Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
05-24-2019, 11:53 AM,
#11
RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
एक-दो बार चेतन ने मेरे हाथ पर अपना हाथ रख कर मुझे रोकने की कोशिश की.. लेकिन मेरा हाथ नहीं रुका और मैंने आहिस्ता-आहिस्ता अपना हाथ चेतन की पैन्ट के ऊपर से उसके लण्ड पर रख दिया। मुझे फील हुआ कि उसका लंड थोड़ा-थोड़ा अकड़ा हुआ है। 
ज़ाहिर है कि अपनी बहन की सॉलिड चूचियों का टच अपनी पीठ पर फील करके वो कैसे बेखबर रह सकता था। 
मैंने भी अब आहिस्ता-आहिस्ता उसके लण्ड पर उसकी पैन्ट के ऊपर से हाथ फेरना शुरू कर दिया.. जिससे उसका लंड और भी सख़्त होने लगा। 
एक बार तो उसने मेरा हाथ अपने लंड पर अपनी हाथ के साथ भींच ही दिया। मेरी इन तमाम हरकतों से डॉली बिल्कुल बेख़बर थी और पूरी तरह से बाइक की सैर और मौसम को एंजाय कर रही थी।
अब मैंने अपनी तवज्जो डॉली की तरफ की और अपना चेहरा आहिस्ता से उसकी कंधे पर रख दिया.. जैसे सिर्फ़ रुटीन में ही रखा हो। धीरे-धीरे मैं उसकी गर्दन को अपने होंठों से सहलाने लगी। 
डॉली को भी जैसे थोड़ी गुदगुदी सी फील हुई.. तो वो कसमसाने लगी।
मैंने थोड़ा सा और आगे को खिसकते हुए उसे और भी अपने भाई की कमर के साथ चिपका दिया, फिर मैंने धीरे से उसके कान में कहा-
डॉली देख लड़कियाँ तुझे कैसे देख रही हैं..
डॉली ने मुस्करा कर थोड़ी सी गर्दन मोड़ कर मेरी तरफ देखा और बहुत धीरे से बोली- भाभी आपको भी तो देख रही हैं।
वो इतनी आहिस्ता से बोली थी.. ताकि उसका भाई उसकी आवाज़ ना सुन सके।
मैंने दोबारा से उसकी गर्दन पर अपनी गरम-गरम साँसें छोड़ते हुए कहा- आज तो तू क़यामत लग रही है।
डॉली बोली- और भाभी आप तो हर रोज़ और हर वक़्त ही क़यामत लगती हो..
मैंने धीरे से अपना दूसरा हाथ थोड़ा ऊपर को किया.. डॉली की कमर पर रख दिया.. उसकी चूची के पास.. जस्ट उसकी ब्रा के लेवेल पर.. इस तरह हाथ रखने से मेरा हाथ उसकी चूची को छू रहा था और चेतन की कमर पर भी चल रहा था। 
मेरा दूसरा हाथ अभी भी चेतन की पैन्ट के ऊपर उसके लण्ड पर ही था। मैं महसूस कर रही थी कि जैसे-जैसे मैं और डॉली धीरे-धीरे बातें कर रही थीं.. तो ज़रूर उसे भी हमारी आवाजें जाती होंगी.. जिसकी वजह से उसके लण्ड में हरकत सी हो रही थी। मैं इस बात को बिना किसी रुकावट के महसूस कर रही थी। 
जैसे ही एक पार्क के पास चेतन ने बाइक रोकी.. तो मैंने हाथ हटाने से पहले उसके लण्ड को अपनी मुठ्ठी में लेकर जोर से एक बार दबा दिया.. ताकि वो बैठने ना पाए।
क्योंकि आपको तो पता ही है.. कि लंड है ही ऐसी चीज़ कि इसे जितना भी दबाओ.. यह उतना ही उछल कर खड़ा होता है.. और अकड़ता जाता है।
पार्क के गेट पर हम दोनों बाइक पर से उतर आईं और चेतन बाइक पार्किंग स्टैंड पर पार्क करने चला गया।
डॉली बोली- भाभी मुझे तो बहुत ही अजीब लग रहा है.. इस ड्रेस में बड़ी ही शर्म सी महसूस हो रही है।
मैं- अरे पगली बिल्कुल ईज़ी होकर रहना और किसी किस्म की भी कोई बेवक़ूफों वाली हरकत ना करना और ना ही ऐसी शक़ल बनाना.. कुछ भी नहीं होगा.. बस तू देखती रहना कि दूसरी लड़कियों ने भी कैसे-कैसे कपड़े पहने हुए हैं.. फिर तुझे कोई भी शर्म महसूस नहीं होगी और ना ही अजीब लगेगा।
इससे पहले कि डॉली कुछ और कहती चेतन भी हमारे पास आ गया और हम तीनों ही पार्क में चले गए। 
अभी हम लोग थोड़ी ही दूर गए थे कि मैंने जानबूझ कर डॉली का हाथ पकड़ा और चेतन से आगे-आगे चलने लगे उसे लेकर.. मक़सद मेरा इसमें यही था कि चेतन की नज़र अपनी बहन की ठुमकती गाण्ड पर पड़ती रहे और वो सिर्फ़ और सिर्फ़ यही देखता रहे और उसके दिमाग पर अपनी बहन के जिस्म के छूने से जो नशा सा हुआ है.. वो नशा ना उतर सके। 
मैंने महसूस किया कि हो भी ऐसा ही रहा था कि चेतन की नजरें अपनी बहन की टाइट जीन्स में फंसी हुई गाण्ड पर ही घूम रही थीं।
मैं और डॉली इधर-उधर की बातें करते हुए चलते जा रहे थे। इधर-उधर जो भी लड़की किसी सेक्सी ड्रेस में नज़र आती.. तो मैं उसकी तरफ भी इशारा करके डॉली को बताती जाती थी।
इस तरह इशारा करने से चेतन की नज़र भी उस लड़की की तरफ ज़रूर जाती थी और उसे भी कुछ ना कुछ अंदाज़ा हो जाता था कि हम क्या बातें कर रहे हैं और किस लड़की के लिबास की बात हो रही हैं।
डॉली मुझसे बोली- भाभी ड्रेस तो आपने भी बहुत ओपन पहना हुआ है.. देखिए जरा इस कुरती का गला कितना खुला और डीप है.. जो आपने पहना हुआ है।
Reply
05-24-2019, 11:53 AM,
#12
RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
मैं उसकी तरफ देख कर हँसी और बोली- अरे यार.. फिर क्या हुआ.. इससे क्या फ़र्क़ पड़ता है.. कोई देखता है तो देखे.. जब मेरे पति को किसी के देखने से तो ऐतराज़ नहीं है.. फिर मुझे क्या?
मेरी बात सुन कर डॉली हँसने लगी और मैं भी हँसने लगी।
फिर हम लोग तीनों जा कर एक बैंच पर बैठ गए और इधर-उधर की बातें करने लगे। वहाँ से थोड़ी ही दूर पर एक कैन्टीन थी। कुछ देर के बाद चेतन ने अपना पर्स निकाला और उसमें से कुछ पैसे निकाल कर डॉली को दिए और बोला- जाओ डॉली.. वहाँ कैन्टीन से कुछ खाने-पीने की चीजें ले आओ।
डॉली अकेले कैन्टीन की तरफ जाते हुए झिझक रही थी.. मैंने उसे उत्साहित किया- हाँ हाँ.. जाओ.. कुछ नहीं होता.. हम लोग यहीं तो तुम्हारे सामने बैठे हैं।
डॉली उठी और कैन्टीन की तरफ बढ़ गई। चेतन जाते हुए उसकी गाण्ड को ही देख रहा था.. जो कि पूरी तरह इधर-उधर मटक रही थी।
कुछ देर चेतन उसी को देखता रहा फिर मुझसे बोला- यह तुम बाइक पर बैठे क्या शरारतें कर रही थीं।
मैं मुस्कुराई और अंजान बनते हुए बोली- कौन सी शरारत?
