Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
11-05-2020, 12:31 PM,
#71
RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
'क्यों?' मैंने पूछा।

तो बोला- जानेमन, तुम सबसे सेक्सी हो, किसी का भी फिगर तुम्हारे सामने फीका है और मैं चाहता हूँ कि तुम्हारी जैसी सेक्सी के जिस्म का एक-एक चीज का स्वाद लूँ।

मैंने कहा- ओ॰के॰ जानेमन, मूतासी तो मैं भी बहुत हूँ।

कहते हुए मैंने अश्वनी को अपने ऊपर से हटाया और उसके ऊपर चढ़ गई और मुंह के ऊपर बैठ गई। सभी की नजर मेरे ऊपर थी, इसलिये मैंने अपनी जांघों को इस तरह से सटाया कि चूत किसी को भी न दिखाई दे, खास कर उसकी बीवी सुहाना को! फिर मैं अपने जिस्म को इस तरह से हिलाने लगी कि ऐसा लग रहा था कि मैं अश्वनी के मुंह में बैठ कर अपनी चूत चटवा रही थी जबकि मेरी मूत की धार उसके मुंह के अन्दर जा रही थी। अश्वनी के मुंह में मूतने के बाद मैं खिसक कर नीचे उसके लौड़े के पास आ गई और उसके लौड़े को अपनी चूत से रगड़ने लगी, इस समय अश्वनी मुझे नहीं, मैं अश्वनी को चोद रही थी। चूत से लंड को रगड़ने के बाद मैंने उसके लंड को अपने मुंह में लिया, लॉली पॉप की तरह चूसने लगी, मेरा दूसरा हाथ अश्वनी की छाती पर था, मैं उसके निप्पल को अपनी दो उंगलियों में बीच लेकर मसल रही थी।

जिस तरह से अश्वनी का जिस्म अकड़ रहा था उससे लग रहा था कि अश्वनी को बड़ा मजा आ रहा था। मेरी जीभ कभी उसकी नाभि पर चलती तो कभी उसके लंड के सुपारे पर! मैं उसके लंड को अपनी थूक से काफी गीला कर चुकी थी। मैं अपना काम कर रही थी और,

अश्वनी के मुंह से निकल रहा था- हां जानेमन, बस ऐसे ही करो, बहुत मजा आ रहा है।

जब मेरे नाखून उसके सुपारे के कटे हुए हिस्से से रगड़ खाते तो,

बस उसके मुंह से यही निकलता- मार डाला रे... बहुत मजा आ रहा है।

मैं उसके टट्टों के साथ भी खेल रही थी। फिर मैंने अश्वनी को पलट दिया और अपने एक हाथ को उसके नीचे डालकर उसके लंड की मुठ मारने लगी और दूसरा हाथ अश्वनी के गांड की दरार में अपना करतब दिखा रहा था, मेरी उंगली उसके गांड के अन्दर जा रही थी और अश्वनी अपनी गांड उठा उठा कर मेरी उंगली को अपने अन्दर लेने का प्रयास कर रहा था। अश्वनी ने मुझसे कहा था कि मैं उसकी गांड भी चांटू तो मैंने उसके कूल्हों को फैलाया और उसके अन्दर थूक उड़ेल कर उसे चाटने लगी। लोग हमारे ऊपर क्या कमेन्ट कर रहे थे, वो मुझे नहीं सुनाई पड़ रहा था, मैं तो केवल चाहती थी कि जब अश्वनी मुझसे खेल चुके और मुझे चोद चुके तो वो बोले कि आज चुदाई के खेल में उसे बहुत मजा आया। तभी अश्वनी हल्का सा हिला, मैं उसके ऊपर से हट गई और वो खड़ा हो गया। अश्वनी काफी हेल्दी और लम्बा था, उसका लंड भी रितेश से थोड़ा ही छोटा रहा होगा, उसने मुझे गोद में उठाया और फिर हवा में ही उसने मुझे पलट दिया, इससे मेरा मुंह उसके लंड की तरफ आ गया और मेरी चूत उसकी मुंह के पास थी, मतलब हम दोनों खड़े ही खड़े 69 की अवस्था में आ गये।

वो मेरी चूत को अपने मुंह में भरे हुए था और मेरे मुंह में उसका लंड था। अपनी दाड़ी को वो मेरी चूत से रगड़ रहा था, मैं एक बार फिर झड़ने को तैयार थी कि अश्वनी ने मुझे हवा में ही सीधा किया और अपनी गोदी में ले लिया। एक हाथ से उसने मुझे पकड़ रखा था और अपने दूसरे हाथ से अपने लंड को मेरी चूत के अन्दर डालने का प्रयास कर रहा था। मैंने भी अपनी बांहो से उसको जकड़ लिया था और उसका साथ दे रही थी ताकि उसका लंड आसानी से मेरी चूत के अन्दर चला जाये। थोड़े प्रयास के बाद अश्वनी का लंड मेरी चूत के अन्दर था। अश्वनी ने मुझे दीवार के सहारे सटा दिया और चोदने लगा, एक दो मिनट तक वो ऐसे ही मेरी चूत को चोदता रहा फिर उसने मुझे नीचे उतारा और खुद नीचे बैठकर मेरी एक टांग को अपने कंधे से क्रास करा दिया, इससे मेरी चूत उसके मुंह के और करीब आ गई।

एक बार फिर अश्वनी मेरी चूत को चाट रहा था और मेरे चूतड़ों को भींच रहा था, मैं भी मस्ती में खोई हुई थी। फिर अश्वनी खड़ा होकर मेरे पीछे आ गया और अपनी उंगली मेरी चूत के अन्दर डालकर चलाने लगा और फिर मेरा रस निकाल कर अपनी उंगली को चाटता फिर मेरी चूचियों को कस कस कर मसलता। मेरे दोनों हाथ उसके लंड को पकड़ कर खेल रहे थे, बीच-बीच में वो मेरी गांड को भी सहलता जाता। कुछ देर ऐसा करने के बाद अश्वनी एक बार फिर मेरे पीछे नीचे बैठ गया मेरे कूल्हे को जोर-जोर से चपत लगाता और उसे कस कर दबाता, मेरे मुंह से दर्द सी आवाज निकलती लेकिन उसे किसी बात का असर नहीं होता। उसके बाद उसने मेरी गांड को थोड़ा सा चौड़ा किया और फिर अपनी जीभ मेरे छेदों के बीच डाल दी और चलाने लगा।

उसके इस तरह जीभ चलाने से मुझे मेरे अन्दर कुछ कीड़ा सा रेंगता सा लग रहा था, लग रहा था कि मेरे जिस छेद में यह कीड़ा रेंग रहा है उस छेद में अश्वनी अपने लंड को तुरन्त डाल कर उस रेंगते हुए कीड़े को मसल दे और मुझे उससे निजात दिला दे। मैं सोच ही रही थी कि अश्वनी ने मेरी पीठ पर अपने हाथ का दवाब डाला जिससे मैं आगे की तरफ झुक गई और एक कुतिया की पोजिशन में आ गई। अश्वनी ने अपने आप को सेट किया, अपने लंड को मेरी गांड की छेद में डाल दिया और फिर मुझे सीधा खड़ा कर दिया, मुझे कसकर पकड़ लिया ताकि मैं कहीं इधर उधर न हो जाऊँ और उसका लंड मेरी गांड से बाहर ना आ जाये! मुझे बहुत दर्द हो रहा था, मैं उसकी पकड़ से छुटना चाह रही थी पर मैं छूट नहीं पा रही थी। ऊपर से यह सितम कि वो मेरी चूचियों को भी बहुत ही जोर से मसल रहा था।

मुझे ऐसा लगा कि किसी ने मेरी गांड में मोटा सा राड डाल दिया है और उस राड के सहारे मुझे हवा में लटकाना चाह रहा हो। अगर एक-दो मिनट तक यही हालात मेरे साथ बने रहते तो पक्का मेरी आँख से आँसू निकलने वाले थे पर अश्वनी ने एक ही मिनट ऐसा किया होगा और मुझे फिर वापस झुका दिया। फिर वो उसकी हथेली मेरी चूत को सहलाते हुए लग रही थी, बीच-बीच में वो छेदों में उंगलियाँ डालकर अन्दर घुमाता। इस बार मुझे फिर से उसका मेरी गांड में महसूस हुआ, दो-चार धक्के वो मेरी गांड को लगाता और फिर चूत में लंड डाल देता। बहुत देर से वो इसी तरह मेरा बाजा बजा रहा था, कुतिया की पोजिशन में मैं खड़े-खड़े थक गई थी। मुझे चोदते-चोदते आखिर,

अश्वनीके मुंह से निकल गया- आकांक्षा तुमने आज जितना मजा दिया है, आज से पहले इस मजे के लिये मैं तरसता था।
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11-05-2020, 12:31 PM,
#72
RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
अश्वनी करीब मुझे 30 मिनट से चोद रहा था लेकिन वो थक नहीं रहा था, जबकि मैं दो बार पानी छोड़ चुकी थी। तभी मुझे मेरे कूल्हे में एक झन्नाटेदार चपट महसूस हुई, मेरा मुंह उस झन्नाटेदार चपट से खुल गया जबकि हाथ अपने आप ही मेरे कूल्हे को सहलाने लगा। अश्वनी ने मेरे खुले हुए मुंह में अपना लंड पेल दिया और मेरी चोटी को पकड़कर मेरे मुंह की चुदाई करने लगा। इस समय मेरी चुदाई का सीन किसी बी॰एफ॰ फिल्म से कम नहीं था, वो अपने लंड को मेरे हलक तक उतार रहा था, जब तक मेरी सांस घुटती हुये वो महसूस नहीं करता, तब तक अपने लंड को मेरे हलक तक रखता और फिर थोड़ा आराम देने के लिये निकाल लेता। जैसे ही वो लंड को बाहर करता, वैसे ही खों खों की आवाज के साथ मैं खांसती।

जिस तरह की चुदाई मैं चाह रही थी, अश्वनी उसको पूरी कर रहा था। अब अश्वनी ने एक हाथ से मेरे बालों को पीछे की तरफ खींचा, जिससे मेरा चेहरा पीछे की तरफ आ गया और वो अपने दूसरे हाथ से अपने लंड को हिला रहा था। ऐसा लग रहा था कि अब वो भी झड़ने वाला है, मैंने अपना मुंह उसके रस को अन्दर लेने के लिये खोल दिया और एक ही मिनट बाद ही अश्वनी का वीर्य फचफचाते हुए मेरे मुंह के अन्दर आ गया। जब अश्वनी पूरी तरह झड़ गया तो एक बार फिर उसने अपने लंड को मेरे मुंह के अन्दर दे दिया, जब तक मैंने उसके लंड को अच्छे से साफ नहीं कर दिया, तब तक उसने अपना लंड मेरे मुंह के अन्दर बाहर करता रहा। उसके बाद उसने मुझे सीधा किया और नीचे बैठ कर मेरी चूत को चूमा फिर अन्दर एक उंगली डाली और जैसे कटोरी से चटनी निकालते हैं, ठीक उसी तरह उसने अपनी उंगली को मेरी चूत के अन्दर घुमाया और फिर मेरा जो रस उसकी उंगली में लगा, वो उसे चाट गया। फिर वो मेरे बगल में खड़ा हो गया और उसके हाथ मेरे चूतड़ को सहला रहे थे। हम दोनों की चुदाई लगभग 45 मिनट चली होगी।

सबसे पहला प्रश्न सुहाना का ही था,

सुहाना बोली- अश्वनी, तुम कह रहे थे कि तुम्हे आज इस चुदाई में बहुत मजा आया, अब तुम कैसा लग रहा है?

