bahan sex kahani ऋतू दीदी
05-07-2021, 11:55 AM,
#1
Thumbs Up  bahan sex kahani ऋतू दीदी
bahan sex kahani ऋतू दीदी

मेरे एक रीडर ने अपनी आपबीति मेरे साथ शेयर की और उसको मैंने एक कहानी में ढ़ाल दिया है। यह कहानी हैं एक लड़के प्रशांत की। आप उसी के नज़रिये से यह कहानी पढिये।

मेरा नाम प्रशांत हैं और मैं २३ साल का नौजवांन हूं। मेरे माँ बाप का इक्लौता लड़का हूँ और गर्ल फ्रेंड बनाने के चक्कर में कभी पड़ा नहीं क्युकी मैं बहुत शाय रहा हूँ और काम बोलता हूं। कॉलेज ख़त्म होते ही पास के बड़े शहर में मेरी जॉब लग गयी और मैं माँ बाप का घर छोड़ कर नए शहर में रहने लगा। मैं अपने करियर पर कंसन्ट्रेट कर रहा था और घर वालें मेरी शादी करवाना चाहते थे और मैं उनको हमेशा ताल देता।

एक बार जब मैं कुछ दिन की छुट्टियो में घर गया तो घर वालों ने मुझे बोला की उन्होंने एक लड़की देखि हैं और मैं एक बार उस लड़की को देख और मिल लु। शादी चाहे तो मैं बाद मैं कर लु। घर वालों का दिल रखने के लिए मैं तैयार हो गया और मैं अपने पेरेंट्स के साथ लड़की के घर गया। मन में यही था की वापिस घर आकर लड़की को रेजेक्ट कर दूंगा और पीछा छुड़ा लुंगा। लड़की को मेरे सामने लाय गया और मेरी सिट्टी पिट्टी घुम हो गयी। खूबसूरत सी लड़की थी और उसका फिगर एकदम पेरफ़ेक्ट। कभी सोचा नहीं था की ऐसी लड़की से शादी करने का मौका मिलेंगा। उसके साथ अलग से बात करने को भी मिला।

उसका नाम निरु था और मैं उसकी खुबसुरती में इतना खो गया की कुछ पुछा ही नहीं, यह सोच कर की कही वो नाराज न हो जाए। वो जरूर मेरे बारे में जानकार इम्प्रेस हुयी और इंटरेस्ट दिखाया। उसके घर वालों ने बताया की निरु की जॉब उसी शहर में लगी हैं जहा मैं अभी जॉब कर रहा हूं। वो लोग निरु को उस अनजान शहर में अकेले नहीं भेजना चाहते थे और उसी शहर में किसी से शादी करवाना चाहते थे। मुझसे पुछा गया की मैं शादी को तैयार हूँ या नहीं, मैं चाहु तो सोच कर जवाब दे सकता हूं। मैंने तुरंत हां बोल दिया और हम दोनों के घर वाले बहुत खुश हुये। मैं खुश था की मुझे इतनी खूबसूरत बिवी मिलेगी। निरु खुश थी की उसकी जॉब का सपना पूरा होगा और मुझे तो वो, वैसे ही पसंद कर चुकी थी।

अगले महीने ही हमारी शादी हो गयी। एक महीने पहले मैंने सोचा भी नहीं था की मैं शादी कर लूंगा और अब सब कुछ इतना जल्दी हो गया। मगर मुझे अपने डिसिशन पर कोई पछ्तावा नहीं था। मेरा किराए के घर को शेयर करने के लिए एक लाइफ पार्टनर आ चूका था। शादी से पहले के इस एक महीने में भी मेरी बात निरु से होती रही थी। एक चीज जो मुझे पता चली थी वो यह की वो बहुत चुलबुली सी लड़की है। मेरा बिहेवियर उसके बिहेवियर से एकदम उलटा था तो मुझे वो बहुत पसंद आयी। मैं चुपचाप कम बात करता और वो जल्दी ही किसी के साथ घुलमिल जाती और ज्यादा बात करने की बहुत आदत थी। मेरे शांत घर में हमेशा चहल पहल रहने लगी। जिन पड़ोसियो से मैंने कभी बात नहीं की थी, निरु की वजह से उनके नाम भी जानने लगा और वो हमारे घर भी कभी आते थे। मुझे लगा जैसे मेरी लाइफ कम्पलीट हो गयी है। मेरी ज़िन्दगी का अधुरापन दूर हो गया था। शादी के बाद भी वो चुलबुली, बब्बली सी लड़की अपनी शरारत और नटखटपन नहीं भूलि थी। हम दोनों ने करियर को देखते हुए डिसाइड किया था की हम अपना बच्चा अभी प्लान नहीं करेंगे। निरु को बच्चो से बहुत लगाव था। वो अपना बच्चा चाहती थी पर उसे हम दोनों के करियर की भी परवाह थी।

हमारी शादी को एक साल हो चूका था और हमारी ज़िन्दगी बहुत आराम से चल रही थी। पर फिर हमारी ज़िन्दगी में एक तूफ़ान आया। एक दिन निरु मेरे पास आयी और हमेशा की तरह मुझसे बातें करने लगी।

नीरु: "प्रशांत, हम लम्बे टूर पर कभी नहीं गए, क्या हम लोग किसी बीच वाली जगह घुमने जाए, ३-४ दिन के लिये। आगे लॉन्ग वीकेंड भी आने वाला हैं"

प्रशांत: "कोई जगह सोची हैं तुम्हे की कहाँ जाना हैं? मगर अभी टाइम बहुत कम बचा हैं, इतना जल्दी हम सारी बुकिंग करवा नहीं पाएंगे"

नीरु: "उसकी चिंता तुम मत करो। मैं सब सम्भाल लुंग। तुम तैयार हो या नहीं?"

प्रशांत: "अगर सब अच्छे से मैनेज हो जायेगा तो मैं रेडी हूँ, पर तुम अकेले कैसे मैनेज करेगी? पूरा प्लान तो बताओ"

नीरु: "बंदोबश्त हो चूका है। जिजाजी और दीदी यहाँ आ रहे है। फिर हम चारो घुमने जाएंगे। जीजाजी ने ट्रैन के टिकट बुक कर दिए हैं और होटल भी बुक हो गयी हैं"

नीरु चहक रही थी और बहुत एक्ससिटेड लग रही थी और मैं दंग था की उसने सारी तयारी पहले ही कर ली पर मुझसे अब पुछ रही थी।

प्रशांत: "सारा प्लान तो तुमने और नीरज जीजाजी ने बना ही लिया हैं। कब से प्लान चल रहा था? मुझे पहले क्यों नहीं बताया?"

नीरु: "मुझे पता था तुम मना नहीं करोगे। मुझे भी कल जीजाजी ने फ़ोन करके बताया की यह प्लान हैं और हम दोनों को उनके साथ जाना ही पड़ेगा"

नीरु के घर में उसकी पेरेंट्स के अलावा सिर्फ उसकी एक बड़ी बहन ऋतु दीदी है। ऋतु दीदी निरु से ७ साल बड़ी हैं और उनकी शादी करीब ६-७ साल पहले नीरज जी से हुयी थी। जो अब रिश्ते में मेरा साढु भाई हो गए थे। नीरु की दीदी को मैं भी दीदी कह कर ही बुलाता हूँ और वो दोनों मुझे प्रशांत नाम से बुलाते हैं क्यों की मैं उनसे उमरा में ४-५ साल छोटा हूँ।
Reply
05-07-2021, 11:55 AM,
#2
RE: bahan sex kahani ऋतू दीदी
अगले वीक नीरज जीजा और ऋतू दीदी हमारे घर आने वाले थे और हम सब हमारे शहर से ट्रैन से निकलने वाले थे। पूरे सप्ताह निरु घर में इधर से उधर दौड रही थी और तयारी में लगी थी। शाम को ऑफिस से आने के बाद वो फ़ोन पर लग जाती और अपनी दीदी और जिजा के साथ बात कर क्या लेना और क्या नहीं लेना की तयारी करती। मुझे निरु का एक्ससिटेमेंट देखकर बहुत अच्छा लग रहा था और मेरे चेहरे पर भी उसको देख स्माइल आ जाती। कुछ महिनो पहले जब मैं निरु के साथ उसके घर गया था तो वहाँ नीरज जीजाजी से भी मिला। इन दोनों जीजा साली का रिश्ता एकदम मस्ती वाला था। दोनो एक दूसरे से हँसी मजाक करते रहते और एक दूजे की टाँग खीचने का कोई मौका नहीं छोड़ते थे। वो दोनों जब साथ होते तो एंटरटेनमेंट बारबार होता रहता था। ऋतू दीदी से सुना था की निरु शुरू से ही अपने जीजाजी के मुह लग गयी थी और बिना शरमाये उनसे सब शेयर करती थी और खुल कर बातें करती थी। ऋतू दीदी का स्वभाव निरु से उलटा था। बहुत ही शान्त और गम्भीर मगर समजाहदार थी। वो हाउसवाइफ थी और आगे पीछे का सारा नॉलेज रखती थी और मौका पड़ने पर मुझे और निरु को भी समझती रहती थी। नीरु खूबसूरत थी तो ऋतु दीदी भी काम नहीं थी। दीदी का वजन निरु से थोड़ा ज्यादा था पर दोनों की शकले काफी मिलती थी और खुबसुरती लाजवाब थी।

