Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
08-21-2019, 01:09 PM,
#61
RE: Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
थोड़ी देर बाद विमल को होश आता है और खुद को अलग करता है.

'क्या बात है मासी? इतनी परेशान क्यूँ हो? बताओ ना. बताओ किस तरह मैं आपकी परेशानी दूर कर सकता हूँ.'

'कुछ नही बेटा, तुम से इतने साल दूर रही हूँ, अब मिले हैं तो दिल भर आया है. आ अपनी माँ....सी के कलेजे से लग जा'
विमल के कानों में तो झगड़े की वो आवाज़ अभी तक गूँज रही थी. एक मर्दाना आवाज़ भी थी उसमे, तभी मासी ने उसे कमरे में नही घुसने दिया, यानी डॅड कमरे में थे और मासी के साथ ज़बरदस्ती कर रहे थे. ज़बरदस्ती का ख़याल आते ही उसे गुस्सा चढ़ जाता है और वो सुनीता को खुद से अलग करता है और उसकी आँखों में घूर्ने लगता है. विमल की आँखों की चुभन सुनीता सह सही नही जाती और वो नज़रें झुका लेती है.

विमल : क्या डॅड आपके साथ ज़बरदस्ती कर रहे थे?
सुनीता उसके सवाल से चोंक उठती है खुद को संभालती है और
'ये क्या बेहुदगि भरी बात कर रहा है तू, अपने डॅड के बारे में ऐसा बोलता है तुझे शरम नही आती.'

विमल : आती है, बहुत आती है, उन्हें अपना डॅड कहने में भी शरम आती है. अगर आप उनके साथ मर्ज़ी से होती, तो मुझे इतना दुख ना होता, पर ज़बरदस्ती मैं बर्दाश्त नही कर सकता. और मुझ से ये झूठ मत बोलो कि उस वक्त वो कमरे में नही थे. इस घर में रात के इस वक़्त दो ही आदमी हैं, मैं और डॅड, मैं बाहर था तो जाहिर है डॅड अंदर थे,तभी आपने मुझे कमरे में घुसने नही दिया.'

सुनीता : तुझे मेरी कसम, अगर इस बात का ज़िकरा तूने कभी किसी के सामने अपने मुँह से निकाला. ग़लती इंसान से ही होती है और तेरे डॅड कोई भगवान नही, जो ग़लती ना करे.

विमल देखता ही रह जाता है की मासी उसके डॅड को बचा रही है. वो अपनी नज़रें झुका लेता है.

सुनीता उसके करीब जाती है और उसे अपने सीने से लगा लेती है.

सुनीता के सीने से लग जाने पे क्यूँ विमल को अद्भूत सा सकुन मिलता है, इतना तो कभी अपनी माँ के सीने से लग कर नही मिला था. उसके दिल से बाप के लिए उठी नफ़रत गायब हो जाती है, बस सुनीता के जिस्म से उठनेवाली सुगंध उसकी नस नस में समाने लगती है. सुनीता की भी बरसों से प्यासी ममता को प्यार की छींटे मिलने लगती है, उसकी पकड़ विमल पे और सख़्त हो जाती है. थोड़ी देर बाद वो विमल को अपने सामने करती है और फिर उसके चेहरे को चुंबनो से भरने लगती है. अचानक दोनो के होंठ एक दूसरे को छू जातेहैं और वहीं रुक जाते हैं. हर तरफ एक सन्नाटा सा छा जाता है. होंठों का कंपन बढ़ जाता है और विमल के हाथ सुनीता के नितंबों पे कस कर उसे अपनी तरफ खिच लेते हैं. सुनीता के बाँहें विमल के गले से लिपट जाती हैं.
जैसे ही विमल उसे अपनी तरफ दबाता है उसका खड़ा लंड सुनीता की चूत से टकरा जाता है. दोनो कहीं और पहुँच जाते हैं . होंठ से होंठ चिपके हुए थे और जिस्म से जिस्म चिपके हुए थे.

ये अहसास दोनो को एक अंजानी मंज़िल की तरफ खींचने लगता है. होंठ बस होंठ की नर्मी महसूस करते रहते हैं उनके बीच और कोई हरकत नही होती. समा वहीं बंद हो के रह जाता है.
कितनी ही देर दोनो ऐसे ही खड़े रहे और फिर अचानक सुनीता को एक झटका लगता है और वो दुनिया में वापस आती है. झटके से खुद को विमल से अलग करती है. विमल की आँखों मे एक अजीब सी चाहत देख कर घबरा जाती है . 'नही बेटा ये ग़लत है"

कह कर दरवाजे की सिटकनी खोलती है और कमरे से बाहर निकल वहीं दीवार के सहारे खड़ी हो जाती है. उसके दिमाग़ में हथोडे बजने लगते हैं, ये क्या हो गया, अपने बेटे के साथ वो ऐसा कैसे कर सकती है, सोचते सोचते आँखें आँसू से भर जाती हैं. टाँगों में जैसे जान ही नही रहती और वो दीवार से घिसटती हुई वहीं बैठ जाती है.

विमल को भी झटका लगता है, ये क्या हुआ था, एक तड़प उसके दिल और जिस्म में भर जाती है. कितनी देर वो ऐसे ही खड़ा रहता है और फिर कमरे से बाहर निकल कर देखता है कि सुनीता वहीं दीवार के सहारे बैठी रो रही थी.

विमल उसके पास जाता है और उसके आँसू पोंछ कर उसे उठाता है. सुनीता को अब भी वो चाहत उसकी आँखों में नज़र आती है और वो हिल के रह जाती है. विमल उसे सहारा दे कर उसके कमरे तक ले जाता है.

'मासी दरवाजा अंदर से बंद कर लो' गहरी नज़रों से सुनीता को देखता है और फिर सर झुका कर अपने कमरे की तरफ बढ़ जाता है. ऐसा लग रहा था जैसे अपनी टाँगों को हुकुम दे रहा हो किसी तरह अपने कमरे तक जाने के लिए.

पत्थर की मूर्ति बनी सुनीता उसे जाता हुआ देखती रहती है और आँखों से मोती टपकते रहते हैं.

विमल किसी तरह अपने कमरे में पहुँच कर बिस्तर पे गिर पड़ता है और जो हुआ उसे सोचता रहता है. नींद किस चिड़िया का नाम है ये वो भूल चुका था.
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08-21-2019, 01:10 PM,
#62
RE: Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
कितनी देर सुनीता दरवाजे पे खड़ी रहती है और उस रास्ते को देखती रहती है जिसपे विमल चल के अपने कमरे तक गया था. खड़े खड़े जान थक जाती है , टाँगों में जब जान बाकी नही रह जाती तो दरवाजा अंदर से बंद कर बिस्तर पे लूड़क कर रोने लगती है.
रात अभी बाकी है, बात अभी बाकी है.

