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RE: Antarvasna Sex Story - जादुई लकड़ी
अध्याय 9
जंगल से आने के बाद से मैं अब्दुल काका और रामु काका के साथ बैठकर दारू नही पिया था,आजकल वो मुझसे थोड़ा डरे हुए बाते करते थे ,तो मैंने सोचा की क्यो ना आज उनके साथ बैठा जाए मैं 3 क्वाटर देशी के ले कर उनके पास चला गया,
“नही छोटे साहब मैं रामु के साथ बैठकर शराब नही पियूँगा “
अब्दुल काका की बात से मुझे थोडा अजीब लगा ऐसे भी मैं हमेशा किसी एक के साथ बैठकर पीता था लेकिन मैंने सोचा की दोनो को एक साथ बुला लू लेकिन दोनो ने इनकार कर दिया ..
“क्या बात है आखिर ..”
“जब हम दोनो साथ होते है तो एक दूसरे की बीबियों को गाली देने लगते है फिर हमारे बीच झगड़े हो जाते है उससे अच्छा है की हम साथ ना ही पिये …
अब मुझे पूरी कहानी समझ आ गई थी लेकिन अब मैं पीने के मूड में तो आ ही गया था तो अब क्या करू…
मैं हमारे बंगले के पीछे बने एक सर्विस क्वाटर में बैठा था जन्हा मैं अधिकतर बैठा शराब पीता था,वही अब्दुल और रामु काका वंहा से थोड़ी दूर पर ही रहते थे,चन्दू और सना के लिए पिता जी ने अलग अलग कमरे दे रखे थे जिसमे सना का कमर गेस्ट रूम और मा-पापा के कमरे के पास था वही चन्दू सामने के तरफ बने हुए सर्विस क्वाटर में रहता था …..
मैंने रामु काका से बात की तो उन्होंने भी यही बात कर दी ,तभी मुझे चन्दू दिखाई दिया ,मैंने उसे आवाज लगाई और वो मेरे पास आ गया ..
“चल दारू पीते है “
उसने मुझे अजीब निगाहों से देखा लेकिन कुछ बोला नही मैं उसे उसी सर्विस क्वाटर में ले गया और बोलता खोल ली ,हमने बिना बोले ही 2 पैक भी लगा लिए थे,अब हमे थोड़ा थोड़ा नशा चढ़ने लगा था,मुझे अहसास हुआ की पहले मुझे ज्यादा नशा होता था लेकिन अब मुझे इतने पर भी कुछ फर्क नही पड़ रहा था,शायद एक्सरसाइज ज्यादा करने की वजह से शरीर की कैपिसिटी बढ़ गई थी ……
“तुम आजकल मुझसे इतने दूर दूर क्यो रहते हो ..”
आखिर तीसरा पैक खत्म कर मैंने कहा ..
“नही ऐसा नही है …….”
उसने एक ही घुट में पूरा माल अंदर कर लिया था जरूर उसके अंदर कुछ तो उबल रहा था …
अब उसे भी नशा अपनी जकड़ में ले रहा था ,उसकी आंखे लाल हो गई थी मैंने तुरंत ही उसके लिए एक और पैक बना दिया उसने उसे भी एक ही सांस में अंदर कर लिया जैसे किसी बड़े दुख से गुजर रहा हो और उसे राहत चाहिए …..
“अब बोल भी दे ..”
उसने मुझे देखा उसकी आंखों में गुस्सा साफ दिख रहा था,लाल आंखों से जैसे खून टपक रहा था ……
“क्या बोलू ..?की तूने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी “
उसने अगला पैक भी तुरंत ही अपने अंदर उतार लिया ..
“मैंने???”
उसकी बातो से मुझे आश्चर्य हुआ की आखिर मैंने क्या किया है ..
“तू जंगल क्या गया साले वंहा से तोप बन कर आ गया,और मेरे पूरे अरमानो पर तूने पानी फेर दिया,जी चाहता है की तुझे यही मार दु “
उसकी आवाज में नफरत भरी थी…
लेकिन मैं अब भी शांत था मैं जानना चाहता था की आखिर उसके दिल में क्या है ….
“मुझसे इतनी नफरत ??? आखिर क्यो??”
“क्यो???”वो जोरो से हंसा चल मेरे साथ ,..
वो मेरा हाथ पकड़े हुए मुझे बंगले के मुख्य घर की ओर ले जाने लगा,फिर अंडरग्राउंड गैरेज/पार्किंग में ले गया,वंहा कई गाड़िया खड़ी थी वो मुझे दूसरी तरफ ले गया ,मुझे पता था की यंहा एक कमरा है ,कंट्रोल रूम जैसा लेकिन अब कंट्रोल रूम गार्ड के कमरे के पास बना दिया गया था तो ये कमरा अब खाली था,लेकिन कमरे की खिड़किया खुली हुई थी और अंदर से प्रकाश बाहर आ रहा था,मैं समझ गया था की यंहा कोई है लेकिन जैसे ही मैं खिड़की के पास पहुचा तो मेरी आंखे फ़टी की फ़टी रह गई …….
अंदर मेरे पिता शबीना काकी (अब्दुल की बीबी) के ऊपर चढ़े हुए थे और धक्के लगा रहे थे वही कांता काकी (चन्दू की मा और रामु की बीवी) नंगी उनके बाजू में सोई हुई थी लग रहा था की अभी अभी उसके साथ भी कुछ किया गया था…
सिसकियों की आवाजे बाहर तक आ रही थी और उनकी हिम्मत की खिड़की ही नही दरवाजा भी खुला हुआ था,सभी बेखोफ लग गए थे ,दुनिया की परवाह किये बिना अपने ही मजे में मगन थे..
पिता जी का ये रूप देखकर मैं दंग रह गया था,मैंने ये तो सुना था की वो ऐसा करते है लेकिन आज सामने देखकर मेरी सांसे ही रुक गई ,वही वो दृश्य बेहद ही उत्तेजक भी था,
शबीना काकी दूध जैसी गोरी थी और उन्होंने पापा के सर को जोरो से जकड़ लिया था ,वो आहे भर रही थी वही पिता जी की कमर किसी पिस्टन के जैसे अंदर बाहर हो रही थी ,वही सवाली सलोनी कांता काकी के भरे हुए शरीर को देखकर एक बार को मेरा लिंग भी तन गया था,उनके जांघो के बीच बालो की झड़िया उगी हुई थी और वो उन्हें अपने उंगली से सहला रही थी ,वो तेजी से उंगली चलाती फिर जब उंगली गीली हो जाती तो शबीना के मुह में उसे डाल देती,कभी वो शबीना के होठो में आपने होठ लगा देती ,
“दूर हट मादरचोद”जब कांता शबीना के होठो में होठ रखने वाली थी तो पापा ने उसके चहरे को पकड़ कर जोर से दूर फेक दिया ,ये देखकर चन्दू वंहा से तुरत ही हट गया था,मैं उसके रोने की आवाज सुन सकता था,वही कांता पापा के इस बर्ताव के बाद भी फिर से उनकी ओर जाती है और उनके पैरो को चाटने लगती है,
“मादरचोद तेरे चुद से ज्यादा पानी आ रहा है क्या “
कांता ने हा में सर हिला दिया ,पापा शबीना को छोड़ उसके बालो को खीचकर ऊपर ले आये और कांता के जांघो के जोड़ को शबीना के मुह में रख दिया…
“चूस इस रंडी की चुद को साली बहुत मचल रही है ..”
कांता हसने लगी थी ,वही पापा ने फिर से शबीना के योनि में अपना लिंग डाल दिया..
साफ लग रहा था की ये दोनो उनके लिए किसी सेक्स स्लेव जैसी ही है…
मेरी नजर वहां से हटी तो मुझे चन्दू दूर खड़ा रोता हुआ दिखा,मैं समझ सकता था की अपनी माँ को ऐसा देखकर उस बेचारे के दिल में क्या बीत रही होगी,उसे मेरे बाप से जलील होना पड़ता होगा क्या पता की पिता जी को चन्दू की उपस्थिति का पता हो ,हो भी सकता था क्योकि उन्हें दुसरो को जलील करने में बहुत मजा जो आता था,मुझे मेरे पुराने दिनों की याद आ गई लेकिन फिर भी मेरे साथ जो भी हुआ हो ये इससे बुरा तो नही था.
मैं चन्दू के पास पहुचा ,चन्दू फिर से मेरा हाथ पकड़ कर मुझे सर्विस क्वाटर में ले आया था ,और आते ही उसने बची हुई शराब को बोतल से ही निगल लिया …..
“चन्दू..”
मैं कुछ बोलता उससे पहले ही वो भड़क गया
“चुप कर मादरचोद,देखा ना तेरा बाप मेरी माँ के साथ क्या करता है,और तू पूछ रहा था की मैं तुझसे नफरत क्यो करता हु,मैं तो तेरे पूरे परिवार से नफरत करता हु और साथ ही अपने बाप से भी ,अब्दुल और मेरे बाप दोनो को पता है की उनकी बीबियां चंदानी की रंडिया है लेकिन साले नामर्द है ….किसी की हिम्मत नही की उन्हें रोक सके ,या बदला ले लेकिन मैं लूंगा ,मैं तेरे बाप से बदला लूंगा...जानता है वो मेरा भी बाप है ,हा राज मैं और सना दोनो ही उसकी नजायज औलादे है ,हमारे बाप तो बस नाम के ही बाप है ,साले नामर्द कहि के...ऐसे में मैं तेरा भाई हुआ ना ...लेकिन फिर भी देख तू क्या है और मैं क्या हु ,तेरा बाप मेरे और सना की अच्छी देखभाल करता है लेकिन क्या वो हमे वो दर्जा दे सकता है जो तुझे और तेरी बहनो को मिला है ...नही ..क्योकि हम नाजायज औलाद है उसकी…...हम उसके हवस की निशानी है राज …
लेकिन मेरे पास एक उम्मीद थी ,क्योकि उसका बेटा भी नामर्द ही निकल गया था ,एक डरपोक जिससे चंदानी नफरत करता था,मैंने इसका पूरा फायदा उठाया अपने को इस लायक बनाया की चंदानी की नजर में उठ सकू उठा भी ,उसे यही लगने लगा था की मैं ही उसका असली खून हु,मेरे अंदर ही उसके खून ने रंग दिखाया है,मैं निशा के करीब हो गया था,ताकि मैं उसे अपने प्यार में फंसा लू लेकिन ….
लेकिन तू जंगल से आया और चंदानी का असली खून बोल उठा,ताकत और आकर्षण...आज चंदानी के नजरो में मेरी कोई इज्जत नही रह गई निशा मुझसे अलग हो गई,सिर्फ तेरे कारण..साले मैं तो तुझे अभी मार देना चाहता हु ,लेकिन क्या करू मैं कुछ भी नही कर सकता ,लेकिन मेरा वादा है तुझसे की एक दिन आएगा जब मैं चंदानी और उसके परिवार को बर्बाद कर दूंगा ..”
वो रोने लगा था ,असल में ये सब सुनकर गुस्सा आना चाहिए था लेकिन जो मैंने देखा था उसे देखकर मुझे चन्दू पर दया आ रही थी ..
“और तेरी माँ ,उसे भी सब कुछ पता है की मैं और सना कौन है लेकिन वो भी साली ..”
चन्दू इतना ही बोला था की मैंने उसके जबड़े को पकड़ लिया,मेरी पकड़ इतनी मजबूत ही की वो हिल भी नही पा रहा था..
“मादरचोद माँ के बारे में कुछ नही बोलना “
मैंने जब उसे छोड़ा तो वो रोते हुए भी हसने लगा..
“हा कुछ नही बोलूंगा क्योकि वो तेरी माँ है ,और मेरी माँ का क्या जिसे चंदानी नंगी करके चोद रहा है,वो भी दरवाजा खोल कर ,कोई उसे देखे उसे कोई फर्क नही पड़ता,वो मादरचोद तो मेरे बाप के सामने भी उसे चोद देता है ...तेरी माँ की इज्जत है और मेरी माँ बस एक रंडी..?????”
इसे बार वो रोते रोते बैठ गया था ,मैं उसे क्या बोलू मेरे समझ के बाहर था,अपने पिता के इस रूप से मुझे घृणा सी आ रही थी ,और उससे ज्यादा गुस्सा अब्दुल और रामु काका पर जो अपनी ही बीबियों की अस्मिता की रक्षा नही कर पाते,लेकिन फिर मुझे याद आया की मैं भी तो ऐसा ही था,मेरा बाप सबको ऐसा ही बना देता है ,लोग उसे कमीना ऐसे ही नही कहते..
चन्दू अब मुझे देखने लगा..
“राज मैं जानता हु की तू अब ताकतवर हो गया है लेकिन चाहे जो हो जाए एक दिन मैं चंदानी को उसके किये की सजा जरूर दूंगा,तेरे परिवार को उनके किये की सजा मिलेगी ..”
“मेरे रहते तू मेरे परिवार का बाल भी बांका नही कर सकता चन्दू तो सोचना भी मत “
मैं पहली बार उसे धमकाया था लेकिन मेरा आवाज सामान्य ही था क्योकि मेरे दिल में उसके लिए एक सहानुभूति जाग गई थी ,
वो हंसा
“तुझे क्या लगता है की निशा और तेरा बाप तेरे साथ है ,नही राज वो लोग सिर्फ ताकत के साथ होते है ,जिसके पास मिल जाए वो उधर चले जाएंगे,आज निशा तुझसे चिपक कर तुझे भाई भाई बोल रही है ना,तेरी एक हार और वो फिर से तुझे देखना भी पसंद नही करेगी ,वो सेल्फीज़ है राज ,पहले मेरे साथ थी अब तेरे साथ है और कल किसी और के साथ हो जाएगी …”
“जबान सम्हाल चन्दू “
इस बार मैं चीखा था लेकिन चन्दू अभी भी हंस ही था..
“मुझे मरना है तुझे???मार ले और कर भी क्या सकता है तू लेकिन मैं उस दिन तुझपर फिर से हसूंगा जब निशा फिर से मेरे पास होगी हा हा हा..”
वो हसने लगा ,उसे देखकर मेरे होठो में एक मुस्कान आ गई थी ,मैं चाहता तो अभी इसकी हड्डी पसलियां तोड़ सकता था लेकिन मैंने ऐसा नही किया ,अगर ये खेलना चाहता था तो ठीक है आखिर देखूं तो चन्दू कौन सा खेल दिखाता है ..
“ऐसी बात है तो चल तुझे बेस्ट ऑफ लक,लेकिन याद रखना आज से हम दुश्मन है ,और मैं अपने दुश्मनो को नही छोड़ता “
मेरी बात सुनकर वो मुस्कुराया
“राज तू तो जिस दिन पैदा हुआ उसी दिन से मेरा दुश्मन बन गया था ,हा पता तुझे आज चला है लेकिन पता तुझे अभी भी नही है कि तेरा किससे पाला पड़ा है और मैं क्या कर सकता हु"
उसकी बात सुनकर मैं हँस पड़ा था,लेकिन….
अजीब बात थी की हम दोनो के चहरे में कमीनी मुस्कान थी….
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RE: Antarvasna Sex Story - जादुई लकड़ी
अध्याय 10
मेरे दिमाग में चन्दू की बात घूम रही थी ,हल्का दारू का नशा भी था और साथ ही साथ वो दृश्य भी जो मैंने देखा था,
वो जितना मुझे याद आता मेरा लिंग उतना ही कड़ा हो जाता,मैं परेशान होने लगा,मुझे काजल मेडम की बात याद आई जब उन्होंने पूछा था की मास्टरबेशन करते हो..
मैंने आज तक नही हिलाया था ,लेकिन वो दृश्य मेरे कोमल मन के लिए बहुत ज्यादा था,दो औरतो को इस हालत में देखने के बाद मेरा अकेले होने पर मेरा हाल बेहाल हो रहा था,मैं पागल हो रहा था,मैं शबीना काकी को पापा की तरह निचोड़ने के ख्याल से भर गया वही कांता का शरीर भी मेरे आंखों में घूम रहा था.वो सचमें भरी हुई माल थी,
“कास साली को लिटा कर ..”
मेरा हाथ मेरे लिंग में आ गया था तभी ..
“भौ भौ”
ओह नो,ये साल टॉमी ..
मैन जब टॉमी को देखा वो मुझे ही देख रहा था जैसे मुझे देखकर मुस्कुरा रहा हो ,पता नही क्यो खुश था शायद मेरे कमरे में आने के कारण ,मैं बिस्तर में गिरा लेकिन टॉमी मेरे बाजू में आकर सो गया,अब मैं उसके सामने तो हिला नही सकता था,कमीना मुझे ही देख रहा था ,मैंने उसे उठाकर नीचे कर दिया ..
अब मैं आराम से पूरे बिस्तर में अकेले था,मैंने आंखे बंद की तो सामने वही दृश्य था..
“आओ ये देखो…”ऐसे लगा जैसे कांता काकी मुझे टांगे खोलकर अपने योनि को दर्शन करवा रही हो,मैंने तुरंत ही चद्दर ओढ़ ली और अपने लिंग को अपने शार्ट से निकाल कर उसे मसाला..
“आह…”क्या मजा था साला,मैं इतने दिनों तक इस मजे से बेगाना रहा ..
मैं थोड़ा और मसल पाता की..
“आप कहा चले गए थे..”
निशा सीधे कमरे में घुसकर मेरे बिस्तर में आकर चादर के अंदर घुस गई,
मुझे उसकी आवाज से एक जोर का झटका लगा ,मैंने तुरंत ही अपने अकड़े लिंग को अपने शार्ट के अंदर कर लिया,लगा जैसे वो चोरी ना पकड़ ले,लेकिन वो बेखबर थी और सीधे वो मुझसे लिपट गई ,लिंग अभी भी अकड़ा हुआ ही था,और सांसे अभी भी बेहद तेज थी ,धड़कने भी तेज ही चल रही थी ..
“क्या हुआ ऐसे हांफ क्यो रहे हो ,अपकी हार्टबीट तो मुझे सुनाई दे रही है “
उसने अपना चहरा ऊपर किया ..
“कुछ नही वो दौड़ते दौड़ते ऊपर आया ना इसलिये..”
मैंने जैसे तैसे कहा
“दारू पी है आपने ,”
उसने अपने नाक सिकोड़े
“हा वो थोड़ी सी ..”
“कभी मुझे भी पिला दिया करो क्या अकेले अकेले पीते हो “
वो फिर से मेरे सीने से लग गई ..
मैं बिना कुछ बोले ही उसे अपने बांहो में भर लिया,मुझे उसकी बात याद आयी की वो मुझसे आकर्षित है…
ऐसे भी लिंग तो अकड़ा हुआ था ही दिमाग ने दौड़ाना शुरू कर दिया लेकिन फिर मैंने ग्लानि महसूस की …
‘साला मैं सच में उसी हवसी बाप का बेटा हु जो अपनी प्यारी सी बहन के बारे में ऐसा कुछ सोच रहा हु …’मैंने अपने दिमाग में ही कहा …
मेरे हाथ उसकी पीठ पर थे की निशा थोड़ी मचली,मुझे उसके उन्नत वक्षो का अहसास हुआ,अपनी ढीली टीशर्ट के अंदर उसने ब्रा नही पहनी थी,उसके वक्ष बड़े ही कोमल लग रहे थे मैं सोचना तो नही चाहता था लेकिन जिस्म मेरा भी मर्द का था और वो एक पूरी जवान लड़की थी,मेरे नाक में उसके शरीर का सुगंध भी भर रही थी जो की बेहद ही प्यारी थी,
तभी निशा ने अपना एक पैर मेरे कमर से क्रॉस करके दूसरी ओर रख दिया ..
‘है भगवान उसे पता ना चले ‘मैंने मन ही मन सोचा क्योकि उसकी जांघ मेरे लिंग के ऊपर थी और लिंग ….वो पूरे शबाब में था,
उसने अपना सर उठाकर मुझे देखा ..
मेरी फट कर चार हो चुकी थी …
“आपको क्या हुआ आज इतने उत्तेजित हो..”
मैं समझ गया था की उसे इस बात का अहसास हो गया ,लेकिन अब मैं क्या बोलता, मैं चुप ही था,
“क्या देख लिया अपने ,या रश्मि की याद आ रही है ,या फिर काजल मेडम की ...कही मेरे कारण तो नही “
वो शरारत से मुस्कुराई
“चुप कर कुछ भी बोलती है तेरे कारण क्यो होगा ..असल में वो पार्किंग में ..”
मैं कुछ बोलने वाला था की मुझे अपनी गलती का अहसास हुआ ..
और मैं रुक गया ..
“ओह तो पापा की रासलीला देख ली अपने “
मैं बुरी तरह से चौक गया
“तुझे कैसे पता “
वो जोरो से हंसी
“आपके सिवा इस घर में सबको पता है ,ऐसे आज किसके साथ थे ..”
“किसके साथ होते है ..??”
मैंने तो सोचा था की शबीना और कांता के साथ ही हो सकते थे,
“उनका क्या भरोसा ,कभी शबीना काकी तो कभी कांता कभी देवकी(हमारी एक नॉकरानी) तो कभी एक साथ सभी ,या कोई दूसरी बाहर वाली कोई ..”
उसकी बात सुनकर मैं चुप हो गया था …
“कितना बड़ा कमीना है हमारा बाप “
मेरे मुह से घृणा से निकल गया ..
“और उसी के कमीनेपन को देखकर आप उत्तेजित हो रहे हो ,हा आप भी तो उसके ही बेटे हो मैं कैसे भूल गई ये “
उसके चहरे में अजीब से भाव आये ..
“मैंने ये पहली बार देखा इसलिए शायद बहक गया था,ऐसे तुझे उनपर गुस्सा नही आता “
“क्यो वो सभी औरते अपनी मर्जी से उनके साथ है,वो किसी पर कोई जबरदस्ती नही करते..”
“लेकिन माँ की तो सोच ..”
“ह्म्म्म माँ को सबकुछ पता है ,हमेशा से पता था वो बेचारी भोली भाली कभी पापा के सामने मुह नही खोलती ,हा उनके ऊपर दया आती है लेकिन पापा भी क्या करेंगे अगर माँ उनकी इच्छाओ को पूरा नही कर पाती होगी तो...उन्हें तो बाहर ही मुह मरना पड़ेगा ना “
अब क्या सही था और क्या गलत ये समझ पाना मेरे लिए मुश्किल था…..
“वो सब छोड़ो आप बताओ कैसा लगा देखकर “उसने फिर से शरारत से कहा
“चुप कर भाई से ऐसे बात करती है”
“क्यों नही अब तो मेरा भाई भी जवान हो गया है,और ये ...”
उसने अपनी जांघ को हल्के से हिलाया ,उसके नीचे मेरा लिंग तना हुआ था जो इस रगड़ से बुरी तरह से कांप गया..
मैंने झटके से उसके जांघ को अपनी कमर से हटा दिया ..
“कितनी बेशर्म है तू निशा...मैं तेरा भाई हुई और ये सब ..पाप है ..”
इस बार निशा ने अजीब निगाहों से मुझे देखा
“मैं जानती हु की ये सब पाप है लेकिन …”
वो चुप हो गई और उठकर जाने लगी ,उसका इस तरह उठकर जाना मुझे समझ नही आ रहा था मैंने तुरन्त ही उसका हाथ पकड़ लिया..
