Antarvasnasex मेरे पति और उनका परिवार
06-27-2017, 11:47 AM,
#1
Antarvasnasex मेरे पति और उनका परिवार
मेरे पति और उनका परिवार 

मैं एक मध्यम वर्गीय फेमिली से हूँ, दो वर्ष शादी को हो चुके हैं और इस समय मेरी आयु सत्ताइस वर्ष के ऊपर चल रही है, मेरे पति की आयु उनतीस वर्ष है, वह एक बड़ी कंपनी में अच्छे पद पर हैं और अपने काम के सिलसिले में महीने में पंद्रह या बीस दिन शहर से बाहर रहते हैं,


मेरे पति एक हेंडसम और स्मार्ट ब्यक्ति हैं, उनका ब्यवहार भी अच्छा रहता है, वे जब भी टुर से लौटते हैं तो ढेर सारी अन्य चीजों के साथ विभिन्न तरह के सौंदर्य प्रसाधन आदि ले आते हैं, दरअसल वे एक कामुकता प्रिय ब्यक्ति हैं, कामुकता में भी उन्हे हर बार कुछ नया ही चाहिये, वे एक ही जैसी क्रियाओं से बोर हो जाते हैं, उनके नये नये स्टाईलॉ और भांति भांति के आसनों से मुझे भी काफी आनंद आता है और मैं उनके ऐसे क्रिया कलापों में ऐतराज नहीं करती हूँ,


मेरे पति ऑफिस गए हुवे थे कल ही वे टुर से आये थे, आज मेरा छोटा भाई जिसकी आयु उन्नीस वर्ष है वह आ गया था, शाम का टाइम था, मैं और मेरा छोटा भाई बैडरूम में बैड पर बैठ कर टी.वी...... देख रहे थे, टी.वी. पर एक हिंदी फिल्म आ रही थी, मैनें साडी ब्लाउज पहना हुआ था और मेरा छोटा भाई पेंट - शर्ट में था, वह बैड के एक कोने पर बैठा था जबकि मैं बैड की पुश्त से पीठ लगाये दोनों हांथों को सिने पर बांधे बैठी थी, सात बजने जा रहे थे, तभी कॉल-बेल बजी,


मेरे उठने से पहले ही मेरा छोटा भाई उठा और दरवाजा खोल आया और बैड पर आकर बैठ गया वहीँ जहां पहले बैठा था,

कौन आया है....मैनें पूछा,

जीजाजी आये हैं.....उसने सामान्य स्वर में उत्तर दिया,

मेरे पति बाहर के दरवाजे को लोंक कर के बैडरूम में आकर मेरे निकट बैड पर बैठ गए,

देर नहीं हो गई आज आपको आने में...मैनें अपनी आँखों में कृत्रिम क्रोध लाकर कहा,

देर वाले काम ही में तो मजा आता है जानेमन....मेरे पति नें मेरे गालों पर किस करते हुवे कहा,

उनका एक हाँथ मेरे ब्लाउज के ऊपर पहुँच गया था, ब्लाउज के ऊपर ही से उन्होंने मेरे स्तन पर चिकोटी काटी तो मेरे होंटों से हलकी सी कराह फुट पड़ी,

मेरी कराह पर टी.वी. देखते मेरे भाई की द्रिष्टि मेरी ओर हुई और फिर टी.वी. की ओर हो गई,

मैनें अपनें ब्लाउज से अपने पति का हाँथ हटाया और आँखें तरेर कर बोली- आपको सब्र होना चाहिये मेरा भाई भी बैठा है और आप उसकी उपस्थिति में भी ऐसी हरकतें कर रहें हैं, मेरा स्वर इतना धीमा था की जो सिर्फ मुझे और मेरे पति को ही सुनाई दे सकता था,

ओ...के....तुम जाओ और मेरे लिए एक बढ़ियां सी चाय बनाओ, मैं हाँथ मुह धो कर आता हूँ...मेरे पति ने इतना कहा और फिर धोखे से मेरे होंठों को चूम कर मेरे निकट से उठ गये,

मैं बडबडाती हुई उठी, मेरे भाई ने कनखियों से उनकी ये हरकत्त देख ली थी, इसी कारण उसके पतले पतले होंठों पर मुस्कान आ गई थी, थोड़ी देर बाद मैं चाय बना कर ले आई तो पति को बैड पर अपने स्थान पर बैठे पाया, मैनें चाय का कप उनको पकडा दिया और उनके निकट बैठ गई,


टी.वी. पर एक कैबरे गीत आ रहा था जिसमें नायिका नें काफी कम कपडे पहन रखे थे और वह उत्तेजक अंदाज में नाच रही थी,
हाय...क्या फिगर है...कैसे पतली कमर को झटका देकर देखनें वालों को हार्ट- अटैक दे रही है ये...क्यों..जानेमन ...क्या ऐसा डांस कर सकती हो तुम...मेरे पति चाय पीते हुवे बोले,

तुम चुप रहोगे की नहीं....मैं धीमे स्वर में बोली,
अमां...साले साब...देख रहे हो तुम्हारी बहन हमें कुछ बोलने ही नहीं दे रही....अब अगर हमने इस कैबरे डांस की तारीफ़ कर दी तो इसमें क्या गलत बात हो गई....मेरे पति ने मेरे भाई से कहा, मेरा भाई मुस्करा कर रह गया,
फिर चाय ख़त्म करने तक मेरे पति कुछ नहीं बोले किन्तु उनका हाँथ मेरे ब्लाउज पर आ गया और वो मेरे स्तनों को मसलने लगे, मैं अपने भाई की उपस्थिति का ख्याल करके उनके हाँथ अपने हांथों से हटाने का प्रयाश करने लगी लेकिन फिर भी उन्होंने मेरे ब्लाउज के दो तीन बटन खोल कर मेरे ब्लाउज के भीतर हाँथ डाल दिया और ब्रा के नीचे से मेरे निप्पल इतनी सख्ती से मसला की मैं तीब्र स्वर में कराह उठी,

मेरी कराह नें मेरे भाई का ध्यान हम दोनों की ओर खिंचा, वह छण भर को हम दोनों को देखता रहा उसकी जिज्ञाशु दृष्टी मेरे ब्लाउज पर जम गई फिर वह अपनी आँखें नीची किये बैडरूम से बाहर जाने के लिये मुड़ने लगा तो मेरे पति ने उसका हाँथ पकड़ कर उसे बेड पर अपने नजदीक बैठा लिया और अपना हाँथ बिना मेरे ब्लाउज में से निकाले बोले-

अरे यार....ये सामान्य पति पत्नी की नोंक झोंक है तुम कहाँ चले, अच्छा मैं तुमसे एक बात पूछता हूँ जवाब सही सही देना,


मेरा भाई असमंजस के भाव से कभी उनकी आँखों में देखने लगता तो कभी मेरी आँखों में, वह कुछ बोल नहीं पाया,

ये बताओ....क्या तुमने किसी जवान औरत के स्तन देखें हैं...आज से पहले....यह कहते हुवे उनके हाँथ नें मेरे ब्लाउज को थोडा और खोल कर मेरा स्तन ब्रा के कप में से बाहर ही जो निकाल दिया, मेरा भाई भी स्तब्ध था और मैं भी, हम दोनों ही इस स्थिति से सर्वथा अपरिचित थे,


मुझे मालुम है....तुमने न तो अबसे पहले औरत का स्तन देखा है और न ही छुवा है....अपना हाँथ इधर लाओ....मेरे पति उन्मुक्त भाव से उसके हाँथ को पकड़ कर मेरे स्तन पर रख कर बोले-लो....देख लो..कैसा होता है स्तन....देखा कैसा होता है स्तन...शर्माओ मत,


मेरे पति ने मेरे भाई का मुख मेरे बायें स्तन के बिलकुल नजदीक कर दिया और बायें स्तन का गहरे गुलाबी रंग का निप्पल उसके होंठों के पास करके बोले- होंठ खोलो और इसे चुसो....लेकिन मेरे भाई नें होंठ नहीं खोले, वह तो फटी फटी आँखों से यह सब देख रहा था तब मेरे पति नें मेरे दायें स्तन को भी मेरे ब्लाउज और ब्रा में से निकाल दिया और उसके निप्पल को चूसने लगे,
मैं उत्तेजना में बहने लगी,


क्या तुम अपने भाई के होंठ नहीं चूम सकती...मेरे पति ने मुझसे कहा तो मेरे मन में विचित्र प्रकार का प्यार उमड़ आया, यह सब मेरे लिये अनोखा था, मैनें अपने भाई के गुलाबी होंठों को चूम लिया और उसके होंठों में अपने बायें स्तन का निप्पल भी दे दिया, अब उसने निप्पल ले लिया, मैनें कहा... चुसो इसे,

वह चूसने लगा वो भी इस तरह जैसे कोई शिशु स्तन में दूध खोजता है, मैं अदभुत आनंद से भरने लगी, मेरे हाँथ उसके सर को सहलाने लगे थे, मेरे दोनों स्तनों को चूसा जा रहा था, मैं उत्तेजित होती जा रही थी, मेरे हाँथ मेरे भाई की पीठ पर होकर उसकी पेंट पर पहुँच गये, मैनें उसकी पेंट की जिप खोल दी और उसमें हाँथ डाल कर उसके अंडरवीयर के नीचे छिपे उसके अंगड़ाई भरते लिंग को अंडरवीयर के ऊपर से ही सहलाने लगी, मेरे पति नें मेरी साड़ी को पेटीकोट सहित मेरे घुटनों से ऊपर कर दिया था और मेरे दायें स्तन को चूसते चूसते मेरी चिकनी जाँघों को भी सहलाने लगे थे,


