Antarvasna kahani हवस की प्यासी दो कलियाँ
09-17-2018, 01:15 PM,
#31
RE: Antarvasna kahani हवस की प्यासी दो कलियाँ
मैं: (एक दम मदहोश होकर मस्त हो चुकी थी) ऑश आरके तेज करो ना ऑश आरके उंह प्लीज़ सीईईईईईईई उंह 

अब मुझसे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था…इसलिए मैं अपने आप पर काबू ना रख पे और मदहोशी की हालत मे ये सब बोलने लगी थी….इसका कुछ असर आरके पर भी हुआ उनकी स्पीड अब थोड़ी तेज हो गयी थी…पर अभी एक मिनिट ही गुज़रा था कि, आरके ने कस कस के 4-5 शॉट लगाए और फिर हान्फते हुए मेरे ऊपेर लूड़क गये….और पता नही क्यों पर मेने भी एक दो बार अपनी कमर को झटका दिया और मैं बिलखते हुए झड़ने लगी.

आरके झड़ने के बाद मेरी बगल मे लूड़क कर लेट गये….मैं भले ही झड तो गयी थी पर मेरी आत्मा संतुष्ट नही थी….पर ये सोच कर शायद पहली बार है तो हो सकता है कि, आरके अपने ऊपेर कंट्रोल ना रख पाए हों…मैने आपने आप को सांत्वना दी…पर एक बात ये भी थी कि मैं झड चुकी थी….और मैं अब अपने आप को बहुत हलका महसूस कर रही थी….

तभी आरके उठे और बाथरूम मे चले गये…फिर थोड़ी देर बाद वापिस और अपना अंडरवेर पहन कर लेट गये…” टीनू अपनी नाइटी पहन लो…और लाइट ऑफ कर दो. मैं बहुत थका हुआ हूँ….मुझे नींद आ रही है….” आरके की ये बात सुन कर मुझे धक्का सा लगा…पर आरके का पहला दिन था इस बॅंक मे तो शायद काम ज़्यादा होगा…यही सोच कर मेने अपनी ब्रा पेंटी और नाइटी उठाई और बाथरूम मे चली गयी…और फिर अपनी चुनमुनियाँ सॉफ करके सब पहन कर बाहर आई और लाइट ऑफ करके आरके के पास आकर लेट गयी. 

आरके ने मेरी तरफ करवट ली और मुझे बाहों मे भर कर लेट गये….पता नही कब नींद आई पर नींद बहुत बढ़िया आई थी…अगले दिन जब उठी तो देखा आरके बॅंक जाने के लिए रेडी हो चुके थे…..मेने घड़ी मई टाइम देखा तो 7 बज चुके थे….”उठ गयी तुम….चलो जल्दी से फ्रेश होकर नीचे आ जाओ….दीदी नाश्ते के लिए बुला रही है…”

मैं: पर आप इतनी जल्दी कहाँ जा रहे है बॅंक तो 10 बजे खुलता है ना….?

आरके: हां पर मुझे रास्ते मे भी कुछ काम है….

तभी भाभी ऊपेर आए और उन्होने डोर नॉक किया….मैं बेड से उठ कर खड़ी हो गयी. आरके ने डोर खोला तो भाभी अंदर आई उनके होंटो पर शरारती मुस्कान फेली हुई थी. “डॉली आज 1 जुलाइ है…आज स्कूल खुल रहे है…तुम्हे स्कूल जाना है या नही….? “ 
भाभी के कहने पर याद आया कि, आज स्कूल भी खुल रहे है…मेने भाभी की तरफ देखा तो वो तैयार हो चुकी थी….

मैं: भाभी आप जा रहे हो….?

भाभी: हां आज वकेशन के बाद पहला दिन है जाना तो ज़रूरी है….

मैं: ठीक है भाभी मैं अभी तैयार होकर नीचे आती हूँ…वैसे भी लेट हो रहा है.

भाभी: कोई बात नही आरके बाइक से हमें स्कूल तक छोड़ देगा….

मैं जल्दी से बाथरूम मे घुस गयी….शवर लेने के बाद तैयार हुई…सुहागिनों वाला मेकप किया….हाथ मे लाल छुड़ा पहने मैं नीचे आई…फिर सब ने मिल कर नाश्ता किया और फिर भैया से मिल कर हम घर से निकल पड़े….भैया अब व्हील चेर पर बैठते थे इसलिए गेट बंद करने जैसे काम खुद ही कर लेते थे….इसलिए घर की कोई फिकर नही थी….

हम स्कूल शुरू होने से 5 मिनिट पहले ही वहाँ पहुँच गये…मेने आरके को बाइ कहा और भाभी के साथ स्कूल के अंदर आ गयी…सभी स्टूडेंट्स प्रेयर के ग्राउंड मे पहुँच चुके थे…तभी जय सर ने मेरी तरफ देखा और मुस्कुराते हुए मेरी तरफ आए…”अर्रे डॉली तुमने शादी कर ली और बताया भी नही….क्या हम इस लायक नही कि तुम हमें शादी मे इन्वाइट करती…..”

मैं: नही सर ऐसी बात नही है…..आप से कॉन सा परदा है….आप तो जानते ही है कि ये मेरी दूसरी शादी है…और भैया का आक्सिडेंट भी इसलिए कोर्ट मे मॅरेज की थी कोई ताम झाम नही…..

जय सर: ओह्ह सॉरी डियर मैं तो भूल ही गया था…तुम्हे शादी की ढेरो शुभ कामनाएँ….

फिर तो जैसे पूरे स्कूल मे शोर सा पड़ गया था कि, डॉली मेडम की शादी हो गयी. ललिता को जब पता चला कि मेने शादी कर ली है तो मेरे पास दौड़ी चली आई….

ललिता: कोंग्रथस मॅम….

मैं: थॅंक्स ललिता तुम्हारी वकेसन्स कैसी गुज़री….

ललिता: बहुत अच्छी मॅम…

फिर सभी टीचर्स के साथ इधर उधर की बातें हुई….और फिर क्लासस शुरू हो गयी… मेरा पहला पीरियड 11थ क्लास के गर्ल सेक्षन मे था…और दूसरा 11थ के बाय्स सेक्षन मे.. मैं राज के साथ वो सभी घटिया पल भूल चुकी थी…पर जब दूसरी पीरियड के बेल बजी तो एक दम से दिमाग़ मे राज का ख़याल आया…पर फिर अपने सर को झटक दिया कि, अब मुझे उससे कोई लेना देना नही है…मैं जब क्लास मे पहुँची तो वो मुझे वहाँ नही मिला. शायद वो आज स्कूल नही आया था….

ऐसे ही स्कूल ऑफ हो गया….मैं और भाभी घर वापिस आ गये….उस दिन आरके रात को 9 बजे घर आए तो और ज़्यादा थके हुए लग रहे थे….उस रात भी उसी तरह का सेक्स हुआ…आज भी आरके का बाबूराव मुझे सॉफ्ट फील हो रहा था…पर मैं उस रात भी झड़ी.. धीरे 10 जुलाइ आ गयी…..पर राज ने अभी तक फिर से स्कूल आना शुरू नही किया था.. अब मुझे कुछ अजीब सा लग रहा था….
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09-17-2018, 01:15 PM,
#32
RE: Antarvasna kahani हवस की प्यासी दो कलियाँ
हाफ टाइम चल रहा था….मेने देखा कि ललिता ग्राउंड मे अकेली बेंच पर बैठी हुई है. मैं उसके पास चली गयी…मुझे देख कर वो मुस्कुराते हुए बोली….”आइए मॅम बैठिए..” 

मैं उसके साथ बैठ गयी….

मैं: आज भी अकेली बैठी हो….

ललिता: जी….

मैं: अच्छा ललिता राज स्कूल नही आ रहा कहाँ है वो….? जब से स्कूल शुरू हुए है वो एक दिन भी नही आया…

ललिता: (उदास लहजे मे) पता नही मॅम उसका मोबाइल भी स्विच ऑफ आ रहा है…उसके किसी फ्रेंड को भी नही पता…

मैं: तुमने जय सर से पूछा वो उनके ही घर मे रहता है ना…..?

ललिता: नही कैसे पूछुन्गी अगर उन्होने ने कहा कि क्यों पूछ रही हो तो क्या जवाब दूँगी….मॅम प्लीज़ आप पूछिए ना सर से….आप तो पूछ ही सकती है ना….प्लीज़ मॅम…..

मैं: ओके ठीक है पूछुन्गी….

हाफ टाइम ख़तम हो गया….फिर एक पीरियड लगाने के बाद मेरा फ्री पीरियड था…इसलिए मैं जय सर के कॅबिन मे चली गयी…मेने डोर नॉक किया तो जय सर ने मुझे अंदर आने को कहा….”आओ बैठो डॉली….” मैं जय सर के सामने चेर पर बैठ गयी….जय सर अपने लॅपटॉप मे कुछ काम कर रहे थे….काम ख़तम करने के बाद उन्होने ने मेरी तरफ देखा….”हां बोलो डॉली कोई काम था क्या….?”

मैं: जी वो मैं ये पूछने आई थी कि, जबसे स्कूल शुरू हुआ है वो आ नही रहा.. आज 10 दिन हो गये स्कूल शुरू हुए….

जय: उसका आक्सिडेंट हो गया था 20 दिन पहले….बहुत मुस्किल से बचा है….

मैं: (एक दम चोन्कते हुए) आक्सिडेंट कैसे अब कैसा है वो…?

जय सर: अब ठीक है उसके मम्मी पापा भी आए हुए है…रात को बाइक से कहीं से आ रहा था….तो रास्ते मे एक तेज कार ने टक्कर मार दी….अभी 2 मंत लग जाएँगे उसे पूरी तरह ठीक होने और स्कूल दोबारा जाय्न करने मे…

मैं: ये तो बहुत बुरा हुआ उसके साथ….उसकी पढ़ाई भी खराब हो गयी है…

जय: नही वैसे तो मैं उसको रोज घर पढ़ाता हूँ….और खुद भी वो पढ़ रहा है….इसलिए शायद ज़्यादा नुकसान ना हो….

