Antarvasna kahani चुदासी चौकडी
10-15-2018, 10:57 PM,
#21
RE: Antarvasna kahani चुदासी चौकडी
उस ने कहा " देख बेटा मैं जानती हूँ तेरे दिल में हम तीनों के लिए कितना प्यार है..पर कभी मजबूरी में समय के साथ भी चलना पड़ता है बेटा...देख तू तो जानता है अगर मेम साहेब ने हमें निकाल दिया तो हम कहाँ जाएँगे..? उन्हें खुश रखने में ही हमारी भलाई है..वो बीचारी कितने दिनों से अकेली है..उसका भी तो मन करता है ना बेटा ..कोई उसे बाहों में ले..प्यार करे ..."

" हां मा मैं समझता हूँ..पर उनके पास तो कितने मौके हैं..कितने और भी लोग हैं जिनके साथ वो दोस्ती कर सकती हैं...फिर मैं ही क्यूँ..?"

"तू ठीक कहता है...मुझे लगता है किसी और के साथ करने से बात खुलने का डर है ...और उनकी बदनामी हो सकती है..तू तो घर के जैसा ही है ना ..जैसे हम तीन हैं वो चौथी हो जाएँगी ..घर की बात घर में ही रहेगी ...और सब से बड़ी बात तेरी शराफ़त और भोलापन उन्हें भा गया है..इन दो महीनों में उन्होने तेरी हर बात बड़े ध्यान से देखी है .. उन्होने आज मुझ से सॉफ सॉफ तो नहीं कहा.... पर तेरे बारे काफ़ी कुछ पूछा ...और फिर ड्राइविंग सीखने की बात आई...इसी बहाने तुम दोनो करीब आओगे ..लोगो को शक भी नहीं होगा ..."

" ह्म्‍म्म्म..पर मा तुझे बुरा नहीं लगेगा..?? " मैने उसे गले लगाते हुए कहा ..

"नहीं बेटा बुरा क्यूँ लगेगा.? किसी की ज़रूरत में काम आना और सिर्फ़ मज़े के लिए करना दो अलग बात है...उनकी ज़रूरत है ..और उनकी ज़रूरत पूरी करने में हमारी भलाई भी है ..."

" बात तो तेरी बिल्कुल सही है मा..पर सिंधु और बिंदु ..??उन्हें बुरा लगा तो..??" मैने पूछा

" अरे तू उनकी चिंता मत कर अभी उन्हें कुछ बताने की ज़रूरत नहीं...बात सिर्फ़ हमारे और तुम्हारे बीच रहेगी ...बाद में देखी जाएगी ..उन्हें भी समझा लेंगे ..पर एक बात का ध्यान रखना बेटा..तू जल्दबाज़ी मत करना ...धीरे धीरे ही आगे बढ़ना ..."

" हां मा मैं समझ रहा हूँ तेरी बात ..मैं उनका दिल जीत कर ही उनकी चूत पर हमला कर दूँगा..ठीक है ना..???" मैने मा की चूत पर हाथ फेरता हुआ कहा ..

" हां पर ऐसे नहीं जैसा तू अभी कर रहा है मेरे साथ...हा हा हा !!!"

और तब तक दोनो बहने भी आ गयी ..

सिंधु और बिंदु के अंदर आते ही मा उठ खड़ी हुई मेरी गोद से ..और मैं कुर्सी ज़रा और दूर सरका , बैठा रहा ..

बिंदु तो सीधे चली गयी बाथरूम की तरफ हाथ मुँह धोने और सिंधु मुझे और मा को किचन में देख हमारे पास आ गयी ...

मुझे टाँग फैलाए कुर्सी पर बैठा देख उसकी आँखों में चमक आ गयी ...इस से अच्छा मौका उसे और कब मिलता अपने प्यारे खिलौने से खेलने का ...

वो झट मेरी गोद में अपनी टाँगें मेरी दोनो ओर कर दी , अपनी पीठ मेरे चेहरे की ओर करते हुए बैठ गयी और मेरे लौडे को अपनी मुट्ठी में भर लिया ...उफफफ्फ़..आज दिन भर मेरे हथियार को चैन नहीं मिल रहा था..उधर में साहेब ने अपनी हरकतों से इसे परेशान किया ..फिर मा से बातें करते वक़्त उसकी चुतडो की मार झेलता रहा और अब अपनी प्यारी बहेन ने अपने हाथ का कमाल दिखाना शुरू कर दिया ...सिंधु के हाथ लगाते ही लौडा तंन हो गया..सिंधु की तो लौटरी लग गयी ,,उसने फ़ौरन ज़िप खोल दिया ..लौडा फंफनाता हुआ उछालता हुआ उसकी दोनो हाथ की मुत्ठियो मे क़ेद था ..

उस ने मज़े लेते हुए उसे सहलाना शुरू कर दिया ..

" अरे क्या सिंधु बेटी , आते ही अपने भाई को तंग करना शुरू कर दिया ...खाना वाना खाना है या नहीं...चलो छोड़ो इसे ..खाना खाते हैं ..."

" हां मा खाना खाने के पहले मुझे अपने मुँह का टेस्ट तो ठीक करने दो ना ..." सिंधु बोल उठी ...

मेरा लंड तो पहले से ही पानी छोड़ रहा था , अंदर भरा भरा से लग रहा था ..बाहर निकलने को मचल रहा था...मुझे लगा सिंधु थोड़ी देर और सहलाए तो मैं तो झाड़ जाउन्गा ..और मैं चाहता भी था के इतने देर से लंड के अंदर का बवाल शांत हो जाए ..

मैने कहा " मा तुम खाना लगाओ ना हम आते हैं 5 मिनिट में ..." और फिर सिंधु के चेहरे को अपनी तरफ मोडते हुए कहा ..

" सिंधु मेरी जान ..मेरी प्यारी बहेना ..हा ..ज़रा जल्दी जल्दी हाथ चला ना ..मैं बस झड़ने वाला ही हूँ '

और उसके गाल चूमने लगा ..उसकी चुचियाँ मसल्ने लगा

" हां भाई , कर तो रही हूँ ..पर आज इतना गर्म क्यूँ है तेरा हथियार भाई...? मा ने दिया नहीं क्या ..?? "

" अरे नहीं यार , बस मुझे गर्म कर बीच में ही छोड़ दिया..तुम लोग आ गये ना ..." मैने उसे चूमते हुए कहा ..

" ऊवू ऐसी बात ..ठीक है भाई मैं अभी इसे ठंडा करती हूँ..." सिंधु ने मेरे लौडे को चूमते हुए कहा

पता नहीं सिंधु को क्या मज़ा मिलता था मेरे लौडे को सहलाने में ...खुद मेरे मुँह से मेरे लौडे को सहलाने की बात सुन वो और भी जोश में आ गयी , और मेरी गोद में अपनी चूतड़ उछाल उछाल कर हुमच हुमच कर अपने हथेलियों से जाकड़ कर मेरी मूठ मारने लगी ...

और मैं उसके इस हमले को ज़्यादा देर झेल नहीं पाया ..उसके दो चार हमले के बाद मुझे लगा मैं झड़नेवाला हूँ ..मैने उसे अपनी तरफ खिचा लिया ..उसे जाकड़ लिया और अपनी चूतड़ उछालते हुए , अपने जांघों को उपर कर लंड को भी उपर करते हुए जोरदार पीचकारी छोड़ दिया ...

सिंधु मुझे झाड़ता देख मस्त हो गयी ...मुझे लगा वो भी मस्ती में आ गयी , उस ने अपनी पकड़ ढीली कर दी ,पर लौडे को छोड़ा नही , मेरा लौडा उसकी हथेली की पकड़ में ही झटके पे झटका खा रहा था ..और मेरी पीचकारी छूटती जा रही थी...

"ऊऊओ भाई ...आ आज पहली बार मुझे ये नज़ारा दिन के उजाले में देखने को मिला ....हां निकल दो अपना सारा माल बहार ..हां भाई .."

उसकी चूत भी ये दिलकश नज़ारा देख बिल्कुल गीली हो गयी थी ..पता नहीं शायद वो भी झाड़ रही थी...

सिंधु मेरे लौडे को झड़ने के बाद भी थामे रही , लौडा मुरझाया हुआ उसकी पकड़ में था ..उस ने उसे निचोड़ , निचोड़ कर , दबा दबा कर एक एक बूँद बाहर टपकती रही ..फिर अपनी पीठ मेरे सीने से लगा मुझ पर ढीली पड़ती हुई हाँफने लगी ........

मैं उसके गालों ..होंठों , गर्दन को चूमे जा रहा था ....

तब तक बाहर से मा की आवाज़ आई " हाई रे इन दोनो भाई-बहेन का प्यार ....अरे तुम लोग अब आ भी जाओ खाना तो खा लो.."

" हां मा , बस आया.." कहता हुआ मैने सिंधु को उसकी कमर से पकड़ता हुआ उठाया , अपनी गोद से उठाता हुआ उसे चूमता हुआ नीचे कर दिया और कहा

" थॅंक यू मेरी सिंधु जान .थॅंक यू.."

सिंधु ने मेरी ओर देखते हुए मुस्कुरा दिया , मेरे हाथ थाम लिए और मेरी हथेली को चूमते हुए कहा " भाई कितनी बार थॅंक यू बोलॉगे ..अभी तो सारी जिंदगी पड़ी है ...."

और फिर उस ने मुझे दिखाते हुए अपनी उंगलियों में लगे मेरे वीर्य को पूरी तरह चाट लिया " ह्म्‍म्म्म..अब खाने का मज़ा आएगा ना मा... मुँह का टेस्ट कितना मस्त हो गया ..." सिंधु अपनी जीभ चटखारते हुए कहा..

मैं उसके इस बात से झूम उठा , उसके अपने भाई के लिए इतनी चाहत से मेरा सीना चौड़ा हो गया ..मैने उसे अपनी तरफ खिचते हुए उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा " इतना प्यार मत कर अपने भाई से रे ...मैं इतना प्यार संभाल नहीं पाउन्गा ...."

और फिर हम लोग स्टील वाले टेबल पर रखे खाने पर टूट पड़े ..खड़े खड़े ही खाते रहे .....

खाने के बाद मैं अपने रूम में चला गया ...और बिस्तर पर आँखें बंद किए लेट गया...

मेरी आँखों के सामने अभी भी मेम साहेब की तस्वीर ताज़ा थी ....

सही में मोटी औरत और इतनी खूबसूरत , मैने आज तक नहीं देखी थी ..उनकी हाइट 5' 4" से किसी भी हालत में कम नहीं थी ..ज़यादा भी हो सकती थी...तभी उनके बदन में मोटापा दिखता नहीं ..बल्कि उसे और भी सेक्सी कर देता था..भारी भारी गोल गोल चुचियाँ ... गोल और बिल्कुल दूधिया सफेद चेहरा ,काली काली आँखें चौड़ी और बड़ी बड़ी..चेहरे पर एक मासूमियत ले आई थी ... सब से सेक्सी तो मुझे उनका सुडौल नाक लग रहा था ...बहुत ही शेप्ली जैसे तराशा हुआ ... जब वो बातें कर रही थी ..बीच बीच में जब हँसती ..उनकी नाक के नथुने फडक उठते ...उफफफफ्फ़ कितना सेक्सी लग रहा था मुझे..पर मैने अपने आप को बहुत कंट्रोल कर रखा था ...और उनके भरे भरे होंठ पर गहरी पिंक लिप-स्टिक ..मानो मुझे उन्हें चूस लेने को ..खा जाने को बूला रही थीं...

क्रमशः…………………………………………..
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10-15-2018, 10:57 PM,
#22
RE: Antarvasna kahani चुदासी चौकडी
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गतान्क से आगे…………………………………….

जब खड़ी हुईं बात ख़त्म होने के बाद ..थोड़ी देर मेरे सामने चलते हुए दरवाज़े की तरफ बढ़ रही थी ...उनकी भारी भारी गोल गोल चूतड़ टाइट सलवार के अंदर उछल रहे थे ..बाहर आने को मचल रहे थे .... और जब उनकी हथेली मेरी जांघों पर थी...कितना मांसल , मुलायम और गर्म सा मुझे महसूस हुआ था ....सच में मेम साहेब मेरे दिल-ओ-दीमाग पर छाई थीं ..कल शाम के बारे सोचते ही मेरे बदन में झुरजुरी सी होने लगी ...