मै अपनी आदत के हिसाब से ऋतु दीदी से शरमाता था और ज्यादा बात नहीं करता था। ऋतू दीदी ही आगे बढ़कर मुझसे बात करती और मुझे नार्मल करने की कोहिश करती थी। क्यों की निरु जब बोलना शुरू करती तो मुझे सब भूल ही जाते है। अब बात करते हैं नीरज जीजा की। नीरज जीजा और ऋतू दीदी भी मेरी और नीरू की तरह अपोजिट थे। ऋतू दीदी शांत और समझदार थी तो नीरज बहुत बातूनी और हमेशा मजाक के मूड में रहते थे। शायद यह भी एक कारण था की निरु की नीरज जीजा से बहुत अच्छी बनती थी। निरु चाहे कपडे खरीदती तो भी नीरज जीजा के पसंद का कलर या डिज़ाइन लेती। वो नए कपडे पहन कर मुझे दिखाती और पूछती कैसी लग रही हूं। निरु तो मुझे हर तरह के कपड़ो में खूबसूरत ही लगती थी तो मैं शान्ति से बोल देता की अच्छी लग रही हो। येह सुनकर वो मुझे सुना देती की कैसी फिकी तारीफ़ की है। जीजा जी होते तो उसकी बहुत तारीफ़ करत। मुझे जिजा से तारीफ़ करना सीखना चहिये। सिर्फ कपड़ो की बात नहीं थी, दूसरे मौको पर भी मेरा कम्पैरिजन हमेशा नीरज जीजा से करती की अगर जीजा जी होते तो यह करते या वो करते। एक समझदार आदमी की तरह मैं उसकी बात हमेशा हँसी में टाल देता और कभी मंद नहीं किया और ना ही मुझे बुरा लगता था क्यों की मैं जानता था की निरु की आदत उसके जिजा से बहुत मिलती हैं और मैं एकदम उलटा हूं।

आखीर वो दिन भी आया जब निरु के जीजा और दीदी हमारे घर आने वाले थे। वो लोग दोपहर बाद शाम होते होते आने वाले थे और देर रात को हमें ट्रेन पकड़नी थी। नीरु सुबह से ही एक्ससिटेड थी। इतने दिन के लिए पहली बार घुमने जा रहे थे और उसको बीच पर जाना बहुत पसंद भी था। उस से भी बड़ी ख़ुशी थी की साथ में जीजा जी होंग। वार्ना मेरे साथ कही घुमने जाने पर तो वो बोर हो जाती थी। मेरे लिए भी अच्चा त। जब भी कही घुमने जाते तो वो मुझे घुमा घुमा कर परेशान कर देती। अब वो सारी परेशानिया जीजा जी को झेलनी थी।

नीरु घर में वैसे तो साड़ी नहीं पहनती पर क्यों की जीजा जी आने वाले थे तो उसने ख़ास तौर से जिजा जी की दी हुयी साड़ी पहनी थी उनको खुश करने के लिये। साड़ी पहन वो मेरे पास आयी और ख़ुशी के मारे मुझे थैंक यू थैंक यू बोलते हुए मेरे गले लग उछल रही थी। उसके मम्मो का साइज काफी अच्चा खासा था और उसके उछलने के साथ ही उसके मम्मी मेरे सीने से दब कर मुझे चोट मारते हुए गुदगुदी के साथ मेरा मूड भी बना रहे थे। साड़ी में तो वैसे ही वह दूसरे कपड़ो के मुकाबले कुछ ज्यादा ही सेक्सी लगती हैं और गजब धाती हैं तो मैंने भी उसको अपने से चिपका लिया और एक क्विक सेक्स की डिमांड रख दि। मागर निरु ने ना बोल दिया। निरु ने बोलै की जिजा जी के आने के बाद वो कोई काम नहीं करेगी, इसलिए वो अभी से खाना बना कर रख डेगी। मुझे अपने अरमानो का गला घोंटना पद। नीरु किचन में काम पर लग गयी थी और दरवाजा बजते ही मैंने दरवाजा खोला। नीरज जीजाजी ने दरवाजा खुलते ही जोर से "निरु" की आवाज लगाई पर मुझे देख हलका सा मुस्कुराये और आगे बढ़ गए और निरु निरु के नाम की झाडी लगा दि। नीरु किचन से दौड़ती हुयी आयी। उसने एप्रन पहन रखा था और आते ही उछल कर जीजाजी के गले लग उछलने लगी। मुझे दोपहर की घटना याद आ गयी। जब वो ऐसे ही मेरे गले लग उछली थी और मेरा मूड बन गया था। मै सोचने लगा अभी नीरज जीजा की क्या हालत होगी। मुझे थोड़ा ऑक्वर्ड भी लग रहा था पर निरु की एक्साइमेंट देख कर मुझे हँसी भी आ रही थी।

मै उन दोनों को देख रहा था की पीछे से ऋतु दीदी की आवाज आयी और मुझसे मेरा हाल चाल पुछा। मैं जब भी अपने ससुराल जाता हूँ तो निरु मुझे भूल जाती हैं पर ऋतू दीदी मेरा बराबर ध्यान रखती है। मैने ऋतु दीदी को अंदर लिया और उनसे भी हाल चाल पुछा। निरु और जीजा जी अब तक अलग हो कर नार्मल हो चुके थे। तभी निरु को अपने किचन का ख़याल आया और "मेरी रोटी जल गयी" बोलते हुए भाग कर फिर किचन में गयी। जीजा जी भी उसके पीछे किचन में चले गए यह कहते हुए की "निरु ने जीजा जी के लिए क्या पकाया हैं"

मैने दीदी को बैठने के लिए बोला।

ऋतु: "यह निरु एकदम पगली है। तुमको परेशान तो नहीं करती न?"

प्रशांत: "नहीं दीदि, मुझे अच्छा लगता हैं उसको इस तरह खुश देख कर।"

अंदर किचन से निरु और जिजा दोनों के चीख़ने की आवाज आ रही थी और मेरा ध्यान बार बार उधर जा रहा था।

ऋतु: "तुम परेशान मत हो, इन दोनों का शुरू से ऐसा ही है। पूरा घर सर पर उठे लेते हैं"

थोड़ि देर बाद जिजाजी और निरु दोनों किचन से बाहर आए, एक दूसरे के हाथों में हाथ डाले और चहकते हुये। निरु अपनी दीदी के पास जाकर बैठ गयी और जीजा जी मेरे पास पड़े सोफे सीट पर आकर बैठ गए। उन दोनों की बातें चालु हो गयी और ऋतू दीदी बीच बीच में थोड़ा बोल देती पर मैं पुरे टाइम चुप ही रहा। उन लोगो के बीच बातें होती देख मैंने भी बात आगे बढ़ाने और मेरी प्रजेंस दिखाने के लिए बात की।

प्रशांत: "ट्रैन कितने बजे की है, ए.सी. ट्रेन बुक की हैं?"

नीरज: "निरु को ए.सी. स्लीपर में सोने में प्रॉब्लम होती हैं इसलिए मैंने उसके लिए नॉन-ए.सी. फर्स्ट क्लास क्प्म्पार्टमेन्ट बुक किया हैं"

मेरी बिवी के बारे में जो जानकारी मुझे नहीं थी वो जीजा को ज्यादा पता थी। मैं अपना बजट जोड़ने लगा। फर्स्ट क्लास के मुकाबले ए.सी. ३टिएर ज्यादा सस्ता पड़ता और ए.सी. भी मिलता। वो लोग फिर से प्लान करने लगे की बीच पर जाकर वो क्या मस्ती करेंगे और मैं फिर से लेफ्ट आउट फील करने लगा। मैंने सोचा मुझे अब टॉपिक बदलना चेहये।

प्रशांत: "आपकी शादी को इतने साल हो गए, आप लोग खुश खबरी कब सुना रहे हो?"

मै खुश हुआ की मैंने अच्चा टॉपिक ढून्ढ कर उनकी बातचीत में शामिल हो पाउँगा पर एक बार फिर मैंने मुह की खायी। इतनी देर से जीजा और निरु की चहचहाने की आवाज एकदम बंद हो गयी और ख़ामोशी पसर गयी। निरु अब एकदम गम्भीर हो गयी और बोली।

नीरु: "मैंने तुम्हे कभी बताया नहीं, दीदी को मेडिकल प्रॉब्लम हैं और वो कन्सीव नहीं कर सकती हैं"

ऋतू दीदी ने निराशा में अपना मुह झुका लिया और निरु ने उनके कंधे पर हाथ रख उनको सान्त्वना दी। यह सवाल पुछ मैंने बेवकूफ़ी कर दी थी और मैंने तुरंत उन सब से माफ़ी मांगी।

दीदी ने मुझको गिल्टी फील ना करने के लिए बोली, की इसमें मेरा कोई दोष नहीं, क्यों की मुझे पता ही नहीं था इस बारे मे। तभी जीजाजी ने माहौल को लाइट बनया।

नीरज: "अरे तो क्या हो गया! निरु को जो बच्चा होगा वो मेरा ही तो होगा"

नीरु: "ओह्ह्ह्ह! आई लव यू जीजाजी, यु आर द बेस्ट"

यह कहते हुए निरु अपनी सीट से उठी और जाकर जीजा जी की गोद में बैठ गयी और उनको गले लगा दिया और जिजाजी ने भी उसकी नंगी कमर को पकडे उसको जकड़ लिया।
Reply
05-07-2021, 11:55 AM,
#3
RE: bahan sex kahani ऋतू दीदी
मै एक बार तो खुश हुआ की मेरी वजह से खराब हुआ माहौल फिर ठीक हुआ पर फिर जीजा जी के शब्दो पर ध्यान दिया। क्या उनके कहने का मतलब यह था की वो निरु को माँ बनायेंगे। उन्होंने कहा था की "निरु को जो बच्चा होगा वो मेरा ही तो होगा"

मैने इन शब्दो पर ध्यान दिया पर बाकी किसी ने उस पर ध्यान नहीं दिया। निरु तो उलटा खुश होकर अपने जीजा की गोद में ही बैठ गयी थी। दीदी भी अपनी चिंता छोड़कर हलकी मुस्करायी। मै भी सोचने लगा शायद मैंने ही गलत सुना या फिर गलत मतलब निकला होगा। फिलहाल मेरी बिवी अपने जीजा के गले पड़ी थी। हलांकि यह पहला मौका नहीं था जब वो अपने जीजा से इतने करीब थी पर मैं थोड़ा असहज महसूस कर रहा था पर बाकी तीनो को यह सामान्य लग रहा था तो मैंने भी इसको लाइटली लिया। नीरु फिर अपनी जगह आकर बैठी और जीजा साली में टाँग खिचाई और मजाक शुरू हो गया और मैं सिर्फ दर्शक ही बना रहा। ऋतू दीदी बीच में अपने एक्सपर्ट कमेंट कर देती और निरु को डांट कर समझा भी देती।

