RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"नो शीना, सच डीटेल्स आर नोट अवेलबल विद अस.. आइ मीन मेरे पास आक्सेस नहीं है इसका, आंड जो नंबर तूने दिया मुझे दट ईज़ स्विच्ड ऑफ सिन्स लास्ट 10-12 डेज़, लास्ट कॉल
डीटेल्स भी नहीं निकल सकता, क्यूँ कि वीआइपी नंबर था, अगर मैं वीआइपी नंबर की डीटेल्स निकालता हूँ तो मेरी नौकरी पे बन आएगी.." शीना को फोन पे जवाब मिला
"बट ए.वी... नौकरी की चिंता ना कर यार, तू मेरी यह हेल्प कर दे प्लीज़... आइ विल सी कि तू कोई ट्रबल में ना आए प्लीज़.." शीना मिन्नत करने लगी, पता नहीं कौनसी इन्फो निकाल रही थी
"सॉरी एसआर, मैं नहीं कर पाउन्गी, नौकरी की बात नहीं है, बट अगर कुछ हुआ तो नोन कंप्लाइयेन्स स्टेटस से निकाला जाएगा विच मीन्स एंड ऑफ माइ करियर... इसके अलावा इफ़ यू नीड
एनितिंग टेल मी, " फिर उसकी फरन्ड ने एक सीधा जवाब दिया
"फ्यू.व... लेट इट बी, बाइ.." शीना ने निराश होके फोन कट कर दिया और फोन को हाथ में घुमा घुमा के कुछ सोचने लगी
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"राजवीर.. अंकल से सीधे राजवीर...बड़ी तरक्की कर ली तुमने बहू.." राजवीर ने स्नेहा की कमर में हाथ डालकर खुद के पास खींच के कहा
"बेसब्र आदमी की यही तकलीफ़ है, गरम खाने से मूह भी जला देता है और ठीक से ख़ाता भी नहीं.." स्नेहा ने उसकी आँखों में देख के कहा. राजवीर उसकी बात को समझते ही उससे थोड़ा दूर हुआ और कमर से हाथ खींच लिया
"और तरक्की क्या, आप की और विक्रम की उमर में इतना ज़्यादा गॅप दिखता नहीं है, तो फिर जब मैं उसे नाम से बुलाती थी तो आप को भी तो बुला सकती हूँ...क्यूँ, आपको अच्छा नहीं लगा.." स्नेहा ने बहुत ही मादक तरीके से पूछा
"नये खिलाड़ी के साथ खेलने में यही तकलीफ़ है, खेलो को ठीक से समझना भी नहीं है और साथी खिलाड़ी में ग़लतियाँ भी काफ़ी निकालनी हैं .." राजवीर ने पलट के जवाब दिया जिसे सुन स्नेहा सिर्फ़ मुस्कुराती रह गयी
"अब चलें कहीं या यूही खड़े खड़े बातें करनी हैं.." राजवीर ने अपनी आँखें बड़ी करके कहा
"खड़ी हुई चीज़ें तो मुझे काफ़ी पसंद हैं राजवीर..." इस बार स्नेहा उसके पास आई और आँख मार के उसे जवाब दिया....
"चीज़ तो तुम हो, और तुम मुझे खड़ी हुई पोज़िशन में बिल्कुल भी पसंद नहीं आ रही..." राजवीर ने अपने होंठ उसके होंठों के पास ले जाके कहा
"तो कौनसी पोज़िशन में पसंद आउन्गि मैं आपको..मैं आपको निराश नहीं करना चाहती.." स्नेहा मूह से आग उगल रही थी, यह जिस्म की आग थी जो राजवीर के बदन की आग में घी का काम कर रही थी
"हर चीज़ सिर्फ़ कही नहीं जाती, कुछ चीज़ें करके दिखानी पड़ती हैं..फिलहाल तो आप यहाँ से चलिए, मैं अपनी गाड़ी में आती हूँ, तुम ओबेरोई पहुँचो अपनी गाड़ी में..
