखने के लिए।
सरला: अब आप इतनी बार बोले थे तो आपकी बात तो रखनी ही थी।
राजीव उसकी ब्लाउस को देखते हुए बोला: पर वो ब्लाउस का हल कैसे निकला?
सरला हँसकर: वैसे ही जैसे आपने कहा था। साइड से थोड़ा ढीला करी हूँ।
राजीव: और ब्रा का ? अब तुम काले ब्लाउस के नीचे सफ़ेद ब्रा तो पहन नहीं सकती ना?
सरला शर्माकर: आप भी ना, कोई महिला से ऐसा सवाल करता है भला?
राजीव: फिर भी बताओ ना ?
सरला: मालिनी के पास काली ब्रा थी वही पहनी हूँ।
राजीव चौंक कर: मालिनी बेटी की? पर उसके तो तुमसे काफ़ी छोटे हैं ना ? उसकी ब्रा तुमको कैसे आएगी?
सरला: वह कोई बच्ची नहीं है २२ साल की लड़की है। मेरा और उसके साइज़ में दो नम्बर का ही अंतर है।इसलिए उसकी मुझे थोड़ी टाइट है पर काम चला ली हूँ। राजीव बेशर्मी से उसकी छाती को देखकर बोला: तुम्हें तो ४० की आती होगी?
सरला: आप भी ना, कोई ४० का साइज़ नहीं है।
राजीव: तो ३८ तो होगा ही, मेरी बीवी का भी यही साइज़ था।
सरला: अब आप सही बोल रहे हैं।
राजीव : इसका मतलब मालिनी का भी ३६ के आसपास होगा। हालाँकि लगता नहीं उसका इतना बड़ा । तो मालिनी की ब्रा भी तुमको तंग तो होगी ही ना।
सरला: पर मेरी पुरानी ३४ वाली से तो बेटर है।
राजीव: हाँ वो तो है।
सरला: आप मालिनी की ब्रा का साइज़ भी भाँप रहे थे क्या? ये तो बड़ी ख़राब बात है।
राजीव: अरे नहीं ऐसा कुछ नहीं है। पर तुम्हारे और उसके साइज़ की तुलना की बात कर रहा था।
सरला: चलिए अब इस बात को ख़त्म कीजिए।
राजीव: मैं तुम्हें घर जाकर सरिता की ब्रा दे दूँगा वो तुमको बिलकुल फ़िट आ जाएगी। हाँ कप साइज़ थोड़ा तुम्हारा बड़ा लगता है। चलो अभी के लिए चला लेना।
और सुनाओ सगाई की तय्यारियाँ कैसी चल रही है?
सरला: ठीक ही चल रही है। बस श्याम भाई सांब काफ़ी मदद कर रहे हैं।
राजीव: श्याम भी तुम्हारी बड़ी तारीफ़ कर रहा था।
सरला चौंक कर: कैसी तारीफ़?
राजीव: अरे ऐसे ही जैसे तुम बहुत समझदार और शांत हो वगेरह वगेरह।
सरला : ओह , वो भी तो बहुत अच्छे हैं।
राजीव: वो तो है। पर बिचारा पत्नी के स्वास्थ्य को लेकर बहुत दुखी रहता है। पता नहीं उसका विवाहित जीवन कैसा होगा? उसकी बीवी को देखकर तो लगता है कि वो पता नहीं बिस्तर पर उसका साथ भी दे पाती होगी कि नहीं?
सरला थोड़ी सी परेशान हो गयी, वो बोली: चलिए छोड़िए ना कोई और बात करिए ना।
राजीव: तुम्हें तो ऐसा नहीं कहना चाहिए, क्योंकि हम तीनों की एक जैसी हालत है। तुम्हारे पति नहीं है , मेरी पत्नी नहीं रही और श्याम की पत्नी होकर भी ना होने के बराबर है। सही कह रहा हूँ ना?
सरला: हाँ ये तो है।
राजीव: मुझे तो बहुत परेशानी होती है अकेले रहने में। मुझे तो औरत की कमी बहुत खलती है। पता नहीं तुम्हारा और श्याम की क्या हालत है।
सरला: देखिए सभी को अकेलापन बुरा लगता है, पर किया क्या जाए?
राजीव: करने को तो बहुत कुछ किया जा सकता है, पर थोड़ी हिम्मत करनी पड़ती है।क्यों ठीक कहा ना?
सरला: मैं क्या कह सकती हूँ।
घर पहुँचकर राजीव उसे सोफ़े पर बिठाकर उसे पानी पिलाता है। फिर सरला: आपकी मेड रानी नहीं दिख रही है?
राजीव: आज उसे कुछ काम था इसलिए वो खाना बनाके जल्दी चली गयी है।
सरला: मैं आपके लिए चाय बना दूँ?
राजीव : अरे आप क्यूँ बनाएँगी? मैं आपके लिए बना देता हूँ।
सरला उठी और किचन की ओर जाते हुए बोली: आप बैठिए मैं बनाती हूँ। वह जब उठ कर जाने लगी तो उसकी चौड़ी मटकती गाँड़ देखकर वह पागल सा हो गया और उसके चूतरों में थोड़ी सी साड़ी भी फँस गयी थी। वह अपना लौड़ा मसलने लगा।
तभी किचन से आवाज़ आइ: भाई सांब थोड़ा आइए ना।
राजीव अपना लौड़ा अजस्ट करते हुए किचन में गया।
सरला एक चाय के डिब्बे को निकालने की कोशिश कर रही थी जो की काफ़ी ऊपर रखा था। राजीव उसके पीछे आकर उसके चूतरों में अपना लौड़ा सटाते हुए उस डिब्बे को निकाला और उसके बदन से आ रही मस्त गंध को सूंघकर जैसे मस्त हो गया। सरला ने भी उसके डंडे का अहसास किया और काँप उठी।
फिर वह चाय बना कर लाई। राजीव कमरे में नहीं था।
तभी वह बेडरूम से बाहर आया और उसके हाथ में एक काली ब्रा थी। वो बोला: देखो, ये ट्राई कर लो , इसमें तुम्हें आराम मिलेगा।
सरला लाल होकर: ओह आप भी , मुझे बड़ी शर्म आती है। ठीक है बाद में पहन लूँगी।
राजीव: अरे जाओ अभी बदल लो। इसने शर्म की क्या बात है।
सरला उठी और उसके बेडरूम में जाकर ब्रा बदल कर वापस बाहर आइ तो वह बेशर्मी से उसकी छाती को घूरते हुए बोला: हाँ अभी ठीक है। आराम मिला ना? मालिनी के इतने बड़े थोड़ी है, इसी लिए उसमें तुम्हारी साँस रूकती होगी। सरिता और तुम्हारा एक साइज़ है तो आराम मिल रहा होगा। हैं ना?
सरला सिर झुका कर: हाँ ये ठीक है।
अब दोनों चाय पीने लगे।
सरला शिवा और उसके बिज़नेस का पूछने लगी। वो बातें करते रहे। राजीव को नज़र बार बार उसके उभरे हुए पेट और नाभि पर जाती थी।
राजीव: चलो अब तुम्हें गहने दिखाता हूँ।
वह बेडरूम की ओर चला। सरला थोड़ा हिचकते हुए उसके पीछे वहाँ पहुँची।
राजीव ने उसे बेड पर बैठने का इशारा किया और वह सेफ़ खोला और उसमें से ज़ेवर के डिब्बे निकाल कर लाया। फिर उसने सब डिब्बे खोकर बिस्तर पर फैला दिए । सरला की आँखें फट गयीं इतने ज़ेवर देख कर।
सरला: भाई सांब ये तो एक से एक बढ़िया हैं।
राजीव : इनमे से कौन सा मालिनी बिटिया पर जँचेगा बोलो।
सरला: ये बहुत बढ़िया है। देखिए ।
राजीव: हाँ सच कह रही हो। और ये वाला तुमपर जचेंगा । ये कहते हुए उसने एक सेट उसको दिखाया।
सरला: मुझे कुछ नहीं चाहिए। आप मेरे ऊपर बहुत बड़ा अहसान कर रहे हो मालिनी को सेट देकर। अब मैं आपसे ये कैसे ले सकती हूँ।
राजीव: चलो छोड़ो ये ear rings देखो । ये तुम्हारे कान में बहुत जचेंगा।
सरला: मैं नहीं ले सकती।
राजीव: चलो मैं ही पहना देता हूँ।
यह कहकर वो उसके कान के पास आकर उसे ख़ुद पहनाने लगा। वह अब मना नहीं कर रही थी। उसकी साँसे सरला की साँस से टकरा रही थीं। उसकी नज़दीकियाँ उसे गरम कर रही थीं। उसका लौड़ा अब कड़ा होने लगा था। सरला भी गरम हो रही थी। उसकी छाती भी अब उठने बैठने लगी थी। राजीव को उसके बदन की मादक गंध जैसे मदहोश कर रही थी।
राजीव उसे रिंग्स पहना कर बोला: देखो कितनी सुंदर लग रही है तुमपर।
सरला ड्रेसिंग टेबल के शीशे में देखकर बोली: सच ने बहुत सुंदर है।
राजीव उसके पास आकर उसका हाथ पकड़ा और बोला: पर तुमसे ज़्यादा सुंदर नहीं है। यह मेरे तरफ़ से तुमको सगाई का गिफ़्ट है। मना मत करना।
सरला: पर ये तो बहुत महँगा होगा।
राजीव: अरे तुम्हारे सामने इसकी क्या हैसियत है।
यह कहकर उसने सरला को अपनी बाँहों में खिंचा और उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिए। सरला एक मिनट जे लिए चौकी पर फिर चुपचाप उसके चुम्बन को स्वीकार करने लगी। कमरा गरम हो उठा था।

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04-09-2017, 03:03 PM,
#22
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
राजीव की बाहों में आकर सरला जैसे पिघलने लगी। राजीव उसके होंठों को चूसे जा रहा था। उनका पहला चुम्बन क़रीब पाँच मिनट तक चला, जिसमें राजीव की जीभ सरला के मुँह के अंदर थी और सरला भी उसे चूसे जा रही थी। अब राजीव ने भी अपना मुँह खोला और अनुभवी सरला ने भी अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी। अब राजीव उसकी जीभ चूस रहा था। राजीव के हाथ सरला के गालों पर थे और सरला के हाथ उसकी पीठ से चिपके हुए थे ।अब राजीव और सरला हाँफते हुए अलग हुए और राजीव ने अब उसके गरदन और कंधे को चूमना शुरू किया ।जल्दी ही राजीव गरम हो गया और उसने सरला की साड़ी का पल्लू गिरा दिया। अब उसके तने हुए चूचे जो कि मानो ब्लाउस फाड़ने को बेचैन थे, उसके सामने थे।
वह थोड़ी देर उनको देखा और फिर आगे झुक कर चूचियों के ऊपर के नंगे हिस्से को चूमने लगा। गोरे गोरे मोटे दूध को देखकर वह मस्त हो गया। अब वह दोनों हाथों से उसकी चूचियाँ दबाया और बोला: आऽऽऽह जाऽऽंन क्या चूचियाँ है। मस्त नरम और सख़्त भी।
वह अब उनको थोड़ा ज़ोर से दबाने लगा। सरला हाऽऽऽय्य कर उठी और बोली: धीरे से दबाओ ना। वह फिर से आऽऽऽऽऽह कर उठी । और अपने नीचे के हिस्से को मस्ती में आकर राजीव के नीचे के हिस्से से चिपकाने लगी। तभी उसको अपने पेट पर राजीव के डंडे का अहसास हुआ, वह सिहर उठी।
राजीव भी अब उसके नंगे पेट को सहलाया और नाभि में ऊँगली डालने लगा।
राजीव: सरला, साड़ी खोल दूँ?
सरला मुस्कुराकर बोली: मैं मना करूँगी तो नहीं खोलेंगे?
राजीव हँसकर उसकी साड़ी को कमर से खोला और एक झटके में साड़ी उसके पैरों पर थी। क्या माल लग रही थी वो ब्लाउस और पेटिकोट में।
राजीव ने उसको अपने से चिपका लिया और फिर से होंठ चूसने लगा। अब उसके हाथ उसकी पीठ , नंगी कमर और फिर पेटिकोट के ऊपर से उसके मस्त मोटे उठान लिए चूतरों पर पड़े और वह उनको दबाने लगा।
सरला की आह निकल गयी।
राजीव: आऽऽऽऽह जाऽऽऽन क्या मस्त चूतर है तुम्हारे।
सरला मुस्कुराकर: और क्या क्या मस्त है मेरा?
राजीव: अरे जाऽऽंन तुम तो ऊपर से नीचे तक मस्ती का पिटारा हो।
सरला हंस दी और राजीव की गरदन चूमने लगी।
राजीव ने ब्लाउस के हुक खोले और सरला ने हाथ उठाकर अपना सहयोग दिया ब्लाउस उतारने में। उसकी चिकनी बग़ल देख कर वह मस्त हुआ और उसके हाथ को उठाकर बग़ल को सूँघने लगा और फिर जीभ से चाटने लगा। दोनों बग़लों को चूमने के बाद वह उसका पेटिकोट का नाड़ा भी खोल दिया और अब सरला सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में थी।
अब वो पीछे हटा और थोड़ी दूर से उसके गोरे बदन को काली ब्रा और काली ही पैंटी में देखकर मस्ती से अपना लौड़ा मसलने लगा। सरला की निगाहें भी उसके फूले हुए हथियार पर थी और उसकी पैंटी गीली होने लगी थी।
सरला: वाह मेरे कपड़े तो उतारे जा रहे हैं और ख़ुद पूरे कपड़े में खड़े हैं।
राजीव: लो मैं भी उतार देता हूँ। ये कहते हुए उसने अपनी टी शर्ट उतार दी। उसका चौड़ा सीना सरला की बुर को और भी गीला करने लगा।फिर उसने पैंट भी उतारी और अब बालों से भरी पुष्ट जाँघों के बीच फूली हुई चड्डी को देखकर उसकी आँखें चौड़ी हो गयी।
अब सरला के पास आकर वह उसको बाहों में ले लिया और उसकी ब्रा का हुक खोल दिया। उसकी ब्रा निकालकर वह उसकी चूचियों को और उसके खड़े निपल्ज़ को नंगा देख कर वह मस्त हो गया। फिर वह झुक कर घुटने के बल बैठा और उसकी पैंटी भी धीरे से उतार दिया। अब उसके सामने सरला की मस्त फूली हुई बुर थी। उसने देखा कि उसके पेड़ू पर बालों को दिल का शेप दिया हुआ था। हालाँकि बुर बिलकुल बाल रहित थी।
राजीव ने उसके दिल के शेप के बालों को सहलाते हुए बोला: वाह जान क्या शेप बनाई हो? फिर वह आगे होकर उसके उस दिल को चूमने लगा। फिर वह नीचे होकर उसकी बुर को सहलाया और उसे भी चूम लिया। फिर वह उसे घुमाया और और उसके बड़े चूतरों को दबाने लगा और चूमने भी लगा। सरला आऽऽहहह कर उठी। फिर वह उठा और उसके दूध दबाकर उनको भी मुँह में लेकर चूसने लगा। उसके निप्पल्स को दबाया और सरला हाऽऽऽऽऽय्यय कर उठी। सरला भी उससे चिपक रही थी और चड्डी में से उसका लौड़ा उसकी नंगी जाँघों पर रगड़ रहा था। सरला ने हाथ बढ़ाकर राजीव की चड्डी के ऊपर से उसका लौड़ा पकड़ लिया, और बोली: आऽऽऽऽह आपका तो बहुत बड़ा है।
राजीव उसकी चूचि दबाके बोला: तुम्हारे पति से भी बड़ा है?
सरला: आऽऽऽह उनका तो बहुत कमज़ोर था। आऽऽहहह आपके वाले से तो आधा भी नहीं होगा। वह उसके चड्डी में हाथ डालकर उसकी पूरी लम्बाई को फ़ील करते हुए बोली।
राजीव: तुम्हारे दूध बहुत ही मस्त है। चलो अब बिस्तर में लेटो। राजीव ने भी चड्डी उतार दी। सरला ने उसके लौड़े को देखा और एक बार उसकी लम्बाई और मोटाई को सहला कर और दबाकर बिस्तर पर लेट गयी।
सरला के लेटने के बाद राजीव भी उसकी बग़ल में आकर लेटा और उसको अपनी बाहों में लेकर चूमने लगा। वह भी उससे लिपट कर उसको चूमने लगी।
अब वह उसकी चूचियाँ दबाते हुए चूसने लगा। सरला की हाऽऽऽऽऽऽयययय निकलने लगी। अब उसके हाथ उसके पेट से होते हुए उसकी बुर पर घूमने लगे। उसकी दो उँगलियाँ उसकी बुर की गहराई नापने लगी। वह हैरान हो गया कि उसकी उम्र के हिसाब से उसकी बुर भी काफ़ी टाइट थी। फिर वह उठकर उसके ऊपर आया और उसकी टाँगें सहलाकर फैलाया और मस्त गीली बुर देखकर वह झुका और उसको चूमने लगा। जल्दी ही उसकी जीभ उसके बुर के अंदर थी और वहाँ हलचल मचाने लगा। सरला चीख़ी: उइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽऽऽ।
राजीव: जाऽऽऽऽंन मज़ा आऽऽऽया ना?
सरला: आऽऽऽह वहाँ जीभ डालोगे तो मज़ा नहीं आऽऽऽऽऽऽयेगाआऽऽऽऽ क्याआऽऽऽऽऽ उइइइइइइइ ।
अब वह उसके चूतरों को दबाते हुए उसकी गाँड़ के छेद को देखकर मस्ती से भर गया और उसकी गाँड़ की पूरी दरार को जीभ से चाटने लगा। उसकी जीभ बुर की clit से होकर उसकी बुर को चाटा और नीचे जाकर गाँड़ के छेद को भी चाटा। सरला हाऽऽऽऽय्य्य्य्य्य आऽऽऽऽऽऽज माऽऽऽऽर ड़ालोगेएएएएएए क्याआऽऽऽऽऽऽ।
वह बोला: जाऽऽऽंन क्या माल हो तुम? अब मेरा लौड़ा चूसोगी या अभी चोदूँ पहले।
सरला: आऽऽऽह चोद दीजिए आऽऽऽह अब नहीं रुक सकती। बाद में आपका चूस दूँगी। हाऽऽय्यय ड़ालिए नाऽऽऽऽऽऽ ।प्लीज़ आऽऽहहह ।
राजीव ने अब पोजीशन बनाई और सरला भी अपनी टाँगे घुटनो से मोड़कर अपनी छाती पर रखी और पूरा खेत उसे जोतने को ऑफ़र कर दिया। राजीव ने अपने लौड़े पर ढेर सा थूक लगाकर उसकी बुर के मुँह पर रखा और दबाने लगा। जैसे जैसे सुपाड़ा अपनी जगह बुर के अंदर बनाकर उसमें समाने लगा। सरला की आऽऽऽऽह्ह्ह्ह्ह निकलने लगी।फिर जब पूरा लौड़ा अंदर समा गया तो वह झुक कर उसके होंठ चुमते हुए उसकी चूचियाँ मसलने लगा और निपल्ज़ को ऐंठने लगा।साथ ही अब उसने धक्के भी लगाने शुरू कर दिए।
सरला: हाय्य्य्य्य्य्य। करके अपनी कमर उछालकर मज़े से चुदवाने लगी।
कमरे में फ़च फ़च की आवाज़ें और पलंग की चूँ चूँ की आवाज़ भी गूँजने लगी।
राजीव: आऽऽऽहब जाऽऽन क्या टाइट बुर है तुम्हारी?एक बात बताओ दो दो बच्चे पैदा करने के बाद भी बुर इतनी टाइट कैसी है?
सरला. आऽऽऽह मेरे दोनों बच्चे सिजेरीयन से हुए है।
राजीव: आऽऽऽहहह तभी तो, सविता की बुर तो काफ़ी ढीली पड़ गयी थी मेरी बड़ी बेटी के जन्म के बाद। और शिवा के जन्म के बाद और भी ढीली पड़ गयी। तुम्हारी मस्त है जानू।
ये कहते हुए वह और ज़ोर से सरला के चूतरों को दबाकर धुआँ धार चुदाई करने लगा। अब सरला भी हाऽऽऽऽय्यय मरीइइइइइइइ उईइइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽ कहकर नीचे से अपनी गाँड़ उछालकर बड़बड़ाती हुई चुदवाने लगी।
थोड़ी देर बाद सरला और राजीव दोनों आऽऽऽहहह मेरा होने वाला है , कहते हुए झड़ने लगे।
दोनों पस्त होकर अग़ल बग़ल लेट गए। फिर राजीव बाथरूम से फ़्रेश होकर आया और बाद ने सरला भी फ़्रेश होकर आयी और अपने कपड़े की ओर हाथ बढाइ।
राजीव: अरे जानू अभी कपड़े कैसे पहनोगी? अभी तो एक राउंड और होगा। तुम्हारे जैसे माल से एक बार में दिल कहाँ भरेगा।
सरला हँसकर बोली: मैं सोची कि आप शांत हो गए तो अब बस करें।
राजीव ने हाथ बढ़ाकर उसको अपने ऊपर खींच लिया और उसके होंठ चूसने लगा। उसके हाथ सरला की पीठ और गोल गोल चूतरों पर घूम रहे थे।
राजीव: एक बात बताओ कि डिलीवरी के समय सिजेरीयन करना किसका सुझाव था? तुम्हारा , तुम्हारे पति का या श्याम का?
सरला: इसमे श्याम भाई सांब कहाँ से आए?
राजीव उसकी गाँड़ में ऊँगली करते हुए बोला: मुझे पता है कि तुम अपने जेठ श्याम से शादी के बाद से ही चुदवा रही हो। और उस समय तुम्हारे पति का ऐक्सिडेंट भी नहीं हुआ था।
सरला: आऽऽह ऊँगली निकालिए ना, सूखी ही डाल दिए हैं। जलन होती है ना।ये आप क्या कह रहे है, श्याम भाई सांब से मेरा कोई चक्कर नहीं है।
राजीव : जानू झूठ मत बोलो, जब मैं तुम्हारे घर गया था तभी मैंने तुमको और श्याम को लिपट कर चूमा चाटी करते देखा था। जब मैंने कल श्याम से पूछा तो शराब के नशे में वह सब बक गया और यह भी की मालिनी और उसका भाई श्याम के ही बच्चें हैं।
सरला का चेहरा सफ़ेद पड़ गया। वह गिड़गिड़ाते हुए बोली: आप ये सब किसी को नहीं बताओगे ना। प्लीज़ प्लीज़।
राजीव ने अपनी ऊँगली ने थूक लगाया और फिर से उसकी गाँड़ में डालकर बोला: नहीं जानू किसी को नहीं बताऊँगा।
सरला: आऽऽह मैं आपसे बहुत प्यार करने लगी हूँ, प्लीज़ मेरा ये राज राज ही रहने दीजिएगा। हाय्य्य्य्य्य।
वह अपनी गाँड़ उठाकर उसकी ऊँगली का मज़ा लेने लगी।
राजीव उसके होंठ चूसते हुए बोला: बिलकुल निश्चिन्त रहो जानू किसिको नहीं बताऊँगा। पर ये तो बताओ कि क्या मालिनी बेटी को तुम्हारे श्याम से सम्बन्धों के बारे में पता है?
सरला; मुझे लगता है कि उसे शक तो है पर पक्का नहीं कह सकती।
राजीव उसकी चूचि दबाते हुए बोला: आह क्या बड़ी बड़ी चूचियाँ है तुम्हारी। एक बात बताओ अगर मालिनी का साइज़ तुमसे दो नम्बर ही छोटा है इसका मतलब वह भी किसी से चु मतलब उसका भी कोई बोय फ़्रेंड तो होगा, जिसने दबा दबा कर उसकी चूचियाँ इतनी बड़ी
कर दी होंगी। ये कहते हुए वह अब दो ऊँगली उसकी गाँड़ में डालकर अंदर बाहर करने लगा।
सरला आऽऽऽऽऽह करके बोली: आप भी उसके बारे में ऐसा कैसे बोल सकते हैं। उसका कोई बोय फ़्रेंड नहीं है। आह वह बहुत सीधी लड़की है।
राजीव: ओह पर चूचि तो उसकी काफ़ी बड़ी है, हालाँकि पता नहीं चलता पर अब तुमने ही उसका साइज़ बताया है कि ३४ का है।
फिर वह उसके दिल के आकर की झाँट को सहलाकर पूछा: ये कौन बनाया है इस आकर का? तुम ख़ुद तो ऐसे काट नहीं सकती अपनी झाँट को।
सरला शर्मा कर बोली: ये श्याम भाई सांब का काम है। उनको मेरी झाँटें बनाने में बहुत मज़ा आता है। ये उन्होंने ही बनाया है।
ओह , कहते हुए वह बोला: चलो मेरा लौड़ा चूसो।
सरला : पहले ऊँगली तो निकालो बाहर।
राजीव ने उँगलियाँ बाहर निकाली और उनको सूँघने लगा। सरला चिल्लाई: छी छी क्या करते हो? फिर वह उसके लौंडे को सहलाकर बोली: हाय ये तो खड़ा हो गया। फिर उसने अपनी जीभ निकाली और उसके लौड़े के एक एक हिस्से को चाटा और चूमने लगी। फिर उसके बॉल्ज़ को सहलायी और बोली: बाप रे कितने बड़े है ये। फिर वह उनको भी चाटने लगी। फिर वह पूरा लौड़ा मुँह में लेकर डीप थ्रोट देने लगी। अब राजीव अपनी कमर उछालकर उसके मुँह को चोदने लगा।
राजीव ने उसे रोका और पेट के बल लिटाया और उसके मस्त चूतरों को दबाकर चूमने लगा। फिर वह उसे अपने चूतरों को उठाने को बोला: जानू क्या मस्त चूतर हैं । फिर वह उसकी गाँड़ का छेद चाटने लगा और बोला: जानू तुम्हारा छेद देख कर लगता है कि श्याम तुम्हारी गाँड़ भी मारता होगा। दरसल सरिता की भी मैं गाँड़ मारता था और उसका छेद भी ऐसे ही दिखता था। सही कहा ना? फिर वह उसकी गाँड़ में क्रीम डाला और उँगलियाँ डालकर क्रीम को अच्छी तरह से छेद में लगा दिया।
सरला: आऽऽह हाँ श्याम को मेरी गाँड़ मारना बहुत पसंद है।
राजीव: और तुम्हें गाँड़ मरवाने में मज़ा आता है ना?
उसकी गाँड़ में अब वो तीन ऊँगलियाँ डाल कर हिला रहा था।
सरला: आऽऽह। हाँ बहुत मज़ा आता है । पर आपका बड़ा ही मोटा और लम्बा है शायद दुखेगा।
राजीव : अरे नहीं मेरी जान नहीं दुखेगा। मैं बहुत धीरे से करूँगा। तो डालूँ अंदर?
सरला: आऽऽऽह डालिए ना अब क्यों तड़पा रहे हैं।
राजीव मुस्कुराया और अपना क्रीम से चुपड़ा हुआ लौड़ा उसकी गाँड़ में डाला और वह चिल्लाने लगी : आऽऽऽह धीइइइइइइइरे से डालो। राजीव ने अपना दबाव बढ़ाया और उसका लौड़ा उसकी गाँड़ में घुसता चला गया। अब सरला की चीख़ें बढ़ गयीं और वह चिल्लाई: उइइइइइइइइ मरीइइइइइइइइइ । आऽऽऽऽह मेरीइइइइइइइ फटीइइइइइइइइइ ।
अब राजीव ने उसकी गाँड़ मारनी शुरू की और साथ ही अपना एक हाथ उसकी बुर में लेज़ाकर उसकी clit को रगड़कर उसकी बुर में तीन उँगलियाँ डालकर उसकी बुर को गीली करने लगा।
अब ठप ठप की आवाज़ के साथ वह पूरे ज़ोरों से गाँड़ मारने लगा। अब सरला भी बुर में ऊँगली और गाँड़ में मोटे लौड़े की चुदाई से मस्त हो कर अपनी गाँड़ पीछे दबा दबा कर अपनी मस्ती दिखाई और गाँड़ मरवाने लगी।
जल्दी ही उसकी बुर ने पानी छोड़ना शुरू किया और वह आऽऽऽक़्ह्ह्ह्ह मैं गईइइइइइइइइइइ कहकर गाँड़ हिला हिला कर झड़ने लगी। इधर राजीव के हाथ में जैसे पानी का सैलाब भरने लगा। उसकी बुर से पानी निकले ही जा रहा था तभी वह भी झड़ने लगा और आऽऽह्ह्ह्ह्ह ह्म्म्म्म्म्म्म कहकर उसकी पीठ पर लेट सा गया।
अब वह अपना वज़न उसके ऊपर से हटाकर उसकी बग़ल ने लेट गया। वह आँखें बंद करके उन लमहों को याद करके मस्त होने लगा जब वह उसकी गाँड़ मार रहा था। आह क्या मस्त टाइट गाँड़ और बुर हैं। बहुत दिन बाद वह इतनी मज़ेदार चुदाई का आनंद लिया था।
उधर सरला भी लेटे हुए सोच रही थी कि क्या मस्त मर्द है , कितना मज़ा दिया है इन्होंने। श्याम से भी ज़्यादा मज़ा दिया है इन्होंने।
वह पलटी और राजीव को अपनी ओर देखते हुए देख कर बोली: आज बहुत मज़ा आया सच में आपने जो मज़ा दिया है , मैं तो आपकी ग़ुलाम हो गयी हूँ।
राजीव: इसका मतलब जब चाहूँ तुमको चोद सकता हूँ।
सरला हँसकर: ये भी कोई पूछने की बात है।
ये कहते हुए उसने उसके लटके हुए लौड़े को सहलाया और उसे दबा दिया। फिर बोली: ये जब चाहे मेरे अंदर जाकर मज़ा कर सकता है।
राजीव मस्ती से उसके होंठों को चूम लिया। और वो दोनों एक दूसरे से चिपक गए और चुम्बन में लीन हो गए।