मेरे जीवन के तीन हसीन चेहरों , जिन्हें मैं अपने जी जान से भी ज़्यादा चाहता था , के साथ पता नहीं शायद ये चौथा चेहरा भी जूड़ने वाला था ...किसे मालूम..???

मेम साहेब के बारे सोचते सोचते मेरी आँख लग गयी और मैं सो गया...

मैं गहरी नींद में ही था ..मुझे अचानक अपने लौडे पर कुछ टाइट , गीली और मुलायम सी चीज़ उपर नीचे होती हुई महसूस हुई... और मेरा लंड भी अकड़ता हुआ महसूस हुआ....मेरी नींद खुली ....

उफफफफ्फ़ ..मैने बिंदु का ये रूप कभी नहीं देखा थाअ....इतनी खुली खुली ..इतना पागलपन लिए...

वो बिल्कुल नंगी मेरे लौडे पर बैठी, मुझे चोद रही थी..पागलों की तरह ,,,उसकी चुचियाँ डोल रही थीं ..उसके बाल बीखरे जा रहे थे..चेहरा पीछे की तरफ किए सिसकारियाँ लेती जा रही थी..उसे मेरे जागने की कोई परवाह नही थी..बस मेरे लौडे पर पागलों की तरह सवारी किए जा रही थी...

मेरा लौडा तो पहले ही मेम साहेब की याद से मचल रहा था ...मुझे झुरजुरी सी हो रही थी ...और बिंदु के धक्कों ने मुझे और भी पागल कर दिया ...

मैं भी नीचे अपनी चूतड़ उछाल उछाल कर बिंदु के धक्कों के साथ अपना लौडा उसकी चूत में धँसाता जा रहा था ..धँसाता जा रहा था...

फिर बिंदु के धक्के और तेज़ होते गये ..और तेज़ और फिर उसकी चूत ने मेरे लौडे को बूरी तरह जाकड़ लिया .... जकड़े रहा , मेरे लौडे पर उसकी चूत के होंठो के काँपने का आहेसस हुआ ..और फिर बिंदु ढीली पड़ गयी ..उसकी चूत ने अपना पानी मेरे लौडे पर उगलना शुरू कर दिया ....गर्म पानी..लिस लिसा पानी मेरे लौडे से होता हुआ मेरे पेट तक पहून्च रहा था ....

बिंदु मेरे उपर ढेर हो कर हाँफ रही थी , मैने उसे अपने से जोरों से चिपका लिया और फिर नीचे से उसकी गीली चूत में दो चार जोरदार धक्के लगाए ....उसकी चूतड़ को थामते हुए उसकी चूत अपने लौडे पर धंसा दी , लौडे को अंदर किए झड़ने लगा ..झटके मारता हुआ ...चूत की गर्मी पा कर लौडा के अंदर का लावा उबलता हुआ बाहर आ रहा था ...

बिंदु मेरे वीर्य की गर्म धार से सिहर उठी ......और मुझ से चिपक गयी ...मुझे चूमने लगी ...पागलों की तरह...

दोनो एक दूसरे की बाहों में पड़े थे काफ़ी देर तक ...

अब जा कर मेरे लौडे को , मेरे मन को शांति मीली...दिन भर की आँख्मिचौली के बाद ...हाथेलियो की गर्मी और चूत की गर्मी बड़ा फ़र्क होता है ....हाथ की गर्मी से अंदर कुछ पीघलता हुआ बाहर आता है पर चूत की गर्मी से उबलता हुआ धार फेंकता है...

बिन्दु की गर्म चूत ने मुझे शांत कर दिया ...

थोड़ी देर बाद बिंदु उठी और मेरे बगल लेट गयी ....

घड़ी की ओर देखा तो 930 बजे थे....काफ़ी देर तक मैं सोया था ..मेम साहेब की सुनेहरी यादों की थपकी ने मेरी आँखें बंद कर दी थीं ..पर मेरे लौडे को जगा दिया था ..और बिंदु ने उसे फिर से शांत कर सूला दिया ..

मैने उसकी ओर चेहरा किया , उसे चूम लिया और पूछा

"बिंदु ..... क्या हुआ मेरी बहना को..आज तो तू ने मुझे ही चोद दिया..?"

बिंदु जो अब तक इतने बेबाक हुई मेरे लौडे की सवारी कर रही थी ..मेरे सवाल से झेंप गयी .और अपनी हथेलियों से अपना चेहरा छुपा लिया ....

"हाई .....धात..... भाई ...ऐसे ना बोलो ...." फिर और भी शरमाते हुए अपना चेहरा दूसरी ओर कर लिया...

" अरे क्या बिंदु..अच्छा ..ये बता .जब मैं सो रहा था..मेरा लौडा कड़क खड़ा था ..? " मैने उसकी ठुड्डी थामते हुए उसका चेहरा अपनी तरफ करते हुए कहा.

उस ने धीमी आवाज़ में कहा ..

"हां भाई ...दिन में तुम दोनो के खेल से मैं काफ़ी गर्म हो गयी थी..फिर अभी तुझे जगाने आई तो देखा तेरा लौडा ना जाने क्यूँ एक दम तन्नाया सा पॅंट के अंदर ही खड़ा है..मुझ से रहा नहीं गया ..मैने बहुत सावधानी से आहिस्ता आहिस्ता तेरी पॅंट उतार डी..तू जगा नहीं सोता रहा ..फिर अपने कपड़े भी उतारे तेरे उपर ही चढ़ गयी .....तुझे बुरा लगा क्या भाई..??"

" अरे बिंदु ..बुरा.? बहुत अच्छा लगा बिंदु ..बहुत मज़ा आया ...और तेरा ये खुल कर मुझे चोद्ना ..उफ़फ्फ़ ..मत पूछ बिंदु ...तुझे पहली बार इतने खुले दिल से मज़े लेते हुए देखा ..मत पूछ कितना अच्छा लगा ..."

" हाई ..भाई देख ना मैं कितनी बेशरम हो गयी थी.." और फिर अपना मुँह मेरे सीने में छुपा लिया....

" हा हा हा !! ..तेरी इसी अदा पर तो मैं मरता हूँ जान.." मैने उसे चूमते हुए कहा ...

" छी कितने बेशरम हो तुम भी भाई .....अच्छा चलो उठो ..काफ़ी देर हो गयी है ..खाना तो खा लें ..."

और तभी मा की भी आवाज़ आ गयी ..हमें खाने को बूला रही थी...

खाना खाते -पीते रात के करीब 11 बज गये थे..दिन भर की सरगर्मियों के बाद और पेट भर खाना और लंड भर चूत लेने के बाद नींद तो अच्छी आनी ही थी..मैं बिस्तर पर लेट ते ही मेम साहेब की गदराई चूचियों पर अपना सर रखने के सपने में खोया खोया सो गया..

सुबेह नींद खुली तो देखा सिंधु मेरे लौडे से बूरी तरह लीपटि थी ..अपने गालों से सहला रही थी ..उसे चूम रही थी , मैने जागते हुए कहा .." तू भी ना सिंधु ...अरे छोड़ ना यार ...मुझे बाथरूम जाना है...."

मेरी बात सुन कर वो हंस पड़ी.." ठीक है भाई बाथरूम चले जाना पर ये तो बताते जाओ कल से मैं देख रही हूँ तेरा लंड इतनी बूरी तरह आकड़ा क्यूँ रहता है....क्या चक्कर है भाई..कोई नयी चूत का तो चक्कर नहीं ..??"

मैं बिस्तर से उठा अपने लौडे को थामते थामते हुए , सिंधु को उसके कंधों से अपने से चिपका लिया और बोला " अरे नयी चूत का कोई चान्स नहीं रे...जब तीन -तीन इतने मस्त चूत मेरे सामने हैं..चौथी का नंबर कहाँ है रे... और तुम्ही लोगो के मारे तो बेचारा हमेशा तन्तनया रहता है...."

मेरी बात सुन सिंधु मस्त हो गयी और मुझे चूम लिया " वाह भाई...सुबेह सुबेह मस्त का दिया रे ..इतनी मीठी मीठी बात कर दी.." और मेरे तंन लौडे को दबा दिया " हा हा हा!! जाओ जल्दी जाओ ..इसे खाली करो....."

और इसी तरह हँसी मज़ाक के माहौल में हम सब चाइ-नाश्ता कर अपने अपने कामों पर निकल गये..

दोपहर को खाने के बाद सब सो रहे थे..पर मेरी आँखें तो घड़ी के काँटे की तरफ थी ...3,45 होते ही मैं उठा ..हाथ मुँह धोया ..बाल संवारे और चल पड़ा मेम साहेब का सामना करने ...मेरे अंदर फूल्झड़िया फूट रही थी..पर मैने अपने को कहा

" अबे जग्गू ...थोड़ा संभाल के बेटा ...सीधा टॉप गियर में ही गाड़ी मत चलाओ ..थोड़ी देर 1स्ट्रीट गियर में स्पीड पकड़ ले..वरना साले, गाड़ी झटके पे झटका खाएगी और रुक जाएगी....गाड़ी रुकने मत दे ..इसे चलते रहना चाहिए ...क्यूँ ठीक है ना..??"

ह्म्‍म्म सही है गाड़ी चलते ही रहना है.हमेशा ..इसी में सब की भलाई है...

मैं लंबे लंबे कदमों और धड़कते दिल के साथ बंगले की ओर चल पड़ा ..

दरवाज़ा खटखटाया ...." कौन ...जग्गू ..?? " अंदर से मेम साहेब की मीठी आवाज़ आई

मैने जवाब दिया " जी मेम साहेब .."

"दरवाज़ा खुला है रे ..आ जा अंदर ..." मुझे जवाब मिला ..

मैने अपनी चप्पल उतारी , दरवाज़ा खोला और अंदर गया...

अंदर मेम साहेब सोफे पर लेटी टीवी देख रही थी ..और मैं उन्हें फटी फटी आँखों से देख रहा था ....

उफफफफ्फ़ क्या ड्रेस था आज का .... नीचे गले तक का ढीला सा टॉप ...उसके अंदर उनकी भारी भारी गोल गोल चुचियाँ बस बाहर उछल पड़ने को तैय्यार.....गहरी लाल लिपस्टिक से लगे भरे भरे होंठ ... ढीली फिटिंग वाली जीन्स ...जो नाभि से नीचे थी ..पेट पूरा नंगा... भरे भरे पेट..मांसल पेट ...रंग बिल्कुल दूधिया ... पैर फैलाए ..जिस से टाँगों के बीच फुद्दि का शेप फूला फूला उभर कर मेरी आँखों के सामने ...
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10-15-2018, 10:57 PM,
#23
RE: Antarvasna kahani चुदासी चौकडी
मैं एक मूर्ति की तरह खड़ा था ..मेरी आँखें चौड़ी थीं और दिल बाग बाग ...दीमाग में हलचल मची थी और लौडे में हरकत ...

मेरी हालत देखी उन्होने और हंसते हुए कहा " अरे खड़ा क्यूँ है रे..ये ले गाड़ी की चाभी और गॅरेज से कार निकाल ...."

उनकी आवाज़ से मैं चौंक पड़ा , जैसे किसी मीठे सपने से झकझोर के जगा दिया गया हो मुझे..

मैं आगे बढ़ा ...उनके हाथ से चाभी ली ..और बाहर निकल गया ...बाहर आ कर थोड़ी देर खड़ा रहा ..दिल की धड़कन शांत हुई ..फिर सामने गॅरेज की ओर बढ़ चला ..

कार निकाली ...और बरामदे की ओर ड्राइव करता हुआ उनके पोर्टिको में खड़ी कर दी ..

मेम साहेब बरामदे से नीचे आईं और सामने की सीट पर मेरे बगल बैठ गयीं ..

मैने पूछा " अच्छा मेम साहेब आप को गियर , क्लच और ब्रेक के बारे तो पता ही होगा ..?ये क्या हैं और कहाँ हैं..??"

" अरे मुझे कुछ मालूम नहीं ..मुझे सिर्फ़ इतना पता है कार में बैठ ते कैसे हैं . ..मुझे बस सवारी करनी आती है .." उन्होने मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा ..

मैने जवाब दिया .." मतलब सब कुछ बताना पड़ेगा एक दम शुरू से..."

और मैने गियर पर हाथ रखा ..और कहा " मेम साहेब ..ये गियर है ..."