चेतन- वो जो मेरे लण्ड को दबा रही थी।
मैं हंस कर बोली- मैंने सोचा कि आज मैं अपनी चूचियों को तुम्हारी पीठ पर रगड़ नहीं सकती.. तो ऐसी ही थोड़ा सा तुम को मज़ा दे दूँ।
मैंने जानबूझ कर डॉली की चूचियों के उसकी पीठ पर लगने का जिक्र नहीं किया.. क्योंकि मैं नहीं चाहती थी कि वो शर्मिंदा हो। लेकिन एक बात हुई कि जैसे ही मैंने अपनी चूचियों की उसकी पीठ पर लगाने का जिक्र किया.. तो फ़ौरन ही उसकी नज़र डॉली की तरफ उठ गई.. जैसे उसे एक बार फिर से याद आ गया हो कि कैसे डॉली अपनी चूचियों को उसकी पीठ के साथ लगा कर बैठी हुई थी।
राज शर्मा स्टॉरीज पर पढ़ें हजारों नई कहानियाँ !
उसी वक़्त डॉली कैन्टीन से स्नैक्स और कोल्ड-ड्रिंक्स लेकर मुड़ी.. तो चेतन की नजरें डॉली की टाइट टी-शर्ट में उभरी हुई नज़र आ रही चूचियों पर घूम गईं। 
मैंने भी कोई बात करके उसको डिस्टर्ब करना मुनासिब ना समझा और इधर-उधर देखने लगी।
हम तीनों ने बैठ कर स्नैक्स और ड्रिंक्स से एंजाय किया और फिर जब थोड़ा अँधेरा होने लगा.. तो हम लोग घर की तरफ वापिस लौटे। मैंने दोबारा डॉली को चेतन के पीछे बैठाया।
पूरे रास्ते फिर मेरी वो ही हरकतें चलती रहीं और डॉली अपनी चूचियों को अपने भाई की पीठ पर दबा कर बैठे रही। मैं भी चेतन का लंड आहिस्ता-आहिस्ता दबाती और सहलाती रही।
घर आकर मैंने अपने कपड़े बदल लिए। आज रात मैंने चेतन का एक बरमूडा पहन लिया था.. जो कि मेरे घुटनों तक का था और ऊपर से मैंने एक टी-शर्ट पहन ली।
कभी-कभी मैं घर में यह ड्रेस भी पहन लेती थी। अब मेरी गोरी-गोरी टाँगें घुटनों तक बिल्कुल नंगी हो रही थीं। 
चेतन ने चाय के लिए कहा तो डॉली चाय बनाने चली गई और मैं चेतन के बिल्कुल साथ लग कर बैठ गई और टीवी देखने लगी।
चेतन भी जब से आया था.. तो वो गरम हो रहा था, उसने मौका मिलते ही मुझे अपने पास खींच लिया और मेरे गालों को चूमने लगा।
मैंने अपना हाथ उसकी पजामे के ऊपर से उसके लण्ड पर रखा और बोली- क्या बात है.. आज बड़े गरम हो रहे हो?
चेतन ने भी मेरा बरमूडा थोड़ा सा घुटनों से ऊपर को खिसकाया और मेरी जाँघों को नंगी करके उस पर हाथ फेरने लगा।
थोड़ी देर मैं जैसे ही डॉली चाय बना कर वापिस आई तो चेतन ने अपना हाथ मेरी नंगी जाँघों से हटा लिया। लेकिन मैं अभी भी उसके साथ चिपक कर बैठे रही। 
डॉली ने हम पर एक नज़र डाली और जब मेरी नज़र से उसकी नज़र मिली.. तो वो धीरे से मुस्करा दी और मैंने भी उसे एक स्माइल दी।
फिर हम सब चाय पीने लगे और मैं उसी हालत मैं अपने पति के साथ चिपक कर बैठे रही। मेरी जाँघें अभी भी नंगी थीं लेकिन मुझे कोई फिकर नहीं थी कि मैं अपनी नंगी जाँघों को कवर कर लूँ।
डॉली भी मेरी नंगी जांघ और मेरे हाथों को अपने भाई की जाँघों पर सरकते हुए देखती रही।
फिर हम दोनों रसोई में गईं तो डॉली मुझे छेड़ती हुए बोली- भाभी आपको तो बिल्कुल भी शरम नहीं आती.. कैसे चिपक कर बैठे हुई थीं आप.. भैया के साथ?
मैं मुस्कुराई और बोली- जब तेरी शादी होगी ना.. तो देखना तेरा पति तुझे हर वक़्त अपनी साथ चिपका कर रखेगा।
डॉली- नहीं जी.. भाभी जी.. मैं आपकी तरह बेशर्म नहीं हूँ.. जो हर वक़्त चिपकी रहूँगी।
मैं- अरे तू ना भी चिपकेगी.. तो भी तेरी जैसे चिकनी लड़की को कौन सा मर्द होगा.. जो अपने साथ ना चिपकाना चाहेगा.. सच कहूँ.. यह तो तू चेतन की बहन है.. तो बची हुई है.. वरना चेतन ही कब का तुझे…
मैं यह बात कह कर हँसने लगी।
Reply
05-24-2019, 11:53 AM,
#13
RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
डॉली का चेहरा सुर्ख हो गया और वो शर्मा कर बोली- भाभी क्या है ना.. आप कुछ भी बोल देती हो.. कुछ तो शरम करो ना.. वो मेरे भैया हैं और आप उनकी बारे में ऐसी बातें कह रही हो।
मैं मुस्कुराई और उसकी गाल पर हाथ फेरती हुई बोली- क्या करूँ.. जो सच है वो कह दिया.. तू बहन है उसकी.. लेकिन फिर तू इतनी खूबसूरत है कि वो तेरा भाई होकर भी तुझे देखता रहता है, मैं तो खुद तुझ से जलने लगी हूँ।
मैंने प्यार से उसकी चूची पर चुटकी काटते हुए कहा।
डॉली शर्मा गई.. मैं डॉली के दिल में भी हल्की सी चिंगारी जलाना चाहती थी.. ताकि वो भी चेतन की तरफ थोड़ा ध्यान दे और उसे भी अंदाज़ा हो सके कि उसका भाई उसकी तरफ देखता है।
मैं अपने मक़सद में कामयाब भी हो गई थी। डॉली को शरमाती देख कर मैं धीरे से मुस्कुराई और अपने बेडरूम की तरफ बढ़ते हुए बोली- अच्छा भई.. मैं तो अब चली अपनी जानू के साथ एंजाय करने..
मेरी बात पर डॉली मुस्करा दी और मैं अपने बेडरूम की तरफ बढ़ गई।
अपने बेडरूम में आई तो चेतन पहले से ही लेट चुका हुआ था, मैं भी उसके साथ ही लेट गई। बिस्तर पर लेटते साथ ही चेतन ने मुझे अपनी तरफ खींच लिया और अपनी बाँहों में लेकर चूमने लगा।
मैं भी सुबह से एक भाई की अपनी बहन के लिए हवशी नजरें देख-देख कर गरम हो रही थी.. इसलिए कोई भी विरोध नहीं किया और उसका साथ देनी लगी।
जैसे ही मैंने उसके लण्ड पर हाथ रखा तो मुझे वो पहले से ही तैयार मिला.. पता नहीं अभी तक उसके ज़हन में शायद अपनी बहन का जिस्म घूम रहा था.. जो वो अकड़ा हुआ था।
मैं दिल ही दिल में मुस्कराई और उसका पजामा नीचे उतार कर उसका लंड बाहर निकाल लिया.. अब मैं उसे अपने बरमूडा के ऊपर से ही अपनी चूत पर रगड़ने लगी।
चेतन ने मेरा बरमूडा भी उतारा और फ़ौरन ही मेरी ऊपर को सरका कर अपना लंड मेरी चूत में ‘खच्च’ से डाल दिया। मेरी चूत पहले से ही गीली हो गई थी।
राज शर्मा स्टॉरीज पर पढ़ें हजारों नई कहानियाँ !