हम सब लोगो ने डिनर कर लिया था और फिर साथ बैठे थे। थोड़ देर प्लानिंग के बाद दीदी ने बोला की उनका सामान तो पैक हैं मगर हम लोगो ने पैकिंग की हैं या नहीं। उन्होंने सजेस्ट किया की हमें पहले अपने बैग पैक कर लेने चहिये। मेरी लास्ट मिनट पैकिंग ही बाकी थी तो मैं उठ गया। निरु भी उठ गयी।

नीरु: "जीजा जी मैंने अपनी तरफ से कपडे फाइनल कर लिए हैं पर आप मेरी मदद करो की क्या लेना है। आप मेरे साथ चलो"

दीदी: "तुम लोग पैकिंग फाइनल करो तब तक मैं किचन का काम ख़त्म कर देती हूँ फिर तैयार होंगे"

मै अब अपने बैडरूम में आए और पीछे पीछे निरु अपने जीजा को लेकर अंदर आयी। मैं अपनी पैकिंग से ज्यादा उन दोनों को आब्जर्वर कर रहा था।

नीरु ने अपना सूटकेस खोल कर जीजाजी को दिखाया। उसमे उसके कपडे पड़े थे। उसने एक एक कर सब बाहर निकाले और जीजाजी को दिखाने लगी की क्या रखा हैं और क्या नहीं। कपडे निकलने के साथ ही सूटकेस में नीचे पड़े निरु के ब्रा और पेंटी भी दिखने लगे। मुझे थोड़ी शर्म महसूस हुयी की इस तरह अपने अंदर पहनने के कपडे उसके जीजा जी बैग में देख पा रहे थे पर उन दोनों पर कोई फर्क नहीं था। वो दोनों कपड़ो को फाइनल करने में लगे थे और मेरी पैकिंग हो गयी तो मैं उनको देखता रहा। पैकिंग होते ही हम सब बाहर आ गए। दीदी भी किचन का काम ख़त्म कर बाहर आ गयी थी। टी.वी. चल रहा था पर सिर्फ मैं देख रहा था। बाकी तीनो अपने कल के प्लान बना रहे थे। आधे घंटे बाद दीदी ने आगे के काम ख़त्म करने को कहा। दीदी ने बोला की अब हम तैयार हो जाते है। ख़ास तौर से निरु को तैयार होने में ज्यादा टाइम लगेगा तो उसको जाने को बोला।

नीरु: "जीजा जी आप मेरे साथ चलो और बताओ की मैं क्या पहनू"

नीरु अब अपने जीजा को लेकर मेरे बैडरूम में चली गयी और दरवाजा बंद हो गया। अन्दर से सिर्फ निरु के चहकने और खिलखिलाने की आवाज आ रही थी और बीच बीच में जीजा जी के हंसी की। इधर दीदी मेरे साथ बात कर रही थी।

दीदी: "निरु घर में सबसे छोटी हैं तो सबकी लाड़ली रही है। उसकी बचपने की आदत तुम्हे अजीब तो नहीं लगती न?"

प्रशांत: "बिलकुल नहीं दीदी। घर चहकता हैं तो अच्छा लगता है। जब वो घर पर नहीं होती हैं तो घर सुना और अजीब लगता हैं"

दीदी: "मेरा पीहर हो या मेरा ससुराल, जब तक निरु रहती हैं तो किसी बच्चे की कमी नहीं खलती। उसके जाते ही सन्नाटा छा जाता हैं और सब उसको मिस करते हैं"

प्रशांत: "अच्छा हैं उसको सब मिस करते है। मेरे जैसे का तो होना न होना सब एक हैं"

दीदी: "नहीं, ऐसी बात नहीं है। मम्मी पापा तुम्हारी बहुत तारीफ़ करते है। नीरज से भी ज्यादा वो तुम्हे पसंद करते हैं"

दीदी से बात करके थोड़ी शान्ति मिल रही थी पर बेडरूम से लगातार आती आवाजो से मैं थोड़ा अनकम्फर्टेबल हो रहा था। मैंने दीदी को भी तैयार होने को बोल दिया। दीदी अब उठ खड़ी हुयी और नीरज को आवाज लगा कर बुलाया ताकि निरु तैयार हो सके ताकि देर न हो। दीदी अब गेस्ट रूम में चेंज करने गयी।

मै अपने बैडरूम के दरवाजे तक पंहुचा और अंदर से आती जीजा साली की मस्तियो की आवाज में मेरी अंदर जाने की हिम्मत नहीं थी। क्या पता क्या देखने को मिले? मन में कही न कही एक डर घर कर गया था। मैं वही सोफे से लेकर बैडरूम के दरवाजे तक चक्कर लगता रहा। कुछ मिनट्स के बाद ही जीजाजी मेरे बैडरूम से बाहर आए। मै चुपके से जीजाजी को ऊपर से नीचे देखते हुए निरिक्षण करने लगा की वो क्या करके आये होंगे। उनके बाल बिखरे हुए थे और टीशर्ट पर खींचने की वजह से सिलवटे थी। मै अपने बैडरूम की तरफ बढा ताकि अंदर जाकर निरु की खोज खबर ले सकू। पर जीजाजी ने बीच में ही रोक दिया। जीजाजी ने बोला की लड़कियो को तैयार होने में टाइम लगता है, हम मर्दो को नहीं। हम थोड़ी देर बाद जायेंगे तैयार होंने। उन्होंने मुझे बातों में उलझाये २-३ मिनट रोके रखा। फिर मैंने ही उन्हें कहा की मुझे कपडे थोड़े आयरन भी करने हैं तो मैं अंदर जाता हूं। जीजाजी वहीं सोफे पर बैठ अपना फ़ोन चेक करने लगे और मैं बैडरूम में गया। नीरु अल्मारी के सामने ही खड़ी थी और सिर्फ अपनी ब्रा और पेंटी में थी। मुझे देखते ही उसने दरवाजा बंद करने को कहा। मैंने दरवाजा बंद किया और टाइमिंग गिनने लगा। जीजजी के बैडरूम से जाने के बाद से लेकर अब तक २-३ मिनट्स हुए होंगे। क्या निरु इतना जल्दी अपने कपडे खोल कर सिर्फ ब्रा और पेंटी में आ सकती हैं की नहीं। उसने साड़ी, पेटीकोट और ब्लाउज जीजाजी के जाने के बाद इतना जल्दी खोल लिए होंगे या जीजाजी के रहते हुए ही उसने कपडे खोल दिए थे? या फिर हो सकता हैं की निरु के कपडे खुद जीजाजी ने ही खोले होंगे तभी तो अंदर से इतनी मस्ती की अवाजे आ रही थी। मैने अपने आप को डांट दिया की मैं भी क्या सोच रहा हूं। मेरे बाहर बैठे रहते जीजाजी की इतनी हिम्मत नहीं हो सकती है। उन दोनों के अंदर रहते तो मैंने दरवाजा खोलने की कोशिश भी नहीं की थी। हो सकता हैं उस वक़्त दरवाजा अंदर से लॉक्ड था। अब यह सब चीजे पता करने के लिए तो बहुत देर हो चुकी थी। निरु ने अपना ब्रा निकाल दिया था ताकि दूसरा मैचिंग का ब्रा पहन पाए।
Reply
05-07-2021, 11:55 AM,
#4
RE: bahan sex kahani ऋतू दीदी
मुझे शक हुआ की रोज के मुकाबले निरु के मम्मे कुछ ज्यादा ही फुले हुए है। क्या यह सब मेरा भ्रम था या निरु का जीजा के साथ मस्ती करने से यह हाल हुआ था। या यह भी हो सकता हैं की उनके बीच एक क्विक सेक्स हुआ हो। दिल नहीं मान रहा था पर मन में शक का एक बीज उग गया था। मैं अब कैसे कन्फर्म कर सकता था। मैंने सोचा मैं निरु की पेंटी में हाथ डालकर उसकी चूत को छू कर देखुंगा। अगर वह गीला हुआ तो मतलब कुछ गड़बड़ है। मै निरु को देख रहा था जो टॉपलेस होकर सिर्फ एक पेंटी पहने अल्मारी में कपडे देख रही थी। मैं पीछे गया और उस से चिपक गया और उसके मम्मे अपने हाथों से दबाने लगा। नीरु ने मुझको झटका देकर अपने से दूर किया और कहा की अभी ज्यादा रोमांटिक होने की जरुरत नहीं हैं और अभी कुछ नहीं हो सकता हैं क्यों की टाइम नहीं हैं। मैंने भी सोच लिया था की मैं पता करके रहूँगा और मैंने उसको फिर पीछे से दबोच लिया और वो खुद को मुझसे छुड़ाने लगी। मैंने उसको पीछे से पकड़ कर हवा में उठा दिया और वो अपने पाँव साइकिल की तरह चलाते हुए फडफडाने लगी। मैं उसको लेकर बिस्तर पर गिर गया और जबरदस्ती उसकी पेंटी में हाथ डालने की कोशिश करने लगा। वो लगातार मेरा हाथ पकड़ मुझे रोकती रही जैसे उसकी चोरी पकडे जाने वाली हो। मैने आज तक कभी निरु पर जबरदस्ती नहीं की थी। हालाँकि उसने कई बार जबरदस्ती मेरा मूड न होते हुए भी मेरे साथ चुदाई की थी। मैने अपना हाथ उसकी पेंटी में हाथ डालही दिया और उसकी छूट तक ले गया। उसकी चूत के छोटे छोटे बालो पर ऊँगली छु गयी और थोड़ी गीली हुयी। निरु ने मेरा हाथ तुरंत बाहर निकाल दिया और उठ खड़ी हुयी।