उन्होने झट मेरी हाथेलि पर ही अपनी मांसल , मुलायम और गर्म हथेली रख दी ...और हल्के से दबाते हुए कहा" ह्म्‍म्म.. तो ये छोटा सा डंडा गियर है...?"

"हां में साहेब ये गियर नहीं सही पूछें तो ये गियर स्टिक है ..और इसे आगे पीछे कर के ही गियर लगाते हैं ...और नीचे क्लच और उसके बगल में ब्रेक ..ये दोनो पैर से दबाते हैं.."और मैने दोनो को पैरों से दबाता हुआ दिखाया..

अभी तक उनकी हथेली मेरी हथेली पर ही थी ... अब वो मेरी हथेली अपनी हथेली से हल्के से थाम कर सहला रही थी ....उनके सहलाने से मेरे बदन में करेंट सी दौड़नी शुरू हो गयी ....इसका सीधा असर मेरे पॅंट के अंदर हो रहा था ..मेरा पॅंट उभरा था ....

मैने अपनी हथेली हटाने की कोशिश की , उन्होने हथेली मेरी हथेली से तो हटा लीं , पर फिर उसे मेरे घूटनों पर रखा और अपना चेहरा नीचे करते हुए कहा " अच्छा ...ज़रा दिखा तो क्लच और ब्रेक कहाँ हैं.."

मैने कहा .." मेरे पैरों की तरफ नीचे देखिए ना मेम साहेब ..बायें पैर के नीचे क्लच और दायें पैर के नीचे ब्रेक ..."

उन्होने नीचे झूकने के लिए अपनी हथेली मेरे बायें घूटने से हटाते हुए मेरे दायें घूटने पर रखना चाहा ..पर बीच में ही जाने क्यूँ उनकी हथेली रुक गयी और मेरे पॅंट की उभार पर आई और उसे जोरों से हथेली से थामते हुए चेहरा नीचे करते हुए कहा " ह्म्‍म्म ..देख रही हूँ..हां दिखा " और इतने देर में ही उन्होने मेरे उभार को मसल डाला जोरों से ...

मैं उछल पड़ा ...

मेम साहेब ने हंसते हुए कहा ..." क्या हुआ जग्गू ...? "

उनके चेहरे पे बड़ी शरारती सी मुस्कान थी और उनकी हथेली अभी भी वहीं के वहीं थी , और उनका मेरे लौडे को मसलना जारी था ..मेरा लौडा तन तना रहा था उनकी गर्म और नर्म हथेली की जाकड़ में ...

मैं उनकी तरफ देखा ..उनकी आँखों में एक अजीब ही चमक और मस्ती थी ...

अब तक मुझ में एक झिझक थी , एक शंका और डर ..पर उनके इस तरह से मेरे लौडे को पकड़ने से मैं समझ गया , मेम साहेब को ड्राइविंग से ज़्यादा ड्राइवर पसंद था ...और मुझे तो उनकी पसंद से मतलब थी ..उनकी खुशी में ही मेरी खुशी थी..हम सब की खुशी ..मा ने भी येई कहा था मुझे ....मैने मा की बात मान ली और मेम साहेब को खुश करने का मन बना लिया ..

मैने एक टक उनकी ओर देखते हुए कहा ..

" कुछ नहीं मेम साहेब ..लगता है आप को गाड़ी की गियर स्टिक से ज़्यादा मेरी गियर स्टिक पसंद आ अगयी है..देखिए ना कितने जोरों से आप ने मेरी स्टिक जाकड़ रखी है..."

मेरा जवाब सुन वो और भी जोरो से हंस पड़ी '' हां रे देर से ही सही ..पर अब तू सही रास्ते पर आ गया ...हां रे जिंदा गियर स्टिक पकड़ने में ज़्यादा मज़ा है ना ..."

पर तेरा स्टिक ढँका क्यूँ है ..इसे बाहर कर ना रे ..ज़रा देखूं तो कितना बड़ा है तेरा स्टिक..इतनी बड़ी गाड़ी को आगे बढ़ा सकता है या नहीं..? "

" अरे क्यूँ नहीं मेम साहेब ..बिल्कुल देखिए ..आप की गाड़ी है ..गियर स्टिक भी आप का ही है ..."

और मैने फ़ौरन उनकी हथेली अपने पॅंट के उपर से हटाता हुआ अपनी ज़िप खोल दी और अंडरवेर के साइड वाली फाँक से उसे बाहर कर दिया ...

मेरा लौडा फंफनाता हुआ कपड़ों से आज़ाद होता हुआ उछलता हुआ कड़क खड़ा लहराता हुआ हिल रहा था ...

मेम साहेब की चीख निकल गये "" उईईईईईईई....." उनकी आँखें चौड़ी थीं ..पूरे का पूरा 8" हवा में लहरा रहा था ...

" वाह रे वाह ...ये गियर स्टिक तो बुल्लडोज़ेर को भी हिला देगा रे जग्गू ."

और उनकी हथेली ने फिर से मेरे लौडे को बूरी तरह जाकड़ लिया और दबाने लगी . सहलाने लगी , उनकी आँखें बंद थीं ....और उनकी दूसरी हथेली की उंगलियाँ अपनी चूत सहला रही थी ...

मैं सिहर उठा ...उनके हाथेलि में मेरा लौडा और भी कड़क हो उठा ..

मेरा गला खुश्क हो चला था ...

मैने भर्राई आवाज़ में कहा

" मेम साहेब ...आप ने मेरा गियर स्टिक तो थाम लिया ..पर क्या मुझे अपनी स्टिक रखने की होल नहीं दिखाएँगी....?

देखिए ना कार की स्टिक कितनी मजबूती से अपने होल पर टीकी है मुझे भी तो अपनी स्टिक टिकने का होल देखने दें ..."

" अरे मना किस ने किया .खुद ही देख लो ना ... होल की साइज़ कैसी है..तेरी स्टिक के लिए ठीक है या नहीं ..अच्छे से जाँच लो ना जग्गू..."

क्रमशः………………………………………..
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10-15-2018, 10:57 PM,
#24
RE: Antarvasna kahani चुदासी चौकडी
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गतान्क से आगे…………………………………….

उनकी बातें ख़तम होने से पहले ही मैं उनकी तरफ झुका..उनके जीन्स की ज़िप खोल दी ....अंदर कोई रुकावाट नहीं थी..उन्होने पैंटी नहीं पहेनी थी ..उनकी प्लॅनिंग सटीक थी ...ज़िप के अंदर का नज़ारा देखते ही मैं भी चीख उठा ... "अयाया ...उफफफफ्फ़"

उनकी फूली फूली चूत मेरी आँखों के सामने थी ...बिल्कुल शेव्ड ...गुलाबी फाँक ..बूरी तरह गीली ... दोनो होंठ अलग .. फिर भी कसी कसी ..

मैं बस देखता ही रहा ..उन्होने अपनी जीन्स अपनी चूतड़ उठा कर घूटनों तक कर दिया , टाँगें फैला दीं , चूत की फाँक बिल्कुल खुल कर मेरे सामने थी

उन्होने अपनी उंगलियों से चूत की फाँक अलग करते हुए कहा

" देख ले जग्गू ..रास्ता कैसा है ....तेरी स्टिक ठीक फिट होगी ना ..?? "

" मेम साहेब...अब बिना छूए कैसे बताऊं ..."

उन्होने झट से मेरी हथेली थामते हुए अपनी गर्म गर्म चूत की फाँक पर रख दी

और कहा " हां छू ले सहला ले ..टटोल ले , अच्छे से परख ले ...बाद में कुछ बोलना मत .."

मैने उनकी चूत अपनी हथेली से दबोच लिया ..अपनी मुट्ठी में भर लिया ...उफ्फ कितना मांसल , फूला फूला और मुलायम था .....

मेम साहेब भी चीख उठीं .." हाईईईईईईई.. उईईईईईईईईईईईई....आआआआआआः ..क्या किया रे तू ने ..." उनका पूरा बदन कांप उठा

मैं उनकी जाँघ के बीच अपना चेहरा किया और पूछा

" मेम साहेब ..मैं इन्हें अच्छे से देख सकता हूँ..? "

मेरी हथेली पहले से ही वहाँ टटोलने का काम बखूबी कर रही थी ..मेम साहेब बूरी तरह कांप रही थी ...उसकी चूत से लगातार पानी रीस रहा था

मेम साहेब ने अपनी सूस्त और नशीली आवाज़ में कहा' जग्गू पूछ मत ..बस जो करना है कर ले जल्दी ...उउईइ,,,अयाया " मेरी हथेली उनकी चूत को उंगलियों से सहलाए जा रही थी घीसती जा रही थी

मैने उनकी चूत पर अपना चेहरा झुका दिया ...मेरी सांस उनकी चूत से टकराई ...

उफफफफफ्फ़ अंदर क्या नज़ारा था ...उनकी चूत की मीठी मीठी सुगंध मेरे नाक के अंदर भर गयी ... चूत का सांकरा छेद बिल्कुल गीला गीला सा..अंदर उनकी चूत की दीवार फडक रही थी .. फक फक फक ...जैसे दिल की धड़कन ...

मुझ से रहा नहीं गया ...

मैने फिर पूछा .."मेम साहेब ....आप की चूत की सुगंध इतनी मीठी है ,उसका रस और भी मीठा होगा ..क्या मैं रस चूस लूँ..?"

उन्होने बिना कुछ बोले , फ़ौरन मेरे सर के पीछे हाथ रखते हुए मेरे मुँह को अपनी चूत पर दबा दिया ....और अपनी चूतड़ भी उपर कर दी .. बॅकरेस्ट को भी नीचे और नीचे कर दिया..अब वो करीब करीब सीधी लेटी थीं और चूतड़ उपर हो गया और चूत मेरे मुँह के सामने...

मैं उसके बगल से उसकी चूत पर टूट पड़ा ..अपने होंठों से जाकड़ लिया ..और बूरी तरह चूसने लगा ... उसके चूत का रस सीधा मेरे गले से नीचे उतर गया ..क्या स्वाद था ...नमकीन और कुछ खट्टा खट्टा सा...पूरा मुँह मेरा भर गया था ...मैने पूरे का पूरा अंदर ले लिया ...

में साहेब उछल पड़ी .उसका चूतड़ कार की सीट से उछलता और फिर धँस जाता ..जितनी बार मैं चूस्ता , उनका चूतड़ उछलता और धंसता ...

" जग्गू ठीक है ना होल ..जाएगा ना तेरा स्टिक वहाँ ..?? "

"" हां मेम साहेब ....दिखता तो है जाएगा ..पर एक बार स्टिक लगा कर ठीक से देखना होगा ना ..कहीं धोखा ना हो जाए ..."

' हां जग्गू ..फिर ऐसा कर ..चल घर चलते हैं वहाँ अच्छे से स्टिक डाल कर देख ले ..."

इस बात पर मैं तो झूम उठा ...

" हां मेम साहेब .. चलते हैं ...और आप की होल जाँचते हैं ..."

मैं फ़ौरन ड्राइविंग सीट पर वापस अच्छे से बैठ गया ..मेम साहेब बॅकरेस्ट पर अपना सर रखे आँखें बंद किए सिसकारियाँ ले रही थी..अपनी चूत की छूसा का मज़ा अभी भी उनके चेहरे पर था....

और मैं रिवर्स करता हुआ बंगले की ओर कार तेज़ी से दौड़ा दिया ....

कार मैने पोर्टिको के अंदर खड़ी की..एंजिन बंद किया और झट उतरते हुए मेम साहेब की तरफ गया ..उनका दरवाज़ा खोला ....उन्होने मेरे कंधों को थाम लिया और अपना वजन मेरे कंधों पर डालते हुए कार से बाहर आ गयी ...

बाहर आते ही उन्होने मेरी कमर के गिर्द अपना हाथ रख दिया , मुझे अपनी तरफ खिचते हुए अपने से चिपका लिया ...मैं थोड़ा झिझक रहा था..कहीं कोई देख ना ले...मैं पीछे मूड के देखा ...मेम साहेब समझ गयीं ... उन्होने मेरा हाथ पकड़ अपनी मोटी., सुडौल और मांसल कमर के गिर्द कर दिया और कहा

" डर मत जग्गू ..यहाँ कोई नहीं अभी..कोई नहीं देखेगा " और मुझे और भी करीब खिच लिया ....मैने भी उनकी कमर की गोश्त को मुट्ठी से दबाता हुआ उन से और चिपका गया ..और घर के अंदर दोनो एक दूसरे से चिपके बढ़नेलागे .उनकी कमर दबाने में मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे किसी बड़े मुलायम गद्दे में हाथ धंसा है ..मैं और दबाता रहा ...बड़ा मज़ा आ रहा था ...ऐसा महसूस मुझे आज तक नहीं हुआ था ...

