Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
05-19-2019, 01:06 PM,
#11
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
फ़िज़ा अंदर आकर रूम में देखने लगती है। अमन बेड पे लेटा हुआ था। एक बेड नीचे लगा हुआ था, मगर वो ऐसा था जैसे उसपे कोई सोया ही नहीं था। फ़िज़ा अपना सर झटक के बाहर आ जाती है। 

रेहाना फ्रेश होकर नाश्ता बनाती है, और नाश्ता फ़िज़ा को देती है। 

फ़िज़ा रेहाना का चेहरा देखने लगती है। शायद कुछ ढूँढ़ने की कोशिश करती है। 

रेहाना-“क्या हुआ बेटा, नाश्ता करो ना…” रेहाना अंदर ही अंदर कांप रही थी पर जाहिर नहीं कर रही थी। 

फ़िज़ा-“अम्मी, मैं 11:00 बजे वापस आऊँगी…” और फ़िज़ा ट्यूशन के लिये चली जाती है। 

रेहाना ‘गुड-बाइ’ कहकर दरवाजा बंद करके अमन के पास आती है-“उठो अमन, फ्रेश हो जाओ। मैं भी फ्रेश होने जा रही हूँ…” 

अमन उसका हाथ पकड़कर अपने ऊपर खींच लेता है-“रेहाना, आज मियां-बीवी साथ में नहाएंगे…” 

रेहाना अमन को देखती हुई-“वो हुकुम, मेरे सरताज…” 

फिर दोनों बाथरूम में घुस जाते हैं। बाथरूम काफी बड़ा था। ठंडे गरम पानी का इंतेजाम भी था। दोनों एक दूसरे को देखते हुए अपने सारे कपड़े उतार देते है। अमन रेहाना को अपने पास खींचकर शावर चला देता है। 

रेहाना-“अह्म्मह…” करके अपने जिस्म पे गर्म पानी और अमन की बाहों में पिघलने लगती है। 

अमन-“मुँह मुंआह्म्मह मूंन्ह्म्मन…” रेहाना के होंठ चूसने लगता हैं। दोनों एक दूसरे की जीभ चूस रहे थे, साथ-साथ एक दूसरे पे अपने जिस्म रगड़ रहे थे। 

रेहाना साबुन लेकर अमन के पूरे शरीर पे लगाती है। उसके लण्ड पे, अपनी चूत पे, गाण्ड पे और दोनों एक दूसरे से चिपक के अपनी चूत और लण्ड घिसने लगते हैं। अमन का लण्ड खड़ा हो चुका था और रेहाना की चूत में घिस रहा था।

रेहाना-“अह्म्मह… ओह्म्मह… अमन…” 

अमन रेहाना की गाण्ड पकड़कर रेहाना को अपनी गोद में उठा लेता है। रेहाना अमन की छाती से चिपक जाती है। अमन लण्ड को पकड़कर नीचे रेहाना की चूत में डाल देता है-“अह्म्मह… आह्म्मह… रेहाना…” 

रेहाना-“उंह्म्मह… चोदो जी अह्म्मह… उंन्ह जानू उंह्म्मह…” और रेहाना अमन के लण्ड पे उछलने लगती है। चिकनाहट की वजह से सटासट-सटासट लण्ड रेहाना की चूत में आ जा रहा था-“ऊऊऊह्म्मह… जानू हूँ…” दोनों से बर्दाश्त करना मुश्किल था दोनों एक साथ पानी छोड़ देते हैं। 

अमन-“रेहाना अह्म्मह…” और अमन रेहाना को नीचे उतार देता है। दोनों एक दूसरे को घिसते हुए नहाने लगते हैं। बाहर आकर अमन अपने कपड़े पहन लेता है। 

रेहाना भी कपड़े पहनकर डाइनिंग टेबल पे अमन को नाश्ता देती है। 

अमन रेहाना का हाथ पकड़कर अपनी गोद में बिठा लेता है-“यहाँ बैठ… आज साथ में नाश्ता करेंगे…” 

रेहाना-“जी…” और दोनों नाश्ता एक दूसरे को खिलाने लगते हैं। 

अमन-“मुझे चलना चाहिए, अम्मी नाराज ना हो जाएं कहीं?” 

रेहाना अमन के होंठ चूमते हुए-दिल नहीं कह रहा। 

अमन रेहाना के चूत पे हाथ रखकर-इसे काबू में रख। 

रेहाना-“अह्म्मह… नहीं रहती, बस आपको पूछती है…” 

दोनों एक दूसरे को 5 मिनट तक किस करने के बाद अलग हो जाते हैं, और अमन रेहाना को बाइ कहकर अपने घर की तरफ चला जाता है। रेहाना अमन को जाते देखती रहती है। रेहाना पूरी तरह अमन की बीवी बन चुकी थी और अपने शौहर को भूल चुकी थी। अमन उसे बहुत प्यार करता था, पर उतना नहीं जितना रेहाना। 

रेहाना दिल में-“काश अमन… तुम मेरे शौहर होते तो जिंदगी जन्नत होती…” फिर अपने ख्यालों से कुछ देर बाद जागते हुए मुश्कुराते हुए दरवाजा बंद कर लेती है, और अपने घर के काम करने चली जाती है। 


***** *****अमन का बर्थ-डे 


अमन अपने घर में दाखिल होता है। 
रजिया-आ गये अमन, नाश्ता करोगे? 

अमन-नहीं अम्मी, मैं करके आया हूँ। 

रजिया-“इधर दिखाओ… ये क्या, तुम्हारी आँखें लाल क्यों हो गई हैं?” 

अमन-“हाँ, वो शायद इन्फेक्षन हो गया है…” और अमन अपने रूम में चला जाता है। 

रजिया उसे जाता देखती रहती है। आखिर वो दिन भी आ ही गया जिसका अमन और शायद रजिया को भी बेसब्री से इंतजार था-अमन का बर्थ-डे। 

रजिया ने आज अमन के बर्थ-डे को अच्छे से सेलीब्रेट करने का सोचा था, इसलिये उसने अपनी बहन हीना, शीबा, देवरानी रेहाना और फ़िज़ा को भी पार्टी के लिये इनवाइट किया था और रात में डिनर का भी इंतेजाम किया गया था। 

अमन फ्रेश होकर हाल में आकर बैठ जाता है। अनुम भी वहीं पहले से टीजी देख रही थी। 

अनुम-“तो लाट साहब का आज बर्थ-डे है?” 

अमन उसे मुश्कुराते हुए देखता है। 

अनुम-क्या गिफ्ट चाहिए तुम्हें मुझसे? 

अमन-“दीदी, गिफ्ट माँगा नहीं करते… जो भी आप दिल से दोगी, मैं रख लूंगा…” 

अनुम-ठीक है, सोचेगे? 

वो दोनों ऐसे ही बातें कर रहे थे तभी रजिया किचिन से आवाज़ लगाती है-“अनुम बेटा, रात के तैयारी भी करनी है। वहाँ कहाँ बैठ गई…” 

अनुम-“आई अम्मी…” और अनुम अमन को गाल पे थपथपाते हुए चली जाती है। 

अमन थका हुआ था, वो सोने चला जाता है। 
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05-19-2019, 01:06 PM,
#12
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
7:00 बजे सभी मेहमान आ चुके थे और सभी अमन का इंतजार कर रहे थे, खास तौर पे रेहाना। पर अमन था कि लड़कियों की तरह तैयार हो रहा था। जब वो अपने रूम से बाहर आया तो सब उसे देखते ही रह गए। अमन ब्लैक जीन्स, स्काइ ब्लू शट़ और उसपे जैकेट पहने किसी राजकुमार की तरह लग रहा था। और उसकी चौड़ी छाती उसकी खूबसूरती को चार चाँद लगा रही थी। 

सबसे पहले रेहाना उसके पास आती है, और अमन को गले लगाकर मुबारक बाद देती है-“धीरे से अमन के कान में हैपी बर्थ-डे जानू…” कहती है। 

अमन रेहाना को बाहों में ले लेता है, पर उसका दबाव कुछ ज्यादा था जिससे रेहाना की चुचियाँ उसकी चौड़ी छाती में धँस जाती हैं। 
हीना-अरे भाई, हमें भी मिलने दो। 

अमन-खाला जान, आप कितनी प्यारी लग रही हैं? 

हीना जाकई में बहुत खूबसूरत लग रही थी किसी 20 साल की लड़की की तरह-“आ जा मेरा बच्चा…” और हीना अमन को अपने गले से लगा लेती है-“साल गिरह बहुत-बहुत मुबारक हो बेटा…” 

अमन हीना को अपने गले लगा लेता है। हीना उससे थोड़ी छोटी थी इसलिये अमन उसे गले लगाकर ऊपर उठा लेता है, और कस लेता है। जिससे हीना की सुडौल चुचियाँ अमन की छाती में धँस गई थीं। 

हीना ‘अह्म्मह’ की एक हल्की सी सिसकी के साथ अमन को घूरते हुए-“तुम सच में बड़े हो गये हो अमन…” 

अमन-“हाहाहाहा… खाला जान…” और एक बार और कस के हीना को कस लेता है। 

ये सिर्फ़ कुछ सेकेंड की बात थी पर इसकी वजह से तीन लोग बहुत बुरी तरह से जल-भुन गये थे, रजिया, रेहाना और अनुम। 

फिर सभी अमन से बारी-बारी मिलते हैं। पर अमन की नज़र हीना की बेटी शीबा पे जाकर रुकी। शीबा एक बेहद हसीन 18 साल की जवान लड़की थी, गुलाबी होंठ, पतली कमर, थोड़े सी छाती बाहर, और जब वो हँसती थी तो उसके गालों में पड़ते गड्ढे, अमन को पागल बना रहे थे। जब शीबा अमन के गले लगी तो अमन ने वहीं किया जो उसने रेहाना और हीना के साथ किया था। 
शीबा थोड़ा गुस्सा हो जाती है, और अमन को खा जाने वाली नज़रों से देखने लगती है। 

सभी ने अमन को गले लगाकर विश किया और अच्छे अच्छे गिफ्ट भी दिए। रेहाना थोड़ी जेलस थी, शायद वजह ये थी की आज अमन ने उसपे कुछ खास ध्यान नहीं दिया था। रेहाना तो चाहती थी कि इस वक्त यहाँ कोई ना हो, सिर्फ़ वो हो और अमन हों। 

पार्टी भी हुई, अमन ने केक भी काटा और सभी को खिलाया भी। डिनर के बाद सभी हाल में बैठे बातें कर रहे थे। पर अमन उसकी अम्मी रजिया को घूर रहा था, क्योंकी रजिया ने अमन को कोई गिफ्ट नहीं दी थी। 

11:00 बजे तो सबसे पहले हीना और शीबा ने, फिर रेहाना ने रजिया को अच्छी पार्टी और डिनर के लिये शुकिया कहा और अपने घर की तरफ चली गई। 
अनुम और फ़िज़ा किचिन में रजिया के साथ सफाई कर रही थीं। 

फ़िज़ा ने रजिया से कहा-“बड़ी अम्मी, आज अनुम दीदी हमारे घर रुक सकती हैं? मुझे उनसे कुछ नोटस की डिस्कशन करनी है…” 
रजिया कुछ सोचते हुए-“बिल्कुल बेटा, ये भी कोई पूछने वाली बात है?” 

