Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
07-03-2019, 03:48 PM,
#21
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
राजवीर राइचंद, राजस्थान में रह रह के आधा रजवाड़ा स्टाइल अपना लिया था, तभी तो अपनी आलीशान कोठी को महल कहना उसे ज़्यादा पसंद था, विंटेज गाड़ियाँ हो या घर के नौकर.. हर चीज़ में लोकल तौर तरीके अपना दिए थे, राजवीर किसी राजा से पीछे नहीं था लाइफस्टाइल में, वहाँ के रहीस दोस्तों से मिलके घूमना फिरना और अयाशी करना, उसे सब कुछ भाता था.. काम के नाम पे वो भी अमर जैसा ही था, मुंबई में बुक्की चलाने वाला अमर, तो जयपुर के नेटवर्क को बनाया राजवीर ने.... अमर ने वक़्त रहते सब कुछ अपनी मुट्ठी में कर लिया था, अगर वो नहीं करता तो आज बीसीसीआइ के साथ डीलिंग्स राजवीर कर रहा होता.. इसके अलावा अपने शहेर में कोई भी दिक्कत होती तो राजवीर के पास लोग सबसे पहले आते मदद के लिए.. दिमाग़ से गरम राजवीर, ज्योति से बहुत प्यार करता, हमेशा उसे महारानी की तरह ट्रीट करता.. राजवीर के शहर में एक किस्सा बड़ा फेमस है कि ज्योति ने एक मूवी में कोई गाड़ी देख ली और राजवीर से ज़िद्द करने लगी कि वो उसी गाड़ी में स्कूल जाएगी.. बिना वक़्त गवाए राजवीर ने वो गाड़ी मँगवाई और ज्योति को उसमे स्कूल भेजा..




"राजवीर, आओ आओ..." कहके अमर ने अपने छोटे भाई को गले लगाया और दोनो आपस में बातें करने लगे.. जहाँ बातें रोज़ मरहा की ज़िंदगी से शुरू हुई, वहीं क्रिकेट की बात आते ही सुहासनी और ज्योति वहाँ से उठ के अंदर चले गये





"ताई जी, मैं शीना और रिकी भैया से भी मिल लेती हूँ.." कहके ज्योति शीना के कमरे में पहुँच गयी, लेकिन उसे वहाँ ना पाकर ज्योति फिर रिकी के कमरे में चली गयी





"आहें आहेम... " ज्योति ने रिकी को सामने देख उसे अपनी मौजूदगी का आभास दिया जो अपने लॅपटॉप में कुछ ग्रॅफिक डेसिंग्स कर रहा था





"अरे वाह, व्हाट आ प्लेज़ेंट सर्प्राइज़.." कहके रिकी अपनी जगह से उठा और ज्योति से गले लगा





"कैसी हो ज्योति, और यूँ अचानक.."





"क्या भैया, ऐसे ही नहीं आ सकती क्या.." ज्योति ने बनावटी गुस्सा दिखा के कहा





"अरे बिल्कुल यार, और सूनाओ, क्या चल रहा है... वैसे आइ हॅव सम्तिंग फॉर यू" कहके रिकी ने अपने ड्रॉयर से एक पॅकेट निकाल के ज्योति के हाथ में रखा






उधर स्नेहा के कमरे से शीना निकल ही रही थी कि उसने पीछे मूड के स्नेहा से फिर कहा.. "भाभी, आइ होप कल रात वाली बात हमारे बीच ही रहेगी, गुड बाइ"




शीना अपने कमरे में घुसने ही वाली थी कि तभी रिकी के कमरे से उसे कुछ आवाज़ें सुनाई दी और उपर से लड़की की आवाज़, उसने जल्दी से अपने कपड़े बदले और रिकी के कमरे की तरफ अपने कदम बढ़ाने लगी, जैसे ही उसने रिकी के कमरे का दरवाज़ा खोला, सामने ज्योति को देख के उसकी जान में जान आई


"ज्योत्ीईईई.." खुशी से चिल्ला के शीना उसके पास आई और दोनो बहने गले मिली




"और यह क्या छुपा रही है, " कहके जैसे ही उसने ज्योति के हाथ में देखा उसकी हँसी छूट गयी




"सिगरेट के पॅकेट को भला क्यूँ छुपा रही है, रिकी भाई ने दी ना.." शीना ने सिगरेट का पॅकेट लेके रिकी को देखा





"भाई, बस बहनों को बिगाड़ने के काम कर रहे हो आप... हिहिहीः.." कहके तीनो लोग हँसने लगे

.............................



"प्रेम, आज कैसे भी मिलना पड़ेगा... नहीं, आज ही, शीना ने कल रात को जो बातें मुझसे कही, उससे हमारा सारा खेल बिगड़ सकता है , जल्दी मिलो मुझे" कहके स्नेहा ने फोन कट किया और प्रेम से मिलने के लिए तैयार होने लगी
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07-03-2019, 03:48 PM,
#22
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"क्या हुआ दीदी, ऐसा क्या हुआ जो इतनी जल्दी बुलाया है मुझे.. क्या कहा कल रात शीना ने" प्रेम ने स्नेहा के सामने बैठ के कहा.. स्नेहा और प्रेम इस वक़्त मुंबई के सबसे व्यस्त इलाक़े क्रॉफर्ड मार्केट के पास बने एक ईरानी रेस्टोरेंट में थे.. स्नेहा के चेहरे से सॉफ दिख रहा था कि शीना ने उसे कुछ ऐसी बात कही है जिससे उनको बड़ा नुकसान हो सकता है.. स्नेहा ने कुछ जवाब नही दिया और वो बस सोचे जा रही थी.. कुछ सेकेंड्स में जब प्रेम फिर बोला, तब स्नेहा ने एक नज़र उसे देखा और बोलने लगी...




पिछली रात...



जब शीना बाथरूम से निकली, उसके दिल में एक घबराहट सी आ गयी थी, इसलिए नहीं के स्नेहा ने उसे देख लिया था, पर इसलिए के स्नेहा ने उसके मूह से रिकी का नाम भी सुन लिया था.. शीना स्नेहा और प्रेम की बातों से इतनी गरम हो चुकी थी कि उसे खुद पे काबू ना रहा और वासना में बह गयी थी.. लेकिन अब जब पकड़े गये तो कोई कर भी क्या सकता है, इसलिए शीना यह सोचती हुई बाहर निकली कि आज या तो भाभी को सच बता दूँगी या तो उनसे कह दूँगी कि इस बारे में आगे से कोई बात ना करे.. धीरे धीरे जैसे शीना बाहर आई, सामने स्नेहा को देख के उसकी आँखें बड़ी हो गयी और दिमाग़ ने फिर काम करना बंद कर दिया..

शीना के सामने स्नेहा एक दम नंगी बैठी थी और अपने दोनो टाँगें चौड़ी करके , आँखें बंद बस अपनी चूत रगडे जा रही थी.. स्नेहा आनंद के ऐसे सागर में डूबी हुई थी उस वक़्त जैसे उसके सामने अगर कोई भी आ जाए तो भी उसे फ़िक्र नही होती.. शीना वहीं खड़े खड़े बस स्नेहा को देखती रही, जो सोच के आई थी उसे वो करने या कहने का मौका ही नहीं दिख रहा था, उसे लगा था कि जैसे ही वो बाहर आएगी या तो उसकी भाभी प्यार से पूछेगी या तो उसे समझाएगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं था.. स्नेहा बस आँखें बंद करे अपनी चूत बेरेहमी से मसल्ति जा रही थी





"अहहहहहा उम्म्म्म प्रेम अहहहहहा.. चूत सक करो ना अपनी बहेन की अहहहहा....अहहा येस्स अहहहः...." स्नेहा जानती थी कि यह मौका उसे दोबारा नहीं मिलेगा इसलिए शीना के सामने जितनी बड़ी रंडी हो सके बनना चाहती थी, और जान बुझ के वो प्रेम का नाम ले रही थी ताकि शीना भी अपनी हालत उसके साथ जोड़ सके.. शीना की सिट्टी बिट्टी गुल हो गयी थी, ऐसे हालात का सामना कभी नहीं किया था उसने, वैसे देखा जाए तो शीना ने दुनिया कम ही देखी थी, अभी तो वो बस रिकी के प्यार और वासना में खोई हुई थी इसलिए उसे अंदाज़ा भी नहीं था कि स्नेहा ऐसा क्यूँ कर रही है... धीरे धीरे जब स्नेहा की उंगलियों की गति कम हुई और उसने अपनी आँखें खोली, सामने शीना को खड़े देख उसके चेहरे पे एक कामुक सी मुस्कान आ गयी.. शीना का रियेक्शन देख स्नेहा को समझते देर ना लगी के शीना का दिमाग़ अभी बिल्कुल बंद है.. शीना एक दम पुतले की तरह स्नेहा के सामने खड़ी थी, होश तो उसे तब आया जब स्नेहा उसके पास आई और उसका हाथ पकड़ के बिस्तर पे ले गयी... किसी बच्चे की तरह शीना बस आगे बढ़ती रही, बिना कुछ सोचे समझे और जाके स्नेहा के साथ बिस्तर पे बैठ गयी. शीना को अपने सामने बिठा के स्नेहा ने सबसे पहले उसका चेहरा अपने हाथों में थामा और उसे कहा