हम दोनो कमरे के अंदर आ गये थे ...

मैं तो पागल हो रहा था..मेम साहेब का पूरा जिस्म भरा भरा ..जहाँ से दबाओ ..बस मुट्ठी भर जाती उनके मुलायम और गर्म गर्म गोश्त से..उफफफफ्फ़ ...मन तो कर रहा था उनको खा जाऊं...

अंदर जाते ही मैने उन्हें सोफे पर बिठा दिया और दरवाज़ा बंद कर दिया ..

वो सोफे पर टाँगें फैलाए , अपनी पीठ सोफे पर टीकाए बैठी थी..उनके जीन्स की ज़िप अभी भी खुली ही थी ...टाँगें फैलने से उनकी चूत सॉफ नज़र आ रही थी ...मैं उनके सामने खड़ा बस उन्हें निहार रहा था....मुझे समझ नहीं आ रहा था कहाँ से शुरू करूँ ...

उन्होने मुझे देखते हुए अपने हाथ फैला दिए मानो कह रही हों " आ जा मेरी बाहों में..चूस ले , खा ले , नोच ले , निचोड़ ले मुझे..."

मैं उनकी टाँगों के बीच आ गया और उनसे लिपट गया..मेरे पॅंट की ज़िप भी खुली थी, लौडा बाहर ही था पूरी तरह तन तनाया ..मैने उनकी चूत को अपने लौडे के नीचे महसूस किया ..अपनी कमर नीचे करता हुआ उनकी चूत पर लौडा दबा दिया ..और अपनी हथेली उनकी दोनो

चूचियों पर रख मसलना शुरू कर दिया , अपने होंठ उनके भरे भरे होंठों पर लगा उन्हें जोरों से चूसना शुरू कर दिया ...

मेम साहेब आँखें बंद किए मज़े के सागर में गोते लगा रही थी ..सिसकारियाँ ले रही थी ...उनके हाथ मेरे सर पर थे और उसे अपने होंठों से और भी चिपका रही थी ..उनका मुँह पूरा खुला था ..

मेरा लौडा उनकी चूत दबाता जा रहा था , मेरी हथेलिया उनकी भारी भारी चुचियाँ दबाए जा रही थी ..पूरे का पूरा मेरी चौड़ी हथेली में भरी भरी थी ..गोल गोल मोटी चुचियाँ ..

फिर एक दम से मुझे अलग करती हुई वो उठ पड़ी सोफे से ..और मेरा हाथ पकड़ते हुए मुझे घसीट ते हुए अंदर की ओर चल पड़ी ...और ड्रॉयिंग रूम से लगे अपने बेड रूम में पलंग पर बिठा दिया ...और एक झटके में अपने कपड़े उतार दिए ..फिर मेरी तरफ बढ़ी ..मेरे शर्ट और पॅंट भी उतार दिए ...अंडरवेर अपनी उंगलियों से खिचते हुए नीचे कर दिया .मैने भी बिना देर किए उसे अपने पैरों से बाहर कर दिया..

हम दोनो एक दम नंगे एक दूसरे के सामने खड़े थे..

मैं तो बस उन्हें देखता ही रह गया ...

मेम साहेब उपर से नीचे तक बस गोलैईयों से भारी थी ...लंबा कद उनकी गोलैईयों को भद्दा होने की बजे एक बहुत सेक्सी रूप दे रहा था..मुझे ऐसा लगा उन पर टूट पडू और गोलैईयों को दबा दबा कर पीचका दूं ....उनकी भारी भारी चुचियाँ..उनका भरा भरा पेट ...मोटी मांसल जंघें..फूली फूली चूत ...गोल भरा भरा चेहरा और गुदाज़ गाल.... रस से भरे भरे होंठ ....उफफफफफफ्फ़ ..मैं देखता रहा...दूधिया रंग ...और सब से बड़ी बात थी उनका एक एक अंग कसा कसा था ..कहीं भी उम्र की मार नहीं थी ..कहीं कुछ भी ढीला नहीं था ... लगता था कभी किसी मर्द ने उन्हें रौंदा नहीं था ..निचोड़ा नहीं था ..बिल्कुल अछूती सी...

" अरे सिर्फ़ देखता ही रहेगा.. " और फिर से उन्होने अपनी टाँगें फैलाते हुए अपनी बाहें खोल दीं और खुद ही आगे बढ़ते हुए मुझे अपने से चिपका लिया ...और अपनी जांघों के बीच मेरे तननाए लौडे को जोरों से दबा दिया ..

उन्होने मुझे धकेलते हुए पलंग पर गीरा दिया और मेरे उपर चढ़ बैठी ...और मेरे लौडे को अपनी हथेलियों से दबोच लिया ...जोरों से दबाने लगी ..मानो उसे उखाड़ लेंगी और अपनी चूत में घूसेड देंगी...उफफफफ्फ़ ..मेरे लौडे के लिए इतना पागलपन ..मुझे अपनी प्ययरी बहेना सिंधु की याद आ गयी ...अभी मेम साहेब एक कम्सीन लड़की की तरह चूदासी थीं ..लौडा अपने अंदर लेने को बेताब ...

मैने उन्हें कमर से थामते हुए अपने नीचे कर दिया ..मैं भी अब उन्हें अपना खेल दिखाने को पागल हो उठा ....और टूट पड़ा उन पर ...उनकी चुचियाँ अपनी हथेलियों मे भर लिया और मथने लगा ...उन्हें आटे की तरह गूँथने लगा ...इतना मुलायम और भरा भरा ...जितना दबाओ और दब्ता ही जाता था ...कोई हद नहीं थी ...

अपने लौडे को उनकी जांघों के बीच जोरों से दबाता रहा ...लौडा बार उनके रस से सराबोर चूत पर फिसल जाता ..मैं फिर से अपनी कमर उठा उठा कर दबाता ...अपने होंठ उनके होंठों से लगा चूस्ता जाता ..चूस्ता जाता ..उनके मुँह से थूक और लार टपक रहे थे ..मैं उन्हें भी चूस चूस अंदर लेता जाता..फिर अपनी जीभ अंदर डाल दी उनके मुँह में ..उनके मुँह के अंदर घुमाता रहा अपनी जीभ ...मेम साहेब अब "हाईईईई...उईईईईई...ऊवू ...हाआँ ..हां ..अया ..आ " किए जा रही थीं..मेरी पीठ पर अपने हाथ रखे मुझे अपने से चिपका लिया था .अपनी टाँगें मेरे चूतड़ पे रख दबाती जाती ..मेरा लौडा उनकी चूत पर रगड़ता जा रहा था ...

दोनो पागल हो उठे थे...

" जग्गू ..चूस ले रे ..चाट ले रे मुझे ..उफफफ्फ़ ...आज मुझे मार डाल ..ले ले अपने अंदर ..कितने दिनों बाद आज किसी ने मुझे हाथ लगाया है..अपनी बाहों में लिया है....हा ..रे ...निचोड़ ले मुझे ....उफफफफ्फ़ ..मैं मर जाऊंगी...दबा ..दबा खूब दबा मेरी चुचियाँ ...इन्हें चूस ना ..आज तक मुझे किसी ने नहीं चूसा रे..जग्गू ..चूस ले ...मेरी भूख मीटा दे रे ..मेरा सब कुछ ले ले.....उफफफ्फ़..मैं तो तेरी हूँ रे..कैसे भी कर कुछ भी कर ...चोद डाल मुझे ...." मेम साहेब की भूख उबल पड़ी थी ...इतने दिनों तक का रुका हुआ हवस का बाँध फूट पड़ा था

मैं उन्हें खाए जा रहा था ..दबाए जा रहा था..उनके हवस की पागलपन ने मुझे भी पागल कर दिया था ..मैने अब उनकी चूचियों को अपने हाथों से दबाता हुआ अपना लौडा चूचियों के बीच कर दिया ..और चूचियों के बीच चुदाई करना चालू कर दिया ...

उफफफफफ्फ़ ...मेरा लौडा चूचियों के बीच , उनकी मोटी , मुलायम और गोल गोल चूचियों के बीच खो गया था ...मेम साहेब कराह रही थी ....कभी कभी जोरदार धक्के से लौडा चूचियों से बाहर निकलता हुआ उनके होंठों से जा लगता ...मेम साहेब उसे जीभ से चाट लेती .....उफफफ्फ़ मैं सिहर उठा था ...
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10-15-2018, 10:57 PM,
#25
RE: Antarvasna kahani चुदासी चौकडी
मेम साहेब तड़प रही थी ...लौडा अपनी चूत के अंदर लेने को मचल रही थी ..चूतड़ उछल रही थी ...

" हाईईइ रे ..देख ना मेरी चूत का हाल जग्गू ..कितना पानी चोद रहा है...आह अब चोद डाल रे..फाड़ दे मेरी चूत ...कितनी खुजली है अंदर ..मीटा दे रे मेरी खूजली...उफफफफ्फ़ ...हां रे आ जा ....आ जा मेरे अंदर ...."

और अब मेरे लिए भी सहन करना मुश्किल हो रहा था ..मेरा लौडा चूचियों के दबाओ से एक दम कड़क हो चूका था ...और उनकी चूत बिल्कुल गीली ..

मैं उनकी टाँगों के बीच आ गया ...

उन्होने टाँगें फैला दीं ..उनकी चूत फैल गयी ...गुलाबी चूत..मखमली चूत ..गदराई चूत ...बिल्कुल चीकनी और गीली ...

मैने उनकी चूत पर उंगली रख उसके होंठों को और भी खोल दिया ...अंदर रस से चमक रही थी उनकी चूत ..

सुपादे को छेद पर रख अपने लौडे को जोरों से दबाता हुआ उनके मुलायम चूत पर घीसता हुआ दो चार बार उपर नीचे किया ....

मैं सिहर गया उनके मुलायम और गद्देदार चूत के महसूस से और मेम साहेब उछल पड़ीं ...उनका चूतड़ उछल पड़ा .." हाऐ रे...कितना तडपाएगा रे ...मैं मर जाऊंगी जग्गू ..उउईइ.....अयाया .डाल दे ना ...डाल ना रे ....."

और अब मैने उनकी चूत पर घीसना रोक दिया ..चूत के होल पर अपना लौडा रखा और एक धक्का लगाया ...लौडा फिसलता हुआ आधे से भी ज़्यादा अंदर घूस गया ...

मेम साहेब सिहर उठीं ...पर अंदर लौडा टाइट था .उनकी चूत मुलायम थी ...गर्म थी ..पर इतने दिनों तक अन्चूदि ...अंदर रास्ता टाइट था ...उन्होने अपने हाथों को नीचे ले जाते हुए चूत को और भी फैला दिया .." ले अब और मार ..पूरा अंदर डाल दे ना ..अपने जड़ तक .."

मैने अपने हाथ नीचे ले जाते हुए उनकी मोटी और गुदाज़ चुतडो को थाम लिया ..उसे उपर उठाया और फिर धक्का लगाया ..लौडा अंदर था ..पूरे का पूरा...

" हाईईईईईईईईईईईईईईईईईई रे ....अयाया ....." चीख पड़ीं में साहेब .उन्हें थोड़ा दर्द महसूस हुआ ..उनकी आँखों से पानी टपक पड़ा

मैं उनकी चूत के अंदर लौडा पेले रहा थोड़ी देर ..उन से बूरी तरह चिपका रहा ...

जाँघ से जाँघ ..उनके पेट से पेट और उनकी चूचियों से मेरा सीना चिपका था ....और चूत के अंदर लौडा ..मेरे बॉल्स उनकी चूत पर...

उन्होने अपने हाथों से मुझे जाकड़ रखा था ..और चूतड़ बार बार उपर किए जा रही थी ..और भी मेरे लौडे को अंदर लेने को ...

हम दोनो इसी तरह चिपके रहे थोड़ी देर .एक दूसरे में पूरी तरह समा जाने को तड़प रहे थे...

" जग्गू ....रुक मत रे ..चल अब चोद ना ...फाड़ दे ना रे मेरी चूत ....उफफफ्फ़ ....मेरी परवाह मत कर ..... " मेम साहेब बोलती जा रही थीं और मैं और भी मस्त होता जा रहा था

मैने लौडा बाहर निकाला और फिर जोरदार धक्के लगाने शुरू कर दिए ....

