Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
11-05-2020, 12:30 PM,
#61
RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
अमित बोला- भाभी केवल आप ही हो जो जब चाहे और जहां चाहे मजा दे सकती हो।

दोनों ने एक एक बार फिर हम को चुम्बन दिया और मेहमानों के साथ जाकर बैठ गये।

मैं रितेश के लिये असन्तुष्ट थी, बेचारा... चूत उसे मिल ही नहीं रही है। इसी तरह मेहमान-वाजी में फिर रात के ग्यारह बज गये और सब लोग सोने की तैयारी में थे। मैं और नमिता माताजी के कमरे में आ गई पर काफी देर तक रोहन नहीं आया था। सब गहरी नींद में सो चुके थे लेकिन रोहन? मैं उठी और बाथरूम की तरफ इस उम्मीद से गई थी कि स्नेहा और रोहन बाथरूम के अन्दर ही मजे ले रहे होंगे, पर बाथरूम में कोई नहीं था, बाकी और कमरों में मेहमान थे तो वहाँ सवाल ही नहीं उठता था।

पर यह भी नहीं हो सकता था कि रोहन बिना किसी मतलब के अपनी नींद खराब करे... कल जब उसे मेरे साथ मौका मिला तो उसने उस मौके का भरपूर फायदा उठाया था और स्नेहा... वो जब से आई है रोहन के साथ ही मजे लिये। यही सोचते हुए मैं स्टोर रूम की तरफ गई तो अन्दर से हल्की आवाज आ रही थी और इस आवाज ने मेरी सोच को सही कर दिया। स्टोर रूम के अन्दर स्नेहा और रोहन ही थे, दोनों की कामुक आवाज आ रही थी, बस आवाज थोड़ी धीमी थी और जहां तक मेरा अंदाज था कि वो दोनों काफी देर से लगे हैं। मेरे दिमाग में मेरे प्यारे रितेश का ख्याल आया कि उसे भी स्नेहा की चूत का मजा दिलवा दूं। मैंने तुरन्त ही रितेश को स्टोर रूम के पास आने का मैसेज किया।

रितेश तुरन्त ही आ भी गया। मैंने उसे चुप रहने का इशारा किया और एक ऐसी जगह छुप गये जहाँ से रोहन और स्नेहा की नजर हम पर न पड़े। मैंने पूरी बात रितेश को बता दी।

पांच सात मिनट बाद रोहन स्टोर रूम से निकल कर कमरे की तरफ चला गया। मैंने रितेश को बता दिया कि अगर मैं कमरे में न मिली तो रोहन हो सकता है कि यहां आ जाये तो तुम ही अन्दर चले जाओ। मेरी बात मानते हुए रितेश अन्दर चला गया। मैं दो मिनट के लिये बाहर रूक गई और देखने लगी कि रितेश को सामने देखकर उसका क्या रिएक्शन होता है। वो पैन्टी पहन चुकी थी और ब्रा पहन रही थी कि रितेश को सामने देखकर चौंकी। रितेश ने जब पूछा कि वो वहाँ क्या रही है तो उसके पास कोई उत्तर नहीं था। रितेश माहिर खिलाड़ी तो था ही उसने ज्यादा कुछ पूछना मुनासिब नहीं समझा और स्नेहा के और करीब जा कर उसको अपनी बांहों में भर कर उसकी पीठ सहलाने लगा और बिना कुछ बोले दोनों इसी तरह चिपके खड़े रहे लेकिन रितेश का हाथ स्नेहा की पैन्टी के अन्दर भी घुसकर अपना काम कर रहा था।

दोनों को वहाँ छोड़ कर मैं कमरे में चली आई, देखा तो रोहन सीधा लेटा हुआ है, मैं जाकर बगल में लेट गई। मेरे लेटते ही रोहन ने मेरी तरफ करवट ली और अपने एक पैर और एक हाथ को मेरे ऊपर रख दिया। रोहन बहुत ही चोदू किस्म का हो चुका था, अभी-अभी स्नेहा को चोद कर आया और मेरे ऊपर सवारी करने की सोच कर अपनी टांग मेरे ऊपर चढ़ा दी।

रोहन बोला- भाभी, दूध पीना है!

कहते हुए वो थोड़ा नीचे सरक गया, मैंने अपने गाउन को खोलकर अपनी चूची को उसके मुंह में डाल दिया, एक निप्पल उसके मुंह में था और दूसरे को वो मसल रहा था और मैं उसके बालों को सहला रही थी। जब उसका मन मेरी चूची पीने से भर गया तो वो थोड़ा और नीचे आया और मेरी नाभि के साथ खेलने लगा और मेरी चूत के अन्दर अपनी उंगली डालकर चूत के साथ खेलने लगा। वो नाभि के अन्दर अपनी जीभ चला रहा था और चूत को उंगली से चोद रहा था, मैं पानी छोड़ चुकी थी। रोहन ने मुझे सीधा किया और फिर मेरी चूत पर अपने मुंह को रख दिया और बहते हुए रस को चाटने लगा फिर मुझे पेट के बल होने के लिये कहा और मेरी गांड को फैलाकर उसको चाटने लगा। काफी देर गांड चाटने के बाद उसने मुझे फिर सीधा किया और अपने लंड को मेरी चूत के अन्दर पेल दिया और बहुत ही आहिस्ते आहिस्ते से मुझे चोद रहा था। उसकी और मेरी दोनों की ही नजर मां और नमिता पर थी कि कहीं कोई इस खेल को न देख ले। नमिता की तो चिन्ता नहीं थी क्योंकि उसे तो सब पता था पर मां की चिन्ता ज्यादा थी। पर दोनों ही गहरी नींद में सो रहे थे। रोहन अपने जबड़े को भींचे मुझ पर अपनी पूरी ताकत लगा रहा था, मुझे बहुत ही मजा आ रहा था। क्या एडवेंचर था कि सास सो रही थी और उसी के ही बगल में नीचे उसका दूसरा पुत्र अपनी भाभी को चोद रहा था और भाभी चुदवा रही थी। डर मुझे और रोहन दोनों को ही था कि कही सासू मां जाग न जाये।

खैर वो धक्के पे धक्के पेले पड़ा था। फिर वक्त आ गया उसके डिसचार्ज होने का... मैं पहले ही झर चुकी थी, मेरी चूत केवल अपने आप को रोहन के लंड से फ्री होने का इंतजार कर रही थी कि कब रोहन डिसचार्ज हो और कब उसके लंड से मुक्ति मिले। रोहन का शरीर अकड़ने लगा और उसने तुरन्त ही मेरे सीने पर बैठ कर अपने लंड को मेरे मुंह के अन्दर डाल दिया और अपने वीर्य की धार मेरे मुंह में छोड़ना शुरू किया। वो अपने आपको काबू नहीं कर पाया और उसका वीर्य एक झटके में खाली हो गया।

कुछ बूंद मेरी मुंह के अन्दर गिरी तो कुछ बाहर निकल कर गालों से होती हुई नीचे गिरने लगी। जब वो पूरी तरह से डिसचार्ज हो गया और उसका लंड ढीला पड़ गया तो रोहन मेरे सीने से नीचे उतर कर मेरी बगल में लेट गया और रोहन ने मेरी चूत मेरी गाउन से साफ कर दी और मुझसे चिपक कर सो गया।
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11-05-2020, 12:30 PM,
#62
RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
सुबह मैं भी बेसुध थी लेकिन मेरे कपड़े बिल्कुल सही थे और रोहन भी मुझसे दूर था। आज सभी मेहमानों को जाना था और उनकी ट्रेन दस बजे की थी इसलिये मैं और नमिता दोनों ने ही तेजी से सब काम निपटा कर नौ बजे तक फ्री हो गई और मेहमान विदा होने लगे। मेरी और नमिता की सेवा भाव से खुश होकर मुझे और नमिता को गिफ्ट दिया। स्नेहा मुझे लिपट कर थैंक्स बोली और अगली मुलाकात जल्दी करने का वादा करके चली गई। फ्री होने पर मैं भी ऑफिस के लिये तैयार होने के लिये मैं अपने कमरे में आ गई। मैं तैयार हो ही रही थी कि मुझे पीछे से आकर रितेश ने जकड़ लिया और चूमने चाटने लगा। मैं थकी हुई थी इसलिये मैं उसके चूमने चाटने का जवाब नहीं दे पा रही थी, फिर भी मैंने रितेश को रोका नहीं। रितेश ने मेरी जींस को नीचे किया और मुझे झुकाते हुए अपने मोटे लंड को मेरी चूत में पेल दिया। करीब तीन चार मिनट तक धक्के लगाने के बाद वो मेरी चूत में ही झर गया और फिर पास पड़े गाउन से रितेश ने मेरी चूत साफ की और फिर मुझे मेरी जींस और बाकी कपड़े पहनने को मदद की। मैं रितेश के साथ ऑफिस निकल गई।

ज्यादा थकी होने के कारण बॉस ने मुझे कुछ ज्यादा वर्क नहीं दिया बल्कि ट्रिप के बारे में एक दो दिन में इन्फार्म करने को कहा ताकि वो रिजर्वेशन करवा सके। किसी तरह बॉस के साथ छुटपुट घटना के साथ शाम हुई और मैं घर आ गई। मेरे घर पहुंचने के बाद घर के बाकी सदस्य भी आ चुके थे, चाय नाश्ते के लिये सब बैठ चुके थे। रितेश ने ही मेरे कहने पर बात की शुरूआत की, उसने बताया कि मुझे एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में कलकत्ता जाना है और मेरी कम्पनी मेरे साथ साथ रितेश का भी खर्चा उठाने को तैयार है अगर रितेश न जा पाये तो कोई एक और मेरे साथ कलकत्ता जा सकता है।

तो पापा ने पूछा- फिर समस्या क्या है? रितेश और तुम दोनों चले जाओ।

तब मैंने बताया कि रितेश को भी उसी दिन अपने ऑफिस के प्रोजेक्ट के लिये तमिलनाडु जाना है।

मुझे लग रहा था कि मेरे इस प्रोपोजल को सुनकर रोहन और विजय मेरे साथ चलने को बेताब हो जायेंगे, लेकिन दोनों कुछ बोलते उससे पहले ही,

मेरे ससुर मुझसे बोले- अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारे साथ चल सकता हूँ। काफी दिन हो गये मुझे भी कहीं घूमे हुए।

मैं उनको मना नहीं कर पाई लेकिन यह तो तय हो गया कि मौका देखकर मुझे अपनी चूत में बैंगन, ककड़ी या फिर मूली डालकर ही काम चलाना पड़ेगा। और न चाहते हुए भी यह तय हो गया कि मैं और मेरे ससुर कोलकाता जा रहे हैं। मुझे कल अपने बॉस को यह इन्फार्म करना था ताकि वो रिजर्वेशन करवा दे और होटल बुक करवा दे। नाश्ता करने के बाद मैं और रितेश अपने कमरे में आ गये।

रितेश मुझे देख कर हँसने लगा और बोला- तुम तो हनीमून मनाने जा रही थी? अब क्या करोगी?

