Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
05-24-2019, 12:07 PM,
#31
RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
मैं उसे उसके कमरे में ले गई और उसे पैन्ट चेंज करके उसे दिया हुआ चेतन का बरमूडा पहनने को कहा। कल रात की बात से मुझे यक़ीन था कि वो ज़रूर पहन कर आएगी.. क्योंकि उसे भी अपने भाई के छूने से आख़िर मज़ा जो आ रहा था। 
मैंने अपने कमरे में आकर चेतन के सामने ही खड़े होकर अपनी पैन्ट उतारी और फिर एक बरमूडा पहन लिया। अब मेरा ऊपरी और नीचे का जिस्म दोनों ही बहुत ज्यादा नंगा नज़र आ रहा था। 
मैं खामोशी से जाकर चेतन के पास बैठ गई और उससे बातें करने लगी।
चेतन बोला- डार्लिंग आज तुम इस ड्रेस में बहुत ही हॉट लग रही हो। 
मैं मुस्कराई और बोली- हॉट तो तुम्हारी बहन भी लग रही है.. लेकिन कहीं उसे ना कह देना ऐसा.. शरमिंदा हो जाएगी। पहले ही बड़ी मुश्किल से मैंने उसे पेंडू माहौल से आज़ाद किया है।
चेतन भी हँसने लगा.. इतने में शरमाती हुई डॉली कमरे में आ गई.. जहाँ उसका अपना सगा भाई उसकी आमद का मुंतजिर था।
डॉली कमरे में दाखिल हुई तो अभी मैंने लाइट बंद नहीं की थी.. ट्यूब लाइट की सफ़ेद रोशनी में डॉली का खूबसूरत चिकना जिस्म चमक रहा था, उसके गोरे-गोरे कंधे और छाती के ऊपर खुले मम्मे बहुत प्यारे लग रहे थे। नीचे उसके गोरे-गोरे बालों से बिल्कुल पाक-साफ़ टाँगें.. घुटनों से नीचे बिल्कुल नंगी थीं।
अपने भाई के बरमूडा में जैसे ही वो अन्दर दाखिल हुई.. तो चेतन की नजरें उसी के जिस्म पर थीं। 
आज मेरे ज़हन में एक और ख्याल आया था। आज मैंने चेतन से कहा- वो बिस्तर पर हम दोनों के बीच में लेटेगा और हम दोनों तुम्हारे बगल में लेटेंगी। 
चेतन और डॉली दोनों ही मेरी इस बात को सुन कर हैरान हुए लेकिन चेतन तो फ़ौरन ही बिस्तर पर दरम्यान में होकर लेट गया। मैं उसकी एक तरफ लेट गई और फिर ज़ाहिर है कि डॉली को चेतन के दूसरी तरफ बिस्तर पर लेटना पड़ा।
कुछ मिनटों तक सीधे लेटने के बाद मैंने करवट ली और चेतन के ऊपर अपना बाज़ू डाल कर उसे खुद से चिपकाती हुए लेट गई। 
मैंने अपनी एक टाँग भी चेतन के ऊपर उसकी टाँगों पर रख दी। डॉली भी सीधे ही लेटी हुई थी.. और यह सब देख रही थी। 
मैं आहिस्ता-आहिस्ता चेतन के गालों पर डॉली की तरफ से हाथ फेर रही थी और कभी उसकी नंगे कन्धों पर हाथ फेरने लगती।
मैं डॉली को भी और चेतन को भी यही शो कर रही थी कि जैसे मैं उस वक़्त बहुत ज्यादा चुदासी हो रही हूँ।
हालांकि असल में मैं चेतन को गरम कर रही थी।
मैं अपनी जाँघों के नीचे चेतन के लंड को आहिस्ता आहिस्ता सहला भी रही थी।
कमरे में काफ़ी अँधेरा हो गया था.. हस्ब ए मामूल और कुछ नज़र नहीं आता था। जब तक कि बहुत ज्यादा गौर ना किया जाए।
मैं अपना हाथ चेतन की छाती पर ले आई और आहिस्ता आहिस्ता उसकी छाती को सहलाने लगी। 
मेरा हाथ सरकता हुआ चेतन की छाती से नीचे उसके पेट पर आ गया और फिर मैं और भी नीचे जाने लगी.. तो चेतन मेरी तरफ मुँह करके आहिस्ता से बोला- डार्लिंग डॉली है.. इधर देख लेगी वो.. 
मैं अपना हाथ उसकी बरमूडा में पुश करके अन्दर दाखिल करते हुई बोली- नहीं.. अँधेरा है.. उसे कुछ नहीं दिख रहा है। 
चेतन चुप हो गया.. और मैंने हाथ अन्दर डाल कर उसके लण्ड को अपने हाथ में ले लिया। उसका लंड आहिस्ता-आहिस्ता खड़ा हो रहा था और मैंने उसे सहलाते हुए आहिस्ता-आहिस्ता मुकम्मल तौर पर खड़ा कर दिया। साथ-साथ मैं उसकी गर्दन को भी चूम रही थी और अपनी चूचियों को उसकी बाज़ू पर रगड़ रही थी.. जो कि मैंने अपनी ड्रेस को नीचे करते हुए बाहर निकाल ली हुई थीं। 
अब मेरा नंगी चूची चेतन की बाज़ू से रगड़ रही थीं और उसका लंड भी मेरे हाथ में था। 
चेतन की हालत उत्तेजना से बुरी हो रही थी और उसके शॉर्ट्स की अन्दर खड़ा हुआ लंड और उस पर हरकत करता हुआ हाथ.. उसकी बहन को साफ़ नज़र आ रहा था। 
दूसरा.. मैं जो उसकी गर्दन पर किस कर रही थी.. वो भी मैं जानबूझ कर आवाज़ पैदा करती हुए कर रही थी.. ताकि उसकी आवाज़ भी उसकी बहन को सुनाई दे सके।
कुछ देर तक ऐसी ही चूमने के बाद मैंने चेतन का बाज़ू पकड़ कर उसे अपनी तरफ को कर लिया। 
अब चेतन का चेहरा मेरी तरफ था और मैंने उसके गले में अपनी बाँहें डालीं और उसके ऊपर अपनी नंगी टाँग रखते हुए उससे चिपक गई।
मेरी जाँघों के खुल जाने से चेतन का अकड़ा हुआ लंड सीधा मेरी चूत से टकरा रहा था। 
मैंने भी एक हाथ से उसे पकड़ा और उसे अपनी चूत पर रगड़ने लगी। जब फिर भी मेरी तसल्ली ना हुई तो मैंने चेतन के शॉर्ट्स को थोड़ा सा नीचे को करके उसका लंड बाहर निकाल लिया और उसे अपनी चूत पर रगड़ने लगी। 
चेतन भी मुझे अपनी बाहों में भर कर अपने साथ चिपकाते हुए मेरा कान में आहिस्ता से बोला- तुमको आज क्या हो गया है डार्लिंग?
लेकिन मैं मस्ती में अपनी आँखें बंद किए बस उसके लण्ड से अपनी चूत को रगड़ती जा रही थी।
कुछ देर के बाद मैंने चेतन को छोड़ा और आहिस्ता से बोली- सॉरी डार्लिंग..
और फिर थोड़ा पीछे हट कर लेट गई।
यह चेतन के खड़े लण्ड पर धोखा जैसा हुआ।
चेतन सीधा हुआ तो फ़ौरन ही डॉली ने दूसरी तरफ करवट ले ली.. मैं समझ गई कि वो सब कुछ बड़े मजे से देख रही थी। 
अब कमरे में बिल्कुल खामोशी और अँधेरा था। हम तीनों ही आँखें बंद किए हुए लेटे थे.. और सब ही एक-दूसरे के सोने का इन्तजार कर रहे थे। 
क़रीब एक घंटे तक जब बिस्तर पर बिल्कुल कोई हरकत ना हुई तो अचानक ही चेतन ने डॉली की तरफ करवट ले ली। डॉली अभी भी दूसरी तरफ मुँह करके लेटी हुई थी और उसकी खूबसूरत उठी हुई गाण्ड.. उसके भाई के लण्ड के ठीक सामने थी.. बल्कि यूँ कहें कि उसके भाई के लंड के बिल्कुल सामने चुदने को तैयार दिख रही थी।
उस छोटे से जालीदार ड्रेस में डॉली की खूबसूरत कमर चेतन की नज़रों के सामने बिल्कुल नंगी हो रही थी। उसकी ब्रेजियर की स्ट्रेप्स और बेल्ट और हुक्स साफ़-साफ़ दिख रहे थे।
उसकी गोरी-गोरी चिकनी कमर कमरे के अन्दर मौजूद हल्की सी रोशनी में चमक रही थी। 
कुछ देर में चेतन का हाथ सरकता हुआ डॉली की कमर के पास पहुँचा और उसने धीरे-धीरे अपने हाथ की बैक से डॉली की कमर को सहलाना शुरू कर दिया। 
उसके हाथ की बैक साइड.. अपनी बहन की नंगी कमर पर ऊपर-नीचे सरक़ रही थी और वो अपनी बहन की नंगी और गोरी कमर के चिकनेपन को महसूस कर रहा था।
थोड़ी देर के बाद चेतन ने अपना हाथ को सीधा किया और उसे आहिस्ता से डॉली की कमर के नंगे हिस्से पर रख दिया। 
जब डॉली ने कोई हरकत नहीं की तो चेतन ने हौले-हौले डॉली की नंगी कमर को सहलाना शुरू कर दिया। 
चेतन का हाथ अपनी बहन की बिल्कुल बाहर को निकली हुई ब्रेजियर की तनियों पर गया। वो डॉली की ब्रा की तनियों को आहिस्ता-आहिस्ता छूने लगा और उस पर अपनी उंगली को फेरना शुरू कर दिया। 
डॉली की कमर पर से शुरू करके अपनी उंगली को कन्धों पर चिपकी हुई ब्रा की स्ट्रेप के ऊपर फिराता हुआ नीचे को लाने लगा और फिर उसकी उंगली डॉली की ब्रा की हुक वाली पट्टी पर आ गई। 
अब चेतन ने अपनी बहन की ब्लैक ब्रेजियर की हुक पर अपनी उंगली फेरनी शुरू कर दी.. जिसने ब्रा की दोनों सिरों को मिलाकर डॉली की खूबसूरत चूचियों को जकड़ कर रखा हुआ था। उस पट्टी के सहारे ही डॉली के मस्त मम्मे सधे और बंधे हुए थे।
कुछ देर तक तो चेतन डॉली की ब्रा की स्ट्रेप्स पर हाथ फिराता रहा और कभी उसकी नंगी गोरी कमर पर ऊपर- नीचे और उसके कन्धों पर अपना हाथ फेरता रहा। 
फिर उसने अपना हाथ आगे ले जाते हुए अपनी बहन की चूची पर अपना हाथ ढीला सा रख दिया।
आहिस्ता-आहिस्ता उसका हाथ बंद होने लगा और उसकी मुठ्ठी में डॉली की चूची समा गई।
अब चेतन अपनी बहन की चूची को आहिस्ता-आहिस्ता सहलाने लगा।
इस पोजीशन में चेतन डॉली के और भी क़रीब चला गया हुआ था। अब उसने आहिस्ता से अपने होंठ अपनी बहन की नंगी कमर पर रखे और अपनी बहन की नंगी चिकनी कमर को एक बार चूम लिया। 
ज़ाहिर है कि सिर्फ़ एक बार किस करने से उसकी तसल्ली होने वाली नहीं थी। अब तो जैसे वो पागल ही हो गया.. उसने बार-बार अपनी बहन की नंगी कमर और नंगे कन्धों पर किस करना और उन्हें चूमना शुरू कर दिया।
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05-24-2019, 12:07 PM,
#32
RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
नीचे चेतन का हाथ डॉली की उभरी हुई गाण्ड पर पहुँचा और आहिस्ता-आहिस्ता उसने अपना हाथ डॉली की गाण्ड पर फेरना शुरू कर दिया। 
बिना किसी पैन्टी के पतले से कपड़े के बरमूडा में फंसी हुई डॉली की चिकनी गाण्ड.. ज़ाहिर है कि उसे बहुत ज्यादा मज़ा दे रही होगी। इसलिए उसका हाथ उसकी गाण्ड पर फिसलता ही जा रहा था।
मैं चेतन के पीछे ही थोड़ी ऊँची होकर यह सब देख रही थी। 
आहिस्ता आहिस्ता चेतन ने अपनी ज़ुबान बाहर निकाली और उसकी कमर को चाटने लगा। उसके कन्धों को चूमा और फिर अपनी ज़ुबान उन पर फेरनी लगा। चेतन ने डॉली की उस नेट ड्रेस की डोरी वाली स्ट्रेप को पकड़ा जो कि उसके कंधों पर फंसी थी.. और फिर आहिस्ता-आहिस्ता उसे नीचे उसके कन्धों से बाज़ू पर ले आया। 
मेरी चूत तो जैसे गर्मी से जल ही उठी कि आज अपनी बहन के लिए चेतन और भी ज्यादा हवस की आग में भड़क रहा है। 
