bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
02-02-2019, 01:21 AM,
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
रागिनी: दीदी, आपके तो पहले ही मुझ पर बहुत एहसान हैं. एक और एहसान करके आपने मुझे अपनी ही नज़रों मे गिरने से बचा लिया. ज़िंदगी में शायद ही मैं कभी अपने आप से नज़रें मिला सकूँ लेकिन आपने मुझे दुनिया के सामने शर्मिंदा होने से बचा लिया है. 

आशना: तो फिर हमें कल से ही सारी तैयारियाँ शुरू कर देनी चाहिए. वीरेंदर, बड़ा भाई होने के नाते तुम्हारा कन्यादान करेगा. 11 नवंबर. के दिन इस घर से एक लड़की जाएगी और एक लड़की हमेशा के लिए इस घर मे आएगी. 

रागिनी हैरानी से आशना की तरफ देखने लगी. 

आशना: सोच रही हूँ कि अब मैं भी वीरेंदर के साथ शादी कर ही लून वरना पता नहीं लोग हमारे बारे में क्या क्या बातें करेंगे. इसी बहाने तुम्हे एक भाभी और तुम्हारे भैया को एक बीवी मिल जाएगी.

आशना की बात सुनते ही रागिनी के होंठों पर एक स्माइल आ गयी और दोनो खिलखिलाकर हंस पड़ी. 


बेहोशी के इंजेक्षन के कारण बिहारी को सुबह काफ़ी देर तक होश नहीं आया. मेंटली डिस्टर्ब्ड तो वो पहले से ही था उसपर बेहोशी के दो दो इंजेक्षन्स ने उसे अगले दिन भी जकड रखा था. वीरेंदर घर से निकल चुका था. 

आशना: रागिनी, बिहारी को तुम जगाओगी या मैं जगा दूं?


रागिनी: अगर मैं जगाने गयी तो शायद वो फिर कभी उठ ही ना पाए. अच्छा होगा कि अगर आप ही उसे जगा दें. 

आशना, बिहारी के कमरे मे गयी तो वो हैरान रह गयी. बिहारी अपने बिस्तर पर नहीं था. आशना का दिल ज़ोरों से धड़कने लगा. आशना ने झट से मोबाइल जेब से निकाला और वीरेंदर का नंबर. डाइयल किया ही था कि उसकी नज़र अपने सामने लगे मिरर पर पड़ी. 

अपने पीछे पड़े सोफे की बगल मे बिहारी को छुपे हुए देख कर आशना एक दम घबरा गयी. आशना ने झट से पीछे मुड़कर बिहारी को देखा. जैसे ही दोनो की नज़रें मिली, बिहारी का जिस्म काँपने लगा. ज़ुबान थरथराने लगी. 

बिहारी: म.....मा.......मत मार...मारो मुझे. म.....मैने कुछ नहीं किया. 

आशना ने बिहारी की तरफ कदम आगे बढ़ाया तो बिहारी की आँखों मे खोफ़ उतर आया. वो एक दम चिल्लाने लगा. 

बिहारी: त.....तुम ज़िंदा नहीं हो सकती. त..तू....तुम्हे मैने अपने हाथों से मारा था. त....तू.....तुम रागिनी नहीं हो. 

आशना: काका होश मे आओ, मैं आशना हूँ रागिनी नहीं. 

बिहारी: न...नहीं तुम रागिनी हो, तुम रूप बदल कर आई हो. तुम रागिनी का भूत हो. तुम जानती हो कि मैं आशना को कभी कोई नुकसान नहीं पहुन्चाउन्गा इसी लिए तुम आशना के रूप मे आई हो. 

आशना: काका, क्या हो गया है आपको. 

बिहारी: चुप का साली, तुझे क्या लगा मैं तुझे पहचान नहीं पाउन्गा, देख अपने चेहरे की तरफ. आशना के कपड़े पहन लेने से क्या तू आशना बन जाएगी. 

आशना ने मुड़कर अपने चेहरे की तरफ देखा और फिर दोबारा बिहारी की तरफ देखा. 

आशना: काका, मैं आशना ही हूँ. 

बिहारी: द.....दे.....देख तेरा चहरा बदल रहा है. तू...तू बीना बन गयी, देख आईने मे तेरा चहरा कैसे बदल रहा है. 

आशना ने एक बार फिर से आईने में अपने आप को देखा लेकिन उसे अपने चेहरे में कुछ भी फरक नज़र नहीं आया. 

बिहारी बुरी तरह से मेंटली डिस्टर्ब्ड हो चुका था. 

आशना: काका, मैं आपकेलिए नाश्ता लाती हूँ, आप फ्रेश हो जाइए. 

यह कहकर आशना उसके रूम से बाहर आ गयी. अपने रूम में जाकर उसके रागिनी को सारी बात बताई और फिर वीरेंदर को भी फोन पर सारी बात बता दी. उनका प्लान बहुत जल्द असर दिखा रहा था. जिस मकसद से उन्होने बिहारी के खिलाफ चाल चली थी वो कामयाब होती नज़र आ रही थी. वीरेंदर ने उन्हे समझा दिया कि अब आगे क्या करना है. 

रागिनी को यही बताया गया था कि बिहारी को पागल बनाकर वो उसे उसके चंगुल से आसानी से छुड़ा सकते हैं क्यूंकी एक बार कोर्ट ने बिहारी को पागल करार दे दिया तो उसे बिहारी से आसानी से तलाक़ मिल जाएगा और फिर वो मोहित के साथ मिलकर नयी ज़िंदगी शुरू कर सकती है. वैसे भी बिहारी के पापों का घड़ा भर चुका था, अब उसका अंत करने मे ही भलाई थी. पाप का अंत भी हो जाए और किसी को नुकसान भी ना हो ऐसा प्लान करना बहुत ज़रूरी था और अब तक का उनका प्लान सफल होता हुआ नज़र आ रहा था. 
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02-02-2019, 01:21 AM,
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प्लान के मुताबिक रागिनी और आशना ने ड्रेस एक्सचेंज की और रागिनी नाश्ते की ट्रे लेकर बिहारी के कमरे मे चली गयी.
जब रागिनी बिहारी के कमरे मे आई उस वक्त बिहारी वॉशरूम मे था. उसमे इतनी भी ताक़त नहीं बची थी कि वो अपने पैरों पर खड़ा होकर वॉशरूम तक जा सके. दीवार का सहारा लेकर वो वहाँ तक पहुँचा और अपने नित्यकर्मो को निपटाकर वो बाहर निकला. 

रह रह कर उसकी आँखों के आगे अंधेरा छा रहा था. छोटी सी आहट पर ही उसका दिल दहल जाता. बाहर आकर उसकी नज़र रागिनी पर पड़ी जो आशना के कपड़े पहन कर उसकी तरफ पीठ करके बैठी थी. बिहारी ने यही समझा कि उसके सामने आशना बैठी है.

इतनी बुरी हालत होने पर भी बिहारी की नज़र जब आशना(रागिनी) की पीठ पर पड़ी तो उसे आशना समझ कर बिहारी मन मैं सोचने लगा: लगता है इसको नंगा देखने से पहले ही मेरे दिमाग़ की नसें फट जाएँगी. साली की क्या भारी गान्ड है, एक बार मिल जाए तो मरना भी मंज़ूर है. अपने ही ख़यालों मे खोया हुआ बिहारी जब आगे बढ़ा तो वो लड़खड़ा गया. 

रागिनी ने झट से उठकर बिहारी को संभाला और बोली: काका, आराम से. अभी बहुत वीकनेस है आपको, आप कुछ खाकर दवाई खा लीजिए और रेस्ट कीजिए. 

बिहारी की नज़र जब उसके चेहरे पर पड़ी तो वो कांप गया. लेकिन इस बार बिहारी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. 

बिहारी( मन में): अब तो साला हर तरफ रागिनी का ही चेहरा दिखाई दे रहा है. 

बिहारी को बिस्तर पर बिठाकर रागिनी ने उसे खाना परोस दिया. 

बिहारी: मुझे लगता है कि मैं पागल हो जाउन्गा. इस वक्त भी तुम्हारे चेहरे मे मुझे रागिनी का चेहरा ही नज़र आ रहा है.

रागिनी: काका, आप अपने दिमाग़ पर ज़्यादा ज़ोर ना डाले, वो तो यहाँ से चली गयी है, भला वो कैसे आ सकती है वापिस. 

बिहारी(मन में): हां वो तो सच-मच बहुत दूर चली गयी है. अब तो उसका वापस लौटना नामुमकिन है. 

रागिनी: क्या सोच रहे हैं काका? 

बिहारी चौंककर अपने ख़यालों से बाहर आया. 

बिहारी: क....कू...कुछ नहीं, बस सोच रहा हूँ कि यह मेरे साथ क्या हो रहा है. 

रागिनी: काका, आपके साथ ही नहीं मेरे साथ भी बहुत कुछ हो रहा है. मुझे तो डॉक्टर. बीना की आत्मा प्रत्यक्ष रूप में कहीं भी कभी भी दिख जाती है. मैं आपकी हालत समझ सकती हूँ. 

बिहारी: क्या सच में भूत होते हैं?

