RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
दोनो ऐसे ही हल्की फुल्की बातें कर रहे थे कि जैसे ही सॉंग एंड हुआ अरुण ने एक बार निशा को स्पिन किया फिर उसके गाल पर किस करके टेबल पर जाके बैठ गया.
"ह्म्म्म , स्मूद." रोहित पीछे से आते हुए बोला. और वो भी पास मे बैठ गया.
अरुण और निशा ने उसे मिड्ल फिंगर दिखा दी.
तभी स्नेहा ने इशारे से अरुण को अपनी ओर बुलाया तो अरुण उसके साथ डॅन्स करने लगा.
"सो..." स्नेहा कुछ बोल ही रही थी कि आरोही तेज़ी से उनकी तरफ चलती हुई आई. "हम लोग अभी बाहर चल रहे हैं, अभी."
"हुआ क्या, आरू?" स्नेहा ने पूछा.
"दी, सवाल बाद मे, आप दोनो जाओ, मैं रोहित और दी को लेकर आती हूँ," उसने कहा और पीछे मूडी ही थी कि उसने देखा सोनिया उन दोनो को लेकर बाहर की तरफ जा रही थी.
अरुण को कुछ अजीब लगा लेकिन उससे ज़्यादा चिंता भी हुई और वो आरोही की तरफ देखने लगा.
"हुआ क्या है, आरोही?" अरुण ने ज़ोर देकर पूछा.
आरोही ने आँखें बंद कर ली फिर आँखें खोलकर उसे देखा. "वो लड़का यही है!"
"वो?" अरुण ने पूछा लेकिन तुरंत ही उसके दिमाग़ मे सोनिया और उस लड़के की तस्वीर घूमने लगी.
"रोहित!" अरुण ने चिल्ला कर कहा तो उसके पास खड़ी दोनो बहने उसकी आवाज़ सुन कर चुप हो गयी.
रोहित जो कि पहले ही परेशान था कि सोनिया इतनी घबरा क्यूँ रही है, जैसे ही उसने अरुण की आवाज़ सुनी उसे समझ मे आ गया और वो सोनिया का हाथ पकड़कर खड़ा हो गया.
सोनिया उसकी और अरुण की ओर देखने लगी.
"कहाँ है?" अरुण ने गुस्से मे आरोही से पूछा.
"वो 3 4 लड़को के साथ बिल्कुल अभी अंदर आया है," आरोही बोली.
"भाई, प्लीज़..रोहित नही.." सोनिया बोली.
"हुआ क्या है?" रोहित को अभी भी पूरी बात नही पता थी.
"वो लड़का यहाँ है..जिसने.." स्नेहा सोनिया की ओर देखते हुए कहा जो अब आसुओ की कगार पर ही थी.
रोहित ने एक बार अरुण की ओर देखा और अपना सिर हिलाकर उसे कह दिया कि वो साथ मे ही है. अरुण स्नेहा और आरोही के साथ एग्ज़िट की तरफ चल पड़ा, उसे पहले चिंता सभी लड़कियों की हो रही थी. वो उन सबको किसी सेफ जगह पहले पहुचाना चाहता था.
वो लोग बाहर निकले ही थे कि अरुण ने सभी की ओर देखा. "आरू?" उसने चिल्ला कर पूछा.
"शिट!" रोहित बोला, उसे भी आरोही की चिंता होने लगी.
"कहाँ रह गयी ये?" अरुण बोला और रोहित के साथ वापस अंदर जाने लगा.
अंदर जाते ही अरुण की नज़र आरोही को ढूढ़ने लगी और उसे वो दिख भी गयी.
वो दीवार से सटी हुई थी और उसी लड़के के साथ 4 लड़के और थे जो उसे घेरे हुए थे.
आरोही के आँखे गुस्से से लाल थी. अरुण के पीछे पीछे चलते हुए उसे अपनी कोहनी पर किसी का हाथ महसूस हुआ जिसने उसे पीछे खीच लिया. तुरंत ही उसने खुद को दीवार से सटे हुए पाया और नज़रे घुमा कर देखा तो सामने उसी लड़के की आँखें थी.