उनकी कोशिश देख कर मुझे करवट लेनी पड़ी और मैनें अपनी पीठ उनकी और कर ली, उन्होंने मेरा स्तन छोड़ दिया था, वे अब मेरी साड़ी और पेटीकोट को नितंबों तक पलट कर मेरे नितंबों को सहलाने लगे थे, मेरे नितंबों पर कसी पैंटी अभी उन्होंने उतारी नहीं थी, अभी तो वे जांघें सहला सहला कर ही मुझे उत्तेजित करते जा रहे थे,


मेरे आगे लेटा मेरा छोटा भाई मेरे स्तनों को ही चूसने में ब्यस्त था, उसकी इस क्रिया नें भी मुझे तपा डाला था,


मैनें उसके अंडरवीयर में से उसका सात आठ इंच लंबा लिंग बाहर निकाल लिया था और उसे सहलाने लगी थी, मेरे भाई का लिंग अभी तक नया ही था, उसकी त्वचा लिंग-मुंड पर चढ़ी हुई थी, जिसे मैं धीरे-धीरे नीचे को उतार रही थी, मेरा एक हाँथ उसकी पैंट को नीचे सरका चूका था,

अचानक मेरे पति नें मुझसे कहा- आज एक नये किस्म का मज़ा लेते हैं, तुम्हारे भाई का नया नया लिंग तुम्हारी योनी में नहीं बल्कि तुम्हारी गुदा (गांड) में डलवाते हैं....तुम्हें तो मज़ा आयेगा ही...तुम्हारे भाई को भी आनंद आयेगा....तुम जानवर की भांति हांथ पांव बेड पर टिका कर अपने नितंब ऊँचे उठा लो,


मैनें ऐसा ही किया,मेरे नितंब ऊँचे उठ गये तो मेरे पति नें मेरे भाई को मेरे पीछे खड़ा करके उसके लिंग मुंड पर अपना ढेर सा थूक लगा कर उसे मेरे नितंबों के बीच जहां मेरी गुदा (गांड) थी वहाँ टिकाया और मेरे भाई से कहा-धक्का मारो साले साब....लेकिन धीरे धीरे,


मेरे भाई नें मेरी कमर को पकड़ कर धक्का मारा तो लिंग ऊपर को फिसल गया,
ओ...ओफ्फो..यार....रुको...दोबा
रा कोशिश करते हैं, मेरे पति ने मेरे भाई से कहा,


मैनें मुद्रा बदल कर करवट ले ली और अपने पति से बोली- ये पहली बार तो मैथुन (चुदाई) क्रिया कर रहा है और तुम ये उम्मीद कर रहे हो की एक ही बार में लिंग प्रवेश कर लेगा, वो भी बिना किसी चिकनाई के, जाओ जरा रसोई में से सरसों का तेल ले आओ, मैं तब तक इसके लिंग को और उत्तेजित करती हूँ,


तुम ठीक कहती हो......मेरे पति ने इतना कहा और चले गये,


मैनें अपने भाई को उसका हांथ पकड़ कर अपने सिरहाने बैठा लिया और उसकी टांगें फैला कर उसकी मजबूत जांघ पर अपना सर टिका कर उसके तने हुवे लिंग की उपरी त्वचा लिंग मुंड से हटा कर उसे अपने मुंह में ले लिया, मैं उसे चूसने लगी,


वह मचल उठा, उसके कंठ से कामुक ध्वनि फूटने लगी,
उफ..ओह...मेरे शरीर में चीटियाँ सी दौड़ रही हैं....उफ...वह टूटते शब्दों में कह उठा, मैनें उसके हांथों को अपने स्तनों पर टिका दिया और बोली- इनसे खेलते रहो...और फिर उसके लिंग को अपनी जीभ से तरासने लगी,


मेरे पति एक कटोरी में सरसों का तेल ले आये और मेरी एक टांग को ऊँचा करके मेरी गुदा (गांड) में तेल लगाने लगे,


अब अपने जीजाजी के पास चले जाओ........... मैनें अपने मुंह से अपने भाई का लिंग निकाल कर उससे कहा, वह यंत्र की भांति चुपचाप मेरे पति के निकट जाकर बैठ गया,


मेरे पति नें मेरे नितंबों के नीचे एक तकिया लगा दिया, अब नितंब ऊँचे भी हो गए और उनके मध्य की खाई अधिक मात्र में खुल गई,


तुम लेट जाओ..मैं तुम्हारे लिंग को ठीक निशानें पर फंसा दूंगा, तुम जोर का धक्का मारना, और हाँ...पहली बार में थोडा दर्द होता है तुम घबरा मत जाना...उसके बाद खूब मजा आता है, मेरे पति ने मेरे भाई को समझाया,

मेरा भाई मेरे पीछे लेट गया, उसने मेरी बगलों में हाँथ डाल कर मेरे पुष्ट स्तनों को पकड़ लिया, मेरे पति नें उसके लिंग पर तेल लगाया और मेरी टांग को ऊँचा करके उसके लिंग को मेरी गुदा पर रख दिया, मैनें भी अपने एक हाँथ से लिंग मुंड को गुदा के तंग द्वार में फंसानें में उन दोनों की मदद की और बोली....मारो जोर का शाट मैं तैयार हूँ....


इतना कहते ही मैनें दांत भींच लिए क्योंकि गुदा में मुझे भी थोड़ी पीड़ा होनी थी, उतनी नहीं होनी थी जीतनी पहली दफा में होती है, मेरे पति तो मेरी गुदा में अक्सर ही लिंग प्रवेश किया करते थे इसलिए मुझे आदत पड़ चुकी थी, उसी दम मुझे पीड़ा हुई और मेरे कंठ से कराह निकल गई,


मेरे भाई नें जोर का धक्का मारा था, उसका लिंग मुंड मेरी गुदा को फैलता हुवा उसमें घुस गया था, मेरा भाई भी कराह उठा, वह जरा ज्यादा तड़प रहा था, उसके लिंग मुंड की सील टूट गई थी और हल्का हल्का सा रक्त श्राव भी हुवा था किन्तु मेरे पति द्वारा उसका साहस बढाये जाने पर उसने तड़पते तड़पते भी एक बार जरा पीछे हट कर एक और धक्का मारा, लिंग का आधा हिस्सा मेरी गुदा में समां गया,


ओफ...मुझे बहुत दर्द हो रहा है....मैं और आगे नहीं कर सकता, उफ...लगता है मेरा लिंग पिस जायेगा, दीदी के कुल्हे तो चाकी के पाट जैसे हैं, यह कहते हुवे मेरे भाई नें अपना लिंग मेरी गुदा से निकाल लिया तो मैं अपने पति से बोली-

गुदा मैं तुम दाल दो और जल्दी करो, मेरे भीतर की आग अब भड़क उठी है, इसको मैं योनी का आनंद देती हूँ, आ जाओ तुम इधर मेरे आगे, मैनें अपने भाई का हाँथ पकड़ कर कहा और उसे अपने आगे लिटा लिया, मैनें उसका लिंग अपने हाँथ में ले लिया और उसे सहलाते हुवे अपनी योनी में फंसा कर कहा-अब धक्का मारो, इसमें दर्द नहीं होगा, मैनें ऐसा कहा तो उसने डरते डरते हल्का सा धक्का मारा लिंग मुंड आसानी से योनी में प्रविष्ट हो गया, वह आस्वस्त हो गया तो और धक्के मारने लगा, मैं आनन्दित होने लगी और उसके नितंबों को तो कभी उसके सिर को सहलाने लगी, वह मेरे होंठों को चूमने लगा तो मैनें उसके मुंह में अपने स्तन का निप्पल डाल कर कहा इसे चुसो...वह निप्पल चूसते हुवे योनी में लिंग का घर्षण करने लगा, उसके मुंह से भी कामुक ध्वनियाँ फूटने लगी थी तो मेरी भी गर्म साँसें तीब्र होती जा रही थी,


तभी मेरे पति नें अपना लिंग निकाल कर मेरी गुदा में प्रवेश करा दिया, वे आहिस्ता आहिस्ता उसे आगे बढानें लगे,


और मैं तो काम सुख का वह चरम पा रही थी की जिसकी मिसाल नहीं दी जा सकती, मेरा युवा शरीर दो लिंगों के घर्षण से ऐसा आंदोलित हो उठा की क्या कहूँ, ऐसा काम सुख मुझे पहले कभी नहीं मिला था, गुदा और योनी में आग सी लगती जा रही थी, मैं चरमोत्कर्ष पर पहुंची तो मेरा भाई भी स्खलित हो गया, मैनें उसका लिंग अपने मुंह में ले लिया और उसे अजीब किस्म का दुलार देने लगी, वह भावावेश में मेरे शरीर से लिपट गया,, मेरे पति मेरी गुदा में स्खलित होकार मुझे बांहों में भर लिया था,


इस तरह उस रात हम तीनों ने खूब शारीरिक सुख भोग,


मेरा भाई पांच दिन के लिए आया था, मेरे पति को दो दिन के बाद फिर टुर पर जाना पड़ा था,
हम तीनों अब काफी बोल्ड हो गए थे, घर के अन्दर किसी भी तरह के कपडे पहनना या न पहनना या यूँ कहिये कपडे का तो कोई मह्त्व ही नहीं गया था,


मेरे पति जब दो दिन के बाद घर से विदा होने लगे तो उन्होंने मुस्कुरा कर कहा- डार्लिंग अब तुम तो हमारे बिना प्यासी नहीं रहोगी लेकिन हम प्यासे मर जायेंगे,


