RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--2
गतांक से आगे ...........
मैंने कहा कि कोई बात नहीं है, अपने आप ठीक हो जायेगा। बेचारा तुम्हें प्यार करने आया था, पर तुमने तो उसे डरा ही दिया। ज्यादा नहीं काटा बस थोउ़ा सा ही काटा है।
अपूर्वाः बकवास मत करो।
मैंने टाइम देखा तो 12 बजने को हो गए थे, तभी बाहर से बॉस की आवाज सुनाई दी। बॉस अंदर ऑफिस में आ गये।
बॉस: ऑफिस पर आज सील लगा दी है बैंक वालों ने। लगता है अब पैसे देने ही पडेंगे।
मैंः बॉस दे दाकर खत्म करो पंगा, खामखां में काम का भी नुकसान हो रहा है।
बॉस: हां, ठीक ही है। पर अब एक दो दिन तो लगेंगे ही पैसों का इंतजाम करने में।
तभी बीच में अपूर्वा बोल पड़ी।
अपूर्वा: बॉस! जितनी जल्दी हो सके सुलझा लो, यहां पर ज्यादा दिन रहे तो रेबीज हो जायेगी।
उसकी ये बात सुनते ही मेरी हंसी दूट गई।
बॉस: क्यों ऐसो क्यों कह रही हो?
अपूर्वाः और क्या वो चूहे ने आज पैर में इतनी जोर से काटा कि अभी भी जलन हो रही है। एक बार तो मुझे लगा कि सांप है।
बॉस: अरे हां वो दवाई लानी थी चूहों की, वो याद ही नही रही।
बॉस की वाइफ चाय लेकर आई और तीनों को दी तथा खुद भी एक कप लेकर वहीं बैठकर पीने लगी।
हम तीनों भी चाय पीने लगे। बॉस ने चाय खत्म की और ये कहकर चले गये कि फ्रेश होकर थोडा आराम करता हूं।
हम तीनों ने भी चाय खत्म की और बॉस की वाइफ खाली कप टरे में रखकर किचन में चली गई।
मैंने अपूर्वा की तरफ देखकर स्माइल पास की और अचानक से कहा चूहा। अपूर्वा एकदम उछल कर अपनी चैर पर चढ़ गई।
मेरी हंसी छूट गई। मुझे हंसते हुए देखकर अपूर्वा समझ गई की मैंने मजाक किया है और वो झेंप गई।
थोड़ी देर बाद बॉस की वाइफ वापिस हमारे पास आई और चेयर को मेरी चेयर के पास करते हुए बोली, चलो आज देखती हूं कि तुम कुछ काम भी करते हो या वैसे ही बैठे रहते हो सारा दिन।
बॉस की वाइफ की ये बात सुनते ही अपूर्वा तुरन्त अपने सिस्टम में नजरे गडाकर काम में लग गई।
मैं भी अपना काम करने लग गया। और बॉस की वाइफ चेयर को मेरे बिल्कुल पास करके उसपर बैठ गई और अपना दायां हाथ मेरे कंधे पर रख दिया। मैंने एकबार उनकी तरफ देखा और फिर वापिस अपने काम में लग गया।
धीरे-धीरे उनका हाथ हरकत करने लग गया और मेरे कंधे से होता हुआ मेरे बालों में पहुंच गया। बॉस की वाइफ ने मेरे बालों को हल्के से सहलाना शुरू कर दिया। मैंने इनका नॉर्मल प्यार समझ कर कुछ जयादा धयान नहीं दिया और अपने काम में लगा रहा।
दोस्तों अब मैं बॉस की वाइफ के फिगर के बारे में आप लोगों को बताता हूं। पहले वो एकदम मोटी थी कोई 100 किलो से ज्यादा वजन तो होगा ही उनमें। परन्तु अब वो एकदम छरहरी हो गई थी बिल्कुल दीपीका पादुकोण के जैसी। मैंने अभी तक उनके फिगर की तरफ ज्यादा धयान तो दिया नहीं था पर फिर भी उनके बूब्स न तो ज्यादा बड़े थे और न ही ज्यादा छोटे एकदम सही आकार के होंगे। हां उनकी मस्त गांड को एकबार मैं थोड़ा धयान देकर देख चुका था इसलिए बताता चलूं कि वो एकदम शानदार गांड की मालिक थी। वो हुआ कुछ यूं था कि जब पहले दिन हम ऑफिस से घर (बॉस के घर) पर आये थे तो मैंने उन्हें पहचाना नहीं था, उस दिन वो हमारे आगे-आगे गई थी हमें नये ऑफिस वाले रूम में लेकर तो उस दिन मैंने पीछे आते हुए उनकी गांड पर थोड़ा धयान दिया था तो उस दिन मुझे उनकी गांड एकदम मस्त लगी थी।
