06-28-2019, 01:59 PM,
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RE: Bhabhi ki Chudai कमीना देवर
उसने नेहा ड़राने के उद्देश्य से ही जानबूझ कर मां और "दिया" वाली झूठी कहानी सुना दी। दरअसल वो अप्रत्यक्ष रुप से ये समझाने की कोशीश कर रहा था कि इस बात का पता यदि घर में किसी को भी चल जाय तो सनी के साथ उसकी भी इज्जत चली जायेगी। और शायद नेहा पर इस बात का असर भी पड़ा था।
नेहा ने उसकी बातों को लग्भग अन्सुना सा करते हुए अपने सर पर बंधा टावेल खोल लिया और झट से अपने बदन पर लपेट लिया . पहाड़ की चोटीयों की तरह तने हुए उसके विशाल स्तन और उसकी बड़ी बड़ी गांड़ो को छुपाने में वो नन्हा टावेल समर्थ नहीं था बल्कि उसकी मादकता को और भी बढा रहा था लेकिन फ़िर भी नंगी होने से तो ये अच्छा ही था।
अब नेहा ने पिछले कई महीनों से चले आ रहे सनी के इस खेल के खिलाफ़ बोलने का साहस जुटाया और तनिक धीमी अवाज में उससे कहा "ये क्या तरिका है आपका? पिछले कई महिनों से मैं आपको नजर अंदाज करती आ रही हूं शायद इसी लिये आपको मेंरे बारे में काफ़ी गलत फ़हमी हैं। मैं आपके बड़े भाई की ब्याहता बीवी हूं कोई इस घर की रखैल नहीं कि जिसके साथ जिसे जो मर्जी आये वो करता रहे। अगर तुम्हारे अंदर जरा सी तहजीब होती, शर्म होती तो तुम मेंरे कमरे में आते ही बाहर आ सकते थे, क्या इतना इंतजार करना जरुरी था? जाहिर है तुम्हारी नीयत में खोट है। अगर मैं ये सब बातें तुम्हारे भाई को बता दूं तो क्या इज्जत रहेगी तुम्हारी उनके सामने और इस घर में?
जवान लड़्कियों को नंगा देखने का बहुत शौख है न तुम्हें, क्या इस घर में मैं ही अकेली जवान लड़की हूं ? तुम्हारी बहन भी तो खासी जवान है कभी उसके बाथरुम में भी जाकर देखा करो उसकी जवानी को। उसने आगे कहा " अब चुपचाप जिस तरह दबे पांव यहां आये थे उसी तरह दबे पांव निकल जाओ और दोबारा ऐसी गलती मत करना वर्ना तुम काफ़ी तकलिफ़ में पड जाओगे।
सनी इस प्रकार की तमाम बातों के लिये पहले से तैयार था, ओर नेहा की जवानी से खेलने के लिये तो वो अपने घर में भी बदनाम होने के लिये तैयार बैठा था। सो उसे नेहा के इस तरह बड़्बड़ाने से कोई फ़र्क पड़ता नहीं दिखा। बल्कि सनी ने एक बात साफ़ नोटिस किया की वो नारजगी जरुर दिखा रही है और भाषा भी भले ही तल्ख हो लेकिन उसकी आवाज काफ़ी धीमी है।
मतलब साफ़ था उसे भी अपनी बदनामी का ड़र था।उसने इस बात का पूरा का प्रयास किया था कि उसकी अवाज इस रुम से बाहर ना जाने पाये।
अब सनी ने बोलना चालू किया वो बिल्कुल भी भयभीत नहीं था बल्कि वो तनिक जोर से ही बोलने लगा . दर असल वो ये देखना चाहता था कि उसकी तेज अवाज जब बाहर तक जाती है तो उसका नेहा पर क्या असर होता है? क्या वो वाकई आज बगावत के मूड़ में है या खाली गीदड़ भभकी दे रही है।
उसने बोलना चालू किया "नेहा ये सच है कि तुम इस घर की ब्याहता हो लेकिन जिसकी तुम पत्नि हो उसे तुम्हारी कितनी चिंता है कभी उसने तुम्हें अपने पास बुलाया कभी वो तुमसे मिलनेके लिये आया? अरे नौकरी सभी करते हैं लेकिन कोई अपनी इतनी सुंदर बीबी को भी भूल सकता है क्या? नेहा उसे तुम्हारी जरा भी परवाह नहीं है उसे तुमसे ज्यादा अपनी नौकरी और तरक्की की पड़ी है और वो इसके लिये किसी भी हद तक जा सकता है। वो तुमसे जीवन भर ऐसे ही व्यहार करता रहेगा जीवनभर . उसने जानबूझ कर सनी के खिलाफ़ उसके कान भरना चालू रखा।
