RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
चेतन का एक हाथ डॉली की लेग्गी के ऊपर से ही उसके चूतड़ों को सहला रहा था। एक भाई के हाथ अपनी ही सग़ी बहन की गाण्ड पर रेंगते हुए देख कर मेरी तो अपनी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था।
अब चेतन ने डॉली का हाथ पकड़ा और अपने लंड के ऊपर रखने लगा।
पहले तो डॉली ने अपना हाथ हटाने की कोशिश की.. लेकिन फिर उसने आख़िर अपने भाई का लंड पकड़ ही लिया।
कुछ देर तक चेतन के लंड को सहलाने के बाद डॉली बोली- बस भाई.. अब मुझे छोड़ दो प्लीज़.. फिर कर लेना..
चेतन- फिर कब?
डॉली- जब मौका मिले तब.. आप कौन सा अब मुझे बख्शने वाले हो.. जब भी मौका मिलेगा.. कुछ ना कुछ तो करोगे ही ना आप..
चेतन ने मुस्कुरा कर डॉली के होंठों को जोर से चूमा और डॉली ने भी एक बार जोर से उसके लण्ड को अपनी मुठ्ठी में जोर से दबाया और फिर उससे अलहदा होने लगी।
चेतन ने पीछे को हट कर अपने शॉर्ट्स को नीचे खींचा और अपने लंड को बाहर निकाल कर उसके सामने खुद को नंगा कर दिया।
डॉली अपनी मुँह पर हाथ रखते हुए बोली- ऊऊऊ.. ऊऊओफफ.. उफफफ्फ़.. भैया.. आप कितने बेशरम हो.. कुछ तो भाभी का ख्याल करो.. किसी ने देख लिया.. तो क्या सोचेगा कि आप अपनी बहन के साथ ही यह सब कर रहे हो?
चेतन अपने लंड को हिलाते हुए बोला- हाँ.. तो क्या है.. मैं अपनी बहन के साथ ही कर रहा हूँ ना.. किसी और की बहन के साथ तो नहीं ना..
डॉली चुप होकर मुस्कुराने लगी।
चेतन- यार एक किस तो कर दो इस पर..
डॉली- नहीं भैया.. अभी नहीं करूँगी।
चेतन- प्लीज़्ज़.. मेरी प्यारी सी बहना हो ना.. तो जल्दी से एक बार कर दो..
डॉली- भैया आप बहुत ही ज़िद्दी और बेसब्र हो।
यह कहते हुई वो नीचे को झुकी और अपने हाथ में अपने भैया का लंड पकड़ कर उसकी मोटी फूली हुई टोपी पर एक किस किया और फिर जल्दी से बाहर की तरफ भागने लगी।
चेतन ने फ़ौरन ही उसे पकड़ा और बोला- अब एक किस मुझे भी तो दे कर जाओ ना..
डॉली ने अपने होंठों को उसके आगे कर दिए.. लेकिन चेतन ने नीचे बैठ कर उसकी टाइट लेगिंग के संगम पर उसकी लेग्गी के ऊपर से ही उसकी चूत पर अपनी होंठों रखा और एक जोरदार चुम्बन करके बोला- ठीक है.. अब जाओ.. बल्कि ठहरो.. मैं पहले जाता हूँ.. तुम बाद में आना..
उनकी बात सुन कर मैं जल्दी से रसोई में आ गई और फिर चेतन बाहर आ कर बैठ गया और उसने वहीं से मुझे आवाज़ दी- डार्लिंग.. क्या बात है इतनी देर लगा दी है.. कहाँ रह गई हो?
मैं मुस्कुराई और फिर खाने की ट्रे लेकर बाहर आ गई और बाहर आते हुए डॉली को भी आवाज़ दी- आ जाओ जल्दी से खाने के लिए..
खाने के दौरान भी मेरा दिल खाने में नहीं लग रहा था.. बल्कि मैं दोनों बहन-भाई को ही देखने की कोशिश कर रही थी कि मेरे सामने बैठ कर भी वो कैसी हरकतें कर रहे हैं।
अचानक चेतन बोला- डार्लिंग.. क्या बात है.. तुम खाना ठीक से नहीं खा रही हो.. तुम्हारी तबीयत तो ठीक है ना?
मैं- तबीयत.. हाँ हाँ.. ठीक ही है.. कुछ नहीं हुआ मुझे.. मैं ठीक हूँ।
चेतन- लेकिन तुम ठीक लग तो नहीं रही हो।
अचानक से मेरे दिमाग में एक ख्याल कौंधा- हाँ.. बस दोपहर से थोड़ी तबीयत ठीक नहीं है.. मेरा जिस्म थोड़ा गरम हो रहा है.. और मुझे तो बुखार सा महसूस हो रहा है।
चेतन- तो कोई दवा लो ना..
मैं- हाँ.. मैं खाना खाकर कोई दवा लेती हूँ।
ऐसी ही बातें करते हुए हमने खाना खत्म किया और डॉली ने ही बर्तन समेटने शुरू कर दिए।
कुछ बर्तन लेकर डॉली रसोई में गई तो बाक़ी के बर्तन उठा कर चेतन भी उसके पीछे ही चला गया.. हालांकि कभी उसने पहले ऐसे बर्तन नहीं उठाए थे।
अन्दर रसोई में बर्तन छोड़ कर उसने बाहर आने में काफ़ी देर लगाई। मुझे पता था कि अन्दर क्या हो रहा होगा.. लेकिन मैं सोफे पर लेटी रही और उठ कर देखने नहीं गई।
थोड़ी देर के बाद चेतन बुखार की दवा लाया और मुझे पानी के साथ दी। मैंने वो दवा खा ली और बोली- तुम लोग एसी वाले कमरे में सो जाओ आज.. मैं डॉली के कमरे में सो जाऊँगी.. एसी में तो ज्यादा सर्दी लगेगी ना..
चेतन के चेहरे पर फैलती हुई ख़ुशी की लहर को मैंने फ़ौरन ही महसूस कर लिया और दिल ही दिल में मुस्कुरा दी।
मैं उठ कर डॉली वाले कमरे में गई और वहीं बिस्तर पर लेट गई।
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