RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--60
गतांक से आगे ...........
मैंने टाइम देखा तो 9 बज चुके थे। उठकर मैंने कपड़े चेंज किये और हम लॉक लगाकर नीचे आ गये।
‘‘पर तुम ऐसे अचानक कैसे आ गई, कोई गड़बड़ तो नहीं’’ मन काफी हल्का हो गया था, और थोड़ा बहुत फ्रेश महसूस हो रहा था, परन्तु असली दर्द तो अभी अंदर ही दहक रहा था।
दीवाली की छुट्टियां,,, सोनल ने मेरे गाल को भींचते हुए मुस्कराते हुए कहा।
सोनल ने अपनी स्कूटी निकालने लगी।
पैदल ही चलते हैं ना, इधर दाना-पानी पर ही चलते हैं, मैंने कहा।
नहीं, जी-टी- चलेंगे, दाना-पानी पर बढ़िया नहीं मिलता, सोनल ने कहा और स्कूटी बाहर निकाल लाई।
मैं उसके पिछे बैठ गया और हम जी-टी- के निकल पड़े। तभी मुझे धयान आया कि मैं पर्स तो लेकर ही नहीं आया।
रूको,,, मैंने जोर से कहा।
क्या हुआ, सोनल ने एकदम से ब्रेक लगा दिये।
मैं पर्स तो लाना ही भूल गया,,, मैंने कहा।
पर मैं नहीं भूली, मैं ले आई हूं, सोनल ने कहा और स्कूटी फिर से भगा दी।
मैंने उसकी कमर पर चेहरा रख लिया और अपने हाथ उसके पेट पर कस दिए।
आंटी आ गई, मैंने पूछा।
नहीं, वो दो-तीन दिन बाद आयेंगी, सोनल ने कहा।
3 दिन बाद दीदी भी आ रही हैं, सोनल ने फिर कहा।
वॉव, फिर तो दीवाली पर खूब धमाल होगा,,,, मैंने अपना चेहरा उठाते हुए कहा।
हम्ममम,,, दीदी जब भी घर पर होती है तो बहुत मजा आता है,,, सोनल ने कहा।
तुम तो घर नहीं जा रहे ना दीवाली पर,,,, सोनल ने कहा।
देखो, वैसे अभी जाकर आया हूं, तो शायद ना जाउं,,, मैंने कहा।
तुम चले जाओगे तो कुछ मजा ही नहीं आयेगा,,, सोनल ने कहा।
देखता हूं, मैंने कहा।
ऐसे ही बातें करते हुए हम जी-टी- (गौरव टॉवर) पहुंच गये। सोनल मुझे सीधे मोचा (मल्टीक्यूजिन) में ले आईं। अंदर आकर हम बैठ गये।
आज मैं अपनी पसंद का खिलाउंगी, सोनल ने कहा और वेटर को ऑर्डर दे दिया।
सोनल पूरी कोशिश कर रही थी कि मेरे चेहरे से उदासी गायब हो जाये, परन्तु उसे कहां पता था कि मेरे साथ हुआ क्या है।
कुछ देर में वेटर डिनर ले आया। हमने खाना खाया। सोनल बार बार मेरे उदास चेहरे को देख देख कर परेशान हो रही थी। खाना खाने के बाद हम कुछ देर वहीं बैठे रहे। सोनल ने बिल पे किया और हम बाहर आ गये।
चलो आइसकरीम खाते हैं, सोनल कहते हुए मुझे आइसकरीम पार्लर की तरफ ले आई।
सोनल ने आइसकरीम ली और हम स्कूटी पर आकर बैठ गये। मुझे खुद पर गुस्सा आने लगा था, सोनल मेरा इतना ख्याल रख रही है और मैं ऐसे ही चुपचाप रहकर उसे परेशान कर रहा हूं। परन्तु मैं बोलने की कोशिश करता तो गला साथ नहीं दे रहा था।
हम कुछ देर तक उधर ही बैठे रहे, आइसकरीम खत्म होने पर सोनल हम घर के लिए चल पडे। रस्ते में सोनल ने एक जगह स्कूटी रोकी और सामने की दुकान से कुछ सामान ले आई। मैं इतना खोया हुआ था कि मुझे पता ही नहीं चला कि वो क्या लेकर आई है और कब हम घर पहुंच गये हैं।
