Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
05-24-2019, 12:05 PM,
#21
RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
मेरे पीछे चेतन अपनी कोहनी के बल उठ चुका हुआ था और बड़े आराम से अपनी बहन की चूचियों और जिस्म पर हाथ फेर रहा था।
कभी उसके हाथ अपनी बहन की चूचियों को सहलाने लगते और कभी उसके पेट के ऊपर हाथ फेरने लगता। फिर चेतन ने थोड़ा सा और ऊपर होकर मेरे ऊपर से झुकते हुए अपनी बहन के गाल पर एक किस कर ली, हाथ तो चेतन अपनी बहन की चूचियों और जिस्म पर घूम रहा था लेकिन वो अपना लंड मेरे अन्दर ठोकता जा रहा था।
मुझे भी इससे मज़ा ही आ रहा था।
वैसे भी पिछले कुछ रोज़ से मैं चेतन के साथ छेड़-छाड़ करके उसे उत्तेजित तो कर ही देती थी.. लेकिन उसे अपनी चूत दिए हुए मुझे 15 दिन से ऊपर हो चुके थे, इसलिए भी वो इतना बेक़ाबू हो रहा था।
डॉली की चूची दबाते दबाते शायद चेतन ने जज़्बाती होकर कुछ ज्यादा ही मसक दिया था.. जिसकी वजह से डॉली थोड़ा सा कसमासाई और फिर उसने मेरी तरफ करवट ले ली। 
जैसे ही डॉली हिली तो चेतन ने फ़ौरन ही अपना हाथ पीछे खींच लिया और दूसरी तरफ मुँह कर करते हुए लेट गया। 
तभी मैंने अपनी आँखें हल्की सी खोल कर देखा तो देखा कि डॉली ने आहिस्ता आहिस्ता अपनी आँखें पूरी खोल ली हैं और मेरी तरफ देख रही है। 
फिर उसने थोड़ा सा ऊपर होकर अपने भाई की तरफ देखा और धीरे से मुस्करा कर फिर लेट गई, उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी और आँखें खुली हुई थीं। 
मैं दिल ही दिल मैं सोच रही थी कि क्या डॉली को भी पता था कि उसका भाई उसकी चूचियों को दबा रहा है। 
अगर ऐसा था तो उसने कोई ऐतराज़ क्यों नहीं किया और अगर उसने सब कुछ जानते हुए भी कोई ऐतराज़ नहीं किया तो फिर तो यह मेरी बहुत बड़ी कामयाबी थी कि मैं दोनों बहन-भाई को इतना क़रीब लाने में कामयाब हो गई थी और मैं अपनी इस कामयाबी पर दिल ही दिल में बहुत खुश हो रही थी।
अगली शाम डॉली ने मेरी कहने पर एक स्किन कलर की टाइट्स और टी-शर्ट पहन ले. टी-शर्ट उसके चूतड़ों को आधा ढांप रही थी लेकिन उसकी जाँघों की पूरी पूरी शेप और टाँगें उस टाइट्स में बिल्कुल साफ़ दिख रही थीं।
डॉली बहुत ही सेक्सी लग रही थी.. जैसे ही चेतन ने उसे देखा तो उसकी चेहरे पर मुस्कराहट फैल गई। 
डॉली की नज़रें उससे टकराईं तो डॉली ने शर्मा कर अपना सिर झुका लिया। मैं देख रही थी कि जिधर-जिधर भी डॉली जा रही थी.. चेतन की नजरें उसी के जिस्म पर रह रही थीं। ऊपर टाइट टी-शर्ट में उसकी चूचियाँ बिल्कुल फंसी हुई थीं और उसका गला भी थोड़ा डीप था.. जिसकी वजह से उसका खूबसूरत गोरा-चिकना सीना भी काफ़ी खुला सा नज़र आ रहा था। लेकिन चूचियाँ या क्लीवेज तो नहीं दिख सकता था। सोने के वक़्त तक भी डॉली अपने जिस्म की जलवे बिखेरती रही और अपने भाई पर अपनी हुस्न की बिजलियाँ गिराती रही। 
रोज़ की तरह आज भी सोने के लिए मैं और चेतन पहले ही कमरे में आ गए।
अब जो आग डॉली ने अपने भाई के जिस्म और दिमाग में लगाई थी.. उसकी वजह से चेतन ने अन्दर आते ही मुझे खींचा और अपने सीने से लगा लिया। 
मैंने भी कोई मज़ाहमत नहीं की और उसे और भी गर्म करने के लिए उससे लिपट गई और उसके बोसे का जवाब बोसे से देने लगी।
नीचे मैंने उसके बरमूडा में हाथ डाला और उसका लंड पकड़ लिया.. जो धीरे-धीरे मेरे हाथ में फूलने लगा। मैं भी उसके लण्ड को अपने हाथ में दबाते हुए आगे-पीछे करते हुए और भी खड़ा करने लगी। 
चेतन बोला- जान जल्दी से एक बार चोद लेने दो ना..
मैंने कहा- नहीं… अभी नहीं.. तुम्हारी बहन ने आ जाना है।
चेतन बोला- नहीं.. तुम थोड़ी देर के लिए सिटकनी लगा कर आओ। 
मैंने उसके लण्ड को सहलाते हुए कहा- नहीं.. जब वो सो जाएगी.. तो तुम खामोशी से जो भी करना चाहो.. मेरे पीछे लेटे-लेटे कर लेना।
आख़िर में चेतन मान गया। 
तभी दरवाज़ा खुला और डॉली अन्दर आई.. तो उसे देख कर हम दोनों अलग हो गए। जैसे ही डॉली बिस्तर के क़रीब आई.. तो मैं फ़ौरन ही उसकी जगह पर होकर लेट गई और बोली- डॉली आज तुम दरम्यान में सोओगी। 
डॉली चौंकी और हैरान होकर बोली- लेकिन क्यों भाभी?
चेतन भी हैरत से मेरी तरफ देख रहा था।
मैं मुस्कुराई और हँसते हुए बोली- तुम्हारे भैया.. मुझे बहुत तंग करते हैं.. इसलिए आज मैं इस तरफ सोऊँगी और तुमको दरम्यान में सोना पड़ेगा। 
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05-24-2019, 12:06 PM,
#22
RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
डॉली का चेहरा सुर्ख हो गया.. लेकिन मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसे घसीटा और उसे अपने और चेतन के दरम्यान अपनी वाली जगह पर लिटा दिया।
डॉली के चेहरे पर ऊहापोह और घबराहट के साथ शरम के आसार साफ़ नज़र आ रहे थे.. और वो मेरी तरफ देख रही थी।
मैं मुस्करा कर बोली- थैंक्यू माय डियर ननद..