"लेट मी गो!" आरोही गुस्से मे बोली.
"नो!" सलिल बोला और अपना खाली हाथ बढ़ाकर उसकी कलाई पकड़ ली. दूसरे हाथ से उसने आरोही का दूसरा हाथ दीवार से सटा रखा था.
"अगर तूने मुझे नही जाने दिया ना तो बहुत पछताएगा." आरोही विफर्ते हुए बोली.
"नो!" सलिल ने दोबारा कहा.
"मैं होता तो वही करता जो ये कह रही है," रोहित उसके पीछे आते हुए बोला. "बहुत जबरदस्त किक मारती है ये."
सलिल ने पीछे मुड़कर देखा तो मौके का फ़ायदा उठाकर आरोही उससे छूटकर अरुण की तरफ भाग गयी.
"ये, तेरी गर्लफ्रेंड?" सलिल ने रोहित की तरफ इशारा करके अरुण से पूछा.
"अपनी ये बकवास बाहर जाके ख़तम करो," पास मे बाउन्सर ने कहा और उन सबको बाहर कर दिया.
बाहर निकलते ही दोनो ग्रुप एक दूसरे के सामने खड़े हो गये.
सोनिया को सुप्रिया, स्नेहा और निशा संभाले हुई थी.
"अववव, मेरी सोनी कुड़ी," सलिल उसकी ओर देखते हुए बोला. "मैं सोच ही रहा था कि तू कहाँ मिलेगी. पिछली बार मेरा काम अधूरा रह गया था."
सोनिया अपने आसू रोकने की पूरी कोशिश कर रही थी.
"एक और शब्द बोल फिर देख मैं तेरा क्या हाल करता हूँ," अरुण ने गुस्से से कहा. "मैं दोबारा कोई पंगा नही चाहता. पिछली दो बार तो मैने तुझे ऐसे ही छोड़ दिया इस बार पूरा किस्सा ही ख़तम कर दूँगा. इसलिए कह रहा हूँ, चुपचाप चला जा और हम लोगो को अकेला छोड़ दे." अरुण ने कहा तब तक बिजली कडकने लगी और हल्की हल्की बारिश भी होने लगी.
सलिल हंसते हुए अपने बालो को पीछे करने लगा. "मैं बस इस चिकनी का एक बार और स्वाद चखना..." बस इतना ही बोल पाया वो.
अरुण ने सोचा भी नही था कि आरोही बड़ी तेज़ी से पास से घूमती हुई आई और उसके चेहरे पर एक जोरदार मुक्का मार दिया. सलिल पीछे गिरने को हुआ तो उसके दोस्तों ने उसे पकड़ लिया.
"ऊऊओह," पास खड़े दूसरे लोग ये देखकर सलिल पर हँसने लगे.
अरुण भी हल्के से हंस दिया. "सोच अगर मैने आरू को तुझे ऐसे ही मारने के लिए छोड़ दिया तो तेरा क्या हाल होगा," अरुण ने आरोही को देखते हुए कहा जिसे रोहित पकड़े हुए था.
"सलिल, चल यार ज़्यादा लफडा ठीक नही," उसके एक दोस्त ने उससे कहा.
सलिल ने गुस्से से उससे अपना हाथ छुड़ा लिया लेकिन फिर अपनी गाड़ी की तरफ जाते हुए अरुण की तरफ देखने लगा. "मुझे पता है कि तू कहाँ रहता है, देख लूँगा तुझे," उसने कहा तो अरुण ने उसे अपनी मिड्ल फिंगर दिखा दी.
फिर वो सभी लड़के उसके साथ अपनी गाड़ी मे चले गये. अरुण सभी के साथ चुपचाप चलता हुआ गाड़ियों के पास पहुचा तब तक बारिश काफ़ी तेज हो चुकी थी. अरुण ने रास्ते मे सोनिया को अपने पास कर लिया और उसके साथ कार की तरफ जाने लगा.
