08-25-2020, 01:10 PM,
|
|
desiaks
Administrator
![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png)
|
Posts: 23,724
Threads: 1,147
Joined: Aug 2015
|
|
RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा
अपनी मर्ज़ी से उसका हलब्बी लौड़ा धुन्नी तक इस अंदाज़ से अंदर लेने में मुझे ढिल्लों पर एक बड़ी जीत लग रही थी। अब मुझे एहसास हो गया था कि अब मैं ढिल्लों को बराबर की होकर मिल सकती हूँ और जब इतने तगड़े जवान को कोई मेरे जैसे बराबर की औरत मिलती तो जो सेक्स होता है, वो बहुत शक्तिशाली और बुलंद होता है। हमारे बीच अब यही हो रहा था।
जब मैं इस तरह से रबड़ की गेंद की तरह उसके ऊपर उछलने लगी तो ढिल्लों हैरान होकर बोला- बड़ी खतरनाक औरत हो, सोंह रब्ब दी, ढिल्लों के लौड़े के ऊपर इस तरह कोई नहीं उछली थी, तेरे जितनी आग नहीं देखी किसी में, क्या खाती हो?मैं कुछ नहीं बोली और वहशियों की तरह पागल होकर कर उसके लौड़े पर उछलती रही। मेरे इस प्रचंड रूप के सामने ढिल्लों जैसे पहलवान भी समय से पहले हार मान गया और फुद्दी के अंदर ही झड़ने लगा और उसके मुंह से निकला- जान ले ली जट्टीये, कमाल की औरत हो, हाय, हाय, हाय।
जब उसका ढेर सारा वीरज मेरे अंदर निकला तो मुझे फुद्दी के बहुत अंदर तक गर्मी महसूस हुई जो मुझे बहुत शानदार लगी और मैं भी उसके बाद 8-10 प्रचंड घस्से मार कर झड़ने लगी.
दोस्तो, मेरे मुंह से बहुत चीखों के रूप में यह ये आवाज़ निकली थी- हाय… हाय ढिल्लों मर गई गई … हाय मां … ढिल्लों!इस तरह बहुत खतरनाक तरीके से हांफते-हांफते मैं ढिल्लों से ऊपर गिर पड़ी। न तो मुझमें कुछ बोलने की हिम्मत थी न ही हिलने तक की। मैंने अपनी सारी कसरें खुद इस तरह चुदाई करके निकाल की थीं।10-12 सालों से ये डींगें मारने वाली रूपिंदर की जिसकी कोई तसल्ली नहीं करा सकता था, आज एक जट्ट के ऊपर ऊपर पूरी टाँगें खोल कर लेटी हुई थी और जिसमें अब इतनी हिम्मत भी नहीं थी कि पलटी मार कर उसकी बगल में लेट जाए।
3-4 बार इतने ज़ोर-शोर से ठुकने के बाद मेरा हाल बहुत बिगड़ चुका था। दोस्तो, मैं वो बन-ठन कर आई रूपिंदर नहीं रही थी। मेरे बाल ऐसे बिखर गए थे, जैसे पिछले 1-2 महीनों से कंघी न की गयी हो, आंखों के नीचे काले घेरे बन गए थे, मुंह हल्का सा खुल गया था।
दोस्तो आपकी रूपिंदर का बाजा अच्छी तरह बजाया जा चुका था। फुद्दी का हाल तो आपको पता ही होगा। फिर भी बता देती हूं कि मेरी कुदरती तौर पर हल्की सी फूली हुई सफेद फुद्दी का मुंह अब पूरी तरह खुल चुका था और उसे बंद होने के लिए 1-2 हफ्तों की ज़रूरत थी। फुद्दी फट तो गई थी लेकिन मैं पहले ही काफी चुदी होने के कारण ज़्यादा हल्का सा ही निशान था। इसके अलावा अंदर जाने वाला रास्ता अब और खुल गया था। ढिल्लों के हलब्बी लौड़े ने फुद्दी का दाना थोड़ा बाहर को सरका दिया था।
जब मैं कुछ देर बाद उठ कर बाथरूम में गई तो मेरी चाल में एकदम बहुत फर्क आ गया था, यानि कि बहुत मतवाली हो गई थी। बहुत ज़्यादा चुदने वाली औरतों की चाल में ये चीज़ अक्सर देखी जा सकती है।
खैर तभी ढिल्लों का आर्डर किया हुआ चिकन आया और हम हल्की हल्की दारू पीते हुए खाने लगे और एक दूसरे से बातें करते लगे।
कहानी जारी रहेगी
|
|
08-25-2020, 01:10 PM,
|
|
desiaks
Administrator
![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png)
|
Posts: 23,724
Threads: 1,147
Joined: Aug 2015
|
|
RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा
दोस्तो आपकी रूपिंदर का बाजा अच्छी तरह बजाया जा चुका था। फुद्दी का हाल तो आपको पता ही होगा। फिर भी बता देती हूं कि मेरी कुदरती तौर पर हल्की सी फूली हुई सफेद फुद्दी का मुंह अब पूरी तरह खुल चुका था और उसे बंद होने के लिए 1-2 हफ्तों की ज़रूरत थी। फुद्दी फट तो गई थी लेकिन मैं पहले ही काफी चुदी होने के कारण ज़्यादा हल्का सा ही निशान था। इसके अलावा अंदर जाने वाला रास्ता अब और खुल गया था। ढिल्लों के हलब्बी लौड़े ने फुद्दी का दाना थोड़ा बाहर को सरका दिया था।
जब मैं कुछ देर बाद उठ कर बाथरूम में गई तो मेरी चाल में एकदम बहुत फर्क आ गया था, यानि कि बहुत मतवाली हो गई थी। बहुत ज़्यादा चुदने वाली औरतों की चाल में ये चीज़ अक्सर देखी जा सकती है।
खैर तभी ढिल्लों का आर्डर किया हुआ चिकन आया और हम हल्की हल्की दारू पीते हुए खाने लगे और एक दूसरे से बातें करते लगे।खाना खाने के बाद और ढिल्लों से अगली मीटिंग के बारे बातें करते करते आधा पौना घंटा बीत गया। ज़िन्दगी में पहली बार मैंने अल्फ नंगी होकर खाना खाया था। कमरे में हीटर की वजह से ठंड का नामोनिशान भी नहीं था। ढिल्लों ने भी सिर्फ अंडरवियर पहना था।
तभी सिगरेट पीते हुए वो मुझसे बोला- अगली चुदाई के लिए तैयार हो जा जल्दी, इस बार घोड़ी बना के मारूँगा। ठीक है?दरअसल इतनी ताबड़तोड़ चुदाइयों की वजह से मैं बिल्कुल तृप्त हो चुकी थी और अब मुझे फुद्दी मरवाने में बिल्कुल दिलचस्पी नहीं थी। इसके इलावा मुझे घोड़ी बनकर चुदना पसंद भी नहीं है क्योंकि इससे मुझे दर्द होता है।यही बात मैंने ढिल्लों से कही- ढिल्लों, वैसे तो अब कोई कसर नहीं छोड़ी है तुमने मेरा बैंड बजाने में, लेकिन फिर भी अगर और मारनी है तो आगे से मार लो, पीछे नहीं हटूंगी अपने कहे से, लेकिन घोड़ी बनके मुझे बहुत दर्द होता है।मेरी बात सुनकर ढिल्लों मुझसे बोला- कोई बात नहीं वादा करता हूं दर्द नहीं होगा, उन्हें फुद्दी मारनी ही नहीं आती, सही एंगल में करो तो कोई दर्द नहीं होगा, फिर भी अगर ज़्यादा दर्द हुआ तो बता देना।