रागिनी: यकीन तो मुझे भी नहीं था लेकिन अब तो लगता है कि भूत होते ही हैं. 

बात पूरी करते ही रागिनी ने चुपके से अपनी कमर में बँधी बेल्ट के साथ लगे बटन को दबा दिया. 

बिहारी: बीना का तो ठीक है लेकिन रागिनी का चेहरा मुझे क्यूँ दिखाई दे रहा है? क्या वो भी बीना की तरह किसी हादसे का शिकार हो गयी है? 

तभी रागिनी की आवाज़ ने डरावना रूप इख्तियार कर लिया. 

रागिनी: हां, मेरे साथ भी हादसा हुआ है और मुझे मारने वाला तू है बिहारी तू. मैं तुझे ज़िंदा नहीं छोड़ूँगी. 

बिहारी ने जैसे ही सामने की तरफ देखा, उसकी आँखों मे ख़ौफ़ उतर आया. उसकी साँस फूल गयी. खाने का निबाला उसके गले में ही अटक गया. वो चीखना चाहता था मगर उसकी आवाज़ बंद हो चुकी थी. रागिनी ने एक ज़ोरदार ठहाका लगाया. बिहारी बौखला गया और उसके गले से एक दर्दनाक चीख निकल कर सारे शर्मा निवास में गूँज गयी. 

बिहारी को बेहोशी की अवस्था में वहीं छोड़कर रागिनी, आशना के रूम मे आ गई. रागिनी ने आशना को इशारा किया कि काम हो गया है. दोनो ने झट से ड्रेस चेंज की और आशना दौड़कर बिहारी के कमरे में चली आई. बिहारी अभी भी बेसूध सा वहीं पड़ा था. आशना ने डॉक्टर. को फोन लगाकर जल्द से जल्द आने के लिए कहा. 

डॉक्टर. के आने पर आशना ने बताया कि वॉशरूम से बाहर आकर जैसे ही उसने बिहारी को खाना परोसा वो एकदम से चीख कर बेहोश हो गया. डॉक्टर. ने हॉस्पिटल से आंब्युलेन्स को बुलाकर बिहारी को हॉस्पिटल शिफ्ट कर दिया. सीनियर नूरॉलजिस्ट से कन्सल्ट करके उन्होने उसके कुछ टेस्ट करवाए. इस दौरान वीरेंदर का कोई पता ना था. 

दोपहर देर बाद तक सारे टेस्ट्स आ चुके थे. टेस्ट्स से सॉफ पता चल रहा था कि पेशेंट काफ़ी मेंटल स्ट्रेस में है और उसके दिमाग़ पर बहुत ही बड़ा आघात पहुँचा है. डॉक्टर. ने बिहारी को 35% पागल घोषित करके उसे हॉस्पिटल मे अड्मिट कर लिया. इस दौरान बिहारी जब भी होश में आता, आशना के मुस्कुराते हुए चेहरे को सामने पाकर वो खोफ़ज़दा होकर फिर से बेहोश हो जाता. 

हॉस्पिटल का स्टाफ उसकी इस हालत से काफ़ी हैरान-परेशान था. आशना को देख कर बिहारी के दिल की धड़कन एक दम बढ़ जाती और वो फिर से बेहोश हो जाता. बेहोशी की हालत में भी बिहारी का शरीर काँप जाता. शाम तक बिहारी की हालत और भी बिगड़ चुकी थी. होश में आते ही वो चीखना शुरू कर देता और हॉस्पिटल से भागने की कोशिश करता. डॉक्टर. ने उसे काबू करके शॉक ट्रीटमेंट शुरू कर दिया. 

शाम को रागिनी भी आशना के साथ हॉस्पिटल में आ चुकी थी. वो बिहारी की इस हालत से बहुत खुश थी. बिहारी को इस हालत में देख कर उसके खुशी के आँसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे. उसका बदला पूरा हो चुका था. जितना दर्द बिहारी ने उसके साथ विश्वास घात करके दिया था, उतना ही वो उसे तड़प्ता देख कर अपने दिल को तसल्ली दे रही थी. 

बिहारी अभी भी बेहोश था. इस दौरान, आशना वीरेंदर को फोन पर पल पल की जानकारी दे रही थी. 

वीरेंदर और उसका डीटेक्टिव दोस्त बिहारी के खिलाफ सारे सबूत जुटा चुके थे और उस वक्त पोलीस स्टेशन में थे. थाना एसएचओ के सामने वो सारे सबूत खोल चुके थे. वीरेंदर ने इस सारे मामले से अपने आप को दूर करते हुए बीना के कातिल को पकड़ने का सारा श्रेय अपने डीटेक्टिव दोस्त को दिया. बिहारी के गुनाहो को अपने कानो से सुनकर और बीना की कार के ब्रेक फैल करने में इस्तेमाल किए गये औज़ारों को अपने अधीन लेकर थाना प्रभारी ने बिहारी को तुरंत हिरासत में लेने के लिए अपनी एक टीम हॉस्पिटल रवाना कर दी. 
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02-02-2019, 01:21 AM,
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जैसे ही पोलीस टीम हॉस्पिटल के लिए रवाना हुई, वीरेंदर ने कॉल करके आशना और रागिनी को घर आने के लिए कह दिया. आशना जानती थी कि उनका प्लान सुसेस्सफुल हो चुका है और बिहारी हमेशा के लिए उनकी ज़िंदगी से निकल चुका है. 

घर पहुँचने पर मोहित को घर में देख कर रागिनी बिना कुछ बोले शरमा कर अपने कमरे में चली गयी. वीरेंदर ने मोहित की पीठ थपथपाई और उसे उसके पीछे जाने का इशारा किया. मोहित वीरेंदर के इशारे से शरमा गया और सर झुकाकर वो रागिनी के रूम की तरफ चल दिया. वीरेंदर और आशना की नज़रें मिली तो वीरेंदर ने आशना के लिए अपनी बाहें फैला दी. 

मोहित के रागिनी के कमरे मे घुसते ही आशना दौड़ कर वीरेंदर से लिपट गयी. 

आशना: आइ लव यू वीर. हमारा प्लान सक्सेक्सफूल रहा. बिहारी अब अपने गंदे दिमाग़ का इस्तेमाल कभी नहीं कर पाएगा. उसके दिमाग़ में कभी हमारे लिए गंदगी नहीं आएगी. 

वीरेंदर आशना को बाहों में लिए मुस्कुरा रहा था.
आशना: अब आगे क्या होगा? अभी तो कोर्ट में केस भी चलेगा और रागिनी के डाइवोर्स का क्या होगा?

वीरेंदर: आगे की खबर हम कल अख़बार में पढ़ लेंगे और उसके बाद जो करना है हम मिलकर कर लेंगे लेकिन इस वक्त सबसे ज़रूरी जो बात है वो यह कि हमे अपना हनीमून कंटिन्यू कर लेना चाहिए. ऐसा ना हो कि मैं तुम्हारे प्यार के लिए तड़प तड़प कर ही पागल हो जाऊ. दो दिन से प्यासा हूँ मैं और जानता हूँ कि मेरे लिए तुम्हारी प्यास भी तुम्हे बेकरार कर रही होगी. 

आशना ने शरारत भरी नज़रों से उसकी तरफ देखा और बोली: मोहित यहाँ क्या कर रहा है? आपने उसे रागिनी के कमरे मे क्यूँ भेजा?'

वीरेंदर: अरे यार वो दोनो भी तो जवान हैं और आख़िर हमारे साथ साथ उनकी भी तो शादी होने वाली है. हमारी तरह दोनो ही इस स्वाद को चख चुके हैं. बेशक दोनो ही रिश्तों मे धोखा खा चुके हैं लेकिन जिस्म की बेकरारी को कब तक दबा रखेंगे तो मैने सोचा कि क्यूँ ना शादी तक उनके भी हनिमून का अरेंज्मेंट हो जाए. इसी बहाने दोनो की वीरान पड़ी ज़िंदगी में खुशियों के दो पल आ जाएँगे. 

आशना ने मुस्कुरा कर वीरेंदर की बात का समर्थन किया और उसकी बाहों में झूल गयी. आशना को अपनी मज़बूत बाहों में उठाकर वीरेंदर उपर की तरफ चल दिया. वीरेंदर अपने कमरे को क्रॉस करता हुआ आगे निकल गया और आशना के कमरे के पास पहुँचा.

आशना: अपने कमरे में ले चलिए ना वीर. 

आशना की आवाज़ में जो तड़प और जो आग्रह था उस से वीरेंदर को अहसास हुआ कि शायद आज की रात उसे फिर से अपनी हिडन फंतासी पूरी करने का मोका मिलने वाला है. बीती रात भी उसने इस रोमांच को महसूस किया लेकिन कल दोनो के दिल-ओ-दिमाग़ पर एक बोझ था और आज दोनो ही निसचिंत थे और आज की सारी रात उनके पास थी जबकि कल रात उनके पास अपने दिल के सारे अरमान निकालने का वक्त ही नहीं था. 

वीरेंदर: तुम कहती हो तो वहीं चलते है लेकिन एक बात पहले ही क्लियर कर दो. 

आशना ने सवालिया नज़रों से वीरेंदर की तरफ देखा. 