"रिकी के बारे में मैं किसी को नहीं बताउन्गी मेरी ननद रानी.. चिंता छोड़ दो, और मज़े लो..." कहके स्नेहा शीना के होंठों को चूसने आगे बढ़ी और धीरे धीरे उसकी जीब से खेलने लगी.. ऐसी वासना में खोई हुई थी शीना कि उसे कुछ आभास नहीं था वो खो गयी थी या यूँ कहना ग़लत नहीं होगा कि स्नेहा के जाल में वो फस चुकी थी, स्नेहा की गरम जीभ का एहसास पाके शीना ढीली पड़ गयी और मज़े से दोनो एक दूसरे की जीभ चूसने में व्यस्त हो गये, स्नेहा मन्झि हुई खिलाड़ी थी इसलिए जानती थी कि अभी तो यह कोरी है, शीना को गरम तो धीरे धीरे करना है इसलिए उसने भी ज़्यादा कोशिश ना करते हुए बस उसकी जीभ चाटना ही जारी रखा









"उम्म्म्म आहह्ा..उम्म्म्म अहहहहा भाभी अहहहहा...सीईईईई उम्म्माहहहाआ...... उम्म्म्ममाहहहहहहा" शीना सिसकती हुई तड़पने लगी, तभी ही स्नेहा ने पीछे हाथ ले जाके उसके बालों को पकड़ा और अपने होंठो को शीना के होंठों से मिला लिया और उसे धीरे धीरे कर चूसने लगी.. शीना स्नेहा के होंठों का एहसास पाके झड़ने लगी और फिर गरम होने लगी.. स्नेहा को इसका एहसास हो गया था के शीना अभी गरम हो चुकी है इसलिए अब वो जो चाहे वो वैसा ही करेगी.. ननद भाभी एक दूसरे के होंठ चूसने में काफ़ी व्यस्त हो गये, रात के करीब 2 बजे राइचंदस के एक कमरे में यह नंगा नाच चल रहा था और किसी को इसकी हवा तक नहीं थी.. दुनिया जहाँ भुला के रिकी के नाम से शीना ऐसी राह पे आ चुकी थी के वो बस कुछ सोचने समझने के काबिल नहीं थी, उसे अब रिकी को हासिल करना था और वो भी स्नेहा की मदद से..




वासना प्यार पे सवार हो चुकी थी अब, शीना पीछे नहीं हटना चाहती थी अब.. इतनी देर तक जहाँ स्नेहा पीछे से शीना को पकड़े हुई थी, अब शीना ने अपना हाथ आगे किया और शीना के चुचों को दबाके उसका मज़ा दुगना करने लगी, जिससे स्नेहा के मन में भी एक सिसकान सी जाग उठी




"आहहहाहम्म्म्म मम..." स्नेहा ने बस इतना ही कहा कि शीना ने एक बार फिर उसके बालों को खींचा और अपने होंठ उसके होंठों से मिला लिए...दोनो को चूमते चूमते इतनी देर हो गयी के इनके माथे से पसीना टपकने लगा था , कमरे में एक गर्मी सी छा गयी थी पर दोनो तक नहीं रही थी.. किस तोड़ के स्नेहा शीना से थोड़ी दूरी पे जा बैठी और अपनी चूत में फिर से उंगली करने लगी...
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07-03-2019, 03:48 PM,
#23
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"आहहहहा उम्म्म अहहहाहा..... प्रेम मेरा बहुत ख़याल रखता है शीना अहाहाहहा...ही ईज़ माइ एल्डर ब्रदर अहहहहा.... देख ना अहहहाआ.. इस चूत को

अहाहहामम्म्मम...कितना ध्यान रखता है अहहहाहा.. प्रेम के नाम से ही अहहहहा.... बहने लगी है अहहहाहा...." स्नेहा शीना से आँखें मिला के बोली और अपनी चूत ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगी... शीना ने भी अपने पैरों को खोल दिया और अपनी लाल गीली हो रही चूत में धीरे धीरे कर उंगलियाँ डालने लगी और हल्के से अंदर बाहर करने लगी..





"आहहहा भाभी अहहाहा ससिईईई...उम्म्म्ममम मेरा ख़याल कौन अहहहहः रखेगा अब औहमम्म्ममम अहहहहा...भाभी कुछ अहहहाहा करो ना अहहहहा....प्रेम को बोलो ना अहहहाहा मेरा भी ध्यान रखे अहहाहा सीईईईई ओह यस अहहहहा भाभी, अहहहहः दिस ईज़ सो मच फन अहहहहाआँ भाभी बहुत मज़ा आ रहा है अयीई अहहहाहा सीयी....." शीना को कुछ अंदाज़ा नहीं था वो क्या बोल रही है









"इससे ज़्यादा मज़ा तो अहहाहा म्म्म्महमम चुदवाने में आता है मेरी ननद रानी अहहहाआ..... प्रेम क्यूँ, प्रेम मेरा अहाहहाः भाई है उई अहहहहा... तू अपना ध्यान खुद रख ना अहहहहहाहा मेरे भाई पेउई अहहहाहा नही रख अहहहहः.... हाहाहहा ओह..." स्नेहा ने अपनी गति तेज़ कर दी और शीना का साथ देने लगी




"अहहहहा तो भाभी आप मेरी मदद कीजिए ना अहहहाहा...रिकी अहहहहा भाई से अहहहहाआहह मुझे चुदना है अहहहा.. आइ लव हिम भाभी अहहहहा यस अहहहहहा...ओह माइ गॉड फक्क्क आहहाहह अहहाहा....." कहके शीना ने स्नेहा को अपने पास खींचा और एक बार फिर उसके होंठों को चूमने लगी जंगालियों की तरह..


स्नेहा ने भी उसी गति से उसके होंठों पे प्रहार किया और साथ ही साथ शीना की चूत में भी अपनी उंगली डाल के उसे अंदर बाहर करने लगी



"अहहहाहा फक मी भाभी अहहहहा.. ओह यस अहहहहहाहा , गिव मी अहाआहः उर अहहहहा पुसी भाभी उईयाहाहहाहा" शीना पागलों की तरह चिल्लाने लगी और अपने होंठ स्नेहा के होंठों से अलग करके स्नेहा की चूत में भी अपनी उंगली डाल के उसे रगड़ने लगी. भाभी ननद पागलों की तरह बस एक दूसरे की चुतो को रगड़ने लगी और एक दूसरे का भाइयों के नाम लेती रही




"अहहहाहा प्रेम यस अहहहः फक मी अहहहहहाआ...... ओह उम्माहहहूंम्म्ममम रिकी भाई अहहाहा यस आइ लव यू भाई उम्म्माहहहूंम्म्ममम" दोनो के मूह से बस यही लफ्ज़ निकलते




"अहाहहाः भाभी, आइ एम कमिंग अहहहाहा मैं आ रही हूँ भाभी उम्म यस सहहहहा...."




"अहहहाहा मेरी ननद आहहा, पहला स्टेप है अहाहौईइ उम्म्म्म के अपने भाई के नाम से ही झड़ना सीखो अहाहहा.. प्रेम यस आइ एम कमिंग बेबी अहहहाहा फक मी फास्टर अहहहहा..."





"उम्म्मयस अहहाहा रिकी भाई अहाहहाएस ओह उम्म्म आइ लव अहहहा ओह्ह्ह यस अहहहः आइएम कमिंग रिकी अहहहहहाअ भाइईईईईईईई अहहहा...." शीना की इस चीख के साथ स्नेहा और शीना दोनो झड़ने लगी और झाड़ते ही दोनो बेड पे गिर गयी और एक दूसरे के होंठों को फिर से चूसने लगी... इस हरकत के बाद शीना और स्नेहा दोनो पसीने से भीग चुकी थी, दोनो के शरीर पे देखा जा सकता था के कैसा कोहराम आया था अभी कुछ देर पहले, दोनो ज़ोर ज़ोर से हाँफ रही थी और फिर से दोनो के मन में अलग अलग विचार आने लगे... स्नेहा यह सोच रही थी कि अब शीना को हाथ से जाने नहीं देना है, उसे पल पल यह एहसास दिलाते रहना है के वो सही कर रही है और उसे रिकी के करीब ले जाना है.. वहीं शीना अपनी इस हरकत से काफ़ी दुखी थी, उसे यकीन नहीं था कि वो ऐसी हरकत भी कर सकती है, दुविधा में पड़ गयी थी वो के उसने जो किया अब उसका अंजाम क्या होगा.. लेकिन एक ख़याल उसको यह भी आया कि अब जो हो चुका है वो बदल नहीं सकते, और उसने अपने मन को पक्का कर लिया के अब बहुत दूर रह चुके , भाभी की मदद से ही तो भले वोही, लेकिन अब उसे रिकी के करीब जाना ही है.. करीब 10 मिनट तक दोनो अंदर ही अंदर कुछ सोचते रहे, पर जैसे ही स्नेहा ने शीना को देखा, उसे लगा के शायद शीना अभी भी दुविधा में है, इसलिए उसने तुरंत ही उठ के शीना के पैरो को फिर से खोला और अपनी जीभ उसकी चूत पे रख के सक करने लगी... शीना एक बार फिर वासना की नदी में गोते खाने लगी और उछल उछल के अपनी चूत चटवाने लगी





