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RE: Antarvasna kahani मासूम
"अच्छा दीदी इसलिए, और दीदी बच्चे कैसे पैदा होते है" मैने एक बार फिर नादान बनते हुए पुछा
"बस शादी के बाद भगवान जी बच्चे दे देते है" दीदी ने भी मुझे एडा समझते हुए बताया लेकिन वो नही जानती थी कि ये एडा बहुत जल्द पेड़ा खाने की सोच रहा है
"दीदी ये तो मुझे पता है कि भगवान ही बच्चे देते है लेकिन दीदी वो सुहागरात क्या होती है और उसमे हज़्बेंड और वाइफ क्या करते है" मैने फिर पुछा
"भाई ऐसी बाते नही करते कभी अपनी एज देखी है और बाते देखो कैसी पुछ रहा है और ज़रा ये तो बताओ कि किसने बताया तुम्हे ये सब" दीदी तुनक्ते हुए बोली
"वो......वो दीदी जब मैं अपने कज़िन की शादी मे गया था और जब दुल्हन घर आ गई थी तब कुच्छ लोग बाते कर रहे थे कि अब तो दूल्हा दुल्हन मज़े से सुहागरात मनाएँगे और आज रात दूल्हा दुल्हन को सोने नही देगा" मेरी तो गान्ड फटी हुई थी लेकिन किसी तरह मैने बात को संभाला
"कौन कह रहा था ये सब और तुम क्यों सुनते हो किसी की बाते, किसी की बाते सुन.ना बहुत बुरी बात है बेटा आगे से ऐसा नही करना" दीदी मुझे समझाते हुए बोली
"दीदी मुझे नही पता वो लोग कौन थे और दीदी वो लोग मेरे साथ एक ही रूम मे सो रहे थे अब मैं अपने कान कैसे बंद करता" मैं बोला
दीदी मेरी बात सुनकर चुप हो गई आख़िर मेरी बात भी सही हो थी
"दीदी बताओ ना सुहागरात क्या होती है कैसे होती है और हज़्बेंड वाइफ को रात भर क्यों नही सोने देता" थोड़ी देर बाद मैं फिर बोला
"भाई अब मैं मारूँगी सच मे, कहा ना ऐसे बाते नही करते अभी तुम्हारी एज नही है ऐसी बाते पुछ्ने की और जब तुम बड़े हो जाओगे तो तुम्हे खुद-ब-खुद ही सब पता चल जाएगा" दीदी थोड़े गुस्से से बोली
"दीदी मुझे अभी बताओ ना और देखो ना मैं बड़ा तो हो ही गया हूँ ना" मैं ज़िद्द करते हुए बोला "वैसे दीदी आपने कभी सुहागरात मनाई है क्या"
"भाई सुहागरात शादी के बाद मनाई जाती है पहले नही, गंदे कहीं के पता नही क्या क्या कहते जा रहे हो ना सोचते हो ना कुच्छ........अब बस करो और जाओ बाहर जाकर खेलो" दीदी मुझे झिड़कते हुए बोली
अब मैने ज़्यादा बहस करना ठीक नही समझा और उठ कर खेलने के लिए बाहर चला गया कुच्छ देर खेलने के बाद मैं घर वापस आगया
रात हमारी मौसी हमारे घर आई वो भैया के लिए रिश्ते के बात करने आई थी लड़की वाले उनके रिश्तेदार थे और लड़की बहुत ही सुंदर थी इसलिए मौसी ज़िद्द कर रही थी कि लड़की भी अच्छी है और वो लोग भी अच्छे है ऐसा रिश्ता फिर नही मिलेगा इसलिए शादी वहीं करते है
हमने मौसी से कहा कि सोच कर बताते है और फिर बादल भैया आए तो उन्हे बताया लेकिन भैया मना करने लगे फिर हम सबने ज़िद्द की और भैया को मनाया कि एक बार लड़की तो देख लो पसंद नही आए तो मत करना और किसी तरह भैया को मना कर हम लड़की देखने पहुचे लड़की सच मे बहुत सुंदर थी
लड़की सभी को पसंद आ गई और कुच्छ दिनो के बाद रिश्ता पक्का हो गया भाभी सच मे बहुत ही क्यूट, सेक्सी, स्लिम और हॉट थी मैं तो सोच रहा था कि उनकी शादी भैया से ना होकर मुझसे हो जाए लेकिन ये नामुमकिन था......
रिश्ता तय होते ही हम लोगो ने डिसाइड किया कि जल्द ही भैया की शादी कर देते है लेकिन भैया ने मना कर दिया कि इतनी जल्दी नही करना है शादी के लिए अभी उन्हे थोड़ा वक्त चाहिए तो भाई की बात सुनकर ये तय किया गया कि अभी सगाई कर देते है शादी बाद मे भैया की सुविधा से कर देंगे
सगाई 2 दिन के बाद रखी गई सगाई पर सब बहनो ने खुलकर मज़े से डॅन्स किया भाभी से भी डॅन्स करवाया गया और भैया की साली ने भी खूब डॅन्स किया
सब मे बहुत सेक्सी डॅन्स किया और सभी लड़किया डॅन्स करते वक्त बहुत सेक्सी लग रही थी
डॅन्स करते वक्त सभी लड़किया सलवार सूट मे थी लेकिन डॅन्स करते वक्त किसी ने भी दुपट्टा नही लिया हुआ था सभी का डॅन्स बहुत अच्छा और सेक्सी था खास कर कविता दीदी का
कविता दीदी ने जब डॅन्स शुरू किया तो दुपट्टा पहना हुआ था क्योंकि उनके बूब्स बहुत बड़े बड़े है लेकिन कुच्छ देर बाद दीदी ने जब दुपट्टा उतारा तो उनकी कुरती के बड़े गले से उनके बड़े बड़े बूब्स बहुत हद तक सॉफ नज़र आरहे थे डॅन्स करते वक्त जब वो उच्छलती तो बहुत हॉट नज़ारा देखने को मिलता
फंक्षन बहुत रात तक चला फिर हम घर वापस आगये हम सब बहुत थक गये थे घर पहुच कर सब अपने अपने रूम मे चली गये
मैं कविता दीदी के रूम की तरफ बढ़ गया मैं आज कुच्छ और चान्स लेना चाहता था पेड़ा खाने के लिए लेकिन रूम के बाहर पहुच कर देखा तो गैट लॉक था मैने नॉक किया
"कॉन है" अंदर से दीदी की आवाज़ आई
"मैं हूँ दीदी दरवाजा खोलो" मैं बोला
"क्या बात है बेटा मैं चेंज कर रही हूँ" दीदी बोली
"दीदी खोलो ना चेंज बाद मे कर लेना" मैं बोला और फिर नॉक किया
अब दीदी ने दरवाजा खोल देता और मैं अंदर जाकर उनके बेड पर बैठ गया
"दीदी आज आपका डॅन्स बहुत अच्छा था सब से ज़्यादा अच्छा सच मुझे बहुत मज़ा आया आपको डॅन्स करते हुए देख कर" मैं बोला
"थॅंक यू बेटा क्या यही कहना था जिसके लिए तुम यहाँ आए थे" दीदी मुस्कुराते हुए बोली
"नही दीदी आप इन कपड़ो मे बहुत प्यारी लग रही है इसलिए मैं आ गया सोचा कहीं आप चेंज ना कर लो मैं आपको इन कपड़ो मे देखने और आप से बाते करने आया हूँ अगर आप थकि हुई ना हो तो हम बात कर लेते है वरना मैं चला जाता हूँ" मैं बोला
"नही भाई मैं नही थकि हूँ चलो बाते कर लेते है वैसे भी कल छुट्टी है तो मैने कौन सा जल्दी उठना है" दीदी बोली
मैं खुश हो गया और दीदी एक चेयर लेकर मेरे सामने बैठ गई मेरी नज़रे बार बार उनकी बड़ी बड़ी चुचियो पर जा रही थी
"अच्छा तो सब से ज़्यादा मेरा डॅन्स अच्छा लगा तुम्हे, है ना बेटा" दीदी मुझे देखते हुए बोली
"जी दीदी, सब से अच्छा डॅन्स आपने किया और मेरी कविता दीदी से अच्छा कोई नही है मेरी कविता दीदी ईज़ बेस्ट" मैने मक्खन लगाया "उर दीदी आप ब्लॅक कलर के कपड़ो मे बहुत प्यारी लग रही है सच दीदी सब कुच्छ ब्लॅक आप पर बहुत अच्छा लग रहा है"
"सब कुच्छ ब्लॅक से क्या मतलब है भाई" दीदी कुच्छ सकपकाते हुए बोली
"दीदी आपकी कुरती, सलवार, दुपट्टा और आपकी बनियान" मैं बोला
"बनियान.........क्या मतलब है भाई तुम्हारा और तुमने कब और कैसे देखा" दीदी हैरान होकर बोली
"क्या कैसे देखा आपने ब्लॅक सलवार कुरती और दुपट्टा नही पहना है क्या अभी, और मैं कैसे ना देखता" मैं एकदम भोन्दु बनते हुए बोला
"भाई ये सब नही हो जो तुमने कहा ना बनियान उसका पुच्छ रही हूँ मैं" दीदी बोली
"अच्छा वूऊ...........वो तो जब आप डॅन्स कर रही थी ना तब देखा था मतलब नज़र आ गई थी आपकी ब्लॅक बनियान" मैं बोला
"भाई मैने तो दुपट्टा लिया हुआ था तब तो फिर कैसे नज़र आ गई, कहीं तुमने कहीं और से तो नही देखा आइ मैं जब मैं चेंज कर रही हौं तब" दीदी थोड़ी शरमाते हुए बोली
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RE: Antarvasna kahani मासूम
"नही दीदी आप मेरे सामने चेंज थोड़ी ही कर रही थी जो मैं देख पाता और बाकी कोई ऐसी जगह तो है नही जहाँ से देखता मैं सच कह रहा हूँ डॅन्स करते वक्त देखा था पहले तो आपने दुपट्टा लिया हुआ था लेकिन डॅन्स करते वक्त बाद मे निकाल दिया था तब नज़र आ गई थी आपकी बनियान और........." कहते कहते मैं रुक गया
