antervasna चीख उठा हिमालय
03-25-2020, 12:36 PM,
#11
RE: antervasna चीख उठा हिमालय
महाबली टुम्बकटू


मगर-दरबार में कहीँ नजर नहीं अा रहा था वह । सब इधर उधर देख रहे थे ।।।

पुन: वही आवाज गूंजी… " शुतरमुरग की औलादों की तरह इधर उधर क्या देख रहे हो सज्जनों , मैं यहां हूं । "



इस बार आवाज ने सबका ध्यान सिंहासन की तरफ खींच लिया । लोंगों ने देखा ---- सिंहासन के नीचे से किसी सांप की तरह बल खाकर रेंगता हुआ टुम्बकटू बाहर अा रहा था । वह कब बाहर आगया, यह कोई न देख सका । सबने देखा कि दरबार के बीचों बीच खडा यह उस गन्ने की तरह लहरा रहा था जो एक लम्बे-चौड़े खेत के बीच अकेला खड़ा किसी तेज तूफान का मुकाबला कर रहा हो ।





…'"अबे-तुम कहां से टपक पड़े मियां कार्टून ?" विजय ने कहा ।



" टपका नहीं प्यारे इकझकिए, बल्कि इस सिंहासन के नीचे अटका पड़ा था ।" टुम्बकटू की घरघराती आवाज----" बुजुर्ग मियां में इतना वज़न है कि निकलना चाहकर भी मैं निकल सका । सिंहासन से नीचे उतरे तो वजन कुछ क़म हुअा---मैं बाहर आ गया ।"

"'क्या बकता है वे चमार चोट्टी के ?" बागारोफ़ दहाड़ा----"अवे साले, हमें क्या हाथी का बाप समझ रखा है ?"

" हाथी का नहीं बुजुर्ग मियां, हथनी का ।"

ओंर-बागारोफ झपट पड़ा उस पर ।



किन्तु टुम्बकटू छलावा !!!!

उसके जिस्म को छू लेना ही एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ने के वरावर था ।। वह भला बागारोफ के हाथ कब अाने बाला था ? नतीजा यह कि टुम्बकटू अागे और बागारोफ पीछे ! बागारोफ को उसने न जाने जितने चक्कर लगवा दिए ।



तब जबकि चमन के नागरिकों ने टुम्बकटू की आवाज सुनी थी, तो कांप उठे थे ।




मगर जब उसे देखा तो मुस्करा उठे ! मुस्कराते भी क्यों नहीं ?



दुनिया का सबसे बडा कार्टून जो उनके सामने था---किसी गन्ने जितना मोटा आदमी ! जिस्म पर एक कोट झूल रहा था ।




ऐसे जैसे किसी हैंगर पर झूल रहा हो । दुनिया का एक भी रंग ऐसा नहीं था जिसे उस में न देखा जा सके । चमन के साधारण नागरिकों के लिए यह एक नमूना ही था ।



दुम्बकटू चन्द्रमानव ! कहता है कि यह चन्द्रमा का सबसे मोटा-ताजा आदमी है, वेहद खतरनाक ! इतना कि जब यह विवाद उठा कि अन्तर्राष्टीय सीक्रेट सर्विस का चीफ कौन बने तो फैसला यह हुआ था कि जो टुम्बकटू की जांध से फिल्म निकाल लेगा वहीँ चीफ बनेगा ।

***** सीक्रेेट सर्विस का चीफ कौन चुना गया । उसे चुनने की क्या प्रक्रिया हईं ? और भी कई सबालों के जबाब के लिए पड़े-
सबसे बड़ा जासूस और चीते का दुश्मन' । ******


हां ऐसा ही खतरनाक था वह गन्ने जैसा व्यक्ति !


किन्तु इस वक्त तो चमन के साधारण नागरिकों को हंसा-हंसाकर लोट-पोट कर रखा था उसने । हंसते भी क्यों नहीं, समय ही ऐसा था । कुछ ही देर बाद बागारोफ की सांस फूल गई ।


एक जगह खड़ा होकर वह किसी हब्शी की तरह सांस लेने लगा ।।



उसके ठीक सामने गन्ने की तरह लहराता टुम्बकटू बड़े अदब से झुका हुआ कह रहा था----"आदाब अर्ज है, बुजुर्ग मियां सच कहता हूं आज अगर तुम मुझें पकड़ नहीं सकैं तो बच्चों की चाची का हवाई जहाज बना दूगा ।"


एक कदम भी भागना अब बागारोफ को जैसे असम्भव नजर जा रहा था ।




अपनी जगह पर खडा हुआ वह टुम्बकटू को उल्टी सीधी गालियां बकता रहा । उनकी झड़प से दरबार में मौजूद हर आदमी जैसे यह भूल गया कि वतन के पास ही वतन से ऊचे सिंहासन पर एक लाश बैठी है-फलबाली बूढ़ी मां की लाश ।

काफी देर बाद अलफांसे ने कहा---"मिस्टर टुम्बकटु यहाँ क्या करने अाए हो तुम ?"




"अबे बाह अन्तर्राष्टीय !" टुम्बकटू ने लहराकर कहा…"साले हमारी-तुम्हारी बिरादरी का एक भाई राजा बना है, ओर तुम कहते हो कि हम यहा क्यों अाए हैं ? अवे शुश होने अाये कि हमारे बिरादरी भाई अब ऐसे राजा बनने लगे हैं जिन्हें दुनिया के राष्ट्र मान्यता दें ।"



"मिस्टर कार्टून ।।" गुर्रा उठा अलफांसे---"वतन मुजरिम नहीं है ।"




"अजी कैसे नहीं है ?"





"मुझे भी शायद बच्चा समझ रखा है ?" कहने के साथ ही अलफासे संतुलित कदमों से उसकी तरफ बढ़ गया…“हम दोनों मुजरिम हैं अगर वतन को बिरादरी भाई कहा तो तुम्हारे इस . गोन्ने जैसे जिस्म को धुटने पर रखकर तोड़ दूंगा ।"



" ठहरो चचा ।।" इससे पहले कि टुम्बकटू कुछ बोलता, सिंहासन पर बैठे वतन ने कहा…"कार्टून चचा ने गलत नहीं कहा है । मुजरिम तो हूं ही मैं ! सच, खुद को मुजरिम मानता के लेकिन साथ ही यह दुआ भी करता हूं कि जहां भी जुल्म हो भगवान वहा मुझ जैसा एक मुजरिम जरूर पैदा कर दे ।"



अत्तफांसे ठिठका, वतन की तरफ पलटकर बोला -"कैंसी बातें कर रहे हो वतन ! तुम मुजरिम नहीं हो ?"




"आपके मानने और कहने से हकीकत नहीं बदल जाएगी चचा !" वतन ने कहा…"आवश्यक है कि महान सिंगही का चेला मुजरिम ही हो । बेशक अपने वतन को मैंने मुजरिमाना ढंग से ही आजाद क्रिया है । दुनिया की नजरों मैं मुजरिम हूं और सच--मुजरिम ही रहना चाहता हूं ।। हा, तो मिस्टर टुम्बकटू क्या चाहते आप, किस ,इरादे से यहा अाए हैं ?"



"एक ऐसे बिरादरी-भाई को मुबारकबाद देने जो जब एक आजाद मुल्क का राजा है ।" सिंहासन की तरफ़ बढते हुए टुम्बकटू ने कहा--" हम भी तुम्हारे राजतिलक में भाग लेने अाए हैं ।"


सिंहासन की सीढ़ियों पर चढ़कर वह वतन के करीब पहुंचा । लहराकर उसने अपना अंगूठा थाली में रखी रोली की तरफ बढाया ही था कि… अचानक, सब चौंक पड़े ।।
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03-25-2020, 12:36 PM,
#12
RE: antervasna चीख उठा हिमालय
प्रिंसेज जैकसन



ज्यादातर की तो चीखे निकल गयी । देखने वालों ने देखा--- एक लाल किरण टुम्बकटू के गन्ने जैसे जिस्म के चारों तरफ लिपट गई । टुम्बकटू के मुह से कोई आवाज भी नहीं निकल सकी कि उसका जिस्म हबा में उड़ता चला गया ।




" तुमसे पहले वतन का राजतिलक मैं करूगी मिस्टर कार्टून ।" हर व्यक्ति को ऐसा लगा जैसे उसके कानों में शहद' उंडेला जा रहा हो ।




" हाय मेरी स्वप्नसुन्दरी ।" टुम्बकटू का दिल यह नारा लगाने के लिए मचल उठा । परन्तु क्या करता ? मजबूर था बेचारा । किरण में कैद वह दरबार की गुम्दनुमा छत के करीब हवा में लटक रहा था । इस वक्त कुछ बोलना या अपने जिस्म के किसी अंग को हिलाना उसके बश में नहीं था ।





"हाए मम्मी, कहां हो तुम नारा विजय ने लगाया---" दर्शनअभिलाशियों को दर्शन तो दो ।"





" जरूर ।।" इस खनखनाती आवाज के साथ ही एक तेज़ झनाका हुआ । "


प्रिंसेज जैकसन की विशेषता न जानने वाले लोग दहल उठे । दरबार के एक कोने में अाग का शोला लपलपाया । चक्कर खाकर अाग का शोला हवा में गायब, दरबार में हर इन्सान की निगाह उधर ही जमी हुई थी । फिर देखने बालों ने देखा, तो देखते ही रह गए ।। विश्व की सर्वाधिक सुन्दऱी उनके सामने थी…प्रिंसेज जैकसन ! सोन्दर्यं को भी सजा वाली सुन्दरता । दूध जैसा गोरा रंग, ऐसा कंठ कि शराब का एक घूंट भरे तो गले के बाहर से ही अंदर की शराब चमके ! गोरे मस्तक पर झिलमिलाती एक काली बिंदिया । मस्तक पर मुकुट ।



लोग उसे ही रह गए---अपलक !



पलक मारना ही जैसे मूल गए थे ।



प्यारी-प्यारी चमकीली आखें सिंगही पर जमी, गुलाबी अधरों मैं कम्पन हुआ…"महामहिम को मेरा प्रणाम ।"



सिंगही ने गर्दन अकड़ाकर सिर झुकाया ।



अलफांसे की तरफ देखती हुई जैकसन बोली---" क्या मिस्टर अलफासे को मेरे आगमन की खुशी नहीं हुई ?"



