Antarvasnax काला साया – रात का सूपर हीरो
09-17-2021, 12:09 PM,
#31
RE: Antarvasnax काला साया – रात का सूपर हीरो
(UPDATE-31)

वो दरवाजा पे दस्तक दिए जा रही थी ऊसने आवाज़ लगाई पर देवश ने दरवाजा नहीं खोला….अचानक ऊसने खुद ही दरवाजे को ज़ोर से धकेला दरवाजा खुल गया…दरवाजे से अंदर जाते ही ऊस्की मुँह से चीख निकल पड़ी….एक शॅक्स मुकोता पहने उसके सामने चाकू लिए खड़ा था..

शीतल का हाथ काँपने लगा उसका पूरा बदन सिहर उठा…सामने खड़ा वो मुकोता पहना शॅक्स जिसके राक्षस जैसे भयंकर मुकोते को देखकर शीतल की सांसीएन काँप उठी वो एक एक कदम पीछे जैसे होती वो शकस आगे बढ़ने लगता है और एकदम से वो उसके इतने करीब आया अपना चाकू लिए की शीतल ने झुककर अपनी आंखें क़ास्सके बंद की और ज़ोर से चीखी

ऊस्की चीख तब शांत हुई जब ऊस शॅक्स ने उसे बाहों में काश लिया और अपने चाकू को फैक्टे हुए…अपने मुकोते को उतार फैका…”देवस्सह भैयाअ आप”…..शीतल ने चैन की साँस ली….देवश मुस्कराए बस कुछ देर वैसे ही पेंट पकड़े बिस्तर पे हस्सते रहा उसे शीतल की बेवकूफी पे बड़ा हँसी आया

शीतल : आपने तो मेरी जान ले ली होती आज (शीतल ने चिल्लाके कहा)

देवश : हाहाहा तुम डर गयी ना?

शीतल : ऐसे कोई मुकोता पहनें खड़ा होता है क्या? बाबा हमें लगा की आप हमको मर ही डालोगे

देवश : हाथ पगली आ इधर (देवश ने नखरे करती शीतला का हाथ पकड़ा और उसे अपने बगल में बिठाया उसके ज़ुल्फो पे उंगली फहीरते हुए कंधे पे हाथ रखा) अरे मेरी मां नाराज़ मत हो असल में तू तो जानती है ना तेरा भाई कितना टेन्शन में दुबला पट्तला होते जा रहा है

शीतल : हाँ लगता तो है पर आपने ये मुकोता कहाँ से लिया?

देवश : असल में ये खूनी ने पहना था जिसकी केस मैं हैंडिल कर रहा हूँ ये सबूत है मेरे पास (शीतल बारे ध्या न्स सुनती रही)

शीतल : फिर भी आपको ऐसे चीज़ें घर में नहीं रखनी चाहिए पता है मैं कितना डर गयी थी

देवश : तू भी ना अच्छा चल अपना मूंड़ मत खराब कर ये बता आज तू लेट कैसे हो गयी?

शीतल : मां के साथ बर्तन माझने गयी थी एक मालकिन के यहां इसलिए लाइट हो गया फिर वहां से खेत में मां का हाथ बताया मां बहुत तक गयी इसलिए मुझे भेज दिया

देवश : आजकल तू बड़ी समझदार हो गयी अपने भाई का इतना ख्याल रखने लगी है (देवश ने शीतल को आँख मारी शीतल का चेहरा गुलाबी हो गया [ईम्ग]फाइल:///सी:\डोकूमए~1\यूज़र\लोकल्स~1\टेंप\ंसोहटँल1\01\क्लिप_इमेज001.जिफ[/ईम्ग])

देवश ने मुकोते को दराज़ में रख दिया और फिर चाकू को किचन में ले जाकर रखा कुछ देर बाद देवश आया उसके हाथ में एक बॉक्स था….शीतल पहले तो डर गयी कहीं ये भी देवश का कोई मज़ाक ना हो उसे डरने के लिए..पर देवश ने उसे खुद खोलने को कहा…शीतल ने जैसे ही बॉक्स खोला ऊसमें चमचमाती पएेल थी

देवश : कैसी लगी?

शीतल : श भैयाअ कितनी खूबसूरत हाीइ

देवश : तू जब पाओ पे पहन के छान चनाएगी तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा पतः आई एक ही तू ही तो है जिसे मैं इतना चाहता हूँ

शीतल : श भैया (शीतल ने खुशी के मार्िएन देवश को अपने गले लगा लिया अफ ऊस्की छातियो की सक़ती देवश के खड़े लंड को जमाने लगी)

देवश : अच्छा अब ये बता ऊस दिन तू जो आई तूने मुझे और काकी मां को एक साथ देखा तो तुझे कुछ प्राब्लम तो नहीं हुआ ना देख तू मेरी बहाना है और मैं अपनी प्यारी बहन से कुछ छुपाना नहीं चाहता

शीतल : तो क्या आप मां के साथ?

देवश : नहीं नहीं तेरी मां मेरी मां है वो मुझे कलेजे से खिलाती है सुलाती है क्योंकि ऊँका कोई बेटा नहीं (शीतल थोड़ी मायूस हो गई…देवश ने उसके उदासी चेहरे को उठाया और मुस्कराया)

शीतल : हाँ मां आपसे बहुत प्यार करती है…(देवश मन ही मन मुस्कराया इसको कहना बड़ा ही मुश्किल है की ये इसकी मां अपर्णा के साथ सोता है अगर ऐसा कह दिया तो शीतल फिर देवश से रिश्ता नहीं बनाएगी)

देवश : अच्छा शीतल मैं तुझे कैसा लगता हूँ?
देवश : अगर मैं तुझसे एक बात कहूँ तो तू मानेगी

शीतल : आप जो कहना चाहते हो मैं समझ रही हूँ (देवश की गान्ड फॅट गयी क्या इसे समझ आ गया की मैं क्या सोच रहा हूँ) आप हमसे वो वाला प्यार करना चाहते हो

देवश : मैं तो तुझहहसे हर तरीके का प्यार करना चाहता हूँ पगली [ईम्ग]फाइल:///सी:\डोकूमए~1\यूज़र\लोकल्स~1\टेंप\ंसोहटँल1\01\क्लिप_इमेज002.जिफ[/ईम्ग]तू मेरी गर्लफ्रेंड बनेगी

शीतल : मुझे डर लगता हाीइ कहीं मां ने सुन्न लिया?

देवश : तू बनाएगी मां को या मैं?

शीतल ने कुछ और नहीं कहा बस सोचती रही…देवश ने उसे थोड़ा टाइम दिया सोचने का…और फिर धीरे धीरे उसके करीब होने लगा….और ऊसने फौरन शीतल के सूट के अंदर से ही ओसॉके पेंट पे हाथ रख दिया…शीतल कसमसा उठी वॉ नजरें झुकाए काँपने लगी इधर उधर अपने च्चेरे को करने लगी…शायद वो बहुत सहम रही थी…एक कुँवारी लड़की को नीचे लाना इतना आसान नहीं उसे धीरे धीरे शराब की बोतल में ढालना पढ़ता है

देवश ने धीरे से गले पे शीतल के चूमा शीतल ने आँख बंद कर ली..फिर देवश धीरे धीरे उसे गर्दन पे होंठ फहरने लगा तो कभी उसके कान की बलियो को मुँह में लेकर चूमता…तो कभी उसके गाल को सहलाता ऊसने धीरे धीरे शीतल को अपने प्यज़ामे के ऊपर बिता लिया उसका खड़ा लंड शीतल की गान्ड पे चुभने लगा…स्शेटल महसूस कर सकती थी दोनों में कोई बात चीत नहीं हो रही थी….

और फिर धीरे से देवश ने उठती कसमसाती शीतल का हाथ पकड़ लिया….”भैया चोद दो मुझे डर लग रहा है”……शीतला ने छुड़ाने की कोशिश की “अरे नखरे मत कर..बहुत प्यार से करूँगा आज मेरे पास आ”…..देवश ने एकदम से शीतल को अपने ऊपर खींच लिया और उसके होठों पे होंठ सटा दिए…शीतल को बिजली का झटका लगा और वो खुद पे खुद निढल पढ़ने लगी और देवश का साथ देने लगी दोनों एक दूसरे की होठों को चूसते रहे….शीतल को किस करना तो आता नहीं इसलिए थूक जुबान सब देवश के मुँह में आ गयी…शीतल के साथ वाइल्ड किस लाजवाब था

देवश ने उठके एक एक करके शीतल के सारे कपड़े ज़मीन पे फैक दिए….और उसे ब्रा और पैंटी में घूर्रने लगा…शीतल ने देवश के बीच में खड़े लंड को देखा और फिर जब देवश ने लंड को बाहर निकाला तो शीतल की साँसें अटक गयी “हें दायया इतना बड़ा”…..शीतल ने हववव की आवाज़ निकली

देवश : बेटा ये मोटा लंबा लंड तू जैसी कामसीँ काली को औरत बनता है
शीतल : पर इसमें मजा कैसे आएगा?
देवश : बस देखती जा

देवश ने एक ब्लूएफील्म ऑन कर दी पास ही के पीसी पे जिसपे वो काम कर रहा था…ऊसमें एक केरला आंटी दो काले रक्षासो जैसे आदमियों से चुद रही थी मुँह में ले रही थी शीतल को बड़ा गीन लगा…पर देवश ने कहा इसे चूसने से औरत की छातिया बढ़ती है और ऊँका यौवन खिलता ही एक गवार जाहिल लड़की को साँचे में उतारने के लिए ऐसा कहना ही पढ़ता है

देवश शीतल की ब्रा उतार देता है..और ऊस्की इतनी मोटी मोटी छातियो को देखने लगता है जो उमर के हिसाब से जरूरत से ज्यादा बड़ी थी हो भी क्यों ना मां का जो रूप था ऊसमें….देवश दोनों छातियो को क़ास्सके क़ास्सके दबाने लगता है और उसके निपल्स को मुँह में भरके चुस्सता है..शीतल के छातियो को दबाने से शीतल आहें भरने लगती है यानि उसे मजा आने लगता है….देवश को शीतल की पैंटी गीली नज़र आती है….शीतल की निगाह ब्लूएफील्म पे है और इधर देवश उसके जिस्म से लिपटा छातियो को दबाए जा रहा है…

शीतल : बहुत ही अच्छे
Reply
09-17-2021, 12:11 PM,
#32
RE: Antarvasnax काला साया – रात का सूपर हीरो
(UPDATE-33)

ऊस दिन शीतल ने देवश से कुछ और नहीं कहा बस वो बहुत तक गयी थी जगह जगह शरीर का अंग टूट रहा था चुत चिल्लाने से जलन थोड़ी बहुत हो रही इत ओओ घबराई हुई थी पर देवश ने समझाया ऐसा होता है दोनों ने नहाया किसी तरह फिर उसे काफी समझाया की कोई प्राब्लम नहीं होगी उसे उसे चुप रहने को बोला और काकी मां को कोई भी बात ना बताए ये हिदायत दी..शीतल और देवश ने एक दूसरे को स्मूच किया

और कुछ दायरटक शीतल देवश से लिपटी रही दोनों गद्दे डर बिस्तर सोए रहे और फिर जब पूरी तरीके से शीतल की थकान गायब हुई दर्द कम हुआ तो वो खुद पे खुद उठके कपड़े पहनकर देवश के माथे को छू के शाम में ही अपने घर चली गयी….देवश ने कुण्डी लगाई और बिस्तर पे आकर चोद हो गया

जिस दिन देवश ने शीतल की सील तोड़ी और उसे जवान लड़की से औरत बनाया…उसी रात काला साया भी अपनी महबूबा दिव्या के साथ अपने नये वीरान घर में बिस्तर गरम कर रहा था….दूर दूर तक सन्नाटा अंधेरा घर के अंदर…बिजली कांट दी गयी थी…फिर भी मौसम इतना अच्छा था की बाहर का ही खिड़की खोलने से हवा कमरे में आ रही थी…काला साया का हाथ दिव्या के हाथों की उंगलियों में फ़सा हुआ था…दोनों एक दूसरे के अंगों को सहला रहे थे…बिस्तर पे एक दूसरे से लिपटे चादर ओढ़े हुए थे…इतने में दिव्या ने काला साया को सारी बात बता दी की एक पुलिसवाला उसके पीछे लग गया…ये सुनकर काला साया को अच्छा तो नहीं लगा…और वो गंभीरता से सोचने लगा…और फिर ऊसने दिव्या को एक तरक़ीब बताई जिससे वो पुलिसवालो के नजारे में ना आए वो ऊस पुलिसवाले को खुद हैंडिल कर लेगा

दिव्या ने काला साया के मुकोते पे हाथ रखते हुए उसके चेहरे को सहलाया…काला साया ने मुस्कुराकर दिव्या को अपने सीने से लगा लिया…”एक दिन जरूर मैं तुम्हें अपना चेहरा दिखाऊंगा दिव्या और वॉ दिन ज्यादा दूर नहीं”…..काला साया दिव्या से और लिपट जाता है….नीचे फर्श पे परे उनके कपड़े साफ जाहिर करते है की इस अंधेरे साए में भी दोनों ने कितनी आग लगाई है