जिस वक़्त रमेश अपने कमरे से निकल कर सुनीता के कमरे की तरफ बढ़ा था कामया उस के पीछे लग गई थी. रमेश तो झट से सुनीता के कमरे में घुस गया, पर इससे पहले कामया आगे बढ़ती, उसने विमल को सोनी के कमरे से निकलते हुए देखा,उसके कदम वहीं रुक गई और उसने खुद को छुपा लिया. विमल जाकर सुनीता के कमरे के आगे रुक गया तो कामया की साँसे अटक गई, कहीं रमेश विमल की भी नज़रों से गिर ना जाए. फिर जो हुआ वो आप पढ़ चुके हो. अब जब सुनीता, विमल के साथ उसके कमरे में चली गई तो मरता क्या ना करता रमेश कमरे से बाहर निकला और जैसे ही नीचे जाने लगा उसके सामने कामया खड़ी हुई थी, जिसकी आँखें इस वक़्त गुस्से से लाल पड़ी थी.

रमेश ने एक पल कामया को देखा फिर नज़रें झुका कर नीचे उतर गया और कामया उसके पीछे उतरी.
दोनो जब कमरे में पहुँचे तो कामया ने पहले दरवाजा बंद किया और फिर रमेश पे बरस पड़ी.

कामया : मैं तुम्हें आख़िरी बार कह रही हूँ. सुधर जाओ अब बहुत हो चुका. बच्चे बड़े हो चुके हैं और ये बाते छुपति नही हैं.
मुझे डर लग रहा है कहीं सुनीता ने सच विमल को बता दिया तो फिर जिंदगी भर तुम उसकी शक़्ल देखने को तरस जाओगे. और ये मत भूलो, विमल के साथ मैं और दोनो लड़कियाँ भी तुम्हें छोड़ जाएँगे. हममे से कोई भी विमल के बिना नही रह सकता. सोनी और जस्सी तो बिल्कुल भी नही और मैं तो ये दिन भी कैसे काट रही हूँ जब वो हॉस्टिल जाता है, ये मुझे पता है.

रमेश कामया को अपनी बाँहों में समेटने की कोशिश करता है तो कामया उसके हाथ झटक देती है. तुम्हारी यही सज़ा है आज रात अकेले काटो कमरे में. मैं जा रही हूँ उपर, देखूं कोई समस्या तो नही खड़ी हो गई.

कामया उपर जाती है. सुनीता का कमरा अंदर से बंद था, उसे तस्सली होती है कि शायद अब सुनीता सो चुकी होगी.
फिर वो विमल के कमरे के पास जा कर देखती है, दरवाजा खुला हुआ था और विमल ज़मीन पे बैठा रो रहा था. कामया का दिल धड़क उठता है. ऐसा क्या होगया? वो कमरे के अंदर चली जाती है और दरवाजा अंदर से बंद कर देती है.

विमल के पास जा कर उसके सर पे प्यार से हाथ फेरती है.
कामया : क्या बात है विमू, ये तू नीचे बैठ के रो क्यूँ रहा है?
विमल कोई जवाब नही देता बस सुबक्ता रहता है.
कामया : ( उसके कंधे पकड़ के उसे उठाने की कोशिश करती है) चल उठ यहाँ मेरे पास उपर बैठ.
विमल उठ कर बिस्तर पे कामया के पास बैठ जाता है. गर्दन नीचे झुकी रहती है, आँखों से आँसू बह रहे होते हैं.

कामया : विमल का चेहरा उपर उठा कर - क्या बात है बेटा, अपनी माँ को नही बताएगा. आधी रात को इस तरह रो क्यूँ रहा है? क्या बात हुई है?

विमल कुछ नही कहता बस पलट कर कामया से चिपक जाता है.
कामया उसे अपने सीने से लगा लेती है और प्यार से उसके सर पे हाथ फेरने लगती है.

विमल का चेहरा कामया के स्तनों के बीच में होता है और कामया के बदन से आनेवाली खुश्बू उसकी सांसो में चढ़ने लगती है. वो अपना चेहरा कामया के स्तनों की घाटी में रगड़ने लगता है और उसके दोनो गालों पे कामया के स्तन अपनी मुलायमता के साथ चिपके होते हैं.
कामया ने नाइटी पहनी हुई थी जो कुछ सेमी ट्रॅन्स्परेंट थी और उसने अंदर ब्रा नही पहनी थी.
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08-21-2019, 01:10 PM,
#63
RE: Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
कामया उसे से बार बार पूछती है, पर विमल कोई जवाब नही देता बस अपना चेहरा उसके स्तन के साथ रगड़ता रहता है.

कामया भी ज़ोर से उसे अपने साथ चिपका लेती है और विमल अपने बाँहों का घेरा कामया की पीठ पे डाल कर उसे अपनी तरफ दबाता है.

कामया : बस बेटा रोते नही, तेरी माँ है ना तेरे पास सब ठीक कर देगी, अपने दिल की बात अपनी माँ से नही करेगा ( प्यार से उसके सर पे हाथ फेरती रहती है)

कामया और विमल दोनो के ही हिलने से विमल का मुँह कामया के निपल पे आ जाता है और उसके होंठ निपल्ल को अपने कब्ज़े में कर लेते हैं. पतली नाइटी के साथ ऐसा लग रहा था जैसे निपल सीधा उसके मुँह में समा गया है.

आह कामया सिसक पड़ती है और उसके हाथ अंजाने में विमल के सर को अपने स्तन पे दबा देते हैं. विमल का मुँह और खुल जाता है और वो कामया के स्तन को मुँह में भर के अपनी जीब चलाने लगता है.

विमल ज़ोर लगा कर कामया को बिस्तर पे लिटा देता है और ज़ोर ज़ोर से कामया के निपल को चूसने लगता है. विमल का दूसरा हाथ कामया के दूसरे स्तन को मसल्ने लगता है और वो कामया की टाँगों के बीच में आ जाता है.

कामया की चूत गीली हो चुकी थी. जैसे ही विमल का कड़ा लंड उसे छूता है उसे झटका लगता है और वो फट से विमल को अपने उपर से हटा देती है.

'नही विमू ये सब नही, माँ बेटे में ये सब नही होता.'
'मैं तुम से बहुत प्यार करता हूँ मम्मी प्लीज़ मुझे मत रोको'
'नही विमू ये नही हो सकता. मैं भी तुझ से बहुत प्यार करती हूँ. पर माँ बेटे में सेक्स नही होता.' कामया उठ के खड़ी हो जाती है और कमरे से बाहर जाने लगती है. विमल लपकता है और कामया को खींच कर अपनी बाँहों में जाकड़ लेता है.
' फिर वो क्या था मम्मी जो उस दिन से मुझे दिखा रही थी. मैं तो तुम्हें डॅड के साथ सब कुछ करते हुए देख चुका हूँ.'
'उसका एक मक़सद था जो पूरा हो चुका है. तू बस सोनी का ख़याल रख.'
'मतलब '
'मतलब तेरे और सोनी के बीच जो हुआ है मैं जानती हूँ. तुझे इसलिए वो सब दिखाया था ताकि तू करना सीख जाए और सोनी का ख़याल रख सके, मैं नही चाहती थी कि सोनी को मजबूर हो कर घर के बाहर मुँह मारना पड़े और हमारी बदनामी हो'

'मम्मी लेकिन ........'

