bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
02-01-2019, 05:56 PM,
#51
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
मैं सुबह से ही हमारे पहले मिलन को लेकर रोमांचित थी तो भूख तो मुझे थी ही नहीं. मैने खाना नहीं खाया और बिस्तर पर लेटे लेटे ही सो गई. शाम को करीब 5:00 बजे मेरी नींद खुली जब कोई डोर नॉक कर रहा था. मैं खुशी से चहक उठी कि शायद जावेद आ गया है लेकिन दरवाज़ा खोलकर देखा तो जावेद नहीं कोई और था. कोई 40-45 साल का एक आदमी सूट बूट मैं दरवाज़े पर खड़ा था. मेरी तरफ देख कर और फिर कमरे की सजावट देख कर बोला: लगता है जावेद भाई ने आज बहुत कुछ मिस कर दिया है. मैने घबरा कर उसकी ओर देखा तो वो बोला: अरे परेशान मत होइए भाभी जी मैं जावेद का दोस्त हूँ, उसी ने मुझे आपको लेने के लिए भेजा है. मैने उस से पूछा कि जावेद कहाँ है तो उसने कहा कि वो मेरे घर पर है, मैने ही उसे ज़िद करके वहाँ रोक लिया और कहा कि अपनी होने वाली भाभी को मैं खुद लेकर आउन्गा. उस आदमी के बार बार मुझे भाभी कहने से शरम आ रही थी. उम्र के हिसाब से वो मेरे पापा के बराबर था जिस से मैं काफ़ी अनकंफर्टबल फील कर रही थी. 

बीना: ऐसा होता है जब एक लड़की की शादी हो जाती है तो नये रिश्तों मे अड्जस्ट होने मे उसे शुरू शुरू मे थोड़ा अजीब लगता है.
बीना: तो फिर तुम चली गई. 

रागिनी: जी हां, मैने जो लाल जोड़ा पहन रखा था वो बाथरूम मे जाकर चेंज किया और वही कपड़े पहन लिए जो घर से भागते वक़्त पहने थे. 

आदमी: भाभी जी चेंज क्यूँ किया, ऐसे ही चल पड़ती आप काफ़ी अच्छी लग रही थी. मैने कहा कि ट्रेन के सफ़र मे यह ड्रेस काफ़ी अनकंफर्टबल हो जाता. 

आदमी: हां वो तो है ही. मैने अपना बॅग उठाया और उस आदमी को चलने के लिए बोला. काउंटर पर जाकर उस ने पेमेंट की और हम बाहर आ गये.

बाहर एक बड़ी सी गाड़ी हमारा वेट कर रही थी. मैने मन मे सोचा कि जावेद तो बड़ी पहुँची हुई चीज़ निकला, इतने मालदार लोगों से दोस्ती है उसकी तो. थोड़ी देर के बाद हम एक आलीशान बंगले के बाहर जाकर गाड़ी से उतर गये. 

मैने उस से पूछा कि जावेद कहाँ है तो उस ने कहा कि अंदर तो चलो वो वहीं है. मैं घर के अंदर आ गई. अंदर आते ही मेरी आँखें चौंधिया गई. कोठी देखने मे जितनी बाहर से सुंदर थी, अंदर से तो बिल्कुल स्वर्ग थी. 

मैने हैरान होकर पूछा: यह कोठी आपकी है?? 

आदमी: कोठी कहाँ भाबी जी, यह तो छोटा सा मकान है, ऐसे ही कई मकान हैं मेरे इस शहर और यहाँ से बाहर भी.

मैने पूछा कि आपके बीवी बच्चे नहीं हैं क्या घर पर? 

आदमी: बीवी तो कब की छोड़ कर चली गई भगवान को और बच्चा पैदा करने लायक शायद वो थी ही नहीं. शादी के 15 साल तक भी जब वो माँ ना बन सकी तो यह गम उसे भी ले गया. इतना कह कर वो चुप हो गया. 

मैने पूछा जावेद दिखाई नहीं दे रहा. 

आदमी: यहीं तो छोड़ कर गया था, पता नहीं कहाँ चला गया. अभी उसे फोन करता हूँ. उसने नंबर. डाइयल करके फोन कान से लगाया तो बोला "यह लो तुम्हारे जावेद का तो फोन ही स्विचऑफ हो गया है, शायद बॅटरी डेड हो गई होगी."तुम चिंता ना करो अभी आ जाएगा.

आदमी: तुम बैठो मैं तुम्हारे लिए चाइ/कॉफी का इंतज़ाम करता हूँ. 

मैने कहा कि तकलीफ़ की कोई ज़रूरत नहीं है. 

आदमी: अरे इस मे तकलीफ़ कैसी. 

तो मैने बोला: आप मुझे किचन दिखा दीजिए, मैं खुद ही बना देती हूँ अपने लिए भी और आपके लिए भी. मैं उसके साथ किचन मे आ गई और बोली: आप सारा काम खुद ही करते हैं तो शादी क्यूँ नहीं कर लेते दोबारा. 

आदमी: नहीं आज नौकर छुट्टी पर है और रही बात बीवी की तो उसकी कमी तो पूरी कर ही लेता हूँ. उसकी बात सुनकर मेरे दिल की धड़कन एक दम तेज हो गई. मैने चाइ बनाई और वो वहीं खड़ा रहा. उसके वहाँ खड़ा रहने से मैं काफ़ी अनकंफर्टबल फील कर रही थी. मैने झट से चाइ बनाकर एक कप उसे दिया और एक कप खुद लेकर सिट्टिंग हॉल मे आ गई. चाइ पीते हुए मैं उसकी नज़र सॉफ अपने बदन पर महसूस कर रही थी. 

मैं जल्द से जल्द यहाँ से निकलना चाहती थी. मैने बोला आप एक काम करो आप मुझे रेलवे स्टेशन ही छोड़ दो शायद जावेद वहीं चला गया होगा. 

आदमी: वो वहाँ भी नहीं मिला तो? मैने कहा कि जब हमे घर पर नहीं देखेगा तो वो भी वहीं आ जाएगा. 

आदमी: लेकिन अब तक तो ट्रेन निकल भी गई होगी. 

मैं हैरानी से उसे देखती रही. 

आदमी: मैं खुद उसे ट्रेन मे चढ़ाकर आपको लेने आया था. 

मैं झट से वहाँ से खड़ी हो गई और बोली तो अपने मुझे पहले क्यूँ नही बताया. 

आदमी: चुप चाप बैठी रह, ज़्यादा आवाज़ की तो ज़ुबान खींच लूँगा. उसके चहरे के बदलते तेवर से मैं कांप उठी और रोने लगी. 

आदमी: रो ले जितना रोना है साली. तेरा आशिक़ तुझे 2 लाख मे बेच कर यहाँ से चला गया है और तेरा सारा समान भी ले गया है. उसने मुझ से वादा किया है कि तू एकदम कोरा माल है, और अगर साला झूठ हुआ तो भोपला मे जाकर उसकी गान्ड मार लूँगा. 

इतना सुनते ही मेरे होश उड़ गये. जिस लड़के के लिए मैने अपना घर छोड़ा वो मुझे एक आदमी को बेच कर मेरा सब कुछ लेके निकल गया. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था मैं क्या करूँ. 

मैने रोते हुए उस आदमी से अपनी इज़्ज़त की भीख माँगी "देखिए मैं आपकी बेटी जैसी हूँ, प्लीज़ मुझे छोड़ दीजिए मैं किसी को मूह दिखाने लायक नहीं रहूंगी". 

वो आदमी ज़ोर से हंसा और बोला: चिंता ना कर आज से मैं तुझे मेरी बीवी बना कर रखूँगा. बेटी जैसी है तो क्या हुआ, मेरे बच्चे पैदा करके मुझे बाप बनने का सुख दे दे, यकीन मान मैं तुझे रानी की तरह रखूँगा. उसकी बातें सुनकर मुझे चक्कर आने लगे. वो फिर बोला: अगर प्यार से मान जाएगी तो ठीक वरना तेरे दोनो छेदो को उधेड़ कर तुझे किसी कोठे पर बिठा दूँगा. मैं रोए जा रही थी मगर वो कमीना इंसान हँसता ही जा रहा था. वो मेरी तरफ झपटा तो मैं खिसक कर उस से दूर हट गई. 
Reply
02-01-2019, 05:56 PM,
#52
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
आदमी: वाह, तीखी मिर्च है तू तो, आज तेरी चूत का खून अपने इस लोड्‍े को पिलाकर तुझे अपनी बना लूँगा. तू चाहे जो भी कर, गिडगिडा, चाहे रो, अपने 2 लाख तो मैं तुझ से वसूल करके ही रहूँगा. 