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04-09-2017, 03:03 PM,
#23
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
दोनों दो राउंड की चुदाई के बाद थकान महसूस कर रहे थे। सरला उठकर बाथरूम से फ़्रेश होकर आइ और ब्रा और पैंटी पहनकर ब्लाउस और पेटिकोट भी पहन ली। फिर वह किचन में जाकर फ्रिज से जूस निकाल कर लाई तब तक राजीव भी फ़्रेश होकर आ गया था। वह अभी भी नंगा था और फिर दोनों जूस पीने लगे। राजीव अभी भी नंगा पड़ा था और उसका लंड साँप की तरह उसकी एक जाँघ पर पड़ा था और उसके बॉल्ज़ लटके से थे।
सरला उसकी कमर के पास बैठी और उसकी छाती को सहला कर बोली: यहाँ आइ हूँ तो दामाद से भी मिलवा दीजिए ना।
राजीव: हाँ हाँ क्यों नहीं? अभी खाना खाकर चलते हैं।
सरला अब अपना हाथ उसकी छाती से नीचे लाकर उसके पेट से होते हुए उसके लौड़े के पास लाई। अब वो उसकी छोटी कटी झाँटों से खेलने लगी । फिर उसने लौड़े को दबाया और बॉल्ज़ को भी सहला कर बोली: आपके बॉल्ज़ बहुत बड़े हैं।
राजीव: अरे इसी बॉल्ज़ की सहायता से मैंने कई लड़कियों को माँ बनाया है।
सरला चौंक कर: मतलब? मैं समझी नहीं। वह अभी भी उसके बॉल्ज़ को सहलाए जा रही थी।
राजीव: लम्बी कहानी है । असल में मैंने तीन लड़कियों को माँ बनाया है उनके अनुरोध पर ही।
सरला: उनको कैसे पता चला कि आपसे अनुरोध करना है इसके लिए?
राजीव: देखो हुआ ये कि एक लड़की को मैंने फँसाया और वह एक महीने में ही प्रेगनेंट हो गयी। उसका तो मैंने गर्भपात करवा दिया। जब मैंने ये बात एक और औरत सारिका को बताई जो उन दिनो मेरे से फँसी हुई थी तो वह अपनी बहू जूली को मुझसे चुदवाइ और वो भी एक महीने में ही प्रेगनेंट हो गई।
सरला: वो अपनी बहू को आपसे चुदवाइ ? क्यों भला?
राजीव: क्योंकि उसका बेटा बाप नहीं बन सकता था और वो दोनों नहीं चाहतीं थीं कि ये बात लड़के को पता चले क्योंकि उसके डिप्रेशन में जाने का डर था।
सरला: ओह तो आप उस लड़की से बाद में मिले जब वह माँ बन गयी थी?
राजीव: हाँ सास बहू दोनों उसे लेकर मेरे पास आइ थीं। बहुत ही प्यारा बच्चा था। उस दिन मैंने जिभरके बहू का दूध पिया और उन दोनों को भरपूर चोदा । वो तो मेरी अहसान मंद थीं ना। बस उस दिन के बात कभी नहीं मिला।
सरला: आपने तीन लड़कियाँ कहीं, दो और कौन थीं?
राजीव: असल में सारिका जो कि तुम्हारी उम्र की थी अपनी बहू जूली को जब मुझे चुदवा कर माँ बना ली तो ये बात उसने एक औरत को बताई जो कि अपनी बेटी के माँ ना बन पाने के कारण परेशान थी। उस औरत का नाम आयशा था और उसकी बेटी का नाम नूरी था।
सरला: ओह फिर क्या हुआ? वो अब राजीव के लौड़े को सहलाने लगी थी। राजीव ने भी उसके ब्लाउस के ऊपर से उसकी चूचि दबायी और बोला: सारिका और आयशा एक क्लब की मेमबर थीं। वहाँ आयशा ने अपना दुखड़ा सुनाया कि उसके बेटी के ससुराल वाले उसको ताने मारते हैं कि वो बाँझ है और उसकी दूसरी शादी की धमकी देते हैं। जबकि उसकी बेटी में कोई कमी नहीं है। वो लोग उसके पति का चेकअप भी नहीं करवा रहे हैं।
सरला: ओह फिर ?
राजीव: आयशा की बात सुनकर सारिका उसे मेरे बारे में बतायी और आयशा अपनी बेटी से बात की और वह मुझसे चुदवा कर मॉ बनने तो तय्यार हो गयी। इसी सिलसिले में सारिका आयशा को लेकर मेरे पास मेरे दोस्त के ख़ाली फ़्लैट में आयी। वहीं मैं उनका इंतज़ार कर रहा था। सारिका और आयशा अंदर आइ। सारिका ने मुझे पहले फ़ोन पर बता दिया था कि वो आयशा को बता दी है कि वो भी मुझसे चुदवाती थी। इसलिए मैंने सारिका को अपनी बाहों में लेकर चूम लिया। वह। भी मुझसे चिपक गयी। आयशा ये सब देखकर शर्मा रही थी।
सरला: आप उस औरत के सामने ही सारिका से चिपक गए। ये कहकर वह राजीव के लौड़े को दबाई और वह अब खड़ा होने लगा था। फिर वो पूछी: फिर क्या हुआ?
राजीव: फिर मैं सारिका से अलग हुआ और वो मेरा परिचय आयशा से करवाई। आयशा एक गोरी दुबली औरत थी और उसने सलवार कुर्ता पहना था। वह चेहरे से सुंदर थी और उसकी छातियाँ भी उसके दुबले शरीर के लिहाज़ से काफ़ी बड़ी थीं जो डुपट्टे के नीचे से झाँक रही थीं।हम सब बैठे और सारिका ने आयशा के बारे में बताया कि वो एक आर्मी ऑफ़िसर की बीवी है और उसकी बेटी नूरी शादी के ५ साल भी माँ नहीं बन पा रही है और जैसे आपने मेरी बहू को माँ बनाया है वह भी अपनी बेटी नूरी को मुझसे गर्भवती करवाना चाहती है।
सरला: वाह आपके तो मज़े ही मज़े हो गए होंगे?
राजीव: हाँ , मैंने पूछा कि नूरी की उम्र क्या है? वो बोली कि २६ साल की है। मेरा लौड़ा जींस के अंदर खड़ा होने लगा। और मेरी पैंट के ऊपर से उसको दबाया। मैंने देखा कि आयशा और सारिका की आँखें मेरे लौड़े पर ही थी।
सरला: हाय बड़े बेशर्म हो आप? फिर क्या हुआ?
राजीव: अब तुम मेरा लौड़ा चूसो और बीच में नहीं बोलना तो मैं पूरी कहानी सुनाऊँगा।
सरला ख़ुशी से उसका लौड़ा चूसने और चाटने लगी और राजीव ने बोलना चालू किया---------