"शीना,आइ एम सॉरी अगर कुछ ग़लत लगा हो तो, आइ कुडन्ट' कंट्रोल माइसेल्फ, सॉरी अगेन.." स्नेहा ने शीना की आँखों में देख के कहा जब दोनो तक के एक दूसरे के बाजू में सो गये




"कोई बात नहीं भाभी, फ्रॅंक्ली स्पीकिंग आइ एंजाय्ड.. बहुत टाइम बाद किसी के सामने अपने दिल की बात कह सकती हूँ.." शीना ने स्नेहा से आँखें मिला के कहा




"थॅंक यू शीना, कि तुमने मुझे इस लायक समझा... पर वैसे, कब से यह फीलिंग है तुम्हारे अंदर.." स्नेहा ज़्यादा से ज़्यादा जानना चाहती थी रिकी के बारे में




"पता नहीं भाभी, बट जबसे रिकी भाई लंडन गये, तब से उन्हे काफ़ी मिस करने लगी थी, फिर उनके बारे में ही सोचती, जब वो यहाँ होते तो उनके साथ ही टाइम स्पेंड करने में मज़ा आता, जब वो चले जाते तो ऐसा लगता के मैं भी उनके साथ ही चली जाउ, उनके बगैर दिल बस गुम्सुम सा रहता, किसी से बात करने की दिल नहीं होती..हर वक़्त बस रिकी भाई के बारे में ही सोचती रहती थी.. मैने काफ़ी कोशिश की के मैं उनके बारे में ऐसा ना सोचूँ, लेकिन ऐसा नहीं कर पाई.. काफ़ी इग्नोर किया उन्हे, नंबर डेलीट, फ़ेसबुक से डेलीट, लेकिन फिर भी बस उन्ही के ख़याल आते रहते दिल में..जब दिमाग़ हार गया, तब मैने दिल की सुनी और आगे बढ़ती गयी.." शीना ने यह बात आज से पहले किसी से नहीं कही, स्नेहा के साथ अब इतना आगे आ चुकी थी तो यह बात कहने में उसे कोई हर्ज़ नहीं लगा...
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07-03-2019, 03:49 PM,
#24
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"मैं समझ सकती हूँ शीना, बचपन से किसी से इतने क्लोज़ रहो तो फिर ऐसा हो ही जाता है.. देखो ना, दोनो साथ बड़े हुए, साथ में पढ़ाई और सब... आइ टोटली अंडरस्टॅंड डियर..." स्नेहा ने बस इतना कहा ही कि शीना ने जैसे आइसिस का बॉम्ब उसके सर पे फोड़ दिया






"साथ नहीं बड़े हुए, वो तो पापा ने रिकी को अडॉप्ट किया है..." शीना के यह कहते ही उसे एहसास हुआ कि उसने कितनी बड़ी ग़लती कर दी




"व्हातत्तटतत्त !!!! रिकी अडॉप्टेड है ?" स्नेहा को यकीन नहीं हो रहा था कि वो क्या सुन रही है, उसका मूह खुला का खुला रह गया यह सुनके





"प्लीज़ भाभी, किसी से नही कहना मैने आपसे यह कहा, " शीना डर चुकी थी




"अरे बिल्कुल नहीं यार, पर अब पूरी बात तो बताओ यह प्लीज़.. ऐसे आधी अधूरी बात में फिर मुझे वेहेम होता है.." स्नेहा के कान अब और तेज़ हो चुके थे




"पूरी बात क्या भाभी, मैं सात साल की थी, जब पापा रिकी भैया को लाए थे तब मैं 7 साल की थी, जब विक्रम भैया और मैं थोड़े बड़े हुए तब मम्मी से पता चला कि पापा के कोई फरन्ड थे जिनकी डेथ हुई थी आक्सिडेंट में.. तो रिकी भैया असल में उनके सन हैं, इसके आगे ना ही कभी किसी ने पापा से कुछ पूछने की हिम्मत की, और ना ही किसी ने इस बारे में सोचा..." शीना ने बड़ी मासूमियत से जवाब दिया, लेकिन वो यह नहीं जानती थी कि यह उसकी कितनी बड़ी बेवकूफी है.... बट भाभी, आप प्लीज़ किसी से नही कहना, के मैने आपको यह बताया विक्रम भैया को भी नहीं...




"ननद जी, कोई बात नहीं, अब से मैं तुम्हारा ख़याल रखूँगी.. मैं तुम्हारी मदद करूँगी रिकी के करीब जाने में... ट्रस्ट मी.." स्नेहाके इतना कहने से ही शीना का दिमाग़ फिर चलने लगा, लेकिन इस बार रिकी की सोच में और आने वाले हसीन पलों के बारे में सोच के





"व्हाट.. दीदी, ऐसा कैसे हो सकता है... हमारी खबर तो.." प्रेम ने इतना ज़ोर से चिल्लाया के कुछ लोग उनकी तरफ देखने लगे और स्नेहा को बीच में बोलना पड़ा




"धीरे बोलो प्रेम..."




"बट दीदी, अब क्या.." प्रेम भी घबरा गया यह बात सुन के




"डोंट वरी.. मैं कुछ करती हूँ, सच तो बताना ही पड़ेगा राइचंद'स को...
"भैया, वैसे आप लंडन क्यूँ नहीं गये, आप की पढ़ाई का क्या करोगे ?" ज्योति ने रिकी से पूछा, जब तीनो घर के सबसे आखरी कोने बने रूम में बैठे सिगरेट और शराब पी रहे थे. ज्योति का यूँ सीधा सवाल रिकी को क्लीन बोल्ड कर गया, रिकी खामोश शीना की तरफ देखता रहा और शीना भी समझ गयी के रिकी ज्योति से झूठ कहेगा तो ज्योति विश्वास नहीं करेगी, क्यूँ कि ज्योति चाहे इन दोनो से दूर हो लेकिन इनकी रग रग से वाकिफ़ थी.. रिकी हर बात जब भी इंडिया आता तब ज्योति से मिलना बनता था फिर वो चाहे उसके घर पे हो या कहीं और, लेकिन दोनो एक दूसरे के लिए कुछ वक़्त निकाल ही लेते थे.. और लंडन से भी इनकी बातचीत होती क्यूँ कि पढ़ाई के चर्चे काफ़ी लंबे चलते रहते इनके... ज्योति ने जब देखा कि रिकी कुछ बोल नहीं रहा और बोलने के बदले शीना को देख रहा है, इसलिए वो फिर बोली




"ठीक है ना बताओ बस, लेकिन एक दूसरे को घूर्ना बंद करो..." ज्योति ने अपने ग्लास में से एक घूँट लेते हुए कहा





"अरे ऐसा नहीं है यार, अब मैं तुझसे झूठ नहीं बोल सकता लेकिन इतना कह सकता हूँ कि सही वक़्त आने पे तुझे बता दूँगा.." रिकी जानता था कि उसका झूठ पकड़ा जाएगा और स्पेशली इतनी लंबी रुकावट के बाद तो ज्योति क्या, कोई और भी समझ सकता है...





"बाद में क्यूँ भाई, अभी बता सकते हैं , लेकिन ज्योति एक वादा करो कि किसी और को नहीं बताओगी, नोट ईवन मोम डॅड या भाभी या भैया.. प्रॉमिस करेगी तो ही बताउन्गी.."

शीना ने अपना ग्लास एक घूँट में ख़तम करके कहा.. शीना का ऐसा कॉन्फिडेन्स देख एक पल के लिए तो रिकी डर गया पर इससे ज्योति को लगा कि अभी शीना झूठ नही बोल सकती, इसलिए उसने वादा किया किसी को ना बताने का




"शीना, देअर ईज़ नो पॉइंट डिस्कसिंग दिस.. आइ थॉट..." रिकी ने इतना ही कहा कि शीना बीच में बोल पड़ी





"भाई, कोई बात नही, और आप यहाँ से जाइए प्लीज़.. लड़कियों के बीच की बात है अब... नो आर्ग्युमेंट प्लीज़..." शीना ने ऐसी अतॉरिटी से कहा कि रिकी को बिना कुछ कहे वहाँ से जाना पड़ा और ज्योति भी कन्विन्स हो गयी कि उसे जो जानना था उसे पता चल जाएगा अब.. रिकी जैसे ही कमरे के बाहर निकला उसके दिल की धड़कने बढ़ने लगी, वो जानता था कि
शीना बेवकूफ़ नहीं पर बहुत सीधी है, कहीं उसने ज्योति को बता दिया तो ज्योति को सुनके काफ़ी अजीब लगेगा और वो फिलहाल ऐसी स्थिति में बिल्कुल नहीं था कि वो किसी से कुछ शेअर कर सके.. शीना से उसने इसलिए शेअर किया क्यूँ कि वो वक़्त ऐसा था कि शीना को देख वो जज़्बाती हो गया था...लेकिन अभी, ज्योति और शीना अंदर क्या बात कर
रहे थे और ज्योति क्या समझेगी उस बात से, रिकी सहम सा रहा था यह सब सोच के... धीरे धीरे करके वो आके अपने कमरे में बैठा और फिर इस सोच में डूब गया.. उधर

स्नेहा प्रेम के साथ बैठी बातें ही कर रही थी कि तभी स्नेहा का फोन बजा





"हां बोलो..क्यूँ फोन किया.." स्नेहा ने रूखे मन से जवाब दिया





"तुम काम भी करोगी या बस अपने भाई के साथ गुलच्छर्रे ही उड़ाती रहोगी.." सामने से आवाज़ आई





