RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
अचानक एकदम से उठकर बैठ गया। पूरा शरीर पसीने से तर-बतर था। सांसे उखड़ी हुई थी, और दिल बहुत तेजी से धड़क रहा था। बहुत सोचा पर कुछ समझ नहीं आया। कोई बहुत ही भयंकर सपना था, याद करने की काफी कोशिशों के बावजूद भी याद नहीं आया। उठकर मैं बाहर आ गया और चेयर डालकर खुले आसमान के नीचे बैठ गया। गर्दन पिछे की तरफ लुढका कर चेयर पर टिका दी। आसमान में तारें खिले हुए थे। आसमान में देखते ही अपूर्वा के घर की वो रात याद आ गई, जब छत पर हम दोनों बैठे आसमान को निहार रहे थे। अपूर्वा की याद आते ही दो आंसु लुढक कर गालों को भिगो गये। उसकी वो कही गई बाते, वो इतना ज्यादा प्यार।
नहीं, ऐसा कैसे हो सकता है, वो मजाक में इतना पयार कैसे जता सकती है, उसकी तो हर बात से प्यार ही प्यार छलक रहा था, नहीं नहीं वो केवल मजाक नहीं हो सकता, वो सच में मुझसे प्यार करती थी, फिर ऐसा क्या हुआ कि उसने ऐसी बात कही कि उसका प्यार बस एक मजाक था, मन में द्वंद चल रहा था। दिल ये बात मानने को तैयार ही नहीं था कि उसका प्यार महज एक मजाक था। क्योंकि उसकी हर एक बात से इतना प्यार छलकता था। बेशक मैं उस वक्त सिर्फ दोस्त की नजर से देखता था, परन्तु अब सोचने पर तो पता चलता ही है कि वो कितना प्यार करती थी। क्या बात हो सकती है कि अपूर्वा ने शादी से मना कर दिया।
एक तेज दर्द लगातार सीने में उठ रहा था। सोनल के सामने, या फिर दिन में मैं ये जताने की कोशिश जरूर करता था मैं अपूर्वा को भूल चुका हूं या भुलाने की कोशिश कर रहा हूं और इस दर्द को अंदर दबाता रहता हूं, परन्तु हर एक पल उसकी याद मुझे अंदर ही अंदर तोड़ती रहती है। मैं सोनल को परेशान भी नहीं करना चाहता हम वक्त गम में डूबा रहकर, परन्तु क्या करूं, ये दर्द मौका मिलते ही दुगुने वेग से बाहर आता है।
अपूर्वा तुने मेरे साथ ऐसा क्यों किया, गला रूंध चुका था, आसमान में तारे धूंधले दिखाई देने लगे और गाल पर आसुंओ की धार बहकर नीचे जा रही थी। सीने में उठने वाली टीस असहनीय होती जा रही थी।
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समीर, समीर, मेरे कानों में धीमी धीमी आवाज पड़ी। मैंने धीरे से आंखें खोली तो आंखों में रूका पानी गालों पर आ गया। कंधे पर हाथ महसूस हुआ तो मैंने उस तरह गर्दन घुमा कर देखना चाहा। गर्दन में एकदम दर्द का अहसास हुआ और हाथ अपने आप गर्दन के पिछे चला गया। हाथ के सहारे से गर्दन को उठाया और साइड में देखा। एक धुंधला सा साया नजर आया। एक हाथ गर्दन को ही सहला रहा था। दूसरे हाथ से आंखों को मसल कर फिर देखा तो सामने सोनल खड़ी थी।
हा-----------य, मैंने बोलना चाहा, परन्तु गला रूंधा हुआ था। गला साफ करके मैंने हाय कहा।
जब नींद थोड़ी सी खुलने लगी तो पता चला कि मैं चेयर पर ही सो गया था।
तुम यहां क्यों सो रहे थे, दूसरी तरफ से थोड़ी तेज आवाज मेरे कानों में पड़ी। मैंने गर्दन घुमा कर देखा तो प्रीत खड़ी थी। उसने अपने हाथों को सीने पर बांध रखा था।
हूंहहहह, मैं असमंझस में इधर उधर देखने लगा। पता नहीं, शायद शाम को इधर बैठे बैठे ही आंख लग गई होगी, कहते हुए मैं उठने लगा। पूरा शरीर अकड़ सा गया था।