मैम मेरे बालों में हाथ फिरा रही थी और मैं अपने काम में मग्न था। तभी उन्होंने हाथ बालों में से ले जाते हुए मेरे गर्दन से होते हुए मेरे गालों पर ले आई और गालों को सहलाने लगी। मेरे शरीर में एकदम करंट सा लगा और मैं सिहर उठा। वो थोड़ा सा और मेरी तरफ सरक गई जिससे अब उनके दायां बूब मेरी बायीं बाजू से टच हो रहा था। उनकी इस हरकत से मैं गरम होने लगा था। पर मैं अभी भी यही सोच रहा था कि वो ये सब नॉर्मल प्यार से कर रही है। तभी अपूर्वा की चेयर के हिलने की आवाज हुई और बॉस की वाइफ ने अपना हाथ हटा दिया और थोड़ा दूर होते हुए अपूर्वा की तरफ देखा। अपूर्वा हमारी तरफ घूमी और बॉस की वाइफ को वहीं बैठा देखकर थोड़ी हिचकिचाई और फिर मुझसे एक प्रोग्रामिंग कोड के बारे में पूछने लगी। मैंने अपनी चेयर को उसकी तरफ ले गया और उसकी स्क्रीन पर देखते हुए उसके कोड को देखने लगा। कोड को देखने पर मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं दिखाई दी तो मैंने उसकी तरफ देखा। उसने मेरी तरफ आंख मारी, पर मैं कुछ न समझ सका तो उसने मेरी जांघों पर हाथ रखकर दबा दिया। मैं समझ गया कि ये मुझसे कुछ और पूछने वाली थी पर बॉस की वाइफ को वहीं बैठा देखकर प्रोग्राम के बारे में पूछने लगी।
मैंने उससे कहा कि यहां पर ऐसे कर लो और यहां पर ये लगा दो तो हो जायेगा। उसने कहा कि ठीक है और मैं वापिस अपने सिस्टम पर आ गया। अपूर्वा ने जब मेरी जांघों पर हाथ रखकर दबाया तो मैं एकदम गरम हो गया था, जिससे मेरा गला सूख गया और मैंने मैम से कहा कि क्या एक गिलास पानी मिलेगा मैम।
मैम: क्यों नहीं अभी लाती हूं।
और मेरी जांघों पर हाथ रखते हुए वो खड़ी हो गई और किचन से पानी लेने चली गई।
मैं पहले से ही गरम था अपूर्वा के कारण अब मैम की इस हरकत से मैं और भी ज्यादा गरम हो गया।
बॉस के घर में कुल चार कमरे नीचे हैं और दो कमरे उपर बने हुए हैं। बॉस और उनका परिवार नीचे ही रहता है। उनका घर कुछ इस तरह से बना हुआ है कि मेन गेट से आते ही दायीं साइड में छोटा सा लॉन है और बायीं साइड को घर के आखिर तक एक गैलरी जाती है। लॉन के बाद एक कमरा बना हुआ है और वहीं पर रसोई भी है उसी कमरे से अटैच, उसके बाद एक कमरा है जिसमें से एक दरवाजा पहले वाले कमरे से है और एक दरवाजा गैलरी में है उसके बाद एक छोटा कमरा और बाथरूम है और सबसे आखिर में एक कमरा है जिसका दरवाजा गैलरी में और पीछे की तरफ हे जहां पर एक और बाथरूम और टॉयलेट है। इसी सबसे बाद वाले कमरे में अब सिस्टम सैट कर रखे हैं। तो ऑफिस में आने के लिए गैलरी में से आना जाना पड़ता हैं।