‘"अंक्रल को खुशी क्यों नहीं होगी आण्टी ?"' अलफांसे से पहले विकास बोल पड़ा---" तुम आण्टी हो मेरी और ये अंकल, अब अाप खुद ही समझ सकती हैं कि आपका और इनका क्या रिश्ता है । इस रिश्ते में अगर किसी को किसी का इन्तजार भी हो तो सबके सामने नहीं कहा जाता ।"

बड़े ही आकर्षक ढ़ंग से मुस्कराई जैकसन, बोली ----" हम तो तैयार हैं तुम्हारे अंकल के साथ । इन्हें तैयार करो । "




" मुबारक हो लूमड़ भाई ।" विजय ने नारा लगाया ---" यानी कि भाई से तुम हमारे बाप वनने जा रहे हो ।"



अलफांसे मुस्करा कर रह गया ।।



" अपने हाथों से टीका वतन के मस्तक पर टीका लगाओ प्रिंसेज जैकसन ।" सिंगही ने कहा ---" मेरा बच्चा आज राजा बना है ।"



" जरूर महामहिम , इसीलिए तो यहां आने का कष्ट किया है ।"



कहने के साथ ही प्रिंसेज जैकसन सिंहासन की तरफ बड़ी ।



कुछ लोग प्रिंसेज जैकसन के सौंदर्य को आश्चर्य के साथ देख रहे थे ।


कुछ लोग हबा में लटके हुए टुम्बकटू को देखकर हंस रहे थे ।



वतन के करीब पहुंच कर प्रिंसेज जैकसन ने उसके मस्तक पर तिलक किया ।।



वतन ने झुक कर चरण स्पर्श किये ।



विजय ने कहा -"मम्मी । कार्टुन को तो उतारो । "



" जरूर ।" प्रिंसेज जैकसन ने कहा और एक झटके के साथ लाल किरण मुकुट मे समा गई ।



टुम्बकटू कलाबाजियां खाता हुआ फर्श पर पहुंचा ।


उसने भी मस्तक पर तिलक किया ।


इसके बाद -- चमन के हर नागरिक ने बतन को टिका किया ।।


राजतिलक के कार्यक्रम के बाद सिंगही, प्रिंसेज जैकसन , टुम्बकटू जिस तरह आये थे , उसी तरह चले गये ।।


यह कार्यक्रम रात के दो बजे समाप्त हुआ ।।



तीन बजे शुरू हुई बूढ़ी मां की शवयात्रा ।।


फिर सुबह के छः बजे थे जब दादी मां के जिस्म का दाह संस्कार किया गया ।।



तब वतन ने धोषणा की ---" आज शाम चार बजे हमारा राष्ट्र , राष्ट्र के दुश्मन को सजा देगा जिसने हमें बीस साल गुलाम बना के रखा । हम सब पर तरह तरह के जुल्म किये । मेरी अपील है आप सब राष्ट्रपति भवन पर शाम को एकत्रित हों । वह दुश्मन कौन है आप सब समझ गये होंगें - मैग्लीन । शाम चार बजे उससे उन जुल्मों का हिसाब लेंगें जो उसने हम पर किये ।
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03-25-2020, 12:37 PM,
#13
RE: antervasna चीख उठा हिमालय
और इस वक्त दौपहर का एक बजा था ! राष्ट्रपति भवन के एक विशेष कक्ष में वतन, विकास, विजय, अलंफासे, पिशाचनाथ, बागारोफ, धनुषटकार और अपोलो मौजूद थे ।


विकास से मुखातिब होकर वतन ने पूछा था…"वया तुम बता सकते हो कि मैग्लीन को क्या सजा देनी चाहिए ।"



"प्यारे बटन !" विकास के कुछ जवाब देने से पहले ही विजय बोल पड़ा था…"इससे तरीका मत पूछो । ये तरीका तो बताएगा मार्के का, लेकिन पसन्द नहीं अाएगा ।"



"'क्यों भला ?" गम्भील स्वर में वतन ने पूछा…"तरीका अगर अच्छा होंगा तो मुझे पसन्द क्यों नहीं अाएगा ?"




"वटन वारे !" अपनी ही टुन्न में विजय ने कहा-----"' मामला यह है कि तुम दोनों हो बिल्कुल न्यारे, नहीं समझे न -खैर, हम समझाते हैं । बात यह है कि ये साला दिलजला पूरा हिंसावादी है । दुश्मन को चीर-फाढ़कर उसकी खाल में मिर्च भरने के अलावा यह कुछ नहीं जानता और एक तुम हो-बिलकुल इसके विपरीत यानी अहिंसावादी, हिसा से बेहद नफरत करने वाले, फिर भला इसका तरीका तुम्हरे दिमाग में कैसे फिट होगा ?"




-"चचा ।" वतन ने बिल्कुल शान्त और गम्भीर स्वर में जवाब दिया----" इतना तो इाप समझ ही गए हैं कि उन अहिंसा के पुजारियों में से नहीं हूं कि जिनके गाल पर अगर कोई एक थप्पड मारे तो दूसरा और तीसरा...चौथा अागे का दें । अहिंसा को सिर्फ इतना मृहत्व देता हूं कि एक गाल पर थप्पड़ खाकर दूसरा अागे कर दूगा लेकिन अगर तीसरी बार कोई वार करे तो महान सिंगहीँ के चरणों की कसम हाथ तोड़ डालूंगा उसके । आज के जुग में बह अहिंसा, जिस पर महात्मा गांधी चले थे, बुजदिली है । सीधा सा सिद्धान्त है कि जब तक अहिंसा से काम चले,चलाओ, लेकिन जब अहिंसा बुजदिली का रूप धारण करने लगे तो ईट का जवाब पत्थर से दो ।"



"कहने का मतलब यह हुआ वतन प्यारे कि तुम आधे अहिंसावादी हो ।" विजय वे कहा---"‘मगर प्यारे, बात कुछ जमी नहीं----या तो गान्धी ही बन जाओ या सुभाष---भगतसिंह ही । ये फिफ्टी-फिफ्टी बनने से वंया लाभ ?'"'




"चचा !" वतन का पुन: गम्भीर स्वर----"' साफ शब्दों में मेरे सिद्धान्त को तुम यूं समझ सकते हो कि पहले घी को सीधी उंगली से निकालने की कोशिश करो । न निकले तो-फौरन उंगली को टेढ़ी कर लो ।"




"कहने का मतलब यह कि मैग्लीन को तुम हिंसात्मक सजा भी देने के लिए तैयार हो?"



" मैग्लीन को सजा देने की एक तरकीब है मेरे पास ।" विकास ने कहा ।



" क्या ?"



जबाव में विकास ने उस सोफे के नीचे' से, जिस पर वह बैठा था, एक मुगदर निकाला । यह देखकर सब दंग रह गए कि यह मुगदर हडिडयों का वना हुआ था, "यह मुगदर तुम्हारी मां और वहन की हडिडयों का वना है, वतन ! आज सारे दिन की मेहनत के वाद मैं इसे वना पाया हूं । तुम्हारी माँ और वहन की हडिडयों के टुकडों को मैंने फेबीकॉल से जोड़ा है । मेरे दिमाग ने कहा है कि मैग्लीन एकमात्र सजा यह मुगदर ।"



हडिडयों के उस मुगदर को देख-कर वतन के मस्तक पर एक बल पड़ गया।



एक क्षण वह ठिठका और बिकास को देखता रहा, फिर भर्राया स्वर…‘बिकास तुमने मेरे दिल की बात कहीं है ।"



" अबे , मुगदर तो सजा है लेकिन इसका उपयोग कैसे होगा ?"




जवाब में विकास सबको बताने लगा कि इस मुगदर के जरिये मैग्लीन को किस किस्म की सजा दी जाएगी । सभी ने सुना और सहमत हो गये ।



ठीक चार बजे-विकास-विजय और अलफासे के घेरे में कैद अाया मैग्लीन ! उसे मैदान में लाया गया । वतन से हाथ जोडकर उसने माफी मागीं तो वतन ने जवाब दिया था’--"मुजरिम तो तुम चमन के नागरिकों के हो । माफ करने का अघिकार मुझे कहां ? "

चीख-चीखकर मैग्लीन ने चमन के नागरिकों से माफी चाही ।
किन्तु हर आंख में मैग्लीन के लिए नफरत थी । उसे किसी ने माफ नहीं किया । मैदान के ठीक बीच में उसे ले जाकर हाथियों के साथ बांध दिया गया । लम्बी रस्सी के बीच का कुछ भाग उसके बदन पर लिपटा हुआ था । एक सिरा मेैग्लीन के दाईं तरफ खडे ह्रथी में जिस्म में ’बंधा था तो दूसरा बाई तरफ खडे हाथी के जिस्म में ।।



पहले वतन ने जनता को खामोश होने का संकेत दिया ।



खामोशी के बीच उसकी आवाज गूंज उठी…"मेरे प्यारे देशवासियों ! यह मुजरिम जो इस वक्त हाथियों के बीच बंधा खड़ा है, मुझ अकेले या चमन के क्रिसी एक नागरिक का मुजरिम नहीं, बल्कि हम सबका मुजरिम है । हमारे देश को गुलाम बनाकर इसने हम सब पर जुल्म किये हैं । अत: हम सभी इसे सजा देने के बराबर हकदार हैं । इसे सजा देने के लिए मेरे दोस्त विकास ने यह हथियार बनाया है ।"



वतन हडिडयों के उस मुगदर को हवा में उठाकर सबको दिखाता हुआ बोला----"मेरी मां और वहन की अन्तिम निशानी यानी उनकी हडिडयों से वना है । इस कुत्ते की इससे ज्यादा बढकर क्या सजा हो सकती है कि यह मुगदर चमन के
हर निवासियों के हाथ में जाए और सभी एक-एक मुगदर इस हरामजादे 'के जिस्म पर मारे ।"


"नहीँ ।" चीख़कर रो पडा मैग्लीन ।


चारों तरफ से हंसी का एक फव्वारा छूट गया । वतन कह रहा था---"हर नागरिक को इस जुल्मी पर इस का सिर्फ एक बार करने का हक प्राप्त है । यह आपकी ताकत पर निर्भर है कि एक बार अाप कितना शक्तिशाली कर सकते हैं । सबसे पहला वार मैं स्वयं करूगा ।"



और…वतन मैग्लीन के नजदीक पहुचा ।



"वतन ! मुझे माफ कर दो बेटे... माफ कर दो बेटे ।" वतन के मस्तक पर वल पड गया, गुर्रायाृ-"मेरे पिता अगर वे गुनाह करते जो तूने किए है, तो इस मुगदर की कसम, उसे भी भयानक सजा देता मैं ।।" कहने के साथ ही बिजली की-सी गति से वतन का' हाथ चला और उसकी मां और बहन की हडिडयों से वनी मुगदर भड़ाक से मैग्लीन के चेहरे पर टकरायी ।


मैग्लीन उस जिन्दे पक्षी की तरह चीख पड़ा जो पर कटते ही अाग में जा गिरा हो ।



उसके चेहरे के विभिन्न भागों से खून के फव्वारे छूट पड़े ।। वतन ने मैग्लीन के चीखते हुए खून से लथपथ चेहरे को देखा , फिर घृना से थूक दिया उस पर बोला ---" एक आदमी सिर्फ एक मुगदर मारेगा तुझे , गिन सके तो गिनना । मुगदरों की गिनती से तुझे पता लगेगा कि तूने कितने आदमियों पर जुल्म किए हैं ।।"


कहने के बाद मुगदर वहीं जमीन पर रख दिया ।।
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03-25-2020, 12:37 PM,
#14
RE: antervasna चीख उठा हिमालय
भीड़ से एक आदमी आता , मुगदर उठाता और अपनी पूरी शक्ति से मैग्लीन पर बार करता ।


बच्चे भी आये, महिलाऐं भी आयीं ।।


एक ऐसी मां आई जिसके बेटे को मैग्लीन ने मारा था ।। मुगदर की एक चोट अपने बेटे के हत्यारे पर करके जैसे मां की आत्मा को शान्ति ना मिली हो। जोश में चीखती हुई वह पागलों की तरह मैग्लीन के जिस्म पर मुगदर बरसाती ही चली गई ।



आगे बढ़कर विकास उसे रोक ना लेता तो शायद वह अकेली ही मैग्लीन को मार डालती ।।


एक विधवा आई तो उसने जैसे प्रण कर लिया अपने सुहाग के हत्यारे को वह मार ही दम लेगी । विकास ने उसे भी रोका ।


इस तरह मैग्लीन चीखता रहा , लेकिन किसी के दिल में उसके लिए रहम नहीं था ।। पिटता पिटता लहू लहान हो गया ।



कहां तक सहता मैग्लीन ? मार खाता खाता बेहोश होता तो पिशाचनाथ उसे लखलखा सुंघा कर होश में ले आता ।।।


पुनः वही क्रम !


