RE: Antarvasna Sex Story - जादुई लकड़ी
अध्याय 35
रोहित का काम हो चुका था डॉ ने उसे मोटीवेट कर दिया था और साथ ही लगातार कॉउंसलिंग के लिए भी बोला था,मैं भी उसके लिए डाइट चार्ट और एक्सरसाइज का प्लान बनाने में उसकी मदद कर रहा था ,और उसकी सबसे बड़ी मोटिवेशन थी निकिता दीदी ,वो उसे फिर से पाना चाहता था ,उसने मुझे कहा की वो उन्हें वैसा खुश रखना चाहता है जैसा मैं हर लड़कियों को रखता हु ,शायद उसने मैरी और मेरी आवाजे सुनी होंगी ,और निकिता दीदी के साथ तो देखा ही था……
ख़ैर अभी कुछ दिन ही हुए थे,और मेरे पास निशा और निकिता दीदी थी ,कभी इसके साथ तो कभी उसके साथ सो रहा था,निकिता दीदी रोहित से धोखा करना नही चाहती थी लेकिन बेचारी करे भी तो क्या करे एक बार जो मेरा मजा लग गया था तो थोड़ी बावली सी हो गई थी …..
तभी एक दिन मेरे वकील का फोन आया उसने बताया की महीना पूरा हो चुका है ,और किसी को कोई भी ऑब्जेक्शन नही है तो सारी संपत्ति हमारे नाम से करवाया जा सकता है,उसने दूसरे दिन का ही डेट बताया,
दूसरे दिन मेरा पूरा परिवार ऑफिस पहुचा और वंहा पूरी प्रक्रिया कंपलीट कर हम बाहर निकले ,अब मैं कोई साधारण इंसान नही रह गया था ,मैं चंदानी इंड्रस्ट्री का मालिक था ,और अब से मुझे पूरे कारोबार को देखना था ,रश्मि के पिता भी वहां आये थे क्योकि उनकी सरकारी महकमे में तगड़ी पहुच थी हमारा काम बहुत ही जल्दी हो गया ….
हम सभी ऑफिस के बाहर ही खड़े थे ,मेरी मा खुसी में सभी को मिठाईया खिला रही थी ,लेकिन मैंने देखा की मेरे पिता जी का चहरा थोड़ा उतरा हुआ है …..
“पापा आप कुछ उदा लग रहे हो “
मैंने उनके पास जाकर
“कुछ नही बेटा...मेरे पिता और ससुर को कभी मेरे ऊपर भरोसा नही था,मैंने कभी उनका भरोसा नही कमाया लेकिन पता नही क्यो उन दोनो को ही तुम्हारी मा पर बहुत भरोसा था ,इसलिए शायद उन्होंने सारी जयजाद उसके बच्चों के नाम कर दी ..”
“क्या आप खुश ही हो ..??”
“नही मैं खुश हु ,लेकिन दुखी भी हु ,ये सब कुछ तुम लोगो का ही है ,और मैं तो तुम्हारे दादा और नाना के कारोबार को और आगे ले गया ताकि मेरे बच्चों को और भी ज्यादा मिले,लेकिन दुख बस इतना है की …….मैं अपने पिता और ससुर को कभी खुश नही रख पाया,वो मुझे नालायक समझते थे ,जबकि मैंने उनके कारोबार को कई गुना बड़ा दिया,मैं ये नही कहता की मेरे पास आज कुछ नही है ,मेरे पास मेरे बच्चे है,मेरी प्यार करने वाली बीबी है और मुझे अब जीवन से कुछ भी नही चाहिए,हा मैंने गलतियां की थी ,जवानी में हो जाता है ,और मेरी जवानी थोड़ी ज्यादा चल गई ..”
वो हल्के से हँसे ..शायद जीवन में हमने इतनी देर कभी बात ही नही की थी ,आज पता नही क्यो लेकिन मुझे वो सही लग रहे थे,मैं भी तो अपनी जवानी में वो ही सब कर रहा हु जो उन्होंने किया था और जिसके कारण उन्हें इस जयजाद से बेदखल रखा गया था ..
उन्होंने बोलना जारी रखा ..
“काश की ये संपत्ति मैं तुम लोगो को सौपता ,”
वो फिर थोड़ी देर चुप हो गए ..
“लेकिन मैं ये नही कर पाया,खैर अब से तुम्हे ये सब सम्हलना है और मेरी कोई भी जरूरत पड़े तो मैं तुम्हारे साथ हु “
उनकी बात सुनकर पहली बार मुझे ऐसा लगा जैसे वो मेरे पिता है ..