धीरे-धीरे चेतन ने मुझे चोदना शुरू कर दिया… वो मेरे होंठों और मेरे गालों को चूमते हुए अपना लंड मेरी चूत में अन्दर-बाहर कर रहा था और मैं भी उसकी नंगी कमर पर हाथ फेरते हुए उसको सहला रही थी।
अचानक ही मैं बहुत ही मस्त आवाज़ में बोली- यार तुम तो डॉली का भी ख्याल नहीं करते.. हर वक़्त तुमको मुझे चोदने का ही ख्याल रहता है..
मैंने यह बात सिर्फ़ और सिर्फ़ उसके दिमाग में उसकी बहन का अक्श लाने के लिए कही थी। 
अजीब बात यह हुई कि.. हुआ भी ऐसा ही.. जैसे ही मैंने डॉली का नाम लिया तो चेतन की आँखें बंद हो गईं और उसके धक्कों की रफ़्तार में तेजी आ गई।
वो मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा।
मैं समझ गई कि इस वक़्त वो अपनी बहन का चेहरा ही अपनी आँखों के सामने देख रहा है। मैंने भी उसे डिस्टर्ब करना मुनासिब नहीं समझा और भी जोर से उसे अपने साथ लिपटा लिया।
अभी भी उसकी आँखें बंद थीं और वो धनाधन अपना लंड मेरी चूत में अन्दर-बाहर कर रहा था.. बल्कि शायद अपनी ख़यालों में अपनी बहन की चूत चोद रहा था।
थोड़ी देर बाद चेतन ने अपना माल मेरी चूत में ही छोड़ दिया और धीरे से मेरी बगल में ही ढेर हो गया। 
उसकी आँखें अभी भी बंद थीं और वो लंबी-लंबी साँस ले रहा था, चुदाई के बाद उसकी ऐसी हालत पहली कभी नहीं हुई थी।
मैंने भी उसकी तरफ करवट ली और धीरे-धीरे उसकी सीने पर हाथ फेरते हुए मुस्कराने लगी। मेरा तीर ठीक निशाने पर लगा था और मेरा पति अभी भी अपनी बहन के बारे में ही सोच रहा था।
अगले दिन चेतन ने ऑफिस से छुट्टी कर ली और घर पर ही था। डॉली कॉलेज के लिए तैयार हुई तो चेतन ने बाइक निकाली और उसे कॉलेज छोड़ आया।
उसके वापिस आने के बाद हम दोनों ने नाश्ता किया और कुछ देर के बाद मैं नहाने चली गई। चेतन वहीं टीवी लाउंज में ही टीवी देख रहा था। 
नहा कर मैंने बाथरूम का टीवी लाउंज वाला दरवाजा खोला और चेतन से बोली- यार यहाँ टेबल पर जो धुले हुए कपड़े पड़े हैं.. उन में से मेरी ब्रेजियर तो उठा दो प्लीज़..
चेतन- ओके डार्लिंग..
यह कह कर वो कपड़ों की तरफ बढ़ा और उसे जाता हुआ देख कर मैं मुस्कराने लगी.. क्योंकि सब कुछ मेरी स्कीम के मुताबिक़ ही हो रहा था। दरअसल मैंने चेतन और डॉली के जाने के बाद उन कपड़ों के ढेर में से अपनी ब्रेजियर निकाल ली हुई थी और अब वहाँ पर सिर्फ़ और सिर्फ़ डॉली की ही एक ब्रेजियर पड़ी हुई थी।
वो ही हुआ.. कि चेतन कपड़ों के ढेर के पास गया और उसमें से कपड़े उलट-पुलट करने लगा। उसे उस कपड़ों के ढेर में से सिर्फ़ एक ही काली रंग की ब्रेजियर मिली और वो उसे उठा कर मेरे पास ले आया और बोला- यह लो डार्लिंग..
मैंने ब्रेजियर ली और चेतन वापिस जा कर सोफे पर बैठ गया। जैसे ही वो वापिस गया तो मैंने उसे दोबारा बुलाया।
मैं- अरे यार यह क्या है… यार.. यह तो तुम डॉली की ब्रेजियर उठा ले आए हो.. मेरी लाओ ना निकाल कर.. तुमको पता नहीं चलता कि क्या.. कि यह कितनी छोटी है?
चेतन ने चौंक कर मेरी तरफ देखा और मैंने खुले दरवाजे से उसकी बहन की ब्रेजियर उसकी हाथ में पकड़ा दी।
चेतन ने एक नज़र मेरी नंगी चूचियों पर डाली और मैंने जानबूझ कर बाथरूम का दरवाज़ा थोड़ा बंद कर दिया ताकि वो मुझे ना देख सके… लेकिन मैं छुप कर उसे देखने लगी कि वो क्या करता है?
जैसे कि मुझे उम्मीद थी.. चेतन अपनी हाथ में पकड़ी हुई अपनी बहन की ब्रेजियर को देखने लगा। उसने वो ब्रा फैलाई और आहिस्ता आहिस्ता उसको फील करने लगा।
मेरी नज़रें उसकी चेहरे पर पड़ीं.. तो उसका चेहरा अजीब सा हो रहा था। 
वापिस कपड़ों के तरफ जाते हुए उसने जो हरकत की.. उसे देख कर तो मेरी चूत ही गीली हो गई।
चेतन ने अपनी बहन की ब्रेजियर को अपनी चेहरे पर फेरा और उसे अपनी नाक से लगा कर सूंघा भी। हालांकि धुली हुई ब्रेजियर में से कहाँ उसकी बहन के जिस्म की खुशबू आनी थी।
Reply
05-24-2019, 11:53 AM,
#14
RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
थोड़ी देर के बाद वो वापिस आया और बाथरूम का बन्द दरवाजा खोल कर बोला- नहीं यार.. वहाँ पर कोई नहीं है.. दूसरी ब्रेजियर यहीं पड़ी हुई होगी।
मैंने कहा- अच्छा ठीक है.. मैं आकर देख लेती हूँ। 
अभी भी उसकी हाथ में डॉली की ब्रा मौजूद थी.. जिसे देख कर मैं मुस्कराई और उसके हाथ से ब्रा को ले लिया। फिर मैं एक तौलिया अपनी नंगे जिस्म पर लपेट कर बाथरूम से बाहर लाउंज में ही निकल आई।
राज शर्मा स्टॉरीज पर पढ़ें हजारों नई कहानियाँ !
चेतन दोबारा से सोफे पर बैठ कर टीवी देख रहा था। मैंने जैसे बेखयाली में वो डॉली की ब्रेजियर दोबारा से उसके पास ही सोफे पर फेंक दी और बोली- क्या है ना यार.. एक काम भी नहीं होता तुम से मेरा..
यह कह कर मैं अपने बेडरूम में चली गई, अपने कमरे से मैं दोबारा बाहर झाँक कर देखने लगी.. ऐसे कि चेतन मुझे ना देख पाए। 
मैंने देखा कि चेतन ने एक-दो बार बेडरूम की तरफ देख कर मेरी तरफ से तसल्ली की और फिर अपने क़रीब ही सोफे पर पड़ी हुई अपनी बहन की ब्रेजियर को दोबारा से उठा लिया। 
जैसे ही उसने उसे ब्रा को उठाया.. तो मेरे चेहरे पर मुस्कान फैल गई।
चेतन ने दोबारा से अपनी बहन की ब्रेजियर उठा ली हुई थी और उस पर आहिस्ता आहिस्ता हाथ फेरते हुए उसे फील कर रहा था.. जैसे कि उसमें अपनी बहन की चूचियों को सोच रहा हो। 
मैं कुछ देर उसे अपने बहन की ब्रेजियर से खेलती हुए देखती रही और फिर मुस्करा कर उसे ब्रा से एंजाय करते हुए छोड़ कर.. अपनी अल्मारी की तरफ बढ़ गई।
मैंने अपनी ब्रेजियर निकाल कर पहनी और फिर नीचे से एक लेग्गी पहन ली लेकिन ब्रा के ऊपर टॉप नहीं पहना और फिर बाहर आ गई। 
जैसे ही मैंने दरवाज़ा खोला तो चेतन ने डॉली की ब्रा फ़ौरन ही सोफे पर फेंक दी। मैंने देख तो लिया था.. लेकिन शो ऐसे ही किया.. जैसे मैंने कुछ भी ना देखा हो।
फिर मैंने कपड़ों में से डॉली के कपड़े और सोफे पर से उसकी ब्रेजियर उठाई और उसकी अल्मारी में रख आई। 
पहले तो चेतन थोड़ा सा घबराया था लेकिन जब उसने देखा कि उसकी इस हरकत का मुझे कुछ भी पता नहीं चला.. तो वो काफ़ी रिलेक्स हो गया था।
मैं तो खुद भी उसे अहसास करवा कर अपना काम और मज़ा खराब नहीं करना चाहती थी ना.. और उसे अपने ही बहन की तरफ जाने का पूरा-पूरा मौका देना चाहती थी।
दो दिन के बाद सुबह जब चेतन ऑफिस के लिए कमरे में ही तैयार हो रहा था.. तो मैंने उससे कहा- चेतन.. प्लीज़ आज ऑफिस से आते हुए थोड़ी शॉपिंग तो करते आना..