मैंने महसूस किया था कि चेतन के चेहरे पर पहले वाली मायूसी के बाद अब थोड़ी उत्तेजना आ गई थी।
आज इस नई स्थितियों की वजह से हम में से कोई भी बोल नहीं रहा था। 
मैंने ही थोड़ी सी बातें कीं और उन दोनों ने ‘हूँ.. हाँ..’ में जवाब दिया।
फिर मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं। 
हमारा बिस्तर इतना बड़ा नहीं था कि हम सब लोग एक-दूसरे से दूर-दूर होकर सो सकें.. इसलिए डॉली का जिस्म अपने भाई के जिस्म से टच कर रहा था।
मेरी देखते ही देखते डॉली ने भी आँखें बंद कर लीं और शायद इस सारी सूरते-हाल को हज़म करने की कोशिश करते हुए सोने लगी। 
लेकिन उसके जिस्म से टच होता हुआ उसके भाई का जिस्म भी उसे शायद बेचैन कर रहा था। 
ज़ाहिर है कि मैं सो नहीं रही थी और चेतन के हरकत में आने का इन्तजार कर रही थी। कुछ ही देर गुज़री कि वो ही हुआ जिसका मुझे इन्तजार था।
चेतन ने अपनी बहन की तरफ करवट ली और आहिस्ता से अपना हाथ उठा कर डॉली के पेट पर रख दिया। 
मेरी नज़र फ़ौरन ही डॉली के चेहरे की तरफ गई। मैंने महसूस किया कि उसके चेहरे के हाव-भाव एकदम से थोड़े से चेंज हो गए.. लेकिन फ़ौरन ही उसने दोबारा से अपनी चेहरे को सपाट कर लिया। अब वो खुद को संम्भालते हुए दोबारा से आँखें बंद करके पड़ी रही। 
मेरे जिस्म के पास पड़े हुए उसके हाथ में मुझे थोड़ी सी हरकत सी भी फील हुई थी.. जैसे की एकदम किसी के छूने से वो उसका जिस्म काँप उठा हो।
मैं दिल ही दिल में मुस्करा उठी। 
चेतन का हाथ कुछ देर के लिए एक ही जगह पर डॉली के पेट के ऊपर पड़ा रहा। फिर आहिस्ता आहिस्ता उसका हाथ हिलने लगा और उसने अपने हाथ को अपनी बहन के पेट के ऊपर हौले-हौले हरकत देते हुए उसके पेट को उसकी शर्ट के ऊपर से सहलाना शुरू कर दिया।
चेतन का हाथ आहिस्ता आहिस्ता अपनी बहन के पेट पर हरकत कर रहा था और उसके चेहरे के हाव-भाव बदल रहे थे.. लेकिन उसकी आँखें अभी भी बंद थीं।
पेट पर हाथ फेरने की बाद चेतन ने अपना हाथ थोड़ा सा नीचे लिए जाते हुए डॉली की जांघ पर रख दिया। डॉली की जाँघें उसकी चुस्त लैगी में फंसी हुई थीं।
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डॉली के जिस्म से चिपकी हुई उसकी चमड़ी के रंग की लेग्गी ऐसी ही लग रही थी.. जैसे कि उसकी चमड़ी ही हो। चेतन ने अपना हाथ आहिस्ता आहिस्ता डॉली की जाँघों पर फिराना शुरू कर दिया और उसकी जाँघों को सहलाने लगा।
चेतन का हाथ नीचे उसके घुटनों तक जाता और फिर ऊपर को आ जाता। उसे अपनी बहन की जाँघों पर हाथ फेरने में शायद बहुत ही अच्छा लग रहा था। 
मैंने भी महसूस किया कि वो थोड़ा सा ऊपर को उठा और उसने बहुत ही आहिस्ता से डॉली के गाल की तरफ अपनी मुँह कर बढ़ाया और उसके गोरे-गोरे गाल को चूम लिया। 
मैं यह सब कुछ अपनी अधखुली आँखों से देख रही थी। एक भाई को इस तरह से अपनी बहन के जिस्म से मजे लेते हुए और उसे किस करते हुए देख कर मेरी अपनी चूत भी गीली हो रही थी।
अब मेरा ख्वाहिश हो रही थी कि जल्दी से चेतन अपनी बहन की चूत को छुए लेकिन मुझे लग रहा था कि वो इस हद तक जाने से डर रहा है।
चेतन ने थोड़ा सा ऊपर होकर अब मेरी तरफ देखा और फिर उसका हाथ अपने पजामे की ऊपर से ही अपने खड़े हुए लंड पर चला गया। उसने अपने लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया और आहिस्ता आहिस्ता अपने लंड को डॉली की रानों के साथ रगड़ने लगा। 
मेरा दिल कर रहा था कि जल्दी से अपनी चूत को अपने हाथ से सहलाते हुए उसे ठंडा करना शुरू करूँ.. लेकिन मैं चेतन के सामने खुद को एक्सपोज़ करके उसे शर्मिंदा नहीं करना चाहती थी कि उसे पता चले कि उसकी बीवी को पता चल गया है कि वो अपनी ही सग़ी बहन को इस तरह से छू रहा है।
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एक बात का मुझे थोड़ा-थोड़ा यक़ीन होता चला जा रहा था कि हो ना हो.. डॉली भी जाग रही है और अपने भाई के अपने जिस्म पर टच करने का मज़ा ले रही है।
वो भी शायद अपनी झिझक और शर्म की वजह से ही उसे रोक नहीं पा रही थी। 
जब डॉली को अहसास हुआ कि उसका भाई हद से गुज़रता जा रहा है.. तो उसने इससे बचने के लिए एकदम अपना रुख़ बदला.. और मेरी तरफ करवट ले ली। अब उसने मेरे ऊपर अपनी बाँहें डाल लीं। 
इस अचानक हुई हरकत से चेतन भी थोड़ा बौखला गया और फ़ौरन ही पीछे हट कर लेट गया। 
लेकिन मुझे पता था कि इस वक़्त चुस्त लैगी में डॉली के खूबसूरत चूतड़ चेतन के बिल्कुल सामने होंगे और उसके लिए खुद को रोकना मुश्किल होगा।
उसे छूने से जैसे ही डॉली ने मुझे हग किया.. तो मुझे उसका नर्म ओ मुलायम जिस्म इस क़दर प्यारा लगा कि मैंने भी फ़ौरन ही उसे हग कर लिया और खुद भी उससे चिपक गई।
अब चेतन के लिए कुछ और कर पाना मुश्किल था.. शायद इसलिए उसने भी जल्दी से दूसरी तरफ करवट ले ली और जल्द ही सो गया। 
अगले दिन जब मैं सुबह नाश्ता बना रही थी तो डॉली रसोई में आई।
मैंने ऐसे ही उसे तंग करने के लिए कहा- रात को कब सोई थी तुम? 
मेरी बात सुन कर डॉली घबरा गई और थोड़ा हकलाकर बोली- भाभी… आपके साथ ही तो आँख लग गई थी मेरी.. कककक.. क्यों पूछ रही हो आप यह?
मैंने उसे आँख मारी और बोली- इसलिए पूछ रही हूँ कि तेरे भैया ने तुझे तो तंग नहीं किया रात को? 
मेरी बात सुनते ही डॉली के चेहरे का रंग ही उड़ गया और उसकी आँखें फैल गईं।
फिर वो बोली- भाभी भला मुझे भैया क्यों तंग करेंगे? 
मैं मुस्कराई और उसके गोरे-गोरे चिकने लाल होते हुए गाल पर एक चुटकी लेते हुए बोली- इसलिए तो मैंने तुझे दरम्यान में अपनी जगह पर सुलाया था.. मैं होती तेरी जगह.. तो सारी रात ही मुझे तंग करते रहते तेरे भैया..
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05-24-2019, 12:06 PM,
#23
RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
डॉली कुछ सोच मैं डूबी हुई थी जैसे याद कर रही हो कि कैसे उसके भाई ने रात को उसके जिस्म को टच किया था।
मैंने उससे कहा- अरे किस सोच में डूब गई हो.. तैयारी करो.. कॉलेज नहीं जाना क्या? 
मेरी बात सुन कर उसे तो जैसे मौका मिल गया तो वो फ़ौरन ही रसोई से भाग गई। नाश्ते की टेबल पर दोनों आए तो डॉली की नजरें आज भी नीचे को झुकी हुई थीं और हमेशा की तरह चेतन की नज़र उसके जिस्म पर ही बहक रही थी।
डॉली ने अपना कॉलेज का सफ़ेद यूनिफॉर्म पहना हुआ था और शर्ट के नीचे उसने ब्लैक ब्रेजियर पहन रखी थी। अभी उसने दुपट्टा नहीं लिया हुआ था।
जब वो उठ कर रसोई की तरफ गई तो चेतन की नज़र फ़ौरन ही उसकी पीछे गई उसकी बैक पर उसकी ब्लैक ब्रा की स्ट्रेप्स और हुक्स पर गई.. जो बिल्कुल साफ़ नज़र आ रही थी। 
चेतन की प्यासी नजरें देख कर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। जब वो दोनों बाइक पर जाने लगे.. तो मैं हमेशा की तरह उन दोनों को सी-ऑफ करने की लिए गेट पर ही थी।
मैंने महसूस किया कि डॉली आज अपने भाई के पीछे बैठती हुई थोड़ा झिझक रही थी। ज़ाहिर है कि उसे याद आ गया था कि रात को उसका भाई उसके जिस्म को कैसे-कैसे छू रहा था। 
मैं उन दोनों की हालत पर मुस्करा रही थी। फिर आख़िर डॉली चेतन के पीछे बैठे और दोनों निकल गए।
दोपहर को चेतन से पहले ही डॉली जल्दी कॉलेज से वापिस आ गई। आज मैंने सोच रखा था कि इसे इसके भाई की सामने कुछ और एक्सपोज़ करना है। इसलिए जैसे ही वो अपने कमरे में अपना यूनिफॉर्म चेंज करने की लिए जाने लगी.. तो मैंने उसको कहा- ठहरो.. मैं अभी आती हूँ। 
मैं अपने कमरे में गई और उसके भाई का एक बरमूडा और अपनी एक स्लीबलैस टी-शर्ट उठा लाई और बोली- डॉली.. आज से तुम घर में यह भी पहना करोगी.. देखो ना कितनी गर्मी है..
डॉली ने हैरत से उस बरमूडा की तरफ देखा और बोली- भाभी मैं यह कैसे पहन सकती हूँ.. वो भी भैया की सामने।
मैं बोली- अरे इसमें शरमाने वाली कौन सी बात है.. देखो तो मैंने भी तो रात से यही पहना हुआ है और वैसे भी हमारे घर पर कौन से कोई मेहमान आते हैं जो हमें फिकर होगी।
डॉली- लेकिन.. भाभीईई..
मैं- लेकिन वेकिन कुछ नहीं.. बस मुझे नहीं पता.. अगर नहीं पहना ना मेरी मर्ज़ी के मुताबिक़.. तो इसे फेंक दो सोफे पर.. और अपनी मर्ज़ी का पहन लो जो पहनना है.. लेकिन फिर मुझसे बात ना करना तुम..