कुछ देर बाद अनुम फ़िज़ा के साथ उनके घर चली जाती है। अब घर में सिर्फ़ रजिया और अमन थे। अमन सोफे पे बैठा अपनी गिफ्ट्स देख रहा था और रजिया किचिन में साफ बरतन शेल्फ में लगा चुकी थी। रजिया अमन के पास सोफे पे आकर बैठ जाती है। 

अमन उसे उदास चेहरे से देखती हुए-“अम्मी, आपने मुझे कोई गिफ्ट नहीं दिया, ना ही वो प्रोमिस, वो आपने मुझसे किया था। 

रजिया-“ह्म्मम्म्म्म… तो अमन को अपना गिफ्ट चाहिए?” 

अमन खुश होते हुए-हाँ हाँ चाहिए। 

रजिया अमन के सर को पकड़कर अपनी तरफ घुमाते हुए उसके आँखों में देखते हुए-“उसके लिये तुम्हें थोड़ा सा इंतजार करना पड़ेगा…” 
अमन-“और इंतजार नहीं ना होता…” 

रजिया-“इतना इंतजार किए और थोड़ा नहीं कर सकते?” 

अमन-ठीक है। 

रजिया सोफे से उठते हुए-“अमन यहीं बैठो, और जब तक मैं ना बुलाऊँ, मेरे रूम में मत आना…” 
अमन-“ओके…” 

रजिया अपने रूम में चली जाती है। तकरीबन आधे घंटे बाद अमन परेशान होने लगता है। उसे लगने लगता है कि रजिया ने उसे बेवकूफ़ बनाया और सोने चली गई। अमन उठकर रजिया के रूम में जाकर देखने का सोचता है। 

तभी रजिया की आवाज़-“अमन, यहाँ आओ…” 

अमन खुशी के मारे दौड़ता हुआ रजिया के रूम में चला जाता है। रूम की लाइट आफ थी और एक अजीब से रूम फ्रेशनर की खुश्बू उसे चौंका देती है। अमन लाइट ओन कर देता है, और वो सामने उसे दिखाई देता है… वो तो उसने अपने ख्वाब में भी नहीं देखा होगा ना कभी सोचा था। 

रजिया लाल रंग की साड़ी में बेड के बीचो-बीच दुल्हन बनी बैठी थी। बेड पे गुलाब की पंखुड़ियाँ फैली हुई थीं और रजिया सर पे घूँघट डाले बैठी थी। अमन का मुँह खुला का खुला रह जाता है, और वो कुछ सेकेंड के लिये जैसे कोमा में चला गया था। 

जब अमन कोई रेस्पॉन्स नहीं देता तो रजिया उसे आवाज़ देती है-“यहाँ आइए ना…” 

अमन खुशी और जोश में बेड पे जाकर बैठ जाता है, और धीरे-धीरे रजिया का घूँघट उठा देता है। रजिया किसी 18 साल की जवान दुल्हन की तरह लग रही थी, होंठों पे हल्की सी लाल लिपिस्टिक, हल्का सा मेकअप, बाल खुले हुए और होंठों पे आने वाले लम्हों की खुशी साफ-साफ दिखाई दे रही थी। अमन रजिया का चेहरा ऊपर 

उठाता है। अमन जान चुका था कि रजिया आज से उसकी दुल्हन है। इसीलिये वो भी उसे दुल्हन की तरह ट्रीट करना चाहता था। 
अमन-ऊपर देखो रजिया। 

रजिया अपनी नज़रें ऊपर उठाते हुए-“एक बार और कहो ना…” 

अमन-क्या? 

रजिया-“मेरा नाम आपके मुँह से कितना अच्छा लगता है…” 

अमन-“रजिया… रजिया… रजिया मेरी जान…” और अमन रजिया के गुलाबी होंठों पे अपने होंठ रख देता है। दोनों माँ बेटे एक दूसरे की बाँहों में आ जाते है। इस पल का दोनों को बेसबरी से इंतजार था। दोनों को कोई जल्दी नहीं थी। दोनों किसी बिछड़े प्रेमी के तरह एक दूसरे के होंठों को चूम रहे थे। 
अमन रजिया की ठोड़ी ऊपर उठते हुए अपनी जीभ रजिया के मुँह में डालने लगता है। 

रजिया-“गलप्प्प-गलप्प्प मआह्म्मह… मुअह्म्मह… हुंन्ह…” और रजिया अमन को कस लेती है। 

अमन-“मआह्म्मह… मुअह्म्मह… अया… रजिया मेरी दुल्हन आह्म्मह…” 

रजिया-“हाँ हाँ अमन… आपकी दुल्हन… आंह्म्मह आज से आपकी हुई… आह्म्मह… लगा दो मुझपे अपनी मुहर उंह्म्मह… मुउह्म्मह…” 

अमन तो जैसे पागल हुए जा रहा था-“हाँ रज्जो, मेरी जान आज से तू मेरी है। आह्म्मह… सिर्फ़ मेरी…” फिर अमन रजिया का आँचल निकाल देता है, और अपना हाथ पीछे लेजाकर रजिया का ब्लाउज खोल देता है। आज रजिया अमन को किसी भी बात के लिये रोकने वाली नहीं थी। 

जिस दिन अमन ने रजिया को पहली बार किस किया था उसी वक्त रजिया के दिल में अमन के लिये प्यार की कली ने सर उठा लिया था। उस दिन से वो अमन को अपना बेटा नहीं, बल्की अपने बेटे से कहीं ज्यादा मान चुकी थी। 
अमन रजिया की ब्रा खोल चुका था, कहा-“रज्जो खड़ी हो…” 

रजिया जल्दी से खड़ी हो गई। अमन ने रजिया की साड़ी की गाँठ सामने से निकाल दे और साथ ही उसके लहंगे का नाड़ा भी खींच लिया लहंगा नीचे गिरते ही रजिया नंगी हो गई क्योंकी उसने पैंटी नहीं पहनी थी। रजिया ‘अह्म्मह’ करती है और शरम के मारे अमन से चिपक जाती है। अमन अपना हाथ नीचे लेजाकर रजिया की चूत सहलाने लगता है। 

रजिया-“उंह्म्मह… उंन्ह… अमन्न्न उंह्म्मह…” 37 

अमन रजिया के बाल पकड़कर खींचता है, जिससे रजिया का सर ऊपर उठ जाता है। अमन उसकी आँखों में देखते हुए-“साली नाम लेती हैं? मेरे जानू बोल…” 

रजिया-“हाँ हाँ जानू… मेरे जानू अह्म्मह… उंह्म्मह…” 

अमन-“चल मुझे नंगा कर… कर जल्दी…” 

रजिया अमन की शट़ उतार देती है। उसके हाथ काँप रहे थे। 
अमन थोड़ा तेज आवाज़ में-“पैंट कौन उतारेगा? तेरी बहन?” 

रजिया पैंट उतारते हुये-“गुस्सा क्यों होते हो?” और रजिया अमन की पैंट उतार के नीचे कर देती है। 

पैंट नीचे उतरते ही अमन का लण्ड अंडरवेअर में तन जाता है। फिर ‘अह्म्मह’ करके रजिया अमन के लण्ड को अंडरवेअर के ऊपर से पकड़ लेती है। 
अमन-“अह्म्मह… रज्जीऊऊऊ…” 

रजिया अंडरवेअर भी नीचे कर देती है-“अह्म्मह… जानूऊउ…” 

अमन रजिया का कंधा पकड़कर नीचे बैठा देता है-“चल मुँह खोल…” 

रजिया मुँह खोल देती है। और अमन अपना लण्ड रजिया के मुँह में डाल देता है। 

रजिया-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प उंह्म्मह… उंह्म्मह…” तभी रजिया का फोन बजता है। 

अमन फोन देखते हुए-“अब्बू का फोन है…” 

रजिया कोई जवाब नहीं देती, वो तो बस अमन के लण्ड को मुँह की गहराईयों में उतारती चली गई थी-“गलप्प्प-गलप्प्प…” 
अमन-हेल्लो। 

अमन के अब्बू-“अमन, हैपी बर्थ-डे बेटा। कैसे हो?” 

अमन-“अह्म्मह… मैं ठीक हूँ अब्बू…” 

अमन के अब्बू-अरे, क्या हुआ? तुम्हारी आवाज़ लड़खड़ा क्यों रही है?” 

अमन-“ अब्बू कुछ नहीं अब्बू… आपका फोन उठाने भागता हुये आया ना इसलिये साँस फूल गई है…” 

रजिया उसके मुँह में लण्ड लिये देखती हुई लण्ड को दाँतों से थोड़ा दबाती है। 

अमन-“अह्म्मह…” और अमन रजिया के बाल पकड़कर खींचता है। 

अमन के अब्बू-तुम ठीक तो हो ना बेटा? 

अमन-“जी… जी अब्बू… वो पैर पे सोफा लग गया, अंधेरा है ना हाल में…” 

अमन के अब्बू-अच्छा… तुम्हारी अम्मी कहाँ हैं? 

अमन-“ वूऊऊ सो गई हैं अब्बू…” 

अमन के अब्बू-“अच्छा ठीक है। सुनो, मैं और तुम्हारे चाचू 10 दिन बाद इंडिया आ रहे हैं…” 

अमन-ठीक है अब्बू… मैं अम्मी से बोल दूंगा। बैटरी लो है, बाद में बात करता हूँ। बाययी…” और अमन फोन रख देता है। 
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05-19-2019, 01:06 PM,
#13
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
अमन-“अह्म्मह… साली अपने शौहर से बात नहीं करनी तूने?” 