कुछ ही देर में बॉस की वाइफ एक बोतल में पानी के साथ दो गिलास लेकर आ गई और मेरी टेबल पर रखकर एक गिलास में पानी डालकर मुझे दे दिया और यह कहकर वापिस चली गई कि बच्चे आ गये हैं स्कूल से, उनको खाना वगैरह देती हूं। मैंने पानी पिया और अपूर्वा से पानी के लिए पूछा तो उसने भी पानी पिया।
अपूर्वा: मैंने तो सोचा कि मैम चली गई होंगी, और तुमसे बात करने के लिए मुडी, पर वो तो यहीं पर बैठी थी। क्या कर रही थी। तुम्हें तो परेशानी हो गई होगी, बस काम में ही लगा रहना पड़ा होगा।
मैंः अरे नहीं यार, वो तो कह रही थी कि ज्यादा काम मत किया करो, कुछ आराम भी कर लिया करो।
अपूर्वा: हां, बड़ी आई आराम करवाने वाली। मैं ही मिली झूठ बोलने के लिए।
मैं मुस्कराने लग गया और मुझे देखकर अपूर्वा भी मुस्कराने लग गई।
अपूर्वा: अरे मैं ये कह रही थी कि वो अगर बॉस से पैसों का इंतजाम नहीं हुआ तो।
मैं: अरे तो क्या हुआ! अपनी नौकरी तो पक्की है ही, यहां घर पर काम करेंगे। अच्छा मैम के हाथ की चाय मिलेगी, बढ़िया वाली।
अपूर्वाः वो तो है, पर यहां पर काम करने में मजा नहीं आ रहा।
मैं: मुझे तो आ रहा है। तुम्हें क्यों नहीं आ रहा।
अपूर्वा: अरे यार! यहां पर थोड़ी पाबंदी सी हो जाती है, जैसे किसी के यहां पर चले जाते हैं दो तीन दिन के लिये वैसा फील हो रहा है। खुलकर काम करने का मजा नहीं आ रहा। और उपर से मैम यहां पर आकर बैठ जाती है।
मैं: अरे यार! अच्छी तो सुबह खीर खाने को मिली और तुम कह रही हो मजा नहीं आ रहा। मुझे तो खूब मजा आ रहा है भई यहां पर।
अपूर्वा बुरा सा मुंह बनाते हुए: हूं! मजा आ रहा है। क्या खाक मजा आ रहा है। अगर तीन चार दिन और बैंक का लफड़ा खत्म नहीं हुआ तो मैं तो कह दूंगी की मुझसे यहां पर काम नहीं होगा। जब ऑफिस खुल जायेगा तो मैं वहीं पर आ जाउंगी काम करने के लिए। तब तक के लिए छुट्टी।
मैं: ओहो! आई बड़ी दुटटी करने वाली। तेरी मम्मी तुझे उंडे मारकर भगा देगी, चल ऑफिस भाग जा।
मेरे इतना कहते ही अपूर्वा मुस्से से आंखे निकलती हुई मेरी तरफ देखकर बोली!
अपूर्वा: रहने दो! मेरी मम्मी तो कहती है कि तुझे काम करने की क्या पड़ी है, वो तो मैं ही हूं जो मानती नहीं हू। वरना मम्मी तो काम करने से मना करती है।
मैंः अच्छा जी! मुझे तो कोई मना नहीं करता, उलटे अगर दो तीन दिन से जयादा की छुट्टी कर लूं तो कहना शुरू कर देते हैं कि ऑफिस नहीं जाना क्या, यहां पड़ा है घर पे। ये भी नहीं देखते कि इतने दिनों में तो घर पर आया है बेटा।
अपूर्वा हंसते हुए: हम लड़कियों के तो यहीं मजे हैं जी। मन में आया तो काम करो नहीं तो घर पर रहो मजे से।
तभी मैम चाय लेकर आ गई, मैंने टाइम देखा तो 4ः15 हो चुके थे। मैंम चाय के साथ गाजर का हलवा भी लेकर आई थी। मैंने हलवे की तरफ इशारा करके अपूर्वा को आंख मार दी। वा मुस्कराने लगी। मैं ने दो प्लेटों में हलवा हमें दिया और फिर चाय डालकर दी और ये कहकर चली गई कि अगर गाजर का हलवा और चाहिए तो आकर ले लेना, शरमाना मत। और फिर मेरे पास आकर कहने लगी
मैम: ठीक है ना! शरमाने की जरूरत नहीं है तुझे, और मेरे गाल पर चिकोटी काट दी।
मेरे मुंह से आह निकल गई। मैंम बाहर चली गई और मैं और अपूर्वा चाय के साथ गाजर का हलवा खाने लगे।