उसके बाद मैं वहाँ से बाहर आ गयी….स्कूल ऑफ होने के बाद ये बात मेने ललिता को बताई तो उसकी शकल रोने जैसी हो गयी….मुझे ललिता पर बहुत तरस आ रहा था…जिसको ये लड़की इतना प्यार करती है….जिसके लिए वो इतना दुखी हो रही है कि अभी रो पड़े… वो उसके लायक है ही नही….शायद इसलिए राज के साथ ऐसा हुआ है…
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09-17-2018, 01:15 PM,
#33
RE: Antarvasna kahani हवस की प्यासी दो कलियाँ
मैं फिर भाभी के साथ घर वापिस आ गयी….दिन इसी तरह गुजर रहे थे…उधर आरके और मेरी सेक्स लाइफ एक महीने मे ही पेसेन्जर ट्रेन की तरह हो चुकी थी..एक महीने मे ही हम एक हफ्ते बाद सेक्स पर आ चुके थे…वो भी जब आरके का मूड होता. 

29-सेप्तेम्बर: उस दिन स्कूल ख़तम होने के बाद जय सर ने कुछ टीचर के साथ मीटिंग रखी…मीटिंग इस लिए थी कि, 10थ और 12थ क्लासस के बोर्ड के एग्ज़ॅम थे…इसलिए 1 सितंबर से इन दो क्लासस के एक्सट्रा क्लासस शुरू होने जा रहे थे….स्कूल 2 बजे ऑफ होता था… अब 10थ और 12थ क्लास को 5 बजे तक स्कूल मे ही पढ़ाया जाना था….इसके लिए स्टूडेंट्स से कुछ एक्सट्रा फीस लेकर टीचर्स को भी दी जानी थी….

मैं बड़ी क्लासस को पढ़ाती थी…इसलिए मुझे भी 1 सेप्टेमबर से 5 बजे तक स्कूल मे रह कर पढ़ाना था….पर भाभी को तो 2 बजे ही छुट्टी मिल जानी थी…मीटिंग के एंड मे जय सर ने जो अनाउन्स किया उसे सुन कर मैं एक दम से हैरान रह गयी….जय सर ने मुझे स्कूल की वाइज़ प्रिन्सिपल की पोस्ट के लिए चुना था….क्योंकि जय सर ने मीटिंग मे ये बता दिया था कि, अगले दो महीनो के लिए वो स्कूल रेग्युलर नही आ सकेंगे……सब टीचर्स के जाने के बाद मुझे जय सर ने बताया कि, 1 सितंबर से मुझे अपनी नयी पोस्ट के अनुसार 25000 पर मंत सॅलरी भी मिलेगी….ये सुन कर तो मेरे पाँव ज़मीन पर ही नही लग रहे थे….

उस दिन जब घर पहुँची तो देखा कि, आरके पहले से घर पर माजूद थे…मुझे देखते ही वो एक दम से मेरे पास आए और मुझे बाहों मे भरते हुए किस करते हुए बोले…”डॉली आज मैं बहुत खुश हूँ….तुम मेरी लाइफ का लकी चाम हो…दीदी मिठाई लेकर आओ…”

मैं: पर हुआ क्या ये तो पता चले और मिठाई किस ख़ुसी मे…..?

भाभी: ओह्ह हो…कुछ तो शरम करो…गेट पर ही…

मैं आरके से अलग हुई तो भाभी मिठाई का डिब्बा लेकर मेरे सामने आ गयी….और एक रसगुल्ला मेरे मूह मे डालते हुए बोली…”बधाई हो मेरी ननद को….आरके की प्रमोशन हुई है….” भाभी ने आरके की तरफ देखते हुए कहा,…

मैं: (ख़ुसी से उछलते हुए) क्या सच…..? कॉन सी पोस्ट पर पहुँच गये हैं आप…?

आरके: ब्रांच मॅनेजर की पोस्ट पर…वो भी इस डिस्ट्रिक्ट के हेड ऑफीस मे…

मैं: क्या मतलब एक और ट्रान्स्फर…..

हम अंदर आकर भैया के पास बैठ गये…..”अर्रे ज़्यादा दूर कहाँ है….” आरके ने मेरी तरफ देखते हुए कहा….”हां जानती हूँ यहाँ से 150 किमी दूर है….आप कैसे मॅनेज करेंगे…” 

आरके: देखो डॉली अगर कुछ हासिल करना है तो ये सब मुस्किल तो झेलनी ही पड़ेंगी. और कुछ खोना भी पड़ेगा…मुझे वहाँ पर फ्लॅट मिल रहा है…बॅंक की तरफ से… तुम भी साथ चलो छोड़ो ये नौकरी….अगर दिल करे तो वहाँ पर जॉब कर लेना….

मैं: (आरके की बात सुन कर एक दम से सोच मे पड़ गयी…उधर आज ही जय सर ने मेरी प्रमोशन की है और इधर इनकी….अब क्या करूँ…और क्या ना करूँ…लेकिन मेरे भी आरके के साथ चले जाने से भाभी और भैया एक दम अकेले रह जाते…) वो भाभी बात ये है कि वो…

भाभी: अर्रे बोल ना डॉली क्या हुआ इतना क्या सोच रही है….

मेने भाभी को सारी बात बता दी….जय सर ने मुझ पर कितना भरोसा करके मुझे अपने स्कूल की वाइस प्रिन्सिपल बनाया है…और अब मैं एक दम से कैसे उन्हे कह दूं कि मैं अब स्कूल नही आ पाउन्गी….

आरके: कोई बात नही डॉली…..मैं मॅनेज कर लूँगा….और वैसे भी हर सॅटर्डे और सनडे के दिन बॅंक ऑफ होता है….मैं फ्राइडे नाइट को यहाँ पर आ जाया करूँगा…

मुझे अफ़सोस तो था कि, मैं आरके के साथ नही जा पा रही हूँ…पर जय सर को भी जवाब नही दे सकती थी….अगले दिन जब मैं स्कूल पहुँची, तो मेने राज को भी प्रेयर ग्राउंड मे देखा वो ठीक लग रहा था…और अपने दोस्तो से बात कर रहा था. प्रेयर के बाद जब मैं पहली क्लास लेने के लिए जा रही थी….तो मुझे सामने से राज आता दिखाई दिया….मैं उससे बात तो नही करना चाहती थी….पर फिर भी मैं उसकी तबीयत के बारे मे पुछने के लिए रुक गयी….

मैं: अब कैसे हो राज….

राज: (मेरी तरफ देखते हुए) ठीक हूँ…ह्म्म्म चलो आपने एक काम तो सही किया..?

मैं: (उसके सवाल से चोन्कते हुए) क्या….?

राज: आपने शादी कर ली…(उसने मेरे हाथो मे पहना हुआ लाल चुड़े को देखते हुए कहा….)

मैं: हां कर ली है…..

राज: चल अब तुम्हे जो दूसरो की लाइफ मे इंटर्फियर करने के टीस उठती थी वो अब तंग नही करेगी….

मैं: तुम नही सुधरोगे….

मैं वहाँ से अपनी क्लास मे आ गयी…एक बात तो सही थी कि, राज अपनी ओछि हरकतों से बाज़ आने वाला नही था….पर या फिर मैं ही ग़लत थी…हाफ टाइम के बाद एक पीरियड और लगाने के बाद मेरा फ्री पीरियड था…मैं स्टाफ रूम मे बैठी हुई सुस्ता रही थी कि, तभी मुझे पीयान ने आकर कहा कि, जय सर, मुझे बुला रहे है….मैं उठ कर जय सर के ऑफीस की तरफ जाने लगी…मैने जय सर के ऑफीस का डोर नॉक किया तो उन्होने अंदर आने को कहा….

जय सर :आओ डॉली बैठो….

मैं: (सर के सामने चेर पर बैठते हुए) जी सर….

सर: डॉली तुम तो जानती ही हो कि, राज की स्टडी का कितना नुकसान हुआ है… भले ही इस साल उसके बोर्ड एग्ज़ॅम नही है….पर वो अपने सिलबस मे बहुत पीछे है….12थ मे जाकर उसके लिए परेशानी होगी 12थ की स्टडी को कवर करने मे….

मैं: जी सर,

सर: और अब मैं अपनी जायदाद के चक्करों मे ऐसा उलझा हूँ कि, मैं भी टाइम नही निकाल पा रहा…इसलिए तुम्हे यहाँ वाइस प्रिन्सिपल बनाया है….तुम्हारी जगह दो दिन बाद एक और नयी टीचर आ रही है…फिर तुम्हे काफ़ी मदद मिल जाएगी…और तुम्हारे लिए ऑफीस भी तैयार हो जायगा दो दिन मे…ताकि तुम मेरे कुछ काम संभाल सको..

मैं: जी सर, आप बेफिकर हो जाए….मैं संभाल लूँगी…..

सर: वो तो मुझे पता है कि तुम स्कूल को हॅंडेल कर सकती हो….और फिर पूरा स्टाफ भी तुम्हारे साथ है..पर मुझे फिकर राज की है…अब मैं घर पर ज़्यादा टाइम नही रहता. मुझे तुमसे एक फेवर चाहिए था…..

मैं: जी कहिए सर मैं क्या कर सकती हूँ आपके लिए….?
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09-17-2018, 01:16 PM,
#34
RE: Antarvasna kahani हवस की प्यासी दो कलियाँ
सर: डॉली हो सके तो तुम राज को अपने घर पर 1-2 मंत के लिए रख लो….वहाँ कम से कम आवरगर्दी तो नही कर पाएगा…और तुम और तुम्हारी भाभी की देख रेख मे पढ़ भी अच्छा लेगा….

मैं: पर सर वो…..

सर: पर क्या डॉली….देखो मैं तुम्हारे सिवाय किसी और पर भरोसा नही कर सकता…

मैं: पर सर मुझे भाभी और भैया से पूछना पड़ेगा…और आप तो जानते ही हो कि, अब मेरे हज़्बेंड भी साथ मे रहते है…

सर: ठीक है तुम घर पर बात कर लेना…पर मुझे तुम पर बड़ी आस है…

उसके बाद मैं सर के ऑफीस से बाहर आई तो मेरा सर चकरा रहा था…यही सोच सोच कर कि जिस लड़के की शकल तक मैं नही देखना चाहती उसे मैं अपने घर मे रख लूँ…पर अब एक बार फिर से वही जय सर के अच्छे होने का प्रेशर मेरे ऊपेर था. अब ना करू तो भी कैसे करू….मैं स्कूल मे सारा दिन यही सोचती रही….फिर बहुत सोच विचार के बाद मेने ये सोच लिया कि, अब राज अगर मेरे घर मे रहे गा तो वो मेरे साथ कोई बदतमीज़ी नही कर पाएगा…..