अभी तो एक हजार नागरिक भी अपना अधिकार पूरा नहीं कर पाये थे कि मैग्लीन मर गया ।।



उसके मरने के बाद भी चमन के नागरिकों को उस पर रहम ना अाया । बहुत से लोगों के दिलों में तो प्रतिशोध की एेसी आग भड़क रही थी कि मुगदर के वार मैग्लीन की लाश पर भी वार करने से बाज ना आए ।।



फिर वतन के कहने पर सब लोग रूके ।।


सब ने वतन से मांग की थी मैग्लीन की लाश को यहां से उठाया ना जाये बल्कि यही सड़ने दिया जाये ।


हालांकि वतन चाहता नहीं था किन्तु यह मांग उसे माननी ही पड़ी ।


अौर फिर शाम को चमन के एयरपोर्ट से दो विशेष विमान उड़ान भर लिये । एक रूस के लिये तो दूसरा भारत के लिये ।।


आजादी के सिर्फ छः माह पश्चात ----


चमन ने पूरे विश्व को चौंका दिया ।


विश्व में प्रकाशित वतन के स्टेटमेंट ने एक बार तो बुरी तरह सारी दुनियां को चौंका दिया ।


अमेरिका रूस , ब्रिटेन , चीन और भारत जैसे महान राष्ट्रों को तो जैसे यकीन ही नहीं आता ।


इतने अल्प समय नें-इतनी जबरदस्त प्रगति ।


निश्चय ही संसार को अस्वाभाविक-सी लगी थी ।


यूं तो समूचा विश्व देख रहा था कि आजादी मिलते ही वतन के नेतृत्व में चमन ने तीव्र वेग से प्रगति के मार्ग पर अग्रसर होना शुरू कर दिया था । इस छोटे से राष्ट्र ने बड़ी तेजी से प्रगति की थी ।




मगर ये स्टेटमेंट--वतन के स्टेटमेंट ने पूरे विश्व में एक हलचल-सी मचा दी थी ।


विश्व के लगभग सभी प्रमुख समाचारपत्रों का मुख्य शीर्षक था ।





विश्व के लगभग सभी प्रमुख समाचारपत्रों का मुख्य शीर्षक था ।



" विज्ञान की दुनिया में एक नया चमत्कार !"



चमन के राजा मिस्टर वतन ने एक ऐसे अजीबो गरीब यंत्र का आविष्कार किया है जिससे ब्रह्मांड में बिखरी आवाजों को समेटा जा सके ।"



अब आयेगा मजा हर कोई यंत्र को पाने के लिये मैदान में उतरेगा ।
वतन का स्टेटमेंट यों था ।



'कहते हैं कि इन्सान मर जाता है लेकिन इन्सान की आत्मा कभी नहीं मरती । आत्मा अज़र अमर है । आज का युग वैज्ञानिक युग कहलाता है ।

कहते हैं कि दुनिया ने किसी भी युग, में उतनी तरवकी नहीं ली जितनी कि इस युग में की है किन्तु मैं इस विचार-से सहमत नहीं, बल्कि मेरी धारणा तो यह है कि आधुनिक वैज्ञानिक युग में मौजूद विज्ञान का हर प्राचीन विज्ञान की नकल है, और अभी उस विज्ञान से हम वहुत पीछे हैं । हमने परमाणु और न्यूट्रॉन बम तो वना लिए किन्तु क्या वैसा ऐसा हथियार वना सके जैसे भारत के महान ग्रंथ 'महाभारत' में बभ्रुवाहन के पास था ? कदाचित कुछ लोगों को पता न होगा कि . किस हथियार की बात कर हूं ?



बभ्रुवाहन महाभारत काल का एक योद्धा था । वह अपने घर से कोरबों की तरफ से युद्ध करने निकला था ।


श्रीकृष्ण जानते थे कि अगर वह युद्धस्थल में पहुंच गया तो निश्चय ही पाण्डवों की पराजय होगी ।



तभी तो रास्ते में श्रीकृष्ण ने उसे रोककर पूछा…तुम कहाँ जाते हो ?"



…‘"महाभारत के युद्ध में हिस्सा लेने ।'" बभ्रुवाहन ने जवाब दिया ।


किसकी तरफ से युद्ध करोगे ?' ' .


…"हारने बालों की तरफ से !"


नीति-निपुण बासुरी का जादूगर मुस्कराया, बोला---" उस युद्ध मे भला तुम्हारी क्या बिसात है ? वहा कर्ण, दुर्योधन, अर्जुन और भीष्म पितामह जैसे जोद्धा है । उन योद्धाओं के समक्ष भला तुम क्या कर सकोगे? "


'जो भी हो ।' उसने कहा…'मेरी मां ने मुझे इस आज्ञा के साथ भेजा है के मैं हारने वालों की तरफ से युद्ध करू ।
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03-25-2020, 12:38 PM,
#15
RE: antervasna चीख उठा हिमालय
माखनचोर तो सारी वास्तविकता जानते थे । दुनिया के सबसे बड़े राजनीतिज्ञ ने उसे अपने शब्दजाल में फंसाया-वड़े बेवकूफ हो तुम । मां ने कहा और तुन युद्ध के लिए निकल पडे । हम तो देख हैं है कि तुम्हारे तरकश में तीर भी सिर्फ तीन ही हैं ।
युद्ध क्षेत्र मे पहुचने कुछ ही देर बाद तुम्हारे ये तीनों तीर खत्म हो जाएंगे, फिर क्या करोगे ?



गर्व से मुस्कराया बभ्रुवाहन, बोला…'मेरे पास तीन तीर है महाराज ! मुझे मालूम है कि मुझे दूसरा तीर प्रयोग करने की भी जरूरत नहीं पडे़गी । मैं एक ही तीर से सारे दुश्मनों का संहार कर दूंगा ।'



चतुर कृष्ण ने आश्चर्य प्रकट किया…"कैसी बेवकूफी की बात कर रहे हो ? भला यह कैसा तीर है जो संबक्रो एकसाथ मार देगा ?'


'मेरे तीर में ऐसी ही विशेषता है महाराज !' उसने कहा --- और यह सुनकर चौंकेंगे के सबको मारने के बाद भी मेरा तीर नष्ट नहीं-होगा बल्कि सुरक्षित वापस मेरे तरकश में आ जाएगा ।'


-"शायद कोई बेवकूफ ही तुम्हारी इस बात पर यकीन कर सकता है ।'



मुस्कराकर बभ्रुवाहन ने कहा-'युद्ध क्षेत्र में आप स्वयं देख लीजिएगा ।'



तुमने बात कुछ ऐसी कही है कि हम उस पर यकीन नहीं कर सकते ।' कन्हैया ने कहा…"और न ही युद्ध होने तक प्रतीक्षा कर सकते हैं ।‘




" गर्व में फंसे बभ्रुवाहन ने कहा-'तौ फिर आपको मेरी बात की सच्चाई का यकीन कैसे हो ?'



मन-हीँ-मन मुस्कराए मनमोहन । नीति-निपुण ने समीप के ही एक इमली के पेड़ की ओर संकेत करके कहा 'इस पेड़ को देखो, अगर तुम्हारे धनुष से छोड़ा गया एक ही तीर इस वृक्ष के सारे पतों को बेंधकर तरकश में वापस आ जाए तो मुझे तुम्हारी बात का यकीन हो जाएगा ।'



अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए आतुर बभ्रुवाहन ने सहर्ष माखनचोर की यह वात मान ती । उसने तीर छोड़ा ।



कृष्ण तो जानते ही है कि क्या होना है । उधर बभ्रुवाहन का तीर दरख्त के एकएक पते को बेंधने लगा और इधर माखनचोर ने उस दरख्त का एक पत्ता बभ्रुवाहन की दृष्टि बचाकर अपने पैर के नीचे दवा लिया ।।


अपनी इस नीति पर सांवरा मुस्करा रहा था ।


परन्तु-अन्त में सभी पतों को वेंधकऱ तीर जब श्रीकृष्ण के पैर पर लपका तो जल्दी से श्रीकृष्ण ने पैर हटा लिया, एक क्षण के लिये भी विलम्ब हो जाता तो तीर महाराज कृष्ण के पैर को जख्मी तो कर ही देता । उस अन्तिम पते को भी बेंधने के बाद तीर सीधा तरकश में पहुच गया । उसके बाद क्या हुआ ? श्रीकृष्ण ने वध्रुवाहन को युद्ध में भाग लेने से कैसे रोका ?
यह तो महाभारत का कथानक है, और उसे यहाँ कहने की मैं कोई जरुरत महसूस नहीँ करता ।



मैं सिर्फ यह कहना चाहता हूं कि आज के बैज्ञानियों ने क्या कोई रिवॉल्वर ऐसी बना ली है, एक ही गोली से सारे दुश्मनों को माररकर वापस पुन: अपनी पूर्णशक्ति' जितनी क्षमता कें साथ रिवॉल्वर में अा जाए ?