अश्वनी- 'मुझे बहुत अच्छा लग रहा है, मैं कल्पना भी नहीं कर सकता कि जिस उम्मीद से मैं यहाँ आया था, वो ऐसे पूरी होगी। अब मेरे मन में हमेशा आजाद चुदाई की कल्पना रहेगी जो मैं और तुम दोनों मिलकर पूरा करेंगे।'

सुहाना अश्वनी के पास आई, बोली- जान, अब तुम जब चाहो मेरी गांड और चूत की धज्जी उड़ा सकते हो। मैं अब तुमसे कुतिया भी बन कर चुदूंगी। आज आकांक्षा के साथ तुम्हारा चोदने का अंदाज देखकर मेरी चूत एक बार फिर से फड़फड़ा रही है, इतना कहने के साथ वो अश्वनी के लंड से खेलने लगी।

तभी खंखराते हुए नमिता बोली- सुहाना, अपने घर ले जाकर जितनी देर चाहना उतनी देर तक अश्वनी का लंड अपनी बुर में। गांड में लेकर पड़ी रहना।

फिर नमिता बोली- आकांक्षा, अश्वनी में सबसे अच्छा क्या लगा?

मैं- स्टेमिना में तो मुझे लगता है कि आज उसने सबको फेल कर दिया?

मैं रितेश की तरफ देख रही थी तो वो इशारे से बोला- जब मेरी बारी आयेगी तो यही लंड बतायेगा कि स्टेमिना क्या होता है।

मीना ने पूछा- क्या कमी थी?

मैं- 'नहीं मुझे नहीं लगा कि कोई कमी हो, क्योंकि मेरी गांड और चूत दोनों ही बराबर अभी भी दुख रही हैं।'

रितेश मेरे पास आया और बोला- मेरी जान, यह तो बताओ कि मेरे और अश्वनी में तुम्हें सबसे तगड़ा कौन लगता है।

मैं- 'तुम...'( मैं सीधी बोली) अश्वनी से आज पहली बार चुदी हूँ लेकिन जब भी मेरी चूत को तुम्हारे लंड की जरूरत हुई, तब तब तुमने मेरी चूत की प्यास मिटाई है।

मेरे इस उत्तर को सुनकर रितेश ने मुझे गोदी उठा लिया, मेरे होंठों को चूमने लगा और मेरी तारीफ करते हुए,

रितेश बोला- जानू मैं जानता हूँ कि एक बार जो भी तुम्हारी खुशबू को पा जाये, वो तुमको छोड़ कर कहीं और नहीं जा सकता।

उसके बाद मैं लड़कियों के पास जाकर बैठ गई और रितेश और अश्वनी लड़कों के साथ बैठ गये।

अब बारी थी अमित और मीना की!

मीना भी बड़ी ही आकर्षित करने वाली लड़की थी, उसकी गदराई जवानी के तूफान में जो एक बार फंस गया तो बचाने वाला फिर तो मालिक ही है और हुआ भी यही! हालांकि अमित की भी पर्सनैलिटी किसी से कमजोर नहीं थी, पर अनुभव वो तो मीना के पास ज्यादा था। अमित ने मीना को गोदी में उठाया और बेड पर पटक दिया और उसके ऊपर झुककर उसके होंठ चूसने लगा। पर थोड़ी देर में नजारा ही बदल गया, मीना ने अमित को एक झटके से अपने ऊपर खींचा, अमित अपने को संभाल नहीं पाया और मीना के ऊपर उसका पूरा वजन गिर गया। मीना ने फिर एक झटका दिया और अमित मीना के बगल में और दूसरे ही पल मीना अमित के ऊपर चढ़ बैठी फिर अमित को एक लड़की की तरह लेटाते हुए उसके होंठ को चूमने लगी। होंठ चूमने के बाद,

मीना अमित से बोली- देखो आज शुक्रवार की रात का ऑफर है और ऑफर तुम्हारे सामने है, लूट लो।

अमित बोला- मोहतरमा, आप आज मुझे लूटो और अपनी जवानी का जलवा ऐसा दिखाओ कि मैं भूल ना पाऊँ।

मीना- 'तो ठीक है अमित मेरी जान, आओ और मेरी जवानी के सागर में गोते लगाओ... और गोते लगाने के बाद मेरे साथ कुश्ती लड़ो।' कहने के बाद मीना अमित की जांघ पर बैठ गई और अपने दोनों पैरो को उसके मुंह के पास ले गई और उसके लंड को सहलाते हुए,

मीना बोली- लो मेरे अंग के रस को पीने की शुरूआत मेरे पैरों से करो, तुम मेरे गुलाम हो, जो मैं कहूँगी वो तुम करोगे।

अमित- 'हाँ मेरी रानी, मैं तुम्हारा और तुम्हारे हुस्न का गुलाम हूँ।'

कहते हुए अमित उसके पैरों के अंगूठे को कभी अपने मुंह में भरता तो कभी उसके तलवे चाटता। अमित उसके पैरों के साथ खेल रहा था जबकि मीना उसके लंड को सहला रही थी और अपने अंगूठे का प्रयोग अमित के सुपारे को चेक करने के लिये कर रही थी। क्योंकि अमित और मीना का नम्बर तो सबसे अंत में था और तीन जोड़ियों की भयानक चुदाई देखकर बर्दाश्त करना मुश्किल ही था। मेरी नजर सिर्फ मीना के अंगूठे पर थी और जो मैं सोच रही थी वही अब होने जा रहा था। मीना तुरन्त ही घूमी और अपनी चूत का मुहाना अमित के मुंह के पास ले गई और उसके लंड को अपने मुंह के अन्दर कर लिया। मीना का मुंह लगाना था कि अमित शायद बर्दाश्त नहीं कर पाया क्योंकि जैसे ही मीना ने उसके लंड को अपने मुंह में लिया, वैसे ही अमित का शरीर कुनमुनाने लगा और अमित का जिस्म इस तरह अकड़ रहा था जैसे लग रहा हो कि वो मीना के मुंह में ही झर रहा है। मीना इस बात को जानती थी तो वो पहले से ही तैयार थी इसलिये मीना अमित के रस के एक एक बूंद को चूस चुकी थी। इधर मीना का जिस्म कुछ इसी तरह की बात की ओर इशारा कर रहा था, दोनों एक दूसरे के मुंह में अपना रस छोड़ चुके थे। उसके बाद मीना के कहने पर अमित आधा बिस्तर के बाहर आ गया और मीना उसकी टांगों के बीच आ कर उसके सीने के बालों से खेलने लगी। वो अमित के सीने के बालों के बीच में अपनी उंगलियाँ फंसाती और फिर उनको उमेठती और अमित के निप्पल को बारी-बारी से चूसती। अमित ने अपने दोनों हाथों को अपने सिर के नीचे कर लिया था, मानो उसने मीना को खुली इजाजत दे रखी थी कि मीना जो कुछ भी उसके साथ करना चाहे वो करे। हाँ बीच-बीच में अमित जरूर मीना के निप्पल को अंगूठे के बीच दबा देता था। नजारा बिल्कुल अलग था, अमित के मुंह से आह-ओह की आवाज आ रही थी, अमित का लंड मुरझा चुका था और मीना बड़े ही लगन के साथ उसके मुरझाये लंड को खड़ा कर रही थी। वो बीच-बीच में लंड को छोड़कर अमित के होंठ को चूमती, बदले में अमित उसकी पीठ या गांड सहला देता। फिर मीना अमित के दोनों निप्पल को चूसती उसके बाद फिर नीचे बढ़ती और उसकी नाभि के अन्दर अपनी जीभ चलाती और फिर उसी जीभ को उस मुरझाये हुए लंड पर फिराती। बहुत ही धीमे और कलात्मक तरीके से वो अमित के जिस्म के एक एक हिस्से को चूम रही थी। फिर वो और नीचे आई अमित के दोनों पैरों को पलंग से टिकाया और फिर उसके टट्टे को चाटने के साथ साथ उसकी गांड को भी चाटने लगी। थोड़ी देर यही प्रक्रिया चली, उसके बाद मीना एक बार फिर 69 की पोजिशन में आ गई और अपनी चूत को अमित के मुंह के पास ले गई। जिस प्यार से अभी तक मीना अमित के लंड से खेल रही थी, उसी प्यार के साथ अमित मीना की चूत और गांड के साथ खेल रहे थे। दोनों में कोई जल्दी बाजी नहीं थी, दोनों ही मस्त होकर अपने खेल में व्यस्त थे। अमित मीना चूत चाटने में मस्त था और मीना उसके लंड को वापस खड़ा करने की जतन कर रही थी। अन्त में वो मुरझाया हुए लंड को मीना के प्यार के सामने हार माननी पड़ी और एक बार फिर वो किला फतेह करने के लिये तन कर खड़ा हो गया। इधर जहां तक मैं समझ रही थी कि मीना की गुफा में हलचल हो रही थी कि लंड आकर वहां हलचल मचाये, इसीलिये मीना तुरन्त ही उठी और अमित के लंड के ऊपर अपनी चूत को सेट किया और नीचे की ओर सरकने लगी। उत्तेजना में ही दोनों की आँखें बन्द थी। एक ही प्रयास में मीना की चूत के अन्दर अमित का लंड था। लंड को अपनी चूत के अन्दर लेने के बाद मीना ने अपने हाथ का पूरा वजन अमित के सीने पर दिया और आगे-पीछे होने लगी। अमित के हाथ मीना की चूचियों से खेल रहे थे, उसकी दोनों हथेलियाँ जोर जोर से मीना की चूचियों को मसल रही थी। दोनों के मुख से म्यूजिकल आवाजें आना शुरू ही हुई थी कि दरवाजे की घण्टी बजी। सभी के कान दरवाजे की तरफ लग गये। मीना का शरीर हिलना-डुलना बंद हो गया, अमित के हाथ जो इस समय मीना की चूचियों को दबा रहे थे, वो स्वतः रूक गये।

एक बार फिर घंटी बजी... फिर एक बार... इस तरह कई बार घंटी बज चुकी थी। अन्त में मैं उठी और दरवाजे के पास जा कर पूछा- कौन है?

तो एक कर्कश आवाज आई- मैं हूँ, दरवाजा खोलो... अन्दर कौन है?
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11-05-2020, 12:31 PM,
#73
RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
मेरे कांपते हुए हाथ सिटकनी की तरफ बढ़ गये और जैसे ही सिटकनी नीचे गिरी, भड़ाक की आवाज के साथ दरवाजा खुला और एक लेडी अन्दर की तरफ आई। हम सभी लोग उनको देखकर जड़वत हो गए और वो महिला भी हम सभी को इस हालत में देखकर जड़वत हो गई थी। दो मिनट बाद अपने सर को झटकते हुए,

वो महिला बोली- ये सब क्या हो रहा है? मेरे घर को रंडी खाना बना रखा है। कहाँ है वो सूअर?

वो इतनी तेज चिल्ला रहीथी कि उसकी आवाज सुनकर और भी लोग आ सकते थे और हम सभी के फंसने के पूरे आसार उत्पन्न हो सकते थे। इसलिये मैंने जल्दी से दरवाजा बन्द किया और उस लेडी के पास पहुंचकर उससे,

मैं बोली- क्या हुआ मैम? आप कौन हैं और क्यों चिल्ला रही हैं?

मेरी बात सुनकर मुझे घूरती हुई,

वो महिला बोली- मेरी छोड़, तू बता, तू कौन है कुतिया? और मेरे घर में नंगी क्यों है और वो हरामी कहाँ है?