'बस विमू ये बात सिर्फ़ तू और मैं जानते हैं, सोनी को नही पता चलना चाहिए, और अब तू मेरे करीब इतना कभी नही आएगा'

'ठीक है मम्मी, अगर मैं सच में तुम्हें प्यार करता हूँ, तू एक दिन आप खुद मेरे पास आओगी. मैं उस दिन का इंतेज़ार करूँगा.'

'वो दिन कभी नही आएगा विमू, ये बात अपने दिल से निकाल दे'

'देखते हैं मम्मी कौन जीतता है, आपका हट या मेरा प्यार.'

कामया कमरे से बाहर निकल जाती है और सोनी के कमरे में जा कर उसके साथ लेट जाती है. उसकी नींद पूरी उड़ चुकी थी.

विमल भी रात भर जागता रहता है.
ये रात सब की जिंदगी में एक कहर लेके आने वाली थी. सुनीता को नींद नही आ रही थी, उसे अपने होंठों पे विमल के होंठों का अहसास तडपा रहा था, उसके लंड की चुबन अपनी चूत में महसूस हो रही थी. बरसों से जिस बेटे से दूर रही थी वो, उसका सामीप्य उसके वजूद को हिला रहा था. बार बार अपने होंठों पे अपनी ज़ुबान फेर कर वो विमल के होंठों की छुअन को महसूस कर रही थी, जो कुछ हुआ था वो अंजाने में हुआ था पर उसका असर बहुत भयंकर हो रहा था.

उधर कामया को विमल के होंठ अपने निपल पे महसूस हो रहे थे, कितना भी वो खुद को विमल से दूर रखना चाहती थी पर ये होंठ उसे तडपा रहे थे. विमल की आँखें उसे अपने जिस्म में गढ़ती हुई महसूस हो रही थी.

जैसे ही वो सोनी के बिस्तर में लेटी , सोनी ने उसे बाँहों में भर लिया. विमल के जाने के बाद उसे नींद नही आ रही थी, उसकी चूत में आग लग चुकी थी. अपनी माँ को अपने पास पा कर उसे अपनी आग भुजाने का रास्ता मिल चुका था. सोनी जैसे ही कामया के साथ चिपकी, उसे कामया के गीले स्तन का आभास हो गया.हालाँकि माँ बेटी दोनो आपस में एक दूसरे के जिस्म के साथ खेल चुकी थी, पर अभी भी इतना नही खुली थी, इसलिए सोनी कुछ नही बोलती.

कामया ने सोनी को खुद से दूर करने की कोशिश करी, पर सोनी कहाँ मानने वाली थी, उसने कामया के होंठों से अपने होंठ चिपका दिए. सोनी के हाथ कामया के स्तन मसल्ने लगे. कामया विमल के साथ बहुत गरम हो के आई थी, इसलिए वो ना चाहते हुए भी सोनी के साथ बहने लगी.

दोनो एक दूसरे के होंठ चूसने लगती है और कपड़े जिस्म का साथ छोड़ देते हैं. ज़ुबाने जैसे एक दूसरे से युद्ध कर रही थी. जिस्मों का तापमान बढ़ने लगता है और दोनो एक दूसरे के स्तन मसल्ने लगती हैं.
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08-21-2019, 01:10 PM,
#64
RE: Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
दोनो के निपल तरसने लगते हैं होंठों में सामने के लिए. दोनो ही पोज़िशन बदलती हैं ताकि दोनो एक दूसरे का निपल चूस सके . जिस्मों की थरथराहट बढ़ जाती है. सिसकियाँ मुँह में घुटने लगती हैं.


वासना का ज्वारभाटा उठने लगता है. दोनो क़ी चूत कुलबुलाने लगती है और रिस्ते हुए अपना ध्यान रखने का इशारा करती है.
दोनो मचल उठती हैं और 69 में आ जाती हैं. एक दूसरे की चूत से बहते हुए रस को लपलपाने लगती है.


कामया एक सेकेंड में पहचान गई कि सोनी चुद चुकी है, उसकी चूत अब खिले हुए फूल की तरह थी. दोनो ने एक दूसरे की चूत को अपनी उंगलियों से खोला और अपनी ज़ुबान बीच में डाल कर ज़ुबान से चुदाई शुरू कर दी. तेज़ी से दोनो की ज़ुबान एक दूसरे को चोद रही थी और होंठों में चूत को जकड़ा हुआ था. दोनो की कमर भी देर में हिलने लगी और अपनी चूत दूसरे के मुँह पे मार ने लगी.

करीब 10 मिनट तक दोनो एक दूसरे की चूत पे कहर डालती रही और फिर दोनो ही एक साथ झड़ने लगी और कमरस के चटकारे लेने लगी. जिस्म की आग थोड़ी ठंडी हो चुकी थी.

अब सोनी फिर पलट के कामया के होंठों के पास आ कर उसे चूमने लगी , दोनो अपनी चूत का रस दूसरे के मुँह पे महसूस करते हुए एक दूसरे को चूम और चाट रही थी. और फिर एक दूसरे के साथ लूड़क पड़ी.
जब साँसे सम्भल गई तो दोनो एक दूसरे के जिस्म को सहलाते हुए नींद के आगोश में चली गई.

अगले दिन नाश्ते के बाद दोपहर को निकलने के लिए फाइनल पॅकिंग की जा रही थी, कि जस्सी के कॉलेज से फोन आता है कि स्पेशल लेक्चर्स होनेवाले हैं , बाहर से एक स्पेशलिस्ट टीम आई हुई थी. मन मार कर जस्सी हॉस्टिल के लिए निकल जाती है.


दोपहर को लंच के बाद सभी नैनीताल के लिए निकल पड़ते हैं. रमेश और कामया आगे बैठे हुए थे और रमेश ड्राइव कर रहा था. पिछली सीट पे विमल और सुनीता थे. सुनीता खिड़की के साथ सट के बैठी हुई थी और विमल दूसरी खिड़की के साथ बीच में सोनी बैठी हुई थी. सफ़र के दो घंटे बाद रमेश गाड़ी एक रेस्टोरेंट के सामने रोक देता है. सभी फ्रेश होने अंदर चले जाते हैं और फिर रमेश सब के लिए कॉफी मंगवा लेता है. सुनीता विमल के पास बैठी हुई थी उसने अपने और रमेश के बीच गॅप डाला हुआ था. रमेश बार बार सुनीता की तरफ देख रहा था पर विमल के होते हुए ज़्यादा ध्यान और गौर से नही देख पा रहा था उपर से कामया भी उससे नाराज़ थी. सोनी नोट कर रही थी कि किस तरह रमेश बार बार सुनीता को देख रहा है और उसके चेहरे पे मुस्कान आ रही थी जा रही थी. विमल चुप चाप कॉफी पीता है, वो ना तो कामया से नज़रें मिला रहा था ना ही सुनीता से.