मैं बोली- 'कोई बात नही!' लंड नहीं तो मूली और बैंगन तो काम आयेगा। जब ज्यादा चुदास हूंगी तो बैंगन और मूली अपनी चूत में डाल कर अपनी चुदासी चूत को शान्त कर लूंगी।

मेरा बदन बहुत दर्द कर रहा था तो रितेश को मालिश करने के लिये बोलकर मैंने अपने कपड़े उतार दिये और नंगी होकर बेड पर उल्टी लेट गई। रितेश मेरी मालिश धीरे-धीरे करने लगा। जब रितेश मालिश कर रहा था तो मैंने उसके और स्नेहा की चुदाई की बात पूछी तो रितेश ने स्नेहा के साथ क्या किया, सुनाने लगा:

वास्तव में स्नेहा का जिस्म काफ़ी गठा हुआ था, उसकी टाईट चूची बता रही थी कि अभी उसका मन भरा नहीं है। मैंने थोड़ा सा उसे डराया तो कांपने लगी लेकिन फिर मैं उसे अपनी बांहो में भरकर उसके डर को कम करने लगा और फिर मेरा हाथ उसकी पैन्टी के अन्दर चला गया और उसकी टाईट और चिकनी गांड को सहलाने लगा। स्नेहा कुछ बोल नहीं रही थी, बस मेरे से चिपकी हुई थी और जो मैं उसके साथ-साथ कर रहा था, वो करने दे रही थी। थोड़ी देर बाद जब उसका डर कम हुआ तो मैंने उसके चेहरे को अपनी तरफ उठाया और उसके गुलाबी होंठ पर अपने होंठ रख दिया और हौले हौले चूमने लगा। कुछ देर बाद वो भी मेरा साथ देने लगी और मेरे होंठ को अपने होंठ से चबाने लगी, अपने थूक को उसने मेरे मुंह के अन्दर डाला, मैं पी गया और फिर मैंने उसके मुंह के अन्दर थूक डाला तो वो पी गई। फिर स्नेहा ने मेरी कपड़े उतार दिए और मेरे निप्पल को अपने दाँतों से काटने लगी। दोनों निप्पल को अच्छी तरह काटने के बाद वो नीचे सरकती चली गई और मेरी नाभि को तो कभी मेरी जांघों को, तो कभी मेरे लंड की टिप को अपने जीभ का मजा देती।
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11-05-2020, 12:30 PM,
#63
RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
बीच-बीच में वो मेरे टट्टे को भी अपने मुंह में भर लेती। टट्टे को जब-जब वो अपने मुंह में भरती तो उसका एक हाथ मेरी गांड में चला जाता और वो मेरी गांड को सहलाती या फिर नाखूनों से वो गांड को खुरेचती। फिर वो खड़ी हो गई, मुझे पकड़कर नीचे बैठा दिया और अपनी चूत को मेरे मुंह से रगड़ने लगी। कुछ देर तक तो ऐसे ही चलता रहा फिर वो अलमारी का सहारा लेकर झुक गई जो मेरे लिये इशारा था कि अब मैं लंड को उसकी चूत में पेल दूं और उस चुदास लड़की को मजे दूं। मैंने भी वैसा ही किया। फिर स्नेहा ने मुझे उस छोटी जगह पर लेटने के लिये कहा, मैं लेट गया और वो मेरे ऊपर चढ़कर मेरे लंड की सवारी करने लगी। हां वो यह भी बताना नहीं भूली कि उसकी गांड भी चुद चुकी है तो एक ही राउन्ड में उसकी चूत और गांड का मजा लिया। जब मेरा लंड उसकी गांड के अन्दर आ जा रहा था तो जो उसके गांड का छेद था वो ऐसा था कि किसी गाय को बांधने के लिये जमीन में खूंटा गड़ा गया और फिर उसे निकाल लिया गया, ठीक उसी तरह से स्नेहा की गांड खुली हुई थी, लंड गप-गप अन्दर बाहर हो रहा था। बीच-बीच में मैं उसके गांड के अन्दर थूक देता। उसकी सेक्सी आवाज भी मेरे हौंसले को और बढ़ा रही थी इसलिये मैं उसकी चूचियों को भी जोर जोर से मसल देता जिससे उसके मुंह से निकलने सिसकारी 'आह ओह आह...' की आवाज का बड़ा मजा आ रहा था। जब लगा कि अब मैं झड़ने वाला हूँ, मैं उसको सीधा करके उसके मुंह में लंड डालने लगा तो बोली 'मेरे मुंह में नहीं, मेरी गांड के अन्दर झरो और फिर अपनी मलाई का स्वाद खुद लो और मेरी गांड चाटो।' उसके कहने पर मैंने अपना माल उसकी गांड में निकाला और फिर उसको चाट कर साफ किया। उसके बाद स्नेहा एक बार फिर मेरे होंठों पर अपनी जीभ फिराने लगी और मेरे मुंह में लगे हुए वीर्य को वो साफ करने लगी। मेरी इच्छा थी कि एक बार उसकी और चुदाई करूं लेकिन स्नेहा ने मना कर दिया, कहने लगी कि रोहन ने उसकी काफी अच्छे से बजाई है। और वो बहुत थकी होने के साथ-साथ नींद भी बहुत तेज आ रही है, इसलिये मैंने उसे ज्यादा फोर्स नहीं किया। फिर मैंने उसे उसके कपड़े पहनाये और फिर कमरे तक पहुँचा कर मैं कमरे में जा कर सो गया।

कहानी बताते-बताते रितेश ने मेरी मालिश भी काफी अच्छे से कर दी। मेरा नहाने का भी बहुत मन हो रहा था, मैं नहाने के लिये जाने लगी तो रितेश मुझे रोकते हुए वीट की क्रीम दी और बोला- जरा आज अपनी चूत को भी चिकना कर लो।

उसके वीट देने पर मेरी नजर मेरी चूत की ओर गई तो देखा कि उसमे रोएं निकल चुके हैं और थोड़ा बड़े भी हो गये हैं। मैं बाथरूम के अन्दर अपनी चूत की सफाई कर ही रही थी कि मुझे लगा कि कोई मुझे देख रहा है। उस छेद से मैंने झांक कर देखा तो सूरज मुझे झांक कर देख रहा था,

मैं उससे बोली- जब तुमने अपनी भाभी का मजा ले लिया है तो अब छुपछुप कर क्यों देख रहे हो?

सूरज बोला- छुप कर देखने का मजा आप क्या जानो!

मैंने पूछा- कैसा मजा?

तो बोला- भाभी, छुप कर जब आपको देखता हूँ तो लगता है कि चूत मिलने की उम्मीद है और फिर आप जब यहां से चली जाती हो तो आपकी चूत न मिलने की कसक रह जाती है और इसी कारण मैं अपने लंड का मूठिया लेता हूँ।

फिर सूरज ने पूछा- भाभी, यह क्या कर रही हो?

तो मैं बोली- रितेश को मेरी चूत में रोएं दिख गये तो वीट देकर बोला कि इसको चिकना कर लो। मुझे क्या ऐतराज हो सकता था।

मेरे कहने पर वो चुपचाप बाथरूम में आ गया और फिर उसने बड़े ही प्यार से मेरी चूत की सफाई की। मेरी चूत जब एकदम से चिकनी हो गई तो सूरज मेरी चूत के फांकों को फैला कर उस पर अपनी जीभ चलाता। चूत पर उसकी जीभ रेंगने लगी और मैं मदहोश होने लगी, मेरी आँखें बन्द थी, मेरे मुख से निकलते हुए शब्द उसे मना कर रहे थे, कह रहे थे कि वो अब बाथरूम से जाये, लेकिन दिल चाह रहा था कि उसकी जीभ मेरी चूत पर ऐसे ही चलती रहे। मेरे दो-तीन बार मना करने पर

सूरज बोला- भाभी, यह कोई बात नहीं हुई, मेरा मेहनताना तो दो।

कहकर सूरज ने अपने कपड़े उतार दिये और शॉवर खोल दिया। शॉवर का पानी हम दोनों के जिस्म में गिर रहा था। सूरज ने मुझे अपने से चिपका लिया और मेरे होठों को चूसने लगा, चूसते-चूसते वो एक बार फिर मेरी चूत की तरफ आ गया और अपनी जीभ को मेरे चूत के ठीक पास ले आया और शॉवर का पानी जो मेरी चूत से होता हुआ उसकी जीभ पर गिर रहा था वो उसको पीने लगा। उसके बाद सूरज खड़ा हुआ और अपने लंड को हिलाने लगा, मैं समझ गई कि सूरज के लंड को चूसना है।

अब मेरी बारी थी, मैं सूरज के लंड को चूसने लगी। उसके बाद सूरज ने मेरी एक टांग को उठा लिया और अपने लंड को खड़े खड़े मेरी चूत में पेल दिया, करीब दो मिनट तक उसी पोजिशन में चोदता रहा। सूरज चोदता रहा और मैं सोचती रही कि क्या मेरी किस्मत है जब से इस घर में आई हूँ, मेरी चूत के अन्दर एक लंड की एंट्री होती है और दूसरा बाहर वेटिंग लिस्ट में होता है।

खैर फिर सूरज ने अपना लंड निकाला और मुझे झुका दिया और मेरी गांड में अपने लंड को सेट करके एक ही धक्का दिया कि उसका मूसल सा लंड मेरी गांड के अन्दर एक ही बार में चला गया। सूरज ने दो-तीन बार झटके से मेरी गांड में अपने लंड को पेलता और निकालता मुझे ऐसा लगा कि वो मेरी जान ही निकाल कर मानेगा। काफी देर तक सूरज मेरी गांड और चूत को चोदता रहा फिर उसने मुझे सीधा किया और मेरी दोनों हथेलियों को आपस में इस प्रकार जोड़ा कि वो चुल्लू बन गया और अपने लंड की मुठ मारने लगा, उसका पूरा माल मेरी उस चूल्लू में गिर गया,

सूरज बोला- भाभी, लो मैंने प्रसन्न होकर तुमको ये प्रसाद दिया है।

उसकी इस बात को सुनकर बिना कुछ बोले मैं उस रस को चाट कर साफ कर गई। फिर सूरज ने मुझे अच्छी तरीके से नहलाया, सूरज ने मेरे जिस्म के एक-एक हिस्से में जम कर साबुन लगाया और फिर मेरे बदन को पौंछ कर मुझे गाऊन पहना दिया। मैं चारों ओर देखकर सूरज को वहीं बाथरूम में छोड़कर जल्दी से अपने कमरे में आ गई, मेरे लिये तो इस समय घर के हर कोने में लौड़ा था, जिस जगह जाओ, वहीं पर एक लौड़ा तना हुआ तैयार मिलता था।