यह कह कर मैं मुड़ी और रसोई की तरफ बढ़ी।
मैंने भावुक होते हुए अपना तीर चलाया और मेरी उम्मीद के मुताबिक़ मेरा तीर लगा भी ठीक निशाने पर..
डॉली ने फ़ौरन ही आगे बढ़ कर मुझे पीछे से हग कर लिया और अपनी बाँहें मेरे गले में डाल कर पीछे से अपना मुँह आगे लाते हुए मेरे गाल को किस किया और बोली- मैं अपनी प्यारी सी भाभी को कैसे नाराज़ कर सकती हूँ.. अरे भाभी तू कहे तो मैं कुछ भी नहीं पहनूंगी.. लेकिन तू मुझसे नाराज़ ना होना।
मैंने मुस्करा कर डॉली की बालों में हाथ फेरा और बोली- यह हुई ना मेरी प्यारी सी ननद वाली बात.. सच में डॉली तू तो बहुत ही प्यारी और मासूम है.. हाँ.. तू मेरी मासूम सी ननद है मेरी जान..
मैं दिल ही दिल में अपने शैतानी खेल पर मुस्कराती हुई रसोई में आ गई और डॉली चेंज करने के लिए अपने कमरे की तरफ बढ़ गई।
कुछ देर के बाद डॉली अपने कमरे से मेरा दिया हुआ लिबास पहन कर मेरे पास रसोई में आई तो बहुत ही शर्मा रही थी। मैंने उसे देखा तो हमेशा की तरह उससे मज़ाक़ करने की बजाए उसको उत्साहित करने लगी कि तुम सच में बहुत ही प्यारी लग रही हो।
डॉली ने अपने भाई वाला जो बरमूडा पहना था.. वो उसके घुटनों तक आ रहा था.. उससे नीचे उसकी गोरी-गोरी टाँगें बिल्कुल नंगी थीं.. बिल्कुल ही साफ़ गोरी-गोरी चिकनी टाँगें जिन पर एक भी बाल नहीं था.. मतलब किसी को भी उसकी चिकनी टाँगें देखते साथ ही मज़ा आ जाए।
ऊपर से उसने मेरी स्लीवलैस शर्ट पहन ली थी, यह शर्ट उसको काफ़ी ढीली थी, उसकी दोनों बाँहें बिल्कुल नंगी थीं, बिल्कुल गोरे और चिकने कन्धों पर उसकी ब्रेजियर की तनियाँ एकदम साफ़ नज़र आ रही थीं।
स्लीवलैस शर्ट होने की वजह से डॉली ने प्लास्टिक की पारदर्शी स्ट्रेप्स वाली ब्रेजियर पहन ली थी। ताकि कम से कम नज़र आ सकें… लेकिन कन्धों पर सब मर्दों की नजरें तो ब्रा की स्ट्रेप्स पर ही होती है ना..
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शर्ट की स्ट्रेप्स तो चौड़ी थीं.. लेकिन फिर भी थोड़ी सी भी चलने-फिरने के साथ ही वो पीछे को हट जाती थीं और ब्रेजियर की स्ट्रेप्स नजर आने लगती थीं।
मैंने बिना कुछ ज्यादा बात किए डॉली को काम पर लगा दिया.. ताकि उसे भी कोई अहसास ना हो। 
काम करते हुए डॉली आहिस्ता से बोली- भाभी वो भैया.. मेरा मतलब है कि वो भैया नाराज़ हो गए तो.. मुझे ऐसी ड्रेस में देख कर.. मेरा मतलब था!
मैं- अरे पगली तू तो इतनी प्यारी लग रही है.. तो तेरा भाई तुझे देख कर क्यों नाराज़ होगा.. कोई भी भाई अपनी बहन पर नाराज़ नहीं होता।
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05-24-2019, 12:06 PM,
#24
RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
शाम में जब चेतन घर आया तो खाने की टेबल पर पहुँचने तक उसकी मुलाक़ात डॉली से नहीं हो सकी। चेतन टेबल पर बैठा था और जैसे ही डॉली खाने की ट्रे लेकर आई तो चेतन की आँखें फटी की फटी रह गईं।
उसकी नजरें अपनी बहन की नंगी टाँगों पर जमी हुई थीं। जो कि उसके बरमूडा के नीचे बिल्कुल नंगी थीं। 
मैं चेतन की नज़रों को ही देख रही थी लेकिन शो ऐसा ही कर रही थी। जैसे कि मैं उन लोगों को नहीं देख रही होऊँ।
डॉली बुरी तरह से शर्मा रही थी और चेतन की नजरें न चाहते हुए भी अपनी बहन के जिस्म पर से नहीं हट पा रही थीं। कभी वो उसकी नंगी बाँहों को देखता और कभी चिकनी टाँगों को देखने लगता।
मैंने देखा कि डॉली के कन्धों पर उसकी ब्रेजियर के स्ट्रेप्स भी साफ़ नज़र आ रहे हैं।
डॉली ने बड़ी ही मुश्किल से खाना खाया.. मैं इधर-उधर की बातों से उसकी तवज्जो हटाने की कोशिश करती रही लेकिन वो अपनी ड्रेस में बहुत ही परेशानी महसूस कर रही थी।
खाने के बाद चेतन ने कुछ देर बैठ कर टीवी देखा.. रात हो रही थी तो वो अपने बेडरूम में सोने चला गया। 
मैंने रसोई से सामान समेटा और फिर चाय बना कर मैंने और डॉली ने पी। चाय पीने के बाद मैं उससे बोली- आओ एसी में सोने चलते हैं..
डॉली ड्रेस चेंज करने की कहना चाहती थी लेकिन कह ना पाई और खामोशी से मेरे साथ हमारे बेडरूम में आ गई।
हम दोनों कमरे में आए तो चेतन सो रहा था.. उसकी हल्के-हल्के खर्राटे कमरे में गूँज रहे थे।
लेकिन मुझे शक़ था कि वो सो नहीं रहा होगा.. लाजिमी है कि वो अपनी बहन के आने का इन्तजार कर रहा होगा।
कमरे में आकर मैंने दरवाजा बन्द किया और बिस्तर पर जाने की बजाए टॉयलेट में चली गई.. ताकि डॉली बिस्तर पर आराम से लेट सके और कुछ दिमाग की उलझन से मुक्त हो सके। 
थोड़ी देर बाद मैं बाथरूम से बाहर निकली तो डॉली अपनी ही वाली तरफ को लेटी हुई थी। मैंने बिस्तर के क़रीब आकर उसे आगे को होने को कहा.. पहले तो वो चुप रही.. फिर आहिस्ता से अपने भैया की तरफ सरक़ गई।
मुझे खुशी इस बात की थी कि अगर वो कल रात जाग रही थी और उसे अपने भाई के हाथों से खुद के जिस्म को छूने का पता चला था.. तो उसके बावजूद भी उसने अपने भाई के साथ लेटना क़बूल कर लिया था। शायद उसे भी इस खेल में कुछ मज़ा आने लगा था। 
ज़ाहिर है कि वो एक नौजवान झूबसूरत लड़की थी.. जिसे आज तक कभी भी किसी मर्द ने नहीं छुआ था और जब कोई उसे छू रहा था.. तो उसे उसका छूना अच्छा लग रहा था।
अब उसका बदन इस चीज़ को मानने के लिए तैयार नहीं था कि वो उसका भाई है.. तो यह गलत है।
लेकिन उसका दिमाग उसे अभी भी समझाता था.. जिसकी वजह से उसके अन्दर अभी भी थोड़ी झिझक बाकी थी। 
दूसरी वजह उसकी उस झिझक का कारण मैं थी। उसके ख्याल में मुझे इन सब बातों कुछ भी इल्म नहीं था.. और अगर इल्म हो जाएगा.. तो ऐसा लगता था कि इस बात का मैं बहुत बुरा मान जाऊँगी.. कि वो मेरे पति के साथ जिस्मानी मजा लेना चाह रही है। 
हालांकि उसे इस बात का इल्म नहीं था कि यह सारा गेम मेरा ही था.. जिस पर वो दोनों बहन-भाई ना चाहते हुए भी आगे बढ़ रहे थे और एक-दूसरे के क़रीब आते जा रहे थे.. बिना यह सोचे समझे कि यह एक गुनाह है.. और गलत बात है।
चेतन दूसरी तरफ मुँह करके लेटा हुआ था और डॉली बिल्कुल सीधी.. अपनी पीठ के बल लेटी हुई थी।
मैंने डॉली की तरफ करवट ली और उससे बातें करने लगी। हम दोनों ने बरमूडा ही पहना हुआ था और दूसरी तरफ चेतन ने भी अपना शॉर्ट्स पहन रखा था, हम दोनों की नंगी टाँगें एक-दूसरे से टच हो रही थीं। 
मैंने अपनी टाँग ऊपर करके डॉली की टाँग पर रखी और उसकी टाँग को आहिस्ता-आहिस्ता सहलाते हुए बोली- डॉली तुम्हारा जिस्म बहुत ही मुलायम है।
डॉली शरमाई और बोली- भाभी आप का भी तो ऐसा ही है..