मैं: नूरी मान गयी है इसके लिए?
आयशा : हाँ वो मान गयी है।
मैं: फिर ठीक है, तो आज ही उसे ले आना था? मैंने अपना लौड़ा मसल कर कहा।
आयशा: जी मैं पहले आपसे मिलकर ये देखना चाहती थी कि आप कैसे हैं, वगेरह । आख़िर मेरी बेटी का सवाल है ।
मैं अपना लौड़ा दबाते हुए बोला: आपने मुझे देख लिया अब आपका क्या इरादा है?
आयशा: जी मैं कल उसे ले आऊँगी।
मैं मुस्कुराकर: पर आपने मेरी असली काम की चीज़ तो देखी नहीं है, जिसकी मदद से आपकी बेटी माँ बनेगी?
आयशा झेपकर: उसकी कोई ज़रूरत नहीं है।
मैं: पर मुझे तो आपको दिखाना ही होगा ताकि बाद में आप कोई शिकायत ना करो। ये कहते हुए मैंने अपनी जीन के बटन खोले और ज़िपर नीचे किया और अपनी जीन बैठे बैठे ही नीचे कर दी।अब मेरी चड्डी में खड़ा हुआ लौड़ा उनके सामने था। आयशा उसे ग़ौर से देख रही थी। इसके पहले कि वह कुछ और सोच पाती मैंने अपनी चड्डी भी नीचे कर दी और जींस और चड्डी मेरे पैरों पर आ गयी और मेरे नीचे का पूरा हिस्सा नंगा उन दोनों औरतों के सामने था।
आयशा की तो जैसे आँखें ही फट गयीं , वो बोली: इतना बड़ा?
मैंने उसे सहलाया और आयशा को दिखाकर बोला: अरे ऐसा कोई बड़ा नहीं है , सारिका तो बड़े आराम से ले लेती है। क्यों सारिका?
सारिका: हाऽऽय सच में बहुत मस्त मज़ा देता है। इसको मैं बहुत मिस करती हूँ।
मैंने देखा की आयशा सबकी नज़र बचा कर अपनी सलवार से बुर को खुजा रही थी। मैं मन ही मन मुस्कुराया।
मैं: आओ ना सारिका एक बार चुदवा लो इसके बाद आयशा को भी मज़ा दे देंगे।
सारिका: आह नहीं मुझे यूरीनरी इन्फ़ेक्शन हो गया है, अभी मैं नहीं ले सकती आपको भी इन्फ़ेक्शन हो जाएगा।
मैं: ओह फिर इसका क्या होगा? मैंने लौड़ा दबाकर कहा|
सारिका: चूस दूँ क्या?
मैं: अरे इसे मुँह से ज़्यादा बुर की ज़रूरत है। आयशा तुम ही अपनी बुर से दो ना।
आयशा एकदम से चौक गयी और इस तरह की भाषा से भी वह हड़बड़ा गयी।
वह: नहीं नहीं ये कैसे हो सकता है? मैं शादी शूदा हूँ और मैं तो यहाँ अपनी बेटी की मजबूरी के वजह से ही आयी हूँ।
मैं: अरे तो ये तो देख लो कि मैं तुम्हारी बेटी को कैसे चोदूँगा । तुम पर प्रैक्टिकल कर के बता देता हूँ।
आयशा: नहीं नहीं इसकी कोई ज़रूरत नहीं है।
तब मैं खड़ा हो गया और अपने पैरों से पैंट और चड्डी निकालकर सोफ़े पर बैठी आयशा के पास आकर उसके मुँह के पास अपना लौड़ा लहराकर उसके होंठों से अपना लौड़ा छुआ दिया।
वह एक मिनट के लिए सिहर गई और अपना मुँह पीछे कर लिया। अब मैं झुका और उसकी छातियों को कुर्ते के ऊपर से दबाने लगा और उसके होंठों पर अपना होंठ रखकर उनको चूसने लगा। वह मुझसे अलग होने के लिए छटपटाने लगी। मैंने अब भी उसकी छाती को दबाना जारी रखा। अब मैंने सलवार के ऊपर से उसकी बुर भी दबाने लगा। मैंने देखा कि उसकी सलवार नीचे से गीली थी।
अब उसका विरोध कम होने लगा था। तभी सारिका उठकर आयी और बोली: आयशा क्यों मना कर रही है, चुदवा ले ना , मैं ठीक होती तो मैं ही इसका मज़ा ले लेती। सारिका मेरे लौड़े को सहलाकर बोली।
अब आयशा ने मानो सरेंडर कर दिया। वह मेरा विरोध बंद कर दी। अब मैंने उसको अपनी बाँह में उठा लिया किसी बच्चे की तरह और जाकर बेडरूम में बिस्तर पर लिटा दिया। सबसे पहले मैंने अपनी शर्ट उतारी और पूरा नंगा हो गया। मैंने उसकी आँखों में अपने कसरती बदन के लिए प्रशंसा के भाव देखे। तभी मैंने देखा कि सारिका भी वहाँ खड़ी थी।
मैंने सारिका से कहा: तुम क़ुरती उतारो मैं सलवार उतारता हूँ। वह मुस्कुरा कर मेरा साथ देने लगी। जल्दी ही वह अब ब्रा और पैंटी में थी। पूरी तरह स्वस्थ बदन कोई चरबी नहीं। मज़ा आ गया देखकर। फिर मैं उसके ऊपर आकर उसके होंठ चूसने लगा और वह भी अपना हाथ मेरी कमर पर ले आयी और मेरी पीठ सहलाने लगी ।
अब मैंने उसकी ब्रा के हुक खोले और उसकी ३४ साइज़ की चूचियाँ दबाने और चूसने लगा। वह मस्ती से आहबह्ह्ह्ह्ह्ह कर उठी। फिर मैंने उसके पेट को चूमते हुए उसकी गीली पैंटी उतारी और उसे सूँघने लगा। वह शर्माकर मेरी हरकत देख रही थी।
मैंने उसकी जाँघों को सहलाया और चूमा और फिर उसकी जाँघें फैलाके उसकी ४७ साल की बुर को देखा। पूरी चिकनी बुर थी और साफ़ दिख रहा था कि अच्छेसे चुदीं हुई बुर है। उसमें से गीला पानी निकल रहा था। मैंने झुक कर उसे चूमा और जीभ से कुरेदने लगा। वह उइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽ कर उठी। मैंने समय ख़राब किए बग़ैर अपना लौड़े का सुपाड़ा उसकी बुर के छेद में रखा और वह कांप उठी और बोली: आऽऽऽऽह धीरे से डालिएगा। आपका बहुत बड़ा है , मैंने इतना बड़ा कभी नहीं लिया है।
मैं: सच क्या तुम्हारे पति का छोटा है?
वो: उनका नोर्मल साइज़ का है पर आपका तो ज़्यादा ही बड़ा है और मोटा भी बहुत है ।
मैं: ठीक है मैं धीरे से शुरू करूँगा।
अब मैं धीरे से सुपाड़ा दबाया और वह उसकी बुर में धँसता चला गया। वह हाऽऽऽऽऽऽऽय्य कर उठी।
मैं : अरे तुम तो इसमे से नूरी को भी बाहर निकाली हो इसलिए कोई समस्या नहीं होगी।
वो: नूरी सिजेरीयन से हुई थी।
सारिका: अरे मुझे भी पहली बार इनका लेने में थोड़ी तकलीफ़ हुई थी पर बाद में कोई समस्या नहीं थी और मज़ा ही मज़ा किया।
अब आयशा के होंठ चूसते हुए और उसकी चूचियाँ दबाते हुए मैंने अपना लौड़ा अंदर करना शुरू किया। आधा लौड़ा अंदर जा चुका था और तभी मैंने ज़ोर से धक्का मारा और पूरा लौड़ा अंदर जड़ तक समा गया। वह अब हाऽऽऽऽऽय्य्य्य्य मरीइइइइइइइइइइइ कहकर थोड़ी सी छटपटाई और फिर शांत हो गयी। मैं भी रुककर उसके होंठ चूसता रहा और चूचियाँ भी चूसने लगा। निपल्ज़ को दबाने से उसकी मस्ती वापस आने लगी और जल्दी ही वह ख़ुद कमर हिलाकर मुझे इशारा कि चलो अब मुझे चोदो।
पर मैं उसके मुँह से सुनना चाहता था सो बोला: रानी मज़ा आ रहा है कि नहीं।
वो: आऽऽऽह हाँ आ रहा है।
मैं: तो चोदूँ अब?
वो : हाऽऽऽऽक्ययय हाँ।
मैं: हाँ क्या करूँ? साफ़ साफ़ बोलो।
वो: उइइइइइइइओ आऽऽऽऽह चोओओओओओओओओदो मैं मुस्कुराकर अब ज़ोर से चुदाई में लग गया और मेरे धक्कों से पलंग बिचारा भी कराह उठा और चूँ चूँ करने लगा। सारिका वहाँ पलंग पर बैठ कर चुदाई का मज़ा ले रही थी, और अपनी बुर सहला रही थी।
अब आयशा भी अपनी गाँड़ उछालकर चुदाई में मेरा साथ देने लगी। हम दोनों पसीने से भीग गए थे और तभी वो और मैं दोनों एक साथ चिल्लाए : हाऽऽऽऽऽऽय्य मैं झड़ीइइइइइइइइइइइइ और मैं भी ह्म्म्म्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगा। वो चिल्लाई: मेरे अंदर मत गिराना।
मैंने समय रहते उसे निकाला और उसके दूध पर अपना वीर्य गिराने लगा और फिर उसके मुँह की तरफ़ भी अपना लौड़ा किया और उसका मुँह खुला और उसके अंदर मेरे वीर्य की एक पिचकारी चली गयी। वह उसे निगल गयी। अब मैंने अपना लौड़ा उसके मुँह में ठूँस दिया और वह प्यार से उसपर लगा वीर्य चाटने लगी और फिर चूस कर और चाट कर मेरे लौड़े को साफ़ कर दी। उसने अपनी छातियों के ऊपर गिरा वीर्य भी ऊँगली में लिया और चाटने लगी।
सारिका: मज़ा आया आयशा?
आयशा शर्माकर: हाँ बहुत मज़ा आया। सच में नूरी को बहुत मज़ा मिलने वाला है। पहली बार तो उसको लेने में थोड़ा दर्द होगा पर बाद में मज़े करेगी। वैसे इनका जूस भी बहुत गाढ़ा और स्वाद है। वह अपनी ऊँगली चाट कर बोली।
मैं: नूरी के साथ तुम भी आ जाना और मज़े कर लेना माँ बेटी दोनों एक साथ। बिर्य उसके अंदर डालूँगा और चुदाई दोनों की करूँगा। बोलो ठीक है ना ?
आयशा: नहीं नहीं आप उसे नहीं बताना कि मैं आपसे करवा चुकी हूँ वरना उसे बुरा लगेगा।
मैं: एक बात बताओ, तुम दोनों क्लब जाती हो माडर्न हो और ज़रूर बाहर भी मुँह मारती होगी।
वो दोनों एक दूसरे के देखने लगीं।
सारिका: अब आपसे क्या छिपाना , हाँ हम शादी के बाहर भी मज़े ले रहे हैं। मेरा तो आपको पता ही है।
आजकल घर का घर में ही चल रहा है।मैं और बहू दोनों मेरे बेटे से चुदवा रही हैं। तुम भी बता दो आयशा या मैं बोलूँ?इसका पति तो आर्मी में है यहाँ कम ही रहता है।
आयशा: मैंने भी घर का घर में ही इंतज़ाम किया हुआ है। मेरा एक २२ साल का नौकर है वही मुझे मज़ा देता है। मैंने उससे बेटी को नहीं चूदवया क्योंकि वह काला है और मुझे गोरा बच्चा चाहिए। सारिका मुझे बतायी थी कि आप बहुत गोरे हैं इसीलिए आपके पास आयी हूँ।
मैं: ओह तो तुम दोनों मज़े से चुदवा रही हो। बिलकुल सही है अगर मर्द मज़ा ना दे पाएँ तो क्या किया जाए।
आयशा बोली: अब मैं बाथरूम जाती हूँ।
फिर हम सब अपने घर चले गए। नूरी की चुदाई का कार्यक्रम अगले दिन १२ बजे दिन का बना था।
यह कहकर राजीव बोला: आऽऽऽऽऽऽहहह क्या चूस रही हो। हाऽऽय्य्य्य्य मैं गयाआऽऽऽऽऽऽ । और वह उसके मुँह में झड़ने लगा। सरला ने एक बूँद भी बाहर गिरने नहीं दिया और पूरा वीर्य गटक गयी। फिर सरला ने उसके लौड़े को बड़े प्यार से चाटकर साफ़ किया।
राजीव बड़े प्यार से उसके सर पर हाथ फेरा।
राजीव: चलो खाना खाते हैं उसके बाद हम दुकान चलते हैं।
सरला: नीरू की चुदाई का क़िस्सा नहीं सुनाओगे?
राजीव: फिर कभी , वैसे उसमें कुछ ख़ास नहीं है ।वह मुझसे चुदीं और एक महीने में माँ बन गयी। प्यारी लड़की थी मज़े से चुदवाती थी।
फिर दोनों खाना खाकर शिवा से मिलने दुकान की ओर चल पड़े।
उधर शिवा खाना खाकर मालिनी को फ़ोन किया।
शिवा: मालिनी, कैसी हो?
मालिनी: ठीक हूँ , आप मम्मी से मिले क्या?
शिवा: नहीं तो वो यहाँ हैं क्या?
मालिनी: हाँ आपके पापा से मिलने गयी हैं।
शिवा: सिर्फ़ मेरे पापा तुम्हारे नहीं?
मालिनी: सॉरी मेर भी पापा हैं।
शिवा : मैं अभी फ़ोन करके पूछता हूँ कहाँ है दोनों?
तभी उसने देखा कि सरला और राजीव अंदर आ रहे हैं।
वो: अरे वो दोनों आ गए हैं। मैं बाद में फ़ोन करता हूँ।
बाई।
मालिनी: बाई।
शिवा ने देखा कि उसकी सास काली साड़ी में बहुत सुंदर लग रही थी। उसे लगा कि पापा का हाथ शायद उनके हिप्स पर थे, पर वह पक्का नहीं था।
शिवा आगे बढ़ा और अपनी सास के पैर छूये ।सरला ने उसे झुक कर उठाया और अपने गले से लगा ली। सरला की साड़ी का पल्लू गिरा और शिवा के सामने उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ थीं, गोरी और आधी ब्लाउस के बाहर ,मोटे चूचे । उसे अचानक याद आया कि वह उसकी सास है तो वो झेंपकर अपनी आँखें वहाँ से हटाया। सास के गले लगने पर उसके बदन की गंध और उसके बड़े चूचे जो उसकी छाती से थोड़ी देर के लिए ही सटे उसे बेचैन कर दिए।
अब वो सब काउंटर के पीछे बने ऑफ़िस में बैठे और चाय पीने लगे।

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04-09-2017, 03:04 PM,
#24
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
शिवा चाय पीते हुए बोला: मम्मी आप वापस जाओगी क्या आज? या रात रुकोगी?

सरला: अरे बेटा बस अभी वापस जाऊँगी। मेरा काम तो हो गया है। मैं तो समधी जी की अहसान मंद हूँ कि उन्होंने मेरी ज़ेवर को लेकर पूरी परेशानी को दूर कर दिया है।

राजीव: अरे सरला जी, सब कुछ इन बच्चों का ही तो है । शिवा , मालिनी और महक का।

सरला: महक और उसके पति कब तक आएँगे?

शिवा: पापा, मेरी महक दीदी से बात हुई है वह अकेली ही आएँगी शादी में । जीजा जी नहीं आ पा रहे हैं।

सरला: सगाई में भी वो रहती तो अच्छा होता।

शिवा: अरे USA से आना कौन सी छोटी बात है।

सरला: हाँ ये तो है। वो वहाँ जॉब करती हैं क्या?

राजीव: हाँ वो और दामाद दोनों बैंक में जॉब करते हैं।
अब दुकान पर आइ हो तो एक साड़ी अपने लिए और एक बहू के लिए पसंद करिए।

सरला: नहीं नहीं आप पैसे नहीं लोगे और मुझे बड़ा अजीब लगता है।

शिवा: मम्मी अपनी ही दुकान है, आप ऐसा मत बोलिए।

फिर शिवा सरला को साड़ी के काउंटर पर ले गया और सरला साड़ी का सिलेक्शन करके अपने ऊपर रख कर देखने लगी। शिवा ने देखा कि इस दौरान उसका पल्लू बार बार गिर जाता था। और शिवा के सामने उसकी भारी छातियाँ आ जाती थीं। वह थोड़ा बेचेंन होकर दूसरी तरफ़ देखने लगता। तभी सरला ने शीशे के सामने एक साड़ी लपेट कर अपने पिछवाड़े को देखा कि कैसी लगती है साड़ी। क्या दृश्य था शिवा का लौड़ा कड़ा होने लगा। क्या उभार था गाँड़ का आऽऽऽऽह। वो सोचा कि मम्मी इस उम्र में भी मस्त माल है।
फिर वह अपने को कोसने लगा कि छि कितनी गंदी बात है। मालिनी को कितना ख़राब लगेगा अगर उसे भनक भी मिल गयी उसके विचारों की।

सरला: ठीक है बेटा ये ही रख लूँ ना? तुम्हें कैसी लगी?

शिवा हकलाकर: जी जी अच्छी है। आप ये भी रख लीजिए। यह कहकर उसने एक पैकेट सरला को दिया।

सरला: ये क्या है?

शिवा: मालिनी की साड़ी, मैंने पसंद की है।आप उसे दे दीजिएगा।
सरला: अभी सगाई भी नहीं हुई और ये सब शुरू हो गया?

शिवा झेंप कर: क्या मम्मी जी आप भी मेरी टाँग खींच रही हैं।
उधर श्याम का फ़ोन राजीव को आया।

श्याम: क्या हाल है।

राजीव : बढ़िया।

श्याम: दोनों काम हो गए?

राजीव: हाँ सरला ने ज़ेवर पसंद कर लिए हैं। और कौन सा दूसरा काम?

श्याम: अरे उसे पटाने का काम और क्या?

राजीव हँसते हुए: हाँ यार वह भी हो गया। और बहुत अच्छे से हो गया। मैंने उसके तीनों छेदों का मज़ा ले लिया। क्या माल है यार।

श्याम: यार बड़े बदमाश हो जो इतनी जल्दी से इतना मज़ा ले लिए।

राजीव हँसते हुए: अपना काम तो ऐसा ही है।

श्याम: अरे भाई अब उसको वापस तो भेजो या वहाँ ही रात भर रख कर ठोकने का इरादा है?

राजीव कमिनी हँसी हँसकर : यार मन तो यही कर रहा है पर क्या किया जाए। वापस भेजता हूँ उसे । चलो फिर बात करेंगे।

फिर राजीव शिवा और सरला के पास आया और बोला: चलो सब काम हो गया? श्याम का फ़ोन आया था , कह रहा था कि सरला जी को जल्दी से भेज दो। सो ,चलो अब मैं आपको बस अड्डे तक छोड़ आता हूँ।

सरला ने शिवा को गले लगाया और उसका माथा चूमा और राजीव के साथ साड़ियों के पैकेट लेकर कार में बैठी और कर बस अड्डे को चल पड़ी।

सरला: श्याम भाई सब क्या बोले?

राजीव: वो पूछ रहा था कि सरला की चुदाई कर दी ना?

सरला: छी क्या बोल रहे हैं? वो ऐसा कभी नहीं पूछेंगे। आपने क्या बात दिया।

राजीव: हाँ मैंने बता दिया किहमारे सम्बंध अब बहुत मधुर हो गए हैं। आज मैंने तुम्हारे तीनों छेदों का मज़ा ले लिया है।

सरला: ही भगवान । आप कितनी गंदी बातें करते हो। कोई ऐसा भी बोलता है भला? भाई सब क्या बोले?

राजीव: वो बोला कि प्यासे को पानी देना पुण्य का काम है। हम दोनों प्यासे हैं और अपनी अपनी प्यास बुझा लिए तो उसने बुराई क्या है।

सरला उसकी जाँघ पर हाथ रखकर: आप किसी और को तो नहीं बताएँगे ना?

राजीव उसके हाथ को सहलाया और फिर उसके हाथ को उठाकर अपने लौड़े के ऊपर रखकर बोला: जानू, बस तुम इसकी प्यास बुझाती रहो, बाक़ी जो तुम चाहोगी, सब हो जाएगा।

सरला ने प्यार से लौड़े को पैंट के ऊपर से दबाकर कहा: मैंने कभी मना किया है। आप जब कहेंगे हाज़िर हो जाऊँगी।

राजीव ने भी हाथ बढ़ाकर उसकी साड़ी के ऊपर से बुर को दबाकर कहा: सच आज का मज़ा हमेशा याद रहेगा। क्या मस्त बुर और गाँड़ है तुम्हारी। चूसती भी बहुत बढ़िया हो। श्याम की ट्रेनिंग पक्की है।

सरला: चूसना तो मैंने शादी के पहले ही सीख लिया था ।

राजीव: सच मे ? कौन था?

सरला हंस कर : अगली बार मिलूँगी तो बताऊँगी। चलिए आप हाथ हटाइए नहीं तो साड़ी भी गीली हो जाएगी।

राजीव: क्यों पैंटी तो पहनी हो? पेटिकोट भी है।

सरला: आपके छूने से बाढ़ आ जाती है वहाँ। बस अब हाथ हटायिए। यह कहकर वह अपना हाथ भी उसके पैंट से हटा लेती है।

बस अड्डे पहुँचकर राजीव बोला: अरे पैंट में लौड़ा अजस्ट करना पड़ेगा , ये तो एकदम खड़ा हो गया है।

सरला हँसते हुए बाहर आ गयी और राजीव भी पैंट ठीक करके बाहर आया।

फिर वह उसको बस पर चढ़ाकर वापस घर को चला गया।

शाम को रानी आइ तो वह अभी भी नींद में था। रानी चाय बनाकर लाई । राजीव फ़्रेश होकर सोफ़े पर बैठा था। उसने रानी को गोद में खींचकर कहा: और पिरीयड तो नहीं आया।

रानी: नहीं अभी तक नहीं आया।

राजीव : भगवान ने चाहा तो आएगा भी नहीं।

राजीव उसके पेट को सहलाते हुए उसकी चूचि दबाने लगा।
रानी: आऽऽऽह क्या कर रहे हैं। समधन को नहीं चोद पाए क्या? जो मेरे पीछे पड़े हो।

राजीव: अरे उसकी तो तीनों छेद का मज़ा के लिया। वो तो ४५ साल की है और तू तो अभी भी जवान है मेरी जान। ये कहते हुए उसने उसकी सलवार के ऊपर से उसकी बुर दबा दी।

रानी: आऽऽह तीन बार झड़ने के बाद अभी भी गरम हो रहे हैं। आप आदमी हो या राक्षश ?

राजीव: वो मेरी समधन जाते जाते भी मेरा लौड़ा गरम कर गई है , अब तुम ही उसे ठण्डा कर दो।

रानी मुस्कुरा कर बोली: मैं तो इसको शांत करने को हमेशा तय्यार हूँ। ये कहते हुए उसने अपनी गाँड़ उठायी और लौड़े को दबा दिया।

राजीव मुस्कुरा कर उसकी सलवार खोल दिया और उसने पैंटी भी निकाल दी। राजीव उसको अपने सामने खड़ा करके उसकी बुर को चाटने लगा । वह जल्दी ही गरम होकर हाऽऽऽय्यय करने लगी। अब राजीव ने बैठे हुए अपनी पैंट और चड्डी उतार करके नीचे खिसका दी। उसने रानी को खींचकर अपने लौड़े को चूसने का इशारा किया। वह अब उसके पैरों के बीच घुटने के बल बैठ कर उसका लौड़ा चूसने लगी। अब राजीव ने उसको अपनी गोद में खींच कर उसकी टांगों को अपनी गोद के दोनों ओर किया और रानी ने भी अपनी गाँड़ उठाकर अपनी बुर के मुँह में लौड़े को रखा और धीरे से उसपर बैठने लगी। अब वह पूरा नीचे होकर उसका मोटा लौड़ा अपनी बुर में निगल चुकी थी।

राजीव ने उसके दोनों चूतरों को पकड़ा और उसकी कमर को उछालकर अपने लौड़े पर दबाकर चुदाई करने लगा। रानी भी हाऽऽऽऽय करके अपनी गाँड़ उछालकर उसके लौड़े पर ऊपर नीचे हो रही थी। राजीव ने अपनी एक ऊँगली में थूक लगाया और उसकी गाँड़ में डाल दिया। वह आऽऽऽऽऽऽह कर उठी और भी ज़ोर ज़ोर से चुदाई करने लगी। उसकी टाइट बुर में उसका मोटा लौड़ा जैसे फँस सा रहा था। राजीव ने महसूस किया कि जवान बुर आख़िर जवान ही होती है। सच में रानी की बुर सरला की बुर से बहुत टाइट थी। वह अब मस्ती से नीचे से धक्के मारने लगा और रानी की सिसकारियाँ निकलने लगीं। वह अब कुर्ते को उठाकर उसकी चूचियाँ भी ब्रा के अंदर हाथ डाल कर मसलने लगा था। उसके निपल्ज़ भी तन गए थे जिसे उसने मसल कर रानी को मस्ती से भर दिया।

वह उइइइइइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽऽऽऽ करके झड़ने लगी।
राजीव भी अपना लौड़ा उछालकर उसकी बुर में झड़ गया। अब रानी जब उसके लौड़े के ऊपर से उठी तो उसकी जाँघों से उसका और राजीव का काम रस बह रहा था।

अब दोनों फ़्रेश होकर बैठे तो रानी ने सरला की चुदाई की पूरी कहानी सुनी और हँसकर बोली: आप भी एक दिन में बिचारि का कोई छेद नहीं छोड़े। सभी में लौड़ा पेल दिए।

राजीव भी कमीनी हँसी हँसने लगा। उस दिन और कुछ ख़ास नहीं हुआ।

रात को राजीव ने महक से बात की फ़ोन पर शिवा के सामने। वह बोली: पापा मैं शादी में पक्का आऊँगी। सगाई में मुझे माफ़ कर दो।

शिवा: ठीक है दीदी शादी में ख़ूब मस्ती करेंगे। जीजा जी को भी ले आओ ना।

महक: वो नहीं आ पाएँगे। लो पापा उनसे बात करो।

राज ( महक का पति) : नमस्ते पापा जी, सच में मुझे छुट्टी नहीं मिल रही है। पर मैं अभी भी कोशिश कर रहा हूँ। अगर छुट्टी मिली तो मैं ज़रूर आऊँगा।