"और क्या भाई" दीदी ने जल्दी से पुछा
"वो......दीदी...उूओ.......मुझे नाम तो नही पता लेकिन आपके ये भी नज़र आरहे थे" मैने दीदी की चुचियो की तरफ इशारा करते हुए कहा
मेरी बात सुनकर दीदी के गाल शरम से लाल हो गये
"भैया शरम करो अपनी बहन को वहाँ नही देखते और ऐसी बाते भी नही करते" दीदी मुझे घूरते हुए बोली
"ओक दीदी, लेकिन प्ल्ज़ दीदी मुझे दोबारा डॅन्स कर के दिखा दो ना प्ल्ज़ थोड़ा सा वैसे ही" मैं बोला
"भैया मैं थक गई हूँ फिर कभी करके दिखा दूँगी प्रॉमिस" दीदी मुझे टालते हुए बोली
"नही दीदी मुझे अभी देखना है प्ल्ज़ दीदी प्ल्ज़ अभी दिखाइए ना दीदी प्ल्ज़, और अभी तो आपने कहा था कि अभी आप थकि नही हो" मैं ज़िद्द करते हुए बोला
"अच्छा.....अच्छा चलो जाओ कोई सॉंग लगा दो" दीदी मुस्कुरा कर हार मानते हुए बोली
मैं उठा और स्लो आवाज़ मे 'जी कर्दा भाई जी कर्दा' सॉंग लगा दिया
मैं बेड पर बैठ गया और दीदी ने डॅन्स शुरू कर दिया दीदी बिल्कुल कटरीना कैफ़ की तरह डॅन्स कर रही थी डॅन्स करते वक्त एक बार फिर उनके बड़े बड़े बूब्स उच्छल कर उपर नीचे होने लगे और मेरे लंड मे हरकत होने लगी
"दीदी आप तो कटरीना से भी अच्छा डॅन्स कर रही हो सिर्फ़ स्कर्ट और टॉप की कमी है क्या वो नही है आपके पास" मैं दीदी को उकसाते हुए बोला
दीदी डॅन्स करते करते मेरे पास आ गई और मेरे गाल पर प्यार से मार कर बोली "बेशरम......" और फिर डॅन्स करने लगी
"दीदी दुपट्टा निकाल दो ना प्लीज़" मैं बोला
"नही भाई तुम फिर से वहाँ देखोगे" दीदी आँखे निकलते हुए बोली
"दीदी मैं वहाँ नही देखूँगा प्लीज़ निकाल दो ना प्ल्ज़, प्ल्ज़, प्ल्ज़" मैं दीदी की मिन्नत करते हुए बोला
दीदी ने मेरी तरफ मूह बना कर देखा और अपनी ज़ुबान बाहर निकाल कर मुझे चिढ़ाया और दुपट्टा निकाल कर मुझ पर फेंक दिया और डॅन्स करते रही
दीदी ने मेरी तरफ पीठ कर के रखी थी क्योंकि दीदी के बड़े बड़े बूब्स सॉफ नज़र आरहे थे लेकिन ऐसे मे उनकी बलखाती मस्त बड़ी गान्ड अभी मेरी नज़रो के सामने थी
थोड़ी देर मैने उनकी गान्ड का नज़ारा किया और फिर बोला "दीदी क्या आपको मल्लिका शहरावत की तरह डॅन्स आता है"
दीदी रुक कर मुझे देखने लगी और हँस कर बोली "हां आता है"
मैं उठा और मैने 'नाम जलेबी बाई' वाला सॉंग लगा दिया और वापस बेड पर बैठ गया
दीदी ने बिल्कुल मल्लिका की तरह डॅन्स करना शुरू कर दिया उसी की तरह अपनी गान्ड हिला रही थी और दिखा रही थी कुच्छ देर बाद दीदी मेरी तरफ घूम गई और डॅन्स करते करते झुक गई और अपने बूब्स हिलाने लगी दीदी के आधे से ज़्यादा बूब्स नज़र आरहे थे
दीदी ने मेरी तरफ देखा तो मेरी नज़र उनके गले मे से झाँकते बड़े बड़े बूब्स पर थी दीदी फ़ौरन सीधी खड़ी हो गई और डॅन्स भी रोक दिया
"क्या हुआ दीदी और करो ना प्लीज़" मैने रिक्वेस्ट की
"बस भाई काफ़ी है अब मैं थक भी गई हूँ" दीदी बोली और मेरे पास आकर बैठ गई वो तेज तेज साँसे लेरही थी और उनके बूब्स उपर नीचे ही रहे थे दीदी की छाती बाहर निकल आती और फिर अंदर हो जाती दीदी का दुपट्टा अभी भी मेरे पास ही था
"दीदी अभी डॅन्स करते वक्त जब आप झुकी थी तो मुझे आपकी वो ब्लॅक बनियान दिखाई दी थी लेकिन वो हम लड़को के जैसी नही लग रही थी प्लीज़ दीदी मुझे अपनी बनियान दिखाओ ना" मैं बड़ी मासूमियत से बोला
दीदी ने बड़े गुस्से से मेरी तरफ देखा लेकिन फिर तुरंत ही उन्हे हँसी आ गई...
"भैया उसे बनियान नही कहते और बेटा मैने तुम्हे कहा था ना कि अपनी बहनो के साथ ऐसी बाते नही करते" दीदी मुस्कुराते हुए बोली
"दीदी मैं कैसी बाते कर रहा हूँ कि आप मना कर रही है आख़िर ऐसा क्या है इन बातों मे प्लीज़ दीदी दिखा दो ना आख़िर ऐसा क्या बुरा हो जाएगा, प्ल्ज़ दीदी दिखा दो ना मेरी खुशी की खैर प्ल्ज़" मैं नादान बनते हुए बोला
मैने जब भी किसी के कोई भी बात मनवानी होती तो मैं अपनी शकल एकदम मासूम और रोती हुई बना लेता था अब चूँकि मैं सबको बहुत प्यारा था इसलिए मैं उनकी दुखती रग था कोई भी मुझे रोता नही देख सकता था इसलिए ये मेरा आख़िरी हथियार था जो कभी भी खाली नही जाता था और आज भी मेरे इस हथियार ने दीदी को घायल कर दिया था
"अच्छा अच्छा जाओ वो अलमारी खोली उस मे रखी है देख लो" आख़िर दीदी हार मानते हुए बोली
मैं उठा और दीदी की अलमारी से उनकी वाइट ब्रा निकाल कर दीदी के पास आगया
"आरीई.....ये नही लानी थी ये तो उतरी वाली है दूसरी साइड मे धूलि हुई रखी है" दीदी मेरे हाथ मे अपनी ब्रा देख कर बोली
"दीदी अगर ये उतरी वाली है भी तो क्या मुझे सिर्फ़ देखनी ही तो है" मैं ब्रा का मुआयना करते हुए बोला
मैने दीदी के सामने ही ब्रा खोल ली और उसे देखने लगा कभी सामने से कभी साइड से कभी पिछे से
"दीदी ये लॉक किस लिए है और ये कैसे पहनते है और क्यों पहनते है और इसे क्या कहते है मतलब इसका नाम क्या है" मैं महा-मूर्ख बनते हुए बोला
"भैया इसे बस ऐसे ही पहन लेते है अब तुमने पहन.नी तो है नही फिर क्यों पुच्छ रहे हो?" दीदी बोली "वैसे ये लॉक टाइट या लूस करने के लिए है और और इसे लॉक नही हुक कहते है इन से ही तो ये उतरती या गिरती नही बल्कि अपनी जगह पर रहती है, और भाई ये हर लड़की को पहन.नी पड़ती है इसके बगैर लड़की बुरी लगती है और इसको ब्रेज़ियर कहते है शॉर्टकट मे ब्रा भी कहते है यही नाम है इसका" दीदी ने मुझे ब्रा को सारी हिस्टरी समझा दी
"दीदी को ब्रा आपने पहनी हुई है क्या वो दिखा सकती हो प्ल्ज़" मैं मासूमियत से बोला
"नही भाई अब बस और कुच्छ नही अब तुम जाओ, सोना नही है क्या" अब दीदी चिढ़ते हुए बोली
मैने ज़िद्द नही की क्योंकि आज के लिए इतना भी बहुत था लेकिन कविता दीदी की ब्रा साथ लेकर ही रूम से बाहर आने लगा तो दीदी ने टोक दिया
"ब्रा तो वापस करो भैया कोई देखेगा तो क्या सोचेगा" दीदी बोली
"मैं किसी को नही दिखाउन्गा दीदी प्लीज़ मेरे पास रहने दो ना इसमे से बहुत प्यारी खुश्बू आरहि है मुझे" ये कह कर मैं दीदी के सामने ब्रा सूंघने लगा और फिर बाहर चला गया
मैं वॉशरूम मे गया और दीदी की ब्रा को किस किया, सक किया, लीक किया, सूँघा और मूठ मार दी मैने अपना सारा माल दीदी की ब्रा मे राइट वेल कप मे गिरा दिया और ब्रा दीदी को देने उनके रूम मे गया मैने डोर ओपन किया तो दीदी टॉपलेस खड़ी थी दीदी की बॅक मेरी तरफ थी मैने दीदी को कुरती के बगैर देख लिया था दीदी ने वही ब्लॅक ब्रा पहनी हुई थी और दीदी कुरती पहन रही थी दीदी अपनी कुरती गले मे डाल रही थी कि मैने डोर बंद करके लॉक कर दिया लॉक होने से आवाज़ आई तो दीदी ने फ़ौरन पिछे देखा और मुझे देख के अपनी छाती कुरती से छुपा ली
"बेटा डोर नॉक करके अंदर आते है ऐसे नही और अब क्या करने आए हो यहाँ" दीदी सकपकाते हुए बोली
"सॉरी दीदी मैं आपकी ब्रा वापस देने आया था मुझे पता नही था कि आप चेंज कर रही हो वरना मैं नही आता, वैसे दीदी उतरी हुई ब्रा से ज़्यादा अच्छी पहनी हुई ब्रा लगती है" मैं मासूमियत से बोला
"अच्छा...अच्छा अब ज़्यादा बाते मत बनाओ वहाँ रख दो ब्रा और बाहर जाओ प्लीज़" दीदी एक तरफ इशारा करते हुए बोली
मैने ब्रा साइड मे रखी और बाहर आगया............