उस वक्त मुझे अपने आप से भी घिंन आ रही थी कि कैसे मैं उस इंसान के झाँसे मे आ गई जिसने सिर्फ़ पैसो से प्यार किया और जब उसे वो सब मिल गया तो वो मेरे जिस्म को बेचने से भी नहीं चुका. उस आदमी ने एक बार फिर मुझ पर झपटने की कोशिश की मगर मेरे हाथ मे कोई भारी सी चीज़ आ गई और मैने ज़ोर से उसके सिर पर दे मारी. वो आदमी एक घुटि हुई चीख के साथ फर्श पर लेट गया. मैं फटी आँखों से उसे देखती रही, मुझे समझ नही आ रहा था कि यह क्या हो गया. 

मैं झट से वहाँ से भागी लेकिन फिर तेज़ी से चाइ के कप उठाकर किचन मे सारे बर्तन सॉफ करके फिर से वहीं रख दिए जहाँ से उठाए थे. बाहर आकर देखा कि वो आदमी अभी भी बेसूध होकर पड़ा था लेकिन उसकी साँसें चल रही थी. मैने देखा कि मैने उसके सिर पर एक गुल्दान मारा था. उस गुल्दान को कपड़े से साफ करके मैने उसे भी अपनी जगह रख दिया. अपने सारा समान उठाकर मैं वहाँ से चोरी से निकल गई. थोड़ी दूर आते ही मैं एक ऑटो मे बैठी और रेलवे स्टेशन पर आ गई. मेरे पास केवल 500 रुपे थे, मैने ऑटो का किराया दिया और रिज़र्वेशन काउंटर की तरफ चल दी. 

मैने सोच लिया था कि अब घर तो जा नही सकती तो भोपाल जाकर जावेद को ढूंढूँगी और उस से बदला लूँगी. भोपाल के लिए अगली ट्रेन 3 घंटे बाद थी लेकिन ऑटो का किराया देने के बाद मेरे पास सिर्फ़ 325 रुपये बचे थे जबकि भोपाल के लिए ट्रेन की टिकेट 405 रुपये की थी. मेरे पास आत्महत्या के सिवा और कोई रास्ता नहीं बचा था. मैं काफ़ी परेशान हो कर रेलवे स्टेशन के एक कोने मे खड़ी होकर आत्महत्या का सोच रही थी जब आपकी नज़र मुझ पर पड़ी. अगर आप उस वक्त मुझे ना मिलती तो आज मैं ज़िंदा ना होती. 


बीना ने उसकी कहानी ख़तम होते ही झूठा रोने का नाटक किया और रागिनी को अपने सीने से चिपका कर अपने गले लगा लिया.

बीना: मेरे होते हुए कभी मरने का सोचना भी मत. 

रागिनी बीना से लिपटकर और ज़ोर से रो पड़ी. 

बीना: अब तुमने क्या सोचा है? क्या तुम वापिस अपने घर जाना चाहती हो? 

रागिनी ने रोते रोते ही ना मे अपना सिर हिलाया और बोली: मैं अब कभी भी उन्हें अपना मूह नहीं दिखा सकती. अगर मैं वहाँ चली भी जाऊ तो वो लोग मुझे मार ही देंगे, मैं जीना चाहती हूँ और भोपाल जाकर कम से कम एक बार जावेद से मिलकर उसके मूह पर थूकना चाहती हूँ. 

बीना: मेरे होते हुए कोई भी तुम्हे हाथ भी नहीं लगा सकता मगर यहाँ तुम कब तक दिन रात काम करती रहोगी. जब तक मैं हूँ तब तक तो ठीक है लेकिन मेरे बाद तुम क्या करोगी. 

रागिनी ने बीना के सीने से अपना सिर उठा कर बीना की ओर देखा और बोली: आप कहाँ जा रही हैं क्या?. 

बीना: अभय शायद ये क्लिनिक बेच कर अपनी मेडिकल प्राक्टिज़ के लिए अब्रॉड शिफ्ट होना चाहते हैं, उसी सिलसिले मे वो डील करने के लिए गये हुए हैं. अब अभय जाएँगे तो मुझे भी उनके साथ जाना पड़ेगा. अगर हमने यह क्लिनिक बेच दिया तो फिर तुम्हारा क्या होगा. 

रागिनी: आप ही मुझे बताइए मैं क्या करूँ, मैने तो 12थ के पपर्स भी मिस कर दिए हैं इस चक्कर मे. 

बीना: खैर तुम दो चाइ बना कर ले आओ मैं कुछ सोचती हूँ. 

इतना सुनकर रागिनी बीना के रूम के साथ बने किचन मे घुस गई और चाइ बनाने लगी. एक कप बीना को दिया और एक कप खुद लेकर दोनो चाइ पीने लगी. बीना गहरी सोच मे होने का नाटक करने लगी. 

काफ़ी सोचने के बाद बीना बोली: देखो रागिनी, जहाँ तक मुझे लगता है कि तुम्हारे पास घर जाने के सिवा और कोई रास्ता नहीं है क्यूंकी देल्ही जैसे बड़े शहर मे बिना किसी क्वालिफिकेशन के ज़िंदगी गुज़ारना बहुत मुश्किल काम है और अकेली लड़की के लिए तो यह शहर सेफ भी नहीं है. मान लो कि मैं तुम्हारी सिफारिश करके अपने किसी डॉक्टर दोस्त के पास तुम्हें काम दिला भी दिया तो क्या गॅरेंटी है कि वो मेरे जाने के बाद तुम्हे निकाल ना दें या तुम्हे कोई 4थ क्लास काम ना दे दें. 

रागिनी: मैं छोटा मोटा काम करने को भी तैयार हूँ. 

बीना: अरे छोटा मोटा काम क्यूँ करोगी तुम? मैने तुम्हे अपनी बेटी बोला है तो मेरा फ़र्ज़ है कि तुम्हे कहीं अच्छा काम दिलाऊ जिस से तुम अपनी आने वाली ज़िंदगी अच्छे से जी सको. 

बीना: अरे हां, एक आइडिया है मेरे पास, क्यूँ ना मैं तुम्हारी शादी ही करवा दूं जिस से तुम्हें काम करने की ज़रूरत ही ना पड़े. रहने के लिए घर भी मिल जाएगा और सेक्यूरिटी के लिए हज़्बेंड भी. 

रागिनी कुछ ना बोली और शरमा कर अपनी आँखें झुका ली. 

बीना: लेकिन उस मे भी प्राब्लम है कि आजकेल के लड़के पढ़ी लिखी और जॉब करने वाली लड़कियाँ ढूँढते है तो ऐसा लड़का कहाँ मिलेगा जो तुम्हे बिना किसी शर्त के अपना ले. मुझे कोई ऐसा लड़का ढूंडना पड़ेगा जिसे जॉब वाली लड़की की ज़रूरत ना हो बस घर संभालने के लिए बीवी चाहिए हो.

बीना: ओह, मैने तो तुमसे पूछा ही नहीं, क्या तुम शादी करना चाहोगी? 

रागिनी के गाल सुर्ख लाल हो गये इतना सुनते ही. 

बीना: अरे यार शरमाने से काम थोड़े ही होगा. अच्छा तुम मुझे अपना दोस्त समझो और बताओ कि तुम्हे कैसा लड़का चाहिए. 

रागिन कुछ ना बोली बस शरमाती रही. 

बीना: इतना शरमाओगी तो शादी के बाद क्या करोगी? 

बीना के इतना कहने से ही रागिनी के दिल की धड़कने तेज़ हो गई. 

बीना: लगता है मुझे ही ढूंडना पड़ेगा अपने हिसाब से कोई लड़का तुम तो बताने से रही कि तुम्हे कैसा लड़का चाहिए. 

