RE: Antarvasna kahani घरेलू चुदाई समारोह
कोमल ने भी अपना तीर फेंका। उसने बिस्तर पर झुकते हुए अपनी बांहें उसकी गर्दन में डाल दीं। उसके विशाल मम्मे अब सुनील के चेहरे के पास थे। बोली- “बोलो मत सुनील… मेरे मम्मों को चूसो… मनीषा को अपना लण्ड चूसने दो। हम दोनों को तुम्हें चोदने चाटने दो… मेरी जान, अब चीज़ें दूसरे नज़रिये से देखो। अब तुम्हें छुपकर अपने पड़ोस में आने की जरूरत नहीं पड़ेगी। तुम्हारी जब इच्छा हो, हम दोनों तुमसे चुदवाने के लिये तैयार रहेंगी…”
सुनील अपने दोनों ओर फैले हुए नंगे गर्म जिस्मों में खो गया। कोमल ने अपने मम्मों को उसके मुँह में डाल दिया। सुनील इतना ताकतवर था कि इन दोनों औरतों को परे धकेल सकता था, पर उसने ऐसा किया नहीं। उसे दोगुने आनंद की प्राप्ति हो रही थी।
“ठीक है… मैं हार मानता हूँ…” सुनील ने अपना मुँह कोमल के मम्मों से हटाते हुए कहा- “हम बाद में बात करेंगे… पर मुझे अभी भी सजल और तुम्हारे बीच का…”
“अपना मुँह बंद रखो, सुनील, अगर खोलना है तो मेरे मम्मों को चूसने के लिये… हाँ अब ठीक है… जोर से चूसो…”
“अब ये सब बहुत हो चुका…” मनीषा सुनील के लण्ड की चुसाई रोकती हुई बोली- “अब मुझे इस मोटे लण्ड से अपनी चूत चुदवानी है। इस पूरे सीन से मेरी चुदास बेइंतहा बढ़ गयी है। अरे सुनील तुम्हारा लण्ड तो जबर्दस्त फूल गया है। हम्म्म… अब ये मत कहना कि तुम्हें मज़ा नहीं आ रहा…” ये कहकर मनीषा ने पूरा लौड़ा एक ही झटके में अपनी चूत में पेल डाला।
अब चूंकि सुनील का लण्ड एक समय में एक ही चूत चोद सकता था, कोमल को अपनी प्यासी चूत के लिये कोई दूसरा इंतज़ाम करना लाज़मी हो गया। वो बिस्तर से खड़ी हो गई और अपने बेटे से बोली- “ज़मीन पर लेटो सजल… मैं तुम्हें वैसे ही चोदना चाहती हूँ, जैसे मनीषा तुम्हारे पापा को चोद रही है…”
सजल की हिम्मत अब धीरे-धीरे वापिस आ रही थी। अब जब उसने अपने पापा को चुसाई और चुदाई में मशगूल देखा तो वो जाकर ज़मीन पर चौड़ा होकर अपनी पीठ के बल लेट गया और अपनी चुदासी मम्मी का अपने तन्नाये लौड़े की सवारी के लिये इंतज़ार करने लगा।
सुनील स्तब्ध होकर अपनी पत्नी को अपने बेटे के तनतनाये हुए लण्ड पर सवार होते हुए देख रहा था। उसने कोमल को सजल से चुदवाने से रोकने के लिये एक शब्द भी नहीं कहा। इस समय वो इतना रोमाँचित था कि उसके लिये ऐसा करना संभव ही नहीं था। नाराज़गी की जगह उसके मन में विस्मय अधिक था।
“ये मेरे लिये ही खड़ा है न, बेटे…” कोमल ने अपनी गर्म प्यासी चूत को सजल के लण्ड पर सरकाते हुए सरगोशी की। उसने सजल के लण्ड को पकड़कर अपनी चूत को उसपर आहिस्ता से उतार दिया- “मुझे तुम्हारा लण्ड अपनी चूत में फुदकता हुआ लग रहा है। मेरे लाडले बेटे…”
सजल ने अपने हाथ बढ़ाकर अपनी मम्मी के फुदकते हुए मम्मों को पकड़ लिया। कोमल की गर्म चूत अब उसके गर्माये हुए लण्ड पर नाच रही थी। उसने अपने पापा की ओर देखा तो वो इस नज़ारे से बहुत मज़ा लेते हुए लगे।
“है न देखने लायक सीन, सुनील…” मनीषा ने अपने विशाल मम्मों को पकड़कर सुनील के लण्ड पर अपनी चूत सरकाते हुए पूछा- “तुमने सोचा भी न था कि ये देखकर तुम्हें इतना मज़ा आयेगा…”
कोमल ने अपना सिर घुमाकर अपने पति की आँखों में देखा- “देखो, कितना बढ़िया है ये सब… अब तुम्हें ये बुरा नहीं लग रहा होगा… है न मेरी जान… ज़रा सोचो तो कि अब हम लोग क्या-क्या और कर सकते हैं… सजल को चोदते हुए देखो सुनील… देखो मैं अपने बेटे को कितना सुख दे रही हूँ…”
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