वीरेंदर: क्या तुम्हे आज भूख नहीं है? 

आशना(मुस्कुराते हुए,हैरानी से): क्यूँ? 

वीरेंदर: क्यूंकी मूड बना कर तुम हमेशा उसपर खाना डाल देती हो यार. 

आशना ने शर्मा कर आँखें बंद कर ली और धीरे से बोली: सोच रही हूँ कि आज की रात चेक कर ही लूँ कि खाली पेट मुर्गा सच मे ज़्यादा देर तक लड़ सकता है क्या. 

यह कह कर आशना ने वीरेंदर के सीने मे अपना चेहरा छुपा दिया.

आशना के मुँह से यह बात सुनकर वीरेंदर की रगों मे खून का प्रवाह एकदम तेज़ हो गया. 

रूम मे एंटर करते ही वीरेंदर ने दरवाज़े को धकेल कर खटाक़ से बंद कर दिया. आशना को गोद मे उठाए हुए ही लाइट्स ऑन करके वो उसे बिस्तर के पास ले गया और धडाम से आशना को बिस्तर पर पटक दिया.

आशना: आह, आज तो बहुत ख़तरनाक इरादे लगते हैं जनाब के? 

वीरेंदर: इरादे तो बिल्कुल नेक नहीं है आज मेरे. 

आशना: अच्छा जी, तो क्या करने का इरादा है? 

वीरेंदर: सोच रहा हूँ आज की रात अपनी और अपनी गुड़िया की हसरतें एक बार फिर से जवान कर दूं. 

वीरेंदर के मुँह से "गुड़िया" शब्द सुनते ही आशना के जिस्म में करेंट दौड़ गया. 

आशना: आह भैया, आज अपनी गुड़िया को बता दो एक आप उस से कितना प्यार करते हो और उसे इतना दर्द भरा मज़ा दो कि ज़िंदगी भर वो इस मज़े की लज़्ज़त पाने के लिए आपके साथ हर रात आपके बिस्तर पर आपका खिलोना बनने को तरसे.

वीरेंदर ने ड्रेस से कुछ सिल्की रिब्बन्स को निकला कर आशना की तरफ लहरा दिया. आशना के चेहरे पर शरम के भाव आने लगे और नज़रें झुक गयी. बिस्तर पर आकर वीरेंदर, आशना पर टूट पड़ा. 

वीरेंदर: तुम दिन भर दिन कयामत बनती जा रही हो गुड़िया. तुम्हारे हुस्न ने मुझे घायल तो कर ही दिया और अब लगता है मैं तुम्हारे लिए पागल भी हो जाउन्गा. जी चाहता है कि तुम्हारे जिस्म के हर हिस्से से खेलूँ और हर कामुक अंग को नोच डालूं अपने प्यार से. 

आशना, वीरेंदर पर सवार होती हेवानियत से मचल उठी थी. दिल के किसी कोने में उसने भी इस पल के लिए सपने संजो रखे थे. 
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02-02-2019, 01:21 AM,
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अपने आप को ढीला छोड़ते हुए उसने वीरेंदर के कान में कहा: आप को मुझ मे सबसे अच्छा क्या लगता है भैया?

वीरेंदर: तुम्हारे जिस्म का तो एक एक इंच भोगने लायक है गुड़िया.तुम्हारे रस भरे होंठ, सुरहिदार गर्दन, मांसल कंधे, यह रेशमी बाहें मुझे हमेशा अपनी ओर आकर्षित करती है. 

आशना: और भैया?

वीरेंदर: और भी बहुत कुछ है तुम में मुझे पागल करने लायक गुड़िया. मैं तुम्हारे हर एक अंग को जी भर के निहार कर ही उसपर अपने विचार दे पाउन्गा. 

वीरेंदर के दिल की बात समझते ही आशना के बदन में झुरजुरी दौड़ गयी.समर्पित भाव दर्शाते हुए उसने अपनी बाहें अपने सर के उपर सीधी कर ली और वीरेंदर ने उसकी टी-शर्ट के निचले सिरे को पकड़ते हुए उसे उपर उठाना शुरू कर दिया. आशना की नगन नाभि पर एक हल्की सी किस करके वीरेंदर ने अपनी जीभ उसमें घुसा दी. आशना तड़प उठी. आशना के सपाट पेट पर तरंगे उठने लगी. 

आशना: आह भीयया, बोलिए ना और क्या क्या पसंद है आपको मुझ में.

वीरेंदर ने बिना कुछ बोले आशना की टी-शर्ट को उपर उठाना शुरू किया और आशना ने अपनी कमर को कमान की तरह मोड़ते हुए उसे सहयोग दिया. वीरेंदर ने टी-शर्ट को आशना की ब्रा तक उठा कर उसे छोड़ दिया और आशना के सख़्त हो चुके बड़े बड़े उभारों पर अपनी नज़रें गढ़ा दी. 

वीरेंदर: और तुम्हारी यह गहरी नाभि जिसमे डूब जाने को दिल करता है, तुम्हारे यह खूबसूरत बड़े बड़े अमृत के कलश. इन्हे देख कर ही पता चलता है कि इनमे मेरे लिए अपार रस भरा है और हरदम मैं इस अमृत को पीने के लिए लालायित रहता हूँ. 

आशना: आह, आ जाओ भैया, यह आपके लिए ही छलक रहे हैं. 

वीरेंदर ने एक ही झटके मे टी-शर्ट उपर करके आशना के बदन से निकाल दी. आशना का उपरी हिस्सा केवल एक ब्रा की मेहरबानी पर टिका था. आशना का दूधिया रंग कमरे मे फैली हुई सफेद रोशनी मे चमक रहा था. उसके उरोजो पर हल्की पिंक कलर की ब्रा उसके स्किन कलर से बखूबी मेल खा रही थी और उसके उपरी हिस्से को पूर्ण नग्नता का स्वरूप दे रही थी. आशना के निपल्स ब्रा के उपर से ही महसूस किए जा सकते थे. 

हल्के महीन कपड़े की ब्रा उसके निपल्स को नुमाया कर रही थी. वीरेंदर ने दोनो निपल्स को बारी बारी अपने होंठों में लेकर चुभलाया तो आशना तड़प उठी. अपने भाई के आलिंगन में आने को वो व्याकुल हो उठी. वीरेंदर को अपने उपर खींच कर वो अपने नाज़ुक लेकिन अद्वितीय जिस्म को वीरेंदर के कठोर बदन से रगड़ने लगी. वीरेंदर ने आशण की जीन्स की हुक खोल कर उसकी ज़िप नीचे सरका दी और आशना की टाँगों के बीच जगह बनाते हुए उसे आशना के बदन से उतरने लगा. जीन्स नीचे सरकते ही उसे आशना की जी-स्ट्रिंग के दर्शन हुए जो बखूबी आशना की स्वर्गिक गहराई को छुपा रही थी. 

कमर की कमर के आस पास बँधी डोरियाँ वीरेंदर को उन्हे आज़ाद करने के लिए प्रेरित कर रही थी. वीरेंदर ने उसकी जाँघो को चूमकर अपने होंठ जी-स्ट्रिंग के उपर ही उसकी योनि पर रखे तो आशना की योनि से सुगंधित द्रव रिसने लगा. आशना की मांसल जाँघो से जीन्स को हटाकर वो उसे घुटनो से नीचे सरकाता हुआ उसके पैरों तक ले गया और एक एक करके उसके पैरों से हटाकर जीन्स को डोर उछाल दिया. 

शरम के मारे आशना का सारा बदन गुलाबी हो चला था. आशना के होंठ बंद थे लेकिन लज़्ज़त से बंद उसकी आँखें और नूरानी चेहरा उसके दिल मे मचे तूफान को बयान कर रहे थे. 

वीरेंदर: और तुम्हारी यह कैले के तने जैसी जांघे पहले से और भी ज़्यादा खोब्सूरत और मांसल हो गयी है. यह इतनी चिकनी है कि मेरी नज़र इनसे हमेशा फिसल कर इनके जोड़ की तरफ टिक जाती है. 

वीरेंदर का इशारा भाँपकर आशना ने अपनी जाँघो को और मज़बूती से कस लिया. 

वीरेंदर: इन जाँघो के बीच विराजमान मेरी गुड़िया का जो अद्वितीय अंग है वो मुझे स्वर्ग की अनुभूति करवाता है और मेरा लिंग हमेशा उसमे समा जाने को तत्पर रहता है. 

आशना के पैरों को अपने हाथ में लेकर और उन्हे चूम कर वीरेंदर कहता है: तुम्हारा हर अंग मुझे अपनी ओर आकर्षित करता है गुड़िया. तुम्हारा हर अंग चीख चीख कर मुझे पुकारता है और कहता है "आओ और हमे भोगो". 