पूरा कमरा ठप ठप की आवाज़ से भर गया ...मेरा लौडा जड़ तक अंदर जा रहा था ...मेरी जंघें उनकी गूदाज़ और भरे भरे जांघों से टकरा रही थी ...

उनकी चूत के अंदर कितनी गर्मी थी, कितना मुलायम था ...

मैं धक्के पे धक्का लगाए जा रहा था और मेम साहेब पागलपन की हद पर थीं...चीख रही थी ..सिसकारियाँ ले रही थी..चूतड़ उछाल रही थी ..मुझे जाकड़ रही थी , मुझे चूम रही थी...चाट रही थी ..काट रही थी ...उफफफफ्फ़ ..इतनी भूख ...

उनकी पागलपन को देख मेरे रग रग में एक अजीब मस्ती , नशा और जोश बढ़ता जाता ..जिसका सीधा असर होता मेरे लंड पर....उनकी चूत के अंदर ही और भी कड़क होता जाता..ऐसा महसूस हो रहा था मानो उनकी चूत फाड़ता हुआ उनके अंदर और अंदर घूस जाएगा ..मेरा उनके गुदाज चुतडो पर नीचे से हथेली का दबाव भी बढ़ता जाता ..जैसे मैं उन्हें नोच लूँगा....और धक्के तेज़ और तेज़ होते जाते..ठप..ठप ...ठप ....

मेम साहेब उछल रही थी हर धक्के पर, हिचकोले ले रही थी..झूम रही थी ..उनका अपने पर अब कोई भी क़ाबू नहीं रह गया था....

इसी मस्ती के दौरान अचानक मेरे लौडे को उनकी चूत ने जोरों से जाकड़ लिया ...कस कर ..मानो मेरे लौडे को चूस लेंगी ...

" ओओओओह जग्गू ....अयाया रे ..ये क्या हो रहा है मेरे अंदर ..कुछ समझ में नहीं आ रहा रे ...आज तक मुझे ऐसा नहीं हुआ ...अफ मुझे क्या कर दिया रे ....अयाया ....मेरा सब कुछ अंदर कांप रहा है जग्गू ...आआआआआः

उईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई.....मुझे सहन नहीं हो रहा रे जग्गू , क्या किया रे तू ने ..ये कैसी चुदाई है रे ..आआआआआआआः ..क्या निकला रे मेरी चूत से ..मेरे अंदर से ....आआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ...."

और उनकी चूत ने और भी जोरों से मेरे लौडे को जकड़ा और फिर एक दम से रस की धार छोड़ते हुए ढीली होती गयी ......

मेम साहेब को शायद जिंदगी में पहली बार झड़ने का मौका आज मिला ...

मेरा लौडा उनके चूत रस से सराबोर था , उनकी जंघें कांप रही थीं ... बदन थरथरा रहा था..चूत के होंठ भी फडक रहे थे ....

मेरा लौडा अभी भी तन्नाया था ..और उनके चूत के अंदर ही था ...

पर उनके रस की गर्मी से गन्गना उठा था , झुरजुरा उठा था ..मैं भी दो चार धक्कों के बाद अपनी पीचकारी उनकी चूत में लौडा अंदर किए छोड़ दी और झटके खाता झाड़ता गया ..

मेम साहेब मेरे वीर्य की धार और गर्मी से फिर से सिहर उठी , उनका पूरा बदन गन्गना गया ....

मैं उनके मुलायम और गर्म सीने से लगा उनकी चूचियों पर सर रखे पड़ा रहा..

दोनो हाँफ रहे थे.. और आँखें बंद किए एक दूसरे की बाहों में लेटे रहे ...

थोड़ी देर बाद मेम साहेब ने आँखें खोलीं , मेरे बाल सहलाते हुए मुझ से कहा

" जग्गू ... तू ने जो आहेसास मुझे कराया ..मैं जिंदगी भर नहीं भूला सकती ..एक औरत होने का आहेसस मुझे आज पहली बार मिला .."

और मुझे बार बार चूमती रही ..पुच्कार्ती रही ...

अपनी गर्म छाती से लगा लिया ..बार बार मेरे चेहरे को अपने सीने से लगाती और चूमती जातीं ..

और फिर हंसते हुए कहा " ह्म्‍म्म.अच्छा ये बता मेरा होल ठीक है ना तेरे गियर स्टिक के लिए ..??'"

मैने उनकी तरफ देखते हुए कहा " हां मेम साहेब बिल्कुल फिट है आप का होल ..." और फिर हम दोनो जोरों से हंस पड़े...

जब मेम साहेब हंस रही थी...उनकी चुचियाँ इस तरह हिल रही थी .उछल रही थी मानो..उनके साथ उनकी चुचियाँ भी हंस रहीं हों....बड़ा मस्त लग रहा था ....मैं उन्हें ही देखता रहा..एक टक...उनकी उछालती , हिलती सीने की उभार पर मेरी नज़रें टीकी थीं..

मेम साहेब की नज़र मेरी ओर हुई...उन्होने मुझे उनकी चूचियो को घूरते हुए देखा ...

" ऐसे क्या घूर घूर के देख रहा है...रे.? " ये कहते हुए उन्होने फ़ौरन अपनी चूचियों को अपनी हथेलियों से थामते हुए मेरी ओर किया और फिर कहा" अरे जग्गू...आ जा ..थाम ना इन्हें..दबा ले, चूस ले ..काट ले ....आ ले पकड़ " और उन्होने मेरा हाथ पकड़ अपनी चूचियों पर रख दिया...

मेरी हथेलियों ने उनकी भारी भारी गुदाज़ चूचियों को जाकड़ कर दबाने लगा ..गूँथने लगा ..जोरों से ...अया क्या चुचियाँ थीं उनकी....जितना दबाओ ..नीचे से उतना ही उछल पड़ता..बिल्कुल स्पंज की तरह .....

" हां रे ..हन दबा ..दबा ..मसल जितना चाहे मसल दे रे जग्गू..कितने दिनों तक बेचारी दोनो ऐसी ही पड़ी थीं...देख ना तेरे हथेली मैं कैसे उछल रही हैं .." फिर उन्होने अपने हथेली से उन्हें दबाते हुए मेरे मुँह की तरफ कर दिया...."ले ..ले ..इन्हें चूस ना ...चूस ले ..खा जा ..." और उन्होने मेरे मुँह में अपनी चूची घुसेड दी ..और मैं भी चपड चपड जीभ घूंडी पर लगाता हुआ उन्हें चूसने लगा ....होंठों से पूरी तरह जकड़ते हुए ......

क्रमशः…………………………………………..
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10-15-2018, 10:57 PM,
#26
RE: Antarvasna kahani चुदासी चौकडी
13

गतान्क से आगे…………………………………….

मैं तो मेम साहेब के इस रूप को देख हैरान था ..परेशान था..कहाँ तो हमेशा एक दम सीरीयस सी , कर्कश और तीखी आवाज़ों वाली ..और आज बिल्कुल उल्टा..एक दम बिंदास ...कोई झिझक नहीं ..कोई परेशानी नहीं.... एक जवान लड़की की तरह जो अपने प्रेमी के साथ मज़े लूट रही हो..जिंदगी की सारी खुशियाँ समेट लेने को उतारू ....सिर्फ़ एक ही मक़सद था जिंदगी भरपूर जीने का...जिंदगी का पूरा लुत्फ़ उठाने का..

मैं उनकी चूची भरपूर चूस रहा था ..फिर सांस लेने को रुका ... उनकी आँखो में देखा ....उन्की आँखें कह रही थी .." क्या हुआ..रुक क्यूँ गये..?"

मैने उनके चेहरे को अपने हाथों से थामा , उन्हें चूम लिया और फिर उनकी आँखों में झाँकता हुआ कहा " मेम साहेब एक बात पूछूँ..? "

उन्होने भी मेरे होंठों को चूमते हुए कहा " हां रे पूछ ना ..क्या पूछना है..?"

" मेम साहेब ..मैं कल से ही देख रहा हूँ..आप कितनी बदली बदली हैं..कहाँ तो रोज का गुस्सा , चिल्लाना औरों पर , हमेशा चेहरे पर चिड़चिड़ाहट ...और कहाँ ये अब सिर्फ़ प्यार , मस्ती एक दम बिंदास ....क्या हो गया ये अचानाक आप को..?"

मेरी बात सुन मेम साहेब ने भी मेरे चेहरे को थाम लिया और मेरी आँखों में देखते हुए कहा " क्यूँ तुझे मेरा ये रूप पसंद नहीं आया..?/"

मैने बड़े प्यार से उनकी चूची दबाने लगा ..उनके भरे भरे पेट पर हाथ सहलाया उन्हें अपने सीने से लगा लिया और कहा ." क्या आप को ऐसा लगा मेम साहेब ..?? "

मेम साहेब मेरे सीने से चिपकी रही ..सिर्फ़ अपना सर उठाया और मेरी तरफ देखते हुए कहा " नहीं रे ..तुम ने तो मुझे निहाल कर दिया ..इतना प्यार किया और सॉफ सॉफ बोलूं तो ऐसा चोदा है मुझे आज तक किसी ने नहीं चोदा रे ....और मेरे इस बिंदास रूप में वापस लौटने की वाज़ेह तुम ही हो जग्गू ..सिर्फ़ तुम ..अगर तुम नहीं आते ना तो मैं बस वैसे ही अपने गुस्से और चिड़चिड़ाहट की आग में झुलस झुलस के मर जाती....हां मर जाती .."

मैं उनकी इस बेबाक बात से सन्नाटे में आ गया ..कहाँ मैं एक मामूली कार सॉफ करनेवाला उनकी नौकरानी का बेटा ..और कहाँ इस मामूली आदमी ने इनकी जिंदगी का रुख़ ही बदल दिया .....मैं हैरान था ..मेरे जहेन में हज़ारों सवाल उठ खड़े हुए ....

मेरे चेहरे पे एक उलझन थी , मैने फिर से एक सवाल किया .." मुझे तो ऐतबार ही नहीं हो रहा मेम साहेब ..मैं एक मामूली सा आदमी , इतना बड़ा बदलाव ले आया आप के अंदर ? पर वो कैसे ..??"

उन्होने ने अपने उंगलियों से मेरे गाल पकड़ लिए और मुझे चूम लिया " वो ऐसे ..मेरे भोन्दु राजा ...सुन ...तू जब आया यहाँ ना तेरे मस्त ,अल्हाड , बेफिक्र पर फिर भी इतना ज़िम्मेदार और सीरीयस सा रूप देख मैं मर मिटी... मैं इतने दिनों तक रोज तुझे देखती ...तेरी चाल में एक भरोसा है...बड़े नपे तुले कदम हैं तेरे ... इतने भरोसे से भरे है तेरे कदम जग्गू ..कोई भी इन कदमों के साथ दुनिया की आखरी छोर तक चल सकता है ... और जब कल तेरे लौडे को मैने अपनी उंगलियों से छुआ..जब तू पहली बार मुझ से मिलने आया था कल ...रही सही कसर भी पूरी हो गयी ...उफ़फ्फ़ कितना कड़क था..मानो किसी चूत को रौंद डालेगा ....और आज जब तू ने मुझे चोदा .....सही में तू ने रौंद डाला मुझे ...मेरे रोम रोम को जगा दिया तू ने ..तेरे धक्कों ने मेरी पोर पोर खोल दी ..मेरा पूरा बदन कांप उठा ...मेरे सोए अरमान ..मेरा सोया हुआ समय ...सब कुछ वापस आ गया ...जग्गू तू ने आज तक सोती हुई शन्नो को जगा दिया रे ..हां रे जग्गू, शन्नो आज फिर वापस आ गयी है ..."

मैं आँखें फाडे उनकी तरफ देख रहा था...मेम साहेब एक के बाद एक बॉम्ब चोदे जा रही थीं ..मेरी उलझनें बढ़ती जा रही थी....मेरे अंदर धमाके पर धमाका होता जा रहा था... और अब ये शन्नो का धमाका ....

मैने पूछा.." शन्नो..ये शन्नो कौन है मेम साहेब ..."