मैं अपनी गीली ऊँगली के किनारे को देखता रह गया और दिल को धक्का सा लगा। मैं निरु के चेहरे को पढ़ने लगा की कही चोर तो नहीं छुपा है। मगर वो तो हंस रही थी और चहकते हुए शरमाते बोली।

नीरु: "बड़ी मस्ती चढ़ रही हैं आज! अभी जाना है, कल रात होटल रूम में देखती हूँ की तुम क्या करते हो"

मेरा दिल नहीं मान रहा था और मुझे यह सब गलत फ़हमी ही लगी। हो सकता हैं उसके साथ जो मैं जबरदस्ती कर रहा था उस वजह से उसकी चूत गीली हुयी हो। या फिर ज्यादा से ज्यादा थोड़ी देर पहले जीजाजी उसके साथ जो हँसी मजाक कर रहे थे उस वजह से उसकी चूत गीली हो गयी हो, पर वो जीजाजी के साथ यह गन्दा काम नहीं कर सकती। वो तो सिर्फ मुझे प्यार करती है। फिलहाल उसने दूसरा ब्रा पहन लिया और अपनी घुटनो तक की ड्रेस पहनने को निकाल दि। मैंने उसको कुरता और लेगिंग पहनने को बोला।

नीरु: "जीजाजी ने बोला हैं सफर पर आरामदायक खुले खुले कपडे होने चाहिए इसलिए मैं यही ड्रेस पहनूँगी"

अब अगर जीजा जी ने वो ड्रेस फाइनल की थी तो मेरा बोलने का कोई फायदा नहीं था। निरु ने वो स्लीवलेस घुटनो तक की ड्रेस पहन ली। हालाँकि वो उस ड्रेस में बहुत खूबसूरत लग रही थी, पर हमेशा की तरह मैंने फ़ीका रिस्पांस दिया। मैं भी टी-शर्ट और लोअर पहन कर तैयार था सफर के लिये। रात का सफर था पर फिर भी निरु हमेशा की तरह मेकअप करने लगी। मैं अब बाहर हॉल में आ गया।

जीजाजी वहाँ नहीं थे, शायद वो भी चेंज करने गए थे। कुछ मिनट्स में ही जीजाजी और ऋतू दीदी अपने कमरे से बाहर आए। ऋतू दीदी ने लूज पजामा और ऊपर एक बटन डाउन शर्ट पहना था। जीजाजी ने अपनी बिवी को तो निरु की तरह छोटे कपडे नहीं पहनाये थे। जीजाजी ने आते ही निरु के बारे में पुछा। मैंने बोल दिया की वो मेकअप कर रही है।

नीरज: "अभी रात को मेकअप की क्या जरुरत हैं? रुको मैं निरु को बाहर लेकर आता हूं। ऋतू तुम तब तक प्रशांत की हेल्प से अपने बैग बाहर ले आओ।"

जीजजी अब मेरे बैडरूम की तरफ बढे और अंदर जाकर दरवाजा जोर से बंद हुआ। उस दरवाजे के बंद होने की आवाज से मेरे दिल को जैसे धक्का लगा। जैसे किसी ने मेरे दिल पर एक मुक्का मार दिया हो। अन्दर से निरु के चिल्लाने की आवाज आने लगी "नहीं

जीजाजी, नहीं जीजा जी"। मुझे बहुत गुस्सा आया।

दीदी: "यह दोनों फिर शुरू हो गए, अब अगले कुछ दिन इनकी यही मस्ती मजाक चलता रहेगा और सारा काम हम दोनों को ही करना पड़ेगा प्रशांत। चलो हम बैग ले आते हैं"

मैने सोच लिया मैं अंदर जाकर जीजा को रंगे हाथों पकड़ लूंगा पर ऋतू दीदी के बैग्स लाने का क्या होगा? मुझे पता था की ऋतू दीदी मुझसे कोई काम नहीं करवाती है। दीदी अपने रूम की तरफ बढ़ गए थे। मैंने दूर से ही उनको आवाज दि।

प्रशांत: "ट्राली वाले बैग तो आप आराम से खिंच कर ला सकते है, मेरी जरुरत हैं क्या आपको?"

ऋतू: "नहीं, मैं ले आउंगी। कोई बात नहीं"
Reply
05-07-2021, 11:56 AM,
#5
RE: bahan sex kahani ऋतू दीदी
इन सब के बीच लगातार अंदर से निरु के चीख़ने और जीजा जी के जोर से खिलखिला कर हंसने की आवाज आती रही और साथ ही निरु भी बीच बीच में हंस रही थी। दीदी अपने रूम में बढ़ी और मैं दौड कर अपने बैडरूम के दरवाजे तक बढा और सांस रोक कर तेजी से दरवाजा खोल कर अंदर के नज़ारे को देखने के लिए तैयार था। तभी दरवाजा खुला और सामने जीजा ही खड़े थे एक चौड़ी स्माइल के साथ, जैसे मुझे चिढा रहे हो की मैं उनको नहीं पकड़ पाया और वो पहले ही मेरी बिवी के मजे ले चुके है। जीजाजी दरवाजे के बाहर निकले और मैं अंदर गया और वो दरवाजा बंद कर चले गए। मैंने देखा निरु बिस्तर पर पेट के बल उलटी लेटी हुयी है। उसने अपनी घुटनो तक की ड्रेस पहनी हुयी थी। उसके चेहरे पर खुले बाल बिखरे थे और टाँगे घुटनो से मुड़कर ऊपर छत की तरफ खड़ी थी। मैं आगे बढा और जाकर एक हाथ उसकी गांड पर रख दिया। वो एकदम पलट कर बोली "जीजाजी" और मुझे देख जैसे उसको सदमा लगा। वो अपने जीजाजी को एक्सपेक्ट कर रही थी और मैं आउट ऑफ सिलेबस आ गया था।

प्रशांत: "क्या हुआ? तुम तो मेकअप कर रही थी फिर यहाँ क्यों लेटी हो?"

नीरु अब उठ कर बैठ गयी थी और अपने कपडे एडजस्ट करने लगी।

नीरु: "मैं तो मेकअप ही कर रही थी पर जीजाजी करने ही नहीं दे रहे थे और जबरदस्ती खिंच कर ड्रेसिंग टेबल से बिस्तर पर ले आए। सफर पर जाने से पहले भी तो मेकअप कर ही सकते है, मैं तो करुँगी"

यह कहते हुए वो फिर उठी और ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठ कर अपना मेकअप दुरुस्त करने लगी और मैं बैग पकड़ कर बाहर खिंच लाया।

दीदी और जिजाजी सोफे पर बैठे थे और बैग पास में ही पड़े थे।

नीरज: "क्या हुआ? निरु फिर मेकअप करने लगी? मैं जाऊं वापिस"

ऋतू: "रहने दो उसको, उसकी इच्छा हैं तो करने दो मेकअप, क्यों परेशान करते हो"

५-१० मिनट्स के बाद निरु बाहर आ गयी और जीजा उसको देख उसकी तारीफो के पूल बाँधने लगे। निरु ख़ुशी से फूली नहीं समां रही थी। मुझे देख आँखें दिखा रही थी की जीजाजी से सीखो कैसे तारीफ़ करते है। मैने टैक्सी मंगवायी और हम लोग स्टेशन पहुचे। पहली बार मैं फर्स्ट क्लास से सफर कर रहा था। आज तक ३टिएर ए.सी. या नॉन ए.सी. स्लीपर में ही सफर किया था। हम अपने कम्पार्टमेंट में पहुचे। हमारे केबिन में आमने सामने, ऊपर नीचे चार ही बर्थ थे सोने के लिये। मैंने पुछा हम लोगो को नॉन-ए.सी. से ही जाना था तो नॉन ए.सी. स्लीपर से जा सकते थे।

नीरज: "स्लीपर में एक ही कोच में ७०-८० लोग होते है, वहाँ फर्स्ट क्लास वाली प्राइवेसी कहाँ होती है। यहाँ देखो हम चारो ही है। कुछ भी कर सकते हैं"

मै उनके "कुछ भी करने" का मतलब नहीं समझा था, उनके इरादे नेक नहीं लग रहे थे। मैं और नीरज जीजाजी एक बर्थ पर बैठे थे और सामने दोनों बहने बैठी थी। बातें करने में सहुलीयत हो इसके लिए निरु और उसके जीजाजी आमने सामने ही बैठे थे। इसलिये मेरे सामने ऋतू दीदी बैठी थी। मैं और ऋतू दीदी सिर्फ उन दोनों की बातें सुन रहे थे जो मस्ती मजाक में एक दूसरे की टाँग खिंच रहे थे। दोनो एक दूसरे को धमकी दे रहे थे की कल बीच पर देखना मैं क्या करता या करती हूं। उन्होंने अब तक जो किया था उसी से मैं सदमें में था तो आगे क्या होने वाला था यह सोच चिन्तित भी था। इन सब के बीच ऋतू दीदी एकदम शांत थी। क्या उनको भी मेरी तरह शक नहीं होता होगा अपने पति और बहन के रिश्ते पर? या फिर वो जान बुझ कर उनको करने देती होगी क्यों की वो मेरी तरह भोलि थी। मैने देखा था की ऋतू दीदी कभी कभार निरु को डाँट देती थी। शायद उनके बचपन की आदत होगी निरु के इस शरारती रूप को देखने की और उसे डाँटने की। यही कारण होगा की वो निरु की जिजाजी से सब मस्तियो को हंस कर टाल देती होगी। ऋतू दीदी अपनी शाल निकालने के लिए अपनी सीट के नीचे पड़े बैग को निकालने के लिए आगे झुकी। मेरा ध्यान ऋतू दीदी पर गया और झुकने के साथ ही उनके शर्ट के ऊपर के हिस्से से उनके बूब्स के उभार की थोड़ी झलक मिली। मै घबरा कर दूसरी तरफ देखने लगा जहाँ निरु और जीजाजी बातों में मशगुल थे। मेरे मन में चोर था। मैंने मौका देखते हुए फिर ऋतू दीदी को देखा। ऋतू दीदी को कभी इन गन्दी नज़रो से नहीं देखा था पर कुछ घंटो से जीजाजी और निरु की हरकतें देख मेरा दिमाग भी करप्ट हो गया था। ऋतू दीदी बैग की चेन खोले शाल निकालने के लिए हिली और उनके बूब्स का उभार भी उनके हिलने के साथ जेली की तरह हिलता हुआ बड़ा मादक दिखाई दिया। मेरे मन में घंटियां बजने लगी। मै फिर एक सेकंड दूसरी तरफ देखने लगा की कही कोई मुझे ऋतू दीदी के बूब्स घुरते तो नहीं देख रहा। और फिर मैं ऋतू दीदी के बूब्स की थोड़ी सी दिखती झलक को घुरने लगा।