राजीव: ठीक है बेटा कोशिश करना। अच्छा अब रखता हूँ।

शिवा: पापा लगता है जीजा जी भी आ ही जाएँगे।

राजीव: उसका पक्का नहीं है।पर हमारी दुलारि बेटी तो आएगी ही।

तभी उसकी निगाह एक ग्रूप फ़ोटो पर पड़ी जिसमें सविता अपने दोनों बच्चों के साथ थी। उस फ़ोटो में शिवा बहुत शांत दिख रहा था और महक बहुत चुलबुली दिख रही थी। महक की बड़ी बड़ी छातियाँ टी शर्ट में जैसे फटी जा रही थी। राजीव को अपने लौड़े में थोड़ी सी अकड़न महसूस हुई पर उसने अपने सिर को झटका और अपने आप पर कंट्रोल करके सोने चला गया।

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04-09-2017, 03:04 PM,
#25
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
अगले कुछ दिनों में सब सगाई की तय्यारी में व्यस्त रहे। शिवा और मालिनी प्यारी प्यारी बातें करते रहते। उधर राजीव सरला से गंदी बातें करता रहता। रानी की चुदाई चालू थी और आख़िर एक दिन रानी बोली: साहब , एक महीने से ऊपर हो गया है मेरे पिरीयड को आए हुए।

राजीव: ओह बढ़िया, चलो मैं अभी मेडिकल स्टोर से प्रेग्नन्सी टेस्टिंग की किट लेकर आता हूँ। यह कहकर वो किट लेने गया और लेकर वापस आया। वो रानी को समझाने की कोशिश किया कि उसको कैसे उपयोग करना है, पर रानी परेशान होकर बोली: मुझे समझ नहीं आ रहा है।

राजीव: अच्छा चलो बाथरूम में चलते हैं। वहाँ पहुँचकर वह उसको सलवार और पैंटी खोलने को बोला। वह दोनों खोल दी और कमर के नीचे नंगी हो गयी। अब वह उसको नीचे बैठ कर मूतने को बोला और किट की स्ट्रिप हाथ में ले लिया और उसके सामने ख़ुद भी बैठ गया ।वह सी सी की आवाज़ के साथ मूतने लगी और राजीव ने स्ट्रिप को उसके पिशाब की धार के सामने रखा। अब राजीव ने देखा कि स्ट्रिप गीली हो गयी है और उसका हाथ भी पेशाब से गीला हो चुका था। उसने खड़ा होकर स्ट्रिप को ध्यान से देखा। थोड़ी ही देर में स्ट्रिप ने रंग बदला और राजीव मुस्कुरा उठा। अब वह अपना हाथ धोया और कमर से नीचे नंगी खड़ी रानी को गोद में उठाकर चूमने लगा।

फिर वह उसे बिस्तर पर लिटाया और बोला: रानी तू प्रेगनेनेट हो गयी मेरी जान। यह कहकर वह उसे बेतहाशा चूमने लगा।

रानी भी ख़ुशी के मारे उससे लिपट गयी और उसको चूमते हुए बोली: साहब, आपने अपना वादा निभा दिया और मुझे एक महीने ही में गर्भ से कर दिया। मैं ये आपका अहसान कभी नहीं भूल पाऊँगी। अब रानी उठी और उसका पजामा खोल दिया और चड्डी नीचे करके उसके नरम सोए हुए लौड़े पर चुंबनों की बरसात कर दी। फिर नीचे जाकर उसके बड़े बॉल्ज़ को भी चूमे जा रही थी। फिर वह बोली: सच में मेरा तो जीवन ही आपने बचा लिया। अब वह मेरी कुतिया सास मुझे ताना नहीं दे सकेगी। मेरा पति भी बहुत ख़ुश होगा। यह कहकर वह फिर लौड़े और बॉल्ज़ को चूमने लगी।

राजीव उसे खींच कर अपने गले से लगा लिया और बिस्तर से उठके अपना पजामा पहना और फिर किचन से मिठाई लाया और रानी को अपनी गोद में बिठाकर खिलाया और ख़ुद भी खाया। थोड़ी देर तक उसने रानी को चूमा और प्यार किया । फिर वह उठकर तिजोरी खोला और उसमें से सोने की एक चेन निकाल कर रानी को अपनी गोद में बिठाकर उसके गले में पहना दिया और बोला: रानी, मेरी तरफ़ से गर्भ वति होने की बधाई और उपहार।

रानी की आँख में आँसू आ गए , वह बोली: माँ भी बनाया और उपहार भी दे दिया। आप कितने अच्छें हैं।

राजीव उसकी चूचि दबाकर बोला: देखो वैसे मैं हूँ तो कमीना पर इन बातों में मेरा विश्वास है कि बच्चा तो भगवान की मर्ज़ी से ही होता है। और सच में आज मैं बहुत ख़ुश हूँ।

उस दिन रानी बड़े देर तक चुदवाइ और उसके जाने के बाद राजीव सोचने लगा कि अभी भी इस उम्र में मर्दानगी है मुझमें। और वो मुस्कुरा उठा और अपने लौड़े पर हाथ फेर कर अपनी ख़ुशी को महसूस करने लगा।

सगाई के एक दिन पहले सरला का फ़ोन आया : कैसे है आप?

राजीव: बस तुम्हारे ख़यालों में गुम हूँ।

सरला: यहाँ मेरी जान निकले जा रही है और आप हैं कि बस मस्ती कर रहे हैं।

राजीव: अरे मुझे बताओ ना क्या समस्या है।

सरला: बस सहमी हुई हूँ कि सब कुछ ठीक से हो जाए।

राजीव: अरे घर की ही बात है, अगर कुछ गड़बड़ हो भी गयी तो तुम सब तो अपने ही हो। चिंता छोड़ो।

सरला: यह कह कर आपने मेरा बोझ कम कर दिया ।

राजीव: तो कल तुम सब कितने बजे आ जाओगे?

सरला: हम सब दो कार से करीब ६ बजे शाम को होटेल रॉयल में पहुँचेंगे। आप वहाँ कितने बजे पहूँचोगे?

राजीव: हम लोग एक घंटे पहले पहुँच कर पूरा इंतज़ाम चेक कर लेंगे। हमारे तरफ़ से हमने क़रीब १० परिवारों को बुलाया है। और तुम लोग भी क़रीब १० लोग होगे तो एक अच्छा सा पारिवारिक महोल में सगाई की रस्म हो जाएगी।

सरला: ठीक है बस सब कुछ बढ़िया से हो जाए।

राजीव: सब बढ़िया ही होगा। मैंने दो कमरे भी होटेल में बुक किए हैं। एक में दारू पार्टी होगी, सगाई के बाद और दूसरा कमरे में मैं और तुम मस्ती करेंगे।

सरला: आप भी ना, मस्ती फिर कभी कर लीजिएगा। बस सगाई अच्छी तरह से हो जाए। और हाँ आपने वो सेट जो पोलिश करके भिजवाया था मालिनी को बहुत पसंद आया है।

राजीव: अरे अब सब कुछ तो बच्चों का ही है। चलो कल मिलते है। बहुत दिन हो गए तुमको देखे हुए।

राजीव ने फ़ोन काटकर श्याम को लगाया। वो बोला: हाय श्याम क्या हाल है? उसने उसे भाई सांब बोलना बन्द कर दिया था।

श्याम: बढ़िया है , बस सगाई की तय्यारी में लगे हैं।

राजीव: यार मैंने कल दारू और सरला की चुदाई का भी इंतज़ाम किया है। ठीक है ना?

सरला: दारू तो सही है, पर सबकी मौजूदगी में चुदाई कैसे करोगे?

राजीव: मैंने प्लान बनाया है। मिलने पर बताऊँगा।

अगले दिन सगाई थी। राजीव ने सारा समान सूट्केस में पैक किया और शिवा और रानी को लेकर होटेल पहुँचा। वहाँ होटेल वालों ने सभी तय्यारियाँ पूरी कर रखीं थीं। वह रानी को सामान का ध्यान रखने को बोलकर बाक़ी का इंतज़ाम चेक करने लगा और पंडित को भी फ़ोन कर दिया।

ठीक समय पर श्याम , सरला, मालिनी , उसका भाई और श्याम की बीवी और दो बच्चे जो की नौकरी करते थे वहाँ पहुँच गए। सब एक दूसरे से मिले। फिर शिवा के दोस्त और उनके पारिवारिक मित्र भी आ गए। राजीव सरला से मिला और उसे बधाई दिया। आज वह गुलाबी रंग की एक बहुत सुंदर साड़ी में थी जो कि उसकी दुकान से ही ली थी। उसने कान में वो ear rings भी पहने थे ज़ो राजीव ने उसे उपहार में दिए थे। मालिनी भी बहुत सुंदर लग रही थी और उसने भी राजीव के दिए हुए ज़ेवर ही पहने थे और साड़ी भी शिवा की भेंट की हुई पहनी थी।

राजीव ने ध्यान दिया कि सच में आज दोनों माँ बेटी बहुत सुंदर लग रहीं थीं।

वो श्याम से बोला: यार आज सरला तो मस्त दिख रही है।

श्याम: सगाई पर ध्यान दो भाई मेरे।

राजीव: जब इतनी सुंदर चीज़ हो तो साला ध्यान तो भटकेगा ही ना? देखो क्या मस्त पिछवाड़ा है साला मेरा तो खड़ा होने लगा है।

श्याम: चलो अभी सगाई पूरी करते हैं। ये सब बाद में देखेंगे।

राजीव: ठीक है यार यही सही।

सगाई की रीति चालू हुई। पंडित ने मंत्र पढ़े और छोटा सा हवन हुआ। फिर शिवा और मालिनी ने एक दूसरे को अँगूठी पहनाई। सबने तालियाँ बजाईं और अब वो दोनों सबसे आशीर्वाद लेने लगे। राजीव के जब वो दोनों पैर छुए तो उसने उन दोनों की पीठ पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया। तभी राजीव का हाथ मालिनी की ब्रा के स्ट्रैप पर पड़ा और वह सोचा कि ३४ की ब्रा है। फिर जब मालिनी उठने लगी तो वह झाँककर अन्दाज़ लगाने की कोशिश किया कि दूध सच में ३४ साइज़ के हैं क्या। और उसको साड़ी के साइड से उसके ब्लाउस में कसे दूध दिखे और वो सरला की बात से सहमत हो गया कि साइज़ तो वही है। पर क्या बिना चुदवाए उसके इतने बड़े हो गए हैं? फिर उसने अपने सिर को झटका दिया और सबको बधाइयाँ देने लगा। चाय नाश्ता के बाद सब मेहमान चले गए ख़ाली शिवा का एक दोस्त और उसकी बहन वहाँ रह गए। राजीव ने रानी को भी मिठाई और कुछ पैसा दिया और ऑटो से घर जाने को कह दिया।

अब राजीव ने सबको एक सुईट में आने को बोला। वहाँ होटेल के कमरे में कुर्सियाँ और सोफ़े लगे थे। वहाँ बग़ल के कमरे से खाने और पीने का इंतज़ाम किया हुआ था। सब लोग बैठ गए । श्याम और सरला का परिवार और राजीव और शिवा का दोस्त और उसकी बहन ही थे।

वेटर्ज़ ने सबको ड्रिंक्स दिया। किसी ने कोल्ड ड्रिंक लिया और किसी ने वाइन और किसी ने विस्की। श्याम और राजीव विस्की लिए । श्याम के बेटे और बेटी ने वाइन ली और उन दोनों ने सरला को भी वाइन का ग्लास पकड़ा दिया। मालिनी और शिवा ने कोल्ड ड्रिंक लिया। शिवा के दोस्त और उसकी बहन ने भी कोल्ड ड्रिंक लिया। स्नैक्स सर्व हो रहे थे और हँसी मज़ाक़ चल रहा था। राजीव की नज़र बार बार शिवा के दोस्त की बहन पर थी। वह क़रीब १८ साल की थी और उसने मिनी स्कर्ट और टॉप पहना था और बहुत सेक्सी थी।
राजीव उठकर दूसरे कमरे में गया और वेटर को बोला: वो जो लड़का और लड़की एक साथ बैठे हैं उनकी कोल्ड ड्रिंक में विस्की मिला दो और कम से कम दो गिलास पिला दो।

इधर सरला और श्याम के बेटा और बेटी वाइन पीकर बहकने लगे थे। और जल्दी ही शिवा का दोस्त प्रकाश और उसकी बहन रीमा भी नशे में झूमने लगे। अब राजीव ने शिवा और मालिनी से कहा: बेटा तुम दोनों मेरी कार ले कर जाओ और एक दूसरे को और अच्छी तरह से जानो। वो दोनों ख़ुश होकर चले गए।

अब राजीव उठकर रीमा के बग़ल में बैठा और उससे सामान्य बातें करने लगा। वह ११ वीं में पढ़ती थी। जल्दी ही वह उसके जाँघ पर हाथ रखा और वह भी नशे के कारण मज़े में थी। राजीव ने म्यूज़िक बजवाया और सब झूमने लगे। जल्दी ही प्रकाश सोफ़े पर लुढ़क गया। अब राजीव ने देखा कि सरला और श्याम भी नाच रहे थे। उधर श्याम के बच्चे भी नशे में लुढ़क रहे थे। राजीव ने श्याम और सरला को कहा: चलो दूसरे कमरे में चलते हैं। और रीमा को भी क़रीब घसीटते हुए अपना सहारा देकर पास के कमरे में ले गया। अब चारों एक कमरे में थे और राजीव ने रीमा को बिस्तर पर लिटाया और उसके ऊपर आकर उसे चूमने लगा। बेचारी मासूम लड़की नशे में थी उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। तभी उसने उसका टॉप ऊपर किया और ब्रा के अंदर हाथ डालके उसकी छोटी सी चूचियाँ बाहर की और आधे बने छोटे से निपल्ज़ को चूसने और मसलने लगा।

श्याम और सरला आँखें फाड़े उसकी हरकत देख रहे थे। फिर वह नीचे आकर उसका स्कर्ट ऊपर किया और उसकी गोरी जाँघों को चूमते हुए उसकी पैंटी नीचे कर दिया। अब उसके सामने काले और भूरे रोयों वाली मासूम से बुर थी। वह पागल होकर उसे चूसने लगा। अब रीमा भी हाऽऽयय्यय करने लगी और वह चूसता ही चला गया और रीमा हाय्ह्य्य्य्य्यू कहकर झड़ने लगी। फिर उसने एक उँगली उसकी टाइट बुर में डाली और बोला: आऽऽऽह ये तो कुँवारी है। वह अपना लौड़ा बाहर निकाल लिया और उसको मसलने लगा।

अब सरला बोली: आप अभी इसको वापस कमरे में छोड़ कर आओ। बहुत छोटी है यह, आपके ऊपर रेप का केस बनेगा। वह आपका मोटा वाला नहीं ले पाएगी। फट जाएगी उसकी। ये कहते हुए उसने क़रीब ज़बरदस्ती उसका हाथ उसकी बुर से हटाया। फिर वह लड़की को सहारा देकर उठायी और उसके कपड़े ठीक कर के दूसरे कमरे में छोड़ कर वापस आइ।

अब भी राजीव कमर के नीचे नंगा था और श्याम को बोल रहा था: क्या यार इस सरला ने सारा मज़ा ख़राब कर दिया। क्या मस्त माल थी चोदने में मज़ा आ जाता।

श्याम सरला को देखकर: अरे यार सरला ने ठीक किया तुमको बचा लिया। वो बहुत ही मासूम सी बच्ची थी, फट जाती उसकी।

राजीव अपना लौड़ा हिलाकर सरला को बोला: चलो अब तुम ही इसका इलाज करो।

सरला हड़बड़ाकर श्याम को देखी और श्याम मुस्कुराया और बोला: अरे इसमें क्या शर्माना चलो शांत कर दो इसके लौड़े को। मैं बाहर जाता हूँ।

राजीव: अरे तुम क्यों बाहर जाओगे? कभी थ्रीसम नहीं किया क्या?

श्याम: नहीं यार नहीं किया।

राजीव : तो आज कर लो, बहुत मज़ा आएगा। सरला , तुमको कोई ऐतराज़ है क्या हम दोनों से एक साथ चुदवाने में?

सरला: हे भगवान। ऐसे भी कोई किसी औरत से पूछता है भला?

राजीव: इसका मतलब नहीं है। अब वह दोनों बिस्तर के पास रखे सोफ़े पर बैठी सरला के पास आते हैं। श्याम उसकी एक तरफ़ और राजीव दूसरी तरफ़ बैठ जाते हैं। राजीव उसके गाल चूमने लगता है। श्याम भी उसका दूसरा गाल चूमता है। फिर दोनों उसकी गरदन और बारी बारी से होंठ चूसते हैं।

अब राजीव उसकी साड़ी का पल्लू गिरा देता है। ब्लाउस में तने उसके विशाल दूध देखकर दोनों उसको दबाने लगते हैं। सरला भी अपना हाथ बढ़ाकर राजीव का नंगा लौड़ा सहलाती है और दूसरे हाथ से श्याम के लौड़े को भी पैंट के ऊपर से दबाती है । श्याम उसके ब्लाउस के हुक खोलता है और ब्लाउस निकाल देता है। दोनों उसकी एक एक नंगी बग़ल चाटने लगते हैं। फिर उसकी ब्रा भी निकाल कर दोनों एक एक दूध मुँह में लेकर चूसने लगते हैं। सरला आऽऽऽऽऽऽहहहह करने लगती है। राजीव और श्याम उसकी साड़ी और पेटिकोट को टांगों से ऊपर उठाकर उसकी जाँघ सहलाते है और पूरे टाइम दूध पीते रहते हैं। राजीव का पंजा उसकी पैंटी में क़ैद बुर पर पड़ता है और वह उसे दबाकर सरला की हाऽऽऽऽऽऽयययय निकाल देता है।

श्याम उसकी साड़ी खोलता है और पेटीकोट का नाड़ा खोलता है और सरला अपनी गाँड़ उठाकर पेटिकोट और पैंटी भी निकल जाने देती है। अब श्याम उसकी चूचि दबाकर चूसता है और राजीव पूरा नंगा होकर उसके सामने कारपेट पर बैठ कर उसकी टाँगें अपने कंधे पर रखता है और उसकी बुर चूसने लगता है। सरला हाय्य्य्य्य्य्य्यू मरीइइइइइइइइइइइइइ चिल्लाकर मज़े से अपनी गाँड़ उछालकर अपनी बुर उसके मुँह में दबाती है। श्याम भी खड़ा होकर पूरा नंगा हो जाता है। उसका लौंडा सामान्य ६ इंच का और थोड़ा मोटा था। सरला उसका लौड़ा चूसने लगती है। फिर राजीव अपने मुँह को और नीचे करके उसकी गाँड़ के छेद पर ले जाता है और उसकी गाँड़ को जीभ से चाटने और चोदने लगता है। सरला बेहाल होकर गूँ गूँ करती है और तभी राजीव खड़े होकर सरला को बिस्तर पर आने को कहकर ख़ुद बिस्तर पर लेट जाता है। सरला राजीव के ऊपर आकर उसके होंठ चूमने लगती है और राजीव उसके चूतरों को दबाकर उसको फैलाता है और गाँड़ में एक ऊँगली डालता है। सरला उइओइइइइइओ करती है।

राजीव: मैं बुर में डालता हूँ तुम गाँड़ में थूक लगा कर डालो।

सरला: आऽऽऽह नहीं, मेरे पर्स में क्रीम है प्लीज़ उसको लगाइए, सूखे में दर्द होता है।

अब सरला राजीव के लौंडे को चूसकर गीला करती है और उस पर बैठकर अपनी बुर खोलकर लौड़े को अंदर करती हुई उस पर बैठती चली जाती है। तब तक श्याम भी क्रीम लेकर अपने लौड़े पर मलता है और फिर दो ऊँगली में क्रीम लेकर उसकी गाँड़ के अंदर भी डाल देता है। फिर वह ऊपर आकर उसकी गाँड़ में अपना लौड़ा डालता है और दबाते हुए पूरा अंदर कर देता है। तभी उसको राजीव के लौंडे का भी अंदर ही अंदर अहसास होता है। अब सरला उछल कर अपनी बुर और गाँड़ चुदवाने लगती है। उसकी वासना अब अपनी चरम सीमा पर थी और वह उइइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽऽ और जोओओओओओओओर से चोओओओओओओओओदो आऽऽऽऽहहहह फ़ाआऽऽऽऽऽऽड़ दो। हाऽऽऽऽयय्यय कितना मज़ाआऽऽऽऽऽ आऽऽऽऽऽ रहाआऽऽऽऽऽ है चिल्ला रही थी। पलंग तोड़ चुदाई चालू थी और दोनों मर्द पूरे ज़ोर से उसकी चुदाई में लगे हुए थे। सबकी कमर बुरी तरह से हिल रही थी। कमरे में पलंग भी आवाज़ कर रहा था और वह तीनों भी सिसकारियाँ भर रहे थे। सरला की चूचियाँ उछलने से ऊपर नीचे हो रहीं थीं। उनको कभी श्याम और कभी राजीव दबाकर या चूसकर उसकी हालत और ख़राब कर दिए थे। अचानक सरला चिल्लाई: उइइइइइइइइ मैं तो गईइइइइइइइइइइ। अब श्याम और राजीव भी अपनी गति बढ़ा दिए और ह्म्म्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगे। फिर तीनों लेटकर सुस्ताने लगे।

राजीव सरला की चूची दबाते हुए: जान मज़ा आया?