आशना: आह भैया, आओ और अपनी गुड़िया के हर अंग को भोग लो. इसके हर अंग का रस निचोड़ दो. इस जिस्म पर सिर्फ़ आपका हक है, आप जब चाहे और जैसे चाहे इसे भोगिए जिस से मेरे जिस्म की प्यास भुजे. 
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02-02-2019, 01:21 AM,
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वीरेंदर ने साइड पर पड़े रिब्बन्स उठाए और आशना के दोनो हाथ उसके सर के उपर करके एक साथ बाँध दिए. आशना के पैरों को पकड़ कर उसने दोनो को अलग अलग दिशा में बाँध दिया. आशना का दिल ज़ोरो से धड़क रहा था और वीरेंदर उसे सॉफ सुन सकता था. वीरेंदर ने अपने कपड़ों को उतारा और सिर्फ़ अंडरवेर में रह गया. आशना महसूस कर सकती थी वीरेंदर की हरकत को. उसकी योनि से अमृत छलकना जारी था जिस से जी-स्ट्रिंग का छोटा सा कपड़ा पूरा भीग चुका था. 

उस भीगे हुए कपड़े से आशना की योनि की आकृति सॉफ नज़र आ रही थी. आशना के बदन से मादकता झलक रही थी. वीरेंदर आशना के हुष्ण को देखकर अपने आप पर काबू पाने की असफल कोशिश कर रहा था. आशना का संगमरमरी बदन उसे अपनी ओर आकर्षित कर रहा था. उसका दिल चाह रहा था कि वो आशना पर झपट पड़े लेकिन वो अपने आप पर अभी तक सयम रखे हुए था. आशना उसके सामने बेबस बँधी पड़ी थी और सबसे बड़ी बात वो समर्पित भाव मे थी. 

वीरेंदर की इच्छा आशना के साथ वाइल्ड सेक्स करने की थी लेकिन वो आशना को इसका आभास नहीं होने देना चाहता था वहीं आशना के दिल की धड़कन बढ़ चुकी थी. उसे लग रहा था कि वीरेंदर कभी भी उसके जिस्म पर झपट सकता है. दोनो अपने ही विचारों के द्विंदयुद्ध मे खोए हुए थे. किसी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं हो रही थी. 

वीरेंदर का लिंग आशना के साथ होने वाले वाइल्ड सेक्स को सोचकर अपने विकराल रूप मे आ चुका था और अंडरवेर के एलास्टिक को स्ट्रेच करके उपर की तरफ से बाहर निकला हुआ था. उसके लिंग मैं रह रह कर झटके लग रहे थे. वीरेंदर ने आगे झुक कर अपने बदन को आशना के कोमल जिस्म पर रखा तो दोनो सिहर उठे. नग्न जिस्म एक दूसरे से टकराए तो दिल मैं उमंगे-तरंगे बढ़ने लगी. 

वीरेंदर ने आशना के कान के निचले हिस्से को अपने मुँह मे लेकर उसे चूसना शुरू किया तो आशना सीत्कार उठी. यह सीत्कार दर्द से कहीं ज़्यादा लज़्ज़त की थी. वीरेंदर के हाथ आशना के जिस्म के हर हिस्से पर रैंग रहे थे. आशना के गले से रह रह कर मद भरी सिसकियाँ निकल रही थी. 

वीरेंदर ने आशना के कान में कहा: "गुड़िया देदे ना". 

आशना ने जब यह सुना तो उसे होश आया कि उसे तो वीरेंदर की हरकतों का विरोध करना है. जिस भावना को दिल में लिए वो बिस्तर तक आई थी, वीरेंदर के टच ने उस भावना को धूमिल करके उसे समर्पण भाव मे ला खड़ा किया था. अपनी अवस्था का ज्ञान होते ही उसने वीरेंदर के बदन को झटका दिया. वीरेंदर आशना मे आए इस बदलाव से हैरान रह गया. 

ठीक उसी वक्त वीरेंदर को भी अहसास हुआ कि आशना के मदमाते जिस्म को देख कर वो भी अपने दिल की हसरत भूल कर उसे पाने की चाहत मे डूब चुका था. अब दोनो ही अपने अपने जज़्बातों को दबाए एक दूसरे की हरकतों का विरोध करने के लिए तैयार थे. हालाँकि उनके जिस्म इसके खिलाफ थे मगर दिल अपनी हसरतों को पूरा करने के लिए मचल उठा था.


वीरेंदर ने एक बार फिर से आशना के कान मे कहा "दे दे ना". आशना ने अपने जज़्बातों पर काबू पाते हुए कहा "इतनी आसानी से मैं तुम्हारे हाथ नहीं आने वाली वीर, बहुत यतन करने पड़ेंगे मुझे हासिल करने के लिए" 

वीरेंदर: मेरे सामने बेबस बँधी पड़ी हो फिर भी मेरी हरकतों का विरोध कर रही हो. 

आशना- तुम्हारी आँखों मे जो अपने लिए भावना देख रही हूँ यह सब उसी का नतीजा है. छोड़ दो मुझे और अपने नापाक इरादों को अपने दिल मे ही रहने दो. 

वीरेंदर: इरादे तो आज पूरे करके रहूँगा, इसके लिए चाहे मुझे ज़बरदस्ती ही क्यूँ ना करनी पड़े. 

आशना(मासूमियत से): क्या आप अपनी गुड़िया के रेप करेंगे?

आशना ने जिस मासूमियत से वीरेंदर से यह सवाल किया उस से वीरेंदर के जोश मे इज़ाफ़ा हुआ और बोला: रेप ही क्यूँ ना करना पड़े लेकिन आज तुम्हारे इस स्वर्गिक बदन को भोगे बिना नहीं छोड़ूँगा. 

आशना: इतना आसान नहीं है मिस्टर. वीर. यह जो भी आप सोच रहे हो, कहने और करने मे बहुत फरक है. 

आज आशना, वीरेंदर को हद से ज़्यादा उत्तेजित करने के मोड़ मे थी. वीरेंदर पर आशना के इस वोरोध का असर सॉफ देखा जा सकता था. वीरेंदर ने आशना की पीठ पर हाथ ले जाकर उसकी ब्रा के हुक्स खोल दिए. ब्रा को आशना के बदन से आज़ाद करके वीरेंदर ने उसके उभारों पर होंठ रख दिए. आशना सिहर उठी लेकिन उसके विरोध करने की शक्ति ख़तम ना हुई. 

इस खेल मे उसे भी काफ़ी मज़ा आ रहा था.आशना ने बलपूर्वक अपने वक्षों से वीरेंदर के होंठ हटा दिए. हालाँकि आशना के हाथ पैर बँधे थे मगर फिर भी उसका विरोध देखने लायक था. वीरेंदर ने जलती हुई आँखों से उसे देखा. उसकी आँखों मे आक्रोश भरा था जैसे उस से उसका बेहतरीन खिलोना छीन लिया गया हो. आशना वीरेंदर की आँखों मे उठे जवालामुखी को देख कर सिहर उठी थी. उसे मालूम था वीरेंदर को वो जितना तडपाएगी वो उसे उतना ही बेदर्दी से भोगने वाला है. 

आज आशना ने सभी हदों को पार कर लेने की ठान ली थी. 
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02-02-2019, 01:21 AM,
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आशना: एक अबला नारी को बाँध कर क्या ज़ोर-आज़माइश कर रहे हो. इतना ही गरूर है अपनी मर्दानगी पर तो ज़रा बंधन हाथ खोल कर दिखाओ. 

वीरेंदर ने भी ताव मे आकर उसके हाथ खोल दिए. आशना ने झट से अपने हाथों से अपने उभार ढक लिए. वीरेंदर ने अपने हाथों से आशना की कलाइयाँ पकड़ कर उन्हे दूर करना चाहा मगर नाकाम रहा. वीरेंदर ने एक बार फिर से प्रयास किया और इस बार वो सफल रहा. आशना के विरोध को देख कर वो और भी ख़ूँख़ार हो उठा था. उसका लिंग अंडरवेर से बाहर झाँक रहा था. अपने लिंग को आशना की योनि के पास रख कर वीरेंदर ने रगड़ना शुरू कर दिया और अपने होंठ आशना के निपल्स पर रख दिए. 

इस दोहरी कूटनीती से आशना की विरोध करने की शक्ति ढीली पड़ने लगी. कुछ देर बार वीरेंदर ने देखा कि आशना ने बल का प्रयोग करना छोड़ दिया है तो उसने भी आशना की कलाईयों को छोड़ दिया और अपने हाथ उसके उभार पर रख दिए. वीरेंदर द्वारा छूट ते ही आशना ने अपने हाथों से वीरेंदर को दूर झटक दिया. अचानक हुए इस हमले से वीरेंदर बौखला गया और उसने फिर से आशना पर झपट्टा मारा. 

आशना ने झट से करवट लेकर उठना चाहा लेकिन उसके पैर बँधे होने के कारण वो बिस्तर से उतर ना सकी. वीरेंदर, आशना की असहायता को देख कर मुस्कुरा उठा. 

आशना: मुस्कुरा तो ऐसे रहे हो जैसे कुछ जीत लिया हो. अगर पैर बँधे ना होते तो इस वक्त मैं मुस्कुरा रही होती और आप मेरी तरह मायूस बैठे होते. 

वीरेंदर ने बिना कुछ बोले उसके पैर भी खोल दिए और फिर धीरे से बोला: अब मुस्कुरा लो जितना मुस्कुराना है, उसके बाद इतना तडपाउंगा कि हमेशा हमेशा के लिए इन दीवारों से तुम्हारे चीखने की आवाज़ें आती रहेंगी.

