05-08-2021, 11:34 AM,
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desiaks
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RE: bahan sex kahani ऋतू दीदी
जीजाजी: "ज़िन्दगी बर्बाद नहीं कि, बल्कि उसकी गोद आबाद कर दि। क्या बताऊ तुम्हे, निरु को चोदने में क्या नशा है। खैर तुम्हे तो पता ही होगा। अब मैं चाहे जब निरु को चोदने के मजे ले सकता हूँ। वो अब एडजस्ट हो चुकी हैं"
प्रशांत: "मैं आपकी वाइफ ऋतू दीदी को बता दूंगा"
जीजाजी : "फिर से वोहि गलती! तुम्हारी बात का विश्वास कौन करेगा?"
नीरु से बात करने की हिम्मत नहीं थी। मैं अपने घर आ गया पर परेशान ही रहा। भले ही मैं पहले गलत था, पर निरु को भी अपने जीजाजी से नहीं चुदवाना चाहिए था। फिर सोचा निरु की सिचुएशन ही ऐसी थी की वो क्या करती? मैंने खुद भी तो निरु की बड़ी बहन ऋतू दीदी को एक बार बिना कारण चोद चुका था।
मैने सोच लिया की मैं निरु को अब और ज्यादा जीजाजी का शिकार नहीं बनने दूंगा। शायद ऋतू दीदी मेरी बात समझ जाए। उनको फ़ोन पर अच्छे से समझा ना पाऊं इसलिए खुद जाकर उनसे बात करनी चाहिए। मै पहुँच गया ऋतू दीदी के घर के बाहर। थोडा दूर ही रहा और इंतज़ार करता रहा। लगभग २-३ घन्टे के इंतज़ार के बाद मुझे ऋतू दीदी अपने घर से बाहर अकेले आते दिखि।
मै जल्दी से उनकी तरफ बढा। मगर मैं वहाँ पहुचता तभी गेट से निरु भी बाहर आई और ऋतू दीदी की बगल में जा खड़ी हुयी। मै तब तक उनके करीब आ चुका था इसलिए अब मुझे जो भी बोलना था दोनों के सामने बोलना था।
प्रशांत: "ऋतू दीदि, मैं जो कह रहा हूँ वो ध्यान से सुनिये। जीजाजी की नीयत निरु के लिए खराब हैं और मुझे उन्होंने खुद बताया हैं"
ऋतू दीदी और निरु मेरी तरफ गौर से देख कर आश्चर्य कर रहे थे की मैं अचानक वहाँ कैसे आ गया और क्या बोल रहा हूँ।
प्रशांत: "जीजाजी ने निरु की खराब मानसिक हालात का फायदा उठाय और उसके साथ गलत काम कर लिया हैं"
ऋतू दीदी: "क्या बोल रहे हो प्रशांत!"
प्रशांत: "निरु के पेट में जो बच्चा हैं वो भी जीजाजी का हैं, उन्होंने खुद मुझे बताया है। आपको यक़ीन न आये तो टेस्ट करवा लीजिये"
नीरु: "ऋतू दीदी आप चलो, इस प्रशांत का दिमाग खराब हो गया हैं"
प्रशांत: "मैं तो तुम्हे जीजाजी के चँगुल से बचाना चाहता हूँ। वो तुम्हारा फायदा उठा रहे हैं निरु"
नीरु: "तुम्हारी इनफार्मेशन के लिए बता दु की मेरे पेट में तुम्हारा ही बच्चा है, मैंने कभी एबॉर्शन करवाया ही नहीं था"
प्रशांत: "क्या!!! तो जीजाजी ने मुझसे झूठ क्यों बोला?"
नीरु: "झूठ जीजाजी ने नहीं, तुमने बोला है। अब तो उनका पीछा छोड़ दो, कब तक झूठ बोलोगे और उनको बदनाम करोगे?"
ऋतू दीदी: "निरु सही कह रही है। उसने एबॉर्शन नहीं करवाया था और वो इस बच्चे को तुम दोनों के प्यार की निशानी के तौर पर रखना चाहती थी"
अब मेरी बोलति बंद हो गयी। निरु अपनी ऋतू दीदी को खींच कर ले गयी और मैं वहाँ ठगा सा खड़ा रह गया। मुझे समझ नहीं आ रहा था की जीजाजी ने एक बार फिर मुझे यह झूठ क्यों बोला की उन्होंने निरु को चोद कर प्रेग्नेंट कर दिया था। मै अपने घर लौट आया। यह पहेली मुझे समझ नहीं आ रही थी। यह सब जानने के लिए मैंने जीजाजी को फ़ोन लगाया।
प्रशांत: "आपने मुझसे झूठ क्यों बोला की आपने निरु को प्रेग्नेंट कर दिया हैं!"