चेतन ने अपना हाथ दोबारा से अपनी बहन के सीने पर रखा और आहिस्ता-आहिस्ता उसके नंगे सीने को सहलाने लगा।
यह नेट ड्रेस ऊपर से तो वैसे भी काफ़ी ओपन था.. तो चेतन का हाथ बड़े ही आराम से ड्रेस के अन्दर भी दाखिल हो रहा था और उसकी ब्रा से निकलती हुई उसकी मदमस्त चूचियों के ऊपरी हिस्से को मसल रहा था। 
अचानक चेतन ने अपने हाथ को पूरा डॉली की शर्ट के अन्दर डाला और उसकी ब्रेजियर के ऊपर से उसकी चूची को पकड़ लिया। 
मुझे ऐसा अहसास हुआ.. क्योंकि जैसे ही उसका हाथ उसकी ब्रा के ऊपर से उसकी चूची पर आया.. तो डॉली के जिस्म ने एक झुरझुरी सी ली.. लेकिन फिर डॉली तुरंत ही शांत भी हो गई। 
मैं दिल ही दिल में डॉली के कंट्रोल की दाद दे रही थी कि किस क़दर की हिम्मत वाली लड़की है कि एक मर्द के हाथ के स्पर्श पर भी खुद को इतना कंट्रोल कर रही है।
जबकि मेरी चूत तो यह देख-देख कर ही पानी छोड़े जा रही थी कि एक भाई अपनी बहन की चूचों को सहला रहा है।
अब शायद कुछ ज्यादा हो गया था.. जो कि डॉली बर्दाश्त ना कर सकी या फिर चेतन के लंड ने डॉली की गाण्ड के दरम्यान घुसने की कोशिश की.. जिसकी वजह से एकदम डॉली सीधी हो गई और चेतन ने भी खुद को सम्भालते हुए अपना हाथ फ़ौरन ही पीछे खींच लिया। 
अब डॉली अपनी पीठ के बल बिल्कुल सीधी होकर लेट गई.. पर चेतन उसी की तरफ मुँह करके लेटा हुआ था। 
एक बार उसने मुड़ कर मेरी तरफ देखा और फिर चंद लम्हे इन्तजार करने के बाद मैंने देखा कि उसका चेहरा आहिस्ता आहिस्ता डॉली के क़रीब जाने लगा।
डॉली की नेट ड्रेस की तनियाँ अभी भी उसके कन्धों से नीचे ही थीं और उसका सीना मानो जैसे कि पूरा नंगा ही हो रहा था। 
चेतन ने आहिस्ता से अपने होंठ डॉली के कन्धों पर रख दिए और उसके कंधे को चूम लिया। 
जब डॉली के जिस्म में कोई भी हरकत नहीं हुई.. तो चेतन की हिम्मत बढ़ने लगी और उसने डॉली के कन्धों को किस करते हुए थोड़ा और आगे को आते हुए उसके सीने के ऊपरी हिस्से को और फिर अपनी बहन के गाल को भी चूम लिया।
एक बार तो उसने हिम्मत करते हुए डॉली के पतले-पतले गुलाबी होंठों को भी किस कर लिया।
चेतन की हवस में और उसके लौड़े की चुदास में इज़ाफ़ा ही होता जा रहा था और उसकी हिम्मत भी बढ़ती ही जा रही थी। 
अब उसने आहिस्ता से डॉली की दूसरे कन्धे से भी उसकी ड्रेस की डोरी को नीचे की तरफ सरकाना शुरू कर दिया और चंद ही लम्हों के बाद दूसरी तरफ की डोरी भी उसके बाज़ू पर झूल रही थी। 
अब डॉली के सीने पर उस शर्ट के ऊपर सिर्फ़ और सिर्फ़ उसकी काले रंग की ब्रेजियर की तनियाँ ही नज़र आ रही थीं।
चेतन कुछ देर तक इसी हालत में अपनी सोई हुई बहन को देखता रहा और फिर उसने अपनी उंगलियों में पकड़ कर डॉली की नेट ड्रेस को उसकी चूचियों से नीचे को करना शुरू कर दिया। 
उस ढीली सी नेट ड्रेस को जब चेतन ने आहिस्ता आहिस्ता नीचे को उतारा.. तो थोड़ी सी कोशिश के बाद डॉली की चूचियाँ उसकी काली ब्रेजियर समेत खुल सी गईं।
चेतन की तो आँखें ही खुल गईं और अपनी सग़ी बहन की चूचियों को इस तरह सिर्फ़ ब्रेजियर में देख कर उसका चेहरा भी खिल उठा।
डॉली की गोरे-गोरे मम्मे उस काली ब्रेजियर में बहुत ही प्यारे लग रहे थे.. और उसकी आधी चूचियों उसकी ब्रा में से बाहर थीं। 
उसकी चूचियों के दरम्यान बहुत ही खूबसूरत सा क्लीवेज बन रहा था। उसकी लेटे हुए होने की वजह से उसकी चूचियों ऊपर की तरफ को जैसे उबली पड़ रही थीं और बहुत ही सेक्सी और खूबसूरत मंज़र पेश कर रही थीं।
मैंने भी आज पहली बार अपनी ननद को इस हालत में देखा था तो उसके खूबसूरत जिस्म को देख कर मेरे मुँह और चूत में भी पानी आ रहा था।
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05-24-2019, 12:07 PM,
#33
RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
चेतन ने अपना हाथ डॉली के सीने पर दोबारा रखा और फिर आहिस्ता-आहिस्ता से उसके सीने पर हाथ फेरने लगा। 
उसके हाथ अब अपनी बहन की चूचियों के ऊपरी हिस्से पर भी जा रहे थे और चेतन अपनी बहन की चूचियों के नंगे हिस्सों को मस्ती से सहलाने लगा था।
कुछ पलों बाद चेतन ने अपनी एक उंगली को डॉली की क्लीवेज में दाखिल किया और उसे आहिस्ता-आहिस्ता अन्दर-बाहर करने लगा। 
उसने अचानक पीछे मुड़ कर मेरी तरफ दोबारा देखा और मेरे सोए होने की तसल्ली करके चेतन थोड़ा सा ऊपर को उठा और झुक कर उसने अपने होंठ अपनी बहन की चूचियों के ऊपरी नंगे हिस्से पर रख दिए और अपनी बहन की चूचियों का अपनी ज़िंदगी का पहला किस ले लिया। 
उन दोनों की जिंदगी में इस सेक्स को लेकर जाने आगे कितने और किस.. और क्या-क्या आने वाला था।
मैं अब इस खेल को आज की रात के लिए यहीं पर रोक देना चाहती थी.. ताकि दोनों के अन्दर ही तड़फ और प्यास बाक़ी रहे और एक ही रात में सारी हदें पार ना कर लें। यही सोच कर मैं एकदम नींद की हालत का नाटक करती हुई चेतन के साथ चिपक गई और उसे मजबूर कर दिया कि वो अब कुछ और ना कर सके। 
मैंने उसे इतना मौका भी नहीं दिया कि वो अपनी बहन का ड्रेस ही दुरूस्त कर सके। 
उसकी बहन उसके बिल्कुल क़रीब उस अधनंगी हालत में पड़ी रही कि उसकी चूचियाँ उसकी ब्रा में उसके भाई के सामने खुली पड़ी थीं और वो बार-बार उनको देख रहा था.. लेकिन छू नहीं पा रहा था। 
कुछ देर के बाद मैंने चेतन को करवट दिलाते हुए अपनी तरफ खींच लिया और उसे अपने मम्मों से चिपका लिया। 
आख़िर कुछ देर बाद ही उसकी भी मेरे साथ ही आँख लग गई।
अगले दिन रविवार था.. तो सब ही देर तक सोते रहे। सबसे पहली मेरी आँख खुली.. कमरे में बिल्कुल हल्की हल्की दिन की रोशनी हो रही थी.. क्योंकि सारे परदे बंद थे।
मैंने अपने मोबाइल में वक्त देखा तो 9 बज रहे थे। 
मैं अपनी जगह से उठी और उठ कर वॉशरूम गई और फिर सबके लिए चाय बनाने रसोई में चली गई। 
मैंने रसोई में चाय बनाई और फिर जब मैं चाय की तीन कप लेकर बेडरूम में वापिस आई तो अन्दर का मंज़र देख कर मैं मुस्करा उठी।
बेड पर चेतन अपनी बहन से लिपट कर सो रहा था और नींद में होने की वजह से डॉली भी उससे लिपटी हुई थी। वो अपना बाज़ू चेतन के गले में डाल कर उससे चिपकी हुई थी। उसका बरमूडा भी उसकी जाँघों पर ऊपर तक चढ़ा हुआ था और उसकी गोरी-गोरी जाँघों नंगी हो रही थीं। 
वो दोबारा अपनी ड्रेस को तो अपनी ब्रा पर करके ही सोई थी.. लेकिन अब फिर उसकी ड्रेस का एक स्ट्रेप कन्धों से नीचे बाजुओं पर आया हुआ था। 
चेतन की टाँगें उसकी चिकनी मुलायम नंगी रानों पर थीं और उसका हाथ डॉली की कमर पर था।
चाय को बगल में टेबल पर रखने के बाद मैं डॉली की तरफ ही बैठ गई और अपना हाथ बहुत ही आहिस्ते से उसकी नंगी जांघ पर रख दिया।
लिल्लाह.. सच में डॉली की बहुत ही चिकनी और मुलायम जिल्द थी.. मेरा दिल चाह रहा था कि धीरे-धीरे उसकी जाँघों को सहलाती रहूँ..!
मैं कभी भी लेज़्बीयन नहीं रही थी.. लेकिन आज डॉली की खूबसूरती को देख कर मुझ पर भी नशा सा छा रहा था।
मैं सोच रही थी कि अगर मेरा यह हाल हो रहा है.. तो चेतन बेचारा अपनी बहन की जवानी को इस हालत में देख कर कैसे खुद को रोक सकता है।
मेरा हाथ धीरे-धीरे डॉली की नंगी जाँघों को सहला रहा था और थोड़ा उसके ऊपर तक चढ़े हुए बरमूडा के अन्दर तक भी फिसल रहा था।
डॉली का नंगा कन्धों भी मेरी आँखों के सामने था। मैं आहिस्ता से झुकी और अपने होंठ डॉली के नंगी कन्धों पर रख कर उसे चूम लिया। 
डॉली बड़ी मदहोशी में अपने भाई के साथ चिपकी हुई सो रही थी।
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05-24-2019, 12:07 PM,
#34
RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
डॉली के कन्धों को चूमते और उसे सहलाते हुए मैंने आहिस्ता-आहिस्ता अपना हाथ उसकी नेट ड्रेस के अन्दर घुसेड़ना शुरू कर दिया। मेरा हाथ डॉली की खुबसूरत टाइट चूचियों के दरम्यानी क्लीवेज पर पहुँच गया। 
मैंने आहिस्ता आहिस्ता डॉली की चूचियों पर अपनी हाथों की उंगलियों को फेरना शुरू कर दिया। मुझ पर डॉली की चूचियों को छूने के बाद बहुत ही ज्यादा मस्ती सी छाने लगी थी।
उसकी ठोस चूचियाँ और क्लीवेज में हाथ फेरते हुए मैं हौले-हौले उसके नंगे गोरे चिकने कन्धों को चूम रही थी। 
अपने भाई की बाँहों में ज़कड़ी हुई और उससे चिपकी हुई.. वो बहुत ही प्यारी और सेक्सी लग रही थी। 
मेरे ज़हन में ख्याल आया कि जब इसकी चूत में इसके भाई का लंड जाएगा तो उस वक्त ये मासूम परी कैसी लगेगी.. और कितना मज़ा आएगा वो मंज़र देखने में.. यह सोचते ही मेरे चेहरे पर एक कातिलाना मुस्कराहट दौड़ गई।
कुछ देर बाद कमरे की बत्ती जलाकर उन दोनों को जगाने लगी। दोनों को आवाज़ दी.. तो कुछ ऐसा हुआ कि दोनों ने एक साथ ही आँख खोली और जैसे ही दोनों की नज़र एक-दूसरे पर पड़ी। 
इस बात को समझते हुए कि दोनों बहन-भाई के चेहरे एक-दूसरे के इतने क़रीब हैं और दोनों ने एक-दूसरे को सोते में इस तरह से चिपका लिया हुआ है.. तो दोनों ही एकदम से पीछे हटे और शर्मिंदा से होते हुए उठ कर बिस्तर की पुस्त से पीठ लगाते हुए बैठ गए।
मैं दोनों की हालत देख कर हँसने लगी। 
चेतन थोड़ा शर्मिंदा होता हुआ बोला- तुम किस वक़्त उठ कर चली गई थीं?