वीरेंदर की बात सुनकर आशना का दिल धड़क उठा. उसने मन मे सोचा कि वीरेंदर को उकसा कर कहीं वो अपने लिए मुसीबत तो खड़ी नहीं कर रही लेकिन तभी उसके दिल मे अपनी चाहत को लेकर इच्छा प्रबल होने लगी. 

आशना अब आज़ाद थी. वीरेंदर ने अपने लिंग को अपने अंडरवेर के अंदर अड्जस्ट किया तो आशना के चेहरे की लाली एक दम बढ़ गयी. 

वीरेंदर: अब इस अंडरवेर को तुम खुद उतारोगी. अब तुम खुद मुझे अपना रेप करने पर मजबूर करोगी. तुम मेरे आगे गिडगिडाओगी, मिन्नतें करोगी कि मैं अपने लिंग को तुम्हारे अंदर समा दूं. 

आशना:जा जा और यह कह कर आशना बिस्तर से उतर कर भाग खड़ी हुई. 

वीरेंदर जानता था कि इस हालत मे वो कमरे से बाहर नहीं जा सकती. आशना जब दरवाज़े के पास पहुँची तो उसे अपनी नग्नता का अहसास हुआ. 

उसने झट से पीछे मुड़कर वीरेंदर की तरफ देखा. वीरेंदर तो मन्तर्मुग्ध होकर उसके नितंबों की तरफ देख रहा था. 

आशना(मन मे): जानती हूँ वीर कि आप के दिल में इस वक्त क्या चल रहा है. लेकिन आप ही की ज़िद है कि यह गिफ्ट आप सुहागरात पर ही लेंगे वरना मैं तो कब से अपना बदन आपको समर्पित कर चुकी हूँ.

वीरेंदर की नशीली नज़रों को अपने नितंबों पर महसूस करते ही आशना ने झट से अपने हाथ अपने चेहरे पर रख दिए. वीरेंदर ने आशना की तरफ बढ़ना शुरू कर दिया. वीरेंदर के कदमो की आहट अपने करीब महसूस करते ही आशना के दिल की धड़कन बढ़ने लगी और उसका बदन काँपने लगा. उसमे विरोध करने की ताक़त नहीं बची थी. वो वीरेंदर की मज़बूत बाहों मे खुद को समर्पित करने को आतुर हो चुकी थी. 

वीरेंदर उसके करीब पहुँचकर उसके चेहरे की तरफ देखने लगा. आशना ने अपनी आँखों से उंगलियाँ हटाकर वीरेंदर की तरफ देखा तो उसकी हरकत पर वो शरम से दोहरी हो गयी. 

हिम्मत जुटाकर उसने वीरेंदर से पूछा: क्या देख रहे हो वीर?

वीरेंदर ने पहले उसकी आँखों मे देखा और फिर उसके वक्षों की तरफ देख कर झट से अपने दोनो हाथ आगे बढ़ा कर उसकी कमर के इर्द-गिर्द बँधी जी-स्ट्रिंग की डोरियों की खींच लिया और बोला: , अभी तो देखना बाकी है. 

वीरेंदर की इस अचानक हरकत से आशना कुछ पल के लिए सकपका गयी लेकिन जैसे ही उसे अहसास हुआ कि वीरेंदर ने क्या कर दिया है, वो कोई प्रतिक्रिया करती उस से पहले ही वीरेंदर ने झटके से पैंटी अपनी तरफ खींच ली और उसे अपने अंडरवेर मे घुसा लिया. आशना शरम के मारे दोहरी हो गयी. आशना कोई भी हरकत करने के काबिल ना थी. वो शरम से दोहरी हुए जा रही थी. वीरेंदर के चेहरे पर कुटिल और विजयी मुस्कान थी. 

आशना ना अपनी टाँगों को भींच रखा था और अपने स्तनो को अपनी बाज़ुओं से ढका हुआ था. इसके बावजूद भी वीरेंदर के सामने पूर्ण रूप से नग्न खड़ी होने पर उसे काफ़ी शरम आ रही थी. आशना ने हाथ की उंगलियाँ हटा कर वीरेंदर की तरफ देखा. वीरेंदर सर से पाँव तक अपने सामने खड़ी अप्सरा के यौवन को निहार रहा था. आशना के संगमरमरी बदन को देख कर वो अलग ही दुनिया मे पहुँच चुका था. 

आशना ने झट से अपने हाथों को चेहरे से हटाकर अपने उभारों पर रख लिया और उनकी झलक से वीरेंदर को वंचित कर दिया. वीरेंदर पर इस हरकत का कोई असर ना हुआ. वो तो आशना के रूप मे इस कदर खो गया था कि उसे आशना की हरकत का पता ही ना चला. आशना के लिए यह अच्छा मोका था मगर उसका दिमाग़ काम करना बंद कर चुका था. 

आशना ने अपने आस पास नज़र घूमाकर देखा तो उसके चेहरे पर मुस्कान आ गयी. आशना ने अपने आप को नियंत्रित करते हुए झट से अपने पीछे स्विचबोर्ड के सारे स्विच एक ही झटके मे बंद कर दिए और बिस्तर की तरफ भागी. अचानक से वीरेंदर की तंद्रा टूटी और उसने झट से एक साथ ही सारे स्विच ऑन कर दिए. यह सब इतना अचानक हुआ कि आशना को बिस्तर तक पहुँचने मे जितना वक्त लगा, वीरेंदर तब तक उसके बदन के हर हिस्से मे उठ रही लहरों को अपनी आँखों मे क़ैद कर चुका था. 

बीच रास्ते मे ही सारे कमरे की लाइट फिर से ऑन होते ही आशना के दिल की धड़कन एकदम बढ़ गयी लेकिन उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा और झट से चद्दर उठाकर बिस्तर पर लेट गयी. शर्म के मारे उसने अपना सारा बदन चेहरे तक चद्दर से ढक लिया. 

वीरेंदर ने झट से अपने अंडरवेर को नीचे खिसकाया और आशना की पैंटी को अपने लिंग के आस पास अच्छे से लपेट कर उसकी डोरी को बाँध दिया और अपने अंडरवेर को फिर से उपर चढ़ा लिया. आशना को वीरेंदर की इस हरकत का अहसास नही हुआ. 

बिस्तर के हिलने से आशना को वीरेंदर के पास होने का अहसास हुआ. आशना ने चद्दर को अपने उपर से फेंक कर उठकर भागने का प्रयास किया लेकिन वीरेंदर इस बार सचेत था. उसने आशना को दबोच लिया और उसे अपने नीचे दबोच लिया. आशना ने छूटने का भरसक प्रयास किया लेकिन वीरेंदर पर हेवानियत सवार हो चुकी थी. आशना को भागते हुए देख कर और आशना के नितंबो की थिरकन देख कर वीरेंदर की आग भड़क उठी थी. उसके अंदर का "प्यारा शैतान" जाग उठा था और अब तृप्ति की माँग कर रहा था. 
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02-02-2019, 01:22 AM,
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आशना को अपने नीचे नियंत्रित करके उसने आशना के वक्षों पर अपने होंठ रख दिए. आशना ने भी कोई विरोध नहीं किया बल्कि अब तो वो जल्द से जल्द वीरेंदर को अपने अंदर सामने के लिए आतुर थी. वीरेंदर के इस हमले से आशना निढाल होने लगी और उसके दिल मे वीरेंदर के लिंग की ज़रूरत पल पल बढ़ने लगी.वीरेंदर भी आशना मे आए इस बदलाव को महसूस कर रहा था. वो आशना को इतना मस्त कर देना चाहता था कि आशना खुद उसका अंडरवेअर उतारे और उसमे समा जाने का आग्रह करे.


हालाँकि वीरेंदर के लिए यह काफ़ी कष्टदायक था मगर उसने सयम से काम लेने की सोची. उसे मालूम था कि मिलन की घड़ियाँ नज़दीक हैं.

आशना ने मस्ती मे आकर अपनी योनि को वीरेंदर के लिंग के उभार पर रगड़ना शुरू कर दिया. वीरेंदर के लिंग को अपनी योनि मे समा लेने की इच्छा आशना मे पल-पल प्रबल होते जा रही थी. 

आशना: वीर प्लीज़ आ जाइए ना. 

वीरेंदर: कहाँ?

आशना: मेरे अंदर,. आहह वीर आ जाइए ना. अब सहन नहीं हो रहा. 

वीरेंदर: सहन करने को कॉन बोल रहा है. जो चाहिए, खुद ही लेलो. 

आशना मे सेक्स की तड़प इतनी ज़्यादा बढ़ चुकी थी कि उसके लिए रुक पाना मुश्किल था. उसने वीरेंदर के अंडरवेअर की इलास्टिक मे हाथ डाला और उसे नीचे खिसका दिया. वीरेंदर ने उपर उठ कर उसकी मदद की. आशना ने अपने पैरों की उंगलिओ की मदद से अंडरवेर नीचे तक सरका दिया और अपने पैरों से उसे उतार कर दूर फेंक दिया. आशना की इस बेकरारी से वीरेंदर का रोम रोम खिल उठा. यह पहली बार ऐसा हुआ था कि आशना ने अपने हाथों से उसका अंडरवेर उतारा था.