जीजाजी: "मुझे पता था तू फिर से मेरे घर वालों को बताने की कोशिश करेगा इसलिए तुझको निरु की नजरो में और ज्यादा गिराने के लिए मैंने यह झूठ बोला। जितना निरु तुझको भूलेगी उतना मेरे करीब आएगी"
प्रशांत: "तो आप मेरे साथ खेल रहे थे! आपने जो स्टोरी बतायी की आपने कैसे निरु को नँगा करके चोदा था वो भी झूठ था!"
जीजाजी: "कोशिश तो की थी पर निरु इतनी आसानी से फसने वाली मछली नहीं है। फिर स्टेशन पर तुमको देखा तो अपनी एक और चाल चल दी"
मैने फ़ोन काट दिया और अपनी एक और बेवकूफी पर गुस्सा आया। मैं एक बार फिर से जीजाजी की चाल का शिकार बना था। उनकी शुरू से यही कोशिश थी की वो मुझे निरु से दूर कर पाए। शाम को मुझे ऋतू दीदी का कॉल आया और मुझे आश्चर्य हुआ। मैंने फ़ोन उठया।
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RE: bahan sex kahani ऋतू दीदी
मैने फ़ोन काट दिया और अपनी एक और बेवकूफी पर गुस्सा आया। मैं एक बार फिर से जीजाजी की चाल का शिकार बना था। उनकी शुरू से यही कोशिश थी की वो मुझे निरु से दूर कर पाए। शाम को मुझे ऋतू दीदी का कॉल आया और मुझे आश्चर्य हुआ। मैंने फ़ोन उठया।
ऋतू दीदी: "तुम जो दिन में कह रहे थे नीरज के बारे में ..."
प्रशांत: "वो सच हैं, आप बोलो उसकी कसम खा कर बोल सकता हूँ। जीजाजी ने ही मुझे वो सब कुछ झूठ बताया"
ऋतू दीदी: "मुझे पता हैं की तुम सही कह रहे हो और नीरज की निरु के लिए क्या सोच हैं"
प्रशांत: "आपको पहले से ही पता हैं!"
ऋतू दीदी: "मुझे शक़ तो कुछ साल पहले ही हो गया था जब पहली बार नीरज ने निरु का नाम लेते हुए मुझे चोदने की पेशकश की थी"
प्रशांत: "और आप मान भी गयी थी!"
ऋतू दीदी: "पहले तो बहुत गुस्सा आया और नीरज को डांटा भी। वो मुझसे नाराज भी हुआ। पर वो मेरे पीछे ही पड़ गया की इसमें कोई गलत नहीं है। कुछ समय बाद फिर मैंने हर कर उसकी बात मान ली"
प्रशांत: "मतलब मैंने जो दरवाजे के बाहर खड़े होकर दो बार सुना था की निरु का नाम लेते हुए नीरज जीजाजी आपको चोद रहे थे वो सच था, और वो आपकी सहमति से हुआ!"
ऋतू दीदी: "नीरज तो मुझे आये दिन निरु का नाम लेकर चोदते रहता हैं और शायद अपने दिल की अधूरी ख्वाहिश इस तरह पूरा करने की कोशिश करता हैं"
प्रशांत: "तो आपको सब कुछ पता था फिर भी आपने जीजाजी को निरु का फायदा उठने दिया!"
ऋतू दीदी: "मुझे लगा की निरु का नाम लेते हुए मुझे चोदने से ही नीरज को ख़ुशी मिल जाती हैं तो ठीक है। मुझे यह लगता था की नीरज कभी निरु के साथ गन्दा काम तो नहीं करेंगा। मगर तुम्हारे लगातार ईल्जाम सुनकर मुझे भी नीरज पर शक़ होने लगा हैं"
प्रशांत: "नीरज जीजाजी ने बोला हैं की वो निरु को चोद कर रहेंगे और मुझसे दूर कर देंगे। आधे कामयाब तो वो हो ही चुके हैं और मुझे निरु से दूर कर दिया। अभी भी कुछ नहीं बिगडा है। आप उन्हें रोकिये"
ऋतू दीदी: "निरु मेरे से ज्यादा नीरज पर भरोसा करती है। वो मेरी बात नहीं मानेंगी और नीरज के खिलाफ कुछ बुरा नहीं सुनेगी"
प्रशांत: "आप एक बार बात तो करके देखिये"
ऋतू दीदी: "नहीं कर सकती। नीरज ने मुझको धमकी दी हैं की अगर मैंने निरु को कुछ बोला तो वो मेरा वो राज बता देगा जब मैंने तुम्हारे साथ उस दिन होटल में चुदवाया था"
प्रशांत: "अगर आपने मुँह नहीं खोला तो आपके पति मेरी बीवी को चोद देंगे, आप समझ रही हैं न!"