चेतन- क्या मंगवाना है?
मैं- यार 3-4 सैट लेटेस्ट और खूबसूरत डिज़ाइन वाली ब्रेजियर के तो ले ही आना।
चेतन- ओके डार्लिंग.. लेता आऊँगा।
मैं- ओह हाँ.. याद आया.. वो ना साइज़ तुम 34 इंच लेकर आना।
चेतन ने हैरान होकर मेरी तरफ देखते हुए बोला- क्यों.. 34 क्यों.. तुम्हारा साइज़ तो 36 है.. फिर छोटा नंबर क्यों मंगवा रही हो?
मैंने उसके उतारे हुए कपड़े समेटते हुए बड़े ही साधारण अंदाज़ में कहा- वो 34 की साइज़ की ब्रेजियर डॉली के लिए मंगवानी हैं ना.. उसकी ब्रा सबकी सब पुरानी हैं और पुरानी डिज़ाइन की हैं.. उसके लिए कुछ अच्छी डिज़ाइन की ब्रेजियर ले आना।
मैंने इतनी नॉर्मल अंदाज़ में कहा था.. जैसे कि उससे बाज़ार से कोई सब्ज़ी या घर की कोई और चीज़ मंगवा रही हूँ। 
लेकिन मेरी इस बात से चेतन चकित हो चुका था। उसे इसे हालत में छोड़ कर मैं मुस्कराती हुई कमरे से बाहर आ गई और रसोई में जाकर नाश्ता तैयार करने लगी।
जब चेतन और डॉली भी नाश्ते के लिए आ गए.. तो हम सब नाश्ता करने लगे। 
मैंने नोट किया कि आज चेतन बड़ी ही अजीब नज़रों से डॉली को देख रहा था। आज भी उसकी नजरें बार-बार उसकी चूचियों पर जा रही थीं.. जैसे कि वो खुद भी अपनी बहन की चूचियों की साइज़ का अंदाज़ा करना चाह रहा हो।
उसकी यह हालत देख कर मैं दिल ही दिल में मुस्करा रही थी।
इतने दिनों में अब यह तब्दीली आ चुकी हुई थी कि डॉली को भी कुछ-कुछ फील होने लगा था कि उसके भाई की नजरें उसके जिस्म की इर्द-गिर्द ही घूमती रहती हैं.. लेकिन वो भी कुछ बुरा फील नहीं करती थी और उस बात को साधारण सी बात ही समझती थी।
मैंने कभी भी उसे बुरा मानते हुए या खुद को छुपाते हुए नहीं देखा था।
शाम को चेतन घर वापिस आया तो उसके हाथ में एक शॉपिंग बैग था। जिसे उसके हाथ में देख कर ही मेरे चेहरे पर मुस्कान फैल गई। लेकिन मैंने अपनी मुस्कराहट चेतन से छुपा ली। 
अपने कमरे में आकर चेतन ने मुझे वो शॉपिंग बैग दिया और बोला- यह ले आया हूँ.. जो तुमने मँगवाया था.. देख लेना और अगर कुछ चेंज-वेंज करना हो तो भी करवा लाऊँगा।
मैंने भी बड़े ही साधारण तरीके से उससे बैग लिया और उसे कमरे में एक तरफ ‘ओके’ कह कर रख दिया.. जैसे मुझे कोई ख़ास दिलचस्पी ना हो और यह एक आम सी बात ही हो।
लेकिन अन्दर से मैं बहुत उत्सुक थी कि देखूँ कि चेतन अपनी बहन के लिए किस किस्म की ब्रा सिलेक्ट करके लाया है।
Reply
05-24-2019, 11:56 AM,
#15
RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
अगले दिन डॉली घर पर ही थी तो चेतन के जाने के बाद मैंने वो शॉपिंग बैग उठाया और बाहर आ गई। जहाँ पर डॉली बैठी टीवी देख रही थी।
मेरे हाथ मैं नया शॉपिंग बैग देख कर खुश होती हुए बोली- वाउ भाभी.. शॉपिंग करके आई हो.. कब गई थीं आप.. और क्या लाई हो.. दिखाओ मुझे भी?
मैं मुस्करा कर बोली- नहीं यार मैं तो नहीं गई थी.. कुछ चीजें तुम्हारे भैया से ही मँगवाई हैं और वो भी तुम्हारे लिए..
मैं अब डॉली के पास ही बैठ चुकी थी और उसका भी पूरा ध्यान अब मेरी तरफ ही था।
डॉली- अरे भाभी मेरे लिए क्या मंगवा लिया है.. दिखाओ ना मुझे भी?
मैंने बैग मैं से चारों बॉक्स निकाल कर बाहर टेबल पर हम दोनों की सामने रख दिए। बॉक्स पर ब्रा पहने हुई मॉडल्स की फोटो थीं.. जिनको देखते ही डॉली चौंक उठी।
डॉली- भाभी यह क्या है?
मैं- अरे यार तुम्हारे लिए कुछ नई ब्रा मँगवाई हैं मेरा तो मार्केट में चक्कर लग ही नहीं पा रहा था.. इसलिए तुम्हारे भैया से ही कहा था कि ला दो.. आओ खोल कर देखते हैं कि तुम्हारे भैया कैसी डिज़ाइन्स लाए हैं अपनी बहना के लिए।
मेरी बात सुन कर डॉली का चेहरा शरम से सुर्ख हो गया.. वो झेंपती हुई बोली- भाभी.. आपको भैया से मंगवाने की क्या ज़रूरत थी.. पता नहीं वो मेरे बारे में क्या सोचते होंगे..
मैं मुस्कराई और बोली- अरे इसमें ऐसी कौन सी बात है.. मेरे लिए भी तो खरीद कर ले ही आते हैं ना वो.. तो तुम्हारे लिए ले आए.. तो कौन सी गलत बात हो गई है यार..
मैंने सब लिफ़ाफ़े खोले और उनमें से ब्रा निकाल कर देखने लगी।
उनमें से 2 तो कढ़ाई वाली थीं.. बहुत ही खूबसूरत डिज़ाइन की महंगी वाली ब्रा.. जिनमें से एक ब्लैक और दूसरी स्किन कलर की थी। तीसरी ब्रेजियर नेट वाली थी.. जिसको पहनने पर सब कुछ नज़र आता था। चौथी वाली ब्रा हाफ कप वाली थी.. जिसकी स्ट्रेप पारदर्शी प्लास्टिक की थीं।
मैंने एक-एक ब्रा खोल कर डॉली के हाथ में दीं और बोली- यार तेरे भैया बहुत ही सेक्सी ब्रा लाए हैं तुम्हारे लिए।
डॉली उन सभी ब्रा को हाथों में लेकर देख भी रही थी और शरम से लाल भी हो रही थी।
मैं- अरे यार इस नेट वाली में तो तुम्हारी चूचियाँ बिल्कुल ही नंगी ही रह जाएंगी।
मैंने हँसते हुए कहा।
डॉली शर्मा कर मुझे जवाब देते हुए बोली- भाभी आपके पास भी तो हैं ना.. नेट वाली ब्रा.. आप भी तो पहनती हो ना..