कुच्छ दिन बाद कविता दीदी के लिए रिश्ता आया लेकिन उन्होने शादी करने से मना कर दिया क्योंकि उनके उपर हम सभी भाई बहनो को ज़िम्मेदारी थी लेकिन लड़का और उसके घर वाले बहुत अच्छे थे तो उस लड़के के साथ प्रिया दीदी का रिश्ता पक्का कर दिया गया लेकिन इन लोगो को शादी की जल्दी थी तो अगले महीने ही शादी की डेट फिक्स कर दी गई
एक दिन सभी लोग सो रहे थे तो मैं प्रिया दीदी के रूम मे गया वो भी सो रही थी तो मैं उनके साथ लेट गया और उनसे चिपक गया दीदी के बदन से बहुत ही सेक्सी खुश्बू आरहि थी तो मेरा मन भटक गया और मेरे मन मे उनके लिए गंदे ख्याल आने लगे और पता नही कब मेरी हाथ उनके बूब्स पर चला गया
मैने प्रिया दीदी के बूब्स पर हाथ रखा और आराम आराम से उन्हे दबाने लगा अभी एक मिनिट भी नही हुआ था कि दीदी जाग गई मेरी तो फट के हाथ मे आ गई मैने फ़ौरन अपना हाथ अलग कर लिया लेकिन दीदी को शायद पता नही चला था कि मैं उनके साथ क्या कर रहा था
"भैया क्या बात है आज मेरे पास कैसे आगये तुम तो कविता दीदी से सब से ज़्यादा प्यार करते हो" प्रिया दीदी मुझे वहाँ देख कर बोली
"दीदी ऐसा नही है मैं आप सभी से बहुत प्यार करता हूँ और आपकी शादी होने वाली है ना इसलिए मैं बहुत उदास था तो आपके पास आगया" मैं बोला
प्रिया दीदी ने मेरी बात सुनी तो करवट ली और मुझे गले से लगा लिया
"भैया मैं कोई दूर थोड़े ही ना जा रही हूँ यहाँ पास ही तो है मेरा घर जब भी तुम्हे मेरी याद आएगी वहाँ आ जाया करना और मैं भी हप्ते मे दो तीन बार आ जाया करूँगी, मुझे नही पता था कि मेरे छोटा भाई मुझसे इतना प्यार करता है और इतना उदास है मेरे लिए" प्रिया दीदी मेरे सारे पर हाथ फेरते हुए बोली
"दीदी क्या आप उदास नही है और आपको डर नही है की आपकी शादी होने वाली है" मैं बोला
"भाई दुख तो मुझे भी है कि मुझे तुम सभी को छोड़ कर दूसरे घर जाना पड़ेगा लेकिन डर किस बात का भाई शादी होने डरना किस लिए शादी होने से डर थोड़े ही ना लगता है" दीदी बोली
"दीदी शादी होने का डर नही सुहागरात के डर की कह रहा हूँ" मैं बोला
"हा हा हा.......भाई कैसी बाते कर रहे हो और तुम्हे किसने बताया सुहागरात के बारे मे, भाई ऐसी बात नही करते इतनी छोटी सी उमर मे" दीदी मेरी बात सुनकर हँसते हुए बोली
"दीदी मुझे सब कुच्छ पता है और प्लीज़ मैं बच्चा नही हूँ सब यही कहते है कि इस उमर मे ऐसी बाते नही करते क्या हुआ है मेरी उमर को मैं बड़ा हो गया हूँ दीदी अब मैं बच्चा नही रहा" मैं थोड़े गुस्से से बोला
"अरे भाई गुस्सा क्यों हो रहे हो मैं तो बस ये कह रही थी कि किसी बाते नही करते अपनी बहनो के साथ अच्छा नही लगता ना" दीदी बड़े प्यार से बोली
"दीदी मेरा कोई दोस्त नही है ना ही कोई गर्लफ्रेंड है तो किसके साथ करूँ मैं अपने मन की बाते और जो बाते मैं करना चाहता हूँ आप लोगो से तो आप लोग मना क्यों करती हो" मैं बोला
"भाई और कौन मना करता है किस के साथ ही है ऐसी बाते" प्रिया दीदी ने पुछा
"कविता दीदी से पुछा तो उन्होने भी कुच्छ नही बताया मुझे, सोचा आपकी शादी होने वाली आप से पुछ लूँ और आप भी नही बता रही है अब मैं किसी से बात नही करूँगा बस क्योंकि सब मेरा दिल दुखाते है" मैं मूह उतार कर बोला
"भाई ऐसी बात नही है अच्छा पुछ क्या पुच्छना चाहता है मैं बताती हूँ तुम्हे जितना मुझे पता होगा सब बता दूँगी" प्रिया दीदी मेरे सेनटी ड्रामे से पिघल गई थी
मैं खुश हो गया और हँसने लगा
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RE: Antarvasna kahani मासूम
"अच्छा दीदी ये बताओ कि सुहागरात मे ऐसा क्या होता है जो अक्सर लड़किया डरती है सुहागरात से" फिर मैने पुछा
"भाई सुहागरात मे हज़्बेंड और वाइफ एक दूसरे से प्यार करते है और तो कुच्छ नही होता, और जो लड़किया डरती है वो पागल होती है वरना सुहागरात की रात तो सबसे खास रात होती है लड़कियो के लिए क्योंकि उसी रात वो लड़की से औरत बनती है" प्रिया दीदी ने बताया
"वो कैसे दीदी, प्यार कैसे करते है और लड़की एक ही रात मे औरत कैसे बन जाती है" मैने पुछा
"भाई बस बन जाती है ना अब कैसे समझाऊ मुझे बताना नही आरहा और ऐसी बातों से शरम आती है ना तो कैसे बताऊ अब तुम्हे, वैसे मुझे भी सब कुच्छ नही पता क्योंकि अभी मेरी सुहागरात जो नही हुई है ना" दीदी शरमाते हुए बोली
"अच्छा दीदी कोई बात नही लेकिन सुहागरात के बाद तो बताओगी ना, प्लीज़ " मैं बोला
"अच्छा भाई अच्छा सन बता दूँगी बस अब खुश हो ना" दीदी मेरे गाल पकड़ते हुए बोली
"ठीक है दीदी लेकिन दीदी आप भी ब्रा पहनती है या नही" मैं खुश होते हुए बोला
"भाई सभी गर्ल्स पहनती है जब बड़ी हो जाती है और मैं भी से क्या मतलब तुमने किसी को देखा है ब्रा पहने हुए" दीदी ने पुचछा
"कविता दीदी को देखा था जब वो भैया की सगाई पर डॅन्स कर रही थी तब देखा था" मैने बताया
"शरम करो भाई, तुम भी ना पता नही क्या हो गया है आज कल के लड़को को"