मुझे उसकी बात सुनके बहुत तसल्ली हुई। इन तीन-चार चुदाइयों में मुझे पता चल चुका था कि ढिल्लों फुद्दी मारने में बहुत एक्सपर्ट है क्योंकि उसने हर बार मेरी फुद्दी मारने से पहले एंगल बहुत अच्छा बनाया था। जब पहली बार उसने मेरी टाँगें उठा के मारी थी तो टांगें अपनी बांहों से पूरी तरह फैला दी थीं और 2 तकिये मेरी गांड के नीचे रख दिए थे। इस तरह हुआ यह था कि मेरी फुद्दी चौड़ी भी हो गयी और ऊपर उठ कर उसके लौड़े के हिसाब से बिल्कुल सही कोन में आ गयी थी।उसने चुदाई भी इस तरह की थी कि लौड़ा बिल्कुल सीधा अंदर जाए और पूरा जड़ तक अंदर जाए।
यही सोच कर मैंने अपना सिर हिला कर और मुस्कुरा कर उसे मंज़ूरी दे दी।
तभी वो बेड पर चढ़ आया और मुझे पूरी तरह अपने आगोश में लेकर किस करने लगा और मेरी घूटें पीने लगा। मैं गर्म नहीं थी और मेरा चुदाई का मूड नहीं था इसीलिए मैंने ये सोच कर कि अब चुदना तो है ही, गर्म तो कर लूं खुद को, मैंने उसे जफ्फी डाल ली और उसका साथ देने लगी।किस करते करने मैं थोड़ी हीट में आई और अपनी फुद्दी उसकी जांघों पर रगड़ने लगी; 10-15 मिनट के अंदर ही फुद्दी फिर लौड़ा लेने के लिए तरसने लगी। मुझे तैयार हुआ देख ढिल्लों ने कहा- बन जा घोड़ी, घोड़ीए।
मैं चुपचाप उल्टी ही गयी और घोड़ी बन कर अपनी प्यासी फुद्दी उसे पेश कर दी। फिर वो मेरे पीछे आया और नीचे मेरे दोनों घुटनों को पकड़ कर चौड़ा कर दिया। इस तरह मेरी गांड और फुद्दी दोनों थोड़ी नीचे होकर पूरी तरह फैल गयीं। तभी उसने मेरे पिछवाड़े के ऊपर अपना एक हाथ रखा और उसे थोड़ा और नीचे सरका दिया। जनाब फुद्दी और खुल गयी और उसे पूरी तरह दिखाई देने लगी। तभी वो मुझसे बोला- अब नहीं दर्द होगा।
यह कहकर उसने अपने मोटे खीरे जैसे काले लौड़े को फिर उसी तरह फुद्दी और गांड पर अच्छी तरह ऊपर नीचे से 8-10 बार रगड़ा और फिर फुद्दी के ऊपर सेट करके एक तूफानी झटका मारा। लौड़ा शायद 7-8 इंच अंदर घुस गया। जब उसने झटका मारा तो मेरी आँखें बाहर आ गईं और मुंह पूरी तरह खुल गया और मेरे मुँह से एक तेज़ चीख ‘अईईईईई…’ करके निकली।दर्द की तेज लहर फुद्दी से होती हुई पूरे जिस्म में दौड़ गयी। मैंने उंगलियों से बेड के गद्दे को ज़ोर से भींचा और अपने घुटनों के बल ही “हूं, हूं” करते हुए फौजियों की तरह आगे निकल गयी और उसकी गरिफ्त से आज़ाद हो गई।
उसका यह वार बहुत ज़बरदस्त था जिसे मैं सह नहीं पाई। आगे निकल कर मैं बेड के नीचे उतर गई। फुद्दी में हो रहे दर्द के कारण मैं बहुत गुस्से में आ गई और उसे गालियां निकालने लगी- भेनचो, कमीने, आराम से नही कर सकता, मैंने कहा था कि मुझे दर्द होता है ऐसे, फ्री की फुद्दी रास नहीं ना आई तुझे, नहीं देती अब कर ले क्या करना है, जा रही हूँ मैं।क्योंकि मेले से वो सीधा मुझे इसी कमरे में ले आया था।
|
|
08-25-2020, 01:10 PM,
|
|
desiaks
Administrator
![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png)
|
Posts: 23,724
Threads: 1,147
Joined: Aug 2015
|
|
RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा
मैंने नीचे पड़ी वही छोटी सी निक्कर उठाई और पहनने लगी लेकिन वो फिर आकर मेरी मोटी जांघों में फंस गई। मैं बहुत गुस्से में थी इसीलिए मैंने अपना पूरा ज़ोर इकठ्ठा किया और जैसे तैसे उसे खींच कर अपनी अपनी कमर तक ले आयी। अब मेरी गांड एक बार फिर उस निक्कर में बुरी तरह फंस गई।
अभी मैं टीशर्ट पहनने ही लगी थी कि ढिल्लों ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा और कहने लगा- मेरी छमकछल्लो, मैं तो मज़ाक कर रहा था, आजा, तू तो बहुत गुस्से हो गई, चल अब प्यार से करूँगा।लेकिन गुस्से में मैंने उसकी बात न सुनी और टीशर्ट पहनने लगी थी.
वो उठा और मुझे उठा कर हल्के से बेड पर पटक दिया और मुझे बुरी तरह चूमने चाटने लगा। मैंने बहुत हाथ पैर मारे लेकिन उसके आगे मेरी एक ना चली। उसने अगले एक मिनट के अंदर ही मेरे पिछवाड़े में फंसी निकर को केले के छिलके के तरह उतार दिया और फुद्दी पर मुट्ठी भर के मुझे किस करने लगा।
एक तो वो इतना तकड़ा मर्द था कि उसका ये वार भी न सहन कर पाई और फिर उसकी बांहों में बर्फ की तरह पिघल गयी; 5-7 मिनट के बाद उसने मुझे फिर घोड़ी बना लिया और अच्छे से मेरी गांड सेट करके लौड़ा धीरे से फुद्दी के अंदर धकेल दिया।जनाब … इस बार उसने दो तीन झटकों से 4-5 इंच लौड़ा अंदर डाला था मगर मुझे इस बार बिल्कुल दर्द न हुआ और उसके तजरबे पर मैं वारे वारे गई। अब वो इसी तरह आधा लौड़ा अंदर डाल कर हल्के हल्के घस्से मारने लगा। फुद्दी फिर पूरे उफान पर आ गयी और मेरे मुंह से फिर ‘हाय मां, हाय मां…’ निकलने लगा।
जब उसने 8-10 मिनट के बाद भी और अंदर नहीं डाला तो मैंने जोश में आकर चादर अपनी मुट्ठी में ज़ोर से भींच कर अचानक ही एक तेज़ घस्सा पीछे को मारा और उसका 10 इंच का काला लौड़ा जड़ तक अंदर चला गया, मुझे थोड़ा दर्द ज़रूर हुआ और इसीलिए मैंने सिसियाते हुए ढिल्लों से कहा- तू रुक जा, मुझे करने दे थोड़ी देर!मेरी इस हरकत से बहुत खुश हुआ और अपनी कमर रोक ली। तभी मैं आगे को हुई औऱ एक बार आगे हो गयी और पूरी अपनी ताकत इकठ्ठी करके फिर पीछे को घस्सा मारा, इस बार दर्द नहीं हुआ और फुद्दी और लौड़े के टकराव से एक ऊंची ‘फड़ाच’ की आवाज़ आयी और मेरे मुंह से अनायास ही निकल गया- आह, स्वाद आ गया ढिल्लों!