शाम को, रात को हम अंदर सुला कर गये थे, फिर शाम को कैसे नींद आ गई होगी, प्रीत ने सख्त लहजे में कहा। मैंने दिमाग पर जोर डालते हुए याद करने की कोशिश की, पर याद ही नहीं आ रहा था कि मैं यहां पर कैसे आया और प्रीत कब मुझे सुला कर गई थी। मैंने एक कदम आगे बढ़ाया तो पैरों में हल्के सा दर्द महसूस हुआ और लड़खड़ा गया। एकदम से सोनल ने मुझे पकड़ लिया।
नहीं, बस वो रात भर चेयर पर रहने से शरीर थोड़ा सा अकड सा गया है, मैंने सोनल से कहा।
जब बस की नहीं है तो जरूरी है शराब पीनी, प्रीत की आवाज कानों में पड़ी। मैंने अंगडाई लेते हुए उसकी तरफ देखा। अंगडाई खत्म करके आंखें खोली तो किसी दूसरी तरफ ही चेहरा हो गया था। मैंने घुमते हुए उसकी तरफ देखा।
सॉरी, वो आदत नहीं है, तो शायद थोड़ी सी ही ज्यादा असर कर गई, कहते हुए मैं कुर्सी के सहारे खड़ा हो गया।
ये कोई शराबियों को अड्डा नहीं है, घर है, प्रीत ने कहा।
उसकी बात सुनकर मेरा सिर शर्म से झुक गया। सॉरी, आगे से नहीं होगा, मैंने उसकी तरफ देखते हुए कहा और फिर से नीचे देखने लगा।
ऐसे लड़खड़ाते हुए आ रहे थे, आस-पड़ोस वाले क्या सोचेंगे कि यहां पर शराबी रहते हैं, प्रीत मुझे माफ करने के मूड में नहीं दिखाई दे रही थी।
सॉरी, मैं वैसे ही नजरें झुकाए खड़ा रहा।
यहां रहना है तो अपनी लिमिट में रहो, ये कोई लुच्चे लफंगों की कॉलोनी नहीं है, शरीफ लोग रहते हैं यहां पर, प्रीत ने कहा।
आगे से धयान रखूंगा।
दीदी, बस भी करो, सोनल की आवाज आई।
क्यों बस करूं, यहां शराबियों के लिये नहीं बना रखा ये घर, प्रीत और भी भड़क गई।
दीदी, सोनल की आवाज कुछ तेज थी, परन्तु सलीके में थी। सोनल प्रीत की तरफ गई और उसका हाथ पकड़कर पिछे ले जाने लगी। आप चलो नीचे, मैं समझा दूंगी, सोनल ने प्रीत का हाथ पकड़कर खींचते हुए कहा।
अच्छा, तू समझा देगी, ऐसी समझाने वाली होती तो अब तक समझा ना चुकी होती, प्रीत ने नीचे जाते हुए कहा।
बाप रे, इससे तो बचके रहना पड़ेगा, एकदम तीखी मिर्ची है, मैंने मन ही मन सोचा और अंदर आ गया और धड़ाम से बेड पर लेट गया।
सिर में हलका हलका दर्द भी महसूस हो रहा था। तभी मेरा मोबाइल बजने लगा। देखा तो मम्मी का फोन था। मैंने कॉल कट की और उठकर बाथरूम में जाकर मुंह धोकर, फ्रेश होकर आया। आकर देखा तो 2 मिस कॉल हो चुकी थी। मैंने मम्मी को फोन मिलाया।
गुड मॉर्निंग मॉम, मैंने कहा।
गुड मॉर्निंग बेटा, इतनी देर कैसे लग गई, मम्मी ने पूछा।
अभी उठा था सोकर, तो मुंह धोने चला गया था, मैंने कहा।
अभी सोकर उठा है, ऑफिस की छुट्टी है आज? मॉम ने पूछा।
नहीं, वो आंख नहीं खुली बस, अभी जल्दी से तैयार होकर निकलता हूं ऑफिस के लिए, मैंने कहा।
दिवाली से दो-तीन दिन पहले आ जाना, मम्मी ने कहा।
क्यों, क्या हुआ, मैंने पूछा।
होना के था, अभी आया था तब भी अगले ही दिन भाग गया था, मम्मी ने कह।
ठीक है, देखूंगा, शायद पहले ही दिन आया जायेगा, मैंने कहा।
देख लिये, अभी कह दे छूट्टी के लिए, कहीं बाद में कहे कि छूट्टी नहीं मिली, मम्मी ने कहा।
ठीक है, मैंने कहा।
तेरी तबीयत तो ठीक है ना, मम्मी ने कहा।
हां बिल्कुल ठीक है, क्यों, मैंने कहा।