रजिया-“उंह्म्मह… गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प… वो मेरा शौहर नहीं है, मेरा शौहर ये है। गलप्प्प-गलप्प्प जिसका मैं लण्ड चूस रही हून्न गलप्प्प…” 

अमन-“अह्म्मह… साली, तुझे तो मैं बताता हूँ…” फिर अमन रजिया का सिर एक हाथ से पकड़ लेता है, और दूसरे हाथ से रजिया की नाक दबा देता है, और जोर से लण्ड उसके मुँह में पेल देता है, गले तक…” 

रजिया-“गूँ-गूँ घुऊउ उंह्म्मह… घूँ-घून्न-घून्न…” रजिया का चेहरा लाल हो जाता है। आँखें बाहर की तरफ आने लगती हैं। साँस रुकने से वो काँपने लगती है। 

अमन-“ले अह्म्मह…” और अमन जोर से अंदर-बाहर करने लगता है। 

रजिया-“घून्न-घून्न-घून्न उंह्म्मह…” और रजिया की राल गिरने लगती है, वो रजिया की जांघों पे गिर रही थी। 

अमन नाक छोड़ देता है। 

रजिया-“अह्म्मह… अह्म्मह…” लंबी-लंबी सांसें लेने लगती है-“अह्म्मह… जानू, मारने का इरादा है क्या?” 

अमन-“नहीं… रगड़कर चोदने का…” और फिर से अपना लण्ड रजिया की चूत में पेल ने लगता है। 

रजिया-“उंह्म्मह… उंह्म्मह… अह्म्मह… ओह्म्मह… उंह्म्मह… जानूउ…” 

अमन रजिया के मुँह से लण्ड निकालकर उसे गोद में उठा लेता है, और बेड पे पटक देता है। अब रजिया बेड पे पूरी नंगी पड़ी थी और पैर खुले हुए थे। अमन उसके पैरों के पास आ जाता है, और रजिया की चूत देखने लगता है। वो बिल्कुल गुलाबी थी, चूत के होंठ पतले अंदर की तरफ मुड़े हुए थे। ऐसा लगता था, जैसे ये रजिया की पहली चुदाई हो। जोश की वजह से रजिया की चूत के होंठ थरथरा रहे थे जैसे उसे बस जल्द से जल्द लण्ड चाहिए। 

रजिया-क्या देख रहे हो जी? 

अमन रजिया की चूत पे झुकता चला जाता है, और उसकी चूत पे अपनी जीभ रख देता है। 

रजिया अपनी गाण्ड ऊपर उठाते हुए-अम्मीईई अह्म्मह… जानू क्या जी… उंह्म्मह… अह्म्मह… उंह्म्मह…” और रजिया बेडशीट को कसकर पकड़ लेती है-उंह्म्मह अमन्नन् उंह्म्मह…” 
अमन पागलों की तरह रजिया की चूत चाटता जा रहा था-“गलप्प्प मुआह्म्मह… गलप्प्प मुआह… गलप्प्पप मुआह्म्मह…” 

रजिया-“जानू, मैं मर जाऊँगी अह्म्मह…” शायद पहले कभी भी रजिया की चूत को किसी ने नहीं चाटा था। रजिया जोर-जोर से कमर उछालने लगती है। उसका बदन ऐंठ जाता है। और उसकी चूत से पानी की फुहार निकल जाती है। रजिया अमन के सर को अपनी चूत पे दबाते हुए-“अह्म्मह… अह्म्मह… अह्म्मह…” 

अमन पहली बार चूत का पानी चाट रहा था-“ओह्म्मह… गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…” 

रजिया ठंडे होने की बजाए और जोश में आ चुकी थी-“ सुनिए … सुनिए ना जी… जानू…” 

अमन-“हाँ बोल्ल…” 

रजिया-“चोदिए ना पहले, बाद में चाट लेना… अह्म्मह… चोदो ना जी… जानू अह्म्मह… अम्मी प्लीज़… प्लीज़ जानू… चोदो अपनी रज़िया को… अह्म्मह…” 

अमन रजिया के ऊपर चढ़ जाता है, और उसके चुचियाँ अपने मुँह में लेते हुए अपने लण्ड को रजिया की चूत पे घिसने लगता है-“ले रजिया अह्म्मह… अह्म्मह… अह्म्मह…” 

रजिया-“ओह्म्मह… ओह्म्मह… आगज्गा आगज्गा अह्म्मह उंह्म्मह… अम्मी… अम्मी…” अमन का लण्ड रजिया की चूत में था। रजिया अमन की गाण्ड को पकड़ लेती है, जैसे कह रही हो थोड़ा रुक जाओ। 
अमन कहाँ रुकने वाला था, वो तो दनादन धक्के मारे जा रहा था और जोर से-“ओह्म्मह… अह्म्मह… रज्जी अह्म्मह… ले जान अह्म्मह…” 

रजिया-“उंन्ह… उंन्ह… मेरी चूत… अह्म्मह उंन्ह… मेरी चूत्त में आराम से ना जी अगघ…” 

अमन जैसे अपनी दुनीयां में नहीं था, जैसे उसकी चुदाई के बाद दुनियाँ खत्म हो जानी है-“आह्म्मह… रजिया चोद लेने दे अह्म्मह… जान तेरी चूत बहुत पसंद है मुझे उंन्ह… आह्म्मह…” 

रजिया-“अह्म्मह… मेरा पानी निकलने वाला है… अह्म्मह… उंह्म्मह… उंन्ह…” और रजिया का पानी निकलते ही रजिया ढीली पड़ जाती है। 

अमन उसे देखते हुए-“हो गई ठंडी साली…” 

रजिया-“रात भर चुदूंगी जानूऊ… छोड़ने वाली नहीं हूँ…” 

जैसे तो रजिया दो बार झड़ने से थोड़ी ठंडी पड़ गई थी पर अमन था की धीरे-धीरे झटके मारे जा रहा था-“हाँन्न् रजिया, इतनी टाइट कैसे है तेरी चूत?” 
रजिया-“आह्म्मह… अमन्न्न बेटा, तू कर दे ना चौड़ी उंह्म्मह… अमन्न नहीं… वहाँ नहीं…” 

अमन ने नीचे से रजिया की गाण्ड में उंगली डालकर अंदर घुमा दिया था जिससे रजिया मचल गई थी। 

रजिया-“उंन्ह… अमन्न् एक बात बोलूँ?” 

अमन-“बोल्ल अह्म्मह…” 

रजिया-“तू मुझे कितना प्यार करता है बेटा?” 

अमन-“अम्मी तुम्हें देखकर तो जवान हुआ हूँ। मेरे लण्ड पे सिर्फ़ तेरा हक है रजिया… अह्म्मह… अह्म्मह…” अमन इतने जोर-जोर से झटके मारने से झड़ने लगा था। 
रजिया उसे अपनी कमर में कसते हुये-“अह्म्मह… अह्म्मह… अमन्न्…” 

और अमन रजिया की चूत अपने पानी से भर देता है। 10 मिनट बाद रजिया बेड से उठते हुए अपनी गाण्ड मटकाते हुए किचिन में जाने लगती है। 
अमन-कहाँ जा रही हो? 

रजिया-पानी पीने, आप भी पीओगे? 

अमन-“मैं अभी आया बाथरूम से…” और अमन बाथरूम में पेशाब करने चला जाता है। 

रजिया पूरी नंगी किचिन में खड़ी होकर पानी पी रही थी। तभी उसकी नज़र सामने मिरर पे पड़ती है। पहली बार रजिया इस तरह नंगी किचिन में खड़ी थी। उसे हँसी आ जाती है, और वो पानी पीने लगती है। तभी अमन उसे पीछे से आकर पकड़ लेता है। 

रजिया-“अह्म्मह… मैं डर गई ना जी…” 

अमन पीछे से उसकी गाण्ड की दरार में लण्ड रगड़ता हुआ-“मेरे होते हुए तू क्यों डरती है रज्जी?” 

रजिया-“अरे हाँ… तेरे अब्बू क्या कह रहे थे?” 

अमन-“हाँ… वो 10 दिन बाद आने वाले हैं, चाचू भी…” 

रजिया-क्या? आज पहली बार रजिया उसके शौहर के आने से खुश नज़र नहीं आ रही थी। 

अमन-“अब तो अब्बू आ जायेंगे, फिर हमें कौन याद रखेगा?” 

रजिया पीछे मुड़कर अमन को देखने लगती है, और बिना कुछ कहे अपने रूम में चली जाती है। 

अमन भी उसके पीछे चला जाता है-“क्या हुआ, मैंने कुछ गलत कहा क्या?” 

रजिया-“नहीं अमन, तुमने वो कहा, मैं वो नहीं सोच रही हूँ। मैं तो इस बात से परेशान हूँ कि अब क्या होगा?” 

अमन-“कुछ नहीं होगा और अगर कुछ हुआ भी तो मैं उसका बाप होऊँगा…” 

रजिया खिलखिलाकर हँसते हुए-“कितना बेशरम हो गया है तू? मुझे प्रेग्गनेंट करने की सोच रहा है…” 

अमन-“क्यों, तू नहीं होना चाहती मुझसे प्रेग्गनेंट?” 

रजिया-“होना तो चाहती हूँ, पर इस उमर में नहीं…” 

अमन का लण्ड तन चुका था। वो रजिया को बेड पे झुकाता है। अमन रजिया को अपने हाथ से बेड पे झुका देता है तो रजिया बेड पे हाथ टिकाकर खड़े हो जाती है, किसी घोड़ी की तरह। अमन पीछे से उसकी कमर पकड़कर लण्ड चूत में पेलने लगता है। 

रजिया-“स्शस्स्स्स्स… धीरे बेटा अमन अह्म्मह… अह्म्मह…” 

अमन इस बार जोर-जोर से चोदने लगता है। 
रजिया-“हाँ हाँ ऐसे ही अमन… तेरा लण्ड मेरी चूत की जड़ तक जा रहा है अह्म्मह… उंह्म्मह… अगअग…” 

अमन-“साली तुझे कहा था ना कि शौहर का नाम नहीं लेते …” और अमन जोर-जोर से रजिया की गाण्ड पे थप्पड़ मारते हुए चोदने लगता है-“आह्म्मह… उंह्म्मह… इस्स्स…” आधे घन्टे के लगातार चुदाई के बाद दोनों निढाल होकर एक दूसरे से चिपक जाते हैं। 

रजिया-“सुनो रात के 4:00 बज रहे हैं। आप अपने कमरे में जाओ, वरना सुबह अनुम हमें एक कमरे में देख लेगी और एक बात कि आज से हमें थोड़ा होशियार रहना होगा। मैं नहीं चाहती कि हम दोनों के रिश्ते का किसी और को पता चले…” 

अमन उसके होंठों को चूसने के बाद-“ओके… रजिया जैसा तू कहे…” और अमन अपने कपड़े पहनकर अपने रूम में सोने चला जाता है। 

सुबह अमन कसरत करने के बाद बाहर गार्डन में लेटा हुआ था। उसने सिर्फ़ शॉर्ट्स पहना था । तभी अनुम वहाँ काफी लेकर आती है, और चेयर पे बैठ जाती है। 

अनुम सुबह ही घर वापस आ गई थी और अब सुबह की धूप में काफी का मज़ा ले रही थी। पर उसकी नज़र तो अमन के पूरे जिस्म को अपनी आँखों में बसा लेना चाहती थी। अनुम दिल में सोचते हुए-“कितना खूबसूरत है तू अमन…” 

एक पल के लिये अमन अपनी नज़रें अनुम की तरफ करता है। दोनों कुछ सेकेंड के लिये एक दूसरे को देखते रहते हैं।
अमन-क्या हुआ दीदी? 