रागिनी (शरमाते हुए): आप खुद ही ढूंड लीजिए, मुझे क्या पता. 
Reply
02-01-2019, 05:56 PM,
#53
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
बीना: देखो रागिनी बात ऐसी है कि मुझे तुम्हारे लिए उस लड़के की तलाश करनी है जो काफ़ी अमीर परिवार से हो हो या जिसका बिज़्नेस वेल सेटल्ड हो क्यूंकी उस लड़के को यह फरक नहीं पड़ेगा कि तुम जॉब करो या ना करो और ना ही उसके लिए तुम्हारी क्वालिफिकेशन मायने रहेगी. उसे बस घर संभालने के लिए बीवी चाहिए होगी.

रागिनी बड़े ध्यान से बीना की बात सुन और समझ रही थी.

बीना: लेकिन, प्राब्लम यह है कि एक आदमी को वेल सेटल्ड होने मैं काफ़ी टाइम लग जाता है और इसी चक्कर मे उसकी शादी की उम्र भी निकल जाती है. तुम समझ तो रही हो ना कि मैं क्या कहना चाहती हूँ? 

रागिनी ने गर्दन झुका कर हां मे जवाब दिया. 

बीना: तो मान लो कि तुम्हारी शादी अगर किसी ऐसे लड़के से करवा दूं जो तुमसे उम्र मे 10-12 साल बड़ा होगा तो तुम्हे कोई प्राब्लम तो नहीं. 

रागिनी को लगा कि बीना जो भी करेगी उसके भले के लिए ही करेगी और वैसे भी और कोई तो था नहीं जिस पर वो भरोसा कर सके तो उसने कहा: आप को जैसा ठीक लगे. 

बीना( मुस्कुराते हुए): यह हुई ना बात. वैसे इस मैं फ़ायदा तुम्हारा ही है. 

रागिनी ने सवालिया नज़रो से बीना की ओर देखा. 

बीना: एक तो तुम उस घर मे रानी बनकर रहोगी और दूसरा यह कि मर्द उम्र मे जितना बड़ा होता है उसे उतने ही एक्षपरिएन्स भी होता है. मान लो कि अगर तुम्हारी शादी तुमसे 10-15 साल बड़े आदमी से होती है तो तुम्हे काफ़ी खुश रखेगा वो. बीना के इस तरह कहने से रागिनी शरम से दोहरी हो गई. 

बीना: हाए रे मेरी बन्नो, अब शरमाना छोड़ और शादी की तैयारियाँ शुरू कर दे.

रागिनी: इतनी जल्दी, मेरा मतलब अभी तो आपने लड़का भी ढूंडना है. 

बीना: वो तो मैने तुमसे बात करते करते ढूंड भी लिया.

रागिनी उसे ऐसी नज़रो से देखती है जैसे उस से पूछ रही हो कि कॉन है. 

बीना: तुम्हे याद है कुछ दिन पहले यहाँ वीरेंदर शर्मा नाम का एक पेशेंट अड्मिट था. 

रागिनी( कुछ देर सोचते हुए): हाँ, जिन्हे माइनर अटॅक आया था? 

बीना: हां वोही, वीरेंदर का एक सौतेला भाई है विराट. (बिहारी का नाम जो बीना ने उसे दिया इस खेल के लिए) अब दोनो भाइयों के नाम पर कितने करोड़ों की प्रॉपर्टरी है यह तो उन्हे भी नहीं पता लेकिन सुना है कि कम से कम दोनो के हिस्से मे 100-100 करोड़ तो आएँगे ही. अभी सारी प्रॉपर्टी वीरेंदर ने अपने नाम पर कर रखी है, उसकी शर्त है कि जब तक विराट शादी ना कर ले वो उसके नाम पर प्रॉपर्टी नहीं करेगा. 

रागिनी: ऐसा क्यूँ???

बीना: सुना है कि अपनी जवानी मे विराट काफ़ी अयाश किस्म का आदमी था, उसने अपनी पढ़ाई भी पूरी नहीं की.दिन भर बस आवारगार्दी करता और रात को नशे की हालत मे घर आ जाता.इसी लिए उसके पिता जी ने सारी प्रॉपर्टी वीरेंदर के नाम कर दी के जब कभी विराट अपनी हर्कतो से बाज़ आएगा तो आधी प्रॉपर्टी विराट के नाम कर दी जाएगी. इस से विराट की हैसियत अपने ही घर मे नौकरो जैसी हो गई, दोनो भाइयो मे प्रॉपर्टी को लेकर झगड़े होने लगे, विराट को बात बात पर वीरेंदर के आगे हाथ फैलाना पड़ता और एक दिन एक हादसे मे उनके पिताजी गुज़र गये. अपने पिताजी के गुज़र जाने के बाद विराट एक दम बदल गया. वो काफ़ी सुधर गया लेकिन वीरेंदर को लालच ने घेर लिया. उसे पता था कि विराट जैसे इंसान को कोई भी अपनी लड़की नहीं देगा इसलिए उसने विराट के सामने ऐसी शर्त रखी.

रागिनी: लेकिन विराट जी वीरेंदर जी के सौतेले भाई कैसे हैं?? 

बीना: विराट की माँ वीरेंदर के पिताजी के शोरुम मे काम करती थी और वहीं दोनो मे प्यार हुआ और जब विराट पैदा हुआ तो उस वक्त तक वीरेंदर के पिताजी की भी शादी नहीं हुई थी. 

विराट एक नाजायज़ औलाद थी तो वीरेंदर ने अपने बाप की सारी दौलत अपने नाम करवा ली और यह शर्त रख दी कि अगर विराट शादी कर लेगा तो वो यह जायदाद उसके बच्चे के नाम कर देगा. 

बीना: विराट तब से वीरेंदर के ही घर मे रह रहा है. वीरेंदर उस के साथ नौकरो वाला बर्ताब करता है, घर के सारे काम विराट को ही करने पड़ते हैं. जब से विराट उस घर मे आया है, वीरेंदर ने सारे नौकरो को घर से निकाल दिया है. बीना की बातें सुनकर रागिनी को वीरेंदर से नफ़रत होने लगी.कैसे एक भाई अपने दूसरे भाई से ऐसा कर सकता है. 

बीना: अब विराट एक बहुत ही सुलझा हुआ इंसान बन गया है मगर उम्र मे शायद वो तुमसे 10-15 साल बड़ा होगा. 

रागिनी: मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता. आपने अगर विराट जी को मेरे लिए चुना है तो कुछ सोच कर ही चुना होगा. 

बीना: गॉड ब्लेस्स यू माइ चाइल्ड. 
Reply
02-01-2019, 05:56 PM,
#54
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
बीना: कल मैं उनसे बात कर लूँगी तो हो सकता है कि कल शाम को हमे उनके घर चलना पड़े. मैं तुम्हे बता दूँगी तुम तैयार रहना. 

रागिनी: हमें उनके घर जाना पड़ेगा? 

बीना: अरे बड़े लोग हैं, वो थोड़े ही आएँगे और उनके माँ-बाप तो इस दुनिया मे हैं ही नहीं जो वो तुम्हें देखने के लिए आएँ. 

रागिनी: जी. 

रागिनी के जाने के बाद बीना ने चैन की सांस ली और मन में बोली: साली बिहारी की तो किस्मत खुल गई, बिल्कुल अनच्छुई कली मिल गई साले को. अब वो मेरी मुट्ठी मे होगा.

अगली सुबह आशना जब जागी तो टेबल पर रखे समान को देख कर उसे वीरेंदर का ख़याल आया और उसके मूह से अचानक ही निकला "लव यू वीरेंदर". उसने घड़ी की तरफ देखा और चौंक के उठ कर बैठ गई. नौ बजने वाले थे, रात को देर से नींद आने के कारण वो सुबह उठ नही पाई. जल्दी से सुबह के कार्यो से निपट कर और तैयार होकर उसने अपना नया मोबाइल उठाया और वीरेंदर के रूम की तरफ चल दी. आशना ने आज एक वाइट कलर का सिल्की वाइट टॉप और नीचे डार्क ब्लू कलर की लोंग स्कर्ट पहनी थी. उसकी वाइट शर्ट के अंदर पहनी उसकी लाइट क्रीम कलर की ब्रा दूर से ही देखी जा सकती थी. आशना ने वीरेंदर के कमरे का दरवाज़ा खोला तो वहाँ किसी को ना पाकर उसे बड़ी हैरानी हुई. उसने वीरेंदर को आवाज़ लगाई कि शायद वीरेंदर बाथरूम मे हो. आशना को जब कोई जवाब ना मिला तो उसने बाथरूम का दरवाज़ा खोलकर देखा लेकिन वहाँ भी कोई नहीं था. 