"क्या काम करूँ, जो भी खबर मिलती है तुम्हारी तरफ से सब ग़लत ही आती है, रिकी अमर का बेटा नहीं है, वो अडॉप्टेड है तुम्हे पता था क्या.." स्नेहा झल्ला चुकी थी





"क्या बकवास कर रही हो, तुम्हे कोई कुछ भी कहेगा और तुम मान लोगि.. वैसे किसने कहा तुमसे यह सब... कौन तुम्हे पागल बना रहा है मैं भी सुनूँ" फिर सामने वाले ने कहा
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07-03-2019, 03:49 PM,
#25
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"शीना ने, और तुमसे ज़्यादा वो भरोसे मंद लगती है मुझे..." स्नेहा ने फिर चिल्ला के कहा और फोन कट करके फिर प्रेम के साथ आगे की बात करने लगी





"भैया.... " ज्योति ने बाहर से रिकी के कमरे का दरवाज़ा नॉक कर के कहा.. ज्योति की आवाज़ सुनके रिकी जल्दी से उठा और दरवाज़ा खोलके उन्हे अंदर लाया.. तीनो अंदर आ तो गये लेकिन कुछ बोल नहीं रहे थे, बस एक दूसरे को ताकने लगे.. तीनो की आँखों में अलग ही भाव थे. रिकी की आँखों में घबराहट सॉफ देखी जा सकती थी वहीं ज्योति की आँखों में माफी के भाव थे, शीना इन दोनो से अलग, अपनी आँखों को काफ़ी उपर नीचे कर रही थी, जैसे की कोई शरारती बच्चा करता है..





"सॉरी भैया, ऐसे ही मैं आप लोगों पे नाराज़ हुई.." ज्योति ने काफ़ी सहमी हुई आवाज़ में कहा.. सॉरी सुन के रिकी की हालत थोड़ी नॉर्मल हुई, फिर ज्योति ने बोलना चालू रखा




"वैसे भैया, आइ नो उर स्मार्ट आंड स्वीट, बट ऐसा भी क्या जादू कर लिया किसी लड़की पे कि उसने आपके लिए अपनी जान दे दी.." ज्योति के मूह से यह शब्द सुन के जैसे किसी ने रिकी के कानो में गरम तेल से डाल दिया हो, उसे विश्वास नहीं हो रहा था..




"क्य्ाआआआआ.........क्याअ कहा तुमने..." रिकी को यकीन नहीं हुआ कि उसने क्या सुना





"ओफफो.. भाई, आपने जो बताया मैने ज्योति को वही कहा है, आंड ज्योति ने वादा किया है कि वो किसी से नहीं कहेगी कि आप लंडन इसलिए नहीं गये क्यूँ कि जब आप वहाँ से इंडिया आने के लिए निकल रहे थे, उसके कुछ दिन पहले कैथरीन नाम की लड़की ने आपको प्रपोज़ किया था और वो आपसे बहुत प्यार करती थी, क्यूँ कि आप लोग सेम ग्रूप में थे

और एक दूसरे को काफ़ी अच्छे से जानते थे इसलिए वो समझती थी कि आप उसे हां कहोगे.. लेकिन आप ने उसे मना किया यह कह के कि आपने कभी उसे दोस्त के रिश्ते से आगे सोचा तक नहीं.. जब उससे यह जवाब बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने क्रिस्मस ईव्निंग पे अपने हॉस्टिल से कूद के जान दे दी, और उसके हाथ में था एक स्यूयिसाइड नोट.. उसमे उसने लिखा था कि वो किसी से बहुत प्यार करती है लेकिन कभी वो उससे नहीं मिल पाएगी यह सोच के वो अपनी ज़िंदगी जी नहीं सकती, इसलिए वो स्यूयिसाइड कर रही है.. कॉलेज अतॉरिटीस और लोकल पोलीस को कुछ गड़बड़ नहीं लगी इसलिए यह केस ऐसे ही क्लोज़ हो गया..

तब से आप यह सोच के अंदर ही अंदर घबरा रहे हैं कि जो भी हुआ है आपकी वजह से हुआ है और इसलिए अब उधर जाना ही नहीं चाहते..." शीना ने एक साँस में यह सब कह दिया... शीना खामोश हुई कि रूम में एक बार फिर से लंबी खामोशी छा गयी, रिकी ने कभी नहीं सोचा था कि वो ज्योति को सही बात ना बता के कुछ और बता देगी और वो भी इतना कन्विन्सिंग्ली.. जिस अंदाज़ में शीना ने यह बात कही रिकी और ज्योति के सामने, वो हैरान करने वाली तो थी ही, लेकिन उससे ज़्यादा रिकी अंदर ही अंदर काफ़ी घबरा रहा था कि ज्योति ने इस बात को माना या नहीं, और अगर मान भी लिया तो क्या वो सही में इस बात से संतुष्ट है या बस ऐसे ही दोनो को दिखा रही है...





"भैया, दट'स ओके... अब इसमे आपकी क्या ग़लती, प्लीज़ इस बात को भूल जाइए... आंड आम सॉरी अगेन कि मैने आपको यह बात याद दिलाई..." ज्योति ने रिकी से कहा और आगे बिना कुछ कहे उन्हे अकेला छोड़ के वहाँ से चली गयी.... ज्योति के जाते ही शीना ने झट से दरवाज़ा अंदर से लॉक कर दिया और रिकी के पास आके बैठ गयी...





"अब ठीक है ना, मैने उसे कुछ नहीं बताया.." शीना ने रिकी का हाथ पकड़ के बहुत धीरे से कहा... रिकी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वो कैसे रिक्ट करे, शीना की कहानी ठीक थी लेकिन ज्योति ने उसे सही में माना है या नहीं यह सवाल अब तक उसके दिमाग़ में था..





"ठीक है भाई, अब ज़्यादा नहीं सोचो, अगर ज्योति नहीं भी माने इस बात को तो भी क्या फरक पड़ेगा, आप उसके बारे में इतना मत सोचो.." शीना रिकी का हाथ थाम के उसकी बाहों में पसर गयी और उसके हाथ को चूम लिया जिससे रिकी के चेहरे पे भी हल्की सी मुस्कान आ गयी.. उधर स्नेहा और प्रेम अभी भी आगे क्या करें सोच रहे थे और हर 10 मिनट में किसी से फोन पे बात करते और फिर खुद आपस में बातें करते.. "ऐसे नहीं चलेगा दीदी, मिलना ही पड़ेगा अब लगता है..." प्रेम ने स्नेहा से कहा और स्नेहा हामी भर के होटेल से बाहर निकल गयी..




पुणे के खरादी नाम के एरिया में बना होटेल ब्लू रॅडिज़्सन एक आलीशान बिल्डिंग थी... होटेल के रूम नंबर 1203 में कुछ अजीब हरकत ही हो रही थी...






"चलो बताओ, आगे क्या करना पड़ेगा ताकि मैं इन सब से निकल सकूँ.. तुम जो कहोगे मैं करने के लिए तैयार हूँ.." कुर्सी पे एक मोटे लेदर बेल्ट से बँधा हुआ शख्स सामने बैठे शख्स से कहता है
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07-03-2019, 03:49 PM,
#26
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
राजिवर के आने से अमर और सुहसनी को भी अचःई कंपनी मिल गयी थी, दोपहर तक आराम करके तीनो शाम को घूमने निकल गये, राजवीर कई बार मुंबई आ चुका था लेकिन फिर भी वो जब भी आता , महालक्ष्मी और सिद्धिविनायक जाना नहीं भूलता.... इन तीनो को जाते ही ज्योति ने फिर शीना से दारू पीने की बात कही और शीना मान भी गयी.. अब शीना मान गयी तो रिकी कैसे मना करता, इसलिए तीनो इस बार शीना के रूम में इकट्ठे हुए.. ज्योति सीधी लड़की थी उसका मतलब यह नहीं कि उसे दारू और सिगरेट से परहेज़ था, अपने शहर में बाप के सामने सीधी सरल ज्योति, मुंबई में शीना के पास आते ही अपने मौज काटने वाले पार निकल देती.. दारू,सिगरेट, नाइट क्लब,पब या लाउंज कभी मिस नही करती.. राजवीर के सोते ही रात के 10 हो या सुबह के 3, दोनो बहने मौज मस्ती करने निकल जाती.. खैर ज्योति ने अब की बार यह ध्यान रखा कि पहले जैसे रिकी के लंडन की बात निकाल के किसी का मूड नहीं खराब करना.. शीना के रूम की बाल्कनी में
तीन कुर्सियाँ और बीच में एक बड़ा राउंड टेबल, सामने सूरज की किर्ने और समंदर की लहरों की पत्थरों से टकराने की आवाज़ उसपर शराब का सुरूर, तीनो बचे खूब एंजाय कर रहे था और मस्ती बाज़ी में लगे हुए थे..