इसके बाद मैं ‘हाय हाय’ करती खुद घस्से मारती रही और मज़े लेते रही लेकिन 10-12 मिनट के बाद मैं फिर झड़ गई। झड़ते ही मेरा मुँह बेड में धंस गया। मैं फिर फ़ौजियों की तरह आगे निकलने वाली थी कि ढिल्लों ने मेरी कमर पकड़ ली और बोला- जाती कहाँ हो, जानेमन, अभी तक मैंने तांगा जोड़ा ही कहाँ है।
उसकी गिरफ्त से छूटना मेरे लिए मुमकिन नहीं था इसीलिए मैं एक बार फिर तृप्त होकर भी मन मसोस कर ढिल्लों से आगे होने वाली ताबड़तोड़ चुदाई के लिए मोर्चे पर डट गयी और आगे बंद करके चादर को मुठियों में भर लिया।मेरे मुंह से कुछ नहीं निकला, न ही मुझमें बोलने की अब हिम्मत थी। अब सारा खेल ढिल्लों के हाथ में था।
मुझे मोर्चे से हटती न देख कर ढिल्लों ने मेरी कमर से अपनी पकड़ ढीली कर दी और 4-5 धीरे मगर लंबे घस्से मारे। मुझे अब बिल्कुल भी मज़ा नहीं आ रहा था, मैं रंडियों की तरह मजबूर थी और इस इस इंतज़ार में थी कि जल्दी उस घोड़े जैसे मर्द का काम हो जाये।
दोस्तो, मैं इससे पहले 13-14 अलग अलग मर्दों से चुद चुकी हूं, और कइयों ने तो गोलियाँ खाकर भी मुझपर अपनी ज़ोर आज़माइश की थी मगर मेरी ऐसी हालत कभी नहीं हुई थी। आपकी जट्टी रूपिंदर कौर की फुद्दी की प्यास एक ही रात में 3-4 बार पूरी तरह बुझायी जा चुकी थी।मैं दिल से यही चाहती हूं कि हर औरत की प्यास इसी तरह बुझे।
तो जनाब, ढिल्लों ने जल्दी नहीं की और 10-15 मिनट मुझे इसी तरह पुचकारते हुए चोदता रहा। शायद उसे भी पता चल चुका था कि मेरी प्यास फिर बुझ चुकी और इसीलिए वो धीरे धीरे घस्से मार रहा था कि कहीं घोड़ी टांग ही न उठा ले।इसी तरह चोदते हुए उसने मुझे हौले से कहा- बता देना जब मूड बन गया तो, तब तक तेरी ऐसे ही मारूँगा।और यह कहकर उसने अपना काम जारी रखा।
यह तो शुक्र है कि झड़ने के कारण मेरी फुद्दी पूरी तरह गीली थी और लौड़ा आराम से अंदर बाहर हो रहा था। कुछ और देर के बाद जट्टी फिर मूड में आ गयी और थोड़ा थोड़ा हिलने लगी। तो जनाब … मेरे इस इशारे को समझ कर ढिल्लों मोर्चे पर पूरी तरह डट गया।
हुआ ये कि उसने अपना एक घुटना सीधा कर लिया और फुद्दी के अंदर लौड़ा फंसाये ही आधा खड़ा हो गया और सही कोण की जांच करने के पूरा लौड़ा बाहर निकाल कर थोड़े ज़ोर से अंदर धकेल दिया।मुझे चीखती न देख अब दोनों हाथों से मेरी कमर पकड़ ली और लगा मेरी पहलवानी चुदाई करने। जनाब उसके घस्से इतने भीषण थे कि मेरा मुँह और आंखें पूरी तरह खुल गई और मुँह में से बुरी तरह लार टपकने लगी।कमरे में ‘फड़ाच फड़ाच फड़ाच…’ की तेज आवाज़ें गूंजने लगी मगर मेरे मुंह से सिर्फ ‘आ… आ …’ निकल रहा था। इस बार ढिल्लों इतना ज़ोरलगा रहा था कि वो हांफ रहा था और हर घस्से के साथ उसके मुंह से ‘हूँ … हूँ … हूँ …’ की आवाज़ निकल रही थी।
|
|
08-25-2020, 01:10 PM,
|
|
desiaks
Administrator
![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png)
|
Posts: 23,724
Threads: 1,147
Joined: Aug 2015
|
|
RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा
दरअसल उसका ध्यान मुझमें बिल्कुल नहीं था, ऐसा लग रहा था जैसे मेरी फुद्दी से कोई पुरानी दुश्मनी निकाल रहा हो। इतनी ताबड़तोड़ चुदाई … वो भी घोड़ी बनकर … मैंने सोची तक नहीं थी।तभी चोदते चोदते उसके दिमाग में पता नहीं क्या आया कि उसने रुक कर गर्दन को नीचे धकेल दिया और मेरी कोहनियों को सीधा कर दिया, टाँगें जो पूरी तरह फैली हुईं थी उन्हें थोड़ा सा आपस में जोड़ दिया और खुद दोनों पैरों के सहारे आधा खड़ा हो गया। मेरी हालत यह थी कि मुँह बेड के गद्दे में धंस गया और बांहें सीधी होकर बेड के नीचे लटकने लगी।
इसके बाद ढिल्लों ने आधा खड़ा होकर फुद्दी में फड़ाच से लौड़ा धकेल दिया और इसी तरह मेरी ताबड़तोड़ चुदाई करने लगा। इस ज़बरदस्त चुदाई से मैं और मस्त हो गयी और जितना हिल सकती, हिल हिल के उसके तूफानी घस्सों का साथ देने लगी। मेरे मुंह से एक बार फिर तरह तरह की आवाज़ें निकल रही थी।
इसी तरह मैं आधा घण्टा घोड़ी की तरह की तरह चुदती और 2-3 बार बहुत बुरे तरीके से झड़ी। ढिल्लों को मेरे दूसरे जिस्म से कोई मतलब नहीं था वो तो बस मेरा मेरा बड़ा पिछवाड़ा पकड़ के दे दनादन मेरी फुद्दी की धज्जियां उड़ाता रहा।
इस खतरनाक हो रही चुदाई से अब मेरे हाथ खड़े होने हो वाले थे कि ढिल्लों ने पूरा जोर लगातार हांफते हुए अपनी रफ्तार बुलेट ट्रेन की तरह तेज़ कर दी और अपनी दो उंगलियां थूक से गीली करके मेरी गांड में पेल दीं और बोला- अगली बार इसका भी उद्घाटन करूँगा, बड़ी टाइट गांड है घोड़ीए।
तभी वो जोश में आकर झड़ने लगा और अपना बेहद गर्म लावा मेरी बच्चेदानी तक भर दिया। किसी मर्द के मेरे अंदर इस झड़ने को मैं पहली बार महसूस कर रही थी। उसके झड़ने के बाद मेरी जान में जान आयी और इसके बाद उसी तरह बेड पर औंधे मुँह लेटी रही।
इसके पांच मिनट बाद ढिल्लों ने मुझे उठाया और अपनी बगल में लिटा लिया।रात का 1 बज गया था। इसी तरह लेटे लेटे 10-15 मिनट के बाद ढिल्लों बोला- ले अफीम खा ले अगर थक गई है तो, अभी 2-3 बार और चुदेगी तू!