वीरेंदर का अंडरवेर उतार कर आशना ने अपनी योनि को उपर की तरफ करके वीरेंदर के लिंग से छुआया तो उसे कुछ मखमली सा अहसास हुआ. 

आशना ने वीरेंदर की आँखों में सवालिया नज़रों से देखा. वीरेंदर को मुस्कुराता हुआ देख कर आशना ने वीरेंदर की पीठ पर मुक्का मारा और बोली: आप बड़ा सताते हो. अब यह क्या है?

वीरेंदर: खुद ही देख लो और यह कहकर वीरेंदर पीठ के बल बिस्तर पर लेट गया. आशना ने झट से उठकर जब वीरेंदर के लिंग की तरफ देखा तो वो मुस्कुराए बिना ना रह सकी और बोली: आप बहुत शैतान हैं. कहाँ कहाँ से आइडियास ढूँढ कर लाते हैं. 

वीरेंदर: यह सब तो तुम जब मेरे सामने बिना कपड़ो के होती हो तो अपने आप ही आ जाते हैं. 

आशना ने झट से अपनी पैंटी वीरेंदर के लिंग से खींच दी. 

वीरेंदर: आह, धीरे करो यार, तुम्हारा ही है. कहीं भागे थोड़े जा रहा है यह. 

यह कह कर वीरेंदर ने आशना को अपने उपर खींच लिया. आशना ने अपनी दोनो टाँगे वीरेंदर की कमर के इर्द-गिर्द लपेट ली और अपनी योनि को दिशा देते हुए लिंग के सुपाडे को मुंहाने पर टिका दिया. वीरेंदर की आँखों मे देखते हुए उसने सुपाडे को अपनी योनि मे परविष्ट कर लिया. 

वीरेंदर: आईला, रेप, यहाँ तो मेरा ही रेप हो रहा है. 

आशना ने बिना कोई जवाब दिए नीचे की तरफ एक ज़बरदस्त धक्का लगाया और आधे से ज़्यादा लिंग अपनी योनि मे उतार लिया. आशना के होंठ उसके दाँतों मे आ गये और दर्द के भाव उसके सारे चेहरे पर स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगे. 

आशना संभालती उस से पहले ही वीरेंदर ने आशना के नितंबों पर हाथों की पकड़ बनाकर नीचे से एक करारा धक्का लगा दिया जिस से उसका बचा हुआ लिंग भी आशना की योनि को चीरता हुआ उसमे समा गया. आशना के गले से दर्द भरी चीख निकली लेकिन वो चीख कमरे की दीवारों से टकरा कर उनमे समा गयी. 

आशना को संभालने का समय ना देख कर वीरेंदर ने नीचे से लगातार धक्कों का सिलसिला शुरू कर दिया. आशना की आग बहुत पहले की बढ़की हुई थी. कुछ ही धक्कों के बाद उसकी योनि ने पहला सखलन कर दिया. 

वीरेंदर लगातार नीचे से धक्के लगाए जा रहा था. आशना निढाल होने लगी तो वीरेंदर ने उसे गोद मे लेकर नीचे से धक्के लगाना शुरू कर दिया. वीरेंदर के इस आसन से आशना फिर से रोमांचित हो गयी. इस आसन से उसकी क्लिट की रागड़ाई भी हो रही थी और उसकी योनि का मर्दन भी. थोड़ी देर इसी अवस्था मे आशना के जिस्म को भोगने के बाद वीरेंदर उसे बाहों मे भरकर बिस्तर से नीचे उतर गया और खड़े खड़े ही उसकी योनि का मंथन करने लगा. 
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02-02-2019, 01:22 AM,
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आशना वीरेंदर द्वारा हो रही इस वाइल्ड फक्किंग से निहाल हो रही थी लेकिन उसकी आग कम होने की बजाए और भड़क रही थी. वीरेंदर भी कहाँ पीछे हटने वाला था. वो लगातार किसी मशीन की तरह अपनी पिस्टन को आशना के एंजिन मे दौड़ाए जा रहा था. जी भर कर आशना को इस पोज़ मे फक करने के बाद वीरेंदर ने आशना को बिस्तर पर पटक दिया और खुद उसकी टाँगों को हवा मे उठाकर अपने दहक्ते लिंग को उसकी योनि मे उतार दिया. आशना के गले से एक लंबी आह निकली और वीरेंदर ने फिर से ताबड़तोड़ धक्कों के साथ आशना को जन्नत तक ले जाने का काम शुरू कर दिया. 

आशना के बार फिर से चरम सुख तक पहुँची मगर वीरेंदर के धक्कों मे कोई कमी नही आई. आशना तक कर चूर हो चुकी थी मगर वो वीरेंदर का बखूबी साथ दिए जा रही थी. वीरेंदर की उत्तेजना मे कोई कमी नहीं आ रही थी.उसका हर धक्का पहले से अधिक बलवान होने लगा. आशना का सारा बदन थिरक रहा था. वीरेंदर द्वारा हो रहे इस मर्दन से आशना निहाल हो चुकी थी. उसके मन में हर जनम में वीरेंदर को ही अपने जीवन साथी के रूप मे पाने की इच्छा जागृत होने लगी.

आशना की टाँगें दुखने लगी तो वीरेंदर ने उसे चौपाया की पोज़ मे कर दिया और पीछे से उसकी योनि मे लिंग उतार दिया. आशना के नितंबों को कसकर पकड़ कर वीरेंदर ने एक बार फिर से रफ़्तार पकड़ ली. सारे कमरे मे आशना की आहों की और ठप ठप की आवाज़ गूँज रही थी.इस घमासान फक्किंग को शुरू हुए करीब करीब आधा घंटा हो चला था. आशना के जिस्म मे अब और सहने की ताक़त नहीं बची थी. 

आशना: आअह भैयआ, कम ऑन, कम इन मी.भर दीजिए अपनी गुड़िया की कोख को और मुझे अपने प्यार के रस से सींच दीजिए. 

आशना की व्याकुलता और बेकरारी देख कर वीरेंदर ने धक्कों की स्पीड और बढ़ा दी. आशना की आहें अब चीखों मे तब्दील होने लगी थी. तभी वीरेंदर ने कसकर उसके नितंबों को पकड़ लिया और उसके लिंग से वीर्य के फव्वारे छूट पड़े. वीर्य की धारा का परवाह इतना बलशाली था कि आशना को वीर्य की हर बूँद अपनी कोख पर गिरती हुई प्रतीत हुई. आशना की कोख को लगातार अपने वीर्य से भरते हुए वीरेंदर ने आशना के नितंबों को हाथ की थपकी से लाल सुर्ख कर दिया. हर थपकी से आशना के नितंब थिरकते और वीरेंदर के लिंग से इस नज़ारे के रोमांच से वीर्य उसकी कोख मे अर्जित होता. 

तूफान थमा और कमरे मे एक ज़ोरदार चीख गूँजी. यह चीख दोनो के गले से निकली हुई संतुष्टि भरी आह का मिश्रण थी. दोनो ही अपनी अपनी मंज़िल को पाकर और अपनी हसरत को जीकर आनंदित थे. 

वीरेंदर आशना के उपर ही गिर पड़ा. साँसें संभालते ही आशना ने वीरेंदर से कहा: वीर, आइ थिंक आइ विल बी प्रेग्नेंट बिफोर और लीगल हनिमून. 

वीर ने मुस्कुरा कर उसके बालों मे उंगलियाँ फिराई और बोला: कल ही मैं तुम्हारे लिए प्रोटेक्षन का इंतज़ाम कर दूँगा. 

आशना: व्हाट डू यू मीन कि मेरे लिए. प्रोटेक्षन तो आपको यूज़ करनी चाहिए. 

वीरेंदर: माइ डार्लिंग गुड़िया, साइन्स ने बहुत तरक्की कर ली है. किसी बेचारे को क़ैद करने से बेहतर है की खुल के मज़े लो और एक छोटी सी टॅबलेट खा लो.

आशना: जाओ हटो, प्रोटेक्षन भी मुझे ही लेनी लड़ेगी और आपके उस बेचारे के बारे मे तो मैं ही जानती हूँ कि वो कितना बेचारा है.

वीरेंदर: चलो कोई बात नहीं, तुम कहती हो तो टॅबलेट मैं ही खा लूँगा. 

वीरेंदर की बात सुनकर आशना मुस्कुरा पड़ी और उस से चिपक कर बोली: आपकी ख़ुसी के लिए कुछ भी करूँगी. आख़िर आप मेरे वीर जो हैं और "भैया का ख़याल तो मैं ही रखूँगी". 

रात भर चली दिलों की हसरतों को पूरा करने की होड़ मे जहाँ आशना के जिस्म का एक एक अंग वीरेंदर के पौराष प्रेम से अपनी अन्भुज प्यास मिटाने की असफल और अथक कोशिश कर रहा था वहीं वीरेंदर के जिस्म का पोर पोर आशना के होंठों की छाप से सराबोर हो चुका था. 