क्या है आघनिक युग में ऐसा हथियार ? नहीं ।



तो फिर हम कैसे कह सकते है कि आज का बिज्ञान सबसे ऊंचा है ? उपयुक्त किस्म के अनेक उदाहरण देकर मैं यह सिद्ध कर सकता हू प्राचीन युग विज्ञान के मामले में आधुनिक युग से पीछे नहीं बल्कि कुछ आगे ही था ।



वह सभ्यता समाप्त हो गई । उस युग में क्या था, क्या नहीं--' हम पूर्णतया नहीं जानते है ।




हां , भारत के चार महान ग्रन्थ हैं----चार वेद'-उन चारों ही वेदों में अलग-अलग-चार क्षेत्रों का गहरा ज्ञान है, सब जानते हैं क्रि ऋग्वेद में विज्ञान से सम्बन्धित ज्ञान थे । उस महान भारतीय ग्रन्थ के एक-एक दोहे में एक-एक फार्मुला था । भारत का पिछला इतिहास खून से लिखा गया है । पूरा अनगिनत लड़ाइर्यों से भरा पडा है । उन्हीं लड़ाइर्यो के चक्रवात में भारत की न जाने जितनी विशेष चीजें गुम होकर रह गई । चारों वेद भी गुम हो गए ।



कुछ पता न लग सका कि कौन कौन-सी लडाई में उन वेदों की प्रतिलिपियां किसके हाथ लगी ।



सम्भावना यह प्रकट करते हैं कि कोई भी उन वेदों की मूल प्रतिलिपि न'कब्जा सका । वे महान ग्रन्थ पृष्ठों में बदल गए । कोई पृष्ठ किसी के हाथ लगा और कोई पृष्ठ किसी के । अत: उन महान ग्रन्धों में जो ज्ञान था, वह पूर्णतया किसी को भी प्राप्त न हो सका । उस लूटखसोट से संस्कृति का जो ज़र्रा--ज़र्रा जिसके हाथ लगा, वह ले उड़ा ।



ऋग्वेद का भी यही हाल हुआ ।



उसके भी विभिन्न पुर्जे लोगों के हाथ लगे ।



और आज-मेरा बिश्वास है कि आधुनिक युग में जितने भी चमत्कृत करने वाले आविष्कार है, उसमें ज्यादातर का आइडिया उसी ऋग्वेद में से लिया गया है । मेरे विचार से कहीं किसी ने कोई नई बात नहीं निकाली है, आधुनिक युग का समूचा विज्ञान ऋग्वेद की देन है ।


मेरा यह आविष्कार' जो मैंने क्रिया है-यह भी ऋग्वेद की देन है ।



अब सुनिये कि मैंने यह आविष्कार कैसे किया ?


मुझे अपने माता-पिता और बहन से बहुत प्यार था । फलवाली बूढी दादी मां से भी असीम प्यार करता था । न जाने क्यों मेरा दिल चाहता था कि मैं अपने माता-पिता की आवाज पुन: सुनूं



बचपन में मेरी बहन से जो बातें हुंई थीं…उन्हें सुनू ?



लेकिन...सवाल यह था कि कैसे ?



कैसे मैं उनकी बातें सुन सकता हूं ?


आवश्यकता आविष्कार की जननी है ।

मुझे याद अाया--ऋग्वेद में लिखा है कि आवाज कभी नहीं मरती । आवाज आत्मा की तरह अजर अमर है । हम जो कुछ बोलते हैं, आज तक जितने भी इन्सानों ने जो कुछ बोला है, वह " ब्रह्मंड में सुरक्षित है । ऋग्वेद में लिखी इस जानकारी से भी कहीं
ज्यादा मेरा अपना विचार था कि व्रह्मांड में न सिर्फ यह सुरक्षित है जो इन्तान ने बोलता है बल्कि इससे भी ज्यादा यह भी सुरक्षित है जो कभी किसी ने सिर्फ सोचा है, बोला नहीं है । ऋग्वेद ईंसी जानकारी और माता-पिता की आबाज सुनने की आवश्यकता ने मुझे यह प्रेरणा दी कि क्यों न मैं किसी यन्त्र का आविष्कार करूं जिससे ब्रह्माण्ड में बिखरी अपने माता-पिता, बहन और फलबाली दादी मां की आबाज समेट सकू। मैं किसी ऐसे यन्त्र का आविष्कार करने में व्यस्त हो गया ।

इस यन्त्र को बनाने का विचार मेरे दिमाग में चमन की सत्ता संभालने के दो महीने बाद अाया था, अत: चार महीने में मैंने अपनी लगन, परिश्रम और प्रतिभा से वह यन्त्र बनाने में सफलत अर्जित कर ली है ।




आज़ अपने-वनाए इस यन्त्र के माध्यम से मैं खोई हुई आवाजें स्पष्ट सुनता हू!


बस, जब इस यन्त्र में एक और विशेषता यह भी भरनी है यह ब्रह्माण्ड से आवाजों के अलावा उन विचारों को भी समेट ले जो अभी मेरे माता-पिता ने सोचे थे । उम्मीद है, सारी दुनिया क्रो मेरा यह आविष्कार पसन्द आया होगा ।


हर समाचार-पत्र में इसी अाशय का समाचार था ।
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03-25-2020, 12:38 PM,
#16
RE: antervasna चीख उठा हिमालय
अलग-अलग अखबारों ने अपनी अलग-अलग शेली-में यह खबर दी थी ।


इस खबर ने'सारी दुनिया में जैसे एक हलचल सी मचा दी ।


चीन, अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, भारत, पाकिस्तान इत्यादि दुनिया के सभी राष्ट्र चोंक पड़े ।


खुद को बहुत धुरन्धर वैज्ञानिक समझने वालों की तो खोपड़ी ही झन्ना गई।
सोचने लगे…यह महान आविष्कार हमारे पास क्यों नहीं है । जिस दिन यह समाचार अखबार में प्रकाशित हुआ था, उस दिन विकास को झंझोड़कर धनुषटंकार ने ज़गाया था ।



धनुषटकार के जगाने पर विकास चौंका ।


यह पहला ही मौका था कि जब धनुषटंकार ने उसे सोते से जगाया था । अभी उसने आंखें खोली ही थी, कि उसकी नजर अपनी आंखों के सामने पडे हुए एक अखबार पर पडी, नीद से भरी मिचमिचाती आंखों से उसने वे शब्द पढे जो-अखवार में उसे सबसे ज्यादा मोटे चमके थे । लिखा था…


------चमन के राजा वतन का आबाजों पर कब्जा ।


चौंक कर उठ बैठा विकास !


'जल्दी-जल्दी यह सारी खबर पढ़ गया, पड़ने के बाद उसने' धनुषटंकार की तरफ देखा । बेड के समीप ही एक 'कुर्सी पर बैठा धनुषटंकार बड़े आराम से सिगरेट के सुटॄटे लगा रहा था ।



विकास को अपनी ओर देखकर वह मुस्कुराया, मुस्कराने के प्रयास में बन्दर के मुंह की अजीब-सी आकृति बन गई ।


खुशी की एक किलकारी के साथ विकास को उसने आंख भी मारी और हाथ बढा दिया । विकास ने गर्मजोशी के साथ हाथ मिलाया । वह उसकी खुशी का अनुमान लगा सकता था कि अखबार में अपने भाई वतन की इस सफलता के विषय में पढकर मोण्टी को कितनी खुशी हुई होगी ।।

…तभी तो हाथ मिलाते हुए विकास ने उससे कहा---"बधाइं हो मोण्टो ?"


और खुशी में उछलकर धनुषटंकार विकास की गर्दन पर लटक गया और उसके चेहरे पर बेशुमार चुम्बन लेने लगा ।




विकास सोचने लगा-कैसा मजबूर है मोण्टो । जुबान से अपनी खुशी भी जाहिर नहीं कर सकता। न जाने कब तक वह विकास का चेहरा चूमता रहा, अगर उसी वक्त फोन की घण्टी न बज गई होती, वह विकास से अलग हुआ , विकास ने रिसीवर उठाया और बोला---" यस ,मैं विकास बोल ' रहा हूं ।"


" रोका किसने है---बोलते रहो ।" दूसरी तरफ से आवाज आई ।



" कौन, गुरु ?" बिकास ने कहा-"गुरु आपने आज का अखवार पढ़ा हैं" -



"पढा नहीं प्यारे, बल्कि यूं कहो कि चाट लिया है ।" विजय ने कहा ---" जिस लिये तुम पूछ रहे हो, वह खबर भी हमने पढ ली है ।"

-'"तो फिर बधाई हो गुरु !" विकास ने कहा"--"वाकई मानना पडेगा कि वतन दुनिया का सबसे बहा वैज्ञानिक है । उसका पहला आविष्कार यानी समुद्र के पानी से असली गोल्ड जैसा ही नकली गोल्ड बनाना तो तारीफ के लायक था ही, लेकिन यह,यह ब्रह्माण्ड में बिखरी आवाज को. समेटना-वास्तव में गुरु, वतन इस युग में सबसे महान वैज्ञानिक है ।"



"और इस दूनिया का सबसे बड़ा मूर्ख भी वही, प्यारे दिलजले?" विजय कहा ।




-"क्या मतलब नं गुरु ?" विकास चौंका ।




…"कई बार कहा प्यारे दिलजले कि जब तक मूंग की दाल में भीमसेनी काजल डालकर खाना शुरु नहीं करोगे तब तक हमारी बातों का मतलब तुम्हारी समझ में ना अायेगा । फिर भी अगर मतलब समझना चाहो तो हमारे दौलतखाने पर अा जाओ ।" इतना कहने के साथ ही दूसरी तरफ से विजय ने सम्बन्ध विच्छेद कर दिया ।

"क्या बात है गुरू, आप कुछ सुस्त से क्यों हैं ?" विकास के रिसीवर क्रेडिल पर रखते ही धनुषटंकार ने लिखा हुआ एक कागज का टुकडा उसकी आंखों के सामने का दिया ।



………"गुरु का कहना है मोण्टो प्यारे कि इस दुनिया में वतन से ज्यादा बढकर मुर्ख कोई नहीं ।" विकास ने कहा ।


धनुषटंकार चीखकर इशारे से पूछा-"ऐसी क्या बात हुई ?"