यह सुन कर मेरे तो तोते उड़ गए और मैंने उसके सामने हाथ बांध दिए और कहा- बस ढिल्लों, पहले ही तूने मुझे बहुत उधेड़ दिया है, मेरी मिन्नत है अब नहीं चुद पाऊँगी यार, तसल्ली हो गयी पूरी तरह। बाकी कसर अगले पेपर वाले दिन निकाल लेना। फुद्दी को भोसड़ा तो बना दिया है।मेरी बात सुन कर ढिल्लों हंस पड़ा- अभी तो शुरुआत है मेरी जान, ले अफीम खा ले और हो जा तैयार, चल!
मैं फिर उस सांड की मिन्नतें करने लगी कि अब और चूत नहीं दे पाऊँगी- मेरी फुद्दी भी छिल गई है यार … अगर और चुदी तो बाहर निकल आएगी। और सुबह मेरा पेपर भी है। अगर मेरे पति को पता चल गया तो दोनों इससे भी जाएंगे। प्लीज मेरी बात मान लो और मुझे मेरे रूम में छोड़ आओ, अब तो बहुत नींद भी आने लगी है।
पति की बात सुनकर ढिल्लों ढीला पड़ गया और बोला- एक वादे पे छोड़ कर आऊंगा?मैंने पूछा- क्या?तो वो बोला- अगली बार कोई भी बहाना बना कर लहंगा चोली पहन कर और पार्लर से तैयार होकर आना है, मैं तुझे एक शादी में लेकर जाऊंगा, उसके बाद पहाड़ों पे चलेंगे। तीन दिन पहले आ जाना पेपर से, ठीक है?
मैंने मिन्नत तरले करके उसे 2 दिनों के लिए मना लिया और बोली कि अब मुझे छोड़ कर आये रूम में।
उसने मुझे वही निक्कर और टीशर्ट पहनने के लिए कहा तो मैंने उसे वो पहनने से मना कर दिया क्योंकि उसे पहनना और उतारना मेरे बस में नहीं था और वैसे ही हील पहन के पास पड़ी हुई लोई ले ली और ऐसे ही जाकर उसके साथ गाड़ी में बैठ गई।रात डेढ़ बजे के करीब वो मुझे कमरे में छोड़ गया।
मैं रूम में आते ही लोई उतार कर नंगी ही कंबल में घुस गई और कई घंटों की हुई ज़बरदस्त सर्विसिंग के बारे में सोचती होई सुबह 7 बजे का अलार्म लगाकर सो गई।
|
|
08-25-2020, 01:10 PM,
|
|
desiaks
Administrator
![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png)
|
Posts: 23,724
Threads: 1,147
Joined: Aug 2015
|
|
RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा
खतरनाक चुदाई के बाद रात डेढ़ बजे के करीब ढिल्लों मुझे मेरे कमरे में छोड़ गया। मैं रूम में आते ही लोई उतार कर नंगी ही कंबल में घुस गई और कई घंटों की हुई ज़बरदस्त सर्विसिंग के बारे में सोचती होई सुबह 7 बजे का अलार्म लगाकर सो गई।अगले दिन सुबह 9 से 12 बजे तक पेपर था। मैंने सुबह उठकर ढिल्लों को अब फोन न करने के लिए कह दिया था। पहले भी जब भी उससे कांटेक्ट करना होता था तो मैं ही करती थी।ढिल्लों ने मुझे आज तक फोन करके किसी तरह की परेशानी से बचाये रखा था और इसका इनाम मैंने उसे पिछली रात अपने आठों द्वार खोल कर चुद कर दिया।
तो दोस्तो, पेपर मेरा ठीक हो गया था क्योंकि मैंने पहले से ठीक ठाक तैयारी कर रखी थी।
लगभग दोपहर साढ़े बाहर बजे मेरा पति कार पर मुझे लेने आ पहुंचा और मेरी तरफ देख कर कुछ हैरान होकर पूछा- एक दिन में ही तुम्हारी आंखों के नीचे इतने काले धब्बे क्यों बन गए हैं और ये सूजी हुईं क्यों हैं?मैंने बड़े आत्मविश्वास से झूठ बोला- जनाब, रात भर पढ़ती रही, सोई तो बिल्कुल नहीं, पेपर की … पता कितनी फिकर थी।इतने में मेरी सहेली भी पेपर देकर आ गयी।
क्योंकि उसे भी सुबह उठकर मैंने रात की सारी बात बता कर समझा दिया था कि पति को क्या कहना है तो वो भी आते ही बोली- जीजू, दीदी तो रात भर पढ़ती रही, मैंने बहुत कहा लेकिन ये सोई नहीं!तभी वो मेरी तरफ देखकर बोली- क्यों दीदी, पेपर कैसा हुआ?मैंने आंख मार कर उसे ‘मस्त’ कहा और अपने पति से चलने के लिए बोली।
दरअसल पिछली रात मेरी ठुकाई बहुत ही वहशियाना तरीके से हुई थी, सुबह भी मैं बड़ी मुश्किल से उठी थी और अब मैं सोना चाहती थी। कार में बैठकर मैं अपने पति से हल्की फुल्की बातें करने लगी और इसी दौरान मुझे ज़बरदस्त नींद आ गयी और मैं कार में ही सो गई।2 घण्टों का सफर कैसे बीत गया मुझे पता ही नहीं चला।
घर आकर मैं अच्छी तरह से नहाई और फिर बैडरूम में जाकर सो गई। शाम को उठी और घर में थोड़ा बहुत काम किया। अंधेरा होते ही मेरा पति काम से लौट आया और खाना खाने के बाद अब सोने आ गए।
आपको तो मैंने बताया था ही था कि मेरा पति लगभग रोज़ मेरी टिका के मारता है। आज भी उसका मूड था और दारू भी पीकर आया था। लेकिन मेरा हाल तो आप समझ ही सकते हैं कि क्या होगा। तो जनाब होने लगी कशमकश … वो मुझसे लिपटता जा रहा था और मैं थी कि उसके काबू में नहीं आ रही थी।
दरसअल मेरा भर 72 किलो है और मेरे पति का भार 65 है और इसके इलावा मैं उससे 3 साल बड़ी भी थी, इसीलिए मैं उससे काफी तगड़ी थी। हमारा मेल ऐसे था जैसे वो एक गधा हो और मैं एक ऊंची वज़नदार नुक़री घोड़ी।मैंने उसे गधा इसलिए कहा है कि उसका लौड़ा भी कोई कम नहीं था, 6-7 इंच का तो था ही। और दूसरा ये कि एक वही था जिसके नीचे मैं पिछले 2 साल टिकी रही थी वर्ना ये किसी आम मर्द की बात नहीं थी। दरअसल वो था जिस्म का कुछ हल्का और मुझसे कमज़ोर लेकिन पक्का अफीमची और वैली होने के कारण मारता वो मेरी टिका के ही था। ज़्यादा नशा करने की वजह से उसके स्पर्म कम हो गए थे जिसकी वजह से अभी तक मुझे बच्चा नहीं हुआ था लेकिन रात ढिल्लों ने हर बार मेरी बच्चेदानी तक अपना लौड़ा डाल कर ही वीर्य अंदर गिराया था और मेरी डेट आयी को भी अभी 3-4 दिन ही गुज़रे थे तो मुझे यकीन था कि बच्चा तो उसने ठहरा ही दिया होगा।
खैर मुझे अपनी सास से बहुत सारी बुरी भली बातें सुननी पड़ती थी इसीलिए मैंने 72 घंटे वाली कोई गोली नहीं खाई।
मैं रात की बहुत थकी हुई थी और मेरा पति जिसका घर का नाम ‘काला’ है, दारू से टुन्न था इसीलिए मैं उसका मुकाबला ज़्यादा देर तक नहीं कर सकी और इसी दौरान उसने मेरी सलवार का नाड़ा खोल कर अपनी 2 उंगलियां मेरी फुद्दी में घुसेड़ दीं। अब मेरी फुद्दी पूरी तृप्त होने के कारण बिल्कुल सूखी हुई पड़ी थी जिसकी वजह से मुझे बहुत दर्द हुआ और मैंने अपनी पति को एक गाली निकाली और ज़ोर लगाकर उसकी उंगलियां बाहर निकाल दीं।