“”ए क्या हो गया तू उदास क्यो हो गई “
उसके आंखों में कुछ आंसू की बूंदे थी …
“कुछ नही भाई आप नही समझ पाओगे..”
उसकी आवाज में दर्द था एक अजीब सा दर्द …
“अरे बता तो सही ..”
“आई लव यू भाई…..”
“लव यू टू बेबी ..”
“लेकिन मेरा प्यार वैसा है जैसा आपके और रश्मि का ..”
इस बार मैं अवाक रह गया था ,आखिर ये क्या बात हो गई थी ,निशा जो हमेशा से मुझसे लड़ती रही वो अचानक कहती है की उसे मुझसे प्यार है वो भी भाई बहन वाला नही ,gf वाला …
मुझे लग रहा था की मुझे फिर से बाबा के पास जाकर इस लकड़ी के बारे में और अच्छे से जानना पड़ेगा वरना इसके ताकत के चक्कर में मैं ही फस जाऊंगा…
शक्ति के साथ प्रॉब्लम यही होती है की वो अच्छी या बुरी नही होती,उसका इस्माल करने वाला उसे अच्छा या बुरा बनाता है,और अगर आपके पास कोई जादुई शक्ति हो लेकिन आपको पता ही ना हो की उसका इस्तमाल कैसे करते है तो…...तो समझ लो आपकी लग गई …….
“तू कब से मुझे प्यार करने लगी ,हमेशा तो मुझसे लड़ती रहती थी मुझे नीचा दिखाने में लगी रहती थी “
उसने इस बार घूर कर मुझे देखा,उसका प्यार चहरा आंसुओ में और भी प्यार लग रहा था ,
“शायद मैं इसीलिए आपसे लड़ती थी की मैं आपसे बहुत प्यार करती थी,मैं आपसे कुछ नही मांग रही हु बस मुझे खुद से प्यार करने दीजिये ..”
“लेकिन तुझे कैसे पता की ये प्यार ही है ,महज आकर्षण नही ..”
वो थोड़ी देर तक चुप रही ..
“आपको मुझपर यकीन ना आये तो नेहा दीदी से पूछ लेना ,जब भी हमारी लड़ाई होती थी मैं अपने कमरे में आकर घण्टो तक रोती थी,उन्हें भी मेरे दिल की बात का पता है ,जब आप जंगल नही गए थे उससे पहले से पता है ,वो मुझे कुछ नही कहती और कभी कहती है तो मैं मना कर देती हु,लेकिन मुझे लगता है की वो जानती है की मैं आपसे कैसे वाला प्यार करती हु …”
“नेहा दीदी ??”
मैं कुछ और कह पाता उससे पहले निशा आकर मुझसे लिपट गई ..
“भाई यूज मि ...मैं जानती हु की आप रश्मि से प्यार करते हो ,मैं उससे आपको जुदा नही करूँगी ,जस्ट यूज मि भईया,मैं उसे ही अपना सौभाग्य मान लुंगी की मेरे कारण आपको कुछ मिला..प्लीज भइया प्लीज..”
निशा मेरे ऊपर जैसे टूट ही पड़ी थी वो मेरे होठो को चुम रही थी ,मैं उससे छूटने की कोशिस कर रहा था लेकिन मैं उसे चोट नही पहुचना चाहता था..
“निशा पागल हो गई है क्या ??ये सब क्या कर रही है तू …”
“भइया मैं जानती हु की आपके जिस्म को अभी एक लड़की की जरूरत है ,मैं वो लड़की क्यो नही हो सकती भइया,मुझे प्यार ना करो तो कम से कम मेरे जिस्म को ही भोग लो ,मुझे थोड़ा सुकून मिल जाएगा की मैं आपको कुछ दे पाई ..”
निशा के इस समर्पण से मैं भी पिघलने लगा था,मेरे मन में वासना तो पहले भी छलांग लगा रही थी लेकिन निशा ने जब खुद को मुझे सौप दिया तो उसके कोमल जिस्म की गर्माहट और उसके होठो की नर्माहट से मैं बेकाबू सा होने लगा था …
मेरा विरोध धीमा पड़ रहा था ,और हमारे होठ मिल गए पहले तो निशा ने ही अपने होठो को चलाया लेकिन फिर मैं भी उसका साथ देने लगा था …….
तभी मेरे फोन की घण्टी बजी ……
दूसरे बार काल करने आने पर मैंने उसे देखा कोई अननोन नंबर था ..
“हल्लो ..”
मेरी सांसे थोड़ी तेज हो गई थी निशा अब भी मेरे जिस्मो को चुम रही थी तो मैं वंहा से उठाकर उससे थोड़ी दूर चला गया ..
“राज ,मेरी बार ध्यान से सुनो कुछ भी मत बोलना जब तक बात पूरी ना हो जाए …….निशा के साथ अगर तुम कुछ करने वाले हो तो कुछ भी मत करना,ये सब एक जाल है तुम्हे फसाने के लिए,तुम मेरा फोन रोंग नंबर बोल कर काट दो और कल मुझे आकर मिलो मैंने अपना पता तुम्हे मेसेज कर रहा हु .. “
और काल कट गया ……
मैं बुरी तरह से परेशान था की ये क्या हुआ …
मेरी नजर निशा पर गई और चन्दू की कही बात मेरे दिमाग में घूमने लगी ,तो ये ताबीज का असर नही कोई चाल है..??
मैंने निशा की आंखों में देखा ...उसके आंखों में मुझे बस मासूमियत ही दिखाई दी ,..
आखिर क्या सच है और क्या गलत ,ये जाने बिना कुछ भी करना खुद किसी जाल में फसाना ही था…
“किसका फोन था “
निशा ने बड़े ही मासूमियत से कहा वही वो मुझे बड़ी अदा से अपने पास बुला रही थी ,
“रोंग नंबर था “
तभी मेरे मोबाइल में के मेसेज आया ..
“निशा प्लीज् ये सब मुझसे नही होगा तुम जाओ यंहा से “
उसका चहरा उतर गया लेकिन जाते जाते उसने मेरे गालो में एक जोर की पप्पी ले ली ..
“ठीक है लेकिन मैं आपकी हो चुकी हु मानो या ना मानो ..”
वो मुसकुराते हुए वंहा से निकल गई थी ..
मेरा ध्यान मेसेज पर गया उसमे के पता दिया गया था और साथ ही एक नाम ….
विवेक अग्निहोत्री ….
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RE: Antarvasna Sex Story - जादुई लकड़ी
अध्याय 11
एडवाकेट विवेक अग्निहोत्री ..शहर के एक बहुत बड़े लॉयर(वकील) थे,साथ ही मेरे नाना जी के पुराने वकील भी थे,हमारे घर अक्सर आया करते थे लेकिन मैं कभी उनसे पर्सनली नही मिला था बस पहचानता था ….
उन्होंने मुझे अदंर बुलाया …
“आओ राज आओ “
हम दोनो ने हाथ मिलाया और मैं उनके सामने एक चेयर में बैठ गया ..
“आखिर बात क्या है वकील साहब “
“कॉल मि अंकल ...तुम्हारे नाना जी मेरे पिता के दोस्त थे और मैं तुम्हारी माँ और पिता का दोस्त रहा हु ,पर्सनली लेकिन प्रोफेसनली मैं वकील हु और वकील किसी का दोस्त नही होता ..”
“ओके अंकल तो अपने मुझे यंहा क्यो बुलाया और कल रात …”
“राज तुम एक बड़े मुसिबत में फंसे हो खासकर जब से तुम जंगल से आये हो बहुत कुछ बदल गया ,बातो को समझने के लिए हमे अतीत में थोड़ा पीछे जाना होगा ….”
मैंने हा में सर हिलाया और उन्होंने बोलना शुरू किया ..
“तुम्हे पता होगा की तुम्हारे नाना रत्नानी जी का एक बहुत बड़ा बिजनेस अम्पायर था ,और तुम्हारी माँ उनकी इकलौती बेटी थी ,तुम्हारे नाना और तुम्हारे दादा दोस्त थे इसलिए उन्होंने तुम्हारे माँ पिता की शादी करवा दी,तुम्हारे पिता भी अपने पिता के इकलौते बेटे थे इस तरह से दो बड़े बिजनेस एम्पायर एक हो गए ..
चंदानी ग्रुप और रत्नानी ग्रुप …
लेकिन ….तुम्हरे दादा जी और नाना जी दोनो को इस बात का इल्म हो गया था की तुम्हारे पिता जी एक ऐय्याश किस्म के इंसान है,और तुम्हरी माँ बहुत ही सीधी साधी महिला है,इसलिए उन्होंने एक वसीयत तैयार की …
वसीयत मैंने और मेरे पिता जी ने मिलकर बनाई थी ,उस समय दोनो ग्रुप्स की कुल सम्प्पति उस समय लगभग 200 करोड़ की थी जो की आज 1200 करोड़ हो चुकी है ,अब तुम्हारे पूरी संम्पति का कुल 60% तुम्हारे दादा जी के तरफ से आया है जबकि 40% नाना जी की तरफ से ,दादा की वसीयत बोलती है की उनका जो पोता होगा उसे जवान होने पर ये संपत्ति दे दी जाय,जो की तुम हो ..
वही नाना की वसीयत के अनुसार तुम्हारी माँ के सारे बच्चों के जवान होने पर , सम्प्पति बराबर बटेगी ..और अब सभी बच्चे जवान हो चुके है ...मतलब की अब तुम्हारे पिता का सम्प्पति पर कोई भी अधिकार नही रह जाता,ये बात तुम्हारे पिता को भी पता है लेकिन अभी तक उन्होंने शायद तुम्हे ये बताया नही है …”
उनकी बात सुनकर मैं बुरी तरह से चौक गया था ,इतनी दौलत और हमे पता भी नही है ……..
“तो प्रॉब्लम क्या है ???”
“प्रॉब्लम है की इस दौलत को पाने के लिए कुछ लोग उस समय से प्रयास कर रहे है जब से तुम जन्म लिए ,देखो नाना की दौलत से तो तुम्हे कोई भी महरूम नही कर सकता क्योकि तुम अपनी माँ के बेटे हो और वसीयत के हिसाब से दौलत तुम्हारे और तुम्हारी बहनो में समान रूप से बांटी जाएगी ,लेकिन दादा जी की जो दौलत है जो की कुल संम्पति की करीब 60% है उसपर सिर्फ तुम्हारा या चन्दू का हक है “
इस बार मुझे जोर का झटका लगा
“वाट मतलब ..”
“मतलब साफ है की चन्दू भी रतन चंदानी का बेटा है और कोर्ट में एक DNA टेस्ट और सब कुछ साफ हो जाएगा ..”
“मलतब सम्प्पति दो हिस्सो में बटेगी ..”
“नही सिर्फ एक, चन्दू और उसके सहयोगी तुम्हे फूटी कौड़ी नही देते ,तुम्हारी जैसी पर्सनाल्टी थी उन्हें तुमसे कोई भी खतरा नही था तब तक की तुम जंगल से नही आ गए ,अब तुम उनके लिए खतरा बन गए हो ..तो तुम्हे रास्ते से हटाना उनके लिए जरूरी हो गया है …”
अब मुझे समझ आया की आखिर चन्दू ने ये क्यो कहा था की जब से मेरा जन्म हुआ है तब से हमारी दुश्मनी है ..
“उसके सहयोगी कौन है और निशा के जरिये मुझे कैसे फसाया जा रहा था…??”
इस बार विवेक अंकल के चहरे में थोड़ी टेंशन आ गई ….
“क्या हुआ अंकल बताइये ना की आखिर चन्दू को कौन सपोर्ट कर रहा है जो मुझे रास्ते से हटाना चाहता है..”
अंकल धीरे से बोलने लगे ..
“चन्दू को दौलत दिलाने का पूरा जिम्मा मेरा था ..’
“वाट’
जैसे मैं कुर्सी से उछल ही गया ..
“राज मेरी बात सुनो,मैं तुम्हे कभी भी मरना नही चाहता था मेरी तो बस इतनी सी प्लानिंग थी की तुम्हे दबा कर रखा जाय और जब समय आये तो तुम कमजोर पड़ जाओ ,तुम्हे इतना हुमिलेट कर दिया जाय की तुम घर छोड़ कर भाग जाओ,उसके लिए हमारे पास एक दूसरा प्लान भी था ,जब तुम जंगल में खो गए तो हमे लगा की वक्त से पहले ही हमारा काम हो गया ….लेकिन ऐसा नही हुआ,तुम वापस आ गए और जब वापस आये तो तुम वो इंसान ही नही थे जिसे हम मेनुपुलेट कर सके ….”
मैं गहरे सोच में पड़ गया था ,ये मेरे साथ क्या हो रहा है...अंकल ने बोलना जारी रखा ..
“देखो मुझे तुम्हारे पिता के आचरण के बारे में पहले से ही पता था और फिर जब तुम्हारे दादा और नाना ने वसीयत बनाई तो मेरे दिमाग में एक प्लान बन गया,वसीयत के अनुसार जब तक तुम लोग पूरी तरह से जायजाद पाने के लायक नही हो जाते तब तक हमे वो वसीयत छुपा कर रखनी थी ,मलतब तुम्हारे पिता को भी इसके बारे में पता नही था,उन्हें हमने तुम्हारी बड़ी बहन के लायक होने पर हमने बताया ...और इसी बात का फायदा उठाकर मैंने तुम्हारे घर में दो औरतो को भेज दिया ,कांता और शबीना ये दोनो पहले मेरे पास ही काम किया करती थी ,उनके पति कुछ करोड़ की बात सुनकर ही लार टपकाने लगे थे और वो भी इस प्लान का हिस्सा बन गए ,मुझे पता था की तुम्हारे पिता जरूर इनसे नाजायज संबंध बनाएंगे और उससे तुम्हारे दादा के एक वारिस मिलने की पूरी संभावना मुझे थी और वो चन्दू के रूप में पूरी हुई ,लेकिन कुछ महीने बाद ही तुम्हारा भी जन्म हो गया,मैंने इंतजार करने की सोची…
तुम्हारे प्रति तुम्हारे पिता का बर्ताव और तुम्हारा दब्बूपन देख मुझे बहुत खुशी होती क्योकि तब तुम्हे आराम से मेनुपुलेट किया जा सकता था,लेकिन …..”
“लेकिन मैं जंगल से वापस आया और आपके सभी किये कराए पर पानी फिर गया यही ना ...इन सबमे मेरी बहनो का क्या रोल है…”
“मुझे एक घर का आदमी चाहिए था मेरे प्लान को पूरी तरह से सक्सेस करने के लिए ,चन्दू ने ये जिम्मा ले लिया जब उसे कुछ महीनों पहले ही इन सबके बारे में पता चला….मुझे नही पता की वो कौन है लेकिन तुम्हारे तीनो बहनो में से एक चन्दू की दीवानी जरूर है ..”
ये सुनकर मेरा दिल ही बैठ गया ..
“निशा .??”
“मुझे नही पता क्योकि उसने कभी बताया नही ,लेकिन उसने ये जरूर बताया की तुम्हे घर से बाहर कैसे निकाला जाए ..और उसका जरिया निशा ही थी ,निशा तुम्हारे ऊपर डोरे डालेगी और तुम्हे उत्तेजित करेगी और किसी कमजोर पल में तुम बहक जाओगे ,और इसी का फायदा उठाकर चन्दू तुम्हरे पिता को ये बात बता देगा और फिर वही तमाशा होगा तुम्हारा पिता तुम्हे मार मार कर घर से बाहर निकाल देगा क्योकि वो सबसे ज्यादा निशा से ही प्यार करता है तो तुम्हारा रास्ता साफ ,तुम्हरा पिता चन्दू को अपना बेटा घोसित करता जिसके लिए मैं उसे उकसाता ताकि पूरी प्रोपर्टी बर्बाद ना हो जाए और फिर सब कुछ चन्दू का और नान की प्रोपर्टी तुम्हारे 3 बहनो में ही बट जाती,तुम कभी उसपर क्लेम करने की सोच भी नही पाते क्योकि तुम्हे इन सब चीजो का पता भी नही था और ना चल पाता,फिर जब प्रोपर्टी एक बार हाथ में लग गई तो तुम्हारी उस बहन का चन्दू से शादी करवा दिया जाता,तुम्हारे माँ बाप कुछ भी नही कर पाते क्योकि पूरी प्रोपर्टी चन्दू की हो ही चुकी होती,नाना की प्रोपर्टी का एक हिस्सा उस बहन का होता,बाकी दो बहने अपना हिस्सा लेकर अलग हो चुकी होती,तो बात खत्म थी ,कोई कुछ नही कह पाता और करोड़ो की दौलत के हम मालिक बन जाते…..”
इतना कहकर वो चुप हो गए …….
“वाह क्या प्लान था ..लेकिन अब मुझपर इतनी दया क्यो …की आप खुद ही सब कुछ मुझे बता रहे है..”
उन्होंने एक गहरी सांस छोड़ी ..
“कल रात चन्दू ने मुझे फोन किया ,बहुत दारू पी हुई थी उसने,वो मेरे साथ काम करने से मना करने लगा ,साथ ही मुझे ये भी बताया की आज तुम्हारे घर में बवाल होगा,वो अपने प्लान पर काम करेगा और साथ ही ये भी कहा की उसे अब मेरी कोई जरूरत नही है,उसे मुझसे ताकतवर लोग मिल चुके है जो तुम्हे मारना चाहते है ,अब वो तुम्हे मार डालेगा और जायजाद अपने नाम करवाएगा ….मैं खून खराबा नही चाहता राज...पहले भी नही चाहता था ,मैं काफी देर तक सोच में ही पड़ा रहा की आखिर क्या करू...मैंने सोचा की मैं खुद को इन सबसे दूर रखु लेकिन ...लेकिन किसी ने मुझे फोन कर कहा की अगर मैंने तुम्हे ये सब नही बताया तो वो मुझे मार देगी ..”
ये मेरे लिए एक और झटका था ..
“वाट..कौन ..”
“मुझे नही पता लेकिन मैं बुरी तरह से डर गया था,पहले चन्दू मरने मारने की बात कर रहा था और अब ये लड़की ..असल में उस लड़की को भी नही पता था की असल बात क्या है उसने पहले मुझसे कहा की मैं तुम्हे वार्न करू और फिर तुम्हे अपने पास बुलाकर पूरी बात बताऊ,उसके बाद वो मुझसे मेरे घर में आकर मिली और काफी देर बात करके पूरी जानकारी ली ..”
“आखिर वो दिखती कैसी है...कितने उम्र की रही होगी ..”
“ज्यादा उम्र की तो नही थी लेकिन जब वो मेरे घर आयी थी तो उसके साथ कुछ लोग और भी थे,बड़े ही खतरनाक लग रहे थे,उसने मुझसे कहा की मैं इस मामले से दूर रहू और वसीयत के पेपर्स तुम्हें सौप दु ,ताकि वो चन्दू के हाथ ना लगे ..मुझे लगता है की कोई बड़ी ताकते इन सबमे शामिल हो गई है ,वो लड़की एक फाइटर लग रही थी ,चहरा मासूम था लेकिन ...बहुत ही दमदार थी,वही चन्दू भी कह रहा था की उसे ताकतवर लोग मिल गए है जो तुम्हे मार देंगे,मुझे कुछ समझ नही आ रहा है राज की आखिर ये हो क्या रहा है लेकिन जो भी हो तुम सम्हालकर रहना .”
उनकी बात सुनकर मैं जोरो से हंसा
“जो शख्स मुझे बर्बाद करने को तुला था वो आज मेरी सलामती की बात कर रहा है ……”
मैं खड़ा हुआ
“वो पेपर्स मुझे चाहिए “
“वो ...उसे तो मैंने अपने बैक के लॉकर में रखा हुआ है ,”
“तो बैक चलते है “
“आज तो रविवार है बैंक बंद होगा,कल बैक खुलते ही मैं वो पेपर्स तुम्हारे हवाले कर दूंगा ..”
“हम्म्म्म “
मैं पलटा और बाहर की तरफ जाने लगा तभी मेरे दिमाग में एक ख्याल आया ..
मैं फिर से विवेक की तरफ पलटा ..
“कही वो लड़की ये तो नही “
मैंने मोबाइल से एक फ़ोटो निकाल कर उन्हें दिखाई जिसे देखकर उनकी आंखे चौड़ी हो गई…
“हा यही है यही है “
मेरे होठो में मुस्कान और दिल में शंका के कई बादल एक साथ उमड़ पड़े थे ,क्योकि ये तस्वीर काजल मेडम की थी ..
सुंदर चहरे वाली फाइटर ……..
**************
रविवार होने की वजह से बैक बंद था ,इसलिए मुझे वो पेपर्स नही मिल पाए थे,वही मेरे दिमाग में बार बार काजल मेडम का ख्याल आ रहा था की आखिर उन्हें कैसे पता चला की चन्दू किससे बात कर रहा था,और फिर उन्होंने सीधे मुझे काल क्यो नही किया बल्कि विवेक को कॉल कर मुझे आगाह करने क्यो कहा ,वही वो आखिर है कौन जो की इतने लोगो के साथ मेरी रक्षा का जिम्मा उठाये हुए है ???.......
घर में आज मैंने चन्दू को ढूंढने की कोशिस की लेकिन चन्दू और उसका बाप(रामु) दोनो ही गायब थे ,पूछने पर पता चला की रात से ही गायब है ,अब मेरा दिमाग और भी घुमा की साला आखिर हो क्या रहा है …….
शाम बैठा हुआ मैं बोर हो रहा था,tv का चैनल बदलते हुए अचानक एक न्यूज़ से मैं उछल पड़ा ……
‘शहर के जाने माने सीनियर वकील की अपने ऑफिस की छत से गिरकर मौत...पुलिस को है हत्या की आशंका, सीसीटीवी फुटेज की जांच की जा रही है वही उनके ऑफिस में काम करने वाले लोगो से बात भी की जा रही है ,आखिर ये आत्महत्या थी या सोची समझी हत्या …….’
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RE: Antarvasna Sex Story - जादुई लकड़ी
अध्याय 12
दिमाग शांत हो चुका था ,जब विचारो की भीड़ आपको परेशान करे तो अक्सर ऐसा होता है की आप सोचना ही छोड़ देते है ,मैं आसमान में तारो को निहारता हुआ घर के छत में लेटा हुआ था,मैं यंहा बहुत कम ही आता हु ,आज जब दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था तो मुझे यंहा की याद आयी……
मैं बैठा बैठा सभी चीजो को सोच रहा था,बचपन से लेकर आज तक की सभी यादों को एक एक कर याद कर रहा था ,फिर कैसे मैं जंगल में गया और फिर बाबा जी से मिला,कैसे रश्मि से मेरा इश्क हुआ और कैसे काजल मेडम मुझे मिली ,कैसे निशा ने मुझे प्यार दिखाया और अब निशा और चन्दू का ये रूप……
चन्दू अपने बाप को लेकर गायब था लेकिन निशा यही थी ,काजल मेडम ने अपना नया रूप दिखाया था …….
थोड़ी देर की शांति के बाद मेरे दिमाग में एक नाम आया बाबा जी का ताबीज…
मैंने इसे पहना था लेकिन अभी इसका उपयोग नही किया,उन्होंने कहा था की जरूरत पड़े तो इसे चाट लेना ,मैंने कभी इसे चाटा नही था ,क्यो ना अभी इसे चाटा जाए …??