और फिर बड़बड़ाती हुई वो मीना के पास पहुंची और,

बोली- देखो तो इस बेशर्म कुतिया को... कैसे इस कुत्ते पर चढ़ी बैठी है।

अब हम सभी को गुस्सा आ रहा था लेकिन वो इस घर की मालकिन थी तो हम लोग कुछ बोलने की स्थिति में नहीं थे, लेकिन फिर भी मैंने उनसे जुबान संभाल कर बोलने के लिये कहा। फिर भी उसका गुस्सा कम नहीं हुआ और

वो महिला बोली जा रही थी- वो हरामी कहां छिपा बैठा है? मेरे घर को रंडी खाना बना रखा है। मेरे पीछे लड़कियों को लाकर चोद रहा है।

अब हम सभी का पारा हाई हो रहा था कि,

अमित बोल उठा- ऐ मादरचोद, चुप हो जा, नहीं तो इन कुत्ते और कुतिया की जमात में तुम्हें भी शामिल कर दूंगा और तेरी चूत को ये सब कुत्ते फाड़ कर रख देंगे। और यह कौन हरामी-हरामी चिल्ला रही है?

तो वो थोड़ा नार्मल होते हुये बोली- मेरा पति-अभय... कहाँ है?

मैं समझ गई कि वो मेरे बॉस की बीवी है तो मैंने सबको शांत किया और उसके पास जाकर उसके कंधे में हाथ रखकर,

मैं बोली- मैम, शांत हो जायें, आपके पति यहाँ नहीं हैं, हम सब फ्रेंड हैं और हमारा यह ग्रुप है और जब भी हमको मौका मिलता है तो हम सब ग्रुप में आकर सेक्स करते हैं, एन्जॉय करते हैं।

वो महिला बोली- 'तो तुझे मेरा घर ही मिला था? और वो हरामी कहाँ है?'

मैं- 'वो अभय सर यहाँ नहीं हैं, वो मेरे बॉस हैं और मेरे ही कहने पर उन्होंने यह घर दो दिन के लिए दिया था और खुद आपके पास जाने को बोले। उन्हें भी नहीं पता कि हम लोगों ने इस लिये लिया है।'

फिर उन मोहतरमा ने घूम घूम कर पूरे घर को देखा। हम सभी नंगे थे और अमित और मीना इस समय दोनों अलग हो गये थे। बॉस की वाईफ बहुत ही खूबसूरत थी, दूध जैसा रंग था, छरहरा बदन था, जींस और सफेद टॉप और चश्मा लगा कर वो और भी सेक्सी नजर आ रही थी। 40 के आस-पास रही होगी लेकिन मैं अपने बॉस का स्टेमिना जानती थी, वो इस खूबसूरत बला को संभाल नहीं पाता होगा, 38 की तो उसकी चूची की साइज होगी। उसने एक बार मुझे फिर घूर कर देखा और

वो बोली- कब से हो यहाँ पर?

मैं- 'पांच घंटे हुए हैं हम लोगों को यहां पर... और परसों हम लोग चले जाते। अब आप आ गई हैं तो हम लोग चले जाते हैं।'

जिस तरह उनकी बातों में धीरे धीरे नरमी आ रही थी, मैं समझ चुकी थी कि यह चिड़िया भी मस्ती कर सकती है इसलिये मैंने सबको इशारा किया और सभी लोग कपड़े के लिये लपके।

मैंने उन सबको फिर रोकते हुए कहा- अरे ये सब कौन हटायेगा? पहले ये सब साफ करो!

कहकर मैंने आँख मारी।

सभी मेरे इशारों को समझ गये और नंगे ही जमीन पर जो खाने पीने का सामान पड़ा था वो उठाने लगे।

वो बेहद खूबसूरत लेडी बोली- आधी रात को कहाँ जाओगे? चलो यहीं रूक जाओ पर एक शर्त है कि मुझे भी अपना ये खेल दिखाओगे? तभी टोनी बोला- मैम?

लेडी टोकते हुए बोली- दीपाली नाम है मेरा!

टोनी- 'ओ॰के॰ दीपाली, आप हम लोगों का गेम देख भी सकती है और इसमे शामिल भी हो सकती हैं।'

दीपाली- 'लेकिन मेरा पार्टनर कोई नहीं है और तुम सब अपना अपना पार्टनर लाये हो तभी तुम सब एक दूसरे से मजा ले रहे हो।'

मैं बोली- कोई बात नहीं, सर को कॉल कर लीजिये, तब तक आप ऐसे ही हमें ज्वाईन कर सकती हैं।

दीपाली- 'तब ठीक है... तो मुझे अपना गेम दिखाओ!'

कह कर उन्होंने सर को कॉल किया और जल्दी से जल्दी घर पहुंचने का आदेश दे दिया। उसके बाद मैंने चारों मर्दों को इशारा किया तो वो दीपाली के चारों ओर खड़े हो गये। मैं दीपाली मैम के पीछे जाकर खड़ी हो गई और,

कान में बोली- मैम, जब तक बॉस नहीं आ रहे हैं, तब तक इनके सामान को चेक कर लो!

कहते हुए मैंने अपने एक हाथ को उनकी कमर में रखा और उनके हाथ को पकड़कर सभी मर्दो के लंड से टच कराने लगी। हालाँकि झिझकते हुए वो सभी के सामान को टच कर रही थी और मैं उनकी झिझक को दूर करने के लिये उनकी गर्दन को चूम रही थी। दोहरी मार के कारण वो अपने होश धीरेधीरे गँवा रही थी और उनकी आँखें बन्द हुए जा रही थी। सभी के जब लंड को दीपाली मैम ने छू लिया तो,

मीना बोली- दीपाली, आँख, कान और मुंह खोल कर मजा लो तो और भी मजा आयेगा।

फिर मीना दीपाली मैम के और करीब आते हुए बोली- दीपाली, तुमने कितने कपड़े पहन रखे हैं?

दीपाली- थोड़ा झिझकते हुए बोली- चार!

मीना- 'ओ॰के॰ और चार मर्द भी है यहाँ।' कहकर मीना अपने होंठों को काटते हुए,

मीना बोली- तो आज सभी मर्दों को हल्का सा एक ऑफर है।

चारों मीना की तरफ देखने लगे,

मीना सभी को समझाते हुए बोली- देखो दीपाली ने चार कपड़े पहन रखें है और तुम भी चार हो तो ऑफर यह है कि तुम सभी लोग एक एक करके दीपाली के पास आओ और उसके एक एक कपड़े को उतारो। अरे यार, जब हम सभी यहां नंगे हैं तो क्या दीपाली कपड़ों में रहेगी?

सभी को बात समझ में आई तो अमित आगे कूदते हुए दीपाली के पास आया और उसके टॉप को पकड़ लिया। दीपाली ने भी अपने टॉप को पकड़ लिया और

दीपाली बोली- मैं खुद ही उतार देती हूँ।

मीना बोली- 'नहीं! उसमें मजा नहीं आयेगा।

फिर दीपाली ने भी ज्यादा विरोध नहीं किया और अमित अपने दोनों हाथों को टच कराते हुए दीपाली मैम के टॉप को उतार दिया। अन्दर एक साधारण सी काली ब्रा थी, उसके बाद अश्वनी ने आकर जींस को दीपाली मैम से अलग करते हुए उसकी जांघों को चूमने लगा। दीपाली मैम पर भी उत्तेजना धीरे-धीरे हावी होने लगी थी।
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11-05-2020, 12:31 PM,
#74
RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
टोनी को ब्रा उतारने का मौका मिला, टोनी ने दीपाली को अपने से कस कर चिपका लिया और पीठ पर हाथ फेरते हुए उसकी ब्रा की हुक खोल दिया और ब्रा को उनके जिस्म से अलग कर दिया। अब रितेश की बारी थी दीपाली की पैन्टी उतारने की, मेरी नजर दीपाली की पैन्टी पर गई देखा तो वो सफेद रंग की थी और चूत का पास के हिस्से में पीला रंग का दाग लगा था। रितेश ने पैन्टी उतारी और चूत पर हाथ फेरने लगा। दीपाली की चूत गीली हो चुकी थी क्योंकि रितेश अपनी उंगली को चाटने लगा था और पैन्टी के उस गीले हिस्से को भी अपने मुंह में भर लिया। यह सब देखकर दीपाली काफी शरमा रही थी... फिर भी उसके साथ जो हो रहा था, उसे अच्छा लग रहा था। दीपाली को मैंने अपने पास बैठाया और मीना और अमित को अपनी क्रिया आगे बढ़ाने के लिये कहा।

इस बार अमित ने मीना को लेटाया और अपनी दोनों उंगलियों का प्रयोग करके उसकी चूत की फांकों को फैला कर अपनी जीभ उसकी चूत के बाहरी भागों में चलाना शुरू कर दिया। इधर अमित की जीभ ने अपना कमाल शुरू ही किया था कि मीना ने अपनी गांड उठाना शुरू कर दी और अपनी चूची को कस-कस कर भींचने लगी। अमित ने जीभ चलाना छोड़ कर उसके चूत के अन्दर अपनी उंगली डाल दी, पहले उसने अपनी एक उंगली मीना की चूत में डाली और थोड़ी देर तक अन्दर बाहर करता रहा, फिर दो, फिर तीन और फिर अपनी चारों उंगलियाँ चूत के अन्दर डाल दी और फिर मीना की चूत की गहराई नापने लगा। आधी हथेली उसकी चूत के अन्दर जा चुकी थी। अब अमित अपनी उंगलियों को ही अन्दर बाहर कर रहा था। जब अन्त में उसने अपना हाथ चूत से बाहर निकाला तो उसका हाथ मीना के रस से काफी गीला हो चुका था और थोड़ा रस मीना की चूत से बाहर टपक रहा था। अमित अपनी हथेली मीना के मुंह के पास ले गया और खुद उसकी चूत से निकलता हुआ रस चाटने लगा। मेरी नजर दीपाली पर भी थी, वो भी बड़ी उत्सुकता से इस खेल को देख रही थी और अपनी चूत को सहला रही थी, मानो कह रही हो 'थोड़ा ठंड रख, तुझे भी ऐसा ही मजा मिलेगा।' मीना ने भी अमित की हथेली को चाट-चाट कर साफ किया। फिर अमित खड़ा हुआ और मीना को पलग से आधा बाहर खींच लिया और उसके कमर के हिस्से को हवा में उठा लिया और उसकी चूत के अन्दर अपना लंड पेल दिया और उसकी चुदाई शुरू कर दी। इधर अमित मीना को चोद रहा था उधर

दीपाली मैम मुझे कोहनी मार कर धीरे से बोली- ऐसा नजारा तो बी॰एफ॰ में होता है। मुझे नहीं मालूम था कि मैं अचानक आकर ऐसी सीन लाईव देख सकूंगी।

मैंने भी धीरे से कहा- घबराओ नहीं दीपाली मैम, अभी आप लाईव देख रही है और कुछ देर बाद लाईव महसूस भी करेंगी। जिस तरह एक कुतिया को देखकर चार-पांच कुत्ते उसकी तरफ दौड़ लगाते हैं और उसको पकड़ कर चोदना शुरू कर देते हैं, ये चार कुत्ते भी आपकी चूत को मजा देंगे।