"बात का तो मुझे भी नहीं पता ।" विकास ने कहा---"लेकिन यह तो तुम समझते ही हो कि की बात कभी गलत नहीं होती । हम कई वार गलत सलत पर उनसे लढ़ पड़ते हैं ।--मगर थिंकिंग हमेशा उनकी ही सही निकलती है जब वतन को उन्होंने दुनिया का सबसे बड़े मुर्ख की संज्ञा _ दी है तो इसमें कोई शक नहीं कहीं ना कहीं कोई गड़बड़ जरूर है । "



-"तो क्या स्वामी के पास चलें ?" धनुषटंकार ने लिखकर पूछा ।


" बिल्कुल ।" विकास ने कहा…"बस पन्द्रह मिनट में मैं निबट लूं और फोरन चलते हैं ।"


कहने के साथ ही विकास ने सीधी जम्प बैड से बाथरूम में लगा दी ।
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03-25-2020, 12:38 PM,
#17
RE: antervasna चीख उठा हिमालय
करीब तीस मिनट बाद वे दोंनों विजय के बेडरूम में, बेड के समीप पडे़ सोफों पर बैठे विजय का मुंह देख रहे थे वे और वेड पर समाधि-सी-लगाए बैठा था विजय । विजय उन्हें इसी पोज़ में मिला था और वे दोनों विज़य के चरणस्पर्श करने के बाद सोफों पर बैठ गये थे ।

" पुर्ण सिंह !" विजय के कुछ कहने से पहले विकास चीखा ।


" आया सरकार ।" इस तरह प्रविष्ट हो गया जैसे इस बात के इन्तजार में कमरे के बाहरं ही खडा था कि कब उसे आवाज लगे और कब बह अन्दर जाए । "



" गुरु की समाधि तोड़ने के लिए जरा एक बाल्टी पानी लाओ ।"


" नलों में पानी नहीं है बच्चा ।" बिजय उसी तरह समाधी लगाए किसी सन्त की तरह बोला…"ज़ब से हमारे देश ने दूसरी आजादी पाई है तब से पानी गायब है । बिजली गायब है, ये मत समझना कि सब कुछ गायब है---है भी वहुत कुछ । गुन्डागर्दी है, महंगाई ने भी पैंतरा बदल लिया है । अब जरा सौंने को बेचकर महंगाई को उल्टा करके पंखे पर लटकाने की तैयारी है ।"



. …"मैं अभी नहाकर अाया हूं…नल आ रहे है ।" विकास ने कहा-"पूर्णसिंह, तुम पानी लेकर आओ ।"



" अजी पानी साले को क्या अाते-जाते देर लगती है ।" विजय ने कहा---"जितनी देर में तुम अपनी क्रोठी से यहाँ तक अाये हो, उतनी देर में तो पानी हमारे नलों से गायब होकर गांवों की टूयूबवेल में पहुंच चुका होगा ।



"मैंने रात पानी भरकर रख लिया था । ठण्डा भी होगा ।पीते ही मजा आएगा ।" पुर्ण सिंह ने कहा --" हुक्म हो तो लाऊं ?"



'"अबे चल नमकहराम ।” विजय ने आंखें खोल एकदम पूर्णर्सिंह को डांटा-साले, हमारा ही नमक खाता है और उसी नमक में किरकिल मिलाता है । कल्लो भटियारी की कसम, जिस तरह देश से कांग्रेस का पत्ता साफ हो गया उसी तरह अपनी कोठी से हम तेरा सफाया कर देगे " इस तरह-काफी देर तक विजय ऊबड़-खाबड़ बाते करता रहा ।

इस हद तक कि आज तो विकास भी परेशान हो गया उससे
आज सुबंह-सुबह से न जाने उसे क्या दौरा पंडा था कि हर बात' को राजनीति में घसीट लेता ।



बडी मुश्किल से बह बिज़य को लाइन पर लाने में सफल हुआ ।



जब से यह आया था, न जाने जितनी बार वया प्रश्न कर चुका था कि फोन पर वतन क्रो उन्होंने मुर्ख क्यों कहा था ?


उस वक्त विकास को राहत मिली जब विजय ने कहा …'"मूर्ख नहीं प्यारे, दुनिया का सबसे बड़ा मूर्ख कहा था ।"


" लेकिंन क्यों ?"



इसलिये कि उसने अखबारों के द्वारा अपने इस आविष्कार का दिंढोरा पीटा ।"


"क्या मतलब है ?"

" लगाता है, मूंग की दाल खाकर नहीं अाए हो ?" विजय ने कहा ।"


" मेरा कहने का मतलब यह है गुरू कि अखबारों को उस आविष्कार के बारे में बताकर उसने क्या मूर्खता की ?" विकास ने पूछा…"जब भी कोई देश बड़ा काम करता है, बह अपनी सफलता को दुनिया के सामने रखता है । अमेरिका ने जब बम बनाया----- अखबार में दिया । न्युट्रान खबर भी अखबार दी गई । रूस या अमेरिका का भी यान अन्तरिक्ष की तरफ रवाना होता है तो महीनों पहले उसृका प्रचार क्रिया जाता है । इससे विश्व के अन्य राष्ट्रों की नजर में उस देश का सम्मान बढता हैं ।"



"‘मातूम है, ऐसी ही एक मुर्खता भारतीय वैज्ञानिक डाँक्टर भावा ने भी एक बार की थी ।" विजय ने कहा-"उसने कहा था कि वह भारत के ऊपर कुछ किरणों का जाल बिछा देगा कि अणुबम भारत का कुछ नहीं सकेगा ।"



-"क्या कहना चाहते हैं आप ?-"

" इस घोषणा के बाद मालूम हैं डॉक्टर भावा का क्या अन्जाम हुआ था ?" विजय ने पूछा ।


"उनका विमान क्रेश हो गया था और वे मारे गए थे ।" विकास ने कहा ।



"डॉक्टर भावा का विमान क्रेश हुआ नहीं था प्यारे दिलजले, बल्कि क्रेश किया गया था ।" विजय ने बताया-----"पहाडी पर विमान टकराकर चूर चूर हुआ था, मालूम है, बाद में परीक्षण में पाया गया कि उस पहाडी में कृत्रिम रूप से चुम्बकीय शक्ति पैदा की गई थी । यह तो आज तक पता नहीं लग सका कि यह हरकत किस देश की थी, मगर हां यह सारी दुनिया को पता था कि डॉक्टर 'भावा' का विमान उस पहाड़ी के उपर से गुजरेगा । बस दुश्मन ने उस पहाडी में चुबकीय शक्ति पैदा की और जिस उद्देश्य ' उन्होंने यह काम क्रिया था, बह पूरा हो गया यानी उस पहाडी की चुम्बकीय शक्ति ने विमान को अपनी और खींचा और पहाडी से टकराकर विमान टुकडे-टुकडे हो गया ।"



"मगर यह कहानी को -दोहराकर अाप कहना क्या चाहते हैं ?"



"यही कि विश्व की कोई शकित किसी दूसरे ढंग से इस कहानी को दोहरा सकती है ।"

सुर्ख हो गया विकास का चेहरा, गुर्रा उठा उस नापाक शक्ति को जलाकर खाक न कर दूंगा मैं ।"


"जब वह पहले ही वतन को समाप्त कर देगी तो तुम्हारे खाक करने से क्या लाभ होगा ?" विजय ने कहा---"तुम दिमाग से काम न लेकर व्यर्थ के जोश में अाते हो प्यारे दिलजले । मैं कहता हूं कि वतन के मरने के बाद अगर तम सारी दुनिया क्रो भी जलाकर खाक कर दो तो क्या वतन लौट अाएगा ? क्या उसका बह आविष्कार लौट अाएगा जो उसने किया है ?"


विकास ने उपने दिमाग को नियंत्रण में किया, बोला--" तो क्या करें गुरू ?"
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03-25-2020, 12:42 PM,
#18
RE: antervasna चीख उठा हिमालय
" क्या कर सकते हैं हम ?"' विजय ने कहा…"जब वतन ने ही ढिढोरा पीटने की मूर्खता की है । अवे, ठीक है तुमने . आबिष्कार किया है, लेक्रिने इसमें ढोल गले में लटकाकर शोर मचाने की क्या बात है ? याद रखो'-दुनिया की महाशक्तियां कभी यह नहीं चाहतीं कि कोई अन्य देश उसके बराबर में अाए । वे भारत को ही बढता हुआ नहीं देख सकती और चमन, चमन तो अमेरिका के वाशिंगटन और रूस के मास्को से भी छोटा है । "



-"’वह तो मैं सब समझ गया गुरू, लेकिन अव सवाल तो यह है कि हमें क्या करना चाहिए ?"

" फिलहाल इस मामले में हम कोई खास हथेली तो लगा नहीं सकते । विजय ने कहा…“लेकिन हां, फिर भी जो हम कर सकते थे, हह हमने किया है । रूस, अमेरिका, चीन, और पाकिस्तान में स्थित अपने एजेन्टों को हमने सचेत कर दिया है । उनके सुपर्द यह काम दिया गया है कि वे अपनी-अपनी जगह पर दुश्मन की गतिविधियों पर नज़र रखें और तीन दिन के अन्दर रिपोर्ट भेजें । हर देश के छोटे-से-छोटे व गुप्तचर संगठन से लेकर सीक्रंट सर्विसों तक नजर रखी जा हैं । हर देश में स्थित अपने प्रत्येक एजेण्ट को यह अादेश भेज दिये हैं कि विशेष रूप से उन्हें यह ध्यान रखना है कि किस देश में वतन के इस स्टेटमेंट पर क्या प्रतिक्रिया होती है ।"



" अोह !" विकास ने कहा…"इसका मतलव फिलहाल हमें अपने एजेण्ट की रिपोर्ट का इन्तजार करना है ?"



" फिलहाल इस के अलावा हमारे पास अन्य कोइ चारा नहीं ।"



"मैं सोच रहा हूं गुरू, क्यों न मैं आज ही चमन के लिए रवाना हो जाऊं ?" विकास ने कहा ।


" वहां जाकर क्या अण्डे दोगे तुम ?"

-‘वतन की सुरक्षा के लिए तो मैं पहुंच ही जाऊंगा ।" विकास ने कहा---'"इससे ज्यादा फिलहाल वतन की क्या मदद हो सकती है?"


"इस मूर्खतापूर्ण _विचार को संभालकर अपनी जेब में रख लो, प्यारे दिलजले !" विजय ने यहा----" कुछ नहीं कहा जा सकता कि किस देश से किस एजेण्ट की क्या रिपोर्ट आ जाए । यह, फैसला हमें रिपोर्ट मिलने के बाद ही करना होगा कि हमें क्या करना ।"



-"लेकिन रिपोर्ट अाने से पहले ही चमन जाने में क्या हर्ज 'है गुरु ?" विकास ने पूछा ।



“वहीँ हर्ज है दिलजले, जो "थमसप' में चाय डालकर पीने में है ।" विजय बोला----"मियां खां , यह तो तुम भी देख ही चुके को कि वतन वह रसगुल्ला नहीं है, जिसे एकदम -हीं कोई हजम कर जाएगा । दूसरी बात ये कि न जाने कौन से देश से क्या रिपोर्ट आ जाए । यह फैसला तो सूचनाओ के आधार पर ही होगा कि हमें किया करना है । फिलहाल तो यह भी पता नहीं कि इस केस के संबन्ध में हमें चीन, अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, चमन या दुनिया के किसी अन्य मुल्क में जाना पडे़ । हां-हमें किसी भी देश की यात्रा के लिए तैयार रहना चाहिए । माना कि तुम चमन चले गए और हमारे क्रिसी एजे्नट ने किसी अन्य देश क्री ऐसी रिपोर्ट भेजी कि हमें वहां जाना पडे़ तो क्या लाभ होगा ?"