दरअसल मेरी सूखी फुद्दी में उसकी दो उंगलियां “घड़प्प” के जैसे अंदर चली गईं थी जिससे मेरे पति ने हैरान होकर पूछा- भेनचो, ये आज इतनी खुली क्यों लग रही है आज तेरी?थी तो मैं धड़ल्लेदार घोड़ी, इसीलिए मैंने उससे अपनी ज़ोरदार रोबीली आवाज़ में कहा- भेनचो, रोज़ दारू पीकर आ जाता है, साले नशा कुछ कम कर लिया कर, वही फुद्दी है, तुझे ही नशा ज़्यादा चढ़ गया है।मेरी इस रोबीली आवाज़ को सुनकर वो अक्सर चुप हो जाया करता है और इस बार भी वो खामोश हो गया। इतना रोब तो मैंने शुरू से रखा था। खैर मेरा पैंतरा काम कर गया और वो चुपचाप मेरी फटकार सुनकर दूसरी तरफ मुँह करके सो गया।यह देखकर मेरी जान में जान आयी और मैं भी रब्ब का शुक्र मना कर सो गई।
|
|
08-25-2020, 01:10 PM,
|
|
desiaks
Administrator
![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png)
|
Posts: 23,724
Threads: 1,147
Joined: Aug 2015
|
|
RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा
मैंने अपने पति को अपनी किसी सहेली की शादी में जाने का बहाना करके उसे पेपर से 2 पहले यूनिवर्सिटी जाने के लिए मना लिया था। इसके अलावा मैंने लहंगा चोली का प्रबंध भी कर लिया था। मैंने बेहद ऊंची एड़ी की सैंडल ले ली थी, और ऊपर से नीचे तक अपने जिस्म की दो बार वैक्सिंग करवा ली थी जिसमें फुद्दी और गांड भी शामिल थी। मेरे सर और आंखों के अलावा अब मेरे जिस्म पर बाल नाम की कोई चीज़ मौजूद नहीं थी।
अब मुझे बेसब्री से अगले दिन का इंतज़ार था कि कब मेरा फुद्दू पति मुझे अपनी सहेली के पास छोड़ कर आये।मुझे आज तक कभी इतना किसी का इंतज़ार नहीं हुआ था जितना ढिल्लों से अगले दिन होने वाली पता नहीं किस तरह की चुदाई का था। रात को भी ढिल्लों को याद कर कर के करवटें बदलती बीती।
खैर अगला दिन आ गया और मैं सुबह से ही सज धज के तैयार होने लगी। लहँगा चोली पहन कर अपनी कमर तक लंबे बाल सीधे करके खुले छोड़ दिए। पैरों में ऊंची एड़ी की जबरदस्त सैंडल पहन कर बैठ गयी अपने पति के साथ कार में। मुझे मेरी सहेली के पास छोड़ कर मेरा फुद्दू पति चला गया।
समय दोपहर 12 बजे का था और अपने पति के जाते ही मैंने अपने यार ढिल्लों को फोन कर दिया। उसे भी मेरे फोन की प्रतीक्षा थी। आधे पौने के घंटे के बाद वो अपनी बड़ी गाड़ी में मुझे लेने आया और कुछ पलों के बाद मैं उसकी बांहों में थी।
मुझे अपनी कार में बिठा के लगभग 2 घंटे पहाड़ों की तरफ गाड़ी चलाकर वो मुझे एक बहुत ही अमीराना शादी में ले गया। ऐसी शादी मैंने तो पहले कभी नहीं देखी थी। शायद उसके किसी दूर के दोस्त की शादी थी जिसके कारण मुझे वो अपने साथ ले गया। मैं तो आपको बता हो चुकी हूं कि मैं किस तरह पटाखा बन के घर से निकली थी। दूल्हे दुल्हन की तरफ कम, लोग मुझे ज़्यादा घूर रहे थे।
कुछ देर बाद उसने मुझे अपने 4-5 दोस्तों से मिलवाया। शादी रात को भी चलने वाली थी। फेरे होने लगे तो ढिल्लों मुझे बहुत महंगी शराब के दो-तीन पेग पिला कर रिसार्ट के ऊपर वाले कमरे में ले गया जहां उसकी बुकिंग थी।
दरवाज़ा बंद करते ही उसने मुझे चूमना चाटना शुरू कर दिया। एक और बात, दरवाज़ा उसने बंद तो किया था लेकिन उसने जान बूझ कर कुंडी नहीं लगाई थी। मेरे अंदर तो उससे भी ज़्यादा आग लगी थी जिसके कारण मैं भी उसके रह रह के घूंट पीने लगी। कुछ देर बाद जब हम दोनों बुरी तरह गर्म हो गए तो उसने मेरा लहँगा ऊपर उठाकर नीचे से मेरी हरे रंग के पैंटी एक झटके से उतार दी और उसे पास में फेंक दिया। तभी वो पास पड़े एक स्टूल पर जा बैठा और मुझसे कहा कि मैं उसके ऊपर आकर बैठूं। उसने भी अपनी पैंट पूरी तरह से नहीं उतारी थी, बस ज़िप खोल कर नीचे ही की थी।
मैंने उससे अपना भारी लहँगा उतारने को कहा तो उसने मना कर दिया और बोला- ऐसे ही लहँगा ऊपर उठा के बैठ जा।मैंने लहँगा ऊपर उठाया और उसके लौड़े पर बैठने की कोशिश करने लगी लेकिन स्टूल बहुत ऊंचा था। यह देख कर ढिल्लों ने मुझे ज़रा ऊपर उठाया और फुद्दी अपने हलब्बी लौड़े के ऊपर रख कर नीचे से एक तीखा घस्सा मारा… कितनी मर्तबा चुद चुकी थी मैं ढिल्लों से लेकिन उस दिन फिर भी मुझे बहुत तेज़ दर्द हुआ और मेरी चीख निकल गयी। वैसे मैं चाहती थी कि पहले मैं उसका लौड़ा अच्छी तरह से चुसूं और वो मेरी फुद्दी। लेकिन इस बार वो सीधा मुद्दे पे उतर आया था।
नीचे से 2-3 और तेज़ झटके मारने के बाद उसने मुझे खुद हिलने को कहा। दर्द के कारण भी मैं उसे मना न कर पाई ओर ऊपर बैठे ही गोल गोल तरीके से हिलने लगी। तभी उसने मुझे डांट कर कहा- साली, अच्छी तरह से उछलती है या नहीं?डर के मारे मैंने अपनी पूरी ताकत इकट्ठी की और उछल उछल कर 4-5 लंबे घस्से दे मारे। बस इतनी ही देर थी, मैं दर्द भूल गयी और आंनद के सागर में गोते खाने लगी। जब मुझे लगा कि मैं झड़ने वाली हूँ तो मैं और तेज़ी से 5-7 घस्से मारे और मेरा काम तमाम।
दोस्तो, आप उसके लौड़े के साईज़ का अन्दाज़ा खुद लगा सकते हैं, क्योंकि मेरा पति एक रात पहले मुझ पर आधा घण्टा चढ़ा रहा था लेकिन मेरा काम न हुआ था, लेकिन उस वहशी लौड़े के 10-12 घस्सों से ही मैं पूरी तरह बह निकली। उसे मेरी फुद्दी की आवाज़ से पता चल गया कि मेरा काम हो गया है क्योंकि अब गीलेपन की वजह से ‘फड़ाच फड़ाच…’ की आवाज़ ऊंची हो गयी थी। काम तमाम होते ही मुझमें अब जुर्रत नहीं बची थी कि और घस्से मार सकूँ और मैं उसका पूरा लौड़ा अंदर डाल कर उसकी बांहों में पसर गयी।
|
|
08-25-2020, 01:11 PM,
|
|
desiaks
Administrator
![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png)