घर आकर उसने स्कूटी अंदर खडी की, उसने कब गेट खोला, मुझे कुछ होश नहीं था। जब मुझे धयान आया कि घर पहुंच गये हैं तो देखा कि सोनल मेरे सिर पर हाथ रखकर बालों को सहला रही थी, उसकी छाती मेरे कंधे पर दबी हुई थी। मैंने उसकी तरफ देखा। उसके चेहरे पर परेशानी साफ झलक रही थी।
चलें, मुझे खुद की तरफ देखता पाकर सोनल ने प्यार से कहा।
हम्मममम,,, कहते हुए मैं स्कूटी से उतरा और हम उपर की तरफ चल दिये। हम सीधे मेरे कमरे में आ गये।
सोनल ने बाहर चेयर लगा दी और हम उधर बैठ गये। बहुत देर तक मैं ऐसे ही खोया खोया बैठा रहा। सोनल मेरे चेहरे को देखती रही।
‘‘बहुत उदास है कोई उसके चले जाने से,
हो सके तो लौटा लाओ उसे किसी बहाने से,
वो लाख खफा सही मगर एक बार तो देखे,
कोई टूट गया है उसके चले जाने से,’’
पता नहीं कैसे मेरे गले से बस इतना ही निकल पाया और इतनी देर से सुन्नी आंखों में एकबार फिर आंसुओं की धारा बहने लगी।
ये सुनकर तो सोनल एकदम से हैरान रह गई। वो एकदम से उठकर मेरे सामने घुटनों के बल बैठ गई और मेरे आंसुओं को पौंछने लगी। उसका स्पर्श पाते ही मैं उसकी बाजुओं में टूट गया। सोनल मुझे अंदर ले आई और बेड पर बैठकर मुझे अपनी गोद में लेटा लिया।
क्या हुआ था,,,, सोनल ने मेरे गालों को सहलाते हुए कहा।
कुछ देर तक तो मैं ऐसे ही सुन्नी आंखों से छत की तरफ देखता रहा।
पता नहीं क्यों, उसने ऐसा किया मेरे साथ,,,, मैंने कहा और फिर बहते हुए आंसुओं के साथ उसे सारी बात बताई।
सोनल ने मुझे अपनी छाती से चिपका लिया और मेरे सिर के पिछे हाथ लगाकर कसकर मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया।
अपूर्वा से बात हुई तुम्हारी,,, कुछ देर बाद सोनल ने पूछा।
नहीं-------
सुबह मैं बात करती हूं, उनसे,,, सोनल ने कहा।
काफी देर तक वो मुझे ऐसे ही अपने सीने से चिपकाए बैठी रही। किसी ने सही ही कहा है कि दिल का दर्द अपनों को बताने से दिल हलका हो जाता है। अब आंखें खोलना मेरे लिये मुश्किल हो रहा था और कब मैं नींद के आगोश में समा गया मुझे पता ही नहीं चला।
सुबह जब मेरी नींद खुली तो काफी हल्का सा महसूस हो रहा था। मैंने आंखें खोली। सोनल वैसे ही दीवार के साथ कमर लगा कर सो रही थी। मैं वैसे ही उसकी गोद में सिर रखे सो गया था। मैं उठा और सोनल को अपनी बाहों में उठाकर सही तरह से बेड पर लेटा कर उसका सिर अपनी गोद में रख लिया। पता नहीं रात को कब सोई होगी, तभी तो इतना हिलने पर भी नींद नहीं खुली। मैं उसके सिरहाने बैड से कमर लगाकर बैठ गया और उसका सिर अपनी गोद में रखकर उसके माथे और बालों में हाथ फेरने लगा।