सी यू अट दा बार..." राजवीर ने उसके गालों पे अपने गाल रखे और वहाँ से अपने रूम की तरफ निकल गया
राजवीर इतना आसानी से जाल में फस जाएगा स्नेहा कभी नहीं जानती थी, राजवीर को इतना उतावला देख स्नेहा के दिमाग़ में फिर लालच ने जनम ले लिया
"2-3 करोड़ तो इससे भी आसानी से निकाले जा सकते हैं....ह्म्म्म, अब क्या कहूँ..सोचती हूँ चलो, " स्नेहा ने खुद से कहा और छुपते छुपाते अपनी गाड़ी के पास पहुँच गयी और नरीमन पॉइंट ओबेरोई के लिए निकल गयी
"धीरे धीरे राजवीर.. बहुत दिनो के बाद कोई नया शिकार मिला है, उफफफ्फ़...क्या गर्मी है साली में, देखो तो अपने चाचा ससुर के नीचे लेटने के लिए कितना जल्दी मान गयी...हाअययईई, उसके बदन की खुश्बू उम्म्म्म..... साली जो लंड पे वार करे जा रही है, कसम से, इसे तो रगड़ने में दुगना मज़ा आएगा..." राजवीर ने अपने कमरे में घुसते हुए खुद से कहा
"चलो, अभी तैयार हो जाते हैं..कहके राजवीर ने जैसे ही अपनी पॅंट उतारी, लंड की अकड़न देख अस्चर्य में आ गया, आज तक सिर्फ़ बातों से राजवीर को अकड़न कभी नहीं हुई,
लेकिन स्नेहा कुछ चीज़ ही अलग थी, जिस लड़की ने बातों से राजवीर जैसे मर्द के लंड का पारा बढ़ा दिया, वो बिस्तर पे तो कितनी गरम होगी.. यह सोच सोच के राजवीर का लंड और ज़्यादा फूल गया...
"आहहहा, मेरी बहू स्नेहा असईईईईई..." राजवीर ने एक पल लंड को हाथ में पकड़ा और चमड़ी धीरे धीरे पीछे की ओर लंड के टोपे को नाख़ून से रगड़ने लगा
"आआहः... धीरे धीरे राजवीर, कहीं यह भी ना निकल जाए हाथ से.." राजवीर ने फिर खुद से कहा और तैयार होने लगा स्नेहा के पास जाने के लिए
"हाई.. कॅन यू प्लीज़ बुक आ सूयीट फॉर आ डे.." स्नेहा ने रिसेप्षन पे पहुँच के रिसेप्षनिस्ट से पूछा, स्नेहा इस वक़्त नरीमन पॉइंट वाले ओबेरोइस में थी
"शुवर मॅम, सी फेसिंग ?" रिसेप्षनिस्ट ने पूछा
"यस, मेक दट..हियर'स दा आइडेंटिटी आंड कार्ड फॉर पेमेंट.." स्नेहा ने रिसेप्षनिस्ट के हाथ में देते हुए कहा
"ओके.. सो वी आर डन मॅम, थॅंक यू, एंजाय युवर स्टे." रिसेप्षनिस्ट ने उसके हाथ में आक्सेस कार्ड पकड़ाते हुए कहा
"आंड व्हेयर'स दा बार.." स्नेहा ने फिर पूछा और रिसेप्षनिस्ट के बताए हुए फ्लोर पे चली गयी
ओबेरोई'स में अमूमन फॉरिन टूरिस्ट्स ज़्यादा रहते थे और जो भी लोकल्स रहते थे, या तो वो बड़े कॉर्पोरेट्स होते थे या तो हाइ क्लास एस्कोर्ट्स वहाँ रातें रंगीन करने आती
और सुबह होते निकल जाती.. स्नेहा को ऐसी सारी में देख रिसेप्षनिस्ट के साथ वहाँ मौजूद टूरिस्ट्स सभी उसके शरीर के कटाव को देख के लार टपकाने लगे थे, उसके हर बढ़ते कदम के साथ लोगों के दिल पे एक खंजर सा चलता
"औछ्ह.. जस्ट लुक अट दोज़ स्वेयिंग हिप्स मॅन... शी ईज़ स्मोकीनन्न...." एक फिरंगी ने अपने पास वाले दोस्त से कहा सामने से स्नेहा को आते देख.. स्नेहा जब उसके पास से गुज़री तो उसने भी नोट किया उनकी नज़रों को और अपने हुस्न के दीदार करवा के उसके चेहरे पे भी एक दबी हुई मुस्कान आ गयी..