"भैया, आप जानते हैं यह मेरा सबसे सुनहरा वक़्त है जो मैं आप लोगों के साथ बिता रही हूँ, उधर घर पे ऐसा कुछ नहीं है, बस पढ़ाई और घर.. कहीं दोस्तों के साथ घूमने भी नहीं जा सकती पापा की वजह से. और जहाँ भी जाओ, पापा के कुछ लोग साथ में आते जिससे हम दबे हुए अरमान लेके वापस आ जाते... शीना के साथ इस बार आप भी हैं, तो यह वक़्त मैं ज़िंदगी भर नही भूल पाउन्गी..." ज्योति ने अपना ग्लास खाली कर के कहा




"घर की बात अलग है ज्योति, मैं कितने टाइम से लंडन में हूँ, लेकिन मुझे भी मेरे सुनहरा वक़्त यहाँ घर पे ही मिला, घर वालों के बीच..." रिकी ने शीना की तरफ देख के कहा जिससे शीना भी काफ़ी प्रसन्न हुई और नज़रें चुरा के रिकी को ही देख रही थी....




"अरे अगर ऐसा है तो तुम भी यहीं रुक जाओ ना ज्योति.. यह भी तो तुम्हारा अपना घर है, और पढ़ाई भी रिकी के साथ कर लेना, दोनो मास्टर्स ही तो कर रहे हो.." पीछे से किसी तीसरे की आवाज़ सुन के पहले तीनो डर गये कि दारू पीते हुए पकड़े गये, लेकिन जैसे ही तीनो ने पीछे मूड के देखा तो सबसे पहले चेन की साँस शीना ने ली..




"उफ्फ... भाभी, डरा देते हो आप तो, आइए बैठिए.." शीना ने स्नेहा से कहा और स्नेहा भी शीने के पास आके बैठ गयी..




"हेलो भाभी, कैसे हैं आप.. सुबह से दिखे ही नहीं... बहुत बिज़ी हैं आज कल हाँ.." ज्योति ने अपने लिए दूसरा पेग बनाते हुए कहा




"ऐसा नहीं है ज्योति, कुछ अर्जेंट काम दिया था तुम्हारे बड़े भैया ने, तो उसी के लिए बाहर गयी थी.. तुम बताओ, क्या हाल चाल हैं.. " स्नेहा के दिमाग़ में कुछ और ही चल रहा था ज्योति की बातें सुन के




"बस भाभी, सब बढ़िया, पापा और ताऊ जी नहीं हैं तो थोड़ा एंजाय करने का सोचा, आप प्लीज़ किसी से ना कहें यह सब.."




"बिल्कुल नहीं, और मैने जो कहा उसके बारे में सोचना, सही बोल रही हूँ, इतने बड़े घर में अब ख़ालीपन लगता है, तुम आ जाओगी तो घर में रोनक भी रहेगी और पढ़ाई यहाँ से भी कर सकती हो तुम.. रिकी भी है पढ़ाई में तुम्हारी मदद करने के लिए.. भला इससे अची बात क्या होगी तुम्हारे लिए, पढ़ाई के साथ परिवार भी और मस्ती की मस्ती भी.." स्नेहा ने ज्योति से आँख मारते हुए कहा



स्नेहा की बात से वहाँ बैठे तीनो बच्चे अपने अपने दिमाग़ चलाने लगे, शीना यह सोचने लगी कि अगर ज्योति यहाँ रहेगी तो वो रिकी के करीब कैसे जाएगी और मन ही मन स्नेहा को गलियाँ देने लगी., पहले खुद मदद करने की बात करती है और अब खुद रास्ते में एक मुसीबत ला रही है भाभी.. रिकी का दिमाग़ डर गया था, जाना तो वो भी शीना के करीब चाहता था, लेकिन डर उसे इस बात का था कि अगर ज्योति यहाँ रहेगी तो वो महाबालेश्वर वाली पहेली कैसे सुलझाएगा, शीना अकेली थी तो उसकी कुछ मदद ले लेता, लेकिन फिर ज्योति के रहते वो भी नहीं कर पाएगा, ऐसा नहीं था के ज्योति कुछ मदात नहीं कर पाती लेकिन जितने ज़्यादा लोग उस बात को जाँएंगे उतने ही सवालों का सामना रिकी को करना पड़ता...

ज्योति यह सुन के काफ़ी खुश थी, कि वो यहाँ रह सकती है.. लेकिन इस 10 मिनट की बात में उसने यह ज़रूर गौर किया कि रिकी स्नेहा को देख भी नहीं रहा ना ही उससे कुछ बात कर रहा है, मतलब कुछ तो चक्कर है.. पर वो क्या
हो सकता है उसे पता नहीं लग पाएगा, इसलिए पढ़ाई और मौज मस्ती से ज़्यादा उसे यहाँ रह के अब इसका जवाब पता करने की दिलचस्पी आ गयी.. कहते हैं कि अगर कोई किसी की मदद करे तो लोग उस अच्छी चीज़ को ना देख के यह पता करने में लग जाता है के वो आख़िर मदद कर क्यूँ रहा है.. ज्योति के साथ भी ऐसा था, कुछ देर पहले अपनी ज़िंदगी से थकि हुई लड़की अब अपनी ज़िंदगी भूल के इस घर की बातों के लिए सोचने लगी... यूँ तीनो को खामोश देख स्नेहा को खुद पर काफ़ी गर्व हुआ, कैसे उसके एक वाक्य ने तीनो के दिमाग़ घुमा दिए.. जो लोग पहले हंस खेल के बातें कर रहे थे, अब वोही लोग अपनी सोच में डूबे हुए थे और तीनो में से किसी को आभास नहीं हुआ कि स्नेहा कब उनके बीच से चली गयी अपने कमरे की तरफ




"तीसरा मोहरा मुझे मिल गया है.." स्नेहा ने अपने कमरे में जाके फोन पे किसी से कहा




"कौन है..." सामने से फिर एक आवाज़ आई




"ज्योति राइचंद... और यह फाइनल है, अब मैं अपनी प्लॅनिंग बदल नहीं सकती, फिर चाहे तुम्हे सही लगे या नहीं.. बार बार में बदल नहीं सकती कुछ बातें, तुम बस बैठे बैठे कहो, लेकिन असल में सब काम तो मुझे करना पड़ रहा है ना.." स्नेहा ने थोडा उँचे स्वर में कहा




"कोई बात नहीं है.. जैसा ठीक लगे वैसा करो, लेकिन काम पूरा करना है मुझे.. अब मुझ से और नहीं रहा जाता."




"ठीक है, मुझे कुछ पैसों की ज़रूरत है, 50 लाख ट्रान्स्फर कर दो आज.." स्नेहा ने अपनी सुरहिदार गर्दन पे हाथ फेरते हुए कहा




"5 मिनिट में पहुँच जाएँगे.." कहके सामने से फोन कट हो गया और स्नेहा ने सेम बात प्रेम से भी कही




"ठीक है दीदी, थोड़ा पैसा मुझे भी दीजिए ना प्लीज़.."




"हां भाई, 25 लाख भेजती हूँ, ऐश कर तू भी..." कहके स्नेहा ने फोन कट किया और करीब 5 मिनिट में उसके बॅंक से क्रेडिट का स्मस आया




अमर, सुहसनी और राजवीर तीनो घूम फिर के खाना ख़ाके घर की तरफ लौट आए.. घर आते ही सुहसनी और अमर अपने कमरे की तरफ चल दिए, राजवीर ने ज्योति को फोन मिलाया तो पता चला वो भी शीना और रिकी के साथ बाहर गयी है.. राजवीर अपने कमरे की तरफ निकल गया, लेकिन जैसे जैसे रात बढ़ने लगी उसकी नींद में खलल पड़ने लगा... घड़ी में वक़्त देखा तो अभी सिर्फ़ रात के 11 ही बजे थे , राजवीर कमरे के बाहर आया तो घर पे एक दम सन्नाटा छाया हुआ था, वो जल्दी से नीचे गया और अपने मोबाइल से किसी को फोन करने लगा.. फोन पे बात कर के राजवीर वहीं नीचे बैठ गया और किसी का इंतेज़ार करने लगा.. कुछ 15 मिनिट बीते थे के उसने बाहर गाड़ी की आवाज़ सुनी.. वो जल्दी से मेन डोर की तरफ भागा और सेक्यूरिटी गार्ड के हाथ में 500 का नोट थमा दिया.. गाड़ी अंदर आते ही उसमे से एक बहुत ही खूबसूरत लड़की बाहर आई.. करीब 25-26 साल की होगी, कातिलाना हुस्न के साथ उसकी मुस्कान भी बड़ी कमसिन थी..
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07-03-2019, 03:49 PM,
#27
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"सुबह के 4 बजे लेने आना.." उस लड़की ने गाड़ी के ड्राइवर से कहा और राजवीर की तरफ बढ़ती ही आई




"हाई... आइ आम ज्योति..." उस लड़की ने राजवीर से हाथ मिलाते हुए कहा.. ज्योति नाम सुनते ही राजवीर की आँखें बड़ी हो गयी.. आज बिस्तर गरम करने वाली उसकी बेटी के नाम की ही लड़की है...




"क्या हुआ नाम पसंद नहीं आया क्या." उस लड़की ने फिर से हाथ आगे बढ़ा के कहा




"नहीं, नतिंग लाइक दट.. आइ आम राजवीर.." राजवीर ने लड़की से हाथ मिलाया और बहुत धीरे से उसके हाथों को दबाने लगा.. उस लड़की की स्टाइल, उसका पर्फ्यूम की महक, उसका सिड्यूसिंग ड्रेस करना, यह सब राजवीर को बहुत भाता था.. तभी तो जो चुदाई वो सिर्फ़ 2000 में भी कर सकता है, उस चुदाई के लिए वो हाइ क्लास एस्कोर्ट्स मँगवाता जो कम से कम एक लाख लेती कुछ 5 घंटे बिताने के..




