RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--45
गतांक से आगे ...........
रीत,,,,, आज कैसे याद आ गई हमारी, नवरीत को देखते ही लॉन में बैठी आंटी ने कहा।
अपूर्वा कहां है, नवरीत ने बिना कोई जवाब दिये सीधे ही सवाल किया।
वो अपने रूम में आराम कर रही है, और ये सब कौन हैं, आंटी ने बताया और फिर पूछा।
बाद में बताती हूं, कहते हुए नवरीत सीधी अंदर चली गई।
उसके साथ सोनल, रूपाली और कोमल भी अंदर चली गई। मैं बाहर ही खड़ा रहा।
मैं लॉन में आया और आंटी के पैर छूकर नमस्ते किए।
जीते रहो बेटा, आंटी ने आशीर्वाद देते हुए कहा।
मेरा नाम समीर है आंटी, अपूर्वा के ऑफिस में काम करता हूं, मैंने कहा।
ओहहह----- समीर बेटा,,, अरे आओ,,, कहते हुए आंटी ने उठकर मुझे गले लगा लिया।
मैं थोड़ा सा हैरान हुआ, पर ज्यादा नहीं सोचा इस बारे में।
अपूर्वा हमेशा तुम्हारी ही बातें करती रहती है, आंटी ने कहा।
आंटी की बात सुनकर मैं थोड़ा शरमा गया।
मेरा मन तो हो रहा था कि जाकर अपूर्वा को देखूं, कैसी है, पर हिम्मत नहीं कर पा रहा था, कि आंटी क्या सोचेगी।
वो अपूर्वा कैसी है अब, मैंने आंटी से पूछा।
अब ठीक है, बस आराम कर रही है, जाओ मिल लो, आंटी ने कहा और अंदर चल पड़ी।
मैं आंटी के पिछे पिछे अंदर आ गया।
वो उपर सामने वाला कमरा है, मैं तो उपर कम ही जाती हूं, घुटनों में दर्द हो जाता है, आंटी ने उपर इशारा करते हुए कहा।
आंटी शरीर से इतनी बूढी नहीं लग रही थी, और न ही ज्यादा मोटी थी, पर घुटनों का दर्द शरीर देखकर थोड़े ही आता है, कभी भी लग जाता है।
ओके--- कहता हुआ मैं उपर चल दिया।
रूम में आकर देखा तो सभी लड़कियां बेड पर बैठी हुई थी और अपूर्वा उनके बीच में बैठी थी, जैसे सभी को कोई कहानी सुना रही हो। सभी लड़कियां बहुत गौर से उसकी बातें सुन रही थी।
मेरे अंदर आते ही सबने मेरी तरफ देखा। मुझे देखते ही अपूर्वा बेड से उठी और आकर मेरे गले लग गई।
थैंक्स, अपूर्वा ने मेरे गले लगे हुए ही कहा।
थैंक्स, पर किस लिए,, मैंने उसके बालों को सहलाते हुए कहा।
मेरा हाल-चाल पूछने के लिए घर आने के लिए, अपूर्वा ने कहा।
वो मुझे कस कर अपनी बाहों में भींचे हुए थी। मैं उसके बालों को सहला रहा था और मेरा एक हाथ उसकी कमर में था।
तुम्हारा फोन क्यों नहीं मिल रहा, मैंने कहा।
वो पता नहीं क्यों उसमें नेटवर्क ही नहीं आ रहा, अपूर्वा ने कहा।
ओ मैडम, अब ऐसे ही चिपकी रहोगी क्या, नवरीत की आवाज आई।
हमारे गले तो नहीं मिली तुम, नवरीत ने फिर कहा।
नवरीत की बात सुनकर अपूर्वा मुझसे अलग हुई, उसके मुंह पर कुछ पीलापन सा था, पर नवरीत की बात सुनकर गाल फिर भी शरम से लाल हो गये थे।
एकदम पीला निकल आया है चेहरा, मैंने उसके गालों को हथेलियों में भरते हुए कहा।