काला साया दिव्या के ऊपर फिर से सवार हो गया और दिव्या ने भी मुस्कुराकर अपनी टांगों को बिस्तर पे फैला लिया और काला साया के पिछवाड़े पे टाँग साँप की तरह लपट ली…जल्दी पलंग चरमरने लगा..और प्यार का मीठा आहेसास दिव्या लेने लगी…

अगली दिन ही देवश की आँख खुली सुबह के 6 बज चुके थे….आजकुच ज्यादा जल्दी उठ गया हो भी क्यों ना? कल शाम से ही वॉ थोड़ा सा खाना खाके शीतल की चुदाई में लगा और उसके बाद इतना तक गया की अब उठने की हिम्मत ऊसमे नहीं थी…किसी तरह ताक़त जुटाकर वो उठा…और जल्दी से अंडा और ब्रेड का नाश्ता करने के बाद..नहाने घुस गया…बाहर आकर ऊसने पलंग के नीचे से दुम्ब्ेल्ल और रिंग निकाला और अपनी कसरत में लग गया….कुछ तो ताक़त मिलेगी…कसरत खत्म करके सोचा क्यों ना एक बार शीतल का जायेज़ा ले लिया जाए

कल उसके साथ सेक्स करने के बाद ऊस्की क्या हालत होगी? ये जानना भी जरूरी है क्योंकि औरत्के साथ सेक्स करने के बाद देवश को हमेशा ये डर सताता है की कहीं वो गर्भवती ना हो गयी हो क्योंकि बाद में अबॉर्षन का खर्चा भी उसे ही देना पड़ेगा सेक्स होती ही ऐसी चीज़ है की जबतक करो तबतक जोश और फिर ठंडा होने के बाद टेन्शन ही टेन्शन….खैर देवश फोन करके शीतल का जायेज़ा लेता है…अपर्णा काकी फोन उठती है और बताती है की शीतल की आज हालत कुछ ठीक नहीं…उसे थोड़ा बुखार है देवश पूछता है की आख़िर उसे हुआ क्या? वो फ़िकरमंद होता है….लेकिन डरने की कोई बात नहीं थी क्योंकि वो पानी का ज़्ीडा काम करके बीमार हुई है ये अपर्णा बताती है…देवश मन ही मन मुस्कुराता है आख़िर थी तो कुँवारी ही उसे धीरे धीरे झेलने की आदत हो जाएगी

देवश पुलिस स्टेशन के लिए निकल जाता है…और फिर अपने काम में जुट जाता है…काम कुछ खास नहीं था दोपहर का ब्रेक लेकर देवश वापिस घर पहुंचता है….घर में आकर जैसे ही वो ताली निकलकर खाने के लिए फर्श पे बैठा ही था इतने में उसे एक लिफाफा दिखता है…दरवाजे के ठीक किनारे मानो जैसे किसी ने उसे दरवाजे के नीचे से फैका हो…देवश के माथे की शिकार तरफ जाती है…और वो उठके हाथ धोके लिफाफा उठता है ऊसपे ना तो कुछ लिखा है और ना कोई अड्रेस…वॉ टेबल पे लाके उसे फाड़ता है…और ऊस कागज़ को पढ़ें लगता है….जाहिर था ये धमकी थी और धमकी जिसकी थी उसे भी जाने में वक्त ना लगा काला साया

“मैं जनता हूँ तू मेरे पीछे है…और ये भी जनता हूँ की तू मेरी सक्चाई जानना चाहता है…ये जान ले की मैं किसका दुश्मन नहीं…पर ऊँका हूँ जो मेरे अपनों के और मेरे चेहरे के दुश्मन है…भलाई इसी में है की केस क्लोज़ कर दे अगर मुझे पता चला की तू मेरे पीछे अब भी है…तो सोच लेना तेरे पास दो ऑप्शन है खंडहर हाउस के पास आ जाना अगर वाक़ई तू ये चेहरा देखना चाहता है…लेकिन सोचले ऑप्शन 1 बहुत ही खतरनाक साबित होगा तेरे लिए…दूसरा ऑप्शन ये है की दिव्या का पीछा चोद वो तो एक बेसहारा लड़की है…पर हाँ उसे तो क्या किसी भी मेरे लोगों को तूने हिरासत में लिया तो सोच लियो”………लेटर को दुहराते हुए देवश कागज़ को फाड़ देता है…कानून का सिपाही होकर उसी को गुंडागर्दी का धौस

देवश मुस्कुराता है…ये बात तो साफ थी की काला साया दिव्या से जुड़ा हुआ है कहीं ना कहीं लेकिन ये भी था रहस्य जाने पे उसके जान को खतरा हो जाएगा….लेकिन देवश को ये जरूर पता चल गया की चलो इस बहाने काला साया के दिल में उसके लिए एक खौफ तो पैदा हुआ है…ऑप्शन 1 देवश को ज्यादा सूट किया…क्योंकि चुत मारना और चॅलेंज निभाना उसे बचपन से ही पसंद था

थाने में वापिस आकर…ऊसने काफी देर तक सोचा..और फिर प्लान को अंजाम दिया…पुलिस की मदद लेना सबसे बड़ी बेवकूफी है काला साया एक ही झटके में ऊँका तमाम कर डालेगा….अगर देवश अकेला जाए तो वो कम सतर्क हो जाएगा….पूबलीच तो पता लगा तो काला साया को बचाने और पुलिस पे कीचड़ उछालने में वक्त नहीं लगेगा…सबका अन्नड़ाता जो बिना फिर रहा है

देवश ने इस मॅटर को अपने हाथ में खुद ही लेने का फैसला कर लिया…और फिर ऊसने उसी दिन जीप बीच में ही रोक दी गंभीरता उसके आंखों में सवार थी..और फिर जीप से उतरके एक बारे से दुकान में घुस गया….कुछ देर बाद वो दुकान से बाहर निकाला और अपने हाथ में उठाई ऊस बेसबॉल बात को घूर्रने लगा…देवश ने काला साया को मारने के लिए हत्यार खरीद लिया था

क्या पता घर पे भी वो अटॅक कर सकता है? ऊस्की नजरें देवश पे ही शायद टिकी हो…घर पहुंचकर ऊसने फौरन पुलिस को इकतिल्ला की वॉ ये बात गुप्त रखे की काला साया को पकड़ने का ऑपरेशन वो शुरू कर रहा है….ऊसने पाँच बारे ऑफिसर्स को इस ऑपरेशन के लिए ड्यूटी पे लगाया…ऊन्हें हमको दिया अगर काला साया की परछाई तक दिख जाए ऊसपे गोली चला देना…देवश जनता नहीं था की वो अपने चॅलेंज के चक्कर कितने बारे तूफान को चुनौती दे रहा था

पूरे दिन वो मुकोता को घर में लिए अपने हाथ में पकड़े घूमता रहा…और बेसबॉल बात को साफ करके अपने हाथों में घुमाता है…जल्द ही रात हो जाती है….रात के 12 बजते ही तंन तन्न्न की आवाज़ घारी से सुनकर देवश उठ खड़ा होता है और अपने हाथों में बाइक ग्लव्स और एक मोटा जॅकेट पहन लेता है…पास रखी बेसबॉल बात को उठता है…और उसे अपने जीप पे रखकर सवार हो जाता है पूरे रास्ते उसका दिल ढक ढक कर रहा था अपर्णा काकी शीतल किसी को पता नहीं था की वॉ क्या करने जा रहा है? ईवन पुलिस तक को नहीं…

रात गये वॉ ऊस खंडहर हाउस के पास पहुंचता है जिसकी जर्जर इमारत से फॅट फटके कई जमी हुई है और दीवारों से पादो की जड़ें निकल गयी है…ऐसी भयंकर रात में सुनसान सन्नाटे भरे वीरान खंडहर में वो अकेले ही प्रवेश करता है…साथ में एक मोबाइल है जिसे ऊसने स्विच ऑफ कर दिया…अगर क्कूह हो गया तो साला खुद ही सब संभालना पड़ेगा….पुलिस तो वैसे ही पीछे लगी है काला साया के लेकिन फिर भी दिल में एक डर तो रहता ही है
Reply
09-17-2021, 12:11 PM,
#33
RE: Antarvasnax काला साया – रात का सूपर हीरो
(UPDATE-34)

देवश जनता था वॉ जल्द ही महसूस करेगा की आख़िर काला साया कौन है?…और वो पूरे वीरने खंडहर में बहुत की तरह इधर उधर टहलने लगता है…बीच बीच में टूटे कमरों में झाँकके देखता भी है सिर्फ़ टॉर्च की रोशनी…और कहीं सोए चमगढ़ हूँ हूँ करती उल्लुओ की आवाजें….बेटा अगर या मर दिए गये तो जीवन भर आत्मा बनकर ही तहलॉगे

देवश ने अच्छा ख़ासा खतरा अपने सर पे ले लिया था…अचानक उसे किसी कदमों की आवाज़ सुनाई देती है…वॉ फौरन उल्टे पाओ सीडियो के दीवारों के पीछे चुपके दरवाजे की ओर देखने लगता है…ऊस्की आंखें तहेर गयी वॉ एकदम गंभीर हो गया किसी भी पल वो अक्स उसके सामने आने वाला था….और अचानक वो सामने आया…देवश ने अपने पास रखकर बेसबॉल बात को काफी सक़ती से पकड़ लिया उसे एक ही वार में काला साया को सुला देना था…पर इतना आसान नहीं

वो जैसे जैसे ऊस अक्स के करीब जाने को हुआ एकदम से उसके माथे की शिखर गायब हो उठी…ये अक्स काला साया का नहीं किसी लड़की का था…

“दिवव्यया तूमम्म”…..वो कंबल लपटी लड़की ने जैसे ही अपना कंबल हटाया तो ऊस अक्स को पहचानने में…देवश को डायरी ना लगी वो वैसे ही बहुत की तरह खड़ा चुपचाप हाथों में बेसबॉल बात लिए खड़ा रहा

“हाँ मैं”…दिव्या के ऊन लवज़ो के बाद ही बदल गाराज़ उठा…बिजली की हल्की हल्की रोशनी पूरे खंडहर में फैल उठी…उसके चेहरे के गंभीरता भाव को देखते ही देवश का गला सुख गया मौके को हाथ में लेते हुए ऊसने एक बार चारों ओर देखा क्या पता शायद? काला साया पीछे से वार कर दे पर वहां कोई मज़ूद नहीं था सिवाय ऊन दोनों के

देवश : टीटी..तुम यहां क्या कर रही हो? (देवश ने फौरन उसके करीब आकर भारी लव्ज़ में कहा)

दिव्या : ये सवाल मुझे बोलने की जरूरत नहीं की मुझे किसने भेजा है? और ये भी नहीं कहूँगी की मैं यहां क्या कर रही हूँ?

देवश : देखो ज्यादा भोलेपन की ऐक्टिंग मत करो चुपचाप बता दो तुम्हारा काला साया किधर है वरना मुझे मज़बूरन तुम्हें गेरफ़्तार करना पड़ेगा काला साया को छुपाने के लिए

दिव्या : तो कर लो ना इंतजार किसका है? तुममें और ऊन बाकी लोगों में फर्क क्या जो गुनाहो को पनाह देकर इंसाफ को पकड़ते हो तुम्हारी ही जैसे लोगों के चलते काला साया पैदा होता है वरना आज इसकी नौबत ही नहीं आती

देवश : ओह चुत उप मिसेज़.पॉन एक प्यादा हो तुम ऊस्की और वो तुम्हें बखूबी उसे कर रहा है अब चुपचाप बताओ कहाँ है वॉ? ऊसने मुझे धमकिभरा खत भेजा आज ऊस्की लाश ले जाए बिना मैं चैन नहीं लूँगा

दिव्या : हां हां हां हां हां हां (दिव्या ऐसे हस्सने लगी जैसे कोई जोक सुना दिया हो उसे…साला आजतक जिसको भी धमकी दी वो साला पेशाब कर देता था पेंट में…और ये लड़की इसे तो लगता है मिर्गी की बीमारी चढ़ गयी हो)

देवश : चुपचाप बताऊं (देवश ने इस बार हॉकी को चोद पॉकेट से रिवाल्वर सीधे दिव्या के माथे पे लगा दी दिव्या की हँसी तो बंद हो गयी पर इस बार उसके आंखों में सख्त गंभीरता थी कहा जाने वाली नज़र ऐसा लग रहा था ये कोई आम लड़की नहीं कोई प्रेत आत्मा है वैसे देवश जी की फॅट तो रही थी लेकिन भाई हीरो है कहानी के डर कैसे जाते)

दिव्या : चलो मेरे साथ (पहले सवाल नहीं बताके देवश वैसे ही चिढ़ गया था और अब किसी मिस्टरी फिल्म की तरह दिव्या चलने लगी देवश ऊस गंभीर औरत के पीछे पीछे चलने लगा दिव्या उसे तिरछी निगाहों से देख रही थी मानो जैसे अभी ऊस्की गुण छीन लेगी और वही देवश को मर देगी)

देवश पूरा सतर्क था….मौका पाते ही कोई भी सामने आए चुत कर देने का…लेकिन वॉ धीरे धीरे बढ़ता गया खंडहर बिजली की गरगरहट से गूँज रहा था….पुरानी सी सीडी थी जो ऊपर जा रही थी…ऊपर के मेल पे पहुंचते ही..दिव्या ने देवश को अपने साथ एक कमरे के भीतर आने को कहा

देवश : इस अंधेरे कमरे में क्या है?

दिव्या : जिसकी तलाश में आए हो तुम?