अनुम-कू…कुछ भी तो नहीं… चल जल्दी तैयार हो जा, हमें कॉलेज भी तो जाना है। 

अमन-“ओके…” और अमन फ्रेश होकर किचिन में आ जाता है, और पीछे से रजिया को दबोच लेता है। 

रजिया-“अह्म्मह… अमन छोड़, अनुम घर पे है…” 

अमन-“मैं क्या अपनी अम्मी को प्यार भी नहीं कर सकता?” और अमन रजिया की चुचियाँ मसलने लगता है। 

रजिया-“ओह्म्मह… बेशरम अब अम्मी… और रात में रजिया? चल हट मुझे काम करने दे…” 

अमन रजिया की गाण्ड में अपना लण्ड चुभाते हुये-“इसका क्या करूं? ये खड़ा ही है सुबह से…” 

रजिया-“अह्म्मह… अमन थोड़ा सबर कर बेटा…” और रजिया अमन को धकेलकर पीछे हटा देती है। 


अमन हाल में बैठ जाता है। अनुम भी वहीं थी। 

अनुम-“क्या बात है अमन, आजकल तू थोड़ा थका-थका सा लगता है?” 
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05-19-2019, 01:07 PM,
#14
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
अमन सीधा होते हुए-“नहीं तो दीदी, अच्छा भला तो हूँ…” 

अनुम उसे घूरकर देखते हुए दिल में सोचती है-“कहीं ये फिर से ब्लू-फिल्में देखकर… नहीं नहीं, ऐसा नहीं है मेरा अमन…” 

नाश्ते के बाद दोनों भाई-बहन कॉलेज चले जाते हैं। 
अमन-“दीदी, आप फ़िज़ा के साथ घर चली जाना, मुझे कुछ काम है लाइब्रेरी में…” 

अनुम कंधे उचकाते हुए-ओके। 

रात के 9:00 बजे-अनुम कब का घर आ चुकी थी पर अमन का कोई पता नहीं था। 

रजिया और अनुम दोनों परेशान हो रही थीं। उसे कितनी बार काल किया पर उसका सेल बंद आ रहा था। रजिया ने कहा-“तुझे क्या ज़रूरत थी अनुम, उसे अकेला छोड़कर आने की?” 
अनुम कुछ बोलती, इससे पहले ही डोरबेल बजती है। अनुम भागते हुए दरवाजा खोलतेी है-“कहाँ थे तुम? कितने देर से आए हो अमन कुछ पता भी है?” और ना जाने कितने सारे सवाल। 
अमन अनुम के होंठों पे उंगली रख देता है, और उसे अपने गले लगा लेता है-“दीदी, मैं नाना अब्बू के यहाँ चला गया था। आते वक्त बाइक का टायर पंचर हो गया। मोबाइल में बैटरी नहीं थी। अब बताओ क्या करता?” 

रजिया-“उसे छोड़ तो… बच्चे कि सांस रुक जायेगी…” 

अमन अनुम को इतने जोर से गले लगाकर बात कर रहा था कि उसे होश ही नहीं रहा-“ओह्म्मह… आई एम सारी…” और अनुम को छोड़ देता है। फिर बोला-“अम्मी, मैं खाना खाकर आया हूँ और दीदी, नाना अब्बू आपको बहुत याद कर रहे थे…” 

अनुम-“हाँ… मैं गई नहीं ना कितने दिनों से…” और अनुम अपने रूम में जाकर दरवाजा बंद कर लेती है। 

अमन रजिया की तरफ देखते हुए-क्या हुआ दीदी को? 

रजिया-मुझे क्या पता? 

अमन रजिया की करीब जाकर-“रूम में चलो स्जीट हार्ट…” 

रजिया-“जी नहीं, आपकी 7 दिन की छुट्टी…” 

अमन-वो क्यों? 

रजिया शरमाते हुए-“5 बजे से पीररयड्स शुरू हो गया है मुझे…” 

अमन-“ओह्म्मह… नहीं…” और अमन रजिया के होंठों पे किस करके अपने रूम में सोने चला जाता है। 

रेहाना की तरफ इतनी रात गये तो जा नहीं सकता था। गया भी तो रजिया को शक हो जाता तो वो सोने की कोशिश करता है। 

अनुम अपने रूम में अपने दिल पे हाथ रखे अपनी सांसें नॉर्मल करने की कोशिश कर रही थी। आज पहली बार अमन ने उसे इतना कसकर हग किया था। अनुम अपनी चुचियों पे हाथ रखकर उसे दबाते हुए-“अह्म्मह… इन्हें कब मसलोगे अमन?” 

दूसरी तरफ रेहाना का बुरा हाल था। सुबह से अमन उससे मिलने नहीं आया था। उसकी चूत में चीटियाँ रेंगने लगी थीं जिसे वो अपने हाथ से शांत करने की कोशिश कर रही थी-“अह्म्मह… अमन…” और वो पानी छोड़ देती है। 

सुबह 7:00 बजे-

अमन कसरत करके फ्रेश होने के बाद रेहाना की तरफ चल देता है। उसे पता था कि फ़िज़ा 7:00 बजे सबेरे ही ट्यूशन जाती है। अमन-रेहाना के घर में दाखिल होता है तो रेहाना बेड पे औन्धी लेटी हुई थी। अमन बेड पे जाकर उसे पीछे से पकड़ लेता है-“रेहाना, मेरी जान सो गई क्या?” 

रेहाना-“कौन? तो आप हैं… मिल गई फुरसत? क्यों आए हो मुझसे मिलने?” 

अमन रेहाना का चेहरा अपनी तरफ घुमकर उसके होंठ पे किस करते हुए-“शौहर अपनी बीवी के पास नहीं आएगा तो क्या पड़ोसी के यहाँ जाएगा?” 

रेहाना-“जाकर तो देखो? जान से मार दूंगी उसे भी और खुद को भी…” 

अमन जोर से होंठ काटते हुए-“नाराज हो?” 

रेहाना-हाँ। 

अमन-क्यूँ जान? 

रेहाना-आप कल आए क्यों नहीं? 

अमन रेहाना की चूत सहलाते हुए-“तेरी चूत ने मुझे ठीक से याद नहीं किया होगा?” 

रेहाना-“अह्म्मह… अब ये मेरी कहाँ, ये तो आपकी हो गई है… कल कितना याद कर रही थी आपकी ये चूत अह्म्मह… बोल रही थी-जानू क्यों नहीं आए? याद आ रही है…” 

अमन-“साली, अभी उसे खुश कर देता हूँ…” और अमन रेहाना को नंगी करने लगता है। 

रेहाना भी अमन को नंगा कर देती है। दोनों एक दूसरे में समा जाने को पागल हुए जा रहे थे। अमन बिना देर किए रेहाना को सीधा कर देता है, और उसके पैर चौड़े कर देता है। 
रेहाना-“अह्म्मह… जानू आपका लौड़ा चूसना है…” 

अमन-“बाद में, पहले एक बार चोदने दे…” 

रेहाना-“चोदिए नाआ अह्म्मह…” 

अमन जल्दी से अपने लण्ड पे थूक लगाकर रेहाना की चूत में लण्ड पेल देता है-“ले मेरी रानीईई अह्म्मह…” 

रेहाना-“अह्म्मह… जानू धीरे-धीरे उंह्म्मह… आहै…” फिर रेहाना नीचे से कमर हिलाते हुए-“आपको पता है, आपके चाचू कुछ दिनों में आने वाले हैं ऊऊह्म्मह…” 

अमन-“पता है रेहाना उंह्म्मह…” और ताकत से लण्ड चूत में पेल रहा था जिससे रेहाना की चूत गीली होने लगी थी। 

रेहाना-“जानू, मैं कैसे रहूगी आपके बिना उंन्ह… उंन्ह…” 

अमन-“तू फिकर मत कर साली, चाचू कुछ दिनों बाद चला जाएगा फिर तो तू मेरी है अह्म्मह…” 

रेहाना-“उंह्म्मह… आग्गघ… जानू, मैं अब किसी और का लौड़ा अपनी चूत में नहीं लेना चाहती जी उंह्म्मह…” 

अमन-“हाँ रेहाना हाँ, मैं ही चोदूंगा तुझे हमेशा अह्म्मह…” और दोनों जोश में एक दूसरे के अंदर पानी छोड़ने लगते हैं-“अह्म्मह… अह्म्मह… ओह्म्मह…” 

तभी रजिया चिल्लाते हुए-“अमन कमीने कुत्ते…” 

अमन और रेहाना चौंकते हुए पीछे देखते हैं तो पीछे रजिया खड़ी थी। उसकी आँखें अँगारे उगल रही थीं। अमन और रेहाना जल्दी से अलग हो जाते हैं। अमन खड़ा होकर अपनी पैंट पहनने लगता है। 

तभी रजिया उसके पास आकर एक जोरदार थप्पड़ उसके मुँह पे रसीद कर देती है-“हरामज़ादे, कितना गिरा हुआ है तू? मुझे तुझसे ये उम्मीद नहीं थी…” और फिर एक और थप्पड़। 
अमन के तो जैसे पैरों के नीचे की ज़मीन ही खिसक गई थी। थप्पड़ की गूँज उसके कानों में अभी भी बज रही थी। 
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05-19-2019, 01:07 PM,
#15
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
रजिया रेहाना की तरफ देखते हुये-“और तू छिनाल… तुझे और कोई नहीं मिला अपनी चूत की आग बुझाने के लिये… खबरदार वो आज के बाद मुझे अपनी मनहूस सूरत दिखाई भी तो… और तू खड़ा क्या है? कपड़े पहन और चल यहां से…” 

रेहाना मारे डर के काँपने लगी थी। 

अमन जल्दी से अपने कपड़े पहन लेता है, और रेहाना के घर से जाने लगता है। तभी उसे मेन-गेट पे फ़िज़ा खड़ी हुई मिलती है। वो शायद अपनी किताब भूल गई थी, और उसे वापस लेने घर आई थी। उसने रजिया की सारी बातें सुन ली थी, और रोते हुए अपने रूम में भाग गई थी 

अमन अपने घर चला जाता है। उसके पीछे रजिया भी चली जाती है। 

रेहाना से अब खड़ा रहना मुश्किल था उसके पैरों में तो जैसे जान ही नहीं थी। वो बेड पे बैठ जाती है, और सिर पकड़ लेती है। उसने मुख्य दरवाजा बंद क्यों नहीं किया? और फ़िज़ा, उसकी अपनी बेटी, उसपे क्या गुजर रही होगी? उसने तो सारी बातें सुन ली हैं। यही सब बातें उसे परेशान कर रही थीं, और रेहाना फूट-फूट के रोने लगती है। 

अमन अपने रूम में था। रजिया उसके पीछे उसके रूम में घुस जाती है। 
अमन-“अम्मी, आप प्लीज़ मुझे माफ कर दो…” 

रजिया तो जैसे आग बनी हुई थी-“मुझे कुछ नहीं सुनना अमन। आज के बाद तू जहाँ नहीं जाएगा और अगर गया तो मेरा मरा हुआ मुँह देखेगा…” 

अमन की आँखों में आँसू आ जाते है। 

रजिया उसके रूम से बाहर चली जाती है। 

अनुम हाल में बैठी थी, कहा-“क्या हुआ अम्मी, आप अमन को डांट क्यूँ रही थी? आप तो उसे नाश्ते के लिये बुलाने गये थे…” 

रजिया-“कुछ नहीं, तू नाश्ता कर…” और रजिया अपने रूम में चली जाती है। 

अनुम उठकर अमन के रूम में चली जाती है-“अमन क्या हुआ?” 