|
Posts: 23,724
Threads: 1,147
Joined: Aug 2015
|
|
RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा
तभी वो फिर चिल्लाया- साली, उछलती है या नहीं? भेनचोद इतनी जल्दी हो भी गया तेरा, रुक तेरी तसल्ली करता हूँ मैं!उसने मुझे फुद्दी में लौड़ा डाले ही ऊपर उठाया और चलता चलता अपने बैग तक पहुंचा, जिसमें से उसने एक बड़ा काला डिलडो वाइब्रेटर निकाला और मेरी गांड में ठूंस दिया।
मेरी जान निकल गयी, दोस्तो मैंने आज तक गांड नहीं मरवाई थी जिसके कारण वो बहुत टाइट थी और वी डिलडो बहुत बड़ा था। मैंने बाद में उसे नापा था तो वो 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा था। डिलडो के ऊपर पहले से ही कोई चिकना पदार्थ लगा था जिसके कारण एक ही वार में वो मेरी गांड के पूरा अंदर तक जाकर, मेरी गांड के छल्ले में फिट हो गया।
मेरी हालत खराब हो गयी थी लेकिन ढिल्लों ने मुझे संभलने का कोई मौका नहीं दिया और मुझे बांहों में पूरी तरह उठाकर धाड़ धाड़ चुदाई करने लगा। मेरा भारी लहँगा नीचे लटक रहा था और मैं उसके घोड़े जैसे लौड़े पर सवार थी। कुछ ही देर बाद वो रुका और बैग से रिमोट निकाल कर वाइब्रेटर एक नंबर पर चालू कर दिया और फिर मेरी ताबड़तोड़ तरीके से चुदाई करने लगा। अब मुझे वो डिलडो रास आ गया और मैं पूरी तरह गर्म होकर ऊपर से उछलने लगी।
उसने मेरी हरकत देख कर पूछा- क्यों, आया मज़ा?मैंने कहा- बहुत ही ज़्यादा, ढिल्लों।
और हम दोनों घोड़ा घोड़ी तूफानी चुदाई के समंदर में गोते लगाने लगे। मुझे कोई होश नहीं था जब अचानक से धाड़ करके दरवाज़ा खुला और ढिल्लों के पांचों दोस्त हमें देख कर हँसने लगे।उन्हें देख कर मेरे होश उड़ गए। इस तरह मुझे चुदते हुए पहले कभी किसी ने नहीं देखा था।तभी मैं उन पर शेरनी की तरह चिल्लाई- बाहर निकल जाओ मादरचोदो!यह कहते हुए मैंने ढिल्लों की गिरफ्त से आज़ाद होने की कोशिश करते हुए लहँगा अपने पिछवाड़े के ऊपर करने की कोशिश की। यह तो शुक्र था कि मैंने पूरे कपड़े नहीं उतारे थे।
ढिल्लों की मज़बूत जकड़ से आज़ाद होना इतना भी आसान नहीं था।तभी मैं उसपर भी चीखी- साले मैंने तुझ पर यकीन करके कुंडी नहीं लगाई, अब पता चला कि तूने कुंडी क्यों नहीं लगाई थी। बहनचोद, चोद ले इस बार जितना मरज़ी, अगली बार से नहीं आऊँगी, रंडी बना के रख दिया मुझे।और मैं रोने लगी।
मुझे रोते हुए देख उसके दोस्तों में से एक जिसका नाम बिल्ला था, बोला- रो ले जितना मर्ज़ी, चोदेंगे तो तुझे इस बार हम भी।मैं ढिल्लों की गिरफ्त से आज़ाद होने के लिए और हाथ पैर मारने लगी।
जब मसला ढिल्लों को अपने हाथों से बाहर जाते दिखा तो उसने डाँट कर उन्हें बाहर जाने को कहा। सालों सभी ने अपने मोबाइल निकाल कर इसी पोज़ में मेरी तस्वीरें लीं और हसंते हुए बाहर निकल गए।मैं बहुत गुस्से में थी और मेरे दिमाग से काम का सारा नशा उतर गया था। लेकिन ढिल्लों था कि उसने मेरी एक न मानी और उसी तरीके से ताबड़तोड़ मुझे चोदता रहा और बीच में रुक कर वाइब्रेटर की स्पीड और बढ़ा दी।
8-10 मिनट वो मुझे चोदता भी रहा और कहता भी रहा कि कुछ नहीं होगा, सारे मेरे दोस्त ही हैं। मैं नशे में थी और उस वक़्त मैंने सोचा कि चलो जो होगा देखा जाएगा और दूसरी तरफ वाइब्रेटर की गति तेज हो जाने से मेरी गांड में भूचाल आ गया था और इसी के कारण मेरा सारा गुस्सा काफूर हो गया और चंद मिनटों के अंदर मैं फिर से गर्म होकर चुदाई का मज़ा लेने लगी।
दस मिनट ढिल्लों ने मेरी गांड में वाइब्रेटर चलाया और साथ में मेरी चूत की वो ताबड़तोड़ चुदाई की कि पूछिये मत। पूरा कमरा ‘फड़ाच फड़ाच…’ की आवाजों से गूंज उठा। मेरे मुंह से बस ‘हाँ … हाँ हाँ…’ ही निकल रहा था।इस चुदाई ने मुझे एक बार धन्य कर दिया और मैं ढिल्लों के वारे-वारे जा रही थी। इस दौरान मैं 2 बार हिल हिल के झड़ी और जन्नत के दरवाज़े तक जा पहुंची। मेरे दूसरी बार कांप कांप के झड़ने के 5-7 मिनट बाद ढिल्लों अपना मूसल लौड़ा जड़ तक अंदर डाल कर झड़ा और फिर मुझे नीचे उतार दिया।
वाइब्रेटर अभी भी मेरी गांड में फसा हुआ था और उसी गति से चल रहा था। मैंने ढिल्लों को उसे बाहर निकालने के लिए कहा मगर ढिल्लों ने उसे बाहर निकालने से मना कर दिया, लेकिन उसने उसे बंद कर दिया था।
कुछ देर वहीं बेड पर आराम करने के बाद जब मैं लहँगा ऊपर उठ कर चड्डी पहनने लगी तो ढिल्लों ने उसे भी मना कर दिया और मुझे अपनी ब्रा भी उतारने को कहा। मैंने चुपचाप उसका कहना मान लिया और चोली उतार कर अपनी काली ब्रा उसके हवाले कर दी और फिर चोली पहन ली।
मेरी चोली बैकलेस थी, पहले तो लोगों को मेरी काली ब्रा की पिछली पट्टी दिख रही थी लेकिन अब मुझे देख कर कोई नहीं कह सकता था कि मैंने ब्रा पहनी है। खैर अब मैं और ढिल्लों फिर शादी में आ गए और घूमने लगे और साथ में चिकन और दारू पीते रहे। इतनी ठंड में भरी शादी में बगैर पैंटी पहने मुझे यूं लग रहा था जैसे मैं नंगी घूम रही हूँ। पैंटी न होने अहसास मेरे जिस्म में एक अजीब सनसनी पैदा कर था, ऊपर से ढिल्लों ने अपनी जेबमें हाथ डाल कर वाइब्रेटर को रिमोट से ऑन कर दिया। मेरे जिस्म के अजीब तरह की लहरें पैदा होने लगीं।
खैर जट्टी हूँ तो मैंने खुल कर ढिल्लों के बराबर पेग लगाए। आधे पौने घंटे बाद दारू ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया और घंटा पहले ज़बरदस्त तरीके से चुदी हुई मैं अब अपने जिस्म का कंट्रोल खोने लगी। दूसरा ढिल्लों ने वाइब्रेटर की गति पूरी तेज़ कर दी। चूत फिर लौड़े के लिए तड़प उठी।
तभी मैंने लोगों के परवाह न करते हुए ढिल्लों को जफ्फी डाल ली और उसके कान में कहा- फुद्दी आग बन गयी है, ठोक दे यार जल्दी प्लीज। बर्दाश्त नहीं हो रहा!