सरला: आऽऽऽऽह हाँ बहुत मज़ा आया। सच मुझे पता नहीं था कि थ्रीसम में इतना आनंद आता है।

श्याम: सच यार हम दोनों का लौड़ा एक पतली सी दीवार से अलग था और मुझे लग रहा था कि वो आपस में रगड़ भी रहे थे। क्या फ़ीलिंग थी।

सरला उठी और उसकी जाँघों में सफ़ेद रस लगा हुआ था। वह फ़्रेश होकर आयी और कपड़े पहनने लगी। अब श्याम भी बाथरूम में गया और राजीव उठकर ब्लाउस और पेटिकोट पहन रही सरला के पीछे आया और उसकी चूचियाँ दबाते हुए अपना लौड़ा उसके चूतरों पर रगड़ते हुए बोला: अभी रुको ना एक राउंड और करते हैं।
तभी श्याम बाहर आया और बोला: यार देर हो जाएगी वापस भी जाना है। फिर आ जाएँगे हम दोनों।

सरला: हाँ इस बार आपके घर आएँगे और फिर हम तीनों दिन भर मस्ती करेंगे। ठीक है?

राजीव उसके होंठ चूमा और बोला: ठीक है जान जैसे तुम कहो। फिर सबने कपड़े पहने और दूसरे कमरे में पहुँचे और तभी शिवा और मालिनी भी आ गए। फिर सबको उठाया गया और सब झूमते हुए कार में आकर बैठे और सरला अपने परिवार के साथ वापस चली गयी और राजीव रीमा को सहारा देकर कार के पीछे बैठा और राकेश और शिवा सामने बैठे। शिवा कार चलाते हुए बातें कर रहा था और राजीव फिर से अधलेटि रीमा की जाँघ सहलाने लगा और उसकी बुर में पैंटी को साइड करके ऊँगली फेरने लगा। वह फिर से गीली हो गयी और आऽऽझ की आवाज़ निकालने ही वाली थी कि उसके मुँह में हाथ रखकर उसकी आवाज़ को रोकने में सफल हो गया। वह उसकी चूचि दबाकर उसकी बुर में ऊँगली करके उसको दस मिनट में फिर से झाड़ दिया। वह नींद में लग रही थी। अब राजीव ने अपने जेब से अपना विज़िटिंग कार्ड निकाला और उसके पर्स में डाल दिया।

जब उनका घर आया तो दोनों भाई बहन उतरे तब रीमा मुस्कुरा कर बोली: अंकल थैंक्स । फिर वह गाँड़ मटकाते हुए चली गयी। राजीव को समझ नहीं आया कि क्या वो होश में थी और मज़े से उसे सब कुछ करने दे रही थी। राजीव सोचने लगा कि मेरा नम्बर तो मैंने उसे दे ही दिया गई अगर चुदवाना होगा तो साली फ़ोन करेगी। अब वह अपना लौड़ा मसल कर उसकी छोटी मगर टाइट चूचियों का सोचने लगा। तभी घर आ गया।

राजीव घर में शिवा से बोला: सगाई ठीक से हो गई ना?

शिवा: जी पापा, सब बड़े ख़ुश थे। आपने दारू का चक्कर क्यों चलाया?

राजीव: अरे मेरे इकलौते बेटे की सगाई थी कोई कमी थोड़ी करनी थी। ये बताओ मालिनी और तुम्हारे में क्या रहा?

शिवा: पापा आप भी ना, बस सब नोर्मल था और हम एक दूसरे को समझने की कोशिश कर रहे थे।

राजीव: शाबाश बेटा जितना एक दूसरे को समझोगे उतनी ही शादी सफल होगी।

शिवा: जी पापा अब सोया जाए। गुड नाइट कहकर वो चला गया।

राजीव भी अपना लौड़ा दबाकर रीमा की कुँवारी जवानी का सोचकर सो गया।

पर शिवा की आँखों में नींद कहाँ थी। आज का दिन उसके लिए बहुत ख़ास था। वह याद करने लगा कि आज क्या क्या हुआ। नींद उसकी आँखों से कोसों दूर थी।

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04-09-2017, 03:05 PM,
#26
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
शिवा को नींद नहीं आ रही थी, उसकी आँखों के सामने मालिनी का चेहरा और उसका कसा हुआ बदन आ रहा था । दरअसल में शिवा एक शरीफ़ लड़का था और उसने कभी भी किसी लड़की के साथ प्यार या सेक्स नहीं किया था। आज जब उसके पापा सगाई के बाद उसे मालिनी को घुमाने को बोले, तो वह थोड़ा नर्वस सा हो गया था। पर मालिनी के सरल स्वभाव ने उसे जल्दी ही सामान्य कर दिया। वह मालिनी को कार से एक पार्क में ले गया , जहाँ उनके जैसे ही और जोड़े भी थे।

पार्क में वो दोनों एक अलग सी बेंच पर बैठे और बातें करने लगे। मालिनी उसे अपने भाई अपनी माँ और अपने स्वर्गीय पापा के बारे में बताने लगी। फिर वह अपनी पढ़ाई और अपने दोस्तों के बारे में बताई ।

तभी शिवा ने उसको टोका: क्या तुम्हारा कोई बॉय फ़्रेंड भी था?

मालिनी: नहीं कभी नहीं, इस बारे में शुरू से ही पक्के इरादे की थी कि मैं उसी से प्यार करूँगी जिससे मेरी शादी होगी। आपकी कोई गर्ल फ़्रेंड है?

शिवा: मैं भी तुम्हारी तरह सोचता हूँ। अब तुम ही मेरी गर्ल फ़्रेंड होगी। इस पर दोनों हँसने लगे। वह बोला: मालिनी जब तुम हँसती हो तो बड़ी प्यारी लगती हो।

मालिनी: इसका मतलब वैसे प्यारी नहीं लगती?

शिवा: अरे नहीं, मेरा ये मतलब नहीं था। वो दोनों फिर से हँसने लगे। तभी अचानक थोड़ी हवा चलने लगी और मौसम ख़राब होने लगा। शाम का समय था और पार्क में काफ़ी रौशनी थी। हवा चलने से मालिनी का पल्लू उड़ा और नीचे को गिर गया। शिवा की आँखें उसके कसे हुए ब्लाउस पर गयीं और वह थोड़ा सा उत्तेजित महसूस करने लगा। अब मालिनी ने अपना पल्लू ठीक किया। तभी हल्की सी बारिश होने लगी। वो दोनों भाग कर थ्रीडी दूर पर एक पेड़ के नीचे आ गए। अब पार्क ख़ाली सा हो गया था। शिवा ने मालिनी का हाथ पकड़ा और कहा: देखो मौसम भी आशिक़ाना हो रहा है।

मालिनी: सर्दी लग गयी तो छींकते रहना। तभी शिवा ने उसको अपने पास खिंचा और बोला: लगने दो सर्दी, तुम इलाज कर देना। मालिनी भी उसकी छाती पर सिर रख कर बोली: अब तो सर्दी लग ही नहीं रही।

शिवा उसकी पीठ सहलाकर बोला: अब तुम्हारे बदन की गरमी जो महसूस हो रही है।

मालिनी हँसकर: धत्त ऐसा क्यों बोले?

इसी तरह वो दोनों छोटी छोटी मीठी सी बातें कर रहे थे तभी उनको कुछ आवाज़ सुनाई पड़ी जो कुछ दूरी पर एक पेड़ के पास से आ रही थी। वो समझ गए की उस पेड़ के पीछे भी उनकी तरह एक जोड़ा है। जिस पेड़ के नीचे ये दोनों खड़े थे उसने एक बड़ी शाखा V के आकर की थी और और उसके पीछे से वो दूसरे पेड़ को देख पा रहे थे। ये कुछ अंधेरे में थे , इसलिए दूसरा जोड़ा इनको अब तक नहीं देख पा रहा था।

अब शिवा ने उस V के गैप से झाँका और सन्न रह गया। वहाँ एक क़रीब उसकी उम्र का ही एक नौजवान एक जवान लड़की का कुर्ता उठाकर उसकी ब्रा में से उसके गोल गोल संतरों को दबाकर चूस रहा था। लड़की भी उसके सिर को अपनी छाती पर दबाए जा रही थी।

मालिनी : क्या देख रहे हो?

शिवा ने उसे चुप रहने का इशारा किया और देखने को बोला: अब मालिनी भी देखी और बुरी तरह से चौक गयी। उसने शिवा को देखा जिसकी आँखें वहीं चिपकी हुई थीं। वो भी देखने लगी। अब वह लड़का नीचे बैठा और उसने उसकी सलवार खोल दी। अब वह पैंटी को नीचे किया और उसकी बुर में अपना मुँह घुसेड़ दिया। अब लड़की की हल्की सी सिसकारियाँ सुनाई पड़ने लगी।

इधर शिवा का लौड़ा भी तन गया था और उससे सटी मालिनी की जाँघ पर रगड़ रहा था। मालिनी की भी सांसें फूलने लगी थीं। अब मालिनी भी शिवा से और ज़ोर से चिपक गयी थी। शिवा के हाथ उसकी पीठ पर घूमते हुए नीचे जाकर उसकी नंगी कमर पर घुमने लगे थे। उधर वो लड़का उसके चूतरों को दबाकर उसकी बुर चाटे जा रहा था। अब वह उठा और उसने अपनी पैंट का ज़िपर खोला और अपना लौड़ा बाहर निकाल लिया। शिवा ने देखा कि सामान्य साइज़ का ही था।

अब मालिनी ने अपना मुँह घुमा लिया और शिवा से बोली: चलिए यहाँ से अब । बहुत हो गया।

शिवा उसको अपने से लपेट कर बोला: फ़्री में ट्रेनिंग मिल रही है , ले लेते हैं ना। मैंने कभी ये सब किया नहीं है। और शायद तुमने भी नहीं किया होगा।

मालिनी: शायद का क्या मतलब? मैंने सच में ऐसा कुछ नहीं किया है।

शिवा : देखो वो क्या कर रही है? अब मालिनी ने मुँह घुमाया और देखा कि अब लड़की नीचे बैठी है और उसके लौड़े को प्यार से चूस रही है। फिर उस लड़के ने लड़की को उठाया और पेड़ के सहारे से उलटा होकर झुकने को बोला। फिर वह उसके पीछे से आकर उसकी बुर में अपना लौड़ा डाला और उसकी चूचियों को दबाकर उसे चोदने लगा। वह लड़की अब आऽऽऽह और हाऽऽय्यय करके अपनी गाँड़ पीछे करके चुदवाने लगी । शिवा और मालिनी की आँखें जैसे वहाँ उसके अंदर बाहर हो रहे लौड़े पर ही चिपक गयीं।अब शिवा का हाथ मालिनी के उभरे हुए चूतरों को दबा रहा था और मालिनी की बुर भी गीली हुए जा रही थी। अब शिवा ने उसका हाथ पकड़कर अपने पैंट के ऊपर से लौड़े पर रखा और मालिनी भी उत्तेजनावश उसका विरोध ना कर उसे दबाने लगी। शिवा का एक हाथ ब्लाउस में गया और वह उसकी चूचि को हल्के से दबाने लगा। अब मालिनी भी मस्ती में आकर हाऽऽऽय्य कहकर बोली: आऽऽहाह क्या कर रहे हैं? शादी के पहले ये सब ठीक नहीं है।

तभी वहाँ वह जोड़ा फ़च फ़च की आवाज़ के साथ ज़बरदस्त चुदाई किए जा रहा था। और फिर वो लड़की चिल्लाई : उईइइइइइइइइइइइइ मैं गयीइइइइइइइइइ।
उधर लड़का भी ह्म्म्म्म्म्म्म्म आऽऽऽऽऽह करके उसकी बुर में अपना माल गिराने लगा। फिर वह उसकी छोड़कर ज़मीन में बैठ गया और उसका नरम होता लौड़ा अभी भी गीला होकर लटका सा दिख रहा था।
लड़की भी अब अपना रुमाल लेकर अपनी बुर साफ़ की और फिर झुक कर बड़े प्यार से उसका नरम लौड़ा भी साफ़ की। फिर दोनों ने अपने कपड़े पहने और एक दूसरे के होंठों को चूमा और वहाँ से चलने लगे। लड़के ने पूछा: भाभी मज़ा आया?

लड़की: तुम्हारे भय्या जो मज़ा देते हैं उसका डबल मज़ा आया। और फिर दोनों हँसते हुए पानी में भीगते हुए चले गए।

अब शिवा ने उसके होंठ को चूमा और बोला: मालिनी अब तो हम शादी करने वाले हैं तुम क्यों इतना सोचती हो?

मालिनी: मैं शादी के पहले इस सबको ग़लत समझती हूँ।यह कहते हुए उसने अपना हाथ उसके लौड़े से हटा लिया। फिर वह बोली: ये दोनों भाभी और देवर थे? है ना?

शिवा: हाँ उनकी बातों से तो ऐसा ही लगा।

मालिनी: चलो अब चलते हैं। थोड़ा भीगेंगे और क्या होगा।

शिवा उसके क़मर को सहला कर: सच कहूँ मज़ा आ गया उनकी मस्ती देख कर । क्या मज़े से चु- मतलब सेक्स किया उन्होंने। क्या हम भी इतना ही मज़ा लेंगे?

मालिनी शर्माकर: आप बहुत बेशर्म हो । मुझे नहीं पता।

शिवा: अच्छा ये बताओ कि तुम भी उतनी ही गरम ही गयी हो जितना मैं हो गया हूँ?

मालिनी: ये सब देखकर तो दिमाग़ ख़राब होता ही है। अब चलिए पानी बंद हो गया है।

शिवा ने उसके गाल को चूमा और बोला: चलो चलते हैं। अब वो वापस आने लगे, शाम के आठ बज चुके थे और वो रास्ता भूल गए। थोड़ी दूर जाने के बाद शिवा बोला: लगता है रास्ता भूल गए हैं। पानी रुक गया है , चलो किसी से पूछते हैं कि बाहर जाने का रास्ता किधर है।

मालिनी: ये सुनिए उधर से कुछ आवाज़ आ रही है, वहाँ चलते हैं। उनसे पूछते हैं रास्ता।

उस तरफ़ जाते हुए उन्होंने देखा कि उस तरफ थोड़ा अँधेरा सा था। वहीं पहुँच करके उन्होंने देखा कि आवाज़ एक बेंच में बैठे हुए दो लोगों के पास से आ रही थी। अभी वो एक पेड़ के पास ही पहुँचे थे कि उनको आवाज़ अब साफ़ सुनाई पड़ी और शिवा ने मालिनी को रोका और उसे भी पेड़ के पीछे कर लिया ।अब वो दोनों उनकी बातें सुनने लगे।

आदमी: आह बहू आज कितने दिन बाद तू मेरा लौड़ा चूस रही है। मैं तो तरस ही गया था इस सुख के लिए। ये घर में साले इतने मेहमान आ गए हैं की हमारी चुदाई भी नहीं हो पा रही है।

अब शिवा ने मालिनी को दिखाया और कहा: देखो , ऐसा लगता है कि बहू अपने ससुर का लिंग चूस रही है।

मालिनी: छी , ऐसा भी होता है क्या? मुझे तो सोच कर भी गन्दा लगता है। ससुर तो पिता समान होते हैं।
तभी वो आदमी बोला: आह चलो अब उठो और चोदने दो।

अब वो लड़की मुँह ऊपर को और उन्होंने देखा कि मस्त गोरी सुंदर जवान लड़की थी। वह अपनी सलवार उतारी और कुर्ता ऊपर करके अपनी बुर अपने ससुर के आगे करके बोली: लीजिए बाबूजी इसे थोड़ा सा प्यार कर दीजिए। अब वह उसकी बुर में अपना मुँह घुसेड़ दिया और उसके चूमने की आवाज़ साफ़ आ रही थी। शिवा के लौड़े ने फिर से अंगड़ाई लेनी शुरू की और वह मालिनी के चूतरों से उसको सटा कर वहाँ रगड़ने लगा। मालिनी का ध्यान उधर था और वह देखी कि अब उस आदमी ने उस लड़की को घुमाया और उसके चूतरों को दबाकर चूमने लगा और फिर उसने उसकी चूतरों की दरार में भी मुँह घुसा दिया और गाँड़ को चाटने लगा।
मालिनी के मुँह से फिर निकला : छी कितना गन्दा आदमी है, कोई उस जगह को भी चाटता है भला?

शिवा: हाँ सच में बड़ा अजीब लग रहा है, पर उसे तो बहुत मज़ा आ रहा है। यह कहते हुए शिवा अपने लौड़े को उसकी गाँड़ पर रगड़ कर अब उसकी चूचि सहलाने लगा। तभी वह आदमी लड़की से बोला: आओ बेटी मेरी गोद में बैठो और चुदवाओ। वह लड़की उसके लौड़े पर अपनी बुर रखकर बैठने लगी और फिर वह उछल उछल कर चुदवाने लगी। वह कुर्ते को उठा कर उसकी चूचियाँ दबाए जा रहा था। फ़च फ़च की आवाज़ें आ रही थीं और लड़की की ऊहन ऊहन उइइइइइइइ की भी आवाज़ निकाल रही थी। फिर वो बोला: आऽऽऽह बेटी क्या बुर है तेरी, चल अब उठ मैं चोदता हूँ। वह खड़ी हुई और बेंच को पकड़कर झुकी और वह पीछे से उसकी बुर में लौड़ा डालकर उसकी ज़बरदस्त चुदाई करने लगा।
शिवा ने उत्तेजना ने आकर अपना लौड़ा बाहर निकाला और उसे मालिनी की गाँड़ में साड़ी के ऊपर से रगड़ने लगा। लौड़ा उसकी गाँड़ की दरार से होकर उसकी पतली सी पैंटी के अंदर उसकी बुर को छूने लगा था। मालिनी की बुर एकदम से पनिया गयी थी। उसकी साँसे भी तेज़ चलने लगी थी।

उधर वह लड़की अब बड़बड़ा रही थी: आऽऽऽऽह और ज़ोर से हाय्य इसी मज़े के लिए मरी जा रही थी हाय्य बाऊजी क्या चोद रहे हैं। और जोओओओओओओओर से आऽऽऽऽऽऽह फ़ाआऽऽऽड़ दोओओओओओओओओ मेरीइइइइइइइइ। अब वह अपनी गाँड़ पीछे करके अपनी ओर से भी धक्का दे रही थी। फिर वो दोनों सिसकियाँ भरते हुए झड़ने लगे। शिवा भी अपने लौड़े को रगड़ते हुए अपनी मूठ मारने लगा और झड़ने लगा। उसने मालिनी की साड़ी ख़राब नहीं होने दी। मालिनी आँखें फाड़कर उसके मोटे और लम्बे लौड़े को झटके मारते हुए सफ़ेद वीर्य छोड़ते हुए देखा। मालिनी का हाथ भी अपनी बुर पर चला गया और वह वहाँ खुजा बैठी।

उधर से आवाज़ आयी। लड़की: बाऊजी आज तो आपने बहुत मज़ा दिया ,सच में तरस गयी थी ऐसी चुदाई के लिए।

ससुर: मुझे भी बहुत मज़ा आया बेटी, बस ये मेहमान जाएँ तो हमारी रेग्युलर चुदाई फिर से चालू ही जाएगी। और हाँ मेरा दोस्त नज़ीर भी तुझे याद कर रहा था।

लड़की अपने कपड़े पहनती हुई बोली: बाऊजी नज़ीर अंकल तो उस दिन मेरी चूचि दबाए थे और पैंट के ऊपर से अपना लौड़ा भी पकड़ाए थे मुझे।

ससुर: अरे बेटी वो तुमको चोदने को मरा जा रहा है। मेहमानों के जाते ही हम दोनों मिलकर तेरी चुदाई करेंगे।

लड़की: बाऊजी मुझे भी इसी दिन का इंतज़ार है। फिर वो दोनों एक दूसरे से लिपटकर चूमे और जाने लगे।

मालिनी: चलिए ये बाहर जा रहें हैं, हम इनके पीछे पीछे बाहर निकल जाएँगे। वो दोनों बाहर आकर कार ने बैठे। मालिनी: आज जो देखा, मेरा तो सिर ही घूम गया। क्या ससुर और बहू भी इतनी नीच हरकत कर सकते हैं।

शिवा: हैरानी तो मुझे भी बहुत हुई और फिर वो कमीना अपने किसी दोस्त से भी उसे चु-- मतलब करवाने के लिए बोल रहा था।

मालिनी: सच बड़ा ही कमीना आदमी था और लड़की भी उतनी ही रँडी थी, है कि नहीं?

शिवा : हाँ सच में वो भी ऐसी ही थी। बेकार सी।

मालिनी हँसकर बोली:: पर आपका तो उसको देख कर रस ही छोड़ दिया था ।बहुत पसंद आयी थी ना आपको?