-"गुरु ।" विकास ने कहा…"ज़ब मुझे खतरा स्पष्ट चमक रहा है तो सच, आराम से यहां बैठकर इतजार‘ नहीं होगी मुझसे ।"
-"एक अच्छे जासूस के लिए धैर्य भी वहुत आवश्यक चीज है प्यारे ।" विजय ने कहा…"फिलहाल धैर्य की जरूरत है । ये ठीक है कि खतरा स्पष्ट चमक रहा है, लेकिन जब तक यह स्पष्ट न हो जाए कि इस खतरे से बचा किस दिशा से जा सकता है, उससे पहले खतरे में कूद पड़ना उसी तरह है, जिस तरह बीच समुद्र में फंसे क्रिनारे की जानकारी से अनभिज्ञ किसी आदमी का किसी दिशा में तैरना ।"



-"'क्या मतलब गुरू ?"


"माना कि तुम बीच समुद्र में फंस गए हो भी विजय ने समझाया…"तुम्हें मालूम नहीं है क्रि, जहां तुम हो वहा से किनारा किस दिशा में कितनी दूर है । अब तुम्हारा पहला फर्ज यह होगा और कि किनारे की जानकारी प्राप्त करों या यह कहो क्रि यूही विना किसी जानकारी के तैर लोगे ?" विजय ने कहा ।




-"माना कि बुद्धिमानी किनारे की जानकारी लेने में ही है" विकास ने कहा-लेकिन जब किनारे की जानकारी -न तो किसी दिशा में तो बढ़ना ही होगा ।"



"लेकिन अगर तुम्हें यह पता लग जाए कि दो दिन वाद , किनारे के विषय में जानकारी मिल जाएगी तो ?"



. …"तो हमें जानकारी मिलने तक इन्तजार करना चाहिए ।" विकास ने कहा-"लेकिन खाली बैठकर इन्तजार करना भी . महाबोरियत का काम है, अत्त: कछ-न कुछ करते रहना चाहिये ।"


"अगर किसी दिशा में तैरैनै का काम करोगे तो प्यारे, यह बेवकूफी भी हो सकती है कि अाप किनारे से दूर ही होते चले जाएं ।" विजय विना रुके कहे जा रहा था…"हां, इंतजार का गुड़ खाने में समय ही गुजारने की बात है तो अखण्ड कीर्त्तन किया जा सकता है । बस, इसके 'अलावा कोई चारा नहीं है ।"



-'"हे गुरू । " विकास बोला…'क्यो न हम झकझकी और दिलजली का मुकाबला करके इन्तजार का यह समय गुजार दें ।"


"'अबे, बात को कहने का ढंग है ।" विजय ने कहा----और कीर्तन में क्या हम भजन गाएंगे ?"

-"तोफिर गुरू हो जाओ शुरू ।"



और…बिना भूमिका के वास्तव मैं विजय शुरू हो गया ।

. उसने वेहद लम्बी झकझकी सुनाई । इतनी लम्बी कई बार विकास को ऐसा लगा कि अब समाप्त होने वाली है लेकिन विजय की झकझकी किसी लम्बे तार की तरह खिंचती ही चली गई ।

समाप्त होने पर विकास ने कहा--"आपकी इस झकझकी ने
तो बोरियत को दूर करने के स्थान पर और बढ़ा दिया गुरु !"



"'ऐसी बात है तो दूसरी सुनो ।" विजय शुरू होने ही जा रहा .था कि…
" रूको गुरू , ठहरो ।" हाथ उठाकर विकास ने कहा-"कायदे की बात यह कि आपने एक झकझकी कह ली । अब नम्बर दिलजली का है । पहले मैं अपनी दिलजली सुना लूं उसके बाद जाप झकझकी सुनाएं ।"


"यह भी ठीक है ।" विजय ने कहा ।



फिर…विकास ने दिलजली छेढ़ दी । वह भी क्या विजय से कम था ? उसने विजय से कुछ लम्बी ही सुनाई, जबाब में विजय की झकझक्री उस दुगनी लम्बी और फिर उससे भी दुगनी लम्बी विकास की दिलजली ।



इस तरह-मजाल थी कि दोनों में से कोई भी पीछे हट जाता ! जैसे यह मुकाबला हो गया हो कि एक दुसरे को कौन ज्यादा बोर कर सकता है । उनमें से क्रोइं बोर हुआ या न हुआ हो लेकिन हां ,उनके मुकाबले में बेचारा धनुषटंकार पिस रहा था । कुछ देर
तक तो वह सोफे पर बैठा शराब और सिगार पीता रहा, वतन के विषय में सोचता रहा ।



फिर इस कदर _बोर हुआ वह कि अन्त में सोफे पर ही सो गया ।



गुरु चेले का मुकाबला चलता रहा, ठीक इस तरह जैसे शतरंज के धस्कीआपस अड गए हों ।


दूसरे दिन तव जबकि विकास लम्बी तानकर सो ही रहा था कि उसके सिरहाने मसहरी पर रखे फोन की घण्टी घंनघना उठी ।


रिसीवर उठाकर उसने कान से लगाया और नीद के स्वर में बोला---" हैलो...चेला..अाफ विजय दी ग्रैट स्वीक्रिग ।"

" यस प्यारे...ये हम बोल रहे है यानी गुरू आँफ विकास ।"

" ओह, गुरु ! हाँ, कया बात है ?"


"अवे, अभी तक सो रहे हो मियां ? कल के अधूरे रह गए मुकाबले को पूरा करने नहीं आओगे क्या ?"



…'"गुरु, लगता है, हमारा मुकाबला जिन्दगी-भर भी चलती रहा तो पूरा नहीं होगा ।" विकास कह रहा था--" अखण्ड कीर्तन की जगह अगर सोचकर समय निकाला जाए तो ज्यादा उचित होगा । क्यों न अाज हम यह शर्त लगाएं कि कौन ज्यादा देर सोए ?"


"तुम सोते ही रहोगे प्यारे,और मैं चीन पहुंच जाऊंगा ।"


हल्के चौंका, बोला----'' कहना चाहते हो गुरु ?"



"'यही कि अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, रूस और पाकिस्तान से रिपोर्ट अा गई है ।" विजय ने बताया । "
विकास एकदम सीधा‘ 'होकर बिस्तर' पर बैठं गया और बोला----"क्या रिपोर्ट है ?"


" जानना चाहते हो तो अपने प्यारे काले लड़के के पास आजाओ ।" विजय ने कहा--"गुप्त भवन में ।"
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03-25-2020, 12:42 PM,
#19
RE: antervasna चीख उठा हिमालय
बिकास अभी कुछ कहना ही चाहता था कि वह रुक गया । दूसरी तरफ से बिजय ने उपयुक्त अल्फाज बोलकर सम्बन्ध-विच्छेद कर दिया था । एक पल तो लह सांय-सांय करते रिसीवर को घूरता रहा, फिर उसे क्रेडिल पर रखकर बिस्तर से उतारा ।



तभी हाथ में चाय लिए कमरे में प्रविष्ट हुई रैना ।



"अरे मम्मी ।" रैना को देखते ही विकास ने कहा…"आप खुद चाय लाई ! नौकर नहीं था क्या ?"


" चाय लाने के बहाने कम-से-कम तेरी सूरत तो देख ली ।" रैना ने शिकायत-भरे स्वर में कहा---"बहुत आवारा हो गया है तू । सुबह-ही-सुबह न जाने कहाँ निकल जाता है, और फिर रात को उस समय अाता है जब सब सो जाते हैं । मालूम है वो क्या कह रहे थे ?"



'"क्या " ?" विकास ने रैना के हाथ में है कप प्लेट लेते हुए पूछा ।



" यह कि उन्हें तो एक ही घर में रहने के बावजूद भी तू कई-कई दिन तक नहीं मिलता ।" रैना ने कहा'…" कुछ तो यह पुलिस की नौकरी ही ऐसी है कि वे कब घर में रहते और कब बाहर ? फिर, एक तू है कि सारा दिन घर से बाहर रहता है ।"



"'क्या बात करती हो मम्मी । हां । इसे इत्तफाक ही कहा जा श्री सकता है कि जब डैडी घर में अाते है तो मैं नहीं होता और जब मैं घर में होता हूँ तो डैडी नहीं आ पाते ।" कहने के बाद बिकास ने चाय का एक लम्बा घूंट भरा ।



"'ऐसी बात नहीं विकास ।" रैना ने कहा…"वे नौकरी करते हैं, फिर भी तुम से ज्यादा देर घर में रहते हैं । .और एक तू ' _ है कि कुछ न करते हुए भी जाने सारे दिन कहां रहता है ?
अरे बिकास, जाना है क्या ?"



विकास चौंका ---बौखलाया , कहने लगा---"क्यों-नहीं तो मम्मी ।"


" बहका रहा है मुझे ?" रैना ने कहा-----देख नहीं रही हूं कि तू चाय जिस ढंग से पी रहा है ?"



"नहीँ' मम्मी ऐसी तो कोई बात नहीं है ।" विकास खुद को सभालता हुआ बोला ।।
"अच्छा, यह बता, काला लड़का कौन है ?"



और-रैना के इस सवाल पर विकास इतनी बूरी तरह उछल पडा जैसे एकाएक किसी बिच्छू ने उसे डंक मारा हो परन्तु चौंकने का एक भी भाव उसने अपने चहरेे पर नहीं आने दिया । उसने संभलकर सवाल किया…"काला लड़का-कौन काला लडका ?"



"औंर...ये गुप्त भवन क्या है ?"



विकास के सिर पर जैसे बम गिरा । कप प्लेट जैसे उसके हाथ से छूटते छूटते बचे,बोला---"गुप्त भवन ?"



दूसरे फोन पर तुम्हारी बातें सुन ली हैं जो तेरे और विजयं भैया के बीच हो रही थीं ।"



रैना के इस वाक्य ने विकास के दिमाग में चकराते इस प्रश्न का ज़वाब 'तो दे दिया क्रि रैना 'काले लड़के' और 'गुप्त पवन-के बारे में कैसे जानती है मगर-रैना का इतना जान लेना ही कम खतरनाक नहीं था । वह बोला-----"ओह । मम्मी ! अाप उस फोन की बात कर रही हैं । वह तो विजय अकल का फोन था न । तुम्हें तो मालूम ही है----वे मजाक करते हैं । कुछ दिन से उन्हें न जाने क्या भूत सवार हुआ है कि अपनी कोठी -को गुप्त भवन कहने लगे और उनका एक दोस्त है-उसे काला लडका कहते है ।"



"'काले लड़के को तुझसे क्या काम हैं. ?" रैना ने कहा…"यानी उससे मिलने के लिए विजय भैया ने तुम्हें क्यों बुलाया है । "



"ओह, हाँ, विजय गुरू का वह दोस्त अमेरिका से अाया हुआ है । आजकल वह मुझे जूडो और कराटे सिखाया करता है ।"

" मुझसे कुछ छुपा रहे हो बिकास !” उसे घूरती हुई रैना ने कहा ।



विकास यह महसूस कर रहा था कि वह बुरी तरह फंस गया है । फिर भी, बात क्रो सभालने की कोशिश करता हुआ वह बोला…"मैँ आपसे क्या और क्यो छिपाऊगा मम्मी ?"