मैं मुस्कराई कि अभी गई थी और शायद आप समझे कि मैं अभी आपके पास ही यहीं लेटी हुई हूँ। 
मेरी बात सुन कर डॉली ने शर्म से सिर झुका लिया और अपने कन्धों पर अपनी नेट ड्रेस की डोरी ठीक करती हुए उसने चाय का कप उठा लिया।
उसके कंधों पर उसकी ब्रेजियर की स्ट्रेप्स अभी भी बिल्कुल खुली ही दिख रही थीं।
चेतन उठ कर वॉशरूम में चला गया। मैंने आहिस्ता से डॉली के गोरे-गोरे नंगी बाजुओं पर चुटकी काटी और बोली- आज तो तू अपने भैया के साथ बड़ी चिपक कर सो रही थी?
डॉली शर्मा कर- भाभी बस पता ही नहीं चला और भैया को भी तो चाहिए था ना कि वो दूर हो कर सोते..
मैं- वो तो शायद समझे होंगे कि मैं ही उनके साथ चिपकी हुई हूँ.. अब नींद में उसे क्या पता कि यह खूबसूरत जिस्म उसकी अपनी बहना का है।
डॉली शर्मा गई।
मैं- वैसे यार क़सूर उसका भी नहीं है..
डॉली चुस्की लेते हुए बोली- वो कैसे भाभी??
मैं- देखो ना.. तुम्हारे जैसी खूबसूरत लड़की किसी की बाँहों में हो तो किसे होश रहेगा डार्लिंग..
यह कहते हुए मैंने उसकी कन्धों पर एक चुम्मी कर दी।
डॉली- भाभी.. आप भी ना बस..
डॉली शर्मा गई.. इतने में चेतन भी वॉशरूम से बाहर आ गया।
हम तीनों ही चाय पीने लगे। मैं और डॉली उस नेट शर्ट और बरमूडा में बैठे हुए थे.. दोनों की ही टाँगें घुटनों के ऊपर तक खुली हुई नंगी हो रही थीं। 
ऊपर से हम दोनों का सीना भी खुला हुआ था.. मेरा क्लीवेज तो काफ़ी ज्यादा ही नज़र आ रहा था। जब कि डॉली की चूचियों का ऊपरी हिस्सा भी काफ़ी सेक्सी लग रहा था। 
चाय के दौरान ही चेतन बोला- यार नाश्ते में क्या बनाया है?
मैंने कहा- जनाब आज हमने कुछ नहीं बनाना.. आप ही जाओ और बाज़ार से कोई अच्छा सा नाश्ता लेकर आओ।
चेतन बोला- ठीक है.. मैं फ्रेश होकर जाता हूँ।
चाय पीने के बाद चेतन वॉशरूम गया और अपनी कपड़े बदल कर मार्केट चला गया।
डॉली बोली- भाभी मैं भी यह ड्रेस चेंज करके आती हूँ। 
मैंने उसका हाथ पकड़ा और बोली- नहीं आज हम दोनों ने ही ड्रेस चेंज नहीं करना.. आज रविवार है ना.. तो घर में यही ड्रेस चलेगा। तुम जल्दी से फ्रेश हो जाओ.. फिर मैं तुम्हारा थोड़ा सा मेकअप करती हूँ। तुम्हारे भैया कह रहे थे कि तुम्हें भी मेकअप वगैरह करा दिया करूँ.. ऐसी ही फिरती रहती है। 
मैंने हँसते हुए उससे झूठ बोला।
मेरी बात सुन कर डॉली थोड़ा शर्मा गई और बोली- लेकिन घर में मेकअप की क्या ज़रूरत है? 
मैंने कहा- अरे यार.. घर में भी करना चाहिए.. इसमें क्या हर्ज है.. अब जल्दी से मुँह-हाथ धोकर आओ.. तुम्हारे भैया चाहते हैं कि तुम घर में उनको खूबसूरत नज़र आओ।
डॉली- तो क्या ऐसे में मैं खूबसूरत नहीं दिखती हूँ भाभी?
मैं- खूबसूरत तो हो.. लेकिन मेकअप करके तुम्हारी में सेक्सी लुक आ जाता है ना डॉली..
मैंने डॉली को एक आँख मारते हुए कहा.. तो वो मुस्कराती हुई उठ कर वॉशरूम में चली गई।
कुछ देर के बाद डॉली बाथरूम से तौलिया से अपना चेहरा पोंछती हुई बाहर आई.. मैंने उसे पकड़ कर अपनी ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठा लिया।
मैं बोली- बैठो यहाँ.. मैं तुम्हारा मेकअप करती हूँ। 
मैं डॉली के पीछे खड़ी हुई और उसके बालों में अपनी उंगलियाँ फेरने लगी। फिर अपना हाथ उसकी नंगे कन्धों पर रख कर उनको सहलाते हुए नीचे को झुकी और उसकी कन्धों को चूमती हुई बोली- कितनी खूबसूरत है मेरी ननद.. अल्लाह बुरी नज़र से बचाए.. लेकिन मुझे लगता है कि तुझे अपने भाई की ही नज़र लग जानी है।
डॉली मेरी बात पर हँसने लगी। मैंने आहिस्ता से अपना हाथ आगे ले जाकर उसकी चूचियों पर रखा.. तो वो उछल ही पड़ी।
मैंने उसकी चूचियों को अपनी मुठ्ठी में भर कर मसल दिया और बोली- हाय.. क्या सॉलिड चूचियों हैं तेरी.. मेरी जान..
डॉली बोली- भाभी क्या करती हो आप.. तुम्हारी भी तो हैं ना.. बल्कि मेरी से भी बड़ी-बड़ी हैं।
मेरी नज़र डॉली की पीठ पर उसकी ब्रेजियर की स्ट्रेप्स और हुक्स पर पड़ी।
मैं- डॉली यह तुमने क्यों नीचे पहनी हुई है.. यह तो बिल्कुल ही खुली नज़र आ रही है.. और भी ज्यादा सेक्सी लगती है.. उतारो इसे.. पूरी की पूरी ब्रेजियर खुलम्म-खुल्ला अपने भैया को दिखाती फिर रही हो.. क्या छुपा हुआ है इसमें?
यह कह कर मैंने डॉली की ब्रेजियर की हुक को पकड़ा और उसकी ब्रेजियर को खोल दिया।
इससे पहले कि वो कोई मज़ाहमत करती या मुझे रोकती.. मैंने उसकी ब्रा की स्ट्रेप्स उसके कन्धों से नीचे खींच दिए और उसके साथ ही उसकी शर्ट की डोरियाँ भी नीचे उतार दीं। 
एकदम से डॉली की दोनों चूचियों मेरी नज़रों की सामने बिल्कुल से नंगी हो गईं।
डॉली ने फ़ौरन से ही अपनी चूचियों पर अपने दोनों हाथ रख दिए और बोली- भाभिइ..भाभीई.. यह क्या कर रही हो आप..? मुझे क्यों नंगी कर दिया?
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05-24-2019, 12:07 PM,
#35
RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
मैं हँसते हुए उसके हाथों को पीछे खींचने के लिए जोर लगाने लगी और वो भी मस्ती के साथ मेरे साथ जोर आज़माईश करने लगी। लेकिन मैंने अपने दोनों हाथ उसकी चूचियों पर पहुँचा ही दिए और अपनी ननद की दोनों नंगी चूचियों को अपनी मुठ्ठी में ले लिया और बोली- उउफफफफ.. क्या मजे की हैं तेरी चूचियाँ.. डॉली.. मेरा दिल करता है कि इनको कच्चा ही खा जाऊँ।
डॉली- सोच लो भाभी.. फिर मैं भी इन दोनों को खा जाऊँगी।
मैं- हाँ हाँ.. पहले ही भाई नहीं छोड़ता इन सबको खाना और चूसना.. अब उसकी बहन भी इनके पीछे पड़ने लगी है।
अब मैंने डॉली की ब्रेजियर को उसकी बाज़ू में से बाहर निकाल दी और आहिस्ता-आहिस्ता उसकी दोनों चूचियों को हाथों से निकाल कर दोबारा से उसकी शर्ट की डोरियों को उसके कन्धों पर चढ़ा दिया.. लेकिन उसकी ड्रेस की डोरियाँ ठीक करने के बावजूद भी मैंने उसकी चूचियों को उसकी शर्ट के बाहर ही रखा.. तो वो हँसने लगी।
‘भाभी इनको तो अन्दर कर दो..’
अब वो मुझसे अपनी चूचियों को नहीं छुपा रही थी।
मैं- चल ठीक.. आज तू अगर ऐसे ही अपने भैया के सामने रह जाती है ना.. तो जो मर्ज़ी मुझसे माँग लेना.. मैं दे दूँगी..
डॉली मेरी बात सुन कर हँसने लगी और बोली- लगता है कि आप मुझे भैया से मरवा कर ही रहोगी।
मैं मुस्कुराई और धीमी आवाज़ में बोली- तुमको नहीं.. तुम्हारी मरवाऊँगी.. तुम्हारे भैया से..
डॉली बोली- भाभी क्या बोला आपने.. फिर से बोलना जरा..
मैं हँसने लगी.. उसकी बात पर मुझे पता चल गया था कि मेरी बात डॉली ने सुन तो ली ही है।
मैंने जान बूझ कर उसकी ब्रा वहीं अपने बिस्तर पर फेंक दी और दोबारा से डॉली के मेकअप को सैट करने लगी।
थोड़ी ही देर में मेरे मेकअप ने डॉली के हसीन चेहरे को और भी हसीन कर दिया। 
उसके होंठों पर लगी हुई चमकदार सुर्ख लिपिस्टिक बहुत ही सेक्सी लग रही थी। मैंने उसे तैयार करने के बाद उसके गोरे-गोरे गालों पर एक चुटकी ली और बोली- आज तो मेरी ननद पूरी छम्मक-छल्लो सी लग रही है।
मेरी बात सुन कर डॉली शर्मा गई और बोली।
डॉली- भाभी घर पर दिन के वक़्त यह ड्रेस कुछ ज्यादा ही ओपन नहीं हो जाएगा।
मैं- अरे नहीं यार.. कुछ भी ज्यादा या कम नहीं है.. देख मैं भी तो इसी ड्रेस में ही हूँ ना.. मैंने कौन सा इसे चेंज कर लिया हुआ है और एक बात तुमको बताऊँ कि तेरे आने से पहले तो मैं घर पर तुम्हारे भैया के होते हुए सिर्फ़ ब्रेजियर ही पहन कर फिरती रहती थी। अब तो सिर्फ़ तुम्हारी वजह से इतनी फॉरमैलिटी करनी पड़ती है।
डॉली- क्या सच भाभी?? 
मैं- हाँ तो और क्या.. अगर तू कहे.. तो मैं ऐसी दोबारा से भी हो सकती हूँ।
मेरी बात सुन कर वो खामोश हो गई।
फिर हम दोनों बाहर लाउंज में आ गए और टीवी देखने लगे। 
इतनी में घंटी बजी.. चेतन के आने की सोच कर मैंने जानबूझ कर डॉली से कहा- जाओ.. गेट खोलो.. तुम्हारे भैया आए हैं।
वो शर्मा कर बोली- नहीं भाभी आप ही जाओ..
मैंने इन्कार कर दिया और उसे दरवाजे की तरफ ढकेला और वो चुप करके गेट की तरफ बढ़ गई।
मुझे पता था कि इतनी खूबसूरत हालत में अपनी बहन को देख कर चेतन को ज़रूर शॉक लगेगा.. इसलिए मैं भी उनकी तरफ ही गेट को देख रही थी।
वो ही हुआ कि जैसे ही डॉली ने गेट खोला.. तो उसे देख कर चेतन का मुँह खुला का खुला रह गया।
अपनी बहन के खिलते हुए गोरे रंग और उस पर किए हुए इस क़दर खुबसूरत मेकअप की वजह से डॉली पर तो नज़र ही नहीं टिक पा रही थी।
गेट खोल कर डॉली ने मुस्करा कर अपने भाई को देखा और फिर वापिस मुड़ते हुए चेतन ने जल्दी से गेट बंद किया और डॉली के पीछे-पीछे चलने लगा।
डॉली की कमर पर नज़र पड़ी तो उसे एक और शॉक लगा कि उसकी बहन ने अब रात वाली काली ब्रेजियर भी नहीं पहनी हुई थी.. और वो भी उतार चुकी हुई थी।
अब बैक पर डॉली की गोरी-गोरी चिकनी कमर बिल्कुल नंगी हो रही थी।
मैंने महसूस किया कि डॉली भी बहुत ही धीरे-धीरे चलते हुए आ रही थी।
अन्दर आकर डॉली नाश्ते का सामान लेकर रसोई में चली गई और चेतन मेरे पास आ गया।
मैंने मुस्करा कर उसकी तरफ देखा और बोली- आज हमारी डॉली प्यारी लग रही है ना?