क्योंकि घर पर भैया और भाभी हमेशा माजूद होते है….दूसरा कारण ये भी था कि मैं सर को मना नही करना चाहती थी…आज मैं जिस मुकाम पर थी…वो सिर्फ़ सर के उस भरोसे के कारण था….जो उनको मेरे ऊपेर था….अगले दिन से एक्सट्रा क्लासस भी शुरू होने थी…उस दिन मैं और भाभी घर आए तो मेने भाभी को ये बात बताई तो भाभी ने भी हां कर दी….और फिर भैया से पूछा तो उन्होने ने भी यही कहा कि, अगर सर ऐसा चाहते है तो हमें उनकी मदद करनी चाहिए…

3-4 दिन गुजर चुके थी और एक्सट्रा क्लासस भी शुरू हो चुकी थी….जय सर का ड्राइवर मुझे कार से शाम को घर छोड़ देता था…इसलिए शाम को वापिस जाने मे कोई परेशानी नही होती थी….सॅटर्डे के दिन जय सर ने मुझसे कहा कि, कल से राज तुम्हारे घर पर रहने के लिए आ रहा है…अपने कुछ समान के साथ….समान ज़्यादा नही है…एक लॅपटॉप है….उसके कपड़े और उसके बुक्स और स्कूल बॅग…मंडे से वो तुमहरे घर से ही तुम्हारे साथ स्कूल आया करेगा….

उस समय आरके को सॅटर्डे सनडे की छुट्टी थी….इसलिए वो घर पर ही थे… मेने आरके को भी ये बात बता दी थी….आरके ने भी मना नही किया…और अगले दिन सर, हमारे घर आए राज को साथ लेकर….. हमने जो बन पड़ा उनकी वैसी खातिरदारी की. उसके बाद वो वापिस चले गये…..राज को नीचे बैठक के साथ वाला रूम दे दिया था…उसने अपना समान वही पर सेट क्या….आरके एक हफ्ते बाद आए थे. पर मैं उनमे वो जोश नही देख पे थी….जो एक पति अपनी नयी बिहाई पत्नी से एक हफ़्ता दूर रहने के बाद दिखता है….

बिस्तर पर वही स्लो सेक्स और कुछ ख़ास नही….पर इन दो दिनो मे हम दोनो बहुत घूमे फिर शॉपिंग की अच्छे -2 रेस्टोरेंट मे डिन्नर लंच करना ये दो दिन कैसे निकल गये पता नही चला….मंडे को मैं और भाभी स्कूल के लिए तैयार हुए तो देखा कि राज भी स्कूल जाने के लिए तैयार है…पर वो अपनी बाइक से स्कूल जा रहा था…उसने एक बार मेरी तरफ देखा और फिर दूसरी तरफ मूह घुमा लिया…

इन दो दिनो मे मेरे उससे कोई बात नही हुई थी….और ना ही मेने उससे पढ़ाया था.. पर राज अपनी औकात मे रहा था..मतलब उसने घर के अंदर मेरी तरफ आँख उठा कर नही देखा था….खैर मैं और भाभी बस पकड़ स्कूल पहुँचे ….दोस्तो यहा से मेरी लाइफ मे बहुत टर्न आया…जिसने मेरी लाइफ को बदल कर रख दिया था…एक साल से भी कम समय मे बहुत कुछ बदल गया था….कहाँ तो खाने के भी लाले पड़े रहते थे…और अब हर तरफ से इनकम आनी शुरू हो चुकी थी….आरके मेरी और भाभी की सॅलरी को मिलने और घर के सभी खरच और ऐशो आराम के चीज़े खरीदने के बाद भी हम 50000 रुपये महीने का बचा लेते थे……

अब मेरा नेचर भी चेंज होने लगा था…ख़ासतोर पर भाभी का….क्योंकि आरके अपनी सॅलरी मे से अपने लिए खर्चा निकाल कर बाकी का मेरे और भाभी मे बाँट देता था.. भाभी तो अब हर महीने मे एक दो नयी ड्रेस खरीद ही लेती थी….हर सनडे शॉपिंग पर जाती थी…और कुछ ना कुछ खरीद ज़रूर लेती थी….अब चलते हैं इस स्टोरी के उस मोड़ कर जहाँ से सब कुछ बदल जाने वाला था….राज को हमारे घर आए हुए दो हफ्ते बीत चुके थे….और वो एक दम शरीफ बच्चे की तरह घर के सभी क़ायदे नीयम मानते हुए रह रहा था……

इस दौरान वो कभी कभी जब मैं भाभी या भैया के पास बैठी होती, तो वो मुझे अपनी स्टडी के प्राब्लम शेर कर लेता…पर नज़रें उठा कर नही देखता…जब कभी मैं ऊपेर अपने रूम मे अकेली होती तो वो कभी मेरे रूम के अंदर नही आता बाहर से ही डोर नॉक करके खड़ा हो जाता…और मैं उसे बाहर आकर उसकी स्टडी मे आए प्रॉब्लम मे हेल्प कर देती…उसमे आए ये बदलाव मेरे लिए कोई मायने नही रखते थे…पर एक सकून था कि, मुझे उसकी वजह से अब कोई परेशानी नही हो रही थी….

वो दिन भी आम दिनो जैसे ही था….मैं और भाभी तैयार होकर घर से स्कूल जाने के लिए निकली और बस पकड़ कर स्कूल पहुँची….राज उस दिन भी बाइक से ही स्कूल आया था…मंडे का दिन था….और सुबह सुबह ही आरके वापिस चले गये थी….उस दिन जो भी हुआ वो मेरे साथ नही हुआ था…वो सब मुझे बाद मे पता चला था…किससे वो आप खुद ही समझ जाएँगे…..

उस दिन रोज के तरह स्कूल ऑफ हुआ, तो भाभी घर जाने के लिए स्कूल से बाहर निकली 2 बज रहे थे….और मुझे 5 बजे एक्सट्रा क्लासस के बाद छुट्टी होने को थी…जैसे ही भाबी स्कूल से बाहर निकल कर बस स्टॉप की तरफ जाने लगी, तो पीछे से राज की बाइक आकर उनसे थोड़ा आगे जा कर रुक गयी….”आए बैठिए….” राज ने भाभी के पास आने के बाद कहा…”नही राज मई चली जाउन्गी बस से…” भाभी ने दूर से आती हुई बस की तरफ देख कर कहा….

राज: मॅम मुझे भी तो आपके ही घर जाना है….फिर आप बस मे जाकर क्यों फज़ूल पैसे खरच करेंगे….चले बैठिया ना….

भाभी: ओके चलो….(भाभी मुस्कुराते हुए राज के पीछे बैठ गयी…)

मैं रोड तो एक दम सही था…पर जब मेन रोड से उतर कर जो सड़क हमारे एरिया तक जाती थी..उसकी हालत बहुत ख़स्ता थी…भाभी और बाकी के लोग मेन रूड से जो बस से सफ़र करते थे वहाँ उतर कर आगे पैदल ही जाते थी…वैसे वहाँ खड़े रिक्कशे भी मिल जाते थी…पर बहुत पैसे चार्ज करते थे…इसलिए मैं और भाभी वहाँ से पैदल चल कर घर जाया करती थी….पर मुझे तो अब सर की कार ही घर पर ड्रॉप कर देती थी….

खैर स्टोरी की तरफ रुख़ करते है….10 मिनिट बाद भाभी और राज दोनो मेन रोड से घर की तरफ जाने वाली रोड पर आ चुके थे…पहले तो भाभी राज से काफ़ी पीछे बैठी हुई थी…पर जैसे ही बाइक उस खराब रास्ते पर उतरी तो बाइक के गड्ढों मे जंप लगाने से भाभी आगे की तरफ खिसक गयी…भाभी बहुत कम बार बाइक पर बैठी थी... क्योंकि भैया के पास बाइक तो थी ही नही होती भी कहाँ से…

भाभी: आह राज बाइक धीरे चलाओ ना….तुम तो मुझे गिरा ही दोगे….

राज: अब इससे और क्या स्लो चलाऊ….एक तो इस सड़क की हालत बहुत खराब है…

तभी फिर से बाइक का पिछला टाइयर गड्ढे म्व गया और फिर से बाइक थोड़ा सा ऊपेर उछली.. “ओह्ह्ह राज मैं गिर जाउन्गी…” भाभी भी बाइक पर उछल पड़ी

…”मॅम आप मुझे पकड़ लीजिए… फिर नही गिरेन्गी आप….”

भाभी: अच्छा ठीक है…(भाभी राज के साथ सट गयी…उसने एक हाथ राज के टाइट कंधे पर रखा और दूसरा हाथ राज की लेफ्ट साइड मे कमर पर रख कर पकड़ लिया… भाभी के 34ड्ड साइज़ की बड़ी-2 चुचियाँ राज की पीठ मे रगड़ खाने लगी…जिससे राज जो कि इस उम्र मे ही सेक्स के बारे मे ना सिर्फ़ जानता था…बल्कि कर भी चुका था..उसे भी भाभी की कठोर चुचियो का अहसास अपनी पीठ पर हो रहा था…)
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09-17-2018, 01:16 PM,
#35
RE: Antarvasna kahani हवस की प्यासी दो कलियाँ
तभी राज ने एक दम से ज़ोर के ब्रेक लगा डी…तो भाभी की चुचियाँ उसकी पीठ मे बुरी तरह से दब गयी…

..”ओह्ह्ह” राज एक दम से सिसक उठा…और ये हल्की सी सिसकने की आवाज़ भाभी के कानो मे भी पड़ी….” और अगले ही पल जैसे ही उन्हे अहसास हुआ कि उनकी चुचियाँ राज की पीठ मे बुरी तरह धँसी हुई रगड़ खा रही है तो वो एक दम से शरमा गयी….और पीछे की ओर होने लगी….