" तो बता कि रूस, ब्रिटेन, अमेरिका, चीन आदि से क्या के रिपोर्ट अाने वाली है ?"



एक बार पुन: विकास का दिमाग बुरी तरह झनझना उठा । बोला-"'वो मम्मी, इन सब देशों से अकल .ने कुछ और लोग बुलाए हैं न ! मुझे दांब सिखाने के लिए ।
अंकल का कहना वे दुनिया का कौई भी दांवं ऐसा नहीं छोडेंगे जो मुझे ना आता ।"



"क्या तुझे दांव सिखाने की जरूरंत है है ?" रैना ने पूछा ।


"'क्यों नहीं मम्मी, अभी मैंने सीखा ही क्या है ?"


" कुछ सीखा ही नहीं है तूने ।"रैना ने कहा-----" लोग जल्लाद के नाम तुझे जानने लगे हैं । देश-विदेश के जासूस तेरे कटटर दुश्मन बन गए हैं । यहाँ तक सुना है कि तू पूरी पूरी फौजों के के वश में 'नहीं अाता और कहता ये है कि तूने अभी सीखा ही क्या ?"



"ओह मम्मी?" प्यार से कहता हुआ वह रैना से लिपट गया…"बड़ी पगली हो तुम भी । इतने बड़े दुश्मनों से निबटने के लिए अंकल मुझे दुनिया का हर दांव सिखा रहे हैं-क्या गलत रहें हैं वह ?"



" लेकिन वेटे, तुझे इतने -खतरनाक जासूस और मुजरिमों से दुश्मनी लेने की जरूरत ही क्या है है"' रैना ने कहा---" तुझे क्या जरूरत पड़ी है कि इतने खतरनाक लोगों से उलझे ?विदेशों के मामलों को हमारे देश की सरकार जाने, देश की फौजें और जासूस जाने ।"




"‘मम्मी !" रैना से लिपटा विकास बोला-----" ये तो तुम जानती हो कि जेम्स बाण्ड, माइक,फुचिंग और ग्रीफित से तो मेरी दुश्मनी है तुम्हारे देश गुलशनगढ़ में ही गई थी । उस 'अभियान में तुम भी थी -- तुम्हें सब कुछ मालुम ही है ।"

(गुलशनगढ़ के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए पढे, क्रांति सीरीज. की दो पुस्तकें-"पहली दूसरी क्रांति‘ तथा 'क्रांति का देवता । )

""वह दुश्मनी वहीं की वहीं खत्म हो जानी चाहिए थी ।" रैना ने कहा…" और फूंचिंग और ग्रीफित को तो तूने मार ही डाला ।"



" मैं तो खत्म ही समझता हूं मम्मी, लेकिन जब वे अपने को खत्म नहीं समझते तो मैं क्या करू ?" विकास ने कहा---"फूचिंग क्रो मैंने मार डाला इसलिए पूरा चीन मेरा दुश्मन है । ग्रीफित को मार डाला इसलिए जेम्स बाण्ड और पूरा ब्रिटेन मेरा दुश्मन है । माइक मुझे अपना दुश्मन इसलिए समझता है । क्योंकि गुलशनमढ में वह मुझसे हार चुका है । अब तुम ही बताझो मम्मी, जब वे मुझे अपना दुश्मन समझते हैं तो कभी मुझ पर हमला कर सकते हैं । क्या ये ठीक नहीं होगा कि उनसे सुरक्षा के मैं सारे दांव सीख लूं ?"
" न जाने क्यों रैना की आंखें छलछला उठी । क्रिसी भावना के वशीभूत रैना ने उसे बांहों में कस लिया । रोती हुई वह बोली…"विकास कैसा पागल है रे तू । मुझे तो डर लगता है, केसे-केसे खतरनाक लोगों को तूने अपना दूश्मन वना लिया है ।"
बडी मिन्नतें करने के बाद भगवान ने मेरी गोद भरी है । मेरी गोद में सिर्फ एक तू हेमेरे लाल । तुझे कुछ हो गया तो...तो.... और फूट फूटकर रो पड़ी रैना ।




कौन समझाए ? कौन समझाए ममता में पागल हुई इस मां क्रो कि जिसे उसने गले से लगा रखा है, उसके नाम मात्र से दुश्मनों के कलेजे थर्रा उठते हैं । रूह कांप जाती है । अमेरिका और चीन में मौत के नाम से मशहूर है उसका यह लाल !



विकास----वह जल्लाद-देखों तो सही, मौत को थर्रा देने वाला दरिंदा कैसे मासूम और अबोध बच्चे की तरह अपनी मां के कलेजे के से लिपट गया ! कह रहा है--‘"अरे...रोती क्यों हो मम्मी ! तुम डरती क्यों हो ? विजय गुरु और अलफांसे अंकल जो मेरे साथ है ।"


-"'न जाने क्यों ये कुत्ते… मेरे मासूम लाल को अपना दुश्मन समझने लगे हैं ।" भावावेश के भंवर फसीं रैेना कहती ही चली गई-"कहों वे हत्यारे जासूस और कहां मेरा अबोघं लाल ।"




कौन समझाए उस मां को कि उसका अबोध लाल दरिंदा है, दुर्दान्त,बेरहम और वक्त पढ़ने पर राक्षस है । कौन समझाए उसे जिन्हें वह खतरनाक समझ रही है, वे विकास की परछाईं से भी कांपते हे । कौन समझाए.......


बड़ी कठिनाई से विकास रैना को संभाल सका । . . अपनी मां को भावनाओं के भंवर से निकाल सका । बड़ी कठिनाई से वह रैना से इजाजत ले सका कि वह विजय की कोठी पर चला जाए ।



तैयार होने के बाद जब यह कार लेकर सडक पर अाया तो वह पूरे आधे घण्टे लेट था ।




उधर-विकास कोठी से बाहर निकला या, इधर रैना ने रिसीवर उठाकर विजय की कोठी के नम्बर रिग किए । कुछ देर तक दूसरी तरफ से बजने वाली घण्टी की आवाज जाती रही । काफी देर के बाद दूसरी तरफ़ से फोन उठाया गया ।


आवाज अाई-----"' कौन साहब बोल रहे हैं ?"


"' कौन पूर्णसिंह ?'-' विजय के नौकर की आवाज पहचानकर रैना ने कहा --यह मैं बोल रही हूं रैना ।"

" ओह, बीबीजी !" पुर्णसिंह ने कहा------" हां मैं पूर्णसिंह ही हूं ।"



"विजय भैया को फोन दो ।"



" वे तो यहां हैं नहीं, बीबीजी !"


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03-25-2020, 12:43 PM,
#20
RE: antervasna चीख उठा हिमालय
पुर्णसिह के इस वाक्य ने रैना के मस्तिष्क में एक भयानक विस्फोट क्रिया । एक बार तो उसे चक्कर सा ही अा गया । खुद को संभालकर वह बोली…'कहां गए हैं कब गए?”



" वे तो अाज सुबह-सवेरे ही चल गए बीबीजी !" पूर्णसिंहृ ने वताया-" किसीं का फोन अाया और वे बिना नाश्ता किए ही चले गए ।"



रैना के मस्तिष्क में जैसे रह-रहकर विस्फोट होने लगे । उसने पूछा…"बिजय भैया से मिलने आज कोई आदमी अाया था ?"

--"नहीँ तो बीबीजी ! लेकिन बात क्या है ? आज अाप कुछ परेशान-सी हो?"



"नहीं ऐसी तो कोई बात नहीं है ।" खुद को संभालकर रैना ने कहा-"हां सुना, कुछ देर बाद विकास वहीं पहुंचेगा । उसके पहुंचते ही तुम फोन कर देना ।" उसकी बात का पूर्णसिंह ' ने क्या जवाब दिया यह सुने बिना ही रैना ने रिसीवर फेडिंल पर पटक दिया ।

धम्म से सोफे पर गिर पड़ी ।।


वह बेहद परेशान हो उठी थी ।।



रह…रहकर उसके दिमाग में विचार उठ रहे थे कि विकास ने उससे झूठ क्यों बोला ?



"काला लड़का' "गुप्त भवन' ये सब क्या है ?


विदेशों से क्या रिपोर्ट अाने वाली है, और इससे विकास का क्या सम्बन्ध है ?



काफी देर तक इन्हीं ख्यालों में खोई. वह फोन की घण्टी बजने का इन्तजार करती रही, किन्तु वह नहीं बजी ।



कुछ देर बाद तब, जबकि उसे यकीन हो गया विकास अगर विजय की कोठी पर गया होगा तो पहुंच गया होगा, उसने पुन: विजय की कोठी के नम्बर डायल किए और दूसरी तरफ से बोलने वाले पूर्णसिंह से विकास के बारे में पूछा तो नकारात्मक जवाब दिया ।


फिर…लगातार दो घन्टे तक विजय की कोठी पर दो बार फोन करने के बावजूद भी रैना को यह सुनने को न मिला कि ,विकास वहाँ पहुच गया है ।
"ये मामला तो बड़ा गलत हुआ प्यारे दिलजले ।" गुप्त भवन के 'साउण्डप्रूफ कमरे में बैठा विजय बिकास की सारी बात सुनने के बाद कह रहा था…"खैर, फिर भी तुमने अच्छा किया कि गुप्त भवन मेरी कोठी को बना दिया काला लड़का "अमेरिका से अाया जूडो और कराटे का मेरा एक दोस्त ! अगर रैना बहन को पता लग जाए कि काला लडका उसका भाई ही है तो गजब हो जाए ।"



'
"सर !" सीक्रेट सर्विस के चीफ की कुर्सी पर बैठे अजय ने कहा…"मेरा ख्याल है कि अागे से इस बात का प्रबन्ध किया जाना चाहिए कि जिस तरह आज रैना बहन ने फोन पर सब कछ सुन लिया, अागे से, कोई न सुन सके, वरना सीक्रेट सर्विस का राज-र-राज नहीं रहेगा । वैसे अगर रैना बहन क्रो विकास की बातों पर यकीन नहीं आया होगा तो मामला बढ़ सकता है ।"


" सीक्रेट सर्विस का राज तो हमें राज ही रखना हे प्यारे ।" विजय ने कहा…"चाहे जैसे भी हो ।"


"'लेकिन रैना बहन जान गई तो ।"