मैं फ़ौरन बोली- मेरी पहनी हुई नेट वाली ब्रा तो तुम्हारे भैया को दिखाने के लिए होती है.. तुमको भी क्या यह पहन कर अपने भैया को दिखाना है।
मेरी इस बात पर तो डॉली उछल ही पड़ी और बोली- भाभी कैसी बातें करती हो आप.. मैं क्यों पहन कर दिखाऊँगी भैया को?
उसका चेहरा शरम से सुर्ख हो गया।
मैं मुस्करा कर बोली- वैसे उसने लाकर तो तुमको इसलिए दी है ना.. शायद तुम्हारे भैया तुमको इसमें देखना चाहते ही हों..
डॉली बोली- भाभी क़सम से.. आप बहुत खराब बातें करती हो।
मैं भी उसके साथ मिल कर हँसने लगी। 
फिर डॉली वो बैग लेकर अपने कमरे में चली गई.. मैंने भी उसे कोई इसरार नहीं किया कि वो मुझे नई ब्रा पहन कर दिखाए।
शाम को चेतन घर आया तो आज भी हमेशा की तरह उसकी नज़रें अपनी बहन की चूचियों पर ही थीं.. जैसे अब वो यह जानना चाहता हो कि उसने नई ब्रा पहनी है कि नहीं। 
मैंने महसूस किया कि अपने भाई की नज़रों को फील करके डॉली भी थोड़ा शर्मा रही थी और मैं उन दोनों भाई-बहन की दशा का मजा ले रही थी।
चेतन की अपनी बहन पर तांक-झाँक ऐसे ही चलती रहती थी। गर्मी का मौसम चल रहा था और हमने काफ़ी महीनों से ही एसी लगवाने के लिए पैसे इकठ्ठे करने शुरू किए हुए थे। 
अब जाकर हमारे पास इतने पैसे हुए थे कि हम एक एसी लगवा सकें.. तो फिर आख़िरकार हमने अपने बेडरूम में एसी लगवा ही लिया। उस रोज़ हम लोग बहुत खुश थे.. आख़िर हम जैसे मिडिल क्लास के लिए एसी का लग जाना भी एक बहुत बड़ी बात थी।
रात को मैं और चेतन अब एसी में सोने लगे।
Reply
05-24-2019, 12:05 PM,
#16
RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
लेकिन जल्दी ही मुझे और चेतन को डॉली का ख्याल आया।
मैं- चेतन.. यार यह बात तो ठीक नहीं है कि हम लोग तो एसी चलाकर सो जाते हैं और उधर डॉली गर्मी में ही सोती है।
चेतन- हाँ.. कहती तो तुम ठीक हो लेकिन अब कैसे करूँ..? हमारा कमरा भी इतना बड़ा नहीं था कि उसमें कोई और बिस्तर लगाया जा सके और ना ही उसमें कोई भी और सोफा वगैरह ही पड़ा हुआ था। 
काफ़ी सोच विचार के बाद मेरे शैतानी दिमाग ने एक अनोखा आइडिया दिया जिससे मेरा काम भी आगे बढ़ने की उम्मीद थी।
मैं चेतन से बोली- चेतन एक बात हो सकती है कि हम डॉली को अपने साथ ही बिस्तर पर सुला लें।
चेतन चौंक कर बोला- लेकिन यह कैसे हो सकता है.. इस तरह तो हमारी प्राइवेसी खत्म हो जाएगी यार.. और कैसे हम उसे अपने बिस्तर पर सुला सकते हैं?
मैं- यार कोई परेशानी नहीं होगी.. बस मैं बीच में लेट जाया करूँगी.. इसमें कौन सी कोई दिक्कत है यार.. बस उसे आज इधर ही सोने का कह देते हैं। इस तरह गर्मी में उसको सुलाना तो ठीक नहीं है ना..
चेतन मेरा फ़ैसला सुन कर खामोश हो गया और कुछ सोचने लगा। 
शाम को खाने के वक़्त हमने डॉली को यह बता दिया। उसने बहुत इन्कार किया.. लेकिन मैंने उसकी कोई भी बात सुनने से इन्कार कर दिया और आख़िर डॉली को मेरी बात माननी ही पड़ी।
रात हुई तो मैं और चेतन अपने कमरे में आकर लेट गए.. एसी चल रहा था और कमरा काफी ठंडा हो रहा था। 
थोड़ी देर तक पढ़ने के बाद डॉली भी आ गई.. मैंने कमरे में जलता हुआ नाईट बल्व भी बंद कर दिया और अब कमरे में घुप्प अँधेरा था। कमरे में सिर्फ़ एसी की जगमगाते हुए नंबर्स की ही रोशनी हो रही थी। 
डॉली हमारे बिस्तर के पास आई तो मैंने थोड़ा सा और चेतन की तरफ सरक़ कर डॉली के लिए और भी जगह बनाई और वो झिझकते हुए मेरे साथ लेट गई। 
अब मेरी एक तरफ मेरा पति सो रहा था और दूसरी तरफ उसकी बहन.. यानि मैं दोनों बहन-भाई के दरम्यान लेटी हुई थी।
चेतन की आदत थी कि वो मेरे साथ चिपक कर मुझे अपनी बाँहों में समेट कर सोता था।
अब जब डॉली कमरे में आई तो चेतन सो चुका हुआ था और मेरी करवट दूसरी तरफ थी.. लेकिन वो पीछे से मुझे चिपका हुआ था।
जैसे ही डॉली की नज़र हम दोनों पर इस हालत में पड़ी.. तो उसके चेहरे पर एक शर्मीली सी मुस्कराहट फैल गई। 
मैं भी उसकी तरफ देख कर मुस्कराई और उसे चुप करके अपने पास लेटने का इशारा किया। वो खामोशी से मेरे साथ सीधी ही लेट गई।
मैंने आहिस्ता से उसके कान में कहा- अरे यार कुछ फील ना करना.. तुम्हारे भैया की मेरे साथ ऐसे ही चिपक कर सोने की आदत है.. बहुत चिपकू हैं तेरे भैया..
मेरी बात सुन कर डॉली भी मुस्कराने लगी। मैंने अपनी बाज़ू उठाई और डॉली के पेट पर रख कर उसे एक झटके से थोड़ा और अपनी करीब खींच लिया। 
इस तरह वो मेरे साथ चिपक गई थी लेकिन साथ ही चेतन का हाथ भी उसके जिस्म से टच हो रहा था। 
चेतन तो सो रहा था.. लेकिन उसकी बहन को ज़रूर उसके हाथ अपनी कमर की साइड पर महसूस हो रहा था.. जिसकी वजह से वो थोड़ा सा बैचेन सी हो रही थी। लेकिन फिर भी वो आराम से लेटी रही.. क्योंकि मैंने उसके जिस्म पर से अपना हाथ नहीं हटाया था। 
अब पोजीशन यह थी कि चेतन मेरे साथ चिपका हुआ था और मैं उसकी बहन के साथ चिपक कर सोने लगी थी।
मैंने आहिस्ता से दोबारा उसके कान के क़रीब अपनी होंठ लिए. जाकर कहा- शर्मा क्यों रही हो.. कल को तुम्हें भी तो ऐसी ही सोना है ना..
डॉली ने चौंक कर मेरी तरफ देखा तो मैंने उसके गोरे-गोरे गाल की एक पप्पी ली और बोली- हाँ.. तो क्या तुम अपने पति के साथ चिपक कर नहीं सोया करोगी क्या?