रास्ते में तलाश कर लेना कोई.....मैनें अपनी बाईं आँख दबाते huway हंस कर कहा,

चलो इस बार यह भी ट्राई करते हैं यह कह कर उन्होंने मेरे ब्रा में कैद स्तनों पर दो चुंबन और एक चुंबन मेरे अधरों पर रख कर मेरे भाई को गुड लक् कह कर विदा ली,


जब वे गए थे तब सुबह के नौ बजे थे, मैं नहाई भी नहीं थी और न ही मेरा भाई नहाया था, क्योंकि सुबह जल्दी उठ कर ही हम लोगों को मेरे पति के सफ़र के लिये आवश्यक पेकिंग व रास्ते के लिये कुछ खाना बनाना पड़ा था,


भई मैं तो नहाने जा रही हूँ तुम्हें नहाना है तो साथ ही चलो.....मैनें दरवाजे को लाक करके अपने भई से कहा था,

ठीक है मैं भी चल रहा हूँ...वह बोला और मेरे साथ ही बाथरूम की तरफ चल पड़ा,

हम दोनों बाथरूम में पहुँच गए, बाथरूम का द्वार खुले रहने से या बंद रहने से कोई फर्क नहीं पड़ना था अतः मैनें द्वार की ओर ध्यान दिए बिना ही शावर के नीचे खडे होकार शावर खोल दिया,
मैनें ब्रा और पेटीकोट पहना हुवा था,


जरा हूक खोलना ब्रा का.. मैनें अपने सीर पर हांथों से पानी फेरते हुवे कहा,

उसने मेरे पीछे खडे होकार ब्रा का हूक खोल दिया और ब्रा को मेरे शरीर से निकाल दिया, मेरे गुलाबी सुपुष्ट स्तन नग्न हो गए, वह मेरे पीछे सट कर अपनें हांथों को बगलों से निकाल कर मेरे स्तनों पर नाभि पर और गले आदि पर साबुन लगाने लगा, मैनें अपनी आँखें बंद कर रखी थी, मैं उसके स्पर्श का आनन्द ले रही थी,


उसने आहिस्ते से मेरी पेटीकोट को भी खोल कर नीचे सरका दिया था, वह अब नीचे बैठ कर मेरी जाँघों और नितंबों पर भी साबुन मलने लगा,
मैं सुलगने लगी थी, कैसी प्यास होती है यौवन की जो कभी बुझती ही नहीं, मैं उत्तेजना में कामुक सिसकारियां छोड़ने लगी थी,
Reply
06-27-2017, 11:48 AM,
#2
RE: Antarvasnasex मेरे पति और उनका परिवार
वह अब मेरे आगे की दिशा में आ गया था, उसनें मेरे नितंबों से मेरी पेंटी पहले ही नीचे सरका कर उसे मेरी टांगों से भी अलग कर दिया था, मेरी नर्म रोयों वाली योनी पर उसने पहले साबुन लगाया फिर हेंड शावर की धार योनी पर मारने लगा, मैनें उत्तेजना से वशीभूत होकर अपनी अँगुलियों से योनी को जरा खोल दिया तो गुनगुने पानी की तीब्र धार मेरी योनी के मुहाने पर पड़ने लगी, मैं सिसक उठी...बस...बस...यह कह कर मैनें अपने दोनों हांथों से उसका सीर पकड़ कर योनी पर झुका दिया तो वह योनी को चाटने लगा,
तभी काल बेल बजी,

हम दोनों ही चौंक पडे, दोनों की कामुकता भंग हो गई, मैनें उसकी आँखों में देखा उसने मेरी आँखों में देखा,


तुम नहाओ...मैं जाकर देखती हूँ कौन है, मैनें टावल अपने शरीर पर लपेटते हुवे कहा, वह प्यासे भंवरे की भांति मुझे बाथरूम से निकलते देखता रह गया,
मैनें जल्दी जल्दी अंतर्वस्त्र पहन कर पेटीकोट और ब्लाउज पहनें और साड़ी को लपेटते हुवे दरवाजे की और चली गई,


दरवाजा खोला तो सामने अपनी ननद को मुस्कुराते पाया,


क्या भाभी...? कितनी देर से खड़ी हूँ, उसने अन्दर आते हुवे कहा,मैनें दरवाजा फिर लोक कर दिया,

मैं नहा कर कपडे बदल रही थी....इसलिए देर हो गई....मैनें साड़ी के पल्लू को कंधे पर डाल कर कहा,


तभी मैं कहूँ.....की इतनी सुहानी खुश्बू कहाँ से आ रही है......अब पता चला भाभी के गिले बाल खुले हुवे हैं, वैसे...ये बात तो पक्की है न भाभी....की भईया इस समय यहाँ नहीं हैं...मेरी ननद सोफे पर पसर कर बोली,


हाँ....लेकिन इस बात से तुम्हारा क्या मतलब है? मैं उसके पास बैठ कर बोली,
मतलब ये है की अगर वे यहाँ होते तो मुझे दरवाजे पर आधे घंटे तक खडे रहना पड़ता.....कोई दरवाजा खोलने नहीं आता....मेरी ननद नें अपने स्वर को सस्पेंस का पुट देते हुवे कहा,


वो क्यों...? मैनें उलझन पूर्ण स्वर में पूछा

वो इसलिए की तुम्हारे धुले धुले यौवन से उठती महक भईया को पागल बना डालती और वे तुम्हारे साथ किसी और काम में आधे एक घंटे के लिए बीजी हो जाते....मेरी ननद नें अपनी बाईं आँख दबा कर कहा मेरी जांघ में शरारत पूर्ण ढंग से चिकोटी काटी,

अच्छा...कुछ ज्यादा ही हवा लग गई है तुम्हे जवानी की....मैं आँखें तरेर कर बोली,


क्यों...जवानी में जवानी की हवा नहीं लगनी चाहिए...अब तो अठारहवीं सीढ़ी पर पहुँचने का समय आ गया है....मेरी ननद नें गर्व पूर्ण स्वर में कहा,


वो तो देख ही रही हूँ...ये गहरे गले के टाप में कसमसाते दो गुंबज जिनकी गोलाई सहज ही दिख रही है और घुटनों तक की स्कर्ट की चुस्ती से बाहर को उभरते नितंब और पतली कमर का ख़म.........जरुर दो चार को बेहोश करके आ रही हो....अच्छा ये बताओ क्या पियोगी......मैनें विषय चेंज करके कहा,


अब वह तो मुझे पीने को मिल नहीं सकता....जो आप पीती हो....इसलिए कुछ और ही पिया जा सकता है....उसने फिर एक अशलील मजाक किया,


मैं क्या पीती हूँ...?मैनें नादान बनते हुवे पूछा,


तुम मेरे ही मुंह से सुनना चाहती हो...समझ तो गई हो...फिर भी मैं बताती हूँ तुम पीती हो लिंग रस....उसने इतना कहा और हंस पड़ी,


हटो बदमाश...कितनी मुंह फट हो गई हो, चलो रसोई में चलते हैं मैनें उठते हुवे कहा,
वह मेरे साथ खड़ी हो गई, उसने अपना हेंड बैग सोफे पर ही छोड़ दिया, वह मुझे आज पूरे रंगीन मूड में लग रही थी, इससे पूर्व भी मैनें उसके मजाक तो सुने थे लेकिन ऐसे हाव भाव नहीं देखे थे,


रसोई में पहुंचते पहुंचते उसने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और मेरे कपोलों को चूम कर बोली-

काश भाभी...मैं आपकी ननद नहीं बल्कि देवर होती...तुम्हारे यौवन की कसम इन दोनों कठोर पहाड़ों को पिस डालती और तुम्हारी जाँघों के भीतर अपने लिंग को तुम्हारी पसलियों तक पहुंचा कर ही दम लेती....मेरी ननद के इन शब्दों को सुन कर मेरे दिमाग ने एक योजना को जन्म दे डाला,

मैनें गैस पर चाय का पानी चढाते हुवे कहा- इन पहाड़ों को तो तुम अब भी पिस रही हो....वैसे एक बात बताओ क्या तुम्हारा कोई बॉय फ्रैंड नहीं है....?

मेरी ननद अपने भाई की ही भांति ही जरुरत से ज्यादा कामुक हो रही थी इस समय, शायद इसलिए और ज्यादा क्योंकि उसे ये भ्रम था की सिर्फ मैं और वो ही हैं,

नहीं....कई लड़के कोशिश करते हैं लेकिन मैं ही उन्हें लिफ्ट नहीं देती हूँ....... मेरी ननद नें मेरी ब्लाउज के दो तीन बटन खोल कर कहा,

ये क्या कर रही हो तुम...? मैनें उसकी क्रिया को देख कर प्रश्न किया,

करने दो ना भाभी....मुझे बहुत मजा आता है स्तन पान में...मैं एक सहेली के साथ ऐसा करती हूँ....हम दोनों लेस्वियन लवर हैं....अब आपके ऐसे भरे भरे यौवन को देख कर मेरा जी मचल उठा है....ये ही सोच लो की भैया हैं मेरी जगह...उसने कुनकुनाते स्वर मैं कहा और मेरे ब्लाउज में हाँथ डाल कर मेरी ब्रा को सहलाने लगी, उसका दूसरा हाँथ मेरे सपाट पेट पर रेंग रहा था,

क्या तुमने अभी तक किसी लिंग को नहीं देखा...मैनें उसकी क्रिया से आनंदित हो कर पूछा,