मेरी बात सुनकर अपूर्वा फिर से मेरे गले लग गई। मेरी नजर पिछे बैठी लड़कियों पर पड़ी, सभी हमें ही देख रही थी।
नवरीत ने मेरी तरफ उंगली हिलाते हुए आंखों से इशारा किया जैसे कह रही हो, ‘तो ये माजरा है’।
मैं अपूर्वा को बांहों में बांधे हुए बेड तक लाया और उसको बेड पर बैठा दिया।
आराम से बैठो, अभी तुम्हें आराम की जरूरत है, मैंने कहा और रूम में नजरें घुमाने लगा।
अपूर्वा शर्म से लाल चेहरा लिए नजरें झुकाकर बैठी थी।
तू इधर आ, तेरी तो मैं अभी क्लास लेती हूं, नवरीत ने उसका हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींचते हुए कहा।
अपूर्वा लुढकते हुए बेड पर गिर गई। नवरीत ने उसका सिर अपनी गोद में रख लिया।
ओए होए----- कैसे सेब जैसे लाल हो गये हैं गाल, नवरीत ने उसके गालों को मसलते हुए कहा।
मैं रूम में रखी चेयर बेड के पास करके बैठ गया।
अपूर्वा के पैर बेड से नीचे लटक रहे थे। मैंने उठाकर अपनी गोद में रख लिए। अपूर्वा ने सिर उठाकर मेरी तरफ देखा और मुस्करा कर वापिस नवरीत की गोद में सिर रख दिया।
बड़ा प्यार आ रहा है, सोनल ने मेरे गालों को खींचते हुए कहा।
हां हां----- आयेगा क्यों नहीं, आते ही गले जो मिली है, रूपाली ने भी उसका साथ देते हुए कहा।
मैंने कोमल की तरफ देखा, वो थोड़ा शरमा रही थी।
मैं अपूर्वा के पैरों की उंगलियों को मसाज देने लगा।
तभी आंटी अंदर आई और उनके पिछे पिछे कामवाली बाई चाय की ट्रे लेकर आई।
आंटी के आते ही मैंने उठ कर कुर्सी आंटी को ऑफर की।
अरे बेटा बैठो, मैं और ले लेती हूं, कहते हुए आंटी ने एक और चेयर बेड के पास सरका ली और उस पर बैठ गई।
मैं चेयर पर बैठ गया। मेरे बैठते ही अपूर्वा ने अपने पैर फिर से मेरी गोद में रख दिये। मैंने आंटी की तरफ देखा, आंटी हमारी तरफ ही देख रही थी। मेरे देखने पर आंटी मुस्करा दी।
चाय लो बेटा, आंटी ने ट्रे की तरफ इशारा करते हुए कहा।
बाई ट्रे लेकर मेरे साइड में खड़ी थी। बाकी सभी ने चाय ले ली थी। मैंने एक कप चाय का उठाकर आंटी को दिया और दूसरा खुद ले लिया। उसने नमकीन की प्लेट बेड पर सबके बीच में रख दी।
नवरीत अपूर्वा के सिर को गोद में रखे अपूर्वा के बालों और माथे को सहला रही थीं। अपूर्वा आंखें बंद करके मजे से लेटी थी।
अब मुझे भी तो सभी के बारे में बताओ, कौन किसकी फ्रेंड है, आंटी ने नवरीत की तरफ देखते हुए कहा।
ओह, मैं तो भूल ही गई, अपने माथे पर हाथ मारते हुए नवरीत ने कहा और फिर सभी का इंट्रो कराया।
ये सोनल, मेरी फ्रेंड है, मालवीय नगर में ही रहती है, ये रूपाली सोनल की फ्रेंड है, अब मेरी भी है, और ये हैं कोमल, ये रूपाली की फ्रेंड है, कहकर नवरीत चुप हो गई।
और कोमल हमारे बॉस की साली है, अपूर्वा ने कहा।