शिवा: अरे नहीं , पर बहुत गरम दृश्य था ना वो। तुम भी तो अपनी वहाँ खुजा रही थी।

मालिनी शर्माकर: धत्त गंदे कहीं के । कुछ भी बोलते हैं। और ये बताइए की आपने मेरे यहाँ क्यों हाथ रखा था! वो अपनी छाती की ओर इशारा करके बोली।

शिवा: सॉरी वो सब देखकर मैं बहुत उत्तेजित हो गया था। मुझे माफ़ कर दो।

मालिनी: धत्त सॉरी क्यों बोल रहे हो। आख़िर ये हैं तो तुम्हारे ही ना। तुम इन्हें छू लिए तो क्या हुआ।

शिवा: सच तुम बहुत प्यारी हो। इसका मतलब ये मेरे हैं, यही ना? और तुमने इनको इतना बड़ा मेरे लिए ही किया है, है ना? यह कहकर उसने हाथ बढ़ाया और उसकी छाती दबा दिया।

मालिनी उसके हाथ पर अपना हाथ मारकर बोली: धत्त अभी हटाओ अपना हाथ । मैं शादी के बाद की बात कर रही थी, बदमाश कहीं के। और एक बात आज मैंने आपका वो देखा, बाप रे कितना बड़ा है? उन दोनों आदमियों से भी बड़ा है जिनको आज हमने नंगा देखा है। मुझे तो डर लग रहा है।

शिवस अरे अभी सुहाग रात में बहुत समय है, अभी से क्यों डर रही हो।

फिर दोनों हँसने लगे और तभी होटेल आ गया और वो दोनों सबके पास वापस आ गए थे और बाद में मालिनी अपने परिवार के साथ वापस अपने शहर चली गयी थी।
इधर शिवा अब अपना लौड़ा दबाया और नींद में समा गया।

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04-09-2017, 03:13 PM,
#27
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
इधर शिवा और राजीव को तो नींद आ गयी थी, पर सरला और मालिनी की आँखों से नींद अभी भी ग़ायब थी। वो तो अपने घर रात को ११ बजे ही पहुँची थीं।

सरला अपने बिस्तर पर करवट बदल रही थी। वह अभी नायटी पहनी थी। उसकी आँखों में आज की पूरी घटनाएँ घूम रही थी। वो संतुष्ट थी कि सगाई अच्छी तरह से हो गयी थी। सच में राजीव कितने अच्छें है जिनकी मदद से सब कुछ आराम से निपट गया। और फिर उसे शाम की चुदाई याद आ गयी। बहुत मज़ा आया था। सच में श्याम और राजीव ने क्या मस्त चुदायी की थी। उसका हाथ अपनी नायटी के अंदर से अपने निपल्ज़ पर चला गया और वह राजीव के मस्त लौड़े को याद करने अपना दूसरा हाथ अपनी पैंटी में डालकर अपनी बुर को सहलाने लगी।

फिर उसे राजीव की पहली चुदाई की याद आ गयी और वो उन पलों को याद करके अपनी बुर में तीन उँगलियाँ डालकर अंदर बाहर करने लगी।उसकी ऊँगली clit को भी रगड़ रही थी। अपने निपल को मसलते हुए और अपनी बुर में अंगुलियाँ चलाते हुए वह सीइइइइइइइइ आऽऽऽऽऽहहह करने लगी। फिर उसे वह पल याद आया जब श्याम उसकी गाँड़ में और राजीव उसकी बुर में अपना अपना गरम माल छोड़ रहे थे। वह अब उइइइइइइइइओओ करके अपनी गीली बुर में और ज़ोर से उँगलियाँ चलाने लगी और फिर उइइइइइइइइइइ कहकर झड़ने लगी। शांत होकर वह करवट बदली और तकिए से चिपक कर सो गयी।

उधर मालिनी का भी यही हाल था। वह आज दिन भर की बातें याद कर रही थी। उसे सगाई की वो रस्म याद आइ जब शिवा ने उसकी ऊँगली में अँगूठी पहनाई थी। उसने वह अँगूठी चूम ली जैसे वह शिवा को चूम रही हो। फिर उसे वह दृश्य याद आया जिसमें वो पार्क में बैठे हुए शिवा से मीठी बातें कर रही थी। फिर उसे अचानक देवर भाभी की चुदाई याद आयी। कैसे वो दोनों एक दूसरेमें समाए जा रहे थे। और कैसे वह लड़की उसका लिंग चूस रही थी। उसे याद आया कि वह लड़की प्यासी थी क्योंकि वह बोली थी कि उसका पति उसे वह सुख नहीं दे पाता जो उसका देवर देता है। फिर उसे अपनी माँ का चक्कर याद आया । उसे पता था कि उसकी माँ के अपने जेठ यानी की ताऊजी से सम्बंध हैं। उसने कई बार दोनों को प्यार करते देखा है। वो उन दोनों को दो बार सेक्स करते भी देख चुकी थी। शायद पापा की कमी वो ताऊजी से पूरा करती हैं। यह सब सोचकर उसकी बुर भी गीली होने लगी। वह अपनी नायटी के ऊपर से अपनी चूचियाँ दबाने लगी। तभी उसको याद आया कि कैसे शिवा ने भी उसकी चूचियाँ दबायीं थीं। अब वो गरम होने लगी और उसने अपनी नायटी सामने से खोली और अपनी ब्रा के अंदर हाथ डालकर अपनी चूचियाँ दबाने लगी और निपल्ज़ भी मसलने लगी। उसके मुँह से सीइइइइइ और हाऽऽय्य निकल रही थी।

फिर उसको याद आया किकैसे ससुर अपनी बहूके साथ लगा हुआ था। और कितनी गंदी बातें कर रहा था।
उनकी बातों से साफ़ पता चल रहा था कि ससुर और बहू का खेल कई दिनों से चला आ रहा है। और वो बहू को अपने दोस्त के साथ शेयर करने की बात भी किया जो उसको बहुत हैरान कर गयी थी। ऐसा भी कोई अपनी बहू के साथ करता है भला। फिर उस ससुर और बहू का सेक्स आ गया और वह फिर से गरम होने लगी। अब वह अपना हाथ अपनी पेंटी के अंदर लेकर अपनी बुर के साथ खेलने लगी। एक हाथ से वह बारी बारी से अपने निपल मसल रही थी और दूसरे हाथ से वह अपनी बुर में एक ऊँगली डाल कर रगड़ रही थी। उसकी आँखों के सामने बहू का अपने ससुर के लौड़े पर उछलकर चुदवाना और चिल्लाकर और ज़ोर से चोदो बोलना घूम रहा था। वह अब पूरी तरह से गीली हो चुकी बुर की clit भी रगड़ कर मस्ती से भर रही थी। अचानक उसके दिमाग़ में एक विचार आया कि क्या उसके ससुर भी उसके साथ ऐसा करेंगे? नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता। पर फिर उसे याद आया किउसने राजीव को उसकी छातियों को घूरता पाया था। पर यह सोचकर कि वो उसका वहम होगा , उसने ध्यान नहीं दिया था। पर अब उसे शक सा होने लगा। तभी उसको ध्यान आया कि आज जब वह उनके पैर छू रही थी तो वह उसकी चूचि को घूर रहे थे। उसने सोचा कि ही भगवान क्या ये भी मुझे ऐसी ही नज़र से देखते हैं? कहीं मेरे ससुर भी मेरा वही हाल तो नहीं करेंगे जैसा कि उस आदमी ने अपनी बहू का किया हुआ है।

फिर वह यह सोचकर कि शिवा के रहते शायद वह ऐसा नहीं कर पाएँगे, वो शिवा के बारे में सोचने लगी। फिर उसे याद आया कि कैसे उसने उसकी छाती सहलायी थी और उसके पिछवाड़े में अपना लिंग रगड़ा था। अब वह बहुत गरम हो चुकी थी और शिवा का बड़ा सा लिंग उसकी आँखों के सामने झूलने लगा। वह रोमांच से भरने लगी। उसकी बुर में ऊँगली अब और तेज़ी से हिल रही थी और वह अब उइइइइइइइइ हाऽऽऽय्य कर रही थी। तभी उसे याद आया कि कैसे उसके लिंग ने सफ़ेद पिचकारी छोड़ी थी गाढ़ी सी । जिस तरह से उसके लिंग ने झटके मारे थे वो याद करके वह झड़ने लगी। उसकी सिसकियाँ गूँज रही थी और वह अपनी कमर उछालकर अपनी ऊँगली के दबाव को बढ़ाकर मस्ती से झड़ी जा रही थी।
झड़ने के बाद वह भी तकिए से चिपक कर सो गयी।

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04-09-2017, 03:13 PM,
#28
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
अगले दिन सुबह रानी आयी और राजीव को चाय बना कर दी। राजीव ने रानी को कहा: आज तुम मुझसे पैसे ले लेना और डॉक्टर को दिखा देना । अब तुमको समय समय पर डॉक्टर को दिखाना होगा, समझी?

रानी: जी अच्छा दिखा दूँगी। आप ये तो बताओ कि कल सरला को ठोके कि नहीं?

राजीव हँसते हुए: अरे उसे ठोके बिना मुझे चैन कहाँ। वैसे कल उसकी मैंने और उसके जेठ दोनों ने मिलकर चुदाई की।

रानी: दोनों ने एक साथ ? हे भगवान ! आप भी ना क्या क्या करते रहते हो? वो तय्यार हो गई इसके लिए?

राजीव: अरे वो तो मस्त मज़े से चुदवाई किसी रँडी की तरह। मज़ा आ गया।

रानी: और वो रीमा का क्या चक्कर था, आप उसकी तरफ़ भी बहुत गंदी नज़रों से देख रहे थे ?

राजीव: अरे कुछ नहीं उसकी बुर चाटी और कुछ ख़ास नहीं।

रानी: एक बात बोलूँ ? नाराज़ मत होना!

राजीव: बोलो।

रानी: मैंने देखा था कि आप बहु की भी छाती को अजीब नज़रों से देख रहे थे। आपके मन में उसके लिए भी कहीं कुछ तो नहीं चल रहा?

राजीव: नहीं नहीं ऐसा कुछ नहीं है। वह असल में क्या हुआ था कि सरला ने उसकी ब्रा का साइज़ ३४ बताया था। मुझे लगा कि वह बढ़ाकर बोल रही है, इसलिए मैं चेक कर रहा था कि क्या वाक़ई उसके इतने बड़े हैं क्या। और कुछ नहीं ।

रानी: वाह जी वाह क्या ससुर हैं जो बहू की ब्रा का नाप चेक कर रहे हैं वो भी सगाई के दिन। तो क्या परिणाम निकला जाँच का?

राजीव: हाँ उसके बड़े हैं ३४ से कम नहीं होंगे।

रानी: हाथ से पकड़कर देख लेते क्या साइज़ है?

राजीव झल्लाकर उसके पिछवाड़े पर एक हल्का सा थप्पड़ लगाया और बोला: साली मेरा मज़ाक़ उड़ाती है? चल जा एक कप और चाय ला। रानी हँसती हुई अपने चूतर सहलाते हुए भाग गयी।

शिवा भी उठा और तय्यार होकर दुकान चला गया।

राजीव नहाकर सरला को फ़ोन लगाया: हाय मेरी जान कैसी हो?

सरला: ठीक हूँ, आपका बहुत धन्यवाद सगाई अच्छी तरह से हो गयी। सब कुछ बहुत बढ़िया रहा।

राजीव: हाँ सब कुछ बढ़िया था ,तुम्हारी चुदाई भी।

सरला: छि आपको तो बस एक ही बात आती है। और कल जो आप उस बच्ची रीमा के साथ करने जा रहे थे ना वो आपको हवालात की सैर करा देती।

राजीव: अरे जिसे तुम बच्ची कह रही हो वह कार में एक बार फिर से मुझे मज़ा दी। चालू चीज़ है। जल्दी ही चोदूंग़ा उसे। छोड़ो उसे, तुम बताओ तुमको तो मज़ा आया ना डबल धमाके का?

सरला हँसते हुए: इसका जवाब तो मैंने कल ही दे दिया था कि मुझे बहुत मज़ा आया।

राजीव: तो फिर कब इस मज़े को रीपीट करेंगे? एक बार फिर से वही मज़ा अपने घर पर लेंगे, प्रोग्राम बनाओ श्याम के साथ?

सरला: ठीक है बात करूँगी और बताऊँगी। शिवा कैसा है?

राजीव: ठीक है और दुकान चला गया है। मालिनी बेटी कैसी है?

सरला: वह भी ठीक है किचन में कुछ बना रही है। चलिए मैं रखती हूँ।

राजीव: अरे मेरी जान एक पप्पी तो दे दो और फिर वह एक चुम्बन की आवाज़ निकाला। उधर से सरला ने भी वही पुच्हह मी आवाज़ निकाली और फ़ोन रख दिया।

उधर मालिनी किचन में आकर खाना बनाने लगी, तभी उसको याद आया कि उसने अपने ज़ेवरों का डिब्बा तायी जी को दिया था , वो उसे वापस माँ को देना है। वह श्याम के कमरे की ओर चल पड़ी। जैसे ही वह उनके कमरे के पास पहुँची उसे माँ की आवाज़ सुनाई दी। वह हंस रही थी और धीमी आवाज़ में बात कर रही थी। उसने खिड़की से देखा कि ताऊजी ने मम्मी को अपनी बाँहों में जकड़ रखा था और उनके हाथ उनकी चूतरों पर घूम रहे थे। बग़ल में बिस्तर पर ताई जो सोई हुई थी या पता नहीं सोने का नाटक कर रहीं थीं। जब ताऊजी की उँगलियाँ उनके पिछवाड़े से होकर नीचे उनकी बुर या गाँड़ में जाने लगी तो मालिनी शर्म से वहाँ से हट गई। वह सोच रही थी कि इस उम्र में भी मम्मी को कितनी गरमी चढ़ी हुई है।

ये अच्छा ही हुआ कि मालिनी वहाँ से चली आयी वरना वो जो उनकी बातें सुन लेती तो उसका दिमाग़ ही घूम जाता।

सरला फुसफुसाकर बोली: राजीव जी का फ़ोन आया था, वह हम दोनों को फिर से बुला रहे हैं वही थ्रीसम के लिए।

श्याम उसकी चूचियाँ दबाते हुए: हाँ यार जल्दी ही प्रोग्राम बनाते है। सच बहुत मज़ा आया था कल। हैं ना?

सरला: हाँ आया तो था, पर ऐसे रोज़ रोज़ थोड़े ही जा सकते हैं? अगले हफ़्ते का प्रोग्राम बनाएँगे।

श्याम: ठीक है जैसा तुम कहो। तभी श्याम का फ़ोन बजा और सरला भी बाहर आ गयी और अपने काम में लग गयी।

उधर शिवा ने दुकान से सरला को फ़ोन किया: कैसी हो मेरी जान?

सरला: ठीक हूँ मेरे जानू , आप कैसे हैं?

शिवा: कल की सगाई का नशा अभी भी नहीं उतरा।

सरला: अच्छा सगाई का या पार्क का?

शिवा हँसते हुए: पार्क का भी नहीं उतरा। क्या लोग हैं इस दुनिया में? ससुर बहु से लगा हुआ है और देवर भाभी से।

सरला: रिश्तों का तो जैसे महत्व ही नहीं रह गया हो। यह बोलते हुए इसे थोड़ी देर पहले का माँ और ताऊजी का आलिंगन याद आ गया। वह सकपका गयी।

शिवा: मुझे तो ऐसा लगता है कि वासना इंसान को रिश्तों को भूलने के लिए मज़बूर कर देती है , तुमको क्या लगता है?

सरला: सिर्फ़ वासना नहीं कभी कभी मजबूरियाँ भी हो सकती हैं। अब जिसने जो करना है करे , हम कौन होते हैं दूसरों की ज़िंदगी का फ़ैसला करने वाले, है कि नहीं?

शिवा: सही कहा तुमने। हर कोई फ़्री है अपने जीवन के फ़ैसले लेने के लिए? जिसे जो सही लगे वह वही करेगा। चलो छोड़ो ये सब , पर कल तुम साड़ी में बहुत मस्त लग रही थी। बहुत प्यार आ रहा था तुमपर।

मालिनी हँसते हुए: तभी शायद अपने प्यार को मेरे पिछवाड़े से रगड़ रहे थे।

शिवा झेंपकर बोला: अरे वो तो ऐसे ही पार्क में वो सब देखकर मेरा दिमाग़ ख़राब हो गया था वरना मैं ऐसा करने का सोच भी नहीं सकता ।

मालिनी: कोई बात नहीं फिर क्या हुआ? अब तो मैं आपकी ही होने वाली हूँ , थोड़ी बहुत शरारत कर भी ली तो क्या हुआ? वैसे आपने एक बार मेरी छाती ज़रा ज़ोर से ही दबा दी थी, मुझे दुःख गया था।

शिवा: सॉरी वो पार्क में साला वो सब देखकर मैं ज़्यादा ही उत्तेजित हो गया था। अच्छा एक बात बताओ , मैंने सुना है कि लड़कियाँ एक दूसरे की छातियाँ दबाती है मज़ाक़ मज़ाक़ में ,ये सही है क्या?

मालिनी: सब ऐसी नहीं होतीं पर हाँ कुछ को ज़्यादा ही गरमी रहती है। मेरी भी एक दो लड़कियों ने दबाई थीं पर ज़ोर से नहीं।

शिवा: कई बार बदमाश लड़के भीड़ का फ़ायदा उठाकर दबा देते हैं, ऐसा कभी हुआ तुम्हारे साथ?

मालिनी: हाँ हुआ है जब मैं ट्रेन से उतर रही थी तो एक अधेड़ आदमी ने भीड़ का फ़ायदा उठाकर बहुत ज़ोर से दबा दिया। मैं तो मारे दर्द के रोने लगी थी। तब मेरे साथ में ताऊजी भी थे । मम्मी मुझे संभाल रही थी और ताऊजी ने उसकी बहुत पिटायी की थी। आपको बताऊँ लड़कों से ज़्यादा कमीने बड़ी उम्र के आदमी होते हैं। मेरा और मेरी सहेलियों का तो यही अनुभव है।

शिवा: ओह तुम्हारी सहेलियों के साथ भी ये हुआ है ?

मालिनी: हाँ सबके साथ कुछ ना कुछ हुआ ही है। कई सहेलियों को तो घर के आदमी भी ग़लत तरीक़े से छूते हैं।
जैसे पद्मा बता रही थी उसके मामा ही उसकी छाती और नीचे भी सहलाने की कोशिश करते हैं। वो जब छोटी थी तो उनके गोद में बैठती थी पर अब जब वो जवान हो चुकी है तब भी वो उसे अपनी गोद में बैठा लेते हैं और फिर यहाँ वहाँ छूते हैं।

शिवा: ओह ये तो बड़ी अजीब बात है। चलो दूसरों का छोड़ो और ये बताओ की मैं तुमको कैसा लगा?

मालिनी: बहुत अच्छे है आप। सच कह रही हूँ।

शिवा : और मेरा कैसा है?

मालिनी: आपका क्या कैसा है?

शिवा शरारत से हँसते हुए: हथियार और क्या?

मालिनी: छि आप बहुत बिगड़ रहे हैं। मैं आपको शरीफ़ समझती थी। कोई लड़की से ऐसे पूछता है भला?

शिवा: अरे मैं तो तुम्हारा इम्प्रेशन पूछ रहा हूँ उसके बारे में? और कुछ नहीं।

मालिनी: तो सुनिए मुझे तो वह ज़्यादा ही भयानक लगा है। और वो मेरी फाड़ ही देगा। आप ऐसा करना सुहाग रात को एक डॉक्टर बुला कर रखना क्योंकि बाद में सिलाई की ज़रूरत पड़ेगी। यह कहते हुए वह हँसने लगी और शिवा को भी हँसी आ गयी। फिर मालिनी ने आइ लव यू कहकर फ़ोन काट दिया। फिर उसे अहसास हुआ कि शिवा से बात करते करते उसकी बुर गीली हो गई थी। उधर दुकान में काउंटर के नीचे से शिवा ने भी अपना खड़ा लौड़ा अजस्ट किया। शिवा सोच रहा था कि अभी शादी में १५ दिन हैं कैसे कटेंगे ये दिन?

राजीव आज बहुत ध्यान से काम कर रहा था क्योंकि शादी में बस सिर्फ़ १५ दिन बचे थे। बहुत लिस्ट वो बना चुका था पर जब लड़की और उसके रिश्तेदारों को क्या उपहार देना है सोचा तब उसका दिमाग़ चलना बन्द हो गया। काश आज सविता होती तो कुछ भी परेशानी नहीं होती। तभी उसको अपनी बेटी का ख़याल आया और वह उसी समय उसको फ़ोन लगाया।

राज उसके दामाद ने फ़ोन उठाया: नमस्ते पापा जी।

राजीव : नमस्ते बेटा, फिर क्या प्रोग्राम बना?