मैनें चाय छानने के लिए तीन कप उतार किये थे, मुझे बाथरूम के दरवाजे के बंद होने की हलकी सी आवाज सुनाई दे गई थी, मैं समझ चुकी थी की मेरा छोटा भाई नहा चूका है और अब इधर ही आयेगा क्योंकि उसे भी जिज्ञासा होगी यह जानने की कि कौन आया है,

कहाँ देखा है भाभी....कभी कभी इत्तेफाक से उस पहलवान कि एकाध झलक देखने को मिलती है लेकिन उस झलक का क्या फायदा....वह मेरे ब्लाउज का एक बटन और खोल कर बोली,

मैनें तीन कपों में चाय डाल दी,

चलो आज दिखा देंगे...मैनें कहा,

तुम दिखा दोगी....वो कैसे....उसने चौंक कर मेरी आँखों में देखा,

उसकी दृष्टि उन तीन कपों पर पड़ी जिनमें मैं चाय डाल चुकी थी,

हैं...ये तीसरा कप किसके लिए है....? उसने हैरत जताई,

ये तीसरा कप मेरे लिए है....मेरे भाई ने रसोई में प्रवेश करते हुवे कहा,

मेरी ननद उसे देखते ही मुझसे दूर छिटक गई, उसकी आँखों में अशमंजश के भाव आ गये,

ये मेरा छोटा भाई है........मैनें अपनी ननद से कहा फिर अपने भाई से बोली- ये मेरी ननद है....ये ही आई थी....जब हम बाथरूम में थे,

मेरे भाई ने मेरे ब्लाउज के खुले तीन चार बटन देखे तो मुस्कुरा कर बोला....ये भी अपने भाई कि तरह आपके स्तनों कि प्यासी हैं,

जी.....मेरी ननद सकपकाई,
मैनें स्थिति संभाली....डोंट वरी शिल्पा....मेरी ननद का नाम शिल्पा था, ....आज तुम्हारी हसरत पूरी हो जायेगी...मेरे भाई से मैं ही कोई पर्दा नहीं करती....तुम्हारे भईया भी पर्दा नहीं करवाते हैं....बल्कि उन्होंने हम दोनों के साथ मिल कर काम सुख प्राप्त किया है....ना मैं इस चीज को बुरा मानती हूँ और ना तुम्हारे भईया क्योंकि हैं तो हम स्त्री-पुरुष ही बाही रिश्ते विश्ते तो लोगों नें अपने फायदे के लिए बनाये हुवे हैं....मुझे तो इतना आनंद आया है अपने भाई के साथ कि मत पूछो, जब तुम आई थी हम दोनों साथ ही तो नहा रहे थे,

शिल्पा धीरे धीरे सामान्य होने लगी, मैनें एक चाय का कप उसकी ओर बढा दिया, दूसरा कप अपने भाई कि ओर बढा दिया, उसने अपना कप ले लिया, मैनें अपना कप लिया फिर हम तीनों रसोई से बैडरूम में आ गये. मेरे भाई ने मात्र अंडरवीयर पहन रखा था, जिसमें से उसके सख्त होते लिंग का आभास सहज ही हो रहा था,

हम तीनों बेड पर बैठ गये, शिल्पा बार बार मेरे भाई के शरीर के आकर्षण में बांध रही थी, उसकी नजर बार बार मेरे भाई कि पुष्ट जाँघों के जोड़ पर जाकर ठहरती थी,

मैं उसकी स्कर्ट को उसकी फैली टांगों से जरा ऊपर सरका कर उसकी जांघ पर चिकोटी काट कर बोली...तुम्हारे लिए आज का दिन बहुत अच्छा है.....अगर यहाँ तुन्हारे भईया होते तब तो और भी ज्यादा मजा रहता, फिर भी मेरा भाई तुम्हे संतुष्ट करने में सक्षम है....हमने इसे पूरी तरह ट्रेंड कर दिया है....

मैनें अपने भाई के अंडरवीयर कि झिरी में से उसके लिंग को बाहर निकाल कर शिल्पा के हाँथ में थमा कर कहा...

इसे धीरे धीरे सहलाओ तब देखना यह कैसा कठोर और लंबा हो जाता है....भभकने लगेगा ये,
मैनें चाय का खाली कप बेड कि पुस्त पर रखा और अपने हांथों से शिल्पा के टॉप कि जिप खोलने लगी,

मेरे भाई ने भी चाय का खाली कप तिपाई पर रख कर मेरे ब्लाउज को मेरी बाजुओं से निकाल कर मेरी ब्रा के हुक खोल कर उसके जालीदार कप को स्तनों से निचे सरका कर मेरे स्तनों को सहलाना और चुसना सुरु कर दिया था, मैं उत्तेजित होने लगी थी, उत्तेजना में मेरा शरीर बेड पर फैलने लगा था,


भाभी पहले मैं आपके स्तन को चुसुंगी....शिल्पा ने मेरे भाई के लिंग को छोड़ कर मेरे स्तनों पर आते हुवे कहा,

ठीक है.... मैनें उससे कहा और फिर अपने भाई से कहा, तुम शिल्पा के स्तनों को चुसो....मगर आहिस्ता आहिस्ता.... और इसकी स्कर्ट भी बाहर निकालो...इतना कह कर मैं उसके लिंग को सहलाने लगी,

शिल्पा नें मेरे स्तनों को चुसना शुरू कर दिया, मेरे भाई ने शिल्पा के टॉप के निचे की शमीज उसके गोरे गुदाज स्तनों से ऊपर कर उसके निप्पल चूसने शुरू कर दिये,हम तीनों ही की साँसें तीब्र हो उठी थी, बैडरूम का दृश्य उन्मुक्त यौवन के रस में डूबता जा रहा था,

शिल्पा द्बारा निरंतर होते स्तन पान ने मुझे उत्तेजित कर डाला था, अब मैं चरमोत्कर्ष की ओर बढ़ चली थी,मुझे मालुम था की मेरा भाई लगातार दो बार स्खलित हो सकता है इसलिए मैनें पहले शिल्पा को उसके द्बारा आनंद दिलवाना ठीक समझा और यही सोच कर अपने भाई से कहा...

तुम शिल्पा की योनी में लिंग प्रवेश करो....लेकिन पहले कुछ थूक या क्रीम लगा लेना...लो तेल ही लगा लो...मैनें बेड की पुश्त पर राखी तेल की कटोरी उसकी ओर बढ़ाई,

वह शिल्पा की स्कर्ट को खोल चूका था और उसके नितंबों को व चिकनी जाँघों को सहला रहा था, उसने अपने तपते लिंग के मोटे से मुंड पर तेल चुपड़ा फिर जरा सा तेल शिल्पा की अनछुई नर्म रोवों से सज्जित योनी पर लगाया और अपने लिंग को उसके टाइट मुख में फंसा कर उसकी जांघ को हाँथ से ऊपर उठा कर जोर का धक्का मारा, लिंग मुंड शिल्पा की योनी में उतर गया,


शिल्पा जोरों से चीखी, उसका ये पहला अनुभव था, मैनें उसकी पीठ को सहलाया और उसके होंठ अपने होंठ से बंद कर देये, उसकी गर्म साँसे मेर गर्म साँसों से उलझने लगी थी, उसके हांथों को मैनें अपनी साडी के निचे प्रवेश दे दिया था, वह उत्तेजना और दर्द के चक्रवात में फंसती जा रही थी, उसके हाँथ मेरी चिकनी जाँघों को सहलाने मसलने लगे थे, मैं काफी उत्तेजित हो चुकी थी, मेरे भाई ने शिल्पा की जाँघों को पकड़ कर एक और धक्का मारा तो शिल्पा तड़पते हुवे कह उठी...


.....तुम्हारे भाई तो मुझसे कोई दुश्मनी निकाल रहे हैं.....उफ...आह...कितना दर्द हो रहा है उफ....इनसे कहो जो करे आराम से करें उफ....वह और कुछ कहती उससे पहले ही मैनें उसके मुह में अपने एक स्तन का निप्पल दे दिया, वह उसे चूसने लगी, मेरे भाई ने थोडा पीछे होकर और जोर का धक्का मारा, इस बार उसका सात आठ इंच का लिंग जड़ तक शिल्पा की योनी में समां गया, शिल्पा की बड़ी तीब्र चीख निकली, मेरे भाई ने लिंफ फ़ौरन बाहर खिंचा तो शिल्पा ने ठंडी सांस ली और तड़पती हुई बोली

.....उफ...भाभी तुमने तो कुछ ज्यादा ही ट्रेंड कर दिया है इन्हें....उफ कैसे स्पेशल सॉट खेल्तेव हैं उफ...आप रुक क्यों गए महाशय...इसे आगे पीछे करते रहो....अभी तो मजा आना शुरू हुवा है उफ....शिल्पा नें मेरे भाई से इतना कहा और मेरे स्तन का निप्पल मुंह में ले लिया, वह निप्पल को किसी भूखे की भांति चूसने लगी,


मेरा भाई उसकी योनी में अपने लिंग से घर्षण करने लगा था और मैं अपने हांथों से शिल्पा के हांथों को पकड़ कर उनसे अपनी पेंटी का वह हिस्सा रगड़ने लगी थी जिसके निचे मेरी योनी थी, मेरा भाई मुद्रा बदल बदल कर शिल्पा को आनंद दे रहा था, शिल्पा का शरीर उत्तेजना से काँपने लगा था, वह कराह भी रही थी और मेरे भाई का सहयोग भी कर रही थी,
अंततः थोड़ी ही देर में दोनों एक साथ चरम पर पहुँच कर स्खलित हो गये, फिर मेरे भाई नें मेरी भी प्यास बुझाई,