अमन-“दीदी, मुझे अकेला छोड़ दो प्लीज़…” 

अनुम-“अरे बोल तो सही, हुआ क्या है?” 

अमन गुस्से से-“मैंने कहाँ ना मुझे अकेला छोड़ दो…” 

अनुम रूम से बाहर चली जाती है। उसे पता ही नहीं था कि आखिर माज़रा क्या है? 

दिन यूँ ही गुजर रहे थे। रजिया का गुस्सा कम होने का नाम नहीं ले रहा था। अमन ने कई बार रजिया से बात करने की कोशिश की, पर रजिया उससे बात करने को तैयार नहीं थी। 
उधर रेहाना रजिया की तरफ आने से डर रही थी। 

फ़िज़ा गम और गुस्से में अपनी अम्मी रेहाना से नज़रें नहीं मिला रही थी। 

अमन का तो सबसे बुरा हाल था। आखिर उसने फैसला किया कि वो रजिया को सबक सिखाकर रहेगा। वो साली खुद को समझती क्या है? खुद भी तो मुझसे चुदा चुकी है। और मैं किसी और को चोदूं तो उसकी गाण्ड जलती है। ठीक है, अब मैं उसे और तड़पाऊँगा और इतना कि वो खुद मेरे पैरों में गिरकर अपनी चूत मेरे सामने रखेगी और रेहाना को चोदने के लिये खुद मेरे पास लाएगी। 

अमन ने फैसला कर लिया था। 

वक्त अपनी रफ़्तार से गुजर रहा था। आज 7 दिन हो गये थे अमन और रजिया की बीच बात नहीं हुई थी। 

अमन भी कुछ परेशान सा हो गया था। एक तो उसे चूत नहीं मिली थी, दूसरे वो जिन लोगों से प्यार करता था वो उसे इग्नोर कर रही थी। 

रजिया अपने रूम में लेटे करवटें बदल रही थी। दोपहेर का वक्त था। अमन और अनुम कॉलेज गये थे। रजिया दिल में सोचते हुए कि अमन पे मुझे कितना भरोसा था, उसने ऐसा क्यों किया? वो भी अपनी चाची के साथ। मैं उससे कभी बात नहीं करूंगी। 

पर उसके दिल के किसी कोने से आवाज़ आई-“रजिया तू ने क्या किया? तूने भी तो अपनी चूत की आग बुझाने के लिये अमन का फायदा उठाया। आज जिस कष्ट में तू बैठी है, उसी में रेहाना भी है। वो भी तो तेरी तरह लण्ड के लिये तड़प रही होगी, उसका भी शौहर उससे दूर है। तू ख़ुदग़र्ज़ हो गई है। रजिया अमन जितना तेरा है, उतना ही रेहाना का भी है। तुझे रेहाना से बात करनी चाहिए और अमन से भी। कितने जोर से थप्पड़ मारा तूने उस बच्चे को…” 

फिर रजिया बेड पे उठकर बैठ जाती है, और खुद से बातें करने लगती है-“हाँ मैं बात करूंगी अमन से और रेहाना से भी। वो मेरा बेटा है, और मेरे जान भी। अब रजिया ने फैसला कर लिया था कि वो रेहाना और अमन के रिश्ते को अपना लेगी और उसके चेहरे पे खुशी के भाव साफ नज़र आ रहे थे, और आज 7 के दिन बाद उसकी चूत में सरसराहट सी होने लगी थी। 
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05-19-2019, 01:07 PM,
#16
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
उधर अमन कॉलेज के पीछे गार्डन में एक कोने में गुमसुम सा बैठा था। अनुम उसे सारे कॉलेज में देख चुकी थी आख़िरकार उसने अमन के दोस्त से पूछा-तुमने अमन को देखा है? 

अमन के दोस्त ने कहा-“ शायद वो गार्डन में होगा…” 

अनुम गार्डन की तरफ चल देती है। अमन उसे गुमसुम बैठा नज़र आ गया। अनुम दिल में-“आज तो इससे इसकी खामोशी के वजह निकालकर रहूंगी…” 
अनुम अमन के पास बैठते हुए-“यहां क्यों बैठे हो देव बाबू?” 

अमन-कुछ नहीं। 

अनुम-“कुछ तो है। बता ना अमन क्या हुआ है तुझे? ठीक से बात भी नहीं करता मुझसे, कोई गलती हुई क्या या अम्मी ने तुझसे कुछ कहा है?” 

अमन का मूड पहले से आफ था… ऊपर से अनुम के इतने सारे सवाल। अमन झुंझलाकर-“तू क्या मेरी बीवी है, वो इतने सारे सवाल पूछ रही है?” 

अनुम अमन के इस तरह बात करने से ततलमिला जाती है। और अमन से मुँह मोड़ कर रोने लगती है-“मैं तो तुझसे इसलिये पूछ रही थी कि मुझे तू ऐसे अच्छा नहीं लगता…” 

अमन अनुम को इस तरह रोते देख अपना सारा गुस्सा भूल जाता है, और अनुम को अपनी तरफ खींचने की कोशिश करता है। अनुम उसका हाथ झटक देती है। और सिसकने लगती है। 

अमन-“दीदी दीदी, मेरी प्यारी दीदी, मुझे माफ कर दो। मैंने किसका गुस्सा तुमपे निकाल दिया। मेरे प्यारी दीदी देखो अभी तुम्हारे कान पकड़ता हूँ…” 

अनुम-“हाँ गलती खुद कर और कान मेरे पकड़…” और अनुम अमन के सीने से लिपट के और रोने लगती है। 

अमन का दिल भी भर आता है। वो किसी भी तरह अनुम को हंसाना चाहता था-“दीदी, मैंने आपके लिये एक शेर लिखा है। सूनाऊँ?” 

अनुम अपना सिर बिना उठाये-हूँ। 

अमन-गौर से सुनिएगा। 

रोएं हम इस कदर उनके सीने से लिपटकर। 
रोएं हम इस कदर उनके सीने से लिपटकर 
की वो खुद अपनी टी-शट़ उतार के बोली। 
दबा ले साले अब नाटक मत कर। 

अनुम हाहाहाहा… मारे शरम के उसके सीने पे मुक्के बरसाती जाती है-“गंदा अमन, गंदा अमन…” 

दोनों की हँसी नहीं रुक रही थी और इसी बीच अमन अनुम को अपनी बाहों में कस लेता है। और अनुम भी अपने भाई की बाहों में सिमटतेी चली जाती है। 
अमन-“इतना प्यार करते हो मुझसे?” 

अनुम-यकीन ना हो तो आजमा के देख ले। 

अमन-“तेरी आँखों में तेरी मोहब्बत नज़र आती है। हमें ज़रूरत नहीं तुझे आजमाने की…” और अमन अनुम की पेशानी पे चूम लेता है। दोनों की सांसें तेज होने लगी थीं। 

अनुम-चलो घर चलो, देर हो जायेगी। 

अमन अनुम के गाल पे चिकोटी काटते हुए-हूँ। 

अनुम-“अह्म्मह… अमन्न्न गंदा…” और कुछ देर बाद दोनों अपने घर की तरफ चल देते हैं। 

रात 12:00 बजे-

फ़िज़ा और रेहाना के बीच कुछ खास बात नहीं हुई थी। फ़िज़ा रेहाना से बहुत नाराज थी। फ़िज़ा अपने रूम में बैठी हुई थी और रेहाना अपने बेडरूम में। रेहाना दिल में सोच लेती है कि अगर आज उसे फ़िज़ा से माफी भी माँगने पड़े तो वो माँगेगी, पर फ़िज़ा की खामोशी उसे अंदर ही अंदर मर रही थी। वो अपनी नाइटी में फ़िज़ा के रूम में चली जाती है। 

फ़िज़ा रेहाना को अपने रूम में देखकर बेड पे लेट जाती है, और लाइट आफ कर देती है, जैसे उसे सोना है। और रेहाना यहाँ से जाओ पर रेहाना उसके पास आकर बेड पे लेट जाती है। फ़िज़ा दूसरी तरफ मुँह करके लेटी हुई थी। 

रेहाना उसके पेट के पीछे से-“फ़िज़ा, मेरी तरफ देखो…” 

फ़िज़ा-“मुझे आपकी कोई बात नहीं सुननी, आप यहाँ से जाओ…” 

रेहाना-“एक बार मेरे बात सुन लो फ़िज़ा, उसके बाद चाहे जिंदगी भर मुझसे बात ना करना…” 

फ़िज़ा रेहाना के तरफ मुँह कर लेती है-“क्या बताएंगी आप कि मैंने वो देखा, वो सुना वो नज़रों का धोखा था और आपने अमन के साथ कोई गलत नहीं किया…” 

रेहाना-“पहले मेरे बात सुन लो, उसके बाद तुम वो फैसला कारेगी मुझे मंजूर होगा। फ़िज़ा, जब मेरी शादी तुम्हारे अब्बू से हुई, उस समय मेरी उमर बहुत कम थी। मगर मैंने तुम्हारे अब्बू के लिये एक सुलझी हुई औरत की तरह जिंदगी गुजारी। तुम्हारे अब्बू शराब पीते थे और शराब पीकर मुझे मारते थे। उस वक्त भी अमन तेरे अब्बू को रोक लेता था। वो छोटा था, मगर तेरे अब्बू उसके सामने मुझे मारते नहीं थे। हमारी शादीशुदा जिंदगी में कुछ खास नहीं रहा। मैं हर पल तेरे अब्बू के लिये तड़पी हूँ और तेरे अब्बू बाहर की रंगरेलियों में मस्त थे। 