ऋतू दीदी: "यह पाप तो हम दोनों ने भी किया हैं"
प्रशांत: "तो आपको कोई प्रॉब्लम नहीं हैं की वो दोनों चुदाई कर ले?"
ऋतू दीदी: "मैं थोड़ी स्वार्थी हो गयी हूँ। अपनी शादी बचने के लिए मैं अपनी छोटी बहन निरु की ज़िन्दगी शायद ख़राब कर रही हूँ। मगर मुझे यक़ीन हैं की निरु ऐसा वैसा कुछ नहीं करेगी"
प्रशांत: "तो आप मेरी कोई हेल्प नहीं करोगी?"
ऋतू दीदी ने कुछ नहीं बोली।
प्रशांत: "तो ठीक है, मैं खुद निरु को बोल दूंगा की मैंने आपको चोदा था"
ऋतू दीदी: "नहीं, ऐसा मत करो। ऐसा किया तो निरु तुमसे भी दूर हो जाएगी और मुझसे भी। हो सकता हैं वो फिर नीरज के और करीब हो जाये"
प्रशांत: "तो क्या करें?"
ऋतू दीदी: "तुम निरु को बोलो की तुमने अब तक जितना भी शक़ किया था वो जलन के मारे था और माफ़ी मांग लो। मैं भी उसको समझा बुझा कर तुम्हारे पास भेजने के लिए राजी कर लुंगी"
प्रशांत: "मगर जीजाजी तो फिर भी निरु का फायदा उठा पायेंगे न!"
ऋतू दीदी: "एक बार तुम निरु को अपने पास बुला लो, फिर आगे सोचते हैं की क्या करना है। तुम कल दोपहर में घर पर आ जाओ, नीरज यहाँ नहीं होगा पर निरु होगी"
प्रशांत: "थैंक यू ऋतू दीदी"
अगले दिन मैं ऋतू दीदी के साथ निरु से मिला। निरु मुझसे मिलना नहीं चाह रही थी पर मैं उसके कदमो में लोट गया और माफ़ी मांग लि, ऋतू दीदी के काफी समझाने पर निरु फिर मान गयी की वो मुझे एक आखिरी मौका देगी। नीरु ३ महीनो के लिए मेरे साथ लिव-इन में रहने को मान गयी।
जीजाजी का चेहरा देखने लायक था, मगर उनको छोड़कर बाकी सब लोग खुश थे। मेरा एक ही डर था की अगर जीजाजी ने गुस्से में आकर मेरे और ऋतू दीदी के बीच हुयी चुदाई का राज निरु को बता दिया तो सब मामला उलटा पड़ जाएगा।
नीरु मेरे साथ आकर रहने लगी। हालाँकि उसने मुझे चोदने की परमिशन नहीं दी थी। हम बिना चुदाई के एक साथ रहने वाले थे। खूबसूरत निरु को देखकर मेरी चुदाई की बहुत इच्छा होती थी और यह बात निरु ने भी फील की थी।
मगर निरु ने मुझे चोदने नहीं दिया और मैंने भी प्रॉमिस रखते हुए उसके साथ कुछ करने की कोशिश नहीं की। हालाँकि एक दो बार उसको कपडे चेंज करते हुए जरूर आधा नँगा देख लिया था और मेरे लण्ड ने उसको सलामी भी दे दी थी।
इस बीच मैंने ऋतू दीदी से फ़ोन पर बात की। हमें कोई तरीका लगाना था जिस से निरु को जीजाजी से दूर किया जा सके। हमने कुछ दिन सोचा कोई अच्छा प्लान मिल जाए।
फिर ऋतू दीदी ने मुझे एक प्लान बताया। प्लान यह था की हम चारो एक बार फिर घूमने जाएंगे और वहाँ अगर निरु अपने कानों से यह सुन ले की जीजाजी कैसे ऋतू दीदी को चोदते वक़्त निरु का नाम लेते हैं तो काम बन जाएगा और निरु का जीजाजी से भरोसा उठ जाएगा।
अगले एपिसोड में पढ़िए क्या प्रशांत और ऋतू दीदी अपने प्लान में कामयाब हो पाएँगे।
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05-08-2021, 11:35 AM,
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RE: bahan sex kahani ऋतू दीदी
रूम की चाबी मैं पहले ही साथ ले आया था. नीरू ने मुझको लॉक खोलने से रोका और वो नॉक करना चाह रही थी पर मैने लॉक खोला और उसको लेकर अंदर आया.
