Antarvasna kahani ज़िद (जो चाहा वो पाया)
10-06-2018, 12:57 PM,
#11
RE: Antarvasna kahani ज़िद (जो चाहा वो पाया)
अपनी पैंटी को मेरे हाथ की उंगली मे ऐसे लटकते हुए देख उसका चेहरा और लाल हो गया….और उसने अपने सर को झुकाते हुए पैंटी की तरफ हाथ बढ़ाया…मे उसके चेहरे और उसके होंठो को बड़े गोर से देख रहा था….तभी मुझे उसके होंठो पर हल्की सी शर्माहट भरी मुस्कान नज़र आई..और अगले ही पल उसने अपनी पैंटी को पकड़ कर जल्दी से साड़ी के नीचे कर दिया….फिर उसने एक बार मेरी तरफ देखा तो मे मुस्कराते हुए उसकी ओर देख रहा था….उसके होंठो पर भी मुस्कान फैल गयी…और अगले ही पल वो तेज़ी से मूड कर नीचे के तरफ चली गयी…..

अब तक तो सब ठीक चल रहा था….पर उसके बाद से लेकर रात तक वीना ऊपर नही आई थी…..मुझे समझ नही आ रहा था कि, क्या वीना को मे पटा भी पाउन्गा या नही….या फिर मे बेकार ही उसके पीछे टाइम वेस्ट कर रहा हूँ..इसी तरह वो रात भी गुजर गयी…अगली सुबह सेम रूटीन था…मे जब बाहर खड़ा होकर ब्रश कर रहा था…..तब कमलेश तैयार होकर गेट पर ही खड़ा था….मुझे देख कर वो मुस्कराते हुए मेरे पास आया….”तुषार भाई जी क्या हाल है…”

मे: ठीक है आप सुनाओ….(मैने अपने घर के सामने वाली खाली प्लोट मे थूकते हुए कहा….)

कमलेश: भाई आप कल रात पीने नही गये क्या बात है…..

मे: (अभी मे ये कहने ही वाला था कि, मे दारू नही पीता हूँ…उस दिन दूसरी बार पी थी…) पर मे एक दम चुप हो गया….वो दरअसल कल किसी दोस्त के घर पर पार्टी थी तो इसीलिए वहाँ चला गया….

कमलेश: अच्छा आज तो आएँगे ना आप…साथ मे बैठ कर पेग लगाएँगे….

मे: ठीक है…शाम को मिलते है…..

फिर वो ड्यूटी पर चला गया….मे घर के अंदर आया और शवर लेते हुए सोचने लगा कि, इस साले कमलेश के पास दारू के लिए इतने पैसे आते कैसे है….या तो साला का कोई दो नंबर का धंधा है….या फिर साला घर पर कुछ देता नही होगा…सारा पैसा दारू मे उड़ा देता होगा….पर मे कॉन सा कमाता हूँ…..अब इस साले को भी कुछ दिन या हो सकता है एक दो महीने इसको दारू पिलाने पड़े…वो तो शुक्र है कि, जो घर मेने किराए पर चढ़ाया हुआ था…उसके 20 रूम्स से जो रेंट के 20000 मिल जाते थे…

और ऊपर से मेरा खरचा भी कुछ ज़्यादा नही था…पर अब ज़यादा होने वाला था…ये सोच कर मे ये सब कैसे मॅनेज करूँगा…मैने काफ़ी देर हिसाब किताब मे लगा दिया…10 बजे मे नहा धो कर फिर से कल वाली जगह चेयर पर बैठ गया…

और अपने मोबाइल पर मेसेज चेक करने लगा….तभी विशाल की कॉल आए…..मैने कॉल रिसीव की…..”हेलो हां विशाल कैसा है….”

विशाल: ठीक हूँ भाई तू बता तूँ कैसा है….?

मे: मे भी ठीक हूँ….

विशाल: और सुना क्या कर रहा है आज कल नयी जॉब मिली कि नही…..

मे: नही यार जॉब वोब नही मिली और वैसे भी अभी मेरा जॉब करने का दिल नही है…

विशाल: यार एक जॉब है मेरे पास करेगा…..तू घर पर बैठ कर ही वर्क कर सकता है….

मे: ऐसा कॉन सा जॉब है बता तो सही….

विशाल: यार एक राइटर है मेरे जान पहचान का….उसकी एक पब्लिकेशन फार्म है….यार उसको ऐसे बंदे की ज़रूरत है…जो उसके लिखे हुए ब्लॉग्स स्टोरीस और इंटरव्यू को देवननगरी मे टाइप कर सके…बोल करेगा….तू तो टाइप कर लेता है ना हिन्दी वर्ड्स मे…..

मे: यार अगर ऐसी बात है तो बात कर लेते है….क्या हर्ज है….

विशाल: चल ठीक है शाम को मुझे मिल फिर अपने पुराने अड्डे पर…वो भी वहाँ ही आ जाएगा….वही बात भी कर लेना….

मे: यार शाम 6 बजे चलेगा….दरअसल मुझे 7 बजे से कोई ज़रूरी काम है…

विशाल: चल ठीक शाम को 6 बजे आ जाना….

मैने फोन कट किया….और सोचने लगा….चलो कुछ तो इनकम बढ़ेगी….और दूसरा घर पर ही तो काम करना है…वैसे भी सारा दिन बैठे-2 बोर हो जाता हूँ.. काम के बहाने टाइम पास भी हो जाया करेगा……मे वही बैठा था….कि वीना ऊपर आई….जब मैने उसकी तरफ देखा तो उसने नमस्ते का इशारा करते हुए सर हिलाया और मुस्करा कर दूसरी तरफ देखने लगी….शायद वो अभी भी कल वाली घटना को लेकर शर्मा रही थी…..

उसके हाथ मे झाड़ू थी….उसने ऊपर छत पर झाड़ू लगाना शुरू कर दिया…मे उसके अपनी बाउंड्री के नज़दीक आने का इंतजार करने लगा….थोड़ी देर बाद जब वो झाड़ू लगाते हुए, मेरे घर की बाउंड्री के पास आई तो वो मेरी तरफ पीठ करके झाड़ू लगाने लगी…शायद कल की बात को लेकर वो अभी भी मुझसे नज़रें चुरा रही थी…..पर अब मुझे ही बोलना था….क्योंकि अगर मे भी चुप रह जाता तो शायद हम एक दूसरे से घुलमिल ना पाते….”कल आपने मुझे थॅंक्स नही कहा….” 

उसने मेरी आवाज़ सुन कर चोन्कते हुए मुझे देखा….वो ऐसे देख रही थी…जैसे मैने जो कहा था उसे समझ मे नही आया हो…..


वीना: जी…..?

मे: (खड़ा होकर दीवार के पास जाते हुए) वो मे कह रहा था कि, कल मैने आपकी मदद की आपके कपड़े उठा कर आपको दिए….और आप बिना कुछ बोले बिना शुक्रिया कहे नीचे चली गयी….

वीना: (उसे पता चल गया था कि, मे किस बारे मे बात कर रहा हूँ,….इसलिए उसके चेहरे पर फिर से कल वाली लाली दिखाई देने लगी थी….वो थोड़ा सा शरमाते हुए घबराते हुए बोली…..) जी शुक्रिया…..

मे: (हंसते हुए माहॉल कर नॉर्मल करने के कॉसिश करते हुए) हहा कोई बात नही मे तो मज़ाक कर रहा था….दरअसल सारा दिन रात घर मे अकेला रहता हूँ…इसीलिए किसी से बात करने के लिए भी तरस जाता हूँ…..कभी-2 तो किसी की आवाज़ सुनने के लिए भी दिल तरस जाता है…..

वीना: क्यों आप कुछ करते नही है क्या…?

मे: जी मे समझा नही….

वीना: वो मेरा मतलब कि आप पढ़ते नही हो….या फिर कोई काम नही करते..फॅक्टरी मे…..

मे: (मेरे दिमाग़ मे एक दम से विशाल के जॉब वाली बात आ गयी…क्योंकि मे उसको ये कह कर अपना बुरा इंप्रेशन नही छोड़ना चाहता था….कि मे नकारो के तरह घर मे पड़ा रहता हूँ…..) जी मे यहीं घर पर रह कर ही काम करता हूँ….कंप्यूटर पर किताबें लिखता हूँ एक फर्म के लिए…..

वीना: ओह्ह अच्छा…….
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10-06-2018, 12:58 PM,
#12
RE: Antarvasna kahani ज़िद (जो चाहा वो पाया)
मेने घड़ी मे टाइम देखते हुए बोला…..”अच्छा अब मे ढाबे से जाकर खाना खा कर आता हूँ……” मेने उसको ये जान बूझ कर कहा था

……”ढाबे पर…आप बाहर खाना खा खा कर ऊब नही जाते…..” उसने मेरी ओर मुस्कराते हुए देख कर कहा

…” और कर भी क्या सकता हूँ….मुझे खाना भी तो नही बनाना आता….और आपको तो पता है मेरे घर मे कोई नही है….”

वीना: हां वो तो पता है….आप शादी क्यों नही कर लेते…..?

उसने सर को झुका कर मुस्कराते हुए कहा….”कॉन मे…..अभी मेरी उम्र ही कहाँ है….शादी के लायक….” मैने उसकी आँखो मे झाँकने की कॉसिश करते हुए कहा…

तो वो फिर से मेरी तरफ देख कर बोली….” क्यों कितनी उम्र है आपकी….”

मे: जी अभी दो महीने पहले 18 का हुआ हूँ….

वीना: अच्छा….तो फिर नौकरानी रख लो घर पर खाना बनाने के लिए….

मे: नही पहले सोचा था….पर पता नही दिल नही माना…..अच्छा एक बात कहूँ तो आप बुरा तो नही मनोगे…..

वीना: जी……

मे: क्या आप मेरे लिए अपने घर पर ही खाना बना कर दे सकती है….आपको मेरे घर आकर काम करने की भी ज़रूरत नही….बदले में मे आपको पैसे दूँगा…. जितने आप कहो उतने….

वीना: जी वो अनु के पापा….

उसने थोड़ा सा झिझकते हुए कहा….

.”कॉन कमलेश भाई…आप उनकी चिंता मत करो….मे उनसे खुद बात कर लूँगा…..” 

वीना: जी ठीक है आप खुद ही बात कर लेना……

उसके बाद वीना नीचे चली गयी….अब मुझे शाम का बेसबरी से इंतजार था….शाम को मे तैयार होकर 6 बजे अहाते पर पहुँच गया….वहाँ विशाल अपने उस जानकार के साथ पहले ही बैठा हुआ था….विशाल ने मेरा उसे इंट्रोडक्षन करवाया….उससे पहले काम की बात हुई, उसके बाद दारू का दौर शुरू हुआ….पर मैने पीने से सॉफ मना कर दिया…..विशाल और वो आदमी मेरे साथ 8 बजे तक बैठे रहे….फिर मे उनके दोनो के जाने के बाद वहाँ बैठा रहा…करीब 8:30 बजे कमलेश आ गया….मुझे वहाँ बैठा देख कर वो एक दम से खुश हो गया….

वो सीधा मेरे पास चला आया…आज भी उसके पास दारू का क्वॉर्टर था…फिर से दारू का दौर शुरू हो चुका था..उसके पहला पेग ख़तम करने से पहले ही मैने उसे पूछा….”कमलेश भाई एक बात करनी थी आप से….”

कमलेश: जी कहिए भाई…

मे: यार तुमको तो पता ही है….कि मे घर पर अकेला रहता हूँ….और घर पर कोई खाना बनाने वाला नही है….

कमलेश: हां वो तो जानता हूँ भाई….

मे: यार मे सोच रहा था….कि अगर तुम बुरा ना मानो….तो क्या तुम्हारी पत्नी मेरे लिए सुबह का नाश्ता और रात का खाना बना सकती है….मतलब कि उन्हे खाना बनाने के लिए मेरे घर आने की ज़रूरत नही है…जो भी आपके घर मे बनता है…वो साथ मे मेरे लिए भी बना लिया करे…उसके बदले मे जो मेरे खाने का खरचा होगा वो मे आपको दे दूँगा…महीने के महीने…..