इस बार चलते वक़्त सोनी सुनीता को अंदर बैठने को बोलती है और खुद खिड़की पे आ जाती है. अब सुनीता एक तरह से विमल के साथ चिपकी हुई थी. दोनो की जांघे आपस में रगड़ खा रही थी. सुनीता के बदन से उठती हुई खुश्बू विमल को बेकाबू कर रही थी और वो अपने जिस्म का बोझ सुनीता पे डालने लगता है.

रमेश बॅक व्यू मिरर से बार बार सुनीता पे नज़रें गाढ़े हुए था, सुनीता इससे चिड जाती है और विमल की गोद में सर रख लेती है ताकि वो रमेश को नज़र ही ना आए.

विमल को एक झटका सा लगता है और उसके हाथ सुनीता के गालों को सहलाने लगते हैं. उसका लंड खड़ा होने लगता है जो सुनीता को अपने गाल पे चूबता हुआ सा महसूस होता है, वो अपनी पोज़िशन थोड़ी चेंज कर विमल की जाँघो पे अपना सर रखती है ताकि उसके लंड से थोड़ी दूर रह सके पर उठती नही.

विमल की हालत खराब हो रही थी, उसे कुछ समझ नही आ रहा था क्या करे.
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08-21-2019, 01:10 PM,
#65
RE: Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
विमल गाड़ी रुकवाता है, बाहर जा कर पिशाब करता है और फिर सोनी की साइड में आ कर उसे अंदर होने के लिए बोलता है. सुनीता अब दूसरी खिड़की के पास हो जाती है और अब वो रमेश को नज़र नही आ सकती थी.
इंनोवा अपनी रफ़्तार से आगे बढ़ती जा रही थी , हवा में ठंडक आने लगी थी. सोनी पीछे पड़े बॅग में से शॉल्स निकालती है दो आगे देती है कामया को. रमेश गाड़ी रोक कर शॉल ओढ़ लेता है. एक शॉल वो सुनीता को देती है और एक वो विमल के उपर डाल कर खुद भी उसके साथ चिपक जाती है.

सुनीता शॉल ओढ़ कर बंद खिड़की के साथ टेक लगा लेती है और अपनी आँखें बंद कर लेती है उसे अपने चेहरे पे विमल के खड़े लंड की चुबन परेशान करती रहती है.

सोनी विमल की जाँघो पे हाथ फेरने लगती है आर सीधा उसके लन्ड़ तक पहुँच जाती है. अपने लन्ड़ पे सोनी के हाथ को महसूस कर विमल चोंक पड़ता है और नज़रें घुमा कर सुनीता की तरफ देखता है जो आँखें बंद कर के पड़ी ही थी. सुनीता के खूबसूरत चेहरे की कशिश विमल के लंड को और भी सख़्त कर देती है वो अपनी आँखें बंद कर सुनीता के साथ हुए छोटे लम्हें के चुंबन को महसूस करने लगता है. उसका लंड झटके मारने लगता है और अब पॅंट में उसे बंद रखना विमल के लिए मुश्किल हो जाता है, सोनी उसके पॅंट की ज़िप खोल कर उसके लंड को बाहर निकाल कर उसे राहत दिलाती है और अपने कोमल हाथों से उसे सहलाने लगती है.

विमल बंद आँखों में सुनीता का तस्सवुर लिए हुए सोनी को सुनीता समझने लगता है और उसे कस के अपने साथ चिपका लेता है. सोनी अपने मुँह से निकलने वाली चीख को बड़ी मुश्किल से रोकती है. विमल सोनी के स्तन को पकड़ मसल्ने लगता है और सोनी के हाथ उसके लन्ड़ पे तेज़ी से चलने लगते हैं.

रमेश एक दो बार पीछे देखता है पर कोने में दुब्कि सुनीता उसे नज़र नही आती. काफ़ी देर से वो कार चला रहा था और थक चुका था. थोड़ी दूर उसे एक अच्छा रेस्टोरेंट दिखता है तो वो कार रोक लेता है.

कार के रुकते ही विमल और सोनी को झटका लगता है और विमल बड़ी मुश्किल से अपने लंड को पॅंट में घुसाता है . विमल कार से निकल सीधा बाथरूम की तरफ भागता है उसे यूँ भागता हुआ देख कर सोनी हँसने लगती है.

कामया उससे हँसी की वजह पूछती है तो सोनी भागते हुए विमल की तरफ इशारा करती है. कामया के चेहरे पे भी हसी आ जाती है. सुनीता कुछ उदास सी लग रही थी, कामया उसके गले में बाँहें डाल कर पूछती है ' तेरा मुँह क्यूँ लटका हुआ है रमण की याद आ रही है क्या?'

अब सुनीता उसे कैसे बताती कि रमण नही विमल उसके अंदर समाता जा रहा है ' अरे नही दी बच्चों के बारे में सोच रही थी दोनो बड़े शरारती हैं रमण की नाक में दम करके रखा होगा'

'बच्चे शरारत नही करेंगे तो क्या तू और मैं करेंगे चल ज़रा फ्रेश होके आते हैं, फिर पता नही रास्ते में कोई अच्छा रेस्टोरेंट कब तक मिलेगा'

तीनो लॅडीस बाथरूम की तरफ बढ़ जाती हैं और रमेश वहीं एक कुर्सी पे बैठ कर सबका इंतेज़ार करता है.

विमल को काफ़ी टाइम लगता है बाथरूम में से पहले ही कामया वगेरह आ जाती हैं. उनके आने के बाद रमेश बाथरूम चला जाता है .

विमल का लन्ड़ बैठने को तैयार ही नही होता, बड़ी मुश्किल से वो से पॅंट में सेट कर अपनी कमीज़ बाहर निकाल लेता है आर बाहर आ जाता है. उसे देख कर सोनी अधरों पे फिर मुस्कान दौड़ जाती है.

कामया चाइ कॉफी मँगवाती है, सब आराम से ठंड के महॉल में गरमा गरम चाइ और कॉफी का मज़ा लेते हैं. कॉफी ख़तम कर रमेश थोड़ी देर टहलता है और अपने कसे हुए जोड़ों को राहत पहुचाता है. उसे विमल की ड्राइविंग पे भरोसा नही था और तेज़ चलते ही हाइवे पे वो कोई रिस्क नही लेना चाहता था.
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08-21-2019, 01:10 PM,
#66
RE: Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
थोड़ी देर बाद सब फिर इंनोवा में बैठ जाते हैं. इस बार विमल बीच में बैठा था क्यूंकी वो सुनीता के पास बैठना चाहता था. इस बार विमल सुनीता की शॉल में घुस जाता है और सोनी के चेहरे पे गुस्से और जलन के भाव आ जाते हैं.

सुनीता भी उसे मना नही करती क्योंकि उसका दिल भी विमल के साथ रहने को कह रहा था.

विमल सुनीता के कंधे पे अपना सर रख कर आँखें बंद कर लेता है जैसे सोने लगा हो, आर सुनीता प्यार से उसके बालों में अपनी उंगलियाँ फेरने लगती है. विमल का हाथ धीरे धीरे सुनीता की जाँघ पे चला जाता है और वो से सहलाने लगता है. सुनीता को एक झटका लगता है पर वो कुछ बोलती नही.