देवश : क्या मतलब? देखो गोल गोल बातें मत घूमाओ अगर तुम्हारी ये प्लान है

दिव्या : देखो जिस काम के लिए आए हो उसी के लिए अंदर बुला रही हूँ

देवश : त..हीक हे चलो (देवश ने मन को सख्त किया और दिव्या के पीछे पीछे ऊस कमरे में घुसा)

देवश जैसे ही कमरे के अंदर आया..उसका बदन काँप गया…बेसबॉल बात जो हाथ में थी वो वही गिर पड़ी…बस दाएँ हाथ की रिवाल्वर कांपें जा रही थी हाथ के हिलने से….देवश चुपचाप दरवाजे के किनारे तेहरा हुआ था…दिव्या मुस्कराए देवश की ओर देखने लगी…और फिर ऊस बिस्तर की चादर को हटा दिया “ये रहा तुम्हारा काला साया”…..बिजली की गरगाहट तेज हो गयी
Reply
09-17-2021, 12:11 PM,
#34
RE: Antarvasnax काला साया – रात का सूपर हीरो
(update-35)

न्‍न्न्नूऊऊऊऊओ….देवश ज़ोर से चीखा…और उसका इस बार गुण भी गिर पड़ा….सामने बिस्तर के ठीक ऊपर एक मुकोते की तस्वीर थी और वॉ मुखहोटा जिसके हाथ में था वो शॅक्स कोई और नहीं देवश था

बदल गाराज़ उठा…और एक बार देवश घबरा गया “य..ईए कैइससे मुम्मकिन है?”……दिव्या उसे ऐसी निगाहों से देख रही थी जैसे वो सबकुछ पढ़ चुकी हो..ऊसने उठके ऊस मुकोते की तस्वीर को देवश के करीब लाया और उसे दिखाया..”खुद ही देखो कौन है यह? ये तस्वीर तब की है जब तुम काला साया बनकर अपने दूसरे घर से निकल रहे थे जिस वीरान घर की तुम तलाशी लेने आए थे जहाँ मैं रहती हूँ”……देवश हक्का बक्का मुँह पे हहाथ रखे हुए था

दिव्या : अब तुम जानना चाहोगे की ये तुम ही हो…और तुम कोई ऐक्टिंग कर रहे हो? दररो नहीं तुम सच में तुम ही हो ये कोई और है ये शॅक्स जो ये नक़ाब पहन रहा है ये तुम ही हो और ये तुम्हारा गुस्सा

देवश : न्न्न..नहीं पर्रर मैंन काला साया बन जाता हूँ और मुझे पता भी नहीं

दिव्या : ये पेपर्स पढ़ो…डॉक्टर नेगी रस्तोगी…इनको तो जानते होगे मनोचिकित्सक हमारी भाषा में जो दिमागी इलाज़ करते है….याद करो देवश या फिर तुम अंजान बन रहे हो

देवश : त..तूमम मेरे बारे में इतना सबकुछ कैसे जान गयी?

दिव्या : मैंने दिल तुमसे नहीं लगाया इंस्पेक्टर साहेब तुम्हारे ऊस मुकोते से लगाया ऊस इंसान से जो सबका देवता है काला साया….आज की रात मैं भूली नहीं हूँ जब तुम मेरे साथ बिस्तर पे सो रहे थे और तभी मैंने तुम्हारा ये मुकोता हटाया और वही मैं बर्फ की तरह जम गयी तुम ही हो ना जो एक क्या बोलते है उसे अँग्रेज़ी में कौररपटेड अफ़सर बनते थे और फिर रात की आध में जुर्म का सफ़ाया करते थे तुम्हारी गलती नहीं है तुम्हारे अंदर की अक्चई तुम्हें ये बना चुकी है

देवषह : पर्रर ये मैंन मैंन तूमम मुझहहे (देवश पूरा हकला गया था उसके सारें राज़ दरशाई हो चुके थे दिव्या के सामने)

दिव्या : ये फाइल देखो डॉक्टर नेगी रस्तोगी की…जब तुम्हारे मुकोते के बाद तुम्हारे चेहरे को देखा तो पाया की तुम इंस्पेक्टर देवश चट्‍त्ेर्जे हूँ टाउन के इंस्पेक्टर और तुम एक निहायती कमीने इंसान हो मैं खुद रिपोर्ट लिखने तुम्हारे पास आई थी पर तुमने मुझे भगा दिया लेकिन मैं ये नहीं जानती थी जिस देवता को मैं पूजती हूँ वो एक ऐसे इंसान में छुपा है….तुमने मुझसे हर राज़ छुपाएं रखा डॉक्टर नेगी रस्तोगी से बात करने के बाद पता चला की तुम्हें सनक चढ़ती है जो हादसे तुम होते देखते हो ऊन्को अपनी तरीके से साफ करते हो….डॉक्टर नेगी रस्तोगी को फोन करने के बाद ऊन्होने मुझे सारी बात बताई

कहानी कुछ इस तरह थी…देवश चटर्जी डॉक्टर नेगी रस्तोगी के ऑर्फनेज में रहा था…उसके मां बाप की मौत के बाद ऊस्की दादी को मारते वक्त ऊसने देख लिया था….अंजर ने ऊस छोटे से बच्चे को उसके माता पिता की मौत के बाद बीच रास्ते पे ही चोद दिया पहले तो ऊसने दो बार आक्सिडेंट की तरह देवश को मारना चाहा पर देवश बच निकाला देवश की सारी जाएज़ाद पे नाम थी…अगर वो मर जाता है तो सारी प्रॉपर्टी उसके चचेरे भाई जो घर का दूसरा वारिस है साहिल के नाम हो जाएगी….देवश महेज़ 5 साल का था…और फिर उसे बीच रास्ते पे छोढ़ने के बाद उसे अनाथ घोषित कर दिया ऊन कामीनो ने…रास्ते से उठाकर किसी नूं ने देवश को ऑर्फनेज में डाल दिया वहां डर डर तक़लीफ़ सहने के बाद देवश बड़ा हुआ और उसे सरकारी पढ़ाई कराई गयी…देवश अफ़सर में भरती होता है और फिर काबिल अफ़सर बनता है लेकिन कहीं ना कहीं ओसॉके अंदर का गुस्सा अपने माता पिता को मारने की साज़िश और खुद को बेढाकाल करवाने से एक क्रोध पलटा है उसके अंदर

सनकी होने के कारण ऑर्फनेज से ही उसके व्यवहार को लेकर सब चिंतित थे उसका इलाज किया गया हालत तो बदले गये पर बीमारी उसके अंदर रही गयी…अफ़सर के बावजूद भी जब भी कीिस के साथ कुछ बुरा होता है तो देवश के अंदर एक सनक चढ़ती है वॉ दुनिया से बैईमानी करता है लेकिन दूसरे ही पल उसे अपने गुनाहो का दर्द भी होता है और फिर अपने इस सनक को छुपाने के लिए एक मुकोता धारण कर लेता हे दिव्या को दराज़ से ही काला साया के मुकोते का कई स्केचस मिलते है…जिसपे वो अलग अलग तरीकों से खुद के आइडेंटिटी को हाइड करने के लिए मुकोते बनता है…और उसी स्केच से एक काला कपड़े का मुकोता पहनकर और अपने ऑफिसर की ट्रेनिंग में ही मार्षल आर्ट पे ज्यादा ध्यान देकर खुद को एक नया अवतार बना लेता है काला साया

बदल के गारज़ते ही सारी दास्तान खुद पे खुद देवश के सामने पेश हो जाती है…और वो सख्त निगाओ से दिव्या को देखता है “जिसे मैं हर जगह खोजते आई वो मुझे कुछ इस तरह मिलेगा सोचा नहीं था काला साया”….दिव्या के आंखों में आँसू थे उसे देवश का दर्द बर्दाश्त नहीं हुआ था

देवश अब वो देवश नहीं दिख रहा था…रात ढाल चुकी थी…उसके अंदर का सनक ओसॉके चेहरे पे साफ झलक रहा था ऊस्की खौलती ऊन अंगार भारी आंखों में…उसके होठों पे एक काटी ल्मुस्कुराहट..वो पीछे पलटके दिव्या को देखता है “हाँ मैं ही हूँ काला साया लेकिन सिर्फ़ और सिर्फ़ तबतक जबतक मेरे मंसूबो में मुझे कामयाबी नहीं हासिल होती”……..देवश मुस्कुराकर दिव्या की ओर देखता है

दिव्या : ये तुमने क्या किया काला साया अपने लिए पुलिस का खतरा बढ़ा लिया

देवश : नहीं दिव्या ये जरूरी था…मुझे दो जिंदगी जीने पे मेरे किस्मत ने मुझे मज़बूर किया था…मैं तो बदले के लिए काला साया बना पर मुझे लगता है सिर्फ़ अपने लिए नहीं दूसरों के लिए भी मुझे लड़ना चाहिईए

दिव्या : लेकिन तुम अब क्या करोगे जो पुलिसवाले तुमने खुद हीरे किए है ऊँका क्या होगा?

देवश : काला साया को गायब होना होगा…ताकि उसे ये दुनियावाले कभी पहचाना ना सके

दिव्या : क्या लेकिन इसमें तो बहुत खतरा है तू.एमेम कहना क्या चाहते हो?

देवश अपनी जॅकेट और चेहरे पे मुकोते को पहनते हुए दिव्या के हाथ से लेकर..”यही की देवश और काला साया का राज़ तुम्हारे सामने आ सके मैंने जब तुम्हें तरक़ीब समझाईी तो ये भी बताया की अगर मैं रहूं या ना रहूं मेरा साय हमेशा तुम्हारे साथ रहेगा तुम फिक्र मत करना दिव्या मैं हमेशा रहूँगा तुम्हारे साथ”……..इतना कहकर काला साया दिव्या को ये कहकर निकल जाता है की उसके दुश्मन उसके इंतजार में है

दिव्या उसे रोकती है पर वो जानती है वो देवश को तो रोक सकती थी पर काला साया को नहीं…काला साया हवा की तरह खंडहर की खिड़की से छलाँग लगाकर ऊस जीप पे सवार हो जाता है दिव्या उसके संग बैठ जाती है…जीप चल पार्टी है….और जल्द ही काला साया उसे घर के पास उतारके उससे विदा ले लेता है

जल्द ही वो पुलिस की नजारे में आता है…पुलिस के काबिल अफ़सर्स जो मौत बनकर ऊसको तलाश रहे थे उसके पीछे लग जाते है “वो जा रहा है उसे हॉर्न मारो आज हमें उसे किसी भी तरह मर गिरना है”…….काला साया मुस्कुराकर अपनी शीशे से पीछे की गाड़ी की हॉर्न को सुनता है और ठीक ओसोई पल गाड़ी को रोक देता है..और किसी फुरती के साथ ब्रिड्ज के नीचे कूद जाता है…बारिश तेज हो जाती है….पुलिसवाले भी गोली लिए पहाड़ी से नीचे उतरते है

काला साया अंधेरे की आगोश में चुप जाता है और पास आते अफ़सर्स पे छलाँग मारता है….धधढ धधह…काला साया पे ताबड़टोध गोलियां चल पढ़ती है पर वो हवा के भात इजब कूड़ता है दोनों लाटीएन ऊन दोनों अफसरों पे मर के ऊन्हें गिरा देता है…”य्ाआआअ”…….देवश पीछे के पुलिस वाले के हाथ को माड़ोध देता है और फिर हवा अपने टांगों को लगभग उठाते हुए सीधे पास खड़े दोनों पुलिसवाले पे लातों की बरसात कर देता है..पुलिसवालो के देते ही

तीसरा ऊसपे गोली चला देता है गोली जॅकेट को छू निकलती है….”परछाई को कभी पकड़ पाओगे भला”….काल साया फुरती से अपने नूंच्ौको को हवा में लहराने लगता है और ठीक उसके बाज़ू पे उतार देता है तीसरा हमला होते ही वो अपना सर पकड़े गिर जाता है

ऊसपे इस बार गोलियों की बौछार शुरू हो जाती है…क्योंकि उसे बिना गोलियों के पकड़ना आसान नहीं…काला साया भागता है…धधह धधह पूरे रास्ते गोलियों की शोर्र सुनाई देती है..काला साया दौधते ही जाता है…और ठीक तभी एक ओवरब्रिड्ज के काग्गर पे खड़ा हो जाता है इस बार काला साया काँपने की ऐक्टिंग करता है जैसे अब कोई रास्ता नहीं है बचने का…”रुक्क जाओ काला साया हम तुमपे गोली चला देंगे”……..एक अफ़सर ज़ोर से चिलाके बाकी अफसरों के साथ उसे घैर लेता है “बचना चाहते हो तो फौरन अपने आपको हमारे हवाले कर दो और अपना मुकोता उतार फाक्ो”………काला साया मुस्कुराता है और फिर ऊन्हें ललकार्ने लगता है….ऊन्हें तो वैसे ही गोली चलाने के आर्डर थे और ऊन्होने संकोच भी नहीं किया..धढ़ धढ़ करके गोली शुरू कर दी
Reply
09-17-2021, 12:12 PM,
#35
RE: Antarvasnax काला साया – रात का सूपर हीरो
(UPDATE -36)