कमलेश: अगर घर पर खाना बनाना है तो कोई दिक्कत नही….मे आज जाते ही बोल दूँगा…..
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10-06-2018, 12:58 PM,
#13
RE: Antarvasna kahani ज़िद (जो चाहा वो पाया)
मे: यार मे सोच रहा था….कि अगर तुम बुरा ना मानो….तो क्या तुम्हारी पत्नी मेरे लिए सुबह का नाश्ता और रात का खाना बना सकती है….मतलब कि उन्हे खाना बनाने के लिए मेरे घर आने की ज़रूरत नही है…जो भी आपके घर मे बनता है…वो साथ मे मेरे लिए भी बना लिया करे…उसके बदले मे जो मेरे खाने का खरचा होगा वो मे आपको दे दूँगा…महीने के महीने…..

कमलेश: अगर घर पर खाना बनाना है तो कोई दिक्कत नही….मे आज जाते ही बोल दूँगा…..

उसके बाद दारू ख़तम करने के बाद मे और कमलेश घर पर आ गये….मे भी थोड़ा नशे मे था…..इस लिए रास्ते मे खाना ढाबे पर ही खा लिया और फिर रात को 10 बजे घर पहुँचा और फिर पता नही नशे मे कब सो गया….अगली सुबह जब उठा तो रूटीन के मुताबिक मे बाहर आकर ब्रश करने लगा…..कमलेश भी बाहर ही था….वो मेरे पास आया….

कमलेश: तुषार भाई मैने आपकी भाभी को कह दिया है….वो आपका नाश्ता और रात का खाना बना दिया करेगी…

मे: बहुत -2 मेहरबानी आपकी कमलेश भाई….

कमलेश: कोई बात नही तुषार भाई आप बेगाने थोड़े ही हो…..

कमलेश ने अपना पन दिखाते हुए कहा….”अच्छा आप का नाश्ता भिजवा दूं…..” उसने मेरी ओर देखते हुए कहा…

.”नही भाई मे नाश्ता 9 बजे के पास करता हूँ..थोड़ी देर बाद…..”

कमलेश: ठीक है मे तो ड्यूटी जा रहा हूँ….वीना को बोल देता हूँ….

मे: ठीक है भाई….

उसके बाद मे अंदर आया फ्रेश हुआ….शवर लिया…और फिर बाहर अपनी चेयर लगा कर बैठ गया…आज मे मन ही मन बहुत खुश था..जैसे मैने सोचा था….वैसे-2 मे अपनी मंज़िल की ओर बढ़ रहा था….अभी मे कुछ ही देर बैठा था….मुझे वीना के घर की सीडीयों से किसी के ऊपर चढ़ने की आवाज़ सुनाई दी….मैने सीडीयों की तरफ देखा तो वीना ऊपर आ रही थी….वीना दीवार के पास आई….और दीवार पर अपने दोनो हाथ रखते हुए बोली….”आपका नाश्ता ला दूं…..”

मैने वीना की तरफ देखा तो उसके होंठो पर हल्की सी मुस्कराहट थी…..

मे: हां ला दीजिए….(मे चेयर से खड़ा हो गया…और दीवार के पास जाकर खड़ा होकर उसकी तरफ देखने लगा…..)

मे: आपको एक बात कहूँ….

वीना: जी….

मे: आपकी उम्र कितनी है….?

वीना: (मेरा ऐसा सवाल पूछने से वो थोड़ा सा चोंक गयी…)जी क्यों….

मे: वो दरअसल आपको देखने से लगता नही है कि, आपकी इतनी बड़ी बेटी है और बेटा भी है….और कमलेश भाई की एज तो बहुत ज़्यादा लगती है आपसे…..

वीना: (शरमाते हुए) जी 33 साल…..

मे: (चोन्कने का नाटक करते हुए) क्या 33 साल पर आपकी बेटी तो….

वीना: जी वो हमारे यहाँ लड़कियों की शादी जल्दी ही कर देते है…..

मे: ओह्ह अच्छा….वैसे आप दिखाने मे 33 की भी नही लगती…ऐसा लगता है कि आपकी उम्र ज़्यादा से ज़्यादा 25 साल के होगी…..

वीना: (वीना के चेहरे का रंग अपनी तारीफ सुनते हुए शरम से लाल हुआ जा रहा था….ख़ासतोर पर जब तारीफ करने वाला लड़का मेरे जैसा हॅंडसम और जवान हो…) जी काहे को झूट बोल रहे हो आप…हम कहाँ से जवान दिखाई देते है…..

मे: (वीना की चुचियों की तरफ घुरते हुए) हर तरफ से आप जवान ही तो दिखाई देती हो…..

वीना जान चुकी थी कि, मेरा इशारा किस ओर है….और ये बात जानते ही उसके गाल एक दम टमाटर की तरह लाल होकर दहकने लगे थे…..”मे आपका नाश्ता लेकर आती हूँ….” वीना शरमाते हुए जल्दी से नीचे चली गयी…

.मे फिर से बैठ गया और उसके वापिस आने का इंतजार करने लगा…..थोड़ी देर बाद वो हाथ मे नाश्ते की थाली लिए ऊपर आई…..वो अभी भी शर्मा रही थी….वो दीवार के पास आकर खड़ी हो गयी… मैने उसके चेहरे को ध्यान से देखा…..उसके बाल बिखरे हुए थे….शायद सुबह से काम मे लगी हुई थी…..

इसलिए खुद को सँवारने का मोका ही नही मिला होगा उसे….मे खड़ा हुआ और उसके हाथ से नाश्ते की थाली पकड़ ली…”अच्छा आपका बेटा तो स्कूल जाता है…पर आपकी बेटी स्कूल नही जाती…क्यों….?” मेरी बात सुन कर वो चुप हो गयी….फिर कुछ देर सोच कर बोली…”वो दरअसल हम अभी गाओं से आए है ना….तो इस साल बेटी का दाखिला नही करवा सके….*** क्लास तक पिछले साल पढ़ी है…अगले साल इसका भी दाखिला करवा देंगे….”

मैने गोर किया कि, ये कहते हुए उसका चेहरा कुछ बुझ सा गया था….फिर वो वापिस जाने के लिए मूडी, तो उसने अपने दोनो हाथो को सर के पीछे लाते हुए अपने बालो को खोला और फिर उन्हे इकट्ठा करते हुए उन्हे बांधने लगी….एक पल के लिए मैने उसके खुले हुए बालो को देखा….उसके बाल उसके नितंबों तक लंबे थे….और उसकी पीठ पर खुले हुए बाल बहुत अच्छे लग रहे थे….”सुनो….” मैने पीछे से आवाज़ दी….तो वो मेरे पास आ गयी…..”जी और कुछ चाहिए क्या…” उसने थाली मे देखते हुए कहा

…”नही और कुछ नही चाहिए…वो मे कहना चाहता था कि, आप अपने बाल खुले ही रहने दें…...आप के बाल खुले हुए बहुत अच्छे लगते है आप पर…..”

मेरे बात सुन कर वो फिर से शरमाते हुए मुस्कराने लगी…और मूड कर नीचे जाते हुए अपने बालो को बांधने लगी…उसने पलट कर मुझे नही देखा और नीचे चली गयी…तभी मुझे विक्रांत की कॉल आई….जिससे मुझे विशाल ने पिछली रात मिलवाया था….उसने मुझे बताया कि उसने एक छोटा सा नॉवेल मुझे मेल कर दिया है…और अगर हो सके तो मे उसको आज शाम 5 बजे तक उसको हिन्दी मे टाइप करके वापिस मेल कर दूं…मैने नाश्ता किया और अपने रूम मे जाकर पीसी ऑन किया और बैठ कर उसके नॉवेल को हिन्दी मे टाइप करने लगा….

अब तक मे वीना के नेचर को काफ़ी हद तक जान चुका था…..वीना उन औरतों मे से नही थी कि, जो जल्द ही किसी के पास चली जाए…..और मे ये भी जानता था कि, अब वो तब तक ऊपर नही आएगी….जब तक कोई ज़रूरी काम नही होगा…क्योंकि वो खाली बर्तन नीचे ले जा चुकी थी….इसीलिए मेने अपना काम शुरू कर दिया….और शाम 5 बजे तक काम निपटा दिया और विक्रांत को मेल भी कर दी….काम निपटाने के बाद मे रूम से बाहर आया….

वीना छत पर थी….वो नीचे छत के फरश पर चटाई बिछा कर बैठी हुई थी. साथ मे उसका बेटा भी था…जिसे वो उसके स्कूल का होमवर्क करवा रही थी…पर एक बात जो मैने नोटीस की….वो देख कर मेरा दिल ख़ुसी से उछल पड़ा…वीना सुबह के मुकाबले काफ़ी फ्रेश लग रही थी…शायद काम निपटा कर उसने नाहया होगा…उसने बाल भी धोए हुए थे और उसके बाल भले ही अब सुख चुके थे….पर उसने अपने बालो को बाँधा नही था……उसके माथे पर उसकी लटे बार-2 हवा से उड़ कर आ रही थी…..उसने अपने चेहरे से अपने बालो को हटाते हुए जैसे ही मेरी तरफ देखा तो उसके होंठो पर हल्की से मुस्कान फैल गयी….

मे बाहर गली वाली बाउंड्री पर खड़ा होकर नीचे गली मे देखने लगा…और बीच-2 मे उसकी तरफ देखता…कभी-2 हम दोनो की नज़रें आपस मे टकरा जाती. तो अपनी नज़रें झुका कर अपने बेटे की कॉपी मे देखते हुए काम करवाने लग जाती…थोड़ी देर बाद नीचे उसकी बेटी अनु की आवाज़ आई…..” मम्मी चाइ बन गयी है…” वीना उठ कर चली गयी….मैने अभी तक गोर से उसकी बेटी को नही देखा था…मे वहाँ खड़ा सोच रहा था कि, वीना की बेटी भी उसकी तरह कयामत होगी….थोड़ी देर बाद वीना दो कप चाइ लेकर ऊपर आई….और मेरी तरफ बढ़ी….”चाइ पी लीजिए…” 
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10-06-2018, 12:58 PM,
#14
RE: Antarvasna kahani ज़िद (जो चाहा वो पाया)
उसने मेरी तरफ देखते हुए कहा….मे उसकी तरफ बढ़ा और उसके हाथ से चाइ कप लेते हुए हल्का सा उसके हाथ को टच कर दिया…वो थोड़ा सा सकपकई…पर वही खड़ी रही…मैने चाइ का कप पकड़ा और उसके चेहरे की तरफ देखते हुए बोला… “देखा मैने कहा था ना….आप खुले हुए बालो मे बहुत खूबसूरत लगती हो…सच आप बहुत बहुत खूबसूरत लग रही हो….”

वीना नीचे नज़ारे झुका कर मुस्कराने लगी….अब मुझे अपनी गाड़ी सही पटरी पर दौड़ती हुई नज़र आ रही थी….पर अभी भी हम दोनो के बीच मे एक झिझक थी.. एक ऐसा बंधन था….जिसको हम आसानी से लाँघ नही सकते थी…मैने अपनी तरफ से एक और तारीफ का तीर छोड़ा….पर इस बार तीर ग़लत छोड़ दिया था…उसका खिला हुआ चेहरा एक दम से बुझ सा गया था….”कमलेश भाई कितने किस्मत वाले है…जो उनको आप जैसी अप्सरा जैसे पत्नी मिली….कमलेश भाई तो आपको बहुत प्यार से रखते होंगे…” 

उसने एक बार मेरी तरफ देखा तो मुझे अहसास हुआ कि शायद मेने कुछ ग़लत कह दिया हो…वो बेचारी बुझे से मन के साथ फिर से अपने बेटे के पास जाकर बैठ गयी. पर मेरे दिमाग़ मे अब हज़ारो सवाल थे….कि आख़िर मैने ऐसी कॉन सी बात कह दी है…जिसका उसे इतना बुरा लग गया है….खैर अब मुझे उस अहाते पर फिर से जाना था….क्योंकि वीना को पाने के लिए मुझे कमलेश को अपने विश्वास मे लेना बहुत ज़रूरी था…. 


