RE: antervasna चीख उठा हिमालय
भीड़ से एक आदमी आता , मुगदर उठाता और अपनी पूरी शक्ति से मैग्लीन पर बार करता ।
बच्चे भी आये, महिलाऐं भी आयीं ।।
एक ऐसी मां आई जिसके बेटे को मैग्लीन ने मारा था ।। मुगदर की एक चोट अपने बेटे के हत्यारे पर करके जैसे मां की आत्मा को शान्ति ना मिली हो। जोश में चीखती हुई वह पागलों की तरह मैग्लीन के जिस्म पर मुगदर बरसाती ही चली गई ।
आगे बढ़कर विकास उसे रोक ना लेता तो शायद वह अकेली ही मैग्लीन को मार डालती ।।
एक विधवा आई तो उसने जैसे प्रण कर लिया अपने सुहाग के हत्यारे को वह मार ही दम लेगी । विकास ने उसे भी रोका ।
इस तरह मैग्लीन चीखता रहा , लेकिन किसी के दिल में उसके लिए रहम नहीं था ।। पिटता पिटता लहू लहान हो गया ।
कहां तक सहता मैग्लीन ? मार खाता खाता बेहोश होता तो पिशाचनाथ उसे लखलखा सुंघा कर होश में ले आता ।।।
पुनः वही क्रम !
अभी तो एक हजार नागरिक भी अपना अधिकार पूरा नहीं कर पाये थे कि मैग्लीन मर गया ।।
उसके मरने के बाद भी चमन के नागरिकों को उस पर रहम ना अाया । बहुत से लोगों के दिलों में तो प्रतिशोध की एेसी आग भड़क रही थी कि मुगदर के वार मैग्लीन की लाश पर भी वार करने से बाज ना आए ।।
फिर वतन के कहने पर सब लोग रूके ।।
सब ने वतन से मांग की थी मैग्लीन की लाश को यहां से उठाया ना जाये बल्कि यही सड़ने दिया जाये ।
हालांकि वतन चाहता नहीं था किन्तु यह मांग उसे माननी ही पड़ी ।
अौर फिर शाम को चमन के एयरपोर्ट से दो विशेष विमान उड़ान भर लिये । एक रूस के लिये तो दूसरा भारत के लिये ।।
आजादी के सिर्फ छः माह पश्चात ----
चमन ने पूरे विश्व को चौंका दिया ।
विश्व में प्रकाशित वतन के स्टेटमेंट ने एक बार तो बुरी तरह सारी दुनियां को चौंका दिया ।
अमेरिका रूस , ब्रिटेन , चीन और भारत जैसे महान राष्ट्रों को तो जैसे यकीन ही नहीं आता ।
इतने अल्प समय नें-इतनी जबरदस्त प्रगति ।
निश्चय ही संसार को अस्वाभाविक-सी लगी थी ।
यूं तो समूचा विश्व देख रहा था कि आजादी मिलते ही वतन के नेतृत्व में चमन ने तीव्र वेग से प्रगति के मार्ग पर अग्रसर होना शुरू कर दिया था । इस छोटे से राष्ट्र ने बड़ी तेजी से प्रगति की थी ।
मगर ये स्टेटमेंट--वतन के स्टेटमेंट ने पूरे विश्व में एक हलचल-सी मचा दी थी ।
विश्व के लगभग सभी प्रमुख समाचारपत्रों का मुख्य शीर्षक था ।
विश्व के लगभग सभी प्रमुख समाचारपत्रों का मुख्य शीर्षक था ।
" विज्ञान की दुनिया में एक नया चमत्कार !"
चमन के राजा मिस्टर वतन ने एक ऐसे अजीबो गरीब यंत्र का आविष्कार किया है जिससे ब्रह्मांड में बिखरी आवाजों को समेटा जा सके ।"
अब आयेगा मजा हर कोई यंत्र को पाने के लिये मैदान में उतरेगा ।
वतन का स्टेटमेंट यों था ।
'कहते हैं कि इन्सान मर जाता है लेकिन इन्सान की आत्मा कभी नहीं मरती । आत्मा अज़र अमर है । आज का युग वैज्ञानिक युग कहलाता है ।
कहते हैं कि दुनिया ने किसी भी युग, में उतनी तरवकी नहीं ली जितनी कि इस युग में की है किन्तु मैं इस विचार-से सहमत नहीं, बल्कि मेरी धारणा तो यह है कि आधुनिक वैज्ञानिक युग में मौजूद विज्ञान का हर प्राचीन विज्ञान की नकल है, और अभी उस विज्ञान से हम वहुत पीछे हैं । हमने परमाणु और न्यूट्रॉन बम तो वना लिए किन्तु क्या वैसा ऐसा हथियार वना सके जैसे भारत के महान ग्रंथ 'महाभारत' में बभ्रुवाहन के पास था ? कदाचित कुछ लोगों को पता न होगा कि . किस हथियार की बात कर हूं ?
बभ्रुवाहन महाभारत काल का एक योद्धा था । वह अपने घर से कोरबों की तरफ से युद्ध करने निकला था ।
श्रीकृष्ण जानते थे कि अगर वह युद्धस्थल में पहुंच गया तो निश्चय ही पाण्डवों की पराजय होगी ।
तभी तो रास्ते में श्रीकृष्ण ने उसे रोककर पूछा…तुम कहाँ जाते हो ?"
…‘"महाभारत के युद्ध में हिस्सा लेने ।'" बभ्रुवाहन ने जवाब दिया ।
किसकी तरफ से युद्ध करोगे ?' ' .
…"हारने बालों की तरफ से !"
नीति-निपुण बासुरी का जादूगर मुस्कराया, बोला---" उस युद्ध मे भला तुम्हारी क्या बिसात है ? वहा कर्ण, दुर्योधन, अर्जुन और भीष्म पितामह जैसे जोद्धा है । उन योद्धाओं के समक्ष भला तुम क्या कर सकोगे? "
'जो भी हो ।' उसने कहा…'मेरी मां ने मुझे इस आज्ञा के साथ भेजा है के मैं हारने वालों की तरफ से युद्ध करू ।
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