इधर अमित के धक्के बहुत तेज-तेज हो रहे थे। फिर अमित ने मीना को खड़ा किया और अपना लंड उसकी मुंह में दिया और मीना उसके लंड को चूसने लगी। अपने लंड को थोड़ा चुसवाने के बाद अमित ने मीना को खड़ा किया और उसके कूल्हे को फैला कर अपने एक हथेली के ऊपर थुका और फिर वही थूक मीना की गांड में मलने लगा, फिर उसकी गांड में अपना लंड पेल दिया। दोनों की आह-ओह की आवाज कमरे में फैलने लगी। लंड बारी बारी से मीना की चूत और लंड को चोदता और फिर अन्त पास आने लगा। अमित की स्पीड एक बार फिर तेज हो गई और उसने एक झटके से अपना लंड बाहर निकाला, मीना ने सीधी होकर अपने मुंह को खोल दिया, अमित अपने लंड को फेंट रहा था और फिर अमित ने अपना रस सीधा एक तेज धार के साथ मीना के मुंह में छोड़ दिया। कुछ बूंद उसके गालों पर गिरी जिसको उसने अपनी जीभ से लेकर मुंह के अन्दर कर लिया। अमित का लंड मुरझा चुका था, उसने मीना को उठाया और अपने से चिपका कर उसके कान में कुछ कहने लगा। मीना मुस्कुराई और फिर पलंग पर लेट गई और अपने दोनों पैरों के साथ अपनी चूत को भी अच्छे से खोलकर,

मीना बोली- आओ अमित, मेरी जान, लो तेरी जान का छेद खुल गया है आओ जल्दी से करो।

कोई कुछ समझता, इससे पहले अमित अपने लंड के सुपारे के मुंह को मीना की चूत के ऊपर ले गया और मूतना शुरू कर दिया।

मीना चिल्ला चिल्ला कर कहने लगी- क्या गर्म धार छोड़ रहे हो... और छोड़ो मेरी जान, मजा आ रहा है।

इस खेल को देखकर दीपाली मैम की आँखें फटी की फटी रह गई।

उसके बाद अमित और मीना अगल बगल खड़े हो गये।

सबसे पहला सवाल नमिता ने मीना से पूछा- अमित ने तुम्हारे कान में क्या कहा था?

मीना बोली- अमित ने कहा कि उसे मेरी चूत में मूतना है। तो मैंने कहा जान इस समय मेरी चूत तुम्हारी है, आओ मूतो, कहकर मैं लेट गई और अपने चूत का मुँह अमित के मूत के लिये खोल दिया।
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11-05-2020, 12:32 PM,
#75
RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
अब सुहाना बोली- जब अमित तुम्हारी चूत में मूत रहा था तो तुम्हें कैसा लग रहा था?

मीना बोली- 'बहुत मजा आया... जब उसके मूत की धार पड़ती तो मेरे जिस्म में झझनाहट होती थी।'

अब मेरी बारी थी, मैंने पूछा- अमित का सबसे बढ़िया प्वाइंट क्या था?

मीना बोली- 'सब बढ़िया था, दीपाली मैम के आने से पहले जब मैं उसके ऊपर थी तो उसने एक बार भी यह कोशिश नहीं की कि वो अपने को मुझसे अच्छा सिद्ध करे, वो लेटा रहा और जो कुछ भी मैं कर रही थी उसने मुझे करने दिया।

टोनी बोल उठा- डार्लिंग, अगर इसी समय तुम्हें एक और मौका चुदने का मिले तो किसको तुम अपना पार्टनर बनाओगी?

मीना ने सभी चारों मर्द की ओर देखा और फिर अश्वनी की ओर इशारा करते हुए बोली- अगर मेरी चूत को अभी तुरन्त कोई लंड मिले तो वो अश्वनी का होगा।

दीपाली से रहा न गया तो बोली उठी- ऐसा क्यूं?

सभी दिपाली की तरफ देखने लगे।

इस तरह अपने ऊपर सभी की नजर देखकर वो थोड़ा शर्मा गई।

लेकिन मीना बोली- यहाँ पर जितने मर्द है सबका लंड मेरी चूत में जा चुका है। बस अश्वनी मेरे लिये नया है और वैसे भी जिस अंदाज में उसने आकांक्षा की चूत की चुदाई की वो भी मुझे बहुत पसंद आया।

फिर मीना भी लड़कियों की तरफ आकर बैठ गई और अमित मर्दो की झुंड में चला गया।

सभी लोग बैठे थे कि रितेश और अश्वनी उठे और रसोई में गये और वहाँ से आईस क्यूब की थैली, नौ गिलास और एक विह्सकी की बोतल उठा लाये, जबकि अमित और टोनी ने विह्सकी के साथ लिये जाने वाले आईटम को लगा दिया। सभी एक बार फिर गोल घेरा बना कर बैठ गये।

तभी दीपाली बोली- आप सभी लोग कब तक ऐसे ही नंगे रहोगे?

अश्वनी बोला- संडे की शाम तक... उसके बाद सभी अपने घर चले जायेंगे।

दीपाली- 'लेकिन मुझे लगता है कि सभी को कपड़े पहने होने चाहिएँ!' दीपाली बोली।

अश्वनी बोला- 'क्यों?'

दीपाली बोली- एक्साईटमेन्ट!!

टोनी बोला- 'एक्साईटमेन्ट?' हम लोग तो बहुत ही मजा ले रहे हैं।

दीपाली ने कहा- 'हाँ, वो तो ठीक है।' लेकिन सोचो, इस समय हम सब नंगे बैठे हैं, तो क्या किसी के मन में है कि यार इसकी चूत की एक झलक दिख जाती तो क्या मजा आता या फिर लड़कियाँ ये सोचें कि इस साले का लंड अब कितना लंबा हो गया होगा। अपने ही मन में सोच कर तुम सब कितने एक्साईटेड होते न? और ये सोचो कि तुममें से किसी की चड्डी मे लंड टाईट हो और फिर कोई लड़की तुम्हारी चड्डी की तरफ कनखियों से देखे और तुम उसको इस तरह देखते पकड़ लो तो सोचो कितना मजा आयेगा।

दीपाली की बात सबकी समझ में आ गई और सभी ने दीपाली की बात को मानते हुए कपड़े पहन लिये। सिप का दौर चलता रहा और बातें होती रही कि तभी,

नमिता बोली- दोस्तो, सभी की चूतें चुद चुकी हैं, बस दीपाली ही है जिसकी चूत में इस समय तक किसी का लंड नहीं गया है।

चूंकि मैं अपने बॉस की ताकत से अच्छे से वाकिफ थी तो मैं यह जानना चाहती थी कि बॉस ने दीपाली के साथ अन्तिम बार मजे कब लिए। लेकिन बार बार पूछने पर वो नहीं बता रही थी, बस इतना ही बोली- थोड़ा सा घर के माहौल से उब गई थी तो पिछले एक महीने से मैं अपने घर चली गई।

बात मेरी समझ में आ चुकी थी कि दीपाली के चूत की सिंचाई हुए एक महीने से भी ज्यादा का समय हो रहा होगा। चूंकि दीपाली मेरे ही बगल में बैठी थी, मैं उसकी जांघ को सहलाने लगी तो उसका भी हाथ मेरी जांघ के ऊपर था।

मैं- 'दोस्तो...'

मेरी आवाज सुनकर सभी मेरी तरफ देखने लगे,

मैंने कहना शुरू किया- यह बताओ, अगर कोई खेत काफी समय तक सूखा पड़ा हो तो उस खेत के साथ क्या होना चाहिए?

सभी एक ही स्वर में बोल उठे- चुदाई!

और हँसने लगे।

मैं दीपाली की तरफ देख कर बोली- मैम, यहाँ हम लोगों को एक को एक का लंड मिला है और आप खुशकिस्मत हो कि आपके खेत को चोदने के लिये चार चार लंड तैयार हैं। उसके बाद हम औरतें दीपाली को छोड़कर अलग हो गई और चारों मर्द दीपाली के पास आ गये।

रितेश दीपाली के होंठों पर अपनी उंगलियाँ फेरते हुए बोला- दीपाली जी, आप जैसी हसीन औरत का खेत सूखा पड़ा है तो साला मर्द ही ना मर्द होगा।
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11-05-2020, 12:32 PM,
#76
RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
अमित उसकी चूची को मसलते हुए बोला- हाँ, वास्तव में आप बहुत खूबसूरत हो। हम लोग तो चाहते हैं कि आपकी चूत में अपना लंड डालकर पड़े रहें।

टोनी बोला- मैं तो हमेशा इनका गुलाम बना रहूँ और जब ये कहें, तभी मैं इनकी प्यास मिटाता रहूँ।

सभी को एक झटके से सबको हटाता हुए अश्वनी दीपाली के होंठों को चूसते हुए बोला- इस तरह की खूबसूरत जिस्म की मलिका अगर हमारे बीच में रहेगी तो हम लोग एक पल भी कपड़े पहन कर नहीं रहे पायेंगे। हर समय हम लोगों को लंड चड्डी में ही खड़ा रहेगा!

कहते हुए वो दीपाली के होंठों को चूमते चूमते अपने पूरे कपड़े उतार चुका था और साथ ही दीपाली की पैन्टी को छोड़कर उसके सभी कपड़े उतार चुका था। अब अश्वनी के हाथ दीपाली की चूचियों को भी मसलने में लगे थे। बाकी सभी अश्वनी को केवल देखते रहे लेकिन जब मेरी नजर दीपाली के नीचे के हिस्से में पड़ी तो देखा कि उसकी पैन्टी भी कोई उतार चुकी है। दीपाली सभी के बीच में घिरी हुई थी और सभी मर्दों के भी कपड़े उतर चुके थे, कोई उसकी गांड में उंगली कर रहा था तो कोई उसकी चूत में, जिसका जहाँ मन कर रहा था, वहीं पर उसको चाटने में लगा था। इस समय वास्तव में वो चारों मर्द किसी कुत्ते से कम नहीं लग रहे थे और दीपाली उनके बीच फंसी हुई एक कुतिया थी। दीपाली भी इस समय बहुत अनुभवी लग रही थी, वो घुटने के बल बैठ गई और सभी मर्दों में लंड को बारी बारी से चूसने लगी। जिस मर्द के लंड को दीपाली चूसती तो बाकी सभी मर्द उसके सामने अपना लंड हिलाते रहते। काफी देर तक ऐसा ही चलता रहा, जिसकी बारी आती वो अपना पूरा लंड उसके मुंह के अन्दर हलक तक डाल देता और जब तक उसकी सांस न घुटने लगती वो नहीं निकालता था। लेकिन दीपाली को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था और शायद वो इसका मजा लूट रही थी। दीपाली बड़ी मस्ती के साथ सब को सन्तुष्ट कर रही थी और अपनी चूत को सहला रही थी।

जब लंड चुसाई हो चुकी तो रितेश ने दीपाली को गोद में उठाकर पलंग पर लेटा दिया और उसकी चूत को चाट कर गीला करने लगा। उसके बाद रितेश ने लंड को चूत में सेट किया और एक धक्का मारा! यह क्या? लंड अन्दर जाने के बजाय फ़िसल गया। रितेश ने एक बार मेरे बॉस की बीवी की चूत की फांकों को फैलाया और फिर लंड को टच किया और एक तेज झटका, लंड थोड़ा सा चूत के अन्दर और

रितेश के मुंह से निकला- क्या टाईट चूत मिली है।

दीपाली की बात सही थी, कई महीने हो गये होंगे उसको लंड अपनी चूत में लिये। लंड अन्दर जाते ही दीपाली के मुंह से भी चीख निकल गई। रितेश ने एक दूसरा तेज झटके के साथ अपने लंड को चूत के अन्दर घुसेड़ दिया। दीपाली ने रितेश के हाथों को कस कर पकड़ लिया और बर्दाश्त करने के नियत से उसने अपने होंठ चबाने शुरू कर दिये और आँखें बन्द कर ली। रितेश थोड़ा सा रूकते हुए उसकी चूचियों को मुंह में भर लिया और चूसने लगा। दीपाली शायद थोड़ा राहत पा चुकी थी, इसलिये उसने अपनी कमर को उठाने लगी और इशारा करने लगी कि वो अब तैयार है। रितेश ने भी इशारा समझा और फिर लंड को हल्के से बाहर निकाला और एक तेज झटका और फिर एक बार मेरे पति का मोटा लंबा लंड दीपाली की चूत गुफा में घुस चुका था।

वो 'ओफ्फ!' बस इतना ही कह पाई थी।

इधर बाकी तीनों अपने लंड को हिला कर अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे, रितेश चोदे जा रहा था और,

दीपाली बोले जा रही थी- मेरी प्यासी चूत की तुम लोग मिलकर प्यास बुझा दो। इस चूत का भोसड़ा बना दो। मुझे रंडी बना कर चोदो, बहुत मजा आ रहा है। काफी दिनो के बाद मेरी चूत की घिसाई हो रही है। हाँ बस ऐसे ही चोदो!