इस लिए मे रात को तैयार होकर वहाँ पहुँच गया…थोड़ी देर वेट करने के बाद कमलेश भी आ गया….मेरे दिमाग़ मे कई सवाल थे….जिसका जवाब मैने ढूँढना था…कमलेश और मे अब एक-2 पेग पी चुके थे…और कमलेश का एक पेग मेरे 3 पेग के बराबर होता था….और दोस्तो आप तो जानते ही हो कि, दारू के नशे मे इंसान सब कुछ बक देता है…..मैने भी इस बात का फ़ायदा उठाने की सोची…पर मे सतर्क भी था…मे जानता था कि कमलेश कितना बड़ा पियाक्कड आदमी है…

और उसे अब नशे की आदत हो चुकी है….शायद वो नशे की हालत मे सब सोचने समझने की कुब्बत रखता हो….इसलिए मुझे अपने सवालो को बड़े ध्यान से चुन -2 कर उसे पूछना था कि, उसे ना तो गुस्सा आए और ना ही किसी तरह का शक हो.

मे: कमलेश भाई आप क्या काम करते है….?

कमलेश: तुषार भाई मे एक प्रिटिंग फॅक्टरी मे काम करता हूँ…वहाँ पर टी-शर्ट्स पर प्रिंटिंग का काम होता है…..

मे: ओह्ह फिर तो आपको अच्छी सॅलरी मिलती होगे….

कमलेश: कहाँ भाई…..7000 हज़ार रुपये महीना मिलता है…भला कोई बताए हमारे मालिकों को कि आज कल के जमाने मे 7000 र्स मे क्या होता है….

मे थोड़ी देर चुप रहा…और सोचने लगा कि, साला कमाता तो 7000 है…और उसमे से आधी से ज़्यादा सॅलरी तो दारू मे उड़ा देता है……इसका मतल्ब घर मे पैसो की दिक्कत रहती है….इसलिए शायद वीना अनु को स्कूल मे अड्मिशन नही दिलवा पायी…मेने कुछ और दो चार बातें पूछी…फिर हम घर को चल पड़े….आज भी कमलेश ने ज़्यादा ही पी ली थी…मे घर पहुँचा तो सीधा ऊपर आया….जल्दी से चेंज किया…तो मुझे बाहर से वीना की आवाज़ सुनाई दी….

वो खाना देने ऊपर आई थी…मे उसके पास गया…और उसके हाथ से खाने की थाली ली….तभी नीचे से कमलेश की आवाज़ आई….”अर्रे ओ हरामजादी कहाँ रह गयी…जल्दी नीचे आ मुझे बहुत भूख लगी है….” इस बार बेचारी वीना अपनी पति की इस हरक़त बेहद शर्मिंदा सी हो गयी…

.”ये इंसान पागल है क्या…इतनी रात को इस तरह अपने घर मे कोई चिल्लाता है क्या,…..” मैने वीना की तरफ देखते हुए कहा

…”आप छोड़िए ना….ये तो इनका रोज का काम है….आप खाना खा लीजिए….बर्तन मे सुबह ले जाउन्गी…” वीना वापिस मूडी और नीचे चली गयी….

.”मैने खाना खाया और सो गया…” अगली सुबह भी सेम रूटीन था….सुबह-2 ही विक्रांत का फोन आ गया….उसने कुछ और नॉवलेस भेजे थे… सुबह 9 बजे वीना ऊपर नाश्ता देने के लिए आई तो मैने गोर किया कि, पिछले दिनो के मुकाबले उसके पहनावे मे बहुत फरक आ चुका था….

अब वो अच्छे से तैयार होती थी….हल्का सा शृंगार भी किया होता था…साड़ी भी रोज बदल कर पहनने लगी थी…और ये सब क्यों है वो मे भी जानता था…नाश्ता देने के बाद वो मूडी और नीचे जाने लगी…फिर कुछ कदम चल कर वो रुक गयी. और पलट कर मेरी तरफ देखते हुए बोली….”आपको खीर तो पसंद है ना…..” 

मेने उसकी तरफ मुस्करा कर देखते हुए कहा…

मे: हां पसंद है क्यों….?

वीना: वो मे खीर बना रही थी…इसलिए आप से पूछा….आप खाएँगे ना…

मे: हां क्यों नही आप इतनी मेहनत से बनाए और हम खाने से मना कर दें. ये हो सकता है क्या…. पर एक शर्त पर…..

वीना: (मेरी तरफ सवालिया नज़रो से देखते हुए) जी क्या….?

मे: आप भी मेरी साथ खाएँगी…..

वीना: (मुस्कराते हुए) आपके साथ पर….

मे: क्यों क्या हुआ….आप यही ऊपर ले आना…वहाँ चटाई पर बैठ कर खा लेंगे..

वीना: (इधर उधर देखते हुए) पर सब इस समय अपने घर की छतो पर धूप सेंक रहे है…किसी ने देख लिया तो बाते करेंगे….

मे: तो फिर क्या हुआ….हम चोरी थोड़ा ही ना कर रहे है….(हम दोनो के मन मे पाप था….इसलिए वीना थोड़ा झिझक रही थी……) 

वीना: आप यही छत से नीचे आ जाए…..(उसने नज़रें झुकाते हुए कहा…..)

मे: क्या नीचे वो आपकी बेटी…..

वीना: वो अपनी मौसी के पास उसके घर गयी है….यही पिछली गली मे मेरी बड़ी बेहन किराए पर रहती है…..पहले हम वही रहते थे….एक महीना वही रुके… फिर जगह कम होने के कारण ये मकान किराए पर ले लिया….

मे: तो इसका मतलब कि घर मे कोई नही है…..

वीना: (उसने मेरी तरफ बड़ी अजीब से नज़रो से देखा…..जैसे आँखो से पूछ रही हो.. कि आख़िर तुम चाहते क्या हो….? क्या तुम भी वही चाहते हो…..जो मे चाहती हूँ..) जी नही है…..आप थोड़ी देर बाद आ जाना…..

ये कह कर वीना नीचे चली गयी….उसकी आख़िरी कही लाइन के मायने मे अच्छी तरह समझता था….उसके दिल मे भी वही जज़्बात थे कि वो ग़लत कर रही है….इसलिए वो नही चाहती थी कि, कोई हमे देखे….और मे भी नही चाहता था कि, गली मोहल्ले मे किसी को पता भी चले…..मे वापिस चेयर बैठ गया…और नाश्ता करने लगा… नाश्ता ख़तम करने के बाद में चेयर से उठा चारो तरफ देखा…आसपास के घरो की छतों पर कोई ना था…..

मैने बर्तनो को दीवार पर रखा और वो दीवार फाँद कर उसके छत पर आया…फिर बर्तन उठाए और तेज़ी से सीडीयों की तरफ बढ़ने लगा….ये सब करते हुए मेरा दिल बहुत जोरो से धड़क रहा था….जब तक मे उसके घर की सीडीयों से कुछ नीचे नही उतरा…..मेरी साँस मेरे हलक मे अटकी रही…..जब मे सीडीयाँ उतार कर नीचे आया तो मेरी जान मे जान आई…..मे इस तरह किसी के घर मे चोरों की तरह पहली बार घुस रहा था….
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10-06-2018, 12:58 PM,
#15
RE: Antarvasna kahani ज़िद (जो चाहा वो पाया)
मैने बर्तनो को दीवार पर रखा और वो दीवार फाँद कर उसके छत पर आया…फिर बर्तन उठाए और तेज़ी से सीडीयों की तरफ बढ़ने लगा….ये सब करते हुए मेरा दिल बहुत जोरो से धड़क रहा था….जब तक मे उसके घर की सीडीयों से कुछ नीचे नही उतरा…..मेरी साँस मेरे हलक मे अटकी रही…..जब मे सीडीयाँ उतार कर नीचे आया तो मेरी जान मे जान आई…..मे इस तरह किसी के घर मे चोरों की तरह पहली बार घुस रहा था….

जब मे नीचे आया तो, मुझे किचन से स्टोव के जलने की आवाज़ सुनाई दी तो मे सीधा किचन की तरफ चला गया…कदमो की आहट सुन कर वीना ने पीछे की तरफ मूड कर देखा और मुस्कराते हुए मेरे पास आई, और मेरे हाथों से झूठे बर्तन लेकर पलट कर सेल्फ़ पर रखते हुए बोली…”बैठिए ना थोड़ी देर मे खीर बन जाएगी.” 

अब भला कोई उसको बताए कि मे वो खीर खाने नही आया था….”जो उसने अभी स्टोव पर चढ़ा रखी थी…..मे तो उसकी चूत से निकलने वाली खीर खाने आया था.. और उसे अपने लंड से निकलने वाली रस मलाई खिलाने…..

मे बैठा नही…..बल्कि सीधा अंदर चला गया….और स्टोव पर रखे बर्तन के अंदर उबाल रही खीर को देखने लगा…वो मुझे अपने साथ इस तरह किचन मे पाकर थोड़ा नर्वस फील कर रही थी…

.”खुसबू तो बहुत अच्छी आ रही है….” मैने उसकी तरफ देखते हुए कहा….

.”जी शुक्रिया…बस थोड़ी देर और….”

मैने अपनी जेब से 5000 रुपये निकाले और वीना की तरफ बढ़ा दिए…वीना ने मेरी तरफ हैरत भरी नज़रो से देखा…..”ये क्या है…..?”

मे: पैसे है….मैने कहा तो था कि, मे खाने के बदले पैसे दिया करूँगा…

वीना: (मेरे हाथ मे पकड़े हुए पैसो की तरफ देखते हुए….) पर ये तो ज़यादा लग रहे है……

मे: 5000 रुपये है…

वीना: ज़्यादा है….

मे: तो फिर कितने पैसे दूं….

वीना: जी आप को जो ठीक लगे….

मे: तो फिर आप ये पैसे रख लो….

वीना: पर…(मैने वीना का हाथ पकड़ लिया….और वो बोलते-2 चुप हो गयी…मैने उसकी हथेली पर पैसे रखे और दूसरे हाथ को उन रुपयों के ऊपर रख दिया….अब मैने अपने दोनो हाथों से उसके एक हाथ को पकड़ा हुआ था…..)

मे: तुम बहुत अच्छी हो….ये पैसे रख लो…..

वीना: (काँपती हुई आवाज़ मे) आप इतने ज़्यादा पैसे देकर मुझसे क्या चाहते हो…

मे: (वीना की आँखो मे देखते हुए) मे तुम्हे चाहता हूँ…जब से तुम्हे पहली बार देखा है….तब से मुझे हर जगह सिर्फ़ तुम ही तुम नज़र आती हो….

वीना: (अपना हाथ छुड़ाने की कॉसिश करते हुए….) देखिए तुषार जी….आप जैसे सोच रहे है…मे वैसे औरत नही हूँ….प्लीज़ मेरा हाथ छोड़ दीजिए….मे आपकी बहुत इज़्ज़त करती हूँ….

मे: मे भी तुम्हारी इज़्ज़त करता हूँ…देखो मे बहुत अकेला महसूस करता हूँ…मुझे तुम्हारे साथ और प्यार दोनो की ज़रूरत है…..

वीना: ये मुमकिन नही है….आप ग़लत दरवाजा खटखटा रहे है…प्लीज़ मेरा हाथ छोड़ दीजिए…..(उसने अपनी नज़रे झुकाते हुए कहा….)

मे: देखो मेने बड़ी हिम्मत करने के बाद तुमसे अपने दिल की बात कही है…अगर तुम ऐसे बिना सोचे समझे ना कर दोगी तो मेरा दिल टूट जाएगा….

वीना: देखिए मेरे दिल मे आपके लिए इज़्ज़त के अलावा और कुछ नही है…मेरा घर परिवार है…मे अपने परिवार के साथ धोखा नही कर सकती…

मे: (वीना के गाल पर अपना हाथ रख कर उसके चेहरे को ऊपर उठाते हुए) देखो तुम मेरा दिल ना तोडो…नही तो दिल के साथ-2 मे भी टूट जाउन्गा…

अभी तक वीना ने पैसे पकड़े नही थे….वो उसकी हथेली के ऊपर रखे हुए थे. मैने उन पैसो को पकड़ कर सेल्फ़ पर रख दिया…”देखो मेरी आँखो मे देखो… क्या इनमे तुम्हे अपने लिए प्यार नज़र नही आता…..”