अच्छा तो ये है वो कोमल, जिसके बारे में तुम बता रही थी, आंटी ने कहा।
बहुत प्यारी हो बेटी, क्या करती हो, आंटी ने कोमल के गालों को सहलाते हुए कहा।
जी अभी पढ़ाई पूरी की है, कोमल ने कहा।
इस अपूर्वा की बच्ची के पेट में कुछ रूकता भी है या नहीं, मैंने मन ही मन सोचा।
चाय पीकर कप वापिस ट्रे में रख दिये, नमकीन तो मुझे पता ही नहीं चला कब खत्म हो गई। बातों बातों में नवरीत और सोनल ने सारी खत्म कर दी। बाकियों ने तो थोड़ी सी ली होगी।
बेटा घर पर कौन कौन हैं, आंटी ने मेरी तरफ देखते हुए पूछा।
जी आंटी, मम्मी-पापा और हम दो भाई हैं, एक बहन है, मैंने कहा।
भाई छोटा है या बड़ा, आंटी ने फिर पूछा।
जी दोनों छोटे हैं, बहन की शादी हो चुकी है, मैंने कहा।
हम भी सोच रहे हैं अब अपूर्वा की शादी के बारे में, आंटी ने कहा।
जी आंटी, मैंने कहते हुए अपूर्वा की तरफ देखा।
वो मुझे ही देखे जा रही थी। नवरीत की नजरें भी मुझ पर ही थी।
तभी कोमल का फोन बजने लगा। वो उठकर बाहर चली गई।
आंटी मुझसे मेरे घर-परिवार के बारे में पूछती रही और मैं बताता रहा।
कुछ देर बाद कोमल वापिस आई और मेरे पास आकर खड़ी हो गई।
दीदी का फोन था, आने के बारे में पूछ रही थी, कोमल ने कहा।
आज इधर ही रूकना है, कल मेरे साथ ही चलना, अपूर्वा ने कहा।
नहीं, नहीं, जाना तो पड़ेगा ही, कोमल ने कहा।
नहीं, आज तुम यहीं पर रूकोगी, आपने प्रोमिस किया था, और आज आई हुई भी हो, तो आज ही रूकना है, अपूर्वा ने कहा।
ओके---- मैं दीदी से बात कर लेती हूं, कहते हुए कोमल उठकर बाहर चली गई।
अपूर्वा अब आंटी की चेयर पे हाथ रखकर खड़ी थी। उसने अपनी बाहें आंटी के गले में डाल दी और अपना चेहरा आंटी के कानों के पास करके कुछ फुसफुसाई।
आंटी ने मुस्कराते हुए उसके गालों पर एक थपकी दी।
प्लीज, मॉम,,, अपूर्वा ने कहा।
ओके बेटा, मैं देखती हूं, कहते हुए आंटी उठ गई।
मैं नीचे चलती हूं, आप लोग बातें करो, कहकर आंटी बाहर चली गई।
आंटी के जाते ही अपूर्वा मेरी चेयर के पास आई और पिछे से मेरे गले में बाहें डालकर खड़ी हो गई। वो अपने चेहरे को मेरे कान के पास लेकर आई और फिर धीरे से मेरे कान में फुसफुसाई।
आज यही पर रूकना है आपको भी, मैंने मम्मी को कह दिया है, उसने फुसफुसा कर कहा।
क्या, तुम पागल तो नहीं हो, मैंने आश्चर्य से उसकी तरफ अपना चेहरा करते हुए कहा।
चेहरा घुमाने से मेरे होंठ सीधे उसके होंठों से टकरा गये। मैंने तुरंत अपना चेहरा पिछे किया।
हमें देखकर सभी हंसने लगे, अपूर्वा का चेहरा फिर से शरम से लाल हो गया।
प्लीज रूक जाओ ना, वो फिर से मेरे कान में फुसफुसाई।
नहीं यार, जाना तो पड़ेगा ही, मैंने धीरे से कहा।
तभी नीचे से आंटी की आवाज आई।
आई मम्मी, कहते हुए अपूर्वा बाहर चली गई।
