RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
ये काफ़ी मॉड किस्म का माल था.. जहाँ पर मुख्तलिफ किस्म की दुकानें थीं और आजकल कुछ दुकानों पर सेल भी चल रही थी.. इसलिए मैं यहाँ आई थी वरना चेतन की इनकम में ज्यादा महँगी शॉपिंग अफोर्ड नहीं हो सकती थी ना..
हम लोग एक दुकान में गए.. तो वहाँ पर मुख्तलिफ किस्म की ड्रेसेज को मॉडल्स के ऊपर पहनाया गया था.. कुछ मॉडल्स के ऊपर ब्रा और पैन्टी पहना कर रखी हुई थीं।
कुछ बुतों पर मुकम्मल ड्रेस भी थी.. तो कुछ में काफ़ी सेक्सी किस्म की जालीदार लिबास सजाए गए थे।
इस दुकान पर आकर डॉली का चेहरा तो शरम से सुर्ख ही हो गया था। वो इधर-उधर देखते हुए बहुत शर्मा और घबरा रही थी।
अपने भाई की मौजूदगी की वजह से उसे ज्यादा शर्म महसूस हो रही थी।
वहाँ पर कपड़े देखते हुए मुझ एक मॉडल पर पहनी हुई एक बहुत ही कामुक किस्म की ड्रेस नज़र आई, इसके कन्धों पर सिर्फ़ पतली सी डोरियाँ थीं और छाती का ऊपरी हिस्सा बिल्कुल नंगा था।
आप यूँ समझ लें कि इसमें से चूचियों का भी ऊपरी हिस्सा नंगा हो रहा था..
लेकिन बाक़ी चूचे नीचे तक का हिस्सा सिल्की टाइप के बिल्कुल झीने से कपड़े से कवर था और उस ड्रेस की लम्बाई भी सिर्फ़ कमर तक ही थी जिससे सिर्फ पेट कवर हो सके, नीचे उस मॉडल पर उस ड्रेस के साथ सिर्फ़ एक छोटी सी पैन्टी बंधी हुई थी।
दरअसल यह एक जालीदार ड्रेस पति और बीवी के लिए तन्हाई में पहनने के लिए था।
मुझे वो ड्रेस पसंद आ गया.. मैंने चेतन से कहा- मुझे यह ड्रेस पसंद आया है।
पास ही डॉली भी खड़ी थी.. वो थोड़ा और घबरा गई।
चेतन बोला- पसंद है.. तो ले लो.. रात में पहनने के लिए हो जाएगा।
मैं मुस्कराई और डॉली की तरफ देख कर बोली- दो लूँगी।
चेतन- दो किस लिए?
मैं- एक डॉली के लिए भी लेना है।
डॉली ने चौंक कर मेरी तरफ और फिर मेरी सामने की ड्रेस को देखा और बोली- भाभी मैं.. मैंने इस ड्रेस का क्या करना है।
मैं- अरे यार.. ले लो.. कभी-कभी पहन लिया करना.. क्यों चेतन ठीक कह रही हूँ ना?
चेतन ने एक नज़र अपनी बहन की तरफ देखा तो उसकी आँखों में एक वहिशयाना चमक थी.. लेकिन बहुत ही साधारण से अंदाज़ में बोला- हाँ.. ले लो लेना है तो.. हर्ज तो कोई नहीं है.. काफी आरामदायक रहेगी।
मैंने दो का ऑर्डर दे दिया.. सेल्समेन ने मुझसे साइज़ नम्बर जानना चाहा.. जिस पर डॉली आहिस्ता-आहिस्ता ऐतराज कर रही थी.. लेकिन मैंने उसका साइज़ नम्बर भी बता दिया।
सेल्समेन ने दो ड्रेस निकाल दिए, दोनों अलग-अलग रंग के थे, मेरी ड्रेस हल्के नीले रंग की थी और डॉली की गुलाबी रंग की थी।
मैंने शरारत के अंदाज़ में डॉली की तरफ देखा और बोली- डॉली तुम ऐसा करो कि अन्दर जाकर ट्राई करके देख लो.. कि साइज़ वगैरह ठीक है कि चेंज करना है।
डॉली घबरा कर- नहीं नहीं.. कोई ज़रूरत नहीं है..
सेल्समेन- नहीं मैडम.. प्लीज़ आप एक बार पहन कर चैक कर लें.. उधर ऊपर है हमारा ट्राइयरूम.. वहाँ पर कोई भी नहीं है.. आप लोग ऊपर जाकर चैक कर लें।
मैंने दोनों ड्रेसज उठाए और डॉली का हाथ पकड़ कर बोली- आओ मेरे साथ..