रोहित ने अरुण की कार का दरवाजा खोलकर सोनिया को अंदर बिठाया, आरोही भी सोनिया के साथ वही बैठ गयी. अरुण और रोहित आगे की सीट्स पर बैठकर निशा की कार के पीछे चलने लगे. अरुण ने पीछे चलती गाड़ी पर ध्यान नही दिया और ना ही किसी और ने.
"अबे यार थोड़ी हड्डियाँ और तोड़ने को मिलती," रोहित बोला.
"तेरा तो पता नही लेकिन आरू ने पक्का उसकी नाक तोड़ी," अरुण ने कहा.
आरोही हंसते हुए अपना हाथ सहलाने लगी. "ये पक्का कल तक़लीफ़ देगा. लेकिन फिर भी मज़ा आया उसकी नाक तोड़कर."
"मुझे नही लगता आरू ने कभी मुझे भी इतना तेज मारा होगा," रोहित बोला.
"तुमने मुझे इतना गुस्सा भी तो नही दिलाया ना," आरोही बोली.
"यानी आगे से और मेहनत करनी पड़ेगी," रोहित ने कहा और उसके बाद ही दो चीखे कार मे गूँज़ी रोहित और आरोही की. आरोही की हाथ के दर्द की वजह से जो उसने रोहित के हाथ पर मारा था.
बारिश और तेज होने लगी तो अरुण ने कार की स्पीड और कम कर दी. तब उसने ध्यान दिया तो कोई उन लोगो के पीछे था और पास माँग रहा था, बारिश मे सॉफ सॉफ तो नही दिख रहा था इसलिए अरुण ने कार को और ज़्यादा धीमा कर दिया.
"कुछ भी हो, उस चूतिए को छोड़कर आज मज़ा तो काफ़ी आया," अरुण बोला.
"यॅ, काफ़ी अछा टाइम था. 2 लड़ाइयों से बचा, किस्सिंग भी हो गयी, और स्नेहा दी के साथ डॅन्स भी करने को मिला. अवेसम नाइट." रोहित ख़ुसी से बोला.
आरोही अपना सिर हिलाकर उसे देखने लगी. सोनिया भी हल्के से हंस दी. उसके आसू अब तक रुक चुके थे.
उनके पीछे चल रही कार की स्पीड तेज हुई और वो उनके बराबर आ गयी. अरुण ने दोबारा स्पीड कम करके उसे आगे जाने दिया लेकिन वो कार बराबर मे ही चलती रही. अरुण ने साइड मे देखा तो उस कार की विंडो ओपन हो रही थी.
"ध्यान से!" अरुण ने अपने मन मे इससे तेज आवाज़ कभी नही सुनी थी.
तुरंत ही एक दम से चमक उठी और एक धमाके की आवाज़ और तुरंत ही अरुण की कार डगमगाने लगी. शॉटगन ने अपना काम कर दिया था और वो कार तेज़ी से निशा की कार की तरफ जाने लगी. अरुण कार को संभालने की कोशिश करने लगा और आरोही सोनिया को पकड़े हुए थे.
"अभी जस्ट हुआ क्या?" रोहित ने चिल्ला कर पूछा.
कार भीगी रोड पर कुछ ज़्यादा ही तेज़ी से फिसली तो आगे का पहिया ज़मीन से उठने लगा, जब तक अरुण कार को संभालता तब तक कार मे तिरछी हो चुकी थी. तिरछी होकर कार बिल्कुल पलटी तब तक एरबॅग्स निकल चुके थे. अरुण ने महसूस किया कि कार एक पूरा राउंड लेकर दोबारा पलटी और साइड मे उसकी विंडो किसी चीज़ से टकराई. अरुण तुरंत ही अंधेरे मे खोता चला गया. कार साइड मे रगड़ते हुए आगे बढ़ती रही फिर जाके रुक गयी.
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