पर जैसे ही वो पीछे की ओर हुई, तो राज ने फिर से ब्रेक लगा दी…इस बार ब्रेक और जोरदार थी….भाभी फिर से आगे की तरफ खिसक गयी….उसकी चुचियाँ फिर से राज की पीठ मे धँस गयी….रास्ता बहुत खराब था….इसलिए भाभी को पीछे होने का मौका नही मिला….”राज तुम ब्रेक इतना ज़ोर से क्यों लगाते हो आराम से चलाओ ना बाइक.” भाभी ने कसमसाते हुए कहा….

राज: मेडम जी अगर ब्रेक नही लगाउन्गा तो दोनो यही गिर कर धूल चाट रहे होंगे. देख नही रही कि रास्ता कितना खराब है…

भाभी की चुचियाँ को अपनी पीठ पर रगड़ ख़ाता हुआ महसूस करके राज गरम होने लगा था….शायद भाभी का भी यही हाल था….पर वो भी मेरी तरह मान मर्यादाओं मे बँधी हुई औरत थी…खैर थोड़ी देर बाद दोनो घर पहुँच गये… भाभी ने बाइक से उतर कर गेट खोला…क्योंकि एक्सट्रा की भाभी के पास रहती थी.. गेट खोलने के बाद राज ने बाइक अंदर की और बाइक से उतर गया….और बाइक स्टॅंड लगाया. और जैसे ही राज अपने रूम की तरफ जाने लगा तो,

भाभी की नज़र राज की पेंट मे बने हुए उभार पर पड़ी….जिसे देखते ही भाभी का केलज़ा मूह को आ गया….भाभी ने शायद आज पहली बार इतना बड़ा उभार किसी के पेंट मे बना हुआ देखा था…भाभी अपनी नज़र राज की पेंट मे बने हुए उभार पर से हटा नही पा रही थी…और जैसे ही राज की नज़र भाभी से टकराई और उससे पता चला कि भाभी की नज़र कहाँ पर है, तो वो हल्का सा मुस्कुरा पड़ा….

जब भाभी को पता चला कि, राज ने उसे अपने पेंट मे बने हुए उभार को देखते हुए देख लिया है तो वो एक दम से शरमा गयी…और पीछे वाले अपने रूम मे चली गयी…..और वहाँ जाते ही बेड पर लेट गयी….और ये सोच कर और शरमा गयी कि, उनके स्कूल का स्टूडेंट उसकी चुचियो की वजे से हार्ड हो गया था…भाभी का चेहरा एक दम तमतमा उठा….

थोड़ी देर रेस्ट करने के बाद भाभी ने चेंज किया और दोपहर का खाना तैयार करने लगी…भाभी इस बात को एक सैन्योग समझ कर भूल जाना चाहती थी…इसलिए फिर उन्होने इस ओर ध्यान नही दिया…और खाना बनाने लगी….खाना बनाने के बाद भाभी ने भैया को खाना दिया..और फिर राज को खाना देने के लिए उसके रूम मे गयी….रूम का डोर खुला हुआ था…

भाभी को आदत नही थी डोर नॉक करने की….भाभी एक दम से अंदर चली गयी. और अगले ही पल उनके कदम वही जम गये….राज रूम मे अपने सिगल बेड पर लेटा हुआ था..और अपने एक हाथ से अपनी हाफ पेंट (शॉर्ट्स के ऊपेर से अपने बाबूराव को मसलते हुए कुछ सोच रहा था….उसके शॉर्ट मे उसके बाबूराव का उभार और सॉफ दिखाई दे रहा था….शायद उसने शॉर्ट के नीचे अंडरवेर नही डाला हुआ था…. ये सब देखते हुए भाभी के दिल की धड़कने एक दम से तेज हो गयी…उनसे हिला भी नही जा रहा था….

भाभी: (काँपती हुआ आवाज़ मे) र र राज खाना खा लो….

भाभी की आवाज़ सुन कर राज एक दम से हड़बड़ा गया….उसने जल्दी से अपने बाबूराव से अपने हाथ को हटाया और बेड पर उठ कर बैठ गया…भाभी ने अपने आप को नॉर्मल करते हुए, प्लेट को टेबल पर रखा और मूड कर जाते हुए बोली…..”खाना खा लो और कुछ चाहिए हो तो बता देना….” 

ये कह कर भाभी मूड कर बाहर आ गयी….और फिर से अपने रूम मे जाकर बेड पर बैठ गयी…आख़िर ये मेरे साथ क्या हो रहा है…भाभी मन ही मन सोच रही थी…कही राज मेरे बारे मे सोच कर तो नही अपने बाबूराव को नही नही ऐसा नही हो सकता…वो मेरे बारे मे क्यों सोचेगा….वो तो अभी अभी उसके उम्र ही क्या है… नही नही पागल तू ये क्या सोच रही है….ऐसा नही हो सकता…राज ने आज तक तो मुझे कभी ग़लत नज़र से देखा तक भी नही है….

पर कुछ तो ज़रूर है उसके दिल मे पता नही क्या है….मुझे ऐसा नही सोचना चाहिए. उस बच्चे और भला मेरा क्या मेल….अगर उम्र और शरीर के बात करे तो भाभी सोच बिल्कुल सही थी…यहा भाभी 29 साल की अपनी जवानी के पूरे शवाब पर थी. वही अभी राज की तो मून्छे भी आना शुरू नही हुई थी…भाभी से उसकी एज का डिफरेन्स भी बहुत ज़्यादा था….दूसरी बात राज हाइट 5,4 इंच थी….वही भाभी के हाइट 5,10 इंच थी….और अगर वेट की बात करे तो वहाँ भी भाभी राज से 21 ही थी…कुल मिला कर राज भाभी के सामने बच्चा ही था….जहा भाभी का बदन भरा पूरा था…वही राज एक दम स्लिम था…..

खैर स्कूल से आना और उसके बाद खाना बना कर खाना और खिलाना भाभी काफ़ी थक जाती थी…इसलिए वो खाना खाने के बाद सो गयी….2 घंटे आँख लगने के बाद भाभी जब उठी तो 5:15 हो रहे थी….भाभी ने घड़ी मे टाइम देखा और फिर सोचने लगी कि, डॉली भी आने ही वाली होगी…क्योंकि सर, ने जो टीचर एक्सट्रा क्लासस के लिए रुकते थे…उनके लंच का अरेंज्मेंट स्कूल मे ही करवा दिया था…इसलिए मैं खाना वही पर खा लेती थी…

भाभी ने सोचा कि डॉली भी आने ही वाली होगे…इसलिए वो चाइ बना लेती है… भाभी बेड से उठ कर भैया के रूम मे गयी…और भैया को उठा दिया…और फिर भैया के रूम से बाहर निकली तो उन्हे बहुत तेज पेशाब एक दम से लगा..वैसे तो भाभी के रूम मे अटेच बाथरूम था ही….पर भाभी आगे गेट वाले रूम के पास थी. और कॉमन बाथरूम गेट के एक साइड मे था….इसलिए भाभी उस बाथरूम की तरफ चली गयी….
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09-17-2018, 01:16 PM,
#36
RE: Antarvasna kahani हवस की प्यासी दो कलियाँ
भाभी अभी -2 नींद से उठी थी…इसलिए वो बहुत धीरे-2 चल रही थी…भैया के रूम को क्रॉस करके जैसे ही वो बाथरूम के सामने पहुँची तो उनकी नींद से भरी अध खुली आँखे ऐसे फॅट गयी…जैसे उन्होने ने अपने सामने किसी भूत को देख लिया हो…बाथरूम के अंदर लाइट ऑन थी…इसलिए अंदर एक दम सॉफ देखा जा सकता था. भाभी बाथरूम से कुछ ही दूर खड़ी थी….और बाथरूम का डोर थोड़ा सा खुला हुआ था…और उस खुले हुए डोर के अंदर जो नज़र आ रहा था…

. देख कर भाभी साँस लेना भी भूल गयी थी…अंदर राज कमोड के पास खड़ा था..उसने ऊपेर कुछ नही पहना हुआ था…और उसका शॉर्ट उसके घुटनो तक नीचे उतरा हुआ था…भाभी की नज़र . जाँघो के बीच मे झटके खा रहे बाबूराव पर अटकी हुई थी…भाभी के हाथ . सुन्न पड़ चुके थे…जो भाभी को दिखाई दे रहा था. उस पर भाभी को यकीन नही हो रहा था….

राज का बाबूराव एक दम विकराल रूप धारण किए हुए था….गोरे बाबूराव का दहकते हुए लाल सुपाडे पर से तो जैसे भाभी की नज़रें चिपक ही गयी हों….एक दम तन्नाया हुआ बाबूराव 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटाई लिए हुए, उसके बाबूराव की नसें फूली हुई सामने खड़ी भाभी को सॉफ दिखाई दे रही थी……….

तभी राज ने वो किया जिसकी उम्मीद भाभी को बिल्कुल भी नही थी….राज ने अपने बाबूराव को मुट्ठी मे भरते हुए तेज़ी से पकड़ कर हिलाना शुरू कर दया…भाभी ये सब हैरानी से देख रही थी…उसे यकीन नही हो रहा था…कि जिस राज को वो पिछले एक महीने से अपने घर मे देख रही है…वो ये सब भी करता होगा….राज का चेहरा लाल हो चुका था…उसका हाथ अपने बाबूराव पर बहुत तेज़ी से चल रहा था….उसके बाबूराव के नसें अब और फूल चुकी थी….भाभी की हालत ऐसी हो गयी थी कि, काटो तो खून नही…

ये देखते हुए भाभी के हाथ पैर कांप रहे थे…राज अपने बाबूराव को हिलाते हुए कुछ बुदबुदा रहा था….पर भाभी सही से सुन नही पा रही थी….कि राज किसके बारे मे सोच कर बुदबुदा रहा है…भाभी पता नही कब से वहाँ खड़ी ये सब देख रही थी. और अगले ही पल राज के बाबूराव से वीर्य की बोछार होने लगी…एक बाद एक एक ढेर सारा वीर्य राज के बाबूराव से निकलता हुआ नीचे फर्श पर गिरने लगा….ये देखते हुए भाभी की आँखो मे अजीब सी चमक आ गयी….इतना कम लोड भाभी ने शायद पहली बार देखा था…..