शिल्पा ने मेरे स्तनों को जिस तरह चूस चूस कर मेरा उत्तेजना के मारे बुरा हाल कर दिया था वैसे ही मैनें भी उसके स्तनों को चूस चूस कर उसे कंपकंपा डाला था,
हम तीनों की काम यह क्रीड़ा तब तक चलती रही जब तक हम थक न गये,


इस घटना नें शिल्पा को भी हम लोगों के प्रति बोल्ड कर दिया था,
शिल्पा शाम को चली गई, मेरा भाई भी तीन दिन बाद चला गया, कोई दस दिन बाद मेरे पति टुर से लौटे, इस बार भी वे तरह तरह के प्रसाधन लाये थे, शाम के वक्त घर में घुसे तो घुसते ही मुझ पर टूट पड़े थे, उन्हनें कपडे भी नहीं चेंज किये और मुझसे लिपट गये थे, मैनें दरवाजे को जब तक लोंक किया तब तक वे मेरे गाउन को हटा चुके थे और देखते ही देखते मेरी ब्रा को हटा स्तनों से सरका कर मेरे स्तनों को चूसने लगे थे,

ओफ्फो...तुम सारे भाई बहन एक जैसे हो, घर में आकर पानी वानी पिने के स्थान पर मेरे स्तनों पर टूट पड़ते हो, मैनें उनके सीर पर हाँथ फिर कर कहा,

वह चौंके और स्तन के निप्पल को मुंह से निकाल कर बोले - क्या मतलब है तुम्हारे कहने का, तुमने मेरे साथ मेरी बहन का जीकर क्यों किया..?

इअलिये किया क्योंकि आपके यहाँ से उस दिन जाते ही आपकी बहन शिल्पा आई थी, वो भी दरवाजा खुलते ही मेरे ब्लाउज को खोलने लग पड़ी थी, मैनें हंसते हुवे कहा,

व्हाट.....क्या शिल्पा को भी यह सब पसंद है....? उन्हें आशचर्य हुवा, फिर क्या हुवा....उन्होंने मुझे अपनी बाजुओं में उठा कर बैडरूम की ओर चलते हुवे कहा,

मैं उनकी टाई की नॉट ढीली करती हुई बोली...जब वह यहाँ पहुंची थी तब मैं अपने भाई के साथ बाथरूम में थी, हम दोनों नहा रहे थे,

साथ साथ नहा रहे थे... तब तो बड़ा मज़ा आ रहा होगा, चलो अपन भी साथ साथ नहाते हैं, नहाते नहाते सुनेंगे पूरा किस्सा, उन्होंने बैडरूम में प्रवेश होते होते अपने कदम बाथरूम की ऑर मोड़ कर कहा,
Reply
06-27-2017, 11:48 AM,
#3
RE: Antarvasnasex मेरे पति और उनका परिवार
मजा तो आना ही था...मेरा भाई मुझे साबुन लगा कर मुझे बुरी तरह गर्म चूका था,वह मेरी योनी को चाट ही रहा था की तुम्हारी बहाब कॉल बेल बजा दी, हम दोनों का मुड ऑफ़ हो गया, मैं उसे प्यासा छोड़ बाथरूम से निकली और जल्दी जल्दी साडी ब्लाउज पहन कर दरवाजे पर पहुंची, दरवाजा खोला तो पाया कि सामने गहरे गले के टॉप और घुटनों तक कि चुस्त स्कर्ट में अपनी उफनती जवानी लिये शिल्पा कड़ी थी,


मेरे इतना कहते कहते मेरे पति ने मुझे बाथरूम में ले जाकर मुझे फर्श पर उतार दिया और मुझे दीवार के सहारे खडा कर दिया, फिर मेरे होंठों को चूमने के बाद मेरे स्तनों को चूम कर बोले....

फिर...फिर क्या हुआ.....कहती रहो और मुझे इन झरनों से अपनी प्यास बुझाने दो, इतना कह कर उन्होंने फिर मेरे स्तन पर मुंह लगा दिया, मेरे शरीर में आग भरती जा रही थी,

मेरे हांथों ने उनकी टाई निकालने के बाद उनके कोट को भी उतार दिया था, अब शर्ट के बटन खुल रहे थे, शर्ट के बटन खोलते खोलते मैं बोली. उफ....उफ...शिल्पा ने भीतर आते ही रंगीन मजाक आरंभ कर दिये, मेरे महकते रूप की तारीफ़ करने लगी, मैं समझ गई की लड़की प्यासी है, मेरी बातों को....उफ...उफ...आहिस्ता आहिस्ता चूसिये इन्हें.... आप तो पागल हुवे जा रहे हैं...उफ... मेरे पति पागलों की भांति ही मेरे स्तनों का दोहन सा कर रहे थे, मेरे होंठों से सिसकारियां फूटने लगी थी, ऐसा लग रहा था जैसे नाभि में कोई तूफ़ान अंगडाई लेने लगा है, मैनें उत्तेजना से उत्तपन होने वाली सिसकारियों को अपने दांतों तले दबा कर एक लंबी सांस छोड़ी फिर कहना शुरू किया, शिल्पा को मैं चाय बनाने के लिए अपने साथ रसोई में ले गई तो उसने.....उफ.....ऑफ...ओफ्फो...
क्या कर रहे हैं आप....?क्या कोई ट्रेनिंग लेकर आये हैं कहीं से स्तनों के साथ इस तरह पेश आने की.......आज तो आप मेरे स्तनों को झिंझोडे डाल रहे हैं आज....मेरे इस तरह कहने से उन्होंने स्तन से मुंह हटा कर मेरे होंठ चूम कर मनमोहक ढंग से कहा- क्या तुम्हे मजा नहीं आ रहा, अगर मजा नहीं आ रहा है तो मैं इन्हें आहिस्ता आहिस्ता चूसता हूँ,

मजा तो बहुत आ रहा है, इतना आ रहा है की ऐसा लगता है जैसे मैं आज कण कण होकर बिखर रही हूँ.......ठीक है तुम ऐसे ही चुसो, मैनें उनकी शर्ट को उनकी बाजुओं से निकाल कर कहा,
तुम शिल्पा वाली बात तो बताओ...उन्होंने यह कह कर स्तन के निप्पल को फिर मुंह में ले लिया और अपने हांथों को मेरे नितंबों पर ले जाकर नितंबों की मालिश सी करने लगे,

मैं उनके पेंट की बेल्ट खोलते हुवे बोली...फिर एक ओह्ह..उफ...ऊई...फिर हाँ मैं..उफ....मैं कह रही थी की शिल्पा को मैं रसोई में ले गई तो उसने वहां पहुँचते पहुँचते ही मेरे ब्लाउज में हाँथ डाल दिया था और मेरे स्तनों को चूसने की इच्छा जाहिर की और यह भी बताया की अपनी सहेली के साथ लेस्वियन लव का आनंद लेती है, मेरी....उफ......ओह...अपने पति के द्वारा अपनी योनी में मौजूद भंगाकुर को मसले जाने से मेरे कंठ से कराह निकाल दी, उफ...ये शावर तो खोल लो....नहाना भी साथ साथ हो जायेगा, मैं इतना कह कर पुनः विषय पर आई...मेरे शरीर में मेरे भाई ने पहले ही कामाग्नि भड़का डाली थी, शिल्पा द्वारा स्तनों को पकड़ने मसलने और उसकी स्तन पान की इच्छा ने मुझे और उत्तेजित कर डाला था, उसे तबतक पता नहीं था...उफ...ओह...ओफ....मेरे पति अब मेरे स्तनों को छोड़ कर निचे पहुँच गए थे, उन्होंने मेरी योनी पर मुख लगा दिया था, अब वो मेरे भंगाकुर को चूसने लगे थे, मैं उनके बालों में अंगुलियाँ फंसा कर मुट्ठियाँ भींचने लगी, उनकी इस क्रिया ने मेरी नस नस में बहते रक्त को उबाल सा दिया था, मुझे अपनी उत्तेजना ज्वालामुखी का सा रूप लेती महसूस हुई, मुझे रोम रोम में फूटते कामानन्द के कई घूंट भरने पड़े,


सुनाओ न आगे क्या हुआ...मेरे पति ने अपना मुख मेरी योनी से पल भर के लिए हटा कर कहा,
तुम शावर खोलो मैं आगे बताती हूँ...मैं बोली और अपनी साँसों को संयत करने का असफल प्रयास करती हुई बोली

ओफ...फिर शिल्पा के सामने मेरा भाई आ गया, वह रसोई के बाहर खड़ा होकर पहले से हम दोनों को देख भी रहा था और हमारी बातें भी सुन रहा था, मेरा भाई सिर्फ अंडरवीयर में था,वह भी पहले से उत्तेजित था इसलिए उसका विस्तृत आकर में फैला लिंग अंडरवीयर में से भी उभरा उभरा दिखाई दे रहा था,शिल्पा की दृष्टि उसके अंडरवीयर पर टिक गई, मैं समझ गई की उसने अभी तक लिंग का दर्शन नहीं किया है, ओह...उफ आउच...ओह...इतनी कहानी सुनते सुनते ही मेरे पति ने अपने लिंग का मुंड मेरी योनी में प्रविष्ट करा दिया, वे शावर वह खोल चुके थे,



मैं उनके द्वारा हुवे लिंग प्रवेश से आवेशित होने लगी थी, मेरे हाँथ उनके कन्धों से पीठ तक बारी बारी से कस रहे थे, मेरी साँसें तीब्र हो रही थी, मादक सिसकियों की अस्फुट ध्वनियाँ रह रह कर मेरे कंठ से उभर रही थी,