मेरा हाथ इस तरह अपने गाल पर महसूस करके उसका बदन थरथराने लगा था…”जिसे आप प्यार कह रहे है…वो प्यार नही….वो तो सिर्फ़ वासना की भूक है और कुछ नही….”

मे: नही ये सच नही है….

वीना: यही सच है…और जो आप मुझसे चाहते है…वो मे आपको कभी नही दे पाउन्गी….मे अपने पति को धोखा नही दे सकती…वो मुझे प्यार करते है…..

मे: हूँ जानता हूँ मे और तुम भी जानती हो….तुम्हारे अंदर आग है…जो तुम्हे अंदर ही अंदर जलाए जा रही है…और मे ऐसा होने नही दूँगा….(मैने उसकी ओर देखते हुए अब अपना दूसरा हाथ भी उसके गाल पर रख दिया था….)
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10-06-2018, 12:59 PM,
#16
RE: Antarvasna kahani ज़िद (जो चाहा वो पाया)
मैने उसके चेहरे को फिर से दोनो हाथो से पकड़ कर ऊपर उठाया तो उसकी आँखो मे अजीब से सवाल तैर रहे थे…जो मेरी समझ से परे थे…उसने अपने दोनो हाथों से मेरी कलाईयों को पकड़ लिया और मेरे हाथों को अपने गालो से दूर हटाने की कॉसिश करते हुए पीछे होने लगी….मैने भी ज़ोर लगाया….और उसके गालो पर अपने हाथ जमाए रखे….वो पीछे होते दीवार से सट गयी…अब मे उसके बेहद करीब खड़ा था….हम दोनो एक दूसरे की आँखो मे देख रहे थे….

ना वो कुछ बोल रही थी….और ना मे…बस वो अपने हाथो से मेरी कलाईयों को पकड़े हुए अपने चेहरे से अलग करने की कॉसिश कर रही थी…जो कॉसिश अब कम होने लगी थी….मैने उसकी आँखो मे देखते हुए उसके होंठो की तरफ अपने होंठो को बढ़ाया…तो उसने मेरी आँखो मे देखते हुए ना मे सर हिला कर मना किया.. पर मे ना रुका और उसके लरज़ते हुए होंठो के ऊपर अपने होंठ रख दिए….

जैसे ही मेरे होंठो का स्पर्श उसके होंठो से हुआ…..उसका पूरा बदन थरथरा गया….वो अपने आप मे सिमटने से लगी…..उसने पूरे ज़ोर के साथ अपनी आँखे बंद कर ली…इतने ज़ोर से कि उसकी भवों पर बल पड़ गये…फिर उसने एक बार अपनी पूरी ताक़त से मेरी कलाईयों को पकड़ कर दूर करने की कॉसिश की….अपनी ताक़त लगाते हुए उसने अपने पेट को अंदर की तरफ खींच लिया…जैसे उसने नाक से एक लंबी साँस खींची हो…6-7 सेकेंड ज़ोर लगाने के बाद उसकी बाहें ढीली पड़ गयी…

मे अभी भी उसके होंठो को चूस रहा था….फिर 2-3 सेकेंड रुकने के बाद उसने फिर से नाक से साँस लेते हुए अपने पेट को अंदर की तरफ खींचा…और फिर से पूरी ताक़त के साथ मेरे हाथो को हटाने की कॉसिश की….पर इस बार भी वो नही कर पायी….कहाँ मे जो बिना किसी काम के खा-2 कर सांड़ की तरह फैल गया था….और कहाँ वो नाज़ुक सी कली….मेरे सामने उसका ज़ोर बेकार था…इश्स बार उसने अपना बदन ढीला छोड़ दिया था…उसका विरोध ख़तम हो चुका था….जैसे ही उसका विरोध ख़तम हुआ मैने उसके नीचे वाले होंठ को अपने होंठो मे भर कर चूसना शुरू कर दिया….

और उसके चेहरे से अपने हाथो को हटा कर उसके कमर पर कस लिया था…मेने कुछ देर उसके होंठो को चूसा और फिर उसके होंठो से अपने होंठो को हटाते हुए उसकी गर्दन पर अपने होंठो को रगड़ने लगा…अगले ही पल वीना एक दम से कसमसा गयी….मुझे ऐसा लगाने लगा था कि, ये चिड़िया अब मेरे जाल मे बुरी तरह फँस चुकी है…

.”अह्ह्ह्ह सीईईईई” वो एक दम से सिसक उठी….उसको गरम होता देख मे भी कुछ निश्चिंत सा हो गया था…और मैने अपनी पकड़ ढीली कर दी थी…

पर अगले ही पल उसने अपने हाथो को मेरे कंधो पर रखते हुए पूरी ताक़त के साथ दूर धकेल दिया….अगले ही पल उसे अलग हो चुका था…वो उखड़ी हुई साँसे लेते हुए मेरे तरफ देख रही थी….मे फिर से उसकी तरफ बढ़ा तो उसने अपना फेस सेल्फ़ की तरफ कर लिया…..”चले जाइए यहाँ से….” उसने थोड़ा उँची आवाज़ मे कहा….”चले जाइए…” इस बार उसकी आवाज़ मे गुस्सा भी ज़्यादा था और उँची मे ज़्यादा थी….

अब मुझे लगने लगा था कि, शायद मेने बहुत ज़्यादा जल्द बाज़ी कर दी है…”अब मेरे पास कोई और चारा नही था….मे चुप चाप किचन से बाहर निकला और ऊपर आ गया. और फिर अपने घर की छत पर चला आया….मुझे अपने जल्दबाज़ी मे उठाए हुए कदम पर अब पछतावा होने लगा था….मुझे इतनी जल्दबाज़ी नही करनी चाहिए थी….और अब मे ऊपर से डरा हुआ भी था….मैने किसी की पत्नी को सेक्शुल्ली परेशान किया था.. अगर वो ये बात कमलेश को बता देगी तो लेने के देने पड़ जाएँगे…

मे बेहद डरा हुआ था….कुछ और तो कर नही सकता था…तो सोचा जो होगा देखा जाएगा….फिर मे जो विक्रांत ने वर्क मेल मे भेजा था…उसमे बिज़ी हो गया…3 घंटे तक टाइपिंग करने के बाद मे उकता सा गया…और अपनी आँखो और उंगलियों को थोड़ी देर रेस्ट देने के लिए आराम करने के सोचने लगा….मे चेयर से उठा और बाथरूम की तरफ चला गया….जब मे बाहर पहुँचा तो मेरे नज़र बाउंड्री पर पड़ी हुई कटोरी पर पड़ी…जो एक छोटी प्लेट से ढँकी हुई थी…

और उस प्लेट के ऊपर पैसे रखे हुए थे…..मेने पैसे उठाए और पॉकेट मे डाल लिए…फिर उस प्लेट को उठा कर देखा तो, उस कटोरी मे खीर थी….यार इन औरतों की फितरत बड़ी अजीब होती है….इनको समझना सच मे बहुत मुस्किल काम है…खैर मेने उसको फिर से ढँक दिया….और वही पर छोड़ कर चला गया….बाथरूम मे हल्का होने के बाद मे अपने रूम मे आ गया…..और डोर लॉक करके बेड पर लेट गया…..शाम के 5 बजे तक सोता रहा और फिर उठ कर काम करने लगा…..



रात को मे 8 बजे घर से खाना खाने के लिए ढाबे पर चला गया….और खाना खाने के बाद मे 9 बजे वापिस आया….मे ऊपर आया और फिर से कंप्यूटर ऑन करके काम मे लग गया…दोपहर को खूब सोया था….इससलिए काम मे लग गया…अभी कुछ ही देर काम किया था कि, मुझे बाहर वीना के घर की छत से कमलेश की आवाज़ आई. मे जब उठ कर बाहर आया तो देखा कमलेश हाथ मे खाने की थाली लिए खड़ा था….

कमलेश: लीजिए भाई साहब खाना खा लीजिए…..

मे: नही कमलेश भाई मे खाना अपने दोस्त के घर से खा कर आया हूँ….

कमेल्श: क्या हो गया भाई…आज आप अहाते मे भी नही आए….

मे: वो बता तो रहा हूँ….दोस्त के यहाँ चला गया था….वही पर टाइम लग गया था…..इससलिए मैने खाना वही खा लिया…..

कमलेश: चलिए कोई बात नही….

कमलेश नीचे वापिस जाने लगा तो भी अपने रूम मे जाने लगा तभी मुझे वीना की आवाज़ आई…वो शायद सीडीयों पर ही खड़ी थी….”क्या हुआ खाना नही खाया उन्होने….” वीना की आवाज़ सुन कर मे वही रुक गया…क्योंकि मे बरामदे मे खड़ा था…इसलिए बरामदे की दीवार के कारण वो मुझे नही देख सकती थी….

कमलेश: नही वो अपने दोस्त के घर चले गये थे….वही से खा कर आए है….चल नीचे ये खाना मे ही खा लेता हूँ…और लगाने के ज़रूरत नही है…

उसके बाद दोनो नीचे चले गये….और मे अपने रूम मे आकर कंप्यूटर पर बैठ गया…..रात के 1 बजे तक मैने सारा काम निपटा कर विक्रांत को मेल कर दी थी…अगली सुबह मे 8 बजे उठा….ब्रश आज ऊपर ही कर लिया और फ्रेश होकर नहाया धोया और अपने रूम मे आकर बैठ गया....रूम के विंडोस के आगे से पर्दे हटा दिए… और मे बैठ कर वेट करने लगा….कि क्या वीना आज खाना देने ऊपर आएगी कि नही…

और मुझे ज़्यादा देर इंतजार नही करना पड़ा…वीना दीवार के पास आकर खड़ी हो गयी….उसने खाने की थाली वहाँ दीवार पर रखी और अंदर रूम की तरफ देखने लगी….क्योंकि विंडो के ग्लास से बाहर से अंदर कुछ नज़र नही आता था..इसीलिए वो मुझे नही देख पा रही थी….हां डोर खुला था….पर मे डोर के सामने नही बैठा हुआ था…वो वही खड़ी अंदर झाँक रही थी…..शायद इस कशमकश मे थी कि, वो मुझे बुलाए तो कैसे…

वो वहाँ 5 मिनिट से खड़ी थी…वो इस तरह खड़े हुए घबरा रही थी…ताकि उसको कोई देख ना ले…क्योंकि अगर देखने वाला देखता तो वो समझता कि वीना मेरे घर मे चोरी चुपके तान्क झाँक कर रही है….इसलिए मे उठ कर खुद ही बाहर आ गया…मुझे देख कर उसने अपनी नज़रे झुका ली….पर मे उसकी तरफ ना जाकर बाथरूम की तरफ बढ़ने लगा….”नाश्ता कर लीजिए….” उसने सर को झुकाए हुए कहा… मे उसकी तरफ बढ़ा….

मे: क्यों अब तुम खाना मुझे देकर क्या जतलाना चाहती हो….

वीना: जी कुछ भी नही….आप नाश्ता कर लीजिए…..

मे: मुझे नही करना नाश्ता मे बाहर से कर लूँगा….

वीना: आप अभी भी नाराज़ है….?

मे: मे क्यों नाराज़ होने लगा….नाराज़ तो अपनों से हुआ जाता है….आप तो सिर्फ़ पड़ोसी हो…और कुछ नही…

वीना: देखिए तुषार बाबू जी….हम बहुत ग़रीब लोग है…और हम ग़रीब लोगो के पास अपनी इज़्ज़त और मान मर्यादा के अलावा कुछ नही होता….मुझे पता है कि, आप को मेरा इस तरह आप पे चिल्लाना बुरा लगा होगा….पर उस समय जो मुझे सही लगा वही मैने किया….
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10-06-2018, 12:59 PM,
#17
RE: Antarvasna kahani ज़िद (जो चाहा वो पाया)
वीना: देखिए तुषार बाबू जी….हम बहुत ग़रीब लोग है…और हम ग़रीब लोगो के पास अपनी इज़्ज़त और मान मर्यादा के अलावा कुछ नही होता….मुझे पता है कि, आप को मेरा इस तरह आप पे चिल्लाना बुरा लगा होगा….पर उस समय जो मुझे सही लगा वही मैने किया….