मैं- डॉली जो भी लड़का तुम्हें हासिल करेगा ना.. वो बहुत ही लकी होगा..!
डॉली शर्मा कर बोली- क्या मतलब भाभी?
मैं- अरे तेरे जैसे खूबसूरत लड़की जिसको अपने नीचे लिटाने को मिलेगी.. उसकी तो समझो कि लॉटरी ही निकल पड़ेगी।
डॉली मेरी बात सुन कर शर्मा गई। मैं ऐसी बातें इसलिए कर रही थी ताकि अगर चेतन सो नहीं रहा है.. तो वो भी मेरी बातें सुन सके और मैं उसको उत्तेजित करने की लिए ऐसी बातें कर रही थी।
ऐसी उत्तेजित बातें करते समय मेरी खुद की चूत में रस निकलने लगा था।
ऐसी ही थोड़ी देर तक बातें करने के बाद मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं.. जैसे कि मैं सो गई हूँ। काफ़ी देर तक खामोशी रही.. मुझे नींद भला कहा आने थी। थोड़ी सी आँख खोल कर मैंने देखा तो डॉली की आँखें भी बंद थीं।
ऐसी ही क़रीब-क़रीब एक घंटा गुज़र गया.. तो मुझे डॉली की दूसरी तरफ चेतन हिलता हुआ महसूस हुआ। उसने जैसे नींद में ही करवट ली और सीधा अपनी बाज़ू और टांग को अपनी बहन के ऊपर रख दिया। 
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05-24-2019, 12:06 PM,
#25
RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
मैंने देखा की डॉली ने फ़ौरन ही आहिस्ता से आँखें खोलीं और सबसे पहले अपने भाई की तरफ देखा और फिर मेरी तरफ देख कर मेरा पक्का किया कि मैं सो रही हूँ या जाग रही हूँ। 
अपनी तसल्ली करके डॉली ने आराम से अपनी आँखें बंद कर लीं। मैं हैरान हुई कि उसने अपने भाई का बाज़ू या टांग हटाने की कोई कोशिश नहीं की। उसके भाई की बाज़ू उसकी चूचियों से बिल्कुल नीचे लगी पड़ी थी और टांग उसकी जाँघों पर थी। 
मैं समझ गई कि डॉली भी आज मजे लेने के चक्कर में है।
अब मेरी तरह से डॉली भी सोती हुई बनी हुई थी.. लेकिन उसे यह नहीं पता था कि मैं जाग रही हूँ। 
कुछ ही देर गुज़ारने के बाद मुझे चेतन के हाथ में हल्की-हल्की हरकत महसूस हुई। चेतन का अपनी बहन के जिस्म के ऊपर रखा हुआ हाथ आहिस्ता आहिस्ता हरकत में आ रहा था।
उसने आहिस्ता आहिस्ता अपना हाथ अपनी बहन की टी-शर्ट के ऊपर से ही उसके पेट पर फेरना शुरू कर दिया। 
जब उसे महसूस हुआ कि उसकी बहन के जिस्म में कोई भी हरकत नहीं हो रही है.. तो उसको यक़ीन हो गया कि वो सो रही है.. अब उसकी हिम्मत बढ़ चली और उसके हाथ का डॉली के सीने की पहाड़ियों पर चढ़ने का सफ़र शुरू हुआ।
चेतन ने आहिस्ता आहिस्ता अपने हाथ से डॉली की चूचियों के निचले हिस्से को छूना शुरू कर दिया। चेतन का हाथ अपनी बहन की चूचियों को नीचे से छू रहा था।
आहिस्ता आहिस्ता उसने अपने हाथ को हरकत देते हुए डॉली की चूचियों की ऊपर रख दिया और हाथ ऊपर रख कर वहीं पर कुछ देर के लिए ठहर गया।
जैसे वो डॉली की प्रतिक्रिया देखना चाह रहा हो। 
मुझे मज़ा आ रहा था.. लेकिन उससे बढ़ कर डॉली के संयम पर हैरत हो रही थी कि कैसे वो खामोश अपने चेहरे के हाव-भाव को कंट्रोल करके लेटी हुई है।
चेतन ने आहिस्ता आहिस्ता अपने हाथ को डॉली की चूचियों पर गोल-गोल घुमाना शुरू कर दिया। 
एक भाई के हाथ के नीचे उसकी बहन की चूची देख कर मेरी तो अपनी चूत गीली होने लगी थी। मेरा दिल कर रहा था कि मैं अपने हाथ अपनी चूत पर ले जाऊँ और अपनी चूत को सहलाने लगूँ लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकती थी।
डॉली ने जो शर्ट पहन रखी थी.. वो स्लीबलैस थी और उसका गला भी काफ़ी बड़ा था.. जिसमें उसकी सीने का काफ़ी हिस्सा साफ़ नंगा नज़र आता था। 
दोनों चूचियों पर हाथ फेरते हुए चेतन के हाथ आहिस्ता आहिस्ता डॉली के नंगे सीने पर आ गए और उसने अपनी उंगलियों को अपनी बहन के नंगे और गोरे-गोरे उठे हुए सीने पर रख दिए। 
अब आहिस्ता आहिस्ता वो अपना हाथ अपनी बहन के गले के नीचे छातियों पर फेरने लगा।
चेतन का हाथ आहिस्ता-आहिस्ता डॉली के सीने पर फिसलता हुआ मेरी तरफ को आने लगा और उसने अपना हाथ डॉली की शर्ट की स्ट्रेप्स को नीचे को सरका दिया और फिर वापिस अपना हाथ ऊपर की तरफ ले गया। 
डॉली के सीने पर हाथ फेरते हुए उसका हाथ आहिस्ता आहिस्ता नीचे को जाने लगा।
अब इस तरह लेटने की वजह से डॉली की चूचियों का क्लीवेज भी साफ़ नज़र आ रहा था। चेतन ने अपनी एक उंगली उस खूबसूरत क्लीवेज में घुसेड़ दी और आहिस्ता आहिस्ता उसे आगे-पीछे करने लगा।
चेतन की एक टाँग अभी तक डॉली की टाँगों पर ही थी।
अपनी बहन की चूचियों की क्लीवेज में कुछ देर अपनी उंगली फेरने के बाद मेरे पति ने अपने हाथ की बाक़ी उंगलियां भी आहिस्ता आहिस्ता डॉली की टी-शर्ट के अन्दर को घुसेड़ना शुरू कीं और अपना पूरा हाथ डॉली की चूचियों पर ले गया। 
अभी शायद वो डॉली की चूचियों पर उसकी ब्रा की ऊपर से ही हाथ फेर रहा था। उसका हाथ डॉली की ब्रेजियर के ऊपर से ही उसकी चूचियों को छू रहा था।
चेतन के हाथ डॉली की नंगी चूचियों को भी छू रहे थे.. जो कि उसकी ब्रा के आधे कप में से बाहर निकल रही थीं।
मेरी नज़र डॉली के चेहरे की तरफ गई.. तो उसकी आँखें हल्की-हल्की सी हिल-डुल रही थीं.. जैसे की वो खुद को पूर सुकून में रखने की कोशिश कर रही हो।
उस अँधेरे कमरे में जहाँ सिर्फ़ एसी की जलते-बुझते नंबर्स की बहुत ही मद्धिम सी रोशनी फैली हुई थी। उस रोशनी में कोई भी किसी की चेहरे के हाव-भाव नहीं देख सकता था। किसी को नहीं पता था कि दूसरा जाग रहा है.. या सो रहा है। 
हर कोई दूसरी को सोता हुआ ही समझ रहा था। हम तीनों के तीनों उस बिस्तर पर एक-दूसरे के क़रीब लेटे हुए भी जाग रहे थे लेकिन चेतन समझ रहा था कि मैं और डॉली दोनों सो रहे हैं। 
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05-24-2019, 12:06 PM,
#26
RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
डॉली मेरे सोए हुए होने की दुआएं कर रही थी और खुद भी सोने की एक्टिंग करते हुए अपने भाई को अपने जिस्म से खेलने का मौका दे रही थी।
ज्यादा देर तक अपना हाथ डॉली की शर्ट की अन्दर रखे बिना ही चेतन ने अपना हाथ उसकी शर्ट से बाहर निकाला और फिर बिस्तर पर उठ कर बैठ गया। 
मैंने फ़ौरन ही अपनी आँखें बंद कर लीं। चंद लम्हों के बाद मैंने देखा तो वो उठ कर बिस्तर के हमारे पैरों वाली साइड पर चला गया हुआ था और नीचे झुक कर आहिस्ता आहिस्ता अपनी बहन के गोरे-गोरे पैरों को चूमने लगा था।
वो डॉली के पैरों को नीचे और ऊपर से चूम रहा था। उसके पैरों को चूमते हुए धीरे-धीरे उसकी टाँगों पर आ गया और उसकी चिकनी और गोरी टाँगों पर हाथ फेरने लगा। 
फिर नीचे झुक कर अपने होंठ उसकी गोरी टाँगों पर रख दिए और उन मरमरी टाँगों को चूमने लगा।
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डॉली की नंगी टाँगों के पास ही मेरी भी टाँगें थीं और वो भी नंगी थीं। चेतन ने एक नज़र मेरे चेहरे पर डाली और फिर अपना दूसरा हाथ मेरी नंगी गोरी टाँग पर रख दिया। 
अब उसका एक हाथ मेरी टांग को भी सहला रहा था.. तो दूसरा अपनी बहन की टांग को सहला रहा था।
शायद वो दोनों को कंपेयर कर रहा था कि कौन ज्यादा चिकनी है.. उसकी बहन या उसकी बीवी..