पता नहीं और क्या क्या बोले जा रही थी कि तभी एक बार फिर घंटी बजी। सब अपनी जगह रूक गये।

इस बार दीपाली ने पूछा- कौन?

तो बाहर से आवाज आई- मैं अभय हूँ।

दीपाली ने मुझे इशारा किया, मैंने दरवाजा खोल दिया और अभय सर यानि की मेरे बॉस अन्दर...

मुझे देख कर हाथ के इशारे से पूछा कि ये सब क्या हो रहा है? और तुम्हारा फोन क्यों ऑफ बता रहा है?

मैंने उन्हें अन्दर आने के लिये कहा।

बस वो अन्दर आये ही थे कि जड़वत हो कर खड़े हो गये। क्योंकि उनकी बीवी अब अश्वनी के लंड को अपने अन्दर ले चुकी थी। थोड़ी देर तक तो वो इसी तरह देखते रहे फिर,

थोड़ी तेज आवाज में बोले- यह क्या हो रहा है?

दीपाली अपने होंठ पर उंगली रखकर मेरे बॉस को चुप रहने का इशारा करती हुई बोली- बहुत दिनों बाद मेरी चूत की खुजली मिट रही है, इस खुजली को मिटने दो। आओ तुम भी आओ। इस नदी में तुम भी आ जाओ और थोड़ी सैर कर लो।

दीपाली के इतना कहते ही बॉस चुप हो गये और मेरा इशारा पाते ही बाकी की लड़कियाँ बॉस पर पिल पड़ी और लगी उनको चूमने चाटने! अगले पांच मिनट में बॉस भी हम नंगों की जमात में शामिल हो गये। अश्वनी के धक्के और दीपाली के मुंह से निकलती हुई आवाज के साथ साथ मेरे बॉस की भी आवाज 'आह ओह' की निकलने लगी। थोड़ी ही देर में बॉस का लंड भी तैयार हो गया। दीपाली ने इशारे से बॉस को बुलाया, अश्वनी वहाँ से हट गया और बॉस एक आज्ञाकारी की तरह दीपाली की चूत के पास जा कर खड़ा हो गया।

दीपाली ने बड़े ही कामुक अंदाज में बोला- अभय, मेरी चूत को देखो मत, आओ इसे चाटो और फिर इसके अन्दर अपना लंड डाल कर मुझे मजा दो।

मेरे बॉस बिना कुछ कहे अपने घुटने के बल हो गये और फिर अपने हाथों को दीपाली की जांघों पर रखते हुए उसको सहलाने लगे, साथ ही साथ उनके दोनों अंगूठे दीपाली की जांघों के जोड़ों को कसकर दबा रहे थे। थोड़ी देर तक तो ऐसा ही होता रहा फिर बॉस दीपाली की बुर को सूंघने लगे और फिर अपनी जीभ दीपाली की चूत पर चलाने लगे। कभी उनकी जीभ दीपली की चूत के ऊपरी हिस्सों को चाटती तो कभी चूत के अन्दर उनकी जीभ चली जाती। दीपाली हल्की सी मुड़ कर बॉस के बालों को सहलाने लगी। उसी समय टोनी दीपाली के मुंह के पास अपना लंड लेकर खड़ा हो गया, दीपाली उसके लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी। इधर बॉस बहुत ही तेज गति से अपनी जीभ दीपाली की चूत में चला रहा था,

दीपाली भी उसे प्रोत्साहित करते हुए बोली- जानम और तेज... और तेज चाटो, बहुत मजा आ रहा है।

बॉस और टोनी दीपाली से खेल रहे थे जबकि बाकी के तीनों मर्द और हम औरतें आस पास खड़ी होकर तमाशा देख रही थी। इधर बॉस अपने लंड को भी जोर जोर से हिला रहा था, मुझे लगने लगा कि बॉस जल्दी न झर जाये, मैं बॉस के पास गई और उसको मुंह को घुमाते हुए अपनी चूत की तरफ ले आई और धीरे से वो जगह बाकी के मर्दों के लिये खाली कर दी क्योंकि अगर बॉस वहाँ दो मिनट और ज्यादा रूकता तो वो अपने लंड को हिलाते हुए ही पानी छोड़ देता तो बाकी के सामने उसकी फजीहत हो जाती।

बॉस के हटते ही अमित ने अपना लंड सेट किया और दीपाली की चूत के अन्दर डाल कर चोदने लगा। इधर मैंने बॉस को सोफे पर बिठाया और खुद उसके लंड पर अपनी चूत को सेट करके बैठ गई। मेरे बैठने के एक मिनट के ही अन्दर मैंने बॉस का लावा अपने अन्दर महसूस किया और बॉस ने अपने अन्दर राहत! अब नजारा यह था कि दीपाली की चूत में अमित का लंड था, मुंह में टोनी का, रितेश उसकी एक चूची को दबा रहा था और अश्वनी भी दीपाली के पास खड़े होकर अपने लंड को हिला रहा था। इधर मैं बॉस के ऊपर बैठी थी,

बॉस मेरे बालों को सहलाते हुए बोला- आकांक्षा मेरी जान, तुम बहुत अच्छी हो!

और मेरी चूची को पीते हुए बोला- अच्छा हुआ तुमने इस कुतिया को भी चुदवा दिया। अब मैं खुलकर तुम्हारे साथ खेल सकूंगा।
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11-05-2020, 12:32 PM,
#77
RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
मैंने भी प्रत्युत्तर दिया- सर, परेशान न हों, मेरी चूत के अलावा भी और चूतें हैं आपके लंड के लिये!

मैं बस इतना ही कह पाई थी कि सुहाना, नमिता और मीना भी मेरे बगल में बैठ गई और बॉस के उंगली करने लगी। दीपाली के नंगे बदन पर उसके चोदूओं ने स्थान बदल लिए थे, अब टोनी दीपाली की चूत चोद रहा था, अश्वनी दीपाली के मुंह में लंड डाले हुए था।

इधर रितेश ने नमिता को लिया और उसको झुकाकर उसकी चूत में अपना लंड पेल दिया।

अमित ने सुहाना को उठाया, उसको झुकाकर उसकी गांड में लंड डाल कर चोदने लगा। मैं और मीना बॉस के पास थी, मैं बॉस के ऊपर से उतरी और उसके लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी ताकि मीना को यह पता ना चल जाये कि बॉस झड़ चुका है। हालांकि बाद में सभी को पता चलने वाला था, फिर भी उस समय के लिये मैंने यही किया। कुछ देर बाद मीना ने मुझे हटाया और उसने बॉस के लंड को अपने मुंह में ले लिया। बाकी की अपेक्षा बॉस का लंड थोड़ा कमजोर था, फिर भी मीना बिना कुछ बोले उसके लंड को चूसने लगी। मैं अपनी गीली चूत बॉस के मुंह के पास ले गई और बाकी का काम बॉस ने करना शुरू कर दिया। मीना और मेरे कामुक अंग एक बार फिर बॉस को जोश दिलाने लगे, वो मेरी चूत में अपने दांत गड़ाने लगा। मेरे लिये यह अनोखा दर्द था। आज से पहले बॉस केवल दो मिनट मेरी चूत चाटता और फिर अगले एक मिनट में मेरी चूत में अपना लंड डाल कर हिलाता था और फिर मेरे अन्दर ही झड़ जाता था। उस समय मुझे गुस्सा बहुत आता पर उनकी कमजोरी को कभी जाहिर नहीं किया, भले ही मुझे बाद में खीरे या फिर दूसरे लंड का इंतजाम करना पड़ता रहा हो अपनी चूत की आग को शांत करने का। लेकिन आज उनमें भी एक अलग सा जोश दिख रहा था, उनका लंड तन चुका था। हम दोनों को हटाते हुए वो एक बार फिर दीपाली के पास पहुंच गये। इस समय टोनी और अश्वनी दोनों ही बारी बारी से दीपाली की चूत चुदाई कर रहे थे।

दीपाली के पास पहुँचने के बाद बॉस ने अश्वनी को हटाया जो कि उस समय दीपाली को चोदने में मस्त था, उसके बाद दीपाली को उल्टा लेटाया, फिर उसकी जांघों को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा। इस तरह से दीपाली की कमर थोड़ी सी हवा में हो गई, उसका सीना और मुंह पलंग से सटे हुए थे। बॉस एक बार फिर घुटने के बल बैठ गये और उसके कूल्हे को थोड़ा फैलाते हुए उसकी गांड में अपनी जीभ चलाने लगे, अपने थूक से दीपाली की गांड को थोड़ा सा गीला करने के बाद अपनी एक उंगली दीपाली की गांड के अन्दर डालने का प्रयास करने लगे। इधर सभी लोग काफी देर तक चुदाई करने के कारण झड़ने के करीब आ चुके थे। दीपाली की चूत देख कर लग रहा था कि वो दो-तीन बार झड़ चुकी होगी। रितेश नमिता को चोद रहा था, नमिता को चोदना छोड़ रितेश दीपाली के पास गया और अपना लंड उसके मुंह में डाल कर पेलने लगा और फिर अपने लावा को दीपाली के मुंह के अन्दर छोड़ने लगा। टोनी ने मुझे पकड़ लिया, सोफे पर बैठ कर उसने मुझे अपने ऊपर बैठा लिया और मेरी चूत चोदना चालू कर दिया। कुछ इसी तरह का नजारा मीना और अश्वनी में था, अश्वनी भी सोफे पर बैठा हुआ था और मीना उसके लंड की सवारी कर रही थी।

इधर जब रितेश ने अपना पूरा माल जब दीपाली के मुंह में डाल कर फ्री हुआ तो अमित सुहाना को छोड़कर दीपाली के पास गया और उसने रितेश की जगह ले ली और उसके मुंह में लंड डाल कर चोदने लगा। दीपाली भी उसका साथ दे रही थी, ऐसा लग रहा था कि आज दीपाली को एक अलग तरह का अनुभव हो रहा था। बॉस भी अपने काम में लगे थे और दीपाली भी बॉस के काम को आसान करने में मदद कर रही थी। उसने एक हाथ से अपने कूल्हे को फैला लिया था ताकि बॉस उसकी गांड में आराम से उंगली अन्दर बाहर कर सके। इधर मैं और मीना, टोनी और अश्वनी के लंड पर उछल रही थी। बॉस दीपाली की गांड में अपनी दो उंगली डाल चुके थे। फिर वो खड़े हुए और रसोई के अन्दर चले गये। दीपाली अभी भी अमित के लंड को चाट-चाट कर साफ कर रही थी। तब तक बॉस रसोई से मूली ले लाये और एक बार फिर वो दीपाली की गांड को चाटने लगे।