वॉशरूम से ओह्ह्ह हू की आवाज़े आ रही थी. मुझे और नीरू को लग गया की अंदर चुदाई चल रही थी. नीरू मेरा हाथ खींच कर रूम से फिर बाहर निकालने लगी पर मैने उसको खींचा और वॉशरूम के बाहर ले आया.
अंदर से पानी गिरने की और जीजाजी के ज़ोर लगा कर हाफने की आवाज़ आ रही थी. बीच बीच मे ऋतु दीदी की हल्की आहें सुनाई दे रही थी.
नीरू ने मेरी कलाई पर चिकोटी काट ली और मुझे उसके साथ कमरे के बाहर आने का इशारा किया पर मैं उसको पकड़े वहाँ खड़ा रहा.
मगर अंदर से जीजाजी की “नीरू” नाम लेकर चोदने की आवाज़ आ ही नही रही थी. कुच्छ सेकेंड्स तक मैने नीरू को रोके रखा पर ज़्यादा देर तक नही रोक पाया.
नीरू अब मेरा हाथ छोड़कर अकेले ही बाहर जाने लगी. वो दरवाजे की तरफ 7-8 कदम बढ़ चुकी थी और मैं अभी भी वॉशरूम के बाहर ही खड़ा था.
तभी मुझे पहली बार वॉशरूम से “नीरू” नाम सुनाई दिया. जीजाजी ने “नीरू” नाम लेकर चोदना शुरू कर दिया था.
दरवाजे के करीब पहुच चुकी नीरू के कानो मे भी यह आवाज़ पहुचि और उसके कदम ठिठक कर रुक गये. वो पीछे मूडी और मेरे चेहरे पर एक विजयी मुस्कान थी.
मैने उंगली से वॉशरूम की तरफ इशारा किया. नीरू के धीमे धीमे कदम फिर से वॉशरूम की तरफ बढ़े. उसके चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगी थी.
वॉशरूम के बाहर खड़े मैं और नीरू अब अंदर से आती वो आवाज़े सुन रहे थे.
जीजाजी: “ओह्ह्ह नीरू .. अया …. आजा तुझे चोद लूँ मैं …. क्या सेक्सी बॉडी हैं नीरू … उम्म्म्म .. आज तुझे चोदुन्गा … आ अया .. आ .. उहह … श नीरू मज़ा आ गया नीरू …. उहह उहह .. उम्म्म ..आ आ आ नीरू … तेरी चूत चोदुन्गा मैं नीरू …. अया आ ह… नीरू तेरे मम्मे … आ दबा डू तेरे मम्मे नीरू … ओह्ह्ह नीरू … मेरा लंड तेरी चूत मे … अयाया आअज़ा चोद दूं”
बाहर खड़े यह सब सुन नीरू एक चिंता मे डूबी हुई एकटक वॉशरूम के दरवाजे को देख रही थी. अंदर जीजाजी अपने चरम पर पहुच चुके थे और बुरी तरह हाफ़ रहे थे.
नीरू मुड़कर फिर दरवाजे की तरफ बढ़ी. मैं इठलाता हुआ उसके पीछे पीछे गया. रूम की चाबी मैने वही छोड़ दी.
मैं और नीरू अब होटेल के बाहर टहल रहे थे. नीरू ने अभी तक एक शब्द भी नही बोला था. मैने ही उस से बाते करनी शुरू की.
प्रशांत: “मैने तुम्हे पहले भी कहा था पर तुमने मेरी बात का यकीन नही माना. अब तो तुमने खुद अपने कानो से सुना. अभी यकीन हुआ?”
नीरू टहलती रही और कुच्छ नही बोली. फिर कुच्छ देर बाद उसने कुच्छ बोला.