मेरे पति ने लिंग का योनी में घर्षण करते हुए कहा....स्टोरी का क्या बना....आगे क्या तुमने अपने भाई से शिल्पा की प्यास बुझवा दी...ओह...कितना मजा आ रहा है शावर के निचे मैथुन करने में....उफ....वह लिंग को आगे तक ठोक कर बोले, उनके हांथों में मेरी पतली कमर थी, उनकी जांघें मेरी जाँघों से टकरा कर विचित्र सी आवाज पैदा कर रही थी,


हाँ...उफ....ओह.......ऊई मां....तुम क्या मोटा कर लाये हो अपने लिंग को...इससे आज ज्यादा ही आनंद मिल रहा है...., मुझे वाकई पहले से ज्यादा मजा आ रहा था, मैं फिर स्टोरी पर आई....बड़ा मजा आया था....शिल्पा को मेरे भाई ने पूरा मजा दिया था...खूब जोर जोर के धक्के मारे थे...मैंने बताया और लिंग प्रहार से उत्त्पन्न आनन्दित कर देने वाली पीड़ा से मेरे शरीर के रोयें रोयें में पुलकन थी, कंठ खुश्क हो गया था, मेरी जीभ बार बार मेरे होठों पर फिर रही थी,


थोडी देर में मेरे पति ने मेरी मुद्रा बदलवाई अब मेरी पीठ उनकी ओर हो गई ऑर मैनें जरा झुक कर दीवार में लगी नल को पकड़ ली, वह मेरी योनी से लिंग निकाल चुके थे ऑर अब मेरी गुदा(गांड) में प्रवेश करा रहे थे, गुदा में लिंग पहले ही प्रहार में प्रवेश हो गया, उन्होंने मेरी कमर पकड़ कर खूब शक्ति के साथ धक्के मारे ऑर गुदा में ही स्खलित हो गए, मैं भी स्खलित हो चुकी थी, फिर हम दोनों एक दुसरे से लिपट कर देर तक नहाते रहे,


मेरे पति को अब तीस पैंतीस दिन तक किसी टूर पर नहीं जाना था, उन्होंने शिल्पा वाली स्टोरी कई दिनों तक मुझसे बड़ी बारीकी से सुनी थी ऑर फिर हसरत जाहिर की थी की काश इस बार शिल्पा जब घर आये तो वो भी मौजूद हों, इस बात पर अफ़सोस भी जताया था की जब शिल्पा वाली घटना घटी तब वह वहाँ क्यों नहीं थे,


वे इस बार टूर से सिर्फ सौन्दर्य प्रसाधन नहीं लाये थे बल्कि कई इंग्लिश मैगजीन भी लाये थे जिनका विषय एक ही था सेक्स, उन मैगजीनों में अनेक भरी सेक्स अपील वाली मोडल्स के उत्तेजक नग्न व अर्धनग्न चित्र थे , कुछ कामोत्तेजक कहानियां व उदाहरण आदि थे तथा दुनिया के सेक्स से संबंधित कुछ मुख्य समाचार थे,


मै कई दिनों तक खाली समय में उन मैगजींस को देखती व पढ़ती रही थी,
दरअसल मेरी ससुराल इस शहर से चालीस किलोमीटर दूर एक कस्बे में है, जहां से कभी किसी काम से मेरी ससुराल के अन्य लोग आते रहते हैं, कभी मेरे ब्रिद्ध ससुर तो कभी ननद शिल्पा कभी मेरा एक मात्र देवर जो शिल्पा से चार वर्ष बड़ा है, अगर शहर में उनमे से किसी को शाम हो जाती है तो वे हमारे घर में ही ठहरते हैं,


एक दिन फिर मेरी ससुराल से एक शक्श आया, वह मेरा देवर था, शाम के पांच बजे वह हमारे घर आया था, मेरे पति घर पर नहीं थे, ऑफिस से साढे पांच या छः बजे तक ही आते थे,
मैं सोफे पर बैठी इंग्लिश मैगजीन पढ़ रही थी, तभी कॉल-बेल बजी, मैनें मैगजीन को सेंटर टेबल पर डाला ऑर यह सोचते हुवे दरवाजा खोला की शायद मेरे पति आज ऑफिस से जल्दी आ गए हैं, लेकिन दरवाजा खोला तो पाया की मेरा देवर जतिन सामने खडा है, उसने कुर्ता पायजामा पहन रखा था, वह कुर्ता पायजामा में काफी जाँच रहा था,


भाभी जी नमस्ते....उसने कहा ऑर अन्दर आ गया,


कहो जतिन आज कैसे रास्ता भूल गये, यम तो अपनी भाभी को पसंद ही नहीं करते

शायद.....मैनें दरवाजे को लोक्ड करके उसकी ओर मुड़ कर कहा,

ऐसा किसने कहा आपसे...वह सोफे पर बैठ कर बोला,

वह टेबल से उस मैगजीन को उठा चूका था जिसे मैं देख रही थी,

मेरे दिल में धड़का हुआ, मैगजीन तो कामोत्तेजक सामग्री से भरी पड़ी थी, कहीं जतिन उसे पढ़ न ले, मैनें सोचा लेकिन फिर इस विचार ने मेरे मन को ठंडक पहुंचा दी की अगर यह मैगजीन पढ़ ले तब हो सकता है उसकी मर्दानगी का आज टेस्ट मिल जाए, इसमें भी तो जोश एकदम फ्रेश होगा, मैं निश्चिंत हो गई,

कौन कहेगा...मैं जानती हूँ....अगर मैं तुम्हे पसंद होती......तो क्या तुम यहाँ छः छः महीने में आते....आज कितने दिनों बाद शक्ल दिखा रहे हो....पुरे साढे पांच महीने बाद आये हो , तब भी सिर्फ एक घंटे के लिए आये थे, मैं उसके सामने सोफे पर बैठ कर बोली,

मैनें ब्रेजियर्स और पेंटी पहन कर सिर्फ एक सूती मैक्सी पहन राखी थी, जिसके गहरे गले के दो बटन खुले हुए भी थे, वहां से मेरे गोरे गोरे सिने का रंग प्रकट हो रहा था,

मैनें देखा की जतिन ने चोर नजरों से उस स्थान को देखा था फिर नजर झुका कर कहा - ये तो बेकार की बात है....आओ जानती ही हैं की मैं कितना बीजी रहता हूँ, कंप्यूटर कोर्स, पढ़ाई और फिर घर का काम.....चक्की सी बनी रहती है, आज थोडा टाइम मिला तो इधर चला आया, वो भी शिल्पा ने भेज दिया...क्योंकि भाई साहब ने फोन किया था, उन्होंने शिल्पा को बुलाया था कहा था की उसे कुछ कपडे दिलवाने हैं, शिल्पा को तो आज अपनी एक सहेली की शादी में जाना था सो उसने मुझे भेज दिया...जतिन बोला,


मैं समझ गई की मेरे पति ने शिल्पा को किसलिए फोन किया होगा, कपडे दिलवाने का तो एक बहाना है, असल बात तो वही है जिसकी उन्होंने तमन्ना जाहिर की थी,

आज ही बुलाया था तुम्हारे भैया ने शिल्पा को....मैनें जतिन से पूछा,

हाँ...कहा था की आज या कल सुबह आ जाना...जतिन बोला,

अच्छा तुम बैठो मैं पानी वानी लाती हूँ.....मैनें ये कहा और सोफे से उठ कर रसोई की ओर चली गई, फ्रिज में से पानी की बोतल निकाल कर एक ग्लास में पानी डाला और ग्लास अपने देवर जतिन के सम्मुख जरा झुक कर ग्लास उसकी और बाधा कर बोली--लो पानी पीयो...मैं चाय बनाती हूँ,
Reply
06-27-2017, 11:48 AM,
#4
RE: Antarvasnasex मेरे पति और उनका परिवार
जतिन ने सकपका कर मैगजीन से नजर हटाई, मैनें देख लिया था वह एक मोडल का उत्तेजक फोटो बड़ी तल्लीनता से देख रहा था, उसके चेहरे पर ऐसे भाव आ गए जैसे चोरी पकडी गई हो, उसने कांपते हाँथ से ग्लास ले लिया, मेरी ओर देखने पर उसकी पैनी नजर मेरे खुले सिने पर अन्दर ब्रेजरी तक होकर वापस लौट आई, वह नजर झुका कर पानी पिने लगा तो मैं मन ही मन मुस्कुराती हुई रसोई में चली गई,


मैनें चाय पांच मिनट में ही बना ली, चाय लेकर मैं वापस ड्राइंग रूम पहुंची तो देखा की जतिन तपते चेहरे से मैगजीन को पढ़ रहा है, मेरी आहट पाते ही उसने मैगजीन टेबल पर उलट कर रख दी,

लो चाय....चाय का एक कप ट्रे में से उठा कर मैनें उसकी ओर बढ़ाया, उसने कंपकंपाते हाँथ से कप पकड़ लिया और नजर चुरा कर कप में फूंक मारने लगा, मैनें भी एक कप उठा लिया,
मैनें महसूस कर लिया की जतिन सेक्स के प्रति अभी संकोची भी है और अज्ञानी भी, ऐसे युवक से संबंध स्थापित करने का एक अलग ही मजा होता है, मैं सोचने लगी की जतिन से कैसे सेक्स संबंध विकसित किया जाये ताकि मेरी यौन पिपासा में शांति पड़े,


उसके गोल चेहरे और अकसर शांत रहने वाली आँखों में मैं यह देख चकी थी की कामोत्तेजक मैगजीन ने शांत झील में पत्थर मार दिया है और अब उसके मन में काम-भावना से संबंधित भंवर बनने लगे हैं, वह खामोशी से चाय पि रहा था, मेरी ओर यदा कदा देख लेता था,


तभी फोन की घंटी बज उठी, मैनें सोफे से उठ कर फोन का रिसीवर उठाया ओर उसे कान में लगा कर बोली....हेलो ...आप ..कौन बोल रहे हैं....?

