RE: Antarvasna stories मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग
मेले के रंग सास, बहू और ननद के संग-2
गतान्क से आगे.................
मैने सोचा कि अब हमारी खैर नही पीछे मुड़केर देखा तो भाभी खड़े-खड़े अपनी चूत खुज़ला रही है.
मैने कहा –क्यों भाभी चूत चुदवाने को खुज़ला रही हो.
भाभी- हाँ ननद रानी अब आपसे क्या च्छुपाना, मेरी चूत बड़ी खुज़ला रही है. मन कर रहा कि कोई मुझे पटक कर छोड़ दे.
मैने कहा --पहले कहती तो किसी को रोक लेती जो तुम्हे पूरी रात चोद्ता रहता. खैर कोई बात नही कल शाम तक रूको तुम्हारी चूत का भोसड़ा बन जाएगा. उन पाँचों के इरादे है हमे चोदने के और वो सला रमेश तो ममीज़ी को भी चोदना चाहता है.अब देखेंगे मामी को किस तरह से चोद्ते है यह लोग.
अगली सुबह जब मैं सो कर उठी तो देखा कि सभी लोग सोए हुए थे सिर्फ़ भाभी ही उठी हुई थी और विश्वनथजी का लंड जो की नींद में भी तना हुआ था और भाभी गौर से उनके लंड को ही देख रही थी.
उनका लंड धोती के अंदर तन कर खड़ा था, करीब 10’’ लंबा और 3’’ मोटा, एकद्ूम रोड की तरह. भाभी ने इधर-उधर देख कर अपने हाथ से उनकी धोती को लंड पर से हटा दिया और उनके नंगे लंड को देख कर अपने होंटो पर जीभ फिराने लगी. में भी बेशार्मो की तरह जाकेर भाभी के पास खड़ी हो गयी और धीरे से कहा "उईइ मा ".
भाभी मुझे देख कर शर्मा गयी और घूम कर चली गयी. में भी भाभी के पीछे चली और उनसे कहा देखो कैसे बेहोश सो रहे हैं.
भाभी- चुप रहो
में – क्यों भाभी, ज़्यादा अच्छा लग रहा है
भाभी- चुप भी रहो ना.
में- इसमे चुप रहने की कौन सी बात है जाओ और देखो और पकड़ कर मुह्न मे भी ले लो उनका खड़ा लंड, बड़ा मज़ा आएगा.
भाभी- कुच्छ तो शर्म करो यू ही बके जा रही हो.
में- तुम्हारी मर्ज़ी, वैसे उपेर से धोती तौ तुमने ही हटाई है.
भाभी- अब चुप भी हो जाओ, कोई सुन लेगा तो क्या सोचेगा.
फिर हम लोग रोज़ की तरह काम में लग गये. करीब दस बज़े विश्वनथजी कुच्छ समान लेकर आए और हमारे मामा के हाथ में समान थमा कर कहा नाश्ते के लिए कहा. और कहा आज हमारे चारों दोस्त आएँगे और उनकी दावत करनी है यार.इसलये यह समान लाया हूँ भैया, मुझे तो आता नही है कुच्छ बनाना इसलये तुम्ही लोगों को बनाना पड़ेगा.और हां यार तुम पीते तो हो ना? विश्वनथजी ने ममाजी से पूचछा.[ मीन्स दारू पीते हो ना?]
मामा- नही में तो नही पीटा हूँ यार
विश्वनथजी- अर्रे यार कभी-कभी तो लेते होगे
मामा-हाँ कभी-कभार की तो कोई बात नही
विश्वनथजी- फिर ठीक है हमारे साथ तो लेना ही होगा.
मामा- ठीक है देखा जाएगा.
हम लोगों ने समान वग़ैरह बना कर तैय्यार कर लिया. 2 बज़े वो लोग आ गये.में तो उस फिराक में लग गयी कि यह लोग क्या बातें करते है.
मामा मामी और भाभी ऊपेर के कमरे में बैठे थे. में उन चारों की आवाज़ सुन कर नीचे उतर आई. वो पाँचो लोग बहेर की तरफ बने कमरे मे बैठे थे. मैं बराबर वाले कमरे की किवाडो के सहारे खड़ी हो गयी और उनकी बातें सुनने लगी.