काला साया नदी में कूद पड़ा..गोली उसके बाए कंधे पे पीछे के भाग में जा लगी…”आआआआआआआआहह”…..काला साया दर्द से दहद्ध उठा…और नदी में गिर पड़ा..अफसरों इन पानी पे दो तीन बार फाइरिंग की “तहरो बरसात तेज है तूफान भी शुरू हो चुकी है यक़ीनन वो पानी में डूब गया है…ऊस्की लास हे ढूँढनी है हमें फौरन”……….पानी इतना गहरा था की लाश तो क्या काला साया के मुकोते भी ऊन लोगों के हाथ में नहीं आ पाए

बात को दबा दिया गया ये एलान नहीं किया की काला साया मर चुका….ऊस रात पानी में खूब गोताखोरो ने पता किया पर पानी का बहाव इतना तेज था की शायद नदी काला साया की लाश कहीं और ले जा चुकी हो या फिर गहराइयों में…आख़िरकार हार मानके अफसरों ने ये कोशिश भी चोद दी…

धधढह धड़धह….दरवाजा कोई ज़ोर से पीट रहा था….दिव्या ने जल्दी से दरवाजा खोलाआ “आअहह सस्स दिवव्या आअहह”…….दिव्या भौक्ला गयी….ऊसने फथटफट काला साया को बिस्तर पे सुला दिया उसके गीले कपड़ों को फौरन उतार फाका

“आहह आहह दिवव्या”….देवश बधबदाता जा रहा था…दिव्या ने झट से उसके मुकोते को उतार फैका और उसके चेहरे को देखकर दंग रही गयी उसके चेहरे पे इर्द गिर्द चोटें थी…”टीटी..तुममनी ये क्या कर लिया आस नहीं इसस्शह हे भागगवान तूमम्म..हेन्न गोलीी लगी है”…….दिव्या चीख उठी

“दिववववया फ़ौरान्न्न आअहह सस्स एक दवा तैयार करो मेरे पास के आअहह दराज़ में कुछ दवाइयाअ है और साथ मेंन एक गरम चाकू भी ले आना”………दिव्या ने ठीक वैसा ही किया उसके हाथ बहुत कांपें जा रहे थे

ऊसने ताली ली…और उसके घाव पे गरम चाकू को जैसे लगाया देवश दर्द से चिल्ला उठा…”कोशिष्ह करूं आहह मेरी चीखों की परवाह मत करो फौरन वक्त नहीं है”…….इतना कहते ही…दिव्या ने आंखें बंद कर ली और बहुत ही क़ास्सके ऊस चाकू में गरम चाकू को रखा…….देवश ऊस रात काफी ज़ोर से चीख रहा था…गोली प्लेट पे गिर पड़ी साथ में खून भी टपकने लगा घाव के माँस के जख्म एकदम ताज़ें थे गोली को किसी तरह से निकलकर दिव्या ने उसे निढल देवश के एक एक बताए दवाई को लगाकर ड्रेसिंग कर दी…तब जाकर देवश को शांति मिली और वो निढल पढ़कर सो गया

दिव्या को एकदम से उल्टी आई और ऊसने वॉशबेसिन जाकर उल्टी की और ऊस खून भरे प्लेट गोल आइक सहित फ्लश करके बहाआ दी…..देवश के कंधे से लेकर छाती तक पट्टी बँधी थी…वॉ बेहद गहरी नींद में सो चुका था…बीच बीच में दिव्या ऊस जगा देती…ताकि ओसोे ये ना लगे की देवश ने अपनी आंखें हमेशा के लिए बंद कर ली है…पर उसे कामयाबी मिली थी वो गोली के वार से बच निकाला था…दिव्या ने पास रखकी नक़ाब को उठाया वो जानती थी उसे क्या करना है?

और ऊसने फौरन ऊस मुकोते को कैची से फाड़ फाड़ के जला डाला…काला साया पुलिस वालो की नजारे में मर चुका था पर इसी श्हहेर को कहीं ना कहीं ऊस्की जरूरत थी पर ये जरूरी था..क्योंकि देवश का मंसूबा पूरा हो चुका था…और अब वो अपनी ज़िमीडारी मुकोते के बिना ही करना चाहता था

दिव्या देवश की सेवा करती रही…और ऊसने पुलिसवालो के फोन पे ये बताया की वो देवश की बहन है और वॉ घर आए हुए है दो दिन बाद वो आ जाएँगे…ये सुनकर सब शांत पर गये…दिव्या ने देवश की बाइक को किसी तरह घ के अंदर दाखिल करके झाड़ी और घससों से ढक दिया….और देवश के सिरहाने आकर लाइट गयी ऊसने अपना सर देवश के छाती पे रख दिया और उसके आंखों से आँसू गिरने लगे वो सुबकने लगी…उसे यकीन्ना काला साया खोया था पर अब एक नया प्रेमी पाया भी था…आख़िरकार दिव्या की मेहनत भारी सेवा और प्यार और देवश के खुद के विश्वास से आख़िरकार उसे कामयाबी मिल ही गयी और उसका शरीर स्वस्था हो गया…देवश पहले से ज्यादा तन्डरस्ट खुद को महसूस करने लगा उसके बाए कंधे के पीछे लगी गोली के घाव काफी हड़त्ाक सामान्या हो चुके थे….लेकिन दर्द थोड़ा बहुत तो था ही..देवश ने इन कुछ दीनों में खुद को काफी ज्यादा ठीक करने की कोशिश की…हाँ वो कसरत तो नहीं कर पा रहा था पर उसे अपने शरीर को स्वस्था बनाए रखान जरूरी था ताकि पुलिस वालो को ऊसपे कोई शक ना हो उधर थाने में क्या रिपोर्ट आई होंगी ये भी जानना बेहद जरूरी था

देवश ने उसी दिन पुलिस स्टेशन फोन करके अपने अफसरों से पूछा तो जो जानकारी मिली उसे ये साफ था की काला साया को मारा हुआ घोषित कर दिया है दरअसल जिस नदी में देवश कूड़ा था प्लान के मुताबिक वो नदी फाटक से जुड़ी हुई थी अगर ऊसमें गिरा भी था तो वो घयाल ऊपर से ना तैयार पाने से ऊस्की मौत हुई होगी ये सुनकर देवश को मन ही मन खुशी हुई साथ में नदी में गिरके फिर वहां किस तरह तैरके देवश किसी तरह ज़मीन पे पहुंचा था ये स्टोरी तो वही जनता है अगर ऊस रात वो पत्थर का सपोर्ट उसे किनारे पे ना मिला होता तो आज ऊस्की लाश बांग्लादेश तो जरूर पहुंच गयी होती

देवश ने कुछ देर तक बातें की और फिर कमिशनर से मिलने की पर्मिशन ली…देवश फौरन उसी दिन किसी तरह नाश्ता वष्ता और अपने वर्दी को पहनें दिव्या से विदा लेता है दिव्या काफी डर जाती है पर वो दिव्या के बालों पे हाथ फायरके उसे शांत रहने की सलाहियत देता है…ऊन लोगों की तरक़ीब कामयाब हो चुकी है अब उसे डरने की जरूरत नहीं…देवश फौरन थाने जाता है और वहाँ का काम निपटता है हवलदार उससे पूछता है की वो कहाँ गये थे? देवश भी उसे बारे ही संजीदगी से जवाब देता है जैसे की कुछ हुआ ही नहीं था

उसके जख्म अब भी भरे नहीं थे इसलिए कंधे में हल्का हल्का पेन शुरू हो जाता चलने से बारे ही संभलके देवश वर्दी से खुद के बदन को धक्के ताकि पत्तियां ना दिखे चलतः आई….कंधे की गोली के बारे में किसी को पता लगा तब तो फिर साज़िश लगेगी सबको….देवश अपने वर्दी वाले आम किरदार में फीरसे अभिनय करने लगता है वो पानी चबाना फिर हप्पी छोढ़के टाँग टेबल पे रखना….तभी हवलदार कान में फुसफुसता है की आपके अफसरों ने काला साया को मर गिराया कहीं इससे ज़िल्ला वाले ना भड़क जाए…देवश सिर्फ़ इतना कहता है की काला साया मर गया है ये बहुत ही अच्छी खबर है पर अगर लोगों के लगने लगा की वो नहीं आया तो फिर बात बिगड़ते डायरी नहीं लगेगी फिर तो कमिशनर को जवाब देना पड़ेगा क्योंकि ऑर्डर्स तो ऊन्होने ही दिए थे हवलदार और देवश एक दूसरे को ताली मर के खूब तहाका लगाकर हस्सते है

शांतक देवश घर पहुंचता है…अपने काला साया वाले घर पे….दिव्या उसका पलके बिछाए इंतजार कर ही रही थी दरवाजा खटखटते ही दिव्या दरवाजा खोल के उसे गले से लिपाततित है…देवश उसे अपने सीने से लगाए कंधे पे हाथ रखकर अंदर आता है फिर दिव्या उसे बात करते हुए उसके सारे शर्ट को आराम से उतरती है उसके कंधे पे लगी पट्टी को टटोलती है और फिर ऊस जख्म कोदेखती है…देवश ऊस्की ये सेवा देखकर उसके गाल को चूम लेता है..और उसे अपने गोद में बिता लेता है

दिव्या : किसी ने शक तो नहीं किया ना तुमपे

देवश : नहीं मेरी दिव्या किसी ने कोई शक नहीं किया…वो लोग तो काला साया के मौत पे हँसी उड़ा रहेः आई…वैसे कमिशनर का फोन आएगा मिलने के लिए फिर ऊनसे बात करके पता चलेगा
Reply
09-17-2021, 12:12 PM,
#36
RE: Antarvasnax काला साया – रात का सूपर हीरो
(UPDATE-37)

दिव्या : कैसे लोग है? अपने इज्जत के लिए किसी भी भायंट चढ़ा देते है ये भी नहीं समझते वो कोई मुजरिम तो था नहीं अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो क्या बिट्टी ? क्या जरूरत थी इतना बड़ा रिस्क लेने की

देवश : अगर मैं ऐसी ही गायब हो जाता तो हल्ला होने में डायरी नहीं लगती….पुलिसवाले तब भी मेरी टल्लश करते रहते और तुम नहीं जानती बढ़ता शक हुंपे ही आता है काला साया के मरने से काम बहुत हड़त्ाक आसान हो गया है

दिव्या : लेकिन ज़िल्ला वालो का क्या होगा? ऊँका जो विश्वास है की काला साया उनके लिए इंसाफ करेगा

देवश : अगर हर कोई काला साया की ही जरूरत अपना ले तो फिर इंसाफ की देवी अदलात और पुलिस का क्या रोल? हर इंसान को अपनी लरआई खुद लर्णि पार्टी है…जहाँ तक मेरा सवाल है मैं अपने असल अओदे पे उनकी जितनी हो सकता मदद करूँगा

दिव्या : काश ये सब कभी ना होता?

देवश : हाहाहा खैर जाने दो अरे यार कुछ खाने को दो मुझे भूख लगी है…

दिव्या : अच्छा अभी लाई

दिव्या किचन में चली गयी इतने में मेरा फोन बज उठा…कमिशनर का था…मैंने फोन उठाया तो पहले ऊन्होने मुझे बधाई दी और मेरी तारीफ की फिर उसके बाद मुझे कल कलकत्ता आने को बुलाआ पुलिस हेडक्वॉर्टर में..फिर फोन कट हो गया…अचानक फिर दूसरा कॉल आया इस बार अपर्णा काकी का था…फोन उठाते ही वो मुझपर बरस पड़ी

अपर्णा : बेटा कहांन हो तुम? ना कॉल किया ना कुछ घर से कहाँ चले गये तुम्हारे थाने गयी बोले साहेब तो घर चले गये यहां आई तो तालाल आगा देखा करीब कुछ दीनों से तुम कहाँ थे?

देवश : काकी मां आप तो जानती हो मेरी थोड़ी तबीयत ठीक नहीं थी थोड़ा बाहर आउट ऑफ स्टेशन निकाला हूँ कल तक आ जाऊंगा घर

अपर्णा : पता है मैं कितना डर गयी थी? तुम जबसे गये हो शीतल कितना तुम्हें याद करती है बोलती है भाई कब आएँगे बहुत मिलने का मन है (शीतल की इंतजार को मैं बखूबी समझता था आप मर्दों को एक बात कहूँगा यहाँ जब भी किसी की औरत की चुत मारोगे खासकरके अपनी लवर की तो वॉ बार्ब आर मिलने मिलाने की बात बहुत करेगी चस्का जो चढ़ जाता है )

देवश : अच्छा मेरी काकी मां मैं आ जाऊंगा आप फिक्र ना करे

अपर्णा : ठीक है बेटा ऐसे मत जा कर और जाए भी तो बोलकर जा पता है मैं कितना तुझे मिस कर रही हूँ

देवश : अरे मेरी रसगुल्ला मैं आता हूँ ना फिर मां बेटा जमकर प्यार करेंगे

अपर्णा : शैतान कहीं का चल जल्दी आना

कुछ देर तक अपर्णा काकी से बात की…अपर्णा काकी भी कम ठरकी नहीं हो गयी थी अभी से ही लंड लेने की इतनी उतालवली…उधर शीतल के बार्िएन में पूछा तो पता लगा की मेमसाहेब आजकल काफी खुश रहने लगी और मेरी दी हुई पएेल पहनकर खन्न् खन्न् की आवाज़ निकाले खेतों से गाँव जाती है…बस डर लगता था कहीं साला कोई लौंडा ना उसके पीछे पढ़ जाए…क्योंकि ऊसपे सिर्फ़ मेरा हक़ है और उसके होने वाले पति का खैर फोन कट करके देखा दिव्या खाने का प्लेट लाई मुस्करा रही थी

दिव्या : किससे बात कर रहे थे?

