RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--36
गतांक से आगे ...........
सर वो मुझे चालान भरने जाना है, तो अभी दस बजे मैं निकल जाउंगा, मैंने कहा।
कैसे कटवा लिया चालान, बॉस ने कहा।
सर वो कल हेलमेट भूल गया था, तो रस्ते में मिल गये, मैंने कहा।
ठीक है, जल्दी से भरवा आना, फिर वो सोनाली मैडम आयेेंगी आज, दो बजे के आसपास, बॉस ने कहा।
ओके बॉस, फिर तो मैं अभी निकल जाता हूं, पता नहीं वहां पर कितनी भीड़ मिले, मैंने कहा।
ठीक है, निकल जाओ, बॉस ने कहां
मैं उठ खड़ा हुआ और बाहर आ गया।
गुड मॉर्निग समीर, अभी तो आये थे अब कहां चल दिये, मैम की आवाज आई।
मैंने इधर उधर देखा तो कहीं दिखाई नहीं दी।
यहां अंदर रसोई में हूं, मैम ने कहा।
मैंने रसोई की तरफ देख तो मैम खिड़की के पास खड़ी थी। क्या मस्त लग रही थी।
वो मैम चालान हो गया था, भरवाने जा रहा हूं, मैंने कहा और बाइक स्टार्ट करके बाहर आ गया।
मैंने जाकर चालान भरा, एक दो ही भरने वाले थे, पांच मिनट में ही फ्री हो गया। फिर मैं वापिस ऑफिस की तरफ चल दिया।
वापिस आते वक्त रस्ते में खाना भी पैक करवा लिया, कयोंकि सुबह तो खाया नहीं था। थोड़ा सा एक्स्टरा पैक करवा लिया ताकि कोई और साथ खाने लगे तो, वैसे भी अपूर्वा तो खायेगी ही, वो तो मुझे कुछ भी अकेले खाने ही नहीं देती।
ऑफिस पहुंचकर मैंने बाइक पार्क की और ऑफिस की तरफ चल दिया।
समीर, इधर आओ एक बार, अंदर से मैम की आवाज आई तो मैं अंदर चला गया।
कोमल सोफे पर बैठी थी और कोई मैग्जीन पढ़ रही थी।
जी मैम, मैंने अंदर आकर मैम से कहा।
मैम कोमल के पास ही सोफे पर बैठी थी।
आओ बैठो, मैम ने अपने पास सोफे पर खाली जगह की तरफ इशारा करते हुए कहा।
मैंने एक बार कोमल की तरफ देखा और फिर मैम के पास जाकर बैठ गया। मैं बीच में था, एक तरफ कोमल थी और दूसरी तरफ मैम। कोमल ने अपनी एक कोहनी सोफे के साइड वाले स्टैण्ड पर रखकर अपना पंजे से सिर को सपोर्ट दे रही थी, जिस कारण से वो टेढी होकर बैठी थी। उसने अपने एक पैर को दूसरे पैर पर चढ़ा रखा था। मैम ने भी अपने एक पैर को दूसरे पैर पर चढ़ा रखा था, पर वो सीधी बैठी थी। मैम ने साड़ी पहनी हुई थी, जबकि कोमल ने वहीं सुबह वाले कपड़े (छोटी सी टीशर्ट और छोटी सी शॉर्ट) पहने हुए थे। कोमल की चिकनी गदराई हुई जांघे बार बार मेरी नजरों को अपनी तरफ खींच रही थी। मन कर रहा था कि हाथ रखकर सहला दूं। पर मैंने खुद पर कंटरोल रखा और अपना एक हाथ मैम की जांघों पर रख दिया।
अगर कोई बाहर से अंदर आता तो उसे मेरा हाथ मैम की जांघों पर दिख जाता, पर टेढे होकर बैठने के कारण कोमल को नहीं दिख रहा था, वैसे भी उसके चेहरे के सामने मैग्जीन थी।
मैम ने अपना हाथ मेरे हाथ पर रख दिया और मेरे हाथ को पकड़ कर अपनी योनि की तरफ खींच लिया। अब मेरा हाथ मैम की योनि के ठीक उपर था। मैंने कोमल की तरफ देखा तो वो मैग्जीन पढने में ही मशगूल थी।
मैंने थोड़ी सी हिम्मत करके अपना दूसरा हाथ अपनी सातल पर ऐसे रखा कि वो हल्का सा कोमल की चिकनी जांघों से टच होने लगा।