विश्वनथजी- दावत तो तुम लोगों की करा रहा हूँ अब आगे क्या प्रोगराम है?
पहला- यार ये तुम्हारा दोस्त दारू-वारू पीएगा कि नही?
विश्वनथजी- वो तो मना कर रहा था पेर मैने उसे पीने के लिए मना लिया है
दूसरा- फिर क्या बात है समझो काम बन गया. तुम लोग ऐसा करना कि पहले सब लोग साथ बैठ कर पीएँगे फिर उसके ग्लास में कुच्छ ज़्यादा डाल देंगे. जब वो नशे में आ जाएगा तब किसी तरह पटा कर उसकी बीवी को भी पीला देंगे और फिर नशे में लेकर उन सालियों को पटक-पटक कर चोदेन्गे,
प्लान के मुताबिक उन्होने हमारे मामा को आवाज़ लगाई.
हमारे मामा नीचे उतर आए और बोले राम-राम भैया.
मामा भी उसी पंचायत में बैठ गये अब उन लोगों की गुपशुप होने लगी. थोड़ी देर बाद आवाज़ आई की मीना बहू ग्लास और पानी देना.
जब भाभी पानी और ग्लास लेकर वहाँ गयी तो मैने देखा की विश्वनथजी की आँखे भाभी की चूचियों पर ही लगी हुई थी. उन्होने सभी ग्लासस में दारू और पानी डाला पर मैने देखा कि ममाजी के ग्लास में पानी कम और दारू ज़्यादा थी. उन्होने पानी और मँगाया तो भाभी ने लोटा मुझे देते हुए पानी लाने को कहा. जब में पानी लेने किचन में गयी तो महेश तुरंत ही मेरे पीछे-पीछे किचन मे आया और मेरी दोनो मम्मों को कस कर दबाते हुए बोला- इतनी देर में पानी लाई है चूत्मरानि, ज़रा जल्दी-जल्दी लाओ. मेरी सिसकारी निकल गयी
विश्वनथजी ने ममाजी से पूच्छ वो तुम्हारा नौकेर कहाँ गया.
मामा-वो नौकेर को यहाँ उसके गाओं वाले मिल गये थे सो उन्ही के साथ गया है जब तक हम वापस जाएँगे तब तक मे वो आ जाएगा.
फिर जब तक हम लोगों ने खाना लगाया तब तक में उन्होने दो बॉटल खाली कर दी थी. मैने देखा कि मामा कुच्छ ज़्यादा नशे में है, मैं समझ गयी कि उन्होने जान बुझ कर मामा को ज़्यादा शराब पिलाई है. हम लोग खाना लगा ही चुके थे. ममीज़ी सब्ज़ी लेकर वहाँ गयी मे भी पीछे-पीछे नमकीन लेकर पहुँची तो देख की रमेश ने ममीज़ी का हाथ थाम कर उन्हे दारू का ग्लास पकड़ना चाहा. ममीज़ी ने दारू पीने से मना कर दिया. मे यह देख कर दरवाज़े पर ही रुक गयी. जब ममीज़ी ने दारू पीने से मना किया तो रमेश ममाजी से बोला- अरे यार कहो ना अपनी घरवाली से वो तो हमारी बे-इज़्ज़ती कर रही है.
मामा ने मामी से कहा –रजो पी लो ना क्यों इन्सल्ट करा रही हो.
ममीज़ी- में नही पीती
रमेश- भाय्या यह तो नही पी रही है, अगर आप कहें तो में पीला दूँ.
मामा- अगर नही पी रही है तो साली को पकड़ कर पिला दो.