सुबह जब दोनो फ्रेश होकर नीचे आए तो मोहित नाश्ते की टेबल पर उनका ही वेट कर रहा था. रागिनी किचन मे मसरूफ़ थी. मोहित के लिए इस वक्त आशना और वीरेंदर को फेस कर पाना मुश्किल हो रहा था. वो शरम से गढ़ा जा रहा था. आख़िर कल रात उसने भी तो रागिनी के साथ मिलकर अपने दिलों के अरमान पूरे किए थे. 

वीरेंदर को मोहित के पास जाने का इशारा कर आशना किचन की तरफ चल दी. 

रागिनी नाश्ता तैयार करने मे बिज़ी थी. आशना के कदमों की आहट सुनकर रागिनी के दिल की धड़कने भी बढ़ गयी और आशना की तरफ देखे बिना ही बोली: दीदी, सिर के लिए आलो के परान्ठे बना दूं?

आशना: हां बना दो. 

रागिनी: और आप के लिए? 

आशना: मेरे लिए भी वोही बना दो. 

रागिनी ने हैरानी से आशना की तरफ देखा और बोली: आप खा लेंगी? यह कहकर रागिनी ने अपना चेहरा फिर से आगे की तरफ मोड़ लिया.

रागिनी के इस सवाल पर आशना मुस्कुराइ और बोली: जिस इंसान को रिझाने के लिए डाइयेटिंग करती थी उसे तो मेरा भरा हुआ शरीर ही पसंद है. 

आशना की बात सुनकर रागिनी ने चौंक कर आशना की तरफ देखा और दोनो की नज़रें मिली. एक दूसरे की आँखों मे रात भर ना सो पाने की थकान लेकिन चेहरे पर आए नूर और प्यार की संतुष्टि देख कर दोनो ही मुस्कुरा उठी और आशना ने आगे बढ़ कर रागिनी के हाथ पकड़ लिए. रागिनी की नज़रें अनायास ही झुक गयी. 

आशना: तुम खुश तो हो ना रागिनी?

रागिनी ने नज़रें झुकाए हे आशना को शरमा कर हां मे जवाब दिया. 

आशना: तुम्हारी खुशी मे तुम्हारी आँखों मे देखना चाहती हूँ. 

रागिनी ने जब पलकें उठाई तो उसकी पलकें भीग चुकी थी. 

रागिनी: दीदी, औरत और मर्द के बीच क्या रिश्ता होता है इसका सही मायने मे अर्थ मुझे कल मोहित से पता चला. पता नहीं मैं उनके काबिल हूँ भी या नहीं लेकिन उनसे अच्छा जीवन साथी मेरे लिए मिल पाना नामुमकिन है.

आशना ने उसकी आँखों से आँसू पोंछ कर उसे अपने सीने से लगा लिया और बोली: तू तो मेरी ननद है. याद हैं ना तेरा कन्यादान वीर ने करना है. 

रागिनी ने हां में गर्दन हिलाई.

आशना: अच्छा यह सब छोड़, पहले तू यह बता कि मोहित तुझे खुश तो रखेगा ना?

आशना की बात का मतलब समझते ही रागिनी ने आशना को कस कर सीने से लगा लिया और धीरे से बोली "बहूत खुश रखेंगे वो मुझे दीदी". 

आशना: अच्छा चल अब जल्दी से नाश्ता तैयार कर देते हैं. कहीं यह मुर्गे खाली पेट फिर से कोई शरारत करने के मूड मे ना आ जाए. 

दोनो एक दूसरे की आँखों मे देख कर हंस दी. नाश्ते के साथ ही आशना ने न्यूज़ चैनल भी लगा दिया.
हर लोकल न्यूज़ चॅनेल पर एक ही हेडलाइन थी. "डॉक्टर. बीना का कातिल क़ानून के शिकंजे मे. एक प्राइवेट डीटेक्टिव एजेन्सी ने अपने दम पर केस की छानबीन करके हत्यारे को धर दबोचा." 

न्यूज़ चॅनेल के मध्यम से ही उन्हे पता चला कि पोलीस ने उसे कल रात ही गिरफ्तार कर लिया था. बिहारी अपना मानसिक संतुलन खो बैठा था और वो पोलीस कस्टडी मे ही रहेगा. जैल मे ही उसका इलाज करवाया जाएगा.

आशना और वीरेंदर मन ही मन अपनी कामयाबी पर खुश थे.
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02-02-2019, 01:22 AM,
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
22 दिन बाद: 

जब आशना के मोबाइल की घंटी बजी, उस वक्त वो रागिनी के साथ शादी की शॉपिंग मे बिज़ी थी. ठीक उसी वक्त रागिनी के फोन की घंटी भी बजी. दोनो ने अपने अपने मोबाइल्स मे देखा तो आशना के सेल पर वीरेंदर की कॉल थी और रागिनी के सेल पर मोहित की. दोनो एक दूसरे को एक्सक्यूस बोलकर एक दूसरे से अलग हो गयी. 

आशना ने कॉल पिक की और पिक करते ही बोली: वीर आप में तो बिल्कुल भी सबर नहीं है, शॉपिंग तो आराम से करने दीजिए. 

वीरेंदर: खबर ही ऐसी है कि तुमसे शेयर किए बिना रह नहीं सका. 

वीरेंदर की चहेक्ति आवाज़ सुनकर आशना के दिल मे भी खुशी की लहर दौड़ गयी. 

आशना: क्या बात है वीर, आप इतने खुश किस खबर पर हो रहे हैं? मुझे भी बताइए ना. 

वीरेंदर: सुनाना तो तुम्हे अपने सामने बिठा कर चाहता था लेकिन क्या करूँ कंट्रोल नहीं हो रहा. 

आशना: अब आप बताएँगे भी या यूँही अकेले अकेले ही खुश होते रहेंगे. 

वीरेंदर: बिहारी को कोर्ट ने 10 साल की ब-मुशक्कत सज़ा सुनाई है और यही नहीं उसकी दिमागी हालत को देखते हुए कोर्ट ने उसे फिलहाल आगरा शिफ्ट करवाने का हुकुम भी दे दिया है. जब तक वो मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं हो जाता तब तक वो वहीं रहेगा. जैसे ही वो दिमागी तौर पर ठीक हो जाएगा, उसे सेंट्रल जैल मे शिफ्ट कर दिया जाएगा और उसकी सज़ा शुरू हो जाएगी. 

आशना(खुशी से चिल्लाते हुए): सच!!! 

तभी उसे अहसास हुआ कि वो एक शॉपिंग माल में है और खुशी के कारण ज़ोर से चिल्लाने पर सब लोग उसकी तरफ देखने लगे हैं. आशना के चेहरे पर शरम के भाव आ गये. 

आशना(धीरे से): अच्छा मैं बाद मे कॉल करती हूँ. 

वीरेंदर: सुनो तो. मेन बात तो अभी बाकी है. 

आशना: अब क्या है? 

वीरेंदर: कोर्ट ने रागिनी और बिहारी के तलाक़ को भी मंज़ूरी दे दी है. रागिनी अब बिहारी से आज़ाद है और अपनी नयी ज़िंदगी शुरू कर सकती है. 

इस बार फिर से आशना अपने एमोशन्स को कंट्रोल नहीं कर पाती और ज़ोर से चीखते हुए बोलती है " आइ लव यू वीर, यू आर जीनियस". 

एक बार फिर से सब लोग उसकी तरफ हैरानी से देखते हैं लेकिन इस बार आशना को किसी की परवाह नहीं थी. वो बहुत खुश थी. 

आशना: हम घर पर आ रहे हैं, आप भी जल्दी आ जाइए. आज तो ट्रीट बनती है. 

वीरेंदर: अच्छा सुनो तो यार, तुम एकदम से आउट ऑफ कंट्रोल हो जाती हो. 

आशना: अब क्या है? 

वीरेंदर: तुम्हारे अंकल भी घर पर आ रहे हैं. 

आशना: अंकल?????

वीरेंदर(हंसते हुए): अरे भूल गयी. तुम्हारे अंकल यार. डॉक्टर. अभय (बीना का पति). 

डॉक्टर. अभय का नाम सुनकर आशना एक दम घबरा गयी. तभी उसे याद आया कि वीरेंदर को तो सारी सच्चाई मालूम है, वो उसे चिड़ा रहा है. 

आशना: अच्छा जी, तो आप मेरी टाँग खींच रहे हैं. 

वीरेंदर ने एक ज़ोरदार ठहाका लगाया और बोला: तुम तो एक पल के लिए घबरा गयी थी. 

आशना खामोश रही. 

वीरेंदर: डॉक्टर. अभय हमारा शुक्रिया अदा करने आ रहे हैं. हम ने उनकी पत्नी के कातिल को सलाखों के पीछे जो पहुँचाया है. 

आशना: हां वीरेंदर, तुमने बहुत अच्छा किया जो इस सारे मामले से बीना का रोल ख़तम कर दिया वरना डॉक्टर. अभय अपनी ही नज़रों मे गिर जाते.

वीरेंदर: चलो शाम को मिलते हैं. डॉक्टर. अभय को मैं साथ ही ले आउन्गा और हां "आज चिकन और मटन दोनो बना देना, बहुत दिनो से तुमने मुझे डाइयेटिंग करवा करवा कर कमज़ोर बना दिया है". 