डॉली की टाँगों पर हाथ फिराता हुआ चेतन ऊपर को आ रहा था। अब उसका हाथ डॉली के घुटनों तक पहुँच चुका था और फिर उसका हाथ ऊपर को सरका और उसने अपना हाथ अपनी बहन की नंगी जांघ पर रख दिया। 
जैसे ही चेतन के हाथ ने डॉली की नंगी जाँघों को छुआ.. तो मेरी चूत ने तो फ़ौरन ही पानी छोड़ दिया। 
मैं अब ज्यादा बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी और ना ही मैं इतनी जल्दी और इतनी आसानी से अभी चेतन को डॉली की चूत तक पहुँचने देना चाहती थी। 
मैंने थोड़ी सी हरकत की तो चेतन फ़ौरन ही पीछे हट कर लेट गया।
मैं बड़े ही आराम से उठी जैसे नींद से जागी हूँ और आराम से बाथरूम की तरफ चल दी।
बाथरूम में जाकर मैंने अपनी चूत को अच्छे से धोया.. जो बिल्कुल गीली हो गई थी, फिर मैंने बाहर निकलने से पहले थोड़ा सा छुप कर बाहर देखा.. तो चेतन थोड़ा सा उठ कर अपनी बहन की गालों को चूम रहा था और कभी उसकी होंठों को भी पी रहा था.. लेकिन साथ ही बार-बार बाथरूम की तरफ भी देख रहा था।
मैंने बाथरूम में थोड़ा सा शोर किया और फिर दरवाज़ा खोल दिया.. लेकिन चेतन को अपनी जगह पर टिक जाने का पूरा मौका दे दिया।
फिर बाथरूम से वापिस आकर मैं अपनी जगह पर लेटने की बजाए चेतन की तरफ आ गई और उसके साथ लेटने की बजाए उसके ऊपर लेट गई क्योंकि उसके साथ लेटने के लिए जगह नहीं थी।
मेरे ऊपर लेटने की वजह से चेतन ने नींद में होने का नाटक करते हुए आँखें खोलीं और बोला- हाँ क्या है?
मैंने बिना कुछ कहे उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसके होंठों को चूमने लगी।
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चेतन भी जो अब तक अपनी बहन के जिस्म से छेड़छाड़ करने से गरम हो चुका था.. उसने भी मुझे अपनी बाँहों में भर लिया।
मैं यह सब कुछ जानबूझ कर कर रही थी.. क्योंकि मुझे पता था कि डॉली भी जाग रही है और वो यह सब देख रही होगी।
मुझे चूमते हुए और मेरी कमर और मेरी गाण्ड पर हाथ फेरते हुए चेतन मेरे कान में आहिस्ता से बोला- डॉली जाग जाएगी। 
मैं अपने होंठ चेतन के डॉली की साइड वाले कान की तरफ ले गई और थोड़ी ऊँची आवाज़ में बोली- नहीं जानू, तुम्हारी बहन गहरी नींद में सो रही है.. वो सुबह से पहले नहीं उठेगी.. बस जल्दी से तुम मेरे जिस्म से अपनी प्यास बुझा लो..
मैं ये सब इतनी ऊँची आवाज़ में कह रही थी.. ताकि डॉली भी यह बात आसानी से सुन ले।
मैं नीचे को जाने लगी और चेतन की टाँगों के दरम्यान आ गई। मैंने चेतन के शॉर्ट्स को नीचे खींचा और उसके अकड़े हुए लंड को अपने हाथ में ले लिया। मैंने चेतन की लंड की टोपी को चूम लिया और बोली- जानू.. तुम्हारा लंड तो पहले से ही तैयार है.. लगता है कि किसी हसीन और खूबसूरत लड़की की ख्वाब ही देख रहे थे?
चेतन मुस्कराया और एक नज़र डॉली पर डाल कर बोला- हाँ..
मैंने चेतन की लंड की टोपी को ज़ुबान से चाटा और बोली- ख्वाब देखने की क्या ज़रूरत है.. जब तुम्हारी पास इतनी खूबसूरत चीज़ मौजूद है.. तो चढ़ जाते बस.. और चोद लेते.. तुम्हें किसी से इजाज़त लेने की तो ज़रूरत नहीं है ना..
चेतन ने चौंक कर मेरी तरफ देखा और बोला- क्या मतलब?
मैं मुस्कराई उसकी घबराहट देख कर और बोली- हाँ.. तो और क्या.. तुम्हारी बीवी हूँ.. और खूबसूरत भी हूँ.. तो दिल कर रहा था तो आकर चोद लेते मुझे..
मेरी बात सुन कर चेतन ने सकून की साँस ली।
मेरा इशारा तो डॉली की तरफ ही था.. लेकिन मैं अपनी बात को सम्भाल ले गई।
अब मैंने चेतन के लंड को अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगी। मैं पूरी तरीके से खुल कर चेतन के साथ सेक्स करना चाहती थी.. ताकि डॉली को भी मालूम हो सके कि कैसे सेक्स करते हैं।
मेरी एक टाँग डॉली के जिस्म से भी टच कर रही थी। 
मैं अब कोई भी कोशिश नहीं कर रही थी कि डॉली को पता ना चले क्योंकि मुझे तो पहले से ही पता था कि डॉली जाग रही है.. और सब कुछ देख भी रही है.. और महसूस भी कर रही है। 
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05-24-2019, 12:06 PM,
#27
RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
मैंने अच्छी तरह से अपने पति के लंड को भर-भर कर चाटा और फिर बिस्तर से नीचे उतर कर अपना बरमूडा और अपनी टी-शर्ट उतार दी।
नीचे मैंने ना ब्रेजियर पहनी हुई थी और ना ही पैन्टी.. पूरी तरह से नंगी होकर मैं दोबारा से चेतन की ऊपर आ गई। 
चेतन ने मुझे बहुत रोका कि पूरे कपड़े ना उतारो.. लेकिन मैं कहाँ मानने वाली थी.. जबकि मुझे पता था कि डॉली अपनी आँखें नहीं खोलेगी।
चेतन के ऊपर आकर मैंने अपनी चूत को चेतन के लंड के ऊपर रखा और धीरे-धीरे उसे अपने चूत में लेते हुए नीचे को बैठ गई। फिर आहिस्ता आहिस्ता ऊपर-नीचे को होकर अपनी चूत चुदवाने लगी।
मैं आगे को झुकी और चेतन के गाल पर चुम्बन करने लगी।
फिर मैं डॉली की तरफ देखते हुए बोली- चेतन देखो.. तुम्हारी बहन सोती हुए में कितनी मासूम और खूबसूरत लग रही है।
चेतन ने भी अपनी नज़र डॉली के चेहरे पर जमा दी और अब बिना मेरी तरफ देखे हुए आहिस्ता आहिस्ता मुझे चोदने लगा। 
अब मैंने भी अपने मम्मों को चेतन के मुँह में देते हुए जरा तेज आवाज में सीत्कार करना शुरू कर दिया ताकि बगल में लेटी हुई मेरी ननद की बुर में चींटियाँ रेंगने लगें।
‘हाय.. जानू चूसो न मेरे मम्मों को.. आह्ह.. कितना मस्त चूसते हो और ओह.. तुम्हारा लौड़ा तो आज मेरे नीचे कुछ ज्यादा ही मजा दे रहा है.. मेरी जान किसी और की फ़ुद्दी चोद रहे हो क्या..’
