RE: Bhabhi ki Chudai कमीना देवर
उस एक क्षण में ही नेहा के चेहरे में क्रोध,भय और आश्चर्य के तमाम भाव आ गए और वो जड़वत खड़ी रह जाती है। वो एक पत्थर की मूर्ति की भांती स्थिर हो जाती है उसे ऐसा लगा मानो किसी ने उसके शरीर की सारी ताकत निचोड़ दी हो और उसका शरीर मानों निष्प्राण हो गया हो। क्रोध,भय और आश्चर्य की वजह से वो इतनी बदहवास हो जाती है कि वो ये भी कुछ क्षण के लिये भूल जाती है कि वो अपने देवर के सामने पूर्णत: नग्न खड़ी है।
कुछ क्षणों के बाद जब उसे अपनी स्थिति का भान होता कि वो तो पूरी नंगी खड़ी है और उसका देवर उसे घूर रहा है तो वो अत्यंत लज्जा का अनुभव करती है और तुरंत हरकत में आती है और कपड़ो की तरफ़ तेजी से भागती है। इधर सनी भी उसके नंगे शरीर को देखते हुए इतना मुग्ध हो जाता है कि उसे भी कुछ होश नहीं रहता और वो एक्टक नेहा के नंगे बदन को घूरते रहता है। लेकिन जैसे ही नेहा अपने कपड़ों की तरफ़ भागती है तो सनी भी जैसे किसी सम्मोहन से जागा हो वैसे होश में आता है और नेहा की तरफ़ दौड़ता है।
वो तेजी से भाभी और उसके कपड़ों के बीच में आ कर खड़ा हो जाता है . उसने ठान लिया था कि या तो तुझे आज मैं सदा सदा के लिये अपनी बना लुंगा और जीवन भर तेरे रसीले बदन से तेरी जवानी का रस चूसूंगा और तुझे अपनी मर्जी के मुताबिक चोदूंगा या जीवन भर के लिये बदनामी के गर्त में चला जाउंगा।
नेहा का मन चित्कार उठता है , वो अपार लज्जा का अनुभव कर रही थी . लेकिन उसे ये भी अहसास हो रहा था कि ये आज आसानी से उसे कपड़े नहीं पहनने देगा।
नेहा को इस तरह देख वो काफ़ी रोमांचित था और उसने ठान लिया था कि बस अब आज तुझे कपड़े तब तक नहीं पहनने दूंगा जब तक तेरी चूत में मेंरा लण्ड़ घुस नहीं जाता या तेरा थप्पड़ मेंरे गालों में नहीं पड़ जाता। उसने बातचित शुरु करने गरज से कहना शुरु किया "भाभी दर असल मुझे मम्मी ने उपर भेजा था, उसे किचन में बेसन नहीं मिल रहा था उसने नीचे से काफ़ी अवाज लगाई लेकिन आपने कोई जवाब नहीं दिया तो उसने मुझे उपर भेजा पूछने के लिये। आपको मैने काफ़ी अवाज लगाई लेकिन रुम के अन्दर से कोई अवाज नही आई तो मैं अन्दर चला आया लेकिन रुम आपको मैने यहां भी नही पाया तो मैने सोचा कि शायद आप बाल्कनी में होंगी तो मै वहां गया लेकिन आप तो वहां भी नही थी न सो जैसे ही मैं बाहर निकलने वाला था कि तुम रुम के अन्दर आ गई और आते ही अपने कमरे का दरवाजा बंद कर कपड़े उतारने लगी। मैने सोचा कि जब आप बाथरुम में चली जायेंगी तो मै चुपचाप बाहर चला जाउंगा लेकिन आप तो दरवाजा खुला कर नहाने लगी सो मै थोड़ी देर और रुक गया और जैसे ही मुझे मौका मिला मै बल्कनी से बाहर निकल कर दरवाजा खोलने ही वाला था कि पहले "दिया" आ गई और दरवाजा खटखटाने लगी और फ़िर मम्मी आ गई। अब तुम ही बताओ नेहा यदि उनके सामने मैं कमरे के बाहर निकलता तो वे क्या सोचती तुम्हारे और मेंरे बारे में।
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