"क्या हो गया है दीदी कुच्छ भी तो नही हुआ, अच्छा दीदी क्या मैं आपकी ब्रा देख सकता हूँ, प्लीज़ एक सिर्फ़ एक बार" मैं रिक्वेस्ट करते हुए बोला
प्रिया दीदी ने बिना कुच्छ कहे अपनी कुरती साइड से उपर को और अपना लेफ्ट बूब वित ब्रा मुझे दिखाया और फिर कुरती नीचे कर ली
"बस भाई अब खुश हो" दीदी मुस्कुराते हुए बोली
"नही दीदी पूरा दिखाओ ना अपनी कुरती उतार कर ऐसे पता ही नही चला, मैं देखना चाहता हूँ के कैसे पहना हुआ है और कैसा लगता है, प्लीज़ दीदी एक मिनिट के लिए प्लीज़........" मैं जैसे गिड़गिदाया
"भाई मुझे शरम आती है मैं नही दिखा सकती प्लीज़ भाई ज़िद्द ना करो" दीदी बोली
"प्लीज़ दीदी बस एक बार सिर्फ़ एक मिनिट के लिए, प्लीज़ प्लीज़ प्लीज़ दीदी" मैं रुआंसा मूह बना कर बोला
"अच्छा बाबा अच्छा ज़्यादा मूह मत बनाओ पहले डोर लॉक कर दो फिर दिखाती हूँ लेकिन उसके बाद कुच्छ नही कहोगे और चले जाओगे ठीक है" आख़िर प्रिया दीदी मान ही गई
"जी दीदी" मैने बोला और उठ कर डोर लॉक करने गया जब मैं डोर लॉक करने वापस आने लगा तो देख कि दीदी ने दीदी ने कुरती उपर कर के सिर से निकाल दी थी और अपने हाथ मे पकड़ कर अपनी छाती के सामने कर ली थी
"दीदी अब दिखा ही दो ना छुपा क्यों रही हो प्ल्ज़" मैं बोला
प्रिया दीदी ने आराम से अपना हाथ हटाया और अब दीदी मेरे सामने ब्रा और सलवार मे खड़ी थी दीदी ने ब्लॅक ब्रा पहनी हुई थी और वो बहुत सेक्सी लग रही थी
"दीदी ये ब्रा कब पहनी थी आपने" मैं दीदी के बड़े बड़े बूब्स को घूरते हुए बोला
"कुच्छ देर पहले ही पहनी है लेकिन तुम ये क्यों पुच्छ रहे हो" दीदी ने पुछा
"दीदी जो ब्रा उतारी है वो कहाँ है" मैने दीदी की बात का जवाब दिए बगैर ही फिर पुछा
"वो अलमारी ने है लेकिन उसका क्या करना है तुम ने" दीदी सोच मे पड़े हुए बोली
मैने बिना जवाब दिए अलमारी से दीदी की ब्रा निकाल ली
"दीदी मैं ये अपने साथ ले जाउ? प्लीज़ दीदी जल्दी ही वापस कर दूँगा प्रॉमिस" मैं ब्रा हाथ मे लिए हुए बोला
"लेकिन भाई तुम मेरी ब्रा के साथ करोगे क्या? पहले मुझे बताओ फिर ले जाना" दीदी बोली
"दीदी मैं इसे सूंघ कर किस करूँगा लीक करूँगा सक करूँगा फिर वापस दे जाउन्गा" मैने बताया
"ऐसा करने से क्या होगा तुम्हे क्या फ़ायदा मिलेगा" दीदी ने पुछा
"दीदी मैं ऐसा करूँगा तो मुझे मज़ा आएगा सच दीदी बहुत मीठी खुश्बू आती है और टेस्ट भी मज़े का होता है इसलिए मुझे बहुत मज़ा आता है" मैं बोला
"लेकिन ये सब तुम्हे कैसे पता पहले भी किसी की.......... ओह्ह समझ गई कविता दीदी की ब्रा ली थी क्या?" प्रिया दीदी बोली
"जी दीदी लेकिन आपको कैसे पता?" मैने पुछा
"बस पता चल गया, वैसे क्या उन्होने दी थी तुम्हे और कुच्छ कहा भी नही था क्या" प्रिया दीदी मुस्कुराते हुए बोली
दीदी बातों बातों मे अपनी कुरती पहन.ना भूल गई थी और मेरे दिमाग़ मे एक आइडिया आ गया था..
"नही दीदी कुच्छ नही कहा बल्कि कविता दीदी ने तो मुझे डॅन्स भी करके दिखाया था और अपनी ब्रा भी खुशी खुशी दे दी थी" मैं अपनी चाल चलते हुए बोला
"क्या सच मे कविता दीदी ने तुम्हे सलवार और ब्रा मे डॅन्स करके दिखाया?" प्रिया दीदी हैरत से बोली
मैने सोचा कि मैने ये कब कहा कि कविता दीदी ने मुझे ब्रा और सलवार मे डॅन्स करके दिखाया है शायद प्रिया दीदी ने ग़लत समझ लिया लेकिन मुझे क्या इसमे तो मेरा ही फ़ायदा है अब पहले नही कहा तो क्या हुआ अब कह देता हूँ ना
"हां दीदी यकीन करो मैं सच कह रहा हूँ" मैने मासूमियत से कहा
"अच्छा और क्या क्या हुआ सब बताओ ना, इधर आकर मेरे साथ बैठ के बताओ प्लीज़" प्रिया दीदी बड़े प्यार से बोली वो जान लेना चाहती थी कि हमारी बड़ी बहन अपने सबसे छोटे भाई के साथ कैसे मज़े लेरही है
"बताउन्गा लेकिन आप अपनी ब्रा उतार दो और मुझे टच भी करने दो वरना मैं कुच्छ नही बताउन्गा" अब मैं अपनी औकात मे आते हुए बोला अब मैं कोई मौका नही छोड़ा चाहता था
प्रिया दीदी ने समझा कि मैने शायद कविता दीदी के साथ सेक्स किया होगा और वो ये सब सोच कर हॉट ही गई थी और वेट भी इसलिए वो मेरी शर्त मान गई
"अच्छा अच्छा जो कहोगे सब करूँगी लेकिन मुझे सब कुच्छ बताना होगा ईमानदारी से समझे" प्रिया दीदी बोली
"सिर्फ़ बताऊ या करके भी दिखाऊ" मैं बोला मुझे पता था कि अगर मैने थोड़ी हिम्मत कर ली तो आज बहुत कुच्छ करने को मिल सकता है क्योंकि प्रिया दीदी तो अपने मन मे ग़लत फ़हमी पाले हुई थी कि मैं कविता दीदी के साथ सेक्स कर चुका हूँ इसलिए मेरे पास बहुत चान्स था आगे निकल जाने का
"अच्छा कर के बता दो लेकिन जो कुच्छ भी कविता दीदी के साथ किया है सिर्फ़ वही सब मेरे साथ करना उस से ज़्यादा कुच्छ भी नही समझे" कुच्छ देर सोचने के बाद प्रिया दीदी बोली "वैसे मुझे यकीन तो नही हो रहा है लेकिन मैं जानती हूँ तुम मुझसे झूठ नही बोलोगे, ओके चलो बताओ अब"
मैने प्रिया दीदी को बेड पर लेटा दिया और बोला "दीदी मैने कविता दीदी को ऐसे ही बेड पर लेटा दिया फिर खुद भी उनके साथ लेट गया और मैने उन्हे किस करना शुरू किया.........."