मेरी बात सुन कर डॉली शर्मा गई और अपनी आँखें बंद कर लीं। 
एसी की ठंडी-ठंडी हवा में कुछ ही देर में हम सबकी आँख लग गई। मैंने भी करवट ली और अपने पति के साथ चिपक कर एक बाज़ू उसकी ऊपर डाल कर सो गई।
बहुत सुबह जब मेरी आँख खुली तो हमारी हालत यह थी कि मैं डॉली की तरफ मुँह करके लेटी हुई थी। मेरा एक हाथ उसके सीने पर था। उसकी चूचियाँ मेरी बाज़ू के नीचे थीं। चेतन का बाज़ू मेरे ऊपर से होकर मेरी चूची को थामे हुए था। उसकी एक टाँग मेरी टाँगों के ऊपर से गुज़र रही थी और डॉली की टाँग पर पहुँची हुई थी। 
इस हालत को देख कर मैं मुस्करा दी.. दोनों बहन-भाई अभी तक सोए हुए थे। कमरे से बाहर हल्की-हल्की रोशनी हो रही थी.. अभी लेकिन दिन नहीं चढ़ा था।
मेरी नींद टूट चुकी थी.. मैंने आहिस्ता से अपने हाथ को हरकत दी और सोई हुई डॉली का एक मुम्मा अपनी हाथ में ले लिया.. उसे आहिस्ता से सहलाने लगी।
डॉली ने नीचे से ब्रा भी पहनी हुई थी उसकी चूची बहुत ही सॉलिड लग रही थी। आहिस्ता-आहिस्ता मैं उसे सहलाने और दबाने लगी। उसकी चूची को दबाना मुझे अच्छा लग रहा था। 
उसका खूबसूरत गोरा-चिट्टा चेहरा मेरी आँखों के सामने और मेरे होंठों के बहुत ही क़रीब था। मैं ज्यादा देर तक खुद पर कंट्रोल ना कर सकी और उसकी चिकने गाल को एक किस कर लिया।
मेरे जागने के साथ ही मेरे अन्दर का शैतान भी जाग चुका था.. मुझे एक शैतानी ख्याल आया और साथ ही मेरी आँखें कमरे के उस अँधेरे में भी चमक उठीं।
ुमैंने एक नज़र डॉली के चेहरे पर डाली.. वो सो रही थी। चेतन के सोने का तो उसके खर्राटों से ही कन्फर्म हो रहा था। 
Reply
05-24-2019, 12:05 PM,
#17
RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
अब मैंने अपनी चूचियों पर लटक रहा चेतन का हाथ अपने हाथ में लेकर उठाया और बहुत ही आहिस्ता से उसे डॉली की चूची पर रख दिया.. हाथ तो मैंने चेतन का रखा था.. डॉली की चूची पर.. लेकिन इस चीज़ के मजे की वजह से सिसकारी मेरी मुँह से निकल गई “’सस्स्स्स्स्…’
राज शर्मा स्टॉरीज पर पढ़ें हजारों नई कहानियाँ !
चेतन का हाथ डॉली की चूची पर रखने के बाद मैंने फ़ौरन ही डॉली के चेहरे की तरफ देखा.. लेकिन वो बेख़बर सो रही थी।
चेतन का हाथ भी अपनी बहन की चूची के ऊपर बिल्कुल सटा हुआ था। उस बेचारे को तो पता भी नहीं था कि उसके हाथ में उसके ख्वाबों की ताबीर मौजूद है।
मैं धीरे से मुस्करा दी..
अब मैंने अपना हाथ चेतन के हाथ के ऊपर रखा और आहिस्ता-आहिस्ता उसके हाथ को डॉली की चूची के ऊपर फेरने लगी।
यह खेल मैं ज्यादा देर तक ना खेल सकी क्योंकि एक बार फिर मेरी आँख लग गई।
सुबह जब मेरी आँख खुली तो उस वक़्त चेतन ने दूसरी तरफ करवट ली हुई थी और मैं उसकी कमर के साथ उसी की तरफ मुँह करके उससे चिपक कर लेटी हुई थी.. मेरा बाज़ू उसके ऊपर था।
डॉली उठ कर जा चुकी हुई थी। मैं सीधी होकर लेट गई और रात जो कुछ हुआ.. उसके बारे में सोचने लगी।
मेरे चेहरे पर हल्की सी मुस्कराहट फैली हुई थी।
इतनी में डॉली ट्रे में चाय के तीन कप ले आई।
उसे देख कर मैं मुस्कुराई और वो मेरे पास ही बिस्तर पर लेटते हुए बोली- भाभी आप तो भैया के साथ चिपक कर बहुत ही बेशर्मी के साथ सोती हो.. सुबह भी आप उनके साथ चिपकी हुई थीं।
मैंने उसे आँख मारी और बोली- सारी रात तो तेरा भाई मेरे साथ चिपका रहा है.. थोड़ी देर के लिए मैंने चिपक लिया तो क्या हो गया यार?
मेरी बात सुन कर वो हँसने लगी। फिर मैंने चेतन को भी उठाया और हम तीनों ने चाय ली और गप-शप भी करते रहे।
ऐसे ही इसी रुटीन में 3-4 दिन गुज़र गए। रात को डॉली हमारे ही कमरे में हमारे बिस्तर पर हमारे साथ सोने लगी। 
एक रात जब डॉली लेटने के लिए आई.. तो हम दोनों भी अभी जाग ही रहे थे। 
हम तीनों लेट कर बातें करने लगे। थोड़ी ही देर गुज़री कि मैंने करवट बदली और चेतन की तरफ मुँह करके लेट गई और साथ ही उसके ऊपर अपना बाज़ू डालती हुए उसे हग कर लिया।
चेतन आहिस्ता से बोला- यार डॉली है, तेरे पीछे लेटी हुई है। 
लेकिन मैंने उसका ख्याल किए बिना ही अपनी टाँग भी उसके ऊपर रखी और मज़ीद उससे लिपटते हुए बोली- कुछ नहीं होता.. उसे क्या पता.. वो तो अभी बच्ची है।
मैंने मुड़ कर डॉली की तरफ देखा तो उसकी चेहरे पर शर्मीली सी मुस्कराहट थी। 
कुछ देर के बाद मैंने डॉली की तरफ अपना मुँह किया और उसे हग कर लिया और बोली- सॉरी डॉली डियर.. तुमने माइंड तो नहीं किया ना?
वो मुस्करा दी और बोली- नहीं भाभी इट्स ओके..
मैंने चेतन का भी हाथ खींचा और अपने ऊपर रख लिया।
अब वो पीछे से मुझे हग किए हुए था और मैंने सीधी लेटी हुई डॉली को हग किया हुआ था, चेतन का हाथ डॉली के पेट को छू रहा था।
मैंने महसूस किया कि डॉली को अपने भाई का हाथ थोड़ा बेचैन कर रहा है।
मुझे एक शरारत सूझी.. मैंने चेतन का हाथ पकड़ कर डॉली के पेट पर रखा और बोली- देखो चेतन डॉली का पेट कितना सपाट है.. और मेरा पेट कितना मोटा हो गया है.. देखो डॉली इसे फील करके..