नहीं तेरी आवाज से कुछ ऐसा लग रहा है कि तबीयत खराब हो, मम्मी ने कहा।
वो तो बस नींद सही तरह से नहीं खुली है इसलिए लग रहा होगा, मैंने कहा और जानबूझ कर एक जम्हाई लेने लगा।
फिर कुछ देर तक इधर-उधर की बातें होती रही। मम्मी ने निशा के बारे में पूछा कि उससे मिला या नहीं, तो मैंने दीवाली के बाद उनके घर चलने के लिए कह दिया। मम्मी ये सुनकर बहुत खुश हुई। थोड़ी देर और बात करने के बाद मैं नहा धोकर ऑफिस के लिए तैयार हुआ। आज अपूर्वा की यादें कुछ ज्यादा ही आ रही थी, इसलिए मन उदास था। इसका कारण शायद ये भी था कि सोनल पास नहीं थी। तैयार होकर मैं नीचे आ गया और बाईक उठाकर ऑफिस के लिए निकल गया। अभी कुछ दूर ही पहुंचा था कि मोबाइल बजा। मैंने बाईक रोककर देखा तो सोनल की कॉल थी।
हाय, मैंने मोबाइल को हैलमेट में सैट करते हुए कहा।
कहां जा रहे हो।
ऑफिस, मैंने कहा।
कम से कम मिल कर तो चले जाते, मैं आवाज लगाती रह गई, सोनल ने कहा।
यार, सुबह सुबह तो मिले थे, अब हिम्मत नहीं हुई दुबारा से मिलने की, मैंने कहा।
सॉरी यार, वो दीदी को पता नहीं है ना, इसलिए वो इतनी गुस्सा हो रही थी।
उनकी बात ठीक ही तो है, मुझे इतनी नहीं पीनी चाहिए थी, मैंने कहा।
पीनी तो बिल्कुल भी नहीं चाहिए थी, पीने से कौनसा वो वापिस आ जायेगी, सोनल ने कहा। सोनल की बात से एक टीस सी उठी।
यार वापिस तो नहीं आयेगी, पर भूलने में तो मदद हो ही जायेगी, मैंने कहा।
अच्छा शाम को जल्दी आ जाओगे क्या, दीदी अपनी फ्रेंड के यहां जा रही है तो, सोनल ने कहा।
देखता हूं, अगर बॉस ने आने दिया तो, मैंने कहा।
कोशिश करना, प्लीज, सोनल ने कहा।
ओके, कोशिश करूंगा, बाये, मैंने कहा। सोनल ने भी बाये किया ओर फोन रख दिया।
ऑफिस पहुंचा तो सामने पानी पीते हुई रामया को देखता ही रह गया। उसने एकदम टाईट फॉर्मल ड्रेस पहनी हुई थी। उसकी शर्ट कुल्हों से उपर ही थी और एकदम टाईट पेंट में उसके गोल गोल कुल्हें गलब ढा रहे थे। एकदम परफैक्ट साइज था। उसकी पेंटी लाइन दूर से ही विजिबल हो रही थी। और पेंटी लाइन से ही पता चल रहा था कि पेंटी बहुत ही छोटी-सी है और उसके आधे से भी कम कुल्हों को ढके हुए है। वो पानी पीकर मुड़ी तो मैं तो शॉक होकर खड़ा ही रह गया। सामने से उसकी पेंट उसकी योनि की पूरी शेप उजागर कर रही थी। मैंने एकदम से अपनी सिर को झटका और उसके चेहरे की तरफ देखा, उसके चेहरे पर थोड़ा सा गुस्सा दिखाई दिया। हमारी नजरे मिलते ही वो फीकी मुस्कान मुस्कराई और हाय किया।
मैंने भी उसे हाय कहा। यू आर लुकिंग सो हॉट एण्ड सैक्सी, मैंने इतने धीरे से कहा कि किसी को सुनाई ना दे।
आप कुछ कर रहे हैं, रामया ने मेरे होंठ हिलते हुए देखकर पूछा।
हां, नहीं, कुछ नहीं, मैंने हड़बड़ाते हुए कहा।
रामया अपनी चेयर पर जाकर बैठ गई। इस सबमें उसके बूब्स तो देख ही नहीं पाया था। सबको हाय बोलता हुआ मैं बॉस के केबिन की तरफ बढा और जाते हुए एकबार रामया की तरफ नजर घुमाकर देखा तो एक और झटका लगा। शर्ट में कसे हुए उसके बूब्स कहर ढा रहे थे। बटन मुश्किल से डटे हुए थे। मैं सिर को झटक कर बॉस के केबिन की तरफ चल पड़ा। नॉक करने पर बॉस ने अंदर आने के लिए कहा।