पांच बजे हमने सिस्टम बंद किये और घर चलने की तैयारी करने लगे। मैंने पहले रूम में जाकर बॉस को बोल दिया कि हम जा रहे हैं।
बॉस: ठीक है! वो दो तीन दिन में बैंक का काम हो जायेगा, फिर वापिस से ऑफिस में शिफ़ट कर लेंगै।
मैंने कहा ओके बॉस! और बाहर आ गया और मैं और अपूर्वा अपने अपने घर के लिए निकल पडे।
अभी हम कोई 100-200 मीटर ही चले था कि मेरी बाईक में पंक्चर हो गया, अपूर्वा भी मेरे साथ ही चल रही थी, क्योंकि अभी हम मेन रोड पर नहीं पहुंचे थे। मैंने जब बाइक रोकी तो अपूर्वा ने पूछा क्या हुआ तो मैंने उसे बताया कि बाइक में पंक्चर हो गया। वो जोर जोर से हंसने लग गई।
मैंने कहा कि तुझे हंसी आ रही है, तो चल अब तू ही मुझे घर छोड़कर आयेगी।
अपूर्वा: क्यों पंक्चर नहीं लगवाना, अभी तो मैं छोड़ आउंगी, कल सुबह कैसे आओगे।
मैं: अरे सुबह की सुबह देखी जायेगी, मैं अभी वापिस बॉस के घर खड़ी करके आता हूं, अब पंक्चर की दुकान कहां पर है, ये भी नहीं पता, पता नहीं कितनी दूर होगी। कौन पंक्चर की दुकान तक इसको पैदल खीचेंगा।
यह कहकर मैं बाईक को वापिस बॉस के घर खड़ी करने के लिए चल दिया। आज मुझे पता चला कि 100-200 मीटर बाइक को पैदल चलाना कितना भारी-भरकम काम होता है।
घर पर जाकर मैंने बैल बजाई और मेन गेट खोलकर बाईक को अंदर लेजाकर खड़ा कर दिया। बैल बजाने से बॉस का छोटा लड़का बाहर आया और बॉस को आवाज लगाई कि पापा, समीर भैया हैं! बॉस बाहर आये।
बॉस: क्या हुआ?
मैं: कुछ नहीं वो बाइक में पंक्चर हो गया, पंक्चर वाले की दुकान भी पता नहीं है, कहां पर है?
बॉस: अरे इधर पास में ही पंक्चर वाले की दुकान!
मैं: सुस्ताते हुए ! अब तो कल ही लगवाउंगा, यहां पर वापिस लाने में ही थक गया।
बॉस: तो अब कैसे जाओगे। ऐसा करो, ये तुम्हारी मैम की स्कूटी ले जाओ।
मैं: अरे नहीं बॉस! मैं बस में चला जाउंगा।
बॉस: बस में कहां परेशान होता फिरेगा।
मैंः कोई बात नहीं, इस बहाने पता भी चल जायेगा, मेरे घर तक कौन-सी बस जाती है।
(वैसे तो मुझे पता था कि कौनसी बस जाती है क्योंकि बाइक लेने से पहले बस से ही तो आता जाता था)
बॉस: जैसी तेरी मर्जी। पर परेशान हो जायेगा बस में।
मैं: कोई बात नहीं है, आज थोउ़ा बस का मजा ले लेते हैं।
(अगर मैंने अपूर्वा को नहीं कहा होता तो मैं मैंम की स्कूटी ले जाता पर अपूर्वा के पीछे बैठके उसे छेड़ने का लालच था इसलिए मैंने मना कर दिया)
मैं बाय बोलकर बाहर आ गया, अपूर्वा मेरा वहीं पर खड़ी इंतजार कर रही थी। मेरे आते ही वो उतर गई।
मैं (अपूर्वा को उतरते देख कर)ः अरे तुम उतर क्यों गई, ड्राइव करो, मैं पीछे बैठता हूं।
अपूर्वा: ना जी! मैं तो पीछे बैठूंगी। मुझे इतनी ही चलानी आती है कि मैं अकेली चला सकूं। खामखां में किसी में ठोक दूंगी।
मैं मन ही मन सोचते हुए - अच्छा बहाना बनाया अपूर्वा की बच्ची ने। मेरे सारे अरमानों पर पानी फेर दिया। मजबूरन मुझे ड्राइव करनी पड़ी और अपूर्वा पीछे बैठ गई।
क्रमशः.....................
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