खैर राजवीर ने उसकी कमर में हाथ डाला और धीरे धीरे दोनो उसके कमरे में जाने लगे.. कमरे में आते ही राजवीर ने अंदर से दरवाज़ा बंद कर दिया और ज्योति से शराब के दो ग्लास बनाने के लिए कहा...




"सॉरी मिस्टर राजवीर, मैं अपना टेस्ट नहीं बदलूँगी.. आइ हॅव माइ ओन बॉटल वित मी.." कहके ज्योति ने अपने हॅंडबॅग से जॉनी वॉकर ब्लू लेबल की बॉटल निकाली, जिसे देख राजवीर भी शर्मा गया.. कहाँ वो इतने बड़ा रईस आदमी, ब्लॅक लेबल ले रहा था और कहाँ यह एक लाख की रंडी उसके सामने ब्लू लेबल पी रही थी..




"आइ लाइक युवर टेस्ट ज्योति.. ब्लू लेबल फॉर मी आस वेल.." कहके राजवीर ने अपनी टीशर्ट उतार फेंकी और उसके ज्योति के सामने अपनी चौड़ी सफ़ा चट मज़बूत छाती का प्रदर्शन करने लगा.. राजवीर की छाती देख ज्योति भी नीचे से पानी पानी होने लगी, काफ़ी अरसे बाद उसने असली मर्द और रईस आदमी का कोम्बो देखा था.. उसने झट से दो पेग बनाए और राजवीर के साथ सोफे पे बैठ शराब पीने लगी... एक के बाद एक जब दोनो ने तीन तीन पेग उतारे अपने अंदर , तब ज्योति को थोड़ी गर्मी का एहसास हुआ और उसने अपना जॅकेट उतार दिया.. ज्योति अब उसके सामने एक कॉटन वेस्ट में थी और नीचे से उसने एक ब्लॅक लेदर स्कर्ट पहना था जो उसके घुटनों के थोड़ा उपर तक था.. एक एक पेग दोनो ने और लिया और धीरे धीरे आँखों में आखें मिला के एक दूसरे को देखते और शराब की चुस्कियाँ लेते... एक हाथ से शराब पी रहा राजवीर, दूसरा हाथ ज्योति की नंगी जाँघो पे रख के उसे धीरे धीरे सहलाने लगा.. सहलाते सहलाते राजवीर अपना अंगूठा उसकी चूत के करीब
लाता और फिर बाहर निकाल देता.. ऐसा कई बार करने से ज्योति गरम होने लगी..




"मिस्टर राजवीर, आइ वॉंट टू डॅन्स वित उ.." कहके ज्योति ने राजवीर को सोफे से उठाया और अपना मोबाइल रूम के म्यूज़िक सिस्टम से कनेक्ट करके एक बहुत ही सॉफ्ट म्यूज़िक प्ले कर दिया.. राजवीर ने भी मूड बनाने के लिए रूम की सब बतियां बंद कर दी और जहाँ वो दोनो डॅन्स कर रहे थे सिर्फ़ उस पोर्षन की लाइट ऑन रखी.. म्यूज़िक प्ले होते ही दोनो ने एक दूसरे की कमर में हाथ डाला और एक दूसरे की आँखों में आँखें डाल के डॅन्स करने लगे... जैसे जैसे म्यूज़िक और वक़्त बढ़ता वैसे वैसे दोनो के हाथ चलने लगे, राजवीर ने अपना हाथ कमर से हटा के पीछे चुतड़ों पे रख के उन्हे धीरे धीरे मसल्ने लगा और अपने चेहरे को ज्योति की गर्दन पे रख के अपनी गरम गरम साँसें उसपे छ्चोड़ने लगा..वहाँ ज्योति भी अपने हाथ नीचे खिसकाने लगी और राजवीर की गान्ड के बीच में अपनी हथेली रगड़ने लगी, एक साथ उसकी गान्ड और लंड पे यूँ हमला बोलकर ज्योति राजवीर की गर्दन को चूमने लगी और उसके बालों में अपने हाथ फेरने लगी... जब ज्योति से बर्दाश्त नहीं हुआ उसने अचानक से राजवीर को सोफे पे धक्का दे दिया और खुद उसके सामने अपनी लचकीली कमर हिला हिला के उसे बेल डॅन्स दिखाने लगी.. डॅन्स करते करते ज्योति ने एक एक कर अपनी कमा से स्कर्ट और उसकी पैंटी भी निकाल दी.. अब वो सिर्फ़ एक कॉटन वेस्ट में थी जो उसके हिमालय जैसे चुचों को ढके हुए थी.. ज्योति ने जब देखा के राजवीर की निगाहें उसके चुचों के फ्री होने का इंतेज़ार कर रही है, उसने उसे थोड़ा तड़पाने का सोचा और अपनी वेस्ट को थोडा उपर किया और चुचों की झलक दिखा के फिर उन्हे ढक दिया..









ज्योति बार बार ऐसा करके राजवीर के अरमानो के साथ खेल के उसे तड़पाती रहती और उसका मज़ा लेती.. जब ज्योति पलटी और म्यूज़िक बीट्स पे अपनी गान्ड हिला हिला के राजवीर की आग और भड़का रही थी, तभी राजवीर सोफे से उठा और झट से ज्योति को पीछे से दबोचा और उसकी वेस्ट उतार फेंकी.. एक हाथ उसने ज्योति के चुतड़ों पे रखा और एक हाथ आगे ले जाके उसने ज्योति के चुचों पे रखा और शरीर के दोनो अंगो को एक साथ मसल्ने लगा.. जब उसे यह भी काफ़ी नहीं लगा, तब राजवीर ने अपनी जीभ ज्योति की गर्दन पे फेरना चालू किया.. ऐसा प्रहार आज तक ज्योति ने किसी पे नहीं किया था, अब तड़पने की बारी उसकी थी..




"आहाहा उम्म्म्म... युवर आ रियल मेन राजवीर उफ़फ्फ़....." ज्योति सिसकती हुई बोली और अपनी गान्ड को थोड़ा और पीछे करके राजवीर के लंड पे घुमाने लगी... राजवीर के लंड को उपर से ही महसूस करके ज्योति की चूत फिर रसियाने लगी.. उपर से उसे लगा जैसे अंदर कोई बड़ी सी लोहे की रोड छुपा के रखी है राजवीर ने... उसके लंड के बारे में सोच सोच के ज्योति कमज़ोर महसूस करने लगी और धीरे धीरे पिघलती हुई राजवीर के कदमों में ढेर हो गयी.. ज्योति ने बिना वक़्त गँवाए अब अपना चेहरा राजवीर से मिलाया और बड़ी नाज़ूक्ता से राजवीर के ट्रॅक को उतारने लगी.. एक अलग ही केमिस्ट्री बन रही थी दोनो के बीच, ज्योति की आँखें राजवीर से मिली हुई थी और उसके हाथ राजवीर के लंड पे चल रहे थे.. राजवीर के लंड और उसकी गर्मी को हाथों में महसूस करते ही ज्योति की सिसकी निकली




"अहाहहाहहा...उम्म्म्ममम, लुक्स यम्मी.." ज्योति ने राजवीर की आँखों में देख के कहा और धीरे धीरे राजवीर के लंड को अपनी हलक के नीचे उतारने लगी... राजवीर के आनंद की कोई सीमा नहीं थी, मज़े में आके उसका सर खुद बा खुद पीछे की ओर झुका और "आअहहस्सिईईई...." की आवाज़ उसके मूह से निकली.. जब ज्योति ने देखा के राजवीर आनंद में डूबा हुआ था, उसने लंड को अपने मूह से निकाले बिना राजवीर के टट्टों पे अपने बड़े बड़े नखुनो से हल्का सा हमला किया जिससे राजवीर के आनंद में भंग पड़ा और उसने फिर अपनी आँखें ज्योति से मिलाई, यह देख ज्योति की आँखों में फिर एक मस्ती की लहर दौड़ गयी... जब ज्योति ने देखा लंड अब पूरा अकड़ चुका है और वो चुदने के लिए बेताब हो चुकी है उसने सोफा पे जाके अपने पेर खोल दिए और राजवीर को अपनी चिकनी चूत दिखा के लंड डालने का इशारा किया.. राजवीर आगे बढ़ा और 69 पोज़िशन में आ गया.. जब तक ज्योति को पता चलता कि राजवीर क्या करना चाहता है, तब तक राजवीर ने अपनी जीभ को ज्योति की चूत
में घुस्सा दिया था और उसे चाटना शुरू किया... ज्योति पैड एस्कॉर्ट थी, वो सिफ मज़े देती थी, लेकिन आज राजवीर उसे मज़े दे रहा था.. ऐसा उसने कभी नहीं सोचा था , चूत चटवाते चटवाते उसने राजवीर के लंड को फिर मूह में ले लिया और वापस उसे चूसने लगी.....




"आआहः राजवीर आम कमिंग अहहा सक फास्टर प्लीज़.." ज्योति ने जैसे ही यह कहा, राजवीर ने उसकी चूत छोड़ दी और ज्योति को अपनी बाहों में उठा के पास में बने बड़े टेबल के पास ले गया और उसे खड़ा किया.. पीछे से जाके उसने ज्योति की टाँगों को थोड़ा चौड़ा किया और अपना लंड उसकी चूत के होंठों पे घिसने लगा...