देवश : बस अपनी काकी मां से काला साया के जिंदगी में सिर्फ़ दिव्या थी लेकिन देवश के जिंदगी में अपर्णा काकी ऊस्की मां जैसी है और ऊस्की एक प्यारी जवान बहन शीतल

दिव्या : अच्छा ग तो अभी से हमारे से दिल भर गया आपका

देवश : अरे पगली वो तो मेरे अपने है

दिव्या : और मैं क्या गैर हूँ?

देवश ने फौरन दिव्या को अपने ओर खींच लिया दिव्या ने सक़ती से देवश के छाती उसे धकेलना चाहा पर देवश ने सक़ती से उसे थाम लिया “खाना ठंडा हो जाएगा”…..दिव्या ने शरमाते हुए कहा…..”पेंट पूजा बाद में पहले इस गरमा गरम माँस को खाना है मुझे”……..मैंने दिव्या के नाभी पे अपना मुँह लगा दिया…दिव्या कसमसाने लगी अब क्या खाना? पहले एक राउंड चुदाई तो करनी ही पड़ेगी

दिव्या के नाभी को मैंने बारे ज़ोर से जीभ से कुरेदना शुरू किया…और फिर उसके पूरे पेंट पे जबान फहीरयाई…दिव्या पूरी तरह कसमसाए जा रही थी…उसके ठीक बाद दिव्या को टाँग से उठाया और उसे लेटा दिया..इस बीच बड़ा ही क़ास्सके जख्म वाले जगह में दर्द उठा….मैंने दिव्या को नहीं बताया क्या पता बना बनाया मूंड़ खराब हो जाए

देवश ने दिव्या के जंपर और सलवार को उतार फ़ैक्हा….और उसके गान्ड की फहाँको में अपनी उंगलियां फहीराने लगा और दो उंगली ऊस्की गान्ड की छेद में डाल दी…अंगुल करते ही दिव्या कसमसा उठी और बिना पानी मछली की तरह बिस्तर पे छटपटाने लगी….देवश ने दिव्या की छेद में दो उंगली बारे ही ज़ोर किया…और उसके ब्रा के ऊपर से ही छातियो को दबा दिया
दिव्या कुछ देर तक मॉआंन करती रही…और फिर ऊसने झट से देवश को अपने ऊपर खींच लिया….देवश ने फौरन अपने खड़े लंड को निकाला और दिव्या की ब्रा भी उतार फैक्ी….दिव्या ने झुककर देवश का लंड मुँह में भर लिया…अब उसे धीरे धीरे देवश का लंड चूसने की आदत सी पढ़ चुकी थी..वो बारे ही प्यार से देवश के लंड को चुस्ती रही ऊसपे अपनी जबान फहीराती रही…उसके मुख मैथुन से ही देवश झड़ जाता लेकिन वो रुका नहीं ऊसने दिव्या के मुँह में ही सक़ती से लंड मुँह से अंदर बाहर किया…स्लूर्रप्प्प म्‍म्म्मम की आवाजें निकलते हुए दिव्या बारे ही चाव से लंड को चुस्ती रही

फिर देवश ने कुछ देर तक दिव्या को अपना लंड चुस्वता रहा..और फिर उसे गोद में उठाए बिस्तर पे लेटा दिया इस बार मुँह का धायर सारा थूक उसके योनि के छेद पे लगा दिया…और ऊस्की टाँगें अपने कंधे पे रख ली…टाँगें और चुत दोनों जैसे ही चौड़ी हुई…देवश ने लंड चुत के मुआने पे कसके टिकाया और एक करारा धक्का मारा…सस्स्सस्स आआआआआआः…दिव्या चीख उठी…फक्चाक्क से जैसे कोई जिस चीरने की आवाज़ आती है वैसे ही लंड दिव्या के चुत में धंस गया

उसी हालत में देवश दिव्या की चुत में लंड अंदर बाहर करता था…चुत ने घपप से लंड अपनी योनि में भर लिया और देवश भी दोनों पलंग पे मज़बूती से हाथ टिकाए धाधा धढ़ धक्के मारते रहा…चुत से फकच फकच की आवाज़ आने लगी…बीच बीच में दिव्या लरखरा जाती कारण देवश ऐसे तेजी से धक्के पेल रहा था की लंड चुत से बाहर निकालने को हो जाता फिर टाँग को कंधे पे सेट करके फिर करारा शॉट देवश उसके चुत पे मारने लगता

कुछ देर तक हालत ऐसे ही चलते रहे फिर देवश ने लंड को बाहर खींच लिया और ऊस्की योनि पे मुँह लगा दिया ऊपर भीनी झांतों से आती खुशबू ऊसपे रखी नाक अपनी और पूरा मुँह चुत के फहाँको में लगाए देवश खुद को सांत्वे आसमान पे महसूस कर रहा था….मर्द जितना भी टेन्शन में हो जब एक बार चुदाई कर लेता है तो ऊस्की सारी थकान और टेन्शन चली जाती है उसे सब अच्छा लगने लगता है….खैर देवश भी चुत पे ज़ाबान फहीराएज आ रहा था उसके गीली चुत से बहते रस को चत्टता रहा उसका स्वाद बेहद नमकीन था

देवश ने उठके फौरन कांपति दिव्या को अपने से लिपटा लिया ऊस्की एक टाँग उठाई उसके पीछे लेटा…टाँग को अपने टाँग पे चढ़ाया और हाथों में धायर सारा थूक गान्ड की छेद पे लगाया और फिर लंड को छेद के मुआने पे घिस्सने लगा..दिव्या सिहर उठी देवश का एक हाथ बारे ही ज़ोर से छातियो को मसल रहा था…दिव्या को भी तारक चढ़ चुकी थी….एक ही शॉट में लंड छेद में घुसेड़ दिया दिव्या चौंक उठी….ऊस्की गान्ड में कुछ गाड़ने लगा…देवश भी गांडम आइन बारे ही हल्के हल्के धक्के लगाने लगा…लंड गान्ड के भीतर घुसता और फिर बारे ही धीमे से बाहर निकल जाता फिर देवश को लंड छेद पे एडजस्ट करना परता

कुछ देर तक देवश ऐसे ही तरीके से दिव्या की गान्ड मारता रहा…ठप्प्प ठप्प करके धक्को की रफ्तार बढ़ी गान्ड से अंडकोष टकराए और शुरू हुआ आहों का सिलसिला…गान्ड के बजने से आवाज़ आने लगी….दिव्या बारे ही मीठी मीठी आहें भरने लगी….और देवश उसके गले पे होठों को घिस्सने लगा…और उसके कान को चबा जाता…दिव्या आंखें मुंडें देवश के छाती पे सर रखक्के जैसे बेहोश हो गयी..और देवश धक्के लगातार लगता रहा…कुछ देर में ही देवश के लंड में अकड़न होने लगी…और ऊसने झट से छेद से लंड को बाहर निकाला

और उसे दिव्या के गान्ड ऊपर ही झाधने लगा…देवश फारिग हो गया और अपना सारा रस दिव्या की गांदपे छोढ़के उसके दूसरी ओर निढल पढ़ गया….पसीने पसीने हो गया था देवश हांफते हुए कुछ देर तक लेटा रहा..फिर ऊसने झाब उठके देखा दिव्या सो चुकी थी..और ऊसने उठाकर गंदे कपड़े से दिव्या की फूली गान्ड के ऊपर लगे रस को साफ किया और फिर खुद भी बाथरूम जाकर नहाया धोया

फिर बाहर आकर खाने को गरम किया और फिर बिस्तर पे ही बैठकर नंगी दिव्या को देखते हुए खाने लगा….इसी तरह वो दिन भी ढाल गया….अब देवश ने अपने जिम्मेदारी को समझते हुए केस पे ध्यान देने लगा..अब ऊसमे ंवो ब्रष्ट वाली बात नहीं रही थी….क्राइम थोड़ा तरफ गया जाहिर था काला साया अब किसी को दिख नहीं रहा था…पर अब सब पुलिस पे ही डिपेंड थे
Reply
09-17-2021, 12:12 PM,
#37
RE: Antarvasnax काला साया – रात का सूपर हीरो
(UPDATE-38)

दूसरे दिन कलकत्ता पहुंचकर कमिशनर के केबिन में घुसते ही देवश ने सलाम ठोंका…कमिशनर ने मुस्कराए देवश के कंधे पे हाथ रखा..और उसे शाबाशी दी

कमिशनर : वेरी वाले डन इंस्पेक्टर देवश चटर्जी मुझे तुमसे यही उम्मीद थी तुमने प्रूव करके दिखा दिया की पुलिस डिपार्टमेंट किसी से कम नहीं आस फर आस ई में कन्सर्न्ड और ट्रांसफर आर्डर इस कॅन्सल्ड ऐसे ही मन लगाकर ध्यान देते रहो

देवश : सर मैंने वही किया जो कानून के लिए शाइ हो…पर आप इसे मेरा फायदा मत समझिए मैंने कोई भी काम सिर्फ़ अपने फाएेदे के लिए नहीं किया…बस इस बात का कहीं ना कहीं डुक हें सर की काला साया कोई मुजरिम नहीं था वो बस पुलिस की मदद कर रहा था भले ही उसके आक्षन्स ठीक ना हो वो कानून के खिलाफ काम करता है ऊसने खून किए पर किसके मर्डरर्स के क्रिमिनल्स के जो मासूमों की जिंदगी से खेलना चाह रहे थे

कमिशनर : वॉट दो यू मीन? काला साया इस अगेन्स्ट थे लॉ

देवश : लेकिन अभी स्टिल डॉन;त नो वेदर अभी स्टॉप थे क्राइम वितऊथ हिं…सॉरी सर मुझसे कोई लव्ज़ गलत निकला हो मांफ कीजिएगा बस मैं यही कहूँगा सर कहीं ना कहीं हमने क्राइम को गताया नहीं बढ़ाया पर आप फिक्र ना कीजिए जब तक इंस्पेक्टर देवश ज़िंदा है तबतक लॉ कोई हाथ में नहीं ले पाएगा

कोँमिससिओने : आस और विश सन ई आम रियली प्राउड ऑफ यू (मुस्कराए कमिशनर ने बात को स्मझा…देवश सल्यूट मार्टाः आह बाहर निकल गया)

घर पहुंचकर ऊसने सबसे पहले अपने घर जो की चाचा चाची ने पहले से धखल किए हुए थे उसे बारे ही सहेजता से खरीदने की उक्सुकता जाहिर की ऊसने जिसके नाम घर था उसका सिग्नेचर कोर्ट को पेश किया इस पे ऊसने बारे ही सहेजता से चाल चली और अपने दाँव पैच से वो घर ख़ैरीड लिया जो ऑलरेडी उसी के नाम था….दिव्या को अपना वीरना घर ही पसंद था पर देवश चाहता था की वो अब चुपके ना रहे….बेरहेआल वो दिव्या के साथ अपने नये घर में आ गया….दिव्या जिस घर की कभी नौकरानी होया करती आज वो ऊस घर की मालकिन खुद को महसूस कर रही थी….इधर देवश को अपने दूसरे घर में जाना भी था

और उसी दिन वो अपने पुराने घर आकर….घर में ही कुछ देर तक आराम करता है क्या पता ? अपर्णा काकी और शीतल आ जाए उससे मिलने अकेले अकेले
काफी देर तक मां-बेटी का इंतजार करने का बाद…देवश को जैसे उम्मीद थी वही हुआ…मां-बेटी दोनों साथ ही आई….अपर्णा काकी ने हल्के लाल रंग की बनारसी सारी पहनी थी आसिफ़ के तोहफे की दी हुई…तो दूसरी ओर गुलाबी रंग की मॅचिंग एआरिंग के साथ सूट शीतल ने पहनी हुई थी..दोनों मां-बेटी ही कहर ढा रही थी….डबल ऑफर तो मिला था…पर देवश ना तो मां को बेटी के सामने चोद सकता था…और ना ही बेटी को मां के सामने चोद सकता था…

बहरेहाल ऊसने फैसला किया की दोनों को अलग-अलग ही चोदना पड़ेगा….अपर्णा काकी मुस्कराए डीओॉश के सर पे हाथ फेरने लगी और उससे उसका हाल पूछा…देवश इन भी बारे सहेजता से जवाब दिया इतने में शीतल की चोरी चोरी निगाहों को वो पढ़ भी लेता…जो ठीक अपर्णा काकी के पीछे खड़ी मांडमास्त मुस्करा रही थी

“अरे शीतल बैठो ना”…..देवश ने शीतल को अपने बगल में पलंग पर बैठने को कहा

“अच्छा बेटा कुछ खाया मैं तेरे लिए कुछ बनती हूँ….साग की सब्ज़ी लाई उसे गरम कर देती हूँ और रोती बना देती हूँ”…..अपर्णा काकी ने मुस्कराए कहा और किचन की ओर चली गयी

इस बार देवश शीतल की ओर मूधके उससे बातचीत शुरू करता है…शीतल को तो बस अकेलापन ही चाहिए था मां जैसे ही गयी बस छुपी छुपी ऊसने बातें शुरू कर दी

शीतल : उफ़फ्फ़ हो कहाँ चले गये थे तुम?

