RE: Ashleel Kahani रंडी खाना
बार बार की कोशिशें लेकिन हार नही मानने का जस्बा ,पुरानी आदतों ने कितना जकड़ रखा है की उनके चक्कर से छूटना बहुत ही मुश्किल सा हो जाता है.
मेरे हाथो में रखी उस सिगरेट को देखता हुआ मैं सोच रहा था की कैसे कुछ आदतें हमारे जीवन को बर्बाद जो कर देती है और हम उसे क्यो नही छोड़ पाते बस इसलिए क्योकि हममें वो इक्छा शक्ति नही होती,दो दिनों से मैं सिगरेट को हाथ नही लगा रहा था और उसके कारण किसी काम में मन नही जा रहा था ,लेकिन मैं सिख रहा था की आखिर उस खलिपन को कैसे भरे जो की सिगरेट ना पीने की वजह से हो गया था ,
“क्या देख रहे हो भइया पीना है तो पी भी लो हाथ में पकड़े हुए हो आधे घंटे हो गए “
पूर्वी मेरी गोद में आकर बैठ गई ,
“बस सोच रहा हु की ये एक छोटी सी चीज मुझे कितना कमजोर महसूस कराती है ,जब भी मैं सोचता हु की इसे नही पीना है तो मैं मन करता है की एक पी ले क्या होगा ,सोचो मैं अपने को कितना मजबूर पाता हु जब मेरे मन में ये उठता है की मैं इसे नही छोड़ पाऊंगा,नही पूर्वी मैं इतना कमजोर नही हो सकता की एक सिगरेट मुझे खुद को पीने में मजबूर कर दे ,अब तो बिल्कुल भी नही “
मैंने सिगरेट को तोड़कर फेक दिया ,सच में मन में एक मजबूती सी महसूस हुई
जीवन में अगर सबसे बड़ी कामयाबी अगर कुछ है तो वो है खुद पर काबू पा लेना…
अपनी मर्जी का जीवन जीना या ये कहे की अपने सभी कामनाओं को छोड़कर वो जीवन जीना जो की आपके लिए सही हो ,क्योकि कामनाएं तो गलत और सही दोनो की ही हो सकती है ,
पूर्वी खुसी में मेरे गाले से लग गई थी ,
मैं उसके बालो को सहला रहा था,
शबनम से बात करके आने के बाद से मुझे पता नही क्यो लेकिन ये जीवन बहुत ही खूबसूरत सा लग रहा था और मैं बस इसे भरपूर जीना चाहता था और इसके लिए सबसे पहला कदम मैंने सिगरेट और शराब से दूरी बनाकर लिया …
आगर शरीर अच्छा होगा तो ही मन शांत होगा और जब मन शांत होगा तो ही मैं इस जीवन को गहराई से जी पाऊंगा उसे गहराई से समझ सकूंगा ,
मैं जीवन के सबसे अहम चीजों को समझ और जान पाऊंगा ,
यही बात मेरे मन में घूम रही थी ,मैं पूर्वी के कोमल बदन को फील करने लगा,देखने लगा की आखिर मैं इस शरीर को लेकर हवस से क्यो भर गया था ,मैं उस हवस के कारण को जानना चाहता था मैं आंखे बंद किए उस सोर्स को खोज रहा था जंहा से हवस की काम की उतपत्ति होती है ,एक धार सी शरीर में घूम रही थी जो की मेरे लिंग को कड़ा करने की कोशिस कर रही थी लेकिन मेरे जगे हुए होने के कारण वो उसे छू भी नही पा रही थी,वो मेरे लिंग के पास ही अटकी हुई थी ना ही कही और जा रही थी ना ही लिंग को अकड़ने दे रहा था,
मैं उस धार के साथ साथ ही रहा,वो मेरे पूरे शरीर में बट गया और मैं मेरा मन और शरीर उस कोमल शरीर को स्पर्श करने के बाद भी किसी भी तरह के भावना के आवेग से नही भरा,इसका मतलब ये नही की भावना से नही भरा असल में उसका आवेग नही था भावना तो थी,उसका अहसास भी था,उसकी गर्मी उसकी हल्की शुष्कता और उसका नरम त्वचा का अहसास भी हो रहा था,पसीने से भीगा होने के कारण आने वाली थोड़ी आद्रता का भी आभास था लेकिन आवेग नही था,मैं इस सत्य को समझ पा रहा था मैं इस तकनीक को समझ पा रहा था ,कैसे कोई संवेदना हमारे शरीर में उभरती है और हम बस उसके गुलाम बने हुए उसके पीछे भागने लगते है ,अगर हमे उसका मालिक होना है तो उस संवेदना को आने दो लेकिन बिना किसी प्रतिक्रिया के उसे जाने भी दो बस देखते रहो दृस्टा बने हुए ……..
और जब वो संवेदना खत्म हो जाए तो मन भर जाना है बस एक अजीब से अहसास से एक शांति से ,,,,मन बिल्कुल शांत ,,शरीर शांत ..
बस मैं ही होता हु शांत दृष्टा बना हुआ ……..
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