उस वक्त भी अमन मुझे समझाता था, एक मासूम बच्चे के तरह मेरे आँसू पोंछता था। मुझे उससे उस वक्त से मोहब्बत है। 
तेरे अब्बू मुझसे हमारी शादीशुदा जिंदगी में सिर्फ़ 20 से 25 बार ही मेरे साथ हमबिस्तर हुए है, चुदाई की है। वो तो तेरे बड़े अब्बू के साथ दुबई जाने से थोड़ा सुधरे हैं। आज भी जब वो यहाँ आते हैं तो मैं अकेले ही रहती हूँ। फ़िज़ा, अमन जब छोटा था तबसे मेरा ख्याल रख रहा है, और आज भी रखता है। क्या मैं औरत नहीं? मेरा जिस्म पत्थर का नहीं है। फ़िज़ा मुझे भी मर्द का एहसास चाहिए, मेरे चूत में भी वो चाहिए जिसके लिये औरत तड़पती है। अब अगर मैंने अमन के साथ वो सब किया तो मुझे लगता है कि मैंने सही किया। क्योंकी मैं अमन से सच्ची मोहब्बत करती हूँ। और मुझे इस बात का कोई पछतावा नहीं है। फ़िज़ा बेटी, जब बेटी बड़ी हो जाती है तो सहेली बन जाती है। तू एक सहेली की तरह सोच कि क्या मैंने गलत किया? और रेहाना की आँखों से आँसू निकलने लगते हैं। 

फ़िज़ा-“नहीं अम्मी, मुझे माफ कर दो। मैं आपको समझ नहीं पाई। प्लीज़ आप मत रोइये…” और फ़िज़ा रेहाना के सीने से चिपक जाती है। दोनों माँ बेटी एक दूसरे को समझा रही थी, दिलाशा दे रही थी और इस सब में उन्हें खयाल नहीं रहा कि वो किस पोजीशन में आ गई हैं। रेहाना और फ़िज़ा की नाइटी कमर के ऊपर हो चुकी थे। एक दूसरे की जाँघ में जाँघ रगड़ रही थी, चुचियाँ आपस में धँस गई थीं और एक दूसरे से इतने चिपके हुए थे कि एक दूसरे के होंठों से सिर्फ़ दो इंच का फासला था। 

रेहाना-“ना मेरा बच्चा तू ना रो…” और रेहाना फ़िज़ा के पेशानी पे, फिर गाल पे चूम लेती है। 

फ़िज़ा रेहाना से और चिपक जाती है। और अपनी चुचियाँ रेहाना की चुचियाँ पे घिसने लगती है-“अम्मी, मेरी अम्मी अह्म्मह…” 

रेहाना की चूत तो 7 दिन से अमन के लण्ड के बिना उसकी भी प्यासी थी। दोनों एक दूसरे की आँखों में देखती हैं। और रेहाना फ़िज़ा के गुलाबी होंठों पे अपनी होंठ रख देती है। 

फ़िज़ा-“उंह्म्मह… मुआह्म्मह… मुआह्म्मह…” और अपना मुँह खोल देती है-“या अम्मी…” 

रेहाना फ़िज़ा की चुचियाँ पे डरते-डरते हाथ रख देती है। उसके हाथ पे फ़िज़ा अपना हाथ रखकर दबाने लगती है। दोनों की जाँघें एक दूसरे की चूत को छू रही थीं। 

“उंह्म्मह… नहीं ओह्म्मह… उंह्म्मह… अम्मी उंन्ह…” दोनों भूल गये थे कि वो कहाँ है, और कौन है? चूत की आग होती ही ऐसी है। 

रेहाना अपने नरम हाथों से फ़िज़ा की चुचियाँ मसलने लगती है, और फ़िज़ा की नाइटी उतारने लगती है-“उंह्म्मह… गलप्प्प-गलप्प्प… उंह्म्मह… ओह्म्मह…” 

फ़िज़ा भी ऐसा ही करती है। कुछ पलों में दोनों माँ-बेटी पूरे नंगे हो चुके थे। रेहाना फ़िज़ा की गर्दन पे फिर नीचे चुचियों को अपने मुँह में लेकर चूसने लगती है गलप्प्प-गलप्प्प और एक हाथ से फ़िज़ा की अन चुदी चूत सहलाने लगती है। 
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05-19-2019, 01:07 PM,
#17
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
फ़िज़ा बेडशीट पकड़ते हुए-“उंह्म्मह… अम्मी अह्म्मह… अह्म्मह… अम्मी मेरी ऊओह्म्मह… अह्म्मह…” पहली बार फ़िज़ा की चुचियाँ और चूत पे किसी और ने कब्जा किया था और वो भी उसके अम्मी रेहाना ने। ये सोच-सोचकर फ़िज़ा की चूत पनिया जाती है-“अह्म्मह… उंह्म्मह…” 

रेहाना और नीचे बढ़ते हुए फ़िज़ा की जाँघों के पास आ जाती है, और फ़िज़ा की चूत चौड़ी करती है। फ़िज़ा की चूत का परदा उसे खुश कर देता है। और वो फ़िज़ा की क्लिट को अपने मुँह में भरकर काटने लगती है। 

फ़िज़ा-“अह्म्मह… आह्म्मह… अम्मी… अम्मी नहीं अह्म्मह… ओह्म्मह… मैं मर जाऊँगी… अम्मी नहीं अम्मी मैं मर जाऊँगी…” 

पर रेहाना तो उसकी चूत को मुँह में लेकर ऐसी कल्पना कर रही थी, जैसे अमन का लण्ड चूस रही हो। 
फ़िज़ा का पहला और तेज पानी रेहाना के मुँह पे गिरने लगता है। जिससे रेहाना को होश आता है। और वो और तेजी से फ़िज़ा की चूत चाटने लगती है-“ओह्म्मह… उंन्ह… हाँ हाँ…” 

फ़िज़ा ठंडी पड़ी लंबी-लंबी सांसें ले रही थी-“अम्मी, मुझे दूध पीना है…” 

रेहाना बेड पे एक करिट लेट जाती है, और फ़िज़ा के चेहरे को अपनी तरफ घुमाते हुए-“मुआह्म्मह… बेटा…” 

फ़िज़ा-“अह्म्मह… गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प…” किसी छोटे बच्चे की तरह रेहाना की चुचियों को चूसने लगती है। दूध तो उसमें नहीं था मगर दोनों को ऐसे लग रहा था जैसे दूध निकल रहा हो। 

रेहाना-हाँ हाँन्न्न… ऐसे ही बेटा उंह्म्मह… अह्म्मह… पी ले अपनी अम्मी का दूध अह्म्मह… मेरे बाटी उंह्म्मह… ओह्म्मह… तनचोड़ के पीना बेटा अह्म्मह… बहुत दूध है तेरे लिये हाँ ओह्म्मह…” 

फ़िज़ा एक हाथ से रेहाना की चूत सहलाती है, अपनी दो उंगलियाँ रेहाना की चूत में डाल देती है और तेजी से अंदर-बाहर करने लगती है। 

रेहाना-“अह्म्मह… अमन अह्म्मह… उसके मुँह से अमन, अमन निकल रहा था जैसे अमन उसे चोद रहा हो… अह्म्मह अमन…” 

फ़िज़ा जान चुकी थे कि रेहाना अमन से बहुत प्यार करतेी है, और उसे अमन का मूसल लण्ड याद आने लगता है। वो उसकी अम्मी की चूत में सटासट अंदर-बाहर हो रहा था-“अह्म्मह… लो अम्मी, अमन का लण्ड अह्म्मह… ओह्म्मह… उंह्म्मह…” 

रेहाना-“अह्म्मह… आह्म्मह… हाँ ओह्म्मह… चोदो मुझे अह्म्मह बेटा…” कुछ देर बाद दोनों 69 की पोजीशन में थे और एक दूसरे की चूत को खाए जा रही थीं, चूसे जा रही थीं-“अह्म्मह… गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प उंह्म्मह…” 

फ़िज़ा अपनी अम्मी की चूत देखकर मचल गई थी-“उंह्म्मह… अम्मी आपकी चूत में अमन का लण्ड कैसे अंदर बदर हो रहा था… हाँ… उंह्म्मह…” और दोनों अमन के लण्ड को सोच-सोचकर चूत चूसने में लगी थी और फिर एक चीख के साथ दोनों पानी छोड़ने लगती हैं-“अह्म्मह… अह्म्मह… उंह्म्मह… अह्म्मह…” वो रात उन दोनों ने एक दूसरे की बाँहों में गुजारी। 
दोनों माँ बेटी का ररश्ता बदल गया था और दोनों इस नये रिश्ते से खुश थी। रेहाना सो चुकी थे। पर नींद फ़िज़ा की आँखों से ओझल हो चुकी थी। उसे अमन का लण्ड और वो जबरदस्त चुदाई बस यही याद आ रहा था। 

सूबा 7:00 बजे-

“अमन, उठो बेटा, कसरत नहीं करनी … क्या? उठो कब तक सोओगे?” रजिया अमन को कितने दिनों बाद उठा रही थी। 

अमन जाग चुका था। पर उसने अपनी आँखें नहीं खोली थी। रजिया की आवाज़ से वो जान चुका था कि रजिया उसे माफ कर चुकी है। अमन आँखें खोलते हुए बेड पे बैठ जाता है। सामने रजिया अपनी नाइट ड्रेस में थी और किसी माशुका की तरह अमन को देख रही थी। रजिया बेड पे बैठने वाली थी कि अमन बेड से उठ जाता है। और बाथरूम में चला जाता है। 
अमन का ये रवैया कहीं ना कहीं रजिया को सुलगा देता है, और वो उदास मन से अमन के रूम से बाहर चली जाती है। आज रजिया अमन के लिये उसकी पसंद का गाजर का हलवा बना रही थी। 

अनुम डाइनिंग टेबल पे बैठते हुए-“अरे वाह अम्मी… गाजर का हलवा…, पर आज तो अमन का बर्थ-डे नहीं है…” 

रजिया-“तो क्या मैं अपनी बेटे के लिये कुछ स्पेशल नहीं बना सकती?” 