अब आगे क्या कहूँ मैं सोचने लगा कि अचानक प्रिया दीदी बोली "भाई कर के दिखाओ बताओ ना, तुमने ही तो कहा है कि कर के दिखाओगे तो फिर करो ना मूह से क्यों बता रहे हो"
दीदी की बात सुनकर मैने आराम से दीदी के बूब्स पर अपना हाथ रखा और उन्हे सहलाने लगा वाउ क्या मस्त फीलिंग थी दीदी के बड़े बड़े और नरम मुलायम बूब्स तो जैसे मुझे जन्नत का मज़ा दे रहे थे
फिर मैं दीदी के बूब्स दबाते हुए उनके चेहरे पर हर तरफ किस करने लगा प्रिया दीदी को भी मज़ा आने लगा था उन्होने मज़े से अपनी आँखे बंद कर ली थी और अब मैं उनके होंठो को किस करने लगा था
प्रिया दीदी ने अपने होंठ थोड़े से खोली तो मैं उनके होंठो को सक करने लगा प्रिया दीदी की गरम और खुश्बू दार सांसो से मुझे बहुत ज़्यादा मज़ा आरहा था और इधर मेरा लंड हार्ड हो गया था छोटी सी उमर मे भी मेरा लंड लगभग 6" लंबा और अच्छा ख़ासा मोटा था
मैं आराम से नीचे आया अब प्रिया दीदी की नेक पे किस करने लगा वहाँ साइड पर किस किए और धीरे धीरे नीचे आ गया अब मैं प्रिया दीदी की चेस्ट पर किस कर रहा था
प्रिया दीदी ने मुझे पकड़ा हुआ था और उनकी साँसे बहुत तेज चल रही थी मैं थोड़ा नीचे आया और दीदी की ब्रा से उनके दोनो बूब्स बाहर निकाल लिए और ब्रा उतार कर साइड मे फेंक दी अब मेरी दीदी के दूध जैसे नंगे बूब्स मेरी आँखो के सामने थे मैने दीदी के बूब्स को बारी बारी से किस करना शुरू कर दिया अभी लेफ्ट को किस करके राइट को दबाता तो कभी राइट को किस करके लेफ्ट को दबाता दीदी अब लगातार गरम होते जा रही थी उसने अपने हाथ मेरे सिर पर रखे हुए थे और वो लगातार मेरा सिर अपने बूब्स पर दबा कर उन्हे सक करने के लिए मुझे उकसा रही थी
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10-08-2018, 01:34 PM,
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RE: Antarvasna kahani मासूम
शाम को मैं बाहर से घूम कर घर वापस आया तो देखा कि प्रिया दीदी रो रही थी और सब लोग उनके पास बैठे उनके रोने की वजह पुच्छ रहे थे मैने देखा कि हमारी मौसी की बेटी यानी मेरी मौसेरी बहन भी वहाँ जिसका नाम कीर्ति है वो भी वहाँ बैठी थी (कीर्ति अभी छोटी बच्ची है जो स्कूल मे पढ़ती है इसलिए उसके साथ चुदाई नही होने वाली)
इधर सब लोग प्रिया दीदी से रोने की वजह पुच्छ रहे थे लेकिन वो बिना कुच्छ बताए बस रोए जा रही थी मेरी गान्ड फट रही थी और बहुत डर लग रहा था कि कहीं दोपहर मे की हुई चुदाई की वजह से तो दीदी नही रो रही है लेकिन हिम्मत करके मैं भी सब के पास चुप चाप बैठ गया
कुच्छ देर सबके समझाने और बहुत पुछ्ने पर प्रिया दीदी ने रोना बंद किया और बोली "मुझे अभी शादी नही करनी मैं आप सब को छोड़ कर नही जाना चाहती प्लीज़ अभी मेरी शादी मत कर्वाओ, प्लीज़"
प्रिया दीदी की बात सुनकर सब लोग हँसने लगे और इधर मेरी भी जान मे जान आ गई और मैने भगवान को बहुत बहुत शुक्रिया कहा फिर सभी ने प्रिया दीदी को समझाया कि शादी पक्की हो गई है अब कुच्छ नही हो सकता और वैसे भी उन्हे कॉन सा दूर जाना था इसी शहर मे तो रहना था
सब मे उन्हे बहुत समझाइया और आख़िर उन्हे माना ही लिया फिर हम सभी मे खाना खाया और हर कोई अपने रूम मे सोने के लिए चला गया
मैं वॉशरूम मे गया और फ्रेश होकर कविता दीदी के रूम मे आगया कविता दीदी रूम मे दिखाई नही दी शायद वो बाथरूम मे थी मैं बेड पर बैठा ही था कि प्रिया दीदी वहाँ आ गई
"भैया तुम अकेले यहाँ क्या कर रहे हो और दीदी कहाँ है" प्रिया दीदी मुझे अकेला देख कर बोली
"दीदी मैं तो ऐसे ही आगया था और पता नही दीदी कहाँ है" मैं उठते हुए बोला
"अरे बैठो बैठो, दीदी बाथरूम गई होगी अभी वापस आजाएगी लेकिन पहले ये बताओ कि आज जो मेरे साथ किया वो दीदी के साथ यहीं उनके इसी बेड पर किया था क्या?" प्रिया दीदी मेरा हाथ पकड़ कर मुझे वापस बेड पर बैठाते हुए बोली
"जी हां दीदी बिल्कुल यहीं किया था, वैसे दीदी आप यहाँ क्या करने आई है कोई काम था क्या कविता दीदी से" मैं बोला
"हां काम तो था लेकिन अगर मेरी वजह से तुम डिस्टर्ब हो रहे हो तो मैं चली जाती हूँ फिर तुम और दीदी आराम से मज़े करना लेकिन उसके बाद तुम्हे मेरे पास आकर मुझे वही सब कर के दिखाना होगा" प्रिया दीदी बोली
"ठीक है दीदी लेकिन पहले आप जाओ तो प्लीज़, दीदी कभी भी बाथरूम से वापस आ सकती है" मैं बोला
मेरी बात सुनकर प्रिया दीदी हंस कर बाहर चली गई मैं फिर से कविता दीदी के बेड पर बैठ गया और कुच्छ ही देर मे दीदी रूम मे आ गई
"क्या बात है बेटा यहाँ क्या कर रहे हो" मुझे देखते ही दीदी बोली
"कुच्छ नही दीदी बस वैसे ही दिल कर रहा था आप से मिलने को तो आगया" मैं बोला
"ओके बैठो फिर और कहो जो कहना है" दीदी बोली
"दीदी वैसे आज शाम को आप घर इतना लेट क्यों आई" मैने पुछा क्योंकि दीदी शाम को ज़रा लेट आई थी
"अब क्या बताऊ भैया ऑफीस मे काम ज़्यादा था तो लेट हो गई लेकिन भाई पता है आज मेरे साथ बड़ा अजीब काम हुआ" दीदी बोली
"क्या हुआ दीदी" मैने पुछा
"भैया शाम को मैं पैदल ही घर आरहि थी रास्ते मे गली मे भी कोई नही था कि अचानक से पिछे से एक बाइक आई और जैसे ही वो बाइक मेरे पास आई तो किसी लड़के ने अपने हाथ मेरे पिछे टच किया और मेरे पैरो मे बीच घुसा दिया पहले तो डर से मेरी चीख निकल गई और जब तक मुझे होश आया वो जा चुका था पता नही कॉन था और ऐसा क्यों किया उसने" दीदी ने बताया
"सच दीदी किसी ने आपके साथ ऐसा किया?" मैने शॉक्ड होकर पुछा
"हां बेटा सच कह रही हूँ" कविता दीदी बोली
"दीदी जब उसने आपके पिछे अपना हाथ घुसाया था तो आपको मज़ा आया था क्या" मैने पुछा
"भैया मेरी तो डर के मारे जान निकल गई थी और तुम पुच्छ रहे हो कि मज़ा आया था या नही" दीदी हैरानी से बोली
"लेकिन दीदी उसने किया कैसे मुझे डेटिल मे बताओ ना प्ल्ज़" मैने पुछा
"उफ्फ भाई........समझा करो ना मैं चल रही थी वो पिछे से आया और अपना हाथ मेरी टाँगो के बीच घुसा दिया" दीदी बोली
लेकिन कैसे दीदी मुझे समझ नही आरहा है" मैं एक बार फिर नादान बनते हुए बोला
मेरी बात सुनकर दीदी खड़ी हुई अपनी पीठ मेरी तरफ की जिससे उनकी बाहर को उभरी हुई बड़ी और गोल मटोल गान्ड मेरी नज़रो के सामने आ गई और बोली "मैं ऐसे चल रही थी वो पिछे से आया और मेरी टाँगो के बीच मे अपना हाथ घुसा दिया" कहते हुए दीदी ने अपना हाथ अपनी गान्ड मे घुसा कर दिखाया
"दीदी इतनी हिम्मत उसकी.......दीदी वैसे मैं भी ये सब करता हूँ लेकिन इतना तो आज तक कभी नही किया हां जहाँ कहीं भी रश हो मैं वहाँ साइड से गुज़रते हुए सिर्फ़ टच करके फील करता हूँ बस लेकिन अपना हाथ कभी अंदर नही घुसाया" मैं बोला
"भाई शरम करो ऐसा क्यों करते हो तुम अब देखा तुमने औरों के साथ थोड़ा किया और आज कोई तुम्हारी बहन के साथ उससे भी ज़्यादा कर गया" कविता दीदी बोली "सब की इज़्ज़त किया करो तब ही दूसरे तुम्हारी माँ बहन की इज़्ज़त करेंगे, किसी को बुरी नज़र से मत देखा करो बेटा"
