Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
04-05-2019, 01:26 PM,
RE: Antarvasna Sex kahani वक़्त के हाथों मजबूर
सीता फिर निशा के पास आती हैं और उससे कहती हैं- मैं जानती हूँ कि मेरी बेटी कभी ग़लत कर ही नहीं सकती.. इस लिए मैं तुम्हें राहुल के पास छोड़ कर जा रही हूँ तुम्हारे रहने से राहुल को थोड़ी हिम्मत मिलेगी....और बेटा अब राहुल को तू ही संभाल सकती हैं.. और वैसे भी अब तू उसके बहुत करीब हैं और वो तेरा एक अच्छा दोस्त भी हैं... अगर तुझे दोस्ती के लिए कुछ भी करने पड़े तो पीछे मत हटना...क्यों कि राहुल जैसा तेरे लिए जीवन साथी कोई और मिल ही नहीं सकता....



निशा- नहीं मा... अब मैं राधिका की जगह कभी नहीं ले सकती... और अगर राहुल ने मुझसे शादी भी कर ली तो वो मुझे कभी भी राधिका का दर्ज़ा नहीं दे पाएगा.....



सीता- बेटी वक़्त वो इलाज़ हैं जो बड़े से बड़े ज़ख़्मों को भी भर देता हैं..देख लेना एक दिन सब ठीक हो जाएगा......थोड़ी देर के बाद निशा के मम्मी पापा वहाँ से अपने घर की ओर निकल पड़ते हैं मगर निशा वहीं रुक जाती हैं...



राहुल- ठीक हैं काका आप चाहें तो यहाँ पर रह सकते हैं.. अगर आप मेरे पास रहेंगे तो मुझे बहुत खुशी होगी... राहुल के रिक्वेस्ट को शंकर काका मना नहीं कर पाते और वहीं रामू काका के साथ उसी बंगले में रहने लगते हैं.....



फिर धीरे धीरे शंकर काका बिहारी के सारे राज़ बताते चले जाते हैं और उसके हर एक अड्डे के बारे में भी.. कहाँ कहाँ उसके आदमी हैं और किससे उसके तालुकात हैं...



करीब एक घंटे के बाद राहुल थोड़ा फ्री होता हैं तब निशा उसे उसके बेडरूम में ले जाती हैं- तुम थोड़ा आराम कर लो राहुल... मैं यहीं तुम्हारे पास हूँ... अगर किसी भी चीज़ की कोई ज़रूरत पड़े तो मुझसे बे-झिझक माँग लेना....



राहुल- निशा मैं कुछ देर सोना चाहता हूँ.... मुझे थोड़ा आराम करना हैं फिर राहुल वहीं सोता हैं मगर फिर उसकी आँखों से आँसू निकल पड़ते हैं.... तभी निशा उसके पास आती हैं और राहुल के सिर को अपनी गोद में लेकर उसके सिर पर बड़े प्यार से फिराती हैं...थोड़ी देर के बाद राहुल गहरी नींद में डूबता चला जाता हैं.



करीब 1 घंटे बाद राहुल की नींद खुलती हैं...निशा वहीं बेड पर बैठी हुई थी....



निशा- आर यू ऑलराइट राहुल...किसी चीज़ की अगर कोई ज़रूरत हो तो तुम मुझसे बेझिझक कह सकते हो.....



राहुल- नहीं निशा मैं ठीक हूँ....एक बात तुमसे कहना था...सोच रहा हूँ तुमसे कहु की नहीं...



निशा बड़े प्यार से मुस्कुरा देती हैं- कहों राहुल...क्या बात हैं...



राहुल- सोच रहा हूँ कि तुम आज रात मेरे पास रुक जाती तो मुझे बहुत खुशी होती... शायद मुझे राधिका की कमी थोड़ी कम महसूस होती...



निशा- नहीं राहुल...ये पासिबल नहीं हैं...ये समाज़ पता नहीं हमारे बारे में क्या सोचेगा....लोग ना जाने हमारे बारे में क्या क्या बातें करेंगे...



राहुल- मगर तुम तो मुझसे प्यार करती हो....फिर तुम्हें इस दुनिया की कैसी परवाह....आज मेरी खातिर रुक जाओ...मैं तुम्हारे मम्मी पापा से बात कर लूँगा...



निशा- मम्मी पापा की मुझे चिंता नहीं हैं राहुल...बस इस दुनिया से डर लगता हैं....



राहुल- ठीक हैं ऐज यू विश....तुम जाना चाहे तो जा सकती हो.... मैं तुम्हें आब नहीं रोकुंगा....मैं एक पल के लिए भूल गया था कि तुम मेरी राधिका हो.....आइ अम रियली सॉरी...राहुल के चेहरे पर गुस्से के भाव सॉफ दिखाई देते हैं.... और निशा उसके चेहरे को सॉफ पढ़ लेती हैं...



निशा- ट्राइ टू अंडरस्टॅंड राहुल....अभी मेरी शादी नहीं हुई हैं तुमसे....भला मैं ऐसे कैसे तुम्हारे पास रुक सकती हूँ....कहीं कुछ ग़लत हो गया तो....



राहुल- कमाल हैं निशा....प्यार भी करती हो मुझसे और ग़लत सही के बारे में भी सोचती हो....आज अगर तुम्हारी जगह पर मेरी राधिका होती तो वो इस दुनिया की परवाह किए बगैर मेरी खुशी के लिए वो मेरे पास यहीं रुक जाती...जानती हो क्यों...क्यों कि उसके प्यार में कोई स्वार्थ नही था...उसे अपने से ज़्यादा दूसरों की फिकर रहती थी....और तुम कभी मेरी राधिका की जगह नहीं ले सकती.....चली जाओ यहाँ से.....



निशा झट से राहुल के पास आती हैं और उसकी पीठ अपने सीने से सटा अपने दोनो हाथों से राहुल के सीने को जाकड़ लेती हैं- नहीं राहुल तुम मुझे ग़लत समझ रहे हो... मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ...नहीं जी पाउन्गि अब मैं तुम्हारे बगैर....तुम्हारे खातिर मैं कुछ भी कर सकती हूँ....



राहुल उसके दोनो हाथों को अपने सीने से हटाता हैं और वहीं जाकर बिस्तेर पर बैठ जाता हैं...निशा चुप चाप वहीं खड़ी रहती हैं....उसके आँखो से आँसू छलक पड़ते हैं....



राहुल- सच तो ये हैं निशा कि आज राधिका की मौत की ज़िम्मेदार तुम हो....आज राधिका की तुमसे दोस्ती ही उसकी जान की दुश्मन बन गयी... कसूर तुम्हारा नहीं मेरे नसीब का हैं... मैने जिसे चाहा वो मुझे कभी ना मिला....



निशा- नहीं राहुल ऐसा मत कहो....मैं आज तुम्हारे लिए अपनी जान तक दे सकती हूँ....कुछ भी कर सकती हूँ मैं तुम्हारे खातिर....



राहुल- कुछ भी....



निशा-हां राहुल........कुछ भी...



राहुल- ठीक हैं तो फिर अपने कपड़े उतारो......मैं तुम्हें अभी बिन कपड़ों के देखना चाहता हूँ..... मैं भी तो देखूं कि तुम मुझसे कितना प्यार करती हो.... राहुल के मूह से ऐसी बातें सुनकर निशा के होश उड़ जाते हैं....
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