विमल अपना दूसरा हाथ सोनी की शॉल में घुसा कर उसकी जांघे सहलाते हुए उसकी चूत पे अपना हाथ फेरने लगता है. सोनी खुश हो जाती है और वो विमल के साथ चिपक जाती है.सोनी की चूत को सहलाते हुए विमल सुनीता के कंधे के नंगे हिस्से पे किस करता है. सुनीता थोड़ा सा मूड जाती है और विमल का सर उसकी क्लीवेज पे आ जाता है और वो अपनी ज़ुबान उसके क्लीवेज पे फेरने लगता है. सुनीता के जिस्म में आग भड़कने लगती है और वो विमल के सर को अपनी छाती पे दबा लेती है. विमल अपने जिस हाथ से उसकी जाँघ सहला रहा था उसे वो सुनीता की कमर के पीछे से ले जा कर उसके स्तन पे रख देता है और कस के उसके साथ चिपक जाता है. अपने स्तन पे विमल के हाथ का अहसास सुनीता में और गर्मी पैदा कर देता है और वो ना चाह कर भी बहती चली जाती है. विमल अपना सर उठा कर सुनीता के होंठो पे अपने होंठ रख देता है. दोनो के जिस्म को झटका लगता है और विमल कस के सोनी की चूत दबा देता है.

सोनी अपनी सिसकियाँ रोकने के लिए अपने होंठ अपने दाँतों में दबा लेती है. सोनी से और बर्दाश्त नही होता, वो अपनी सलवार ढीली करती है और पैंटी नीचे सरका देती है, अब विमल का हाथ सीधा उसकी नंगी चूत पे आ जाता है और वो उसकी चूत में अपनी उंगली घुसा देता है.सोनी धीरे धीरे अपनी कमर हिला कर विमल की उंगली से अपनी चूत की चुदाई करने लगती है. कहीं किसी को पता ना चल जाए इस डर की वजह से उसकी उत्तेजना और भी बढ़ जाती है और वो जल्दी ही झड़ने लगती है. जैसे ही सोनी झड़ती है, विमल अपना हाथ खींच लेता है और उसकी शॉल से ही सॉफ कर अब वो सुनीता को कस के अपने साथ भींचता है और ज़ोर से उसके होंठ चूसने लगता है.

सुनीता बहती जारही थी और वो भी विमल के होंठ चूसने लगती है. जैसे ही विमल का हाथ नीचे सरक कर सुनीता की चूत पे पहुँचता है उसे झटका लगता है और वो विमल से अलग हो जाती है.

विमल अपनी ग़लती पे पछताने लगता है और सुनीता के सामने अपने कान पकड़ कर धीरे से माफी माँगता है. पर सुनीता अपनी पोज़िशन बदल कर खिड़की के बाहर देखने लगती है. सुनीता की आँखें नम हो जाती हैं, उसे समझ नही आ रहा था क्यूँ वो विमल के साथ बहकने लगती है.


सोनी जब अपने ओर्गसम से बाहर निकलती है तो अपनी पैंटी और सलवार ठीक कर वो अपनी शॉल विमल पे डाल उसमे घुस कर विमल के लंड को बाहर निकाल कर अपने मुँह में ले कर चूसने लगती है.

विमल का सारा ध्यान सुनीता पे ही लगा रहता है. आर साथ साथ वो अपने लंड की चुसाइ का मज़ा लेने लगता है.

विमल को डर लगता है कि कहीं सुनीता उसकी तरफ ना देख ले और शॉल के अंदर सोनी की हिलते हुए सर को पहचान ना ले. इस डर और चढ़ती हुई वासना से उसका लंड और सख़्त हो जाता है.

सोनी काफ़ी देर उसके लंड को चुस्ती है पर विमल झड़ने का नाम ही नही ले रहा था.उसे तो अब सुनीता की चूत की गर्मी चाहिए थी.

इतने मे रमेश फिर गाड़ी रोक देता है और विमल फिर अपने बाप को गाली देता है अपने लंड को मुश्किल से अंदर करता है . सोनी भी सम्भल के बैठ जाती है.

इंनोवा के रुकते ही सोनी फटाफट बाहर निकलती है और बाथरूम की तरफ बढ़ जाती है. अंदर जा कर वो अपनी गीली पैंटी उतार के अपने पर्स से दूसरी पेंटी निकाल कर पहन लेती है और उतारी हुई पैंटी वहीं ड्स्टबिन में फेंक देती है.

कामया भी खुद को हल्का करने के लिए बाथरूम चली जाती है. सुनीता गाड़ी में ही बैठी रहती है. विमल गाड़ी से बाहर निकलता है और जब देखता है कि सुनीता बाहर नही निकली तो जैसे ही रमेश बाथरूम की तरफ बढ़ता है विमल गाड़ी में सुनीता के पास जा कर बैठ जाता है,

विमल : मासी आप मुझ से नाराज़ हो ?

सुनीता कोई जवाब नही देती.

विमल : मासी प्लीज़ मुझ से बात करो, नही तो मैं जलता रहूँगा ये सोच कर कि मैने आपको तकलीफ़ दी है. मुझ से जो भी ग़लती हुई है उसे भूल जाओ और मुझे माफ़ कर दो, फिर कभी ऐसा नही होगा. प्लीज़ मासी आइ प्रॉमिस.

सुनीता फिर भी कोई जवाब नही देती उसकी आँखों से आँसू बह रहे होते हैं.

विमल से ये बेरूख़ी बर्दास्त नही होती. वो सुनीता के चेहरे को अपनी तरफ घुमाता है और उसकी आँखों में आँसू देख तड़प उठता है.

विमल : मासी प्लीज़ आप रोना बंद कर दो, मैं अब आप से दूर ही रहूँगा. फिर कभी ऐसी कोई ग़लती नही करूँगा

सुनीता ये कैसे बर्दाश्त करती कि विमल उस से दूर हो जाए. वो तड़प कर विमल को अपने से लिपटा लेती है. ' नही बेटा तुझ से कोई ग़लती नही हुई. मैं ही बहक गई थी. फिर कभी मुझ से दूर होने की बात मत करना'
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08-21-2019, 01:10 PM,
#67
RE: Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
इस से पहले कि दोनो में आगे कोई और बात होती बाकी लोग गाड़ी के पास आ जाते हैं. विमल सुनीता से अलग हो कर बैठ जाता है और सुनीता फिर खिड़की के बाहर देखने लगती है.

सब लोग बैठ जाते हैं आर रमेश इंनोवा स्टार्ट कर हाइवे पे डाल देता है, सड़क थोड़ी खाली लग रही थी इस लिए वो स्पीड बढ़ा देता है ताकि जल्दी पहुँच सके.

सोनी की प्यास भुज चुकी थी, वो चाहती थी कि विमल की प्यास भी भुजा दे उसका लन्ड़ चूस कर पर क्यूंकी इस बार रमेश ने जल्दी गाड़ी रोक दी थी इस लिए वो डर रही थी और सफ़र की थकावट से से नींद भी आने लगी थी. वो टेक लगा कर आँखें बंद कर लेती है.