मेरी इस हरकत से दोनों बहन-भाई ही चौंक पड़े.. लेकिन मैंने चेतन को हाथ हटाने का मौका दिए बिना ही उसके हाथ को डॉली के पेट पर फेरना शुरू कर दिया। 
डॉली का चेहरा शरम से सुर्ख हो गया था। चेतन का भी मुझे पता था कि वो ऊपर से तो संकोच दिखा रहा है.. लेकिन अन्दर से वो अपनी बहन के पेट को छूना ज़रूर चाहता है।
लेकिन चंद लम्हों के बाद मैंने चेतन के हाथ पर से अपना हाथ हटाया तो फिर भी चेतन ने कुछ देर तक के लिए अपना हाथ डॉली के पेट पर ही पड़ा रहने दिया।
उस रात को मेरी आधी रात को आँख खुली तो मुझे टॉयलेट जाने की ज़रूरत पड़ी। मैं अपनी जगह से उठी और उन दोनों बहन-भाई के बीच में से निकली और उठ कर वॉशरूम में चली गई।
Reply
05-24-2019, 12:05 PM,
#18
RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
जब मैं वापिस आई तो अचानक ही मेरे ज़हन में एक ख्याल आया। मैंने डॉली को देखा.. तो वो गहरी नींद में थी। मैंने आहिस्ता से उसे करवट दी तो वो घूम कर बिस्तर पर मेरी वाली जगह पर अपने भाई चेतन के क़रीब आ गई।
मैं मुस्कराई और डॉली को अपनी जगह पर करके खुद उसकी वाली जगह पर लेट गई। 
अब मुझे सोना नहीं था बल्कि आगे जो होने वाला था.. उसका इंतज़ार करना था।
थोड़ी देर के बाद वो ही हुआ जिसका अन्दाजा था.. चेतन ने करवट बदली और डॉली की तरफ मुँह कर लिया। लेकिन उसे नहीं पता था कि वहाँ पर मैं नहीं.. बल्कि उसकी अपनी बहन डॉली लेटी हुई है। इसलिए उसने अपनी नींद में ही आदत के मुताबिक़ ही अपना बाज़ू डॉली के ऊपर डाला और उसे बाँहों में भरते हुए अपने क़रीब खींच लिया.. जैसे कि वहाँ पर डॉली नहीं बल्कि मैं हूँ।
मैं धीरे से मुस्कराई और डॉली को थोड़ा और आगे को पुश कर दिया।
अब डॉली की चूचियाँ चेतन के सीने के साथ चिपक गई थीं लेकिन अभी तक दोनों बहन-भाई नींद में ही थे अगरचे दोनों एक-दूसरे से चिपके हुए थे। 
मैंने अपना हाथ डॉली के ऊपर से आगे बढ़ाया और चेतन के पजामे के ऊपर से ही उसका लंड पकड़ कर आहिस्ता आहिस्ता सहलाने लगी।
मैं चेतन के लंड को खड़ा करना चाहती थी और नींद में ही चेतन का लंड आहिस्ता आहिस्ता खड़ा होने लगा। 
जैसे ही चेतन का लंड खड़ा हुआ.. तो उसने अपनी एक टाँग भी डॉली की जाँघों के ऊपर डाली और अपना लंड उसकी जाँघों के दरम्यान घुसाते हुए उससे चिपक गया। 
मैं मुस्कराई और अपना हाथ पीछे खींच लिया। मेरा काम काफ़ी हद तक हो चुका था।
चेतन का इस तरह से डॉली को अपने साथ चिपकाने और दबाने की वजह से डॉली की आँख खुल गई। 
जैसे ही वो थोड़ा सा कसमसाई तो मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं और थोड़ी सी आँख खोल कर उसे देखने लगी।
डॉली ने जल्दी से करवट ली और सीधी होकर मेरी तरफ देखने लगी कि यह कैसे हुआ है कि वो मेरी जगह पर है। लेकिन मैं सोती हुई बन गई। 
वो हैरत से मेरी तरफ देख रही थी.. फिर उसने आहिस्ता से अपने भाई का हाथ अपने जिस्म पर से उठाया और पीछे कर दिया। अब वो बिल्कुल सीधी लेटी हुई थी और थोड़ी सी कन्फ्यूज़ लग रही थी। चेतन के खर्राटों की आवाज़ अभी भी आ रही थी।
दोबारा थोड़ी देर में वो ही हुआ जिसकी चेतन को आदत पड़ी हुई थी। उसने दोबारा अपना हाथ फैलाया और डॉली के सीने पर रख कर इस बार उसकी छोटी सी चूची को अपनी हाथ में ले लिया। डॉली ने घबरा कर पहले चेतन की तरफ देखा और फिर मेरी तरफ.. लेकिन जब उसे तसल्ली हो गई कि हम दोनों ही सो रहे हैं और किसी को भी होश नहीं है।
डॉली की चूची के ऊपर उसके भाई का हाथ था.. जिसने मुठ्ठी में अपनी बहन की चूची को लिया हुआ था। डॉली ने आहिस्ता से अपना हाथ अपने भाई के हाथ पर रखा और उसे पीछे को हटाने लगी। एक लम्हे के लिए यूँ अपनी चूचियों पर किसी का टच उसे भी अच्छा ही लगा था.. लेकिन फिर उसने अपने भाई का हाथ हटा दिया।
लेकिन अभी एक मुसीबत और भी तो थी ना.. चेतन का अकड़ा हुआ लंड उसकी जाँघों से लड़ रहा था। डॉली थोड़ी सी मेरी तरफ सरकी और मेरी तरफ करवट लेकर लेट गई.. मुझे थोड़ी मायूसी हुई। 
अब डॉली का रुख़ मेरी तरफ था। उसने अपना बाज़ू मेरे पेट पर रखा और मुझे अपने आगोश में लेकर के लेट गई। लेकिन अगले ही लम्हे वो उछल ही पड़ी। मैं भी हैरान हुई और फिर थोड़ा सा देखा.. तो चेतन अपनी नींद में अपनी टाँग डॉली के चूतड़ों के ऊपर ला चुका हुआ था और ज़ाहिर है कि उसका लंड पीछे से आकर कर डॉली की गाण्ड में घुस गया हुआ था। जैसे कि वो मेरी गाण्ड में पीछे से घुसा देता था। 
अभी भी उसे यही पता था कि वो अपनी बीवी के साथ ही है.. क्योंकि अगर उसे पता चल जाता कि यह मैं नहीं.. उसकी बहन है.. तो वो ज़रूर पीछे हो चुका होता।
मैंने देखा कि मेरे पेट के ऊपर रखा हुआ डॉली का हाथ पीछे को गया.. तो मेरी चूत ही जैसे पानी छोड़ गई। 
ज़ाहिर है कि डॉली ने पीछे हाथ ले जाकर अपने भाई का लंड पीछे को करने की कोशिश की थी.. लेकिन उसका हाथ काफ़ी देर तक वापिस नहीं आया था।
शायद वो अपने भाई के लंड को फील कर रही थी।
फिर उसने अपना हाथ वापिस आगे किया और मेरे पेट पर रख कर मुझे हिलाते हुए आवाज़ देने लगी- भाभी.. भाभी.. उठो मैं डॉली..
मैंने जैसे नींद में आँखें खोलीं और बोली- हाँ.. क्या मसला है.. इतनी रात को क्यों जाग रही हो?
वो बोली- भाभी.. यह मैं आपकी जगह पर कैसे आ गई हूँ? 
मैंने अब आँखें खोलीं और बोली- अरे यार मैं बाथरूम में गई थी.. वापिस आई तो तुम घूमती हुई मेरी जगह पर पहुँची हुई थीं.. तो मैं यहीं पर तुम्हारी जगह पर लेट गई।
वो बोली- अच्छा भाभी.. चलो आप वापिस आओ अपनी जगह पर..
मैंने नींद में होने की एक्टिंग ही करते हुए दूसरी तरफ करवट ली और बोली- सो जा यार.. क्यों मेरी भी नींद खराब कर रही हो। 
Reply
05-24-2019, 12:05 PM,
#19
RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
डॉली बेबस होकर वहीं लेटी रह गई। लेकिन अब वह मेरे साथ और भी चिपक गई ताकि उसके भाई से उसका फासला हो जाए।
फिर मैंने डॉली को सीधी होते हुए महसूस किया। लेकिन अगले ही लम्हे मुझे अपनी कमर के पास चेतन का हाथ महसूस हुआ। मेरे चेहरे पर मुस्कराहट आ गई.. क्योंकि एक बार फिर से उसका हाथ अपनी बहन की चूचियों पर आ चुका हुआ था।
थोड़ी ही देर में मुझे डॉली की आवाज़ सुनाई दी- भाई… उठो जरा.. यह मैं हूँ.. भाभी नहीं हैं..
फिर मुझे चेतन की बौखलाई सी आवाज़ सुनाई दी- अरे तू यहाँ कैसे आ गई.. और तेरी भाभी कहाँ है?
डॉली आहिस्ता से बोली- भैया वो उधर चली गई हुई हैं।
फिर चेतन की आवाज़ आई- सॉरी डॉली.. मैं समझा था कि अनीता है। 
इसके साथ ही चेतन ने दूसरी तरफ करवट ली और दोबारा से सोने लगा। लेकिन मैं जानती थी कि दोनों बहन-भाई को काफ़ी देर तक नींद आने वाली नहीं थी।
मुझे यह भी पता था कि अब कुछ और नहीं होगा.. इसलिए मैंने भी अपनी आँखें मूँदीं और सो गई।
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

सुबह जब मेरी आँख खुलीं तो दोनों बहन-भाई पहले ही उठ चुके हुए थे। मैं भी उठ कर बाहर आई और नाश्ता तैयार करने लगी।
जब मैंने नाश्ता टेबल पर लगाया और दोनों बहन-भाई को बुलाया तो मैंने महसूस किया कि वो दोनों एक-दूसरे से नजरें नहीं मिला पा रहे थे।
डॉली के चेहरे पर शर्म की लाली थी.. उसकी नजरें शरम से नीचे झुकी हुई थीं और चेतन भी अपनी नजरें चुरा रहा था और शर्मिंदा सा लग रहा था।
थोड़ी ही देर में वो दोनों घर से चले गए।
चेतन दोपहर में ही घर आ गए, उनके दफ्तर में किसी कारण से छुट्टी हो गई थी..