अगर तुम ना आई होती तो पता नहीं मेरा क्या होता सोनल,,, मैं टूट गया था, किसी के सहारे के लिये तड़प रहा था, और देखो तुम मेरा कितना ख्याल रखती हो, तुम तुरंत आ गई, मैंने धीरे से कहा, जैसे उसको सुना रहा हों, परन्तु वो तो नींद के आगोश में थी। उसके मासूम चेहरे को सोते हुए देखना एक अलग ही अहसास दे रहा था।
‘‘काश वो समझते इस दिल की तड़प को,
तो यूं हमें रूसवा ना किया होता,
उनकी ये बेरूखी जुल्म भी मंजूर थी हमें,
बस एक बार हमें समझा तो दिया होता।
मैं ख्यालों में इतना खो गया था कि मुझे पता ही नहीं चला कि कब सोनल मेरी गोद में करवट लेकर लेट गई थी और मेरे हाथ से खेलने लग गई थी।
एक तुम ही तो मेरे इतने अजीज हो, तुमको मैं कैसे अकेले तड़पते हुए छोड़ सकती हूं,,, सोनल की ये बात सुनकर मेरे ख्यालों का सिलसिला टूटा।
उठ गई तुम,,,
हम्ममम,,, सोनल ने उठते हुए कहा।
उठ कर सोनल मेरे सामने बैठ गई और मेरे चेहरे को अपने हाथों में पकड़ लिया। मैं उसकी आंखों में देखे जा रहा था।
गुड मॉर्निंग, उसने मेरे लबों को थोड़ा सा चूमकर अलग होते हुए कहा।
गुड मॉर्निंग,, कहते हुए मैंने उसके माथे को चुम लिया।
मुझे गुस्सा तो बहुत आ रहा है, उस बूढउ पर, पर पहले मिलकर बात करती हूं, ऐसा क्यों किया उसने,,,, सोनल ने उठते हुए कहा।
मैंने उसका हाथ पकड़कर उसको वापिस खींच लिया और वो मेरे उपर आ गिरी।
उंहहह क्या है बाबा, टॉयलेट जाकर आ रही हूं,,,, सोनल ने कहते हुए मेरी तरफ देखा।
कुछ देर तक तो वो असमंझस के साथ मेरी तरफ देखती रही और मैं उसे देखता रहा और फिर अचानक उसने मेरे चेहरे को पकड़ा और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये। उसका हाथ मेरे सिर के पिछे पहुंच गया और वो बुरी तरह से मेरे होंठों को चुमने लगी। उसके चुम्बन में इतना प्यार, इतना अपनापन था कि मैं पिघल कर उसमें गुम हो गया।
जब वो मुझसे दूर हुई तो दोनों की सांसे बहुत ही तेज चल रही थी। उसका इतना प्यार देखकर मेरी आंखें नम हो गई।
मुझसे तुम्हें इस तरह नहीं देखा जा रहा है, प्लीज,,,, कहते हुए सोनल ने मुझे अपने सीने से लगा लिया।
हम्मममम,,, कहते हुए मैंने अपने आंसु पौंछू।
तुम्हे टॉयलेट नहीं जाना, मैंने हंसते हुए कहा।
जा रही हूं,, सोनल ने हंसते हुए मेरे गालों पर चिकोटी काट ली और बाथरूम में घुस गई।
उसके जाते ही मेरे चेहरे पर फिर से उदासी छा गई।
2 मिनट बाद वो वापिस आई।
चलो पहले अपूर्वा के घर पर चलते हैं, सोनल ने कहा और मेरा हाथ पकड़कर उठाने लगी।
हम्ममम, कहते हुए मैं खड़ा हो गया।
हम रूम की कुंडी लगाकर नीचे आ गये। सुबह टरेफिक बहुत ही कम थी, इसलिए हमें अपूर्वा के घर पहूंचने में ज्यादा टाइम नहीं लगा।
परन्तु वहां पहुंचकर हमारे चेहरे उदास हो गई। गेट पर ताला लगा हुआ था।
इस बुढ़उ की तो मां की आंख,,,, कहां मर गया अब ये,,, सोनल ने गुस्से में कहा।