"अच्छा दीदी आज से दूसरो के साथ नही करूँगा लेकिन अपने घर मे अपनी ही दीदी के साथ तो कर सकता हूँ ना, प्ल्ज़ दीदी मना नही करना कभी कभी जब बहुत ज़्यादा दिल करेगा तब सिर्फ़ टच कर लिया करूँगा, प्ल्ज़ दीदी" मैं बोला
"लेकिन ये कैसे हो सकता है मैं तुम्हारी बड़ी बहन हूँ और तुम ही मुझे टच करोगे ऐसी वैसी जगह पर" दीदी हैरान होते हुए बोली
"अभी आप ने ही तो कहा ना कि किसी और की बुरी नज़र से देखना ग़लत है फिर कब मेरा मन करेगा तब मैं क्या करूँगा और वैसे भी जब कोई दूसरा आपके पिछे हाथ घुसा सकता है तो मैं क्यों नही आख़िर आपका भाई हूँ और मैं तो सिर्फ़ टच करने की बात कर रहा हूँ" मैं ज़िद्द करते हुए बोला
मेरी बात सुनकर दीदी कुच्छ देर सोच मे पड़ गयी फिर बोली "ओके बेटा लेकिन सिर्फ़ कभी कभी और प्रॉमिस करो किसी और के साथ ऐसा वैसा कुच्छ भी नही करोगे"
"प्रॉमिस दीदी आज से मैं किसी और के साथ कुच्छ भी नही करूँगा, लेकिन दीदी जैसा उस लड़के ने आपके साथ किया अभी मैं भी वैसा करूँ प्ल्ज़" मैं बोला
"तो तुम नही मानोगे, अच्छा कर लो लेकिन आराम से करना उस वक्त तो उसने अचानक से और ज़ोर से किया था जिससे मैं बहुत डर गई थी" दीदी बोली
अब दीदी ने अपनी पीठ मेरी तरफ कर ली थी मैं उनके पास गया और अपना हाथ दीदी की टाँगो के बीच मे गया और एक उंगली सलवार के उपर से ही दीदी की चूत पर फिराने लगा
मेरे ऐसा करने से दीदी को मज़ा आया तो उन्होने अपनी टाँगे थोड़ी और खोल ली मैने उंगली दीदी की चूत पर रखी हुई थी और उसे मूव भी कर रहा था दीदी को अब बहुत मज़ा आरहा था जिससे दीदी थोड़ा सा झुक गई मुझे यकीन नही आरहा था कि मैं अपनी बड़ी दीदी को इस तरह ट्रीट कर रहा हूँ
मैने भी अब अपनी उंगली से दीदी को मज़ा देना शुरू कर दिया दीदी को बहुत मज़ा आरहा था क्योंकि वो भी अब धीरे धीरे अपनी मस्तानी गान्ड को हिला रही थी
अब मैने दीदी की कुरती पिछे से उठा कर कमर पर डाल दी और हिम्मत करके दीदी की सलवार को नीचे करने लगा सलवार थोड़ी सी नीचे हुई तो दीदी ने मुझे रोक दिया
"नही भाई सलवार मत उतारो बस ऐसे ही कर लो" कविता दीदी बोली
"दीदी सिर्फ़ देखना है प्लीज़ सिर्फ़ एक मिनिट के लिए" मैं गिडगिडाते हुए बोला
ये कह के मैने फ़ौरन दीदी की सलवार पैंटी सहित एक झटके से उतार दी और कविता दीदी की मस्त गान्ड मेरे सामने थी बिल्कुल नंगी मैं अपनी दीदी की गान्ड को देख रहा था लेकिन अभी तक दीदी की तरफ से इतना कुच्छ करने के बाद भी कोई रियेक्शन नही आया था मैं समझ गया था कि वो भी मज़े लेना चाहती है लेकिन अंजान बन कर फिर मैने अपना हाथ दीदी की गान्ड पर रखा और उस पर हाथ फेरने लगा मुझे बहुत मज़ा आरहा था दीदी को भी शायद बहुत मज़ा आरहा था क्योंकि उन्होने मुझे अभी तक नही रोका था और उनकी आँखे बंद थी.
तभी मुझे याद आया कि मैने डोर तो लॉक किया नही है कहीं कोई देख तो नही रहा है मैने डोर की तरफ देखा तो प्रिया दीदी डोर पे खड़े हमे देख रही थी मैने उन्हे इशारा किया कि वो चली जाए और वो आराम से डोर क्लोज़ करके चली गई
अब मैने अपनी उंगली अपने मूह मे डाली और थूक लगा कर कविता दीदी की गान्ड मे घुसा दी दीदी ने फ़ौरन अपनी गान्ड टाइट कर ली और खड़ी हो गई
"बस भाई इतना काफ़ी है अब अपने रूम मे जाओ प्ल्ज़" कविता दीदी गहरी सांस लेते हुए बोली और अपनी गान्ड से मेरी उंगली बाहर निकाल कर अपनी सलवार पहन ली
"दीदी आपको मज़ा नही आया क्या?" मैने पुछा
"भैया वो बात नही है लेकिन ये सब ग़लत है हम भाई बहन है हमे ऐसा नही करना चाहिए प्ल्ज़ भाई अब ज़िद्द मत करना मैं और नही कर सकती मुझसे नही होगा" दीदी बहुत प्यार से बोली
अब मैं भी कुच्छ नही कर सकता था तो कुच्छ देर वहीं बैठा रहा और फिर बाहर आगया मैं टीवी देखने लगा फिर सोचा की एक बार फिर प्रिया दीदी को चोदने के लिए ट्राइ करू और ये सोच कर मैं उन्हे रूम की तरफ बढ़ गया.......................
और मैं प्रिया दीदी के रूम मे पहुचा तो देखा कि प्रिया दीदी के साथ बेड पर कीर्ति लेटी हुई थी प्रिया दीदी समझ तो गई थी कि मैं क्यों आया हूँ लेकिन मजबूरी थी
"भाई क्या बात है अभी तक सोए नही तुम" प्रिया दीदी जान कर कीर्ति को सुनाते हुए बोली
"कुच्छ नही दीदी बस वैसे ही आगया था आप सो जाओ मैं भी सोने जा रहा हूँ " मैं बोला और मायूस हो कर प्रिया दीदी के रूम से बाहर आने लगा
"भाई कहाँ सो रहे हो?" प्रिया दीदी ने पिछे से पुछा
"प्रीति दीदी के रूम मे सोउंगा" कह कर मैं प्रिया दीदी के रूम से बाहर निकल गया
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RE: Antarvasna kahani मासूम
सुबह मैं देर से उठा तो देखा कि प्रीति दीदी रूम मे नही थी तभी वो बाथरूम से बाहर आई
"उठ गये भैया, तुम्हारे लिए नाश्ता बना दूं क्या" प्रीति दीदी बड़े प्यार से बोली
"क्यों........आज आप नाश्ता क्यों बनाएगी, बाकी सब कहाँ है" मैने पुछा
"वो क्या है ना आज सभी मामा के घर गये है अगर तुम जल्दी उठते तो तुम्हे भी पता होता" दीदी बोली
"आप क्यों नही गई उनके साथ" मैने पुछा
"मुझे स्कूल का बहुत काम है और पढ़ाई भी करनी है उपर से तुम भी घोड़े बेच कर सो रहे थे तो घर पर किसी को तो रहना ही था तो मैं ही रुक गई" प्रीति दीदी बोली
"ठीक है आप नाश्ता बना लो तब तक मैं नहा लेता हूँ" मैं सिर हिलाते हुए बोला
मैं उठा और बाथरूम मे घुस गया वहाँ मैने प्रीति दीदी के उतरे हुए कपड़े देखे तो उनकी ब्रा ढूंढी और उसे सूँघा तो एक बहुत ही सेक्सी स्मेल मेरी नाक से टकराई जो मेरी सबसे छोटी दीदी के जिस्म की थी उसे सूंघ कर मेरा मन अपने काबू मे नही रहा और मेरा लंड टाइट होने लगा
मैने वहीं प्रीति दीदी को इमॅजिन कर के मूठ मारी और अपना सारा माल दीदी के ब्रा के कप मे निकाल दिया लेकिन अब मैं प्रीति दीदी के साथ भी रियल मे कुच्छ करना चाहता था तो मैं नहा कर दीदी की वो ब्रा वैसे ही लेकर बाहर आगया प्रीति दीदी मेरा नाश्ता लेकर बेड पर ही बैठी थी
"दीदी ये क्या है मुझे बाथरूम मे मिला" मैं दीदी को उनकी ब्रा दिखाते हुए बोला
"छोटू ये क्यों उठा लाए तुम और ये तुम्हे कहाँ से मिली इसे तो मैने कपड़ो के अंदर रखा था, क्या तुमने मेरे कपड़े खोले? और अगर ऐसा किया तो क्यों किया, लाओ मुझे दो ये तुम्हारे काम की चीज़ नही है" दीदी मेरे हाथ मे अपनी ब्रा देख कर सकपकाते हुए गुस्से से बोली
"दीदी मैने आपके कपड़े चेक नही किए मेरा हाथ लगा तो वो नीचे गिर गये थे जब मैं उठा कर वापस रखने लगा तो उनमे से ये निकला, बताइए ना दीदी कि ये क्या है और आप क्यों पहनती है इसे" मैं एक बार फिर नादान बनते हुए बोला
"भाई मैं नही बता सकती कि ये क्या है, प्लीज़ जल्दी से मुझे दो वरना मैं बड़े भैया से तुम्हारी शिकायत कर दूँगी" दीदी भड़कते हुए बोली