कहानी जारी रहेगी.
|
|
08-25-2020, 01:11 PM,
|
|
desiaks
Administrator
![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png)
|
Posts: 23,724
Threads: 1,147
Joined: Aug 2015
|
|
RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा
मैं जट्टी हूँ तो मैंने खुल कर ढिल्लों के बराबर पेग लगाए। आधे पौने घंटे बाद दारू ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया और घंटा पहले ज़बरदस्त तरीके से चुदी हुई मैं अब अपने जिस्म का कंट्रोल खोने लगी। दूसरा ढिल्लों ने वाइब्रेटर की गति पूरी तेज़ कर दी। चूत फिर लौड़े के लिए तड़प उठी।
तभी मैंने लोगों के परवाह न करते हुए ढिल्लों को जफ्फी डाल ली और उसके कान में कहा- फुद्दी आग बन गयी है, ठोक दे यार जल्दी प्लीज। बर्दाश्त नहीं हो रहा!जब मैंने ढिल्लों से यह बात कही तो वो खुश होकर हँसने लगा और उसने मुझसे कहा- बस यही सुनने के लिए तो वाइब्रेटर लाया था, थोड़ा और तड़प ले मेरी जान!
उसकी यह बात सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आया। मेरी फुद्दी रिसने लगी थी और ऊपर से पूरी ठंड थी। अपने ऊपर काबू न होता हुआ देख मैंने ढिल्लों से कहा- अच्छा फिर वाइब्रेटर तो बंद कर दे भेन चो… गांड में तबाही मचा रखी है, ऊपर से पी भी काफी ली है मैंने!ढिल्लों फिर हँसने लगा और उसने मुझसे सिर्फ इतना कहा- अब साली … तुझे यहां पंडाल में ठोक दूं, रुक जा अभी।
मैं बस मुंह बना के रह गयी और उसी तरह उसके साथ घूमने फिरने लगी। मेरी चाल में वाइब्रेटर और दारू की वजह से इतना फर्क आ गया था कि लोग मुझे मुड़ मुड़ कर देखने लगे कि माजरा क्या है। लेकिन उन्हें क्या पता था कि जट्टी की अनचुदी गांड में 8″ का मोटा वाइब्रेटर फंसा हुआ है और बहुत ज़ोर से वाइब्रेट भी कर रहा है।
वैसे वाइब्रेटर तो गांड में चल रहा था लेकिन उसकी सनसनी मेरी फुद्दी में फैल गयी थी। जी चाहता था कि अब कोई भी चीज़ मेरी फुद्दी में घुस जाए चाहे वो कोई लकड़ी का डंडा ही क्यों न हो। जब फुद्दी ज़ोर से हाहाकार मचाने लगी तो मुझसे मेरे जिस्म का पूरा काबू छूट गया और मेरी जिस्म की सारी वासना फुद्दी में आ गयी। जल्दबाज़ी में मैंने ढिल्लों से कहा- मुझे बाथरूम जाना है।लेकिन ढिल्लों सिरे का कमीना था वो मेरी बात अच्छी तरह समझ गया और कस के मेरी बाँह पकड़ के चलने लगा।
उसकी इस हरकत के बाद मैं उसके सामने गिड़गिड़ाने लगी- ढिल्लों, आग लग गयी है, कंट्रोल नहीं हो रहा, मैं तेरे पैर पड़ती हूँ, ठोक दे यार प्लीज़, कभी तेरा कहना नहीं वापस करूँगी।यह पहली बार था कि मैं किसी के सामने फुद्दी देने के लिए इस तरह गिड़गिड़ाई थी, वरना इस तरह कई बार मैं मज़े लेने के लिए दूसरों की मिन्नतें अक्सर करवाती हूँ।
खैर मेरी बात सुनकर ढिल्लों समझ गया कि मामला अब वाकयी संजीदा हो गया है। बेगानी शादी में मैं कोई उल्टी सीधी हरकत न कर बैठूं इसीलिए वो मुझे तेज़ी से चलाते हुए गाड़ी तक ले गया और अपनी गाड़ी के पीछे बिठा दिया और खुद जल्दी से ड्राइव करने लगा। दरअसल अब हुआ यूं कि बैठने के कारण जो वाइब्रेटर पहले 1-2 इंच बाहर था, जड़ तक मेरी गांड में ठूंसा गया। जब मैं थोड़ा सा भी इधर उधर हिलती तो वो गांड की अंदरूनी दीवारों से ज़ोर से टकराता जिससे मुझे हल्का सा दर्द होता। इसीलिए मैं टाँगें भींच के जैसे तैसे बैठी रही।
ढिल्लों ने गाड़ी को तेज़ी से चलाकर पहाड़ों में एक सुनसान मोड़ पर रोक ली क्योंकि रास्ते में उसे कोई होटल नज़र नहीं आया शायद। पर बात यह निकली कि इस बार वो मुझे खुले में चोदना चाहता था क्योंकि उस रिसोर्ट में उसका एक कमरा बुक था।
आसपास कोई कमरा वगैरा न देख कर मैं घबरा गई। पहले ही मैं उसके दोस्तों के सामने एक बार बेइज़्ज़त हो चुकी थी और इस बार मैं किसी अनजान व्यक्ति के सामने उस तरह नहीं आना चाहती थी।शाम का वक़्त था और रोशनी बहुत कम हो चुकी थी। गाड़ी रोक कर ढिल्लों ने मुझे कहा- यार, मेरी एक बहुत बड़ी तमन्ना है कि तेरे जैसी औरत को खुले में चोदूं। आज ये तमन्ना पूरी कर दे जानेमन!