इधर मैं भी झड़ चुकी थी और इस बात का पता टोनी को भी लग चुका था, मैं समझ चुकी थी कि टोनी भी दीपाली के मुंह में ही झड़ना चाहता था, मैं उसके ऊपर से हट गई, टोनी दीपाली के पास गया और उसके मुंह के पास ही अपना लंड हिलाने लगा। दीपाली अपने मुंह को खोल कर उसके वीर्य का अपने जीभ में गिरने का इंतजार कर रही थी, बॉस उसकी गांड चाटने के बाद उसकी गांड में मूली डालने लगा। इधर अश्वनी ने भी मीना को छोड़ दिया और दीपाली के मुंह में जाकर झड़ने लगा। बॉस ने आधे से ज्यादा मूली दीपाली की गांड में अब तक घुसेड़ दी थी। इधर जब सभी लोगों से दीपाली फ्री हो गई तो अब वो अपने खाली पड़ी चूत को सहलाने लगी और 'ऐसे ही करो... आज बहुत मजा आ रहा है मेरी जान... ऐसे ही... हाँ-हाँ ऐसे ही!' वो बॉस का हौसला बढ़ाने में लगी हुई थी। मूली को अन्दर बाहर करने से दीपाली की गांड काफी खुल गई। फिर बॉस ने पूरी तरह से खुली गांड के अन्दर थूका और फिर अपने लंड को उसके अन्दर डाल दिया।

इस समय सभी मर्दों के लंड दो राउन्ड पूरा करने के कारण मुरझाकर सुस्त पड़े हुए थे इसलिये सभी सोफे पर बैठे हुए बॉस और दीपाली के खेल को देखकर केवल अपने लंड सहला रहे थे। बॉस का लंड दीपाली की गांड में पूरी तरह चला गया था और बॉस उसकी गांड चोद रहे थे। बीच-बीच में वो मूली भी दीपाली की गांड में डालकर पेलते। इस बार बॉस करीब पंद्रह मिनट तक अपने खेल को खेल सके और और दीपाली की ही गांड में झड़ गये। उसके बाद बॉस अपने मुरझाये हुए लंड लेकर दीपाली के पास गये। दीपाली ने भी उसी प्यार के साथ बॉस के लंड को चाट कर साफ किया उसके बाद बॉस और दीपाली उस मूली को मिलकर खाने लगे जो थोड़ी देर पहले तक दीपाली की गांड की सैर करके आई थी। इस समय दोनों ही बड़े खुश नजर आ रहे थे।

सबसे पहला प्रश्न करने का मेरा अधिकार था तो मैंने सीधे ही अपने बॉस से पूछा- उन्हे कहाँ एक चूत कायदे से नसीब नहीं होती थी और अब एक साथ पांच पांच की चूत मिली, इनमें से आप कौन सी चूत को दुबारा सबसे पहले चोदना चाहोगे?

मेरा प्रश्न सुनकर मेरे बॉस की गांड फटी रह गई, क्या बोलें, वो समझ नहीं पा रहे थे।

उनकी बीवी यानि दिपाली ने उनको पीछे से कस कर पकड़ लिया और बोली- बताओ ना जान... तुम्हारे सामने पांच चूत हैं, तुम्हें सबसे ज्यादा चूत किसकी पसंद है।

बॉस- 'सच बोलूँ तो मुझे तुम्हारी ही चूत सबसे ज्यादा पसंद है!' मेरी तरफ इशारा करते हुए बॉस बोले।

'क्यों?' यह सवाल था दीपाली का- मेरी चूत तुम्हें क्यों नहीं पसंद है?

बॉस बड़े ही प्यार से दीपाली के हाथ को सहलाते हुए बोले- जान, आकांक्षा की चूत को मालूम है कि मेरे लंड को कैसे सही रखना है।
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11-05-2020, 12:32 PM,
#78
RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
बॉस के इस जवाब से दीपाली थोड़ा गुस्सा आया तो, लेकिन फिर भी संभल कर बोली- ठीक है जानू, आज के बाद तुम्हें मेरी चूत से भी कोई शिकायत नहीं मिलेगी।

उसके बाद सुहाना दीपाली से बोली- आज तुम्हारी चूत लम्बे समय के बाद चुदी है। ऐसा क्या था जो इतने दिन तक का गैप हो गया? अब झिझकने की बारी दीपाली की थी, उसकी झिझक मिटाते हुए,

मेरे बॉस बोले- मेरे में ही कमी थी। मैं ज्यादा सन्तुष्ट नहीं कर पाता था और फिर इसी कारण हम दोनों के बीच दूरियाँ बढ़ती गई।

मीना बोली- तो अभय, आप ये बताओ कि फिर आकांक्षा आपसे कैसे सन्तुष्ट होती थी?

बॉस- 'ये आकांक्षा जाने... मैं आकांक्षा को भी सन्तुष्ट नहीं कर पाता था।'

रितेश मुझसे बोला- तो जान तुम्हारा तो पानी भी नहीं निकलता होगा?

मैं- 'नहीं मेरी जान... मैं इनके पास जब भी जाती थी तो पहले से ही मैं इतनी एक्साईटेड रहती थी कि जब तक ये झड़ते, मैं भी झड़ जाती थी और दोनों का काम हो जाता था।'

रितेश ने मेरे उत्तर को सुनकर मुझे अपनी बांहो में भर लिया।

तभी नमिता दीपाली से बोल बैठी- तो तुम भी चाहती तो किसी मर्द से चुद सकती थी, क्यों नहीं चुदी?

दीपाली- 'आज तो चुद गई हूँ ना... और वो भी अपने पति के सामने!'

इसके बाद हम सभी की बातें खत्म हो गई।रात के तीन बज रहे थे तो सभी सोने की तैयारी करने लगे।

सभी को सोये हुए ज्यादा समय नहीं हुआ होगा कि पेशाब आने के कारण मेरी नींद खुल गई और मैं उठ कर बाथरूम गई तो देखा बाथरूम में पहले से ही रितेश और दीपाली मूत रहे थे। मैं भी दीपाली के बगल में बैठकर मूतने लगी, मेरी और दीपाली की नजर रितेश के तने हुए लंड पर थी। पेशाब करके हम फ्री हुए तो वहीं पॉट पर रितेश को बैठा कर मैं और दीपाली बारी बारी से उसके लंड की प्यास अपनी चूत से बुझाने लगी, काफी देर तक हम दोनों लंड की सवारी करती रही। मैं और दीपाली दोनों ही खलास हो गये। फिर रितेश ही दीपाली को झड़ने तक चोदता रहा और उसने अपना माल दीपाली की चूत में निकाल दिया। उसके बाद हम तीनों सो गये।

मेरी नींद सुबह करीब आठ बजे खुली तो देखा कि बॉस मेरी चूत में अपने अंगूठा डालकर मुझे जगा रहे हैं और सभी मर्द इसी तरह सभी औरतों को जगाने की कोशिश कर रहे थे। उठने के बाद हम औरतों ने मर्दों के लंड को प्यार करने का पहला काम किया, उसके बाद सभी मर्द भी हम सभी की चूतों को चूमने लगे। उसके बाद टोनी ने अनाउन्स किया कि सभी लोग अपने पार्टनर को एक बार फिर चुन लें क्योंकि इस समय सभी टट्टी करने और नहाने जायेंगे। तो एक पेयर वाशरूम में जायेगा और फाइनल होकर निकलेगा। दीपाली को थोड़ा इससे ऐतराज था लेकिन समझाने पर वो भी मान गई।

तो हम औरतों ने यह मौका भी मर्दों को दे दिया कि वो अपनी पसंद की औरत चुन ले। सबसे पहले टोनी ही मेरे बगल में आ गया और मेरी गांड सहलाते हुए बोला कि मैं और आकांक्षा। उसके बाद अमित ने दीपाली को पकड़ लिया। रितेश ने मीना को, अश्वनी ने नमिता को पकड़ लिया और बॉस को सुहाना मिली। मुझे टट्टी बहुत जोर से लगी थी, मैं टोनी को लेकर बाथरूम में चली गई। मैं पॉट पर हगने के लिये बैठी ही थी कि अपने खड़े लंड को टोनी मेरे सामने कर दिया और मेरे मुंह को पकड़ कर अपना लंड मेरे मुंह के अन्दर पेल दिया और खुद ब्रश करने लगा। दिन की शुरूआत हो चुकी थी और यह तय था कि दिनभर चुदाई के अलावा कोई और काम नहीं होना था। इधर मेरी गांड से 'पड़पड़...' की आवाज आ रही थी और उधर टोनी का लंड मेरे मुंह के अन्दर था। जब मैं हग चुकी तो टोनी ने मेरी गांड धुलवाई। उसके बाद टोनी हगने बैठा तो उसके खड़े लंड पर मैं बैठ गई। वो हगता रहा और मैं उसके धधकते लंड की ज्वाला को शांत करने के लिये उसके लंड पर उछलती रही। करीब दस मिनट तक मैं उसके लंड पर उछलती रही, फिर मुझे महसूस हुआ कि मेरे अन्दर उसके लावे की फुहार पड़ रही है। टोनी के रस की एक एक बूंद मेरी चूत के अन्दर थी और उसका लंड ढीला होकर खुद ब खुद बाहर आ गया। फिर मैंने भी उसकी गांड और लंड को अच्छे से धोया, फिर हम दोनों ने एक दूसरे को खूब रगड़ रगड़ कर नहलाया। मैं और टोनी बाहर आ गये और फिर सभी बारी बारी से अन्दर गये और आते गये।

चूंकि मैं और टोनी सबसे पहले नहा धोकर फ्री हुये थे तो मैं रसोई में चाय और नाश्ता बनाने के लिये आ गई। दीपाली के कहने पर नहाने के बाद हम सभी को कपड़े पहनने थे तो मैंने और टोनी ने कपड़े पहन लिये, मैंने गाउन ही पहन लिया, जबकि टोनी ने कैपरी, बनियान पहन लिया और मेरे पीछे-पीछे रसोई में आ गया। मैं चाय के लिये पानी चढ़ा ही रही थी कि टोनी ने मुझे पीछे से पकड़ लिया और चाय बनाने के लिये मना किया, बोलने लगा कि जब जोरू और दारू दोनों है तो चाय की क्या जरूरत है।

वो मुझसे सेक्सी बातें करते हुए मेरे चूतड़ सहलाता रहा और मेरी चूचियों से खेलता रहा, चाय बनने तक अपने लंड से मेरी गुदा (गांड) को सहलाता रहा। मैं साथ ही और भी नाश्ते की तैयारी कर रही थी और टोनी मेरे से छेड़खानी करने के साथ-साथ मेरी हेल्प भी कर रहा था। उसके बाद उसकी बीवी यानि की मीना भी रितेश के साथ साथ रसोई में आ गए। मीना के आने के बाद रितेश और टोनी को बाहर जाने के लिये बोला,

टोनी बोला- यार यह मेरा जो लंड है चूत और गांड के अन्दर जाने के लिये मरा जा रहा है।

मीना बोल पड़ी- तुम मर्द बाहर जाकर एक दूसरे की गांड मारो और लड़कियों को रसोई में भेजो ताकि नाश्ता और खाना बना कर रख लिया जाये।