देवश : बस चला गया था काम के सिसीले में

शीतल : श पता है मैं कितना मिस कर रही थी

देवश : अरे मेरी जानं सस्सह धीरे बोल मां सुन लेगी अकेले क्यों नहीं आई?

शीतल : मां को भी आना था सोचा लगे हाथों आपसे मिल्लू

देवश : त..एक है और सब ठीक तो है ना

शीतल : हाँ अभी अभी तो मासिक खत्म हुए मेरे

देवश : अरे वाह रानी यानि मेरी बहन पूरी औरत बन चुकी है

शीतल : बहुत मन कर रहा है भैया कुछ करो ना

देवश : एक..हां ठीक है मैं जनता हूँ तुम बेसवार मत हो कुछ टाइम दे

इतने में अपर्णा काकी दबे पाओ आ गयी मैं थोड़ा हड़बड़ा गया शीतल भी…”और क्या फुसुर फुसुर चल रहा है भाई बहनों में?”….अपर्णा काकी ने गरमा गरम खाना प्लेट से पलंग पे दस्तर्खान बिछके लगाया

देवश : कुछ नहीं काकी मां बस आजकल हमारी शीतल बड़ी समझदार हो गयी है

अपर्णा : कहाँ बेटा? ये और समझदार अकल घास चरने जाती है इसकी कोई भी काम बोलो तो बस ऐतने लगती है

शीतल : हाँ हाँ और कर लो भैया से शिकायत

हम सब हस्सने लगते है….फिर खाना खाने लगते है मैं अपने हाथों से अपनी औरतों को खाना खिलता हूँ…फिर अपर्णा काकी भी मुझे अपने हाथों से खिलती है…शीतल ये सब देखकर मुस्करा रही थी..इतने में अपर्णा काकी ने बात छेड़ी जिससे मेरी मुस्कान कुछ पल के लिए गायब हो गई

अपर्णा : बेटा सुना की तूने वॉ तेरे चाचा अंजर!

देवश : ऊस हरामी का नाम मत लो काकी मां

अपर्णा : देख बेटा मैं समझती हूँ हालत बहुत बुरे थे ठीक ही हुआ जो वो लोग कुत्ते की मौत मारे जिसपे तेरा हक़ था उसे तूने वापिस पा लिया अच्छा है लेकिन ये बात मैं ही जानती हूँ की तेरा उनके साथ क्या रिश्ता है? वो तो ऊस दिन बाज़ार में कुटुम्ब मिल गयी थी खूब परेशान थी बोल रही थी की उसका घर संसार उजध सा गया है मैं तो कुछ समझी नहीं

देवश रोती का नीवाला खाए बस अपनी आंखें इधर उधर कर रहा था…”जाने दो ना काकी मां जाने दो जिस इंसान ने हमारा घर उजड़ा हो ऊस्की क्या दुनिया उजदेगी अच्छा हुआ मर गये”……काकी मां ने कुछ नहीं कहा बल्कि मेरे ऊन लवज़ो में हामी भारी

अपर्णा : हाँ बेटा मुझे नहीं पता था की वो कमीने लोग यही है बेटा मर गया देख कुदरत का कहर अंजर गाड़ी के नीचे आ गया…और कुटुम्ब तो पागलख़ाने चली गयी उसका तो ब्लूएफीलंताक बन गया था और शांतलाल गुंडे के साथ उसके संबंध भी थे

शीतल : अरे मां क्यों इधर उधर की बात लेकर बैठी हो? भाई का इतना अच्छा मूंड़ बना है उसे खराब तो मत करो

अपर्णा : अरे बाबा भाई की बड़ी चिंता है तुझे चल अच्छा है लेकिन सुन अपने भाई को ज्यादा तंग मत करना (इस बात को सुनकर कुछ पल के लिए ही सही मुस्कान वापिस लौट आयआई मेरे चेहरे पे)

देवश : अच्छा काकी मां आप दोनों आज इधर ही रुक जाओ वजह ये है की मैं कहीं जाऊंगा तो नहीं तक भी गया हूँ

अपर्णा : लेकिन बेटा शीतल को भेज देती हूँ दो घर का काम पारा हुआ है

शीतल : मां आप ही चली जाओ ना

देवश : एक काम कर ना शीतल तू ही चली जा आजना थोड़े देर में हम लोग कहाँ भागे जा रहे है?

शीतल : पर भी (मैं जनता था शीतल क्यों चिढ़ रही है?)

देवश : पर वॉर कुछ नहीं अभी जा तो अभी जा

शीतला ना नुकुर करके ऐत्ते हुए मां को मन ही मन गाली देते हुए निकल गयी…अपर्णा काकी भी मुझे मुस्कुराकर देखते हुए किचन में बर्तन माझने लगी…अब मैं घर में अकेला चलो पहले मां से ही शुरू करता हूँ

उसी वक्त बाहर का एक बार नज़ारा देखा….और दरवाजा कूडनी भेड़ लिया..शीतल को आनें आइन कम से कम 2 घंटे तो लग जाएँगे इतने देर में….काकी मां की भूखी सुखी चुत मर लूँगा ताकि वो थक्के पष्ट हो जाए फिर शीतल आए और वो भी मुझसे चुदाया ले…मां बेटी को एक ही दिन में चोदने का प्लान बना लिया था मैंने

फौरन कपड़े उतारे और किचन में चला गया…काकी मां एकदम से जैसे पीछे मुदिी तो शर्मा गयी…मैंने फौरन किचन की खिड़की लगाई और क्काई मां को अपने सीने से लगा लिया काकी मां मुझसे छुड़ाने लगी पर अब कहाँ छुड़ाना चुड़ानी..ऊन्हें निवस्त्र करने में वक्त नहीं लगा

वही ऊन्हें कुतिया की मुद्रा में झुकाया और अपना खड़ा लंड उनके चर्वी डर पिछवाड़े में घुस्सेद दिया…अफ क्या मस्त गान्ड थी? पर ढीली थी…लंड पे थोड़ा सा थूक माला और फिर लंड को छेद में टिटके एक करारा शॉट मारा…आआहह काकी मां के मुँह से मीठा स्वर निकाला और वॉ भी मदमस्त चुदवाने लगी….

देवश : आस ककीिई मां क्या सौंड्रा है तुम्हारा? क्या गान्ड है तुम्हारी?

अपर्णा : बीता…आहह कितने सालों से दबाई रखी थी अपनी इच्छा आहह (काकी मां ने दोनों हाथ सेल्फ़ पे रख दिया…और पीछे से मेरे करार धक्को को अपनी गान्ड के भीतर झेलने लगी)

मैंने काकी मां को बहुत ही क़ास्सके चोदना शुरू कर दिया…उनकी ढीली गान्ड में लंड प्री-कम भीगोने लगा…और उनकी गान्ड में भी सनसनी उठने लगी ऊन्होने थोड़ा उठके अपना मुख मेरी तरफ किया और अपने जवान बेटे को होठों में होंठ तुसाए किस शुरू कर दी…हम दोनों एक दूसरे का गहरा चुंबन लेने लगे…काफी मजा आ रहा था नीचे से धक्के लगता और ऊपर मोटे मोटे होठों को चूसता काकी के

अपर्णा आहें भरती रही…फिर मैंने लंड को गान्ड से बाहर खींचा…और इस बार अपनी तरफ किया…इस बार काकी मां सेल्फ़ पे बैठ गयी और ऊसने टाँग हवा में उठा ली….काकी मां की सूजी डबल रोती जैसी चुत में लंड एक ही बार में पे लडिया और उनके मोटे मोटे चुचियों को हाथों में लेकर मसलने लगा अफ कितने सख्त निपल्स थे उनके एक बार तो चूसना बनता था अपर्णा काकी को बैठे बैठे ही चोदने लगा…उनकी निपल्स को मुँह में लेकर किसी बच्चे की तरह चूसने लगा…ऊसपे अपनी जबान फहीरने लगा…काकी मां भी चुत को ढीली चोद चुकी थी..और मेरा लंड आसानी से प्रवेश कर रहा था

कुछ ही देर में काकी मां ने अपने हाथ मेरे कंधे पे मोड़ दया और फिर हम दोनों एक दूसरे को किस करते हुए झधने लगे…चुत में फकच फकच्छ आवाज़ आने लगी…और मेरा रस चुत से बहता हुआ सेल्फ़ से नीचे टपकने लगा

हांफते हुए हम दोनों एक दूसरे के चुंबन लेते रहे…उसके बाद अलग हुए….काकी मां ने फटाफट सेल्फ़ पोंछा फर्श पे लगे वीर्य को पोंछा…और फिर मोटी गान्ड मटकते हुए बाथरूम में घुस्सके नहाने लगी…लेकिन जी सच में दोस्तों भरा नहीं थी एक राउंड और पेल दिया इस बार काकी मां को सीधे गुसलखाने में ही चोद डाला वो पेशाब कर रही थी…और मैंने उनके कुल्हो को दबाते हुए उनके नितंबों के बीच में ही लंड घुसेड़ दिया काकी मां ने बहुत जोरदार आहें भारी और उनकी एक मांसल टाँग को अपने हाथों में उठाए वैसे ही मुद्रा में चोद दिया…और फिर अपना रसभरा लंड उनके मुँह में डाला…उसके बाद काकी मां ने चुस्स चुस्सके मेरे लंड से सारा पानी निकल दिया अब मैं पूरी तरीके से ठंडा पढ़ चुका था

काकी मां भी सुसताने लगी…और बिस्तर पे ही कुछ देर के लिए सो गयी उनके सोने से मुझे बेहद वक्त मिल गया इतनें आइन घंटी बाजी…दरवाजा खोला देखता हूँ शीतल आई है ताकि हारी पसीने से लथपथ काम खत्म करके…”अरे शीतल तू आ गयी आजा अंदर तेरी मां सो रही है”….शीतल ने मां को सोते देखकर काफी गुस्सा किया थक्के काम ऊसने की और मां यहाँ अंगड़ाई ले रही है लेकिन ये नहीं जानती की उनकी तारक की प्यास बुझी इसलिए वो सो गयी है
Reply
09-17-2021, 12:12 PM,
#38
RE: Antarvasnax काला साया – रात का सूपर हीरो
(UPDATE-39)

उसी वक्त शीतल को बोला जाकर तू फ्रेश हो जा..वो गुसलखाने में जाकर अपने कपड़े उतारके नहाने लगी…मैंने भी फौरन कपड़े उतार लिए एक बार काकी मां की ओर देखा जो गहरी नींद में थी..फिर जल्दी से गुसलखाने में घुसके दरवाजा लगा दिया…शीतल डर गयी मैंने फौरन उसके मुँह पे हाथ रखा…वॉ भी समझ गयी मेरे दिल में क्या है? और मेरे सामने ही दीवार पे टैक्के खड़ी हो गयी

मैंने फौरन उसके ज़ुल्फो को हटाया और उसके होठों से होंठ भीड़ा दिए..हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे..और फिर शीतल को गान्ड से उठाते हुए उसके नंगे बदन को चूमने लगा उसके छोटे छोटे निपल्स को चुस्सने लगा उसके छातियो को दबाने लगा उसके गले में होंठ फहीराने लगा…शीतल पूरी तरह से तारक में आहें भरने लगी

उसके टांगों को थोड़ा फैलाया और ग्ोअडी में उठाए ही अपना लंड उसके छेद में टीका दिया…पहले तो ऊसने मुझे क़ास्सके पकड़ लिया लेकिन अचानक उसका हाथ मेरे पट्टी पे लगा…काकी मां तो चुदवाने में इतनी मशगूल थी की उसे पता ही नहीं चला पर इसे अगर पता चला तो हुआ भी वही ऊसने पूछ डाला मैंने बताया की लोहे से खरॉच लग गयी सेपटिक पकड़ लेता इसलिए इलाज कराया तो पट्टी लग गयी फिर ऊसने कुछ नहीं कहा बस ख्याल रखने की हिदायत दी

फौरन ऊस्की चुत की फहाँको में लंड घिस्सते हुए एक ही शॉट मारा…उफ़फ्फ़ कितनी सख्त चुत थी….शीतल काँप उठी ऊसने अपने नाखून मेरे पीठ पे गढ़ा दिए और मैं भी फुरती से उसे उछाल उछाल के अपने लंड पे चोदने लगा मेरे हाथ सक़ती से ऊस्की गान्ड को दबोचे हुए थे जबकि पूरा छाती और पेंट मेरे सीने और पेंट से जुड़ा हुआता…मैं बारे ही आराम आराम से धक्के देने लगा

देवश : दर्द तो नहीं हो रहा ना

शीतल : नहीं बिलकुल भी नहीं

देवश : चल मजे ले फिर

शीतल आहह आहह करके बारे ही अहेतियात से आहें भर रही थी ऊस्की मां को पता ना चल जाए…मैं शीतल को उसी हालत में चोदता रहा…वो एम्म्म एम्म्म करते हुए झड़ गयी और मुझसे लिपट गयी…मैंने उसे नहीं छोडा और उसे वही फर्श पे लिटा दिया कारण वो बहुत कमज़ोर पढ़ चुकी थी…मैंने फौरन उसे लािटाए मिशनरी पोज़िशन एमिन दोनों टांगों को अपने कंधे पे रखा और दान दाना दान चुत में लंड घुसाए अंदर बाहर करने लगा