ममाजी का इतना कहना था कि रमेश ने वहीं ममीज़ी की बगल में हाथ डाल कर दोसोरे हाथ से दारू भरे ग्लास को ममीज़ी के मुह्न से लगा दिया और ममीज़ी को ज़बरदस्ती दारू पीनी पड़ी. मैने देखा कि उसका जो हाथ बगल में था उसी से वो ममीज़ी की चूचियाँ भी दबा रहा था.और जब वो इतनी बेफिक्री से ममीज़ी के बॉब्बे दबा रहा था तो बाकी सभी की नज़रें[ एक्सेप्ट ऑफ कोर्स ममाजी] उसके हाथ से दब्ते हुए ममीज़ी के बोब्बों पर ही थी. यहाँ तक की उनमे से एक ने तौ गंदे इशारे करते हुए वहीं पर अपना लंड पॅंट के उपेर से ही मसलना शुरू कर दिया था. ममीज़ी के मुह्न से ग्लास खाली करके मामीजी को छ्चोड़ दिया. फिर जब ममीज़ी किचन मे आई तो मैने जान बुझ कर मेरे हाथ मे जो समान था वो ममीज़ी को पकड़ा दिया.
ममीज़ी ने वो समान टेबल पर लगा दिया. फिर रमेश ने ममीज़ी के मना करने पेर भी दूसरा ग्लास ममीज़ी को पीला दिया. ममीज़ी मना करती ही रह गयी पर रमेश दारू पीला कर ही माना.और इस बार भी वोही कहानी दोहराई गयी यानी कि एक हाथ दारू पीला रहा था और दूसरा हाथ मम्मे दबा रहा था और सब लोग इस नज़ारे को देख कर गरम हो रहे थे. मामाजी की शायद किसी को परवाह ही नही थी क्योंकि वो तो वैसे भी एक दम नशे मे तुन्न हो चुके थे.
अब ग्लास रख कर रमेश ने ममीज़ी के चूतदों पर हाथ फिराया और दूसरे हाथ से उनकी चूत को पकड़ कर दबा दिया. ममीज़ी सिसकी लेकर रह गयी.
ममीज़ी को सिसकारी लेते देख कर मेरी भी चूत में सुरसुरी होने लगी. हम लोग ऊपेर चले गये. फिर नीचे से पानी की आवाज़ आई. ममीज़ी पानी लेकेर नीचे गयी.तब तक रमेश किचन में आ पहुँचा था. ममीज़ी जो पानी देकर लौटी तो रमेश ने ममीज़ी का हाथ पकड़ कर पास के दूसरे कमरे में ले जाने लगा. ममीज़ी ने कहा, अर्रे ये क्या कर रहे तो बोला, चलो मेरी रानी उस कमरे चल कर मज़ा उठाते हैं. ममीज़ी खुद नशे में थी इसलिए कमज़ोर पड़ गयी और ना-ना करती ही रह गयी पर रमेश उन्हे खींच कर उस कमरे में ले गया.मेरी नज़र तो उन दोनो पर ही थी इसलिए जैसे ही वो कमरे में घुसे मैं तुरंत दौड़ते हुए उनके पीछे जाकेर उस कमरे के बहेर छुप कर देखने लगी कि आगे क्या होता है.
रमेश ने ममीज़ी को पकड़ कर पलंग पर डाल दिया और उनके पेटिकोट में हाथ डाल कर उनकी चूत में उंगली करने लगा.
ममीज़ी- है यह क्या कर रहे हो. छ्चोड़ो मुझे नही तो में चिल्लाउंगी.
रमेश- मेरा क्या जाएगा, चिल्लओ ज़ोर से ,बदनामी तो तुम्हारी ही होगी. नही तो चुपचाप जो मैं करता हूँ वो करवाती रहो.
ममीज़ी : पर तुम करना क्या चाहते हो.
रमेश " चुप रहो, तुम्हे क्या मालूम नही है कि में क्या करने जा रहा हूँ. साली अभी तुझे चोदून्गा. चिल्लाई तो तेरे सभी रिश्तेदार यहाँ आके तुझे नंगी देखेंगे और सोचेंग कि तू ही हमे यहाँ अपनी चूत मरवाने बुलाई हो".
डर के मारे ममीज़ी चुपचाप पड़ी रहीं और रमेश ने अपने सारे कपड़े उतार कर अपने खड़े लंड का ऐसा ज़ोर का ठप मारा की उसका आधा लंड ममीज़ी की चूत में घुस गया.
ममीज़ी- उईईई मा में मरी.
ममीज़ी नशे में होते हुए भी सिसकियाँ ले रही थी. तभी रमेश ने दूसरा ठप भी मारा कि उसका पूरा लंड अंदर घुस गया.