हलाँकि रितेश की मालिश और सूरज की चुदाई से मेरे बदन की पूरी थकान उतर चुकी थी और एक बार फिर रात के खाने की तैयारी शुरू कर चुकी थी।
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11-05-2020, 12:30 PM,
#64
RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
रात को तो पक्का रितेश मेरी चुदाई करने वाला था। मुझे लगता है कि मेरी चूत चूत न होकर भोसड़ा हो चुकी थी, हर लंड को वो लेने के लिये तैयार थी। काम निपटाने के बाद रात को मैं, रितेश, अमित और नमिता अपने कमरे में आ गये और स्वेपिंग की प्लानिंग करने लगे।

इस बात पर चर्चा शुरू हो चुकी थी कि कोई ऐसी जगह चुनी जाये जहाँ दो दिन तक कोई न हो और न कोई बोले। दिन शनिवार और रविवार का चुना गया क्योंकि दूसरे शनिवार की वजह से ऑफिस में छुट्टी होती है। हमारे ग्रुप में जितने लोग थे, वो शनिवार और रविवार ही प्रेफर कर रहे थे। मैं अमित की गोद में थी और नमिता अपने भाई की गोद में थी, सबके हाथ भी चल रहे थे और प्लानिंग भी चल रही थी।

फोन पर टोनी-मीना और सुहाना-आशीष को भी लाईन पर ले लिया और प्लांनिग के बारे में डिस्कस होने लगा। खैर सभी शनिवार और रविवार के लिये सहमत थे, वेन्यू की बात थी, मेरे दिमाग में बॉस का घर घूम रहा था जो पूरा खाली पड़ा था और बॉस की बीवी 15 दिन तक नहीं आने वाली थी तो मैंने वेन्यू की बात सभी को बताई।

रितेश बोला- तुम्हारा बॉस तैयार हो जायेगा?

मैं- 'क्यों नहीं तैयार होगा और फिर मेरी चूत कब काम आयेगी?'

तो तय हो गया कि इस शनिवार और रविवार को खूब मस्ती होने जा रही थी। इसी बीच रितेश पेशाब करने के लिये जाने लगा तो नमिता भी पीछे पीछे पेशाब करने का इशारा करके चल दी। अमित अभी भी मेरी चूची दबा रहा था, अचानक अमित ने मुझे पटक दिया और मेरे ऊपर चढ़ गया और मेरे होंठों को मुंह में भर कर चूसने लगा। इसी बीच नमिता आ गई और उसने पीछे से आकर अमित की गांड पर एक जोर से चपट मारी। अमित बिलबिला उठा।

नमिता फिर अपनी उंगली अमित की गांड में डालकर बोली- अमित, मैं अपनी उंगली तुम्हारी गांड में घुसा कर गांड मार रही हूँ।

तभी रितेश बोला- तब तो ठीक है... अगर नमिता अमित की गांड मार रही है तो मैं नमिता की गांड की सेवा कर दूं!

कहते हुए रितेश भी नमिता के साथ लग गया और एक बार फिर हम चारों में चूत लंड गांड कुश्ती की जंग छिड़ गई, कभी चाटना तो कभी चूमना और उसके बाद मेरी और नमिता की गांड चूत की कुटाई बड़ी बेहरमी से हो रही थी। दो राउन्ड चुदाई के चले होंगे कि उसके बाद मैं और रितेश अपने कमरे में आकर सो गये।

अब मैं भूल चुकी थी कि एक दिन में मैं कम से कम कितनी बार चुदती हूँ। रूटीन बन चुका था कि घर, ऑफिस का काम निपटाते निपटाते जब जिससे मौका लगे, उसको अपनी बुर दे दो और चुदाई का आनन्द लो। फिर मेरे और रितेश के बीच जैसा तय हुआ था कि ऑफिस जाकर कोलकाता कौन कौन जा रहा है, उसका नाम रिजर्वेशन के लिये देना था और दूसरा दो दिन के लिये बॉस का घर चाहिये वो बताना था। मैं ऑफिस पहुँची, बॉस मेरा ही इंतजार कर रहा था, मैंने अपने बॉस को बताया कि मेरे कुछ फ्रेंड आ रहे हैं, उनके लिये मुझे दो दिन के लिये उनका फ्लैट चाहिए।

तो बॉस बोला- एक तो बताओ कि मैं इन दो दिनों में कहाँ रहूँगा?

मैंने बताया कि दो दिन के लिये अपनी वाईफ के पास चले जाओ और उसकी चूत चोदो।

बॉस बोला- ठीक है, तुम्हारी बात मान ली लेकिन फ्लैट के बदले मुझे क्या मिलेगा?

मैंने तुरन्त ही उसका हाथ पकड़ा और अपनी छाती पर रखती हुई बोली- बॉस, ये तुम्हारा ही तो है।

मुस्कुराते हुए बॉस बोला- तुम जानती हो कि कैसे एक मर्द को अपने वश में किया जाता है।

तुरन्त ही बॉस ने अपने केबिन को अन्दर से लॉक कर मेरी जींस उतार दी और मुझे मेज पर बैठा कर मेरी चूत चूसने लगे।

मुझे पता था कि बॉस ज्यादा लम्बा नहीं चल सकता है तो मुझे कोई चिन्ता भी नहीं थी, तीन से चार मिनट में ही बॉस फ्री होने वाला था। हुआ भी वही... बॉस ने मेरी चूत चाटी और तुरन्त ही खड़ा होकर अपने लंड को मेरी चूत में पेल दिया। मेरे बॉस का तो हाल बस इतना ही कि दस से पंद्रह धक्के लगाता है कि उसका पूरा माल मेरी चूत के अन्दर चला जाता है। यह तो अच्छा है कि डाक्टर ने बता दिया था कि पिल लेने से गर्भ नहीं ठहरेगा। उस दिन भी यही हुआ, मेरा बॉस ने दस-पंद्रह धक्के ही मारे होंगे कि उसका माल मेरी चूत के अन्दर... और वो हाँफता हुआ मेरे ऊपर! फिर वो थोड़ा शर्मिन्दा हो गया जैसे हमेशा होता है, इस समय भी उसने वही डायलॉग बोला- सॉरी जान... लेकिन तुम बहुत अच्छी हो कि मुझे तुम कुछ नहीं कहती हो। मैं जानता हूँ कि मेरे में ज्यादा स्टेमिना नहीं बचा है, फिर भी जिस संयम के साथ तुम मेरा साथ देती हो, कोई दूसरा नहीं दे पाया, इसलिये मैं तुम्हें बहुत पसंद भी करता हूँ और प्यार भी करता हूँ। (मैंने मन ही मन सोचा 'दूसरी साली चूतिया होंगी।')

फिर ऊपर से मुस्कुराते हुए बोली- बॉस, तुम अगर खुश तो मैं भी खुश!

कुछ देर बाद बॉस ही खुद याद करते हुए बोले- रिजर्वेशन के लिये नाम दो?

मैंने जब अपने साथ अपने ससुर का नाम दिया तो वो भौंच्चके...

मैंने बॉस को ससुर का मेरे साथ चलने की पूरी बात बताई तो बोले- तब तो तुम्हारा टूर तो बेकार, काम करोगी और फिर रात को टांगें फैला कर सो जाओगी और उन टांगों के बीच में कोई नहीं होगा, तुम्हारी रात कैसे कटेगी? कहो तो मैं चलूँ?

मैंने तुरन्त ही एक बहाना बना कर मना कर दिया, जानती थी कि चाहे ससुर हो या फिर बॉस दोनों के होने न होने का मुझे कोई फायदा या नुकसान नहीं था। ससुर से लिहाज था और बॉस किसी काम का नहीं... बॉस के साथ तड़पने से अच्छा है कि मैं ससुर के साथ ही जाऊँ।

मेरे बॉस बोला कि जब भी उसके घर की चाबी चाहिये तो मैं उसे बता दूंगी तो वो दो दिन के लिये कहीं एडजस्ट कर लेगा।

शाम को घर आकर मैंने रितेश से बताया तो वो खुश होते हुए बोला- मान गये जान, तुमने हर चीज अरेंज कर ली है।

अब बारी अमित की थी कि वो घर वालों को क्या बताता है कि हम दो दिन घर से बाहर क्यों रहेंगे। अमित ने भी बड़ी समझदारी का परिचय देते हुए घर में बताया कि उसके डिपार्टमेन्ट ने एक आयोजन किया है और मुझे और नमिता के अलावा एक शादीशुदा जोड़ा और आ सकता है तो उसने आकांक्षा और रितेश का नाम दे दिया है। उसके बाद घर वालों को पूरी बातों से सन्तुष्ट किया। हम चारों लोग बड़ी उत्सुकता से जुम्मे की रात यानि शुक्रवार की रात का इंतजार करने लगे, हम चारों का प्रोग्राम था कि शुक्रवार रात को ही शिफ्ट हो जायेंगे, क्योंकि दो दिन के लिये भरपूर इंतजाम करना था ताकि किसी को बाहर न निकलना पड़े।

इंतजाम करते करते शुक्रवार की रात आ गई थी। शिफ्ट होने के एक रात पहले रितेश ने अमित और नमिता को बता दिया कि पार्टी में खुलकर शराब, सिगरेट, गाली-गलौच खूब होगी इसलिये खूब सोच लो क्योंकि वहाँ शर्म नहीं चलेगी।

अमित तुरन्त बोला- मेरी तरफ से ओ॰के॰ है, नमिता अगर ओ॰के॰ करती है तो मजा आयेगा। नमिता ने ओ॰के॰ किया और रितेश ने तुरन्त ही चार गिलास निकाले, सिगरेट निकाल कर सबको एक-एक पकड़ाई और पैग बनाने लगा। नमिता की आँखों में भी उत्सुकता थी, वो बड़े ही ध्यान से देख रही थी। सबको एक-एक गिलास उठाने को कहा गया, सबने गिलास उठाया और पहला सिप किया, घूंट भरते ही नमिता ने बुरा सा मुंह बनाया, लेकिन समझाने के बाद वो धीरे धीरे सिप करने लगी और सिगरेट को भी पहली खांसी के बाद पीने लगी। हालाँकि बीच बीच में एक दो बार और नमिता को खांसी आई लेकिन फिर सब ठीक हो गया।