शीतल लज़्ज़त में अपने दाँतों में दाँत रखक्के चुदवाती रही..और मैं उससे चोदता रहा…ऊस्की बीच बीच में ज़ोरर्र से आहह निकल जाती….और मैं अपनी गांड में ताक़त भरके जितना हो सके उसे चोदता रहा…लंड से थोड़ा प्री-कम आने लगता जिसे मैं बीच बीच में उठके पानी और उसी के ब्रा से साफ कर देता….नल खोल दिया था जिससे पानी की आवाज़ से काकी मां को पता ना लगे की मैं गुसलखाने में ऊस्की बेटी को चोद रहा हूँ

कुछ देर में ही शीतल फिर झड़ गयी…इस बार साली कुछ ज्यादा ही ज़ोर से चिल्ला उठी..मैंने फौरन लंड चुत के मुआने से बाहर खिंचा और फिर उसे पेंट से उठाकर दीवार पे टैका दिया उसका वज़न यही कोई 40 किलो तो होगा ही बस छाती और गांड भारी हुई थी…कहाँ हम मर्दों का वज़न औरतों से तीन गुना दुगुना हम मर्दों को औरतों को उठाने में कोई ज्यादा प्राब्लम नहीं होती

ऊस्की पतली कमर पे हाथ रखा और उसके नाभी को अंगुल करते हुए उसके टाँग को कमर पे फ़सा दिया अब वो मुझपर पीठ के बाल चड्डी हुई और मैं नीचे से उसे धक्के पेलता जा रहा था…वो चुड्द्वाए जा रही थी लंड बारे ही आसानी से ऊस्की चुत से निकल रहा था घुस रहा था…कुँवारी चुत अब पहली की तरह टाइट नहीं थी मेरा अब पारा चढ़ गया और मेरी कामशक्ति जवाब देने लगी…और मैंने फौरन धक्के तेज कर डाल्ली…और उसी बीच मैंने उसके कमर से उसे ऊपर उचका दिया…जिससे चुत से लंड फ़च से निकाला और रस लबालब छोढ़ने लगा…लंड रस बहा रहा था जो नाली के अंदर जा राई थी

फिर उसी बीच मैंने शीतल को खड़ा किया और साबुन से जल्दी जल्दी उसके बगल गान्ड चुत छाती साबप्पे साबुन रगड़ा पेंट पे भी रगड़ा फिर ऊसने भी मुझे कुछ साबुन लगाया और हम दोनों ने शवर के नीचे नहाया…ये तीसरी बार मैं झड़ा था काफी तक गया था मैं….फिर मैंने उसे कहा की पहले मैं नियालकता हूँ बाद में तू निकल लियो वो पहले सावधानी से निकली फिर मैं…गनीमत ही काकी मां उठी नहीं

ऊस दिन चुदाई का प्रोग्राम बहुत ही अच्छा ही चला…मैंने इतना सेक्स किया की हाथ पाओ में जान नहीं थी…साला दुम्ब्बेल्ल भी नहीं उठा पाया था…काला साया की मौत के बाद तो जैसे अब मैं पूरा देवश बन चुका था….एक तरह से छुट्टी मिल सी गयी थी अययाशी करने के लिए…साथ ही साथ थाने का कामकाज भी बेटर चल रहा था

लेकिन खुशी पलों को लगते काली नज़र डायरी नहीं लगती….अच्छी खाासी जिंदगी में एक ऐसा मोड़ आया…जिसने मुझे फीरसे जुर्म की इस लरआई में पाओ रखने के लिए शामिल करवा ही दिया….अब वो क्या वजह थी ये तो मैं अगले अपडेट में ही बताऊंगा
ऊन दीनों टाउन के आसपास बहुत ज्यादा ही क्राइम तरफ गया था…पुलिस की गश्त के बावजूद सुनसान इलाक़ो में अंधेरी रातों में ही सुपारी किलैंग्स हो जा करती थी…जिनकी लाशें बाद में फाटक के पानी में तैरती दिखती थी…बहुत कल्प्रिट्स और सस्पेक्ट्स को गेरफ़्तार किया गया..खूनियो को भी धार दबोचा पर अब पहली वाली बात नहीं रही थी जो काला साया के टाइम थी लेकिन अगर क्राइम को ओस्से डर था तो पुलिसवालो से ऊन्हें दुगुना डर होना चाहिए था सबके जुबान पे एक ही बात थी आख़िर काला साया आ क्यों नहीं रहा ? पर कोई कुछ ज्यादा कर ना सका…उसे खोजते भी कहा…जिसके चेहरा किसी ने आजतक नहीं देखा

ऊन दीनों टाउन में लगातार 3 महीनों से चोरी हो रही थी सुराग ना के बराबर ना ही कोई दायकात और ना ही कोई प्रोफेशनल तेइफ़ दिन दहाड़े ही बारे बारे सेठो के घर से पैसा जेवराहट सबकुछ चोरी हो जाता….और बाद में शिकायत और दिमाग खाने सेठ लोग पुलिस स्टेशन पे दस्तक देते…कब पकड़ेंगे क्या पुलिस कर रही है? ब्लाह ब्लाह बोलकर चले जाते..बस ऊन्हें आश्वासन ही देना परता…शायद एक फैसला लेकर मैंने अपनी बाकी जिंदगी को जैसे मुस्किलो में डाल दिया था

उसी दिन पुलिस की गश्त मैंने बरहा दी थी पर साला रात को उसका एक परछाई भी नहीं मिला गुंडे नहीं थे ना कोई बड़ी गान्ड थी…सिर्फ़ एक अक्स दिखता काले कपड़ों में और धक्का नक़ाब पॉश घर में घुसता सब पर स्प्रे मरता और फहरी जीतने चीज़ें है लूट लाटके भाग खड़ा होता

ऊस रात भी दिमाग पूरे दिन की थकान से चोद था…टीवी पे फेव मूवी रेसलिंग देख रहा था…मेरी खूबसूरत रेस्लर लड़कियां पेज और निक्की बेला का दमदार एक्शन सीन चल रहा था…साला बाप जन्म में तो कभी मिलेगी नहीं बस यूँ ही आँख सैक ले बेटा…अभी अपने असल घर आया था दिव्या मेरे नयी मकान में रही रही थी…रात करीब 11 बज चुके थे…आराम से अभी टीवी देख ही रहा था इतने में फोन बज उठा…लो कर लो बात साला अभी आंखों से सैका नहीं लंड झड़ा भी नहीं और ये लो फोन कॉल

जल्दी से फोन उठाया तो पाया कमिशनर की आवाज़ थी…ऊन्होने बढ़ते अपराध को देखते हुए सूचित किया की ऐसा मामला कलकत्ता में भी हुआ था पर जब ज्यादा इन्वेस्टिगेशन बड़ी तो वॉ चोर गायब हो गया…शायद उंड़रगरौद्ण के बाद वॉ हमारे ही टाउन में आया हो बिकॉज़ बंगाल का सबसे अमीर सेठ लोग यही रहते है बारे बारे मॅजिस्ट्रेट्स और एमएलए का भी यही घर है…जिनके पास धारो दौलत है… कमिशनर ने मुझे बताया की एक पुलिस मीटिंग कल बिताई जा रही है मैं आ जाओ…मैंने भी हाँ कहा और फिर फोन रख दिया
Reply
09-17-2021, 12:18 PM,
#39
RE: Antarvasnax काला साया – रात का सूपर हीरो
(UPDATE-41)

थॅंक्स तो और करप्ट एमएलए’से जिनके सिर्फ़ नाम बारे और दर्शन छोटे…रास्ता कभी ठीक ही नहीं कराया …..मैंने फौरन हाथ में गुण ली….और गाड़ी से थोड़ा बाहर निकाला और ऊसपे चलाई अफ ऊसने ऊस हालत में भी बढ़ता थोड़ी बढ़ा ली निशाना चूक गया दूसरीई गोली चली ढेययी..और इस बार उसके बाइक पे लगा सूटकेस फहत से गिर पड़ा…काला साया तो बन नहीं सकता था अब सबकुछ एक काबिल ऑफिसर कीतारह करना था…मैंने फौरन गाड़ी को चलना ही मुनासिब समझा बिकॉज़ के पल की चूक और मेरी पूरी जीप लूड़क जाती इस गड्धेदार रास्तों पे

जैसे ही रास्ता ठीक हुआ ऊसने एकदम बढ़ता बधाई और भाग गयी…वॉ पीछे पलट के देख रही थी और मन में गालिया दे रही होगी पर मुझे तो बार ईशांति मिली ऊस्की नाकामयाबी से अब खिजलके अपनी खुजली मिटाने के लिए मेरे पास तो जरूर आएगी अरे भैईई हमला करने तब मैं उसे धार दबोचूँगा यहां से उसके दिल में मेरे लिए जो नफरत उमड़ी वो होना भी जरूरी था ताकि वॉ अब मुझे आत्ंघाती वार कर सके ऊसने मुझे पहचान लिया था

मैंने फौरन जीप रोकी..और फिर पीछे गिरी सूटकेस उठाई उसके अंदर रुपया था धायर सारा…वापिस जैसे जीप को हुआ देखा लो तैयार पुंकुत्रेड खराब रास्ते पे तेजी से चलाने की वाज से…मैं वही खड़ा रहा…और फिर बाकी टीम को सूचित किया की मुझे आए और रिसीव करे…तब्टलाक़ वही खड़ा हावव हावव करते जंगली जानवरों की आवाज़ के साथ किशोरे दा का गाना गाता रहा

सुबह के 11 बज चुके थे…और हाथों में चाय की प्याली लिए एक एक चुस्की मर के देवश की निगाह सूटकेस में भरे पैसे पे थी…जल्द ही सेठ आ गया और ऊसने खूबी धनञयवाद जताते हुए अपना सूटकेस लिया और फिर कुछ दस्तक्त करके चला गया ये सूटकेस कल रात को देवश ने ऊस चोर से चीनी थी…लेकिन कहीं ना कहीं अपने लिए एक मुसीबत जरूर बढ़ा ली थी…अब कैसे भी करके ऊस चोर का पता तो चलना ही था

काम काज खत्म करते करते…12 बज चुका था…जल्दी से दोपहर के लंच के लिए थाने से अपने घर आया…दिव्या वाले घर नहीं गया जब भी जाता हूँ तो अकेले में मन बहेक जाता है और फिर बिना सेक्स किए मन मानता नहीं..दूसरी ओर दिव्या के लिए फिक्र हो रही थी मुझे जैसे जैसे ऊस्की उदास चेहरे को देखता हमारे हिन्दुस्तान एक बात नायाब है जितना भी लड़की खुली हुई हो फ्रॅंक्ली हो लेकिन जब उसके साथ आप दस बार सेक्स कर लो तो बात शादी और प्यार पे आ ही जाती है…लेकिन सच कहिए तो मेरा ऐसा कुछ इंटेन्शन नहीं था उसके प्रति ई मीन मैं उससे शादी नहीं करना चाहता था

लेकिन उसे चोदना साहिल से भी बड़ा धोखा देने के लायक था उसके भी दिल में क्या उठेगा? खून तो एक ही भाई ने धोखा दिया और इसने भी..साला इसी कशमकश में नींद भी उड़ गया…बिस्तर से उठा खाना खाया…और फिर मुँह हाथ धोखे सो गया…शाम को दफ्तर पहुंचकर काम पे फिर ध्यान फही कुछ चौकसी और फाइल्स के लिए बाहर गया इन सब में रात हो गयी

और वही से गश्त लगते हुए घर की ओर फिर रवाना दिया…दिव्या को फोन करके बोल दिया की मैं घर आ रहा हूँ दरवाजा ना लगाए…और फिर पूरी रफ्तार से जीप चलाने लगा..ऊस वक्त साथ में कोई नहीं था बहुत सुनसान व्यवान जंगल से गुजर रहा था हालाँकि शहर के कुछ रास्तों पे जंगल पढ़ जाता है…इस वजह से सुनसांसियत का अंदेशा फैल जाता है

अभी रोड क्रॉस ही करने वाला था देखता हूँ की सड़क पे कुछ पत्थरे गिरी हुई है..ओह लो अब ये क्या नया चक्कर? अभी जीप रोकके उतरना ही था एकदम से माता ठनक गया बेटा रुक जा…जगह सुनसान यहां कोई आता जाता नहीं…साँप को छोढ़के यहां कोई रहता नहीं…और सड़क के बीचो बीच पत्थर बिछी हुई है पक्का किसी दुश्मन का काम है…या तो कोई कैदी फरार होकर अब मुझे मारने के लिए आया है या फिर वॉ लड़की चोर

साला काला साया होता तो अपने स्किल्स से कुछ तो कर सकता..चल फिर भी एक पुलिसवाला हूँ डर किसका…निकाला रिवाल्वर हाथ में लिया और फहतक से जीप से उतरा…फिर धीरे धीरे चलते हुए सड़क के पत्थर को टटोलते हुए दो को हटा ही रहा था इतने में..कोई साया पीछे से गुजारा