"उम्म्म, शी स्मेल्स नाइस.." फिर उस फिरंगी ने कहा जब स्नेहा उनके पास से गुज़र के बार की तरफ बढ़ी
"गुड आफ्टरनून मॅम... व्हाट वुड यू लाइक टू हॅव, स्कॉच, बर्बन ऑर वोड्का...." बारटेंडर ने स्नेहा से पूछा जब उसने अपनी मखमल जैसी गान्ड को बार के सीट पर टिकाया
"माल्ट... सिंगल माल्ट..." पीछे से मर्द की आवाज़ सुन स्नेहा पलटी तो राजवीर को अपने पास आता हुआ पाया... राजवीर को अपने पास आते देख स्नेहा एक पल के लिए उसके चेहरे को देख कहीं खो सी गयी... बला की खूबसूरती वाली स्नेहा, लेकिन राजवीर भी कुछ कम नहीं था.. डार्क ब्लू ब्लेज़र के नीचे वाइट शर्ट और ब्लू जीन्स, दाढ़ी बिल्कुल सॉफ और बाल गेल
से एक दम पीछे सटे हुए, आँखों पे डार्क ग्लासस..
"हेलो डार्लिंग..हाउ आर यू.." राजवीर ने स्नेहा के पास आके कहा और उसके हाथ को अपने हाथ में लेके चूम दिया
"उम्म्म, आर्मॅनी.. आइ लाइक इट..." स्नेहा ने उसके पर्फ्यूम की तारीफ़ करके कहा और तब तक दोनो की ड्रिंक भी आ चुकी थी
"तुम तो बड़ी एक्सपर्ट हो, स्मेल करके ही बता सकती हो पर्फ्यूम के बारे में.." राजवीर ने अपने होंठों से अपने ग्लास को लगाते हुए कहा
"राय बदलने में ज़रा वक़्त भी नहीं लिया आपने, अभी थोड़ी देर पहले मैं नयी खिलाड़ी थी और अभी एक्सपर्ट...ह्म्म्म, आइ आम इंप्रेस्ड.." स्नेहा के लाल होंठों ने भी उसके ग्लास को छुआ और जाम का मज़ा लेने लगी.. दोनो पास बैठे बैठे एक दूसरे की आँखों में देखते रहते और जाम पे जाम पीते जाते..