अमित और रितेश ने अपनी चड्डी पहनी हुई थी जिसमें से उनके तने हुए लंड स्पष्ट दिखाई पड़ रहे थे। चूंकि मैं नीचे कुछ नहीं पहनती तो मैंने गाउन कुछ इस तरह से पहना था कि मेरे जिस्म का आधा हिस्सा खुला रहे और आधा ढका रहे।
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11-05-2020, 12:30 PM,
#65
RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
नमिता भी इस समय केवल पैन्टी और ब्रा पहने हुए थी, नमिता की बड़ी-बड़ी चूचियाँ ब्रा में समाने की भरपूर कोशिश कर रही थी, लेकिन समा नहीं पा रही थी। हल्की लाईट की रोशनी में उसका जिस्म काफी आकर्षित लग रहा था, अमित और रितेश की नजर बार बार नमिता के नंगे जिस्म पर ही जा रही थी। एक पैग के बाद सुरूर चढ़ने लगा था कि रितेश ने दूसरा लेकिन लाईट पैग बना दिया। रितेश ने अमित का गिलास अपने हाथ में लिया, नमिता को खड़ा होने के लिये बोला और अमित की तरफ देखते

हुए रितेश बोला- अमित, आज तुम अपनी बीवी के जिस्म से निकला हुआ नया रस पीयो।

इतना कहने के बाद रितेश ने अपनी बहन नमिता की पैन्टी के अन्दर अपने दांयें हाथ की दो उंगलियों को फंसा दिया और पैन्टी को खींचते हुए थोड़ी सी जगह बनाई और गिलास की शराब को पैन्टी के अन्दर गिरा दिया और तुरन्त ही खाली गिलास को नमिता की चूत के नीचे लगा दिया। अमित का गिलास फ़िर शराब से भर गया लेकिन इस बार का जाम नमिता की चूत और पैन्टी से मिलकर बना हुआ था। रितेश ने गिलास अमित को पकड़ाया और खुद नमिता की गीली पैन्टी पर अपनी जीभ फिराने लगा।

रितेश की देखा देखी अमित ने भी वही किया।

जैसे ही दोनों हटे, मैंने भी नमिता की गीली पैन्टी, जिसका स्वाद अमित और रितेश चख चुके थे, पर अपनी जीभ लगा दी। थोड़ा चाटने के बाद मैं मुस्कुरा दी और

मैं बोली- आज की ड्रिंक पार्टी तो बहुत ही मजेदार थी।

नमिता भी अब पूर्ण रूप से खुल चुकी थी, वो बोली- मुझे नहीं मालूम था कि मेरी चूत में इतना रस भरा होगा कि मेरी चूत के नीचे गिलास लगाना होगा और फिर उस रस को जाम समझ कर पी जाओगे।

कहकर हँसने लगी।

मैं उसकी चूत को पैन्टी के ऊपर से ही अपने अंगूठे को रगड़ते हुए बोली- वास्तव में तुम्हारी चूत का जवाब नहीं है!

उसकी पैन्टी को उतार कर मैं नमिता के पीछे आई, उसकी चूत की फांकों दोनों हाथों से खोलते हुए अमित और रितेश से बोली- लो देखो नमिता की चूत की लालिमा और इसको पुचकारो!

मेरे कहने के साथ ही दोनों बारी बारी से नमिता के चूत की लालिमा का मजा लेने लगा। रितेश तो एक्सपर्ट था ही... वो नमिता की चूत की क्लिट और कण्ट को भी दांतों से मसलने लगा।

नमिता सिसकार उठी। फिर रितेश ने बिस्तर पर रखे हुए गिलास को हटाया और बोला कि तुम दोनों करवट करके लेटो और एक दूसरी की चूत चाटो और हम दोनों तुम्हारी गांड के छेद का मजा लेंगे। रितेश के इतना कहते ही सब के पूरी तरह कपड़े उतर गये।

मैं और नमिता दोनों करवट होकर 69 की पोजिशन में आ गई और एक दूसरी के मुंह के ऊपर अपने पैरों को टिका दिया ताकि चूत चूसने में आसानी हो सके। मेरी गांड की तरफ रितेश था और अमित अपनी प्यारी बीवी की तरफ था। रितेश का हाथ मेरे कूल्हों को अच्छे से सहला रहा था और बीच बीच में चूतड़ों को चूम लेता और मेरी गांड के अन्दर उसकी उंगली कब जानी है रितेश को अच्छे से पता था। कुछ देर तो ऐसा ही चलता रहा। नमिता के साथ क्या हो रहा था, मुझे नहीं मालूम लेकिन उसको खूब मजा आ रहा था क्योंकि उसके जिस्म की हरकत बता रही थी कि वो मेरे साथ साथ अमित को भी एन्जॉय कर रही थी। मेरी गांड काफी गीली हो चुकी थी। रितेश कोशिश कर रहा था कि जिस पोजिशन में मैं हूँ उसी पोजिशन में वो मेरी गांड के अन्दर अपना लंड डाल दे। लेकिन न कर पाने के कारण रितेश एक हाथ से मेरे कूल्हे को पकड़ा और फिर लंड को छेद में रगड़ने लगा। मैं नमिता की चूत को चाटने में मस्त थी और रितेश लंड से मेरी छेद की घिसाई कर रहा था और जब तक उसने मेरी गांड की घिसाई चालू रखी जब तक कि वो छेद में ही डिसचार्ज न हो गया। फिर अपने रस को उंगली से मेरे गांड के अन्दर भरने लगा। एक दूसरी की चूत चाटने से हम दोनों ही झड़ चुकी थी और एक दूसरी का रस को पीने का आनन्द ले रही थी।

इस दौर के बाद एक बार फिर हम लोगों के बीच अदला बदली हुई। मैं अपने जीजू अमित की बांहों में थी और नमिता अपने भाई के बांहों में थी। रितेश उठा और नमिता को गोदी में उठा कर कमरे से बाहर ले जाने लगा तो,

अमित ही पूछ बैठा- साले साहब, कहाँ ले जा रहे हो?

रितेश बोला- जीजू, आप मेरी वाली के साथ अब अकेले में मजा लो और मैं नमिता को अपने साथ अपने कमरे में ले जाकर मजा लूंगा।

अमित बोला- साले साहब, तुम मेरी बीवी की चूत या गांड को को मेरे सामने भी चोद सकते हो, मैंने कब मना किया है और तुम्हें अपनी बहन के साथ जो भी करना है, हमारे सामने करो। हमें भी देखना है कि तुम नमिता के साथ नया क्या करते हो?

रितेश बोला- 'ठीक है, अगर तुम लोग नहीं मानते तो मैं यहीं पर मजा करता हूँ।'

भाई ने अपनी नंगी बहन को गोद से उतारते हुए पलंग पर बैठा दिया और उसके दोनों हाथों का टेक पीछे की तरफ दे दिया और नमिता के गालों को दोनों हाथ रखते हुए,

रितेश बोला- मैं जो भी करूँ, तुम केवल उसमें साथ देना।

रितेश ने एक गिलास पानी से भरा हुआ लिया और नमिता के पीने के लिये दिया, नमिता ने बिना कुछ बोले उस गिलास को खाली कर दिया। रितेश ने फिर से उस गिलास को भर दिया, नमिता ने रितेश को देखा पर बोली कुछ नहीं और गिलास का पानी फिर पी गई। उसके बाद रितेश ने भी दो गिलास पानी पिया। पानी पीने के बाद रितेश नमिता के दोनों पैरों के बीच आकर बैठ गया और उसकी तरफ देखते हुए,

रितेश बोला- शनिवार को चार नये पार्टनर और जुड़ेंगे, खूब खुला सेक्स होगा, खूब मस्ती होगी। हो सकता है कि दो दिन तक हमारे जिस्म में एक भी कपड़ा न हो। जिसकी जहाँ मर्जी होगी, खड़ा होकर मूतेगा, जहाँ मर्जी होगी और जिसके साथ किसी को सेक्स करना होगा, बिना कुछ पूछे वो अपने पार्टनर को पकड़ लेगा और सबके सामने चाहे लंड चूत के अन्दर जाये या फिर चूत लंड को अपने अंदर ले ले।

नमिता की जांघ को सहलाते हुए रितेश बोला- तुम दिल और दिमाग दोनों से तैयार हो न?

नमिता बोली- भाई, जब मैं तुम्हारे समाने नंगी हूँ और तुम्हारे लंड को अपने अन्दर ले चुकी हूँ तो अब किसी के लंड से कोई परेशानी नहीं।

रितेश का हाथ नमिता की जांघ पर ही था, रितेशने पूछा- नमिता तुमने किसी मर्द को मूतते हुए देखा है?

नमिता- 'कई बार देखा है मगर चोर नजरों से!'

रितेश बोला- 'कभी इच्छा हुई कि कोई तुमको मूतता हुआ देखे?'

नमिता- 'नहीं, कुछ दिन पहले तक तो नहीं लेकिन इधर जब से भाभी हम सब साथ सब कुछ कर रहे है तो मन में इच्छा होती है कि कोई अजनबी मर्द मुझे भी मूतते हुए देखे और ललचाये।'

रितेश ने नमिता की चूत की फांकों को फैलाया और उसको चाटते हुए बोला- पेशाब लगी है मेरी प्यारी बहना?

नमिता ने हाँ में सर हिलाया।

रितेश ने अपनी लम्बी सी जीभ निकाली और उसकी चूत के पास ले जाकर लगा दी और बोला- अपनी धार को अहिस्ते से छोड़ना, ध्यान रखना कि कोई बूंद मेरी जीभ से बाहर ना जाये।

नमिता ने रितेश के कहे अनुसार ही किया और नमिता की मूत की एक-एक बूंद रितेश की जीभ से होते हुए उसके हलक के नीचे उतर रही थी, रितेश बड़ा ही स्वाद ले लेकर उसे पी रहा था। नमिता का पूरा पेशाब गटकने के बाद रितेश एक बार फिर नमिता की चूत की फांकों के बीच अपनी जीभ चलाने लगा तकि बचा खुचा रस भी वो गटक सके। ऐसा करने के बाद जैसे ही रितेश ने उसकी फांकों से अपना मुंह हटाया तो,

नमिता बोली- कि इसका स्वाद कैसा है?