कुछ देर तक मैंने अपना हाथ ऐसे ही रखा, कोमल ने कोई धयान नहीं दिया।
मेरा दूसरा हाथ मैम की योनि को साड़ी के उपर से ही सहला रहा था, मेरी नजरें कोमल को ही देख रही थी, ताकि स्थिति बिगडने से पहले संभला जा सके।
जब कोमल का कोई रिएक्शन नहीं हुआ तो मैंने अपने हाथ को एक बार अपने बालों में घुमाया और फिर से थोड़ा ज्यादा उसकी जांघों से सटाते हुए रख दिया। उसने मैग्जीन को साइड में किया और मेरी तरफ देखने लगी, पर मैं सीधा सामने देखने लगा। उसने अपना पैर थोड़ा सा साइड में कर लिया और फिर से मैग्जीन पड़ने लगी।
जी मैम, बोलिये क्या काम था, मैंने मैम को कहा।
वो मेरे पेट में दर्द हो रहा है, और तुमने एक दिन बताया था कि तुम नाभि (हमारे वहां पर इसको धरन बोलते हैं, पर अब सभी धरन समझते नहीं होंगे, इसलिए नाभि लिख रहा हूं) अच्छी देखते हो, इसलिए बुलाया था, कि क्या तुम मेरी नाभि देख दोगे, मैम ने कहा।
मैंने हैरान होते हुए मैम की तरफ देखा, मैंने तो कभी भी मैम को ऐसा कुछ नहीं कहा, मैंने मन ही मन सोचा।
मुझे ऐसे देखते हुए पाकर मैम ने अपनी एक आंख दबा दी। मैं समझ गया कि मैम थोड़े मजे लेने के लिए बहाना बना रही है।
आप नीचे लेट जाइये मैम, मैं देख देता हूं, मैंने कहा।
मैम खडी हुई और नीचे कालिन पर दरी बिछाकर उस पर लेट गई।
मैं मैम के पास गया और दूसरी साइड से होकर इस तरह से बैठ गया कि मेरा चेहरा कोमल की तरफ था और वो हमें साफ साफ देख सकती थी।
मैंने मैम की साड़ी का पल्लू हटाकर उनके उभारों पर रख दिया और हल्का सा उनके उभारों को दबा दिया। मैम के मुंह से एक हल्की सी आह निकली। मैंने कोमल की तरफ देखा, उसने जल्दी से मैग्जीन अपने चेहरे के सामने कर ली, मतलब वो हमें ही देख रही थी।
फिर मैं मैम के पेट की तरफ देखने लगा, एकदम कसा हुआ पेट था। मैंने अपनी उंगलियां मैम के पेट पर रख दी। जैसे ही मेरी उंगलियां मैम के पेट पर लगी तो मैम का पेट उछलने लगा और मैम आहें भरने लगी। मैंने हलके से कोमल की तरफ इस तरह से देखा कि उसको पता न चले कि मैं उसे देख रहा हूं, वो मैग्जीन के साइड से हमें ही देख रही थी।
मेरे चेहरे पर मुस्कान तैर गई।
मैं दबा दबा कर मैम के पेट को चैक करने लगा, जैसे बचपन में मम्मी हमारा चैक करती थी जब पेट में दर्द होता था (मम्मी को नाभि देखनी आती थी और वो पैरों को झटके मारकर ठीक कर देती थी)।
मैम ने साड़ी को काफी नीचे बांधा हुआ था, जिससे उनका पेडू भी नजर आ रहा था। मैंने ऐसे ही पेट को दबाते हुए नीचे की तरफ से चैक करने लगा। अब मेरा हाथ मैम की योनि से थोड़ा सा ही उपर चैक कर रहा था। मैं मैम के पैरा के बीच में आ गया और उनकी साड़ी को किनारों से पकड़कर थोड़ा सा नीचे कर दिया। उनकी योनि के उपर वाले हिस्से के बाल दिखाई देने लगे। मैंने कनखियों से कोमल की तरफ देखा तो वो बहुत ही गौर से हमें ही देख रही थी।
अब मैं मैम की योनि के पास हाथ लगाकर दबा दबाकर चैक करने लगा। कोमल की जांघे आपस में भींच गई थी और उसका चेहरा एकदम लाल हो गया था। उसका एक हाथ उसकी जांघों के बीच में था जो जांघों के बीच भींचा हुआ था।