मीना की बात सुनकर मेरे दिमाग में एक आईडिया आया, लेकिन मैं चुपचाप नाश्ते और खाने की तैयारी करती रही और जो जैसे जैसे फ्री होता गया वो रसोई में आकर अपना काम करता रहा। जब हम लोग रसोई का काम निपटा कर बाहर आये तो देखा तो कोई अखबार पढ़ने में मस्त है तो कोई योगा कर रहा है तो कोई टीवी देख रहा है पर टोनी कम्प्यूटर में कुछ डाउनलोड कर रहा था। जो टोनी ने डाउनलोड किया था, उसे उसने पेन ड्राईव में लेकर पेन ड्राईव को एल॰ई॰डी॰ से अटैच कर दिया और सभी जब नाश्ता करने बैठे तो टोनी ने वो डाउनलोडेड मूवी चालू कर दी। यह तो पक्का था कि टोनी ने मूवी डाउनलोड की है तो वो मूवी क्या होगी? खैर हम लोग नाश्ता करने लगे।

अब मूवी में एक लड़की घर के बाहर घूम रही होती है। घूमते घूमते वो सड़क के किनारे खड़े होकर सड़क पर दोनों तरफ देखते हुए पहले अपनी पैन्टी उतारती है और फिर अपने एक हाथ से अपनी एक टांग को पकड़ लेती है और मूतने लगती है। वो सीन खत्म होता है

तो दूसरे सीन में दो लड़कियाँ किसी पार्क में बैठी होती है और फिर उनको मूतास लगने लगती है, वो एक दूसरे के सामने पार्क में ही बैठकर मूतना शुरू कर देती हैं। लोग उन लोगों को देखते हुए कमेन्ट भी कर रहे थे।

तीसरा सीन एक कमरे का है जहाँ पर एक गंजा आदमी कई नंगी लड़कियों से घिरा होता है, आदमी सोफे के सहारे जमीन पर बैठ जाता है और अपना सर सोफे पर उल्टी दिशा में टिका कर अपना मुंह खोल देता है। उसके बाद एक एक करके लड़कियाँ आती है और उसके मुंह में मूतने लगती हैं। जितना मूत वो एक सांस में पी सकता है उतना मूत वो पीता है और फिर सांस लेने से बाकी की धार गिर कर उसके जिस्म को नहालने लगती है। बीच बीच में लड़कियाँ तो उसके सिर को ठीक अपनी चूत के नीचे लगा कर उसके सिर पर ही मूतने लगती है। इस तरह से 20 के करीब लड़कियाँ उसके या तो मुंह के अन्दर मूतती है या फिर उसे अपनी मूत से नहलाती हैं।

इस सीन को देखकर सुहाना देख कर बोली- कल रात तो इस सीन को हम लोगों ने भी किया था।

टोनी बोला- 'पर हमारे बीच अब दो नये लोग हैं इसलिये उनको दिखा रहा हूँ कि हमारे साथ सेक्स में ये सब भी करना पड़ेगा।'

टोनी की बात सुनकर सभी ने हाँ में हाँ मिलाई। दीपाली तैयार हो गई और कहने लगी कि कल रात से मैंने अपना मन बना लिया कि मैं भी जिंदगी को ऐन्जॉय करूँगी और मेरे अभय को भी करने दूंगी। हम लोगों के पास इतना सब कुछ है लेकिन उसका एन्जॉय नहीं कर पा रहे हैं। एक बार फिर दारू का दौर चला, सभी मर्द और औरतें हर पल का मजा ले रही थी और किसी को कुछ भी दिक्कत नहीं हो रही थी। दारू का दौर, सिगरेट के धुएं से बनते हुए छल्ले और उसके बाद हम औरतें जो हर समय अपनी चूत की प्यास बुझाने के साथ-साथ मर्दो के लंड को भी शांत कर रही थी। दारू के साथ साथ हम सभी ने खाना खाया और फिर थोड़ी देर के लिये टहलने के लिये चल दिये। अभी तो काफी लंबा प्रोग्राम था इसलिये थोड़ी ही देर में हम सभी लोग वापस आ गये।

एक बार फिर राउन्ड शुरू हो चुका था और टोनी ने बोतल घुमानी शुरू की और बोतल रूकी दीपाली की तरफ!

दीपाली मुस्कुराकर मेरी तरफ देखने लगी, हम दोनों ने आपस में ही एक दूसरे को आँखों ही आँखो में इशारा किया, दीपाली मुस्कुराती हुई खड़ी हुई और,

दीपाली बोली- मेरे प्यारे पति देव लोग!

इस पर सभी हँसने लगे तो वो सबको चुप कराते हुए बोली- इसमें हँसने जैसी कोई बात नहीं है। तुम लोग हम औरतों के पति ही तो हो और हम औरतें तुम लोगों की पत्नियाँ!

फिर दीपाली अभय की तरफ गई और उसके हाथों को अपने हाथों में लेकर बोली- अभय यह मेरे लिये भी मुश्किल है और तुम्हारे लिये भी और इसमें दर्द भी ज्यादा है। लेकिन अब मेरी बारी है कि मैं अपनी मन की ख्वाहिश को तुमसे पूरी कराऊँ।

अभय सर भी उत्साह में आते हुए बोले- हाँ हाँ, क्यों नहीं, जब तुमने मेरी बात पूरी की है तो मैं भी तुम्हारी हर बात पूरी करूँगा।

अभय सर का इतना बोलना था कि दीपाली ने टोनी और अमित के हाथ को पकड़ के अभय सर के बगल में खड़ा किया और खुद अभय सर के पीछे खड़ी होकर उसके निप्पल के मसलते हुए बोली- मेरी जान, इस खेल में टोनी और अमित ये दोनों भी शामिल है। और ये जो तुम्हारे साथ करेंगे उसमें तुम्हें थोड़ा दर्द होगा, लेकिन अगर तुम्हें दर्द मासूस हो तो तुम खुल कर चिल्ला सकते हो।

अभय सर तुरन्त ही बोल पड़े- मेरी जान, तुम तो ऐसा कह रही हो कि ये दोनों मेरी गांड मारेंगे?

दीपाली बोली- 'बिल्कुल सही पकड़ा है तुमने!' जोर से हँसते हुए दीपाली अभय सर के सामने आ गई।

अभय सर गिड़गिड़ाते हुए बोले- दीपाली, मेरी जान कुछ और करवा लो, लेकिन मेरी गांड मत मरवाओ!

दीपाली बोली- देखो अभय, यह पहले ही तय हो चुका है कि कोई पार्टनर अगर अपने पति या पत्नी से कुछ भी करने को कहेगा तो वो न नहीं करेगा, बल्कि सब उसके उस टॉस्क को पूरा करवाने में हेल्प भी करेंगे। अब तुम चुपचाप अपनी गांड इनसे मरवा लो नहीं तो मैं इनको बोल कर तुम्हारा दैहिक शोषण करवा दूंगी और फिर मैंने भी तो तुम्हारे टॉस्क को पूरा करवाने में तुम्हारी हेल्प की थी।

अभय सर के पास कोई जवाब नहीं था।

तभी दीपाली अमित और टोनी से बोली- तुम दोनों जैसे हमारी चूत और गांड मारने से पहले करते हो, वैसा ही अभय के साथ करोगे और अभय तुम दोनों के लंड को चूसेगा।
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11-05-2020, 12:32 PM,
#79
RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
सभी लोग तैयार हो गये। अमित और टोनी ने अभय सर के सारे कपड़े उतारे और उसके निप्पल को चूसने लगे।

इसी बीच नमिता बोली- मैं चाहती हूँ कि सभी मर्द एक दूसरे की गांड मारे।

मैं- यह बात तो मेरे मन की थी, चलो अच्छा हुआ कि नमिता ने बोल दिया।

तभी टोनी नमिता को चुप कराते हुए बोला- तुम्हारा गेम ओवर हो चुका है।

इससे पहले टोनी और कुछ बोलता,

मीना बोल उठी- हाँ मैं भी चाहती हूँ कि सभी मर्द एक दूसरे की गांड मारें। जब हम सब तुम्हारे मन की बात मान सकते है तो तुम लोगों को भी हमारे मन की बात माननी होगी।

फिर हम सभी औरतें मीना की हां में हां मिलाने लगी।

तभी रितेश, जो मेरे मन की हर बात करता है, बोल उठा- दोस्तो, मैं भी औरतो से सहमत हूँ। जब ये सब वो सब कुछ कर रही हैं जो हम चाह रहे हैं तो हमें भी उनकी बात माननी चाहिये।

टोनी रितेश के कन्धे पर हाथ रखते हुए बोला- तुझे बड़ी जल्दी है गांड मरवाने की?

रितेश भी बड़ा बेशर्म- बोला हां यार, चल इसका भी मजा लेते हैं।

कहते हुए रितेश टोनी के पीछे आया और उसकी चड्डी को झटके से उतार फेंक दिया और टोनी के कूल्हे को सहलाते हुए बोला- दोस्तो, टोनी की गांड भी बड़ी चिकनी है।

उसके बाद सभी मर्द अपने कपड़े उतार कर नंगे हो गये और एक दूसरे को सहलाते हुए चूमने चाटने लगे। कभी कोई किसी को चूमता तो कभी कोई किसी को सहलाता। तो कोई किसी के लंड को अपने मुंह ले कर चूसता तो कभी कोई। इस तरह पांचों मर्द एक दूसरे के लंड को अपने-अपने मुंह में लेकर उसी तरह से चूस रहे थे जैसे हम औरतें उनके लंड को चूसती हैं।

हम सभी औरतें वहीं आस-पास बैठ कर उन सभी के इस खेल को देखने का आनन्द ले रही थी, बहुत ही मजा आ रहा था।

थोड़ी देर तक लंड चुसाई चलती रही, उसके बाद सभी ने पहले रितेश को पकड़ा और झुका दिया। अभी तक तो सभी को बड़ा मजा आ रहा था पर जैसे ही रितेश को झुकाया गया, वैसे ही,

रितेश बोल उठा- यार, मेरी गांड मिली है सबसे पहले चोदने के लिये?

बाकी सभी एक साथ बोल उठे -हां, तू ही तो तरफदारी कर रहा था तो तेरी गांड का सबसे पहले उद्घाटन होगा।

रितेश सबको झटके देकर खड़ा हो गया और बोला- तुम सभी मेरी गांड चोदो इसकी परवाह नहीं करता, पर अभय से शुरूआत होगी। उसकी गांड चुदाई का सबसे पहले प्रोपोजल आया था, उसके बाद सभी औरतें हम सबकी गांड चुदते हुए देखना चाहती थी।

रितेश का इतना बोलना था कि टोनी और अमित ने अभय सर को पकड़ लिया और उसको झुका दिया।

दीपाली ने मर्दों के एक काम को हल्का कर दिया, वो जाकर एक क्रीम का ट्यूब ला कर टोनी को पकड़ा कर बोली- यह ट्यूब तुम लोगों के गांड के लिये काफी है।

टोनी ने ट्यूब से क्रीम निकाली और अभय सर की गांड में लगा दी और फिर धीरे धीरे उंगली से क्रीम को अभय सर की गांड के अन्दर लगाने लगा। पहले उसकी एक उंगली अभय सर की गांड के अन्दर जा रही थी फिर धीरे से टोनी ने अपनी दो उंगली को उनकी गांड के अन्दर डालने लगा। अभय सर के मुंह में बाकी चारों बारी बारी से अपने लंड को डाल रहे थे। टोनी काफी देर तक उंगली उनकी गांड में करता रहा, फिर अपने लंड को उनकी गांड में डालने की कोशिश करने लगा। जैसे ही टोनी अभय सर की गांड के छेद में अपने लंड को ट्च करता तो वैसे ही उनका छेद लंड को अपने अन्दर लेने के लिये लप से खुल जाता और जैसे टोनी अपने लंड को वहां से हटा देता, तो छेद बंद हो जाता।

हम सभी औरतें इस सीन को देखकर कमेंट कर रही थी।

टोनी ने अभय सर से पूछा- अभय, यह बताओ यार कैसा लग रहा है?