मेम साहेब ने जोरदार ठहाके लगाते हुए कहा " हा हा हा !! अरे आँखें मत फाड़ ..तू ने तो मेरा सब कुछ फाड़ दिया रे...तू मेरे आज को फाड़ता हुआ, चीरता हुआ मेरे बीते हुए कल तक पहून्च गया ..अरे बाबा शन्नो मेरा ही नाम है ..आज तू ने उसे जगा दिया जग्गू ...तेरे सामने मेम साहेब मर गयी ....शन्नो जाग गयी..मैं मुस्लिम हूँ , मैं और तेरे मेरहूम साहेब , कॉलेज में साथ पढ़ते थे...और हमारा लव मॅरेज हुआ....

पर ये शन्नो तो और भी पहलेवाली है ...हां जग्गू तू ने मेरी शादी से पहले वाले दिनों की याद दिला दी..जब मैं पहली बार चुदी थी...उफफफफ्फ़ एक वो चुदाई थी और एक आज ....और इन दोनो चुदायों के बीच शादी के बाद जो हुई .उन्हें मैं भूल जाना चाहती हूँ..वो सिर्फ़ एक रस्म-निभानेवाली बात जैसी होती थी...उन्हें अपने बिज़्नेस और पैसों से ज़्यादा प्यार था ...कुछ दिनों तक तो सब कुछ ठीक था ..पर फिर वोई पैसा..पैसा ...और शन्नो इस पैसे की हाई तोबे में मर गयी....जिसे आज तुम ने फिर से जिंदा कर दिया .. "

मेरे जेहन में अब उनकी बात कुछ कुछ समझ आ रही थी...मैं उनकी तरफ देखता रहा ...

और सिर्फ़ इतना कहा.." अच्छा..तो आप को आज की चुदाई इतनी अच्छी लगी..." मेम साहेब अभी भी मेरे सीने से लगी थीं ...मैं उनकी चूचियों से खेल रहा था ....

उन्होने मेरे गाल सहलाते हुए कहा" हां रे जग्गू ....तेरे जोरदार धक्कों ने अब तक सोती हुई शन्नो को जगा दिया ..और आज मुझे ऐसा महसूस हुआ मैं अधेड़ मेम साहेब नहीं बल्कि शादी से पहलेवाली 24 साल की शन्नो हूँ...वोई अल्हड़ , मस्त और बिंदास शन्नो ....और जग्गू अब ये शन्नो वैसी ही रहेगी तेरे साथ ....समझे...? और तेरे लिए मैं मेम साहेब नहीं शन्नो हूँ..शन्नो ..फकत शन्नो .....और सुन आज से , अभी से तू मुझे शन्नो बुलाएगा ..शन्नो ....जग्गू ने शन्नो को जगा दिया ...अब दुबारा उसे मरने मत देना जग्गू ...आरसन के बाद तो फिर से जी उठी है ......."

और मेम साहेब...अरे नहीं नहीं ...शन्नो की आँखें भर आई थी..मेरी भी आँखें नम थीं...

मैने शन्नो को अपने सीने से और भी चिपका लिया ..बिल्कुल अपने करीब खिच लिया , उसके काँपते होंठों को अपने होंठों से लगाया उन्हें चूम लिया ...और कहा

" हां शन्नो ... अब तुझे मैं जिंदा रखूँगा ..जब तक मैं जिंदा हूँ..."

शन्नो मेरी बाहों में फूट फूट के रो रही थी..उसकी बड़ी बड़ी और चौड़ी सी आँखों से आँसू की मोटी मोटी बूंदे टपकती जा रही थीं .....शन्नो अपनी आँसू की बूँदो से मेम साहेब की यादों को , उनके अंदर की आग को , उनके दिल की इतने दिनों की भदास को धोए जा रही थी ....मीटाती जा रही थी...

अब मेम साहेब पूरी तरह से शन्नो थी ..मेरी बाहों में , मेरे सीने से लगी ... मुझे चूमते हुए , पुच्कार्ते हुए और अपनी सब से प्यारी चीज़ ..हां मेरे लौडे को अपने हथेली ओं में जकड़े सहलाए जा रही थी...

मैं पागल होता जा रहा था.इतनी देर के उसके जज़्बातों के तूफान ने मेरे अंदर भी तूफान मचा दिया था ..मेरा लौडा उसकी हथेली में फनफना रहा था .. अकड़ता जा रहा था ..
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10-15-2018, 10:58 PM,
#27
RE: Antarvasna kahani चुदासी चौकडी
और मैने शन्नो को लिटा दिया ...उसकी मोटी मोटी जांघों को, भारी भारी गुदाज़ जांघों को अपनी बाहों में लेते हुए अपनी जांघों पर रख दिया और मैं उसकी टाँगों के बीच आ गया ...उस ने अपनी टाँगें मेरे कमर के गिर्द कर ली , अपनी भारी भारी चूतड़ उपर उठा दिए .उसकी फूली फूली मुलायम और गीली चूत मेरे लौडे को छू रही थी..उसे अपने अंदर लेने को तड़प रही थी ..

" जग्गू ....अब डाल दे रे ...मैने इतने दिनों तक सब्र किया ..बस अब और नहीं ..डाल दे रे ..चोद ले..हिला दे ..मुझे पूरी तरह ...जगा दे हमेशा के लिए ..."

" हां शन्नो ..हां .." कहते हुए मैने अपने लौडे को उसकी चूत के गीले छेद पर लगाया और एक धक्का लगाया ....और लौडा फथचफचाता हुआ अंदर धँस गया ...उसकी चूत इतनी गीली थी और पहलेवाली चुदाई से इतनी खुली थी..एक बार में ही पूरे का पूरा अंदर फिसलता हुआ घूस गया ...

मैं उसके चूत की गर्मी , उसकी नर्मी और मक्खन जैसी महसूस से सिहर उठा , शन्नो मेरे कड़क लौडे के अंदर होने से तड़प उठी , उछल पड़ी ..मेरी कमर को कस कर अपनी जांघों से

जाकड़ लिया ...

अब धक्के पे धक्का लगता जा रहा था मैं ..पागलों क तरह ...शन्नो "अयाया..उूउउइ...माआ ..ऊओ..हाां ...जग्गू ..जग्गू हां रे ...उफफफफफ्फ़..और ज़ोर ...हां रे और ज़ोर ..." की सिसकारियाँ लिए जा रही थी ..मेरे धक्के और तेज़ होते जा रहे थे ..तेज़ और तेज़....ठप ठप..फतच फतच की आवाज़ हो रही थी..

"उफफफ्फ़..जागुउुुुुुुुउउ....हाआँ रे तेज़ कर ना , और तेज़ ....हाईईइ ..रे ....मैं बर्दाश्त नही कर सकती अब ....क्या हो रहा है ...अफ ..फिर वोई हो रहा है जग्गू ...आआआः ..." और उसकी चूतड़ उछल पड़ी . उसकी चूत टाइट हो गयी ..मेरे लौडे को जाकड़ लिया ..उसका बदन अकड़ गया...और फिर मेरे लौडे पर अपना रस उडेलते हुए ...मेरे लौडे को अपने रस से नहलाते हुए ढीली पड़ गयी ...और मैं भी झटके पे झटका खाता हुआ लौडे से पीचकारी छोड़ता गया.उसकी चूत को नहलाता रहा अपने वीर्य से ...शन्नो कांप रही थी..उसका पूरा बदन थरथरा था ..

और मैं उसकी बाहों में , उसके मांसल , भरे भरे चूचिओ पर सर रखे हांफता हुआ ढेर हो गया..

काफ़ी देर तक हम दोनो एक दूसरे की बाहों में लेटे रहे ..फिर मैने आँखें खोलीं ...तो देखा शन्नो मेरी ओर एक टक देख रही थी...

मैने पूछा" क्या देख रही है शन्नो .."

" देख रही हूँ जग्गू ...एक इंसान के आने से किसी की जिंदगी ही बदल गयी ...पर तू मत बदलना जग्गू ...बस ऐसे ही रहना ..."

" हां शन्नो ...मैं हमेशा ऐसे ही रहूँगा ...हां ऐसा ही नंगा धड़ंगा हमेशा ...."

इस बात पर हम दोनो जोरो से हंस पड़े..

" अरे वाह मेरे भोन्दू राम को मज़ाक करना भी आता है..??" शन्नो बोल उठी

" अभी देखती जाओ.. शन्नो ..मुझे और क्या क्या आता है...अच्छा शन्नो एक बात बोलूं ..??"

" बोल ना जग्गू .."

' मुझे मुस्लिम नाम बड़े प्यारे लगते हैं ..कितनी मीठास होती है इनमें ..शन्नो ..आह कितना अच्छा नाम है .."

" वाह रे वाह भोन्दु राम ..तेरे को सिर्फ़ मेरा नाम मीठा लगा और मैं...???"

मैने उसके चूचियों को अपने मुँह में ले जोरों से चूस लिया और फिर कहा " तू तो मीठी भी है और रस से भरी ....पूरी को पूरी रस से भरी.."

" ह्म्‍म्म.. बातें भी अच्छी कर लेते हो...." और फिर शन्नो ने घड़ी की ओर देखा और बोल उठी

" अरे बाबा शाम के 7 बज गये ..अरे चलो उठो ..कपड़े पहेन लो शांति आती ही होगी रात का खाना बनाने ....हां याद रखना आज की मेरी बात किसी से भी ना कहना ...शन्नो मैं सिर्फ़ तेरे लिए हूँ ..और वो भी जब हम दोनो अकेले हों..."

" हां भाई हां मैं अच्छी तरह समझ गया हूँ.."

और फिर मैं कपड़े पहेन उसे जाकड़ता हुआ जोरों से चूम लिया , उसकी भारी भारी चुचियाँ दबा दीं और कहा

" कल फिर मिलते हैं कार ड्राइविंग के अगले पाठ के लिए ...."

शन्नो ने हंसते हुए कहा " कल का इंतेज़ार रहेगा जग्गू ...ज़रूर आना.."

और मैं कमरे से बाहर निकल गया...

मैं आगे आगे दरवाज़े की ओर बढ़ रहा था और पीछे शन्नो थी ...मैं दरवाज़े के पास आ कर खड़ा हो गया ..शन्नो ने आगे बढ़ते हुए अपने एक हाथ से मेरे लंड को जाकड़ लिया , और मुझे से लिपट गयी..उसका एक हाथ मेरी पीठ पर था , और दूसरा हाथ मेरे लौडे को कस के जकड़ा हुआ था...मुझे चूमती ..फिर मेरा लौडा जाकड़ लेती.....फिर चूमती ....उफ्फ मैं पागल हुआ जा रहा था

उस के लंड पकड़ने में कितनी बेताबी थी..मानो उसका वश चले तो कभी उसे छोड़े नहीं ..मैं सिहर गया था ... आज उसकी वर्षों से सोई आग भड़ाक उठी थी .. उसकी आँखों में , उसके बदन में , एक एक अंग में शोले भड़क रहे थे...इतनी तेज़ लपट थी ...सब कुछ इस लपट में झुलस जाए ...

मैने भी उसे अपने सीने से लगाया, उसकी चूत मसल डी , उसकी चुचियो को निचोड़ दिया बूरी तरह .....

उस ने मेरे लौडे को और भी बूरी तरह दबाया पर कुछ कहा नही , सिर्फ़ मेरी ओर देखती रही , एक टक ...उसकी आँखों से आग बरस रही थी...भूख झलक रही थी ...बरसों की भूख ...हवस की भूख

और मैं उसके हवस की आग में झुलस्ता जा रहा था...मुझ पर शैतान सवार होता जा रहा था ..ना जाने मुझे क्या हुआ...मेरे वश में कुछ नही था ...उसकी भारी भारी गोल गोल चुचियाँ निचोड़ते निचोड़ते मैने उन्हें शन्नो के ढीले टॉप से बाहर कर लिया ...उसकी एक चूची अपने मुँह में भर लिया....अपने दोनो हाथों से दबाता हुआ ..जोरों से चूसने लगा ..मानो पूरी की पूरी ही एक ही बार में चूस डालूँगा ..और फिर चूस्ते हुए जोरों से दाँत गढ़ा दिए ...उन्हें काट खाने को ..मैं दाँत अंदर गढ़ाए जा रहा था.....मुझे उसकी चूची के मुलायम गोश्त काटने में कितना मज़ा आ रहा था अया उसकी चूचियों के अंदर घूस्ता जा रहा था.....