रितेश मुस्कुराते हुए बोला- तुम्हारी भाभी की चूत का पानी और तुम्हारी चूत का पानी बहुत ही मस्त है।

मैं और अमित दोनों ही केवल उन दोनों की बातों को और क्रियाओं को देख रहे थे। फिर रितेश खड़ा हुआ और नमिता को जमीन पर बैठ कर अपना मुंह खोलने के लिये बोला। नमिता वहीं जमीन पर अपना मुंह खोल कर बैठ गई और आँखें बन्द कर ली और आने वाले उस पल का इन्तजार करने लगी। रितेश ने अपने लंड को बिल्कुल नमिता के मुंह के करीब ले गया और बहुत ही धीरे से अपनी पहली धार नमिता के मुंह में छोड़ी। नमिता ने उसे बड़ी ही मुश्किल से गटक पाई जैसे वो उसके स्वाद को समझने की कोशिश कर रही हो, फिर अपनी जीभ को अपने होंठों पर फेरा और फिर मुंह को खोल दिया।
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11-05-2020, 12:30 PM,
#66
RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
अब वो उस स्वाद के लिये तैयार थी जिसके बारे में रितेश ने नमिता को बताया था। रितेश ने समय लेते हुए नमिता के मुंह में धार गिराना चालू रखा। नजारा तो बेहद कामुक और गंदा था लेकिन अब हम लोगों के लिये ये नजारा चुदाई के खेल का एक पार्ट हो चुका था। मैं भी अमित के लंड को पकड़ कर चूसने लगी और अपना मुंह खोल दिया। अमित समझ गया और अपना सारा ध्यान एक जगह केन्द्रित कर लिया, थोड़ा सा समय लेने के बाद अमित के लंड से एक बूंद मेरी जीभ को टच की। मुझे तुरन्त अपनी सुहागरात याद आई जब मैंने और रितेश ने मजबूरी में एक दूसरे की मूत पी थी लेकिन आज मूत पीने का बहुत ही आनन्द ले रहे थे। अमित शायद अपने दिमाग को कंट्रोल नहीं कर पा रहा था, उसका पेशाब रूक रूक कर आ रहा था। मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं हॉट काफी पी रही हूँ, बहुत ही कसैला सा स्वाद था लेकिन लग रहा था कि यह स्वाद बना रहे। जब अमित पेशाब कर चुका तो मैंने उसके सुपारे के खोल को हटाते हुए उसकी लंड के अग्र भाग को चाटने लगी। उसके बाद अमित घुटने के बल नीचे बैठ गया और अपने मुंह को खोल दिया। उस दिन मैंने बदला लेने की गरज से अमित को जबरदस्ती अपना मूत पिलाया था पर आज मैंने अपनी चूत को बहुत ही आहिस्ते से उसके मुंह के पास लगा दिया और फिर धार छोड़ने लगी। जब मेरी भी धार खत्म हुई तो अमित ने अपने उंगलियों का यूज करते हुए मेरी चूत की फांकों को मसलता और फिर उसे चाटता। तभी मेरी नजर रितेश पर पड़ी, वो अपनी बहन को बिस्तर पर लेटा कर बहन की चूत के अन्दर अपना लंड डाल चुका था और उसके दोनों पैरों को अपने कंधे की ऊँचाई तक कर दिया था। मैंने भी जल्दी से पलंग पर आकर उसी पोजिशन पर अपने पैरों को उठा लिया और अमित मेरे पैरों के बीच आकर अपने लंड को मेरी चूत में डाल कर हल्के हल्के धक्के लगाने लगा। ननद और भाभी अगल बगल लेटी हुई थी और दोनों की चूचियाँ चूत ठुकाई से खूब हिल डुल रही थी। नमिता मुझे देखकर मुस्कुराती और मैं नमिता को देख कर मुस्कुराती। मैं रितेश की बातों को भी अपने जेहन में उतारती चली गई कि शनिवार से एक नया माहौल होगा और खूब मस्ती होगी। मेरी चूत में अमित के धक्के कभी धीरे होते तो कभी तेज होते। कुछ देर की ठुकाई से मेरे अन्दर की गर्मी बाहर निकल चुकी थी और शायद अमित की भी गर्मी शांत होने वाली थी। तभी अमित ने अपने लंड को मेरी चूत से बाहर निकाला और अपने लंड की मुठ मारने लगा, उसका लावा मेरी जांघों पर गिरने लगा। रितेश ने भी कुछ इस तरह ही नमिता के ऊपर किया। दोनों के डिस्चार्ज होने के बाद का जो माल हम दोनों के ऊपर गिरा था, उसको वहीं पास पड़ी चादर से साफ किया और फिर वही एक दूसरे की बांहों में सिमट कर सो गये।

दूसरे दिन मैं रूटीन काम निपटा कर ऑफिस गई पर ऑफिस में मेरा मन नहीं लग रहा था, किसी तरह से काम निपटा कर मैंने बॉस से उसके घर की चाभी ली और एवज में बॉस ने अपने दो मिनट का खेल मेरी चूत में खेला। दो दिन वो खेल होने वाला था जिसमें कई लोग नये थे और कई लोग इस खेल के एक्सपर्ट खिलाड़ी थे पर मजा खूब आने वाला था। घर पहुंची तो देखा नमिता ने रात की सभी तैयारी कर ली है, वो खुद भी खूब एक्साईटेड थी। इस समय हम चार लोग केवल टाईम पास कर रहे थे कि कब घर का खाना निपटे और कब हम लोग बॉस के घर में शिफ्ट हों। टाईम भी जिद पर अड़ा हुआ था और उसने भी अपनी गति को बहुत धीमा कर रखा था। पर जैसे तैसे रात का खाना निपटा तो हम लोग कार लेकर निकल पड़े और बॉस के घर आ गये। कार ऐसी जगह पार्क की कि किसी की नजर उस पर न पड़े।

फिर हम लोग मेरे बॉस के घर के अन्दर गये अपने सामान फेंके और चारों ने जल्दी जल्दी अपने कपड़े उतारे कि तभी रितेश की नजर हमारे पैरों पर गई,

वो तुरन्त बोल उठा- तुम लोग पूरे दो दिन तक हाई हील सैन्डल ही पहनकर रहोगी।

अभी हम लोगों को पहुंचे पंद्रह मिनट ही हुए होंगे कि,

टोनी की कॉल आ गई- हम लोग लखनऊ आ चुके हैं, होटल जा रहे हैं, कल आकर पिक कर लेना।

रितेश ने उसे कुछ देर वहीं इंतजार करने को कहा और गाड़ी का नम्बर और गाड़ी का कलर पूछ कर बोला- जब मैं फोन करूँ तो तुम लोग कार के पास आ जाना।

रितेश ने वहीं पड़ी दो चादर उठाई और नमिता से बोला- चलो, मेहमान को रिसीव करके आते हैं।

नमिता कपड़े पहनने लगी तो रितेश ने उसके हाथ से कपड़े लिये और चादर देते हुए,

रितेश बोला- जहाँ इसकी जरूरत हो, तुम ओढ़ लेना!

कहते हुए नमिता का हाथ पकड़ कर रितेश चल दिया। करीब आधे घण्टे बाद ही नीचे कार के हॉर्न की आवाज सुनाई दी। मैं और अमित भी नीचे उतर आये तो देखा कि सुहाना-अश्वनी, टोनी और मीना सभी थे और सभी पूर्ण रूप से नंगे थे। मुझे और अमित को देखते ही सब हमारे गले लगे और होंठों को चूम-चूम कर अभिवादन करने लगे। उसके बाद सभी लोग ऊपर आ गये।

टोनी बोला- इसको कहते हैं स्वागत करना!

मेरे पूछने पर

रितेश ने बताया:

मैं टोनी और मीना को रिसीव ही कर रहा था कि सुहाना का फोन आ गया, वो भी स्टेशन से होटल जा रहे थे तो मैंने उनको भी कार में बुला लिया। कार के अन्दर जैसे ही अश्वनी और सुहाना आये तो मुझे और इन सभी को नंगा देख कर,

सुहाना बोली- 'क्या डेयरिंग है तुम्हारी कि तुम दोनों पूरे नंगे होकर हम लोगों को रिसीव करने आये हो।'

सुहाना का जवाब देने से पहले मैंने सबका एक-दूसरे से इन्ट्रोडक्शन कराया।

टोनी तो टोनी है, तुरन्त ही सुहाना के बूब्स दबाते हुए बोला 'हाय' इससे पहले कि सुहाना टोनी के इस हरकत को समझ पाती कि टोनी ने अश्वनी का हाथ पकड़ा और मीना के बूब्स पर रखते हुए बोला कि तुम दोनों एक दूसरे को हाय नहीं बोलोगे क्या?
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11-05-2020, 12:30 PM,
#67
RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
सुहाना और अश्वनी दोनों के लिये ये नया-नया था। टोनी की आदत है कि किसी को कपड़े में देखना उसे पसंद नहीं है तो वो बोला 'यार अश्वनी तुम दोनों बहुत ही कमीने हो कि हम शरीफ लोग शर्मा रहे हैं।

मैं समझ रहा था कि अश्वनी और सुहाना के लिये ये थोड़ा मुश्किल हो रहा होगा तो मैं ही बात काटते हुए बोला कि तुम दोनों को भी कपड़े उतारने के लिये बोल रहा है क्योंकि इस पार्टी का रूल है कि कोई भी एक मेम्बर अगर नंगा है तो बाकी सब को भी नंगा होना पड़ेगा।

मेरी बात पर हामी भरते हुए अश्वनी और सुहाना ने भी अपने कपड़े उतार दिये और नंगे हो गये।

फिर सभी लोग जमीन पर गोला बना कर बैठ गये फिर सब को नियम बता दिये गए और यह भी बता दिया कि सभी एक दूसरे की हरकत का मजा लेंगे बुरा कोई नहीं मानेगा, अगर किसी को बुरा लग रहा हो तो अभी भी वो छोड़कर जा सकता है। सभी की हामी एक सुर में मिलने के बाद रितेश ने फ्रिज से ठंडी बियर की कैन निकालीं और सभी को एक एक पकड़ा दी। सभी ने एक स्वर में चीयर्स बोला और एक-एक घूंट बियर की बदल बदल के पीने लगे। सुरूर चढ़ने के साथ साथ सभी के खेल शुरू हो गये कि,

तभी सुहाना खड़ी हुई और बोली- मुझे पेशाब लगी है, मूतने जाना है।

टोनी ने तुरन्त ही एक बियर की खाली कैन उठाई उसके कवर को निकाल कर सुहाना की चूत की तरफ लगा कर बोला- मेरी जान, लो मूतो!

सभी मर्द टोनी की तरफ देखने लगे लेकिन टोनी अपने में ही मस्त सुहाना की चूत को सहलाते हुए बोले जा रहा था- मेरी जान, अपनी इस प्यारी चूत से अपनी मूत की धार निकालो और इस खाली डिब्बे में मूतो।

सुहाना टोनी को सहलाना बर्दाश्त नहीं कर पाई और धार छोड़ दी। एक कैन भरने लगी तो रितेश के तरफ इशारा करते हुए दूसरी कैन मांगी। रितेश ने दूसरी खाली कैन भी टोनी को पकड़ा दी जिसको तुरन्त ही टोनी ने सुहाना की चूत के मुहाने में लगा दिया। जिस तरह दोनों कैन भर गई थी उससे तो यही लग रहा था कि सुहाना को मूतास खूब तेज लगी थी। सुहाना के मूत से भरी हुई दोनों कैन को बीच में रखते हुए टोनी ने एक चुम्मी सुहाना की चूत की ली सुहाना के मुंह से आईस्स्स ही निकल पाया।

फिर उसके दोनों हाथों को पकड़ कर बैठा दिया, उसके बाद दोनों कैन को हाथ में उठाते हुए,

टोनी बोला- लो दोस्तो, मुफ्त में ही दो और बियर का इंतजाम हो गया!