शायद मैं इसकी शक्तियों से अनजान ही हु ,शायद मैं अपनी ही शक्तियों से अनजान हु ……
मैंने उस लकड़ी के टुकड़े को अपने हाथो में रखा और बाबा जी को याद करके उसे चाट लिया ……
कुछ सेकंड तक कुछ भी नही हुआ फिर अचानक ……
मेरा सर घूमने लगा था,रात का समय था लेकिन कहि कहि से तेज प्रकाश सी आती हुई मालूम हुई ,ऐसा लगा जैसे किसी ने बहुत तेजी से घूमते हुए यंत्र में बिठा दिया है….
मैं बुरी तरह से डर गया था ये क्या हो रहा है ,ऐसा लगने लगा जैसे मेरा दिमाग ही फट जाएगा ,अचानक से बहुत तेज प्रकाश दिखाई दिया मैंने आंखे बंद कर ली लेकिन वो प्रकाश तेजी से मेरे पास ही आ रहा था ,मैं चीखना चाह रहा था लेकिन नही चीख पा रहा था की अचानक उस प्रकाश ने मुझे पूरी तरह से घेर लिया और वो खत्म हो गई …….
“भइया ..भइया ..”
मुझे कोई सुध नही था की मैं कब तक बेहोश पड़ा था ...ये निशा की आवाज थी मैं चौक कर उठा …
“अरे क्या हुआ आपको ऐसे क्यो हड़बड़ा रहे हो “
मैंने जब निशा को और चारो ओर देखा तो मैं बुरी तरह से चौक गया ,मैं अपने कमरे में था ,अपने बिस्तर में पड़ा हुआ था ..
मैं आश्चर्य से चारो ओर देखने लगा की आखिर मैं कहा हु ये क्या हो रहा है मेरे साथ …….
“भईया भइया आप ठीक तो है ना “
निशा के चहरे में चिंता साफ साफ झलक रही थी ,तो टॉमी भी बिस्तर में मेरे बाजू में बैठा हुआ मुझे ही देख रहा था …..
“मैं यंहा कैसे आया ,और मेरे कपड़े ..”
मैं अभी बस एक टॉवल में था ऐसा लगा जैसे अभी नहा कर निकला हु ,निशा जोरो से हंस पड़ी …
“लगता है रश्मि के प्यार ने आपका दिमाग सरका दिया है ,अभी तो थोड़ी देर पहले डिनर करके आप यंहा आये हो और शायद अभी नहा कर निकले हो ,मैं तो अभी यंहा आयी आप सो रहे थे..”
मैं आश्चर्य से भर गया था ,
”लेकिन….. लेकिन मैं तो .”.
मैंने याद करने की कोशिस की मैं तो अभी छत में था …
निशा थोड़ी घबराई
“भइया आप ठीक तो है ना,डॉ को बुलाऊँ क्या ..”
“नही नही मैं ठीक हु”
,मेरा ध्यान निशा के पहने कपड़ो पर गया ,मुझे कुछ कुछ याद आने लगा था ,ये तो वही कपड़े थे जो उसने उस दिन पहने थे जब उसने पहली बार मुझसे मेरे प्रति आकर्षण वाली बात की थी…
मैंने अपने दिमाग पर जोर डाला की आखिर उस दिन हुआ क्या था ,मुझे याद आया की मैं उस दिन डिनर करके अपने कमरे में आय था ,नहाने के बाद दर्पण के सामने खड़ा अपने विकसित हो रहे बाजुओ को देखा था ,इस बात से मुझे अपने इस ताबीज पर बहुत ही प्यार आय था और मैंने इसे प्यार से चुम लिया था …
ओह माय गॉड मैंने इसे हल्के से चूमा था बस ,बिल्कुल ही अनजानें में ,मेरे जीभ में अभी भी चंदन की हल्की सी खुशबू मौजूद थी,क्या मैंने अनजाने में इसे चाट लिया था ???,उसके बाद मैं बिस्तर में आकर लेट गया था कुछ ही सेकंड के लिए मेरा सर घुमा और फिर मैं उठाकर अपने नाइट वाले कपड़े पहन कर लेट गया था,कुछ देर बाद निशा कमरे में आ गई थी ,उसने रश्मि वाली बात की और फिर अपने आकर्षण की बात की (अपडेट 7)...
“आज तारीख क्या है ..”
मेरी बात से निशा चौकी लेकिन उसने तारीख बता दी मैं कुछ देर तक बस चुप ही हो गया था,मुझे समझ नही आ रहा था की आखिर हुआ क्या है फिर मेरे दिमाग ने चीजो को समझना शुरू किया कही ये इस लकड़ी का ही जादू तो नही जिसने मुझे भविष्य दिखा दिया …
मुझे अब भी कुछ समझ नही आ रहा था ,मैंने अपना मोबाइल निकाला उसमें ना तो विवेक अग्निहोत्री का कोई काल आया था ना ही कोई मेसेज था ,टाइम और समय वही थे जो उस दिन था ,मैं सर पकड़ कर बैठ गया था …
“भइया बताओगे की आखिर हुआ क्या है “
मैं जोरो से हंस पड़ा था निशा और भी गंभीर हो गई और थोड़ी डर भी गई ……
“आप मुझे डरा रहे हो ..”
मैं अब उसे क्या कहता की मुझे आने वाले दो दिनों का भविष्य दिखाई दिया है ,आज रात निशा मुझसे अपने आकर्षण के बारे में बात करने वाली थी ,फिर कल सुबह मैं काजल मेडम से इस बारे में सलाह लेता,शाम को चन्दू के साथ दारू पीकर पिता जी की चुदाई देखता और फिर रात निशा के साथ आगे बढ़ता,और विवेक का काल,दूसरे दिन विवेक से मिलना और फिर शाम को विवेक की हत्या की खबर ….यानी मेरे पास ज्यादा समय नही था अगर ये सपना नही था तो ….वरना मैं अंधेरे में ही तीर चला रहा होऊंगा…
“भइया आप कुछ बोल क्यो नही रहे हो “
मैंने निशा को देखा ,ये ही वो लड़की है जो मुझे धोखा दे रही है ...शायद ,क्योकि अभी मुझे कुछ पता नही था ..
“निशा आज थोड़ा थका हुआ हु ,क्या कल बात करे “
उसने मुझे अजीब निगाहों से देखा उसका चहरा मायूस था …
“ठीक है ..”
वो वापस चली गई थी …
अगर ये सच में भविष्य था तो ये लकड़ी काम करती है लेकिन ये क्या काम करती है ये मुझे कैसे पता चलेगा …???
मैंने अपनी आंखे बंद कर ली और सोने की कोशिस करने लगा…
किसी के गालो के चाटने से मेरी नींद टूटी , जैसा की अक्सर टॉमी किया करता था…
“भइया भइया …”ये निशा की आवाज थी
मेरी आंखे खुली तो सामने निशा का चहरा था ..
“मैं आपको पूरे घर में ढूंढ रही हु और आप यंहा छत में सोये है ..”
उसकी बात सुनकर मैं फिर से हड़बड़ाते हुए उठा …
मेरे जीभ से अब चन्दन की खुशबू गायब थी …
तारे अब भी आसमान में चमक रहे थे,वही मौसम ,मैं फिर से डरने लगा था अब ये क्या है……..
“क्या हुआ भइया….?...आप परेशान लग रहे हो ..”
“कुछ नही बस..”
“तू कितने समय से है यंहा पर “
“कुछ 2 मिनट ही हुए होंगे आपको जगाते …”
ये दो मिनट से मुझे जगा रही थी और मैंने इसकी आवाज अभी सुनी ,मतलब जब पहली बार मैंने इसकी आवाज सुनी थी तब से मैं ये सपना देख रहा हु ,लेकिन सपने में तो कोई आधे घण्टे जितना समय मैंने बिताया था ,हो सकता है क्योकि मैं जानता था की सपने में दिमाग कुछ ही सेकंड में पूरे दिन तक को दिखा सकता है ,कुछ घण्टो में हम पूरी जिंदगी जी लेते है …
यानी ये सपना था ,लेकिन कितना रियल था ,मतलब इस लकड़ी ने काम किया या नही ???
मैं बुरी तरह से कन्फ्यूज़ हो गया था आखिर साला ये हो क्या रहा है …???
“भइया आप ठीक तो हो ना “
“बस कुछ टेंशन है ..चलो कमरे में चलते है ..”
वो चुप चाप मेरे साथ कमरे में आ गई
“क्या हुआ आप इतने परेशान क्यो लग रहे हो “
“आज तारीख क्या है ??”
वो चौकी और उसने आज की ही तारीख बताई मतलब रविवार की ..मैं कुछ देर पहले ही छत गया था ,वंहा लकड़ी की ताकत जानने के लिए इसे चाट दिया,मुझे कुछ अजीब दृश्य दिखाई दिए और फिर बूम...एक सपना जो बेहद ही रियल था …….
“ओके ..”
“क्या हुआ है आपको सब ठीक तो है ना”
अब मैं पूरी तरह से उस सपने और उसके डर से बाहर आ चुका था ..
“हम्म चन्दू और रामु काका कल रात से गायब है ,किसी को नही पता की वो कहा गए …”
“तो आप क्यो परेशान हो रहे हो,गए होंगे कही आ जाएंगे…”
निशा मेरे गोद में आकर बैठ गई,और अपने होठो को मेरे होठो के पास ला दिया ,वो एक आमंत्रण था …
मैंने उसकी आंखों में देखा ……..
“निशा विवेक अग्निहोत्री को जानती हो “
“हा वो हमारे वकील है ना,आज माँ बहुत परेशान लग रही थी उनकी खबर से वो छत से गिर गए ना,पापा और माँ उनके ही घर तो गए है आज “
निशा का स्वभाव बिल्कुल ही नार्मल था,कही से नही लग रहा था की ये लड़की मुझे फंसा रही होगी ,बिल्कुल नेचुरल,इसके दो ही मतलब हो सकते थे,पहला की ये बेहद ही शातिर है और बेहद ही अच्छी अभिनेता है और दूसरा की ये सच में मासूम है और कोई इसकी आड़ ले कर गेम खेल रहा है …….
मैं उसे ही देख रहा था जैसे मैं उसके अंदर जा कर सब कुछ पता करना चाहता था …
“क्या हुआ भइया…..??..अरे आप उनको लेकर क्यो परेशान हो रहे हो ,आपने तो कभी उनसे बात भी नही की है ,ना ही कभी अच्छे से मिले हो ..”
“मैं उनको लेकर नही तुझे लेकर परेशान हु “
वो चौकी
“क्यो आखिर ???”
“मैं तेरा भाई हु और तू मुझसे ही प्यार करने लगी,हमारा रिश्ता तो ऐसे नाजायज हुआ ना…”
उसने अपना मुह सिकोड़ लिया
“आप फिर से चालू मत हो जाओ ,मैं आपकी हु बस मैं इससे ज्यादा कुछ नही जानती ,जायज नाजायज की फिक्र आप और नेहा दीदी करो “
“नेहा दीदी “मेरे मुह से अचानक निकल गया
“हा वो भी हमेशा यही कहते रहती है की मेरा आपसे प्यार करना नाजायज है और खुद चन्दू से छिप छिप कर मिलती है ,वो भी तो हमारा भाई ही है ना फिर उनका रिश्ता कैसे जायज हुआ और हमारा नाजायज ..”
इस बार मेरे दिलो दिमाग में बम ही बम फूटने लगे थे…
“मतलब नेहा दी और चन्दू ..???”
मैंने संभावना व्यक्त की
“ओह माय गॉड मैंने ये क्या बोल दिया,अगर नेहा दी को पता चल गया तो वो मुझे मार ही डालेगी “
निशा ने अपने सर को पकड़ लिया
“भइया प्लीज किसी को कुछ मत बोलना और प्लीज चन्दू से झगड़ा मत करना ,वो दोनो एक दूसरे को बहुत प्यार करते है ,प्लीज् प्लीज प्लीज ‘निशा ने मेरे सामने अपने हाथ जोड़ लिए…
“कब से चल रहा है ये ..”
“कुछ महीनों से ,सच में उन दोनो ने कुछ नही किया है अभी तक “
वो झट से बोली
“तुझे कैसे पता “
“बस पता है …”वो थोड़ी देर चुप ही रही ..
“मैं उनकी जासूसी जो करते रहती हु “
वो हल्के से हंसी…
“ह्म्म्म और नेहा दीदी को हमारे बारे में कब से पता है ??”
“कुछ सालो से ...मैं तो आपकी बहुत पहले से दीवानी हु “
उसने आंखे मटकाई मेरे दिमाग में सब कुछ क्लियर था …
नेहा दीदी निशा के मेरे ऊपर आकर्षण के बारे में जानती थी,और फिर जब चन्दू उससे मिला, चन्दू ने उन्हें अपने शीशे में उतारा और चन्दू को भी ये बात पता चली ,,शायद उन्होंने ही निशा को भड़काया था की वो मुझे जलील किया करे ,क्योकि कुछ महीनों से उसका मुझे जलील करना बहुत ही बढ़ गया था और तरीका कुछ गंदा हो गया था,पहले तो बस वो मुझसे नफरत सी करती थी जैसे प्यार के ना मिलने पर टूटे दिल का आशिक करता है ,मुझे अब उसकी कही हर पुरानी बात का मतलब समझ आ रहा था...उसका वो मुझसे बिना बात के लड़ना फिर नफरत से देखना,असल में वो नफरत नही थी वो प्यार का टूटना था …….
वो मुझे हसरत से देखती थी जो मुझे नफरत लगता था …
फिर चन्दू और नेहा के कहने पर उसने मुझे जलील करना शुरू कर दिया,और शायद कार में हुई घटना भी नेहा का ही प्लान था …
फिर जब मैं वापस आया तो मेरे बदले रूप से नेहा और चन्दू घबरा गए तो उन्होने फिर से निशा को आगे किया मुझसे माफी मांगने और सब कुछ अपने पक्ष में करने के लिए….
मुझे समझ तो आ गया था लेकिन अभी भी मैं कन्फर्म नही था …
“तो नेहा दीदी ही तुझे मुझे जलील करने को कहती थी ..”
वो चुप हो गई
“नही वो अक्सर चन्दू ही कहता था की अगर तू उसे जलायेगी तो शायद वो ठीक हो जाएगा,उससे वो तुझे पाने को बेताब हो जाएगा ,कभी कभी नेहा दीदी भी उसका सपोर्ट किया करती थी,सॉरी भइया मैंने आपको बहुत दर्द दे दिया ..”
उसके आंखों में आंसू आ गए थे ,लेकिन मुझे उसपर बेहद ही प्यार आया ,मैंने उसे अपने सीने से लगा लिया ..
“चल कोई बात नही ,लेकिन भूल कर भी ये बात नेहा दीदी को पता नही चलानी चाहिए की तूने मुझे उनके बारे में सब कुछ बता दिया है ,ना ही ये की तूने मुझे ये बताया है की नेहा दी हमारे बारे में जानती हैं “
“क्या वो क्यो ???”
“पहले मेरे सर की कसम खा ..”
“नही पहले बताओ “
“मेरी जान प्लीज “मैंने उसे प्यार से कहा वो थोड़ी मुस्कराई और मेरे सर पर हाथ रख दिया
“ठीक है नही बताउंगी लेकिन क्यो”
“क्योकि मैं नही चाहता की वो मुझे भी तेरी तरह पागल समझे “
मैं हंस पड़ा और वो मुझे गुस्से में मारने लगी..
“मैं आपको पागल लगती हु “
इस बार मैंने उसके सर को पकड़ा और उसके होठो में अपने होठो को डाल दिया ,उसे जैसे एक झटका सा लगा और थोड़ी देर में वो शांत हो गई और मेरे बांहो में खुद को पूरी तरह से छोड़ दिया …
कुछ देर तक मैं ऐसे ही उसके होठो को चूमता रहा …
“ठीक है अब जाओ जाकर सो जाओ मुझे भी जल्दी उठाना होता है “
उसने मुझे एक नाराज आंखों से देखा
“भइया प्लीज यही सोने दो ना “
“आज नही, तू सोएगी तो फिर मुझे तंग करेगी आज के लिए किस दे दिया ना बस हो गया “
“नही भइया प्लीज …”
उसने बड़े ही प्यार से कहा
“नो …चल अब जा “
मैं उसे उठाकर दरवाजे तक ले आया ...वो बुझे मन से जाने लगी लेकिन फिर मुड़कर दौड़ी और मेरे होठो में हल्का सा किस कर दिया
“आई लव यू “वो हँसते हुए भागते हुए अपने कमरे में चली गई ..
उसकी इस हरकत से मेरे होठो में एक मुस्कुराहट आ गई और फिर अचानक नेहा दीदी और चन्दू का चहरा मेरे आंखों के सामने झूलने लगा ……..
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RE: Antarvasna Sex Story - जादुई लकड़ी
अध्याय 13
सुबह मैं बहुत बेचैन सा मेडम के पास पहुचा ,वो मुझे कुछ बोल पाती उससे पहले ही मैंने उनका हाथ पकड़कर बाहर चलने को कहा..
“अरे ये क्या बत्तमीजी है …….”
“मुझे साफ साफ बताइये की आप कौन है ..??”
“वाट क्या बोल रहे हो ??”
“क्या आप चन्दू पर नजर रखे हुए हो …”
“मलतब ???”
वो मेरी बात सुनकर बौखला गई थी
“मेडम देखिए प्लीज् मुझे सच सच बताइये की ये लकड़ी क्या है ..और आप कौन हो,आप कल विवेक अंगिहोत्री से मिली थी राइट ..”
इस बार काजल मेडम शांत थी …
“तो उस वकील ने तुम्हे मेरे बारे में भी बता दिया “
“जब उसने कहा की वो लड़की कोई सुंदर सी फाइटर थी तो मेरे दिमाग में पहला नाम आपका ही आया था “
मेडम हल्के से हंसी
“अब प्लीज आप बताने का कष्ट करेंगी की ये हो क्या रहा है,आप मेरी रक्षा क्यो कर रही है ,और क्या इन सबमे बाबा जी या इस लकड़ी का कोई लेना देना है “
“इस लकड़ी के साथ क्या किया तुमने “
“कल रात मैंने इसे चांटा था जैसा बाबा जी ने कहा था की जब भी किसी मुसीबत में होंगे तो इसे चांट लेना “
वो हल्के से हंसी
“फिर क्या हुआ “
“मैंने एक अजीब सा सपना देखा की मैं ……….”
मैंने उन्हें सब कुछ बता दिया ….
“ओ माय गॉड ,मैंने सोचा नही था की ये हो जाएगा ,डॉ इज़ सच अ जीनियस “
“वाट???? कौन डॉ और क्या हो जाएगा ???“
“न्यूरोगिला ट्राय बेसाईल फास्फेट शार्ट में बोले तो NTBF ..”
“मतलब…”
मैं बुरी तरह से कन्फ्यूज़ था
“मतलब उन्होंने ये बना दिया “
“किन्होंने “
“डॉ ने, डॉ चूतिया …”
मेडम की बात से मैं बुरी तरह से झल्ला गया था
“कौन डॉ चूतिया…”
मैं झल्ला कर बोला
“तुम्हारे बाबा ..और हमारे डॉ साहब ,हमारे मार्शल आर्ट के ग्रेंड मास्टर ,इस संस्था के प्रमुख ...डॉ चुन्नीलाल तिवारी यरवदा वाले ,उर्फ डॉ चूतिया……..”
मैं बुरी तरह से चौक गया था,मुझे समझ नही आ रहा था की ये हो क्या रहा है …
“लेकिन वो तो एक सिद्ध संत है …”
“हा बिल्कुल ,वो जंगलो में इस दवाई को बनाने के लिए तपस्या ही तो कर रहे थे इतने दिनों से ,जो तुम्हारे गले में है वो उनके 5 सालो की मेहनत का नतीजा है….एक खास फार्मूले में कई महीने से डूबी हुई चंदन की एक लकड़ी का टुकड़ा ...ये जादुई लकड़ी है …”
अब मुझे कुछ कुछ समझ में आ रहा था की आखिर यंहा हो क्या रहा है …
“तो आपको बाबा जी ने भेजा है मेरी मदद के लिए “
“हा वो देखना चाहते थे की आखिर उनके शिक्षा का तुमपर क्या असर होता है ,और ये भी की इस ड्रग का तुमपर क्या असर होता है,लेकिन तुमने कभी इसे चाटा ही नही “
“लेकिन इसे चाटने के बाद तो मैं सो गया था…”
“वो इसलिए क्योकि ये पहली बार था,तुम्हारे दिमाग के चलने की स्पीड अचानक से कई गुना तेज हो गई जिसकी तुम्हे आदत ही नही है इसलिए तुम्हरे दिमाग ने शरीर के डिफेंस सिस्टम के तहत तुम्हे बेहोश कर दिया जैसे कोई बेहद डरावनी चीज देखने के बाद या फिर किसी बहुत बड़े सदमे के बाद लोग बेहोश हो जाते है क्योकि उसे जागते हुए वो सह नही पाते तो दिमाग का डिफेंस सिस्टम आपकी चेतना को खत्म कर देता है ताकि आप पागल ना हो जाए …..”
“लेकिन वो सपना …”
“शायद तुमने जब इसे चाटा था तो तुम निशा के बारे में ही सोच रहे थे राइट…या तुम्हारे दिमाग मे उसे लेकर कुछ द्वंद चल रहा होगा..तो तुम्हारे दिमाग ने तुम्हे वंहा पहुचा दिया ,तुम्हारी ही यादों का सहारा, तुम्हे सपना दिखाने के लिए लिया गया ,जो चीज तुम्हारे साथ बीती थी लेकिन तुम उसे सच समझने लगे और उसे अपने हिसाब से चलाने की कोशिस करने लगे ,इसे विज्ञान की भाषा में लुसिड ड्रीमिंग कहा जाता है(आप अधिक जानकारी के लिये lucid dreaming गूगल कर सकते है) ,जब आप सपने में होते हो लेकिन उस सपने को कंट्रोल कर सकते हो ,असल में आपको पता चल जाता है की आप सपना देख रहे हो ,इसके लिए बहुत प्रेक्टिस करनी पड़ती है ,कभी कभी ये अचानक भी हो जाता है,लेकिन तुम्हारे केस में तुम भूल गए की ये सपना है तुम्हे वो सब सच ही लगने लगा फिर भी तुम इसे कंट्रोल कर पाए इस दवाई के कारण …”
“अगर मैं अब इसे चाट लू तो ..”
“नही मेरे ख्याल से तुम्हारा दिमाग अभी तैयार नही हो पाया है .इससे पहले तुम्हे कुछ दूसरी ड्रग्स देनी होगी ताकि तुम इसके शक्ति को कंट्रोल कर सको ,तुम सोच नही सकते की डॉ ने तुम्हे क्या दे दिया है “
“मैं सच में नही सोच सकता की ये मेरे साथ क्या हो रहा है कहि ये भी सपना तो नही है “
काजल मेडम जोरो से हसने लगी और मेरे गालो में एक जोर की चिकोटी काट दी …
“आउच ..”
“अब समझ आया ,चलो जब तुम्हे ये पता चल ही गया तो कही बैठकर बात करते है तुमसे बहुत सारी बात करनी है ……..”