“थैंक्स पापा,और मुझे कारोबार का क्या आईडिया है ,आप को ही सब सम्हलना है और मुझे सीखना है “
उन्होंने प्यार से मेरे बालो में हाथ फेरा ..
मैं आज बहुत खुश था ,इसलिए नही की मुझे ये संपत्ति मिली ,बल्कि इस लिए क्योकि आज मुझे मेरे पिता मिल गए ..
सभी लोग वापस जाने के लिए तैयार हुए ,हम दो गाड़ियों से आये थे ,एक में पिता जी और मा आयी थी वही दूसरे में मैं और मेरी तीनो बहने ,वापस जाते समय भी हम वैसे ही जाने के लिए तैयार हुए पिता जी और मा जाकर गाड़ी में बैठ चुके थे वही मैं और बहने दूसरी गाड़ी में ,उन्होंने गाड़ी स्टार्ट कर दी मैं भी जाने ही वाला था ,तभी अचानक मा दौड़ाकर मेरे पास आयी ..
“क्या हुआ मा “
“अरे कुछ नही तेरे पिता जी को ऑफिस से फोन आया था वो वंहा जा रहे है,मैं तुम्हारे साथ जाऊंगी “
“ओके”
वो मेरी गाड़ी में बैठ गई ..
हम आगे निकलने ही वाले थे की पिता जी अपनी गाड़ी से बाहर आये ,इस बार उनके चहरे की हवाइयां उड़ी हुई थी ..
वो मेरी गाड़ी जो की चलने ही वाली थी उसके सामने आकर खड़े हो गए थे ,उनके हाथ में मोबाइल था और वो किसी से बात कर रहे थे,उन्होंने मुझे इशारा किया ,सारी खिड़किया लगी हुई तो उनकी आवाज सुनाई नही दे रही थी लेकिन वो चिल्ला रहे थे ..
मैंने खिड़की खोली ..
“राज सभी तुरंत बाहर निकलो “
वो चिल्लाए
और हमारी कर के पास आकर एक एक का हाथ पकड़कर बाहर निकालने लगे ,हम सभी बाहर आ चुके थे ..
“पापा क्या हुआ …??”
उन्होंने हमे गाड़ी से दूर धकेला ,लेकिन मा अभी भी गाड़ी में थी ,मैं जल्दी जल्दी में ये भूल ही गया था की उनकी सीट बेल्ट अटक गई थी ,पिता जी कार के अंदर ड्राइवर सीट में घुसे और बाजू वाले सीट पर बैठी मा की सीट बेल्ट को निकालने लगे ..
“पापा हुआ क्या है ..?”
मैं पास जाते हुए उनसे पूछा ….
“दुर हटो यंहा से मैं कुछ समझ पाता इससे पहले ही माँ पापा ने मुझे जोर का धक्का दिया और माँ की तरफ पलटे लेकिन तक सीट बेल्ट खुल चुकी थी और मा दरवाजा खोलकर बाहर निकल चुकी थी ..
और धड़ाम …….
पूरी की पूरी कार हवा में उछल गई ,मैं और माँ धमाके से दूर जाकर गिरे ……..
कानो ने सुनना बंद कर दिया था चारो तरफ भगदड़ मची हुई थी,चोट तो मुझे भी आयी थी लेकिन मैं सम्हल चुका था,और मेरे सामने पिता जी की बुरी तरह से जली हुई लाश पड़ी थी …..
मैंने माँ को देखा वो दूर बेहोश पड़ी हुई थी ,
“पिता जी….” मैं पूरी ताकत से चिल्लाया और उनकी ओर भागा,जब मैं उनके पास पहुचा तो लगा जैसे वो मुझे देख रहे हो ,पूरा चहरा जल चुका था ,उनकी आंखे मेरी आंखों से मिली ,उनकी जुबान थोड़ी सी हिली ..जैसे वो मुझेसे कुछ कहना चाहते हो ..
मैंने अपने कान नीचे किये
“माँ का ख्याल रखना,मैंने जीवन भर उसे दुख दिया..”
और ……..
और वो चुप हो गए …..
आज ही तो मुझे वो मिले थे ,आज मैं कितना खुश था और आज ही ……
आज ही वो मुझे छोड़कर चले गए …..
मेरी नजर माँ पर गयी ,कुछ लोग उन्हें उठा रहे थे,वो भी बुरी तरह से चोटग्रस्त थी ,मैं माथा पकड़ कर रो रहा था तभी …
धड़ाम……
हमारी दूसरी कार भी हवा में उड़ गई ,चारो तरफ मानो आतंक का सन्नटा छा गया था,और उसके साथ एक सन्नाटा मेरे दिल में भी छा गया था ……
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