मे: तो मैने कॉन सा तुम्हारी इज़्ज़त को गली मे उछाल दिया था….मेरा कसूर यही है ना कि मे तुमसे प्यार करता हूँ….

वीना: देखिए तुषार बाबू जी….मे इतनी बड़ी-2 बातें नही समझ सकती…यहाँ बड़े-2 सहरो मे ऐसा होता होगा…पर हम तो छोटे से गाओं के लोग है…और हम उसी पर यकीन करते है….जो हमे बचपन मे सिखाया गया हो….

मे: तभी तुम लोग कभी आगे नही बढ़ पाते….जो तुम लोगो को बचपन मे सिखा दिया जाता है…उसी राह पर अंधी भैंसो की तरह चलना कोई अकल मंदी की बात है ? भले ही इसमे तुम्हारा नुकसान हो….

वीना: आप खाना खा लीजिए….मेरा जो नुकसान होगा…आप को उससे क्या लेना देना… 

मे: अब खाना तो दूर मे तुम्हारे हाथ से पानी भी नही पीना चाहता….

वीना: ह्म्म बस इतना ही प्यार था….इतनी जल्दी हार गया आपका प्यार….

मे: तो आख़िर तुम चाहती क्या हो….

वीना: आप मेरी हालत के बारे मे क्यों नही सोचते…मे नही धोखा दे सकती अपनी परिवार को….मे अपने पति……(वीना बोलते बोलते चुप हो गयी….) 

मे: ठीक है एक शरत पर खाउन्गा….

वीना ने मेरी तरफ देखा….

मे: तुम्हे वो पैसे लेने होंगे…

उसने हां मे सर हिला दिया…मैने पॉकेट से पैसे निकाले तो उसने कुछ पैसे वापिस रख दिए….और बाकी के पैसे लेकर नीचे जाने लगी….”सुनो….” वीना ने पलट कर मेरी तरफ देखा…..आज के बाद तुम यहाँ दीवार पर खाना रख जाया करो…जब मेरे नज़र पड़ेंगे तो उठा कर खा लिया करूँगा…..” 

वीना ने हां मे सर हीलिया और नीचे चली गयी….मेने नाश्ते की प्लेट उठाई और रूम मे आकर नाश्ता करने लगा….नाश्ता करने के बाद मैने उसकी प्लेट को वही दीवार पर रख दिया…और रूम मे वापिस आ गया…तभी विक्रांत की कॉल आई….

विक्रांत: हेलो तुषार जी कैसे हो….?

मे: जी अच्छा हूँ आप कैसे है….

विक्रांत: मे भी ठीक हूँ….अच्छा आपकी मेल मिल गयी थी….

मे: आपने चेक किया…कोई प्राब्लम तो नही उसमे….

विक्रांत: नही-2 दरअसल मैने आपको ये पूछने के लिए फोन किया था कि, अगले 5-6 दिन आपको कोई और काम तो नही है…..

मे: नही कहिए ना….

विक्रांत: वो आक्च्युयली वर्क लोड थोड़ा ज़यादा हो गया…..इसलिए आपको अगले 5-6 दिन मे मुझे 5 बुक्स ट्रांसलेट करके देने है…..आप कर लोगे कि नही…..

मे: कितने पेजस की बुक्स है….

विक्रांत: यही कोई 150 पेज होंगे हर बुक मे…

मे: ओके नो प्राब्लम….

विकांत: ओके तो मे मेल कर रहा हूँ….अगर कोई प्राब्लम हो तो फोन कर देना…

मे: ओके

मैने फोन कट कर दिया…. थोड़ी देर बाद ही मुझे विक्रांत की मेल भी आ गयी…मैने वो बुक्स डाउनलोड की….फिर काम शुरू कर दिया….अगले 5 दिनो तक मे इतना बिज़ी रहा कि, मे रूम से भी कम ही बाहर निकल पाता था…मुझे वीना को देखे हुए भी 5 दिन हो गये थी….हां रात को अहाते मे दो बार कमलेश से मिला था…मुझे विक्रांत का दिया हुआ काम ख़तम करने मे 6 दिन लग गये….6 दिन ही मेने रात के 12 बजे तक उसको मेल भी कर दी थी….

अगली सुबह मे 9 बजे उठा…इन 6 दिनो मे बहुत थक गया था…नींद भी कम ही पूरी हो पाती थी….पर जब मे उठा तो मे बहुत फ्रेश महसूस कर रहा था…मे उठा फ्रेश हुआ….और शवर लिया….दिसंबर 15 का दिन था…यहाँ पंजाब मे ठंड इस समय पूरे यौवन पर होती है….चारो तरफ ढूंड चाहिए हुए थी….गरम पानी से नहाने के बाद जैसे ही मे बाहर आया…तो ठंड के कारण दाँत बज रहे थे…

मे अभी रूम मे जाने ही वाला था कि, वीना ऊपर आ गयी…उसके हाथ मे नाश्ते की थाली थी….वो जैसे ही दीवार के पास आई….मैने उसकी तरफ देखे बिना ही उसके हाथ से नाश्ते की प्लेट ली और रूम की तरफ जाने लगी….वो शायद कुछ कहना चाहती थी…”सुनिए……” उसके शब्द जैसे आगे दब गये थे….मे रूम मे आ गया और नाश्ता करने लगा…नाश्ता करने के बाद मेने प्लेट वही दीवार पर रख दी. और फिर से रूम मे आ गया….सुबह के 11 बज चुके थे…और बाहर धुन्ध अब छांट चुकी थी….और सुनहरी धूप खिली हुई थी… मे रूम से बाहर आया और गली वाली दीवार पर हाथ टिका कर खड़ा हो गया….. 

तभी नीचे वीना के घर का गेट खुला और वीना घर से बाहर आई….वो अंदर की तरफ देख रही थी….जैसे किसी के आने का इंतजार कर रही हो….”अनु जल्दी आ…” तभी उसने ऊपर की तरफ देखा तो हम दोनो के नज़रें आपस मे टकराई…थोड़ी देर बाद उसकी बेटी अनु भी बाहर आ गयी…उसने गेट को लॉक किया…वीना ने फिर से एक बार मेरी तरफ ऊपर देखा और फिर अपनी बेटी की तरफ देखते हुए बोली….”अनु जल्दी कर तुझे छोड़ कर वापिस आकर मुझे बहुत काम करना है….”

नज़ाने क्यों मुझे ऐसा लग रहा था कि, वीना ये सब मुझे सुनने के लिए कह रही हो… उसने फिर से एक बार ऊपर देखा तो मैने दूसरी तरफ मुँह घुमा लिया…फिर वो अपनी बेटी को लेकर चली गयी…मे वापिस आकर चेयर पर बैठ गया…आज काम से काफ़ी दिनो बाद फ्री हुआ था….इसलिए धूप मे बैठ कर सुसताना बहुत अच्छा लग रहा था… अभी 15 मिनिट ही बीते होंगे कि, मुझे वीना के घर का गेट खुलने की आवाज़ आई. और फिर बंद होने की…पर मे अपनी जगह बैठा रहा….

नज़ाने क्यों मेरे दिमाग़ मे आ रहा था कि, अब वीना ऊपर आएगी….दरअसल मे भी उसके योवन को देखना चाहता था….पर एक बार उसके द्वारा नकारे जाने से मे उसे खफा था…इसलिए मे उसकी ओर देख कर उसको ये नही दिखाना चाहता था कि, मे अभी भी उसके लिए तड़प रहा हूँ….इसलिए मे उसको इग्नोर कर रहा था….और हुआ भी वैसे ही जैसे मीना सोचा था….

वीना ऊपर आई….उसके हाथ मे एक थाली थी…ऊपर आने के बाद उसने चटाई बिछाई और चटाई पर बैठ कर दाल को सॉफ करने लगी….जो वो थाली मे लेकर आई थी….मे उसकी तरफ तिरछी नज़रों से देख रहा था….तबकि उसको पता ना चले कि, मे उसकी तरफ देख रहा हूँ….मे उसको दिखाना चाहता था कि, अब मुझे उसकी कोई परवाह नही है.. अब मे उसके पाने के लिए पहले की तरह उसका दीवाना नही हूँ…वो बार-2 डाल सॉफ करते हुए मेरी तरफ देख रही थी….

और मे इधर उधर देखते हुए बीच-2 मे उसके तरफ देख लेता…तो हमारी नज़रें आपस मे टकरा जाती और वो नीचे सर झुका कर मुस्कुराने लग जाती...ये खेल करीब 20 मिनिट तक चला…अब दाल सॉफ करने मे घंटा तो लगता नही है…वो खड़ी हुई और एक बार उसने मेरी तरफ देखा और फिर सीडीयों की तरफ जाने लगी…अब उसकी पीठ मेरी तरफ थी…मुझे ऐसा लगा कि, जैसे मे उस मोके को खो रहा हूँ..जो वो बार-2 मुझे दे रही है….

मे उसको सीडीयों की तरफ जाते हुए देख रहा था……आज उसके बाल खुले हुए थे… और हवा के साथ साथ लहरा रहे थे….वो चलती हुई सीडीयों के पास पहुँच गये. काश ये योवन से नहाई हुई अप्सरा मेरे हाथ आ जाती….पर शायद मेरी किस्मत मुझसे रूठी हुई है…..ये सोच कर मैने अपने दिल को तसल्ली दी…..

वो धीरे-2 सीडीयों की तरफ बढ़ रही थी….और सीडीयों के डोर के पास जाकर रुक गयी…और उसने मूड कर मेरी तरफ देखा….और एक हाथ से अपने फेस पर आई हुई लटो को हटाते हुए मुस्कराते हुए मुझे इशारा किया…क्या उसने मुझे इशारा किया है. कहीं मेरा वेहम तो नही…नही-2 उसने इशारा किया है…उसने फिर से इशारा किया. नीचे आने का….मैने गर्दन हिला कर उसे पूछा जैसे मे कन्फर्म कर लेना चाहता था….उसने फिर से होंठो पर मुस्कान लाते हुए इशारा किया….

ये सॉफ-2 संकेत था….वो घर मे अकेली थी..एक दम अकेली….वो जानती थी कि मे जानता हूँ कि वो घर मे अकेली है…..फिर इस तरह मुझे अपने घर मे बुलाने का मतलब…..दोस्तो आप सोचो कि उस समय मे जिस उम्र मे था…और मुझे एक बला की खूबसूरत औरत इशारे से अपने घर के अंदर बुला रही थी…वो औरत जिसके लिए मे पिछले एक महीने से जी जान से उसको पाने की कॉसिश कर रहा था….उस वक़्त मेरी क्या हालत होगी….

मेरे गला सूखने लगा था….लंड मे अजीब से सरसराहट होने लगी थी….उत्सुकता के कारण हाथ पैर कांप रहे थे…वो मूडी और धीरे-2 नीचे उतरने लगी…मुझे ऐसा लग रहा था….जैसे आसपास के घरो के चॉबारो से सब मुझे देख रहे है… सब की नज़र मुझ पर टिकी हुई है…मैने चारो तरफ देखा….और जब तक मन को तसल्ली ना हो गयी कि, मुझे कोई नही देख रहा….तब तक मे अपनी जगह से नही हिला…..

मेने जल्दी से दीवार फांदी और सीडीयों की तरफ तेज कदमो से बढ़ा….ये सब करते हुए मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था…मे सीडीयों से नीचे उतरा तो नीचे एक दम सन्नाटा पसरा हुआ था….वो मुझे बाहर कही दिखाई नही दे रही थी….मेरे घर की तरह ही उस घर मे भी नीचे दो रूम थे….एक गेट के पास और एक पीछे. पीछे वाले रूम से बाहर निकल कर साइड मे किचन फिर बाथरूम उसके आगे टाय्लेट और उससे आगे सीडीयाँ थी….जो गेट वाले रूम की दीवार के साथ से होकर ऊपर जाती थी…..