कामया भी आगे शॉल अच्छी तरह लपेट कर आँखें बंद कर चुकी थी.

तीन लोग जाग रहे थे, रमेश जो ड्राइव कर रहा था, विमल जो अपने और सुनीता के बारे में सोच रहा था और सुनीता जो अभी हुए हादसे के बारे में सोच रही थी, उसे खुद पे हैरानी हो रही थी कि ममता का ये कौनसा रूप है जो उसे विमल के होंठों तक ले गया था.

विमल बैठा बैठा सोच रहा था कि जब एक रिश्ते की मर्यादा भंग हो चुकी है तो बाकी रिश्ते भी अगर भाग हो जाते हैं तो क्या फरक पड़ता है. बहन भाई के नाज़ुक रिश्ते को तो वो पहले ही लाँघ चुका है अब मासी और माँ के साथ भी अगर सीमाएँ टूट जाती हैं तो क्या फरक पड़ता है. कौनसा दुनिया में धिंडोरा पीटना है, बात घर की घर में ही तो रहनी है.

पिछले कुछ दिनो में जो भी उसके साथ हुआ था वो एक एक लम्हा उसकी आँखों के सामने से गुजर रहा था और उसकी तड़प कामया और सुनीता के लिए बढ़ती ही जा रही थी. वो दोनो को पूरी इज़्ज़त भी देना चाहता था साथ ही दोनो को अपने बिस्तर की शोभा भी बनाना चाहता था. कैसे होगा ये सब, बस इसी उधेड़बुन में रहते हुए वो सुनीता की गोद में सर रख कर अढ़लेटा हो जाता है.

एक पल को सुनीता चौंक्ति है पर अपने आप उसके हाथ विमल के सर पे फिरने लगते हैं और विमल की आँखें बंद होने लगती हैं. सुनीता भी धीरे धीरे नींद के आगोश में चली जाती है.
..................................................
उधर ऋतु के कॉलेज में किसी वजह से जल्दी छुट्टी हो गई और वो घर चली गई. घर में कोई नही था. अपने लिए चाइ बना कर पीती है और फिर बाथरूम चली जाती है. बाथरूम में शीसे के सामने खुद को निहारने लगती है और अपने सभी कपड़े उतार कर अपने बढ़ते हुए मम्मो पे हाथ फेरने लगती है. अचानक उसके दिमाग़ में वो सीन घूमने लगता है जब उसने रवि को अपनी फोटो हाथ में पकड़े हुए मूठ मारते हुए देखा था.

उसका हाथ अपनी चूत पे चला जाता है और वो ऐसे ही बिना कपड़ों के अपने बेड पेर लेट जाती है और एक हाथ से अपने मम्मे को दबाने लगती है और दूसरे से अपनी चूत को सहलाने लगती है.



‘अहह रवीीईईईईईई’ उसके मुँह से रवि का नाम निकल पड़ता है और वो अपनी चूत में उंगली चलाने लगती है.

ऋतु की आँखें बंद हो जाती है और वो रवि का नाम ले कर अपनी चूत में उंगली करती रहती है, वो ये तक भूल गई थी कि उसने अपने कमरे का दरवाजा बंद नही किया है और कोई भी अंदर आ सकता है. शायद उसे इतमीनान था कि उसका बाप रमण और भाई रवि दोनो ही शाम तक आएँगे और तब तक उसके पास काफ़ी वक़्त था.

इधर रमण, अपने ऑफीस से जल्दी छुट्टी ले कर घर आता है, ताकि वो बची हुई पॅकिंग ख़तम कर सके. उसे नही मालूम था कि रीता आ चुकी है, इसीलिए वो अपनी चाबी से घर खोल कर अंदर आ जाता है.

जैसे ही वो अपने कमरे की तरफ बढ़ता है उसे ऋतु के कमरे से सिसकियों की आवाज़ें सुनाई देने लगती हैं और उसके कदम ऋतु के कमरे की तरफ बढ़ जाते हैं. जैसे ही वो कमरे के पास पहुँचता है, उसकी आँखें फटी रह जाती हैं. अंदर ऋतु एक दम नंगी लेटी हुई अपनी चूत में उंगली कर रही थी. ऋतु का गोरा बदन, उन्नत स्तन आंड उसकी छोटी सी चूत रमण को अपने पास खींच रही थी. रमण के कदम वही दरवाजे पे रुके रहते हैं.

‘अहह रवि अहह रवि चोद मुझे, डाल दे अपना लंड मेरी चूत में आह आह आह कब तक मेरी फोटो के सामने मूठ मारोगे आ ना चोद डाल उूउउफ़फ्फ़ एमेम कितना बड़ा है तेरा’
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08-21-2019, 01:10 PM,
#68
RE: Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
ऋतु पता नही क्या क्या बोल रही थी, और रमण ने जैसे ही रवि का नाम उसके मुँह से सुना, वो चोंक पड़ा, कि कहीं, दोनो भाई बहन चुदाई तो नही करते.

सुनीता के जाने के बाद रमण की भूख बढ़ी हुई थी, वो इस इंतेज़ार में था कि जल्दी सुनीता के पास पहुचे और जम कर उसकी चुदाई करे.

ऋतु को देख उसका लंड खड़ा होने लगता है और उस से और सहन नही होता, वो अपना लंड बाहर निकाल कर मूठ मारने लगता है, उसकी आँखें बंद हो जाती हैं और ख़यालों में वो ऋतु को चोदने लगता है. उसका लंड कभी इतना सख़्त नही हुआ था जितना कि आज हो गया था. दिल तो कर रहा था कि अंदर जा कर ऋतु के उपर चढ़ जाए और अपना लंड उसकी चूत में घुसा कर उसकी दम दार चुदाई कर डाले. वो अपने ख़यालों में खो जाता है और भूल जाता है कि ऋतु से देख सकती है.

इधर पीछे से रवि भी आज जल्दी घर आ जाता है और अपनी चाबी से घर खोल के अंदर दाखिल होता है तो उसे हाल से ही रमण खड़ा दिखता है, वो कुछ हिल रहा था. रवि उसकी तरफ कदम बढ़ाता है तो चोंक उठता है, रमण ऋतु के दरवाजे पे खड़ा मूठ मार रहा था और अंदर ऋतु नंगी लेटी ही अपनी चूत में उंगली चला रही थी. ऋतु के मुँह से अपना नाम सुन वो खुश हो जाता है और हाल में एक जगह छुप कर देखने लगता है कि रमण आगे क्या करेगा. क्या रमण अंदर ऋतु के पास जाएगा या नही?

रवि छुप के सब देख रहा था, उसके जिस्म में भी उत्तेजना बढ़ जाती है . ऋतु का नंगा रूप देख और अपने बाप को उसके कमरे के आगे मूठ मारता हुआ देख कर रवि भी अपना लंड निकाल कर मूठ मारने लगता है, पर उसकी आँखें रमण और ऋतु पे ही टिकी ही थी.