आशना: कमज़ोर????बाप रे. मेरी जो हालत करते हो वो मैं ही समझ सकती हूँ. 

वीरेंदर: तभी तो कह रहा हूँ. दमदार काम के लिए दमदार खाने की ज़रूरत पड़ती ही है. 

आशना: ओके डन, लेकिन बस आज के लिए ही. उसके बाद आप मुझे फोर्स नहीं करेंगे. आपकी डाइयेट के हिसाब से मैं खुद ही आपको सर्प्राइज़ दे दिया करूँगी लेकिन आप मुझे फोर्स नहीं करेंगे. 

वीरेंदर: आइ लव यू गुड़िया. 

वीरेंदर के मुँह से गुड़िया शब्द सुनते ही आशना के जिस्म मे खून का परवाह तेज़ हो गया. 

आशना(धीमे से): लव यू टू भैया.
Reply
02-02-2019, 01:22 AM,
RE: bahan sex kahani भैया का ख़याल मैं रखूँगी
11 नवेंबर 2012: 

आज आशना शादी करके शर्मा निवास मे बहू के रूप मे आ गयी और रागिनी मोहित के साथ अपने ससुराल चली गयी. अपने वादे के मुताबिक रागिनी का कन्यादान वीरेंदर ने किया और एक बड़े से होटेल मे शानदार रिसेप्षन के बाद दोनो न्यूली मॅरीड कपल्स अपने अपने घर की तरफ चल दिए. 

इस शादी मे मुझे यानी कि "त्रिवेणी" और "डॉक्टर. विजय" को भी इन्विटेशन मिला लेकिन भाग्य का खेल देखिए इसी दिन हमारी यानी मेरी और विजय की एंगेज्मेंट भी फिक्स हुई थी जिस वजह से हम दोनो अपने नेटिव टाउन मे थे. आशना की शादी को मिस करने की जितनी तकलीफ़ मुझे थी उतना ही दुख आशना को मेरी एंगेज्मेंट मिस करने का था. 

एंगेज्मेंट के बाद देल्ही वापिस आने पर आशना से बात हुई तो पता चला कि वो दोनो हनिमून के लिए मलेशिया निकल गये हैं और 31स्ट डिसेंबर एक साथ मनाने के वाद करके हम उस दिन का इंतज़ार करने लगे.

31स्ट दिसंबर. 2012:

आख़िर वो दिन आया और वादे के मुताबिक हम चारो फिक्स की हुई जगह पर पहुँच गये. होटेल के हाल के चारो तरफ रंग बिरंगी रोशनी एक खुशनुमा महॉल बना रही थी. हर एक जोड़ा बाहों मे बाहें डाले झूम रहा था. 

एक दूसरे को शादी और इंग़ेज़मेंट की विश करने के बाद मैने जीजू को डॅन्स फ्लोर पर खींचा तो वो मेरे साथ ताल से ताल मिलकर झूमने लगे. कुछ देर बाद मेरी नज़र आशना और विजय को ढूँढने लगी लेकिन वो दोनो कहीं नहीं दिखे. 

अब शक्की तो मैं नहीं हूँ लेकिन फिर भी यार थोड़ा बहुत तो हो ही जाता है. जीजू की तरफ हैरानी से देख कर मैं बोली: जीजू वो दोनो कहाँ हैं?

जीजू ने मेरी तरफ देख कर स्माइल दी तभी किसी ने मेरी कमर में हाथ डाला और मुझे अपनी ओर खींच लिया. मैं चिल्लाती इस से पहले विजय की फ्रॅग्नेन्स मेरे नथुनो मे समा गयी. एक अंजान डर से मेरी आँखें बंद हो गयी थी लेकिन फिर भी मैने उन्हे पहचान लिया और उनके सीने पर सर रख कर स्लो मूव्मेंट मे डॅन्स करने लगी. 

आशना और जीजू मुझ पर हंस रहे थे लेकिन मैं विजय की बाहों मे सेक्यूर फील कर रही थी. खूब नाचने के बाद हम खाने की टेबल पर बैठे. जीजू ने स्कॉच का ऑर्डर दिया तो हम ने भी वोड्का के शॉट्स मग़वा लिए. हालाँकि मैं और आशना बियर से आगे कभी नहीं गयी थी लेकिन नये साल की खुशी मे हम हंगामा करना चाहते थे. 

पीने और खाने के बाद मेरी और आशना की हालत बिगड़ चुकी थी. विजय और जीजू हमारा मज़ाक उड़ा रहे थे. आशना बार बार मुझे अपने घर ले जाने के लिए फोर्स कर रही थी लेकिन मेरा मन उस जगह से जाने का नहीं था. एंगेज्मेंट के बाद विजय से पहली बार मिल रही थी. वो बिज़ी हो गये थे और मेरे भी सेशनल्स थे तो हमारा मिल पाना बहुत मुश्किल था.

अंत मैं वीरेंदर बोला: आशना तुम त्रिवेणी को लेकर घर चलो, हम दोनो भी थोड़ी देर मे आते हैं. आज की रात यह दोनो हमारे घर पर ही रुकेंगे लेकिन आज की रात हम चारो मिलकर एक साथ ही बिताएँगे वरना सुबह पता चले कि नये साल की खुशी के नशे मे रातों रात क्या हो गया. 

जीजू की बात सुनकर मे के दम शरमा गयी.

आशना ने कार ड्राइव की. वो काफ़ी स्लो ड्राइव कर रही थी. नशे का असर सॉफ देख रहा था उसपर. वो एकदम खामोशी से सामने देख कर ड्राइव कर रही थी. आशना को इतना खामोश मैने ज़िंदगी मे पहले कभी नहीं देखा. जैसे ही हम गेट के बाहर पहुँचे, बाहर मार्बल प्लेट्स पर बड़े बड़े अक्षरों मे लिखा था "शर्मा निवास". 

यह नाम तो सुना सुना सा लग रहा था. नशा ज़्यादा हो जाने के कारण मुझे याद नहीं आ रहा था मगर मैं अपने दिमाग़ पर ज़ोर देकर याद करने की कोशिशों मे जुटी थी. कार से उतर कर आशना ने जब घर का लॉक खोला तो मेरे दिमाग़ मे एक दम धमाका हुआ. 

मैं: यार यह तो तुम्हारे भैया का घर है, तुम मुझे यहाँ क्यूँ लाई हो?

आशना ने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया और किचन मे जाकर फ्रिड्ज से पानी निकल कर पीने लगी. इतनी सर्दी मे भी वो एकदम ठंडा पानी गतगत पी गयी. जब से हम होटेल से निकले थे,आशना एक दम खामोश हो गयी थी. रास्ते मे भी उसने कोई बात नहीं की. आशना सीडीयाँ चढ़ कर उपर के फ्लोर पर जाने लगी तो उसने मुझे भी उपर आने का इशारा किया. 

परेशान सी मैं भी उसके पीछे चल दी. अपने बेडरूम का डोर खोलकर आशना ने मुझे पहले अंदर जाने दिया. मेरे पीछे आशना ने एंटर किया और लाइट्स ऑन कर दी. रूम की हर दीवार पर आशना और जीजू की शादी की बड़ी बड़ी तस्वीरे थी. मैं हैरानी से आशना की तरफ देख रही थी. मेरी समझ मे अभी भी कुछ नहीं आ रहा था.

आशना: बैठो. 

मैं आशना के सामने वाले सोफे पर बैठ गयी. आशना ने ग्लास मे पानी डालकर मुझे ऑफर किया.मैने ग्लास लेकर टेबल पर रखा और आशना की तरफ देख कर पूछा: तुम दोनो यहाँ रहते हो? 

आशना: हां.

मैने हैरान होकर पूछा: तो तुम्हारे भैया कहाँ हैं? 

आशना ने मेरी तरफ ध्यान से देखा और फिर मुस्कुरा कर बोली: मेरे जीजू के साथ अभी कुछ देर मे आने ही वाले होंगे.
पहले तो मुझे कुछ समझ नहीं आया लेकिन कुछ ही देर मे मेरे दिमाग़ मे अचानक से एक साथ कयि धमाके हुए. इस से पहले के मेरी तरफ से कोई प्रतिक्रिया होती, आशना ने मेरे सामने चेयर रखी और अपने होंठों पर उंगली रखकर मुझे चुप रहने का इशारा किया. 

कुछ देर हम दोनो एक दूसरे की आँखों मे देखते रहे और फिर वो मुझे उस घटना पर लाई गयी जब "शर्मा एलेक्ट्रॉनिक्स" के मालिक "वीरेंदर शर्मा" हॉस्पिटल के आइसीयू वॉर्ड में अड्मिट थे..........................
********समाप्त******** 



दोस्तो एक ज़रूरी सूचना देना तो भूल ही गयी. शादी के बाद अभी तक वीरेंदर ने आशना का दूसरा गिफ्ट नहीं लिया. जानती हूँ आप सब के लिए यह बड़े दुख की बात है. बट, हू नोस कि कब वीरेंदर अपनी हसरत पूरी कर ले . आफ़टेरल्ल, "मेन विल बी मेन"
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