ऋतू दीदी ने शाल निकाल लिया था और बैग की चेन वापसी बंद करने लगी। मैं थोड़ी देर और उस नज़ारे के मजे लेना चाहता था पर मैं अब दूसरी तरफ देखने लगा, ताकि ऋतू दीदी मुझे उन्हें घुरते हुए ना देख ले। ऋतू दीदी बैग अंदर रख सीधा हो चुकी थी। मैं फिर उनकी तरफ देख थोड़ी स्माइल करने लगा। दीदी ने जीजा साली की बातो में ध्यान लगाने उनकी तरफ देखा तो मैं उनकी छाती को घुरने लगा। कुछ दीख तो नहीं रहा था पर शर्ट के अंदर से ही उनके उभारों को देखने लगा। फिर अपने आप पर गुस्सा भी आया की मैं यह क्या कर रहा हूँ? थोड़ी देर बाद ऋतू दीदी ने बोला की उनको नींद आ रही हैं तो सब सो जाते है। मैं उनकी बात का सम्मान करते हुए तुरंत उठ खड़ा हुआ। पर जीजा साली की बातें अभी ख़त्म नहीं हुयी थी और उन्होंने हम दोनों को ऊपर की दोनों बर्थ पर सोने का बोल दिया।
Reply
05-07-2021, 11:56 AM,
#6
RE: bahan sex kahani ऋतू दीदी
हालंकी मैं अभी सोना नहीं चाहता था पर उठ खड़ा हुआ तो जाना ही पड़ा। ऋतू दीदी ऊपर की बर्थ पर जाकर लेट गयी और मैं भी उनके सामने की ऊपर वाली बर्थ पर जाकर लेट गया। नीचे दोनों जीजा साली की बातें और हँसी चालु थी। मैं छत की तरफ सून्य में निहार रहा था। कुछ समझ नहीं आ रहा था की क्या हो रहा हैं और मैं क्या करू? कुछ मिनट्स ऐसे ही बीत गए और मुझे नींद तो आ नहीं रही थी तो फिर मैंने करवट बदली। सामने ऋतू दीदी सीधा लेटी थी। लेटे होने से उनका पेट अंदर दब गया था और शर्ट के अंदर से उनकी छति का उभार साइड से साफ़ बड़ा दीख रहा था। उन्होंने जो शाल निकाली थी उस से अपने पाँव से लेकर कमर तक का शरीर ढक रखा था। ऋतू दीदी की बर्थ के ठीक नीचे निरु बैठी थी और मेरी बर्थ के नीचे नीरज जीजाजी थे। मुझे फिर एक शररात सुझी। मैंने सोचा जीजाजी का एक टेस्ट लिया जाए। मेरा बैग निरु जहाँ बैठी थी उसके ठीक नीचे था। मैंने निरु को अपना शाल पास करने को कहा। मुझे पता था की निरु की ड्रेस उसके आगे झूकते ही ऋतू दीदी के शर्ट की तरह खुल जायेगी और निरु का क्लीवेज सामने बैठे जीजाजी को दीख जाएगा। नीरु आगे झुकी और बैग खिंच कर बर्थ के नीचे से निकालने लगी। मैं निरु की ड्रेस को उसके झूकते ही थोड़ा खुला देख पा रहा था। मैंने अपनी नजरे नीचे कर जीजाजी के एक्सप्रेशन नोट करने की कोशिश की। जीजाजी भी अपना हाथ आगे बढा निरु की हेल्प करने लगे बैग को बाहर निकालने में और चेन खोलने मे, जीजाजी की नजरे सामने निरु पर ही थी और निरु ने बैग से शाल निकला और मुझे दे दिया। बैग अंदर डालने के लिए निरु फिर झुकी और मैंने जीजाजी के एक्सप्रेशन नोट करने की कोशिश की पर ऊपर से देख नहीं पाया और जीजाजी ने वो बैग वापसी बर्थ के नीचे खिसकाने में निरु की मदद की।

मागर यह तो पक्का था की जीजाजी ने निरु का क्लीवेज थोड़ा देख ही लिया होगा। मैं शाल अपनी टांगो पर डाले लेटा रहा। जीजाजी अब अपनी सीट से उठ कर निरु के बगल में बैठ गए थे। मेरे सामने ऋतू दीदी ने भी करवट ले ली थी और उनका मुह अब मेरी तरफ था पर आँखें बंद थी। उनके शर्ट का ऊपर का एक बटन खुला था और उनके हाथ के भार से इस तरह साइड वाइ सोने की वजह से से उनका ऊपर का एक मम्मा दब कर उनके शर्ट से थोड़ा बाहर झाँक रहा था। मै उस नज़ारे को देखने का मौका नहीं चूका और आँखें खोले देखता रहा। फिर सोचा कही दीदी जाग गयी तो? इसलिये मैंने अपनी पलके आधी बंद किये देखता रहा। एक नजर मैं ऋतू दीदी का क्लीवेज देखता तो दूसरे से नीचे बैठे जीजा साली को देखता जो आपस में चिपक कर बैठे बाते कर रहे थे। चूंकी मैं और ऋतू दीदी सो रहे थे तो जीजा साली आपस में धीरे धीरे बातें कर रहे थे। मेरा ध्यान बातों से ज्यादा उनकी हरकतो पर था। उन दोनों ने कुछ डिसाइड किया और अपनी जगह बदल ली। अब नीरज जीजा विंडो के पास थे और निरु उनकी गोद में सर रखे बर्थ पर लेटी हुयी थी। जीजाजी उसके सर पर हाथ फेर रहे थे तो दूसरा हाथ निरु के पेट पर रखा था। नीरु की हर सांस के साथ उसका पेट ऊपर नीचे हो रहा था और साथ ही जीजाजी का उसके पेट पर पड़ा हाथ भी ऊपर नीचे हो रहा था। मुझे इस तरह नीरज जीजाजी का हाथ नीरु के पेट पर पड़ा होना अच्छा नहीं लगा पर निरु को कोई आपत्ति नहीं थी। हलंकी मेरी आँखों के सामने के बर्थ पर ऋतू दीदी का क्लीवेज दीख रहा था पर मैं अपनी पलके आधी बंद किये अब सिर्फ नीचे ही देख रहा था की जीजा साली अब और क्या करेंगे। अब मैं उनकी बातें भी सुनने लाग।

नीरज: "अब तो सोने वाली हो, अब तो मेकअप उतार लो"

नीरु: "आपको मेरे मेकअप से क्या प्रॉब्लम हैं जीजाजी!"

नीरज: "मुझे तुम्हारे अंदर की खुबसुरती देखना ज्यादा पसंद है। अपनी खुबसुरती को इन बाहर की चीजो से क्या ढकना"

मै ऊपर लेटा हुआ नीरज जीजाजी के बोलने का मतलब समझ रहा था। वो शायद दूसरे शब्दो में निरु के कपड़ो के बारे में कमेंट कर रहे थे की वो निरु को बिना कपड़ो के अंदर की खुबसुरती देखना चाहते थे।

नीरु: "एक काम करो जीजाजी, आप ही निकाल दो मेरा मेकअप"

नीरज जीजाजी ने अब अपने एक अँगूठे को निरु के नीचे के होंठ पर रगड़ा और निरु को दिखाया की लिपस्टिक उनके अँगूठे पर लग गयी है।

नीरज: "मेरे लग गयी लिपस्टिक, अब क्या करू, मेरे लगा लू?"