आशना(मन मे सोचते हुए): आज जनाब बड़ी जल्दी उठ गये और तैयार होकर नीचे भी चले गये. आशना नीचे आई तो बिहारी काका को आवाज़ लगाई. बिहारी अपने कमरे से बाहर निकला. 

आशना: काका वीरेंदर कहाँ है, कहीं दिखाई नही दे रहा. 

बिहारी आशना के उभारों को टाइट शर्ट मे देख कर एक दम बौखला गया, उसे पता ही नहीं चला कि आशना उस से क्या पूछ रही है. शर्ट के अंदर उसकी ब्रा दूर से नुमाया हो रही थी जिस से उसके गोल वक्षो का कटाव सॉफ दिख रहा था. 

आशना: क्या हुआ काका, अभी भी तबीयत ठीक नहीं हुई क्या??

बिहारी (हड़बड़ाते हुए): नहीं बिटिया, अब ठीक हूँ बस थोड़ी थकावट महसूस हो रही है. 

आशना: वीरेंदर कहाँ गये सुबह सुबह. 

बिहारी: वो तो सुबह सवेरे ही निकल गये. बोल कर गये है कि आशना जागे तो उसे यह टिकेट दे देना. बिहारी ने आशना को टिकेट्स दे दी. 

आशना का दिल एकदम तेज़ी से चलने लगा. यह वीरेंदर को क्या हो गया है. इतनी सुबह सुबह कहाँ चले गये. 

आशना: अच्छा काका तुम काम करो और हां मेरे लिए नाश्ता मत बनाना, मैं शोरुम जा रही हूँ, शायद वीरेंदर वहीं गये होंगे हम दोनो वहीं नाश्ता कर लेंगे. 

बिहारी: ठीक है बिटिया. आशना टॅक्सी लेकर शोरुम मे पहुँची तो वहाँ भी वीरेंदर नहीं पहुँचा था. आशना को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे. वो वहीं उसके कॅबिन मे आकर बैठ गई. दोपहर 12:00 बजे तक वीरेंदर का कोई आता पता नहीं था. किसी को कुछ पता नहीं था कि वो कहाँ गया था.
Reply
02-01-2019, 05:56 PM,
#55
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
वीरेंदर अपना टूटा हुआ दिल लेकर कभी इस चौराहे तो कभी उस चौराहे गाड़ी घुमाता रहा. अंत मे उसने आशना को भुला देना ही ठीक समझा और शोरुम की तरफ चल पड़ा. जैसे ही वो शोरुम पहुँचा उसे पता लगा कि आशना उसका वेट करके अभी अभी निकली है. वीरेंदर के शरीर मे एक बार फिर से जान आ गई. घर पहुँचा तो बिहारी ने उसे बताया कि आशना कुछ देर पहले ही अपना समान लेकर निकल गई है. वीरेंदर ने बिहारी से कहा कि वो कुछ दिन के लिए बॅंगलॉर जा रहा है तो घर का ध्यान रखे. वीरेंदर वहाँ से टॅक्सी लेकर सीधा एरपोर्ट आ गया. एरपोर्ट पहुँच कर उसने आशना को वेटिंग लाउंज मे बैठा देखा तो खुशी से झूम उठा. वो आशना के बिल्कुल पीछे खड़ा था. उसका मन किया कि अभी जाकर आशना से अपने दिल की बात कह दे लेकिन वो आशना को सबके सामने रुसवा नहीं करना चाहता था. 

उसने आशना से काफ़ी दूर जाकर आशना का नंबर. डाइयल किया लेकिन यह क्या"आशना का नंबर. फिर से स्विच ऑफ". उसे आशना पर काफ़ी गुस्सा आ रहा था. तभी उसकी नज़र आशना पर पड़ी वो फोन पर किसी से बात कर रही थी. यह देख कर वीरेंदर का गुस्सा और भी बढ़ गया. वो यह सोच कर गुस्से मे था कि आशना ने उसे ग़लत नंबर. क्यूँ दिया जो कि हमेशा स्विचऑफ ही रहता है. उसे लगा कि शायद आशना उसे इग्नोर कर रही है. वीरेंदर को यकीन होने लगा कि शायद आशना की ज़िंदगी मे कोई और है. 

दरअसल उस वक़्त आशना अपनी फ्रेंड प्रिया को यह बता रही थी कि वो शाम तक पहुँच जाएगी और वो उसे लेने एरपोर्ट पर आ जाए. उसे तो पता भी नही था कि वीरेंदर उसे फोन कर रहा है और उसका नंबर. स्विचऑफ आ रहा है. खैर वीरेंदर अब दोराहे पर खड़ा था. क्या वो आशना के पीछे बॅंगलॉर तक जाए या नहीं. अगर आशना उसे इग्नोर कर रही है तो इसका साफ मतलब था कि वो उस से प्यार नहीं करती. वीरेंदर ने सोचा कि उसे बॅंगलॉर जाकर यह देखना चाहिए कि क्या आशना सच मे किसी और से प्यार करती है या नहीं. 

वहीं आशना वेटिंग लाउंज मे बैठी यह सोच रही थी कि वीरेंदर आज सारा दिन गायब रहे है ऐसा क्यूँ. क्या उन्हे नहीं पता कि मुझे उनकी कितनी चिंता हो सकती है, मेरा नंबर. भी लिया लेकिन फिर भी एक बार फोन करके भी नही पूछा कि मैं कहाँ हूँ. फ्लाइट के टाइम के आधे घंटे पहले ही वीरेंदर एकॉनमी क्लास मे बैठ चुका था. आशना के लिए उसने बिज़्नेस क्लास की टिकेट बुक करवाई थी. आशना को यकीन था कि वीरेंदर उस से मिलने ज़रूर आएगा इस लिए वो अंत तक उसका वेट करती रही. लेकिन जब उसके नाम की फाइनल अनाउन्स्मेंट हुई तो वो भी अपनी फ़्लाइट की ओर चल दी. शाम को करीब 7:15 बजे दोनो बॅंगलॉर की धरती पर कदम रख चुके थे. 

आशना, प्रिया के साथ एक टॅक्सी मे अपने फ्लॅट की तरफ जा रही थी और वीरेंदर दूसरी टॅक्सी से उसका पीछा करते हुए उनके फ्लॅट से थोड़ा पहले ही उतर गया. अंधेरा काफ़ी होने से आशना वीरेंदर को नहीं देख सकती थी लेकिन उसे लग रहा था कि वीरेंदर उसके आस पास ही कहीं है. प्रिया, आशना की खामोशी से परेशान थी. दोनो अपने फ्लॅट मे पहुँची जो कि उन्होने रेंट पर लिया था. 2बीएचके का यह फ्लॅट ज़्यादातर खाली ही रहता था क्यूंकी कभी आशना तो कभी प्रिया ड्यूटी पर होती. वीरेंदर ने उनके सामने वाली बिल्डिंग मे ग्राउंड फ्लोर पर एक रूम किराए पर ले लिया.आशना का फ्लॅट भी ग्राउंडफ्लॉर पर ही था. उनके फ्लॅट की सारी गतिविधियाँ वीरेंदर के रूम से देखी जा सकती थी. अंदर आते ही वीरेंदर ने एक चेर उस खिड़की की तरफ लगा दी जो कि उनके फ्लॅट के ठीक सामने खुलती थी. बॅंगलॉर मे वैसे तो मौसम ज़्यादा सर्द नहीं था लेकिन रात की ठंडी हवा से वीरेंदर फिर भी एक बार कांप उठा. 