"उम्म्म्म आहाः राजवीर, फक मी प्लीज़...आइ कॅंट टॉलरेट दिस अनीमोर..." ज्योति ने चुदाई की विनती की राजवीर से जो आज तक ज्योति ने कभी किसी से नहीं की थी... ज्योति की विनती सुन के राजवीर ने हल्के से अपने लंड को ज्योति की चूत के अंदर घुस्साया और खड़े खड़े ही हल्के हल्के स्ट्रोक्स मारने लगा..... इतनी सुकून वाली चुदाई शायद ही ज्योति को कभी नसीब हुई हो.. वो सातवे आसमान पे थी और बार बार अपनी आँखें घुमा के राजवीर से मिलती और चुदने का मज़ा लेती...










"अहहाहा यस राजवीर आआहहामम्म्म...." खड़े खड़े अब ज्योति भी थोड़ा नीचे अपनी चूत को झुकाती और चुदवाती रहती.. यह देख राजवीर को पता चल गया कि ज्योति अब और नहीं से पाएगी, इसलिए उसने बिना अपना लंड निकाले ज्योति को अपनी बाहों में पीछे से उठाया और चलते चलते सोफा पे ले आया.. सोफा पे ज्योति को उसके पेट के बल सुला के फिर अपना लंड उसकी चूत में डाला और अब ज़ोर के धक्के देने लगा जिससे ज्योति को और भी मज़ा आता.. अब तक ज्योति जहाँ भी जाती वहाँ 15 मीं में खेल ख़तम हो जाता, शायद ही कोई ऐसा मर्द था जो उसके जिस्म के मज़े 15 मिनट से ज़्यादा ले सका हो, लेकिन अभी चार घंटे हो चुके थे और राजवीर ने अभी उसकी चूत पेलना शुरू किया था.. हर एक धक्के के साथ ज्योति की चीख बढ़ती और उतने ही मज़े की लहर दोनो के शरीर में दौड़ती...

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07-03-2019, 03:49 PM,
#28
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
"आहाहा राजवीर.. मेक मी कम यस, आइ आम कमिंग उफ़फ्फ़ अहहाहा... युवर ज्योति इस कमिंग बेबी अहहहः फक मी हार्ड ना अहहहा.."




युवर ज्योति ईज़ कमिंग, यह सुनके राजवीर ने अपना धक्के और तेज़ कर दिए और अपनी आँखें बंद करके झड़ने का मज़ा लेने लगा.. जैसे ही उसने आँखें बंद की उसे अपनी बेटी ज्योति का चेहरा दिखाई दिया और इसी थरक में उसने धक्के इतने तेज़ कर दिए कि ज्योति के चुतड़ों से राजवीर के लंड के टकराने की आवाज़ पूरे कमरे में गूंजने लगी....




"आहाहा ज्योति अहहाहा आइ लव यू ज्योति अहहहाहा...." आँखें बंद किए हुए राजवीर के मूह से यह शब्द और उसके लंड का पानी एक साथ ज्योति की चूत में निकला... झड़ने के बाद जब राजवीर को हल्का महसूस हुआ तब उसने अपनी आँखें होली और उसे यकीन नहीं हुआ कि अपनी बेटी के बारे में सोचते ही वो झड गया... चुदाई तो वो काफ़ी देर तक कर सकता था और करना भी चाहता था, लेकिन अचानक अपनी बेटी का सोचते ही वो झड गया और उसने उस रंडी ज्योति को बताया भी नहीं के वो झड़ने वाला है... हल्के से उसने अपने लंड को ज्योति की चूत से निकाला और सोफा पे बैठ गया.. ज्योति की चेहरे से वो काफ़ी संतुष्ट लग रही, वो खड़ी हुई और राजवीर से नज़रें मिला ली




"सॉरी, मैं बता नहीं पाया और अंदर ही.." राजवीर ने इतना ही कहा के ज्योति ने उसे टोक दिया




"कोई बात नहीं, कॉंट्रॅसेप्टिव पिल्स ले लूँगी मैं. वॉशरूम कहाँ है... ज्योति ने राजवीर से पूछा और खुद को सॉफ करने चली गयी.. 15 मिनट के बाद वापस आके देखा तो राजवीर अभी भी कुछ सोच रहा था लेकिन ज्योति को वहाँ महसूस करके उसने फिर उसकी तरफ देखा तो ज्योति अपने कपड़े पहन चुकी थी.. बिना देर किए राजवीर ने अपने बीड़ के पास रखे कपबोर्ड में से डेढ़ लाख रुपया निकाला...




"लेकिन बात तो एक लाख की थी.." ज्योति ने पैसे देख के कहा




"एक लाख तुम्हारा, बाकी का पैसा कॉंट्रॅसेप्टिव पिल्स और तुम्हारी दारू का.." राजवीर ने फिर उसे इशारे से दो पेग और बनवाए और दोनो बैठ के पीने लगे... घड़ी पे नज़र डालते ही ज्योति वहाँ से उठी और राजवीर के साथ दबे कदमों के साथ बाहर आई और 5 मिनिट में ज्योति की गाड़ी उसे लेने पहुँची.. ज्योति के जाते ही राजवीर जल्दी से अपने कमरे की तरफ गया और कमरा लॉक कर के फिर अपनी बेटी के बारे में सोचने लगा.... बंद कमरे में राजवीर क्या कर रहा था, यह सब कोई था राइचंद'स में, जो देख रहा था और देख के काफ़ी संतुष्ट भी हुआ
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07-03-2019, 03:50 PM,
#29
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
ज्योति के जाते ही, राजवीर बार बार सोच रहा था कि उसकी बेटी की छवि उसके मन में आई ही क्यूँ, आख़िर ऐसा हुआ क्यूँ. और तो और जैसे ही उसकी बेटी ज्योति की छवि सामने आई, वो उसी वक़्त क्यूँ झाड़ दिया... काफ़ी बार ऐसा हो चुका थे कि राजवीर जब भी किसी के साथ संभोग करता तो अपनी मर्ज़ी से झाड़ता, लेकिन आज उसकी बेटी का चेहरा सामने
आते ही वो झाड़ गया, यह ख़याल उसे बार बार सता रहा था.. अपने रूम में काफ़ी देर तक राजवीर जागता रहा और इस बारे में सोचने लगा, लेकिन उसे कुछ हाथ नहींलगा....




"क्या मैं अपनी बेटी को ही वैसी नज़रों से देखने लगा हूँ अब.." राजवीर ने खुद से सवाल किया और फिर एक ही पल में खुद को जवाब दिया




"नही, ऐसा नहीं हो सकता... ज्योति मेरी बेटी है...कौन बाप ऐसा सोचता है अपनी बेटी के बारे में..." कहके राजवीर ने अपने लिए दारू का एक पेग बनाया और वहीं बैठे बैठे

दारू पीने लगा.. दारू अंदर जाती रही लेकिन ज्योति का ख़याल दिल से बाहर नहीं निकला.. राजवीर की आँख कब लगी उसे खुद पता नहीं चला... उधर रिकी के साथ शीना और

ज्योति नाइट लाइफ एंजाय करने पहुँचे "क्लब रायल्टी" जो कि बांद्रा में ही था.. जहाँ एंट्री में रिकी को देख के काफ़ी लड़कियाँ पिघलने लगी, वहीं ज्योति और शीना को देख क्लब में हर एक लड़के के लंड सलामी देने लगे... दोनो के लिए कलर ऑफ दा ईव था पिंक... शीना ने खुले बालों के साथ पिंक स्कर्ट और ब्लॅक लूज टॉप सेलेक्ट किया जिसमे से

उसकी खुली छाती का नज़ारा आराम से दिख रहा था, वहीं ज्योति ने भी सेम लुक अपनाया था लेकिन फरक यह था क्यूँ कि ज्योति थोड़ी सी कलर में डार्क थी, उसने ब्लॅक टॉप के बदले वाइट टॉप चुना और साथी प्रॉपर आक्सेसरीस और हाइ हील्स...




वहाँ खड़े जितने भी लोकल लौन्डे थे, शीना को देख के उन्हे समझने में देर नही लगी के यह मुंबई की ही है.. लेकिन ज्योति के शरीर की कसाहट और उसका रंग रूप देख,

सब हक्के बक्के रह गये.. हर कोई ज्योति और शीना के साथ बात करना चाहता, लेकिन रिकी के रहते किसी की हिम्मत नहीं हुई.. कॉर्नर टेबल तीनो के लिए बुक था इसलिए तीनो

अपनी जगह पे जाके बैठ गये और अपने लिए ड्रिंक्स ऑर्डर कर दिए.. तीनो आपस में बातें करके अपनी ड्रिंक्स एंजाय कर रहे थे और माहॉल का मज़ा ले रहे थे.. यह ज्योति का

फेव क्लब था, ज्योति जब भी मुंबई आती यह क्लब में ज़रूर आती और यहाँ काफ़ी वक़्त बिताती.. आज पहली बार वो रिकी के साथ यहाँ आई थी इसलिए वो काफ़ी खुश थी..