नीरू: “मैं जीजाजी और ऋतु दीदी से इस बारे मे बात करूँगी”
प्रशांत: “अभी क्या बात करनी हैं! जो उनके दिल मे हैं वो तुमने सुन लिया हैं”
नीरू: “हो सकता हैं वो सिर्फ़ मज़े के लिए रोल प्ले करते हो. जैसे मैं और तुम जीजाजी का नाम लेकर करते थे. इस से यह तो साबित नही होता की जीजाजी सच मे मेरे साथ कुच्छ ग़लत काम करना चाहते होंगे!”
प्रशांत: “मुझे पता हैं, वो तुम्हारे साथ ग़लत काम करना चाहते हैं”
नीरू: “तुमने तो और भी बहुत कुच्छ बोला हैं, जैसे की मेरे पेट मे जीजाजी का बच्चा हैं!”
प्रशांत: “उसके लिए सॉरी, पर यह सच हैं”
नीरू: “मैं नही मानती. रोल प्ले अलग चीज़ हैं और सच मे चोदना अलग चीज़ हैं”
प्रशांत: “किसी का नाम लेकर रोल प्ले तभी करते हैं जब नीयत मे खोट हो”
नीरू: “तुमने मुझे जब ज़बरदस्ती जीजाजी का नाम लेकर चुदने को बोला था, तब मेरे दिल मे तो जीजाजी को लेकर कोई खोट नही थी. हो सकता हैं जीजाजी को भी किसी ने फोर्स किया हो मेरा नाम लेकर चोदने के लिए”
प्रशांत: “फोर्स कौन करेगा? ”
नीरू: “ऋतु दीदी ने!”
प्रशांत: “तुम्हे अपनी दीदी पर शक हैं पर जीजाजी पर नही हैं”
नीरू: “मुझे सच जानना हैं”
प्रशांत: “सच तो यही हैं की जीजाजी तुम्हे चोदना चाहते हैं”
नीरू: “तुम्हारे सामने उन्होने मुझे उस दिन थप्पड़ मारा था जब मैने उनके सामने अपने कपड़े खोले थे!”
प्रशांत: “क्यूकी तुम उस वक़्त वो सब गुस्से मे कर रही थी, वैसे भी मैं भी वहाँ खड़ा था तो उनकी हिम्मत नही होती ऐसा कुच्छ करने की”
नीरू: “मैने तुम्हे बताया था ना, मैने हमारी शादी के पहले भी एक बार नादानी मे उनको मौका दिया था और उन्होने मुझे डाट दिया था”
प्रशांत: “वो इसीलिए क्यू की उस दिन ऋतु दीदी घर मे ही थी और तुम दोनो को देख रहे थी”
नीरू: “तुम्हे कैसे पता, तुम तो वहाँ नही थे!”
प्रशांत: “जीजाजी ने खुद मुझे बोला हैं”
नीरू: “मैं नही मानती. मैं एक बार उनके मूह से सुनना चाहती हूँ की वो मुझे चोदना चाहते हैं, तभी मुझे यकीन होगा”
अगले एपिसोड मे पढ़िए नीरू का क्या प्लान हैं.
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05-08-2021, 11:35 AM,
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RE: bahan sex kahani ऋतू दीदी
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अब तक आपने पढ़ा की नीरू ने बाथरूम मे जीजाजी को “नीरू” नाम लेते हुए ऋतु दीदी को चोदते हुए सुन लिया था. नीरू को यकीन नही हुआ और उसने प्रशांत को कहा की वो खुद जीजाजी के मूह से यह सुनना चाहत हैं की जीजाजी उसको चोदना चाहते हैं.
अब आगे की कहानी प्रशांत की ज़ुबानी जारी हैं…
प्रशांत: “जीजाजी तुम्हारे डर से तुम्हे शायद कभी नही बोलेंगे की वो तुम्हे सच मे चोदना चाहते हैं, वरना अब तक वो बोल चुके होते”
नीरू: “मैं एक बार फिर से वोही ग़लती करूँगी जो पहले की थी. मैं खुद उनको मुझे चोदने को कहूँगी. इस बार वहाँ ना तुम होगे और ना ही ऋतु दीदी. फिर देखती हूँ की जीजाजी मुझे सच मे चोदते हैं या नही”
प्रशांत: “तुम पागल हो क्या! जीजाजी तुम्हे चोद देंगे और तुम कुच्छ नही कर पाओगी”
नीरू: “मुझे बस सच जानना हैं, जीजाजी का सच”
अब मैं टेन्षन मे आ गया. क्या नीरू सच मे यह ख़तरनाक एक्सपेरिमेंट करना चाहती हैं. वो तो चाहती हैं की ऋतु दीदी और मैं भी वहाँ ना रहे. फिर तो पक्का जीजाजी अकेले मे नीरू को चोद ही डालेंगे.