चेतन ने मेरी तरफ देखा और बोला- हाँ हाँ, बहुत अच्छी लग रही है।
मैं उठी और रसोई की तरफ जाते हुए चेतन से बोली- यार वो बेडरूम से चाय की सुबह वाला कप तो उठा लाना.. उसको भी साथ ही धो लेती हूँ। 
यह कह कर मैं रसोई में चली गई.. मुझे पता था कि अन्दर का क्या हसीन मंज़र चेतन का मुंतजिर होगा।
मैं रसोई में डॉली के पास आ गई और उसे नाश्ता लगाने मैं मदद करने लगी। 
थोड़ी देर बाद मैंने डॉली से कहा- डॉली जाकर देखना कि तुम्हारे भैया क्या कर रहे हैं.. उन्हें बेडरूम से कप उठा कर लाने के लिए कहा था.. मुझे लगता है कि दोबारा से वहाँ जाकर सो गए हैं। 
डॉली मुस्कराई और बेडरूम की तरफ बढ़ी और मैं उसको रसोई के दरवाजे के पीछे से देखने लगी।
डॉली ने जैसे ही अन्दर झाँका तो एकदम पीछे हट गई। उसने रसोई की तरफ मुड़ कर देखा.. लेकिन जब मुझ पर नज़र नहीं पड़ी.. तो दोबारा छुप कर अन्दर देखने लगी। 
मैं समझ सकती थी कि अन्दर क्या हो रहा होगा।
लाजिमी सी बात थी कि अपने बिस्तर पर जो मैंने डॉली की ब्रेजियर फैंकी थी.. वो चेतन के आने तक वहीं पड़ी हुई थी.. तो अब चेतन ने उसे देख लिया होगा और लाजिमन उसे उठा कर उसका जायज़ा ले रहा होगा। उसे अच्छे से अंदाज़ा था कि यह मेरी ब्रेजियर नहीं है और अब तो उसे साइज़ का भी पता हो गया था। उसे यह भी पता था कि मैंने तो कल से ब्रा पहनी ही नहीं हुई है।
अन्दर चेतन अपनी बहन की ब्रेजियर के साथ खेल कर मजे ले रहा था और बाहर खड़ी हुई डॉली अपने भाई को अपनी ही ब्रेजियर से खेलते हुए देख रही थी।
यह नहीं पता था कि चेतन अपनी बहन की ब्रा के साथ कर क्या रहा है.. लेकिन बहरहाल और उसके लिए कुछ करने का था तो नहीं वहाँ.. पर तब भी कुछ देर तक मैंने दोनों को एंजाय करने दिया।
फिर थोड़ा दरवाजे से पीछे हट कर मैंने चेतन को और फिर डॉली को आवाज़ दी और जल्दी आने को कहा। मेरी आवाज़ सुन कर डॉली रसोई में आ गई।
मैंने डॉली का चेहरा देखा तो वो सुर्ख हो रहा था.. मैंने पूछा- आए नहीं तुम्हारे भैया.. क्या कर रहे हैं?
डॉली बोली- आ रहे हैं वो बस अभी आते हैं। 
वो मेरे सवाल का जवाब देने में घबरा रही थी। फिर वो आहिस्ता से बोली- भाभी आपने मेरी ब्रा वहीं बिस्तर पर ही फेंक दी थी क्या?
मैं- ओह हाँ.. बस यूँ ही ख्याल ही नहीं रहा बस.. क्यों क्या हुआ है उसे?
डॉली बोली- नहीं.. कुछ नहीं भाभी.. कुछ नहीं हुआ..
फिर वो जल्दी से खाना उठा कर बाहर आ गई। मैंने उसे ब्रेकफास्ट टेबल के बजाए आज छोटी सेंटर टेबल पर लगाने के लिए कहा।
ज़ाहिर है कि इसमें भी मेरे दिमाग की कोई शैतानी ही शामिल थी ना.. थोड़ी ही देर में चेतन भी बेडरूम से कप की ट्रे लेकर आ गया। 
मैंने पूछा- कहाँ रह गए थे? 
उसने घबरा कर एक नज़र डॉली पर डाली और बोला- वो बस बाथरूम में चला गया था।
डॉली अपने भाई की तरफ नहीं देख रही थी.. बस सोफे पर बैठे अपने भाई के आने का इन्तजार कर रही थी। 
क्योंकि रात को उसे सोई हुई समझ कर उसका भाई जो जो उसके साथ करता रहा था और जो कुछ अब वो उसकी ब्रेजियर के साथ कर रहा था.. तो वो उसके लिए बहुत ही उत्तेजित हो उठी थी.. लेकिन उसे शर्मा देने वाला महसूस भी हो रहा था।
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05-24-2019, 12:07 PM,
#36
RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
चेतन आया तो मेरे साथ ही सोफे पर बैठ गया और हम तीनों ने नाश्ता शुरू कर दिया। डॉली हम दोनों के बिल्कुल सामने बैठे थी। अब खाना इस टेबल पर रखने में मेरा ट्रिक यह था कि यह जो टेबल थी.. वो काफ़ी नीची थी और इस पर खाना खाते हुए आगे को काफ़ी झुकना पड़ता था।
इस तरह आगे को नीचे झुकने का पूरा-पूरा फ़ायदा मैं चेतन को दे रही थी.. क्योंकि डॉली भी नीचे झुक कर खाना खा रही थी और उसके नीचे झुकने की वजह से उसकी नेट शर्ट और भी नीचे को लटक रही थी। इस वजह से उसकी चूचियाँ और भी ज्यादा एक्सपोज़ हो रही थीं। 
चेतन की नज़र भी सीधी-सीधी अपनी बहन की खुली ओपन क्लीवेज और चूचियों पर ही जा रही थी।
मैंने महसूस किया कि चेतन नाश्ता कम कर रहा था और अपनी बहन की चूचियों को ज्यादा देख रहा था। 
एक और बात जो मैंने नोट की.. वो यह थी कि डॉली को पता था कि उसकी चूचियाँ काफ़ी ज्यादा खुली नज़र आ रही हैं और उसका भाई इनका पूरी तरह से मज़ा ले रहा है.. लेकिन इसके बावजूद भी डॉली ने अपनी पोजीशन को चेंज करने की और अपनी चूचियों को छुपाने की कोई कोशिश नहीं की।
वैसे भी उसकी और मेरी शर्ट इतनी ज्यादा ओपन थी कि हमारे पास अपनी खुली चूचियों को छुपाने के लिए कुछ नहीं था।

हमारी तवज्जो हटाने के लिए चेतन बोला- यार आज तो बाहर मौसम काफ़ी खराब हो रहा है.. काले बादल भी छाए हुए हैं.. लगता है कि आज बारिश हो जाएगी।
डॉली- जी भैया.. अच्छा है ना बारिश हो जाए.. तो कुछ गर्मी की शिद्दत में भी कमी हो जाएगी।
बारिश का जिक्र आते ही मैं दिल ही दिल मैं बारिश कि लिए दुआ माँगने लगी ताकि कुछ और भी मस्ती करने का मौका मिल सके।
नाश्ता करने के बाद मैंने और डॉली ने बर्तन उठाए और रसोई में ले जाकर रखे। 
फिर मैं डॉली को चाय बना कर लाने का कह कर रसोई से बाहर टीवी लाउंज में आ गई और चेतन के बिल्कुल साथ लग कर बैठ गई। चेतन ने भी टीवी देखते हुए मेरी गर्दन के पीछे से अपना बाज़ू डाला और मेरी दूसरे कन्धों पर ले आया और ऊपर से ही मेरी चूचियों को सहलाने लगा। 
फिर उसका हाथ आहिस्ता आहिस्ता मेरी ओपन शर्ट में नीचे चला गया और उसने मेरी शर्ट के अन्दर हाथ डाल कर मेरी एक चूची को पकड़ लिया और आहिस्ता आहिस्ता उससे खेलने लगा। 
मैंने भी उसे मना नहीं किया और ना ही उसकी बहन के पास होने का इशारा दिया बल्कि उसे खुल कर एंजाय करने दे रही थी और खुद भी उससे चिपकती जा रही थी.. ताकि उसका हाथ बहुत ही आसानी के साथ और भी मेरी शर्ट के अन्दर तक चला जाए। 
हम दोनों ही इसी हालत में बैठे हुए टीवी देख रहे थे.. मैं थोड़ी तिरछी नज़र से रसोई की तरफ भी देख रही थी.. इतने में डॉली टीवी लाउंज में दाखिल हुई तो मैंने अपनी नज़र उस पर नहीं डाली और भी ज्यादा बेतक्कलुफी से चेतन से चिपक गई। 
चेतन का हाथ अभी भी मेरी शर्ट के अन्दर मेरी चूची से खेल रहा था। उसकी बहन ने आते ही सब कुछ देख लिया था। 
मैंने देखा कि चंद लम्हे तो वो वहीं रसोई के दरवाजे पर खड़ी हुई यह नज़ारा देखती रही.. फिर आहिस्ता आहिस्ता क़दमों से चलते हुए हमारी टेबल के क़रीब आई और झुक कर टेबल पर चाय की ट्रे रख दी।
उसके चेहरे पर हल्की-हल्की मुस्कराहट थी।
उसे देखते ही चेतन ने अपना हाथ मेरी शर्ट से बाहर निकाल लिया.. लेकिन इससे पहले तो डॉली सब कुछ देख ही चुकी थी कि कैसे उसका भाई मेरी शर्ट की अन्दर अपना हाथ डाल कर मेरी चूचियों से खेल रहा है। 
चेतन ने अपना हाथ तो मेरी शर्ट से निकाल लिया था.. लेकिन अभी तक मेरे कन्धों पर ही रखा हुआ था। मैं भी बिना कोई शरम किए हुए चेतन के साथ चिपक कर बैठी हुई थी। 
डॉली ने मुस्कराते हुए वहीं पर ही हम दोनों को चाय के कप पकड़ा दिए और फिर वो भी चाय लेकर मेरे पास बैठ गई।
अब मैं दरम्यान में थी और दोनों बहन-भाई मेरी दोनों तरफ बैठे थे। 
डॉली के नंगे कंधे भी मेरे कंधों से टकरा रहे थे और चेतन के हाथ भी मेरे कन्धों से होते हुए अपनी बहन के कन्धों को छू जाते थे।
लेकिन वो बिना किसी मज़हमत के आराम से बैठी हुई थी। 
मैंने चाय का एक सिप लिया और उन दोनों के दरम्यान से उठते हुए बोली- यार चीनी कुछ कम है.. मैं अभी डाल कर लाई।
मैं उन दोनों बहन-भाई के दरम्यान से उठ गई और फिर रसोई में आ गई। 
वहाँ से मैंने देखा कि चेतन ने थोड़ा सा सरकते हुए डॉली के कन्धों पर गर्दन से पीछे बाज़ू डाल कर अपना हाथ रखा और फिर उसके कन्धों को सहलाते हुए बोला- और सुनाओ डॉली.. तुम्हारी पढ़ाई कैसे चल रही है?
डॉली भी सटते हुए बोली- जी भैया.. पढ़ाई भी और कॉलेज भी.. ठीक चल रहे हैं। 
मैंने देखा कि डॉली ने अपने जिस्म को अपने भाई के हाथ की पकड़ से छुड़ाने की कोई कोशिश नहीं की.. बल्कि उसी तरह बैठी रही।
कुछ देर तक मैंने उन दोनों को बिना कोई और बातचीत किए हुए मज़ा लेने दिया और फिर रसोई से बाहर आ गई।
मेरे आते ही दोनों सम्भल कर बैठ गए। मैं महसूस कर रही थी कि दोनों बहन-भाई के दरम्यान बिना कोई बातचीत शुरू हुए ही एक ताल्लुक सा बनता जा रहा था।
डॉली को अपने भाई के टच से लुत्फ़ आने लगा था और शायद चेतन को भी पता चलता जा रहा था कि उसकी बहन भी कुछ-कुछ एंजाय करने लगी है। 
मैं अब जाकर चेतन की दूसरी तरफ बैठ गई और उसे दरम्यान में ही बैठा रहने दिया। ऐसे ही चाय पीते और गप-शप लगाते हुए हम लोग टीवी देखते रहे।
हम दोनों ननद-भाभी ने इसे ड्रेस में पूरा दिन घर में अपने जिस्म के नंगेपन की बिजलियाँ गिराते हुए गुजारा। पूरे दिन हम दोनों के नंगे जिस्मों को देख कर चेतन पागल होता रहा। कई बार जब भी उसने मुझे अकेले पाया.. तो अपनी बाँहों में मुझे दबोच लिया और चूमते हुए अपनी प्यास बुझाने लगा। 
मैंने भी उसके लण्ड को सहलाते हुए उसे खड़ा किया.. लेकिन हर बार उसकी बाँहों से फिसल कर उसे केएलपीडी का अहसास कराते हुए भाग आई.. ताकि उसकी प्यास और उसकी अन्दर जलती हुई आग इसी तरह ही भड़कती रहे और ठंडी ना होने पाए।
मैंने महसूस किया कि अब डॉली भी घर में उस बिल्कुल ही नंगी ड्रेस में फिरने में कोई भी शरम महसूस नहीं कर रही थी और बड़े आराम से उस हाफ शॉर्ट बरमूडा और उस स्लीव लैस नेट शर्ट में बिंदास घूम रही थी.. जिसमें उसका खूबसूरत सीना और चूचियों का ऊपरी हिस्सा तो बिल्कुल ही खुला नज़र आ रहा था।
अब वो भी अपने भाई की नजरों से बचने की कोशिश नहीं कर रही थी.. बल्कि उसके आस-पास ही डोल रही थी
मैं और डॉली रसोई में थे.. तो चेतन भी अन्दर ही आ गया।
बोला- हाँ.. भाई क्या पक रहा है?