कुछ देर ऐसे ही दबा दबाकर कोमल को गरम करने के बाद मैं उठा और मैम की साड़ी को उनकी जांघों तक उपर कर दिया और फिर उनका पैर पकड़ कर हल्का सा झटका दिया। झटका थोडा सा तेज हो गया था। मैम के मुंह से एक आह निकली। मुझे लगा कि कहीं नाभि सरक ना गई हो अपनी जगह से तो मैं वापिस आकर चैक करने लगा। पर वो बिल्कुल नाभि के सेंटर में ही फुदक रही थी। मैंने चैन की सांस ली और फिर दूसरे पैर को भी एक बहुत ही हलका सा झटका मारा। और फिर वापिस आकर नाभि चैक की।
मैंने मैम की तरफ आंख दबाई।
अब तो कुछ आराम लग रहा है, मैम ने कहा।
मैंने एक कपड़े का गोला सा बनाया और मैम के पेट पर रख दिया और उसके पकड़े हुए ही मैम की गर्दन के नीचे हाथ लगाकर उठाने लगा। मैम उठने लगी। मैंने उन्हें उकडू बैठने को कहा। जैसे ही वो उकडू बैठी, जिस हाथ से मैंने कपड़े को पकड़ा हुआ था वो एक तरफ तो उनकी जांघों पर सट गया और उपर से मैम की चूचियों पर दब गया। मैम के मुंह से सिसकारी निकली। मैं मैम की चूचियों को मसलते हुए अपना हाथ बाहर निकाल लिया।
आप कुछ देर ऐसे ही बैठे रहिये, अपने आप ठीक हो जायेगी, मैंने कहा।
मैं वही सब कर रहा था, जैसे बचपन में मम्मी करती थी। आता जाता कुछ नहीं था।
थोड़ी देर बाद मैंने मैम से पूछा कि ठीक हो गया क्या।
हां अब आराम महसूस हो रहा है, मैम ने कहा।
मैंने उनकी कमर में हाथ लगाया और उनका हाथ पकड़कर उनको खड़ा किया और फिर सहारा देकर सोफे पर बैठाने लगा।
मैंने जान बूझ कर उनको कोमल से सटाकर बैठाया, और उनको बैठाते वक्त मेरा हाथ कोमल के नरम नरम कुल्हों से टच हुआ तो मैंने उन्हें और जोर से दबा दिया। बहुत ही नरम कुल्हे थे।
उसके कुल्हें और सातलों को रगड़ते हुए मैंने अपना हाथ निकाल लिया। कोमल मेरी तरफ तिरछी नजरों से देख रही थी।
ओके मैम अब मैं चलता हूं, मैंने कहा और बाहर आ गया। मैंने बाइक से खाना निकाला और ऑफिस में आ गया।
अपूर्वा काम कर रही थी, पर बॉस ऑफिस में नहीं थे।
बॉस कहां गये, मैंने अपूर्वा से पूछा।
आ गये आप, बॉस तो बैंक गये हैं, अपूर्वा ने कहा।
फाला, पहले पता होता तो, मैम और कोमल के और मजे लेकर आता, पर चलो कोई नहीं फिर कभी, मैंने मन ही मन सोचा।
चालान कैसे हो गया था, अपूर्वा ने पूछा।
अरे कल मैं बाइक तो लाया नहीं था, वो सोनल के साथ आया था, दोनों में से किसी ने भी हेलमेट नहीं पहना था, और जैसे ही मयूर वाटिका के नीचे से निकले, सामने मामू खड़े थे। अब वापिस भी नहीं कर सकते थे, तो वो चालान कर दिया दौ सौ का।
आप चला रहे थे, अपूर्वा ने थोड़ा चेहरे पर सिकन लाते हुए पूछा।
नहीं, वो ही चला रही थी, पर जब चालान काटा तो लाइसेंस मैंने अपना दे दिया था, मैंने कहा।
अपूर्वा ने थोड़ी राहत की सांस ली।
ये क्या लाये हो, उसने मेरे हाथ में पकड़े पैकेट की तरफ इशारा करते हुए कहा।
अरे सुबह लेट उठा तो, खाना तो बनाया नहीं, इसलिए अभी लेकर आ गया हूं, दोपहर को खा लूंगा, मैंने कहा।
तेरी आंखों के कैदी हैंए मोहब्बत काम है मेराए--------------- हैल्लो!