कहते हुए उसने एक घूंट पी और फिर बगल में बैठी हुई अपनी बीवी मीना को पकड़ा दिया, मीना ने के सिप लिया और अश्वनी जो उसकी बगल में बैठा था, उसको दिया। अश्वनी ने भी देखा देखी एक सिप ली और मुझे पकड़ा दी।

इस तरह से दोनों कैन खाली हो चुकी थी।

इस बार अश्वनी बोला- देखो, अब किसी को भी मूतास लगेगी वो कैन में ही मूतेगा।

उसके बाद टोनी ने सभी औरतों को खड़े होने का आदेश दिया और,

टोनी बोला- तुम लोग प्रतियोगी हो और हम लोग जज... तुम सभी खड़ी हो जाओ और हम लोग जज करके बतायेंगे कि किसकी चूत सबसे अच्छी है।

हम लड़कियाँ खड़ी हो गई। सबसे पहले टोनी ने सबकी चूत को सहलाया और चूमा, फिर अश्वनी ने, उसके बाद अमित ने, फिर रितेश ने बारी बारी से हम सभी औरतों की चूत को सहला कर देखते और उसे चूमते और फिर हम लोग से दूर हटकर दूसरे कमरे में चले गये। कुछ देर बाद टोनी लीडर की तरह आगे आया,

टोनी बोला- आज की सबसे सेक्सी चूत सुहाना की है, सबसे पहले उसी की बुर में लंड जायेगा। नमिता बोली- हम लोगों को जानना है कि सुहाना की चूत सबसे सेक्सी कैसे है?

टोनी बोला- यह हम लोगों का आपस में विचार हुआ है और हमने अपने विचार आपको बता दिये।

नमिता फिर बोली- लेकिन मुझे जानना है कि क्या विचार किया।

अब की रितेश बोला- सबने अपनी चूत को काफी चिकना किया हुआ है पर सुहाना की चूत के ठीक ऊपर देखो उसने कमर के नीचे और चूत के ठीक ऊपर झांटों को इस तरह सेट कराया है जिससे उसके इस हिस्से का आकर्षण अलग सा हो गया है और हम लोगों ने ये डिसाईड किया है कि सुहाना जिसको चाहेगी आज की चुदाई की शुरूआत वही करेगा।

तभी हम सभी लेडीज एक साथ बोल पड़ी- हम भी यह डिसाईड करेंगी कि तुममें से सबसे अच्छा लंड किसका है और वही सुहाना के साथ उसकी चूत चुदाई की शुरूआत करेगा। उसके बाद पर्ची निकाली जायेगी, जिसकी पर्ची जिसके साथ मिलेगी, वो ही उसकी चुदाई करेगा, बाकी सभी उस चुदाई को लाईव देखेगे। अब तुम लोग सब लाईन पर खड़े हो जाओ ताकि हम सभी तुम लोगों के लंड को देख कर बता सकें कि किसका लंड सबसे ज्यादा अच्छा है और कौन वो खुशकिस्मत है जो आज की चुदाई की शुरूआत सुहाना की चूत के साथ करेगा। सभी मर्द लाईन में खड़े हो गये। हम सभी लोग मर्दों के लंड को नापते, उनके टोपे को टच करते रही। फिर हम सभी दूसरे कमरे में गई और सभी के निष्कर्ष से यह निकला कि मेरे प्यारा हबी रितेश का लंड सबसे ज्यादा जानदार है। हम सभी औरतें कमरे से बाहर आई और हमने डिसाईड किया कि सुहाना बतायेगी कि उसे सबसे ज्यादा किसका लंड पसन्द आया?

सुहाना एक-एक करके सबके पास जाती, बन्दे को देखती और मुस्कुराती हुई आगे बढ़ जाती।

फिर सबसे हटकर खड़ी हो गई और रितेश की तरफ इशारा करती हुई,

सुहाना बोली- रितेश का लंड सबसे ज्यादा पसंद किया गया है।

टोनी तुरन्त बोल पड़ा तो मैंने मीना को इशारा किया तो,
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11-05-2020, 12:30 PM,
#68
RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
मीना बोली- एक तो रितेश का लंड तुमसे सबसे बड़ा है और दूसरे हम सभी ने तुम्हारे लंड के टिप को छुआ था, तुम सभी के लंड चिपचिप कर रहे थे, मतलब तुम्हारे रस की बूंदें बाहर आ चुकी थी पर रितेश के लंड से कोई रस नहीं निकल रहा था।

मीना की बात सुनकर सभी मर्द रितेश के लंड को टच करने लगे ताकि वो जान सकें कि मीना जो कह रही है वो सही है या नहीं। जब सभी ने रितेश के लंड को बारी बारी छू लिया तो कहने लगे- ठीक है, तो सुहाना और रितेश की जोड़ी आज के चुदाई का प्रोग्राम शुरू करेंगे और बाकियों की पर्ची निकाली जायेगी।

अब फैसला यह होना था कि पर्ची मर्दों की निकाली जायेगी या हम औरतों की। सभी ने मिलकर फैसला किया कि मर्दों की पर्ची निकाली जायेगी और औरतें पर्ची उठा कर देखेंगी कि किसके पास कौन मर्द आता है।

अमित, टोनी और अश्वनी के नाम की पर्ची उछाली गई। मैंने, नमिता और मीना ने एक एक पर्ची उठाई। मेरे हिस्से में अश्वनी आया, नमिता को टोनी और मीना को अमित मिल गया। फिर तय हुआ कि बारी बारी से सभी चुदाई का खेल खेलेंगे और बाकी जोड़ियां उस खेल को देखकर आनन्द लेंगी। एक शर्त जो पहले से ही थी कि सभी औरतें हाई हील सैन्डिल पहने रहेंगी और कोई भी जोड़ी केवल चुपचाप चुदाई का खेल देखेगी और कोई हरकत नहीं करेगी और अगर गलती से भी कोई हरकत होती है तो उस जोड़ी को चुदाई का मौका नहीं मिलेगा।

टोनी फिर बोल उठा कि इस गेम वाली चुदाई में या फिर अन्त तक?

मैं- 'नहीं एक ही ट्रिप वाली चुदाई में!'

टोनी ने एक फिर प्रश्न किया- मान लो सुहाना और रितेश चुदाई कर चुके हैं और तीसरी जोड़ी का चुदाई खेल शुरू है और रितेश और सुहाना ने नियम तोड़ा तो?

नमिता बोली- जिस जोड़ी का चुदाई का प्रोग्राम हो चुका होगा वो अलग अलग बैठेगा।

सभी सहमत हो गये। अब बारी थी सुहाना और रितेश की चुदाई की...

बाकी जोड़ियाँ सुहाना और रितेश के ईर्द-गिर्द गोला बना कर अपने पार्टनर की गोद में बैठ गई। चूंकि सभी के दिमाग में उत्तेजना थी और सभी के लंड तने हुए थे और साथ में लड़कियों की गांड और चूत उनके लंड से सटी हुई थी तो लाजिमी सी बात थी कि हरकत होनी है। मैं अश्वनी की गोद में बैठी हुई थी और उसका लंड मेरी गांड से टच कर रहा था और मेरी गांड में सुरसुराहट सी हो रही थी। हम सभी को यह लग रहा था कि यह मजा नहीं सजा मिली है लेकिन बर्दाश्त करना था तो मैं अश्वनी की जंघा पर बैठ गई। सभी की हालत एक जैसे ही थी, बाकी की दोनों जोड़ियाँ भी मेरी देखादेखी अपने अपने पार्टनर की जांघ पर बैठ गई। इधर रितेश और सुहाना का गेम शुरू होने वाला था। हाई हील सैन्डिल पहने होने के कारण सुहाना और रितेश की लम्बाई बिल्कुल बराबर हो गई, रितेश सुहाना के समीप आया, उसे अपने से चिपकाया और दोनों ही दो मिनट तक ऐसे ही खड़े रहे। फिर रितेश ने सुहाना के दोनों गालों को अपनी हथेलियों में लिया और अपने होंठ उसके होंठ को चूसने लगा। उसके बाद दोनों एक-दूसरे से जीभ लड़ा रहे थे और एक दूसरे की जीभ को अपने मुंह में लेने की कोशिश कर रहे थे। थोड़ी देर तक तो इसी तरह चलता रहा! उधर उन दोनों का खेल चल रहा था और बाकी के लोग अपनी केमेन्ट्री पेल रहे थे, कोई कह रहा था कि शुरूआत अच्छी है, काफी बढ़िया से होंठ चूस रहे है एक दूसरे के! अश्वनी भी केमेन्ट्री कर रहा था और उसका एक हाथ चुपचाप सबकी नजरों को बचा कर मेरी कमर और पेट को सहला देता। होंठ चूसते चूसते रितेश ने सुहाना के बालों को खोल दिया। क्या लम्बे बाल थे सुहाना के... सुहाना के बाल जब खुल कर नीचे की तरफ जा रहे थे तो ऐसा लग रहा था कि कोई सांप बल खाकर चल रहा हो। बाल सुहाना के इतने लम्बे थे कि उसके चूतड़ को पूरा ढक चुके थे। रितेश ने अपने एक हाथ को सुहाना की गर्दन पर रखे और उसके गालों को चूमते हुए उसकी गर्दन को भी चूम रहा था। उसके बाद रितेश सुहाना के पीछे आ गया, उसकी गर्दन को चूमते हुए उसकी चूचियों को दबा रहा था और सुहाना ने अपने दोनों बांहों की माला बनाकर रितेश की गर्दन में डालकर आंखें बन्द कर ली थी, जो कुछ भी रितेश उसके साथ कर रहा था, वो उसका मजा ले रही थी।

अश्वनी इस सीन को देखकर कह उठा- वाह सुहाना, क्या पोज है ऐसा लग रहा है कि कामदेव कामदेवी रति की ज्वाला शांत करने की कोशिश कर रहे हैं और काम देवी अपनी आंखें बन्द किये हुए एक-एक पल का मजा ले रही हैं।