"समझ नहीं आ रहा ये माल्ट का नशा है या तुम्हारी आँखों का.." राजवीर ने अपना तीसरा पेग ख़तम करते हुए कहा
"बहू से फ्लर्टिंग कर रहे हैं..." स्नेहा ने यह बात ज़रा धीरे कही ताकि आस पास मौजूद कुछ लोग सुन ना सकें
"वैसे जब ससुर पीने बैठता है तो बहू शरम के मारे बाइटिंग सर्व करने में भी हिचकिचाती है, पर तुम जैसी बहू जब ससुर को पीने में कंपनी दे रही है तो शरम को भी शर्मिंदा होना पड़ेगा.." राजवीर ने दोनो के लिए फिर पेग रिपीट करवाते हुए कहा
"ससुर बहू की तो दूर की बात है, अब जब लोग देवर भाभी के रिश्ते के बारे में भी नहीं सोचते, तो इसमे हमारी क्या ग़लती" स्नेहा ने अपने चुचों को हल्के से तान के कहा
"ह्म्म्म, जब देवर भाभी के बारे में जानती हो तो फिर ससुर बहू को भी कैसी शरम.." राजवीर अपने पूरे शबाब पे था, स्नेहा के मूह से अपने और सुहसनी के बारे में सुन उसे झटका लगा था लेकिन माहॉल ऐसा बन गया था के वो उसे इग्नोर करके आगे ध्यान देना चाहता था
"शरम तो औरत का गहना है... हमें तो पहनना ही पड़ेगा" स्नेहा भी पीछे हटने को तैयार नहीं थी
"तुम्हारे बदन पे तो मुझे एक भी गहना नहीं दिख रहा.. पहनना भूल गयी हो या जान बुझ के नहीं पहना.." राजवीर ने अपनी नज़र उसके बदन पे उपर से लेके नीचे तक फिरा के कहा
राजवीर की इस बात का जवाब स्नेहा के पास नहीं था, शब्द कम पड़ने लगे, सोचते सोचते खामोश हो गयी और अपनी ड्रिंक ख़तम करने लगी.. मानसिक तोर से राजवीर की जीत थी
ये, बिना कुछ ज़्यादा कहे वो भी अपनी ड्रिंक पीने लगा और आगे के बारे में सोच रहा था, ड्रिंक्स के बाद वो क्या करेगा या क्या कहेगा स्नेहा से
"बारटेंडर.. प्लीज़ पुट दिस ऑन माइ टॅब...." स्नेहा ने उसे रूम का कार्ड देते हुए कहा और राजवीर की आँखों में देखने लगी
"रूम नंबर 3007..." स्नेहा ने राजवीर की आँखों में देखते हुए कहा और बारटेंडर से कार्ड लेके चली गयी...
"भैनचोद, रूम भी लेके बैठी है और मैं चूतिया बैठे बैठे आगे क्या करना है वो सोच रहा था.. सावधानी से खेलना पड़ेगा अब राजवीर..अब अगर यहाँ से भी बाज़ी फिसली तो समझ ले, तू चूतिया ही है.." राजवीर ने अंदर ही अंदर खुद से कहा और घड़ी में वक़्त देखा..
"ह्म्म्म, अभी 15 मीं के बाद जाता हूँ, बारटेंडर, वन लार्ज प्लीज़, ऑन दा रॉक्स.." राजवीर ने पहले खुद से कहा और फिर अपने लिए एक जाम और मंगवा दिया
जैसे जैसे वक़्त बीत रहा था वैसे वैसे राजवीर की नज़र घड़ी पे पड़ती और साथ उसके दिल धड़कने की गति भी बढ़ जाती, धीरे धीरे चढ़ रहे माल्ट के सुरूर की वजह से अंत वक़्त पे जाके उसके दिल की स्थिति नॉर्मल हुई, ग्लास रख के एक बार लंबी साँस ली और खुद को ठीक तक कर के स्नेहा के कमरे की तरफ बढ़ गया.. जैसे जैसे कमरा नज़दीक आता, वैसे वैसे फिर उसका दिल ज़ोरों से धड़कने लगता...
"3007..." राजवीर ने खुद से कहा और दरवाज़े की बेल पे हाथ रख दिया
"कम इन प्लीज़.." स्नेहा ने अंदर से आवाज़ दी, राजवीर ने एक बार फिर लंबी साँस छोड़ी और अंदर चला गया
"आइए आइए हुज़ूर... आप के लिए तो हमारे दरवाज़े कभी बंद थे ही नहीं.." स्नेहा ने सोफे पे बैठे बैठे राजवीर से कहा... सोफे पे बैठी हुई स्नेहा की सारी उसके बदन से अलग हो चुकी थी, उसकी सफेद चमकती चमड़ी को देख राजवीर से रहा नहीं गया और उसने भी अपना ब्लेज़र उतार ज़मीन पे ही फेंक दिया.. कुछ कदम राजवीर आगे बढ़ा और स्नेहा
भी उठ उसके पास बढ़ी, आमने सामने आते ही दोनो बिना कुछ कहे या किया एक दूसरे के होंठों पे टूट पड़े
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