तुम्हारे पास अपूर्वा का नम्बर तो हैं ना,,,, सोनल ने कहा।
हां,,,,
मुझे दो,,,,
मैंने अपूर्वा का नम्बर डायल किया। परन्तु स्विच ऑफ था।
मैं नवरीत से बात करती हूं,,, कहते हुए सोनल ने अपना मोबाइल निकाला और नवरीत को फोन लगाया।
पूरी घंटी चली गई पर किसी ने फोन नहीं उठाया। सोनल ने एक बार फिर टराई किया परन्तु किसी ने नहीं उठाया।
नवरीत के घर चलते हैं,,, सोनल ने कहा।
हम वापिस नवरीत के घर के लिए चल पड़े। आते वक्त थोड़ा टाइम लगा। नवरीत के घर पर पहुंचकर सोनल ने बैल बजाई। मैं स्कूटी पर ही बैठा रहा। नवरीत के पापा ने गेट खोला।
जी बोलिये, अंकल ने कहा, परन्तु अगले ही पल उनकी नजर मुझपर पड़ी और उनके चेहरे पर कुछ शिकन आ गईं
आओ बेटा, अंदर आओ, अंकल ने हमसे कहा।
हम अंदर आ गये। अंदर आकर अंकल ने हमें डराइंग रूम में बैठा दिया।
मैं अभी आया बेटा, कहते हुए अंकल रूम से बाहर चले गए।
मैंने सोनल की तरफ देखा। सोनल ने मुझे सांत्वना दी। लगभग 15-20 मिनट बाद अंकल वापिस आये, साथ में आंटी भी थी।
सोनल खड़ी हो गई। मुझे तो कोई होश ही नहीं था, अगर सोनल मेरा हाथ पकड़कर नहीं उठाती तो।
बैठो, बैठो, बेटा, कहते हुए आंटी और अंकल हमारे सामने वाले सोफे पर बैठ गये।
अंकल आपको शायद पता ही होगा कि अपूर्वा की शादी की बात समीर से हुई थी, नवरीत ने शायद आपको बताया होगा, सोनल ने कहा।
हां बेटा, खुद भाईसाहब ने ही बताया था हमें,,, आंटी ने कहा।
तो फिर शायद बाद में क्या हुआ, वो भी बताया होगा, हम अभी उनके घर पर ही गये थे, पर वहां पर लॉक था, सोनल ने कहा।
बेटा, हमारी भी समझ में नहीं आ रहा उन्होंने ऐसा क्यों किया, मैंने उन्हें समझाने की कोशिश भी की थी, परन्तु वो मानने को तैयार ही नहीं हो रहे थे, अंकल ने कहा।
उन्होंने कुछ तो बताया होगा कि वो ऐसा क्यों कर रहे हैं, सोनल ने कहा।
बेटा, मैंने बहुत पूछा था उनसे, पर उन्होंने कुछ बताया नहीं, अंकल ने कहा।
अब वो कहां पर हैं, आपको तो पता होगा, सोनल ने पूछा।
वो सभी इंडिया से बाहर गये हुए हैं, अभी भाईसाहब एक दिन के लिए आये थे, कुछ जरूरी काम था, इधर, फिर वापिस चले गए हैं, आंटी ने कहा।
उनका वहां का कॉन्टैक्ट नम्बर तो होगा ही आपके पास, सोनल ने कहा।
बेटा, मेरी उनके साथ थोड़ी कहासुनी हो गई थी इस बारे में, तो अभी तो उनका कोई कॉन्टैक्ट मेरे पास नहीं है, अंकल ने कहा।
अंकल आपके चेहरे के हाव-भाव से मुझे ऐसा लग रहा है कि आप कुछ छुपा रहे हैं, सोनल ने खड़े होते हुए कहा।
ऐसा कुछ नहीं है बेटा,,, अंकल और आंटी भी खड़े हो गए।
तभी नवरीत चाय लेकर आ गई। नवरीत ने मेरी तरफ देखा। मेरी तरफ देखते ही वो कुछ विचलित सी हो गई।
बेटा चाय पीकर जाना आराम से,,, कहते हुए अंकल बाहर चले गए।
क्रमशः.....................
|