******
हम एक आरामदायक जगह में बैठे थे ये वही जगह थी जन्हा बैठकर मैंने उनसे आकर्षण के बारे में गुरुज्ञान लिया था …
“मुझे शुरू से जानना है “
मैंने रिक्वेस्ट की
“हम्म असल में हम ये संस्था चलाते है ,सेल्फ डिफेंस सिखाते है और साथ ही कई और विज्ञान,और समाज सेवा के कार्य भी करते हैं, हमारे कई स्कूल कालेज और हॉस्पिटल भी हैं,इसकी शुरुवात हमारे गुरुदेव डॉ साहब ने की थी ,हमसे कई लोग जुड़ते गए जिसमे कई वैज्ञानिक थे,कुछ दार्शनिक,मनोवैज्ञानिक,फाइटर्स ,आदि आदि ..
ये एक चैन सा बन चुका है,पूरे देश और विदेशो में फैल चुका है ..
खैर छोड़ो …
हुआ ये की उन्हें ये आईडिया किसी वैज्ञानिक के अधूरे प्रयोग से आया की एक ऐसी दवाई बनाई जा सकती है जिससे मानव मस्तिष्क की क्षमता को बहुत ज्यादा बड़ा दिया जाए,जैसा तुम्हे पता होगा की हम अपने दिमाग का कुछ ही परसेंट यूज़ कर पाते है ,बाकी दिमाग निष्क्रिय भी चला जाता है,वही कई वैज्ञानिक ये भी मानते है की जितना परसेंट बताया जाता है वो भी गलत है क्योकि अभी तक कभी तक किसी ने पूरा दिमाग यूज़ ही नही किया,मतलब की दिमाग की क्षमता का कोई ओर छोर ही अभी तक नही पता तो इसे परसेंट मे कैसे बताया जाय की अभी मनुष्य कितने परसेंट तक इस्तमाल करता है राइट...दिमाग की एक ख़ासियत ये भी है की इसे जितना उपयोग किया जाए वो उतना ही तेज होता जाता है,इन सब को सोचकर प्रयोग किये गए,और डॉ साहब सब कुछ छोड़ कर जंगलो में चले गए,हम कुछ लोगो को ही पता है की वो आखिर कहा है,हम उनसे सेटेलाइट फोन के मध्यम से संपर्क में है और उन्हें जरूरी चीजे उपलब्ध करवाते है…”
“लेकिन अगर वो कोई पहुचे हुए संत नही है तो फिर उहोने शंख बजाकर चीते को कैसे भगा दिया ..”
मेरा एक स्वाभाविक सा प्रश्न था ……
“अगर वो चीता रहा ही नही हो तो ..”
“क्या??????????”
मैं चौका
“लेकिन मैंने तो उसे अपनी आंखों से देखा था ,उसकी दहाड़ भी सुनी थी “
काजल मेडम हंस पड़ी ..
“हा बिल्कुल सुनी थी ,लेकिन ……..क्या तुमने कभी प्रोजेक्शन टेक्निक का नाम सुना है “
“हा थोड़ा बहुत ..”
“बस वो लाइट का प्रोजेक्शन था जो हमने डॉ की सेफ्टी के लिए लगाया था ,साथ में ही कुछ स्पीकर्स जिसकी दहाड़ तुमने सुनी “
मैं आंखे फाड़े उन्हें देख रहा था ….
“डॉ साहब ने उसी समय तुम्हारे भीतर छुपे हुए फाइटर को पहचान लिया था,जब उन्होंने तुम्हे निडर उस चीते के सामने देखा तो वो समझ गए थे की तुम जीवन को खोने के डर से मुक्त हो चुके हो ,तुम्हारे अंदर की निडरता और साहस को वो पहचान चुके थे,लेकिन फिर जब तुमने उन्हें अपनी कहानी सुनाई तो उनके दिल में तुम्हारे लिए एक दया का भाव जागा,वो चाहते थे की तुम खुद को पहचानो की तुम वो नही हो जो तुमन खुद को सोच रखा है….तुम ताकतवर भी हो ,और निडर भी ,बस जरूरत थी तुम्हारे भीतर की ताकत और साहस का तुम्हे अहसास दिलाने की ,तो उन्होंने तुम्हे मनोवैज्ञानिक तरीके से ट्रेन किया,उसके लिए तुम्हे भरोसा दिलाने के लिए ये लकड़ी तुम्हे दे दी ,और इसकी ताबीज बना कर तुम्हे पहना दिया,ताकि तुम्हे यही लगे की तुम्हारे भीतर से जो आ रहा है वो असल में एक सिद्ध बाबा के ताबीज का कमाल है …
साथ ही उन्होंने तुम्हे और भी कई गुर अनजाने में ही सीखा दिए जैसे पहाड़ो में चढ़ना ,दूर तक दौड़ना,ये तुम्हारे स्ट्रेंथ और कंफीडेंस को बढाता है,तुम चीते के सामने खड़े हो गए इससे तुम्हारे अंदर का फाइटर जागा जो किसी भी कंडीसन में हार नही मानता...तुम्हे योग ,आसन ,प्राणायाम और ध्यान सिखाया जिससे तुम हर दिन और बेहतर बनते जाओ,और सबसे बड़ी बात उन्होंने जो तुम्हे दे दी वो थी खुद पर विस्वास करने की कला …..
तुम जब वापस आये तो तुमने सब कुछ किया लेकिन अपनी शक्ति का गलत उपयोग करने की कोशिस नही की ,कोई और होता तो कब का इस लकड़ी को चाट चुका होता,डॉ को तुमपर यकीन था की तुम ऐसा नही करोगे इसलिए इसे तुम्हारे साथ लाने दिया,जब तुम पहली बार उनसे मिले तभी से उन्होंने हमे इस काम में भिड़ा दिया था की तुम्हारे बारे में पता कीया जाए,तुम्हारे आने तक हमारे पास तुम्हारी सभी बायोडेटा मौजूद थी ,हम तब से ही चन्दू और एडवेकेट अग्निहोत्री पर नजर रखे थे ,हमने दोनो का फोन भी टेप किया जिससे आगे हमे ये पता चला की वो तुम्हे फसाने के फिराक में है ,मुझे तुम्हे ट्रेन करना था क्योकि डॉ ने कह रखा था की मैं तुम्हारी हिफाजत भी करू और साथ ही तुम्हे आने वाली मुश्किलों को के लिए तैयार भी रखु,क्योकि …..”
वो इतना कह कर चुप हो गई
“क्योकि क्या मेडम ..”
काजल ने एक बार करवट बदली थोड़ी बेचैन हो गई ..
“क्योकि ये अब सिर्फ तुम्हारे और चन्दू की बात नही रह गई है,हमारे समान्तर एक और ग्रुप भी एक्टिव है जिसका प्रमुख है डागा ,डेनिश चरण डागा जो DCD के नाम से फेमस है, या ये कहु की अंडरवर्ड में बदनाम है ...वो एक कातिल है ,स्मगलर है ,और एक ग्रुप का लीडर है जो हमारे ग्रुप की सबसे बड़ी दुश्मन है …..
उनके एजेंट भी जगह जगह फैले हुए है ,और वो अभी डॉ को ढूंढने में अपनी पूरी ताकत लगा रहे है,यही कारण है की डॉ एक ऐसी जगह में छिपे है जिसका किसी को अंदाज भी नही हो सकता,वो भी इस दवाई की शक्ति को जानते है और इसे पाना चाहते है…….
अब मुद्दे की बात करे तो उन्हें ये पता चल गया है की हमारा ग्रुप तुम्हे प्रोटेक्ट कर रहा है,और मैं तुम्हे ट्रेन कर रही हु ,लेकिन उन्हें इस लकड़ी के बारे में नही पता ….हा उनके पास एक दूसरी थ्योरी जरूर है...वो है तुम्हारा पैसा …
तुम्हारे नाम पर अरबो की प्रोपर्टी है जिसका तुम्हे ढंग से पता भी नही है,उस ग्रुप को ये नही पता की तुम असल में डॉ के पास रह कर आये हो इसलिए तुम्हे हम प्रोटेक्ट कर रहे है बल्कि उन्हें ये लगता है की हम तुम्हारी दौलत के पीछे है ,सोचो अगर तुम हमारे साथ हो तो तुम हमे कितनी वित्तीय मदद कर सकते हो ,और इससे हमारा ग्रुप और भी ताकतवर हो जाएगा,और इसके लिए हम तुम्हे तुम्हारी प्रोपर्टी दिलाने में मदद करेंगे ….अब अगर ऐसा है तो उन्हें कोई ऐसा चाहिए था जो हमारे मंसूबो को नाकाम करे ,और उन्होंने चन्दू को खोज लिया,वो चन्दू के जरिये वो प्रोपर्टी पाना चाहते है ताकि वो पैसा जो हमारे ग्रुप को मिलना था वो अब डागा को मिल जाए ,वो उससे तबाही मचा देगा….हथियार खरीदेगा ..उन्हें वसीयत की कमजोरियों के बारे में पता चल गया है और इसीलिए उन्होंने पहले वकील को ही मार दिया,मैं नही चाहती थी की तुम्हे मेरे बारे में पता चले इसलिए मैंने तुम्हे काल नही किया बल्कि विवेक से करवाया….अब मुश्किल और बढ़ गई है क्योकि तुम मुझे पहचानते हो,और तुम्हे हमारी और अपनी हकीकत भी पता चल चुका है ,ये तुम्हारे लिए मुश्किल पैदा करने वाली है तो तुम्हे अब अपने ट्रेनिंग को अलग लेवल तक ले जाना होगा...ऐसा ना हो की बाबा के सिद्ध ना होने की बात सुनकर तुम्हारा कंफीडेंस गिर जाए और तुम पहले वाले राज बन जाओ ..”
मेडम की बात सुनकर मैं मुस्कुराया ..
“नही मेडम ,बाबाजी ने सॉरी डॉ ने जिस तरह से मेरे अंदर की ताकत का मुझे अहसास दिलाया है मैं इसे कभी नही खो सकता,और आपकी बात से और सच्चाई जानकर मैं और भी आत्मविस्वास से भर गया हु,आपके लिए वो शायद डॉ हो लेकिन मेरे लिए तो वो मेरे बाबा ही है,वो सिद्ध जिसने मुझे अपनी पहचान दिलाई ,मुझे जहन्नुम से निकाल कर जन्नत का रास्ता बताया..मैं उनकी दी शिक्षाओं को भूल नही सकता ..”
ये बोलते बोलते मेरा गला भर गया था ,मेरे दिल में बाबाजी उर्फ डॉ साहब के लिए सम्मान और भी गहरा हो गया था,उन्होंने मुझपर इतना भरोसा किया था की अपनी सालो की मेहनत मेरे हवाले कर दिया था,जब उन्होंने मुझ में कुछ देखा था तो मुझे भी खुद को साबित करना होगा,मैं उनका विस्वास नही तोड़ सकता था…..
“मेडम मैं तैयार हु ,मैं कठिन से कठिन ट्रेनिंग करूँगा “
मेरी बात सुनकर मेडम मुस्कुराई
“तुम्हे एक ही चीज की सबसे ज्यादा ट्रेनिंग की जरूरत है ,वो है इस दवाई को झेलने की शक्ति ,और इसकी ताकत का सही उपयोग करने का दिमाग ,वो शांत दिमाग से ही पॉसिबल हो पायेगा ...आगर तुम्हे ये कर लिया तो तुम अकेले सबपर भारी पड़ोगे…हम तुम्हे आज से ही कुछ अलग अलग दवाइयों के डोस देना शुरू करेंगे ..”
“मैं तैयार हु मेडम “
मेडम फिर से मुस्कुराई
“अब समय आ गया है की तुम रश्मि को आई लव यू बोल दो “
मैं उनके अचानक से टॉपिक बदलने पर चौका
“वाट अब रश्मि बीच में कहा से गई “
वो हँसने लगी
“क्योकि तुम्हे उसकी जरूरत पड़ने वाली है जो मेडिसिन तुम्हारे ऊपर चलेंगी और साथ ही ये लकड़ी का असर ये तुम्हारे सभी तरह के ताकत को बड़ा देगा...समझ रहे हो “
मैंने ना में सर हिलाया
“ये तुम्हारे शारीरिक ताकत ,मानसिक ताकत को बढ़ाएगा..तुम्हारी इमेजिनेशन की ताकत बहुत ज्यादा हो जाएगी जिसका उदाहरण तुम देख ही चुके हो ,सपना वो इमेजिनेशन ही तो है...साथ ही तुम्हारे cognation की ताकत,तुम्हरा perseption ,बैलेंसिंग ,कंसन्ट्रेशन सब कुछ ,तुम्हारे मसल्स की पवार तुम्हारी लर्निंग अब्लीटी ...और रश्मि की तुम्हे जन्हा जरूरत पड़ेगी..तुम्हारा टेस्टोस्टेरॉन लेवल,और तुम्हारी सेक्सुअल पॉवर…..राज इसे सम्हाल पाना बहुत मुश्किल होने वाला है तुम्हारे लिए...बाकी सब के लिए हमारे पास एक्सरसाइज है ,योग है ,ध्यान है लेकिन इसके लिए तो तुम्हे एक रियाल लड़की की ही जरूरत है ..”
मेडम हल्के हल्के मुस्कुरा रही थी …
लेकिन मैं नही मेरे दिमाग में और भी कुछ चल रहा था ..
“आप फिक्र मत करे मेडम ,रश्मि के अलावा भी बहुत लोग है मेरे पास ,कुछ को प्यार दिखाना है ,तो कुछ से बदला लेना है ..”
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04-30-2022, 11:48 AM,
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desiaks
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RE: Antarvasna Sex Story - जादुई लकड़ी
अध्याय 14
मैंने सोचा नही था डॉ का ग्रुप इतना संगठित होगा,मेरा प्रिंसपल भी इसका सदस्य था,मेरे एग्जाम होने वाले थे और मेरे ऊपर टेस्ट शुरू हो चुके थे,चन्दू का पता नही था लेकिन उसे ढूंढने की पूरी कोशिस जारी थी वही वकील साहब के घर से लॉकर की चाबी मिल चुकी थी ,साले ने उसे कॉन्डोम के डिब्बे में छिपा के रखा था,काजल के आदमी को बाकायदा उसकी बीवी को पटाने और उसके साथ रात गुजरने के लिए नियुक्त किया गया था ताकि वो घर में घुसकर चाबी का पता लगा सके ,मजे की बात ये थी की बीबी ने जब कॉन्डोम का डिब्बा खोला तो वो वही मिल गया ...और मजे की बात ये भी थे की डागा गैंग ने सारा घर छान मारा था लेकिन उस डिब्बे को छोड़ दिया था…..
हमारे पास वसीयत थी जिसे मेडम ने हिफाजत से रख लिया था उसकी एक कॉपी मुझे दी गई थी जो मेरे कमरे में सुरक्षित थी ,इसे अभी क्लेम करने से मना किया गया था क्योकि चन्दू बीच में आकर आधी प्रोपर्टी पर हक जमा सकता था क्लियर था की चन्दू के साथ वही करना होगा जो वो मेरे साथ करना चाहता था …
दवाइयों की टेस्टिंग से मेरे अंदर कुछ परिवर्तन आने लगे थे,जैसे मेरे मसल्स तेजी से बढ़ रहे थे,आवाज भारी हो रही थी ,एक महीने में ही मैं एक मुस्कन्डा दिखाने लगा था ,साथ ही साथ मेरे अंदर ऐसे मानसिक चेंज भी आ रहे थे जो किसी को नही दिखते थे,लेकिन टेस्ट करने पर पोसिटिव रिजल्ट ही था…….
बहुत मुश्किल से सही लेकिन निशा और रश्मि को अपने हवस से दूर ही रखा था क्योकि अभी तक ये मुझपर हावी नही हुए थे,निशा को मैंने अपने साथ सोने से सख्त मना कर रखा था वो मुझसे गुस्सा भी थी लेकिन अभी मैं उसके साथ कुछ नही करना चाहता था कम से कम जब तक टेस्ट पूरे ना हो जाए...रश्मि को दूर रखना आसान ही था…
लेकिन ,मेरी नजर शबीना और कांता पर टिकी थी ,काजल के लोग के अलावा मैंने पिता जी से कहकर कुछ सिक्योरिटी के लोग भी एक्सट्रा ला लिए थे,घर के किसी नॉकर को बाहर जाने की सख्त मनाही कर दी थी ताकि कांता और शबीना और अब्दुल भाग ना जाए,उनके अलावा बस एक नॉकर जो की मेरा ही आदमी था वंहा बिठा दिया था जो बाहर से समान लाने का काम करता था,ये सब घर वालो को अजीब लग रहा था लेकिन मेरे पिता को इससे कोई प्रॉब्लम नही थी ,बात ऐसी थी की मैंने वसीयत की एक कॉपी उनके डेक्स में रखवा दी थी ..
उन्हें पता था की मैं पूरी दौलत को क्लेम करने वाला हु ,और उसके बाद उनके पास कुछ भी नही रह जाएगा …
मैंने उनसे कुछ भी नही कहा ना ही माँ से कुछ कहा लेकिन पिता जी को मेरे हावभाव से समझ जरूर आ गया था की अब से इस घर का मालिक मैं हु ना की वो …….और वो मुझसे उलझना नही चाहते थे,ना ही मैं ये चाहता था …….
पूरा महीना हो चुका था और मेरे सेक्स की आग बढ़ने से मुझे बहुत परेशानी हो रही थी ,मैं हिलाना भी नही चाहता था ..
एक दिन मैंने अपनी सील खोलने की ठान ली ,लेकिन समस्या थी की किस्से शुरुवात की जाए क्योकि मैं जानता था की एक बार शुरू हो गया तो मेरे लिए रुकना मुश्किल होने वाला है,इसीलिए मैंने अभी तक इसे सम्हाल कर रखा था….
मेरे दिमाग में पहला नाम आया रश्मि का साथ ही निशा भी तो बेताब थी ,लेकिन मै दोनो के साथ नही करना चाहता था कारण था की दोनो ही कुँवारे थे और मैं इतनी ताकत के साथ उनके साथ कैसा व्यवहार करूँगा मुझे खुद नही पता था ,मुझे कोई एक्सपीरियंस चाहिए था……
और दुश्मन की माँ से ज्यादा अच्छा कौन हो सकता है ,ऐसे भी मैं साले की माँ चोदना चाहता था क्यो ना असल जिंदगी में भी उसकी माँ चोदी जाए……
लेकिन कैसे ..???
जबदस्ती ????
नही यार ये मुझसे नही होगा …..
फिर मेरे दिमाग में एक क्लिक हुआ ...
और मैं एक शाम अपने पार्किंग में गया …
वंहा पापा नही थे लेकिन कांता और शबीना मौजूद थे शायद पिता जी का ही इंतजार था,मैं उस कमरे की खिड़की के पास ही खड़ा था की पिता जी आते हुए दिखे मैं उनके पास चला गया ..
“आप यंहा ..”
वो मुझे देख कर हड़बड़ाए..
“हा वो कार कार लेने आया था वो काम से बाहर जाना है “
“लेकिन आपकी कार तो बाहर ही खड़ी है…”
“नही वो ये वाली कार उन्होंने वंहा खड़ी एक कार की ओर इशारा किया “
“हम्म तो जाइये ले जाइये “
उन्होंने अजीब निगाहों से मुझे घूरा लेकिन बिना कुछ बोले उस कार में जाकर बैठ गए जिसे उन्होंने पता नही कितने सालो से नही चलाया था ...उनके जाने के बाद मेरे होठो में मुस्कान आ गई,और मैंने सोचा क्यो ना लकड़ी का यूज़ करके देखा जाए,मैंने उस दिन के बाद से फिर कभी इसका उपयोग नही किया था लेकिन अब मुझे उसके जैसी मिलती जुलती दवाइयों की आदत हो गई थी,और शरीर भी लगभग तैयार ही था…..
मैंने लड़की निकाली और उसे चूस लिया…..
ऐसा लगा जैसे पूरे शरीर में कोई करेंट सी दौड़ रही हो ,मेरे नशो में खून नही करेंट सा दौड़ाने लगा था,ये अहसास पहले हुए अहसास जैसा नही था,मुझे कोई डर नही लग रहा था बस अजीब सा मजा आ रहा था...मेरे सामने सब कुछ थोड़े देर के लिए रंगीन सा हो गया,मुझे एक ड्रग्स की याद आयी जो मुझे टेस्टिंग में खिलाया गया था क्योकि कुछ ड्रग्स जो लोग नशे के लिए खाते है उन्हें भी खिला कर उनके नशे की जानकारी मुझे दी गई थी और ये भी बताया गया था की उसे कैसे हेंडल करना है...मुझे वैसा ही कुछ फील हुआ ,चारो तरफ जैसे रंगीन कार्टून चल रहा हो,मैं उस कमरे तक पहुचा,उन्हें देखकर मुझे कार्टून कैरेक्टर सविता भाभी की याद आ गई..मैं जोरो से हंसा ..
“अरे बेटा तुम ..”वो चौकी थी लेकिन मेरा ध्यान कांता के साड़ी से झांकते बड़े बड़े वक्षो पर जा टिका था ..
“हा आज पापा नही आएंगे तो उनके जगह उन्होंने मुझे भेजा है “
“क्या???”
वो दोनो चौक गई
मेरा गाला थोड़ा सुख रहा था मैंने पास रखी पूरी बोतल ही पी ली अब मुझे थोड़ा सामान्य सा लगा ,कार्टून वाली फाइलिंग अब जा चुकी थी ,लेकिन साला उनके वक्षो के उभार देखकर मेरा लिंग पूरी ताकत से खड़ा हो गया था ,ऐसा लग रहा था जैसे मैंने यंहा आकर गलती कर दी ,निशा या रश्मि पर ही ट्राय करना था अगर ये मुझे नही दी तो लग जायगा ,क्योकि मैं पागल हो रहा था और मेरा लिंग ऐसे तना था की अगर कुछ देर और हो गई तो शायद ये फट ही जाएगा ,नशे तन गई थी ..मुझसे और बर्दास्त नही हुआ और मैंने अपने शार्ट और अंडरवियर को उतार नीचे फेक दिया,अब मेरा लिंग पूरे सबाब में उनके सामने झूल रहा था,वो आंखे फाडे उसे ही देख रही थी ,वो थोड़ा धनुषाकार ऊपर को मुड़ा हुआ था और उसके शिर्ष पर मेरा अन छुवा सूपड़ा मसरूम जैसा दिखाई दे रहा था…
उन्होंने अपनी थूक अपने गले के अंदर की ..
“बेटा ये क्या कर रहे हो “हिम्मत करके शबीना ने कहा
“अरे माँ चूदाये बेटा...साली जल्दी से इसे मुह में लो देख नही रही हो कैसे गर्म हो रहा है ये थोड़ी देर और हुई तो फट जाएगा ,और आज से तुम मेरे बाप की नही मेरी रांड हो क्योकि अब इस घर का मालिक वो नही मैं हु ..चलो जल्दी वरना नंगा करके बालो से खिंचता हुआ घर से बाहर निकालूंगा ..साली कमिनियो मुझे घर से निकालने के लिए आई थी ना तुम लोग ..”