चेतन कुछ नहीं बोला.. बस धकापेल मेरी चूत को चोदता रहा।
थोड़ी देर के बाद जब हम दोनों चुदाई से फारिग हुए.. तो हम दोनों ने वॉशरूम में जाकर जिस्मों को साफ़ किया और फिर अपनी-अपनी जगह पर आकर लेट गए।
अब हम तीनों ही आराम से सो गए। 
अगली सुबह जब हम लोग उठे तो डॉली पहली ही रसोई में जा चुकी हुई थी।
मैंने चेतन को उठाया और तैयार होने का कह कर खुद भी रसोई में चली गई। 
डॉली चाय बना रही थी.. मैंने जैसे ही उसे देखा.. तो वो शर्मा गई। मैंने महसूस किया कि वो मुझसे नजरें नहीं मिला पा रही है।
मैंने उससे कहा- चलो भी.. जल्दी से तैयार होकर कॉलेज की लिए निकलो.. फिर मुझे भी नहाना है।
डॉली शरारती अंदाज़ में बोली- क्यों आज ऐसी क्या बात हो गई कि आपको सुबह-सुबह ही नहाने की फिकर लग गई है।
मैं मुस्करा कर बोली- अरे यार तुझे बताया तो था कि तेरे भैया रात को बहुत तंग करते हैं.. तो बस रात को उन्होंने पकड़ लिया था।
डॉली- भैया ने आपको पकड़ लिया या आपने उन्हें पकड़ा था।
मैं जानती थी कि वो सब कुछ देख रही थी.. इसलिए यह बात कह रही है। मैं फिर भी उसकी बात को छुपाते हुए बोली- तू तो सारी रात बेहोश होकर सोई रहती है.. तुझे क्या पता कि तेरे भैया कितना तंग करते हैं.. मुझे तो पूरी रात नहीं सोने देते। इसलिए तुझे अपनी जगह पर लिटाया था कि शायद तू ही कुछ हेल्प करेगी.. लेकिन फिर तेरा भी मुझे कोई फ़ायदा नहीं हुआ।
डॉली शर्मा कर चाय के कप उठाते हुए बोली- भाभी.. मैं भला भैया को उनकी शरारतों से कैसे रोक सकती हूँ? 
मैं चुप हो गई और मुस्कुराने लगी।
इसके बाद हम सब नाश्ते की टेबल पर आए.. तो चेतन की नजरें आज तो डॉली की जिस्म पर कुछ ज्यादा ही गहरी थीं और उसके नशीले जिस्म की नुमाइश से हट ही नहीं रही थीं। 
मैं इस सबको देख कर मजे ले रही थी, लेकिन अभी भी वो दोनों यही समझ रहे थे कि मुझे दोनों को इनकी हरकतों का इल्म नहीं है।
नाश्ते के बाद वो दोनों बहन-भाई चले गए और मैं रसोई का सामान समेटने के बाद नहाने के लिए चली गई। फुव्वारे से ठंडी-ठंडी पानी की गिरती बूंदों के नीचे नहाते हुए मैं यही सोच रही थी कि अब आगे क्या किया जाए.. जिससे चेतन को अपनी बहन के क़रीब आने का और भी मौका मिले और अपनी बहन का जिस्म को देखने और भोगने का भरपूर मौका मिल सके। 
हालांकि मैं दोनों को बिस्तर पर तो एक-दूसरे के क़रीब ला ही चुकी थी। अब मैं उनके दरम्यान की शरम और परदे की दीवार को भी गिरा देना चाहती थी।
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05-24-2019, 12:06 PM,
#28
RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
दोपहर को दोनों एक साथ ही वापिस आ गए। खाने की टेबल पर ही मैंने चेतन को कह दिया कि आज हम दोनों को शाम को शॉपिंग के लिए लेकर चलो.. मुझे कुछ रेडीमेड कपड़े ख़रीदने हैं। 
चेतन मान गया कि शाम को खरीददारी के लिए निकलते हैं।
तक़रीबन अँधेरा ही हो चुका था जब हम लोग शॉपिंग की लिए निकले। चूंकि अगले दिन रविवार था.. इसलिए कोई फिकर नहीं थी कि रात को देर हो जाएगी या सुबह कॉलेज और ऑफिस जल्दी जाना है। 
मैंने और डॉली ने जीन्स ही पहनी थीं और ऊपर से लोंग शर्ट्स पहन ली थीं। जो कि ज्यादा वल्गर या सेक्सी नहीं लग रही थीं। लेकिन मेरी शर्ट का गला हमेशा की तरह ही डीप था.. जिसकी वजह से मेरा क्लीवेज आसानी से नज़र आ रहा था। 
डॉली भी आज खूब बन-संवर कर तैयार हुई थी। उसने बहुत ही अच्छा सा परफ्यूम भी लगाया हुआ था और हल्का सा मेकअप भी कर रखा था। 
उसके पतले-पतले प्यारे-प्यारे होंठों पर पिंकिश लिप ग्लो लगी हुई थी.. जिसकी वजह से उसके लिप्स बहुत ही सेक्सी लग रहे थे। दिल करता था कि उनको चूम ही लें।
मैंने आज भी डॉली को हम दोनों के दरम्यान में बिल्कुल चेतन के पीछे बैठाया और खुद उसको चेतन की कमर के साथ दबाते हुए उसके पीछे बैठ गई। 
डॉली की दोनों खुबसूरत चूचियाँ अपने भाई की कमर के साथ दब रही थीं और आज मुझे पक्का यक़ीन था कि चेतन भी खुद उनको अपनी पीठ से महसूस करना चाह रहा होगा। 
यही वजह थी कि वो थोड़ा-थोड़ा अपनी कमर को आगे-पीछे भी कर रहा था। 
मैंने अचानक ही हाथ एक साइड से आगे ले जाकर चेतन की जांघ पर रखा और फिर जैसे ही उसकी पैन्ट के ऊपर से उसके लण्ड को छुआ.. तो पता चला कि वो तो पहले से ही खड़ा हो चुका है।
चेतन के लंड के ऊपर हाथ फेरते हुए मैं थोड़ा सा ऊँची आवाज़ में डॉली से बोली- डॉली डार्लिंग.. आज तो तुम बहुत प्यारी लग रही हो और तुम्हारे लिप्स तो बहुत ही सेक्सी लग रही हैं। मेरा तो दिल करता है कि इनको चूम ही लूँ। 
मैंने अपनी आवाज़ इतनी तेज रखी थी कि चेतन भी सुन सके और उसके सुनने का अहसास मुझे उसके लण्ड से हुआ.. जिसने मेरे हाथ में एक साथ दो-तीन झटके लिए। 
मैं मुस्करा दी और आहिस्ता से अपने होंठ डॉली की गर्दन से थोड़ा नीचे पीठ के ऊपरी हिस्से को चूम लिया।
डॉली कसमसाई- भाभी.. क्या करती हो यार..
मैं उसकी गर्दन के नीचे अपने होंठ आहिस्ता-आहिस्ता चलाते हुए बोली- डार्लिंग तू प्यारी ही इतनी लग रही है आज.. तो मैं क्या करूँ..
वो चुप रही। 
मैंने फिर पूछा- तू बता.. तूने क्या क्या लेना है?
वो बोली- कुछ नहीं भाभी..
मैंने आहिस्ता से उसकी चूची को एक साइड से छुआ और बोली- नई ब्रेजियर ही ले लो.. आज तो तेरे भैया भी साथ ही हैं।
डॉली ने पीछे को हौले से अपनी कोहनी मेरी पेट में मारी और बोली- भाभी कुछ तो शरम करो.. भैया भी साथ हैं। 
मैं जोर-जोर से हँसने लगी और फिर उसके कान में बोली- उस दिन से भी तो अपने भैया की ही लाई हुई ब्रा पहन रही है ना.. तो उनके साथ आकर लेने में क्या शरम है तुझे? 
डॉली चुप रही लेकिन मैंने देखा कि वो मुस्करा रही थी। मुझे यक़ीन था कि मेरी यह नोक-झोंक चेतन ने भी सुन ली होगी और यही मैं चाहती थी कि वो भी मेरी यह बातें सुन कर एन्जॉय करे।
चेतन ने एक बड़े शॉपिंग माल के बाहर बाइक रोकी और हम नीचे उतर आए। 
चेतन बाइक पार्क करने गया तो डॉली बोली- भाभी.. यार कुछ तो शरम किया करो न.. भैया अगर सुन लें तो.. क्या सोचेंगे?
मैंने दिल ही दिल में सोचा कि उस वक़्त तो तुझे शरम नहीं आती.. जब तेरे भैया तेरी चूचियों और जिस्म पर हाथ फेर रहे होते हैं। उस वक़्त तो बड़े मजे ले रही होती हो।
लेकिन मैं चुप रही और बोली- अरे कुछ नहीं होता.. उसे हमारी बातों का क्या पता..
इतने मैं चेतन भी आ गया और हम तीनों मॉल में दाखिल हो गए। 
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05-24-2019, 12:06 PM,
#29
RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
ये काफ़ी मॉड किस्म का माल था.. जहाँ पर मुख्तलिफ किस्म की दुकानें थीं और आजकल कुछ दुकानों पर सेल भी चल रही थी.. इसलिए मैं यहाँ आई थी वरना चेतन की इनकम में ज्यादा महँगी शॉपिंग अफोर्ड नहीं हो सकती थी ना..