राज: पापा मेरा अभी भी डांवाडोल है ओर महक की बुकिंग हो गयी है।लो महक से बात करो।

महक: नमस्ते पापा जी, मैं आऽऽऽऽऽऽ रही हूँ एक हफ़्ते में। ख़ूब मज़ा आएगा शिवा की शादी में। ख़ूब धमाल करेंगे।

राजीव: बेटी जल्दी से आओ और सब सम्भालो, तुम्हारी माँ के बिना बड़ी दिक़्क़त हो रही है। वैसे भी अपने परिवार की शायद आख़री शादी है। क्योंकि तुमने तो शायद बच्चे पैदा करने नहीं है और पता नहीं शिवा भी क्या सोचता है इस बारे में। तो मेरे जीवन में तो पोता पोती की शादी का नसीब होगा ही नहीं।

महक: क्या पापा आप क्या उलटा पुल्टा सोच रहे हैं। आप नाती पोता की शादी ज़रूर देखेंगे।

राजीव : हाँ अगर होंगे तो ही ना देखूँगा। तुम लोग अब ये फ़ैमिली प्लानिंग बंद करो मुझे नाती चाहिए समझी?

महक की आवाज़ इस बार थोड़ी सी उदास होकर आइ: ठीक है पापा। अब रखती हूँ, बाई।

राजीव ने भी बाई करके फ़ोन काटा और सोचने लगा कि महक अचानक उदास क्यों हो गयी? फिर वह ख़ुश होकर शिवा को फ़ोन कर बताया कि महक अगले हफ़्ते ही आ रही है। शिवा भी इस समाचार से ख़ुश हो गया।

तभी रानी आइ और बोली: मैंने खाना बना दिया है, आप खा लेना।

राजीव: बड़ी जल्दी है जाने की। चल जाते जाते अपनी गाँड़ दिखा कर जा।

रानी हँसने लगी और बोली: देखने से क्या होगा?

राजीव: मैंने कहा ना दिखा। वह हँसते हुए अपनी साड़ी लहंगे के साथ उठा दी और घूम गयी। अब उसकी पैंटी में क़ैद चूतर राजीव के सामने थे। वह अपना लौड़ा मसलते हुए बोला: चल पैंटी नीचे कर ताकि उनको नंगा देख सकूँ।

रानी ने मुस्कुरा कर पैंटी को नीचे किया और उसके गोल गोल चूतर उसके सामने थे। रानी का रंग गहुआं था पर चूतर काफ़ी गोरे थे।

राजीव: सामने झुक और चूतरों को फैला।

रानी ने सोफ़े का सहारा लिया और आगे झुकी और फिर हाथ पीछे करके अपने चूतरों को फैलाया। आह क्या दृश्य था उसकी सूजी हुई बुर और टाइट गाँड़ का छेद मस्त लग रहा था। वह अब अपना संयम खो दिया और अपने नीचे का हिस्सा नंगा करके अपने लौड़े को मसल कर झुकी हुई रानी के गाँड़ के सामने घुटने के बल बैठा और अपना मुँह उसकी दरार ने डाल कर उसकी बुर को चूसने लगा और जीभ से चोदने लगा।

रानी उइइइइइइइइइइ कर उठी और फिर वह अपना लौड़ा उसके मुँह के सामने किया और वो उसे भूक़े की तरह चूसने लगी। फिर वह थूक से सने लौड़े को उसकी बुर में फ़िट किया और पीछे से दबाकर उसकी चुदाई में लग गया। अब ठप ठप की आवाज़ के साथ उसकी मज़बूत जाँघें रानी के चूतरों से टकरा रही थीं और फ़च फ़च की आवाज़ भी बुर से आ रही थी।

रानी भी हाय्य्य्य्य और जोओओओओओओओओओर सेएएएएएए चोओओओओओओओदो कहकर चिल्लाई जा रही थी। अब जैसे जैसे वो अपनी चरम सीमा पर पहुँचने लगी वह उन्न्न्न्न्न्न्न्न हुन्न्न्न्न्न्न करने लगी और फिर वह अपनी जाँघों को आपस में भींचकर उसके लौड़े को जकड़ ली और राजीव भी इतना मज़ा बर्दाश्त नहीं कर पाया और वो दोनों झड़ने लगे।

रानी बाथरूम से बाहर आयी और बोली: अब जाऊँ?

राजीव ने उसे प्यार से चूमा और कहा: जाओ मेरी जान, पर डॉक्टर को शाम को ज़रूर दिखा देना और ये लो पैसे।

रानी भी उसको चूमकर पैसे लेकर चली गयी।

राजीव अब आराम करने लगा।

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04-09-2017, 03:14 PM,
#29
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
अगले दो दिन कुछ ख़ास नहीं हुआ। रानी डॉक्टर को दिखा आइ थी और टोनिक और दूसरी दवाइयाँ लेने लगी थी । राजीव दिन में एक बार उसको चोद देता था।
उस दिन राजीव नाश्ता करके रानी से शादी के कपड़े संभलवा रहा था तभी फ़ोन बजा। उसने हेलो कहा और दूसरी तरफ़ से एक लड़की की पतली सी आवाज़ आयी: हेलो, कौन बोल रहे हैं?

राजीव: मैं राजीव बोल रहा हूँ, आप कौन बोल रही हैं?

लड़की: अंकल जी मैं रीमा बोल रही हूँ।

राजीव हैरानी से फ़ोन को देखा और बोला: अरे रीमा बेटी, कैसी हो? बोलो आज हमारी याद कैसे आ गयी।

रीमा: अंकल वो आपने अपना विज़िटिंग कार्ड रख दिया था ना मेरे पर्स में , वहीं से आपका नम्बर मिला है। इसलिए फ़ोन किया है।

राजीव का लौड़ा खड़ा होने लगा। वह बोला: हाँ हाँ बेटी क्यों नहीं, बोलो क्या हाल है? आज स्कूल नहीं गयी?

रीमा: जी अंकल आज स्कूल की छुट्टी हो गयी है , हमारे प्रिन्सिपल की माता जी का निधन हो गया है।

राजीव: बेटी इस समय तुम कहाँ हो?

रीमा: जी स्कूल से बाहर आ रही हूँ।

राजीव: तो यहाँ आ जाओ हमारे घर , तुम्हें रानी बढ़िया पकोड़े खिलाएगी।

रीमा: जी मैं तो स्कूल बस से आती हूँ, मैं आपके घर कैसे आऊँगी?

राजीव: अरे बेटी ऑटो कर लो और हमारे घर तक आ जाओ। नीचे रानी खड़ी रहेगी वो पैसे दे देगी। ठीक है ना? उसने अपना लौड़ा मसलते हुए कहा।

रीमा: जी अंकल मैं आती हूँ, पर आप रानी दीदी को तो बाहर भेज दीजिएगा।

राजीव: हाँ हाँ तुम बिलकुल फ़िकर ना करो वह घर के सामने खड़ी मिलेगी पैसों के साथ। फिर उसने फ़ोन काट दिया।

रानी उसकी बात सुन रही थी , वो बोली: ये क्यों आ रही है यहाँ? पकोड़े खाने, या कुछ और खाने?

राजीव कुटिल हँसी हंस कर बोला: साली पकोड़े नहीं मेरा लौड़ा खाने आ रही है। और तुम मेरी मदद करोगी उसकी बुर फाड़ने में, समझी?

रानी: वह थोड़ी छोटी नहीं है आपके इस मोटे हथियार के लिए? उसको अपनी उम्र के लौंडों से चुदवाना चाहिए जिनके छोटे और पतले हथियार होते हैं। पता नहीं वो आपका कैसे लेगी?

राजीव: अरे बहुत प्यार से मस्त गीला करके क्रीम लगाकर लेंगे उसकी। आह देखो मेरा लौड़ा कैसे अकड़ गया है? मैंने तो उसे फ़ोन किया नहीं वो ख़ुद ही चुदवाने आ रही है तो क्या मैं उसे छोड़ दूँ?

रानी ने प्यार से उसके लौड़े को लोअर के ऊपर से सहलाया और बोली: आप ऐसा करो लूँगी पहन लो और चड्डी भी खोल दो ताकि उसको आपके लौड़े का अहसास हो जाए। वो मस्त गरम हो जाएगी।

राजीव: वाह क्या सुझाव दिया है, बल्कि अब तो मैं लूँगी में हीं रहना शुरू कर देता हूँ। चड्डी भी नहीं पहनूँगा । शाबाश क्या मस्त सेक्सी लड़की हो तुम। सोचकर ही मज़ा आ गया, जाओ लूँगी लाओ।

रानी जब लूँगी लायी तो वह नीचे से पूरा नंगा था और उसका लौड़ा ऊपर नीचे हो रहा था। रानी आकर झुकी और उसके लौड़े के टोप को चूम ली। फिर वह लूँगी डाला और उसका खूँटा लूँगी से अलग से दिख रहा था। रानी इस सेक्सी दृश्य को देखकर मुस्कुराई। तभी रीमा की मिस्ड कोल आयी। उसने जल्दी से रानी को पैसे देकर बाहर रीमा को लाने भेजा।

जब रीमा रानी के साथ अंदर आयी, तो वो सोफ़े पर अपनी गोद में एक किताब रख कर बैठा था। रीमा आकर उसे नमस्ते की और सामने वाले सोफ़े पर बैठ गयी। वह स्कर्ट और टॉप की स्कूल यूनीफ़ॉर्म में थी। उसकी गदराइ जाँघें साफ़ दिखाई पड़ रही थीं। टॉप उसकी चूचियो पर कसा हुआ था। क्या ग़ज़ब कि लौड़ियाँ थी, राजीव के लौड़े ने प्रीकम छोड़ना शुरू कर दिया।

राजीव: बेटी, बताओ क्या खाओगी? रानी बहुत अच्छे पकोड़े बनाती है।

रीमा: जी अंकल खा लूँगी।

राजीव ने रानी को पकोड़े बनाने को बोला। फिर वह उससे स्कूल की और उसकी सहेलियों की बातें करने लगा। जब उसकी बातों से वो सहज हो गयी तब वह उससे शिवा की शादी की बातें करने लगा। उसने देखा कि अब वो पूरी तरह से सहज हो चुकी थी।

तभी रानी पकोड़े की प्लेट लायी और राजीव रीमा को बोला: आओ बेटी मेरे पास बैठ जाओ, यहाँ से पकोड़े उठाने में मुश्किल नहीं होगी।

अब वह उठकर उसके पास आकर बैठ गयी। राजीव ने पकोड़े उठाए और उसे दिया। वह उसकी प्लेट से लेकर खाने लगी। तभी रानी चटनी भी लायी और राजीव एक पकोड़े में चटनी लगाकर अपने हाथ से उसके मुँह में डालने लगा। वह हँसती हुई बोली: अंकल मैं कोई बच्ची थोड़ी हूँ, जो आप मुझे ऐसे खिला रहे हैं!

राजीव हँसते हुए बोला: ये तो सच है कि तुम अब बच्ची नहीं रही पूरी जवान हो गयी हो। उस दिन होटेल में मैंने ख़ुद सब कुछ जाँच करके देख लिया था। ठीक है ना?

रीमा: अंकल उस दिन पता नहीं मुझे ऐसा लगता है कि कुछ नशा सा हो गया था। मुझे कुछ ठीक से याद नहीं है।

राजीव: होटेल का याद नहीं है पर कार का याद है क्या?

रीमा अबके शर्मा कर: हाँ वो थोड़ा थोड़ा याद है।

अब राजीव ने एक हाथ उसकी नंगी जाँघ पर रखा और उसे सहलाते हुए बोला: सच में बेटी तुम मस्त जवान हो गयी हो और अब तुमको जवानी के मज़े लूटने चाहिए।

तभी रानी चाय लायी। राजीव: रानी, बोलो तो हमारी रीमा जवान हो गयी है कि नहीं?

रानी हँसकर: हाँ जी पूरी जवान हो गयी है यह तो।

राजीव: देखो इसकी टॉप के ऊपर से इसके दूध कितने बड़े दिख रहे हैं। यह कहते हुए उसने उसकी छातियों को सहला दिया। रीमा का बदन सिहर उठा। अब वह झुका और उसकी स्कर्ट को थोड़ा सा उठाकर उसकी जाँघ सहलाने लगा। वह फिर से सिहर उठी।

रीमा: आप ये कौन सी किताब पढ़ रहे हैं अंकल जी? वह उसकी गोद में रखी किताब को देखकर बोली जो राजीव ने अपने लौड़े का कड़ापन छिपाने के लिए रखी हुआ था।

राजीव: बस बेटी ऐसी ही एक कहानी की किताब है। उसे छोड़ो , लो तुम पकोड़े खाओ। यह कहकर उसके मुँह में चटनी लगा के एक और पकोडा डाला । उसका दूसरा हाथ अब उसकी पैंटी के आसपास आ चुका था। आऽह क्या चिकनी जाँघ है, सोचकर उसके लौड़े ने फिर से एक झटका मारा और किताब भी हिल गयी। अब रानी ने ही उसकी एक चूचि दबाई और बोली: आह सच में ये जवान हो गयी है, तुम यहाँ अंकल से मज़ा लेने आयी जो ना रीमा?

रीमा शर्माकर: मैं तो बस ऐसे ही मिलने आयी हूँ।

रानी: रीमा अगर तुमको मज़ा चाहिए तो अंकल की गोद में बैठ जाओ।

राजीव: हाँ बेटी आओ मेरी गोद में बैठकर पकोड़े खाओ।

रीमा शर्माकर उसकी गोद में बैठी और फिर उछल गयी और बोली: बाप रे ये क्या चुभा?

राजीव हँसते हुए: अरे बेटी कुछ नहीं, ये तो मेरा डंडा है जो सब आदमियों के पास होता है। यह कह कर उसने अपने लौंडे को लूँगी के ऊपर से दबाकर उसे उसका अहसास कराया। वह उसे फिर से अपनी गोद में खिंचा और इस बार उसको अपने लौड़े को ऐसे दबाकर रखा ताकि वह उसकी गाँड़ में ना चुभे। बल्कि वह उसकी बुर को लम्बाई में छू जाए।

रीमा अब गरम होने लगी क्योंकि उसकी पैंटी पर उसका लौड़ा लम्बाई में पूरी तरह से रगड़ रहा था और वह अब गीली होने लगी थी। तभी राजीव ने उसकी दोनों छातियाँ अपने हाथों में ले लिया और उनको दबाकर उसे और मस्ती से भरने लगा। अब रीमा की सिसकारियाँ निकलने लगीं। उसकी कमर अपने आप हिलने लगी और पैंटी के ऊपर से वह अपनी बुर उसके लौड़े पर रगड़ने लगी। राजीव उसके गालों को चूमते हुए,उसके होंठ भी चूमने लगा।

अब रानी अपनी बुर खुजाते हुए बोली: चलिए ना इसे बिस्तर पर ले चलिए और इसकी जवानी की प्यास बुझा दीजिए। इसीलिए तो यह यहाँ आयी है।

राजीव ने उसको बच्चे की तरह गोद में उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ऊपर आकर उसके होंठ चूसते हुए उसकी चूचियाँ दबाने लगा। फिर वह बोला: बेटी, तुम्हारा कोई बोय फ़्रेंड है क्या?

रीमा: जी अंकल है।

राजीव: उसने तुम्हें चोदा है क्या, बेटी?

रीमा शर्माकर: जी हाँ कई बार।

राजीव: ये बढ़िया है कि तुम कुँवारी नहीं हो? अच्छा जब वह तुमको चोदता है तो मेरे पास क्यों आइ हो चुदवाने?

रीमा: जी उसके साथ मज़ा नहीं आता, और उस दिन आप जो मेरी नीचे वाली चूसे थे और सहलाए थे , मुझे उसमें बहुत मज़ा आया था।

अब राजीव ने अपने कपड़े उतारे और उसका लौड़ा देखकर उसकी आँखें फैल गयी। वो बोली: बाप रे इतना बड़ा? रितेश का बहुत छोटा और पतला है।

रानी: अरे ये मर्द का लौड़ा है कोई बच्चे की नूनी थोड़े है। वह उसको सहलाकर बोली।

राजीव अब झुक कर उसकी टॉप को निकाला और उसकी स्कर्ट भी उतार दिया। वाह क्या माल लग रही थी वह ब्रा और पैंटी में। वह पागल सा होकर उसके पेट को चूमने लगा फिर ऊपर जाकर उसकी ब्रा पर से चूचियाँ दबाके उसके होंठ और गाल चूमने लगा। फिर उसने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और रीमा उसे चूसने लगी। अब वो उसकी ब्रा भी निकाला और उसके मस्त संतरों को देखकर वह मज़े से चूसने लगा। अभी अधबने निपल्ज़ को चूसते हुए वह रीमा की बुर को गीला कर दिया। फिर नीचे आकर उसकी जाँघों को चूमा और चाटा। अब रीमा भी मज़े में आकर हाय्य कर उठी। अब वो उसकी पैंटी नीचे किया और उसकी हल्के काले बालों वाली बुर देखा और उसकी चुम्मियाँ लेने लगा। उसकी जीभ उसकी बुर के अंदर जाकर उसे पागल कर रही थी और वह उइइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽ कर उठी।

अब रीमा बुरी तरह गीली हो चुकी थी और अपनी कमर उछालकर अपनी वासना का प्रदर्शन कर रही थी।

रानी: लीजिए क्रीम लगा लीजिए , बहुत टाइट है , ऐसे नहीं घुसेगा। रानी उसके लौड़े पर क्रीम लगायी और फिर उसने रीमा की बुर में भी दो ऊँगली डालकर क्रीम चुपड़ा। फिर बोली: बहुत टाइट है , आराम से करिएगा।

अब राजीव ने उसकी गाँड़ के नीचे एक तकिया रखा और फिर उसकी टाँगे घुटनो से मोड़कर उनको फैलाके ऊपर कर दिया। रानी ने उसके दोनों पैर पकड़ लिए ।अब वो अपना लौड़ा हाथ में लेकर दूसरे हाथ से उसकी बुर की पुत्तियों को फैलाया। अब अपना मोटा सुपाड़ा उसकी तंग छेद पर रखा और हल्के से दबाने लगा। मोटा लौड़ा क्रीम के कारण अंदर को जैसे धँसने लगा। फिर उसने एक धक्का मारा और वह चिल्लाई: आऽऽऽऽहहहह मरीiiiiiii। उइइइइइइइइ अंकल जी निकालो नाआऽऽऽऽऽऽ आह्ह्ह्ह्ह्ज।

रीमा के चिल्लाने पर ध्यान ना देकर वह अब आख़री धक्का मारा और पूरा लौड़ा उसकी बुर में पेल दिया। रीमा अब गिड़गिड़ाने लगी: प्लीज़ निकाऽऽऽऽऽऽऽऽल लो बहुत दर्द हो रहा है। आऽऽह्ह्ह्ह्ह्ह प्लीज़ प्लीज़ ।

राजीव ने आगे होकर उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिए और वह अब गन्न्न्न्न्न्न करने लगी और फिर वह उसके निपल्ज़ को मसल कर उसकी मस्ती जगाने में लग गया। रीमा भी अब थोड़ा शांत हो गयी थी।

राजीव: बेटी, दर्द कम हुआ?

रीमा: जी अंकल, पर आपका बहुत बड़ा है ना उफ़्फ़् बहुत दुख रहा था।

राजीव: बस बेटी अब मज़ा लो , तुम नीचे से धीरे धीरे अपनी कमर हिलाओ और देखो तुमको कैसा लगता है?

रीमा वैसे ही करी और बोली: हाऽऽऽऽऽय अंकल अच्छा लग रहा है।

राजीव: फिर मैं अब चुदाई शुरू करूँ मेरी गुड़िया?

रीमा: जी अंकल करिए।

राजीव मुस्कुरा के: क्या शुरू करूँ?

रीमा शर्माकर: : चुदाई ।

अब राजीव मस्त हो गया और उसने चुदाई चालू की और उसकी कमर अब ऊपर नीचे होकर उसे मस्ती से भर रही थी। वह अब भी उसके होंठ चूस रहा था और उसके निपल्ज़ दबा रहा था। उसका पूरा बदन रीमा के बदन के ऊपर था पर वज़न उसने अपनी कुहनियों और घुटने पर के रखा था। उसके बालों से भरे विशाल चूतर ऊपर नीचे होकर रीमा की बुर में मानो आग लगा रहे थे। रानी उसके बड़े बड़े बॉल्ज़ को सहला रही थी जो कि इस चुदाई के प्रत्यक्ष दर्शी थे।

अब वो चिल्लाने लगी: उइइओइइइइइ उम्म्म्म्म्म्म्म हाऽऽऽऽऽय्यय उइइइइइइइइ ओओओओओओओओओ । और वह अब झड़ने लगी और राजीव भी उसकी टाइट बुर की जकड़न को और बर्दाश्त नहीं कर सका और उसकी बुर में अपना माल गिराने लगा। दोनों एक दूसरे से बुरी तरह से चिपक कर अपने अपने ऑर्गैज़म का आनंद लेने लगे।फिर पूक्क की आवाज़ से उसका लौड़ा बाहर आ गया। रीमा बुरी तरह से थक कर लस्त होकर पड़ी थी। रानी ने उसकी बुर की जाँच की, वहाँ उसे कुछ बूँदें ख़ून की भी वीर्य से सनी हुई दिखी। वह बोली: रीमा , आज तुम्हारी असली चुदाई हुई है , इसके पहले तुम्हारे दोस्त ने बस तुम्हारी बुर का उद्घाटन किया था , चुदाई तो आज ही हुई है।

रीमा उठी और बाथरूम से आकर बोली: आऽऽह मुझे बात दर्द हो रहा है नीचे में। चला भी नहीं जा रहा ।

रानी: पहली चुदाई में ऐसा होता है। आज घर में बहाना बना देना कि स्कूल में गिर गयी तो पैर में मोच आ गयी है, समझी?