अमन भी फ्रेश होकर नाश्ता करने बैठ जाता है। हलवे की खुश्बू तो उसे पहले ही आ गई थी। 

रजिया हलवा अमन के सामने रखते हुए-“देखो अमन, तुम्हारा पसंदीदा…” 

अमन-“मुझे भूख नहीं है। दीदी अगर तुम तैयार हो तो कॉलेज चलें…” 

अनुम-अरे, नाश्ता तो कर ले, अम्मी ने कितने प्यार से बनाया है। 

अमन-“मैंने कहा ना मुझे भूख नहीं…” और अमन उठ जाता है। 

रजिया का दिल अंदर ही अंदर सुलग रहा था। उसे अमन की ये बेरुखी खाए जा रही थी। वो अमन से लिपट के उसे मना लेना चाहती थे पऱ्र। 

***** *****कॉलेज गेट पर 

अनुम-तूने नाश्ता क्यों नहीं किया? 

अमन-वो छोड़ो, मेरा पहला पीरियड आफ है। चलो गार्डन में जाकर बैठते हैं। 

अनुम का भी मूड अमन से बातें करने का था-चलो। 

दोनों गार्डन के एक कोने में जाकर बैठ जाते है। अमन दूर खड़ी एक लड़की को देखकर-36-24-36 
अनुम-क्या कहा तूने? 

अमन-कु…कु…कुछ नहीं, देखो कितना अच्छा मौसम है। 

अनुम-झूठ मत बोल, मैंने सुना किसे कह रहा था? 

अमन-“वो देखो सामने बेंच पे लड़की बैठी है, उसे…” 
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05-19-2019, 01:07 PM,
#18
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
अनुम भन्ना जाती है, और अमन के कंधे पे मारते हुए-“मुझे नहीं बैठना, तू ही बैठ मैं जा रही हूँ…” 

अमन उसके उठने से पहले उसका हाथ पकड़कर बैठाते हुए-“अरे दीदी, नाराज मत हो। होगी अच्छी पर तुमसे ज्यादा नहीं…” 

अनुम-“बस बस रहने दे, मैं इतने खूबसूरत कहाँ हूँ?” 

अमन अनुम का चेहरा अपनी तरफ घुमाते हुए-“अब कह दिया, आगे से ना कहना। इस दुनियाँ की सबसे खूबसूरत लड़की हो तुम और तुम्हें पता है… सबसे खूबसूरत क्या है? 

अनुम काँपते लबों से-क्या? 

अमन उसके होंठ पे उंगली फेरते हुए-“ईए…” 

अनुम-सच? 

अमन-“हाँ बहुत प्यारे है तुम्हारे ये होंठ… दिल करता है…” 

अनुम-क्या? 

अमन-कुछ नहीं। 

अनुम-बोल ना? 

अमन-“इन्हें चूम लूँ…” और अमन धीरे से अनुम के होंठों पे अपने होंठ रखता है। फिर एक छोटा सा किस ले लेता है-मुआह्म्मह…” 

अनुम की सांसें फूल चुकी थीं, वो अमन को धकेल देती है और अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लेती है-“मैं जा रही हूँ…” और अमन के पास से भाग जाती है। 

अमन उसे देखता रह जाता है। 

कॉलेज खतम होने के बाद दोनों भाई-बहन बाइक पे घर की तरफ जा रहे थे। 
अनुम-रुक-रुक… शीबा खड़ी है। 

अमन डिस्क ब्रेक मारते हुए-कहाँ? 
ब्रेक लगने से अनुम उसकी पीठ से जा टकराती है-“वो खड़े हैं। मरी नहीं है, वो तू इतने जल्दी रुक गया…” 

अमन शरमा जाता है। शीबा के पास बाइक रोक के अनुम ने पूछा-“कहाँ जा रही हो शीबा?” 

शीबा अमन के तरफ गुस्से से देखती हुई-“घर जा रही थी बाजी, बस मिस हो गई…” 

अनुम-चलो हम तुम्हें छोड़ देते हैं। 

शीबा-नहीं, मैं चली जाऊँगी। 

अनुम-“अरे बैठ ना…” 

शीबा-मुझे बाइक पे डर लगता है। 

अमन हँसने लगता है। जिससे शीबा को और गुस्सा आ जाता है। 

अनुम-“तुझे क्यों हँसी आ रही है? शीबा तू यहाँ बैठ जा मैं तेरे पीछे बैठ जाती हूँ…” 

अमन दिल में-“इसे मेरे सामने बिठा दो, साली क्या लग रही है?” 

शीबा ने पटियाला पहना हुआ था, वो गजब की खूबसूरत लग रही थी। अमन आगे सरक जाता है। उसके पीछे शीबा और लास्ट में अनुम। 

अनुम-चलो भाई। 

अमन बाइक स्टाट़ कर देता है। वो धीमी स्पीड में बाइक चला रहा था, क्योंकी शीबा की छोटी-छोटी मगर नरम चुचियाँ उसके पीठ में चुभ रही थीं। 

अनुम-इतने धीरे क्यों चला रहे हो? 

अमन-उफफ्र्फहो दीदी, फास्ट चलाओ तो मुसीबत धीरे चलाओ तो मुसीबत। 

अनुम-ठीक है, देखकर चला। 

अमन धीरे आवाज़ में-तुम्हें कैसे पसंद है शीबा? 

शीबा गुस्से से अमन की जाँघ पे चिमटी काट लेती है-ऐसे। 

अमन-“अह्म्मह… ओह्म्मह…” 

अनुम-क्या हुआ? 

अमन-कुछ नहीं। 

शीबा खिलखिलाकर हँसते हुए-“लगता है कि भाई रास्ता भूल गये…” और दोनों लड़कियां हँसने लगती हैं। 

अमन दिल में-“रुक जा शीबा की बच्ची ऐसी जगह काटूंगा कि याद रखेगी…” 

अमन अनुम को घर ड्रॉप करके शीबा को उसके घर छोड़ने चला जाता है, वो पास ही में था। 
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05-19-2019, 01:07 PM,
#19
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
शीबा दरवाजे के पास से इतराते हुए-आइए ना भाई, अंदर नहीं आएंगे? 

अमन होंठों पे जीभ फेरते हुए-“अभी आता हूँ, और अमन भी शीबा के घर में चला जाता है। 

हीना-अरे अमन, आओ आओ आज कैसे रास्ता भटक गये? 

शीबा-ये तो आ ही नहीं रहे थे, मैं लाई हूँ अंदर। 

हीना-अच्छा किया, बैठो अमन। 

अमन-क्या खाला, अपने घर में आने के लिये किसी के बोलने कि ज़रूरत नहीं पड़ती। मैं तो खुद आने वाला था और अमन सोफे पे बैठ जाता है। 

शीबा अमन के लिये नाक चढ़ाते हुए-“हुंन्ह…” करके अपनी रूम में चली जाती है। 

हीना अमन के बिल्कुल पास बैठ जाती है। हीना भी कमाल की खूबसूरत औरत थी उसे देखकर लगता ही नहीं था कि ये लौंडीयाँ एक लड़की की माँ है। फिगर उसने ऐसे मेनटेन किया था जैसे 22 साल की लड़की… कमर एकदम पतली, पेट चिकना, सफेद त्वचा, छाती उभरी हुई हल्की सी लिपिस्टिक 

उसे देखकर अमन के मुँह में पाने आने लगा था। हीना चुदी हुई औरत थी। अमन की नज़रें पहचान गयीं पर उसे गुस्सा आने के बजाए मन में प्यार आ रहा था। 

हीना-“तुम अब बड़े हो गये हो अमन, तुम्हारी अम्मी से कहकर तुम्हारे लिये लड़की देखनी पड़ेगी…” 

अमन अपनी ख्वाबों की दुनियाँ से वापस आते हुए-“क्…क…क्यों खाला जान? ऐसे क्यों कह रही है आप?” 

हीना अमन की आँखों में देखते हुए-“तेरी आँखें बता रही हैं कि तुझे दुल्हन चाहिए…” 

अमन दिल में-“तू बन जा ना… साथ में तेरी बेटी को भी ले आ…” फिर बोला-“अरे खाला, आप भी ना… अभी तो मैं बच्चा हूँ…” और अमन लाड़ करते हुए हीना की गोद में सर रख देता है।

हीना उसके बालों में उंगलियाँ फेरते हुए-“कोई पसंद हो तो मुझे बता, मैं रजिया बाजी से बात करूंगी…” 

अमन हँसते हुये-“हाहाहाहा… अब बस भी करो खाला, मुझे शरम आती है…” और अमन अपना सिर हीना की जाँघ पे घिसने लगता है। जैसे शरम के मारे अपना मुँह छुपा रहा हो। 

हीना-“अह्म्मह…” कितने दिनों बाद हीना की जाँघ पे किसी मर्द का सिर था जिससे हीना सिहर उठती है, और अमन के गालों पे किस करते हुए काट लेती है-“तू तो लड़कियों की तरह शरमा रहा है…” 

अमन कुछ बोलता उसे पहले शीबा रूम में आ जाती है। 

हीना-“तुम लोग बैठो, मैं कुछ नाश्ते के लिये लाती हूँ…” 

अमन-“खाला जान, मुझे भूख लगी है। कुछ खाने को हाँ…” 

हीना-अभी लाई बेटा। 

शीबा हीना के रूम में जाने के बाद अमन के सामने वाले सोफे पे बैठ जाती है-“क्या भाई, घर से खाना खाकर निकलना चाहिए, वरना कहीं चक्कर वक्कर आ गया तो?” और हँसने लगती है
। 
अमन मँ में-“हाँ रानी, चोदते वक्त उतनी ही जोर से रोएगी तू…” 

अमन बोला-“हाँ, वो आज पता नहीं कैसे भूख लग गई…” 

शीबा उसे घूरते हुए टीजी ओन कर देती है। 

अमन उसे ही घूर रहा था। 

शीबा अपनी चेहरे पे अमन की आँखों के तपिश बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। उसे पता था कि अमन उसे ही घूर रहा है। शीबा चिल्लाते हुए-“अम्मी, जल्दी नाश्ता लाओ भाई को जोरों की भूख लगी है…” और उसे खा जाने वाली नज़रों से देखती है, वो उसे लगातार देखे जा रहा था। 

अमन-“ओह्म्मह… ओह्म्मह…” फिर अपने पैर पसार कर-“सोचता हूँ कुछ दिन आपके पास ही रहूं खाला जान…” 

हीना नाश्ता ला चुकी थी-“अरे, ये तो बड़ी अच्छी बात है। मुझे भी थोड़ी कंपनी मिल जायेगी, वरना ये शीबा तो दिन रात पढ़ाई पढ़ाई…” 
अमन-हाँ, वो तो दिख रहा है। पढ़ाई पढ़ाई…” 

शीबा-“हेलो मिस्टर अमन, मैं हर साल टाप करती हूँ और मुझे सिर्फ़ पढ़ाई में इंटरेस्ट है…” फिर शीबा बोलते बोलते रुक गई। 

अमन-हाँ बोलो-बोलो और? 