उसके बाहर जाते ही कोमल अंदर आई।
तो जी क्या डिसाइड हुआ, नवरीत ने कहा।
दीदी मना कर रही है, कोमल ने कहा।
अरे मेरे से बात करवाओ, ऐसे कैसे मना कर रही है, नवरीत ने कहा।
ओके, ठीक है, रूक रही हूं, कोमल ने मुस्कराते हुए कहा।
ये हुए ना बात, कहते हुए नवरीत ने कोमल का हाथ पकड़कर बेड पर खींच लिया।
कोमल सीधा उसकी उपर जाकर गिरी।
तुम्हारी ये बात बड़ी बेकार है, लेती हो और ऐसे खींचते हो जैसे कोई खिलोना हो, अगर चोट लग जाये तो, मैंने कहा।
दिखाना कहां चोट लग गई, नवरीत ने कोमल के शरीर को टटोलते हुए कहा।
मेरा मतलब लग सकती है, मैंने कहा।
नवरीत ने मेरी तरफ घूर कर देखा, और फिर मुस्करा दी। मेरी भी हंसी छूट गई।
कैसा है मेरा बेटा, नीचे से किसी आदमी की आवाज आई।
अंकल आ गये, नवरीत ने कहा और उठकर बाहर चल दी।
दीदी नाराज हो रही थी, कह रही थी ऐसे कैसे किसी के भी घर रूक जाओगी, कोमल ने मेरी तरफ देखते हुए कहा।
अब ये तुम जानो, मेरी मैम हैं, मैं क्या कह सकता हूं, मैंने कहा।
आपसे बात करवाने के लिए कह रही थी, कोमल ने कहा।
मुझसे, मर गया,,,,, मैंने कहा।
मैंने अपना सैल निकाला और मैम का नम्बर मिलाया।
हैल्लो, फोन उठाते ही मैम ने कहा।
हैल्लो मैम, मैंने कहा।
कहां पर हो, मैम ने पूछा।
अपूर्वा के घर हैं मैम, मैंने कहा।
गये तो कोमल की दोस्त के घर थे, वहां कैसे पहुंच गये, मैम ने पूछा।
वो कोमल की दोस्त मेरे घर पर थी, और फिर वहां से सभी अपूर्वा के घर पर आ गये, मैंने कहा।
तो ये आज रूकने का क्या चक्कर है, मैम ने कहा।
मुझे नहीं पता, वो अपूर्वा कह रही थी इनको रूकने के लिए, मैंने कहा।
क्या करेगी रूककर, मिल ली है, अब रात भर रूकने का क्या मतलब है, मैम ने कहा।
तुम भी उधर ही रूक रहे हो क्या, मैम ने कुछ रूककर फिर पूछा।
मैं यहां कैसे रूक सकता हूं मैम, इनके घर वाले क्या सोचेंगे, मैंने कहा।
ठीक है, अगर तुम वही पर रूक रहे हो, तो कोमल भी रूक जायेगी नहीं तो, उसको रूकने की कोई जरूरत नहीं है, मैम ने कहा।
ठीक है मैम, मैंने कहा और बाये करके फोन काट दिया।
कोमल मेरी तरफ ही देखे जा रही थी, मेरे उतर के इंतजार में। मैंने एक बार उसकी तरफ देखा और बेड पर बैठ गया।
क्या कहा दीदी ने, कोमल ने पास आते हुए कहा।
मैंने बेकार सा मुंह बना दिया, जैसे कहना चाह रहा हों कि मना कर दिया। मैं देखना चाहता था कि ये क्या चाहती है।
मेरे मुंह बनाने से कोमल समझ गई कि मैम ने मना कर दिया है, और उदास सा चेहरा बनाकर बैठ गई।
उदास होने का साफ मतलब था कि वो यहां पर रूकना चाहती है। अब मुझे सोचना था कि ऐसा क्या करूं जिससे मुझे भी ना रूकना पड़े और ये भी यहां पर रूक सके।
क्रमशः.....................
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