नीरु(हँसते हुए): "हॉ, लगा लो, अच्छी लगेगी"

नीरज जीजाजी ने अब वो लिपस्टिक से भरा अँगूठा अपने खुद के होंठ पर रगड़ा और हंसने लगा। इस बहाने उस अँगूठे के जरिये ही सही पर जीजाजी ने अपनी साली के होठो को अपने होठो से एक तरह मिला लिया था। नीरु ने अपने होंठ खोले और जीजाजी ने इस बार अपना अँगूठा निरु के ऊपर वाले होंठ पर रगड़ा और फिर अपने ऊपर के होंठ पर रगड मजे लिये। नीरु हमेशा की तरह एक बार फिर खिलखिला रही थी। जीजाजी ने यह एक बार और रिपीट किया और निरु के दोनों होंठों को बारी बारी से रगड कर उसके होंठों का रस अपने होंठों पर लगया। फिर बारी थी गालो की। जीजाजी ने अपनी उंगलिया को निरु के गोरे गोरे गालो पर हलके हाथों से रगड़ा जैसे मसाज कर रहे हो। निरु मजाक में "आहा आहा" करते हुए मजे ले रही थी।
Reply
05-07-2021, 11:56 AM,
#7
RE: bahan sex kahani ऋतू दीदी
नीरज जिजाजी ने बीच बीच में निरु के गालो को भी पकड़ कर खिंच दिया और निरु ने हलके दर्द के साथ जीजा के हाथ पर हलका सा मारते हुए रोका। नीरु के चेहरा पर होते इन सब एक्शन के बीच, मैंने ध्यान ही नहीं दिया की नीरज जीजा का दूसरा हाथ जो अब तक निरु के पेट पर था वो अब कमर से थोड़ा नीचे खिसक कर निरु के कुल्हे की हड्डी को पकडे था जहा लड़किया अपनी पेंटी बाँधती है। नीरु ने वैसे ही घुटनो तक की नीचे से खुली ड्रेस पहनी थी, जो की अब घुटनो से ३-४ इंच थोड़ा ऊपर खिसक गयी थी। मेरी इच्छा हुयी की मैं नीचे जाकर दोनों को अलग कर दू पर तभी निरु जीजा की गोद से उठ गयी। जीजा और साली सिर्फ अपनी पोजीशन चेंज कर रहे थे। जीजा अब खिड़की के पास से खिसक कर बर्थ के लागभाग बीच में बैठे थे और निरु ने खिड़की की तरफ पाँव किये और हवा वाला तकिया लगाए बर्थ पर लेट गयी। जीजाजी क्यों की बर्थ के बिच में बैठे थे तो निरु की जाँघे अब जीजा की गोद पर टीकी थी। मुझे ठीक लगा की अब जीजा निरु के चेहरे को नहीं छु पाएँगे। खिड़की थोड़ी खुली थी और आती हवा से निरु की ड्रेस थोड़ी ऊपर उठ गयी। नीरु की थोड़ी से नंगी जाँघे दिखने लगी और जीजा ने अपना एक हाथ निरु के घुटनो के थोड़ा ऊपर रख दिया जहा से ड्रेस उठ चुकी थी। निरु अभी भी नार्मल तरीके से लेटी थी। नीरु के कहने पर जीजा ने खिड़की जरूर पूरी बंद कर ली थी वार्ना ड्रेस ऊपर उठते ही निरु का शरमिंदा होना तय था। मैं अब तक दर्शक बना बैठा था। जीजजी का एक हाथ अभी भी निरु के घुटनो के थोड़ा ऊपर था तो दूसरे हाथ से अब उन्होंने निरु के घुटनो के नीचे टांगो पर रख दबना शुरू किया। नीरु की गोरी चिकनी टांगो पर जीजा के हाथ फिसल रहे थे और निरु गुदगुदी से हिल रही थी। निरु थोड़ी देर में उबासी लेने लगी थी और उन दोनों ने डिसाइड किय की अब वो भी सो जाएंगे।

जीजजी ने अपना हाथ निरु की टांगो से हटाया और निरु अपने पाँव नीचे कर बैठ गयी। जिजाजी बर्थ से उठ खड़े हुये। निरु खाली हो चुकी बर्थ पर एक बार फिर लेट गयी।

नीरु: "गुड नाईट जीजाजी"

नीरज: "इतना सूखा सूखा गुड नाईट! गुड नाईट किश तो बनत हैं"

नीरु: "गीला वाला मत देना"

जीजाजी अब निरु की कमर के पास बर्थ के किनारे पर बैठ गए और निरु को कहा की वो सुखा वाला गुड नाईट किश देंगे। उन्होंने फिर निरु के दोनों हाथों की हथेलियो को अपने एक एक हथेलियो में पकड़ उंगलिया फँसा दि। जीजाजी अब निरु के चेहरे पर झुक गए। मैं तो जोर से चीख़कर उनको रोकने वाला था पर मेरी आवाज ही नहीं निकली। जीजाजी निरु के ऊपर झुके हुए थे, ओर ५-६ सेकंड के बाद ही वो उठे। उपार से मुझे सिर्फ जीजाजी की पीठ और सर ही दीखे। मुझे नहीं पता चला की जीजाजी ने निरु को किस जगह किश दिया था। जीजाजी के सामने से हटते ही मैंने निरु को नोट किया। वो शरमाते हुए स्माइल कर रही थी। मैं सोचने लगा किश कही होंठों पर तो नहीं कर दिया? पता नहीं उन्होंने होंठों पर किश किया या नहीं पर जिस तरह जीजा जी निरु पर झुके थे और निरु के बूब्स का जो उभार है, उसके हिसाब से कम से कम जिजाजी के सींनेसे निरु के बूब्स को तो दबा ही दिया होगा। फिलहाल जिजाजी मेरी नीचे वाली बर्थ पर आ गए थे और निरु अकेली अपने बर्थ पर लेटी हुयी थी। मेरी थोड़ी बहुत नींद तो उड़ ही चुकी थी। थोड़ी ही देर में निरु मासुमियतसे सो रही थी। माजाक मजाक में उसको शायद पता ही नहीं की उसका जीजाजी उसके साथ क्या कर रहे है। मुझे ही अब कुछ करना था। सोचते सोचते ही मेरी आँख लग गयी और मैं भी सो गया।

जब नींद खुली तो नीचे बर्थ पर निरु नहीं थी। कहीं वो जीजा के साथ एक ही बर्थ पर तो नहीं लेटी थी? मैंने धीरे से अपनी गरदन बर्थ से बाहर लटका कर नीचे वाली बर्थ को देखा पर वो बर्थ भी खाली थी।,जीजा साली दोनों ग़ायब थे। अपनी कलाई पर बंधी घडी में टाइम देखा तो सुबह के ५ बजे थे। मैं उठकर नीचे उतरने ही वाला था की आहाट हुयी और मैं फिर आँख आधी खोल लेट गया।

नीरु और जीजाजी आ गए थे और फुसफुसाते हुए कुछ बातें कर रहे थे। जिस से मुझे पता लगा की वो टॉयलेट में गए थे।

नीरु: "मुझे बहुत रिलीफ महसूस हो रहा है। पर बहुत ही गन्दा था"

नीराज: "तुम्हे आदत नहीं हैं इसलिए, धीरे धीरे आदत पद जाएगी। अभी काफी टाइम से साफ़ सफाई नहीं की हैं इसलिए"

दोनो फिर अपनी अपनी बर्थ पर लेट गए। मैं उनके बातों का मतलब निकालने लगा। कही जीजाजी ने अपना गन्दा सा लण्ड निरु के मुह में तो नहीं डाल दिया, जिसे निरु गन्दा बोल रही थी। जीजाजी शायद उसको अपना लण्ड साफ़ सफाई के बाद फिर मुह में देने वाले थे।
Reply
05-07-2021, 11:56 AM,
#8
RE: bahan sex kahani ऋतू दीदी
मेरे भी लण्ड पर जब कभी बाल बड़े हो जाते थे तो निरु मुह में लेने से मन बोल देती थी और मुझे बाल छोटे करने को बोलती या साफ़ करने को। वो भी अपनी चूत के बालो को कभी बड़ा नहीं होने देती थी। अभि तक जो कुछ भी हुआ था उन सब में थोड़ी बहुत शक की गुंजाईश थी और कभी मैं पॉजिटिव तो कभी नेगेटिव सोच रहा था। किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँच पा रहा था की सच्चाई क्या है।

नींद आधी थी तो मैं फिर सो गया और सुबह नींद खुली पर मैंने पलके बंद ही राखी थी। सबसे पहले आधी पलके खोल कर निरु की तरफ देख। वो अपनी बर्थ पर चादर ओढ़े लेटी थी तो मुझे थोड़ी शान्ति मिलि। फिर आधी पलके बंद किये ही सामने की बर्थ पर देखा तो ऋतू दीदी की आँखें खुली थी और उनका ब्रा आधा शर्ट से बाहर निकला दिखाई दिया। अच्छा हुआ की मैंने अपनी पलके पूरी नहीं खोलि थी वार्ना दीदी मुझे देख लेती। दीदी एक नजर मेरी तरफ देख रही थी तो दूसरी नजर मेरे नीचे के बर्थ पर देख रही थी जहा उनके पति लेटे हुए थे। वो थोड़ा शर्मा रही थी और फिर अपना शर्ट थोड़ा चौड़ा कर ब्रा में से अपने मम्मों दिखाने की कोशिश कर रही थी। नीचे वाली बर्थ से उनके पति शायद कोई डिमांड रख रहे थे जिस कारण ऋतू दीदी अपने शर्ट को थोड़ा खोल अपना क्लीवेज दिखा रही थी।उनका लगभग आधा ब्रा बाहर दीख रहा था और उसमे झाँकते उनके बड़े से गोरे गोरे मम्मे झाँक रहे थे। मुझे जीजाजी पर गुस्सा आया। एक तरफ वो मेरी बिवी को छूकर मजे ले रहे हैं और दूसरी तरफ अपनी भोलि बिवी को इस तरह कपडे खोलने को मजबूर कर रहे है। मुझे यह रोकना था और मैं हलका सा हिला और फिर अपनी पोजीशन में ही लेटा रहा। सामने देखा तो दीदी ने अपना शर्ट बंद कर लिया था। मुझे अपनी चाल पर ख़ुशी हुयी। मैने अब धीरे धीरे अपनी ऑखें खोलि और सामने दीदी को देख गुड मॉर्निंग बोला और उन्होंने भी बोला। मैं अब सीधा लेट गया और छत की तरफ देखने लगा। फिर मैंने दीदी की तरफ नजरे घुमायी वो दूसरी तरफ मुह कर करवट ले लेटी थी। शायद वो अपने शर्ट के बटन बंद कर रही थी और कपडे एडजस्ट कर रही थी। थोड़ी देर में दीदी अपनी बर्थ से नीचे उतरि और फिर जीजाजी भी उठ गए। दीदी ने निरु को उठाने की कोशिश की और फिर टॉयलेट में चली गयी। मैं अब अपनी बर्थ से नीचे उतरा और निरु को आवाज लगायी पर वो नहीं उठि। जीजाजी की आँख खुल गयी थी और मैंने उनको ना चाहते हुए भी गुड मॉर्निंग बोला और उन्होंने मुस्कुरा कर आँखें झपका दि।

मैने निरु को एक और आवाज लगायी पर वो नहीं उठि। तभी जीजाजी ने निरु को एक आवाज लगायी और निरु की आँखें खुली और हमारी तरफ देख मुस्कुराते हुए गुड मॉर्निंग बोली। नीरु ने अपना चादर एक तरफ किया और लेटे लेटे ही हाथो को सर की तरफ लम्बे कर एक अंगडाई ली। निरु के मम्मे उभर कर और फूल गए और घुटनो से ड्रेस थोड़ी खिसक कर उसकी जंघे दिखने लगी। मै तुरंत आगे बढ़कर निरु की जाँघो के आगे खड़ा हो गया ताकि जीजाजी और कुछ न देख पाए। मगर जीजाजी का ध्यान तो निरु के मम्मो की तरफ था जो निरु की अंगडाई से फूल चुके थे। मै अब उन दोनों के बीच आकर खड़ा हो गया पर तब तक निरु उठ कर बैठ गयी थी और मैं भी उसके पास बैठ गया ताकि जीजाजी उधर आकर ना बैठ जाए।

नीरज: "नींद कैसी आयी निरु?"