मैंने बताया- चिकन बना रही हूँ। 
चेतन डॉली के नंगे जिस्म की तरफ देखते हुए बोला- यार आज मौसम इतना प्यारा हो रहा है.. आज तो साथ में कुछ मीठा भी होना चाहिए..
मैंने मुस्करा कर चेतन की तरफ देखा और बोली- बेफिकर रहिए आप.. आज आपका मुँह भी मीठा करवा ही देंगे.. क्यों डॉली..
जैसे ही आखिरी बात मैंने डॉली से पूछी.. तो वो मेरे सवाल पर झेंप सी गई और बोली- हाँ हाँ.. भैया बताएं.. क्या बनाना है? 
चेतन ने मुस्करा कर अपनी बहन की चूचियों की तरफ एक नज़र डाली और फिर बाहर निकलते हुए बोला- कुछ भी मस्त सा आइटम बना लो यार..
क़रीब 5 बजे चेतन के एक दोस्त का फोन आ गया.. उसने उसे अपने घर बुलाया था। 
मुझे साफ़ लग रहा था कि घर में घूम रही दो-दो खूबसूरत अधनंगी लड़कियों को छोड़ कर जाने को उसका दिल बिल्कुल भी नहीं कर रहा था.. लेकिन उसे जाना ही पड़ा।
उसका यह दोस्त दो-तीन गली छोड़ कर ही रहता था। चेतन के जाने के बाद मैंने और डॉली ने जल्दी से रात का खाना तैयार कर लिया और चेतन की फरमाइश के मुताबिक़ मीठा भी बना लिया।
रसोई से निकलते हुए मैंने डॉली को मासूमियत से छेड़ा- यार पता नहीं तुम्हारे भैया को यह मीठा पसंद आता भी है कि नहीं.. या कुछ और चीज़ से मुँह मीठा करना चाहिए।
मेरी बात सुन कर डॉली शरमा कर मुस्कराई और अपने कमरे में चली गई।
चेतन के जाने के बाद मैं अपने कमरे में आ गई और अपना लैपटॉप खोल कर बैठ गई।
मैं अक्सर अकेले में नेट पर ट्रिपल एक्स मूवीज देखती थी। ट्रिपल एक्स मूवीज देखने का मुझे और चेतन दोनों को ही बड़ा शौक़ था.. बल्कि सच कहूँ.. तो चेतन ने ही मुझे इसका आदी बनाया था। 
मेरा दिल आज चाहा कि मैं आज लेज़्बीयन मूवी देखूं।
मैंने एक पॉर्न साइट पर जाकर लेज़्बीयन मूवी खोज निकाली और उसको देखने लगी।
मुझे आज पहली बार इन मूवीज में मज़ा आ रहा था.. वरना कभी भी मैंने इस क़दर शौक़ से इस किस्म की मूवीज नहीं देखीं थीं। 
मुझे हमेशा से ही स्ट्रेट सेक्स ही पसंद रहा था। एक मर्द के साथ एक औरत के जिस्म का मिलाप होना ही मुझमें चुदास जगा देता था। लेकिन आज जब से मैंने डॉली के जिस्म को छुआ और उसे चूमा था.. तो मुझे इसमें भी बहुत मज़ा आ रहा था। 
अपने बिस्तर पर बैठ कर अपनी जाँघों पर लैपटॉप रख कर मैं पॉर्न एंजाय कर रही थी।
कुछ देर गुज़रे.. तो अचानक से डॉली मेरे कमरे में आ गई, वो अभी भी उसी सुबह वाले ड्रेस में थी।
उसे देखते साथ ही एक बार फिर से मेरी आँखें चमक उठीं। 
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05-24-2019, 12:07 PM,
#37
RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
मैंने जल्दी से उस फिल्म को बन्द कर दिया। डॉली मेरे पास बिस्तर पर आ गई और मेरे पास बैठती हुई बोली।
डॉली- भाभी क्या देख रही थी लैपटॉप पर?
मैं- कुछ नहीं यार.. तेरे देखने की चीज़ नहीं है..
डॉली- क्यों भाभी ऐसी कौन सी चीज़ है.. जो मेरे देखने की नहीं है और क्यूँ नहीं है.. मेरे देखने की?
मैं- वो इसलिए नहीं है.. क्योंकि तू अभी बच्ची है.. हाहह… हहहा..
डॉली मेरी बाज़ू पर मुक्का मारते हुए बोली- वाह जी वाह.. भाभी जी.. मैं अब बड़ी हो गई हुई हूँ.. कोई बच्ची-वच्ची नहीं हूँ।
मैं हँसते हुए- अच्छा जी.. तो कहाँ से बड़ी हो गई हो.. बताओ मुझे भी डॉली?
डॉली अपना सीना तान कर अपनी चूचियों को बाहर को निकालते हुए बोली- देख लो.. कितनी बड़ी हो गई हूँ मैं और सुबह भी तो आपने देखा ही था ना.. कौन सा मैं कोई बच्ची जैसी हूँ?
मैं हँसने लगी- अच्छा बाबा अच्छा, ठीक है.. आओ तुमको भी देखा देती हूँ.. लेकिन फिर ना कहना कि कैसे चीजें दिखा दी हैं भाभी ने मुझे..
मैं अब डॉली को थोड़ा और भी ओपन करने का सोच चुकी थी इसलिए मैंने वो ही लेज़्बीयन फिल्म निकाली और चला दी।
डॉली ने जैसे ही वो फिल्म देखी तो फ़ौरन ही अपने मुँह पर हाथ रख लिया।
डॉली- ओह नो भाभी.. मैंने ऐसी मूवीज का सुना था कॉलेज की लड़कियों से.. और देखी भी थी उनके मोबाइल में.. लेकिन भाभी क्या आप भी इस तरह की मूवीज देखती हो?
मैंने मुस्करा कर उसकी तरफ देखा और बोली- हाँ.. क्यों नहीं.. अच्छा लगता है ना..
डॉली- लेकिन अगर भैया को पता चल जाए आपका.. तो??
मैं हँसते हुए- अरे पगली.. तेरे भैया ने ही तो मुझे इनको देखना सिखाया है..
डॉली- क्या सच भाभी..??
मैंने ‘हाँ’ में सिर हिलाया और फिर उसे अपने पास खींचते हुए अपना बाज़ू उसके कंधे पर दूसरी तरफ से रखते हुए बोली- चलो अब देखो फिल्म..
डॉली मेरे साथ वो लेज़्बीयन फिल्म देखने लगी और थोड़ी ही देर मैं पूरी तरह से फिल्म में मस्त हो गई..
मैं भी आहिस्ता आहिस्ता उसके नंगे कन्धों को सहला रही थी और आहिस्ता आहिस्ता मेरा हाथ नीचे को उसके कन्धों के आगे की ओर उसकी चूची की ऊपरी हिस्से तक आता जा रहा था। 
आहिस्ता आहिस्ता मैंने डॉली की चूची को उसकी शर्ट की ऊपर से सहलाना शुरू कर दिया।
मेरा चेहरा भी उसके कन्धों पर आ गया और मैं अपने होंठों को उसकी गर्दन और उसके कन्धों पर आहिस्ता आहिस्ता फेरने लगी। 
डॉली मेरे होंठों से अपनी गर्दन और कन्धों और जिस्म को बचाने की लिए हौले-हौले कसमसा रही थी.. लेकिन ज्यादा मजाहमत भी नहीं कर रही थी.. शायद उसे भी अच्छा लग रहा था।
लैपटॉप अब बिस्तर पर रखा हुआ था। मैंने अपनी टाँगें फैलाईं और आहिस्ता से डॉली को अपनी गोद में खींच लिया। डॉली भी चुप करके मेरी गोद में लेट गई और मेरे एक साइड पर रखे हुए लैपटॉप पर वही लेज़्बीयन फिल्म देखने लगी। 
इस फिल्म में एक लड़की दूसरी खूबसूरत लड़की की चूचियों को चूस रही थी और उसके निपल्स पर अपनी ज़ुबान फेर रही थी।
मैंने अपना हाथ डॉली की चूचियों पर रखा और उनको आहिस्ता आहिस्ता सहलाते हुए डॉली के कान में धीरे से बोली- डॉली.. देखो बिल्कुल तुम्हारे जैसे सुडौल और खूबसूरत हैं.. इसकी चूचियों.. कितनी सेक्सी लग रही है। 
इसके साथ ही मैंने अपनी ज़ुबान की नोक डॉली के कान के अन्दर आहिस्ता से घुमाई.. तो वो चुदास से तड़फ ही उठी..
कडॉली ने मुस्करा कर मेरी तरफ देखा.. तो मुझे उसकी आँखें सुर्ख होती हुई नज़र आईं। मैंने नीचे को झुक कर हिम्मत करते हुए अपने होंठ उसके होंठों पर रखे और एक किस कर लिया। 
डॉली मुस्कराई और बोली- भाभी क्या है.. आपको लगता है कि आपको भी इनकी तरह ही मज़ा करने का शौक चढ़ रहा है?
मैं आहिस्ता आहिस्ता डॉली की नंगी जाँघों पर हाथ फेरते हुए उसके गालों को चूमते हुए बोली- हाँ.. तो क्या हर्ज है इसमें.. यह सब तो लड़कियां करती ही हैं ना?