उन दोनो के चहरे फक्क पड़ गए थे वो अवाक से मुझे ही देख रहे थे...असल में मैंने भी ये नही सोचा था की मैं इनसे ऐसे पेश आऊंगा लेकिन पता नही इस साले लकड़ी के टुकड़े को डॉ ने कौन सी दवाई में डूबा कर बनाया था एक अजीब सा उन्माद मेरे अंदर आ गया था …
वो डर कर कापने लगी ..
“डरो मत मेरी बात मानो मैं कुछ नही करूँगा ,ऐसे भी मेरा लिंग मेरे बाप से बड़ा ही है तुम्हे मजा आएगा ...है ना ..”
उन्होंने हा में सर हिलाया…
कांता झुकी और अपने घुटनो के बल बैठ गई ...उसने मेरे लिंग को अपने हाथ में थाम लिया जो की उसके दोनो हाथो से भी बाहर था ..
“बाप रे ये तो आजतक का सबसे बड़ा लौड़ा है जो मैंने देखा है और वो भी इतना तना हुआ “
वो ललचाई आंखों से देखने लगी और फिर मेरे सुपडे के ऊपर की चमड़ी जिसे मैंने आज तक नही हटाया था उसे हटाने की कोशिस करने लगी ..
“आह..’
मुझे एक तेज दर्द हुआ
“अरे ये तो बिल्कुल ही अनछुआ है रे..’
कांता ने खुश होकर शबीना को बताया दोनो के मुह से जैसे लार ही टपक गया था ,
“तो कौन सील तोड़ेगा “
दोनो ने एक दूसरे को देखा
“तू साली रांड “
मैंने कांता के सर को पकड़कर उसे अपने लिंग के पास टिका दिया उसने भी अपने होठो को खोलकर बड़े ही प्यार से उसे चूसना शुरू किया और अपने थूक से भिगोकर मेरी चमड़ी को धीरे धीरे पीछे करने लगी ,थोड़ी देर में चमड़ी पूरी तरह से पीछे हो गई थी ,मुझे थोड़ा दर्द भी हुआ लेकिन उस मजे के सामने उस दर्द की कोई औकात नही थी ...मैंने शबीना को इशारे से अपने शार्ट को देने बोला और उसकी जेब में रखा अपना मोबाइल निकाल लिए और कांता की फ़ोटो उतारने लगा ..
“नही बेटा”
उसने मुह हटाया ही था की मैंने फिर जोरो उसके सर को दबा दिया
“मैं तेरा मालिक हु तू नही समझी जो चाहे करूँगा “
वो समझ चुकी थी की उसकी एक नही चलने वाली ,उसने फिर से लिंग की चुसाई शुरू कर दी ...मैं आनन्द के सागर में गोते लगा रहा था ,मुझे नही पता था की ये भी एक मजा है लेकिन सच कहु तो मुझे इतना आनन्द मिल रहा था की मुझे लगा मैं इसका एडिक्टेड ही हो जाऊंगा ,इसके सामने दुनिया की सारी दौलत और ताकत झूठी मालूम होने लगी थी …
मेरी आंखे बंद थी और वो चूसे जा रही थी एक समय ऐसा आया की वो थक गई ,अब मैं उसके सर को पकड़े जोरो से आगे पीछे कर रहा था,उसके मुह से गु गु की आवाज आने लगी ..
वो मेरे पैरो को मार रही थी लेकिन मुझे कोई फर्क नही पड़ रहा था,बल्कि उसे तड़फता देख मुझे और भी मजा आया मैंने उसका एक वीडियो भी बना लिया था ..
“बेटा बस भी करो मर जाएगी ये, सांस नही ले पा रही है ..”
शबीना आगे आकर बोली..मैंने कान्ता को छोड़ दिया था वो खांस रही थी ...उसके मुह से लार टपक रहा था और वो अपनी सांसे लेने की कोशिस कर रही थी ..
“चल जान अब तू आज “
मैं जाकर बिस्तर में लेट गया और शबीना की ओर इशारा किया ..
वो मुस्कराते हुए मेरे पास आयी और अपनी साड़ी उतार कर एक ओर फेक दिया ..
“चूस इसे कपड़े मत उतार..’
मेरी आंखे आधी बन्द हो गई थी जैसे मैं नशे में था..
“बेटा मैं तो तुझे अपने जन्नत की सैर करवाना कहती हु और तू फिजूल चीजो में लगा है “उसने बहुत ही इठलाते हुए कहा
अपने हाथो से उसने मेरे लिंग को थोड़ा मसला और अपने पेटीकोट का नाडा खोलकर मेरे ऊपर आकर बैठ गई …….
शबीना काकी ने अपने हाथो से मेरे लिंग को अपनी भीगी योनि में प्रवेश करवाया ……
“वाह...वाह ..”
मैं आनंद के उस अनुभव को बयान नही कर पाऊंगा की मुझे कितना आनंद उस मिलन से मिल रहा था ,
“आह बेटा तूने तो मुझे पूरा भर दिया फिर भी तू अभी बाकी है ..”
शबीना की आह आयी उसने मेरे लिंग को पूरा अपने अंदर नही लिया बल्कि थोड़ा सा उठकर अपने कमर को नीचे किया ..
“आह मादरचोद ये क्या मजा है ,मैं पागल हो जाऊंगा “
मैं आनंद के अतिरेक में रो सा पड़ा था और शबीना की कमर को पकड़कर जोरो से नीचे धक्का दे दिया..
“हाय मार डाला ,आदमी हो की शैतान हो ,सांड की आत्मा आ गई है क्या तुम्हारे अंदर साला घोड़े का लंड ले के आ गया है और हमारी फाड़ रहा है,”
शबीना के आंखों में आंसू आ गए थे जिसे देखकर मुझे बहुत मजा आया,मेरे कमर को नीचे करने से अचानक ही मेरा पूरा लिंग उसके योनि के अंदर समा गया था ….मुझसे अब रुका नही जा रहा था ,मैं उसके कमर को पकड़ कर जोरो से ऊपर नीचे करने लगा साथ ही अपने कमर को भी ऊपर उठा उठा कर उसे धक्के मारने लगा लेकिन उसकी फ़टी तब जब मैंने उसे अपने नीचे लिटा लिए और उसके पैरो को पूरी तरह से फैला दिया ,मेरा पिस्टन चालू हो चुका था ,जो किसी सुपरफास्ट जैसे चल रहा था ,..
“आह दाई मार डाला साले ने आह ...रुक जा कमीने रुक जा इतना तो तेरे बाप ने आजतक नही चोदा..है भगवान बचा ले मुझे..”
शबीना ना जाने क्या क्या बोल रही थी,ऐसे उसकी योनि का रस भी चूह रहा था जिससे फच फच की आवाजे तेजी से निकल रही थी लेकिन फिर भी जब जब मैं अपने पूरे ताकत से धक्का लगता वो उछल सी जाती, वही कान्ता ये सब आंखे फाड़े देख रही थी ..
मैंने उसे इशारे से अपने पास बुलाया और उसके बालो को खीचकर उसे अपने नीचे लिटा लिया मैंने उसके होठो में अपने होठो को डाल दिया और जोरो से चूसने लगा ,मैं उसके होठो को मानो खा ही जा रहा था…
“माँ….आआआआआआहहहहहहह “
चीखते हुए शबीना शान्त हो गई उसने कांता के बालो को जोरो से खींचा था ,अब वो मुर्दो जैसी हो गई थी लेकिन,पूरी योनि इतनी गीली थी जैसे अभी अभी उसने यंहा पेशाब कर दिया हो ,मैंने पढा था की इसे लड़कियों का ओर्गास्म कहते थे,हिंदी में चरम सुख..
“अब मेरी बारी..”
कान्ता जैसे ललचाई सी बोल उठी ..
“क्यो नही मादरचोद “
मैं शबीना के ऊपर से उठकर कान्ता के ऊपर चढ़ गया वो अब तक पूरी नंगी हो चुकी थी जबकि शबीना ने बस अपना पेटीकोट ही निकाला था ..मैं उसके योनि में अपने हाथो से ही लिंग का प्रवेश करवाया ...मैं भी अब तक थोड़ा शांत हो चुका था ,मैंने फिर से उसके कुछ फोटो लिए इस बार उसने कोई भी विरोध नही किया जबकि उसने मेरा साथ ही दिया …
धक्के लगाते लगाते दोनो को मैंने दो बार झडा दिया था लेकिन साला मेरा निकलने का नाम ही नही ले रहा था,वो दोनों भी पस्त किसी मुर्दे की तरह हो चुकी थी ,..
“बेटा माफ कर दो हमे ,अब नही ले पाएंगे “
शबीना ने हाथ जोड़ते हुए कहा …
मुझे भी उनपर दया आ गई ,लेकिन अब इसका क्या करू ये साला तो मुझे पागल बना देगा ..मैंने खड़े लिंग को देखा वो इन दोनो के कामरस के पूरी तरह से भीग चुका था और चमक रहा था ,इसकी शोभा इसका शिरमौर मेरा लाल सूपड़ा लग रहा था...मैंने इसकी भी एक फोटो उतार ली ..और काजल मेडम को फोन लगा दिया
“राज क्या हुआ सब ठीक तो है ना “
“मेडम मैं पागल हो जाऊंगा कुछ करो “
“क्या हुआ ??”
वो चिंतित हो गई
“पिछले दो घण्टो से मेरी माँ की उम्र की 2 रांडो को रगड़ रहा हु वो थक गई लेकिन मेरा निकल नही रहा है मैं पागल हो गया हु,कही इन दोनो को कर कर के मार ना डालु..”
मेरी बात सुनकर वो तुरंत बोल उठी
“तुम धंधे वाली के पास गए हो …????”
“अरे नही पहचान की औरते है,चन्दू की माँ और उसकी सहेली ..”
“हे भगवान “
मेडम जोरो से हँसने लगी थी ..
“मेडम प्लीज हँसने का वक्त नही है ,मैं पागल हो जाऊंगा..”
“ओके ओके जाओ और नीबू चुसो फिर ट्राय करना “
“ओके..”
तभी मुझे एक आइडिया आया ,
चन्दू अपना मोबाइल बंद रखे था,लेकिन उसका ईमेल आईडी मेरे पास था,मैंने सारे फ़ोटो और वीडियो उसे सेंड कर दिया साथ ही एक मैसेज भेजा…
'इस चुद को पहचान, इसी चुद से तेरा जन्म हुआ है,और इस लौड़े के पहचान इसका ही तू कभी मजाक उड़ाया करता था,आज यही लौड़ा तेरी माँ के चुद के रस से चमक रहा है…
कहा छिपा बैठा है बे कायर मादरचोद ,तू बिल में छिपा बैठा रहा और मैं यंहा तेरी माँ को रोज किसी सस्ती रांड की तरह चोदूगा'
मेरे होठो में एक मुस्कान आई जब मैंने सेंड का बटन दबाया...
मैं नीबू लेने के लिए अपना शार्ट पहन कर निकला ही था की मेरी नजर निशा पर पड़ी उसकी आंखें आंसुओ से भरी थी …….
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desiaks
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RE: Antarvasna Sex Story - जादुई लकड़ी
अध्याय 15
निशा को देखकर नही उसके आंखों में आंसू को देखकर मेरी हवा टाइट हो रही थी …
“क्या हुआ निशा ..?”
मैं जानता था की निशा ने वो सब देख लिया है जो मैं अंदर कमरे में कर रहा था ,असल में मैं भी पापा की तरह ही खुल्लमखुल्ला ये सब कर रहा था …..
वो बिना कुछ बोले ही भागी...मैंने भी खुद को थोड़ा सम्हाला और उसके पीछे भागा वो अपने कमरे में घुस गई थी ,मैं भी अंदर चला गया ……
“तू ऐसे रो क्यो रही है..??”
“तो क्या करू...रश्मि के साथ कुछ करते तो ठीक भी था लेकिन उन लोगो के साथ...छि वो हमारे माँ के उम्र के है...आप भी अपने बाप की ही औलाद निकले,मैं ही गलत थी आपके बारे में सोचती थी की आप अलग हो लेकिन ….नही ...अब जाओ यंहा से ,ताकत मिलने पर सभी उसका गलत ही फायदा उठाते है…..”
अब मैं इसे क्या समझाता की मैं वंहा क्यो गया था ..
“निशा मैं तुझे क्या समझाऊ की मैं वंहा क्यो गया था ..”
इस बार वो मुझे घूरने लगी ..
“अब ये मत कहना की उन्होंने आपको सेडयूस किया होगा..”
“नही असल में पहले मैंने ही उनके ऊपर जोर डाला था ,लेकिन मेरी बात तो सुन ..ये एक तरह का बदला था..”
वो मुझे अजीब नजर से देखने लगी ..
“मतलब …”
“मतलब की ये लोग मुझे मारने का प्लान बना रहे थे..”
“क्या…?”
“हा निशा ...कान्ता और शबीना को यंहा इसीलिए लाया गया था की ताकि वो पापा का पाप अपने पेट में ले ले,और उससे जो बच्चे जन्म ले उन्हें हमारे प्रोपर्टी में हिस्सेदारी मिलेगी ….”
“क्या???मैं समझी नही ..”
“चल मेरे साथ “
मैं उसे अपने कमरे में ले गया और वसीयतों की कॉपी दिखाई ,और पूरी बात समझाई की कैसे वकील ने हमारे साथ गेम खेला और कैसे चन्दू मुझे मारने का प्लान कर रहा है ,और कही छिप गया है लेकिन मैंने लकड़ी ,अपने ट्रेनिंग और काजल मेडम की बाते उससे शेयर नही की ……
“ओह मेरे भइया, चन्दू इतना कमीना निकल जाएगा मुझे अंदाजा भी नही था “वो मेरे गले से लग गई
लेकिन फिर मुझसे अलग हुई..
“लेकिन इससे आपको ये हक नही मिल जाता की मेरा हक आप किसी दुसरो में बांटो,हा रश्मि की बात अलग है “
मुझे समझ आ चुका था की वो किस बारे में बात कर रही है ..
“कौन सा हक “
“इसका हक”
उसने मेरे लिंग को पकड़ लिया जो की अभी अभी थोडा ढीला हुआ था ..
मैं हंस पड़ा
“तू मेरी बहन है मैं तेरे साथ ये सब नही करूँगा ,ये सब पाप है ..”
“भाड़ में गया पाप-वाप मुझे तो चाहिए…”
वो मेरे ऊपर कूद पड़ी थी और मुझे किस करने लगी ,हमारे होठ मिल गए और मेरा लिंग फिर से फुंकार मारने लगा…
ये अजीब बात थी की अब मुझे ज्यादा मजा आ रहा था,मुझे निशा के कोमल शरीर को छूने में उनसे खेलने में और उन्हें प्यार करने में ज्यादा मजा आ रहा था…..
मैं उसे सहलाने लगा था उसकी सांसे भी तेज हो चुकी थी ..
लेकिन मेरे मन में बार बार ये सवाल आ रहा था की क्या जो मैं करने जा रहा हु वो सही है ……??????
निशा मेरी बहन थी लेकिन जब से हमने होश सम्हाला था तब से बहन भाई वाली बॉन्डिंग हममे नही थी शायद यही वो कारण था की वो मेरे प्रति सेक्सुअली अट्रेक्ट हो रही थी ,मुझे उसके प्रति कोई सेक्सुअल अट्रेक्शन तो नही था लेकिन ……
लेकिन उसके शरीर की वो हल्की गर्मी मुझे पसंद आ रही थी ,मर्द था तो औरत के स्पर्श से उत्तेजना तो आनी ही थी ,क्योकि ये सच था की हमारे बीच कोई इमोशनल बॉन्डिंग नही बनी थी ,और जो थी भी वो कमजोर ही थी …..
निशा मुझे टूटकर चाहती थी और यही बात मुझे उसके और भी पास ले जा रही थी ,लेकिन फिर मुझे याद आया की मैंने कान्ता और शबीना का क्या हाल किया था और ये तो वरजिन है शायद..??
“रुक रुक ..”मैंने उसे अपने से थोड़ा अलग किया
“क्या हुआ भइया …”उसकी सांसे तेज थी ..
“मैं एक हैवान हु निशा ,तू शायद मुझे नही झेल पाएगी “
उसने मेरे आंखों को बड़े ही गहराई से देखा ,
“आपने उनके साथ जो किया वो मैंने देखा था ,हा आप एक हैवान हो ,हवस से भरे हुए एक राक्षस जिसे शांत नही किया जा सकता लेकिन …...लेकिन आप उनके साथ सिर्फ अपनी हवस और फस्ट्रेशन मिटा रहे थे लेकिन मेरे साथ…...मेरे लिए आप मेरे देवता हो ,मेरी जान हो ,मेरे प्यारे भाई हो ,मेरा पहला प्यार हो ,मैं आपके जिस्म से नही बल्कि आपके रूह से भी उतनी ही मोहब्बत करना चाहती हु “
उसने अपनी उंगलिया मेरे माथे से लेकर मेरे होठो तक चलाई ...और मेरे होठो में लाकर उसे रोक दिया,वो अभी भी मेरे ऊपर ही थी ,हल्के लूज टीशर्ट के अंदर उसने कोई भी अंतःवस्त्र नही पहने थे ,ना अपनी छोटी सी केपरी के अंदर कोई पेंटी जैसी चीज,जिससे उसके जिस्म का अहसास मुझे साफ साफ हो रहा था ..
उसने अपनी उंगलियो से मेरे होठो को बड़े ही प्यार से छुवा और हल्के हल्के से उन्हें सहलाने लगी ,मेरे साथ वो हुआ जिसके बारे में मैंने कभी सोचा ही नही था ,मैं उसके उन उंगलियों के अहसास में ही खो सा गया …
अजीब बात थी की उसकी आंखे नम हो रही थी लेकिन होठो में हल्की सी मुस्कान थी ,वो बिल्कुल ही शांत थी जो की मैं भी था….
“भइया मैं आपको अपना प्यार देना चाहती हु ,आप पर अपना हक जताना चाहती हु,आपकी हो जाना चाहती हु,शायद दुनिया के लिए ये पाप हो या कुछ और हो ,आप शायद इसे मेरे जिस्म की भूख ही समझे लेकिन यकीन मानिए की मेरे अंदर जो चल रहा है वो मैं ही जानती हु ...मैं अपना सब कुछ आप को दे देना चाहती हु ,आप इसे किसी हैवान की तरह भोगे की प्रेमी की तरह प्रेम करे ये आपके ऊपर है ,मेरा जिस्म और मेरी रूह मैं आपके हवाले करती हु …”
उसने अपने होठो को मेरे होठो से सटा दिया …
इस बार उसके होठो में कुछ अलग ही बात थी ,वो समर्पण था ,कोई जल्दबाजी नही थी कोई छिनने की भावना नही थी ,बस प्रेम का अहसास था,और उस अहसास से मैं भी जुदा नही रहना चाहता था ,मैं उस अहसास में डूब सा गया…
उस संवेदनशीलता में अपने को खो देना मुझे किसी सौभाग्य से कम नही लग रहा था ……..
मैं हल्के हल्के से उसके नाजुक होठो को अपने होठो से चुम रहा था वो अपने को और भी मेरे अंदर समाने की कोशिस कर रही थी …
मेरा लिंग अपनी ही धुन में अकड़ा हुआ था लेकिन मुझे इतनी भी फिक्र नही थी की मैं उसे कहि डालकर रगड़ू…
असल में मैं उसकी ओर ध्यान ही नही दे पा रहा था वो बस निशा के जिस्म से रगड़ खा रहा था लेकिन उससे ज्यादा मजा और खो जाने का अहसास मुझे निशा के होठो से ही मिल जा रहा था,
मैंने उसे अपने बांहो में भर लिया ,वो हल्की सी भरी हुई जरूर थी लेकिन मेरे सुडौल बांहो और मजबूत नंगी चौड़ी छाती में वो जैसे खो सी गई थी ,वो अब अपना सर मेरे छातियों में उगे बालो पर रगड़ रही थी ,मुझे ऐसे लग रहा था जैसे मेरी छाती में कोई मासूम सा बच्चा सो रहा हो ,मैं उसे कोई भी दुख नही देना चाहता था ,प्यार करने के लिए मैं बस उसके फुले हुए गालो को अपने दांतो से हल्के से कांट लेता …..
मेरा लिंग अपनी ये अवहेलना नही सह पाया और कब मुरझा गया मुझे पता भी नही चला ….
हम बहुत देर तक वैसे ही सोये रहे ……
“भइया…”
“ह्म्म्म”
“आपके शैतान को क्या हुआ आप तो बोल रहे थे की मैं उसे नही झेल पाऊंगी वो तो सो गया “
उसकी बात सुनकर मैं मुस्कुराए बिना नही रह पाया …
“ह्म्म्म शायद वो तेरे सामने शैतानी नही कर सकता ..”
वो भी मस्कुराते हुए मुझे देखने लगी ..
“मेरे पास एक जेल है ,पहली बार के लिए मैंने लाया था…..मैं चाहती हु की आज आप मुझे पूरी तरह से अपना बना लो “
अब मैं क्या कहता की मुझे तो उसका यू ही बांहो में लेटना ही किसी सेक्स से ज्यादा सुख दे रहा था ,मैंने कुछ भी नही कहा वो अपने कमरे में गई और एक ट्यूब ले आयी और मुझे थमा दिया …..
“अब मैं आपके हवाले हु “
सच बताऊ तो मुझे बिल्कुल भी समझ नही आ रहा था की मैं क्या करू ,कैसे शुरुआत करू…..वो मुझे इस हालत में देखकर हँसने लगी ….
“पूरे बुद्धू ही हो …”
और मेरे ऊपर कूद गई ,हमारे होठ फिर से मिल गए थे ,इस बार उसने बहुत ही उत्तेजना के साथ मेरे होठो को चूमना शुरू किया,मैं भी उसके साथ हो लिया,उसने मेरा हाथ अपने वक्षो पर टिका दिया और मेरे हाथ कसते चले गए ,मैं उसके उरोजों को हल्के हल्के से दबा रहा था,और वो कसमसा रही थी ,मेरे लिंग ने धीरे धीरे फुदकना शुरू कर दिया था खासकर जब निशा के जांघो के बीच की घाटी से वो टकरा जाता तो जैसे एक झटका मरता,वो अकड़ गया था और जैसे जैसे वो अकड़ रहा था,मेरा और निशा का किस और भी ज्यादा उत्तेजक और तेज हो रहा था …
मैं निशा के बालो को पकड़कर उसे अपने नीचे लिटा दिया ,अब मैं पूरे जोश में आ चुका था,
एक बार मैंने उसके चहरे को देखा,उसकी आंखे आधी बंद हो चुकी थी सांसे तेज थी ,आंखों का काजल थोड़ा फैल गया था ,चहरा पूरा लाल हो चला था और होठ गीले थे,जो मुझे अपने ओर आमंत्रित कर रहे थे,मैंने फिर से उसके होठो को अपने होठो में भर लिया लेकिन इस बार अपने हाथ को उसके टीशर्ट से अंदर धकेल दिया ..
जो की उसके नंगे वक्षो पर जाकर रुके….
ऐसा स्पर्श मैंने जीवन में पहली बार अनुभव किया था ,वो बहुत ही मुलायम थे ,जैसे कोई रेशम हो ,चिकने ऐसे जैसे मक्खन हो ,मेरे हाथ फिसले और मैं उन्हें हल्के हल्के ही सहलाने लगा ….