अंदर आते ही प्रिया ने सबसे पहला सवाल जो आशना से किया वो था " सबसे पहले यह बता वो कॉन खुशनसीब है जिसे तू अपना दिल दे आई है". आशना ने हैरानी से उसे देखा.

प्रिया: झूठ बोलेगी तो मार खाएगी मेरे से, मैं तुझे कब से जानती हूँ. तेरा उतरा हुआ चेहरा और आँखों मे किसी का इंतज़ार साफ बता रहा है कि तू अपना दिल किसी के पास छोड़ कर आई है. इतना सुनते ही आशना की आँखें झर झर कर बह गई और उसने प्रिया को सब कुछ बता दिया शुरू से लेकर अंत तक बस उस से यह नहीं बताया कि वीरेंदर उसका भाई है. 

प्रिया: यार, इस मामले मे तो मैं तेरी हेल्प कर ही सकती हूँ, चल दे मुझे उसका नंबर. बोलती हूँ उसको अपनी अमानत ले जाए. 

आशना: मैं उस का नंबर. नहीं जानती, मैने उसे अपना नंबर. भी दिया लेकिन उसने एक बार भी फोन नहीं किया. 

प्रिया: नंबर. से याद आया, तूने अपना नंबर. चेंज किया कम से कम मुझे तो नया नंबरतो दे देती, पता है कितना परेशान थी मैं.

आशना: क्या मतलब? 

प्रिया: अच्छा जी मेडम ने अपना नंबर. चेंज कर लिया और उन्हे याद ही नहीं. 

आशना: लेकिन मैने तो नंबर. चेंज नहीं किया, मेरा नंबर. तो वोही है. अभी शाम को ही तो कॉल की थी ना तुझे. 

प्रिया: बिल्कुल की थी और कल भी की थी पर नंबर. वो नहीं था जो कि आपका है.वो नंबर. तो कोई और ही था, तुम्हारा नंबर तो फीड है मेरे पास.

आशना:ऐसा कैसे हो सकता है?

प्रिया: अरे यार यकीन कर मेरा, तेरा वो नंबर. तो कितने दिनों से स्विचऑफ है. खुद चेक कर ले. 
Reply
02-01-2019, 05:56 PM,
#56
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
प्रिया ने आशना का पुराना नंबर. डाइयल कर के आशना को दिखाया तो आशना ने नंबर. ध्यान से देखा, नंबर. तो उसी का था लेकिन स्विचऑफ आ रहा था. आशना का पूरा शरीर कांप गया. उसने तो वीरेंदर को यही नंबर. दिया था. इसका मतलब उसका नंबर. किसी ने चेंज कर दिया लेकिन यह कैसे हो सकता है और कोई ऐसा क्यूँ करेगा.आशना ने अपने मोबाइल से प्रिया के नंबर. पर डाइयल किया तो अपना नंबर. देख कर उसका सिर चकराने लगा. 

आशना: यह नंबर. मेरा नहीं है, पता नहीं किसने यह किया. तभी तो मैं सोच रही थी कि तुमने मुझे फोन क्यूँ नहीं किया इतने दिन तक. 

प्रिया: यार मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा. मेरे ख़याल से तू नया नंबर. लेकर भूल गई है मेरी जान लेकिन आशना को तो कोई होश ही नही था. वो तो बस कुछ सोचे जा रही थी. वीरेंदर ने तो उसे काफ़ी बार फोन किया होगा लेकिन उसका नंबर. ही स्विच ऑफ था तो उनका कॉंटॅक्ट कैसे होता. शायद इसीलिए वीरेंदर जाते हुए उस से नहीं मिला. वीरेंदर के लिए उसके दिल मे गिले शिकवे एक दम सॉफ हो गये. 

आशना: प्रिया लगता है कि कोई बहुत बड़ी चाल हमारे साथ खेली जा रही है.

प्रिया: यह फिल्मी डायलॉग मारने बंद कर और यह सोच कि यह नंबर. तूने कब चेंज किया. आशना जानती थी कि प्रिया उसका यकीन नहीं करेगी. 

आशना: अच्छा चल छोड़ और कुछ खाने के लिए बना दे.

प्रिया:ऑल्वेज़ अट युवर सर्विस मेडम, बस कुछ देर इंतज़ा करो और यह कह कर किचन की तरफ चल दी. आशना सोच रही थी कि ऐसा कॉन हो सकता है जिसने यह किया हो लेकिन वो किसी नतीजे पर नहीं पहुँच सकी
Reply
02-01-2019, 05:57 PM,
#57
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
वहीं वीरेंदर भी अपनी यादों से बाहर आया जब उसके दरवाज़े पर नॉक हुई. एक 15-16 साल का दिखने वाला लड़का वीरेंदर केलिए खाना लेकर आया था.

अंदर आते ही लड़के ने बोला: आपका ऑर्डर सर. 

वीरेंदर रख दो, बाद मैं आकर बर्तन ले जाना. वीरेंदर को खिड़की के पास बैठा देख कर पहले तो वो लड़का कुछ कहने को हुआ लेकिन फिर चुप चाप चला गया.वीरेंदर वहीं खिड़की पर बैठा पिछले दिन से हुई घटनाओ के बारे मैं सोचने लगा. थोड़ी देर बाद उसे याद आया कि उसने तो कल शाम से कुछ खाया ही नहीं है. वीरेंदर ने ना चाहते हुए भी खाना खाया, वो मन मैं यही सोचे जा रहा था कि "वीरेंदर इतना कमज़ोर दिल नहीं कि एक लड़की के लिए खाना पीना छोड़ दे". खाना खाकर वो फिर से वहीं अपनी जगह बैठ गया. 

रात के करीब 9:30 बज रहे थे, लेकिन बाज़ार की रौनक ऐसी थी कि यहाँ के लोगों को पता ही ना हो कि रात किसे कहते हैं. सड़क पर ज़्यादातर पैदल चलने वाले लोग ही थे, बीच बीच मे इक्का दुक्का गाड़ियाँ और बाइक्स भी नज़र आ रही थी. सब अपने आप मे ही मसरूफ़ थे और वीरेंदर इतनी भीड़ के बावजूद भी बिल्कुल अकेला, बिल्कुल तन्हा. वीरेंदर ने अपना फोन उठा कर एक बार फिर से आशना का नंबर. डाइयल किया लेकिन फिर से स्विचऑफ. वीरेंदर ने झल्ला कर फोन को बिस्तर पर पटक दिया.

वीरेंदर (अपने आप से): कोई फ़ायदा नहीं होगा यहाँ रुकने का, वो लड़की तुझसे फ्लर्ट करके चली गई और तू फिर भी उसके पीछे यहाँ तक आ गया. वीरेंदर ने डिसाइड किया कि वो यहाँ से जल्द ही निकल जाएगा. वीरेंदर ने एरपोर्ट फोन करके पूछा कि बांदलोरे की आगे फ्लाइट कब की है तो उसे मालूम हुआ कि सुबह 7:00 बजे की एक फ्लाइट है. वीरेंदर ने अपने लिए एक टिकेट बुक करवा दी और अपना क्रेडिट नंबर. बता कर पेमेंट कर दी. वीरेंदर जैसे ही खिड़की को बंद करने लगा तभी वो लड़का बर्तन उठाने आ गया. 

लड़का: बाबू जी खिड़की बंद कर दीजिए मौसम काफ़ी ठंडा है और यहाँ मच्छर भी बहुत हैं. इतनी ठंड मैं भी मच्छर सिर्फ़ इसी एरिया मे ही मिलते हैं. साले रात भर सोने नहीं देते. 

वीरेंदर: कोई बात नहीं मेरा खून बहुत कड़वा है, मुझे काटेंगे तो मर जाएँगे. 

यह सुन कर वो लड़का हँसने लगा और बोला "साहब मेरे साथ भी ऐसा ही है, जो मच्छर मुझ पर हमला करता है सुबह तक अपनी जान गँवा चुका होता है. अब तो इनको मेरे से वाकफियत हो गई है, कोई मेरे पास फटकता ही नहीं.

वीरेंदर: क्या नाम है तुम्हारा. 

लड़का: जी मोनू. 