पीछे वाले रूम का डोर खुला था….पर अंदर लाइट नही जल रही थी….क्योंकि बाहर का गेट बंद था….और सीडीयों वाला गेट मे बंद करके आया था…इसलिए नीचे रोशनी कम थी….मे रूम की तरफ बढ़ने लगा…मेरा दिल जोरो से धड़क रहा था.. मेरे कदम थरथरा रहे थे….जब मे रूम मे पहुँचा तो मुझे एक कोने की दीवार के साथ लगी हुई चारपाई पर वो लेटी हुई नज़र आई….उसकी पीठ मेरी तरफ थी… 

जैसे ही मे आगे बढ़ा तो मुझे और सॉफ दिखाई देने लगा…मैने विंडो के आगे लगे हुए पर्दे को हटा दिया….जिससे अब रूम मे इतनी रोशनी हो गयी थी…कि मे अच्छे से देख सकूँ…जैसे ही विंडो से रोशनी रूम मे आई तो उसने एक दम फेस घुमा कर मेरी तरफ देखा….उसकी आँखे वासना के नशे मे लाल हो रखी थी…एक पल देखने के बाद उसने अपना फेस घुमा लिया…अगले ही पल मेरा लंड मेरे शॉर्ट्स मे एक दम से अकड़ गया…..

ये देख कर कि, उसने पहले से ही अपनी साड़ी उतार रखी थी…उसके बदन पर क्रीम कलर का पेटिकॉट और डार्क कलर का ब्लाउस था…कॉन सा कलर था….वो मुझे याद नही. मे धीरे-2 उसकी तरफ बढ़ा…और चारपाई के किनारे पर बैठते हुए उसकी नंगी कमर पर हाथ रखते हुए उसे उसके नाम से पुकारा……”वीना भाभी….” जैसे ही मैने अपना हाथ उसकी नंगी कमर पर रखा तो उसका पूरा बदन एक दम से काँप गया….

उसने चद्दर को अपने दोनो हाथों से कस्के पकड़ लिया….उसकी साँसे तेज होने लगी थी….मैने धीरे-2 अपने हाथ को उसकी कमर से सरकाते हुए, उसके पेट की तरफ लेजाना शुरू कर दिया…मेरे हाथ की हर हरक़त के साथ उसका बदन बुरी तरह काँप जाता… उसकी नाक से निकलने वाली हर साँस मुझे सॉफ सुनाई डी रही थी…..मेरा हाथ अब उसकी नाभि तक पहुँच चुका था….मैने अपने दूसरा हाथ उसके कंधे पर रखा और उसको अपनी तरफ पलटने के लिए हलका सा ज़ोर लगाया तो वो खुद सीधी हो गयी…

उसके आँखे बंद थी….और होंठ काँप रहे थे…अब मेरे सबर का पेमाना छलकने लगा था….उसकी चुचियाँ उसके ब्लाउस मे कसी हुई थी…उसके दोनो कबूतर उस पिंजरे से बाहर आने को फडफडा रहे थे….मैने अपने हाथ को उसके पेट से सरकाते हुए, उसके ब्लाउस मे कसे हुए मम्मों की तरफ बढ़ाना शुरू कर दिया…उसकी कमर और उसका पेट थरथरा कर रह गया…..और जैसे ही मैने उसके राइट मम्मे पर अपने हाथ को रख कर उसको दबाया तो, उसने सिसकते हुए अपना हाथ उठा कर मेरे हाथ के ऊपर रख दिया……
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10-06-2018, 12:59 PM,
#18
RE: Antarvasna kahani ज़िद (जो चाहा वो पाया)
हम दोनो के हाथ कांप रहे थे….पर वासना का नशा अब तक मेरे दिमाग़ पर हावी हो चुका था….मैने उसकी चुचि को धीरे-2 दबाना शुरू कर दिया…वो एक दम से सिसक उठी…”सीईईईई आह धीरे….” अगले ही पल मे उस चारपाई पर चढ़ गया…और उसके ऊपर झुकते हुए उसके होंठो पर अपने होंठो को रख दिया….कुछ ही पलों में उसने अपने होंठो को खोल दिया….और मेरा साथ देने लगी….मे पागलो की तरह उसके होंठो को चूस्ते हुए, उसके बदन के हर अंग को अपने हाथों से मसल रहा था…

कभी ब्लाउस के ऊपर से उसकी चुचियों को मसलने लगता तो कभी उसके पेट को दबाते हुए सहलाने लगता…वो भी एक दम गरम हो चुकी थी….उसने अपने दोनो हाथों से अपने सर के नीचे रखे हुए तकिये को कस्के पकड़ा हुआ था…मैने अपने दोनो हाथों से उसके ब्लाउस के हुक्स को जैसे ही खोलने की कॉसिश की, उसने मेरे हाथों को पकड़ लिया…..”क्या हुआ वीना…..” मैने उसकी बंद आँखो की तरफ देखते हुए कहा…..

वीना: (काँपती हुई आवाज़ मे) तुषार इससे मत खोलिए…..

मे: क्यों तुम अभी करना नही चाहती हो….?

वीना: वो अनु का पता नही कब आ जाए…..

मे: तो फिर…

वीना ने अपनी मदहोशी से भरी आँखो को थोड़ा सा खोल कर मेरे तरफ देखा और फिर अपने पैरो के तरफ देखते हुए, अपने पेटिकॉट को पकड़ कर ऊपर उठाना शुरू कर दिया….उसके हल्के साँवले रंग के गुदाज झांगे देख मेरा लंड शॉर्ट्स को फाड़ कर बाहर आने को हो गया….उसने अपनी पेटिकॉट को जाँघो तक उठा कर अपने हाथों को हटा लिया…और फिर से आँखे बंद कर ली…..

अगले ही पल मे खड़ा हुआ, और अपने शॉर्ट्स और अंडरवेर को उतार फेंका…अब मेरे बदन पर सिर्फ़ एक फुल स्लीव गरम टी-शर्ट थी….मेरा साढ़े 7 इंच का लंड ऐसे फूँकार रहा था….जैसे कोई साँप फुन्कारा रहा हो….मैने चारपाई पर लेटते हुए उसका हाथ पकड़ कर जैसे ही अपने लंड पर रखा तो उसका बदन बुरी तरह से कांप गया….पर उसने अपना हाथ खींचने की कॉसिश नही की….और धीरे-2 मैने उसके हाथ को मुट्ठी मे बदलते हुए अपने लंड पर कस लिया….

और फिर वीना के होंठो को फिर से अपने होंठो मे भर कर चूसने लगा…वीना का हाथ अब धीरे-2 मेरे लंड के लंबाई चौड़ाई माप रहा था….मैने वीना के होंठो को चूस्ते हुए धीरे-2 उसके पेटिकॉट को और ऊपर करना शुरू कर दिया…और कुछ ही पलों मे वीना का पेटिकॉट उसकी कमर तक ऊपर चढ़ चुका था….अब मुझसे बर्दास्त नही हो रहा था….मे एक दम से वीना के ऊपर आ गया…और जैसे ही मे वीना के ऊपर आया….वीना ने नीचे से अपनी टाँगो को फैला दिया….जिससे मेरी टाँगे उसकी टाँगो के बीच मे आ गयी….

अगले ही पल जैसे ही मेरे लंड का सुपाडा वीना की चूत की फांको पर रगड़ खाया….वीना एक दम सिसकते हुए मचल उठी…”शीईईईई” उसने अपने दोनो हाथों से मेरे कंधो को थाम लिया…..उसकी आँखे अभी भी बंद थी…मेने अपना एक हाथ नीचे लेजाते हुए अपने लंड को पकड़ा और उसकी चूत की फांको के बीच अपने लंड के सुपाडे को जैसे ही दबाया….वीना का बदन एक दम से तन गया…उसने अपने होंठो को अपने दाँतों मे भींच लिया…

लंड का सुपाडा उसकी चूत की फांको को फैलाता हुआ उसकी चूत के छेद पर जा लगा….”सीईईईईई तुसरररर…..” उसने सिसकते हुए, मेरे कंधो पर अपने हाथों की पकड़ कर और कस लिया…उसका पूरा शरीर एक बार फिर बुरी तरह कांप गया…और जैसे ही मैने अपने लंड के सुपाडे को उसके चूत के छेद पर दबाया…तो उसकी टाँगे अपने आप ऊपर को उठ गयी….और लंड का सुपाडा उसकी गीली हो चुकी चूत मे अंदर घुसता चला गया…उसकी चूत बेहद गरम थी…..अब उसकी साँसे और तेज हो चुकी थी….

में अपने दोनो हाथों को नीचे लेजाते हुए उसकी टाँगो के नीचे से डाल कर उसकी टाँगो को और ऊपर उठा दिया…जिससे उसकी चूत का छेद और ऊपर की ओर खुल कर आ गया….मैने अपनी पूरी ताक़त इकट्ठा करते हुए एक ज़ोर दार धक्का मारा….तो लंड का सुपाडा उसकी चूत के दीवारो से रगड़ ख़ाता हुआ और अंदर घुसने लगा…”ओह्ह्ह अहह सीईईईईईईईईईई” उसने सिसकते हुए मेरे कंधो से हाथ हटा कर मेरी पीठ पर अपनी बाहों को कस लिया…..उसके नाख़ून मेरी पीठ पर शर्ट के ऊपर से ही चुभने लगे थे…..

मैने फिर से उसके होंठो को अपने होंठो मे भर कर एक और ज़ोर दार शॉट मारा इस बार मेरा लंड पूरा का पूरा वीना की चूत मे समा गया….उसका पूरा बदन कमान की तरह ऐंठ गया…..शायद उसकी चूत मे आज बरसो बाद किसी का लंड गया था… इसीलिए वो इतनी ज़यादा मदहोश हो चुकी थी……उसने अचानक से मेरी पीठ से अपने हाथों को हटा लिया और मेरे सर के बालो को पकड़ कर सर को ऊपर की तरफ खींचा और फिर तेज-2 साँसे लेते हुए मेरी आँखो मे देखते हुए अगले ही पल मेरे होंठो को अपने होंठो से लगा दिया…..

मैने भी कोई देर ना की उसके गुलाबी रसीले होंठो को होंठो मे भर करने की. अगले ही पल उसने अपने होंठो को ढीला छोड़ कर मेरे सुपुर्द कर दिया…. मे अब बड़े आराम से उसके होंठो को बार-2 चूस रहा था…पहले नीचे वाले होंठ को एक सिरे से दूसरे सिरे तक अपने होंठो मे दबा कर चूस्ता तो फिर ऊपर वाले होंठ को….मुझे उसकी चूत के दीवारे अपने लंड के इर्द गिर्द कस्ति और फैलती हुई महसूस हो रही थी.

जो इस बात का संकेत थी कि, अब उसकी चूत मेरे लंड की रगड़ खाने के लिए फुदक रही है…..मेने धीरे-2 अपने लंड को उसकी चूत के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया….जैसे ही मेरे लंड का सुपाडा उसकी चूत की दीवारो से रगड़ ख़ाता हुआ अंदर बाहर होना शुरू हुआ…..वीना एक दम से सिसक उठी…उसने मेरे होंठो से अपने होंठो को अलग किया….और मेरे बालो को पकड़ कर मेरे होंठो को अपनी गर्दन पर सटा दिया..

मे वीना की गर्दन पर अपने होंठो को रगड़ते हुए अपने लंड को उसकी चूत के अंदर बाहर कर रहा था…..मे सीधा होकर घुटनो के बल बैठ गया…..और उसकी चूत मे अंदर बाहर हो रहे अपने लंड को देखने लगा….उसने अपनी आँखे खोल कर जैसे ही मुझे अपनी चूत की तरफ देखते देखा तो उसने शरमाते हुए अपने पेटिकॉट को नीचे सरका कर अपनी चूत को ढँकना शुरू कर दिया….

.”क्या हुआ देखने दो ना….” मैने एक जोरदार धक्का लगाते हुए कहा….