हम लोग एक दुकान में गए.. तो वहाँ पर मुख्तलिफ किस्म की ड्रेसेज को मॉडल्स के ऊपर पहनाया गया था.. कुछ मॉडल्स के ऊपर ब्रा और पैन्टी पहना कर रखी हुई थीं।
कुछ बुतों पर मुकम्मल ड्रेस भी थी.. तो कुछ में काफ़ी सेक्सी किस्म की जालीदार लिबास सजाए गए थे। 
इस दुकान पर आकर डॉली का चेहरा तो शरम से सुर्ख ही हो गया था। वो इधर-उधर देखते हुए बहुत शर्मा और घबरा रही थी।
अपने भाई की मौजूदगी की वजह से उसे ज्यादा शर्म महसूस हो रही थी।
वहाँ पर कपड़े देखते हुए मुझ एक मॉडल पर पहनी हुई एक बहुत ही कामुक किस्म की ड्रेस नज़र आई, इसके कन्धों पर सिर्फ़ पतली सी डोरियाँ थीं और छाती का ऊपरी हिस्सा बिल्कुल नंगा था।
आप यूँ समझ लें कि इसमें से चूचियों का भी ऊपरी हिस्सा नंगा हो रहा था..
लेकिन बाक़ी चूचे नीचे तक का हिस्सा सिल्की टाइप के बिल्कुल झीने से कपड़े से कवर था और उस ड्रेस की लम्बाई भी सिर्फ़ कमर तक ही थी जिससे सिर्फ पेट कवर हो सके, नीचे उस मॉडल पर उस ड्रेस के साथ सिर्फ़ एक छोटी सी पैन्टी बंधी हुई थी। 
दरअसल यह एक जालीदार ड्रेस पति और बीवी के लिए तन्हाई में पहनने के लिए था। 
मुझे वो ड्रेस पसंद आ गया.. मैंने चेतन से कहा- मुझे यह ड्रेस पसंद आया है।
पास ही डॉली भी खड़ी थी.. वो थोड़ा और घबरा गई।
चेतन बोला- पसंद है.. तो ले लो.. रात में पहनने के लिए हो जाएगा।
मैं मुस्कराई और डॉली की तरफ देख कर बोली- दो लूँगी।
चेतन- दो किस लिए?
मैं- एक डॉली के लिए भी लेना है।
डॉली ने चौंक कर मेरी तरफ और फिर मेरी सामने की ड्रेस को देखा और बोली- भाभी मैं.. मैंने इस ड्रेस का क्या करना है।
मैं- अरे यार.. ले लो.. कभी-कभी पहन लिया करना.. क्यों चेतन ठीक कह रही हूँ ना?
चेतन ने एक नज़र अपनी बहन की तरफ देखा तो उसकी आँखों में एक वहिशयाना चमक थी.. लेकिन बहुत ही साधारण से अंदाज़ में बोला- हाँ.. ले लो लेना है तो.. हर्ज तो कोई नहीं है.. काफी आरामदायक रहेगी।
मैंने दो का ऑर्डर दे दिया.. सेल्समेन ने मुझसे साइज़ नम्बर जानना चाहा.. जिस पर डॉली आहिस्ता-आहिस्ता ऐतराज कर रही थी.. लेकिन मैंने उसका साइज़ नम्बर भी बता दिया।
सेल्समेन ने दो ड्रेस निकाल दिए, दोनों अलग-अलग रंग के थे, मेरी ड्रेस हल्के नीले रंग की थी और डॉली की गुलाबी रंग की थी। 
मैंने शरारत के अंदाज़ में डॉली की तरफ देखा और बोली- डॉली तुम ऐसा करो कि अन्दर जाकर ट्राई करके देख लो.. कि साइज़ वगैरह ठीक है कि चेंज करना है।
डॉली घबरा कर- नहीं नहीं.. कोई ज़रूरत नहीं है..
सेल्समेन- नहीं मैडम.. प्लीज़ आप एक बार पहन कर चैक कर लें.. उधर ऊपर है हमारा ट्राइयरूम.. वहाँ पर कोई भी नहीं है.. आप लोग ऊपर जाकर चैक कर लें।
मैंने दोनों ड्रेसज उठाए और डॉली का हाथ पकड़ कर बोली- आओ मेरे साथ..
साथ ही मैंने चेतन को भी आने का कह दिया। ऊपर गए तो छोटा सा ही एक कमरा था.. जिसमें एक हिस्से में ट्रायल रूम बना हुआ था।
मैंने डॉली को कहा- जाओ चैक कर लो..
मैंने पकड़ कर डॉली को ट्रायल रूम में जबरिया ढकेल दिया।
डॉली सुर्ख चेहरे के साथ अन्दर चली गई।
थोड़ी देर के बाद मैंने उसे आवाज़ दी और पूछा- हाँ बोलो.. ठीक है या नहीं?
डॉली- जी भाभी ठीक है..
मैं- खोलो दरवाजा.. मुझे देखने तो दो..
डॉली ने अन्दर से लॉक खोला तो मैं ट्रायलरूम में दाखिल हुई और अन्दर का मंज़र देखा तो मेरे तो होश ही उड़ गए। 
उस सेक्सी नाईट ड्रेस में डॉली तो क़यामत ही लग रही थी, उसका खूबसूरत चिकना चिकना सीना बिल्कुल खुला हुआ था, उसकी चूचियों का ऊपरी हिस्सा उस ड्रेस में से बाहर ही नंगा हो रहा था, कन्धों से तो बिल्कुल ही नंगी लग रही थी.. उन पर सिर्फ़ पतली पतली सी डोरियाँ थीं।
मैंने देखा और बोली- हाँ.. परफेक्ट है यार.. तुम पर बहुत ही प्यारा लग रहा है.. बस अब चेंज कर लो..
मैं जैसे ही बाहर निकलने लगी तो मैंने चेतन जो गेट के पास ही खड़ा था.. को कहा- चेतन देखना.. डॉली ठीक है ना इस ड्रेस में?
मेरी इस बात से दोनों ही बहन-भाई चौंक पड़े.. लेकिन ज़ाहिर है कि चेतन यह मौक़ा कैसे जाने दे सकता था.. वो फ़ौरन ही दरवाजे के नजदीक आ गया और अन्दर अपनी बहन को उस ड्रेस में देखा तो उसकी आँखें तो जैसे फट गई थीं और मुँह खुल गया.. लेकिन कोई लफ्ज़ मुँह से ना निकला।
फिर हकलाते हुए बोला- हाँ.. ठीक है.. अच्छा है..
मैंने अब चेतन को बाहर धकेला और खुद भी बाहर आ गई और अपने पीछे दरवाज़ा बंद कर दिया। डॉली ने दरवाज़ा लॉक किया और उसने ड्रेस चेंज करके दोबारा अपनी शर्ट पहन ली। 
कुछ देर के बाद वो बाहर आई तो उसका चेहरा सुर्ख हो रहा था और चेतन के चेहरे पर ऐसे आसार थे.. जैसे उसे बहुत ही मज़ा आया हो।
चेतन मुझसे बोला- डार्लिंग यह ड्रेस तो अच्छा है.. तुम रात के अलावा भी घर में वैसे भी पहन सकती हो। 
चेतन की दिल की बात मैं समझ गई थी.. इसलिए उसका दिल रखने के लिए बोली- हाँ हाँ.. क्यों नहीं पहना जा सकता.. वैसे भी आजकल इतनी गर्मी तो हो ही रही है.. तो ऐसी ही हल्की-फुल्की ड्रेसज घर में पहनने के लिए तो होनी ही चाहिए।
फिर नीचे आ कर हमने वो ड्रेस पैक करवा लिए और फिर मैं कुछ और देखने लगी कि शायद कुछ और भी मुझे मेरे मतलब का मिल जाए.. जो कि एक बहन को अपने भाई की सामने खुला और नंगा करने में.. मेरे खेल में मेरी मददगार हो।
फिर चेतन से थोड़ा हट कर मैंने एक एक ब्रा खरीदी अपने और डॉली के लिए। 
डॉली तो नहीं लेना चाह रही थी लेकिन मैंने उसे भी लेकर दी। ब्लैक रंग की जाली वाली.. जिसमें से उसकी दोनों चूचियाँ ही नंगी नज़र आएं।
डॉली बोली- भाभी यह नहीं..
मैंने उसे चिढ़ाया उअर उसके मम्मों की तरफ उंगली करते हुए कहा- अच्छी है यह.. यार ले लो.. इसमें तुम्हारी यह दोनों ही साफ़-साफ़ दिखेंगी। 
डॉली मेरी बात सुन कर फिर शर्मा गई क्योंकि थोड़ी ही फासले पर खड़ा हुआ सेल्समेन भी मुस्कराने लगा था.. शायद उसने मेरी बात सुन ली थी।
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05-24-2019, 12:06 PM,
#30
RE: Antarvasna मेरे पति और मेरी ननद
इतनी शॉपिंग करते हुए ही हमें 11 बज गए.. फिर हम वहाँ से निकले और एक जगह से आइसक्रीम ली और खाने लगे। फिर एक बड़ा पिज़्ज़ा खरीदा और फिर घर पहुँच गए।
घर पहुँच कर लाउंज में ही हम तीनों बैठ गए और बातें करने लगे। 
चेतन बोला- लाओ यार.. दिखाओ तो क्या-क्या लिया है?