नीरु: "टॉयलेट से आने के बाद बहुत अच्छी नींद आयी"

मै समझ पा रहा था की निरु को अच्छी नींद क्यों आयी होगी, इन्होने जरूर टॉयलेट में जाकर कुछ किया होगा। मैंने जासूसी शुरू कर दि।

प्रशांत: "तुम टॉयलेट कब गयी?"

नीरु: "रात को, मुझे डर लगता हैं इसलिए तुम्हे आवाज भी लगायी थी साथ ले जाने के लिये, पर तुम घोड़े बेच कर सो रहे थे। मगर जीजाजी मेरी आवाज सुन एक बार में उठ गए थे"

मैने तो कोई आवाज नहीं सुनी थी, शायद मुझे बहकाने के लिए झूठ बोल रही होंगी। थोड़ी देर में दीदी फ्रेश होकर आ गए और फिर हम सब भी हो आए।

स्टेशन आने के बाद हम सीधा होटल पहुचे। जीजाजी ने बुकिंग कारवाई थी और उन्होंने रूम की एक ही चाबी ली। हम चारो रूम की तरफ चल पड़े। हमने उनको पुछा एक ही रूम क्यों बुक किया है। उन्होंने बताया की वो दो बेड वाला डबल रूम हैं तो चारो लोग एक साथ रह सकेंगे। जीजा जी और ऋतू दीदी आगे आगे चल रहे थे। पीछे चलते हुए निरु ने मेरी तरफ देख कर आँखों और होंठो से इशारा किया की वो अपना वादा पूरा नहीं कर पाएगी। कल घर पर तैयार होते वक़्त जब मैं उसकी पेंटी में हाथ डालने की कोशिश कर रहा था तब उसने वादा किया था की वो आज रात मुझे होटल रूम में चोदने देगी। अब क्यों की हम चारो एक ही रूम में सोने वाले थे तो हम दोनों के चुदने का कोई चांस नहीं था और इसके लिए वो होंठ हिला कर मुझसे सॉरी बोल माफ़ी मांग रही थी। हम लोग अब रूम में पहुचे। वह पर दो क्वीन साइज बेड लगे थे। हम चारो के सोने के लिए काफी था तो कोई प्रॉब्लम नहीं थी। मगर समस्या यह थी की वाशरूम एक ही था। हम लोगो को घुमने के लिए निकलना था और सबको नहाना भी था।

नीरज: "एक काम करते है, दो लोग यहाँ नहाने और तैयार होने को रुकेंगे और बाकी दो लोग कॉम्प्लिमेंटरी ब्रेकफास्ट करने नीचे पैंट्री में जाएंगे।"

ऋतू दीदी: "ठीक हैं तो पहले कौन नहाने को रुकेगा?"

नीरज: "निरु तुम मेरे साथ चलो, मैं तुम्हे ब्रेकफास्ट करवा लाटा हूँ, फिर हम आकर नाहा लेंगे"

मुझे जीजाजी की नीयत समझ में आ गयी। वो कहीं निरु के साथ नहाने का प्रोग्राम तो नहीं बना रहे थे। मगर निरु ने ही उनका प्लान फ़ैल कर दिया।

नीरु: "नहीं, मैं नहाये बिना कुछ नहीं खाउंगी"
Reply
05-07-2021, 11:56 AM,
#9
RE: bahan sex kahani ऋतू दीदी
इसके पहले की जीजाजी मुझे और ऋतू दीदी को ब्रेकफास्ट के लिए भेज कर निरु के साथ अकेले में नहाने का बोलते, मैं बीच में कुद पडा।

प्रशांत: "ऋतू दीदी आप और जीजाजी ब्रेकफास्ट कर आए, मैं और निरु तब तक नाहा कर तैयार हो जायेंगे"

नीरु अपना बैग खोल कपडे निकालने लगी और जीजाजी को अपनी बिवी के साथ ब्रेकफास्ट के लिए जाना पडा। उनके जाते ही निरु मेरे पास आयी और मुझे गले लगा लिया।

नीरु: "आई ऍम सोर्री, आज रात को चुदाई का वादा नहीं निभा पाउंगी"

प्रशांत: "कोई बात नहीं, साथ में तो नहा ही सकते हैं"

नीरु: "अब इतना तो कर ही सकती हूँ, चलो अंदर"

हम दोनों कई बार पहले भी एक साथ नाहा चुके हैं और एन्जॉय कर चुके है। मुझे इस बात की ख़ुशी थी की मेरी बिवी अभी भी मेरी ही थी। अपने पहनने के कपडे हम अंदर वाशरूम में ही ले गए थे। निरु ने अपने सारे कपडे निकाले और नंगी हो गयी। उसके नंगे सेक्सी बदन को देख मैं वैसे ही पागल हो जाता हूँ। हम दोनों अब बिना कपड़ो के शावर के नीचे खड़े थे। एक दूसरे के अंगो को सहलाते हुए गीला किया और फिर साबुन लगा कर रगडा। उसने मेरे लण्ड को जब साबुन लगाया तो मुझे सबसे ज्यादा ख़ुशी हुयी और मुझे उसके मम्मो और चूत को रगडते हुए ख़ुशी मिली। उसके छुने से और उसको नंगा देखने से मेरा लण्ड तो वैसे ही कड़क होकर ४५ डिग्री के एंगल पर खड़ा था। नहाने के बाद उसने पलट कर शावर बंद किया। उसी वक़्त मैंने उसको पीछे से पकडा और अपना लण्ड उसकी चूत में डाल कर उसको चोदने की कोशिश की पर उसने विरोध किया।

नीरु: "क्या कर रहे हो? जीजाजी और दीदी बाहर आ जायेंगे"

प्रशांत: "इतना जल्दी नहीं आएंगे"

नीरु: "वो कभी भी आ सकते हैं और तुमने प्रोटेक्शन भी नहीं पहना है। तुम्हे याद हैं न, हमें अभी बच्चा नहीं चाहिए"

प्रशांत: "थोड़ा सा तो करने दो, तुम १० तक गिनती बोलो और मैं बाहर निकाल दूंगा"

नीरु: "पक्का, बाहर निकाल दोगे! निकाल देना नहीं तो गड़बड़ हो जाएगी"

नीरु अब मेरा लण्ड अपनी चूत में लेने को तैयार हो गयी। मैंने पीछे से खड़े होकर उसकी चूत में अपना लण्ड डाला। ३ दिन बाद मेरे लण्ड को उसकी चूत की गर्मी मिली थी और मेरा लण्ड बावरा हो गया। मेरे हर धक्के के साथ निरु १ से लेकर १० तक गिनती बोल रही थी। १० धक्को के बाद उसने मुझे रुकने को बोली पर मैं तो बहक चूका था। मैं उसको चोदता ही रहा और वो लगातार अपना एक हाथ पीछे लाकर मुझे रोक रही थी। मैने एक हाथ से उसके मम्मो को भी पकड़ लिया और दूसरे से उसकी कमर पकडे उसको धक्के मार मजे लेता रहा। वो मुझ पर चिल्ला रही थी और मैं उसकी सुन ही नहीं रहा था। फिर निरु ने अपनी गांड से एक जोर का झटका मुझे पीछे की तरफ मारा और मैं उस से दूर हुआ और वो मुझ पर चीख़ने लगी।

नीरु: "यह क्या हो गया हैं आज तुमको! इतनी लापरवाही तो कभी नहीं करता। यह देखा तुम्हारा लण्ड, इसका जूस निकलना शुरू हो चूका है, मैं प्रेगनंट हो गयी तो?"

मैने अपना लण्ड देखा जिसके मुह पर सच में एक बूँद मेरे सीमेन की थी। मैंने उसको सॉरी बोला और हमने फिर सफायी शुरू की। निरु ने सच ही कहा था, जीजाजी को निरु के इतना करीब देख मैं इन्सेक्युरे हो गया था और एक ग़लती करने जा रहा था, जिस से निरु प्रेग्नेंट हो सकती थी। मैने अपना शरीर पोंछ कर कपडे पहन लिए और ध्यान दिया की निरु के कपड़ो के अलावा उसका टु पीेस बिकिनी कस्टूमए भी था जो मैं पहली बार देख रहा था। निरु भी अब नाहा कर कपडे पहनने आ गयी थी।

प्रशांत: "यह नयी बिकिनी तुम्हारी हैं?"

नीरु: "आज हम बीच पर जाएंगे तो कपड़ो के अंदर ही बिकिनी पहन कर जाउँगी। वहाँ जाते ही चेंज नहीं करना पडेगा"

प्रशांत: "मगर यह तो टु पीेस बिकिनी है। बीच पर काफी लोग होगे, थोड़ा बॉडी ढकने वाला कस्टूमए फिर भी ठीक रहता। तुम्हारे पास तो ऐसा स्वीमिंग कस्टूमए पड़ा भी हैं"

नीरु: "हां मैंने सोचा था पर जीजाजी ने बोले की मेरा फिगर ही ऐसा हैं तो मुझे टु पीस बिकिनी पहनना ही चहिये, मुझे पर अच्छा दिखेगा"

प्रशांत: "जीजाजी क्या ऋतू दीदी को भी टु पीस कस्टूमए पहनने देंगे?"