ममीज़ी उईईईईईईइइम्म्म्मममा अरे जालिम क्या कर केर्रहा है थोड़ा धीरे से कर कहती ही रह गयी और वो एंजिन के पिस्टन की तरह ममीज़ी की चूत [जो की पहले ही भोसड़ा बनी हुई थी} उसके चीथड़े उड़ाने लगा. इतने में मैने विश्वनथजी को ऊपेर की तरफ जाते देखा. में भी उनके पीछे ऊपेर गयी और बहेर से देखा की भाभी जो कि अपना पेटिकोट उठा कर अपनी चूत में उंगली कर रही तो उसका हाथ पकड़ कर विश्वनथज ने कहा 'है मेरी जान हम काहे के लिए हैं, क्यों अपनी उंगली से काम चला रही, क्या हमारे लंड को मौका नही दोगि.
अपनी चोरी पकड़े जाने पर भाभी की नज़रें झुक गयी थी और वो चुपचाप खड़ी रह गयी.
विषवनथजी ने भाभी को अपने सीने से लगा कर उनके होंटो को चूसना शुरू कर दिया. साथ ही साथ वो उनकी चूचियों को भी दबा रहे थे.भाभी भी अब उनके वश में हो चुकी थी.उन्होने अपन धोती हटा कर अपना लंड भाभी के हाथो में पकड़ा दिया भाभी उनके लंड को, जो की बाँस की तरह खड़ा हो चुका था, सहलाने लगी.
उन्होने भाभी की चूचियाँ छ्चोड़ कर उनके सारे कपड़े उतार दिए, और भाभी को वहीं पर लेटा दिया और उनके चूतड़ के नीचे तकिया लगा कर अपना लंड उनकी चूत के मुहाने पर रख कर एक जोरदार धक्का मारा.
पर कुच्छ विश्वनथजी का लंड बहुत बड़ा था और कुकछ भाभी की चूत बहुत सिकुड़ी थी इसलिए उनका लंड अंदर जाने के बज़ाय वहीं अटक कर रह गया.इस पर विश्वनथजी बोले लगता है कि तेरे आदमी का लंड साला बच्चों की लुल्ली जितना है तभी तो तेरी चूत इतनी टाइट है कि लगता है जैसे बिन चुदी चूत मे घुसाया है लंड" और फिर इधेर उधेर देख कर वहीं कोने मे रखी घी की कटोरी देख कर खुश हो गये और बोले "लगता है साली चट्मरेनी ने पूरी तय्यारि कर रखी थी और इसीलिए यहाँ पर घी की कटोरी भी रखी हुई है जिस से की चुद्वने मे कोई तकलीफ़ ना हो" इतना कह कर उन्होने तुरंत ही पास रखी घी की कटोरी से कुच्छ घी निकाला और अपने लंड पर घी चुपद कर तुरंत फिर से लंड को चूत पर रख कर धक्का मारा. इस बार लंड तो अंदर घुस गया पर भाभी के मुँह से जोरो की चीख निकल पड़ी ' अहह मैईज़ञ मरी, हाई जालिम तेरा लंड है या बाँस का खुट्टा'
इसके बाद विश्वनथजी फॉर्म में आ गये और और ताबड़तोड़ धक्के मारने लगे. भाभी ' हाई राजा मर गयी, उईईइमा , थोड़ा धीमे करो ना केरती ही रह गयी और वो धक्केपे धक्के मारे जा रहे थे. रूम में हचपच हचपच की ऐसी आवाज़ आ रही थी मानो 110 किमी की रफ़्तार से गाड़ी चल रही हो. कुच्छ देर के बाद भाभी को भी मज़ा आने लगा और वो कहने लगी ' हाई राजा और ज़ोर से मारो मेरी चूत, हाई बड़ा मज़ा आ रहा है, आअहहााआ बस ऐसे ही करते रहो आहहााअ औक्ककककककचह और ज़ोर से पेलो मेरे राजा , फाड़ दो मेरी बुर को आअहहााआ , पर यह क्या मेरी चूचियों से क्या दुश्मनी है , इन्हे उखाड़ देने का इरादा है क्या, है ज़रा प्यार से दबओ मेरी चूचियों को.
|