अभय सर बोले- यार, बड़ी गजब की खुजली हो रही है और जब तुम्हारा लंड मेरी गांड में टच करता है तो ऐसा लगता है कि अचानक से चाय का गर्म प्याला जिस्म के किसी हिस्से से छू गया है। अब जल्दी से लंड गांड के अन्दर डाल, बहुत खुजली हो रही है।

टोनी लंड को गांड में सेट करता और फिर डालने की कोशिश करता, लेकिन लंड फिसल कर बाहर आ जाता। टोनी ने इशारे से अमित को बुलाया और अभय सर के कूल्हे को फैलाने के लिये बोला। अमित ने टोनी के कहने के अनुसार किया और इस बार टोनी ने लंड को हाथ में पकड़ कर गांड की छेद में सेट किया और एक झटके से लंड को गांड के अन्दर डाल दिया। लगभग आधे से ज्यादा लंड गांड में घुस चुका था, इधर झटके के साथ लंड ने अभय सर की गांड में हमला बोला, उधर अभय सर जो बड़े ही इत्मीनान से अश्वनी के लंड को चूस रहे थे, का मुंह खुल गया और,

अभय सर चिल्लाते हुए बोले- मादरचोद ने मेरी गांड मार दी।

उनके इस तरह चिल्लाने और बोलने से हम औरतों की हंसी रूकने का नाम ही नहीं ले रही थी।

अभय सर दर्द के मारे बिलबिला उठे और चिल्लाने लगे- अबे टोनी के बच्चे, निकाल अपना लंड... भोसड़ी वाले ने मेरी गांड मार दी। निकाल ले मादरचोद, निकाल... उम्म्ह... अहह... हय... याह...
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11-05-2020, 12:32 PM,
#80
RE: Antervasna मुझे लगी लगन लंड की
पर टोनी कहाँ रूकने वाला था, उसने लंड को फिर झटके से खींच कर निकाला और फिर एक झटके से लंड को गांड में घुसेड दिया। एक बार फिर वही गाली, लेकिन इस बार आह्ह्ह्ह की एक लम्बी आवाज भी थी।

अभय सर बोले- अबे भोसड़ी वाले, कुछ तो रहम कर मेरी गांड पर!

पर टोनी था और टोनी का मतलब एक बार उसके लंड ने हमला किया तो फिर चाहे वो जिसकी भी चूत या गांड हो, उसकी अच्छे से बजा कर बाहर निकलता है और टोनी कर भी यही रहा था। वो अभय सर के किसी भी बात का कोई जवाब नहीं दे रहा था, हां, अपने लंड की ताकत का अहसास वो जरूर अभय सर को करा रहा था। बड़ी देर तक अभय सर की गांड मारने के बाद टोनी ने उनके गांड में ही झड़ गया। जैसे ही टोनी ने अपने लंड को उनकी गांड से निकाला, अमित तुरन्त ही पीछे पहुंच गया और अभय सर की गांड को चोदने लगा, टोनी के बाद अश्वनी, अश्वनी के बाद रितेश सभी ने उनके गांड का बाजा खूब बजाया। बेचारे अभय सर को चलना तो छोड़ो, सीधा खड़े होने में भी दिक्कत हो रही थी। किसी तरह से वो बेचारे अपनी चड्डी से अपनी गांड को साफ करते हुए पास पड़ी हुई कुर्सी पर बैठ गये।

उनकी नजर जैसे ही दीपाली पर पड़ी,

बुरा सा मुंह बनाते हुए बोले- मादरचोद, सब तेरे कारण ही हुआ है, देखो मेरी गांड कितनी बुरी तरह से मारी है मिलकर इन साले कमीनों ने!

दीपाली उन्हें और चिढ़ाती हुई बोली- तो क्या हुआ मेरे गांडू पति, लंड का मजा तो ले लिया!

अभय सर की गांड की जिस तरीके से चुदाई हुई, उससे सभी मर्दों में एक डर सा पैदा हो गया और कोई नहीं चाह रहा था कि उनकी गांड मारी जाये और हम लोगों की सुनने के लिये भी कोई तैयार नहीं था।

तभी नमिता ने फरमान जारी किया- हमें भी सभी मर्दों की गांड चुदाई देखनी है। और अगर तुम लोग मना करते हो तो हमारी चूत और गांड भी भूल जाओ और गेम यहीं बन्द कर दो। इसके अलावा मैं किसी बाहरी मर्द से चुदने को राजी हूँ, पर तुममें से किसी को भी अपनी चूत और गांड नहीं दूंगी।

हम सभी ने नमिता की बातों का समर्थन किया, सुहाना हां में हां मिलाती हुई बोली- जो मर्द आसानी से अपनी गांड मरवायेंगे उनको और मजा मिलेगा और जो मर्द गांड नहीं मरवायेंगे उनकी गांड जबरदस्ती मारी जायेगी।

बाकी तीन तो तैयार हो गये पर टोनी नहीं मान रहा था तो हम सभी का इशारा पाते ही सभी टोनी पर झपट पड़े, टोनी सभी की गिरफ्त में आ चुका था, वो कोशिश बहुत कर रहा था अपने को छुड़ाने की पर सभी प्रयास उसके असफल हो गये। डायनिंग टेबिल पर उसके सर को टिका दिया और अश्वनी को उसके ऊपर बैठने के लिये बोला गया, पहले अश्वनी ने मना किया फिर सभी के दबाव में आकर वो टोनी के पीठ पर बैठ गया। टोनी अपनी जगह से हिल नहीं पा रहा था,

टोनी अब चिल्लाने लगा- भोसड़ी वालो, मत मारो मेरी गांड, मैं गांडू नहीं हूँ।

सभी एक साथ बोल पड़े- अबे लौड़े के... हम भी गांडू नहीं है, पर मजा लेना है।

अभय सर बोले- अबे गांडू, जब मेरी गांड मार रहा था तो बड़े मजे ले रहा था।

अभय सर की बात सुनकर सब कुछ न कुछ बोलते जा रहे थे और टोनी की गांड में कोई चपत लगाता तो कोई उसकी गांड में उंगली करता तो कोई टोनी के अंडे को पकड़ कर दबा देता।

रितेश ने ट्यूब से क्रीम निकाली और उसकी गांड में लगाते हुए बोला- चल गुरू, हम भी लोग गांड मरवायेंगे।

कहकर उसकी गांड को क्रीम से भर दिया, फिर अपने लंड में अच्छे से क्रीम लगाई और टोनी की गांड को अपने सुपाड़े से सहलाने लगा और सहलाते-सहलाते एक झटके से गांड के अन्दर लंड को पेल दिया।

टोनी की एक तेज चीख- उम्म्ह... अहह... हय... याह... मार डाला मादरचोदों ने! मेरी गांड के अन्दर लंड नहीं लोहे की राड डाल दिया है। इस राड को निकाल लो। रितेश मेरे भाई तुम मेरे पुराने दोस्त हो, यार अपना लंड निकाल लो, मेरी गांड बक्श दो।

लेकिन रितेश कहां मानने वाला था, उसने एक बार फिर लंड को झटके से निकाला और फिर दूसरे ही पल और तेजी के साथ पेल दिया। सभी मर्द और सभी औरते टोनी के इर्द गिर्द खड़े होकर तमाशा देख रहे थे। इस बार रितेश का पूरा लंड टोनी के गांड के अन्दर था, और टोनी केवल चिल्ला ही पा रहा था। रितेश अब टोनी की गांड को चोदे जा रहा था और जब रितेश कन्फर्म हो गया तो उसने अश्वनी को आने का इशारा किया। अश्वनी टोनी के ऊपर चढ़ गया। अब टोनी भी मजे ले ले कर अपनी गांड मरवा रहा था। फिर बारी-बारी से सभी ने टोनी की गांड को जम कर चोदा। टोनी की भी हालत अभय सर की ही तरह हो गई थी, टोनी ही क्यूं, जिसकी भी गांड चुदी उन सभी की गांड अभय सर की गांड की तरह सूज चुकी थी। मर्दो की गांड चुदाई देखते देखते रात को ग्यारह बज गये थे। किसी मर्द में इतनी ताकत नहीं बची थी कि वो हम लोगों को चोद सकें।

हालांकि हम लोगों को भी किसी लंड की जरूरत नहीं थी क्योंकि उन सभी की चुदाई को देखकर उंगली करते करते हम सभी की चूत का पानी बाहर आ चुका था, तो सभी ने निर्णय लिया कि अब प्रोग्राम को रोक दिया जाये।

सभी खाना-खाकर अपनी-अपनी बीवी को लेकर सोने लगे। रात को कोई खास बात नहीं हुई, बस आधी रात को नीद में मुझे एहसास हुआ कि मेरी चूत के अन्दर कुछ हलचल हो रही थी। देखा तो रितेश के एक टांग मेरे ऊपर थी, उसकी उंगली मेरे चूत के अन्दर टहल रही थी और मेरे निप्पल उसके मुंह को आनन्द दे रहे थे। मेरी नींद उचट चुकी थी, मैंने अपने चारों ओर देखा तो सिवाय मेरे और रितेश के अलावा सभी गहरी नींद में सो रहे थे। मैं रितेश के सर को सहलाने लगी, रितेश तुरन्त उठा और मेरी छाती पर हौले से बैठ गया और अपने लंड को मेरे मुंह में पेल दिया। फिर थोड़ी देर बाद खुद ही 69 की अवस्था में हो गया, उसका लंड मेरे मुंह में था और मेरी चूत पर उसकी जीभ चल रही थी। उसकी गांड हल्की सी लाल और सूजी हुई थी जो यह बता रही थी कि चार-चार लंड को उसकी गांड ने झेला है। मैं उसके लंड को चुसते हुए जैसे ही उसकी गांड को सहलाने की कोशिश करने लगी, उसके मुंह से हल्की सी चीत्कार निकली। मेरे लिये रितेश ने अपनी गांड चुदवा ली। मैंने बहुत ही प्यार से अपनी जीभ उसके गांड में ट्च की। जिस तरह रितेश ने अपनी गांड हिलाई, मुझे लगा कि मेरी जीभ का अहसास उसे अपनी गांड में अच्छा लग रहा है तो मैं उसके लंड को चूसना छोड़कर उसकी गांड को चाटने लगी और रितेश को भी बड़ा आराम मिल रहा था। थोड़ी देर तक वो मेरी चूत चाटता रहा और मैं उसकी गांड को चाटती रही। मैं पानी छोड़ चुकी थी, रितेश ने मेरे रस को भी चाटकर साफ कर दिया, फिर वो मेरे ऊपर से हटकर मेरी बगल में लेट गया और मुझे इशारे से उसके लंड की सवारी करने के लिये बोला। मैं उठी, उसके लंड पर बैठ गई और बिना कोई आवाज किये हुए उसके लंड पर उछलने लगी। मेरी चूची भी इधर उधर उछल रही थी और जिसको रितेश पकड़ रहा था और छोड़ रहा था। फिर कुछ देर में मुझे अहसास हुआ की रितेश का जिस्म अकड़ रहा है और उसका वीर्य मेरी चूत को नहला रहा है। फिर रितेश ढीला हो गया और कुछ देर बाद उसका लंड भी मुरझा कर मेरी चूत से बाहर आ चुका था। फिर हम दोनों चिपक कर सो गये।
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