मैं उसकी मंशा पहले से ही जानती थी इसीलिए मैंने उसे कड़क लहजे में जवाब दिया- देख ढिल्लों, पहले ही तूने मेरी एक बार बेइज़्ज़ती कर दी है, मैं इस तरह खुले जंगल में सेक्स करने, चुदने की बिल्कुल भी शौकीन नहीं हूँ, किसी कमरे में ले जाना है तो चल, नहीं तो निकाल ये डंडा मेरी गांड से मुझे मेरी सहेली के पास छोड़ आ।मुझे इस तरह गुस्से में देख कर वो पागल हो गया और बाहर निकल के पीछे का दरवाज़ा खोला और एक झटके में ही मैं उसके कंधों पर थी। आस पास किसी को न देख कर ढिल्लों मुझे उठा कर खाई में उतरने लगा। मैं चाहकर भी कुछ नहीं कर सकती थी।
|
|
08-25-2020, 01:11 PM,
|
|
desiaks
Administrator
![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png) ![*](images/star.png)
|
Posts: 23,724
Threads: 1,147
Joined: Aug 2015
|
|
RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा
मैंने उसकी बार बार मिन्नतें कीं लेकिन वो नहीं माना और 15-20 मिनट चलने के बाद नीचे जंगल में घने दरख्तों के बीच एक बहुत छोटा सा मैदान था। ढिल्लों को वो जगह जच गयी क्योंकि चारों तरफ कोई भी नहीं था और न ही उन घने दरख्तों में से कोई देख सकता था। उसने मुझे घास पर लेटा दिया और मुझे बुरी तरह चूमने चाटने लगा।मैं बहुत डरी हुई थी लेकिन मेरी फुद्दी में आग भी शिखर तक पहुंच चुकी थी। बीच में मैंने उसे रोक कर कहा- यह जंगल सेक्स करने की जगह है? अगर कोई आ गया तो मारे जाएंगे ढिल्लों, बेवकूफी न कर, गाड़ी में लेजाकर ठोक ले।ढिल्लों ने मुझे चूमते हुए कहा- जानेमन, ये रिवाल्वर मैंने गांड में लेने के लिए नहीं रखा, साला अगर कोई हरामी आ भी गया तो बस मेरे एक हवाई फायर का खेल है, तू डर मत, मेरा नाम ढिल्लों है।उसकी इस तकरीर से पूरी तरह संतुष्ट हो गयी और जंगल सेक्स का मज़ा लेने लग गयी।
बेहद ठंड थी। ढिल्लों ने मेरी फुद्दी में एक चप्पा चढ़ा के धीरे धीरे सारे कपड़े मेरे जिस्म से अलग कर दिए। अब मैं सिर्फ ऊंची एड़ी के सैंडल और अपने सोने के गहनों में ही थी। बाकी अल्फ नंगी उसके नीचे पड़ी थी। 15-20 मिनट के बाद पूरा अंधेरा छा गया और मैं पूरी तरह से बेफिक्र थी। ढिल्लों ने मुझे इस बार अपने लौड़े के लिए इतना तड़पा दिया था कि मैंने खुद अपनी सारी ताक़त इकठ्ठी करके उसका लौड़ा पकड़ा और अपनी फुद्दी लगा कर नीचे से एक करारा झटका मारा। आधा लौड़ा बेपरवाही से मेरी फुद्दी में जाकर फंस गया, जिससे मुझे इतना चैन मिला कि मैं बयान नहीं कर सकती।
ढिल्लों ने मेरी हरकत को देखकर अपनी कमर ऊंची की, लौड़ा पूरी तरह से बाहर निकाला, मेरी अच्छी तरह से तह लगाई और एक लंबा, तीक्षण शॉट मारा और लौड़ा मेरी धुन्नी तक पहुंचा दिया। उसके एक वार से ही मेरी फुद्दी ने बूम बूम करके पानी छोड़ दिया। मैं धन्य हो गयी थी। पिछले एक घंटे से मैं झड़ने के लिए तड़प रही थी और ये तो एक लंबा, काला और मोटा लौड़ा था जो मेरी धुन्नी तक जा पहुंचा था।
मेरे मुंह से बहुत जोर से ‘हाय … ओये …’ निकला और मैंने उसकी पीठ में अपने नाखून गड़ा दिए और टाँगें जितनी मैं ऊपर कर सकती थी, कर लीं। एक बार फिर ढिल्लों ने अपनी तूफानी चुदाई शुरू कर दी। मैं ढिल्लों का लौड़ा लेने के लिए इतनी मजबूर हो चुकी थी कि घने जंगल में सर्दियों की रात में बेफिकर हो कर नंगी चुद रही थी। जब ढिल्लों तूफानी रफ्तार से पूरा लौड़ा बाहर निकाल कर जड़ तक अंदर पेल देता तो फुद्दी से ‘पुच्च’ की तेज़ आवाज़ आती और घने जंगल को चीरती हुई घाटी में गूंज जाती।
दूसरा जो मैंने आपको पहले भी बताया है कि मैं एक भरे जिस्म वाली औरत हूँ, जिसके कारण मेरी जांघें और गांड गैरमामूली तौर पर बड़ी बड़ी हैं, जब दूसरा ढिल्लों की जांघें भी खूब भरी हुईं थीं, और जब ढिल्लों घस्सा मारता तो मेरा तरबूजी पिछवाड़ा और उसकी जांघें टकरा के बहुत ऊंची ‘पटक’ की आवाज़ पैदा कर रही थी, जो मेरी फुद्दी की ‘पुच्च’ की आवाज़ से मेल खाकर चुदाई को एक जबरदस्त रंगत दे रही थी।
मेरी गांड में एक बड़ा वाइब्रेटर चालू था और मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं दो मर्दों से चुद रही हूं। खैर मैं उसकी इस चुदाई से इतनी मखमूर^ हो गयी कि मैंने सब कुछ भूल कर अपनी टाँगें उसकी पीठ के गिर्द नागिन की तरह लपेट दीं और उसका मुंह अपने दोनों हाथों में लेकर उसकी आँखों में आंखें डाल लीं और बिना पलकें झपकाए उसको तकती रही।
मेरे पूर्ण समर्पण और मुझे मोर्चे पर इस तरह डटे हुए देख कर ढिल्लों ने अपनी पूरी ताकत से अपना हलब्बी लौड़ा बाहर निकाल कर मेरी फुद्दी में ठोकने लगा। ये वो इतना ज़ोर लगा कर करने लगा था कि उस जैसे घोड़े की भी सांस फूल गयी थी। आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि पौने फुट लंबा और 4 इंच मोटा काला हब्शी लौड़ा मेरी तरबतर फुद्दी में इस गति से अंदर बाहर होकर उसका क्या हाल कर रहा होगा।मेरी फुद्दी का बाहरी छल्ला जो उसके लौड़े पर इलास्टिक की तरह कसा हुआ था, हर गुज़रते सैकंड के साथ तीन चार इंच अंदर धंस रहा था और जब वो अपना लौड़ा बाहर निकालता तो ऐसा लगता कि फुद्दी भी उसके साथ बाहर आ रही है लेकिन वो छल्ला ही था जो उसके लौड़े पर कसे होने के कारण 3-4 इंच बाहर को आ जाता था।
|
|
|