शन्नो की मुँह से चीख निकल गयी ..पर मैं हैरान था ..इस चीख में दर्द का नामोनिशान नहीं था ...ये ऐसी चीख थी मानो उसे इतना मज़ा आ रहा हो , वो बर्दाश्त नहीं कर पाई, ये एक बेइंतहा खुशी की चीख थी ..मेरे होंठों पर कुछ गर्म गर्म सा महसूस हुआ ....मैने फ़ौरन अपना मुँह चूचियों से हटाया...होंठों पर अपनी उंगलियाँ लगाई...खून के कतरे थे... और शन्नो की चूचियों पर दाँत गाढ़ने के निशान थे और वहाँ से खून रीस्ता जा रहा था....उसकी घूंड़ी बिल्कुल कड़ी हो कर खड़ी थी ..जिस तरह लौडा तन्न था मेरा .उसकी चूचियों की घूंदियाँ भी तन्न थीं..

मैं तो सकते में आ गया..ये मैने क्या कर दिया ..मैं फ़ौरन अपनी हथेली वहाँ लगाते हुए उन्हें पोंछने लगा , सहलाने लगा ...

शन्नो ने मेरे हाथ थाम लिए ..मुझे रोक लिया और कहा " जग्गू , मेरी जान ... ये मत करो .मुझे दर्द से प्यार है रे...तू जितना चाहे मुझे दर्द दे ले ...हां रे..मुझे उतना अच्छा लगेगा ....रहने दे इस दाग को ..ये हमारे प्यार की निशानी है..आज के प्यार की सौगात...."

मैं सन्न था...कोई दूसरी औरत होती , मुझे ज़रूर दो तमाचे लगाती और शायद फिर दूबारा मुझ से मिलने की जुर्रत नहीं करती ..पर शन्नो..उफफफफ्फ़ ..ये तो किसी और ही मिट्टी की बनी थी ....

मैं उसकी चूचियों के जख्म पर जिन्हें मैने दिया था..जीभ फिराने लगा., उन्हें चूमने लगा ..उन्हें चाटने लगा ..उसका खून मेरे मुँह में लगा था , मेरे होंठों पर लगा था ...

" जग्गू मुझे और भी दर्द चाहिए ..और भी जितना चाहे तुम दे सको ....दोगे ना ..??"

मैं उसे अपने सीने से और भी जाकड़ लिया और मेरी आँखों में आँसू थे मैने रोते हुए कहा" शन्नो....ऐसा मत बोलो मत बोलो..मैं हैवान हो गया था ....पता नहीं क्यूँ .... क्या हो गया था मुझे.."

शन्नो ने मेरे आँसुओं को अपने होंठों से चूमते हुए कहा.." जग्गू ...आज शयाद मेरे दर्द पर कोई पहली बार रोया है रे .." और फिर वो भी मुझ से लिपट कर सिसक सिसक कर रोने लगी ...बच्चों की तरह ..फूट पड़ी शन्नो मेरे सीने से लगी ...दर्द के आँसू नहीं थे .वो खुशी के आँसू थे ..दर्द बाँटने की खुशी के...

तभी दरवाज़े पे खटखट हुई..शायद मा आ गयी थी ...

शन्नो ने अपने आँसू पोंछे और दरवाज़ा खोल दिया ..बाहर मा खड़ी थी , अंदर आने के इंतेज़ार में ..

मेरा लौडा अभी पूरी तरह ठंडा नहीं था..पॅंट के अंदर अभी भी उभार था ...मा की नज़र पड़ी...उसके होंठों पर एक हल्की सी मुस्कान आ गयी...आँखें चौड़ी और भवें सीकोडीं ...मानो कह रही हों " वाह रे बेटा ..क्या हथियार है तेरा ..इतने देर के बाद अभी भी शांत नहीं हुआ..."

तब तक शन्नो अपने कमरे की ओर चली गयी ..

मा ने उसके जाते ही मेरे लौडे को जाकड़ लिया और धीरे से मेरे कान में कहा .." वाह बेटा तू ने हमारी मेम साहेब की अच्छी तरह सेवा की..वो तो शांत हैं..पर हाई रे तेरा हलाब्बी ...चल घर जा ..मैं आती हूँ...शांत कर दूँगी ...सिंधु ..बिंदु को तंग मत करना ." और हँसने लगीं

मैने अपने लौडे को थामते हुए कहा " मा ..तू जल्दी आ जा ...मेरे से सहेन नहीं हो रहा ..देर करेगी तो मैं तो सिंधु को ही पटक के चोद दूँगा ..फिर मेरे को मत बोलना ..हां "और हँसने लगा ...

" हां रे बड़ा आआया पटक के चोद्ने वाला ..चल भाग यहाँ से " और मेरे को मारने को हाथ बढ़ाया ..मैने उसके हाथ थाम लिए और उसके गाल पर एक जोरदार चुम्मि देता हुआ बाहर निकल गया..

क्रमशः…………………………………………..
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10-15-2018, 10:58 PM,
#28
RE: Antarvasna kahani चुदासी चौकडी
14

गतान्क से आगे…………………………………….

घर पहून्चा तो सिंधु ने दरवाज़ा खोला ..

" वाह रे भाई..इतनी देर तक मेम साहेब के यहाँ क्या हो रहा था..मा बोल रही थी तू उन्हें कार चलाना सीखा रहा है...ह्म्‍म्म ..कुछ और भी तो नहीं सिखाया उनको भाई..?"

और हँसने लगी ??

" अरे कैसी बातें करती है रे तू..और क्या सिखाउन्गा उन्हें ..? "

" हा हा हा !! अरे मेरे भाई के पास ऐसे ऐसे औज़ार हैं .उन्हें देख किसी भी औरत को उन्हें पकड़ हिलाने को जी मचल उठेगा..कार के गियर को भूल जाएँगी ..."

और उस ने भी वोई किया जो शन्नो ने किया था..मेर लौडे को जाकड़ लिया..

तब तक बिंदु आ गयी ... " अरे बेशरम ..बेचारा इतनी देर बाद तो घर आया है ..ज़रा आराम तो करने दे..जब देख साली उसके लौडे को थाम लेती है ..."

सिंधु बोल उठी " हां मैं थामून्गि..मेरा हथियार है..मेरे को जब मन करेगा थामून्गि ..इतनी देर से मेरे हाथ में खूजली हो रही थी ....उफफफ्फ़ ..भाई ....अब थोड़ा चैन मिला .."

बिंदु भी कहाँ चुप रहती ..उस ने जवाब दिया ..." तू भूल गयी क्या.? मा ने क्या बोला था ..?'"

ये बात सुन ते ही सिंधु ने झट से मेरे लौडे को छोड़ दिया ..मानो किसी जलते अंगारे को हाथ से गिरा दिया हो.....मैं हैरान परेशान हो गया...ये तो आठवाँ अजूबा था मेरे लिए ..सिंधु ने अपनी सब से प्यारी चीज़ को अपने हाथों से दूर कर दिया..आख़िर मा-बेटियों के बीच क्या बात हुई..? कहीं उस ने मेरे और मेम साहेब के बीच के रहस्य का परदा तो नहीं उठा दिया..??आख़िर क्या कहा उस ने ..

मैने सिंधु से पूछा .." क्या हुआ तेरे को..आज तो मेरे लौडे को तू ने इस तरह झटक दिया ..? देख तो बेचारा कितना मायूस हो गया..." और मेरा लौडा सही में बिल्कुल मुरझाया , सिकुडा बेचारा पॅंट के अंदर आँसू बहा रहा था...

सिंधु ने मेरी हालत देख जोरदार ठहाका लगाया..."हा ! हा ! देख रे बिंदु ..मेरे हाथ हटाने से बेचारा कैसा अंदर हो गया .."

मैने दोनो की ओर अपना चेहरा किए पूछा" क्या कहा मा ने...कोई तो बताओ...मैं सही में परेशान हूँ और मुझ से ज़्यादा ये लौडा ...जल्दी बोल ना ..वरना मैं किसी को भी पटक के चोद दूँगा ...चलो जल्दी बताओ.."

और मैं दोनो की ओर बढ़ा ...

दोनो हँसने लगीं ..फिर बिंदु ने कहा " भाई ..मा ने हमें सब कुछ बता दिया है तेरे और मेम साहेब के बारे ...तुम बे फिकर रहो...हम कोई बच्ची नहीं ..सब समझते हैं ...आख़िर इस काम से भलाई तो अपनी ही है ..भाई तुम मेम साहेब को खुश रखो बस ..हमारी चिंता छोड़ो..हम अब तुम्हें ज़रा भी परेशान नहीं करेंगे .."

"हां भाई तुम्हारे हथियार को हम संभाल कर रखेंगे मेम साहेब के लिए ..." सिंधु भी बोल उठी ..

" वाह रे मेरी बहनो..ये खाक संभाल रही है तुम दोनो ..अभी साला अंदर जाने को छटपटा रहा है..साले को चूत चाहिए ..वो भी तुम दोनो की...और तुम हो के इसका ख़याल रख रही हो..ये कैसा ख़याल है..?तुम लोग कान खोल के सुन लो...मुझे अगर तुम दोनो और मा ने अपनी चूत नही दी...........फिर ये लौडा किसी की चूत नहीं लेगा ..बस ये मेरा फ़ैसला है...अरे तुम लोगो के बिना ये किस काम का..?? जिन्हें मैं अपने जान से भी ज़्यादा प्यार करता हूँ ..? अरे तुम्हारी चूत के रस से तो इसमें जान आती है रे..वरना ये तो बेजान है..बिल्कुल बेजान...समझी ...??"

दोनो बहेनें मेरी बात सुन मस्त हो गयीं ..उनकी आँखें चमक उठी ..

दोनो ने मुझे गले लगा लिया और मेरे गाल चूमने लगीं

सिंधु बोली..." भाई क्या तू हम से इतना प्यार करता है...? पर क्या करें मा ने हमें सख्ती से मना किया है....चूत देते हैं तो मा नाराज़ होगी और नहीं देते तो तू नाराज़ है...हम क्या करें ..? बिंदु तू बोल ना रे कुछ ...क्या किया जाए ...?"

बिंदु बोली " ठीक है एक काम करते हैं ..भाई तुम हम दोनो को सिर्फ़ उपर उपर से प्यार कर ले ना रे अभी .....अभी चूत रहने दे ना...मा को आ जाने दे फिर उस से बात करते हैं ...ठीक है ना..?? बस थोड़ी देर की तो बात है ....ले मेरी चूची से खेल तब तक ..."

और बिंदु ने अपनी ब्लाउस और ब्रा खोल अपनी भारी भारी पर टाइट सी चूची मेरे हाथों में थमा दी ...और दूसरी तरफ से सिंधु ने अपनी चुचियाँ मेरे मुँह में डाल दी...

मैं दोनो बहनो के प्यार से झूम उठा और उनकी चूचियों से खेलता रहा ..चूस्ता रहा... मस्ती में ...दोनो मेरी गोद में बैठी थी ...

थोड़ी देर में मा आ गयी और किचन के अंदर चली गयीं हमारे खाने की तैय्यारि करने ..

मैं अंदर गया और उस से पूछा "मा ये बिंदु और सिंधु क्या बोल रहीं हैं..तुम ने इन्हें अपनी चूत देने को मना किया है क्या ..??"
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10-15-2018, 10:58 PM,
#29
RE: Antarvasna kahani चुदासी चौकडी
मा ने मेरी ओर देखा ...मेरी आँखें चूत की भूख से लाल हो रही थी ..बेचैन थी...उन्होने मेरी बेचैनी और तड़प समझते हुए कहा " अरे बेटा मैं तो तेरे भले के लिए ही मना किया था ..तू कितना थक जाएगा ..उधर मेम साहेब और इधर हम सब ..किस किस का ख़याल रखेगा...?"

" मा तू समझती नहीं रे..ये आग कभी बूझती है क्या...जितना भी ठंडा करो और भड़क जाती है ...और जब तक मैं तुम तीनों को चोद ना लूँ ठंडा नहीं होता..और मेम साहेब के साथ तो आज मेरी आग और भी भड़क उठती है..वो आग हैं आग ...उन के पास कभी ठंडा नहीं हो सकता .और भी आग लग जाती है मा ..बोल मैं क्या करूँ ...?"

" हां रे मैं समझती हूँ..अभी बेचारी बहुत दिनों से भूक्खी हैं ना इसलिए ...कुछ दिनों में वो भी शांत हो जाएगी ..फिर सब ठीक हो जाएगा ..."