अब मेरी भी सांसे तेज हो रही थी ,लिंग अपने पूरे सबाब में आ चुका था ,जो की सीधे निशा के जांघो के बीच रगड़ खा रहा था …
वो झीना सा कपड़ा उसकी योनि से रिसते हुए द्रव्य को रोकने में नाकामियाब था और मुझे पूरे गीलेपन का अहसास हो रहा था जो की मेरे लिंग तक जा पहुचा था ,
“भाई अब ..कर भी दो ना “
निशा बड़ी ही मुश्किल में बोल पाई थी …..
मैंने उसके टीशर्ट और केपरी को उसके जिस्म से आजाद कर दिया,अब वो मेरे सामने पूरी नग्न सोई थी और मैं उसके ऊपर अपने के मात्रा कपड़े को आजाद कर नग्न था …
हम दोनो के ही जिस्म एक दूसरे से रगड़ कहा रहे थे ,मैं तो उस ट्यूब के बारे में भूल भी गया था ,हवस और ये मजा मेरे अंदर उतरने लगा था ……..
कान्ता और शबीना से हुए कांड के बाद मेरे लिंग की चमड़ी अच्छे से खुल चुकी थी इसलिए मैं निशा के योनि के रस से भिगोकर उसे उसके योनि के द्वार में घिसने लगा…..
“आह..भाई...रुक...जा.”
निशा उस आनंद के अतिरेक को सह नही पा रही थी वो बड़ी मुश्किल से बोल पाई ,
“ट्यूब ..”उसने उसने उखड़े हुए स्वर में कहा ….
मेरा हाथ पास ही पड़े ट्यूब में चला गया और मैंने एक ही बार में लगभग आधा ट्यूब उसके योनि और अपने लिंग में डाल दिया..
उस जेल का कमाल था की मेरा लिंग इतना चिकना हो गया था की आराम से फिसल रहा था लेकिन अभी उसे एक दीवार को तोडना था वो थी निशा के यौवन की दीवार ,उसका कौमार्य …
मेरी प्यारी बहन ने मुझे अपने कौमार्य को भंग करने के लिए चुना था ,वो कार्य को शायद कोई दूसरा मर्द करता ,लेकिन समाज की और सही गलत की परवाह किये बिना हम जिस्म के मिलन के आनंद में डूबे हुए थे…….
मैंने अपने अकड़े हुए लिंग को फिर से निशा के योनि में रगड़ा और धीरे से वो थोडा अंदर चला गया ……
निशा ने मुझे कस कसर जकड़ लिया था उसके आंखों से दो बून्द आंसू झर गए …..
“आह मेरी जान …”मेरे मुह से अनायस ही निकला ,वो इतना टाइट था की मेरे मुह से आह का निकलना स्वाभाविक था,और वो मजा जो लिंग की चमड़ी के योनि के सुर्ख दीवार में घिसने से मिलता है …
“भाई..’निशा भी मुझे जोरो से जकड़ते हुए मेरे मुह में अपने मुह को घुसाने लगी ,हमारे होठ एक दूसरे के होठो को बेतहाशा ही चूमने लगे थे,मेरी कमर रुक गई थी अभी मेरा सुपाड़ा ही अंदर प्रवेश कर पाया था ,निशा ने मेरे कूल्हों पर आपने हाथो को जमा लिया ,वोई वंहा हल्के से प्रेशर देकर मुझे आगे बढ़ने की सहमति देने लगी …
“आह..’
जेल का कमाल था मेरा लिंग आसानी से अंदर जा रहा था लेकिन अभी भी पूरा नही जा पाया था ,लेकिन अभी आधा किला फतह कर लिया गया था ….
“भाई आई लव यू…”
उसने भीगी हुई आंखों से मुझे देखा और मेरे बालो को पकड़ कर मुझे अपनी ओर खिंचने लगी ….
“आई लव यू मेरी जान “
मैं उसके होठो को अपने होठो में मिलाकर चूसने लगा था ..
मेरी कमर ने इस बार एक जोरदार धक्का मार और मेरा लिंग अपनी जड़ तक निशा की योनि में समा गया था …..
निशा ने मेरे बालो को जोरो से खिंचा और अपने दांतो को मेरे कंधे में गड़ा दिया,उसकी आंखों से दो बून्द टपक गए,मैं वही रुक गया था , जब मैंने उसके चहरे को देखा तो वो मुझे देखकर मुस्कुराने लगी …..
“भाई अब मैं आपकी हुई “
उसकी भोली बात सुनकर मुझे उसपर बेहद ही प्यार आया रु मैं उसके ऊपर टूट सा गया ,मेरे होठो में जो आया मैंने उसे भिगो दिया था मेरा कमर भी हल्के हल्के चलने लगा था,मैं कोई भी मेहनत नही कर रहा था ना ही निशा कुछ कर रही थी दोनो ही बस एक दूसरे में खोये हुए थे,कमर के हल्के धक्कों के साथ निशा और मेरी हल्की सिसकिया भी कमरे में फैल रही थी ,ac फूल था लेकिन फिर भी हम पसीने से भीग चुके थे ,थोड़ी ही देर में मेरा लिंग बेहद ही आराम से अंदर बाहर होने लगा था,
मेरी प्यारी बहन के प्यारे से योनि ने अपना रस भरपूर छोड़ा था और मेरा लिंग उसमे घिस घिस कर एक मादक ध्वनि उत्पन्न कर रहा था,थप थप की आवाज सुर और लय के साथ आनी शुरू हो गई थी ,दुनिया को हमने भुला दिया था और एक दूसरे के प्रेम में डूब गए थे …
“भाई आई लव यू,भाई….ummmaa ummmaa “
वो मुझे चुम रही थी चाट रही थी ,मेरे भी होठ उसके कंधे और उसके गालो को अपनी थूक से पूरी तरह से भिगो चुके थे ,उसके कंधे में मैं हल्के हलके अपनी दांत गड़ा रहा था,मुझे अब गिरने की कोई चिंता भी नही थी ,ना ही कोई जल्दी थी ,बहुत देर हो चुके थे ऐसे तो समय कुछ रुक सा गया था….
निशा पलट कर सो गई और मैं उसके पैरो को फैलाकर उसके कूल्हों के नीचे से अपने लिंग को उसकी योनि में डाल दिया ..
“आआआआआ ह ह ह भाई “
मेरे हाथ उसके उजोरो को सहलाने लगे ,जब मेरा लिंग पूरी तरह से अंदर जाकर उसके कूल्हों से टकराया तो ऐसा लगा जैसे जन्नत यही है ,,उसके कोमल कूल्हों का अहसास ही मेरे लिंग को और भी झटके देने पर मजबूर कर देता था,इस बार मैं थोड़ा तेज था,
“आह आह आह आह आह ..”
निशा की सिसकिया जोरो से निकलने लगी थी ..
“मेरी बहन मेरी प्यारी बहन ..आह मेरी जान “
मैं भी तेजी से अपने कमर को चला रहा था ..
“भइया ...ओह माँ …..”
इस बार निशा ने मेरे होठो को जोरो से काटा और
निशा का शरीर अचानक से अकड़ा और तेजी से झरने लगी ,उसने मेरे कंधे और होठो को जोरो से काटा था जिससे वंहा निशान ही पड़ गए ….वो ढेर हो गई ,वो किसी मर्दे की तरह ही वो बिस्तर में उल्टी लेटी हुई पड़ी थी ….
जबकि मैं और भी तेजी से अपने कमर को चला रहा था लेकिन साला निकलने का नाम ही नही ले रहा था ,मुझे भी एक संतुष्टि का अहसास हो रहा था लेकिन मैं झर नही रहा था …
मैंने और धक्के और भी तेज कर दिए और इस बार निशा को फिर से उसके पीठ के बल ला दिया …
उसने अपनी बांहो को फैला कर मुझे अपने में समा लिया और उसके ऊपर चढ़ा हुआ किसी कुत्ते की तरह अपने कमर को तेजी से चला था …...निशा के यौवन के रस से उसकी योनि पूरी तरह से भीग चुकी थी इसलिए मेरा लिंग आराम से अंदर बाहर हो रहा था ,और मै पागलो की तरह उसमे धक्के दिए जा रहा था ..
“भाई रुको “
मैं मुश्किल से रुक पाया था…
निशा ने पास ही पड़े अपनी पेंटी को उठकर अपनी योनि को पोछ लिया ,और मेरे लिंग को अपने हाथो से योनि में रगड़ने लगी ,फिर से उसने अपनी योनि में मेरे लिंग को डाल दिया..
इस बार रगड़ ज्यादा थी ,
“आह..भाई आराम से ..धीरे धीरे कम से कम पूरी तरह से गिला होने तक “
उसने मेरे बालो को सहलाते हुए कहा,मैं उसकी बात मान कर धीरे धीरे धक्के लगाने लगा ,और फिर पूरी तरह से गीला होने के बाद धक्कों को तेज कर दिया...निशा फिर से झरने को हुई और जोरो से झर गई …
लेकिन इस बार मैं बिना ब्रेक के तेज धक्के लगाने लगा और मुझे लगा की मैं अब गिरने वाला हु,मैं और भी तेज हो गया था ,निशा पागलो जैसे चिल्ला रही थी ,और मेरे बालो को बुरी तरह से खीच रही थी लेकिन मैं रुक ही नही रहा था ...और आखिर मुझे लगा की मेरे अंदर से कुछ तेजी से निकलने वाला है ,ये मेरे जीवन का पहला ओर्गास्म था ….लेकिन अचानक ही मेरा मूलबन्ध लग गया जैसा की मुझे अभ्यास था ,और मेर धार बाहर आने की बाजय अंदर ही चला गया ,लेकिन लिंग को एक आराम मिला और मुझे लगा जैसे मैं झर गया हु ,हा मेरा वीर्य नही निकला लेकिन मैं स्खलित जरूर हो गया था …….
मैं थका हुआ निशा के ऊपर गिर गया और वो प्यार से मेरे बालो को सहला रही थी ……….
इस तूफान में हमने ये ध्यान ही नही दिया था की कमरे का दरवाजा तो हमने लगाया ही नही था और दो आंखे हमारे हर एक ककृत्य को ना जाने कब से देख रही थी ………….
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RE: Antarvasna Sex Story - जादुई लकड़ी
अध्याय 16
दो आंखे हमे घूर रही थी ,मेरी नजर उसपर जम चुकी थी लेकिन मैंने कुछ भी नही कहा,वो नेहा दीदी थी ,नेहा दीदी से मेरी नजर मिली और वो वहां से चुपचाप ही निकल गई , यंहा निशा बिल्कुल ही निढल होकर गिर चुकी थी और ना जाने कब वो नींद के आगोश में चली गई ,
मैं उठाकर सिर्फ एक टॉवेल लपेट कर नेहा दीदी के कमरे के सामने पहुच गया ,दो बार खटखटाने पर उन्होंने दरवाजा खोला,उनकी आंखे लाल थी और बाल भी बिखरे हुए थे,गोरा चहरा पूरी तरह से लाल हो चुका था …
“तूम यंहा क्यो आये हो..???”
मुझे देखते ही वो बोल पड़ी ,उनकी आंखों में आश्चर्य था…
“आपको क्या लगता है की मैं यंहा क्यो आया हु “
मैं कमरे के अंदर बिना बुलाये ही चला गया और कमरे का दरवाजा अंदर से लगा दिया ,वो मुझे ऐसा करते देख कर थोड़ी डर गई थी …
“तुम ये क्या कर रहे हो ??”
वो लगभग चिल्लाई लेकिन मैं उनकी बात सुनकर मुस्कुरा दिया ..
“किसी के कमरे में बिना इजाजत के नही घुसना चाहिए दीदी ,लेकिन आपने तो ये गलती पहले ही कर दी “
मेरी बात सुनकर वो बहुत ही झुंझला सी गई थी ..
“तुम...तुम अपने आप को समझने क्या लगे हो ,अपनी ही बहन के साथ ...उसके बाद तुम मुझे यंहा धमकाने आये हो या फिर याचना करने की मैं किसी को कुछ ना बताऊ,जानते हो ना की अगर तुम दोनो की करतूत के बारे में घर में किसी को पता चला तो क्या होगा,तुम्हे धक्के मारकर घर से निकाल देंगे..”
उनकी बात सुनकर मैं जोरो से हंस पड़ा ..
“ये सब आपके बॉयफ्रेंड ने आपको सिखाया है क्या??लेकिन उस चूतिये ने आपको ये बात तो बताई ही नही होगी की अब मैं अगर चाहू तो किसी को भी इस घर से निकाल सकता हु ,क्योकि ये घर मेरा है ,”
मेरी बात सुनकर वो थोड़ा मुस्कुराई …
“नही राज सिर्फ तुम्हारा तो नही है ,इसमे चन्दू का भी उतना ही हिस्सा है जितना की तुम्हारा “
“ओह तो कहा है चन्दू ,कितना बेशर्म है साला,उसकी माँ की नंगी तस्वीरे उसे भेज दी लेकिन चूहे की तरह बिल में छिपा बैठा है “
मैं बेशर्मी से हंसा
“वो आएगा राज ,वो आएगा और जब वो आएगा तो तुम्हे बिल में छिपना पड़ेगा ,तुम क्या सोचते हो की वो कायर है?? नही ...वो कायर नही है ,वो तुमसे बदला लेने जरूर आएगा “
उनकी बातो से ही लग गया था की वो चन्दू से कितना इम्प्रेस है ,तभी मेरी नजर उनके बिस्तर में गई जंहा उनका मोबाइल पड़ा था ,स्क्रीन की लाइट जल रही थी ,मैंने थोड़ा ही कंसन्ट्रेशन से उसे देखा और जैसे मेरी आंखे किसी फोकस वाली लेंस की तरह ज़ूम करते हुए वंहा तक पहुच गई,अभी वो किसी से बात कर रही थी और मोबाइल ऐसे ही था ,स्क्रीन में एक नंबर था जिसे मैं क्लियर तो नही देख पाया लेकिन इतना जरूर समझ आ गया था की हमारी बात कोई और भी सुन रहा था ,और वो कोई एक ही हो सकता था चन्दू...मैं बिस्तर की ओर बढा और उस मोबाइल को उठा लिया ..स्क्रीन में नाम था ‘मई लव ‘ जिसे देखकर मेरे होठो में मुस्कान आ गई
“क्यो बे चूतिये कहा छिपा बैठा है तू..”
मोबाइल को अपने कानो से लगते हुए मैंने कहा वही मुझे देखकर नेहा दीदी की संट हो गई थी …..
“बहुत उड़ रहा है ना तू ,देखना साले तेरे सारे पर काट दूंगा,तुझे पता नही है की मेरे साथ कौन है ..??”
सामने से चन्दू की आवाज आयी ,वो बौखलाया हुआ था ,
“तेरे साथ कौन है इससे तेरी माँ की चुद में जाते हुए मेरे लौड़े को तू भूल जाएगा क्या “
मैं बुरी तरह से हंसा वही चन्दू चिल्लाया ..
“मादरचोद मैं तुझे जिंदा नही छोडूंगा एक बार मेरा काम हो जाए तुझे गली के कुत्तो सी मौत दूंगा …”
“पहले बिल से बाहर आ कायर ,फिर मुझे मारने की बात करना,तब तक मैं तेरी माँ को रोज चोदूंगा,फिक्र मत कर तुझे रोज उसके फोटो और वीडियो मिल जाएंगे तू उसे देखकर हिला लिया करना ”
मैं जोरो से हंसा ,
“मादरचोद …”
चन्दू जैसे रोने को हो गया था ,तभी उधर से एक आवाज आयी वो आवाज एक लड़की की थी ..
“तूम पागल हो गए हो क्या, कहा था ना की अपना मोबाइल बंद रखना “
और फिर उधर से काल कट गया लेकिन …….
लेकिन उस आवाज को सुनकर मेरे पैरो तले जैसे जमीन ही खिसक गई थी ,उस आवाज को मैं पहचानता था अच्छे से पहचानता था ,वही तो थी जिसने मुझे इस काबिल बनने में मदद की थी की मैं दम से कुछ बोल पाता ………
वो काजल मेडम की आवाज थी ,मेरे हाथो से फोन ही गिर गया ,मुझे लगा जैसे मैंने कोई बुरा सपना देख लिया हो ,मुझे लगा जैसे मुझसे कोई धोखा हुआ है लेकिन ...लेकिन नही मुझसे ऐसा धोखा नही हो सकता,मैं नींद में भी उस आवाज को पहचानता था ,मैं बेहोशी में भी उस आवाज को पहचान सकता था …
मेरे चहरे की हवाइयां उड़ गई जिसे नेहा साफ साफ देख पा रही थी …..
मेरी उससे नजर मिली..
“चन्दू के साथ कौन लोग है …??”
मेरा पहला सवाल यही था ,लेकिन मेरे सवाल से उसके होठो में मुस्कान आ गई…..
“क्यो फट रही है क्या तुम्हारी …”नेहा दीदी के चहरे में एक कमीनी सी मुस्कान आ गई …
“दीदी ये माजक का वक्त नही है जो भी पता हो प्लीज् मुझे बताओ “
वो मुझे घूरने लगी..
“दीदी ????वाह जब खुद की फटने लगी तो दीदी पर आ गए ,”
उसके चहरे की मुस्कान और भी फैल गई …असल में उसे भी नही पता था की हमारी क्या बात हुई है वो बस मेरे तरफ की बातचीत को सुन पा रही थी उसे लगा होगा की चन्दू ने मुझे कुछ ऐसा बोल दिया है जिससे मेरी ये हालत हो गई है लेकिन ऐसा नही था …..
मैंने उनके बांहो को पकड़कर झकझोर दिया
“मेरी बात सुनो हमे कोई बड़े साजिश में फंसा रहा है ,कोई हमारे साथ बड़ा गेम खेल रहा है,चन्दू की जान भी खतरें में है,वो हमे लड़ाना चाहते है पता नही उन्हें हमसे क्या चाहिए “
लेकिन नेहा दीदी के चहरे में अभी भी वही भाव थे …
“तुम मुझे आखिर समझते क्या हो की मैं तुम्हारे बात में आ जाऊंगी ,नही राज तुम गलत हो मैं चन्दू से सच में प्यार करती हु ,और हमे क्या चाहिए तो सुन हमे दादा जी की पूरी संपत्ति चाहिए ..”
उसने गुस्से से कहा ..
“अगर तुम दोनो को संपत्ति चाहिए तो दिया ,जितना हक चन्दू का है वो ले लो ,मुझे पैसे से ऐसे भी कोई प्यार नही है ,ना ही कभी था ,लेकिन मैं अपना हक नही छोड़ सकता,दादा जी की आधी सम्पति पर चन्दू का हक बनता है आधी पर मेरा हक है ,चलो ये लड़ाई खत्म करते है ,अभी फोन लगाओ चन्दू को दादा जी की पूरी जायजाद के दो हिस्से होंगे ,एक चन्दू का दूसरा मेरा …”
मेरी बात सुनकर नेहा दीदी आश्चर्य से मुझे ही देखने लगी …
“उसके आते ही तुम उसे मार दोगो और पूरी जयजाद हथिया लोगे,तुमने वकील साहब को भी मार दिया मैं जानती हु की तुम कितने कमीने हो चुके हो …”
“अच्छा मैं कमीना हो गया हु,मुझे मारने के लिए ही चन्दू ने उन लोगो से हाथ मिलाया है,और मैं कमीना हु,मुझे जयजाद से बाहर करने के लिए मेरे जन्म से पहले से ही साजिश की जा रही है और मैं कमीना ...वाह दीदी वाह,कभी मुझे अपने प्यार से भाई भी नही कहा ,निशा के प्यार का गलत फायदा उठाने वाले आप दोनो हो और मुझे आप कमीना कह रहे हो ..”
मेरा दिमाग भी उनकी बात सुनकर बुरी तरह से खराब हो चुका था ..
“हमने तुझे कभी मारने का प्लान नही बनाया था,हम तो बस ये चाहते थे की चन्दू और सना को उनका हक मिले ,हमारे बाप की गलती की सजा आखिर उन्हें क्यो मिलेगी...मैं बस चन्दू को उसका हक दिलवाना चाहती थी,लेकिन पापा और माँ ये होने नही देते इसलिए तुझे फंसा कर हम घर से बाहर निकलवाना चाहते थे ,लेकिन फिर भी तेरे पास नाना जी की प्रापर्टी होती साथ ही निशा भी तो तेरी ही थी ,और उसे भी तो प्रापर्टी मिलती ,मैं भले ही चन्दू से प्यार करती हु लेकिन मैं तेरी बहन हु,तुझे समझना फिजूल था इसलिए मैंने चन्दू का साथ दिया था ,ऐसे भी दादा जी की प्रापर्टी जब हमारे पास होती तो मैं अपने हिस्से की जयजाद भी तुझे देने वाली थी ताकि तू और निशा एक अच्छी जिंदगी जी सको ,मैं तेरी बहन हु ,तुझे तकलीफ दे सकती हु क्योकि तू था ही वैसा लेकिन तुझे लगता है की मैं तुझे कभी मार सकती हु ,मैं तो बदला अपने बाप से लेना चाहती हु जिस कमीने के कारण ये सब हो रहा है ,जिसने मेरी माँ की ये हालत कर दी है …”
नेहा दीदी रोने लगी थी ,मुझे समझ नही आ रहा था की आखिर मैं क्या करू ,आखिर वो कौन है जो सही है और कौन गलत है …
तभी दरवाजे पर एक दस्तक हुई ,नेहा ने अपने आंसू पोछे और दरवाजा खोला सामने माँ खड़ी थी जो मुझे देखकर चौक गई थी …
“तू इतनी रात क्यो यंहा ,और ये क्या नंगा ही घूम रहा है”
उन्होंने अजीब निगाहों से मुझे देखा मैं नंगा नही था लेकिन बस एक तोलिये में ही था …
“वो माँ मैं दीदी से थोड़ी बात करने आया था ,और मैंने तौलिया तो पहन रखा है ना “
मेरी बात सुनकर माँ हंस पड़ी …
“हा वो तो है,अब तूने ऐसी बॉडी जो बनाई है तो दिखायेगा ही क्यो??”
मैं हल्के से हंसा ,लेकिन उस हंसी में कोई खुशी नही थी ,बस एक अजीब सी उलझन थी …..
“ऐसे आप यंहा क्या कर रही हो ??”
मैंने भी प्रश्न दाग दिया ..
“मैं भी नेहा से बात करने आयी हु और क्या ,अब अंदर आने दोगे या यू ही बाहर ही खड़े रहू ..”
माँ की बात सुनकर नेहा दी जल्दी से सामने से हट गई ,अंदर आते आते दोनो की आंखे मिली ….
“राज क्या नेहा सच कह रही है की तूने विवेक(वकील ) को मरवाया है ..”
माँ आते ही बिस्तर में बैठते हुए बोली ..
“माँ ये आप क्या कह रही हो आप सोच भी कैसे सकती हो की मैंने उन्हें मरवाया होगा,”
मैं उनकी बात को सुनकर और भी आश्चर्य में पड़ गया था ..