क्लब का माहॉल कुछ ऐसा था कि काफ़ी लो लाइट बल्ब्स जल रहे थे और कॉर्नर में जहाँ यह तीनो बैठे थे वहाँ मुश्किल से किसी की नज़र जाती.. इसलिए तीनो को कोई फ़िक्र

नहीं थी के कोई उन्हे देख सकता है या नहीं, तीनो बस अपनी मस्ती में झूम रहे थे और गा रहे थे..





"यारों मुझे माफ़ करो, मैं नशे में हूँ... बड़ी हसीन है ज़ुल्फो की शाम...." जैसे ही किसी ने डिस्को के लिए यह गाना प्ले करवाया, शीना से रुका नहीं गया और वहीं

टेबल पे बैठे बैठे थिरकने लगी.. शीना को देख रिकी और ज्योति भी उसका साथ देने लगे और उसके साथ गाना गाने लगे... शीना ने बिना इंतेज़ार किए रिकी का हाथ पकड़ा

और उसको डॅन्स फ्लोर पे ले गयी.. लाउड म्यूज़िक, दारू का नशा और साथ में इतनी खूबसूरत लड़की, कोई कैसे मना कर सकता है, फिर चाहे वो खूबसूरत लड़की आपकी बहेन ही क्यूँ

ना हो.. रिकी शीना के कदम से कदम मिला के नाचे लगा और दोनो एक दूसरे की आँखों में खोने से लगे.. मूड बदला , गाना बदला और दोनो के डॅन्स स्टेप्स भी बदले






"नतिंग'स गॉना चेंज माइ लव फॉर यू...यू ऑट टू नो बाइ नाउ हाउ मच आइ लव यू".... जैसे ही यह गाना प्ले हुआ, शीना अपनी टेबल पे वापस जाने लगी, लेकिन पीछे से

रिकी ने उसका हाथ उसका पकड़ा... शीना ने जैसे ही यह महसूस किया, वो पीछे मूडी और मुस्कुराते हुए रिकी को देखने लगी... दोनो किसी कपल की तरह लग रहे थे, अपने ज़ोर

से रिकी ने शीना को उसके पास खींचा और शीना को अपने करीब ला दिया... जैसे ही शीना रिकी के करीब आई, उसके कड़क चुचे रिकी की छाती में धँस गये जिसे रिकी ने भी महसूस किया.. रिकी ने तुरंत शीना की कमर में हाथ डाला और शीना के साथ डॅन्स करने लगा.. डॅन्स फ्लोर पे सब लोग डॅन्स कर रहे थे मस्ती कर रहे थे, लेकिन रिकी और शीना बस एक दूसरे की आँखों में खोए हुए थे... जैसे आँखों आँखों में एक दूसरे से बोल रहे हो





"अब बस भी भाई, कब तक यूही देखते रहोगे.."




"तुम हो ही इतनी खूबसूरत शीना, के अब देखे बिना रहा नहीं जाता, जी चाहता है के बस हमारे इर्द गिर्द सब कुछ रुक जाए और हम युहीन एक दूसरे को देखते रहें"




"इतना प्यार उस वक़्त कहाँ था जब इतना दूर रहते थे मुझसे .."




"इसलिए तो मैं उस वक़्त की भरपाई करना चाहता हूँ, अब जितना भी वक़्त है वो सब तुम्हारे नाम है.."




"जो चीज़ हो ही नहीं सकती उसकी बात ही क्यूँ करनी...."




"आज़मा के देख लो शीना, ना नहीं निकलेगी..."
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07-03-2019, 03:50 PM,
#30
RE: Antarvasna kahani वक्त का तमाशा
इन दोनो से दूर बैठी ज्योति यह सब देख रही थी, कुछ वक़्त तो उसे नॉर्मल लगा, लेकिन जैसे जैसे वक़्त निकलता रहा और सॉंग्स बदलने लगे, इन दोनो का ध्यान बिल्कुल भी एक दूसरे से नहीं हट रहा था.. दोनो किसी प्रेमी जोड़े की तरह खोए हुए थे, आस पास क्या हो रहा है उन्हे कोई होश नहीं था.. रिकी के एक हाथ में शीना का हाथ और उसका दूसरा हाथ शीना की कमर में और शीना का दूसरा हाथ रिकी के कंधे पे... रिकी को थोड़ी शरारत सूझी और धीरे धीरे वो शीना की कमर पे हाथ घुमाने लगा.. शीना का टॉप कुछ इस प्रकार था के पीछे से उसकी आधी चिकनी कमर बिल्कुल नंगी थी जिसका फ़ायदा उठाके उसे सहला रहा था और उसकी इस शरारत को शीना भी एंजाय कर रही थी.. शीना को यह सब अटेन्षन आख़िरकार मिल गया जिसका इंतेज़ार वो कब्से कर रही थी..





"ह्म्‍म्म्म, कुछ तो गड़बड़ है यहाँ... थॅंक यू स्नेहा भाभी, यहाँ रुकने का सजेशन दिया, अब मैं यहीं रुक के पता करूँगी कि आख़िर चल क्या रहा है इस घर में " ज्योति ने खुद से कहा और एक ब्लडी मार्टिनी ऑर्डर कर दी..





जैसे जैसे वक़्त बढ़ने लगा, डॅन्स फ्लोर पे भीड़ भी कम हो गयी और शीना और रिकी भी अब कुछ होश में आए..दोनो ने जब टेबल की तरफ देखा तो तो ज्योति वहीं बैठी अपनी ड्रिंक्स एंजाय कर रही थी.. शीना और रिकी ने एक दूसरे को देखा और एक एक करके ज्योति के पास गये, शायद दोनो को अजीब लग रहा था के इतनी देर से उन्होने ज्योति को अकेला छोड़ दिया था.. जब पहले शीना और 5 मिनिट बाद रिकी आके टेबल पे बैठा, तब ज्योति बोली





"आइए, आइए.. दा बेस्ट कपल टुनाइट..."




ज्योति की यह लाइन सुन के रिकी और शीना दोनो सकपका गये, दोनो जानते थे कि ज्योति को बुरा तो लगा होगा पर उन्होने ऐसा एक्सपेक्ट नहीं किया था.. इसलिए दोनो बस ज्योति को ही घूरे जा रहे थे...





"यूँ घूर क्यूँ रहे हैं, डॅन्स तो दोनो ऐसे कर रहे थे जैसे सही में कपल हो, जब डॅन्स करके ऐसा कुछ फील नहीं हुआ तो मेरे शब्दों से ऐसे भाव क्यूँ अब..." ज्योति गुस्सा या चिड़चिड़ी नही, पर सीधे मूह से अपनी बात कर रही थी... यह स्टाइल उसे जैसे राजवीर से प्राप्त की हुई हो, अपनी बात बिना किसी एक्सप्रेशन के कह देना, ताकि सामने वाला आपको जवाब देने से पहले सोच में पड़ जाए..





"अब चलें या और भी डॅन्स करना है आज..." ज्योति ने बड़े धीरज से कहा और अपना क्लच उठा के बाहर की तरफ आराम से चल दी.. उसके हाव भाव या शब्दों से या उसकी चाल से, कहीं से नहीं लग रहा था कि ज्योति ने यह सब गुस्से में कहा, इसलिए रिकी समझ नहीं पा रहा था कि वो उसे कहे क्या... ज्योति के पीछे पीछे शीना भी चल दी और कुछ वक़्त में रिकी भी बाहर आ गया.. क्लब से घर कुछ 20 मिनट की दूरी पे था, लेकिन वो 20 मिनट शीना और रिकी को काफ़ी लंबे लग रहे थे.. दोनो कुछ नहीं बोल रहे थे, बस खाली सड़क पे ही नज़रें जमाए हुए थे.. ज्योति अपनी मस्ती में गाने गा रही थी, कार में गाने सुन रही थी और दोनो को अब्ज़र्व भी कर रही थी.. देखते ही देखते घर भी आ गया और तीनो अंदर जाके अपने अपने कमरे की ओर बढ़ने लगे..





"मैने ऐसा तो क्या कहा, कि आप इस तरह बिहेव कर रहे हैं...जो देखा वोही कहा, उसमे बुरा लगने वाली कुछ बात नहीं थी...थॅंक्स फॉर दिस ईव एनीवेस.." ज्योति ने अपने कमरे की ओर बढ़ने से पहले रिकी और शीना से कहा..





"भाई, यह तो बुरा मान गयी.. शिट...." शीना ने झल्ला के कहा






"कोई बात नहीं, और हां... मैं सोच रहा था हम लोग कहीं घूमने चलें..." रिकी ने मुस्कुरा के कहा





"अभी तो घूम के आए यार हम" शीना का ध्यान अभी भी ज्योति की बातों पे था




"हम मतल्ब, सिर्फ़ तुम और मैं...." कहके रिकी ने उसे गुड नाइट किस दी और अपने कमरे की तरफ चला गया,कुछ ही सेकेंड्स में शीना भी वहाँ से चली गयी





उधर ज्योति ने थोड़ी ड्रिंक ज़्यादा कर ली थी इसलिए वो हल्के से सुरूर में थी, धीरे धीरे चलके ज्योति कमरे के पास पहुँची और जैसे ही दरवाज़ा ओपन किया, सामने का नज़ारा देख के उसकी आँखें खुली की खुली रह गयी, और उसके मूह से हल्की से चीख निकली



"ओह माइ गॉड ........."
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