जानेमन हम तुम्हारे पति बोल रहे हैं.....उधर से मेरे पति का स्वर आया....हम थोड़ी देर में आयेंगे....तुम परेशान मत होना....ओ.के....इतना कह कर उन्होंने संबंध विच्छेद भी कर दिया,

किसका फोन था.....?जतिन ने प्रश्न किया,

तुम्हारे भाई साहब का....मेरी कुछ सुनी भी नहीं और थोड़ी देर से आयेंगे ये कह कर रिसीवर भी रख दिया....मैनें दोबारा उसके सामने बैठते हुवे कहा,

अब तक उनकी आदत ऐसी ही है....कमाल है....जतिन बोला,

वह चाय ख़त्म कर चूका था, खली कप उसने टेबल पर रख दिया, मैं भी चाय पि चुकी थी,


चलो टी. वी देखते हैं....मैं सोफे से उठती हुई बोली, मैनें एक शरीर तोड़ अंगड़ाई ली, मेरी मेक्सी में से मेरा शरीर बाहर निकलने को हुआ, जतिन के होंठों पर उसकी जीभ ने गीलापन बिखेरा और आँखें अपनी कटोरियों से बाहर आने को हुई,


मैनें टेबल से मैगजीन उठा ली और बेडरूम की ओर चल दी, जतिन मेरे पीछे पीछे था,
मैनें बेडरूम में पहुँच कर टी. वी. ऑन करके केबल पर सेट किया एक अंग्रेजी चैनल लगाया ओर बेड पर अधलेटी मुद्रा में बेड की पुश्त से पीठ लगा कर बैठ गई ओर मैगजीन खोल कर देखने लगी, जतिन भी बेड पर बैठ गया लेकिन मुझसे फासला बना कर,


मुझमें कांटे लगे हैं क्या...? मैनें उससे कहा


जी...जी....क्या मतलब....जतिन हडबडा कर बोला,


तुम मुझसे इतनी दूर जो बैठे हो........मैनें मैगजीन को बंद करके पुश्त पर रख कर कहा,


ओह्ह...लो नजदीक बैठ जाता हूँ... कह कर वह मेरे निकट आ गया,

उसके ओर मेरे शरीर में मुश्किल से चार छः अंगुल का फासला रह गया,


तबियत ठीक नहीं है तुम्हारी....? कान कैसे लाल हो रहे हैं....मैनें उसके चेहरे को देख कर कहा ओर उसके माथे पर हाँथ लगा कर बोली-- ओहो....माथा तो तप रहा है....ऐसा लगता है की तुम्हे बुखार है....दर्द वर्ड तो नहीं हो रहा सीर में...हो रहा हो तो सीर दबा दूँ, मैनें कहा,


हो तो रहा है भाभी जी....दोपहर से ही सर दर्द है....अगर दबा दोगी तो बढ़ियां ही है ...जतिन बोला

लाओ...गोद में रख लो सीर...मैनें उसके सीर को अपनी ओर झुकाते हुवे कहा

उसने ऐतराज नहीं किया और मेरी जाँघों के जोड़ पर सीर रख कर लेट गया, मैं उसके माथे को हल्के हल्के दबाने लगी और मेरे मस्तिस्क में काम-विषयक अनार से छूटने शुरू हो गये थे,


भाभी...आप बुरा न मनो तो एक बात पूछूं....जतिन बोला,


पूछो...एक क्यों दस पूछो.....मैं टी... वी. से नजर हटा कर उसकी बड़ी बड़ी आँखों में झांक कर बोली,


ये जो मैगजीन ही इसे आप पढ़ती हैं या भाई साहब...? जतिन ने प्रश्न किया,


हम दोनों ही पढ़ते हैं क्यों....? मैनें कहा,


दोनों ही....आपको क्या जरुरत है ऐसी मैगजीन पढने की.....वह बोला,


क्यों....? हम दोनों क्यों नहीं पढ़ सकते....हमें जरुरत नहीं पड़नी चाहिए....? मैं बोली


और क्या....आप तो शादी शुदा हो...इसकी या ऐसी मैगजीनों की जरुरत तो मेरे जैसे कुंवारों के लिए ठीक रहती है.... जतिन बोला,


क्यों....जो आनंद इस मैगजीन से कुंवारे ले सकते हैं.....उस पर हमारा अधिकार नहीं है क्या...? कैसी बातें करते हो तुम.....मैं उसकी कनपटियाँ सहला कर बोली,


अरे वाह.....आपको आनन्द के लिये मैगजीन की क्या जरुरत...? आपके पास तो जीवित आनन्द देने वाली मशीन है....मेरे कहने का मतलब है की आप भैया से आनन्द ले सकती हो और वे आपसे....परेशानी तो हम जैसों की है.....जो अपनी आँखों की प्यास बुझाने के लिये ऐसी मैगजीनों पर आश्रित हैं....जतिन ने बात को गंभीर मोड़ दिया,


ओहो...तो मेरे देवर की आँखें प्यासी रहती हैं तभी ऐसी बातें कर रहे हो....मैनें मुस्कुराते हुवे कहा, फीर बोली....तो क्या तुमने अभी तक अपनी आँखों की प्यास नहीं बुझाई....मेरे कहने का मतलब ये है की....क्या इन बड़ी बड़ी आँखों को देवी दर्शन नहीं हुवे,

देवी दर्शन....... वह इस शब्द पर उलझ गया,

यानी की किसी युवती को बिना कपडों के नहीं देखा, मैनें देवी दर्शन का मतलब समझाया,

इसे कहते हो आप देवी दर्शन...वाकई आप तो जीनियस हो भाभी जी....वैसे कह ठीक रही हो आप, अपनी किश्मत में ऐसा कोई मौका अभी तक नहीं आया है, आगे भी शायद ही आये....वह सोचता हुवा सा बोला फीर टी.वी पर आते एक दृश्य में दो मिनी स्कर्ट वाली लड़कियों को देख कर बोला....टी.वी. या किताबों में ही देख कर संतोष करना पड़ता है....


तुम सचमुच ही बद-किस्मत हो लेकिन एक बात बताओ....जब तुम ऐसी मैगजीन देख लेते होगे तब तो और प्यास भड़क उठती होगी और शरीर में उत्तेजना भी फ़ैल जाती होगी...उस उत्तेजना को तुम कैसे शांत करते हो फीर...? मैं बोली.

क्या भाभी जी आप भी कैसी बातें करती हो...? क्यों मेरे जख्म पर नमक छिड़क रही हो...कैसे शांत करता हूँ....अपना हाँथ जगरनाथ....वह बोला,


यानी अपने हाँथ से ही अपने को संतुष्ट कर लेते हो और अगर मैं तुम्हारी ये मुश्किल दूर कर दूँ तो....मैनें उसके गालों को सहला कर भेद भरे स्वर में कहा, मेरी आँखें रंगीन हो चुकी थी,


क्या....आप कैसे मेरी मुश्किल दूर कर सकती हैं...? वह जिज्ञासु हो कर बोला,


इस बात को छोडो....ये बताओ की अगर मैं तुम्हे ये छुट दे दूँ की तुम मेरे कठोर और सुन्दर स्तनों को कपडे हटा कर देख सकते हो तो बताओ तुम क्या करोगे....? मैनें अब उससे एकदम साफ़ कहा,

जी...जी...वह सकपका गया, उसे मेरी बात पर यकीन नहीं हुवा और बोला...आप तो मजाक कर रही हो भाभी...


चलो मजाक में ही सही अगर कह दूँ तो क्या.....कह ही रही हूँ.......जतिन देवर जी....अगर तुम चाहो तो मेरे गाउन के चारों बटन खोल कर मेरी ब्रा में कैद मेरे स्तनों को ब्रा को हटा कर देख सकते हो....मैनें उसके कुरते के गले में हाँथ डाल कर उसके मजबूत सिने को सहला कर कहा,


लगता है आप मुझ पर मेहरबान हैं या फीर मजाक कर रहीं हैं..... उसे अभी भी यकीन नहीं आया,


ओहो...बड़े शक्की आदमी हो....चलो मैं ही तुम्हारे स्तनों को दर्ख भी लेती हूँ और मसल भी देती हूँ....मैनें झल्ला कर उसके सिने पर मौजूद उसके दोनों छोटे छोटे निप्पलों को मसलना शुरू कर दिया,


उफ...ये क्या कर रही हो भाभी....मुझे परेशानी होगी....वह मचल कर बोला,

अब तुम तो कुछ करने को तैयार नहीं हो....तो मुझे ही कुछ करना पड़ेगा ना....मैनें कहा,


अब जतिन से पीछे नहीं रहा गया, उसने अपने के ऊपर मुझे लेते हुवे मेरे स्तनों को मेक्सी के ऊपर से ही सहलाना सुरु कर दिया और बोला.....