कुछ देर बातचीत होने के बाद चेतन कमरे में आराम करने चले गए।
मैंने और डॉली ने भी इस गरम दोपहर में एसी में सोने का सोचा और मैं और डॉली बिस्तर पर आकर लेट गई पर मुझे नींद नहीं आने वाली थी तो मैंने चेतन की तरफ देखा, वो आँखें मूंदे लेटे हुए थे।
फिर मैंने डॉली की ओर देखा, उसकी आँखें भी बंद हो गई थीं। मुझे नहीं पता था कि वो सो रही है या जाग रही है लेकिन एक बात पक्का थी कि चेतन अभी तक जाग रहा था।
मैं भी आँख बन्द करके सोने का ड्रामा करने लगी..
तभी मैंने देखा कि चेतन ने अपना हाथ मेरे ऊपर से होता हुआ डॉली की नंगी बाज़ू के ऊपर रख दिया और आहिस्ता-आहिस्ता उसकी बाज़ू को सहलाने लगा।
मेरी पीठ चेतन की तरफ ही थी.. इसलिए मुझे उसका लंड अकड़ता हुआ महसूस हो रहा था.. जो कि मेरी गाण्ड में चुभ रहा था। 
अचानक ही डॉली ने करवट बदली और दूसरी तरफ मुँह करके लेट गई। चेतन ने फ़ौरन ही अपना हाथ पीछे खींच लिया.. लेकिन ज्यादा देर तक चेतन खुद को ना रोक सका। 
Reply
05-24-2019, 12:05 PM,
#20
RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
अब डॉली की कमर हमारी तरफ थी, उसकी शर्ट के नीचे पहनी हुई उसकी काली ब्रेजियर साफ़ नज़र आ रही थी।
थोड़ी देर इन्तजार करने के बाद चेतन ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और अपनी एक उंगली डॉली की ब्रेजियर के हुक पर फेरने लगा।
यह सब देख कर मेरी चूत गीली होती जा रही थी।
चेतन डॉली की ब्रेजियर के हुक्स और स्ट्रेप्स पर अपनी ऊँगली फेरने लगा और धीरे-धीरे उनको महसूस कर रहा था। 
चेतन का खड़ा हुआ लंड पीछे से मेरी गाण्ड में घुस रहा था। अब मुझसे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था। मैं चेतन को थोड़ा और तड़फाना चाहती थी और उसे यहीं तक ही रोक लेना चाहती थी इसलिए मैंने नींद का नाटक ही करते हुए करवट ली और चेतन से लिपट गई।
अब मैं चेतन को आवाज करते हुए चूमने लगी.. चेतन भी अब जल्दी से सीधा होकर सम्भल कर लेट गया। 
तभी डॉली उठी और कमरे से बाहर निकल गई जिससे मुझे समझ आ गया कि ये भी जागते हुए ही चेतन का हाथ महसूस कर रही थी।
कुछ देर बाद में उठने के बाद मैं जब रसोई में गई तो डॉली भी वहीं थी।
मुझे देख कर बोली- भाभी यह आप कमरे में क्या हरकतें कर रही थीं?
मतलब अब वो ये जाहिर कर रही थी या शायद उसे नहीं मालूम था कि उसकी ब्रेजियर में कौन ऊँगली कर रहा था।
मैंने भी हँसते हुए उसकी बात को घुमा दिया और बोली- मैं कर रही थी या तुम्हारे भैया.. वो ही तो मुझे तंग कर रहे थे।
मैंने जानबूझ कर ऐसी बात बोली ताकि यह साफ़ हो सके कि वो किसके बारे में ये सब कह रही थी।
डॉली भी समझ गई और उसने भी बात को घुमाते हुए थोड़ा शरमाती हुए बोली- लेकिन आपको इतना शोर तो नहीं मचाना चाहिए था ना.. 
मैं हँसने लगी और अब मैंने भी बात को अपने ऊपर ही लेने के इरादे से कहा- यार तुझे क्या पता.. मियाँ-बीवी में इस तरह के खेल चलते ही रहते हैं.. ऐसे ना करो तो ज़िंदगी में मज़ा ही कहाँ आता है।
डॉली- लेकिन भाभी.. आपको कुछ तो ख्याल करना चाहिए ना..
मैं हंस कर बोली- यार तेरे भैया ने ख्याल करने का मौका ही नहीं दिया.. इसलिए तो मैं चिल्ला रही थी और तुझे अपनी मदद के लिए बुला रही थी.. लेकिन तूने भी आकर मेरी कोई मदद नहीं की और वैसे ही भाग गई।
डॉली शर्मा कर बोली- मैं भला क्या मदद कर सकती थी आपके.? आप दोनों मियां-बीवी का मामला है.. मैं क्यों बीच में रुकावट बनती। 
हम दोनों हँसने लगे और फिर चाय बना कर रसोई से बाहर आ गए और हम तीनों चाय उसी बेडरूम में बैठ कर पीने लगे। 
उस रात जब हम लोग सोने के लिए लेटे.. तो जल्दी ही चेतन ने दूसरी तरफ करवट ले ली और बोला- अब मैं सो रहा हूँ..
मैं भी खामोशी से डॉली की तरफ करवट लेकर लेट गई। 
थोड़ी देर हम दोनों ने बातचीत की और फिर हमारी भी आँख लग गई। अभी मेरी आँख लग ही रही थी कि कुछ पलों के बाद.. मुझे थोड़ी सी हलचल अपने पीछे महसूस हुई।
उसी के साथ.. चेतन का बाज़ू मेरे ऊपर आ गया। मैंने अपनी आँखें थोड़ी सी खोलीं तो देखा कि चेतन आहिस्ता-आहिस्ता डॉली के कन्धों पर हाथ फेर रहा था। 
मैं मन्द मन्द मुस्करा दी और उसकी हरकतों को देखने लगी, नींद तो मेरी फ़ौरन ही गायब हो गई।
चेतन का हाथ आहिस्ता आहिस्ता फिसलता हुआ डॉली के कंधे से नीचे को आने लगा। जैसे ही चेतन ने डॉली की चूची को छुआ.. मेरी चूत में एक करेंट सा दौड़ गया।
बहुत ही आहिस्ता से चेतन ने अपना हाथ डॉली की चूची पर रखा और कुछ देर तक अपना हाथ वैसे ही पड़ा रहने दिया। जब उसने देखा कि डॉली के जिस्म में कोई हरकत नहीं हुई.. तो उसे यक़ीन हो गया कि वो सो रही है। 
चेतन ने आहिस्ता आहिस्ता अपने हाथ को हरकत देते हुए अपनी बहन डॉली की चूची को सहलाना शुरू कर दिया।
मेरी चूत यह मंज़र देख कर गीली होती जा रही थी कि एक भाई अपनी सोई हुई बहन की चूचियों को सहला रहा है।
मैं देख रही थी कि चेतन अपने पूरे हाथ में उसका पूरे का पूरा चीकू ले लिया और अब वो आहिस्ता-आहिस्ता उसे दबा रहा था। 
डॉली की छोटी सी चूची उसकी मुठ्ठी में आराम से पूरी आ रही थी.. लेकिन डॉली को शायद कोई होश नहीं था.. क्योंकि वो सोई हुई थी।
थोड़ी देर में चेतन का हाथ थोड़ा सा ऊपर को गया और उसने अपना हाथ डॉली के सीने के नंगे हिस्से पर रख दिया और अपनी उंगली आहिस्ता आहिस्ता उसकी नंगी छाती पर गले के नीचे फेरने लगा। 
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,301,294 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 522,435 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,151,663 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 872,298 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,543,026 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 1,987,496 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,797,910 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,519,868 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,827,067 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 266,306 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 14 Guest(s)