जैसे -2 राज के बाबूराव से कामरस झटके ख़ाता हुआ बाहर आ रहा था…वैसे वैसे भाभी की चुनमुनियाँ भी धुनकने लगी थी…जैसे ही भाभी को अहसास हुआ कि, अब राज बाहर आने वाला है…भाभी धीरे-2 पीछे हट गयी….और फिर अपने रूम मे आकर अंदर बाथरूम मे घुस गयी….भाभी ने अपनी मॅक्सी उठाई…और अपनी पेंटी को नीचे सरका कर नीचे बैठ गयी….पेशाब तो पहले से बहुत तेज था….मूत की मोटी धार भाभी की फांको को फैलाती हुई तेज आवाज़ के साथ नीचे गिरने लगी….

भाभी की साँसे अभी भी उखड़ी हुई थी….पेशाब करने के बाद भाभी ने जैसे ही नीचे सर झुका कर अपनी चुनमुनियाँ की तरफ देखा तो उनके चुनमुनियाँ के अंदर से निकले काम रस की एक लार सी नीचे फर्श के तरफ लटक रही थी….भाभी ने अपनी उंगली अपनी चुनमुनियाँ के छेद मे डाल कर देखा तो भाभी की चुनमुनियाँ ना सिर्फ़ मूत से गीली थी…बल्कि उनकी चुनमुनियाँ से निकले हुए उनके कामरस से भी सारॉबार थी…..

भाभी खुद पर बहुत हैरान हो रही थी…आज कई दिनो बाद शायद उनकी चुनमुनियाँ ने उनके जवानी का रस बाहर निकाला था….भाभी ने उसे पानी से अच्छे सॉफ किया..और फिर हाथ पैर धो कर किचिन मे आ गयी और चाइ बनाने लगी….

चाइ बनाते हुए भाभी के जेहन मे बार-2 राज के बाबूराव के छवि बन कर उभर आती… भाभी को यकीन नही हो रहा था….जिस विकराल बाबूराव को उसने कुछ देर पहले देखा था. वो राज का ही है….भाभी सोच रही थी कि, राज का बाबूराव इतना मोटा और लंबा है लेकिन राज को देख कर कोई भी नही कह सकता था कि, इसका बाबूराव इतना बड़ा होगा…और उसके बाबूराव से कितना पानी निकाला…भाभी ने ये सोचते हुए अपने होंटो को आपस मे रगड़ा. इतना पानी तो चेतन दस बार झड़ने पर भी निकाल नही पाते थे…जब हमारी नये-2 शादी हुई थी….

मैं भी स्कूल से घर पहुँच चुकी थी…मैने डोर बेल बजाई तो भाभी ने किचिन से निकल कर बाहर आकर गेट खोला…जैसे ही मैं अंदर आए तो भाभी ने मुझसे कहा कि, डॉली हाथ मूह धो कर चेंज कर ले….मैने चाइ बनाने के लिए रखी हुई है नीचे आकर मेरे साथ ही पीना.

खैर मैं ऊपेर अपने रूम मे गयी…..और कपड़े चेंज किए…वैसे मैं घर आकर नाइटी पहन लेती थी….पर जब से राज आया था….तब से मेने घर आकर सलवार कमीज़ ही पहनना शुरू कर दिया…और भाभी ने भी अपनी शॉर्ट्स नाइटी छोड़ कर फुल लेंथ मॅक्सी पहनना शुरू कर दिया….मैं फ्रेश होकर नीचे आई, और भाभी के साथ चाइ पी. भाभी राज को उसके रूम मे ही चाइ दे दी थी….

मैं इस बात से अंजान थी कि, आज घर मे भाभी के साथ क्या हुआ है….अगर उस समय भाभी ने मुझे ये सब बता दिया होता तो जो आगे होने वाला था…वो ना होता. और ना ही मैं आप सब को यहाँ पर सुना रही होती….खैर वो दिन भी गुजर गया… स्कूल मे अगले दिन से इंटर्नल एग्ज़ॅम शुरू होने थे….इस लिए स्कूल मे छोटी क्लासस के सुबह 8 से 11 बजे तक एग्ज़ॅम होते थे…और बड़ी क्लासस के 11:30 से 2:30 बजे तक. इस दौरान राज के मम्मी पापा भी उससे मिलने के लिए फिर से इंडिया आ गये…और राज अब अपने मम्मी पापा के साथ रहने के लिए जय सर के घर चला गया था….
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09-17-2018, 01:16 PM,
#37
RE: Antarvasna kahani हवस की प्यासी दो कलियाँ
इस दौरान मेने स्कूल मे ही भाभी को राज के साथ बात करते हुए देखा भी.. पर ना ही कभी भाभी से पूछा कि वो क्या बात कर रही है और ना ही कभी जानने की. करती भी क्यों….क्योंकि अब राज हमारे घर रहता था…और भाभी उसे अच्छे से जानती थी…घर मैं खाना देते समय या अगर भाभी को बाहर से कुछ मंगवाना होता तो वो राज को ही कह देती थी….इसलिए भाभी का राज से बात करना मुझे नॉर्मल लगता था….

पर भाभी के अंदर छुपे हुए जज़्बातों से अंज़ान थी….हालाकी उस समय तक भाभी ने राज के बारे मे कुछ ग़लत नही सोचा था….पर राज के बाबूराव को देख कर भाभी इतना तो समझ चुकी थी….राज के बाबूराव से किसी भी औरत की प्यास बुझ सकती है… पर भाभी शायद अभी भी ये सोच कर मन को तसल्ली दे रही थी कि, ये काम ग़लत है और वो हरगिज़ ये काम नही करेंगी…

टाइम अपनी दौड़ जारी रखे हुए था…इंटर्नल एग्ज़ॅम ख़तम हो चुके थे…और 5 ओक्टूबर को रिज़ल्ट भी मेरे सामने था….राज के रिज़ल्ट मे काफ़ी सुधार था….उसके 55 % मार्क्स आए थे….भले ज़्यादा नही थे….पर पहले से बहुत बेहतर थी…नही तो वो मुस्किल से पास होता था…रिज़ल्ट देख कर जय सर भी खुश थे….उन्होने मुझे राज के मम्मी पापा से मिलवाया…और राज के रिज़ल्ट और स्टडी मे जो इंप्रूव्मेंट थी. उसका सारा श्रेय मुझे दिया….

अगले ही दिन राज के मम्मी पापा फिर से अब्रॉड वापिस लौट गये….मुझे भी कुछ राहत महसूस हुई कि, कम से कम राज के रिज़ल्ट पहले से बेहतर आया है..वो भी खास टॉर पर जब वो तीन महीने स्कूल भी ना आ पाया हो….दूसरी तरफ जय सर अभी भी अपनी जायदाद के मस्लो मे उलझे हुए थे…अगले दिन राज फिर से हमारे घर रहने के लिए आ रहा था….उस दिन भी एक्सट्रा क्लासस थी…मेने स्कूल ख़तम होने के बाद भाभी के घर जाने से पहले उन्हे बता दिया था कि…

राज कल से फिर वापिस आ रहा है….और वो राज के रूम को सॉफ कर दें…क्योंकि एग्ज़ॅम के चलते मैं और भाभी दोनो बिज़ी थी…इसलिए राज के जाने के बाद से वो रूम लॉक्ड था…और जैसे ही मेने ये बात भाभी को बताई तो भाभी के चेहरे पर एक दम से ग्लो सा आ गया…होंटो पर एक मुस्कान सी फेल गयी….पर मेने ज़्यादा ध्यान नही दिया….और फिर अपने कॅबिन के तरफ चली आई…

उसी शाम जब 5 बजे स्कूल ऑफ हुआ था….मुझे जय सर राज के साथ बाहर ही मिल गये…”डॉली राज भी तुमहरे साथ ही जाएगा…वो मुझे आज रात को ट्रेन पकड़नी है तो मैं कल स्कूल भी नही आ पाउन्गा….पीछे से हॅंडेल कर लेना…”

मैं: जी सर….

सर: मेने राज का सारा समान रखवा दिया है कार मे…और राज तुम सुनो मुझे किसी तरह की शिकायत नही मिलनी चाहिए….

राज: जी अंकल…..

सर: ओके बाइ डॉली….अगर कोई प्राब्लम हो तो मुझे कॉल कर लेना….

मैं: जी ओके सर….

सर के जाने के बाद हम दोनो कार मे बैठ गये…राज ड्राइवर के साथ वाली सीट पर आगे की तरफ बैठ गया…”ड्राइवर पहले गाड़ी घर की तरफ लो….” राज ड्राइवर से कहा…

मैं: क्यों क्या हुआ अब क्या करना है वहाँ पर….?

राज: मुझे अपनी बाइक लेनी है वहाँ से….

राज ने बड़े ही रूखे स्वर मे कहा तो मैं एक दम चुप हो गयी…ड्राइवर ने कार जय सर के घर की तरफ मोड़ दी…राज घर के बाहर उतर गया…”तुम जाओ मैं बाइक से आ जाउन्गा…” राज ने ड्राइवर को कहा….और ड्राइवर ने गाड़ी घुमा ली…मैं थोड़ी देर मे ही घर पहुँच गयी….भाभी ने गेट खोला….मैं अंदर आई, और भाभी से पूछा…”भाभी वो रूम तो सॉफ कर दिया है ना आपने….”

भाभी: हां कर दिया है मेडम जी…और कोई सेवा हो तो वो भी बता दो….

मैं: नही नही भाभी वो राज अभी आ रहा है….कार मे उसका समान है. ड्राइवर अंदर रख देगा….

भाभी: ओह्ह अच्छा पर वो तो कल आने वाला था…और वो कार मे नही आया क्यों….?

मैं: वो अपनी बाइक लेने चला गया था घर…

भाभी: अच्छा ठीक है तुम ऊपेर जाकर फ्रेश हो जाओ….मैं चाइ बनाती हूँ…

उसके बाद मैं ऊपेर आ गयी….थोड़ी देर बाद राज भी आ गया था…उसने अपना समान फिर से उस रूम मे सेट कर लिया था….

उस रात हम सब खाना खा कर सारा काम निपटा चुके थे….और मैं और भाभी भैया के साथ उनके रूम मे बैठे टीवी देख रहे थे….तो भाभी मुझे बहुत थकि हुई सी लग रही थी….जैसे उनकी तबीयत कुछ ठीक ना हो….

मैं: क्या हुआ भाभी क्या बात है….?

भाभी: कुछ नही डॉली थक जाती हूँ सारा दिन काम करके…पहले स्कूल और फिर घर का…..