उन्होंने एक गहरी सांस छोड़ी ……
“बेटा आजकल जो हो रहा है वो बिल्कुल भी समझ से बाहर है ,तेरा अचानक से अपने बाप के ऊपर कंट्रोल करना,पूरी सम्प्पति में अधिकार की मांग ,और फिर चन्दू और तेरी जानी दुश्मनी ….पहले तो मुझे लगता था की मेरा पति ही कमीना और चालाक है लेकिन अब तो मेरे बच्चे ही एक दूसरे के खिलाफ षड्यन्त्र कर रहे है,मैंने चन्दू को भी अपना बेटा ही माना है और फिर जब मुझे पता चला की नेहा उससे प्यार करती है तो ….तो मैंने भी उसे स्वीकार कर लिया ..”
ये मेरे लिए किसी बम से कम नही था ..
“क्या.???”
“हा बेटा नेहा ने मुझे बहुत पहले ही बता दिया था ,अब तेरे पापा से तो मेरी बात ना के बराबर ही होती है ,मेरी बेटियां ही मेरा सहारा रही है ,तुझे किसी से कोई मतलब ही नही था ,तो मुझे लगा की शायद चन्दू की वजह से हमारा परिवार सम्हल जाएगा और मेरे बच्चों को मेरा हक मिल जाएगा,वरना तेरे पिता जी तो पूरी ही दौलत किसी भी तरीके से अपने नाम करने के फिराक में थे,तुझे तो वो कुछ भी नही समझते थे और ना ही मुझे कभी उन्होंने कुछ समझा ,निशा तो बच्ची है जो प्यार से बोल दे उसके साथ हो जाती है और उसपर तो तेरे बाप का प्यार हमेशा से बरसता रहता है,और निकिता तो अपनी पढ़ाई से फुरसत नही है ...तेरी हालत के पीछे मेरी ही गलती है बेटा,जब तू मेरे गर्भ मे था तो तेरे पिता जी मुझे कई चीजो के लिए धमकाया करते थे ,शायद इसी का असर था की तू भी मेरी ही तरह दब्बू बन गया मुझे माफ कर दे बेटा, लेकिन मैं बहुत खुश हु जो तूने पाया है ,वो आत्मविस्वास लेकिन ...लेकिन तेरा आत्मविस्वास कई लोगो के राह में रोड़ा बन गया,चन्दू को लगने लगा की तू उससे वैसे ही पेश आएगा जैसे तुम्हारे पिता आते थे ,वो हमेशा से उनसे नफरत करता है ,कोई भी बेटा करेगा जब वो अपनी माँ को गुलाम की तरह देखेगा ...तेरे जंगल से वापस आने के बाद से चीजे बदल गई ,लेकिन यकीन मान की नेहा और चन्दू कभी तुझे मारने की नही सोच सकते ……तुम लोग ना लड़ो बेटा ,जो भी जीते लेकिन मैं हार जाऊंगी “
वो रोने लगी थी ,मैं माँ के बाजू में बैठ कर उन्हें अपने बांहो में भर लिया ,इस जंग में उनका बेटा उनकी बेटी के सामने खड़ा था ,सच में कोई भी जीते वो हार ही जाती ……
मैं शांत था ...नेहा भी चुप थी …
“मैं चन्दू को फोन लगाती हु ,हम सुलह कर लेते है ,वो मेरी बात नही टालेगा,लेकिन तुमने जो कान्ता काकी के साथ किया उसके लिए तुम्हे उससे माफी मांगनी होगी ..”
आखिरकार नेहा ने कहा
“कान्ता के साथ तुमने क्या किया “माँ आश्चर्य में बोली ,नेहा और मेरी आंखें मिल गई ,अब इन्हें कैसे बताए की मैंने उनके साथ क्या किया था ,नेहा को शायद चन्दू ने ही बताया था लेकिन अब माँ को नही …
“वो थोड़ी बत्तमीजी कर दी थी उनके साथ “
मैंने नेहा को देखते हुए कहा ..
“अच्छा तो उसे कल माफी मांग लेना और बेटा चन्दू को फोन लगा “
माँ ने मासूमियत से कहा ,लेकिन मेरे दिमाग में कुछ बात आ गई ..
“नही ...नही नेहा अभी नही “
“आखिर क्यो बेटा …..”
माँ और नेहा मुझे आश्चर्य से देखने लगे …
“अभी अगर उसे फोन किया तो कुछ गड़बड़ जरूर हो सकती है ,पहले हालात को समझने दो की आखिर उसके साथ कौन लोग है ,क्योकि उन्होंने ही वकील को मारा है और शायद मेरे और चन्दू के जान के दुश्मन भी वही है ……”
“लेकिन अगर उन्हें मारना होता तो कब का मार चुके होते…”
नेहा बोल पड़ी
“हा वही तो समझ नही आ रहा है की आखिर माजरा क्या है …..”
“तो क्या करू ..”
“कुछ नही जैसा चल रहा है बस वैसे ही चलने दो ,उसे कुछ मत बताना की हमारे बीच क्या बात हुई है ,अगर उसका फोन आये तो उसे बस इतना ही कहना की हमारी लड़ाई हुई और वो धमकी दे कर चला गया ……”
नेहा ने सहमति में सर हिलाया ..
“बेटा तू करने क्या वाला है ..”
माँ इन सब में चिंतित थी ,वो बेचारी भोली भाली सी औरत इन सब लफड़ों में फंस गई थी …..
“कुछ नही माँ सोच रहा हु की कल जल्दी दौड़ाने जाया जाय……”
मैं इतना बोलकर वंहा से निकल गया …….
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RE: Antarvasna Sex Story - जादुई लकड़ी
अध्याय 17
रात भर मैंने अपना दिमाग घुमाया की आखिर अब मैं करू तो क्या करू…
दिमाग जैसे फट ही गया हो ,फिर मुझे याद आया की मेरे पास तो हर ताले की चाबी है ,मेरा ताबीज क्यो ना फिर से इसे चाटा जाय,मैंने फिर से इसे चाट लिया …
काजल मेडम ने कहा था की इससे मेरी इमेजिनेशन की पॉवर बढ़ जाएगी ,मैं आंखे बंद किये सब कुछ सोचने लगा,कैसे मैं मेडम से मिला था क्या क्या हुआ था ...हर चीज बिल्कुल ऐसे जैसे मैं उसे अभी देख रहा हु मेरे आंखों के सामने चल रही थी ..
फिर वो आखिरी बात जो मेडम ने चन्दू से कहि थी .
मैंने तुरंत आंखे खोली और अपना लेपटॉप चालू करके इस मेडिसिन के बारे में सर्च करने लगा,मुझे कुछ भी नही मिला,आखिर मुझे याद आया की मेरा एक सीनियर था जो फार्मेसी से ग्रेजुएशन कर रहा था ,अभी सुबह के 4 बज चुके थे ,लेकिन जिज्ञासा इतनी थी की मैंने उसे काल कर दिया …
वो साला अपने होस्टल में बैठा हुआ गांजा फूक रहा था ,वो भी अपने समय का टॉपर था और मैं हमेशा से ही क्लास का टॉपर रहा था तो हमारी थोड़ी बातचीत थी…
मैंने उसे अपना इंट्रोडक्शन दिया उसने मुझे तुरंत ही पहचान लिया …
“ओह तू निशा का भाई है ना,..”
मादरचोद...लेकिन मैंने उसे कुछ नही कहा ,मैंने बस उसे उस ड्रग का नाम बताया जो की मेडम ने मुझे बताया था …
“अबे क्यो नशा फाड़ रहा है मैंने आजतक ऐसा कुछ नही सुना “
उसने एक ही बार में कहा
“लेकिन कुछ तो होगा जो इससे मिलता जुलता हॉगआ “
“तुझे क्या हो गया जो ये सब पूछ रहा है “
अब मैं उससे क्या कहु??
“वो मैंने एक ड्रग के बारे में सुना था जिससे आदमी बहुत ही ताकतवर और दिमागवाला हो जाता है…..”
“ओह तू NZT की बात कर रहा है ,अबे साले वो फिल्मो में दिखाते है की ऐसा होता है वैसा होता है होता कुछ घण्टा नही है ,बस चूतिया बनाते है साले,वो एन्टी डिप्रेशन की दवाई है आदमी को लगता है की वो कुछ बड़ा हो गया है लेकिन वो झांट का झांट ही रहता है…”
मैं NZT के बारे में जानता था लेकिन ये वो नही था ,
“अरे भाई कुछ तो बताओ कहि से तो पता करो “
वो थोड़े देर सोचा ..
“रुक पता करता हु अगर दुनिया में इसपर कोई भी रिसर्च हुई हो या इससे मिलता जुलता रिसर्च हुआ हो तो पता चल जाएगा ..”
वो कुछ देर बाद तक लाइन में ही बना रहा ,अपने रूम मेट्स से बकचोदी करता हुआ और अपने लेपटॉप में कुछ ढूंढता हुआ…
“अबे तूने इसके बारे में कहा से सुना “
“वो किसी ने बताया ..”
“तो सुन तुझे किसी ने अच्छे से चूतिया बना दिया है ,ना ऐसी कोई दवाई है ना ही जो नाम तू बता रहा है वैसा कुछ काम्बिनेशन भी है..
न्यूरोगिला ट्राय बेसाईल फास्फेट हा हा हा..”
वो जोरो से हँसा ..
“लौण्डे तुझे किसी ने बहुत जोरो से चूतिया बना दिया है ,न्यूरोगिला,बेसाईल बायोलॉजी से उठा लिया ,और ट्राय फास्फेट केमेस्ट्री से और एक बायो केमेस्ट्री जैसे लगने वाला नाम तुझे चिपका दिया ….”
वो जोरो से हंस रहा था पता नही साला गंजे के नशे में था की मेरा चुतियापा ही इतना बड़ा था ……
मैं इतना तो समझ गया था की मेरा चूतिया काटा जा रहा है लेकिन साला इसे चाटने के बाद कुछ तो होता है इससे तो मैं भी इनकार नही कर सकता था ……
बातो ही बातो में 5 बज चुके थे ,मैं रात भर से सोया नही था लेकिन फिर भी मैं फ्रेश होकर स्टेडियम की ओर निकल पड़ा …
मुझे यकीन था की मेडम को जब पता चला होगा की मैं चन्दू से बात कर रहा था तो उन्हें ये भी पता चल गया होगा की मैंने उनकी आवाज सुन ली है ,इसलिए छिपाने से कोई मतलब नही था…
नेहा के फोन में वॉइस रिकॉर्डर मौजूद था तो मैंने उसे उस काल की रिकार्डिंग मांग ली ,पूरी बात छोड़ कर उसने भी मुझे लास्ट की ही रिकॉर्डिंग दी क्योकि उसे भी अभी तक मुझपर पूरा भरोसा नही हुआ था …
सामने दो ही संभावना थी या तो मेडम आज मेरे सामने ही नही आएगी और अगर आई और नार्मल विहेब करने लगी तो जरूर उनके दिमाग में कोई बहाना होगा,मेडम भी कुछ वैसा ही सोच रही होगी…
वो भी सोच रही होगी की उनकी आवाज सुनने के बाद या तो मैं आऊंगा ही नही या तो आकर उनपर टूट पडूंगा,कुछ अजीब करूँगा लेकिन मुझे वो नही करना था जो वो सोच रही थी ,मुझे वो करना था जो मुझे करना था……
मैं वंहा पहुचा तो मेडम को हमेशा की तरह ही मझे देखकर मुस्कुराता हुआ पाया जैसे कुछ हुआ ही नही है ,मेरी एक संभावना में ये भी था ,तो मैंने अपनी एक्टिंग चालू कर दी और इशारे से उन्हें दूसरी ओर बुला लिया ……
“क्या हुआ राज तुम परेशान दिख रहे हो …??”
वही प्यारी आवाज वही प्यारी मुस्कान ,वही मासूम सा चहेरा ..
वाह साली या तो तू बहुत बड़ी एक्टर है या मैं ही कोई महा चोदू हु…
दोनो संभावना हो सकती थी ….
मैंने अपनी सूरत रोनी बना ली ,अब तो साला मैं भी एक्टिंग करूँगा …
“अरे क्या हुआ ??”
“मुझे आपसे ऐसी उम्मीद नही थी मेडम की आप मुझे धोखा दोगे”
उनके चहरे में आश्चर्य के भाव आ गए …
“क्या हुआ बताओ तो तुम ऐसा क्यो बोल रहे हो “
मैंने अपनी मोबाइल निकाल कर वो रिकार्डिंग उन्हें सुना दिया ..
“तुमने चन्दू से बात की कैसे ..”
उनके चहरे में आश्चर्य के ऐसी भाव आये की मुझे लगा जैसे वो सच में कुछ नही जानती ,वाह मेडम वाह …
“उससे आप को क्या बात वो नही की मैंने चन्दू से बात की, बात ये है की जिस औरत ने चन्दू को फोन रखने को कहा उसकी आवाज सुनो ...वो आप ही थी ..”
मेडम ने एक बार फिर से रिकार्डिंग प्ले की जैसे पहली बार में उसे मिस कर दिया हो …
“ओह तो ये भी यंहा है ..”
उन्होने कुछ सोचते हुए कहा …
“कौन ???”
मैं फिर से एक नई कहानी सुनने को तैयार हो गया था ..
“मेरी मारलो ..”
“क्या अभी ???”
मैं उनकी बात से जोरो से चौका ,वो जोरो से हंस पड़ी ..
“अरे पागल उसका नाम है मिस मेरी मारलो,पहले तो डॉ चूतिया की सेकेट्री हुआ करती थी लेकिन फिर कुछ झगड़ा होने के बाद वो डागा के साथ मिल गई ..”
मेरा दिमाग ने मुझे जोरो की गालियां दी ,अब अगर तू ऐसी चूतिया बातो में यकीन करने लगेगा तो तुझसे बड़ा चूतिया सच में दुनिया में कोई नही होगा,मेरे दिमाग ने ही मुझसे कहा …
“ओह...लेकिन उसकी आवाज ???”
“वही तो उसकी आवाज बिल्कुल ही मेरी तरह ही है “
काजल मेडम ने इतने आत्मविस्वास से कहा की मन किया उनके गालो में एक जोरदार झापड़ मार दु,मादरचोद क्या मैं चहरे से ही चोदू दिखता हु जो ये मुझे कोई भी अनाब शनाब कहानी सुना रही थी …
मेरे चहरे का भाव जैसे उन्होने पढ़ लिया था ,तुम्हे यकीन नही आता ना तो देखो …
उन्होंने अपना मोबाइल और एक वीडियो मेरे सामने खोल दिया …
वीडियो दो साल पहले एक वेबसाइट में उपलोड की गई थी ,एक 30-35 साल की भरी हुई यूरोप जैसे नैन नक्शो वाली महिला मेरे सामने थी ,वो अपने बड़े बड़े मंम्मो को सहला रही थी …
“आइये देखिए मेरे जवानी का जलवा ,कभी देखा है ऐसा ..”
वो ये सब कहते हुए अपने मंम्मो को मसल रही थी ,मेरी सच में फ़टी की फ़टी रह गई जब मैंने उसकी आवाज सुनी वो बिल्कुल ही काजल मेडम की तरह की ही आवाज थी ,एक आवाज की एक पिच होती है ,एक भारीपन या तेज या हल्का एक स्पेशल फ्रीक्वेंसी होती है ,इन्ही सभी चीजो को मिलकर लोग एक्टर्स की मिमिक्री किया करते है हमे लगता है की ये आवाज तो उस एक्टर की है लेकिन वो ऐसा कर पाते है इन्ही छोटी छोटी चीजो को समझकर …
क्योकि मुझे भी कभी मिमिक्री का शौक था (सच में है लेकिन आवाज ही नही निकाल पाता ) मैंने ये बारीकियां सीखी थी …
मुझे समझ आया की असल में उन दोनो की आवाज एक नही है बल्कि बोलने का स्टाइल और उसके साथ पिच ,और गहराई एक सी है इसलिए दोनो की आवाजे एक ही लगती है ,जैसे हमे सभी चाइनीज लोग और उनकी आवाज एक ही लगती है ,,,
वैसा ही कुछ ……
ये देखने के बाद मैं थोड़ा सोच में पड़ गया ,क्योकि वंहा उसके एक नही कई वीडियोस थे,मैंने उस वेबसाइट का नाम अपने दिमाग में ही नोट कर लिया ...तभी मेडम बोली ..
“इसकी इन्ही हरकतों के कारण डॉ से इसका झगड़ा होता रहता था ,इसे पता नही अपने जिस्म को दिखाने का क्या शौक था की ये ऐसे वेबसाइट्स में अपने जिस्म की नुमाइश करती रहती थी ,और इसके चाहने वाले भी बहुत है ,देखो ना कितने viwes है इसके ...इसी के कारण डॉ ने इसे वंहा से निकाल दिया ,और गुस्से में आकर इसने डागा के गैंग को जॉइन कर लिया और हमारे लिए एक मुसीबत बन गई …….”
साला अब मैं क्या करू ,पहले सोचा था की काजल मेडम ही गलत होगी लेकिन इनके पास तो फूल प्रूफ सबूत है इसे नकार भी नही सकता था ….
“तुम्हे अब भी मुझपर भरोसा नही है ..??”
उन्होंने मुझे घूरा ..
“आपने ही तो मुझे इतना काबिल बनाया है अब आप पर भरोसा नही करूँगा तो किसपर करूँगा ,ऐसे ये मेरी मारलो है बहुत सेक्सी .मिलेगी तो जरूर मरूँगा इसकी ..”
काजल मेडम ने मुझे झूठे गुस्से से देखा और मेरे गालो में एक चपत लगा दी ..
“कल रात मन नही भरा तेरा “
“अरे मेडम ये दवाई है की क्या है साला मैं तो पागल ही हो गया था…”अब ये सच में क्या है मुझे भी नही पता लेकिन कम से कम इसे दवाई बोलकर मेडम के शक के दायरे से तो बाहर रहूंगा ..
वो फिर से हंसी ,मैंने कहा था ना की ये तुम्हारे अंदर बहुत ही ज्यादा शक्ति ला देगा जिसे सम्हालना तुम्हारे लिए मुश्किल हो जाएगा ,खैर तुमने नीबू चाटा..”
उन्होने शरारत से कहा …
“जरूरत ही नही पड़ी ,असल में मेरा निकला लेकिन ...लेकिन मूलबन्ध लग जाने के कारण फिर से अंदर चला गया …”
वो थोड़ी देर तक मुझे नॉटी निगाहों से देखती रही साली ये मुझे कब देगी...पहली बार उनके लिए कुछ ऐसा ख्याल मेरे दिमाग में आया उनकी आंखों में ही वो बात थी की ऐसा लगा जैसे भी पकड़कर किस कर दु …..
“वो तुमने इसकी इतनी प्रेक्टिस जो की है ,इसलिए लग गया कोई बात नही ये इंटरलन ओर्गास्म है ,तुम्हारी शक्ति भी बच गई और साथ ही वो फील भी मिल गया ,अब प्रेक्टिस करे “
मैं फिर से उनके साथ हो लिया ….
अब काजल मेडम गलत थी की सही थी ,वो चन्दू के साथ काजल थी की मेरी मारलो ये पता लगाना अभी मेरे दिमाग से बाहर था,मुझे बस इतना पता था की मेडम के साथ मुझे वैसे ही रहना है जैसे मैं पहले रहता था लेकिन अब अपनी आंखे खोलकर ,किसी भी चीज पर इतनी जल्दी भरोसा नही कर सकता था …..
और ये बात उन्हें भी पता होगी की मैं उनके ऊपर नजर रखे हुए हु तो वो भी चीजो को थोड़े हिसाब से ही करेगी ,अगर वो गलत हुई तो वो सावधानी रखने के चक्कर में जरूर ऐसा कुछ करेगी जिससे वो पकड़ में आ जाएगी ,तो भइया जैसे लोहा लोहे को काटता है वैसे ही सावधानी सावधानी को कटेगा,........
खैर अब मेरा हाल ये था की मुझे पता नही था की …
1.काजल मेडम मेरे साथ है की नही …
2. नेहा सच में मेरा साथ देगी या फिर मेरे और उसके बीच हुए समझौते को चन्दू को बता देगी ..
3.वकील साहब को किसने मारा
4.ये डॉ चुटिया बाबा जी ही है या सिर्फ मुझे चूतिया बनाने के लिए बोला गया एक नाम
5.बाबा जी की ये लड़की कोई जादुई लकड़ी है या फिर एक केमिकल फार्मूला ,
6. ये आखिर काम कैसे करता है क्योकी हर बार इसका इफेक्ट ही दूसरा होता है
7.निशा सच में मुझसे प्यार करती है की वो भी इस गेम में कोई पात्र है जो मुझे फंसा रही है (ऐसे मुझे तो लगता है की वो मासूम है)
8,पिता जी का इन सबमे क्या रोल है
9.ये चन्दू मादरचोद आखिर छिपा कहा है
10. अगर काजल मेडम ने ही चन्दू को छिपाया है तो फिर असल में उन्हें चाहिए क्या,अगर उन्हें हमे मारना ही है तो मार ही क्यो नही देते …
11. अगर मेडम सच में चन्दू के साथ है तो फिर मुझे क्यो ट्रेन किया जा रहा है (इतनी मेहरबानी आखिर किस लिए जज साहब …)
12. क्या मुझे फिर से कान्ता और शबीना की लेनी चाहिए(क्योकि सच में खड़ा हो बहुत होने लगा था और मजा भी साला बहुत आ रहा था ….) और क्या उनकी ले कर फोटो चन्दू को भेजना चाहिए क्योकि नेहा और मेरा एक समझौता भी तो हुआ था ...
13. और आखिर में क्या ये सब सोचकर मैं खुद ही पागल हो जाऊंगा ,कही यही तो सालो का प्लान नही है की मुझे पागल करके मेरी जायजाद हड़प ले ... ..
सब सवाल दिमाग में घूमने लगे …..
और
“मैं माँ चुदाये सब “
मैं झल्ला गया था …
“छि इतनी गंदी गालिया देना कहा से सिख लिए “
इस बार मेरे पीछे रश्मि खड़ी थी ,वो भी मेरे साथ क्लास आया करती थी ,उसे देखकर मुझे मेडम की बात याद आयी की उसे प्रपोज कर दु ,और एक चीज और मेरे दिमाग में आई ….
इसकी तो मैंने ली ही नही …..ये मादरचोद मेरा लौड़ा,इतनी टेंशन में फिर के फुंकार मारने लगा ……...
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RE: Antarvasna Sex Story - जादुई लकड़ी
अध्याय 18
रश्मि ……….
पूरा नाम रश्मि सिंह राजपूत,भैरव सिंह राजपूत की इकलौती बेटी ,भैरव सिंह शहर का ट्रांसपोर्ट किंग कहलाता था इसके अलावा भी उसके कई करोगबार थे जिसमे रियल स्टेट का काम मुख्य था ,जिसे उसका भाई भीष्म सिंह देखता था,पैसे और नाम में उनका परिवार हमारे परिवार के ठक्कर का था ,वही हमारी माँ एक दूसरे की सहेली भी थी लेकिन भैरव सिंह सिर्फ पैसे से अमीर नही था बल्कि वो एक बाहुबली भी था ,सामान्य रूप से देखने पर इसका पता नही चलता लेकिन उसका बहुत नाम था ,रियल स्टेट और ट्रांसपोर्ट का काम ही ऐसा था की उन्हें गुंडे पाल कर रखने पड़ते थे,और मैंने सुना था की उसके नाम से ही लोगो की फटती है,शायद कोई कारण उसके पास्ट में छिपा था ,खैर…
उसकी इकलौती बेटी यानी रश्मि मेरी बेस्ट फ्रेंड भी थी और गर्ल फ्रेंड भी ,जो आज मेरे सामने खड़ी थी और मैं उसे अजीब निगगहो से देख रहा था ……..