डॉली- जी भाभी.. मुझे पता है कि यह सब कुछ होता है.. मेरी एक फ्रेंड है जो कि हॉस्टल में रहती है.. तो वो बताती है कि वहाँ गर्ल्स हॉस्टल में यह वाला प्यार बहुत कॉमन है।
डॉली के सिर के बालों में हाथ फेरते हुए मैंने झुक कर डॉली के होंठों को चूमा और उसकी निचले होंठ को अपने दाँतों की गिरफ्त में लेते हुए आहिस्ता आहिस्ता काटने लगी.. तो ‘इसस्स.. स्स्स्स्स.. स्स्स्स्स…’ की आवाज़ के साथ ही डॉली की आँखें भी बंद हो गईं।
एक हाथ से डॉली के सिर को कंट्रोल करते हुए उसके होंठों को चूसते हुए.. मैंने अपना हाथ डॉली की शर्ट के नीचे डाला और उसकी नंगे गोरे पेट को सहलाते हुए अपना हाथ ऊपर को उसकी नंगी चूचियों की तरफ ले जाने लगी।
डॉली की साँसें तेज हो रही थीं और उसकी साँसों के साथ उसकी चूचियों भी ऊपर-नीचे हो रही थीं।
जैसे ही मेरे हाथों ने सीधे डॉली की नंगी चूचियों को अपनी गिरफ्त में लिया.. तो डॉली का सीना एकदम से ऊपर को उठ गया, मैं फ़ौरन ही समझ गई कि डॉली भी मस्ती में आ रही है, मैंने बिल्कुल आहिस्ता आहिस्ता उसके एक निप्पल को अपनी उंगली और अँगूठे के दरम्यान लेकर दबाना और सहलाना शुरू कर दिया।
डॉली के मुँह से हल्की हल्की सिसकारियाँ निकलने लगी थीं।
बारी-बारी से मैं उसके दोनों छोटे-छोटे अंगूरों जैसे निप्पलों को सहला रही थी और साथ-साथ डॉली के होंठों को भी चूम रही थी।
डॉली की आँखें बिल्कुल बंद थीं.. बस उसके मुँह से गहरी-गहरी साँसें फूट रही थीं। 
मैं उसकी चूचियों से उसकी शर्ट के नीचे से खोलती हुई उसकी गुलाबी और पतले-पतले रसीले होंठों पर अपनी ज़ुबान फेर रही थी।
आहिस्ता आहिस्ता मैंने अपनी ज़ुबान को उसके होंठों के दरम्यान में धकेल दिया। अब मेरी ज़ुबान उसके होंठों को अन्दर से चाटने लगी और उसकी दाँतों से टकरा रही थी।
आहिस्ता आहिस्ता डॉली के दाँतों ने एक-दूसरे से जुदा होते हुए मेरी ज़ुबान को अन्दर आने की इजाज़त दी और अगले ही पल मेरी ज़ुबान डॉली की ज़ुबान से टकराने लगी.. साथ ही डॉली ने अपने होंठों को बंद किया और मेरी ज़ुबान को अपने होंठों में लेकर चूसने लगी।
मैंने अपना हाथ डॉली की उस छोटी सी शर्ट से बाहर निकाला और फिर उसकी शर्ट के ऊपर से उसकी चूचियों पर रख दिया।
अब मैंने उसकी शर्ट के खुले गले के किनारे को पकड़ा और आहिस्ता-आहिस्ता उसको नीचे को खींचते हुए मैंने उसकी चूचियों को नंगा कर लिया। 
एक लम्हे के लिए डॉली ने अपनी आँखें खोलीं.. लेकिन जैसे ही मैंने उसकी नंगी खुल्ला चूचियों को अपनी मुट्ठी में पकड़ा.. तो एक बार फिर से उसकी आँखें बंद हो गईं।
डॉली की खूबसूरत गोरी-गोरी चूचियाँ और उनकी ऊपर सजे हुए गुलाबी-गुलाबी छोटे-छोटे अंगूरी निप्पल मेरी नज़रों के सामने बिल्कुल नंगे हो चुके थे।
उसकी दाईं तरफ की चूची पर दरम्यान में एक छोटा सा काला तिल था.. जो कि उसकी गोरी स्किन पर बहुत ही प्यारा लग रहा था।
चंद बार उसके होंठों को दोबारा चूमने के बाद मैंने अपने होंठों को नीचे लाते हुए उसकी सीने को चूमा और फिर अपने होंठों को उसकी गुलाबी निप्पलों के पास ले आई.. और आहिस्ता आहिस्ता अपने होंठों से गर्म-गर्म साँसें निकाल कर उनको गर्म करने लगी। 
जैसे ही मैंने अपने होंठों के हल्के से टच से उसके निप्पलों को छुआ और रगड़ा.. तो डॉली की जिस्म में तनाव सा पैदा हो गया और उसके जिस्म ने एक झुरझुरी सी ली।
धीरे-धीरे मैंने अपनी ज़ुबान को बाहर निकाला और उसकी एक निप्पल को अपनी ज़ुबान से सहलाने लगी। जैसे-जैसे मेरी ज़ुबान उसके नर्म निप्पल को सहला रही थी.. तो डॉली के जिस्म में बेचैनी सी बढ़ती ही जा रही थी। 
ज़ाहिर है कि एक कुँवारी लड़की जिसके लिए यह सब कुछ पहली बार हो रहा हो.. उसका खुद पर कंट्रोल करना बहुत ही मुश्किल होता है।
यही हाल डॉली का हो रहा था, अपने जिस्म के साथ हो रही इस नई छेड़-छाड़ को वो बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी और उसके हाथ भी मेरी नंगी कमर को सहलाने लगे थे।
मैंने आहिस्ता से उसके एक निप्पल को अपने होंठों में ले लिया और उसे हौले-हौले चूसने लगी। मैं चूसते हुए उसके निप्पलों को अपनी ज़ुबान से सहला भी रही थी।

मेरा हाथ उसकी जाँघों और नंगी कमर और जिस्म पर रेंग रहे थे.. मुझे लग रहा था कि कुछ ही देर में ही बिना चुदे ही डॉली अपनी ज़िंदगी में पहली बार रस छोड़ने के मुकाम तक पहुँच जाने वाली है।
मैं भी यही चाह रही थी कि अभी उसकी चूत को ना टच करूँ.. और ऐसे ही उसकी चूत का पहला पानी निकाल दूँ। 
मेरे हाथ उसकी नंगी जाँघों पर उसके बरमूडा के अन्दर तक उसकी चूत के इर्द-गिर्द रेंग रहे थे.. लेकिन उसकी चूत को टच नहीं कर रहे थे।
डॉली से जब बर्दाश्त ना हो पाया तो उसने अपना हाथ अपनी बरमूडा के ऊपर से अपनी चूत पर रखा और उसे दबाने लगी.. साथ ही मैंने भी उसके निप्पलों पर अपने होंठों का दबाव बढ़ा दिया। बल्कि अब मैं उसके निप्पलों को अपने दाँतों से हौले-हौले काटने भी लगी थी। 
तेज-तेज साँसों के साथ डॉली के मुँह से तेज-तेज सिसकारियाँ भी निकल रही थीं.. जो कि पूरे कमरे ही क्या.. पूरे घर में गूँज रही थीं।
चंद लम्हों के बाद ही डॉली के जिस्म ने जैसे ज़ोरदार झटका सा खाया। उसके चेहरे के हाव-भाव भी चेंज हो गए और पूरे का पूरा जिस्म उसका अकड़ गया। 
मैं समझ गई कि डॉली की चूत पहली-पहली बार पानी छोड़ रही है। मैंने उसके जिस्म को अपने जिस्म के साथ भींच लिया और थोड़ी ही देर में ही उसका जिस्म मेरी बाँहों की गिरफ्त में बिल्कुल ढीला हो गया। 
मैंने आहिस्ता आहिस्ता उसे चूमते हुए उसे रिलेक्स करना शुरू कर दिया। मैंने अपनी नज़र उसकी चूत पर डाली.. तो उसका बरमूडा उसकी चूत के ऊपर से गीला हो रहा था। मैंने उसकी बरमूडा को छुआ और फिर उसकी साइड से हाथ अन्दर ले जाकर उसकी चूत को छुआ.. तो डॉली की कुँवारी चूत का कुँवारा पहला-पहला पानी मेरे हाथ पर लग गया। 
मैंने अपने हाथ को बाहर निकाला और उसकी चूत की पानी को अपनी नाक के पास ले जाकर सूंघा। 
कभी ऐसा किसी के साथ ना करने के बावजूद भी मेरा दिल चाहा कि मैं उसे टेस्ट करके देखूँ.. जब मैं खुद को रोक ना पाई तो मैंने धीरे से अपनी गीली उंगलियों को चाट लिया।
डॉली ने अपनी आँखें खोलीं और मुझे अपनी उंगलयों को चाटते हुए देख कर बोली- भाभी.. क्या कर रही हैं यह?
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05-24-2019, 12:08 PM,
#38
RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
मैं मुस्कराई और उसकी चूत के पानी से चमकती हुई अपनी उंगलियाँ उसके चेहरे के पास ले जाती हुई बोली- देखो तुम्हारी चूत का पहला-पहला पानी निकला है.. उसे ही टेस्ट कर रही हूँ।
मेरी बात सुन कर डॉली के चेहरे पर शर्मीली सी मुस्कराहट फैल गई और उसने दोबारा से अपनी आँखें बंद कर लीं। मैंने भी आहिस्ता आहिस्ता उसी गीली उंगली से उसके होंठों को सहलाना शुरू कर दिया और डॉली को खुद उसकी अपनी चूत का पानी टेस्ट करवाने लगी।
कुछ देर के लिए मैं और डॉली इसी तरह से निढाल हालत में लेटे रहे। मेरी चूत की प्यास अभी तक नहीं बुझ पाई थी.. लेकिन मैंने खुद पर कंट्रोल कर लिया हुआ था और एक ही वक़्त में मैं डॉली को बिल्कुल ओपन नहीं कर लेना चाहती थी.. शायद वो भी एक ही बार में तमाम हदों को क्रॉस ना कर पाती इसलिए मैं बड़े ही आराम से अपनी बाँहों में लिए हुए उसके जिस्म को सहलाती रही। वो भी आँखें बंद करके मेरी बाँहों में पड़ी रही। उसने अपना टॉप भी ठीक करने की कोई कोशिश नहीं की और ना ही मैंने उसे उसकी चूचियों से नीचे किया। 
इस तरह से पड़े हुए उसकी नंगी चूचियों का नजारा बहुत खूबसूरत लग रहा था। उसके जिस्म को सहलाते रहने और ज़िंदगी के पहले ओर्गैज्म की वजह से उसे थोड़ी ही देर में नींद आ गई.. लेकिन मैं सो ही नहीं पाई।
शाम की क़रीब 7 बजे जब मैं और डॉली बैठे टीवी देख रहे थे.. तो अचानक से बादलों की गड़गड़ाहट शुरू हो गई और थोड़ी ही देर में झमाझम बारिश होने लगी। मैं और डॉली दोनों ही पिछले सहन में भागीं कि बारिश देखते हैं।
देखते ही देखते बारिश तेज होने लगी। मैंने कहा- डॉली आओ बारिश में नहाते हैं। 
डॉली बोली- लेकिन भाभी यह नई ड्रेस खराब हो जाएगी.. जो हमने कल ही ली है।
कमैंने कहा- हाँ.. कह तो तुम ठीक रही हो..
मैंने उसे आँख मारी और बोली- क्यों ना इसे उतार कर नहाते हैं। 
डॉली प्यार से मेरी बाज़ू पर मुक्का मारते हुई बोली- क्या है ना.. भाभी आप पता नहीं कैसी-कैसी बातें करती रहती हो और पता नहीं आपको क्या होता जा रहा है.. अभी कुछ देर पहले भी आपने…!
मैं- लेकिन मेरी जान.. तुमको भी तो मज़ा आया था ना?
डॉली शर्मा गई। 
मैंने कहा- अच्छा चलो अन्दर आओ.. मेरे साथ कुछ सोचते हैं।
अपने कमरे में लाकर मैंने अल्मारी खोली और मेरी नज़र चेतन की स्लीबलैस सफ़ेद बनियान पर पड़ी..। मेरे दिमाग की घंटी बजी और मैंने फ़ौरन से दो बनियाने निकालीं और एक डॉली की तरफ बढ़ाते हुए बोली- लो एक तुम पहन लो.. और एक मैं पहन लेती हूँ।
डॉली हैरत से उस बनियान को देखते हुए बोली- भाभी यह कैसे पहनी जा सकती है.. यह तो काफ़ी खुली है और इसका तो गला भी काफ़ी खुला है..
मैंने उससे कहा- अब बातें ना कर और जल्दी से इसको चेंज करो।
मैंने उसकी टॉप को पकड़ कर ऊपर उठाया.. तो खामोशी से डॉली ने अपने बाज़ू ऊपर कर दिए। मैंने उसके टॉप को उतार कर बिस्तर पर फैंका और अब डॉली मेरी नज़रों के सामने अपनी ऊपरी बदन से बिल्कुल नंगी खड़ी थी। 
मैंने जैसे ही उसकी चूचियों को नंगी देखा तो एक बार फिर आहिस्ता-आहिस्ता उसकी चूचियों को सहलाने लगी। मैंने उसकी चूचियों को अपनी मुठ्ठी में भर लिया और आहिस्ता-आहिस्ता उनको सहलाते हुए अपने होंठ उसके होंठों की तरफ बढ़ाए.. तो थोड़ा सा हिचकिचाते हुए डॉली ने अपनी होंठ आगे कर दिए और मैंने उसकी होंठों को चूम लिया। 
फिर डॉली ने मेरे हाथ से अपने भैया वाली बनियान छीनी और बोली- मैं खुद ही पहन लेती हूँ।
मैंने हँसते हुए उसे छोड़ दिया और डॉली अपनी बनियान पहनने लगी।
मैंने भी अपनी वो नेट शर्ट उतारी और डॉली के सामने मैं भी मम्मों की तरफ से नंगी हो गई।
डॉली ने पहली बार मेरी चूचियों को खुला देखा.. तो मुझसे दूर ना रह सकी।
डॉली- वॉव.. भाभिईईई.. आपकी चूचियाँ.. ईस्स्स्स.. कितनी सेक्सीईई.. हैं..।
मैं धीरे से मुस्कराई और उसे अपने सिर और आँख के इशारे से अपनी चूचियों की तरफ आने को कहा।
डॉली जल्दी से मेरे पास आई और आहिस्ता आहिस्ता मेरी चूचियों को सहलाने लगी।
उसकी उंगलियों ने मेरे निप्पलों को छुआ तो मेरे निप्पलों में भी अकड़न आने लगी।
फिर खुद को डॉली से अलग करके मैंने अपने नंगी जिस्म पर सिर्फ़ और सिर्फ़ वो खुली बनियान पहन ली और नीचे तो बरमूडा ही था। 
मैंने खुद को आइने में देखा तो सच में मेरा गला काफ़ी खुला हुआ था और मेरी चूचियों भी गहराई तक नज़र आ रही थीं.. बनियान भी कुछ पतली कॉटन की थी.. जिसकी वजह से मेरे निप्पलों की जगह पर डार्क-डार्क हिस्सा दिख रहा था। इससे साफ़ पता चल रहा था कि मेरे निप्पल इस जगह पर हैं।
डॉली का भी यही हाल था.. हम दोनों ने जो चेतन की बनियाने पहन रखीं थीं.. वो लंबाई में हमारी हाफ जाँघों तक पहुँच रही थीं। 
मैंने जब डॉली को देखा तो मुझे एक और ख्याल आया। मैंने उसके सामने खड़े होकर अपने बरमूडा को नीचे को खींच दिया।
डॉली का मुँह खुला का खुला रह गया।
मैंने अपनी एक पैन्टी उठाई और उस बनियान की नीचे बरमूडा की जगह वो पहन ली।
डॉली- भाभी यह क्या कर रही हो आप..? क्या आप बारिश में नहाने ऐसे ही जाओगी..?