वीरेंदर: मोनू तुम यहाँ कब से काम कर रहे हो. 

मोनू: मैं तो इस बिल्डिंग मैं सिर्फ़ खाना सप्लाइ करता हूँ, मेरे पिता जी का होटेल यहाँ पास मे ही है. दिन भर पढ़ता हूँ और रात को पिताजी का हाथ बँटाता हूँ. 

वीरेंदर: कॉन सी क्लास मे हो. 

मोनू: 11थ साइन्स. 

वीरेंदर: वाह यह तो बहुत बढ़िया है कि तुम पढ़ाई भी करते हो और अपने पिता जी का हाथ भी बाँटते हो. 

मोनू:अब एक दूसरे के सिवा हमारा है ही कॉन तो एक दूसरे की मदद करना तो हमारा फ़र्ज़ है. 

वीरेंदर (गहरी सोच मे डूबते हुए): वो तो है. 

मोनू: बाबू जी अगर बुरा ना मानो तो एक बात पूछूँ? 

वीरेंदर:हां पूछो. 

मोनू: बाबू जी आप कहाँ के हैं और यहाँ क्या कर रहे हैं. 

वीरेंदर ने मोनू की तरफ देखा और बोला: मोनू मेरा नाम वीरेंदर शर्मा है और मैं देल्हिी से हूँ, यहाँ किसी काम से आया था. 

मोनू: तो फिर आप खिड़की के पास ही क्यूँ बैठे हो जब से आए हो. 

वीरेंदर उसके इस प्रश्न से हडबडा गया. 

मोनू: सॉरी, बाबू जी ऐसे ही पूछ लिया. वो क्या है ना कि जब आप टॅक्सी से उतार कर किसी से छुप रहे थे तो मेरी नज़र आप पर पड़ी थी. आप उस वक्त हमारे होटेल के आगे ही खड़े थे. आप को देख कर लगता है कि आप एक अच्छे घर से हो तो फिर आप छुप क्यूँ रहे थे?? 

वीरेंदर मोनू के सवालो से परेशान हो गया.

वीरेंदर: तुम अपने काम से मतलब रखो और जाओ यहाँ से. सुबह 5:00 बजे चाइ ले आना तो तुम्हारा हिसाब कर दूँगा.

मोनू: माफ़ कीजिएगा बाबू जी लेकिन मैने पहले ही कहा था के बुरा मत मानना. 

विरेडनेर: इट्स ओके, नाउ गो. 

मोनू: ऐज यू विश मिस्टर. वीरेंदर जी.

मोनू जैसे ही जाने के लिए बर्तन उठाने लगा, वीरेंदर ने बोला: यार नाराज़ मत होना, मेरा मूड ही नहीं है बात के लिए. 

मोनू के चेहरे पर स्माइल आ गई. 

मोनू: मुझे तो पहले ही आप सब से अलग लगे थे, अब तो यकीन भी हो गया. 

वीरेंदर: मतलब? 

मोनू: रहने दीजिए, आप फिर नाराज़ हो जाएँगे. 

वीरेंदर: अच्छा मेरे भाई बोल क्या कहना चाहता है तू, मैं नाराज़ नहीं होऊँगा.

मोनू: मुझे पता है कि आप आशना दीदी या प्रिया दीदी का पीछा कर रहे थे, मैने देख लिया था. (वीरेंदर यह सुनकर हैरान रह गया कि एक छोटा सा बच्चा उसपर नज़र रख रहा था). 

वीरेंदर: तो क्या हुआ, मैने तुम्हारी दीदियो को कुछ बोला थोड़े ही. 

मोनू: तभी तो मुझे लगा कि आप अलग हैं. आशना दीदी और प्रिया दीदी के लिए तो यह रोज़ की बात है. कितने ही आवारा लड़के उनके पीछे आते हैं, उनसे बात करने की कोशिश करते हैं लेकिन मूह उठाए चल देते हैं. कई बार तो वो हमारे होटेल पर बैठ कर चाइ वागेहरा पीते हैं और आशना-प्रिया दीदी के लिए गंदी गंदी बातें बोलते हैं. 

वीरेंण्दर: तो क्या तुम्हारी दीदिया इतनी सुंदर हैं कि हमेशा उनके पीछे लड़कों की लाइन लगी रहती है. 

मोनू: और नहीं तो क्या, वो दोनो तो बहुत ही सुंदर हैं तभी तो आप भी उनका पीछा करते हुए आ गये. 

वीरेंदर के पास कोई जवाब नहीं था. 

मोनू: लेकिन प्रिया दीदी की तो एंगेज्मेंट हो गई है, लड़का उनके साथ ही काम करता है और आशना दीदी तो बस पूछो ही मत. 

वीरेंदर : क्यूँ?? 

मोनू: अगर रास्ते मे उनका कोई दोस्त भी पास से गुज़र जाए तो उन्हे पता ही नहीं लगता. कभी नज़र उठाकर किसी को देखती ही नहीं. 

वीरेंदर: हो सकता है वो किसी को चाहती हो तो उसे किसी और को देखने की ज़रूरत ही क्या है. 

मोनू: मैं आशना दीदी को अच्छे से जानता हूँ, अफेर होना तो दूर अगर कोई लड़का उन्हे रास्ते मे बुला भी ले तो उसकी बॅंड बज जाती है. 

वीरेंदर: तब तो बड़ी ख़तरनाक है तेरी आशना दीदी. 
Reply
02-01-2019, 05:57 PM,
#58
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
मोनू हंसा और बोला: ख़तरनाक नहीं मगर हां उनके साथ जो कुछ बीता है उसे देख कर कोई नहीं कह सकता कि वो इस मुकाम तक पहुँच सकती है. 

वीरेंदर: कॉन सा मुकाम भाई, हमे भी तो पता लगे कि तुम्हारी आशना दीदी किस खेत की मूली है. 

मोनू: मेरी दीदी एयरहोस्टेस है.

वीरेंदर एक दम अपनी सीट से उछल पड़ा. वीरेंदर: क्या??????.

मोनू: क्यूँ??????आपको नहीं पता था क्या? 

वीरेंदर: लेकिन्न्न्न्न्न...........

मोनू: अरे आप इतना चौंक क्यूँ गये?????? सच में आशना दीदी एक एयरहोस्टेस ही हैं . करीब करीब साल होने को है जब उन्होने ............एरलाइन्स जाय्न की थी और तब से वो प्रिया दीदी के साथ इसी फ्लॅट को शेयर कर रही हैं. 

वीरेंदर का पूरा शरीर ठंडा पड़ गया था. वीरेंदर को एक अंजानी आशंका ने घेर लिया. 

वीरेंदर: और उनकी फॅमिली के बारे मे कुछ जानते हो????. 

मोनू: ज़्यादा तो पता नहीं लेकिन इतना ज़रूर सुना है कि इनकी माँ तो बचपन मे ही चल बसी थी और छोटी सी ही उम्र मे इनके पिता जी और उनके भाई का पूरा परिवार किसी आक्सिडेंट में मारा गया था. 

वीरेंदर धडाम से चेयर पर गिर पड़ा,उस का सर घूमने लगा, उसे सारी धरती हिलती हुई लगने लगी. उसका गला सूख गया था, वो खुली आँखों से बेहोश सा हो गया था. उसका दिल धड़क रह था लेकिन शरीर मे जान नही रही थी. मोनू उसे झिझोड़ता रहा मगर वीरेंदर तो जड़ बन चुका था. सारी रात उसकी एक ही जगह पर बैठे बैठे कट गई, उसे पता ही नहीं चला कि कब सुबह हुई और कब मोनू चाइ लेकर वापिस भी आ गया. 

मोनू ने अंदर आते ही पूछा: अरे आप तो सुबह सुबह ही उठ गये. 

वीरेंदर का ध्यान उसकी तरफ गया तो एक दम चौंका. 

वीरेंदर: क्या?????, सुबह हो गई?

मोनू ने अजीब नज़रों से वीरेंदर को देखा और बोला: क्या बाबू जी सुबह सुबह मुझसे ही मज़ाक. 