वास्तव में सुहाना बिल्कुल सब कुछ भूल चुकी हो, उसके मुंह से केवल बीच बीच में सीईईई की आवाज आ रही थी। रितेश की दोनों हथेलियाँ सुहाना के दोनों लटकते हुए खरबूजे जैसी चूचियों को काबू में करके उसको तेज-तेज भींच रही थी और बीच बीच में उसकी निप्पल को तेजी से मसल दे रही थी। जब कभी रितेश की हथेलियाँ और उंगलियाँ सुहाना की चूचियों या घुणडी को तेजी से मसलती तभी एक आह की आवाज उसके मूंह से निकलती लेकिन इन हालातों में भी वो अपनी आँखों को बन्द किये ही रही। इधर अश्वनी जैसे ही एक सिसकारी सुहाना के मुंह से सुनता, वो उतनी ही तेजी से मेरे पेट को दबा देता, जिससे मुझे दर्द होता लेकिन मैं इसलिये चुप हो जाती कि कहीं मेरा दर्द हमारी सजा में तब्दील न हो जाये। मैंने कई बार इशारों से अश्वनी को रोकने की कोशिश की लेकिन वो जब भी सुहाना की सीत्कार सुनता तो उसका रिऐक्शन मेरे साथ भी ऐसा ही होता।

फिर रितेश सुहाना की पीठ को चूमते हुए उसके नीचे की तरफ बढ़ने लगा, जैसे जैसे वो सुहाना के नीचे की ओर बढ़ता, वैसे ही वैसे वो सुहाना की पीठ पर अपने दूसरा हाथ का प्रेशर देता और सुहाना भी उसी तरह झुक जाती। रितेश सुहाना के कमर तक पहुंचता, उससे पहले सुहाना काफी झुक चुकी थी और उसकी चूत और गांड का छेद एक ही सेन्टर पर आ चुके थे। रितेश के हाथ अब सुहाना के कूल्हों पर थे, एक जोर से चांटा रितेश ने सुहाना के कूल्हे पर लगाता। उधर रितेश ने चांटा कूल्हे पर लगाया इधर अश्वनी ने मेरे पेट को कस कर मसल दिया। काफी तेज दर्द हुआ,

पर इस बार मैंने अश्वनी के कान में कहा- जो कुछ करना वो हमारी बारी आने पर करना, मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रही हूँ।

अश्वनी चुपचाप सॉरी बोला और उसने सबकी नजरें बचा कर मेरे गाल को चूम लिया।

रितेश इस तरह नीचे बैठ गया था कि उसका मुंह सुहाना के चूत के ठीक सामने था, रितेश ने सुहाना के दोनों छेदों को बारी-बारी चूमा और फिर उसने सुहाना की चूत पर बहुत सारा थूक थूक दिया, उस थूक से सुहाना की चूत को गीला करने लगा, फिर अपनी हथेली को चाट कर गीला करता, फिर अपनी हथेली से अपने लंड को पौंछता, फिर सुहाना की चूत को कस कर उसी हथेली से रगड़ता। फिर रितेश खड़ा हुआ और अपने लंड को सुहाना की चूत पर रगड़ते रगड़ते एक झटके से उसकी चूत में पेल दिया। 'ओक्क...' की एक हल्की सी आवाज सुहाना के मुंह से निकली। रितेश ने 12-14 धक्के कस-कस कर लगाये और फिर लंड को बाहर निकाल कर सुहाना की गांड में पेल दिया। दो तीन कोशिश करने के बाद रितेश का लंड सुहाना की गांड में धंस चुका था। एक बार फिर रितेश तेज-तेज धक्के लगाने लगा। फिर कुछ धक्के लगाने के बाद इस बार रितेश सुहाना के आगे आया और अपना लंड सुहाना के मुंह की ओर कर दिया। सुहाना उसी पोजिशन में रितेश के लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी, सुहाना कभी टोपे पर जीभ फेरती तो कभी पूरा लंड अपने मुंह के अन्दर ले लेती तो कभी वो रितेश की गोटियों को कस कर दबा देती। अब बारी रितेश की थी, जब कभी भी सुहाना रितेश की गोटियों को दबाती तो रितेश की सीत्कार निकल जाती। अश्वनी रितेश के इस सीत्कार का आनन्द ले रहा था, उसे लग रहा था कि सुहाना ने रितेश को अपने काबू में कर लिया। रितेश की तरह सुहाना भी रितेश के लंड पर थूकती और फिर अपने हाथों से उस थूक से रितेश के लंड पर मालिश करती।
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11-05-2020, 12:31 PM,
#69
RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
इधर सभी के कमेन्ट बदसतूर जारी थे।

इस बार अमित बोला- वाह साले साहब, तुमको देखकर जोश आ रहा है कि अभी ही हम लोग शुरू हो जायें। रितेश ने सुहाना को सीधी खड़ी किया और उसे गोदी में उठाकर पास में ही पड़े हुए बेड पर लेटा दिया और उसकी टांग को खीचकर बेड के बाहर कर दिया और फिर सुहाना की दोनों टांगों को फैलाकर अपने लंड को उसकी चूत में पेल दिया और फिर जोर जोर से धक्के लगाने लगा। दो तीन मिनट तक दोनों के द्वंद की आवाज फच-फच के रूप में हम सभी को सुनाई देती रहीं। उसके बाद रितेश ने अपना लंड सुहाना की चूत से निकाल लिया और अब सुहाना के डायरेक्शन को उसने चेंज कर दिया अब सुहाना की गर्दन पलंग के बाहर लटकी थी और उसके पैर बिस्तर पर थे। रितेश सुहाना के सर को अपनी जांघों के बीच लेकर उसके मुंह के अपने लंड को ले जाकर अपने लंड को फेटने लगा। बीच बीच में वो अपना लंड सुहाना के मुंह के अन्दर भी डाल देता।

रितेश के इस तरह करने का मतलब था कि वो अब झड़ने वाला है। कोई एक ही मिनट के बाद रितेश का गाढ़ा वीर्य सुहाना के खुले मुंह के अन्दर था जिसे सुहाना पूरा पी गई और रितेश के लंड पर लगा हुआ वीर्य भी उसने चाट कर साफ कर दिया। उसके बाद दोनों एक दूसरे से चिपक कर खड़े हो गये। सभी ने जोर दार तालियां उनके लिये बजाई और फिर अमित ने सुहाना से पूछा कि उसे कैसा लगा।

सुहाना अश्वनी की तरफ देखते हुए बोली- बहुत मजा आया!

सुहाना फिर बोली- मैं अश्वनी से उम्मीद करती हूँ कि वो आकांक्षा को भी इतना ही मजा दे।

टोनी ने पूछा कि वो अभी और चुदना चाहती है या थक गई है तो,

सुहाना मुस्कुराते हुए बोली- टोनी साहब मेरा तो मन नहीं भरा है, मैं चाहती हूँ कि एक बार मैं चूदूं पर अभी दूसरों की भी बारी आनी है। अगर मैं दुबारा चुदने लगी तो आप सभी ही हमें गाली देना शुरू कर देंगे।

अब अश्वनी की बारी थी,

अश्वनी बोला- सुहाना इस चुदाई में तुम्हें किस बात की कमी खली?

सुहाना बोली- हाँ, एक कमी तो थी ही!

अश्वनी ने पूछा- 'क्या?'

सुहाना बोली- मैं सोच रही थी कि रितेश मेरी गांड को भी अच्छे से चाटेगा और उसकी भी चुदाई करेगा।

रितेश तुरन्त ही बोला- सॉरी सुहाना जी, पर दो पूरी रात और दिन पड़ा है और अबकी मौका लगेगा तो यह बन्दा आपके गांड की सेवा भी पूरी तरह करेगा!

कहने के साथ ही सुहाना और रितेश हमारी तरफ आये, रितेश ने मुझे चूमा और सुहाना अश्वनी से लिपट गई। अश्वनी भी सुहाना को जम कर चूमने लगा और

अश्वनी बोला- सुहाना, तुम्हारा शुक्रिया कैसे अदा करूँ कि इतनी जानदार पार्टी में तुम मुझे लेकर आई हो। जहाँ तुम्हारी भी सब इच्छा पूरी होगी और मेरी भी।

उसके बाद रितेश और सुहाना दोनों बारी-बारी सभी से गले मिले और फिर अलग अलग जाकर बैठ गये।

अब बारी आई नमिता और टोनी की...

टोनी ने नमिता को गोद में उठाया और उसको बेड पर ले जाकर लेटा दिया। टोनी नमिता के बगल में लेट कर उसके बालों से खेलते हुए उसकी पेशानी को चूमता हुआ नमिता के होंठों पर अपनी उंगली फेर रहा था। धीरे धीरे वो नमिता की आँखों को चूमने लगा, उसके बाद उसके दोनों के गालों को बारी बारी चूमता हुआ नमिता के अधर पर अपने होंठ टिका दिए और उनको चूमने लगा। नमिता टोनी के बालों को सहलाते हुए उसका साथ उसके होंठ चूमने में देने लगी। टोनी ने थोड़ी देर तक नमिता के होंठों को चूमा और फिर वो नमिता के पैरों के पास आ गया और उसके पैरों के अंगूठे को चूमने लगा। जब टोनी इस तरह कर रहा था कि

अमित बोल उठा- वाह भाई टोनी, तुमने तो मेरी सुहागरात याद दिला दी। उस दिन मेरी पत्नी को मैं इसी तरह प्यार कर रहा था और नमिता खूब शर्मा रही थी।

टोनी बोला- भाई जो चुदक्कड़ होती है वो नहीं शर्माती, पर जो लड़कियाँ पहली बार सुहागरात की सेज पर बैठती हैं, उनकी तो ऐसे ही गांड फटी रहती है कि क्या होगा उनकी चूत का!

इतना कहने के साथ ही टोनी ने एक बार फिर नमिता के पैरों को चूमना शुरू कर दिया और चूमते चूमते उसकी जांघों के बीच आ गया और जांघें चूमते हुए टोनी ने जब नमिता की फूली हुई चूत पर चुम्बन लेना चाहा तो नमिता अपने दोनों हाथों से उस जगह को छिपाने लगी। टोनी ने उसका हाथ हटाया और फिर जैसे ही चूमने गया, वैसे ही नमिता ने अपनी दोनों टांगों को सिकोड़ लिया। टोनी बड़े आश्चर्य में था कि हो क्या रहा है, फिर भी उसने नमिता का हाथ छोड़ा और उसके पैरों को फैलाया और फिर जैसे ही चूमने के लिये अपने होंठों को उसकी चूत के ऊपर ले ही जा रहा था कि नमिता ने फिर अपने दोनों हाथों से अपनी चूत को ढक लिया। इस तरह से थोड़ी देर तक टोनी नमिता की चूत को चूमने जाता तो नमिता किसी न किसी तरीके से अपनी चूत को छिपा लेती!