" पर मा अभी जो आग है मेरे अंदर उसका क्या करें...?"

" ओओओह्ह्ह..मेरा राजा बेटा ...मैं हूँ ना..सिंधु भी है बिंदु भी है ..मैने तो सिर्फ़ इसलिए मना किया था के तू आज थका सा होगा ..पर मुझे क्या मालूम था कि तू इतना पगला रहा है..चल पहले सब मिल कर खाना खा लेते हैं..फिर तेरी आग भी ठंडी कर देंगे ,,ठीक है ना ..?"

और फिर सिंधु और बिंदु ने खाना टेबल पर लगाया और हम सब बातें करते करते खाने लगे...

खाना ख़त्म होते ही मा ने सब को अपने रूम में जाने को बोला ..."तुम लोग मेरे रूम में जाओ मैं अभी आती हूँ हाथ मुँह धो के.."

थोड़ी देर में मा फ्रेश हो कर कमरे में आईं ..हम तीनों भाई बहेन खाट पर एक दूसरे से चिपके बैठे थे और मा की ओर देख रहे थे ....

मा ने कहा " देख सिंधु बिंदु..आज से जग्गू हमारे साथ

कुछ नहीं करेगा ..."

हम तीनों के चेहरे मुरझा गये उसकी बात सुन कर...

मा हमारे मुरझाए चेहरे को देख हँसने लगी और दोनो बहनो की ओर देख कर कहा .." अरे बेवकुफों..मैने सिर्फ़ जग्गू को मना किया है तुम्हें थोड़ी मना किया..जो करेंगे हम तीनों करेंगे ..जग्गू बस यह तो बैठा रहेगा यह फिर लेटा रहेगा जैसा इसका मन ...समझी .."

हम तीनों उसकी बातों से खिल उठे ...खास कर दोनो बहने तो उछल पड़ी ...

" ठीक है मा तो चल ना देर काहे की , शुरू करते हैं...भाई तू बैठा रह और देखता जा और मज़े ले.." सिंधु ने कहा

" बिंदु तू सब से पहले अपने भाई के कपड़े उतार, पहले एक कपड़ा उसका उतारना , फिर एक अपना ... ..और सिंधु तू मेरे कपड़े उतार ..बस वैसे ही जैसे बिंदु..एक मेरा और फिर एक अपना ...चल पहले एक दूसरे के कपड़े उतारते हैं फिर आगे बढ़ेंगे ..और जग्गू तू कुछ नहीं करेगा ..किसी को हाथ भी नहीं लगाएगा ..ठीक है ना..?"

और फिर दोनो बहेनें अपने अपने काम पर फटाफट लग गयीं..

बिंदु मेरे पैरों के बीच आ गयी , मेरी ओर देखी , बड़ी सेक्सी मुस्कान अपने होंठों पे लाते हुए ... उस ने सब से पहले मेरी शर्ट उतारी..फिर अपनी ब्लाउस ..ब्लाउस उतरते ही उसकी सुडौल चुचियाँ मेरी आँखों के सामने झलक रही थी, उसके सीने का उभार उसकी तेज़ साँसों के साथ उपर नीचे होता जा रहा था ...

फिर उस ने मेरी बनियान उतार दी ... और मेरे सीने पर हाथ फेरते हुए उस पर अपनी लप्लपाति , पतली और गीली जीभ फिराई..मैं तो बस मस्ती में बैठा था और मज़े लेटा जा रहा था..फिर उस ने अपनी ब्रा भी खोल दी ...उसका सीना अब बिल्कुल नंगा था ..और उसकी गोल गोल चुचियाँ मेरी आँखों के सामने उछल पड़ी..मैं उन्हें अपने हाथों से लपकते हुए दबाने लगा ..सहलाने लगा...
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10-15-2018, 10:58 PM,
#30
RE: Antarvasna kahani चुदासी चौकडी
बिंदु ने झट मेरा हाथ हटा दिया.."भाई तुम हाथ मत लगाओ..मा ने क्या कहा.? जो भी करना है हम करेंगे .." और ये बोलते हुए उस ने अपनी चुचियाँ अपने हाथों से दबाते हुए एक चूची मेरे मुँह में डाल दी..और कहा " लो चूसो ...जितना चाहे चूसो भाई .."

मैं मस्ती से बैठा बैठा बिंदु के सीने से लगा उसकी चूची चूस्ता रहा ...

बिंदु ने अब मेरे पॅंट के बटन खोलते हुए उसे मेरे घूटनों से नीचे कर दिया और पूरा बाहर कर दिया ...और फिर अपनी सारी भी खोल दी ....

अब हम दोनो सिर्फ़ अंडरवेर और पैंटी में थे..मेरा लौडा मेरी अंडरवेर के अंदर फन्फना रहा था..मानो अंडरवेर फाड़ के बस अब बाहर आया तो तब ...

उधर मा और सिंधु दोनो अब तक पूरी तरह से नंगी हो कर हमारी ओर देख रहे थे...

बिंदु ने झट मेरे अंडरवेर के अंदर अपने हाथ ले जाते हुए उसे भी उतार दिया ..और अपनी पैंटी भी उसी झटके के साथ अपने पैरों से नीचे कर दी...

मैं अभी अभी उसकी चूची मुँह में डाले चूसे जा रहा था ..उसकी सिसकारियाँ निकल रही थी...उसकी चूत से गीलापन सॉफ झलक रहा था ..और हमें देख सिंधु और मा भी गरम हो रही थी,...

फिर सिंधु ने मा की ओर देखते हुए कहा .." उफफफफफफ्फ़..माआ जल्दी करो ना जो भी करना है...बोल ना अब क्या करें .?" और उस ने अपनी टाँगों के बीच अपनी उंगलियाँ डाल अपनी चूत की फाँक सहलाना चालू कर दिया ..

मा हम लोगो की हालत पर हँसने लगीं " अरे अभी तो खेल शुरू भी नहीं हुआ और तीनों इतने गरम होते जा रहे हो..देख ना जग्गू का लौडा ..उफफफ्फ़..कैसा फन्फना रहा है ..चल बता पहले कौन उसका लौडा अपनी चूत में लेगा ...? "

सिंधु ने अपना हाथ उठाते हुए कहा " मा ..मैं लूँगी ..हां ..कब से मैं तड़प रही हूँ...देख ना मेरी चूत की हालत .."

और उस ने अपनी टाँगें फैलाते हुए अपनी चूत मा को दिखाई ...बिंदु ने भी झांका उसकी बूरी तरह गीली चूत की तरफ...

" चलो ठीक है , फिर आज का खेल शुरू करते हैं ...चल जग्गू तू अपना लौडा उपर रखते हुए बिस्तर पर लेट जा .." मा ने मेरी ओर देखते हुए कहा ...

पर उसी वक़्त बिंदु ने कहा.." मा..खाट पे उतना मज़ा नहीं आएगा ..हम चारों को उसमें आने में दिक्कत होगी..मैं बड़ा गद्दा नीचे बिछा देती हूँ..नीचे मस्ती करेंगे ..क्यूँ ठीक है ना..?"

"ह्म्‍म्म्म...हां रे बिंदु तेरा कहना सही है...चल जल्दी कर गद्दा बिछा दे ...कितनी होशियार हो गयी है रे तू..." मा ने कहा ..

" भाई मेरी चुचियाँ अपने मुँह से बाहर कर ना ..गद्दा बिछा लूँ , फिर चूसना.." और ऐसा कहते हुए उस ने अपनी चुचियाँ हटा ली मेरे मुँह से..हम सब खड़े हो गये और बिंदु ने फटपट नीचे फर्श पर गद्दा बीचा दिया ....

" चल रे जग्गू लेट जा गद्दे पर ..लौडा उपर रखना ..." मा ने मुझे ऑर्डर मारा ..और मैं फॅट से अपने फनफनाते हुए , तन्नाए लौडे को उपर रखते हुए लेट गया ..अपने हाथों से थामता हुआ उसे हिला हिला कर सब को दिखाता हुआ गद्दे पर लेट गया ...

"सिंधु बेटा ..चल जा अपनी चूत फैला ले अपनी उंगलियों से और बैठ जा उसके लौडे पर अपनी चूत डालते हुए और चोद डाल जग्गू को ...खूब अच्छे से चोद्ना ..जैसे वो चोद्ता है हम सब को ..ठीक है ना..?? " मा ने सिंधु को समझाते हुए कहा ..

सिंधु अपने पैरों को मेरी टाँगों के दोनो ओर करते हुए ..अपनी चूत फैलाए मेरे लौडे पर अपनी गीली चूत रख दी...और धीरे धीरे बैठती गयी मेरे लौडे पर .....उफफफफफ्फ़..कितनी टाइट थी उसकी चूत..अभी भी उसकी चूत पूरी तरह खुली नहीं थी ..मुझे महसूस हुआ किसी ने मेरे लौडे को बूरी तरह जकड़ा हुआ है ..मैं भी नीचे से अपने लौडे को उसकी चूत के अंदर उपर की ओर करता रहा ..पूरा लौडा उसकी चूत में धँस गया ...मानो साँप अपने बिल में घूस गया हो..सिंधु के मुँह से हल्की सी चीख निकल गयी ...

मैने फ़ौरन थोड़ा उठते हुए सिंधु को अपनी बाहों में भर लिया ..उसकी चूत के अंदर अपना लौडा रहने दिया और उसे चूमने लगा ...सिंधु भी मेरे लौडे पर अपनी चूत रखे ही मुझ से लिपट गयी ...मैं उसके होंठ चूस रहा था ..उसकी चूचियों से खेल रहा था..हल्के हल्के दबाता जा रहा था ..उसे राहत मिली ....

मा हमारी तरफ देख रही थी , सिंधु के चेहरे पे दर्द का निशान अब नहीं था ...और उसकी चूत से काफ़ी पानी रीस्ता जा रहा था..मेरा लौडा उसके रस से सराबोर था ..

" बेटी दर्द कम हुआ..??" मा ने सिंधु की पीठ सहलाते हुए कहा ..

"हां मा ..." सिंधु ने कहा

'चल अब फिर से धक्के लगा ..अब ज़रा तेज़ लगाना ..ठीक है ..चोद अब अपने भाई को ..खूब चोद .जितना दिल चाहे चोद " मा ने कहा

सिंधु ने अब फिर से धक्के लगाने शुरू किए....मेरे चूमने और उसकी चुचियाँ दबाने से उसकी चूत काफ़ी गीली हो गयी थी..अब बड़े आराम से उसकी चूत मेरे लौडे पर उतरती जा रही थी...

मैं भी नीचे उसके धक्कों के साथ अपनी कमर उठा उठा कर साथ देता जाता..उफ़फ्फ़ ..मज़े में थे हम दोनो ..उसकी किलकरियाँ निकल रही थी ..अपनी चूतड़ उछाल उछाल कर सिंधु चोदे जेया रही थी अपने भाई को..और भाई चूद रहा था ...

इधर मा ने बिंदु को कहा " बेटी अपनी चूत मेरे मुँह पर रख और तू जग्गू के होंठ चूस ...अपनी टाँगें पूरी फैला दे रे ...चूत की फाँक मेरे मुँह से लगा ..ठीक है..??"

और मा मेरे से कुछ दूर हट कर लेट गयी ...बिंदु ने अपनी टाँगें फैला दी , चूत भी फैला दी ..और मा के मुँह से लगाते हुए अपना चेहरा मेरी ओर किया और जोरों से मेरे होंठ चूसना चालू कर दिया ....

जैसे जैसे मा उसकी चूत की फाँक पर अपनी जीभ फिराती..अपनी जीभ उसकी गीली चूत की फाँक में घूसेड़ती ...उसकी चूत अपने होंठों से चूस्ति ..अपनी उंगलियाँ उसकी चूत में डालती... उसका मेरे होंठों को चूसना भी ज़ोर पकड़ता जाता..मैं तो पागल हो उठा ..दोनो बहेनें अपने भाई पर टूट पड़ी थी ..एक चूत से लौडे को चूस रही थी, चोद रही थी...और दूसरी मेरे होंठ..जीभ ..तालू मुँह का कोना कोना चूसे जा रही थी, अपनी थूक और लार से मेरा मुँह भरती जा रही थी ....बिंदु के चूतड़ भी मा के उस की चूत चुसाइ , घिसाई और उंगलियों से चुदाई के मारे उछाल पर उछाल मार रहे थे .....

क्रमशः…………………………………………..
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