वीरेंदर को एहसास हुआ कि वो सारी रात एक ही जगह पर बैठा बैठा अपने ख्यालों में खो गया था, उसे तो पता ही नहीं लगा कि रात कब बीत गई और सुबह भी हो गई. 

वीरेंदर ने मोनू से चाइ ली और बोला कि :तुम्हारे पैसे मैं कल दे दूँगा, आज मेरे जाने का प्रोग्राम कॅन्सल हो गया है. 

मोनू: बाबू जी आप चाहे जब भी जाओ मगर अब तक का हिसाब कर दीजिए नहीं तो पिता जी सुबह सुबह भड़क उठेंगे. 

वीरेंदर ने उसे पैसे दिए और मोनू ने जाते जाते उसे बताया कि अगर और कुछ चाहिए होगा तो किसी से भी "..........होटल" का पूछ लेना, मैं तो अब शाम को ही आउन्गा. 

वीरेंदर: यार शाम को जल्दी आ जाना तुमसे बहुत सारी बातें करनी हैं. 

मोनू: जी बाबू जी.

मोनू के जाने के बाद वीरेंदर फिर से सोच मे पड़ गया "आख़िर आशना ने ऐसा क्यूँ किया", उसे यह सब करने से क्या मिला होगा. उसने मेरे साथ ऐसा विश्वासघात क्यूँ किया. ऐसे ही ना जाने कितने ही सवाल वीरेंदर के दिमाग़ मे घूम रहे थे.


दूसरी तरफ आशना भी पूरी रात यही सोचती रही कि आख़िर उसका सिम किसने चेंज किया होगा. आख़िर किस इंसान को इस से फ़ायदा हो सकता है. उसे अपने सवालों का कोई जवाब नहीं मिल रहा था. उसने रात को ही अपनी पॅकिंग कर ली और सारा समान बाँध दिया था. पहले वो "शर्मा निवास" सिर्फ़ और सिर्फ़ वीरेंदर के लिए जाना चाहती थी मगर अब उसे एक और उद्देश्य से वहाँ जाना था और इस राज़ की जड तक पहुँचना था. उसका शक़ बार बार वीरेंदर की तरफ जाता क्यूंकी उसके मुताबिक बिहारी काका को शायद ही मोबाइल से बात भी करना आता हो लेकिन फिर वो यह ख़याल दिमाग़ से झटक देती और सोचती कि ऐसा करने से वीरेंदर को क्या मिलता. इन सब सवालो के जवाब जानने के लिए उसे "शर्मा निवास" ज़रूर जाना था.सारी रात आशना की आँखों में ही कट गई और उसे पता ही ना लगा एक दिन कब निकल गया.


प्रिया अपने रूम से बाहर आई और आशना को देखते हुए बोली: आज तो मेडम जी बड़ी जल्दी उठ गई, क्या वीरेंदर के ख़यालो ने सोने नहीं दिया??? 

आशना ने फीकी सी मुस्कान दी और बोली: खुद तो सारी रात सोती रही और मुझे खुद ही अपनी सारी पॅकिंग करनी पड़ी. 

प्रिया: क्या यार इतनी जल्दी क्या है, कल चली जाना अपने ससुराल. 

प्रिया के इस तरह छेड़ने से आशना शरमा गई. 

प्रिया: कभी हमें भी मिलाना अपने उस राजकुमार से जिसने कुछ ही दिनों मे हमारी सबसे खूबसूरत और हसीन दोस्त तो हमसे छीन लिया. 

आशना ने कोई जवाब नहीं दिया और बाथरूम मे घुस गई. 
Reply
02-01-2019, 05:57 PM,
#59
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
प्रिया: जल्दी करना, मोनू चाइ लेकर आने ही वाला होगा. 

आशना: इन 15 मिनिट्स ओन्ली. 

नहाने और तैयार होने के बाद आशना बाथरूम से बाहर आई तो प्रिया कहीं जाने के लिए तैयार हो रही थी. 

आशना: तुमने तो आज छुट्टी ली थी तो सुबह सुबह कहाँ चल दी. 

प्रिया: वो तुम्हारे जीजू का आज सुबह सुबह मूड बन गया है. यहाँ तो उसे बुला नहीं सकती थी तो उसने अपने फ्लॅट पर ही प्रोग्राम रखा है. 

आशना: इतनी सुबह सुबह, यार कुछ तो शरम करो. 

प्रिया: शरम क्यूँ, अरे दो महीने मे हम शादी करने वाले हैं तो अपने होने वाले पति के लिए मैं तो हमेशा अवेलबल रहूंगी. 

आशना: जो तेरे मन मे आए कर, जब मुझे निकलना होगा मैं तुम्हे कॉल कर दूँगी. 

प्रिया: ओके यह ले तेरे रिटर्न टिकेट आंड फोन करती रहना. इस बार नंबर. चेंज नही कर देना. 

आशना: बाइ. 

आशना ने देखा टेबल पर एक कप मे चाइ पड़ी है और एक कप प्रिया ने पी लया है. आशना ने झट से कप उठाया मगर चाइ तो ठंडी हो गई थी. आशना ने कप को उठा कर फिर से वहीं रख दिया और किचन मे अपने लिए चाइ बनाने चली गई. चाइ को कप मे डालकर वो अभी बैठी ही थी कि दरवाज़ा नॉक हुआ. 

आशना: कम इन. 

मोनू ने दरवाज़ा खोला और एक बड़ी सी स्माइल आशना को दी. 

आशना: आओ मोनू भैया, आज तो सुबह सुबह ही बड़े खुश दिख रहे हो क्या बात है. 

मोनू: इतने दिन बाद आपको देख रहा हूँ तो बड़ी खुशी हो रही है. 

आशना: सुबह सुबह मस्का.... क्या बात है?. 

मोनू: नहीं दीदी सच मे. मैने प्रिया दीदी से कई बार आपके लिए पूछा मगर उन्होने बताया कि आपका फोन हमेशा बंद ही रहता है. 

आशना(मोनू से झूठ बोलते हुए): वो मेरा फोन ही खराब हो गया था. 

सोनू ने आशना के हाथ मे बड़ा सा मोबाइल देखा तो बोला: वाउ दीदी आपने तो बहुत सुंदर और महंगा वाला मोबाइल लिया है. 

आशना ने फोन उसे दिखाते हुए कहा "यह किसी ने मुझे गिफ्ट दिया है". 

मोनू: काश हमे भी कोई ऐसा मोबाइल गिफ्ट कर दे हम तो बहुत ही खुश हो जाएँगे. 

आशना: जब तुम बड़े हो जाओगे और अच्छी सी नौकरी करोगे तो तुम खुद ही खरीद लेना. 

मोनू: तब तो मैं लूँगा ही मगर गिफ्ट का अपना ही मज़ा होता है, है ना दीदी? 

मोनू की बात सुनकर आशना हंस पड़ी. 

आशना: जब तू बड़ा हो जाएगा और तेरी शादी होगी तो मैं तुम्हे ऐसा ही एक मोबाइल गिफ्ट करूँगी. 

मोनू की आँखें चमक उठी, मोनू: साची दीदी. 

आशना : बिल्कुल, और है ही कॉन जो मुझे दीदी बोले. 

मोनू ने जल्दी से चाइ के कप उठाए तो देखा कि आशना ने चाइ तो पी ही नहीं. 

मोनू: दीदी आपकी चाइ तो ठंडी पड़ी है. 

आशना: कोई बात नहीं, मैने अपने लिए चाइ बना ली है. 

मोनू वहीं खड़ा रहा और आशना ने अपने कप से एक घूँट भरा. 

आशना: ओह मैं तो भूल ही गई थी कि तुम्हे चाइ के पैसे भी देने हैं. 

मोनू: अरे क्या बात करती हो दीदी, पहले कभी आपसे अड्वान्स मे पैसे लिए हैं क्या, मैं पैसे लेने के लिए नहीं खड़ा था.

आशना: तो फिर जनाब को कुछ और भी कहना है शायद. 

मोनू: जी, वो दीदी, एक साहब कल रात को आपकी टॅक्सी का पीछा करते हुए आए थे. 

आशना ने उसकी बात पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया, उसे लगा कि शायद कोई आवारा होगा. 
Reply
02-01-2019, 05:57 PM,
#60
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
आशना: चल छोड़ और तू स्कूल जा, लेट हो रहा है ना तू. 