जब मैने उनकी बात सुनकर भी उन्हे ब्रा नही दी तो वो और भी भड़कते हुए बोली "सुना नही क्या, ये तुम्हारे काम की नही है वापस दो मुझे"
"दीदी गुस्सा क्यों करती हो मैं तो बस पुच्छ ही रहा हूँ ना और ये तो सच मे मेरे काम की निकली ये देखो" कहते हुए मैने दीदी को ब्रा खोल कर दिखाई जहाँ मेरी कम थी
प्रीति दीदी ने ब्रा मुझसे ले ली और मेरी कम देखने लगी लेकिन उसे कुच्छ समझ नही आया कि ये क्या है उसने मेरी कम को टच भी किया लेकिन तब भी नही समझ पाई क्योंकि वो ये सब बाते नही जानती थी
"दिपु ये क्या है, जब मैं नहा कर निकली तब तो कुच्छ भी नही था फिर ये कहाँ से आगया और ये तुम्हारे काम कैसे आती है क्या तुम भी इसे पहनते हो" दीदी आन थोड़े असमंजस से बोली उसे कुच्छ समझ नही आरहा था
"दीदी मैने उसे उठाया और सूँघा तो मुझे बहुत अच्छी खुश्बू आने लगी फिर पता नही क्या हुआ की मैने उसे नीचे किया और मेरे नीचे से ये निकलने लगा और इसमे गिरने लगा" मैं बहुत मासूमियत से बोला
"क्या मतलब? कहाँ से निकलने लगा और ये है क्या" प्रीति दीदी ने हैरत से पुछा
चूँकि मैं अभी नहा कर ही निकला था और इस वक्त सिर्फ़ एक टवल ही लपेटा हुआ था तो मैने टवल निकाल दिया और प्रीति दीदी को अपना लंड दिखा कर बोला "दीदी इसमे से निकला है ये"
प्रीति दीदी ने मेरा लंड देखा लेकिन तुरंत ही अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया
"दिपु प्लीज़ टवल पहन लो कुच्छ तो शरम करो" प्रीति दीदी वैसे ही दूसरी तरफ देखते हुए बोली
मैने टवल नही पहना और नंगे ही दीदी के साथ बेड पर बैठ गया
"क्यों दीदी आपने बचपन मे भी तो देखा है मुझे ऐसे, मुझे पता है कि आप सभी बहने मुझे नहलाती थी तो अब क्या हो जाएगा" मैं बोला
"भैया तब तुम छोटे बच्चे थे लेकिन अब तुम बड़े हो गये हो" प्रीति दीदी थोड़ी शांत होते हुए बोली उसपर मासूमियत के मेरे आख़िरी हथियार का वार चल गया था
"जो भी था लेकिन आपने देखा तो था ना मुझे, अब मैं आपको भी वैसे ही देखना चाहता हूँ प्लीज़ दीदी बस एक बार" मैं गिडगिडाते हुए बोला
"नही भाई ये ग़लत बात है, मुझे नही पता कि इसमे क्या ग़लत है लेकिन बस इतना जानती हूँ कि ऐसा करना ग़लत है" दीदी बोली लेकिन तभी उसकी नज़र मेरे टाइट होते लंड पर गई और हैरत से उसका मूह खुल गया और वो फिर बोली "वैसे भाई ये है क्या अरे देखो तो अभी ये सो रहा था और अब खड़ा हो रहा है, ऐसा क्यों हो रहा है भाई"
"दीदी ये सब आपकी वजह से हो रहा है क्योंकि आप बहुत प्यारी है और जब से इसने आपकी ब्रा देखी है तब से इसका यही हाल है" मैं अपने लंड को सहलाते हुए बोला
प्रीति दीदी आन अपनी गर्दन झुका कर मेरे लंड को देख रही थी
"लेकिन भैया अभी तो कुच्छ नही देख रहे हो फिर भी क्यों खड़ा हो रहा है और वो भी तो नही निकल रहा जो मेरी ब्रा मे है जो तुमने कहा था कि इसमे से निकला है" दीदी बड़े ध्यान से मेरे लंड को देखते हुए बोली
"आप वो निकलते हुए देखना चाहती हो क्या" मैने पुछा
"हां दिखाओ ना वो कब निकलेगा और कैसे निकलेगा" आन दीदी थोड़ी उत्सुकता से बोली
अब मैने प्रीति दीदी के एक हाथ को पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया और बोला "दीदी इसे अपने हाथ मे पकडो फिर ये वो लिक्विड निकाल देगा और सच मे दीदी जब वो निकलता है तो बड़ा मज़ा आता है"
"भैया ये तो बहुत हार्ड हो गया है और बहुत हॉट भी है" प्रीति दीदी मेरे लंड को गर्मी की अपने हाथ मे महसूस करते हुए बोली दीदी ने मेरा लंड अपने हाथ मे पकड़ रखा था लेकिन कुच्छ कर नही रही थी तो मैं धीरे धीरे अपना लंड को हिलाने लगा.................
प्रीति दीदी का हाथ बहुत सॉफ्ट था और उनके नरम और गरम हाथ मे अपना लंड देकर मुझे बहुत मज़ा आरहा था
"दीदी आप अपने कपड़े तो उतार दो देखना बड़ा मज़ा आएगा, प्ल्ज़ दीदी उतार दो ना" मैं अपना हाथ दीदी के हाथ पर रख कर अपना लंड हिलाते हुए बोला
"नही भैया मुझे बहुत शरम आती है मैं नही उतारूँगी. प्ल्ज़ भाई हर बात पर ज़िद मत करो ना" दीदी बोली
"अच्छा दीदी लेकिन अपने हाथ को उपर नीचे धीरे धीरे हिलाओ ना लेकिन ज़्यादा टाइट मत पकड़ना ये बहुत नाज़ुक होता है" मैं बोला
इतना कह कर मैने अपना एक हाथ प्रीति दीदी के बूब पर रख दिया और धीरे धीरे सहलाने लगा
"दिपु ये क्या कर रहे हो हटाओ अपना हाथ" दीदी ने मेरा हाथ अलग किया और फिर बोली "लेकिन भाई ये इतना नाज़ुक क्यों है और ये किस काम आता है और मेरे पास तो है भी नही ये"
मैं समझ गया था कि दीदी को सेक्स के बारे मे कुच्छ पता नही है और उसकी इस नादानी का फ़ायदा उठा कर आज मैं उसे चोद भी सकता हूँ
"दीदी प्लीज़ थोड़ी देर करने दो ना, और दीदी ने सबका नाज़ुक ही होता है उसे लंड कहते है और ये सिर्फ़ बाय्स के पास होता है और दीदी की लड़कियो के पास होती है ना टाँगो के बीच मे उसमे जाता है जिस से लड़के और लड़कियो दोनो को बहुत मज़ा आता है" मैं दीदी को समझाते हुए बोला और वापस अपना हाथ उनके बूब पर रख कर उसे धीरे धीरे दबाने लगा
"क्या मतलब, ये कहाँ जाता है और क्यों जाता है और ऐसा करने से क्या होता है भाई जिस से मज़ा आता है?" दीदी ने पुचछा
"दीदी जहाँ से आप लोग पेशाब करती हो ना उस होल के पास एक होल और होता है ये उसमे जाता है और इसे वहाँ डाल कर आगे पिछे करने से बहुत मज़ा आता है" मैं बोला और मैने अपनी उंगली दीदी की चूत पर रख कर उन्हे बताया
"भैया क्यों मज़ाक कर रहे हो वो होल तो बहुत छोटा हिला है और ये तो बहुत लंबा और मोटा है ये वहाँ कैसे जासकता है" दीदी हैरत से बोली
"जाता है दीदी इसीलिए तो कह रहा था कि अपने कपड़े उतार दो फिर मैं आपको सब दिखाता हूँ" मैं दीदी को उकसाते हुए बोला
"नही नही भाई ऐसे ही ठीक है मैं समझ गई हूँ" दीदी बोली वो मछ्ली की तरह मेरे हाथ से फिसली जा रही थी
"अच्छा दीदी चेक तो करने दो कि आप नीचे से गीली हो या नही" मैं भी हार नही मानने वाला था
"नीचे से गीली...............क्या मतलब?" प्रीति दीदी के मूह से निकला
मैं अपना हाथ दीदी की चूत के पास ले गया और बोला "इसकी बात कर रहा था मैं अगर ये गीली होगी तो ये तैयार है लंड अंदर लेने के लिए अगर गीली नही है तो अभी तैयार नही है, बस"
मेरी बात सुनकर दीदी सोच मे पड़ गई
"मैं चेक कर लूँ क्या दीदी" मौका सही देख कर मैं बोला
"नही भाई मैं खुद ही चेक करती हूँ" दीदी बोली
अब दीदी ने मेरा लंड छोड़ दिया और अपना हाथ अपनी सलवार मे डाल कर अपनी चूत को टच किया
"अरे भाई ये तो गीली है सच मे, तो क्या ये तैयार है तुम्हारा लंड अंदर लेने के लिए" दीदी अपनी चूत की हालत जान मार हैरान होते हुए बोली
"हां दीदी ये बिल्कुल तैयार है प्ल्ज़ अब तो अपने कपड़े उतार दो और खुद भी मज़े लो और मुझे भी लेने दो" मैं बोला
"नही भाई मुझे बहुत डर लग रहा है, नही मैं नही करने दूँगी" दीदी घबराते हुए बोली