हीना मुश्कुराते हुए-“अब बस भी करो ये टोपिक, चलो अमन बेटा तुम नाश्ता करो…” 

अमन शीबा को घूरते हुए नाश्ता करने लगता है। वो सुबह से भूखा था कैंटीन में भी उसने कुछ खास नहीं लिया था। 

शीबा-“अराम से, वरना ठस्का लग जाएगा…” 

हीना-बस शीबा। 

शीबा-“हुंनह…” अमन की तरफ देखते हुए फिर से टीजी देखने लगती है। 

अमन एक घंटा बाद-“अच्छा खाला जान, मैं चलता हूँ अम्मी इंतजार कर रही होंगी…” 

हीना-“ठीक है बेटा, आते रहा करो। मुझे तेरी कितनी याद आती है। और तू है की अपनी खाला का खयाल ही नहीं रखता…” 

अमन हीना के गले लगते हुए उसे कस लेता है-“अब रखूंगा, प्रोमिस…” 

हीना-हूँन् पक्का? और हीना भी इस बार उसे कसते हुए। 

अमन-एकदम पक्के वाला पक्का। मैं ज़रा शीबा से मिलकर आया…” अमन शीबा के रूम में जाता है-“अच्छा शीबा, मैं जा रहा हूँ अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें रोज कॉलेज ड्राप कर दिया करूंगा…” 



शीबा बुरा सा मुँह बनाते हुए-“जी नहीं, आपका बहुत-बहुत शुकिया। मैं कॉलेज बस से अच्छे से पहुँच जाती हूँ भाई…” 

अमन शीबा के करीब आकर-“तुम्हें पता है। भाई का मतलब?” 

शीबा गम्भीर नज़रों से अमन की आँखों में देखते हुए-क्या? 

अमन-“भाई मतलब? बेस्ट हसबैंड अवेलवल इन इंडिया…” 

शीबा शरम से लाल हो जाती है-“जाओ यहाँ से भा…” 

अमन हँसता हुआ उसके रूम से निकल जाता है। 

रजिया-कहाँ रह गया ये? 

अनुम-ओफ्फोहो… अम्मी आ जाएगा अमन, कहा ना खाला के यहाँ गया है। 

इससे पहले रजिया कुछ बोलती अमन घर में दाखिल होता है। 

रजिया-आ गये बेटा? हीना कैसी है? खाना लगाऊँ? 

अमन-“ठीक है। मैं खाकर आया हूँ…” और अपनी रूम में जाने लगता है। 

तभी डोरबेल बजती है। 

अमन दरवाजा खोलने जाता है-“अरे अब्बू आप… आज अचानक… व्हाट आ सरप्राइज…” सामने अमन के अब्बू खड़े थे जिन्हें सब ख़ान साहब कहते थे। 

ख़ान अमन के गले लगाते हुए-“मेरा बेटा कितना बड़ा हो गया है? कितने दिन हो गये तुझे देखे हुए?” और दोनों बाप बेटे एक दूसरे से गले मिलते हुए अंदर आते हैं। 

अनुम-“अब्बू…” चलती हुई ख़ान साहब के गले लगती है-“आपने फोन कर दिया होता तो हम आपको लेने एयरपोट़ आ जाते…” 

ख़ान अपनी बेटे के सर पे हाथ फेरते हुए-“अगर फोन कर देता तो सरप्राइज कैसे देता?” 

रजिया भी ख़ान साहब को देखकर खुश हो गई थी। 

ख़ान साहब-कैसी हो रजिया? 
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05-19-2019, 01:08 PM,
#20
RE: Antarvasna अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ
रजिया-“ठीक हूँ, आप थक गये होंगे। फ्रेश हो जाइए, मैं खाना लगा देती हूँ…” 

ख़ान साहब-“नहीं भाई, मुझे थोड़ा सोने दो…” और ख़ान साहब अपने रूम की तरफ चल देते हैं। 

अनुम बैग्स खोलने में लगी थी, पता नहीं अब्बू मेरे लिये क्या लाए हैं। और सामने अमन और रजिया एक दूसरे की आँखों में देख रहे थे। रजिया की आँखों से कुछ जाहिर नहीं हो रहा था। 
पर अमन की आँखें रजिया को साफ कह रही थी-“हो जा खुश… अब तो आ गया तुझे चोदने वाला। अब तुझे किसी की क्या परवाह?” और अमन एक घिनोनी हँसी चेहरे पे लाते हुए अपने रूम में चला जाता है। 

जितनी परेशान रजिया थी, उतना ही अमन था। उसकी रजिया और रेहाना अब किसी और के लण्ड से चुदायेंगी, ये बात उसे परेशान कर रही थी। वो नहीं चाहता था कि कोई उसकी लगाए हुए मोहर को हटाकर अपनी मोहर लगा दे। 

दूसरी तरफ चाची रेहाना के घर में भी यही हाल था। ख़ान जमाल मलिक रेहाना के शौहर के घर में आने से वहाँ फ़िज़ा बहुत खुश थी, वहीं रेहाना के तो जैसे होश उड़ गये थे। वो सदमे में थी। पर चेहरे पे मुश्कान के साथ वो भी अपने ना-पसंदीदा सख्श का वेलकम हँसते हुए करती है। 

दोनों घरों के मर्द आ चुके थे। अमन के लिये रास्ता थोड़ा मुश्किल नज़र आ रहा था। पर कहते है ना… वहाँ चाह वहाँ राह। 

रात के खाने के बाद ख़ान साहब अपने परिवार के सदस्यों को गिफ्ट देते हुये, वो अमन के लिये 4 ड्रेस, अनुम के लिये दो ड्रेस, और रजिया की लिये 3 साड़ी लाए थे जिसे देखकर सभी ने खुशी का इज़हार किया खास तौर पे रजिया ने। पर वो अमन को ही देख रही थी। आज रात वो अमन को मनाकर उससे जमकर चुदना चाहती थी । पर शायद ये दूरियाँ कुछ और लंबी होनी थीं। 

ख़ान साहब-“अरे अमन बेटा, ये ड्रेस मैं फ़िज़ा के लिये लिया था, ज़रा उसे दे आना तो…” 

अमन-“जी अब्बू…” और अमन रजिया को देखते हुए रेहाना की तरफ चला गया। 

रजिया अंदर ही अंदर जल भुन गई। 

अमन मलिक को सलाम करते हुए-“चाचू जान…” और दोनों गले मिलते हैं। 

रेहाना किचिन में थी। अमन की आवाज़ सुनकर दौड़ते हुए रूम में आ जाती है। रेहाना अमन को आज 9 दिन के बाद देख रही थी। उसके आँखों में खुशी और चमक दोनों साफ देखी जा रही थी। 

अमन रेहाना के तरफ देखते हुए-“वो चाचू, अब्बू ने ये फ़िज़ा बाजी के लिये भेजे हैं…” 

मलिक-“अरे, ये भैय्या भी ना… मैं भी तो कितने ड्रेस लाया हूँ फ़िज़ा के लिये…” 

रेहाना-“अब वो इतने प्यार से दे रहे हैं, तो ले लीजिए…” 

मलिक-“ठीक है भाई। अरे, तुम खड़े क्यूँ हो बैठो बेटा…” फिर रेहाना से-“जाओ हमारे बेटे के लिये कुछ खाने के लिये लाओ…” 

रेहाना-अभी लाई। 

फ़िज़ा अपनी रूम में पढ़ाई कर रही थे, और किकेट मैच देख रही थी। 

रेहाना किचिन में से-“अमन, ज़रा इधर आना तो… ये डिब्बा ज़रा ऊपर से उतार दो…” 

अमन-“जी…” और उठकर किचिन में चला जाता है। 

किचिन में जाकर रेहाना अमन से चिपक जाती है, और अमन भी रेहाना को अपनी बाहों में भर लेता है। 

रेहाना-“मुझे यहाँ से ले चलिये कहीं भी। मैं यहाँ नहीं रहना चाहती…” और अमन के होंठों को चूमने लगती है। 

अमन भी रेहाना की चुचियाँ दबाते हुए होंठ चूसने लगता है। उन दोनों को कोई परवाह नहीं थी कि घर में मलिक और फ़िज़ा दोनों हैं, और किसी भी वक्त यहाँ आकर इन दोनों को रंगे हाथ पकड़ सकते हैं। 

अमन-“बस कुछ दिन मेरी जान… फिर तू मेरी होंगी। भगा ले जाऊँगा मैं तुझे इन सबसे…” अमन शायद जज्बाती हो गया था। 

रेहाना-“उंह्म्मह… हाँ उंह्म्मह… हाँ…” उसकी चूत में पानी आने लगा था। 

मलिक-“रेहाना, नाश्ता तैयार हुआ कि नहीं? मुझे भी भूख लगी है…” 

रेहाना अमन से अलग होते हुए-“जी अभी लाई…” 

अमन नाश्ता करते हुए रेहाना को ही देख रहा था। अब वहाँ फ़िज़ा भी आ चुकी थी और उसकी नज़र भी अमन पे थी। वो अमन और रेहाना दोनों को देख रही थी और अंदाजा लगा रही थी कि ये एक दूसरे को कितना चाहते हैं। 

अमन-अच्छा मैं चलता हूँ। 

रेहाना-बैठो ना… खाना खाकर जाना। 

मलिक-हाँ बेटा बैठो। 

अमन-नहीं, अभी मैं खाना खाकर आया था। मैं चलता हूँ। 

मलिक-“कल जल्दी आ जाना बेटा, मुझे तुमसे कुछ खास बातें करनी है…” 

अमन-“जी…” और अमन अपने घर की तरफ चल देता है। 

रात 10:00 बजे-

सभी अपनी-अपनी रूम में जा चुके थे। आज ख़ान साहब का बड़ा मूड था रजिया को चोदने का और उधर मलिक का भी। पर दोनों औरतें शायद इसके लिये तैयार नहीं थी। और इत्तेफाक देखिए दोनों एक ही बहाना बनाती हैं। मुझे एम॰सी॰ पीरियड आज से शुरू हुए हैं। 

ये सुनकर दोनों मदों के खड़े लण्ड भी ठंडे पड़ जाते है। 

ख़ान साहब-“मैं सो जाता हूँ…” और थके हारे मर्द सो जाते हैं। 

रजिया ऊपर फैन को देखते हुए दिल में सोचती है-“आखिर कब तक तू ख़ान साहब को दूर रख पाएगी? सिर्फ़ 7 दिन उसके बाद तो तू चुदेगी ही…” 

यही सोच-सोचकर रेहाना भी परेशान थी। वो चाहती थी कि मलिक फिर से वापस दुबई चला जाए और फिर कभी लौट के ना आए। 
इनहीं ख्यालों में सुबह हो जाती है। 
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