मैं एकदम हड़बड़ाकर गुण उसी ओर मोड़ ली “आबे कौन है?”….मैंने चिल्लाया…कहीं दुश्मन के चक्कर में कोई बहुत प्रेत से सामना हो जाए…ऊस वक्त वो मूवी याद आ गयी जिसमें ऋषि कपूर की गाड़ी खराब हो जाती है और फिर स्राइडीवी एक साँप होती है इंसान बनकर गाती है भूली बिसरी एक प्रेम कहानी…फिर आए एक याद पुरानी….साला पूरा जिस्म सिहर गया…बेटा गान्ड फहटने लगी आबे कोई आत्मा तो नहीं क्या पता गश्त के चक्कर में किसी साँप को कुचल दिया हो और अब ऊस्की नागिन बीवी मेरी गान्ड डसने के लिए ही इंसानी रूप ली हो

एकदम से तिठके के जीप के पास आया चारों ओर देखा घना अंधेरा एक तो रात इतनी गहरी ऊपर से जीप की हेडलाइट ऑन है जिससे सामने का रास्ते पे गिरे पत्थर दिख रहे है…मैंने अपना टॉर्च लाया और इस बार जल्दी जल्दी पत्थर हटाने लगा इतने में क़ास्सके किसी ने गान्ड पे एक डंडा मारा..आअहह मैं एकदम से भौक्लके दर्द के मारें गिर पड़ा…अपने गान्ड को सहलाते हुए सामने देखा तो लाइट के सामने एक लड़की खड़ी थी…कोई और नहीं वही जानी पेचानी चेहरा मुकोता पहनी वो चोर जिसके हाथ में हॉकी का एक मोटा डंडा था

मैं अभी उठता ऊसने झाड़ के एक हॉकी डंडा मेरे घुटने पे और मेरे हाथ पे दे मारा….मैं गिर पड़ा दर्द बहुत ज़ोर से हुआ साला रोने रोने पे हालत हो गयी….लेकिन तीसरे वार के लिए ना उसे मौका मिलने वाला था और ना मुझे मर खाने का शौक साला एक ही वार में उसका डंडा पकड़ा और अपने काला साया के हुनर तरीकों से उठके उसके पेंट पे ही एक लात जमा दी

वो पेंट पकड़े गिर पड़ी इतने में मैंने उसके दोनों गले को कसके हाथों से जकड़ लिया “साली बहेनचोड़ड़ रुक्क तू”…….ऊसने मौका हाथ में लेते हुए अपनी औरतपाना दिखा दिया जब मेरे अंडकोष पे ही लात झाड़ दी..मैं अपना पाँत के बीच को पकड़ा झुक गया ऊसने तब्टलाक़ जैसे ही हॉकी स्टिक उतनी चाही मैंने फौरन उसे कमर से उठाकर सीधे एक पेड़ पे जा पटका…ऊस्की करहाहत निकली लड़की की आवाज़ पर इस बार उसका जोश जगह गया और ऊसने मेरे मुँह पे घुसों की बौछार कर दी…साला बॉक्सर थी पता नहीं बहुत काश क़ास्सके गुस्सा झाड़ रही थी

साली को वही फैक दिया और पास रखी रिवाल्वर उठा ली और सीधे उसके छाती एप लगा दी…”बस बहुत हो गया यू आर अंदर अरेस्ट क्यों आबे साली? एक पुलिसवाले पे जानलेवा हमला करती है कमीनी”…….ऊस्की निगाह दिख रही थी कितनी हिंसक कितनी गुस्से में कहा जाने वाली निगाहों से मुझे देख रही थी
Reply
09-17-2021, 12:19 PM,
#40
RE: Antarvasnax काला साया – रात का सूपर हीरो
(UPDATE-42)

देवश : अब साली बनाएगी भी और ये चेहरे से मास्क हटा मास्क्क हटा रनडीी (मैं जैसे ही मास्क हटाने को हुआ ऊसने क़ास्सके मुझे एक धक्का मारा पर मेरी रिवाल्वर साला अंधेरे में कहाँ गिरी शितत)

वो लड़की भागी मैं भी भागा उसके पीछे…”आबेयी रुक्क”……वो कुछ नहीं कह रही थी यक़ीनन वो अपनी आइडेंटिटी छुपाने के लिए भागें जा रही त…मैं लंगड़ा लंगड़ा के उसके पीछे भाग रहा था…अचानक वो जंगल के भीतर घुसी…मैं भी घुस गया ना परवाह की जानवर की और ना ही साँप मिया की

सुना था इस जंगल में काफी ज़हरीले साँप होते है…वो भागें जा रही थी शायद वॉ डर गयी हो उसे लगा हो की मेरे हाथ में अब भी पिस्तौल है…मैंने भी झूठ बोलते हुए चिल्लाया “रुक जा वरना गोली मर दूँगा रुक्क जा”….मेरी आवाज़ पूरे जंगल में गूंज रही थी इतने में अचानक वो एक खंडहर के ऊपर चढ़ गयी

“मां की चुत साला इतना पुराना भुतिया खंडहर…कभी यहां मैंने काला साया बनकर शरण ली थी…मुझे एक चप्पा चप्पा पता था ऊस जगह का मैं भी उसके पीछे भागा….अचानक वो छत्त वाले हिस्से पे चढ़ गई…ये पुराना मंदिर होया करता था…लेकिन इंडो-बांग्लादेश वॉर के चक्कर में यहां के लोग सबकुछ चोद चाढ़ के भाग गये और जगह ऐसी जगह में मंदिर है डर से लोग बहुत प्रेत का नाम लगाकर नहीं आते…”आबेयी रुक्क जा अंदर साँप है”……मैंने चिल्लाया मैं उसके भले के लिए ही कह तो रहा था

अचानक देखता हूँ वो ठिठक गयी है चारों ओर खुला छत्त अब कूदेगी तो मरेगी..”मैं उसे सीडियो पे ही खड़ा होकर मना करने लगा की वापिस आ जाए और कानून को अपने हवाले कर दे…पर वो मेरी बात मानने के बजाय कूदने की फिराक में थी…अचानक देखा एक चीज़ रैंग्ता हुआ उसके करीब चल रहा है..”आबेयी पीछे देखह साँप हाीइ बचके साँप हाीइ”…..ऊसने सुना नहीं और अचानक से ऊस साँप ने उसके पाओ पे कांट लिया…वॉ बहुत ज़ोर से चीखी और फिर वही गिर पड़ी

मैं फौरन ऊपर आया…साँप तब्टलाक़ भाग चुका था…बाप रे ये तो काला साँप है गनीमत थी किसी कोब्रा ने नहीं दसा था…मैंने फौरन उसे उठाया और सीडियो से नीचे ले जाने लगा..अचंकक गरर गरर करके बारिश शुरू हो गयी…ठंड तरफ गयी…फौरन उसे खंडहर के अंदर ले आया एक सुरक्षित उक्चे जगह पे उसे लाइटाया चारों ओर पत्ते परे हुए थे…ऊन्हें साफ किया फिर उसके कपड़े को हटाया उफ़फ्फ़ दो दाँत के निशान थे…लड़की पूरी तरीके से काँप रही थी…मैंने सोचा इसका मुकोता उतार ही देता हूँ

पर ऊस्की हालत ठीक नहीं थी…ज़हेर फैल जाएगा इतने देर में तो…ना जाने किस तरह का साँप था…चाहता तो ओसॉके हालत पे उसे चोद देता..पर इंसानियत भी कोई चीज़ थी…मेरी जगह काला साया होता तो वो भी यही करता मैंने फौरन ना आँव देखा ना ताँव और उसके ज़ख़्मो पे मुँह लगाकर उसका ज़हेर खीचने लगा..और उसे थूकते हुए हुए उसे चूसने लगा….बदल गाराज़ रहे थे बारिश ज़ोर से हो रही थी…कुछ देर बाद मैंने जल्दी से उसी हालत में भीगते हुए जीप से एक वॉटर बॉटल लाई…और कुल्हा किया…कुछ नुस्खे आते थे जब ऑर्फनेज में था तो एक गुरु थे जो योगा के साथ साथ ओझा भी थे…साँप का झाढ़ पता था ऊन्होने हमें कुछ चीज़ें भी बताई…

मैं उसी जड़ी बूटी को ढूंढ़ने लगा कारण बांग्लादेश से सटे होने पे यहां कुछ ऐसी जाडिया पत्तो के भैईस में पाई जाती है जिससे ज़हरीले सानपो का ज़हेर भी कट जाता है…मैंने फौरन ऊस पौडे को खोजने लगा करीब पास ही वो लत्तड़ो में मिला उसे उखाड़ा और उसके पत्तो को सहित ज़ोर से निचोड़ा उससे निकलता रस सीधे जख्म पे टपका तो लड़की ज़ोर से चीख उठी उसे दर्द हो रहा था…उसे ज़हेर पे मलने के बाद मैंने भी थोड़ा सा मुँह में ऊस रस को चुस्स लिया…भगवान का शुक्र था की मुझे कुछ हुआ नहीं पर मैं थोड़ा कमज़ोर सा महसूस कर रहा था

इतने में देखता हूँ की लड़की को होश नहीं आ रहा…लगता है की इसकी साँसें धीमी हो गयी है…शायद दर्द के मारें बेहोश हो गयी हो…अब क्या करूं?..साला बड़ा चक्कर बहुत गुस्सा तो आया था ऊसपे पर ऊस्की जवानी को देखकर गुस्सा भी पिघल गया…मैंने फुरती से उसके मुकोते का निचला भाग जो खुला था उसके होठों पे होंठ रख दिए….उफ़ कितना नरम गरम होंठ..कितना मुलायम मैं उसे मौत तो मौत साँस देने लगा ऊस्की मुँह के अंदर साँस देने लगा…दोस्तों मैं ऊस्की किस लेने में मजा आ रहा था पर गणीनात थी वो अभीतक उठी नहीं…अचानक दूसरी बार जब उसे किस किया…और उसके होंठ जैसे ही छोढ़के सीने पे दो हाथ रखकर दबाया वो खांसने लगी ऊस्की निगाह एकदम से मुझपर हुई और ेकूडम से घबरौ त बैठीी

देवश : ठीक हो? अरे दररो मत मैं तुम्हें कुछ नहीं करूँगा खमोकः ऊपर चली गयी थी साँप ने कांट लिया था तुम्हें तुम्हारा ज़हेर निकालके फैका तुम्हें साँस दी अब कैसा महसूस कर रही हो

लड़की : टीटी..तुंन्ने मेरी जान बचाइइ?

देवश : क्यों गलत किया? या अब भी बदला लेना है मुझसी बोलो

लड़की : देखो एमेम..मुझे जाने दो

देवश : अच्छा जाने दूँगा पर एक वादा करना होगा की चोरी चोद डोगी

लड़की : मैंने कह दिया ना मुझे जाने दो

देवश : एक तो चोर ऊपर से सीना जोड़ी एक तो तुमको बचाया और ऊपर से तुम भाव कहा रही हो अगर चाहता तो तुम्हारा मुकोता उतरके चेहरा देख लेता लेकिन कुछ सेल्फ़-रिस्पेक्ट है दिल में (खांसने लगा और अचानक वही पष्ट पार गया साला लगता है जैसे हालत अब भी सही नहीं है वो मेरी हालत को गौर करने लगी)

मैं वही निढल सा पढ़ने लगा फिर किसी तरह उठा पर तब्टलाक़ वो मेरी हालत को गौर करते हुए एक एक कदम पीछे होने लगी…और मैं वही लरखरके गिर पड़ा…वो मेरे हालत को घूर्रती रही…फिर एक दो कदम करते हुए खंडहर से भाग गयी..और मैं वही लाचार निढल मज़बूर पड़ा रहा सही में मुझ जैसा चूतिया कोई नहीं कोई बात नहीं बचपन में धोखा मिला बारे में भी कौन सा प्यार मिलेगा? काश दिव्या यहां होती..अभी बर्बराह ई रहा था इतने में

देखता हूँ वो वापिस आई और ऊसने मुझे एक बार घूरा फिर मेरे पास रखी बंदूक ली और मुझे उठाया मेरी हालत बहुत ज्यादा खराब थी बहुत कमज़ोर हो गया था ज़हेर चूसने के चक्कर में…शायद कुछ रिएक्शन हो गया हो…ऊसने मुझे उसी हालत में उठाया और मैं बर्बरते हे उसके कंधे पे सर रखकर निढल हो गया

ऊसने कब मुझे किस तरह मज़बूती से जीप पे सवार किया और फिर खुद जीप पे बैठकर जीप स्टार्ट करके चलाने लगी कुछ पता नहीं…जब आँख खुली तो पता चला की मैं हॉस्पिटल में हूँ…डॉक्टर और हवलदार खड़े है…वो सब मुझे चेक कर रहे है खैर होश आया..तो पता चला की एक अंजान शॅक्स ने मुझे बाइक से हॉस्पिटल के पेशेंट वाले सीट पे लाइटाया और भाग गयी…मुझे पहचानते हुए डॉक्टर ने तुरंत एडमीशन किया असल में ज़हेर का कुछ कान मैंने पी लिया जिस वजह से मैं मौत के मुँह से बच्चा था…अब ज़हेर मैंने कैसे पिया इस बात का एक्सप्लनेशन देने के बजाय मैंने बारे ही सहेजता डॉक्टर को मुँह बंद रखने की ज्यादा हिदायत दी पुलिसवाला था ज्यादा कुछ हुआ नहीं ना ही ऊस रांड़ का कोई सुराग पुलिसवालो को बताया ताकि उसके पीछे वो लोग छानबीन ना करे
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,299,353 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 522,246 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,150,801 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 871,783 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,541,974 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 1,986,681 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,796,375 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,514,285 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,825,157 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 266,133 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)