अपूर्वा का फोन बजा और उसने एक रिंग पूरी होने से पहले ही पिक कर लिया।
मैंरू वॉव यारए रिंगटोन तो बहुत अच्छी लगाई हैए
सीइइइइइइइइ--- अभी मैंने अपनी बात पूरी भी नहीं की थी कि अपूर्वा ने अपने मुंह पर उंगली रखकर चुप होने का इशारा किया।
मैं चुप हो गयाए अपूर्वा धीरे धीरे बातें करने लगीए वो इतनी धीरे बोल रही थी कि मुझे कुछ सुनाई ही नहीं दे रहा था
तेरी आंखों के कैदी हैं, मोहब्बत काम है मेरा,----------- अपूर्वा के मोबाइल की रिंग बजी।
एक रिंग पूरी होने से पहले ही उसने कॉल पिक कर ली।
हैल्लो, मोबाइल को कान से लगाते हुए उसने कहा।
वो बहुत ही धीरे से बोली थी, और इसके बाद तो उसकी आवाज मुझे सुनाई देनी ही बंद हो गई थी, बहुत ही धीमी आवाज में बात कर रही थी।
किसका फोन था, जो इतने धीमे बात कर रही थी, उसके कान से फोन हटाते ही मैंने कहा।
अगर बताना ही होता तो इतने धीमे बात क्यों करती, उसने मुस्कराते हुए कहा।
उसकी ये बात मुझे इतनी गहरी जाकर लगी कि आंखों में से हल्के से आंखू निकल आये।
मैं भी ना कितना बेवकूफ हूं, इसकी अपनी पर्सनल लाइफ भी है, अब सभी चीजों के बारें में मुझे थोड़े ही बतायेगी, मैंने अपने मन को सांत्वना देते हुए मन ही मन खुद से कहा।
परन्तु एक टिस सी बन चुकी थी, जो परेशान कर रही थी।
मैंने सिस्टम की तरफ मुंह फेर लिया और आंखों में आये हलके आंसुओं को पोंछा और काम करने लगा। परन्तु जैसे ही साफ किये आंसु फिर से छलक आये।
जब रूके ही नहीं तो मैं उठकर बाथरूम चला गया और मुंह धोकर फ्रेश होकर वापिस आकर पानी पिया। पानी पिने के बाद कुछ हल्का सा महसूस किया। मैं काम करने लग गया। परन्तु टिस वैसी की वैसी ही थी, खत्म हो ही नहीं रही थी।
खाना तो खाया ही नहीं आपने, अपूर्वा की आवाज सुनकर मैं जागा।
नींद तो नहीं आई थी, पर ख्यालों में खो सा गया था। मैंने टाइम देखा, ढाई बजने वाले थे।
मैंने बीच में टेबल रखी और उस पर खाना लगा दिया।
आ जाओ, खाना लगा लिया है, खाते हैं, मैंने अपूर्वा से कहा, जो वापिस अपने काम में मशगूल हो गई थीं
क्या मैं, ना बाबा ना, सुबह कुछ ज्यादा ही खा लिया था, और अब खा लिया तो फिर शाम की छुट्टी हो जायेगी।
मैंने उसके चेहरे की तरफ देखा पर वो फिर से अपने काम में बिजी हो गई थी।
आ जाओ ना यार, अब अकेले थोड़े ही खाउंगा, चलो ज्यादा नहीं तो थोड़ा सा खा लेना, मैंने उसकी चेयर को घुमाते हुये कहा।
वो हलके से मुस्कराई और हम खाना खाने लगे।
क्रमशः.....................
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