प्रशांत: “मैं तुम्हे इस एक्सपेरिमेंट की पर्मिशन नही दे सकता”
नीरू: “तुम्हारा मुझ पर कोई अधिकार नही हैं. हमारा तलाक़ भी हो चुका हैं. तुम मुझे नही रोक सकते”
प्रशांत: “कम से कम मुझे वहाँ रहने की तो इजाज़त दो. जैसे ही जीजाजी तुम्हारे साथ ग़लत काम करेंगे मैं उन्हे रोक लूँगा”
नीरू: “कोई ज़रूरत नही हैं. मैं अपने आप को संभाल लूँगी. मुझे लगता था की जीजाजी मुझे अपनी बेटी मानते हैं. अगर जीजाजी को मुझे चोदने मे कोई हर्ज नही हैं तो ठीक हैं, मैं भी देखती हूँ की जिसको वो अपनी बेटी मानते हैं उसको कैसे चोदते हैं”
प्रशांत: “देखो जीजाजी मुझे अपने मन की बात पहले ही बता चुके हैं. उनको चोदना होगा तो वो मेरे सामने भी तुम्हे चोद ही देंगे. मेरे वहाँ रहने से उनको कोई फ़र्क नही पड़ेगा. मुझे वहाँ रहने दो प्लीज़”
नीरू: “ठीक हैं, अगर तुम्हे देखना हैं तो देख लेना. मैं भी चाहती हूँ की तुम खुद देखो की तुम जीजाजी के बारे मे कितना ग़लत हो. मगर तुम छूप कर रहोगे, और कुच्छ भी हो जाए बाहर नही निकलोगे”
प्रशांत: “अगर जीजाजी ने तुम्हारे साथ कुच्छ ग़लत किया तो मैं बाहर आउन्गा और उन्हे पीटूँगा”
नीरू: “किस हक़ से? तुम मेरे क्या लगते हो? तुम बीच मे नही आओगे, खाओ मेरी कसम”
प्रशांत: “मगर…”
नीरू: “अगर जीजाजी सच्चे निकले तो मैं तुमसे शादी नही करूँगी, क्यू की तुमने फिर से उन पर शक किया हैं. अगर जीजाजी झूठे निकले और मुझे चोदने की कोशिश की तो फिर तुम्हारी इक्षा की तुम मुझसे फिर से शादी करना चाहोगे या नही”
प्रशांत: “नीरू मुझे पता हैं की क्या होने वाला हैं, इसलिए मुझे उन्हे रोकने की पर्मिशन दे दो”
नीरू: “तुम मेरी कसम खाओ की बीच मे नही आओगे, वरना मैं तुमसे छिपकर यह एक्सपेरिमेंट कर लूँगी”
प्रशांत: “नही. मैं कसम ख़ाता हूँ की मैं बीच मे नही आउन्गा, मगर मुझे वहाँ रहना हैं”
नीरू: “आज शाम को घर पहुच कर मैं जीजाजी को रात को अपने बेडरूम मे बूलौंगी और तुम अटॅच्ड वॉशरूम मे छूपे रहना”
मैने हा में गर्दन हिलाई. मुझे बहुत डर लग रहा था की आज रात पता नही क्या होने वाला था. हम दोनो फिर होटेल रूम मे आ गये तब तक जीजाजी और ऋतु दीदी की चुदाई ख़त्म हो चुकी थी.
ऋतु दीदी को मैने आँखों के इशारे से बता दिया की मैने नीरू को वॉशरूम से आती जीजाजी की आवाज़े सुना दी हैं जैसा की हमने प्लान किया था.
मैने ऋतु दीदी को रात को होने वाले एक्सपेरिमेंट के बारे मे नही बताया. दिन भर हम घूमते रहे और नीरू थोड़ी टेन्षन मे दिखी.
शाम को हम घर पहुचे. जीजाजी और ऋतु दीदी सोने के लिए गेस्ट रूम मे चले गये. मैं और नीरू हमारे बेडरूम मे आ गये.
प्रशांत: “नीरू फिर से सोच लो, कुच्छ ग़लत होने पर मैं तुम्हे बचना चाहता हूँ”
नीरू: “तुम्हे घर से बाहर जाना हैं या यहा बाथरूम मे छूपे रहना हैं? यहा रहना हैं तो तुम जीजाजी के जाने तक बाहर नही आओगे”
मैं चुप हो गया. नीरू ने कुच्छ देर बाद जीजाजी को मेसेज किया की वो हमारे बेडरूम मे आ जाए और ऋतु दीदी को नही बताए.