रीमा: जी समझी। वह अब कपड़े पहन रही थी।

राजीव भी बाथरूम से बाहर आया और बोला: बेटी एक बार और हो जाए?

रीमा: नहीं अंकल मैं तो ऐसे ही दर्द के मारे मरी जा रही हूँ, अब और नहीं। फिर राजीव उसके पास आया और उसके चूतरों को सहलाया और उसकी चुम्मी लेकर बोला: बेटी जब भी चुदाई का मन हो फ़ोन कर देना, मैं सब इंतज़ाम कर दूँगा, ठीक है? और हाँ एंटी प्रेग्नन्सी पिल्ज़ खा लेना। अभी बहुत छोटी हो अभी से माँ तो नहीं बनना है ना?

रीमा: जी अभी कई दिन तक हिम्मत ही नहीं होगी। आपका यह मोटू इतना दुखाया है कि क्या बोलूँ। ये कहते हुए उसने उसके लौड़े को लूँगी के ऊपर से पकड़ कर दबा दिया। फिर बोली:और हाँ , मैं अभी माँ नहीं बनूँगी, मैं वो गोली खा रही हूँ।
राजीव हँसने लगा।

रानी उसे नीचे जाकर ऑटो में बिठा आयी और उसके पैसे भी दे दिए।

जब रानी वापस आयी तो उसके हाथ में एक बंडल था। वह बोली: लीजिए शादी के कार्ड छप कर आ गए। अब लड़कियों को चोदना छोड़िए और कार्ड बाँटिये वरना कोई भी शादी में नहीं आएगा।

राजीव: आह महक की शादी में भी सबसे परेशानी वाला काम यही था और अब शिवा की शादी में भी यही काम सबसे कष्टप्रद है।

रानी: पर कार्ड तो बाटना ही होगा ना?

राजीव: हाँ सच है, पर इसमें भी कभी कभी मज़ा मिलता है। कई घरों में अकेली औरतें रहतीं हैं , उनके साथ थोड़ी सी चूहल हो जाती है। और कभी कोई पुराना माल अकेला मिल जाए तो ठुकाई भी हो सकती है।

रानी: हे भगवान, कमसे काम कार्ड तो सही मन से बाट आओ आप। सब जगह बस एक ही जुगाड़ में रहते हैं, चुदाई की।

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04-09-2017, 03:14 PM,
#30
RE: ससुर कमीना और बहू नगीना
सरला और श्याम कार्ड बाँट कर पूरी तरह से थक चुके थे, पिछले तीन दिनों से वो कार्ड ही बाँट रहे थे।

श्याम: चलो थोड़ा आराम कर लेते हैं एक एक कॉफ़ी पी लेते हैं इस रेस्तराँ में। वो अंदर जाकर कॉफ़ी ऑर्डर करते हैं।

सरला: भाई सांब, चलो कार्ड बाटने का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। अब थोड़ी चैन की साँस के सकते हैं।

श्याम: राजीव का भी फ़ोन आया था । वह भी कार्ड बाट बाट कर पूरी तरह से थक चुका है।

सरला: उनके कार्ड बट गए?

श्याम: हाँ उनके कल ही पूरे बट गए थे। असल में वो हमको वहाँ बुला रहे हैं कल मज़े लेने के लिए। उसने सरला के हाथ को अपने हाथ में लिया और एक ऊँगली से उसकी हथेली से रगड़ कर चुदाई का सिग्नल दिया।

सरला लाल होकर : अभी उनको इसकी सूझ रही है? अब शादी को आठ दिन बचे हैं इनको मस्ती सूझ रही है। इनको बोल दो अब शादी के बाद ही प्रोग्राम बनाएँ।

श्याम: तुम ही बोल दो ना। मेरी कहाँ मानेंगे।

सरला ने राजीव को फ़ोन किया: हाय नमस्ते कैसे हैं?

राजीव: पागल हो रहा हूँ तुम्हारी याद में। बस अब आ जाओ श्याम के साथ।

सरला: क्या भाई सांब ? आप भी क्या बोल रहे हो? शादी को बस आठ दिन बचे हैं। इतना काम पड़ा है और आपको ये सब सूझ रहा है? महक बेटी कब आ रही है?

राजीव: वह परसों आ रही है, तभी तो कह रहा हूँ कि कल आ जाओ और इसके बाद और कोई मौक़ा नहीं मिलेगा।

सरला: पर यहाँ बहुत काम बचा है। दो दिनो के बाद रिश्तेदार भी आने लगेंगे। शादी के बाद प्रोग्राम जमा लीजिएगा ना प्लीज़।

राजीव: देखो सरला, अब कोई बहाना नहीं, कल आना ही होगा। अगर श्याम के पास समय नहीं है तो तुम अकेली आ जाओ।

सरला : आप भी बड़े ज़िद्दी हैं। फिर वह श्याम को बोली: आप ही समझाइए ना ये तो मान ही नहीं रहे हैं।

श्याम फ़ोन लेकर: देखो यार मन तो हमारा भी है पर टाइमिंग सही नहीं है। बहुत काम हैं यहाँ ।

राजीव: चलो ऐसा करो कल १० बजे आ जाना और खाना खा कर दो बजे वापस चले जाना। आधा दिन तो मिल ही जाएगा। अब कोई बहाना नहीं चलेगा। सरला को मनाओ।

श्याम: ठीक है भाई कल हम यहाँ से ८ बजे निकलते हैं और दो बजे तुम हमें फ़्री कर देना।

सरला: पर कल के काम ?

श्याम: चलो अब जैसे भी होगा काम चला लेंगे। ठीक है भाई, कल का पक्का।

राजीव: एक बार सरला से बात करा दो।

सरला फ़ोन पर आके: तो आपने अपनी बात मनवा ही ली?

राजीव: मेरी जान। तुम्हें चोदने को मरा जा रहा हूँ। इतना भी ना तड़पाओ ग़रीब को। आ जाओ कल और मजे से डबल चुदाई का आनंद लो। तुम कहोगी तो रानी को भी इसमे शामिल कर सकते है।

सरला: नहीं नहीं, जितने कम लोग जाने इसके बारे ने उतना ही भला है।

राजीव: ठीक है मेरी जान जैसा तुम चाहोगी वैसा ही सही। अब एक चूम्मा दे दो।

सरला: धत्त हम कोफ़ी पी रहे हैं बाहर। आप दे दो ।

राजीव: मुआ मुआ करके चुम्मी दिया। सरला ने कहा मिल गया। अब रखती हूँ।

श्याम: बड़ा ही सेक्सी आदमी है यह बंदा। कल लगता है तुम्हारी ज़ोर से चुदाई करेगा।

सरला: छी आप लोगों को गंदी बातें करने में मज़ा आता है ना? चलो अब चलें यहाँ से। सरला उठने लगी पर वह महसूस कर रही थी कि राजीव से बात करने के दौरान उसकी बुर पनियाने लगी थी और वह अपनी साड़ी ठीक करने के बहाने अपनी बुर को खुजा बैठी।

श्याम उसको बरसों से जानता था वो मुस्कुराया और बोला: लगता है खुजा रही है कल की चुदाई का सोचकर।

सरला लाल होकर: चुपचाप चलिए यहाँ से । ख़ुद तो कुछ करते नहीं और मुझे उलटा पुल्टा बोल रहें हैं।

श्याम: अरे क्या नहीं करता? अपने घर में मौक़ा ही मुश्किल से मिलता है । आज रात को आ जाना , तुम्हारी भाभी को नींद की गोली खिला दूँगा फिर मस्ती से चोदूँगा तुमको, ठीक है।

सरला: रहने दीजिए अब कल का प्रोग्राम तो बन ही गया है , आज आराम से सोते हैं, वैसे भी कार्ड बाट कर बहुत थक गयी हूँ।

श्याम: जब मैं प्रोग्राम बनाता हूँ तो तुम पीछे हट जाती हो, और मुझे ही सुनाती हो।

अब सरला हंस दी और बोली: सॉरी बाबा, ग़लती से बोल दिया। आप बहुत अच्छे हैं एंड आइ लव यु । यह कहकर उसने उसका हाथ दबा दिया।
अब दोनों घर के लिए निकल पड़े।

राजीव बहुत ख़ुश था कि सब कार्ड बट ही गए। साथ ही कल सरला और श्याम आएँगे और बहुत मज़ा लेंगे। वह अपना लौड़ा दबाकर मस्ती से भर उठा।

अगले दिन उसने रानी को बताया कि सरला और श्याम आ रहे हैं और मस्त चुदाई का प्लान है। इसलिए वह खाना बना कर १० बजे के आसपास चले जाये।

अगले दिन जब सरला ने मालिनी को बताया कि वो और श्याम उसके ससुराल जा रहे हैं तो वो हैरानी से पूछी: ऐसा क्या काम आ गया है?

सरला: बस कुछ ज़ेवर फ़ाइनल करने हैं, तेरे ससुर जी थोड़ी मदद कर देंगे । उनकी अच्छी पहचान है वहाँ। हम शाम तक वापस आ जाएँगे।

मालिनी: क्या मम्मी, ज़ेवर तो हमारे शहर में भी मिलते हैं। इसके लिए भला वहाँ जाने की क्या ज़रूरत है?

अब सरला क्या कहती अपनी बेटी से कि उसके ससुर की ज़िद के आगे उसकी नहीं चली और वह अभी उससे चुदवाने जा रही है। और तो और आज सरला ने अपनी झाँटें भी साफ़ की थी क्योंकि वो भी काफ़ी बड़ी हो गयीं थीं। वह बोली: चलो देख आते हैं, पसंद नहीं आएँगे तो नहीं लेंगें। तभी श्याम आ गया और उसकी आँखें सरला की सुंदरता देख कर चमक उठीं। आज सरला ने नाभि दर्शना साड़ी पहनी थी जो कि स्लीव्लेस ब्लाउस और उसकी छाती की गहराइयों को भी काफ़ी कुछ दिखा रहे थे। श्याम का लंड सरसरा उठा। उसके चूतरों में भी साड़ी का उठान बहुत ही मादक दिखाई दे रहा था।

जब दोनों बाहर आए और पास के बस स्टैंड के लिए चल पड़े। श्याम: आज तो बहुत मस्त माल दिख रही हो? क्या सजी हुई हो? लाल होंठों के लिपस्टिंक को तो देख कर ही मेरे खड़ा हो गया है।

सरला: अच्छा फिर शुरू हो गयी गंदी बातें।

श्याम: इसमें गन्दा क्या है, तुम दिख ही रही हो इतनी मस्त। देखो वो काली क़मीज़ में बूढ़ा तुमको कैसे देख रहा है जैसे खा ही जाएगा। देखो अब अपना लंड भी खुजाने लगा।

सरला उसको देखकर मुस्कुराती हुए बोली: आप बस भी करो ।

श्याम: अच्छा छोड़ो ये सब, बताओ झाटें साफ़ की या नहीं? परसों जब चोदा था तो साली गड़ रहीं थीं।

सरला आँख मटका कर बोली: हाँ साफ़ कर ली हैं आज सुबह नहाने के पहले।

श्याम: चलो, अच्छा किया , राजीव को चिकनी बुर पसंद है।

सरला: और आपको बालों वाली पसंद है क्या? थोड़े से भी बढ़ जाते हैं तो हल्ला मचाने लगते हैं आप।

श्याम हँसने लगा। वो बस स्टैंड पहुँच गए थे। एक बस आइ तो उसमें बहुत भीड़ थी। श्याम बोला: जाने दो और आएँगी। पर पता नहीं क्या बात थी कि सभी बसें भरी हुई ही आ रही थी। आख़िर में सरला बोली: अब जो भी बस आएगी ऊसीमे घुस जाएँगे, वरना देर हो रही है।

श्याम : ठीक है अब जो भी आएगी उसमें ही चलते हैं।

तभी एक बस आयी और श्याम भाग कर उसमें चढ़ गया और सरला भी किसी तरह जगह बना कर अंदर आ गयी। तभी भीड़ आइ और श्याम आगे को हो गया। सरला के आस पास १८/१९ साल के दो लड़के खड़े थे जो उसे घूरने लगे। सरला समझ गयी कि ये लड़के उसको आज छोड़ेंगे नहीं। एक लड़के का हाथ तो उसकी नंगी कमर पर आ भी चुका था,और दूसरा भी उसके चूतरों को छू लेता था।

तभी सरला ने देखा कि अगले स्टॉप पर एक आदमी उतरने के लिए खड़ा हुआ तो वो जल्दी से उसकी सीट पर बैठ गयी। अब उसने देखा कि उसकी बग़ल में एक क़रीब ४० साल का बंदा बैठा था जो कि उसे बड़ी ही गंदी नज़र से देख रहा था। उधर वो दोनों लड़के अब उसके सीट के साथ आ कर खड़े हो गए थे। एक लड़के ने सरला के पीठ के पास वाली रोड पकडली और उसका हाथ बार बार उसकी पीठ से टकराने लगा। दूसरा लड़का अपना अगला भाग सरला की गरदन से बार बार छुआ रहा था । अब बग़ल में बैठा आदमी भी उसकी तरफ़ सरका और दोनों की जाँघें रगड़ने लगीं।

फिर वह लड़का अपने पैंट के आगे के भाग को उसके कंधे पर चुभाने लगा। दूसरे लड़के ने अब उसकी गरदन और पीठ सहलाना शुरू किया और उसका पड़ोसी अब उसकी जाँघ सहलाने लगा। सरला एक मिनट के लिए तो ग़ुस्सा हुई फिर मन ही मन सोची की क्यों ना मज़ा लिया जाए इस परिस्थिति का भी। फिर वह रिलैक्स हो गयी और उसने इन सबको मज़ा सिखाने का सोचा। उसने अपना पल्लू ठीक करने के बहाने उसको नीचे किया और अब उसकी बड़ी बड़ी आधी नंगी छातियाँ उन तीनों के सामने थी। फिर वह पल्लू को वापस इस तरह से रखी कि उसकी एक छाती साड़ी के बाहर थी। अब वह आगे होकर सामने की सीट का रॉड पकड़ ली और अब उसकी नंगी गदराई बाँह के नीचे एक चूचि कसे ब्लाउस में फँसी हुई थी। वो लड़का जो उसके कंधे पर अपना लण्ड रगड़ रहा था , अब उसके ब्लाउस पर लण्ड रगड़ने लगा । सरला को अपनी पैंटी गीली होती महसूस हुई।
उधर दूसरा लड़का पीछे से हाथ लगाकर उसकी साड़ी के अंदर हाथ डाला और दूसरी चूचि के नंगे भाग को छुआ। पड़ोसी तो जाँघ सहला ही रहा था। अब सरला ने अपना ख़ाली हाथ अपनी छाती के पास मोड और पहले लड़के के लण्ड को पैंट के ऊपर से पकड़ लिया। अब उस लड़के की हालत ख़राब होने लगी। इस बात की उसने कल्पना नहीं की थी जो हो रहा था। अब सरला बग़ल वाले का अपनी जाँघ पर रखा हाथ पकड़ी और उसको दबाने लगी। वह भी बुरी तरह से उत्तेजित हो गया। तभी पीछे वाला लड़का उसकी चूचि दबाने लगा। अब सरला ने अपने हाथ का लंड ज़ोर ज़ोर से दबाना चालू किया और जल्दी ही वह लड़का अपना पानी छोड़ दिया और उसके पैंट के ऊपर एक धब्बा सा बन गया।

सरला मुस्कुराई और उसको पीछे को धक्का दी और फिर मुँह मोड़कर दूसरे लड़के को आगे आने का इशारा की। वह फट से आगे आया और अपना लंड उसके दूध पर दबाने लगा। सरला उसके भी पैंट के ऊपर से लंड पकड़ ली और तीन चार बार दबाने से ही वह भी झड़ गया। वह भी अब पीछे हट गया। सरला अपनी मस्ती से बहुत ख़ुश थी।

अब उसने अपने बग़ल वाले को देखा और अपनी साड़ी का पल्लू फिर से ठीक करने के बहाने अपनी एक चूची उसके सामने कर दी। वह तो आधी नंगी चूची देखकर ही बुरी तरह से उत्तेजित हो गया। अब सरला उससे सट कर बैठी और अपना साड़ी का पल्लू उसकी पैंट के ऊपर गिरा दी। अब वह अपनी साड़ी के पल्लू के नीचे से उसकी पैंट पर हाथ ले गयी और उसका लंड दबाने लगी। वह आदमी तो जैसे मस्ती के मारे उछल ही पड़ा। अब वह भी सरला की जाँघ को दबाते हुए उसकी चूचि को घूरते हुए अपनी कमर को हिलाने लगा , मानो उसके हाथ को चोद रहा हो। वह भी अब इस विकट परिस्थिति में झड़ने लगा। पैंट के ऊपर बन गए धब्बे को छुपाने जे लिए वह रुमाल निकाला और धब्बे के ऊपर रख दिया । सरला भी टिशू पेपर निकाली और अपना हाथ साफ़ की जिसने तीनों का थोड़ा सा वीर्य लगा था। फिर उसने वह किया जिसकी कल्पना भी उस आदमी ने कभी नहीं की थी। वह अपनी साड़ी के ऊपर से अपनी बुर को अच्छी तरह से खुजाई और ये करते हुए वह मुस्कुराते हुए उस आदमी की आँखों में देखती रही। उस आदमी के पैंट में फिर से तंबू बनने लगा। अबके सरला ने ऐसे मुँह फेर लिया जैसे उस आदमी का अस्तित्व ही इस दुनिया ने नहीं है। अब वह चुप चाप बैठे हुए था। सरला अपनी बिजय पर मुस्कुराई।

थोड़ी देर में श्याम आया और उतरने को बोला। सरला उठी और अपने पिछवाड़े को उस आदमी की तरफ़ करके अपनी साड़ी ठीक करने के बहाने अपनी गाँड़ अच्छी तरह से खुजाई । फिर वह मुड़कर उसे देखी तो हँसने लगी क्योंकि वह फिर से अपना लौड़ा दबाकर झड़ रहा था , उसका चेहरा इस बात की गवाही दे रहा था।

सरला और श्याम उतरे तो श्याम बोला: भीड़ बहुत थी, कोई परेशानी तो नहीं हुई।

सरला मन ही मन मुस्कुराकर बोली: नहीं मुझे तो कोई परेशानी नहीं हुई। हाँ तीन लोगों को ज़रूर हुई।

श्याम: कौन तीन लोग?

सरलाटालते हुए बोली: अरे वही जिन्होंने मुझे बैठने के लिए जगह दी।

श्याम को कुछ समझ नहीं आया और उसने भी आगे कुछ नहीं पूछा।

फिर श्याम बोला: मैंने फ़ोन किया है राजीव आता ही होगा। तभी उसे वह दिख गया। वह फिर से बोला: देखो तुम्हारा आशिक़ आ गया। क्या जींस और टी शर्ट में अपनी मसल दिखा रहा है, इस उम्र में भी।

सरला हँसने लगी और मस्ती से बोली: मसल क्या अभी तो और बहुत कुछ दिखाएगा।

श्याम चौक कर उसे देखा और सोचने लगा कि इसे क्या हुआ है, एकदम से मस्ती के मूड में आ गई है। उसे भला क्या पता था कि यह औरत अपनी मस्ती में इसलिए है कि वह अभी तीन तीन लंडों का रस निकाल कर आइ है। और ख़ुद भी अपनी पैंटी गीली कर चुकी है।

तभी राजीव आया और श्याम से गले मिला और सरला के पास आकर उसकी कमर सहला कर बोला: क्या हाल है मेरी जान। बहुत ख़ुश दिख रही हो?

सरला चहक के बोली: बिलकुल बहुत ख़ुश हूँ आपसे मिलने जो आयी हूँ। इतने दिनों के बाद आपको देखकर अच्छा लग रहा है।

राजीव: आज तो तुम एकदम चक्कू ( चाक़ू) लग रही हो मेरी जान। पता नहीं किसको किसको कटोगी।

सरला: चक्कू तो आपके पास है मेरे जानू, मैं तो बस कटने आइ हूँ।

राजीव हँसते हुए : एक चक्कू साथ में भी तो लाई हो? उसने रास्ते में काटा तो नहीं?

सरला: वह चक्कू तो मेरे पास बैठा ही नहीं था, कैसे काटता ?

श्याम: चलो अभी घर चलो , वहाँ चक्कू और ख़रबूज़ा की बातें कर लेना।

तीनों हँसते हुए कार में बैठे और घर की तरफ़ चल पड़े। सरला की बुर बहुत गरम थी और वह घर पहुँचने का इंतज़ार कर रही थी। वह अकेली पीछे बैठ कर अपनी बुर को खुजा कर थोड़ी शांत हुई।

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