"दीदी कुच्छ नही होता मैने प्रिया दीदी के साथ भी किया है ये सब और उन्हे तो बहुत मज़ा आता है रात को भी मैने उनके साथ किया था" मैने बताया
"सच कह रहे हो भाई? क्योंकि रात को तो तुम यहाँ थे और वो अपने रूम मे थी तो फिर कैसे किया, तुम झूठ बोल रहे हो ना" दीदी बोली
"नही दीदी मैं झूठ नही बोल रहा हूँ मैं उनके रूम मे गया था लेकिन इस वक्त प्रिया दीदी के साथ कीर्ति भी थी तो मैं आपके रूम मे आगया फिर देर रात प्रिया दीदी मुझे उठा कर बाहर वाले बाथरूम मे ले गई और फिर वहाँ हमने किया और सच दोनो को ही बहुत मज़ा आया" मैं बोला
"लेकिन भाई कुच्छ होगा तो नही, दर्द तो नही होगा ना" दीदी ने पुछा वो अभी भी नॉर्मल नही हुई थी
"कुच्छ नही होता दीदी आप करने तो दो देखना बहुत मज़ा आएगा" मैं खुश होते हुए बोला
अब मैं दीदी के पास गया और पहले मैने उनकी कुरती उतारी फिर ब्रा और लास्ट मे पैंटी सहित सलवार को भी नीचे करके उतार दिया अब प्रीति दीदी और मैं दोनो ही नंगे आमने सामने खड़े थे दीदी की नज़रे शरम से झुकी हुई थी फिर मैने दीदी को बेड पर बैठा दिया और खुद भी उनके पास बैठ गया
अब मैने दीदी को किस करना शुरू किया फेस से लेकर बूब्स नवल पेट जाँघ सभी जगह किस किया कोई जगह नही छोड़ी जिससे प्रीति दीदी को भी मज़ा आने लगा अब मैने अपना एक हाथ दीदी की चूत पर रखा जो सच मे गीली थी लेकिन ज़्यादा नही थोड़ी थोड़ी थी
"दीदी आप लेट जाओ पहले हम किस करेंगे फिर अंदर डालेंगे इससे हम दोनो को ही बहुत मज़ा आएगा" मैने बोलते हुए दीदी को लेटा दिया
दीदी लेट गई तो मैं भी उसके साथ लेट गया और दीदी को किस करने लगा बिल्कुल वैसे ही जैसे प्रिया दीदी को किया था दीदी को मज़ा आरहा था उनकी आँखे बंद हुई जा रही थी और साँसे तेज चल रही थी मेरा लंड भी बहुत हार्ड हो गया था कुच्छ देर बाद मैने दीदी की टाँगे खोल लो और अपना लंड उसकी चूत के छेद पर रख दिया अब तक दीदी की चूत पूरी तरह गीली हो गई थी और उससे पानी भी बाहर आरहा था
"दीदी आप तैयार है ना, शुरू मे थोड़ा सा दर्द होगा लेकिन बाद मे बहुत मज़ा आएगा" मैं अपने लंड को दीदी की चूत के छेद पर रगड़ते हुए बोला
"हां भैया लेकिन देखना ज़्यादा दर्द ना हो वरना मैं नही करने दूँगी" दीदी बोली शायद ये अभी तक मिले मज़े का ही कमाल था जो वो चुदने को तैयार थी
अब मैने लंड को अंदर धकेला तो थोड़ा सा लंड आराम से दीदी की चूत मे चला गया
"भैया आराम से मुझे दर्द हो रहा है प्ल्ज़......." प्रीति दीदी बोली
"दीदी अभी सब ठीक ही जाएगा" मैं बोला और जितना लंड अंदर गया था उतने को ही धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा काफ़ी देर तक तक मैं ऐसा ही करता रहा अभी दीदी को मज़ा आरहा था और दर्द भी ख़तम हो गया था
"दीदी मज़ा आरहा है ना आपको" मैने उसे चोदते हुए पुछा
"हां भाई अब मज़ा आरहा है लेकिन प्लीज़ आराम आराम से करना" दीदी मज़े से बोली
मैने दीदी के दोनो बूब्स को किस करना मसलना और सक करना शुरू कर दिया साथ ही साथ धीरे धीरे लंड भी अंदर बाहर करने लगा था फिर मैने अपने लिप्स दीदी के लिप्स पर रखे और किस करने लगा दीदी मदहोश हो गई थी उन्हे अब बहुत मज़ा आरहा था मैने मौका देख कर लंड पिछे खींचा और एक ज़ोर का धक्का लगा दिया जिससे मेरा लंड दीदी की सील तोड़ते हुए पूरा अंदर घुस गया और दीदी की आँखे बाहर निकल आई दीदी तड़पने लगी लेकिन मैने लंड अंदर ही रखा मेरे होंठ अभी भी दीदी के लिप्स से जुड़े हुए थे जिस वजह से उसकी आवाज़ बस गन......गन.......ही निकल रही थी
दीदी छटपटाने लगी थी और खुद को मुझसे छुड़ाने की कोशिश करने लगी लेकिन मैने उन्हे नही छोड़ा मुझे दीदी की टाइट चूत अपने लंड को भींचते हुए महसूस हो रही थी और जैसे मेरा लंड उनकी चूत मे जकड लिया था मुझे बहुत ज़्यादा मज़ा आरहा था
कुच्छ देर बाद दीदी नॉर्मल हुई तो मैने अपना मूह उनके मूह से हटाया
"दिपु तुम बहुत गंदे हो तुमने कहा था अब दर्द नही होगा और सिर्फ़ मज़ा आएगा लेकिन अभी जब तुमने धक्का मारा तो मुझे बहुत दर्द हुआ ऐसा लग रहा था की अभी मर जाउन्गी" दीदी मेरे सीने पर मुक्के मारती हुई बोली
"सॉरी दीदी लेकिन अब तो दर्द नही हो रहा है ना आपको" मैं दीदी के गाल चूमते हुए बोला
"अब भी हो रहा है लेकिन उतना नही जितना तब हुआ था" दीदी बोली
"दीदी तब आपकी चूत की सील टूटी थी इसलिए दर्द ज़्यादा हुआ था लेकिन अब कभी भी दर्द नही होगा" मैने उन्हे समझाइया और दीदी के बूब्स सक किए उनकी दबाता रहा फिर लिप्स पे किस करता यहाँ वहाँ इधर उधर बहुत किस मैने दीदी को
"भैया अभी मज़ा आरहा है मुझे और दर्द भी नही होरहा है लेकिन फिर भी आराम आराम से करना तेज तेज नही अभी अच्छा फील कर रही हूँ मैं" दीदी बोली
"देख दीदी मैने कहा था ना कि कुच्छ देर बाद आपको बहुत मज़ा आएगा" कहते हुए मैं दोबारा दीदी को चोदने लगा मैं उन्हे किस कर रहा था रब कर रहा था मुझे बहुत मज़ा आरहा था और अब तो दीदी को भी बहुत मज़ा आरहा था वो मेरी पीठ पर हाथ फिरा रही थी
"भैया थोड़ा तेज तेज करो मुझे मज़ा आरहा है हां भैया और ज़ोर से और तेज एर ज़ोर से धक्के मारो.......
........आह.. ..मेरे प्यारे छोटे भाई ज़ोर से छोड़ो मुझे" दीदी अपनी कमर उच्छालती हूँ सेक्सी आवाज़ मे बोली
अब मेरे धक्को की भी स्पीड बहुत बढ़ गई और धुआँधार चुदाई शुरू हो गई और कुच्छ ही देर मे दीदी झड गई और उनकी चूत मेरे लंड को जकड़ने और छोड़ने लगी मैं भी ज़्यादा देर सह नही पाया और मेरे लंड ने ज़ोर ज़ोर से पिचकारियाँ मार कर दीदी की चूत को भर दिया.....
टाइम बहुत ही गया था तो बाद मे हमने कुच्छ नही किया और अपने आप को सॉफ करके कपड़े पहन लिए
थोड़ी ही देर बाद जब लोग वापस आगये लेकिन कीर्ति वापस अपने घर जा चुकी थी और मेरे मामा की दो जुड़वा बेटियाँ यानी मेरी ममेरी बहने जो सिर्फ़ दो मिनिट से छोटी बड़ी थी मेरे भाई बहनो के साथ आई थी एक का नाम रूपा था जबकि दूसरी का नाम दीपा था दोनो ही मस्त आइटम थी और जुड़वा होने के कारण दोनो की शकल सूरत के साथ साथ फिगर भी लगभग सेम ही था दोनो के ही बूब्स बड़े थे और गोल मटोल गान्ड बाहर को निकली हुई थी मेरी दोनो से ही अच्छी बनती थी और छोटा भाई होने के कारण वो दोनो भी मुझे बहुत प्यार करती थी लेकिन जब से सेक्स के कीड़े ने मुझे काटा था तब से मैं इन दोनो सेक्स बॉम्ब को चोदने को बहुत बेताब था
खैर आते ही कविता दीदी ने खुश खबरी सुनाई की बादल भैया और प्रिया दीदी की शादी एक ही दिन एक ही मंडप से होगी इसलिए सभी तैयारियो मे लग जाओ और रूपा और दीपा भी अब शादी तक यहीं रह कर हमारी मदद करेंगी
दीदी की बात सुनकर मैं बहुत खुश हो गया था क्योंकि मुझे लग रहा था कि अभी तक जो कुच्छ भी हुआ है अगर वैसा ही चलता रहा तो शायद मैं रूपा और दीपा नाम की सेक्स की दो देवियो को भी निपटा सकता हूँ
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