मैं: भाभी आप ऐसा क्यों नही करती के, स्कूल के पास जो ढाबा है वही से आते हुए अपने भैया और राज के लिए खाना ले आया करो…..

भाभी: चल ठीक है कल से वहाँ से खाना पॅक करवा कर ले आया करूँगी…कम से कम स्कूल से आने के बाद खाना तो नही बनाना पड़ेगा….

मैं: हां और नही तो क्या….

भाभी: अच्छा डॉली तू मेरा एक काम करेगे….?

मैं: हां भाभी बोलो ना क्या बात है….

भाभी: डॉली देख मेरे दो पीरियड्स फ्री होते है…एक तीसरा और एक सेकेंड लास्ट….तू तीसरे पीरियड की बजाय मेरा लास्ट वाला पीरियड ही फ्री करवा दे…देख एक तो मुझे वन & हाफ अन अवर आराम करने के लिए फ्री मिल भी जाएगा…फिर घर आते हुए कुछ फ्रेश भी हो जाया करूँगी…..

मैं: ठीक है भाभी मैं सोने से पहले ही नया शेड्यूल बना देती हूँ….

भाभी: थॅंक्स डॉली…. “मैं: अर्रे इसमे थॅंक्स वाली क्या बात है…

अगले दिन मैं और भाभी रोज की तरह तैयार होकर स्कूल बस से पहुँची….और मेने जो रात को शेड्यूल बनाया था….वो बाकी के टीचर के साथ शेयर करके बता दिया…वो दिन भी आम दिनो जैसे ही था…पर शायद भाबी के लिए नही….उस दिन भाभी के लास्ट वाले दो पीरियड्स फ्री थे….इसलिए भाभी ने कुछ देर पहले से पीयान को भेज कर ढाबे से खाना पॅक करवा के मॅंगा लिया था….
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09-17-2018, 01:16 PM,
#38
RE: Antarvasna kahani हवस की प्यासी दो कलियाँ
उस दिन जब स्कूल ऑफ होने के बाद भाभी स्कूल से बाहर निकली तो उन्हे राज स्कूल के गेट के बाहर अपनी बाइक पर बैठा हुआ नज़र आया….भाभी उसके पास गयी…और बोली.. “राज यहाँ खड़े हो किसी का इंतजार कर रहे हो क्या….?” भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा.

“जी आपका ही इंतजार कर रहा था….”

भाभी: मेरा इंतजार कर रहे थी…पर क्यों….?

राज: घर चलने के लिए….क्यों आप घर नही जा रही ….

भाभी: हां जा रही हूँ ना..पर बस से…

राज: बस से क्यों बाइक है ना….?

भाभी: ना बाबा ना मुझे मुझे डर लगता है तुम्हारे पीछे बैठने से….

राज: क्यों डर किस लिए लगता है आप को….?

भाभी: तुम बाइक बहुत तेज चलाते हो…

राज: अच्छा आज तेज नही चलूँगा…आप बैठो तो सही…..

भाभी: नही नही मैं नही बैठती तुम्हारी बाइक पर….कही गिर विर गये तो….

राज: अर्रे नही गिरने दूँगा आप बैठो तो सही….कसम से बिल्कुल स्लो ड्राइव करूँगा.

भाभी: रहने दो रहने दो तुम बाइक तो तुम स्लो चला लोगे…पर तुम ब्रेक्स बहुत लगाते हो…मुझे नही बैठना तुम्हारे पीछे…..(भाभी के होंटो पर शरारती मुस्कान फेली हुई थी ब्रेक वाली बात करते हुए) 

राज: अब आगे कोई चीज़ या कोई गड्ढा आएगा तो ब्रेक तो लगानी ही पड़ेगा ना. आप बैठो भी अब….

भाभी: अच्छा अच्छा बैठ रही हूँ..ध्यान से चलना बाइक और ब्रेक कम लगाना…

राज ने खाने का लिफ़ाफ़ा आगे हॅंडेल पर टाँग लिया..भाभी राज के पीछे बाइक पर बैठ गयी…और राज ने बाइक स्टार्ट की और सड़क पर आ गये…स्कूल से थोड़ा दूर आते ही भाभी ने हाथ राज के कंधे पर रख लिया… राज अपनी धुन मे ही बाइक चला रहा था…दोनो एक दम चुप थे….पता नही भाभी को एक दम से क्या सूझा.. और वो चुप्पी तोड़ते हुए बोली…. “ क्या बात है आज ब्रेक्स नही लगा रहे तुम…हा हहा..” भाभी ने हंसते हुए राज को कहा…..

राज: आप ने इतनी सख्ती से मना किया है….मेरी क्या मज़ाल कि मैं ब्रेक लगाऊ… और वैसे भी ब्रेक तो तभी लगाता हूँ जब ज़रूरत होती है….

भाभी खिसक कर राज और करीब आ चुकी थी…अब उसकी चुचियाँ हल्की-2 राज की पीठ पर रगड़ खाने लगी थी….बाइक कुछ ही देर मे फिर से वही खराब रोड पर थी…”राज यहा से ध्यान से चलाना बाइक…” भाभी ने सहमी से आवाज़ मे कहा और फिर खुद ही राज के साथ बिकुल सट कर बैठ गयी….भाभी ने अब दूसरा हाथ राज की कमर पर रख लिया था…

भाभी की चुचियों की रगड़ को अपनी पीठ पर महसूस करके राज फिर से हार्ड होने लगा था….जिस तरह से भाभी की चुचियाँ राज की पीठ पर धँसी हुई थी…राज को भाभी की चुचियों का एक दम नरम अहसास हो रहा था…और राज का ध्यान बाइक से हट चुका था…तभी बाइक के सामने से अचानक एक बिल्ली गुज़री….जैसे ही राज को अचानक अपनी बाइक के आगे से वो बिल्ली गुजरती दिखाई दी….राज एक दम से चोंक गया. 
“ओह्ह तेरी….” राज ने जोरदार ब्रेक मारी…

तो भाभी एक दम से चीखते हुए राज की पीठ के ऊपेर पूरा झुक गयी….बाइक रुक चुकी थी…और कोई नुकसान नही हुआ था…भाभी इस तरह ब्रेक लगाने से बेहद डर गये थी…भाभी ने अपनी सांसो पर काबू पाते हुए कहा…” क्या हुआ राज इस तरह बाइक चलाई जाती है क्या….? “ भाभी ने थोड़ा सा गुस्सा दिखाते हुए कहा…” अभी मेने गिर जाना था….” भाभी ने थोड़ा पीछे होकर बैठते हुए कहा….

राज: इसमे मेरी क्या ग़लती है….वो बिल्ली एक दम से आगे आ गयी थी…आप तो बच्चों की तरह डरती हो….

भाभी: क्या मैं डरती हूँ….मैं नही डरती वर्ती…डर तो तुम गये थे….तभी तो चिल्ला रहे थे….

राज: कॉन मैं मैं कब चिल्लाया और हां मर्द का जिगरा रखता हूँ….मैं नही डरता किसी भी चीज़ से…..(राज ने फिर बाइक चला दी…और ड्राइव करते हुए बोला…)

भाभी: अच्छा मर्द और तुम हाहः हाँ वेरी फन्नी…..

राज: (बाइक चलाते हुए) क्यों इसमे फन्नी वाली क्या बात है और हँसने वाली तो कोई बात नही है…..

भाभी: हाहाहा तुम और मर्द अभी तो तुम बच्चे हो…..

राज: अच्छा मैं बच्चा हूँ….

भाभी: और नही तो क्या….तभी तो बिल्ली को ऐसे देख ओह तेरी-2 चिल्ला रहे थे….

राज: अच्छा बच्ची तो आप है….जो बात -2 पर डरती रहती हो….

भाभी: अच्छा बच्चू…खुद डर गये तो मुझे बच्ची कह रहे हो….

राज: ना तो मैं किसी से डरता हूँ और ना ही बच्चा हूँ….आप अपने दिमाग़ से ये ग़लत फेहमी निकाल ही दो तो अच्छा है…..

भाभी: अच्छा मुझे ग़लत फेहमी है…अच्छा तो एक चीज़ ऐसी दिखा दो…..कि मैं कह सकूँ कि तुम बच्चे नही हो…..

भाभी के ये वर्ड राज के लिए चॅलेंज की तरह थे….ये बात भाभी नही जानती थी…या फिर वो खुद जान बुझ कर राज को उकसा रही थी…”ठीक है टाइम आने पर दिखा भी दूँगा….” राज ने भाभी के इन वर्ड्स को चॅलेंज की तरह लेते हुए कहा. “अच्छा आइ विल सी…और मैं इंतजार करूँगी…” भाभी ने हंसते हुए कहा और आग मे और घी डाल दिया…”वैसे क्या दिखाओगे तुम मुझे…हाहाहा हा…”

राज: जब मौका आएगा तो दिखा दूँगा….मैने तो बड़े बड़ों को बस कर दी है. 

भाभी: ओह्ह इतना सेल्फ़ कॉन्फिडेन्स या फिर ऐसे ही गप्पे हांक रहे हो….

राज: गप्पे नही मार रहा….बस एक बार मौका मिल जाए तो आपको भी दिखा दूँगा कि मेने कैसे बड़े बडो की बस करवाई है…

भाभी: अच्छा ये बात है….चलो देख लूँगी तुम कितनी बस करवाते हो…

राज: ज़रूर…..अगर मौका आया तो आप भी देख लेना…

राज भले ही कम उम्र का था…पर दीपा से सेक्स का पाठ पढ़ कर वो इन दोहरे अर्थ वाली बातों को अच्छी तरह समझता था….और भाभी की बातें सुन कर राज ये समझ चुका था…कि कही ना कही भाभी भी उसमे इंट्रेस्टेड है….” चलें उतरें मॅम घर आ गया…” राज ने बाइक को घर के बाहर रोकते हुए कहा….और भाभी बाइक से नीचे उतरी…

भाभी: (राज की तरफ दिलकश अदा के साथ मुस्कुरा कर देखते हुए) मॅम तो स्कूल मे हूँ याहान घर पर नही….

राज: अच्छा तो फिर आपको घर पर क्या कहूँ…

भाभी: हां ये भी सोचने वाली बात है….वैसे अगर मैं तुम्हारे स्कूल मे टीचर नही होती, तो तुम मुझे क्या कह कर बुलाते….

