RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
चेतन ने अपना हाथ डॉली के सीने पर दोबारा रखा और फिर आहिस्ता-आहिस्ता से उसके सीने पर हाथ फेरने लगा।
उसके हाथ अब अपनी बहन की चूचियों के ऊपरी हिस्से पर भी जा रहे थे और चेतन अपनी बहन की चूचियों के नंगे हिस्सों को मस्ती से सहलाने लगा था।
कुछ पलों बाद चेतन ने अपनी एक उंगली को डॉली की क्लीवेज में दाखिल किया और उसे आहिस्ता-आहिस्ता अन्दर-बाहर करने लगा।
उसने अचानक पीछे मुड़ कर मेरी तरफ दोबारा देखा और मेरे सोए होने की तसल्ली करके चेतन थोड़ा सा ऊपर को उठा और झुक कर उसने अपने होंठ अपनी बहन की चूचियों के ऊपरी नंगे हिस्से पर रख दिए और अपनी बहन की चूचियों का अपनी ज़िंदगी का पहला किस ले लिया।
उन दोनों की जिंदगी में इस सेक्स को लेकर जाने आगे कितने और किस.. और क्या-क्या आने वाला था।
मैं अब इस खेल को आज की रात के लिए यहीं पर रोक देना चाहती थी.. ताकि दोनों के अन्दर ही तड़फ और प्यास बाक़ी रहे और एक ही रात में सारी हदें पार ना कर लें। यही सोच कर मैं एकदम नींद की हालत का नाटक करती हुई चेतन के साथ चिपक गई और उसे मजबूर कर दिया कि वो अब कुछ और ना कर सके।
मैंने उसे इतना मौका भी नहीं दिया कि वो अपनी बहन का ड्रेस ही दुरूस्त कर सके।
उसकी बहन उसके बिल्कुल क़रीब उस अधनंगी हालत में पड़ी रही कि उसकी चूचियाँ उसकी ब्रा में उसके भाई के सामने खुली पड़ी थीं और वो बार-बार उनको देख रहा था.. लेकिन छू नहीं पा रहा था।
कुछ देर के बाद मैंने चेतन को करवट दिलाते हुए अपनी तरफ खींच लिया और उसे अपने मम्मों से चिपका लिया।
आख़िर कुछ देर बाद ही उसकी भी मेरे साथ ही आँख लग गई।
अगले दिन रविवार था.. तो सब ही देर तक सोते रहे। सबसे पहली मेरी आँख खुली.. कमरे में बिल्कुल हल्की हल्की दिन की रोशनी हो रही थी.. क्योंकि सारे परदे बंद थे।
मैंने अपने मोबाइल में वक्त देखा तो 9 बज रहे थे।
मैं अपनी जगह से उठी और उठ कर वॉशरूम गई और फिर सबके लिए चाय बनाने रसोई में चली गई।
मैंने रसोई में चाय बनाई और फिर जब मैं चाय की तीन कप लेकर बेडरूम में वापिस आई तो अन्दर का मंज़र देख कर मैं मुस्करा उठी।
बेड पर चेतन अपनी बहन से लिपट कर सो रहा था और नींद में होने की वजह से डॉली भी उससे लिपटी हुई थी। वो अपना बाज़ू चेतन के गले में डाल कर उससे चिपकी हुई थी। उसका बरमूडा भी उसकी जाँघों पर ऊपर तक चढ़ा हुआ था और उसकी गोरी-गोरी जाँघों नंगी हो रही थीं।
वो दोबारा अपनी ड्रेस को तो अपनी ब्रा पर करके ही सोई थी.. लेकिन अब फिर उसकी ड्रेस का एक स्ट्रेप कन्धों से नीचे बाजुओं पर आया हुआ था।
चेतन की टाँगें उसकी चिकनी मुलायम नंगी रानों पर थीं और उसका हाथ डॉली की कमर पर था।
चाय को बगल में टेबल पर रखने के बाद मैं डॉली की तरफ ही बैठ गई और अपना हाथ बहुत ही आहिस्ते से उसकी नंगी जांघ पर रख दिया।
लिल्लाह.. सच में डॉली की बहुत ही चिकनी और मुलायम जिल्द थी.. मेरा दिल चाह रहा था कि धीरे-धीरे उसकी जाँघों को सहलाती रहूँ..!
मैं कभी भी लेज़्बीयन नहीं रही थी.. लेकिन आज डॉली की खूबसूरती को देख कर मुझ पर भी नशा सा छा रहा था।
मैं सोच रही थी कि अगर मेरा यह हाल हो रहा है.. तो चेतन बेचारा अपनी बहन की जवानी को इस हालत में देख कर कैसे खुद को रोक सकता है।
मेरा हाथ धीरे-धीरे डॉली की नंगी जाँघों को सहला रहा था और थोड़ा उसके ऊपर तक चढ़े हुए बरमूडा के अन्दर तक भी फिसल रहा था।
डॉली का नंगा कन्धों भी मेरी आँखों के सामने था। मैं आहिस्ता से झुकी और अपने होंठ डॉली के नंगी कन्धों पर रख कर उसे चूम लिया।
डॉली बड़ी मदहोशी में अपने भाई के साथ चिपकी हुई सो रही थी।
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