हम जितने लोग भी वहां बैठे थे सभी बड़ी उत्सुकता से देख रहे थे कि टोनी फेल हो रहा था। अन्त में वो गुस्से में आ गया और,

टोनी बोला- मुझे ऐसी लड़की के साथ मजा नहीं चाहिए जो थोड़ा भी कॉपरेट नहीं कर रही हो।

टोनी के गुस्से को देखते हुए खुद,

नमिता बोली- टोनी जी, आपके किस्से तो मैंने बहुत सुने थे कि आप औरतों से हार नहीं मानते और यह क्या?

कह कर चुप हो गई। सभी नमिता को देख रहे थे,

नमिता फिर बोली- मैं तो टोनी को सुहागरात का मजा दे रही थी कि जब पहली बार औरत सुहागरात मनाती है तो वो कैसे झिझकती है।

टोनी सुनकर बोला- ओह सॉरी डार्लिंग!

कहते हुए एक बार फिर टोनी नमिता के बगल में बैठ कर उसकी चूत को सहलाने लगा और उसके निप्पल को चूसने लगा। अब नमिता टोनी को जो चाह रहा था करने दे रही थी।
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11-05-2020, 12:31 PM,
#70
RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
इधर अश्वनी मेरी नाभि में अपनी उंगली कर रहा था, सच बताऊँ तो मैं खलास होने के करीब आ चुकी थी और शायद यही हाल मीना का भी था, इशारों में पता लग चुका था कि वो भी झड़ने के करीब आ चुकी है। मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि जब मैं और मीना दोनों झड़ने के करीब थी तो दोनों मर्दों का क्या हाल हो रहा होगा। मैंने अश्वनी के कान में धीरे से अपनी वेदना बताई,

तो अश्वनी बोला- आकांक्षा जी, मेरा हाल तो आपसे और ज्यादा बुरा है, मेरा लंड बुरी तरह से खुजिया रहा है, अगर जल्दी मेरा लंड आपकी चूत में न गया तो हम बाजी हार जायेंगे।

इधर नमिता की चूत पर टोनी अपने जलवे दिखा रहा था, उसने नमिता की चूत की फांकों को खोला और उसके ऊपर थूकता हुआ अपनी उंगली से उस थूक को नमिता की चूत के अन्दर करने लगा और फिर वही उंगली अपने मुंह में ले जाकर चाट लेता! टोनी नमिता की कभी चूत चाटता तो कभी उसकी चूची को अपने मुंह में लेता तो कभी उसके होंठ चूमता। उसके बाद टोनी नमिता के ऊपर आकर 69 की अवस्था में आ गया, नमिता के मुंह में टोनी का लंड था और टोनी के होंठ और दांत नमिता के क्लिट और कण्ट को अपना कमाल दिखा रहे थे, टोनी कभी उसके भगनासा को काटता तो कभी उसके भग द्वारों को, जिससे नमिता की आउच सुनाई पड़ती, और उसी का बदला लेते हुए नमिता टोनी के गोटियों को अच्छे से दबा देती और फिर टोनी की आवाज सुनाई पड़ती। उन दोनों के बीच उत्तेजना की सिसकारियाँ ज्यादा थी। काफी देर तक चूसा चुसाई का गेम चल रहा था कि टोनी ने नमिता को उल्टा कर दिया, उसकी पीठ पर चढ़कर बैठ गया और उसकी पीठ को चूमता हुआ नीचे की तरफ बढ़ने लगा।

नमिता की जांघों के बीच बैठकर टोनी अपने लंड को नमिता के कूल्हे के बीच फंसा कर अपने लंड को रगड़ने लगा, नमिता ने अपने चूतड़ों को फैला लिया लेकिन टोनी नमिता के हाथ को हटाकर उसके चूतड़ दबाने लगा, ऐसा लग रहा था कि वो कूल्हे को चूची समझ रहा है। इसके बाद टोनी ने एक बार फिर नमिता के गांड की छेद में थूक उड़ेल दिया और अपनी जीभ की टिप को वहाँ ले जाकर चाटने लगा। नमिता की गांड को चाटता देखकर,

अश्वनी ने मुझसे बोला- आकांक्षा तुम भी मेरी गांड चाटना, मुझे बहुत मजा आयेगा।

मैंने उसकी तरफ देखा और फिर मुस्कुरा कर ओ॰के॰ कह दिया।

इधर टोनी नमिता की गांड चाटने के बाद उठा और अपने लंड को नमिता की गांड के अन्दर झटके से पेल दिया। नमिता आह करके ही रह गई। आठ-दस धक्के टोनी ने जोर-जोर से लगाये और उसके बाद नमिता के कमर को पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया, इससे नमिता का सीना और घुटने एक सीध में हो गये। नमिता ने जब अपना सर उठाना चाहा तो टोनी ने उसके सिर को तकिया से सटा दिया और फिर उसके पीछे घुटने के बल खड़ा होकर अपने लंड को नमिता की चूत के अन्दर पेलता गया और जोर-जोर से धक्के लगाता गया। टोनी नमिता के दोनों छेदो का बराबर ध्यान रख रहा था, वह बदल-बदल कर कभी नमिता की चूत चोदता तो कभी उसकी गांड में अपना लंड पेल देता और चुदाई शुरू कर देता। नमिता आह... ओह... आह... ओह... की आवाज निकाल रही थी, टोनी की स्पीड बढ़ती जा रही थी, उसने नमिता के बालों को इस तरह पकड़ा जैसे उसने किसी घोड़े की लगाम को पकड़ा हो और जोर जोर से धक्के लगाता ही चला जा रहा था। अचानक टोनी हाँफने लगा और उसने कसकर नमिता की कमर को पकड़ा और उसके ऊपर लेट गया। दो मिनट बाद जब वो नमिता के ऊपर से उठा तो,

नमिता ही बोल पड़ी- तुमने अपना माल मेरे अन्दर क्यों गिराया?

टोनी बोला- मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं अपनी बीवी को चोद रहा हूँ और इसी लिये तुम्हारे चूत के अन्दर मैंने अपना माल गिरा दिया।

सुहाना बोल उठी- नमिता, तुम्हें टोनी की चुदाई कैसे लगी।

नमिता- ये जंगली की तरह मुझे चोद रहा था, ऐसा लग रहा था कि मेरी चूत उसे दुबारा नहीं मिलेगी।

मीना बोल पड़ी- ये बताओ नमिता, तुम्हें टोनी की सबसे खास बात क्या लगी?

नमिता अमित की तरफ देखते हुए बोली- वो औरत के एक-एक अंग को प्यार करता है और स्टेमिना भी अच्छा है।

अब मेरी बारी थी पूछने की, तो मैंने पूछा- नमिता, टोनी में क्या कमी नजर आई?

नमिता तुरन्त बोली- कमी तो बस यही है कि धैर्य नहीं है, वो चाहता है कि वो जो कुछ करे औरत उसका साथ दे और अगर उसका पार्टनर थोड़ा इधर उधर की हरकत करे तो बहुत ही जल्दी गुस्सा हो जाता है।

अब सबने अमित से नमिता से कुछ पूछने के लिये कहा तो,

अमित पूछा- नमिता, आज का दिन तुम्हें कैसा लगा?

नमिता अमित की तरफ गई उसके गर्दन पर अपनी बांहों का हार डाला और,

नमिता बोली- आज ऐसा लगा कि मेरा आदमी अपनी बीवी को किसी गैर मर्द से चुदती हुई देख रहा है लेकिन बुरा नहीं मान रहा है। कहते हुए नमिता ने अमित के होंठो को चूम लिया और फिर,

आगे बोली- आज की रात मैं कभी भी नहीं भूलूंगी।

फिर वो जाकर सुहाना के बगल में बैठ गई और टोनी रितेश के बगल में बैठ गया।

अब बारी मेरी और अश्वनी की थी,

अश्वनी मुझसे धीरे से बोला- यार आकांक्षा, मुझे लगता है कि मेरा जल्दी निकल जायेगा।

मैंने अश्वनी को इशारे से समझा दिया कि जैसे मैं कहूँ बस वही करना।

अब बिस्तर पर मैं और अश्वनी थे। मैं नीचे बैठ गई और उसके लंड के सुपारे को चाटने लगी और फिर उसके लंड को अपने मुंह के अन्दर ले लिया, जैसे ही लंड मेरे मुंह में गया, अश्वनी का माल मेरे मुंह में निकलने लगा लेकिन मैंने उसे इस प्रकार अपने मुंह में लिया कि बाकी लोगों को लगे कि मैं अश्वनी का लंड चूस रही हूँ। जब तक उसके रस की एक-एक बूंद मेरे गले से नीचे नहीं उतर गई तब तक मैंने उसके लंड को ऐसे ही चूसना जारी रखा, उसके बाद लंड को बाहर निकाल कर सुपारे को भी अच्छे से साफ किया।

अश्वनी ने मुझे उठाया और मेरे होंठ को चूमते हुए बोला- जान, तुम बहुत अच्छी हो, मेरी इज्जत बचा ली। अब मैं कायदे से खेल सकता हूँ।

फिर मुझसे बोला- तुम भी तो कह रही थी कि तुम भी कभी भी खलास हो सकती हो?

हम दोनों बात भी कर रहे थे और हमारे हाथ भी इस प्रकार चल रहे थे कि लोगों को लगे कि हम अपने खेल में व्यस्त हैं। अश्वनी के कहने से मैं पलंग पर लेट गई और अपनी दोनों टांगों को पलंग के किनारे पैरों के बल टिका दिया। अश्वनी मेरी टांगों के बीच आ गया और मेरी चूत की फांकों को फैला कर छेद के अन्दर अपनी जीभ डाल दी और मेरे अन्दर से बहते हुए लावा को अश्वनी ने अपने अन्दर ले लिया। उसके बाद अश्वनी ने मुझे पलंग पर सीधा लेटाया और मेरी बगल में आ कर लेट गया, मेरी टांगों के ऊपर अपनी टांग चढ़ाई और मेरे होंठों को चूमने लगा, मेरे लिये उसका साथ देना बहुत आसान था। वो कभी मेरी कान को काटता तो कभी मेरी गर्दन को चूमता तो कभी होंठों के चूमता, इसके साथ-साथ उसकी एक हथेली बराबर मेरी चूचियों को भींच रही थी। कस कस कर वो मेरी चूचियों को दबा रहा था, दर्द तो बहुत हो रहा था, लेकिन एक अलग अहसास था और ऊपर से हम दोनों अभी-अभी डिस्चार्ज हो चुके थे। मेरे कान को काटते हुए अश्वनी ने एक बार फिर डिमान्ड रखी- जानेमन, अभी बियर के साथ मूत पिलाया गया था, मैं अब तुम्हारी चूत का मूत पीना चाहता हूँ।
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