'अहह र्र्ररराआआवववववीीईईईईईई चोद.... चोद ....चोद ....फाड़ दे मेरी चूत अहह'

बिस्तर पे ऋतु अपनी आँखें बंद कर रवि के बारे में सोचते हुए अपनी चूत में उंगली चला रही थी. सामने दरवाजे पे रमण अपनी आँखें बंद कर ऋतु के बारे में सोचते हे मूठ मार रहा था और छुपा हुआ रवि इन दोनो को देख मूठ मार रहा था.

अहह म्म्म्म मममममाआआआअ र्र्र्र्र्ररराआआआवववववववववीीईईईईईईईईईईईईईईईई

ऋतु ज़ोर से चीख कर झड़ने लगती है. उसकी चीख के साथ रमण का भी लावा फूट पड़ता है और साथ ही साथ रवि का भी.

तीनो अपनी मंज़िल पे एक साथ पहुँचे. रमण और रवि ने आज इतना कामरस छोड़ा जितना पहले कभी नही निकला था.

ऋतु आँखें बंद रख अपने आनंद को समेट रही थी कि उसकी चीख रमण को अपने ख़यालों से बाहर ले आई थी, और वो फटाफट अपने कमरे की तरफ भाग पड़ा.ऋतु पता नही क्या क्या बोल रही थी, और रमण ने जैसे ही रवि का नाम उसके मुँह से सुना, वो चोंक पड़ा, कि कहीं, दोनो भाई बहन चुदाई तो नही करते.

सुनीता के जाने के बाद रमण की भूख बढ़ी हुई थी, वो इस इंतेज़ार में था कि जल्दी सुनीता के पास पहुचे और जम कर उसकी चुदाई करे.

ऋतु को देख उसका लंड खड़ा होने लगता है और उस से और सहन नही होता, वो अपना लंड बाहर निकाल कर मूठ मारने लगता है, उसकी आँखें बंद हो जाती हैं और ख़यालों में वो ऋतु को चोदने लगता है. उसका लंड कभी इतना सख़्त नही हुआ था जितना कि आज हो गया था. दिल तो कर रहा था कि अंदर जा कर ऋतु के उपर चढ़ जाए और अपना लंड उसकी चूत में घुसा कर उसकी दम दार चुदाई कर डाले. वो अपने ख़यालों में खो जाता है और भूल जाता है कि ऋतु से देख सकती है.

इधर पीछे से रवि भी आज जल्दी घर आ जाता है और अपनी चाबी से घर खोल के अंदर दाखिल होता है तो उसे हाल से ही रमण खड़ा दिखता है, वो कुछ हिल रहा था. रवि उसकी तरफ कदम बढ़ाता है तो चोंक उठता है, रमण ऋतु के दरवाजे पे खड़ा मूठ मार रहा था और अंदर ऋतु नंगी लेटी ही अपनी चूत में उंगली चला रही थी. ऋतु के मुँह से अपना नाम सुन वो खुश हो जाता है और हाल में एक जगह छुप कर देखने लगता है कि रमण आगे क्या करेगा. क्या रमण अंदर ऋतु के पास जाएगा या नही?

रवि छुप के सब देख रहा था, उसके जिस्म में भी उत्तेजना बढ़ जाती है . ऋतु का नंगा रूप देख और अपने बाप को उसके कमरे के आगे मूठ मारता हुआ देख कर रवि भी अपना लंड निकाल कर मूठ मारने लगता है, पर उसकी आँखें रमण और ऋतु पे ही टिकी ही थी.

'अहह र्र्ररराआआवववववीीईईईईईई चोद.... चोद ....चोद ....फाड़ दे मेरी चूत अहह'

बिस्तर पे ऋतु अपनी आँखें बंद कर रवि के बारे में सोचते हुए अपनी चूत में उंगली चला रही थी. सामने दरवाजे पे रमण अपनी आँखें बंद कर ऋतु के बारे में सोचते हे मूठ मार रहा था और छुपा हुआ रवि इन दोनो को देख मूठ मार रहा था.

अहह म्म्म्म मममममाआआआअ र्र्र्र्र्ररराआआआवववववववववीीईईईईईईईईईईईईईईईई

ऋतु ज़ोर से चीख कर झड़ने लगती है. उसकी चीख के साथ रमण का भी लावा फूट पड़ता है और साथ ही साथ रवि का भी.

तीनो अपनी मंज़िल पे एक साथ पहुँचे. रमण और रवि ने आज इतना कामरस छोड़ा जितना पहले कभी नही निकला था.

ऋतु आँखें बंद रख अपने आनंद को समेट रही थी कि उसकी चीख रमण को अपने ख़यालों से बाहर ले आई थी, और वो फटाफट अपने कमरे की तरफ भाग पड़ा.
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08-21-2019, 01:11 PM,
#69
RE: Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
रमण अपने कमरे में बिस्तर पे पहुँच कर गिर पड़ता है और अभी जो हुआ उसके बारे में सोचने लगता है.
रवि भी चुपचाप अपने कमरे में जा कर लेट जाता है.

ऋतु की मदहोशी जब टूटती है तो उसे अपना ध्यान आता है की वो नंगी पड़ी है. वो फटाफट कमरे का दरवाजा बंद कर बाथ रूम में घुस जाती है.

ऋतु नहा कर बाहर निकलती है, अपने कपड़े पहनती है, उसने एक छोटी स्कर्ट और टॉप पहना था, जिसमे से उसकी कातिल जवानी फुट फुट कर निकल रही थी. टॉप के अंदर उसने ब्रा नही पहनी थी, जिसकी वजह से उसके निपल टॉप फाड़ के बाहर निकलने को तैयार हो रहे थे. उसका मक़सद आज रवि को पूरी तरह से पागल करने का था ताकि वो खिचा हुआ उसके पास चला आए.

वो अपने कमरे से बाहर निकलती है किचन में जाने के लिए तो चोंक उठती है, रमण के कमरे की लाइट जल रही थी.

उफफफफफफफफ्फ़ तो क्या पापा घर आ चुके हैं, क्या पापा ने मुझे नंगा तो नही देख लिया? है अब पापा को कैसे फेस करूँगी, सोचती हुई वो किचन की तरफ बढ़ती है रात का खाना तैयार करने के लिए और उसकी नज़र रमण के कमरे में चली जाती है. वो ऐसे ही लेटा हा था. पैर ज़मीन पे लटके हुए थे और उसका लंड अब भी खड़ा झटके मार रहा था. ऋतु की नज़रें गौर से अपने बाप के लंड को देखती है और उसकी तुलना रवि के लंड से करने लगती है. रवि का लंड अपने बाप से ज़यादा लंबा और मोटा था. ऋतु के जिस्म में झुरजुरी दौड़ जाती है और उसके चेहरे पे हँसी आ जाती है. रमण की हालत बता रही थी कि उसने ऋतु को नंगा अपनी चूत में उंगली करते हुए देख लिया था.