"'अंकल ।" ब्लैक व्वाय की बात बीच में ही काटकर विकास-गुर्रा उठा --" मम्मी पर तो क्या, सीक्रेट सर्विस का कोई भी राज कभी किसी पर नहीं खुलेगा और अगर खुल भी गया तो किसी दूसरे को बताने के लिए वह जिन्दा नहीं रहेगा । अपने हाथ से मैं मैं मम्मी को गोली मार दूंगा ।"



"विकास ।।" ब्लैक ब्वाय के मुंह से तो चीख-सी निकल पड़ी ।



और विजय-वह तो विकास के चेहरे को देखता ही रह गया । विकास का चेहरा तमतमा रहा था । उसने विजय की तरफ देखा, गम्भीर स्वर में बोला--"क्यों गुरु, क्या गलत कहा मैंने ? सीक्रंट सर्विस का हर सदस्य बनते से पहले हर सदस्य यही कसम तो खाता है ।"




" विकास । " विजय के नेत्र छलछला गए । विकास को उसने अपने कलेजे से लिपटा लिया । मुंह से सिर्फ एक ही लफ्ज निकला-"मेरे बेटे ।"



मगर जल्दी ही विजय ने खुद को संभाल लिया था । एक मिनट , के लिए उसके दिमाग में यह बिचार अाया कि वह भावुक हो गया है, और अगले पल उसने अपने सिर को झटका देकेर खुद को सामान्य किया और बोला-----" छोड़ो। तुम विदेशों से अाए एजेण्टों की रिपोर्ट सुनो ।"


"हाँ ।" विकास-सामान्य स्थिति में अा गया बोला…"जल्दी बताइए क्या हुआ ?"
-"सबसे पहले चीन की रिपोर्ट सुनो तुम ।" विजय ने कहा-"'चीन में हमारी एक लेडी जासूस है । वेसे उससे तुम पहले भी मिल चुके हो । उस समय जब तुम तलवारों के सिलसिले में चीन गये थे ।"




" कौन क्रिस्टीना ?" विकास ने पूछा ।



" हां" विजय ने कहा---"यह काम हमने क्रिस्टीना को ही सौंपा था । उसने रिपोर्ट भेजी है कि वतन का स्टेटमेंट पड़ते ही चीन में हलचल मच गई और फौरन ही सीक्रेट सर्विस के सभी सदस्यों 'की एक आपातकालीन मीटिंग बुलाई गई । उसके फैसले के मुताबिक चीन के तीन जासूसों, जो चीन के अच्छे जासूस माने जाते हैं , के नेतृत्व में छ: जासूसों की एक टुकडी चमन के लिए रवाना होगी । उन तीन जासूसों के नाम है…सांगपोक,
हवानची
और एक लेडी जासूस है
सिंगसी ।
तुम्हारी जानकारी के लिए यह बता दूं कि सांगपोक फूचिंग का लड़का है और इसी से तुम अनुमान लगा सकते हो कि वह किस कदर तुम्हारे खून का प्यासा होगा । यूं समझो कि अब अगर दुनिया में रहने का उसका कोई मकसद है तो वह है सिर्फ तुम से अपने पिता की मौत का बदला लेना । उसने कसम खाई कि वह फूचिंग़ की कब्र को तुम्हारे खून से धोएगा ।"



"ओह !"' विकास के मुंह से निकला ।


" जहां तक मैं समझता हूं प्यारे दिलजले, चीनियों को यह अनुमान हो गया है कि वतन कि हिमायत में तुम जरूर आओगे । इसीलिए उन्होंने तुम्हारे सारे दुश्मनों को एकत्रित कर लिया है !"



"क्यों ?" इनमें से और किसको मुझसे व्यक्तिगत दुश्मनी है ?"



"हवानची को जानते हो, कौन है ?"'


"कोंन है ?"



"हुचांग का साला ।" विजय ने बताया-उसने भी हथियार तुमसे अपने जीजा की मौत का बदला लेने के लिए उठाए हैं ।



उसने बडी़ अजीव कसम खाई है । उसका कहना है कि अपनी जिन्दगी का अाखिरी कत्ल वह तुम्हारा करेगा ।"

हल्के से सकराया विकास, बोला'-"उसने तो बहुत गलत कसम खाई गुरू । मेरा कत्ल करने के बाद तो उसे और कत्ल करने होंगे, जैसे आपका, क्राइमर अकल का वरना आप दोंनो उस वेचारे को कत्ल कर दोगे ।"
" सवाल ये नहीं प्यारे कि कौन किसको कत्ल करेगा ।" विजय ने कहा…"सवाल यह है कि इन दोनों का परिचय मैंने तुम्हें इसलिए दिया है ताकि तुम मामले की भयानकता को समझ सको। हर कदम संभालकर उठाना है ।"



" वह तालीम तो आप मुझे दे ही चुके हैं ।"



" मेरा मतलब ये है कि इस मामले में विशेष सावधानी की आवश्यकता है ।" विजय ने कहा ।



"विशेष सावधानी तो मैं हर मामले में रखता हूं।" विकास ने मुस्कराते हुए कहा----"बस , यूं कहो कि आपकी भूमिका से यह बात मेरी समझ में अा गई है कि इस बार टकराव में मजा खूब जाएगा ।"



"सोचने का अपना-अपना अलग तरीका है प्यारे दिलजले?" विजय ने कहा-----"जहाँ तक सवाल विजय दी ग्रेट के सोचने का है, वह हमेशा ही अाम के अचार की तरह खटटा किन्तु स्वादिष्ट होता है । इससे पहले कि तुम मेरी बात का मतलब पुछो, मैं तुम्हें पहले ही बताए देता हूं । वतन का स्टेटमेंट अखबार में छपते ही हमने कह दिया था कि यह स्टेटमेंट रंग जाएगा----लही हुआ । अब हमारा सीधा-सा सवाल है कि चीन सरकार यह समझ गई हैं कि वतन की हिमायत में तुम जरूर जाओगे और मौत के दरवाजे खोलने के लिए ही सांगपोक और हवानची को मैदान में लाया गया है । तुम कहते हो कि इनके रहते केस में मजा अाएगा और मैं कहता हूं कि दुश्मन को कभी कमजोर नहीं समझना चाहिए ।"




"लेकिन अाप बार-बार उन दोनों के नाम लेकर क्या मुझे डराना चाहते हैं हैं" विकास ने पुछा ।



" मालूम है कि तुम किसी से डरने वाली चीज नहीं बल्कि दुनिया को डराने वाली चीज हो ।"



"'तो फिर गुरु !" विकास ने यह बार-बार मुझे सांगपोक और हवानची की धमकी क्यों ?"



"'एक बात याद रखना प्यारे दिलजले, यानी कि गुड़ के डले ।" विजय ने कहा---“जब डूबता है तो तैराक डूबता है जो तैरना नहीं जानता, वह ज्यादा गहराई में ही नहीं जाता, तो डूबेगा ही केसे ? बिल्कुल नहीं डूवेगा है वार-बार उनकर नाम लेने के पीछे मेरी यह भावना बिल्कुल नहीं कि तुम्हें डरा दू वल्कि सचेत करना चाहता हूं कि इस में बहुत संभलकर अागे बढने की जरूरत है ।।
" ऐसा ही करूंगा ।"



"जानते हो, चीन से रिपोर्ट भेजने वाली क्रिस्टीना ने क्या लिखा है ?"



"क्या ?"



" उसने लिखा है के इस अभियान पर विकास को न भेजा जाये । उसका कहना है कि सांगपोक और हवानची प्रतिशोध की अाग में जलती उस नागिन की तरह हैं जिसके नाग की किसी नाग ने हत्या कर दी हो । उन दोनों की आंखों में विकास की तसवीर है, और जानते हो-ये भी लिखा है क्रिस्टीना ने कि उसने तुम्हें देखा है । वह जानती है कि तुम मासूम हो । उसने कहा है---मासूम और प्यारे विकास को इन दरिन्दों के सामने न जाने दिया जाए है"



" फिर ?” विकास ने गम्भीर स्वर में पूछा'-"क्या आप मुझे इस केस में नहीं जाने देगे?"


हल्के से मुस्कराया विजय, बोला ---" तुम्हें न भेजने वाली बात होती तो यहां बुलाते ही नहीं प्यारे दिलजले ! वैसे ही हम जानते हैं कि किसी के रोकने से रुकोगे नहीं तुम । लेकिन हा, सारा काम एक योजनाबद्व तरीके से हो, इसलिए तुम्हें यहा बुलाया है ।"


"तो हुक्म कीजिए।"



" अभी तो चीन की ही रिपोर्ट सुनी हे-अन्य देशों की तो -- अन्य देशों की तो सुनो ।"


"जरूर ।"



"अमेरिका में मौजूद हमारे जासूस नागपाल ने रिपोर्ट भेजी हैअमेरिकन सीक्रेट सर्विस ने यह काम हेरी को सौपा' है कि वह चमन में वतन के बनाए यन्त्र और उसके फार्मूले को गायब करें । हैरी सीक्रेट सर्विस के चीफ की तरफ से यह खास हिदायत दी गई है कि इस सारे अभियान में कोई यह न जान सके कि वह हैरी हैं । सच पूछा जाए तो अमेरिकन सरकार वतन से बहुत डरने लगी है और यह नहीं चाहती कि वतन को पता लगे कि अमेरिका पुन: उसके खिलाफ कोई कदम उठा रहा है ।"



" ब्रिटेन से क्या रिपोर्ट है गुरू ?" विकास ने पूछा ?


""यह कि इसी काम के लिए वहां से जेम्स बाण्ड को भेजा जा रहा हैं। पाकिस्तान से दो जासूस-तुगलक अली और नुसरत खान ।

रूस से बागारोफ को यह काम सौपा गया है । इन सभी को अलग अलग इनके देशों ने यह काम सौंपा है कि ये चमन से यन्त्र और फार्मूला गायब करें ।"
" क्या इम सव 'देशों के जासूस को यह जानकारी है कि उसकी तरह ही दूसरे देशों ने अपने जासूसो को यह काम सौंपा है ?"



" नहीं ।"



" तो अव हुक्म बोलिये गुरू ।" विकास ने पूछा ।


"सुनो, धनुषटकार को साथ लेकर तुम्हें चमन के लिए रवाना हो जाना है ।" विजय ने कहना शुरु किया----" हम चीन जाएंगे,
प्यारे विक्रमादित्य को रूस भेजा जाएगा।
अशरफ को अमेरिका,
परवेज पाकिस्तान और
आशा को ब्रिटेन ।"



"यानी आपने तो पूरी सीक्रेट सर्विस को ही हरकत में ला दिया ।"


" काम उसी ढंग से करना चाहिए प्यारे, जिस ढंग की जरूरत हो ।" विजय ने कहा---अलग-अलग देशों से मोहरे चले हैं, कह नहीं सकते के इनमें से कामयाब कौन हो ? सबसे महत्त्वपूर्ण काम , तुम्हारे हवाले किया गया । हर देश का जासूस चमन में पहुंचेगा।
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