राज: (थोड़ी देर सोचने के बाद) आंटी और क्या….

भाभी : (राज कंधे पर हल्का सा मुक्का मारते हुए) तुम्हे मैं आंटी नज़र आती हूँ…

राज: तो फिर और क्या कह कर बुलाया करूँ….?

भाभी: (कुछ देर सोचने के बाद) तुम मुझे भाभी भी कह सकती हो…..

राज: भाभी ?

भाभी: हां क्यों क्या हुआ….?

राज: हुआ तो कुछ नही…पर आप तो डॉली मॅम के भाभी है…और वो भी मुझसे बड़ी है और आप उनसे भी बड़ी हो….और हो सकता है कि डॉली मॅम को अच्छा ना लगे.

भाभी: (कुछ देर सोचने के बाद) ओके ठीक है फिर आंटी कह लेना…..
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09-17-2018, 01:16 PM,
#39
RE: Antarvasna kahani हवस की प्यासी दो कलियाँ
भाभी ने घर का गेट खोला और राज ने बाइक अंदर करके खड़ी कर दी….”राज जल्दी चेंज करके फ्रेश हो जाओ….मैं खाना लगा रही हूँ….” भाभी ने बाइक के हॅंडेल से खाने का पॅक उतारा और अंदर चली गयी…राज भी अपने रूम मे चला गया… भाभी ने पहले चेंज किए बिना ही खाना एक प्लेट मे डाला और भैया को उनके रूम मई देने चली गयी…..और भैया को खाना देकर अपने रूम मे गयी. और कपड़े चेंज करके स्लीव्लेस्स शॉर्ट नाइटी पहन ली…

और फिर खाना लेकर किचिन के सामने बरामदे मे लगे हुए छोटे से डाइनिंग टेबल पर बैठ गयी…राज भी चेंज कर फ्रेश हुआ, और पीछे की तरफ आया तो जैसे ही उसने भाभी को देखा तो एक दम से दंग रह गया…भाभी चेयर पर बैठी हुई थी. उनकी एक दम गोरी और चिकनी जांघे उनकी शॉर्ट नाइटी की वजह से सॉफ नज़र आ रही थी… और उनके गोरी बाहें भी….राज फटी आँखो से भाभी को एक टक देखते हुए उनके पास आ गया…क्योंकि भाभी ने राज के सामने कभी शॉर्ट नाइटी नही पहनी थी. इसलिए राज भाभी के इस रूप को देख कर एक दम दंग रह गया था….

भाभी: (राज को जब अपनी तरफ ऐसे घुरते हुए देखा तो उनके होंटो पर तीखी मुस्कान फेल गयी….) अब मुझे ही देखते रहोगे….कि खाना भी खाओगे…

भाभी ने दूसरी तरफ फेस करके मंद-2 मुस्कुराते हुए कहा….राज भाभी के बिकुल पास वाली चेयर पर बैठ गया…..”चलो पहले खाना खा लो...मुझे तो तुम रोज ही देखते हो…” भाभी ने राज की ओर देखते हुए कहा…”ओह्ह हां…” राज ने खाना खाना शुरू कर दिया….”वैसे मॅम आप इस नाइटी मे एक दम हॉट लग रही हो…” राज ने खाना खाते हुए कहा….

भाभी: मेरे साथ फ्लर्ट कर रहे हो….(भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा….)

राज: लो जी मैं तो आपकी सच्ची तारीफ कर रहा था….और आप इसे फ्लर्ट समझ रही हो तो इसमे मेरा कोई दोष नही….

भाभी: जानती हूँ जानती हूँ….आज से पहले तो कभी मेरी झूठी तारीफ भी नही की थी तुमने….

राज: ओह्ह कम ऑन मॅम पहले मैं आपको जानता ही कितना था…

भाभी: अच्छा और अब कितना जानने लगे हो मेरे बारे मे….

राज: कुछ ख़ास तो नही…पर अगर आप चाहें तो आप को जल्द ही अच्छे से जान जाउन्गा….(राज ने भाभी की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए कहा)

भाभी: अच्छा अगर मैं चाहूं तो ह्म्म…और अगर मैं ना चाहूं तो….?

राज: तो फिर इस ग़रीब की किस्मत मे जो हो….

भाभी (हंसते हुए) हहा हाँ बड़े तेज हो तुम राज….बातें बानाना तो कोई तुमसे से सीखे…सच मे बहुत चालाक हो तुम….

राज: मॅम मुझे बातें ही तो बनाना नही आता…जो दिल मे होता है वही बोल देता हूँ.

फिर भाभी और राज ने खाना खाया…और राज अपने रूम मे चला गया…भाभी ने बर्तन सॉफ किए…और अपने रूम मे आकर टीवी लगा कर देखने लगी…तभी उसे अपने रूम की तरफ बढ़ते हुए कदमो की आहट सुनाई दी….जब भाभी ने डोर की तरफ देखा तो राज रूम की तरफ आ रहा था….भाभी बेड पर लेटी हुई थी…उसी शॉर्ट नाइटी मे राज को आता देख भाभी उठ कर बैठ गयी…

भाभी: कुछ चाहिए था क्या राज…..?

राज: नही वो अकेला बैठा बैठा बोर हो रहा था…सोचा कि थोड़ी देर टीवी देख लेता हूँ. और आपसे बात भी कर लूँगा…

भाभी: अच्छा टीवी देखने ही आए होगे….मुझसे बात करने का तो बहाना है…आओ बैठो.

फिर भाभी और राजने कुछ देर वहाँ बैठ कर वही बाते की और जब भाभी को लगा कि मेरे घर आने का टाइम हो रहा है तो, भाभी ने राज के ये कह कर उसके रूम मे भेज दिया की उन्हे नींद आ रही है…राज के जाने के बाद भाभी ने अपनी शॉर्ट नाइटी उतार कर आम मॅक्सी पहन ली…

आग तो दोनो तरफ बढ़की हुई थी….पर पहल कोई नही करना चाहता था…पर जिस्मानी आग धीरे-2 सुलगते हुए उन दोनो को करीब ला रही थी….उस रात को मुझे आरके का फोन आया कि, मैं 1 दिन की लीव लेकर उनके पास आ जाउ…क्योंकि अगला दिन फ्राइडे का था. और फिर उससे अगले दो दिन आरके को छुट्टी थी…आरके ने कहा था कि, वहाँ से सुबह 6 बजे बस मिल जाती है….और मैं मंडे को सुबे 8 बजे तक स्कूल मे पहुँच जाउन्गी…मेने प्लान बनाया कि मैं फ्राइडे को स्कूल जाके कुछ पीरियड आटेंड करूँगी…और आरके फ्राइडे रात को आने वाले है तो सॅटर्डे को उनके साथ चली जाउन्गी…. 

इससे मुझे सिर्फ़ एक दिन की लीव लेनी पड़ेगी…अगले दिन भी सेम रूटीन के मुताबिक मैं और भाभी बस से स्कूल पहुँचे और वही सब बच्चों को पढ़ाना और स्कूल के कुछ और काम करना…अगले दिन ऑफ के बाद भाभी ने खाना पॅक करवा लिया… और जब वो स्कूल से बाहर निकली तो राज उन्हे वही खड़ा मिल गया…

दोनो एक दूसरे के तरफ देख कर मुस्कुराए….और भाभी इस बार सीधा जाकर राज की बाइक के पीछे बैठ गयी….राज ने बाइक ड्राइव करना शुरू कर दिया…जैसे ही बाइक स्कूल से थोड़ा आगे हुई, भाभी खिसक कर राज के साथ सट गयी…आज तो भाभी खुद ही अपनी चुचियों को राज की पीठ पर दबा रही थी….राज के बाबूराव का बुरा हाल था. दोनो घर पहुँचे और भाभी ने सब को खाना दिया…आज भाभी ने वही लोंग लेंग्थ मॅक्सी पहनी हुई थी….भाभी जब बर्तन उठाने के लिए भैया के रूम मे गये तो, उनकी नज़र डीवीडी प्लेयर पर पड़ी हुई एक डीवीडी पर पड़ी…..

उसके ऊपेर कोई रेपर नही था….पर उस पर छोटा सा टाइटल लिखा हुआ था… “सेक्स वित माइ आंट….” भाभी ने कभी पहले कोई ऐसी वीडियो नही देखी थी….भैया खाना खा कर सो चुके थे…इसलिए भाभी ने बिना आवाज़ किए हुए वो डीवीडी उठा ली और फिर बर्तन उठा कर बाहर आई और सारे बर्तन किचिन मे रख लिए…और फिर उस डीवीडी को लेकर अपने रूम मे आई अंदर से डोर लॉक करके उस डीवीडी प्लेयर को ऑन करके उस डिस्क को लगा लिया…

जैसे ही वो वीडियो स्टार्ट हुई भाभी की साँसे एक दम से फूल गयी….जबर्दश्त सेक्स सेसेन देख कर भाभी एक दम गरम हो गयी थी…उसकी पेंटी उसकी चुनमुनियाँ से निकले कामरस से एक दम भीग चुकी थी….भाभी ने जल्दी से डीवीडी बाहर निकाली और भैया के रूम मे जाकर रख दी…जैसे ही भाभी बाहर आने को हुई तो भैया एक दम से उठ गये. और भाभी को कहा कि उन्हे उनको व्हील चेयर पर बैठा दें….भाभी ने उनको व्हील चेयर पर बैठा दिया….

भाभी फिर से अपने रूम मे आ गयी….भाभी की चुनमुनियाँ मे आग इस कदर बढ़की हुई थी…उनका बस नही चल रहा था…नही तो वो अभी राज से चुदवा लेती…. भाभी जो अपने आप पर इतने सालो से काबू किए हुए थी….आज पूरी तरह बहक चुकी थी…लेकिन भैया की माजूदगी मे वो चाह कर भी कुछ नही कर सकती थी…भैया अपनी व्हील चेयर से बाहर आ कर बरामदे मे बैठ गये थे…हालाँकि भैया सीढ़ियाँ नही चढ़ सकते थे…पर मेरा रूम लॉक होता था…और उसकी दोनो कीस मेरे पास ही होती थी…

खैर उस दिन भाभी बहुत चुदासी हो गयी थी…वो जब भी राज के सामने से गुजरती तो दोनो के बीच मे आँखो ही आँखो मे बात होती…अगले दिन फ्राइडे रात को आरके घर आ गये थे….मेने भाभी को अभी तक नही बताया था कि, मैं कल आरके के साथ दो दिन के लिए घूमने जा रही हूँ….उस रात जब मेने भाभी को बताया कि आरके के साथ जा रही हूँ और उनको अपने रूम के कीस दी तो उनके चेहरा एक दम से खिल उठा था…आँखो मई तेज चमक आ गयी थी….