मैंने फ़ौरन ही हैण्डबैग खोला और दोनों नाईट ड्रेसज उसके सामने रख दिए और बोली- यह लिए हैं।
चेतन- यह तो मैंने देखा था.. और भी कुछ लिया है या तुम दोनों ऐसे ही फिरती रही हो?
चेतन की बात सुन कर डॉली घबरा गई। मैंने डॉली को इस स्थिति में देखा तो मैं मुस्कराई और उसकी घबराहट का मज़ा लेते हुए फिर हैण्ड बैग में अपना हाथ डाल दिया। 
डॉली ने इशारे से मुझे रोकना चाहा.. लेकिन मैंने दोनों ब्रा बाहर निकाल लीं और चेतन की तरफ बढ़ा दीं।
चेतन ने दोनों ब्रा मेरे हाथ से लीं और देखने लगा.. डॉली अपनी नजरें चुरा रही थी। 
चेतन ब्रा को निप्पल की जगह मसल कर उनकी क्वालिटी देखने का बहाना करता रहा.. फिर बोला- अरे यह तुम दोनों डिफरेंट नम्बर की क्यों लाई हो?
मैं मुस्कराई और डॉली की तरफ देखा कर बोली- अरे यार.. एक मेरी है और दूसरी ब्रा डॉली की है..
चेतन ने भी फ़ौरन ही डॉली की तरफ देखा.. तो वो फ़ौरन ही दूसरी तरफ देखने लगी। 
चेतन ने भी जल्दी से मेरे हाथ में दोनों ब्रा दे दीं और बोला- हाँ.. ठीक हैं.. अच्छी हैं दोनों..
डॉली उठ कर रसोई में चली गई।
उसके जाने के बाद चेतन बोला- यार तुम मुझे यह अपनी नई ड्रेस पहन कर तो दिखाओ..
मैंने कहा- ठीक है.. हम दोनों ही पहन कर आती हैं.. फिर देखना कि ठीक है कि नहीं..
चेतन बोला- हाँ.. ठीक है आप लोग पहन कर आओ और मैं जब तक ओवन में पिज़्ज़ा गरम करता हूँ।
िवो रसोई में गया और डॉली को बाहर भेज दिया। 
मैंने उससे कहा- तुम्हारे भैया कहते हैं कि यह जो ड्रेस लिया है ना.. वो पहन कर दिखाओ।
डॉली बोली- नहीं.. भाभी मैं नहीं पहनूंगी।
मैं- अरे यार क्यों शर्मा रही हो? तुमको इसमें तुम्हारे भैया देख तो चुके ही हैं.. तो फिर घबराना कैसा है? चलो जल्दी से जाओ और यह ड्रेस पहन कर आओ और मैं भी पहन कर आती हूँ.. और हाँ नीचे जीन्स ही रहने देना.. उस मॉडल की तरह कहीं पैन्टी पहन कर ना आ जाना बाहर..
डॉली- भाभीइई..
मैं हँसने लगी।
फिर मैं अपने बेडरूम में आ गई और डॉली अपने कमरे में चली गई। मैंने जल्दी से अपनी शर्ट उतारी और फिर अपनी ब्रा भी उतार कर वो झीना सा खुला हुए ड्रेस पहन लिया। मेरी चूचियाँ बड़ी थीं.. तो उस ड्रेस में और भी खुलासा हो रही थीं.. चूचियों के बीच की दरार भी काफ़ी ज्यादा दिख रही थी। 
मेरी आधी चूचियाँ तो नंगी दिख रही थी, मैंने वो पहना और बाहर आ गई.. इतने में चेतन भी पिज़्ज़ा गरम करके आ गया।
मुझे देख कर उसने लार टपकाई.. और अपनी आँख दबा दी।
फिर हम दोनों बैठ कर डॉली का वेट करने लगे।
जब वो बाहर नहीं आई.. तो मैंने उसे आवाज़ दी- डॉली आ भी जाओ अब.. जल्दी से.. पिज़्ज़ा फिर से ठंडा हो रहा है..
तभी डॉली ने हौले से दरवाज़ा खोला और बाहर क़दम रखा.. तो हम दोनों की नज़रें उस पर ही थीं। उस छोटी से शॉर्ट सेक्सी ड्रेस में वो बहुत प्यारी और सेक्सी लग रही थी। उस का कुंवारा खूबसूरत गोरा-चिट्टा जिस्म बहुत ही सेक्सी लग रहा था।
कदेखने वाले का फ़ौरन ही उसे अपने बाँहों में लेने के लिए दिल मचल जाए..
डॉली बेहद शर्मा रही थी.. इससे पहले कि वो चेंज करने के लिए वापिस जाती।
चेतन ने पिज़्जा का बॉक्स खोला और बोला- चलो आ जाओ जल्दी से ले लो..
डॉली शरमाती हुई हौले-हौले क़दम उठाते हुई आई और मेरे पास चेतन के सामने ही बैठ गई। 
अब हम तीनों ही पिज़्ज़ा खाने लगे। 
मैं और चेतन की बहन दोनों ही चेतन के सामने इस तरह अधनंगे हालत में बैठे हुए थे और दोनों के ही खूबसूरत जिस्म.. चेतन पर बिजलियाँ सी गिरा रहे थे।
ुज़ाहिर है कि चेतन की नजरें ज्यादातर अपनी बहन ही को देख रही थीं। 
मैं भी इस चीज़ को नोट कर रही थी जैसे ही डॉली सामने टेबल पर रखे हुए पिज्जा का पीस उठाने के लिए आगे को झुकती.. तो उसका ड्रेस सामने से नीचे को हो जाता और उसकी खूबसूरत चूचियों की घाटी नज़र आने लगती। 
डॉली ने अपनी ब्रेजियर नहीं उतारी थी और उस ड्रेस के नीचे उसकी काले रंग की ब्रा की स्ट्रेप्स बिल्कुल खुली हुई दिख रही थीं।
ुथोड़ी देर बाद चेतन बोला- डॉली जाकर रसोई में फ्रिज से कोक निकाल कर ले आओ। 
डॉली उठी और रसोई की तरफ बढ़ गई। उसकी पीठ पर वो ड्रेस इस क़दर नीचे तक खुला हुआ था कि उसकी ब्रा की पट्टी से भी नीचे तक वो ड्रेस खुली हुई थी। 
डॉली की ब्रेजियर की पट्टी और उसके हुक बिल्कुल साफ़ नज़र आ रहे थे। 
यूँ समझो कि डॉली की पीठ पर से उसकी पूरी की पूरी ब्रेजियर बिल्कुल साफ़ नज़र आ रही थी। काली ब्रेजियर की अलावा डॉली की पूरी की पूरी गोरी-गोरी चिकनी कमर भी बिल्कुल नंगी नज़र आ रही थी। उसकी गोरे-गोरे सफ़ेद कन्धे बिल्कुल ओपन थे.. उस ड्रेस से नीचे उसकी टाइट जीन्स थी.. जिसमें उसकी गोल-गोल चूतड़ बहुत ही अधिक फँस कर बहुत ही सेक्सी नज़र आ रहे थे।
चेतन बोला- इसकी पिछली तरफ का हिस्सा कुछ ज्यादा ही लो नहीं है क्या?
मैं- हाँ है तो सही.. लेकिन यह असल में बिना ब्रेजियर की पहनने वाली ड्रेस है ना.. जो कि तुम्हारी बहन ने गलती से ब्रा के साथ पहन ली है।
इतने में डॉली कोक ले आई, दूर से चल कर आते हुए भी वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी। 
डॉली वापिस आकर दोबारा अपनी जगह पर बैठ गई। पिज़्ज़ा खाते हुए मैंने उससे कहा- डॉली.. तुमने यह ड्रेस की नीचे ब्रा क्यों पहनी है.. इसे तो ब्रा के वगैर पहनना होता है.. देखो सारी ब्रा साफ़ नज़र आ रही है।
मेरी बात सुन कर डॉली घबरा गई।
चेतन बोला- अरे यार क्यों तंग कर रही हो इसे.. पहली बार तो पहना है उसने यह ड्रेस.. आहिस्ता-आहिस्ता पता चल जाएगा इसे भी.. कि कौन सा लिबास कैसे पहना जाता है। 
डॉली चुप कर गई.. खाने के बाद हम दोनों ने बर्तन रखे और फिर मैं डॉली को पकड़ कर अपने कमरे में ले आई। 
उसने बहुत कहा कि वो ड्रेस चेंज करके आएगी.. लेकिन मैंने उसकी एक ना सुनी और बोली- जब है ही यह नाईट ड्रेस.. तो रात को ही पहनोगी ना..
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