.”अहह सीईईईईईईईई” उसने सिसकते हुए मेरी ओर देखा और फिर दूसरी तरफ फेस घुमा कर ना मे सर हिलाते हुए काँपती हुई आवाज़ मे बोली…..”ऐसे मत देखिए मुझे अह्ह्ह शरम आती है……”

मैने झुक कर उसके होंठो को एक बार चूमा और फिर से सीधा होते हुए बोला…. “ मुझसे अब क्या शरमाना…..अब तो सब कुछ कर चुकी हो मेरे साथ…..” मैने उसके हाथ से पेटिकॉट निकाल कर ऊपर की तरफ सरका दिया….और उसकी टाँगो को घुटनो से मोड़ कर और ऊपर उठा दिया….उसने शरमाते हुए अपनी आँखे बंद कर ली….उसकी चूत का दाना फूल कर एक दम मोटा हो चुका था…..मैने अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए उसके चूत के दाने को अपने अंगूठे से ज़ोर से मसल दिया….

जैसे ही मेने उसकी चूत के दाने को मसला…उसकी कमर ने जबरदस्त झटका खाया…”अह्ह्ह्ह श्िीीईईईईईई…..उंघह…..” मेरा लंड उसकी कमर के इस तरह झटका खाने से बाहर आ गया था…..मैने फिर से अपने लंड को पकड़ कर चूत पर सेट किया…और चूत पर दबाते हुए-2 धीरे-2 अंदर करने लगा….”वीना एक बात पूच्छू….” मैने वासना के कारण लाल हो चुके वीना के चेहरे की ओर देखते हुए कहा….तो उसने हां मे सर हिला दिया….

मे: (झुक कर उसके होंठो को चूमते हुए) मेरा लंड बड़ा है या तुम्हारे पति…

वीना मेरी ये बात सुन कर और शर्मा गयी….उसने दूसरी तरफ फेस घुमा लिया

…”बोलो ना…..” मैने अपने लंड को सुपाडे तक बाहर निकाला और फिर एक ही बार मे धक्का मार कर उसकी चूत की गहराइयों मे पेल दिया…

.”आप का….” उसने सिसकते हुए कहा…..

”कितना बड़ा है मेरा…..” मैने दो चार बार अपने लंड को चूत के अंदर बाहर करने के बाद कहा….तो वो मचल कर मुझसे लिपट गयी….

.”अश्ह्ह्ह्ह्ह उम्ह्ह्ह्ह मत कीजिए ना ऐसी बात…..” अब उसने अपनी टाँगो को उठा कर मेरी कमर पर रख कर कस लिया था…

मेरा लंड अब और ज़्यादा उसकी चूत मे घुसता हुआ महसूस होने लगा था…..”बोलो ना प्लीज़……” मैने इस पोज़ीशन मे एक और ज़ोर शॉट लगाया…तो मेरा लंड उसकी चूत के पानी से तर होकर गतच की आवाज़ से फिसलता हुआ अंदर जा घुसा….

.अह्ह्ह्ह सीईईईईईई उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह…..”दो ढाई इंच….” उसने जल्दी से कहा…. मे फिर से घुटनों के बल बैठ गया….और उसकी टाँगो को घुटनो से मोड़ कर अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा….इस बार मे एक रिदम के साथ अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा….
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10-06-2018, 12:59 PM,
#19
RE: Antarvasna kahani ज़िद (जो चाहा वो पाया)
मेरा लंड अब और ज़्यादा उसकी चूत मे घुसता हुआ महसूस होने लगा था…..”बोलो ना प्लीज़……” मैने इस पोज़ीशन मे एक और ज़ोर शॉट लगाया…तो मेरा लंड उसकी चूत के पानी से तर होकर गतच की आवाज़ से फिसलता हुआ अंदर जा घुसा….

.अह्ह्ह्ह सीईईईईईई उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह…..”दो ढाई इंच….” उसने जल्दी से कहा…. मे फिर से घुटनों के बल बैठ गया….और उसकी टाँगो को घुटनो से मोड़ कर अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा….इस बार मे एक रिदम के साथ अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा….

उसने फिर से अपने सर के नीचे रखे हुए तकिये को कस्के पकड़ लिया….इस तरह लंड अंदर बाहर करने से नीचे से चारपाई चरमराते हुए हिलने लगी…और पूरे रूम मे चूं-2 की आवाज़ गूंजने लगी….चूं-2 की आवाज़ सुन कर उसने एक दम से आँखे खोल कर मेरी तरफ देखा तो मैने जान बुझ कर इस तरह से अपने लंड को उसकी चूत के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया….जिससे चारपाई की चूं-2 की आवाज़ और बढ़ गयी…..और ये आवाज़ सुन कर वो और ज़्यादा शरमाने लगी…”मज़ा आ रहा है ना….” मैने लंबे-2 शॉट लगाते हुए कहा….पर उसने कुछ नही कहा….और शर्मा कर मुस्कुराने लगी…..

अब मे धीरे-2 अपनी रफतार बढ़ा रहा था……और उसकी चूत से निकल रहा कामरस और ज़्यादा बह कर बाहर आने लगा था….मेरा लंड उसकी चूत से निकल रहे कामरस से और भी ज़्यादा सन कर चिकना हो चुका था….”अह्ह्ह्ह वीना तुम्हारी चूत आह बहुत गरम है अहह मेरा लंड ओह्ह्ह्ह…” मैने अपने दोनो हाथों से वीना की चुचियों को मसल्ते हुए कहा…..अब मे पूरी रफतार से शॉट लगाते हुए उसकी चूत मे अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था….

उसके बदन मे तनाव लगतार बढ़ता जा रहा था….जिससे पता चल रहा था कि, अब वो चरम की ओर अग्रसर हो चुकी है…..अब वो धीरे-2 अपने सर को इधर उधर कर रही थी…उसके हाथों की पकड़ उसके सर के नीचे रखे हुए तकिये पर और कस्ति जा रही थी..और मेरे हर धक्के के साथ वो भी अब बहुत धीरे-2 अपनी गान्ड को ऊपर की ओर उठा रही थी…..

उसका चेहरा अब और ज़्यादा लाल होकर दहकने लगा था….मे फिर से उसके ऊपर झुक गया और उसके गुलाबी रसीले होंठो को अपने होंठो मे भर कर पूरे जोश मे आकर शॉट लगाने लगा….उसकी गान्ड से मेरी जांघे बुरी तरह से टकरा रही थी…”ओह्ह्ह वीना मेरा होने वाला है….” मैने नीचे से अपनी पूरी ताक़त के साथ उसकी चूत मे अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए कहा…

.मेरी बात सुन कर वो एक दम से सिसक उठी….और मुझसे पागलो की तरह लिपट गयी….उसकी पकड़ अब मेरे शरीर पर हर पल बढ़ती जा रही थी…..

वीना: तुषार उमन्ह उन्घ्ह्ह उंघ उंघ उंघह ओह्ह्ह्ह्ह्ह…..

वीना का बदन एक दम से ऐंठ गया….उसकी चूत की दीवारो की पकड़ मेरे लंड पर इस कदर बढ़ गयी……कि मेरा लंड उसकी चूत की दीवारो से इस कदर रगड़ खाने लगा.. मानो जैसे मे किसी कुँवारी लड़की की चूत को चोद रहा हूँ….पर मैने भी अपने धक्कों की रफतार को कम ना होने दिया…और 10-15 ऐसे जोरदार झटके मारे कि, वीना एक दम से मचल उठी…और उसने मेरे गालो को पागलो की तरह मदहोश होते हुए चूमना शुरू कर दिया….

कुछ ही पलों मे सब एक दम से शांत हो गया…..अब रूम मे हमारी तेज साँस लेने की आवाज़ ही सुनाई दे रही थी….एक के बाद एक मेरे लंड से वीर्य की इतनी पिचकारियाँ निकली कि मे गिनती भी नही कर पाया…वीना भी अपनी चूत मे मेरे वीर्य को गिरता हुआ महसूस करके मस्त होकर लेती हुई थी….उसके होंठो पर संतुष्टि भरी मुस्कान फैली हुई थी….

मेरा लंड सिकुड कर उसकी चूत से बाहर आ चुका था….मे उसके ऊपर से हट कर नीचे खड़ा हो गया….उसने जल्दी से अपना पेटिकॉट नीचे कर लिया….फिर मेरी तरफ देख कर मुस्कराते हुए नज़रें झुका ली….वीना चारपाई से उठी….और रूम के एक कोने मे जाकर एक पुराना कपढ़ा उठाया और फिर मेरी तरफ पीठ करते हुए, अपने पेटिकॉट को पकड़ कर ऊपर उठा कर उससे अपनी चूत को सॉफ करने लगी….

चूत सॉफ करने के बाद वीना मेरे पास आई…..और मेरी तरफ उस कपड़े को बढ़ा दिया…”तुम खुद सॉफ कर दो ना….” मैने उसके तरफ देखते हुए कहा….और उसके कंधों को पकड़ कर उसे चारपाई के किनारे पर बैठा दिया….उसने एक बार मेरे लंड को देखा और फिर नज़रे झुकाते हुए मेरे लंड को पकड़ लिया….

”देखो तुम्हारी चूत ने कितना पानी छोड़ा है…..पूरा गीला कर दिया है….” 

मेरी बात सुन कर वो और शरमाने लगी……उसने मेरे लंड पर लगे हुए अपनी चूत के कामरस को गोर से देखा और फिर उसे कपड़े से सॉफ करने लगी….

लंड सॉफ करने के बाद वो उठी….और उसने उस कपड़े को बाथरूम मे रख दिया. और फिर से रूम मे आई…..”अनु ना आ जाए…..उसने गेट की तरफ देखते हुए कहा. 

मे समझ चुका था कि, वीना अभी भी डरी हुई है….इसलिए मैने अपने शॉर्ट्स को उठाया और पहन कर बाहर आ गया….वो भी मेरे पीछे बाहर आ गयी…हम दोनो सीडीयाँ चढ़ कर ऊपर जाने लगी….

जैसे ही मे सीडीयाँ चढ़ कर छत पर जाने लगा तो उसने मुझे रोक दिया….”रुकिये मे देख लेती हूँ…कहीं कोई बाहर छत पर ना देख रहा हो….” फिर वो सीडीयों से डोर से निकल कर छत पर गयी….और चारो तरफ देख कर फिर से सीडीयों पर आकर खड़ी हो गयी…..वो कुछ बोल नही रही थी….शायद वो नही चाहती कि मे वहाँ से जाउ

…”क्या हुआ कोई है क्या….? “ 

वीना ने ना मे सर हिला दिया…..

मे: तो फिर मे जाउ…..?

वीना: जी…..(उसने अभी भी अपने सर को झुका रखा था….) 

मैने उसके फेस को अपने दोनो हाथों से पकड़ कर ऊपर उठाया और उसकी आँखो मे देखते हुए उसके होंठो की तरफ अपने होंठो को बढ़ा दिया…उसने भी अपने होंठो को हल्का सा खोलते हुए अपनी आँखे बंद करके अपनी सहमति जताई…..और अगले ही पल मैने उसके गुलाबी रसीले होंठो को जो अब हल्के लाल हो चुके थे…उन्हे अपने होंठो मे भर कर चूसना शुरू कर दिया…..दिल तो कर रहा था कि, अभी उसके होंठो को चबा ही जाउ….पर दोस्तो ये चबाने वाली चीज़ तो नही थी…..

इनका रस तो मुझे नज़ाने कितनी बार और चूसना था….इसीलिए चबाना मुस्किल था….मैने वीना के दोनो हाथों को पकड़ कर अपने कंधो पर रख लिया…और शायद वीना मेरा इशारा समझ भी गयी थी…अगले ही पल उसने मेरी पीठ पर अपनी बाहों को लपेट लिया….उसकी चुचियाँ मेरी चेस्ट मे धँस गयी….और मैने उसकी कमर से अपने हाथो को पीछे लेजाते हुए, उसकी कमर पर कस लिया….