“ऐसे क्या देख रहे हो ,आजकल तो मुझसे ढंग से बात भी नही करते क्या हो गया है तुम्हे ,मुझसे ज्यादा तो तुम उस काजल मेडम से चिपके रहते हो “
उसका गुस्सा जायज था लेकिन उस बेचारी को क्या बताऊ की मेरे जीवन में क्या चल रहा है ,ऐसे वो ही एक थी जिसपर मैं आंखे बंद करके विस्वास कर सकता था ,उसने जीवन में कभी मुझे अकेला होने नही दिया ,जब मैं चूतिया था तब भी मुझे जी जान से प्यार किया और अब जब मैं फिर से चूतिया बनाया जा रहा हु मुझे उसके प्यार और सहारे की जरूरत महसूस हुई…..
वो मुझे बचपन से जानती थी और मेरे रग रग से वाकिफ भी थी मेरे चहरे को देखकर ही उसे समझ आ गया था की मैं किसी बहुत ही बड़ी मुश्किल से गुजर रहा हु,वो शांत होकर मेरे बाजू में आ बैठी …
“क्या हुआ राज,तू इतने परेशान क्यो हो “
उसने अपना हाथ मेरे हाथो में रख दिया …
“तुम्हे क्या बताऊ रश्मि सोचा था की ताकत मिल जाएगा,आत्मविस्वास आ जाएगा,तो सब कुछ ठीक हो जाएगा लेकिन लगता है की आपके पास जितनी ताकत होती है भगवान भी उसी हिसाब से मुशीबत भी भेजता है,कल को मुझे कोई मतलब नही था की मुझे कोई क्या कहता है ,मुझे तुम प्यार के दो लब्ज जो बोल देती थी दिल खुस हो जाता था ,जंगल से आने के बाद मैं दुनिया दारी में इन्वाल्व होने लगा और देखो इसी दुनियादारी ने मुझे कहा लाकर पटक दिया,पहले मेरे परिवार वाले मुझे कुछ नही समझते थे मुझे ऐसा लगता है ,मैं सोचता था की काश परिवार के लोग बाहर के लोग मुझे इज्जत दे ,जब वो मिलने लगा तो जिम्मेदारी भी आ गई …….”
उसने मेरे बालो को बड़े ही प्यार से सहलाया …
“बताओ तो की क्या हुआ “
मैंने आसपास देखा हम स्टेडियम के बाहर बैठे थे ..
“यंहा नही चलो कही चलते है जन्हा हमे कोई डिस्टर्ब ना करे ..”
वो थोड़े देर सोचने लगी ..
“चलो फिर घर चलते है “
“नही वंहा निशा होगी वो हमे अकेले नही रहने देगी ,क्या तुम्हारे घर जा सकते है ??”
मेरी बात सुनकर वो बेहद ही खुश हो गई
“हा बिल्कुल ,जीवन में पहली बार तुम मेरे घर जाओगे …”
उसने उछल कर कहा ……
“हा अब ससुराल कभी ना कभी तो जाना ही पड़ेगा ना..”
“क्या कहा ..”
“कुछ नही चलो “
वो मेरी बात सुन चुकी थी वो हल्के हल्के मुस्कुरा रही थी ,अभी तक मैंने उसे प्रपोज नही किया था लेकिन साला इसकी जरूरत भी तो नही थी,हम दोनो को पता था …
रश्मि का घर घर नही, बंगला भी नही ,बल्कि कोई किले जैसे था ,एक बड़ा सा महल था और इतने पहरेदार की मुझे लगा मैं किसी राजा महाराजा के महल में आ गया…..
“यार तुम्हारे पापा कोई राजा है क्या ऐसे ल लग रहा है जैसे किसी राजा के महल में आ गया हु “
उसने मुझे अजीब निगहो से देखा ..
“क्या तुम्हे सच में नही पता …”
उसकी बात से मैं चौक गया ..
“क्या ???क्या नही पता ..”
वो मुस्कुराई ..
“चलो दिखाती हु “
वो सच में महल ही था,कमरों में बड़े बड़े राजाओ के पोस्टर लगे थे वही बड़ी बड़ी तलवारे और ढाल लटकी थी ..
“ये हमारे पूर्वज है “
मैंने नीचे नाम पढा …
“इसकी माँ की इनका नाम तो मैंने हिस्ट्री में पड़ा था,तुम राजा प्रताप सिंह महाराज की पोती हो ??”
वो जोरो से हंसी
“नही परपोती “
वो दूसरे तस्वीर की तरफ इशारा करने लगी
“ये मेरे दादा है महाराज कुँवर सिंह ……”
मैं पूरी तरह से चौक गया था क्योकि मुझे पता था की रश्मि अमीर परिवार से है लेकिन इतने बड़े खानदान से होगी इसका अंदाज भी मुझे नही था,इनके पूर्वजो की तो मैं कहानिया सुना करता था …
वही रश्मि में मुझे कभी राजाओ वाला एटीट्यूड भी नही दिखा,एक सिंपल सी स्कूटी में वो स्कूल जाया करती थी ,मेरे जैसा चोदू उसके बचपन का दोस्त था ,या उसके तेवर कुछ शाही जरूर थे लेकिन उम्मीद नही थी की वो रॉयल खानदान से होगी ……
“मुझे कभी लगा नही की तुम रॉयल परिवार से होगी “
वो बस मुस्कुराई ..
“पूरी जयजाद तो सरकार ने ले ली ,पेंशन मिलता था वो भी खत्म ,जो बचा था वो बटवारे के भेट चढ़ गया,और फिर शाही लोगो की शाही बाते,इतने नॉकर चाकर सब की आदत सी हो गई है इन्हें ,इतने बड़े महल को भी तो मेंटेन करना होता है ,देखा जाए तो सब कुछ सम्हलना बहुत ही मुश्किल हो जाता है,मेरे परिवार के अधिकतर लोगो के लिए ये सब दिखावा ही है जिसे हम ढो रहे है ,वो अपने हिस्से का सब बेच कर विदेश में जा बसे,मेरे दादा जी का परिवार ही यंहा बच गया ,और मेरे पापा में वही शाही खून है जिसकी मर्यादा बचाने के लिए वो आज भी संघर्षरत रहते है ,ये सब पहरेदार उसी का नतीजा है ,चलो तुम्हे पिता जी से मिलाती हु ,राजा भैरव सिंह …”
वो थोड़ा मुस्कुराई जिसमे थोड़ी उदासी भी शामिल थी ,रॉयल परिवार के होते है उन बेचारो को ही पता है की वो शान जिनसे उनके पूर्वज रहते है वो कभी वापस नही आ पायेगा ,लेकिन जो बच गया है उसे भी सम्हालना बेहद ही मुश्किल काम है,क्योकि आय का कोई स्रोत नही बचा,बहुत कम शाही परिवार ही है जो आज भी उसी ठाठ से रह रहे है और वो अलग अलग बिजनेस के भरोसे ऐसा कर पा रहे है ,उनमे ही एक इनके पिता भी थे,
बड़ी सी गैलरी से चलते हुए हम पीछे की तरफ पहुचे वंहा एक बड़ा बगीचा था,मैं ये सब ऐसे देख रहा था जैसे राजा महाराजाओ की कहानियों में पहुच गया हु ….
बगीचे में कई मुस्टंडे वर्जिश कर रहे थे,बिल्कुल देशी अखाड़ा स्टाइल में ,वही एक बड़े सिहासननुमा कुर्सी में एक रोबदार इंसान अपने मुछो में ताव देता हुआ बैठा था,रश्मि ने उनकी ओर ही इशारा किया ..
“पिता जी ..”उसने हल्के से कहा ..
,मैं समझ गया था की यही उसके पिता जी है ,सच में किसी राजा से कम नही थे,वो अभी लंगोट में बैठे थे ,एक पहलवान उनके शरीर की मालिस कर रहा था सामने अखाड़े में कुश्ती चल रही थी ,और वो मूंछो में ताव देते हुए बैठे थे …
“पिता जी ये मेरा दोस्त है राज “
“नमस्ते अंकल “
उन्होंने हमे घूर कर देखा ,सच में क्या आंखे थी ,अगर जंगल से आने से पहले मैं इनसे मिलता तो शायद इनकी आंखे देखकर ही मूत देता…
“भइया ये ही वो लड़का है …”
पास ही खड़ा एक आदमी बोल उठा शायद यही रश्मि के चाचा थे,एक पहलवान की तरह बदन वाले और बड़ी बड़ी मूंछो वाले ..
“ओह तो तुम हो हमारी राजकुमारी के खास दोस्त,चंदानी के बेटे …”
मैं कुछ कहता इससे पहले ही रश्मि बोल पड़ी ..
“पिता जी आप भी ना ..”
वो हल्के से हंसा …
“अरे भई अब खास दोस्त ही तो कहूंगा इसे ,जिसके कारण हमारी राजकुमारी स्कूटी से स्कूल जाया करती है ताकि इसे पीछे बिठा कर घुमा सके ,क्यो..और जिसके कारण हमारी फूल सी बेटी अब कराटे सीखने जाया करती है ..”
उनकी बात से मेरी संट हो गई क्योकि इस आदमी को तो सब पता था ,मैं बस मुस्कुराया ..
“अरे बेटे हमे सब पता है ,इसकी स्कूटी के पीछे दो मर्सडीज कार चलती है शायद तुमने कभी देखा नही होगा,ऐसे चंदानी है चूतिया साले ने सभी बेटियों के लिए कार खरीद कर दिया लेकिन उसका इकलौता बेटा पैदल स्कूल जाता है ..”
यानी इन्हें सब कुछ पता था ,लेकिन उससे भी ज्यादा बड़ी बात ये थी की रश्मि मुझे सच में बहुत चाहती थी ,और ना जाने कब से ...मुझे वो दिन याद आये जब मैं उदास होता था और वो मुझे लिफ्ट देती थी तो उसके पीछे बैठने भर से मेरी सारी तकलीफे दूर हो जाती थी ,सच में मैं बहुत ही लक्की आदमी था जो मुझे ऐसी दोस्त मिली थी ……
“राजा साहब ये कराटे वराटे कुछ नही होता सब साला विदेशियों के चोचले है ,असली मजा तो कुश्ती में है, इमने कोई दम नही होता “
वंहा खड़ा एक आदमी बोला,सच में वो कोई दानव सा दिख रहा था ….
“अच्छा ऐसा है तो फिर जाओ दिखाओ की तुमने आजतक क्या सीखा ,हम भी देखे की हमारी बेटी के खास दोस्त में कितना दम है “
उसने रश्मि की ओर देखा और मुस्कुरा दिया,अखाड़े में सभी मुझे ही घूर रहे थे,मैं समझ गया था की ये सीधे सीधे मुझे उस दानव के आगे परोस रहे है ……
मैंने रश्मि की ओर देखा …
“नाक मत कटाना “
वो मस्कुराते हुए बोली ,वो मंद मंद मुस्कुरा रही थी ,वो भी मेरे मजे ले रही थी ,मुझे देखकर सभी के चहरे में मुसकान आ गई थी ऐसे लग रहा था जैसे ये मुझे बलि का बकरा समझ रहे थे और इन्हें उम्मीद थी की आज मैं इनका पूरा इंटरटेनमेंट करूँगा ….
“क्यो बरखुरदार क्या हुआ “
उसके पिता ने फिर से कहा ,मैंने तावीज निकाली हल्के से उसे चाटा और अपनी टीशर्ट उतार कर अखाड़े में चला गया,वंहा की मिट्टी को अपने माथे में लगा लिया और जांघो में एक ताल मार दी ,असल में ये सब मैंने फिल्मो में देखा था ……
“भइया ट्रेलर तो अच्छा लग रहा है ,अब फ़िल्म शुरू करे “
रश्मि के चाचा ने कहा ,और राजा साहब की आज्ञा मिल गई ….
लकड़ी को चाटने के बाद से मेरे नशो में खून का प्रवाह बढ़ गया था ,दिमाग एकदम शून्य हो गया था जैसे सब कुछ एकदम ही धीरे हो गया हो,जब जब मैं अपने को एकाग्र करने की कोशिस करता मैं बहुत ही एकाग्र हो जाता था,मेरे सामने एक हट्टा कट्टा मुस्टंडा खड़ा था वो भी लंगोट में ,उसने अपनी पोजिशन ले ली ,अब साला मुझे कौन सा कुश्ती आती थी ,वो मुझपर झपटा लेकिन मैंने उसके शरीर को ध्यान से देखा मुझे वो सब स्पॉट नजर आ गए जिस पर मैं अपने मार्शल आर्ट के टेक्निक से वार कर सकता था ,बाकी सब मेरी प्रेक्टिस से हो गया,पहला किक उसके पैरो के पास उसका घुटना थोड़ा मुड़ा वो थोडा लड़खड़ाया ,दूसरा वार उंगलियों से सीधे पसलियों पर,एक चीख निकली और तीसरा पंच मुक्के से माथे के साइड में खून दिमाग में जाने से थोड़े देर के लिए रुक गया ,छोटी सी इंजुरी और वो वही धड़ाम…….
ये सब सिर्फ कुछ 5 सेकंड में ही हो गया और मैं फिर से नार्मल स्टेज में आ चुका था …..
“इसकी माँ का ..”
सभी लोग भौचक्के से उस गिरे हुए पहलवान को ही देख रहे थे ,ऐसे ये कोई मार्शल आर्ट का कमाल नही था,क्योकि पहलवान को गिराना कोई बच्चे का काम नही था लेकिन ये कमाल था मेरी उस लकड़ी का और उससे उत्पन्न एकाग्रता का और मेरी थोड़ी सी प्रेक्टिस का …….
मैं रश्मि की ओर देखा वो भी मुह फाड़े ये सब देख रही थी …
“वाओ “उसके मुह से बस यही निकला
भैरव सिंह कभी मुझे देखते तो कभी उस पहलवान को …
उन्होंने फिर से एक दूसरे पहलवान की ओर इशारा किया ,शायद वो और भी बड़ा पहलवान हो ..
वो अखाड़े में आ चुका था ,पहले वाले से दूसरी पोजिशन ले ली ..
वो फिर मुझपर झपटा …
और मेरा दिमाग फिर से शून्य …..
वो मुझे ऊपर से पकड़ना चाहता था इसलिए मैं घटने के बल बैठ कर उसकी ओर घिसटा ..अपने शरीर को झुकाया और उसके पैरो के बीच से निकल गया ,लेकिन इस दौरान एक पंच उसके जांघो के एक स्पेशल नश पर मार दी जिससे उसका पैर थोड़ी देर के लिए लकवाग्रस्त हो गया,वो लड़खड़ाता हुआ जमीन पर गिरा ,लेकिन उसके गिरने से पहले ही मैं खड़ा होकर पीछे से उसके मेरुदंड (स्पाइनल कार्ड) में अपनी उंगलियों से एक वार कर दिया जो की एक नर्व पर किया वार था जिससे उसके कमर से नीचे का शरीर थोड़ी देर के लिए पैरालाइज हो गया था ,
वो वही गिर गया …
ये सब भी कुछ 5 सेकंड से कम के वक्त में हो गया …
सभी फिर से मुह फाडे ये देख रहे थे ……
“वाह बेटा तुम तो कमाल के फाइटर हो यार ,हमारे बड़े बड़े पहलवानो को एक ही वॉर में चीत कर दिया “इस बार रश्मि का चाचा भीष्म बोल उठा……
वही भैरव सिंह उठा और मेरे पास आया,उसने मेरे पीठ पर शाबासी दी ,वो इतना भारी था की मेरा पूरा शरीर ही हिल गया …
“शाबास बेटे...हमे खुशी है की तुम हमारी बेटी के दोस्त हो “
उनकी बात सुनकर रश्मि भी खुस हो गई ,और आंखों ही आंखों में इशारा किया जैसे कह रही हो ‘क्या बात है ‘
उसके घर वालो ने मेरी बहुत खातिरदारी की ,जितना मैंने भैरव सिंह के बारे में सुना था वो असल में उतना भी खतरनाक आदमी नही था खासकर अपने परिवार के साथ,वो रश्मि को बेहद प्यार करता था,रश्मि पूरे घर की चहेती थी ,अपने पिता की एक ही औलाद भी थी ,वही भीष्म का एक बेटा था जो की छोटा था,हमने साथ ही नाश्ता किया,उसकी चाची और माँ ने जबरदस्ती मुझे नाश्ता खिलाया,और साथ ही मेरे परिवार को लेकर भी बाते हुई ,रश्मि की माँ और चाची मेरी माँ के अच्छे दोस्त थे ..
ये सब हो रहा था और डाइनिंग टेबल में मेरे सामने बैठी रश्मि मुझे मस्कुराते हुए देख रही थी …
मुझे ऐसा लगा जैसे जमाई पहली बार ससुराल आया हो……
इन सबके बाद रश्मि मुझे अपने कमरे में ले गई …
आखिर वो राजकुमारी थी तो कमरा भी वैसा ही था,बेहद ही आलीशान …….
“तो मेरे घर वाले कैसे लगे “
उसने आते ही कहा ,हम उसके कमरे में रखे एक सोफे पर बैठ गए थे ….
“यार पहली बार पता चला की लोग बार बार ससुराल क्यो जाते है ,जब इतनी खातिरदारी हो तो क्यो ना जाए “
वो मुझे मुस्करा कर देखने लगी ..
“अच्छा ऐसी बात है,गधे कहि के “
उसने एक पिलो मेरी ओर फेका और हल्के हल्के मुस्कुराने लगी …
“ऐसे तुमने अपने घर वालो को मेरे बारे में बताया क्या है ..??”
“कुछ भी नही ,मैं जन्हा भी जाती हु हमारे गार्ड मेरे साथ होते है ,ये बात मुझे भी पता होती है लेकिन मैंने तुम्हे कभी नही बताया था ,तो तुम्हारे बारे में चाचा और पापा को पहले से पता था, मैं सबकी लाडली हु तो वो मुझे कभी दुखी नही करते,मैंने उन्हें साफ कहा था की तुम मेरे सबसे अच्छे दोस्त हो ,...”
“सिर्फ दोस्त हु …….”
मैंने रश्मि की आंखों में देखा ,वो भी मुझे ही देख रही थी शमा थोड़ा सुहाना हो चुका था ……
“तो और क्या हो ..??”
रश्मि ने हल्के से कहा,मैं उसके पास सरक गया …
“तुम नही जानती ..??”
अब हमारी सांसे भी एक दूजे से टकरा रही थी …
“तुमने कभी कहा ही नही “
उसने फिर से धीरे से कहा ,उसके होठ फड़फड़ा रहे थे वही उसके दिल की धड़कने इतनी तेज थी की उसकी आवाज मेरे कानो तक भी पहुच रही थी ,मैं अपने होठो को हल्के से उसके होठो के करीब लाने लगा लेकिन उसने अपना चहरा मोड़ लिया ,और मुझे धक्का दे दिया …….
“जुबान से कहने की हिम्मत नही है क्या ...मैं सुनने को बेताब हो गई हु और तुम कुछ कहते ही नही हो ..”
उसने गुस्से से मुझे कहा हालांकि उसका गुस्सा बेहद ही कमजोर था ..
मैंने उसके हाथो को अपने हाथो में थाम लिया..
“अब भी कहने की कोई जरूरत है ??”
“हा है..”
“क्या कहु ..???”
उसनें मुझे गुस्से से देखा
“भाड़ में जाओ “
वो उठ खड़ी हुई और मुझसे दूर जाने लगी ,मैंने तुरंत ही वंहा रखे एक पिलो को उठा लिया और अपने घुटनो के बल प्रपोज करने वाले स्टाइल में बैठ गया …
“रश्मि मेरी जान ...मेरे दिल की धड़कन...जब जब दुनिया ने मुझे ठुकराया तुमने मुझे सहारा दिया,जब जब दिल में उदासी छाई तुमने मुझे खुशी दी ,मैं तुम्हारा धन्यवाद कैसे करू क्योकि उसके लिए मेरे पास कोई शब्द ही नही है,तुमने मुझे जो प्यार दिया है उसके बयान के लिए कोई शब्द पर्याप्त भी नही है …….आई लव यु मेरी जान….लेकिन याद रखना ये सिर्फ 3 ही शब्द है और मेरा प्यारे को बताने के लिए बिल्कुल ही नाकाफी भी …मैं इससे कही ज्यादा तुमसे प्यार करता हु ,इतना की मैं कह भी नही सकता जता भी नही सकता ,दिखा भी नही सकता …….फिर भी मैं कहता हु आई लव यू रश्मि …”
रश्मि मेरे सामने ही खड़ी थी ,उसकी आंखों में आंसू थे ,उसने वो पिलो पकड़ा और मुझे जोरो से मारने लगी ,और सीधे मेरे गले से लग गई ……
“कान तरस गए थे मेरे ये सुनने के लिए लेकिन तुम्हे तो मेरी कोई फिक्र ही नही है आई लव यू ,आई लव यू माय लव ..“
वो मेरे गालो को बेतहासा चूमने लगी और फिर से मुझे जकड़ लिया
,मैं उसके बालो को सहला रहा था ,
“दीदी आप रो क्यो रही हो इसने आपको कुछ कहा क्या ..”
एक भोली सी आवाज सुनकर हम अलग हुए ये भीष्म का बेटा और रश्मि का चहेरा भाई था ..
उसे देखकर हमारे चहरे में मुस्कान आ गई ,और रश्मि ने उसे अपने गोद में उठा लिया …
“नही बाबु ,ये हमारे बड़े अच्छे दोस्त है हल्लो करो ..”
“हैल्लो हम राजकुमार कुँवर सिंह है और आप ..”
उस बच्चे इन मेरी ओर हाथ बढ़ाया …
“बेटा हम आपकी दीदी के दोस्त है राज ..”
“आप राजकुमार नही हो …??”
“नही बेटे हम राजा है राजा राज चंदानी …”
“ये कैसा नाम हुआ ?”बच्चे ने भोली सी आवाज में कहा
मेरी बात को सुनकर रश्मि हँसने लगी ..
“रहने दो तुम्हारे नाम में ये राजा वाजा फिट नही होता ,बाबू चलो जाओ हमे अपने दोस्त के साथ पढाई करनी है “
“ओके दीदी एक पु दो ना “
मैं अचरज से देख रहा था की ये क्या पु है ,लेकिन रश्मि ने उसके गालो में एक जोर की पप्पी दी ,उसने भी रश्मि को एक पप्पी दी तब समझ आया की ये पु क्या है…..
वो वंहा से भागता हुआ बाहर चला गया …
“पापा इसे बहुत प्यार करते है ,इन्हें अपने पिता का नाम दिया है “
मैं रश्मि को ही घूर रहा था …
“क्या हुआ ..”उसने आंखे बड़ी करके कहा
“मुझे भी एक पु दो ना “
वो खिलखिलाई और मेरे कंधे में जोर का मुक्का मार दिया …
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