शायद भाभी उसी पल से अपने प्लान के बारे मे सोचने लग गयी थी…हम सब नीचे भैया के रूम मे बैठी बातें कर रहे थे और राज अपने रूम मे था. तब भाभी ने बातों बातों मे मुझसे कहा….

भाभी: डॉली सिर्फ़ दो दिन के लिए ही जा रही हो आरके के साथ….?

मैं: जी भाभी…

भाभी: अब जा रही हो तो कम से कम 4-5 दिन तो वहाँ रुकती….

मैं: भाभी मंडे से ये बॅंक चले जाएँगे तो मैं फिर सारा दिन वहाँ क्या करूँगी. और वैसे भी आप को तो पता है…स्कूल के वाइस प्रिन्सिपल होने के नाते बहुत सी ज़िम्मेदारियाँ है…

भाभी : हां वो तो है….

उसके बाद मे और आरके अपने रूम मे ऊपेर आ गये….उस दिन भी मैने आरके के साथ किया….पर अब आरके मुझे बहुत कम ही संतुष्ट कर पाते थे…मुझे तो याद भी नही कि कब आरके के साथ सेक्स करते हुए मैं आख़िरी बार झड़ी थी….अगली सुबह मैं और आरके तैयार होकर जल्दी ही घर से निकल गये….दूसरी तरफ आज भाभी और राज एक साथ स्कूल जा रहे थे…राज की बाइक पर….और आज भाभी किसी और ही मूड मे थी….भाभी सुबह ही सारी प्लॅनिंग करके घर से निकली थी….
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09-17-2018, 01:16 PM,
#40
RE: Antarvasna kahani हवस की प्यासी दो कलियाँ
भाभी आज राज के साथ बाइक पर ऐसे सट कर बैठी हुई थी कि, जैसे एक पत्नी या लड़की अपने बाय्फ्रेंड और पति के पीछे बैठती है….भाभी ने अपना राइट हॅंड राज की जाँघ पर आगे लेजा कर रखा हुआ था….और उसके हाथ के स्पर्श से ही राज का लंड हार्ड हो चुका था. “आज क्या बात है आज आप बहुत खुस लग रही हो…” राज ने ड्राइव करते हुए कहा…

भाभी: हां खुस तो हूँ पर पता नही क्यों….

राज: अच्छा….

भाभी: आज ब्रेक नही लगा रहे तुम…

राज: अब भला मुझे ब्रेक लगाने की क्या ज़रूरत…

भाभी: क्यों क्या हुआ….

राज: जिस चीज़ के लिए ब्रेक लगाता था…वो तो आज मुझे वैसे ही मिल रही है….

भाभी: (राज के कंधे पर मुक्का मारते हुए) बकवास बंद करो….तुम्हे बात करते हुए शर्म भी नही आती…(भाभी दबे होंटो से मुस्कुरा रही थी…)

राज: अब जो सच है वही तो कह रहा हूँ….

ऐसे ही बातें करते हुए, स्कूल आ गया….भाभी अपनी क्लास की तरफ चली गयी..अभी स्कूल शुरू होने मे टाइम था…इसलिए ज़्यादातर बच्चे बाहर ग्राउंड मे ही थे…राज सीधा ललिता की क्लास मे चला गया….ललिता राज को देख कर एक दम खुश हो गयी…और राज के पास आई और उसके हाथ पकड़ते हुए एक डेस्क पर बैठ गयी… “ कहाँ रहते हो आजकल जनाब जी…” ललिता ने मुस्कुराते हुए कहा….

राज: तुम्हे तो पता ही है ललिता अंकल ने मुझे उस डॉली के घर मे फँसा दिया है. वहाँ से निकल नही पाता मैं….

ललिता: राज मेने सुना है कि, डॉली मॅम आज कहीं आउट ऑफ स्टेशन गयी हुई है….

राज: हां वो अपने हज़्बेंड के साथ गयी घूमने….

ललिता: (शरमा कर मुस्कुराते हुए) तो फिर आज स्कूल के बाद मेरे साथ चलो ना घर पर….मम्मी भी तुम्हारा पूछ रही थी कि, राज बहुत दिन हो गये आया ही नही यहा पर….

राज: अच्छा चलता हूँ तुम्हारे साथ…..पर मुझे कुछ मिलेगा तो नही वहाँ पर..

ललिता: क्यों…?
राज: वो तुम्हारी दीदी…हमेशा सर के ऊपेर चढ़ि रहती है….ललिता मैं तुम्हे जी भर कर प्यार करना चाहता हूँ….तुम्हारे होंटो को किस करना चाहता हूँ…

ललिता: तो फिर आ जाओ ना आज घर पर….वैसे भी दीदी और पापा मॅरेज मे गये हुए है…कल वापिस आने वाले है….

राज: तो ठीक है…तुम स्कूल के अगले मोड़ पर ऑफ होने के बाद मेरा इंतजार करना.. कहीं डॉली मॅम की भाभी की नज़र हम दोनो पर ना पड़ जाए….

ललिता: ठीक है मैं तुम्हारा वेट करूँगी….

उसके बाद क्लासस शुरू हो गयी….जब सेकेंड लास्ट पीरियड शुरू हुआ तो, भाभी स्कूल से निकल कर पास वाली मार्केट मे चली गयी…वहाँ पर वो एक मेडिसिन के स्टोर मे गये. और अपने पर्स से डॉक्टर की लिखी हुई मेडिसिन की स्लिप मेडिकल स्टोर वाले को देते हुए बोली…”ये नीचे वाली टॅब्लेट्स दे दो….” ये टॅब्लेट्स कोई आम टेबल्स नही थी… ये टॅब्लेट्स नींद की थी….और इतनी तेज थी कि आदमी वो टॅब्लेट्स लेने के बाद बेहोश ही हो जाता था..

ये टॅब्लेट्स तब मरीज़ को दी जाती थी….जब किसी का कोई बड़ा आक्सिडेंट हुआ हो….और उसे बहुत ज़यादा पेन की वजह से नींद ना आ रही हो….शुरू -2 मे भैया को भी वो मेडिसिन्स देनी पड़ती थी…वैसे तो मेडिकल स्टोर वाले ये मेडिसिन ऐसे नही देते थे…पर डॉक्टर की स्लिप थी….और भाभी ने बड़ी ही सफाई के साथ उसके ऊपेर लिखी हुई डेट को चेंज कर दिया था..और जब मेडिसिन खरीदेने वाला भाभी जैसा पढ़ा लिखा इंसान हो तो मेडिकल स्टोर वाले ज़्यादा ध्यान नही देते….

भाभी ने वहाँ से 10 टॅब्लेट्स ली और वापिस आते हुए ढाबे पर खाना पॅक करवा लिया. और फिर से स्कूल मे आ गयी….स्कूल ऑफ होने से कुछ देर पहले ही राज स्टाफ रूम मे पहुँच गया…उसने वहाँ पर भाभी को ये बहाना बना कर कहा कि, वो किसी ज़रूरी काम से सर के घर जा रहा है…और शाम को ही घर वापिस आजाएगा… और फिर वो स्कूल से बाहर निकल कर वही अपनी बाइक से जाकर खड़ा हो गया….

जहाँ पर उसने ललिता से मिलने को कहा था….भाभी राज की बात सुन कर एक दम उदास हो गयी थी…. पर भाभी जानती थी कि, उसके पास आज के रात कल का दिन और कल रात बहुत टाइम है….स्कूल ऑफ हुआ तो भाबी बस पकड़ कर घर पर चली गयी….और उधर ललिता राज के साथ उसकी बाइक पर बैठ कर उसे अपने घर ले गयी….भाभी घर पहुँच चुकी थी और भाभी के लिए वक़्त आज बहुत धीरे चल रहा था

वो बार-2 घड़ी मे टाइम देखती….तो कभी बाहर आकर गेट खोल कर खड़ी हो जाती… शाम ढल चुकी थी…पर राज अभी तक नही आया था…भाभी मन ही मन अपने आप को कोस रही थी कि, उनके पास राज का मोबाइल नंबर नही है…रात के 7 बज चुके थी. भाभी रात का खाना भी बना चुकी थी…तभी बाहर से बाइक के हॉर्न की आवाज़ आई तो भाभी भागती हुई गेट की तरफ गयी…और गेट खोला….राज को देख कर भाभी ने नाराज़गी से अपना मूह चढ़ा लिया…

राज ने बाइक अंदर की…भैया अपने रूम मे बैठे टीवी देख रहे थे…भाभी ने गेट बंद किया…और बिना राज की तरफ देखे हुए किचिन मे चली गयी…राज ने भी भाभी की तरफ नही देखा…वो जानता था कि, भाभी उससे नाराज़ है…पर राज बिना कुछ कहे अपने रूम मे चला गया…फिर चेंज करके फ्रेश हुआ और ऊपेर छत पर आ गया….क्योंकि ऊपेर छत पर पीछे की तरफ सिर्फ़ मेरा ही रूम था…और रूम के अंदर ही अटेच बातरूम था…फिर रूम से बाहर निकलते हुए एक साइड मे किचिन था…जिसे हम यूज़ नही करते थे….

और किचिन और रूम के आगे 12 फीट तक बरामदे की छत थी…और बाकी के हिस्से पर छत नही थी….ऊपेर खुले आसमान के नीचे ठंडी हवा चल रही थी…. राज वहाँ पर नीचे चटाई बिछा कर लेट गया….नीचे भाभी ने राज को ऊपेर जाते हुए देखा था…खाना बनाने के बाद वो भी छत पर आ गये….उन्होने उस समय भी मॅक्सी ही पहनी हुई थी….ऑक्टोबर का एंड चल रहा था..

इसलिए मौसम चेंज हो गया था…रात को मौसम बहुत अच्छा और ठंडा हो जाता था… भाभी गाली के साइड मे बाउड्री पर झुक कर खड़ी हो गयी और नीचे देखने लगी
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