मैं- जी हाँ.. और सिर्फ़ मैं ही नहीं.. तुम भी..
यह कहते हुए मैंने डॉली का बरमूडा भी खींच कर नीचे कर दिया और उससे बोली- चलो तुम भी इसके नीचे से अपनी पैन्टी पहन लो। 
डॉली ने बेबसी से मेरी तरफ देखा और बोली- लेकिन भाभी ऐसे कैसे?
मैंने मुस्करा कर उसकी तरफ देखा और उसे कोई बात करने का मौका दिए बिना ही खींच कर बाहर लाई और फिर उसके कपड़ों में से एक पैन्टी उसे पहनने को दी और उसे चूत का ढक्कन पहना कर उसे सहन में ले आई। 
यहाँ पर अँधेरा भी हो रहा था और बारिश भी पहली से तेज हो चुकी हुई थी। हम दोनों जैसे ही बारिश में पहुँचे.. तो चंद मिनटों में ही हमारे जिस्म बिल्कुल गीले हो गए और हमारी बनियाने भीग कर हमारे जिस्मों के साथ चिपक गईं। 
अब ऐसा लग रहा था कि जैसे हम दोनों ने सिर्फ़ और सिर्फ़ वो बनियाने ही पहन रखी हैं और कुछ भी नहीं पहना हुआ है।
अब हम दोनों शरारतें कर रहे थे और एक-दूसरे को छेड़ रही थीं। 
मैंने शरारत से डॉली के निप्पल को चुटकी में पकड़ कर मींजा और बोली- जानेमन तेरी चूचियाँ बड़ी प्यारी लग रही हैं..
डॉली ने भी फ़ौरन से ही मेरी चूची को मुठ्ठी में लेकर जोर से दबाया और बोली- भाभी.. आपकी भी तो पूरी नंगी ही नज़र आ रही हैं।
मैं- सस्स्स.. ऊऊऊऊऊ.. ईईईई.. अरे ज़ालिम दबानी ही हैं चूचियाँ.. तो थोड़ा प्यार से दबा ना.. अपने भैया की तरह..
डॉली हंस पड़ी और बोली- भाभी आपको भैया की बड़ी याद आ रही है..
मैं- हाँ यार.. वो भी साथ में नहाते तो और भी मज़ा आ जाता।
डॉली बोली- लेकिन भाभी फिर तो मैं नहीं नहा सकती ना.. आप लोगों के साथ..
मैं- क्यों.. तुझे क्या है?
डॉली- भाभी मेरा तो पूरा ही जिस्म नंगा हो रहा है.. मैं कैसे भैया के सामने??

मैं- अरे पहली बात तो यह है कि वो हैं नहीं यहाँ.. और अगर होते भी.. तो इस अँधेरे में कौन सा कुछ नज़र आ रहा है.. जो तेरे भैया को तेरा जिस्म नज़र आता। वैसे भी वो तेरे भैया ही हैं.. कौन सा कोई गैर मर्द हैं.. जो कि तुझे ऐसी हालत में देखेगा.. और तुझे कुछ नुक़सान पहुँचाने की सोचेगा।
मैं यह बात कहते हुए डॉली के और क़रीब आ गई और उसकी आँखों में देखते हुए.. मैंने अपनी बनियान को अपने कन्धों से नीचे को सरकाना शुरू कर दिया। 
यूँ मैंने अपनी दोनों चूचियों को नंगा कर दिया.. डॉली फ़ौरन ही आ गए बढ़ी और मेरी चूचियों पर अपने हाथ रख कर इधर-उधर ऊपर की तरफ मसलती हुई बोली- क्या कर रही हो भाभीजान.. किसी ने देख लिया तो??
मैंने उसे खींच कर अपनी बाँहों में भरा और बोली- अरे इतने अँधेरे में कौन देखेगा हमें.. लेट्स एंजाय यार..
यह कहते हुए मैंने उसकी बनियान को भी नीचे को खींचा और उसकी चूचियों भी नंगी कर लीं। 
अब जैसे ही मैंने उसके साथ अपने आप को चिपकाया.. तो डॉली की चूचियों ने मेरी चूचियों के साथ रगड़ना शुरू कर दिया। 
अब हम दोनों खूबसूरत लड़कियों के जिस्म के ऊपरी हिस्से बिल्कुल नंगे हो रहे थे। डॉली को भी जब मज़ा आने लगा.. तो उसने भी अपनी बाज़ू मेरी कमर के गिर्द कस ली और मुझे अपने सीने से दबा लिया।
धीरे-धीरे मैं उसकी नंगी कमर पर हाथ फेर रही थी और उसके होंठों को चूम रही थी।
इस बार डॉली ने पहल की और अपनी ज़ुबान मेरे होंठों के दरम्यान घुसेड़ दी और मुझे अपनी ज़ुबान चूसने का मौका दिया।
मैं भी अपनी कुँवारी ननद की ज़ुबान को अपने होंठों में लेकर चूसने लगी।
उसकी ज़ुबान को चूसते और उसे किस करते हुए.. मैंने अपना एक हाथ उसकी कमर से हटा कर दोनों के जिस्मों के बीच में लाई और उसकी पैन्टी के अन्दर हाथ डाल दिया। 
फ़ौरन ही मेरे हाथ को डॉली की चूत के ऊपर के जिस्म के बाल महसूस हुए थे, ये बहुत ही हल्के-हल्के रेशमी से बाल थे, मैं वहाँ से उसे सहलाते हुई आहिस्ता-आहिस्ता अपना हाथ उसकी चूत पर ले आई। 
मेरी हाथों की उंगलियाँ मेरी ननद की कुँवारी अनछुई चूत को टकराईं.. तो मुझे बेहद लुत्फ़ आ गया।
मैंने आहिस्ता आहिस्ता उसकी चूत के लबों और चूत की दाने को सहलाना शुरू कर दिया।
डॉली की चूत के दाने को सहलाते हुए मैं अपनी उंगली की नोक को उसकी चूत के सुराख पर रगड़ रही थी और कभी-कभी उंगली की नोक को थोड़ा सा उसकी चूत के अन्दर भी दाखिल कर देती थी।
‘ईसस्स.. स्स्स्मम्म्ह.. भाभिईईई… ईईईईई.. ईईईई.. उफफ.. उफफ्फ़..’ डॉली की सिसकारियाँ निकल रही थीं।
मैं उसकी चूत के सुराख के अन्दर अपनी उंगली की नोक को आगे-पीछे करते हुए बोली- ऊऊऊ.. ऊऊऊफ.. उफफ्फ़.. डार्लिंग.. असल मज़ा तो तुम्हें उस वक़्त आएगा.. जब तेरी चूत में लंड जाएगा..
डॉली- ऊऊऊ.. ऊऊऊहह… ऊऊ.. भाभिईईई.. ऐसी बातें ना करें.. प्लीज़्ज़्ज़्ज़..
मैं- क्यों.. तेरी चूत में कुछ होने लगता है क्या..? 
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05-24-2019, 12:08 PM,
#39
RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
मुझे महसूस हो रहा था कि मेरी उंगली की हरकत की वजह से डॉली की चूत चिकनी होती जा रही थी और मुझे भी उसकी चूत को सहलाने और उसे किस करने और उसकी ज़ुबान को चूसने में बहुत मज़ा आ रहा था।
अभी हम यह बातें कर ही रहे थे कि दरवाजे पर घंटी बजी।
मैंने डॉली की तरफ देखा.. तो वो फ़ौरन ही बोली- ना ना भाभी.. मैं नहीं जाऊँगी दरवाज़ा खोलने.. खुद ही जाओ और मैं अपने कमरे में जा रही हूँ।
मैं हँसी और बोली- अच्छा बाबा मैं ही खोल आती हूँ..
मैं सहन से अन्दर गई और अन्दर जाकर सहन के दरवाजे को अन्दर से बंद कर दिया.. ताकि डॉली अन्दर आ कर अपने कमरे में ना जा सके। 
फिर मैं मुस्कराते हुए गेट खोलने चली गई।
दरवाज़ा खोला तो चेतन था.. जो कि बिल्कुल भीग कर आया हुआ था.. बाइक अन्दर खड़ी करके.. मुझे इस हालत में देखा.. तो फ़ौरन से मुझे अपनी बाँहों में दबोच लिया और मुझे चूमना शुरू कर दिया। 
वो मेरी चूचियों को दबाने और मसलने लगा.. मैंने भी कोई मज़ाहमत नहीं की और उसके लण्ड पर हाथ रख कर उसे दबाने लगी।
मैंने चेतन की शर्ट पकड़ कर ऊपर उठाई और उसकी गले से निकाल दी। फिर उसकी पैन्ट की बेल्ट खोली और उसकी पैन्ट भी उतार दी। 
अब चेतन एक लूज से कॉटन शॉर्ट्स में था.. जो उसने नीचे पहना हुआ था।
मैंने चेतन के शॉर्ट्स के ऊपर से ही उसका लंड पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया.. जो कि पूरा अकड़ चुका हुआ था। 
मैंने नीचे बैठ कर चेतन के शॉर्ट्स को नीचे खींचा और उसका लंड उछाल कर बाहर निकल आया। वो फ़ौरन ही मुझे पीछे करते हुए बोला- अरे क्या कर रही हो.. डॉली आ जाएगी।
मैंने उसके लण्ड के अगली हिस्से को चूमा और बोली- वो इधर नहीं आ सकती।
यह कहते हुए मैंने चेतन के लंड को अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसना शुरू कर दिया। 
मैं चेतन को उसकी बहन के पास ले जाने से पहले अच्छी तरह से गरम कर देना चाहती थी।
कुछ देर तक चेतन के लंड को चूसने के बाद मैंने कहा- आओ चेतन बाहर सहन में चलकर बारिश में नहाते हैं। 
चेतन अपने लंड को वापिस अपने शॉर्ट्स में अन्दर करते हुए मेरे साथ चल पड़ा और बोला- डॉली कहाँ है?
मैंने कहा- वो भी बाहर सहन में ही है।
चेतन एक लम्हे के लिए झिझका और फिर मेरे साथ चल पड़ा। मैंने सहन के दरवाजे की कुण्डी खोली और फिर हम दोनों पीछे सहन में आ गए।
डॉली ने हमें देखा.. तो अपनी बाज़ू अपने सीने की उभारों पर लपेट लिए। बाहर बहुत ही कम रोशनी थी.. चेतन भी हमारी साथ ही नहाने लगा। लेकिन अभी तक कोई भी कुछ भी शरारत नहीं कर रहा था। 
चेतन का पूरा जिस्म बिल्कुल ही नंगा था और नीचे जो कॉटन शॉर्ट्स पहने हुए था.. उसमें से उसके लण्ड का शेप भी साफ़ दिख रहा था।
डॉली का जिस्म भी चेतन की सफ़ेद पतली कॉटन बनियान में से बिल्कुल साफ़ दिख रहा था।
जैसे ही वो दूसरी तरफ मुँह करती और उसकी कमर नज़र आती.. तो उसकी कमर बिल्कुल ही नंगी लगती थी। नीचे उसकी जाँघें भी और मेरी जाँघें भी पूरी नंगी हो रही थीं। लेकिन सामने से वो अपनी चूचियों को नहीं देखा रही थी। 
लेकिन ज़ाहिर है कि मैं ऐसा नहीं कर रही थी और अपना पूरा जोबन उन दोनों बहन-भाई के सामने गीली बनियान में एक्सपोज़ कर रही थी.. जिसकी वजह से भी चेतन को मस्ती आती जा रही थी। 
अचानक से ही बारिश की तेज होने की वजह से इलाके की लाइट चली गई.. और बिल्कुल ही घुप्प अँधेरा हो गया।
बस हल्की सी रोशनी हो रही थी।
चेतन की नजरें अपनी बहन की नंगे हो रहे जिस्म पर से नहीं हट पा रही थीं।
अपनी सग़ी बहन की चूचियाँ.. उसके निप्पलों को.. उसका दूधिया क्लीवेज और उसकी नंगी जाँघों का हसीन नजारा उसके सामने था। 
सब कुछ जानते हुए भी वो खुद की नज़रों को रोक नहीं पा रहा था। दूसरी तरफ मैं देख रही थी कि डॉली की नजरें भी बार-बार चेतन के जिस्म के निचले हिस्से की तरफ उसके शॉर्ट्स पर जा रही थीं। जिसमें उसे अपने भाई का अकड़ा हुआ लंड बिल्कुल साफ़-साफ़ दिख रहा था। 
दोनों बहन-भाई के जिस्मों में एक-दूसरे के लिए बढ़ती हुई प्यास को मैं बहुत वाजिब तौर पर देख रही थी। इस सबसे मुझे एक अजीब सी लज़्ज़त और उत्तेजना मिल रही थी।
कुछ देर ऐसे ही एंजाय करने के बाद मैंने कहा- चेतन.. आओ कुछ गेम खेलते हैं।
डॉली बोली- कौन सा गेम भाभी?