वीना बैल की तरह मुझसे लिपट गयी…..वो अब पहले से थोड़ा ज़्यादा खुल कर मेरा साथ दे रही थी….उसके हाथ मेरी पीठ पर थिरक रहे थे…मे उसके होंठो को अपने होंठो से निचोड़ रहा था….जैसे उनका सारा रस आज ही पी जाना चाहता था…और वो भी अपने होंठो के खजाने को खुल कर लूटा रही थी….मेरे हाथ उसकी कमर से होते हुए उसके बाहर की तरफ निकल हुए मोटे-2 चुतड़ों पर आ चुके थे….जैसे ही मेने उसके चुतड़ों को मसला वो एक दम से मचल उठी….और मेरी बाहों मे कसमसा कर रह गयी….

हम दोनो को वहाँ खड़े हुए 15 मिनिट हो चुके थे…अब जाने का वक़्त हो चुका था..इसीलिए अब और वहाँ नही रुक सकता था….फिर मे वहाँ से निकल कर अपने घर की छत पर आ गया….आज मेरा वो सपना पूरा हो गया था…..जिसे मे पिछले दो महीनो से देख रहा था……उस दिन कोई और खास बात नही हुई…हाँ मे ख़ुसी मे था…..इसीलिए अहाते मे पहुँच गया था….उस दिन मेने वहाँ पर कमलेश के साथ दारू पी……

अगला दिन सनडे का था…..इसलिए वीना का बेटा और कमलेश दोनो ही घर पर थी… इसीलिए आज कोई मोका नही था….पर मे जानता था कि, अब आगे मुझे बहुत से मोके मिलेंगे जब मे वीना को चोद सकता था….उस दिन दोपहर का वक़्त था….मे अपने रूम मे लेटा हुआ था…मुझे बाहर से वीना की आवाज़ आ रही थी….वो अपनी घर के छत पर बैठी हुई थी…”अज्जु क्या कर रहा है…इतना बड़ा हो गया है…..” अज्जु वो अपने बेटे अजय को प्यार से बुलाती थी….जिसने इसी साल स्कूल जाना शुरू किया था…

मे उठ कर बाहर आया…और जैसे ही मे बरामदे की दीवार से थोड़ा आगे आया तो सामने का नज़ारा देख कर मेरे पाँव वही जम गये…उसका बेटा उसकी गोद मे लेटा हुआ था….वीना का ब्लाउस आगे से खुला हुआ था….और उसका बेटा उसका दूध पी रहा था…मुझे ये सब देख कर यकीन नही हो रहा था….पर मेने कई बार सुना और देखा भी है….कि कुछ बच्चे काफ़ी उम्र तक अपनी माँ का दूध नही छोड़ते….और उन औरतों का दूध 3-4 साल तक आता रहता है….क्या अभी भी वीना के मम्मों मे दूध आता होगा….


इस बात को और पक्का कर रही थी वीना की वो बात जब उसने मुझे अपने ब्लाउस के हुक्स नही खोलने दिए थी….शायद शरम के मारे…कि उसके मम्मों से दूध निकलता देख कर मे कैसे रिक्ट करूँगा…..शायद यही वजह थी कि, उसने मुझे अपना ब्लाउस नही खोलने दिया था….मे वापिस अपने रूम मे आ गया….ये सोच कर ही मेरा लंड खड़ा हो गया कि, उसकी चुचियों के निपल्स से अभी भी दूध बाहर आता है….खैर उस दिन कुछ ख़ास होने के संभावना नही थी….वो दिन भी गुजर गया….अगले दिन मे वीना के चोदने और उसके मम्मों को दबा -2 कर उनमे से दूध बाहर निकालने के लिए बहुत उतावला हो रहा था…..
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10-06-2018, 12:59 PM,
#20
RE: Antarvasna kahani ज़िद (जो चाहा वो पाया)
इस बात को और पक्का कर रही थी वीना की वो बात जब उसने मुझे अपने ब्लाउस के हुक्स नही खोलने दिए थी….शायद शरम के मारे…कि उसके मम्मों से दूध निकलता देख कर मे कैसे रिक्ट करूँगा…..शायद यही वजह थी कि, उसने मुझे अपना ब्लाउस नही खोलने दिया था….मे वापिस अपने रूम मे आ गया….ये सोच कर ही मेरा लंड खड़ा हो गया कि, उसकी चुचियों के निपल्स से अभी भी दूध बाहर आता है….खैर उस दिन कुछ ख़ास होने के संभावना नही थी….वो दिन भी गुजर गया….अगले दिन मे वीना के चोदने और उसके मम्मों को दबा -2 कर उनमे से दूध बाहर निकालने के लिए बहुत उतावला हो रहा था…..

उस दिन जब वीना अजय को स्कूल छोड़ कर वापिस आई तो, उसके चेहरे पर परेशानी सॉफ झलक रही थी…..जब वो छत पर आई तो मैने उसे इशारे से अपने पास आने को कहा…तो वो मेरे पास आ गयी…

..”वो आज अनु घर पर है…..” उसने थोड़ा सा उदास से लहजे मे कहा…..

मे: कोई बात नही इसमे परेशान होने वाली कॉन से बात है…….वैसे बात क्या है…

वीना: कुछ नही…..

मे: देखो अगर तुम मुझसे छुपाना चाहती हो तो छुपा लो….पर तुम्हे शायद नही पता कि, मे तुम्हे उदास नही देख सकता….प्लीज़ बताओ ना क्या बात है….

वीना: वो आज अजय के स्कूल गयी थी….

मे: तो ?

वीना: वहाँ बड़ी मेडम जी बोल रही थी कि, दो महीने से अजय की फीस जमा नही हुई है…अगर इस बार भी फीस जमा नही करवाई तो वो अजय को स्कूल से बाहर निकाल देंगे….

मे: तो तुमने उसकी फीस जमा क्यों नही करवाई….?

वीना: आप तो इनको जानते ही हो….वो मेरे हाथ मे पैसे रखते ही कितने है…. दो वक़्त की रोटी भी मुस्किल हो गयी थी….अगर आप पैसे ना देते तो दुकानदार ने उधार भी बंद कर देना था….मे बहुत मुस्किल से घर चला रही हूँ…

मे: तो इसमे कॉन सी बड़ी बात है…….मे तुम्हे पैसे देता हूँ….कितने पैसे चाहिए तुम्हे….

वीना: जी इस महीने के मिला कर 800 रुपये है उसकी फीस के….

मे: तुम रूको मे पैसे लेकर आता हूँ…..

वीना: नही रहने दीजिए…..जिसकी ये ज़िमेदारी है वो तो खुद कुछ करता नही है… हम क्यों आप पर बोझ बने…..

मे: अब तुम ज़यादा बातें ना बनाओ…..रूको मे अभी पैसे लेकर आता हूँ…..

मे अंदर गया और अपना पर्स खोल कर देखा तो उसमे उस समाए सिर्फ़ 1500 रुपये थे.. मैने पैसे निकाले और बाहर आकर वीना को दे दिए…..

वीना: देखिए ना आप भी क्या सोच रहे होंगे मेरे बारे मे….कि कल और आज ये पैसे…..(वीना ने इन तीन वर्ड्स मे बहुत बड़ी बात कह दी थी….)

मे: देखो मे इतना गिरा हुआ इंसान नही हूँ…..मजबूरी और तंगी हर इंसान के ऊपर आती है….आज तुम लोगो पर है तो कल मेरे ऊपर भी आ सकती है….फिर तुम मेरी मदद कर देना…..(मैने मुस्कुराते हुए कहा….)

वीना: अच्छा मे फीस जमा करा कर आती हूँ……

उसके बाद वीना नीचे चली गयी…..और मे अपने रूम मे आ गया…तभी पापा का फोन आया….वो मुझे बुला रहे थे क्योंकि मामा जी की बेटी की शादी थी…इसलिए उन्होने ने मुझे कुछ दिन अपने पास रहने को भी कहा…..तो दोस्तो मैने एटीम से पैसे निकलवाए….जल्दबाज़ी मे पॅकिंग की….वीना को शाम को ही बता दिया था कि, शादी मे जा रहा हूँ…खैर मे अपने मम्मी पापा के पास पहुँच गया….मे वहाँ पर 7-8 दिन रुका था….जो थोड़ा बहुत काम विक्रांत मुझे मेल करता…मे उसे वहाँ से ही रात को पूरा करके मेल कर देता….

इन 7 दिनो मे मेरे पीछे वहाँ क्या हुआ…इसका मुझे अंदाज़ा नही था…मे नही जानता था कि, इन 7 दिनो मे वीना के परिवार के साथ क्या क्या हुआ….मे उस दिन सुबह 11 बजे घर पहुँचा…फ्रेश होने के बाद मैने चेंज किया…और बाहर आया तो मेरी नज़र अपनी छत पर बैठी वीना के ऊपर पड़ी…जैसे ही उसने मेरी तरफ देखा तो उसके चेहरे पर अजीब सी उमंग जाग उठी…उसने मेरी तरफ देखा और फिर खड़ी होकर सीडीयों के डोर के पास जाकर खड़ी हो गयी…फिर इधर उधर देखते हुए मुझे अपने पास आने का इशारा किया…

मेने भी इधर उधर देखा और दीवार फाँद कर उसके पास जा पहुँचा….जैसे ही मे उसके पास पहुँचा तो वो एक दम से सूबकते हुए मुझसे लिपट गयी….”कहाँ चले गये थी आप….” उसने सुबक्ते हुए कहा….

.उसको ऐसे रोते देख कर मुझे बहुत हैरानी हो रही थी….कि आख़िर वो रो क्यों रही है…मैने उसके फेस को हाथो मे पकड़ा और उसकी आँखो और गालो से आँसू सॉफ करते हुए बोला…”क्या हुआ रो क्यों रही हो…” 

वीना मेरी तरफ देख कर फिर से सूबकने लगी….

मे: पागल हो गयी हो क्या….ऐसे रो क्यों रही हो….मुझे बताओ तो सही….

वीना: मुझे माफ़ कर दीजिए….आप को देख कर मे अपने आप को रोक नही पे….

मे: पर बताओ तो सही हुआ क्या है…..?

वीना: बताती हूँ आप पहले नीचे चलिए….

मे: अच्छा चलो नीचे चल कर बात करते है……

मे उसके साथ नीचे आ गया…उसने मुझे बैठाया और पानी पिलाया…..उसके बाद वो मेरे सामने चारपाई पर बैठ गयी….”हां अब बोलो क्या बात है….” उसने मेरी तरफ उम्मीद भरी नज़रों से देखा और फिर रुआंसी आवाज़ मे बोली…..

वीना: उस दिन जब आप चले गये थे…..अजय की फीस जमा करवाने के बाद जो पैसे बचे थे….वो मैने घर पर रखे हुए थी….पर पता नही कहाँ से इनको वो पैसे मिल गये…और उन्होने वो सारे पैसे शराब मे उड़ा दिए…..

मे: बस इतनी से बात…तुम क्यों परेशान हो रही हो…..मैने तुमसे हिसाब पूछा है क्या या फिर तुम से पैसे माँगे है….

वीना: नही वो बात नही है…..

मे: तो फिर क्या बात है….?

वीना : उसके बाद अगले दिन ही अजय बीमार पड़ गया….बहुत तेज बुखार हुआ था उसको. डॉक्टर ने कहा कि, इसे हॉस्पिटल मे अड्मिट करवा दो….डेंगू हुआ था…पर मेरे पास इतने पैसे भी नही थे कि, मे उसे हॉस्पिटल मे भरती करवा सकती….मे इतनी मजबूर थी कि, दिल कर रहा था कि, जहर खा कर मर जाउ….

मे: तो फिर क्या हुआ…..अजय कहाँ है…ठीक तो है ना वो…..

वीना: हां ठीक है….अभी हॉस्पिटल से छुट्टी नही मिली है….

मे: फिर तुम यहाँ क्या कर रही हो….तुम्हे तो उसके पास होना चाहिए था….

वीना: हां होना तो वही चाहिए था….पर मे भी कैसी मजबूर औरत हूँ….मे अपने बीमार बच्चे के पास होने की बजाय…..(ये कहते हुए उसने फिर से रोना शुरू कर दिया…..)

मे: देखो वीना पहने आप को सम्भालो…और मुझे खुल के बताओ कि प्राब्लम क्या है….
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