साथ ही मैंने चेतन को भी आने का कह दिया। ऊपर गए तो छोटा सा ही एक कमरा था.. जिसमें एक हिस्से में ट्रायल रूम बना हुआ था।
मैंने डॉली को कहा- जाओ चैक कर लो..
मैंने पकड़ कर डॉली को ट्रायल रूम में जबरिया ढकेल दिया।
डॉली सुर्ख चेहरे के साथ अन्दर चली गई।
थोड़ी देर के बाद मैंने उसे आवाज़ दी और पूछा- हाँ बोलो.. ठीक है या नहीं?
डॉली- जी भाभी ठीक है..
मैं- खोलो दरवाजा.. मुझे देखने तो दो..
डॉली ने अन्दर से लॉक खोला तो मैं ट्रायलरूम में दाखिल हुई और अन्दर का मंज़र देखा तो मेरे तो होश ही उड़ गए।
उस सेक्सी नाईट ड्रेस में डॉली तो क़यामत ही लग रही थी, उसका खूबसूरत चिकना चिकना सीना बिल्कुल खुला हुआ था, उसकी चूचियों का ऊपरी हिस्सा उस ड्रेस में से बाहर ही नंगा हो रहा था, कन्धों से तो बिल्कुल ही नंगी लग रही थी.. उन पर सिर्फ़ पतली पतली सी डोरियाँ थीं।
मैंने देखा और बोली- हाँ.. परफेक्ट है यार.. तुम पर बहुत ही प्यारा लग रहा है.. बस अब चेंज कर लो..
मैं जैसे ही बाहर निकलने लगी तो मैंने चेतन जो गेट के पास ही खड़ा था.. को कहा- चेतन देखना.. डॉली ठीक है ना इस ड्रेस में?
मेरी इस बात से दोनों ही बहन-भाई चौंक पड़े.. लेकिन ज़ाहिर है कि चेतन यह मौक़ा कैसे जाने दे सकता था.. वो फ़ौरन ही दरवाजे के नजदीक आ गया और अन्दर अपनी बहन को उस ड्रेस में देखा तो उसकी आँखें तो जैसे फट गई थीं और मुँह खुल गया.. लेकिन कोई लफ्ज़ मुँह से ना निकला।
फिर हकलाते हुए बोला- हाँ.. ठीक है.. अच्छा है..
मैंने अब चेतन को बाहर धकेला और खुद भी बाहर आ गई और अपने पीछे दरवाज़ा बंद कर दिया। डॉली ने दरवाज़ा लॉक किया और उसने ड्रेस चेंज करके दोबारा अपनी शर्ट पहन ली।
कुछ देर के बाद वो बाहर आई तो उसका चेहरा सुर्ख हो रहा था और चेतन के चेहरे पर ऐसे आसार थे.. जैसे उसे बहुत ही मज़ा आया हो।
चेतन मुझसे बोला- डार्लिंग यह ड्रेस तो अच्छा है.. तुम रात के अलावा भी घर में वैसे भी पहन सकती हो।
चेतन की दिल की बात मैं समझ गई थी.. इसलिए उसका दिल रखने के लिए बोली- हाँ हाँ.. क्यों नहीं पहना जा सकता.. वैसे भी आजकल इतनी गर्मी तो हो ही रही है.. तो ऐसी ही हल्की-फुल्की ड्रेसज घर में पहनने के लिए तो होनी ही चाहिए।
फिर नीचे आ कर हमने वो ड्रेस पैक करवा लिए और फिर मैं कुछ और देखने लगी कि शायद कुछ और भी मुझे मेरे मतलब का मिल जाए.. जो कि एक बहन को अपने भाई की सामने खुला और नंगा करने में.. मेरे खेल में मेरी मददगार हो।
फिर चेतन से थोड़ा हट कर मैंने एक एक ब्रा खरीदी अपने और डॉली के लिए।
डॉली तो नहीं लेना चाह रही थी लेकिन मैंने उसे भी लेकर दी। ब्लैक रंग की जाली वाली.. जिसमें से उसकी दोनों चूचियाँ ही नंगी नज़र आएं।
डॉली बोली- भाभी यह नहीं..
मैंने उसे चिढ़ाया उअर उसके मम्मों की तरफ उंगली करते हुए कहा- अच्छी है यह.. यार ले लो.. इसमें तुम्हारी यह दोनों ही साफ़-साफ़ दिखेंगी।
डॉली मेरी बात सुन कर फिर शर्मा गई क्योंकि थोड़ी ही फासले पर खड़ा हुआ सेल्समेन भी मुस्कराने लगा था.. शायद उसने मेरी बात सुन ली थी।
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