मोनू: दीदी उन्होने ने सामने वाले होटेल मे ही ग्राउंड फ्लोर पर एक कमरा लिया है बिल्कुल आपके फ्लॅट के सामने और यह कह कर मोनू वहाँ से चल दिया. 

आशना ने उसकी बात पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया और चाइ पीती रही. अचानक उसे ध्यान आया कि उसे काफ़ी ज़ोरों से भूख लगी है. उसने फ्रीज़र मे देखा तो वहाँ उसे खाने को कुछ भी नही दिखा. आशना ने मोनू के होटेल मे ही नाश्ता करने की सोची. उसने झट से स्लीपर पहने और होटेल की तरफ चल दी. होटेल उसके फ्लॅट से बस दो मिनिट की ही दूरी पर था. वो होटेल पहुँची तो वहाँ काफ़ी भीड़ थी. 

तकरीबन सारे टेबल्स फुल थे. मोनू के पिता जी ने आशना को देखा तो हाथ जोड़ कर नमस्ते किया और उन्होने एक कोने मे रखी दो चेयर्स और एक मेज़ की तरफ इशारा किया. आशना ने भी उनकी नमस्ते का जवाब मुस्कुरा कर दिया और फिर वो उस टेबल के पास रखी कुर्सी पर बैठ गई. आशना पहले भी कई बार यहाँ नाश्ता कर चुकी है. उसने मेनू की तरफ देखा तो वहाँ लिखे "आलू के परान्ठे" पर नज़र पड़ते ही उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई और मन मे सोचने लगी "मिस्टर. वीरेंदर आपके लिए आलू के परान्ठे बनाने वाली का पर्मानेन्ट समाधान हो गया है". पता नहीं क्यूँ लेकिन आशना ने आज आलू के परान्ठे ऑर्डर में दिए. 

थोड़ी देर बाद उसे काउंटर पर खड़े एक इंसान की आवाज़ आई " चाचा आलू की परान्ठे मिलेंगे क्या"? यह आवाज़ सुनते ही आशना का दिल धक धक कर उठा. यह आवाज़ तो उसने पहले भी सुनी है, उसने दिमाग़ पर ज़ोर दिया तो उसे याद आया कि यह आवाज़ तो वीरेंदर की है. आशना ने तेज़ी से उस आदमी की तरफ देखा तो वहाँ कोई और ही खड़ा था. आशना को काफ़ी मायूषी हुई और फिर अपने पर हँसी भी आई कि वीरेंदर यहाँ कैसे आ सकते हैं और अगर यहाँ आ भी गये तो वो यहाँ इस छोटे से होटेल मे खाना खाने थोड़े ही आएँगे. आशना ने नाश्ता किया और अपने फ्लॅट की तरफ चल दी. अपने फ्लॅट की तरफ जाते हुए उसे मोनू की बात याद आ गई कि जो आदमी कल शाम को पीछा कर रहा था वो सामने वाले होटेल मे ही ठहरा है. एक पल के लिए तो आशना के कदम उस होटेल की तरफ मूड गये लेकिन फिर कुछ सोच कर सड़क पार करके अपने फ्लॅट मे आ गई.

जब तक आशना जाने की तैयारी करती है, तब तक आइए आपको फिर से एक दिन पहले देल्ही वापिस लेकर चलती हूँ. 




प्लेस: देल्ही (बीना'स हॉस्पिटल)

दिन: जिस दिन आशना और वीरेंदर बॅंगलॉर के लिए रवाना होने वाले थे.

सुबह होते ही बीना ने हॉस्पिटल का एक राउंड लगाया और पेशेंट्स को दवाइयाँ वागेहरा लिख कर उनसे फ्री हुई. करीब 11:30 बजे बीना ने इंटरकम पर रागिनी को अपने कॅबिन मे आने को कहा. रागिनी धड़कते दिल से बीना के कॅबिन मे आई. 

बीना: सारी तैयारी हो गई. 

रागिनी: जी मॅम. आप बताइए कब चलना है. 

बीना: लंच के बाद मुझे जूनियर डॉक्टर्स के साथ एक ज़रूरी मीटिंग करनी है. तुम करीब 5:00 बजे मुझे कान्फरेन्स रूम के बाहर तैयार ही मिलना, वहीं से चले जाएँगे.

रागिनी: ओके मॅम.

रागिनी हॉस्पिटल के कॉंपाउंड के अंदर ही एक छोटे से रूम मे रहती थी. रागिनी अपनी रुटीन के बाद अपने रूम मे चली गई. आज रागिनी काफ़ी खुश भी थी और काफ़ी डरी हुई भी थी. उसका हमेशा से सपना रहा था कि वो किसी बड़े घर मे ब्याही जाए ताकि वो ज़िंदगी के सारे ऐश- ओ- आराम का मज़ा ले सके. ऐसा नहीं था कि रागिनी खुद एक ग़रीब परिवार से थी, उसका परिवार भी सुख सुविधाओं से संपन्न था पर एक राजपूताना लड़की होकर उसपर काफ़ी पाबंदियाँ थी और जैसे जैसे वो जवान होने लगी उसपर पाबंदियाँ बढ़ने लगी. देर रात तक टीवी मत देखो, उँची आवाज़ मे मत बोलो, ढंग के कपड़े पहनो. 18 बरस के होते ही उसे सिर्फ़ सलवार-सूट पहनने का आदेश सुना दिया गया था. उसके भैया और पिता जी ने सख़्त हिदायत दी थी कि रागिनी जब तक मैके मे है वो यही पहनेगी और किसी भी कमरे मे रात 9:00 बजे के बाद टीवी नहीं चलेगा. और भी ना जाने कितनी पाबंदियों के बीच रागिनी अपने घर मे रह रही थी. रागिनी हमेशा मन मे सोचती कि भगवान मुझे आगे जिस भी घर मे भेजोगे काश वहाँ यह सब ना करना पड़े. लंच करने के बाद रागिनी ने तैयार होना शुरू किया. करीब 5:00 बजे तक वो लाइट येल्लो कलर का ढीला सा सलवार सूट पहनकर और हल्का सा मेकप करके तैयार हो गई थी. कच्चा पीला रंग उसके गोरे रंग पर काफ़ी जच रहा था. वो शीशे में अपने आप को देख कर ही शरमा उठी थी.

करीब 5:15 बजे तक वो हॉस्पिटल के कान्फरेन्स रूम के बाहर पहुँच चुकी थी. डॉक्टर. बीना कोई 5:45 तक कान्फरेन्स रूम से बाहर निकली और रागिनी को देखते ही रागिनी को अपने पीछे आने का इशारा किया. रागिनी सर झुकाए बीना के पीछे चल दी और बाहर निकलते ही दोनो गाड़ी मे बैठ गई. बीना ने गाड़ी स्टार्ट की और "शर्मा निवास" की ओर चल दी. करीब 6:10 मिनिट तक वो दोनो शर्मा निवास के मेन गेट के सामने पहुँची. बीना ने गाड़ी से उतरते हुए मेन गेट खोला और गाड़ी अंदर घुसा दी. गाड़ी को एक साइड पर पार्क करके वो दोनो गाड़ी से उतरी और रागिनी ने उतरते ही चारो तरफ नज़र दौड़ाई तो इतनी भव्यता देख कर उसकी आँखें फटी की फटी रह गई. रागिनी ने अपने लिए जैसा ससुराल सोचा था यह तो उस से भी कई गुना ज़्यादा था. बीना ने रागिनी की हालत ताड़ ली थी और बोली. 

बीना: रागिनी देखो तुम पर कोई ज़बरदस्ती नहीं है. अगर तुम्हे विराट अपने पति के रूप मे ठीक नहीं लगेगा तो तुम इनकार कर सकती हो. 

रागिनी: मॅम, मुझे पता है कि आपने मेरे लिए जिसे भी चुना होगा काफ़ी सोच समझ कर ही चुना होगा. 
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,416,327 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 534,979 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,197,850 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 905,384 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,606,250 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,040,263 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,883,942 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,832,413 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,947,273 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 277,111 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 8 Guest(s)