अंदर सामने बॉस बैठे हुए थे और उनके सामने चेयर पर एक लड़की बैठी हुई थी।
गुड मॉर्निंग बॉस, मैंने अंदर आकर कहा।
गुड मॉर्निंग, बॉस ने कहा और घड़ी की तरफ देखने लगे।
तबीयत कैसी है अब तुम्हारी, बॉस ने घडी से नजरें हटाते हुए कहा।
ठीक ही लग रही है बॉस, मैंने कहा।
मैं आगे आकर बॉस की टेबल के साइड में खडा हो गया और जैसे ही उस लड़की पर मेरी नजर पड़ी मैं तो बस खुशी और आश्चर्य से हक्का बक्का रह गया।
हाय, आप कब आई, सामने चेयर पर कोई और नहीं कोमल बैठी थी।
हाय, कहते हुए कोमल ने मेरी तरफ हाथ बढा दिया। बस अभी अभी आई ही हूं, सीधे इधर ही आई हूं, कोमल ने कहा।
ये लो पवन, ये बिल्स हैं, इनकी एंट्री करवा देना रामया से, बॉस ने एक फाइल मेरी तरफ बढ़ाते हुए कहा। उनका धयान टेबल पर रखी फाइल पर ही था। वो कोई टेंडर फाइल लग रही थी।
ओके बॉस, मैंने वो फाइल लेकर कहा और कोमल की तरफ आंख मारता हुआ बाहर आ गया।
बाहर आकर रामया को मैंने वो फाइल दी और उसके पास ही खडा रहा। उपर से देखने पर उसके बूब्स की लाइन कुछ ज्यादा नीचे तक दिखाई दे रही थी। शर्ट का कलर डार्क था, इसलिए ब्रा के बारे में कोई अंदाजा नहीं हो पा रहा था। क्या मस्त चूचियां हैं यार, मजा आ जायेगा अगर ये पट गई तो, मैंने बड़बड़ाते हुए कहा।
आपने कुछ कहा, रामया ने उपर मेरी तरफ देखते हुए कहा।
नहीं, लगता है तुम्हारे कान कुछ ज्यादा ही सेंसेटिव हैं, मैंने मुस्कराते हुए कहा।
जी नहीं, ऐसा कुछ नहीं है, मुझे लगा कि आपने कुछ कहा है, रामया ने कहा।
हेहेहे, तभी तो की रहा हूं, मैंने कुछ कहा भी नहीं तुम्हें सुन गया, मैंने हंसते हुए कहा।
ओके, काम करो, मैं भी काम करता हूं, मैंने कहा।
वैसे नॉजरिंग अच्छी है, तुम पर खूब जंच रही है, मैंने अपने नाक पर हाथ लगाते हुए कहा।
थैंक्स, कहते हुए रामया थोड़ी सी शरमा गई। मैं आकर अपनी चेयर पर बैठ गया।
मेरे बैठते ही सुमित ने अपनी चेयर थोड़ी सी मेरी तरफ सरका ली।
बॉस आज तो क्या मस्त माल आई हुई है इंटरव्यू देने, सुमित ने धीरे से मेरी तरफ झुकते हुए कहा।
फाले, वो बॉस की साली है, कहीं नौकरी से हाथ धो बैठे, मैंने हंसते हुए कहा।
क्या बात करते हो, कैसे पता, सुमित ने आश्चर्य से पूछा।
खूब चाय पी चुका हूं इसके हाथ की, जब घर ऑफिस शिफ्रट कर रखा था तब, कहते हुए मेरे होंठों पर एक मुस्कराहट आ गई।
हाय, काश मैं भी होता यार, क्या मस्त माल है, बस मन कर रहा था कि पकड़ कर भींच दूं, सुमित ने आहे भरते हुए कहा।
घास भी नहीं डालेगे वो तुझे, मुझसे ही कितने दिनों बाद ठीक से बात करने लगी थी, मैंने कहा।
मनीषा को पटा रहा हूं मैं, सुमित ने कॉलर को स्टाईल से झटकते हुए कहा।
क्या बात है, कहां तक पहुंचा, मैंने मुस्कराते हुए कहा।
कल साथ साथ पानीपूरी खाई थी।
वाह, बड़ी जल्दी हाथ मार लिया, मैंने कहा।
खुले विचारों वाली है, जल्दी ही पट जायेगी, सुमित ने खुश होते हुए कहा।
खुश रहो बेटा, जल्दी हाथ साफ कर लो, नहीं तो क्या पता फिर बाद में पछताओ, मैंने कहा और काम में धयान लगा दिया।
इसे तो मैं पटा कर ही रहूंगा, चाहे कुछ भी करना पडे, सुमित ने कहा और चेयर को सरका कर काम करने लगा।
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