यह कहानी मेरी मकान मालकिन की है जो बैंक में नौकरी करती थी। वह 40 साल की होगी। पर लगती 30 साल की ही थी। बैंक में नौकरी होने के कारण उसने अपना फिगर मेन्टेन कर रखा था। मैं तो उसे भाभी ही कहता था और अपने मकान मालिक को भाई साहब कहता था।
उसे भी भाभी सुनना अच्छा लगता था। उसके चूतड़ बहुत बड़े थे। जब वो अपने चूतड़ों को मटकाकर चलती थी,
तो उस स्थिति में किसी का भी लण्ड खड़ा हो सकता था।
वो कभी-कभी ही दिल्ली आती थी। जब भी आती। मेरी उसे चोदने की इच्छा होती। वो भी मेरे से खुलकर बात करती थी। यहाँ वह दो दिन अपने पति के साथ आती और पूरा दिन शापिंग करती रहती थी। और इसी वजह से वो घर पर कम ही रहती थी।
एक दिन मैंने देखा कि गलती से उसकी ब्रा और पैन्टी बाहर ही पड़े रह गए हैं। मैंने पहली बार उसकी ब्रा और पैन्टी से मुठ्ठ मारी और थोड़ा माल उसकी ब्रा और पैन्टी के सेन्टर पर लगा दिया।
घर आने के बाद उसने देखा तो वो समझ गईं कि यह मेरी हरकत है, इस तरह उसकी जानकारी में मेरी चोरी पकड़ी गई थी। पर तब भी उसने कुछ नहीं कहा और ब्रा-पैन्टी धोकर सुखा ली।
मेरी हिम्मत बढ़ गई। अगले दिल भी मैंने उसकी ब्रा और पैन्टी खराब की और सारा माल उसी में भर दिया।
फिर भी उसने कुछ नहीं कहा। तो मैं समझ गया कि बहुत जल्दी ही ये भी मेरे लण्ड के नीचे होगी।
उस बार वो वापस चली गई। अगली बार जब वो वापस आई तो उसने अपनी गीली ब्रा और पैन्टी बाथरूम में ही छोड़ दी। मैंने उसके जाने के बाद उसपर ही मुठ्ठ मारी और दोनों में मूत कर आ गया।
इस बार भी उसने कुछ नहीं कहा।
अगले दिन मैं भी अपना अण्डरवियर बाथरूम में छोड़कर चला गया। जब वापस आकर देखा तो उसमें भी कुछ लगा था। अब तो साफ था कि वो मुझसे चुदना चाहती है। पर बोल नहीं पा रही है।
मैं ही आगे बढ़ा। मैंने उससे जाते वक्त कहा- “आप बड़ी जल्दी चली जाती हो। कभी ज्यादा दिन के लिए भी आया करो। आपसे बातें भी ढंग से नहीं हो पाती हैं। कभी किराएदार के बारे में भी मिलकर जान लेना चाहिए कि वो कैसा है? बस शापिंग की और चले गए। ये भी कोई बात होती है?”
भाभी हँसकर बोली- “चलो ठीक है, अगली बार देखती हूँ..."
अगले महीने छूटियों में वो अपने बेटे को लेकर आ गई, और बोली- “राज, मेरे बेटे की तबियत ठीक नहीं है, इसे आयुर्वेदिक दवाई दिलवानी है...”
मैंने कहा- भाभी, आयुर्वेदिक दवा इलाज के लिये समय मांगती है। आपको रुक कर तीमारदारी करनी होगी।
वो बोली- इस बार मैं 15 दिन तक दिल्ली में ही रहूँगी।
मेरी तो लाटरी खुल गई इस बार वो अपने पति के बिना पूरे चुदने के मूड में ही आई थी, बस अब मेरे आगे बढ़ने की बारी थी। रात को खाना खाने के बाद मैंने चाय बनाई और उसके बेटे की चाय में नींद की गोली और उसके और अपनी चाय में कामोत्तेजक दवा मिला दी, जिसका दोनों को पता नहीं चला। चाय पीने के थोड़ी देर बाद में अपने कमरे में आ गया।
वो मैक्सी पहनकर सोने की तैयारी करने लगी। जब मैं बाथरूम गया तो देखा उसकी ब्रा-पैन्टी तो बँटी पर टंगी हैं। मतलब उसने मैक्सी के अन्दर कुछ नहीं पहना था। अब मैं उसके सोने का इन्तजार करने लगा।
थोड़ी देर में उसका बेटा सो गया।
मैं चुपके से उसके पास गया और बगल में लेट गया। मैंने अपना हाथ उसकी चूचियों पर रखा। उसकी तरफ से कोई विरोध ना होने पर मैं उसके मम्मों को हल्के-हल्के से दबाने लगा।
वो मेरे से और चिपक गई जिससे मेरा खड़ा लण्ड उसकी गाण्ड की दरार में फंस गया। मैंने हल्के से उसकी मैक्सी ऊपर की और चूत सहलाना शुरू की। चूत तो पहले से ही पानी छोड़ रही थी। शायद गोली का असर था। मैंने चूत में उंगली करनी शुरू की तो वो मस्त हो गई। मैंने पीछे से ही अपने लण्ड का दबाव उसकी चूत पर । देना चाहा।।
भाभी- “राज, यहाँ नहीं। तुम्हारे कमरे में चलते हैं। यहाँ मेरा बेटा जाग जाएगा...” उसे क्या पता था कि उसके बेटे के ना उठने और उसे चोदने का पूरा इन्तजाम मैंने पहले से ही कर रखा है।
मैं उसे लेकर अपने कमरे में आ गया और उसे पूरी मस्ती से खुलकर चूमने-चाटने लगा।
भाभी बोली- “ओहह... राज तुमने तो मुझे पागल कर दिया है। जब से तुम्हें देखा तुम्हारे जवान लण्ड से चुदना चाह रही थी..."
मैंने कहा- भाभी, मैं भी आपको चोदना चाहता था। इसीलिए बार-बार तुम्हारी ब्रा पैन्टी से मुठ्ठ मार रहा था।
भाभी- वो तो मैं पहले दिन से ही समझ गई थी। इसीलिए अगली बार से बाथरूम में ही छोड़कर जाती थी। पर तुमने हिम्मत बहुत देर में दिखाई।
मैंने कहा- अब तो दिखा दी ना। आज मैं तुम्हें अपने लण्ड पर झूला झुलाऊँगा।
उसने लपक कर मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया। वह खेली-खाई औरत थी इसलिए उसके लण्ड चूसने का अलग ही तरीका था। मुझे लण्ड चुसाने में बड़ा मजा आ रहा था।
भाभी- “राज, आज बहुत दिनों बाद किसी जवान मर्द का लण्ड मिला है। मैं इसका पूरा रस पिऊँगी...”
मैंने उसके सर को पकड़ा और अपने लण्ड को उसके मुँह में आगे-पीछे करने लगा। वो पूरा अन्दर तक लण्ड को ले रही थी। मैं ज्यादा देर टिक नहीं पाया और वीर्य की धार उसके मुँह में छोड़ दी जिसे वह गटक गई। फिर उसने मेरे लण्ड को अच्छे से चाटकर साफ भी कर दिया।
भाभी माल के चटखारे लेते हुए बोली- “राज इतना ज्यादा गरम ताजा अमृत तो बहुत सालों बाद चखने को मिला। सही में मजा आ गया...”