नीरु: "जीजाजी बोल भी देंगे तो भी ऋतू दीदी नहीं पहनेगी। उनको लगता हैं की उनका फिगर टु पीस बिकिनी के लिए ठीक नहीं है। मैंने भी तो उनको बोला था पर वो मानी नहीं"

प्रशांत: "यह तुमने कब खरीदा? "

नीरु: "एक महीने पहले। जीजाजी ने बहुत पहले ही मुझे फ़ोन कर बोल दिया था की बीच घुमने का प्रोग्राम बना रहे है। लास्ट वीक जैसे ही प्रोग्राम फिक्स हुआ मैंने तुमको बता दिया"

मै अब वाशरूम से बाहर आ गया और निरु अंदर कपडे चेंज करने लगी। मुझे जीजाजी पर गुस्सा आया। मेरी बिवी को वो टु पीस बिकिनी का झाँसा देकर निरु के नंगे बदन देखने का मजा लेना चाहते है।

नीरु थोड़ी देर में बाहर आयी पर जीजाजी और दीदी का कोई पता नहीं था। जीजाजी को वैसे ही ज्यादा खाने की आदत थी और होटल में फ्री ब्रेकफास्ट था तो वो अच्छे से मजे लूट कर ही आने वाले थे। नीरु ने डेनिम शॉर्ट्स और टीशर्ट पहना था और अपना मेक उप कर रही थी तभी जीजाजी और दीदी आ गए। निरु को देखते ही जीजाजी एक्ससिटेड हो गए।

नीरज: "निरु क्या हॉट लग रही हो!"
Reply
05-07-2021, 11:56 AM,
#10
RE: bahan sex kahani ऋतू दीदी
नीरु कड़ी होकर घुम कर अपना प्रदशन करने लगी और अपनी तारीफ़ सुन फूली नहीं समायी। उसने मुझे भी देख, क्यों की मैंने उसकी तारीफ़ अभी तक नहीं की थी।

नीरज: "वो पिंक वाली बिकिनी लेना मत भूलना"

नीरु: "वो मैंने कपड़ो के अंदर पहन लिया हैं"

नीरज: "वेरी गूड़, स्मार्ट लड़की हैं"

जीजाजी को पहले ही पता था की निरु ने पिंक कलर का टु पीस बिकिनी लिया था। मुझे लगा कही जिजाजी ने ही निरु को वो कॉस्ट्यूम गिफ्ट तो नहीं किया था!

दीदी अपने कपडे बैग से निकालने लगी और बाथरूम में गयी। मैंने रूम की चाबी ले ली और निरु को लेकर नीचे ब्रेकफास्ट के लिए चला गया। निरु अपने फिगर का बहुत ध्यान रखती हैं और मेरे खान-पान का भी। वो ज्यादा नहीं खाती और हेल्दी ही खाती है। हम लोगो ने जल्दी ही अपना ब्रेकफास्ट ख़त्म किया और फिर अपने रूम में आए। वाशरूम से ऋतू दीदी की सिसकियो और चीखो की आवाज आ रही थी। मै वाशरूम की तरफ बढ़ने लगा पर निरु ने मेरा हाथ पकड़ कर रोक लिया और मुझे खींचते हुए फिर दरवाजे के बाहर ले आयी और रूम बंद कर दिया।

नीरु: "तुम्हे शर्म नहीं आती! अन्दर मेरी दीदी और जिजाजी हैं"

प्रशांत: "शर्म तो उनको आणि चहिये, कॉमन रूम में इतनी आवाज कर ऐसा काम कौन करता हैं!"

नीरु ने मेरे कंधे पर एक हाथ मार दिया और डांट दिया।

नीरु: "दीदी बाहर आएगी और हमको देखेगी तो उनको कैसा लगेगा? उनको शरमिंदा होना पडेगा। हम थोड़ी देर बाद अंदर जाएंगे, उनको अपना काम ख़त्म करने दो"

प्रशांत: "तुम तो मुझे वाशरूम में कुछ करने ही नहीं दे रही थी। अपनी दीदी को देख, पति को कितना खुश रखती हैं"

नीरु: "मैं तो तुम्हे जैसे कुछ करने ही नहीं देती हूँ? दीदी को बिना प्रोटेक्शन करवाने से कोई रिस्क नहीं हैं पर मैं तो प्रेग्नेंट हो सकती हूँ न, तुम प्रोटेक्शन लगा कर आते तो मैं तुम्हे वाशरूम में करने देती "

यह कह कर निरु शर्माने लगी। उसने मुझे अगले २० मिनट्स तक अंदर जाने नहीं दिया और हम इन्तेजार करते ही रहे। फिर उसके बाद, हमारे पास चाबी होने के बावजूद भी निरु ने डोर नॉक किया और दीदी के दरवाज खोलने पर हम अंदर गए। ऋतू दीदी ने एक टॉप पहन रखा था और नीचे डेनिम शॉर्ट्स पहने थे। मुझे देखना था की जीजा जी ने ऋतू दीदी को कौन से कस्टूमए दिए थे बीच पर पहनने के लिये। मै आगे बढ़कर तो ऋतू दीदी को पुछ नहीं सकता था इसलिए इंतज़ार करना था बीच पर पहुचने तक। हम लोग अब कार में बैठ कर बीच पर पहुच गए।

हमने बीच-चेयर रेंट पर ले लिये। निरु और जीजाजी कुछ ज्यादा ही एक्ससिटेड थे। ऋतू दीदी और मैं हमारा सामान चेयर पर रख रहे थे तब तक जीजा अपने कपडे उतार अंदर पहने स्वीमिंग शॉर्ट्स में आ गए थे। नीरु ने भी टॉप और शॉर्ट्स निकाला और पिंक कलर के टु पीस बिकिनी में आ गयी। निरु का फिगर ही ऐसा हैं की ब्रा और पेंटी में जब वो होती हैं तो मैं उसको चोदे बिना नहीं रह सकता। अभि उस टु पीस बिकिनी में उसकी वोहि हालत थी और किसी सेक्स बम सी लग रही थी। मेरी हालत यह थी तो जिजाजी की क्या हालत होगी, वो मैं सोच सकता था। जिजाजी के मुह से तारीफो के बोल फूट पड़े और निरु शरमाते हुए स्माइल कर रही थी। अपने जिजाजी से इतनी तारीफ़ सुनकर उसके तो कॉस्ट्यूम के सारे पैसे वसूल हो गए थे। निरु अब अपने बदन पर सनस्क्रीन लोशन लगाने लगी। जिजाजी ने भी फायदा उठाते हुए निरु की टांगो पर लोशन लगाने में हेल्प की। जीजाजी जब निरु की जाँघो पर लोशन लगाने के बहाने उसके बदन को छुने का मजा ले रहे थे तो मैं जल भून रहा था। मैंने भी अपने कपडे निकालने शुरू किये।

जीजाजी ने निरु का एक हाथ पकडा और दोनों दौड़ते हुए पानी की तरफ भागे और पानी में उतर गए। दौड़ते वक़्त निरु किसी जलपरी सी लग रही थी। वह कुछ विदेशी लड़किया भी टु पीस में थी और वो भी निरु के सामने फ़ीकी पड़ गयी थी। मै भी अपने कपडे उतार स्वीम शॉर्ट्स में था और निरु के पीछे पीछे गया पर उनकी तरह दौड कर नहीं गया, आराम से पैदल गया।

नीरु अंदर जाते ही कम पानी में बैठ कर गीली हो गयी थी। जीजाजी ने निरु का हाथ पकड़ कर खड़ा किया और उसको पीछे से कमर से पकड़ कर अपने शरीर से चिपकाये और हवा में उठा कर चारो तरफ गोल गोल घुमाया। नीरु की गांड का हिस्सा जीजाजी के लण्ड के हिस्से से चिपक गया था और मुझे पता था जिजाजी कैसे मजे ले रहा थे मेरी बिवी के। निरु अब जीजाजी से दूर हुयी और फिर पानी में बैठ गयी। जीजजी झुक कर उसकी तरफ पानी उछाल कर उसको गीला कर रहे थे। मैं तब तक उनके पास पहुच गया। मुझे पता था की जीजाजी निरु पर पानी उछल कर उसके बिकिनी टॉप को गीला कर उसके निप्पल के तीखेपन को देखना चाहते होंगे। मगर उस बिकिनी टॉप की मोटाई से निरु के निप्पल का हलका सा उभार ही दीख रहा था। थोड़ी देर में ऋतू दीदी हमारे पास आती दिखि। ऋतू दीदीने ग्रे कलर का हॉट शॉर्ट्स पहन रखा था और ऊपर काले रंग का टैंक टॉप था जो की वो शायद अपने टॉप के अंदर ही पहन कर आयी थी। इतने कम कपड़ो में मैंने पहली बार ऋतू दीदी को देखा। मुझे कही से भी उनका फिगर इतना बुरा नहीं दिखा की वो टु पीस बिकिनी नहीं पहन सके। निरु के मुकाबले उनका हलका सा वजन ही ज्यादा था। मै ऋतू दीदी का नंगा पेट तो नहीं देख पाया क्यों की टैंक टॉप कमर के नीचे तक था पर फिगर का अन्दाजा तो हो ही जाता है। जीजाजी ने शायद ऋतू दीदी को वैसे ही डरा रखा था की उनका फिगर अच्छा नहीं है।
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,403,874 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 533,529 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,193,221 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 901,732 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,600,243 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,034,663 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,874,967 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,799,293 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,935,292 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 276,005 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 8 Guest(s)