आज तो आप मुझे कत्ल कर के ही छोडेंगी....ये दोनों पर्वत कब से मुझे परेशान कर रहे हैं....अब मुझे मौका मिला है.....इन्हें परेशान करने का.....वह मेक्सी के बटन खोलने लगा था, उसकी क्रिया में बेताबी थी, मैं उसके कुर्ते के बटन खोल कर उसके सिने को सहला रही थी, उसने कांपते हांथों से मेक्सी के दोनों पल्लों को स्तनों से हटा कर ब्रेजरी के कप को निचे कर दिया और स्तब्ध निगाहों से पहले मेरे गुलाबी रंग के कठोर स्तनों को देखता रहा फीर मैनें ही स्तन के निप्पल को उसके होठों में देकर कहा

...लो...बुझाओ प्यास...मैं जानती हूँ.....जबसे तुमने मैगजीन देखी है....तब से ही तुम्हारी प्यास भड़क उठी है,

उसने निप्पल मुंह में ले लिया और उसे चूसते हुवे दुसरे स्तन को भी ब्रेजरी के कप में से निकालने की कोशिश करने लगा, उसकी कोशिश देख कर मैनें हांथों को पीछे ले जा कर ब्रेजरी के हुक को खोल दिया तो उसने दुसरे स्तन को भी उसके कप से निकाल कर हाँथ में ले लिया और उसके निप्पल को जोर जोर से मसलने लगा,


मैं तरंगित होती जा रही थी, मैगजीन के पन्नों ने मेरी नसों का लहू गर्म कर दिया था, जिसको शीतल करने के लिये मुझे भी एक पुरुषीय वर्षा की जरुरत थी, मैं उसके बालों को सहला रही थी,
Reply
06-27-2017, 11:48 AM,
#5
RE: Antarvasnasex मेरे पति और उनका परिवार
चुसो जतिन जितना चाहो चुसो....तुम्हारे भईया को भी यही पसंद है....मैनें उत्तेजित होते हुवे कहा,


लेकिन मेरी दिलचश्पी तो दूसरी चीज में भी है, उसे भी चूसने की इजाजत मिल जाये तो मजा दो गुना हो जाये....जतिन ने निप्पल को मुंह से निकाल कर कहा,


उफ...पहले इस पहली चीज से तो जी भर लो वह दूसरी चीज भी दूर नहीं है.....मैनें उसकी क्रिया से आनन्दित होते हुवे कहा,


मेरे हाँथ उसके पाजामें पर पहुच चुके थे, मैं उसके नाडे को खोलने ही जा रही थी की उसने जरा निचे को सरक कर मेरे सपाट चिकने पेट और नाभि को चूमना शुरू कर दिया, वह मेरी मेक्सी से परेशान होने लगा था, मैनें मेक्सी को शरीर से अलग कर दिया और पूरी तरह चित लेट गई, मेरी यौवन संपदा को साछात देख कर वह पागल सा होने लगा, मेरी जाँघों को और मेरे गोरे पांव के तलवों को पागलों की तरह जोर जोर से चूमने चाटने लगा, मैं भी पागलों सी हो गई, मेरे कंठ से कामुक सिसकारियां छूटने लगी,उसके होंठ और उसकी जीभ मेरे शरीर में नया सा नशा घोलने लगी,वह मेरी टांगों के जरा जरा से हिस्से को चूम रहा था और सहला रहा था, उसने मेरी कमर में हाँथ डाल कर मुझे पेट के बल लिटा दिया, अब मेरी पीठ और नितंबों के चूमे जाने का नंम्बर था, वह बड़ी ही कुशलता से मेरे संवेदनशील शरीर को सहला रहा था और चूम रहा था,

तुम तो पुरे गुरु आदमी हो उफ...कैसे मेरे...उफ....उफ...कैसे मेरे सारे शरीर में हर अंगुल पर एक ज्वालामुखी सा रखते हो...उफ...मैं तरंगित स्वर में बोल रही थी, उफ...कहीं से ट्रेनिंग ली है क्या....


ऐसा ही समझो भाभी.....मैं एक कम्प्यूटर आर्टिस्ट हूँ.....कम्प्यूटर की कई सी. डी. ऐसी आती है जिनमें संभोग के गजब गजब के आसन और मुद्रायें होती हैं....उसने मेरे नितंबों से पेंटी सरकाते हुवे कहा, वह अब मेरे नितंबों पर चुंबन धर रहा था, मैं शोला बन गई थी, मेरी उत्तेजना शिखर पर पहुँच गई थी,


अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था लेकिन फीर भी जतिन द्वारा मिलते चुंबनों के आनंद ने मुझे और प्यासा बना डाला था, मैं चाहती थी की मेरे शरीर के पोर पोर से वह काम रस चूस ले और मुझे पागल करके छोड़ दे,


वह अपनी क्रिया में ब्यस्त था, मैं पुनः पीठ के बल हो गई थी और वह मेरी जाँघों को खोल कर मेरी केश विहीन योनी को चूस रहा था, मैं उत्तेजना में अपने स्तनों को स्वयं ही मैथ रही थी,


अपनी टांगें मेरी तरफ कर लो....मैनें उससे कहा, तो उसने मेरा कहा मान लिया,उसके पाँव मेरे सीर के भी पीछे तक चले गए, मैनें फुर्ती से उसका पाजामा व अंडरवीयर उसके उत्तेजित लिंग से हटाया और आठ नौ इंच के लिंग को मुंह में ले लिया, उसका लिंग मेरे पति से मोटा था इस कारण मुझे होंठ पुरे खोलने पड़ गये, मैं उसे चूसने लगी,
अब तड़पने और उछलने की बारी उसकी थी,


उफ...उफ...भा...भाभी....आप तो लगता है मुंह में निचोड़ लेंगी मुझे.....उफ....


यह पहला टेस्ट तो मैं मुंह से ही लुंगी.....फीर योनी में डलवाउंगी, तुम लगे रहो उस काम में जिसमें लगे हो....इतना कह कर मैं फीर लिंग चूसने लगी, जतिन लिंग पर मेरे होठों का घर्षण अधिक देर तक नहीं झेल पाया और वह मेरी योनी को भूल कर मेरे कंठ में ही तेजी से धक्के मार कर स्खलित हो गया, उसका सुगन्धित व खौलता वीर्य मैं पि गई, फीर भी मैनें लिंग को नहीं छोड़ा और उसे चूस चूस कर पुनः उत्तेजित करने लगी,

थोडी देर मैं वह फीर कठोर हो गया तो मैनें योनी में उसे डलवाया,


जतिन ने ऐसे ऐसे ढंग से योनी को लिंग से रगडा की मैं चीख पड़ी, उसने अन्ततः बेड से निचे उतर कर खड़े होकर मेरी जाँघों को खोलकर ऐसे धक्के मारे की मैं तृप्त हो गई और चरमोत्कर्ष तक पहुंची, वह पुनः स्खलित हो कर मुझसे लिपट गया,


अब मैं और मेरे पति इतने उन्मुक्त हो गये हैं की मेरे घर मेरा देवर आ जाये, मेरा भाई आ जाये, शिल्पा आ जाये या मेरी कोई सहेली आ जाये या मेरे पति का कोई दोस्त आ जाये हमलोग हर किसी को अपनी काम क्रीड़ा में शामिल कर लेते हैं,


मेरी कामुकता ने सारी हदें पार कर डी हैं, मुझे तो कपडे अच्छे लगते ही नहीं है, अब उस दिन मेरे ससुर आये थे तब भी मैनें ब्रा-पेंटी पर पारदर्शी गाउन पहन रखा था और मेरे पति ने उनकी उपस्थिति में भी शर्म ना की और मेरे उभारों को चुमते रहे.....मेरे ससुर को ही ड्राइंगरूम से उठ कर अपने रूम में जाना पड़ा था,

समाप्त
Reply
11-25-2021, 08:48 PM,
#6
RE: Antarvasnasex मेरे पति और उनका परिवार
Angry ahh mast Kahani hai Sasur se bhi chudwa leti aur yadi Sasur ka Lund khada na hota to apni chut ka mut pila deti Heart
Reply
03-01-2022, 10:08 AM,
#7
RE: Antarvasnasex मेरे पति और उनका परिवार
So hot story
Reply
07-09-2023, 08:23 PM,
#8
RE: Antarvasnasex मेरे पति और उनका परिवार
Hello..28fkol here....maine tumari story padhi..aachi thi...kya tum mere ek theme pe story kar sakte ho plz? If yes then plz reply in yes I will send u theme...if no then mujhe mana kardena..if u really have time to type then only say yes...my mail id is [email protected]
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Incest Harami beta Shareef maa (Completed) sexstories 21 177,898 09-05-2024, 07:20 PM
Last Post: AtomicX
  Incest Maa beta se pati patni (completed) sexstories 37 171,015 08-29-2024, 08:49 AM
Last Post: maakaloda
  Incest Maa Maa Hoti Hai (Completed) sexstories 46 218,947 08-28-2024, 07:28 PM
Last Post: maakaloda
  Incest Apne he Bete se pyar ho gya (Completed) sexstories 28 152,471 08-28-2024, 10:34 AM
Last Post: maakaloda
  Adultery PYAAR KI BHOOKH ( COMPLETE) sexstories 485 208,875 07-17-2024, 01:32 PM
Last Post: sexstories
  Adultery Laa-Waaris .... Adult + Action +Thrill (Completed) sexstories 101 70,146 07-12-2024, 01:47 PM
Last Post: sexstories
  Indian Sex Kahani Kuch Rang Zindagi Ke Aise Bhi sexstories 66 64,283 07-10-2024, 02:25 PM
Last Post: sexstories
  Incest Sex Kahani Haseen pal sexstories 130 171,132 07-10-2024, 01:40 PM
Last Post: sexstories
  Dark Seduction (Indian Male Dominant BDSM Thriller) sexstories 21 37,577 07-06-2024, 11:23 AM
Last Post: sexstories
  Incest Kahani - Bhaiya ka Khayal mein rakhoon gi sexstories 145 101,053 07-05-2024, 12:53 PM
Last Post: sexstories



Users browsing this thread: 3 Guest(s)