अब जो होगा देखा जाएगा, सोच कर वो किचन में चली जाती है. रवि का कमरा थोड़ा साइड में था इसलिए उसे पता नही चलता की रवि भी आ चुका है.

बर्तनो की खड खड की आवाज़ सुन रमण होश में आता है और फटाफट अपना लंड मुश्किल से पॅंट के अंदर डालता है. सॉफ पता चल रहा था कि उसका लंड खड़ा है. अपनी कमीज़ पूरी बाहर निकाल लेता है ताकि पता ना चले.

पानी लेने के लिए किचन की तरफ जाता है तो अंदर ऋतु को देख उसके होश उड़ जाते हैं. एक तो पहले ही उसे वो नंगी देख चुका था और उसपर ये कातिलाना ड्रेस उसकी जान निकाल लेती है. उस से रुका नही जाता और अंदर जा कर पीछे से ऋतु को अपनी बाँहों में भर लेता है.

‘क्या बना रही है मेरी गुड़िया?’

ऋतु को रमण का लंड अपनी गान्ड में चूबता हुआ महसूस होता है, पता नही क्या सोच कर वो अपनी गान्ड पीछे कर के रमण के लंड पे अपनी गान्ड का दबाव डाल देती है. रमण को हरी झंडी मिल जाती है.

‘चिकन बना रही हूँ पापा, आप ड्रिंक के साथ लोगे ना, आपकी मनपसंद डिश बना रही हूँ’

‘वह आज तो मज़ा आजेगा’ कह कर रमण अपने लंड का दबाव और ऋतु की गान्ड पे बढ़ाता है और उसके बालों को सूंघते हुए अपने हाथ उसकी कमर पे फेरते हुए उसके स्तन की बेस तक ले जाता है.

ऋतु को जैसे ही रमण का हाथ अपने स्तन की नीचे महसूस होता है, उसकी सिसकी निकल पड़ती है
‘ह’

रमण अपना हाथ बढ़ाता है ऋतु के एक स्तन पे रख देता है.
ऋतु झट से उसकी पकड़ से बाहर निकलती है.

‘ये क्या कर रहे हो पापा’

रमण उसे पकड़ कर अपनी तरफ खींचता है, ऋतु के स्तन रमण की छाती पे दब जाते हैं.

‘उफफफफफफफफ्फ़ छोड़ो पापा भाई आनेवाला है’

रमण उसके कंधे पे किस करते हुए कहता है

‘अपनी बेटी से प्यार कर रहा हूँ’

‘आज कैसे बेटी की याद आ गई?’

‘याद तो रोज आती है, मेरी बेटी ही मेरे पास नही आती’

‘मैं तो आपके पास ही हूँ पापा,आप ही दूर रहते हो’

‘अब मैं अपनी बेटी से कभी दूर नही रहूँगा’ कह कर रमण उसकी गान्ड को मसल्ते हुए अपने लन्ड़ पे उसकी चूत को दबा देता है.

‘अहह म्म्माअआआ- क्या कर रहे हो, छोड़ो प्लीज़ ये ग़लत है’

‘बेटी से प्यार करना कोई ग़लत नही होता’ और रमण ऋतु के गालों पे किस करने लगता है.

तभी रवि ......................................................
Reply
08-21-2019, 01:19 PM,
#70
RE: Adult Kahani कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास
तभी रवि के कमरे से कुछ आवाज़ आती है और ऋतु फट से रमण की चुंगल से निकलती है, उसकी साँसे भारी हो चुकी थी, रमण किचन से बाहर निकल कर हाल में जा कर बैठ जाता है.

ऋतु मुश्किल से खुद को संभाल कर चिकन बनाने में लग जाती है. ऋतु की जान आफ़त में आ जाती है जैसे, रवि घर में है, वो कब आया. तो क्या आज बाप बेटे दोनो ने ही उसका लाइव शो देखा था. उउउफफफफफफफ्फ़ ये क्या हो रहा है. पापा तो आज बहुत आगे बढ़ गये. कहीं पापा मुझे...........इस के आगे वो सोच नही पाती, उसकी पैंटी गीली होने लगती है.

इतने में रवि किचन में आता है, ऋतु ने जो ड्रेस पहनी हुई थी, उसे देख कर उसके मुँह से सीटी निकल जाती है.

‘वाउ!!!!!!!! सेक्सी!!!!!’

‘क्या बोला?’ ऋतु पलट कर रवि को झूठी डाँट से बोली.

‘बहुत सेक्सी लग रही है यार, क्या बात है? आज कितनो का कत्ल करेगी?

ऋतु मन ही मन खुश होती है पर उपर से

‘चुप बदतमीज़, बहन को ऐसे बोलते हैं क्या? जा हाल में जा के बैठ, पापा वहीं बैठे हैं’

‘ओह!’ रवि सर खुजाता हुआ हाल में चला जाता है
जिस्म की प्यास जब बढ़ती है, तो सारी मर्यादाएँ ख़तम हो जाती है, आदमी भूल जाता है रिश्ते नातो को, याद रहता है तो बस यही वो एक आदमी है आर सामने एक लड़की या औरत. उसके पास लंड है और सामने वाली के पास एक चूत. और लंड का तो काम ही है चूत में घुसना. लंड और चूत दोनो ही बस अपने मिलन के बारे में सोचते हैं. दिमाग़ क्या कहता है, वो सब गया भाड़ में.

ऐसा ही कुछ हाल में बैठा हुआ रमण सोच रहा था, वो भूल चुका था कि ऋतु उसकी बेटी है, उसे कोई हक़ नही पहुँचता उसे वासना की दृष्टि से देखने का. उसे रवि की मोजूदगी खल रही थी. और वो एक ख़तरनाक खेल खेलने के लिए आमादा हो जाता है.
जैसे ही रवि हाल में आता है. रमण उसकी तरफ गौर से देखता है और

‘अरे रवि जा मेरी अलमारी से स्कॉच की बॉटल ले आ’

रवि जा कर रमण की अलमारी से बॉटल निकल लता है और रमण के सामने टेबल पर रख देता है.

‘जा किचन से 3 ग्लास, बरफ और सोडा ले आ, और साथ में काजू भी ले आना- जब तक चिकन रेडी होता है, काजू से काम चलाते हैं.’

‘3 ग्लास के बारे में सुन कर रवि के कान खड़े हो जाते हैं. वो कहता कुछ नही बस किचन मे जाताहै और सारा समान इकट्ठा करने लगता है.

ऋतु उस से पूछ लेती है '3 ग्लास क्यूँ ले जा रहा है. कोई और भी आ गया है क्या, पापा के दोस्त?’

‘नही पापा ने 3 ग्लास मँगवाए हैं – तू सम्भल के रहना – पीना नही नज़र बचा कर फेंक देना या मेरे ग्लास में डाल देना’

‘मतलब’

‘मतलब पापा आज हम दोनो को भी अपने साथ पिलाएँगे’

‘क्या?’

‘चिल्ला मत जो कह रहा हूँ वो करना बस’ कह कर रवि बाहर हाल में चला जाता है, वो सारा समान ले कर जो रमण ने मँगवाया था.
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