जीजाजी के आने से पहले मैं जाकर अटॅच्ड वॉशरूम मे छूप गया. जीजाजी कमरे मे आए और नीरू ने दरवाज़ अंदर से लॉक कर दिया.
जीजाजी: “क्या हो गया, सब ठीक तो हैं और प्रशांत कहा हैं?”
नीरू: “वो बाहर गया हैं. आप यह बताओ मैं आपको कैसी लगती हूँ!”
जीजाजी: “यह पूछने के लिए मुझे सोते हुए बुलाया! तुम तो मेरी परी हो. तुमसे सुंदर इस दुनिया मे कोई नही हैं”
जीजाजी ने नीरू के चेहरे पर आती बालो की लत को नीरू के कानो के पीछे अटकाया और फिर अपने हाथो की उंगलियों के पीछे की तरफ से नीरू के गालो पर फिराया.
नीरू: “यह नही पुछा मैने, यह बताओ मैं आपकी कौन हूँ?”
जीजाजी: “यह कैसा सवाल हैं! तुम मेरी इकलौती साली हो”
नीरू: “वो तो दुनिया की नज़रो मे हमारा रिश्ता हैं. आप मुझे क्या समझते हो?”
जीजाजी: “क्या हो गया तुमको आज!”
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RE: bahan sex kahani ऋतू दीदी
मैं वॉशरूम का हल्का सा दरवाजा खोले एक दरार से यह सब देख रहा था. नीरू और जीजाजी एक दूसरे सामने करीब खड़े थे. नीरू का चेहरा गंभीर था.
जीजाजी ने नीरू का हाथ अपने हाथ मे पकड़ा था और चेहरे पर एक स्माइल थी.
नीरू: “मैने आज सुबह वो सब सुना जो आप वॉशरूम मे ऋतु दीदी को चोदते हुए कह रहे थे”
यह सुनकर जीजाजी दंग रह गये और चेहरे पर से स्माइल गायब हो गयी और उसकी जगह गंभीरता ने ले ली.
नीरू: “बोलिए, आपने ऐसा क्यू किया?”
जीजाजी: “वो … एम्म … मैं …”
नीरू: “सच सच बताओ, आप मेरे बारे मे क्या सोचते हो! क्या आप मुहे चोदना चाहते हो?”
जीजाजी: “नही, ऐसी कोई बात नही हैं नीरू .. .वो तो मैं बस …”
नीरू: “आप मुझे चोदना चाहते हो तो मैं आपको नही रोकूंगी. आपके सामने खड़ी हूँ, जो करना हैं कर लो”
जीजाजी: “क्या कह रही हो! मैं ऐसा नही सोचता …”
नीरू ने अपना टी शर्ट अपने सिर से होकर निकाल दिया और उपर से सिर्फ़ ब्रा मे वहाँ खड़ी थी. जीजाजी बोलते हुए रुक गये और नीरू की छाती को घूर्ने लगे जहा ब्रा के बीच से नीरू के मम्मे दिख रहे थे.
नीरू: “मैं रेडी हूँ, आपसे चुदवाने के लिए. क्या आप मुझे चोदने को रेडी हो?”
नीरू जीजाजी की आँखो मे झाँक रही थी और जीजाजी की नज़र नीरू के आधे नंगे बदन पर टिकी थी.
नीरू आगे बढ़ी और जीजाजी के सीने पर सिर रख कर उनसे चिपक गयी. जीजाजी ने भी उसको अपने बाहों मे भर लिया और नीरू की नंगी बाहो पर हाथ फेरने लगे.
नीरू: “आप मुझे चोदोगे ना?”
जीजाजी ने कोई जवाब नही दिया. पर अब जीजाजी का हाथ नीरू की ब्रा से झाँकति नंगी पीठ और नंगी कमर पर फिर रहा था.
नीरू: “कुच्छ बोलते क्यू नही, क्या आप मुझे चोदोगे!”
जीजाजी: “तुम क्या चाहती हो?”
नीरू: “वोही जो आप चाहते हो. आप मुझे चोदना चाहते हो तो मैं भी आपसे चुदवाना चाहती हूँ”
जीजाजी ने फिर नीरू की पीठ से उसकी ब्रा का हुक खोल दिया. एक झटके मे उस ब्रा की पकड़ नीरू के बदन से ढीली पड़ गयी और नीरू का पूरा शरीर एक झटके मे हिल गया.