मैंने कहा- चेतन की आँखों पर पट्टी बाँधते हैं.. और वो फिर हम दोनों को पकड़ेगा और फिर पहचानने की भी कोशिश करेगा कि दोनों में से जिसे पकड़ा है.. वो कौन है और हम लोग बिना कुछ बोले उससे खुद को छुडाने को कोशिश करेंगे.. अगर ना छुड़ा सके या कोई बोल पड़ा.. तो फिर पकड़ने की उसकी बारी होगी।

ज़ाहिर है कि यह एक बिल्कुल ही चुतियापे सा गेम था.. क्योंकि चाहे आँखें बंद हों.. फिर भी चेतन आसानी के साथ हम दोनों के जिस्मों में फरक़ कर सकता था। लेकिन चेतन फ़ौरन से मान गया.. क्योंकि उसे भी शायद इसमें मिलने वाले मजे का अंदाज़ा हो गया था। 

वो मेरी बेवक़ूफी पर हंस रहा था कि मैं कैसा बच्चों वाला खेल खेलने को कह रही हूँ। जबकि वो उस बच्चों वाले गेम में भी अडल्ट्स वाला मज़ा लूटने के चक्कर में था।
लेकिन डॉली थोड़ा झिझक रही थी। मैंने अन्दर से एक दुपट्टा लाकर चेतन की आँखों पर बाँध दिया और बोली- डॉली, अब हम में से कोई भी कुछ नहीं बोलेगा।
जैसे ही खेल शुरू हुआ.. तो मैं और डॉली उस छोटी सी सहन में इधर-उधर भागने लगे और चेतन अपने हाथ फैलाकर हमें पकड़ने की कोशिश कर रहा था।
मैंने जानबूझ कर खुद को चेतन की गिरफ्त में दे दिया और फिर खुद को उसकी गिरफ्त से निकालने लगी।
चेतन ने बड़े ही एतिहात से मुझे मेरी बाज़ू से पकड़ा हुआ था लेकिन मैं खुद को बचाने के चक्कर में अपनी चूचियों को उसकी सीने से रगड़ रही थी।
फिर मैंने अपनी साइड चेंज करते हुए अपनी कमर उसकी सीने से लगाई और अपने चूतड़ों को उसके लण्ड पर अपने गाण्ड को रगड़ने लगी।
चेतन चिल्ला रहा था- डॉली.. डॉली.. है यह.. डॉली तुम अब पकड़ी गई हो!
लेकिन मैंने उससे खुद को छुड़ाने की कोशिश की.. तो मेरे पेट पर पड़ा हुआ उसका हाथ मेरी चूचियों पर आ गया।
मैंने हाथ पीछे ले जाकर उसके लण्ड को उसके शॉर्ट्स के ऊपर से पकड़ लिया और उसका लंड एकदम से खड़ा हो गया। 
वो समझ गया कि यह डॉली नहीं मैं हूँ, उसने भी मेरी चूचियों को दबोच लिया और फिर मसलने लगा। 
मैंने डॉली की तरफ देखा तो वो पास ही खड़ी हुई हंस रही थी।
मैंने अब अचानक से हमला करते हुए खुद को छुड़ा लिया और चेतन की गिरफ्त से एकदम निकल गई। 
अब चेतन आगे को झपटा और बजाए इस कोशिश के कि मैं उसकी पकड़ में आती.. उसकी अपनी बहन डॉली उसकी पकड़ में आ गई।
चेतन फ़ौरन ही यह समझा कि यह मैं ही हूँ.. जो कि उसकी गिरफ्त से निकलने लगी थी.. तो उसने दोबारा से जोर से पकड़ लिया। 
जब कि डॉली इस अचानक के हमले से घबरा गई.. लेकिन वो बोल भी नहीं सकती थी। बस खुद को अपने भाई की गिरफ्त से छुड़ाने लगी।
चेतन अपने एक हाथ की गिरफ्त से उसके पेट और दूसरे हाथ को उसकी चूची पर जमाते हुए बोला- अब नहीं निकलने दूँगा तुझे.. बड़ी मछली की तरह फिसल कर निकलने लगी थी ना.. मेरी गिरफ्त से.. अब निकल कर दिखा..
उसने अपने हाथ से अपनी बहन की चूचियों को दबाना शुरू कर दिया।
डॉली के मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं.. लेकिन वो अपनी आवाज़ को दबा रही थी।
डॉली चेतन की बाँहों में मचल रही थी, चेतन ने अपना हाथ डॉली के पेट पर रखा हुआ हाथ.. उसकी बनियान के नीचे डाला और उसके नंगे पेट पर अपना हाथ ऊपर को फिराता हुआ सीधे उसकी नंगी चूची पर ले गया और अपनी बहन की नंगी चूची को पकड़ लिया। 
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05-24-2019, 12:09 PM,
#40
RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
डॉली ने घबरा कर मेरी तरफ देखा तो मैंने उसे उंगली अपने होंठों पर रख कर चुप रहने का इशारा किया।
उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे।
चेतन.. उसका अपना सगा बड़ा भाई अपनी बीवी के सामने उसकी गीली बनियान के नीचे हाथ डाल कर.. उसकी नंगी चूचियों को दबा रहा था।
चेतन ने उसे और भी मजबूती से जकड़ते हुए.. उसकी कमर को अपने लौड़े के साथ चिपकाया और उसकी चूचियों को मसलते हुए उसकी गर्दन पर अपने होंठों रख कर चूमते हुए बोला- डार्लिंग पकड़ी गई हो ना.. अब निकल कर दिखाओ। बस अब डॉली रह गई है अभी.. इसके बाद उसे पकड़ लूँगा तो मैं जीत जाऊँगा।
चेतन ने आहिस्ता आहिस्ता उसकी गर्दन को चूमना शुरू कर दिया और शायद वो अपनी उंगलियों से डॉली के निप्पलों को भी मसल रहा था। 
मैं चेतन के पीछे से उसके थोड़ा क़रीब गई.. और बिना उसके जिस्म को छुए हुए.. उसका एक हाथ पकड़ कर नीचे को खींचा.. ऐसा कि डॉली को अँधेरे में पता ही नहीं चल पाया और चेतन समझा कि यह मैं हूँ.. जो उसकी गिरफ्त में हूँ और हाथ नीचे लौड़े की तरफ लिए जा रही हूँ। 
मैंने चेतन का हाथ डॉली के बरमूडा के ऊपर से उसकी चूत पर रख दिया।
चेतन बोला- इस बारिश में बड़ी मस्ती सूझ रही है तुझे डार्लिंग..
यह कह कर उसने डॉली की चूत को उसकी पैन्टी की ऊपर से रगड़ना शुरू कर दिया। 
एक बात थी कि यह तो मुमकिन नहीं था कि चेतन को मेरे और डॉली की जिस्म के फ़र्क़ का अहसास ना हुआ हो। लेकिन अगर उसे पता चल भी गया था तो अब वो इस अँधेरे में और गेम का फ़ायदा उठाते हुए अपनी बहन के जिस्म के मजे लेना चाह रहा था।
मैं भी उसे रोकना नहीं चाह रही थी।
अब चेतन ने अपना हाथ डॉली की पैन्टी की इलास्टिक से अन्दर डाला और अपना हाथ उसकी नंगी चूत पर रख दिया और उसे आहिस्ता आहिस्ता दबाने लगा। 
चेतन की इस हरकत की वजह से डॉली और भी परेशान हो गई.. उसे नहीं पता था कि मैं यह सब देख रही हूँ लेकिन फिर भी उसे डर था कि कहीं मैं ना देख लूँ। 
चेतन ने अपनी कुँवारी बहन की चूत को अच्छी तरह से रगड़ा और इसी वजह से उसकी गिरफ्त जरा ढीली हुई.. तो डॉली फ़ौरन ही उसकी बाँहों से फिसल गई और दूर होकर बोली- बस भाभी अब गेम खत्म। 
मैं मुस्कराई और उसकी तरफ बढ़ी.. इतने में लाइट भी आ गई। मैंने देखा कि डॉली की हालत खराब हो रही थी। उसकी साँस फूल रही थी और उसकी चूचियाँ भी तेज़ी के साथ ऊपर-नीचे हो रही थीं। 
चेतन ने भी अपनी आँखों पर बँधा दुपट्टा खोल दिया और फिर हम दोनों की तरफ हैरत से देखने लगा। 
मैंने कहा- चेतन.. अब तो बारिश भी खत्म हो गई है.. चलो अन्दर ही चलते हैं।
डॉली भी अपने जिस्म को छुपाते हुए अन्दर आ गई।
मैं और चेतन दोनों एक साथ ही बाथरूम में नहाने के लिए घुस गए और ऊँची आवाज़ में मस्तियाँ करते हुए नहाने लगे। सारी आवाजें बाहर डॉली के कानों तक जा रही थीं। 
थोड़ी देर में डॉली ने नॉक किया और बोली- भाभी आप लोग निकल भी आओ.. मुझे भी नहाना है।
मैंने थोड़ा सा दरवाज़ा खोला और बोली- डार्लिंग आ जाओ तुम भी.. हमारे साथ ही नहा लो।
डॉली बोली- जी नहीं.. शुक्रिया.. आप लोगों का।
हम दोनों ही अन्दर हँसने लगे।
कुछ देर में डॉली भी नहा ली और हम दोनों ने फिर से वो ही नेट शर्ट बिना ब्रेजियर के पहन ली और इस बार बिना मेरी कहे ही डॉली ने वो शर्ट बिना ब्रा के पहनी और बड़े आराम से अपने भाई के सामने आ गई। 
अब वो चेतन के सामने और भी ज्यादा घबरा रही थी.. क्योंकि आज उसका भाई उसकी नंगी चूचियों को और चूत को भी मसल चुका था। 
रात का खाने खाते हुए भी चेतन अपनी बहन की चूचियों को भी देखना चाह रहा था। वो उनको अपने भाई की नजरों से छुपा रही थी.. शरम से नहीं.. बल्कि अपने भैया को टीज़ करने के लिए। 
अब मुझे रात का इन्तजार था कि रात को क्या होगा।
क्योंकि अब तो चेतन और भी खुल गया हुआ था और रात भी पूरी बाक़ी थी।
डिनर के बाद अभी चेतन टीवी पर कोई न्यूज़ शो देख रहा था कि मैंने डॉली का हाथ पकड़ा और उसे बेडरूम में ले आई और बत्तियाँ बुझा कर दोनों बिस्तर पर लेट गए, मैंने डॉली को दरम्यान में ही लिटाया था।
डॉली को चेतन की तरफ मुँह करके मैंने उसे अपनी बाँहों में खींचा और उसके होंठों पर चुम्बन करते हुए बोली- आज तो तुझे तेरी भाई ने ही रगड़ दिया यार..
डॉली शरमाते हुए- हाँ भाभी.. शायद वो आपके चक्कर में मुझे पकड़ बैठे थे और यही समझे कि यह मैं नहीं.. आप हो।
मैं- वैसे तेरी कुँवारी चूचियों को बड़ी जोर-जोर से मसल रहा था।
मैंने उसकी चूचियों पर उसके टॉप के ऊपर से हाथ फेरते हुए कहा।
डॉली शर्मा रही थी- भाभी ना करो ना ऐसी बातें..
मैंने धीरे से डॉली के टॉप को नीचे सरकाया और उसकी चूची को बाहर निकाल लिया। डॉली की खूबसूरत सुडौल चूची मेरी सामने थी। मैंने उसके निप्पल के ऊपर आहिस्ता आहिस्ता उंगली फेरनी शुरू कर दी।
डॉली- भाभी ना करो.. अभी भैया आ जायेंगे।
मैंने उसकी बात अनसुनी करते हुए उसके निप्पल को अपने मुँह में ले लिया और आहिस्ता आहिस्ता उसे चूसने लगी। धीरे-धीरे उसके निप्पलों को काटा.. तो डॉली के होंठों से सिसकारियाँ निकलने लगीं।
मैंने एक हाथ उसकी जाँघों पर फेरते हुए नीचे उसके बरमूडा में ले जाकर उसकी चूत पर रख दिया। डॉली ने फ़ौरन ही मेरा हाथ अपनी जाँघों की दरम्यान दबा लिया।
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