शायद नीरू को यह उम्मीद नही थी की जीजाजी उसका ब्रा का हुक खोल लेंगे. नीरू चुप हो गयी थी. मगर नीरू के पीछे से नंगी पीठ और कमर पर उपर से नीचे जीजाजी की उंगलिया घूम रही थी.
अंदर वॉशरूम मे खड़े मेरे हाथ पैर काँप रहे थे की आगे क्या होने वाला था. क्या नीरू के लिए इतना काफ़ी नही हैं जीजाजी की नीयत जानने के लिए!
नीरू जो अब तक जीजाजी के सीने से चिपकी हुई थी अब उसने अपना ब्रा अपनी छाती से चिपकाए थोड़ा जीजाजी से पीछे हटी.
नीरू के चेहरे पर टेन्षन थी पर जीजाजी के चेहरे पर स्माइल लौट चुकी थी. जीजाजी ने ब्रा के स्ट्रॅप नीरू के कंधो से नीचे गिराई, पर नीरू अभी भी ब्रा को छाती से चिपकाए हुई थी और ब्रा गिरने नही दिया और अपने मम्मे भी छिपाए रखे.
जीजाजी ने अपने दोनो हाथ से नीरू के दोनो कंधे पकड़े. दोनो अभी भी एक दूसरे की आँखों मे झाँक रहे थे. नीरू की आँखें गीली हो कर चमक रही थी और एक डर भी था.
नीरू: “आप सच मे मुझे चोदना चाहते हो!”
जीजाजी: “तुम जैसी खूबसूरत लड़की को चोदना तो हर आदमी का सपना होगा”
नीरू: “और आपका भी यही सपना हैं?”
जीजाजी: “मैं भी तो एक आदमी ही हूँ”
नीरू ने अपना हाथ ब्रा से हटा लिया और हाआत नीचे कर दिए. वो ब्रा खिसक कर नीचे गिर गया और नीरू वहाँ टॉपलेस खड़ी थी.
जीजाजी के नज़रे नीरू की छाती पर गयी और इतना तड़पने के बाद पहली बार नीरू के मम्मों को पूरा नंगा देखा और उनके मूह से लज्जा की बजाय तारीफे निकलने लगी.
जीजाजी: “वाउ! नीरू तुम्हारे जैसे खूबसूरत मम्मे मैने कभी नही देखे. यह दुनिया के सबसे खूबसूरत मम्मे हैं”
नीरू का चेहरा बता रहा था की वो पूरी तरह दंग थी. उसको यह उम्मीद नही थी. उसने सोचा था की जीजाजी उसको कपड़े फिर पहना देंगे पर वो तो उसके नंगे बदन की तारीफे कर रहे थे.
नीरू इस सदमे से उभरी भी नही थी की जीजाजी की दोनो हथेलियो ने नीरू के बड़े से मम्मों को पकड़ लिया था और हल्का सा दबा भी लिया था.
नीरू का मूह थोड़ा खुल गया और जीजाजी की स्माइल और बढ़ गयी और डाट दिखने लगे थे. मैं वॉशरूम मे अपनी मुट्ठी भींचे गुस्से मे खड़ा था.
नीरू ने फिर आँखें बंद कर ली थी. जीजाजी ने फ़ायदा उठाया और नीरू के मम्मों से हाथ हटा कर अपने मूह मे नीरू के निपल भर लिए और चूसने लगे.
नीरू की पहली बार सिसकी निकली और चेहरा च्चती की तरफ हो गया और मूह खुला का खुला रह गया.
मैं वॉशरूम मे बैठा मन ही मन नीरू को कह रहा था की अब तो प्लीज़ वो जीजाजी को रोक दे इस से पहले की वो उसका और ज़्यादा फ़ायदा उठा पाए, पर नीरू को जीजाजी की बेशर्मी की लिमिट देखनी थी.
अगले कुच्छ सेकेंड्स तक जीजाजी छपर्र छपर्र करते हुए नीरू के निपल और मम्मों को अपने मूह मे लिए चूस्ते रहे और दबाते रहे.
नीरू ने फिर आँखें खोली और जीजाजी के कंधे पकड़ कर उनको अपने मम्मों से दूर किया. जीजाजी फिर सीधा खड़े हो गये पर चेहरे पर स्माइल थी.
अगले एपिसोड मे पढ़िए जीजाजी की असली गंदी वाली नीयत सामने आने के बाद नीरू का क्या रिक्षन रहेगा.
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