उसने आगे बोलना जारी रखा "और जहां तक तमीज, तहजीब और शर्म की बात है न तो नेहा मैं तुमसे ये बात साफ़ कह देना चाहता हूं कि प्यार और जंग मे सब जायज है। नेहा मैं तो अपना दिल कब से तुमसे हार चुका हूं , मैं तो बस मौके का इंतजार कर रहा था और देखो आज मुझे मौका मिल गया। और दूसरी जवान लड़्कियो की बात जो तुमने की न तो मैं केवल इतना चाहता हूं कि मुझे केवल तुम में रुचि है और किसी में नहीं मेंरा दिल तुम पर आया है किसी और पर नहीं। मैं केवल तुमसे प्यार करता हूं किसी और से नहीं . जब से तुम इस घर में आई हो तभी से मैं तुम्हें अपनी बाहों मे लेकर तुम्हारे होठों का रस पीना चाहता हूं।सनी जानबूझ ऐसी बात कर रहा था ताकि उसकी प्रतिक्रिया जान सके।
उसने आगे बोलना जारी रखा " केवल तुम्हारे प्यार की खातिर ही मैंने नीता से रिश्ते की बात स्वीकार कर ली है वरना मुझे उसमें कोई रुचि नहीं हैं। नेहा जिन रिश्ते में प्यार नहीं ऐसे बनावटी रिश्ते
का क्या लाभ? शायद ये बात तुमसे ज्यादा कोई नहीं समझ सकता। वो जान बूझ कर उसके मन में "संजय" के प्रति नफ़रत के बीज बो रहा था।
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06-28-2019, 02:00 PM,
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RE: Bhabhi ki Chudai कमीना देवर
सनी नेहा की चूत में उंगली अब कुछ ज्यादा ही तेजी से रगड़ने लगा, नेहा भी अब अपने आपे से बाहर होते जा रही थी। तभी सनी ने नेहा की चूत के दरारों पर उंगली रगड़्ना बंद कर दिया और धीरे से वो उसकी चूत का वो हसीन छेद तलाशने लगा जिसे पाना और उसका भोग करना हर कामुक मर्द की हसरत होती है। आखिर सनी ने नेहा की चूत के छेद पर उंगली रख दी और फ़िर हौले से उसे धक्का लगाते हुए उसने अपनी उंगली एक पोर उसमें ड़ाल दिया और धीरे धीरे उसे अंदर बाहर करने लगा।
नेहा के लिये ये एक विचित्र अनुभव था हालांकि शादि के बाद संजय के साथ उसके कुछेक बार शारीरिक संबंध बने जरुर थे लेकिन उसने ऐसा कुछ नहीं किया उसके था। उसने कभी नेहा को उत्तेजित करने की जरुरत नहीं समझी थी या शायद उसे ये पता ही नहीं था कि सेक्स केवल खुद के मजा लेने का नाम नहीं है बल्कि अपने साथी को भी चरम सुख तक पहुंचाने का नाम है। वही सेक्स सच्चा सेक्स होता है जिसमें दोनों परमसुख की प्राप्ति कर सके। अगर एक भी पक्ष नासमझ हो खासकर पुरुष तो फ़िर वो सेक्स ना हो कर केवल एक नीरस शारीरिक क्रिया मात्र रह जाती है। संजय इस मामले में फ़िसड्डी साबित हुआ था।
इस तरह उंगली के अंदर बाहर होने से ना चाहते हुए भी नेहा की चूत गीली होने लगी और उसमें से एक चिकना पदार्थ बाहर आने लगा जिससे सनी और भी असानी से अपनी उंगली अंदर बाहर करने लगा। तभी अचानक नेहा की कमर ने एक हल्का सा झटका लगाया। ये नेहा ने नहीं लगाया था लेकिन काम की अधिकता से अपने आप ही हो गया था जो अत्यंत स्वाभाविक था।तुषार ने भी इसे साफ़ महसूस किया और समझ गया कि अब मेंरी रानी वासना के समुंदर मे गोते लगाने के लिये तैयार हो चुकी है। उसने उसी तरह बैठे हुए पूछा " मजा आ रहा है जान, पूरी उंगली ड़ाल दूं क्या तेरी चूत में? अब सनी ने नेहा से सभ्य भाषा में बात करना छोड़ ही दिया था और वो उससे अश्लील भाषा का ही प्रयोग करने लगा था। ऐसा करने से उसे नेहा की नंगी जवानी पर पूर्ण विजय और अधिकार का अहसास जो होता था।
अब सनी ने उसकी चूत में अपनी उंगली और गहराई तक घुसा दी और उसे और भी तेजी से अंदर बाहर करने लगा . अब तो नेहा का अपने शरीर से नियंत्रण खतम होने लगा और उसकी कमर उसकी इच्छा के विरुद्द झटके देने लगी। वो बड़ी लज्जित थी और शर्म के मारे उसने अपनी आंखे बंद कर ली थी। वो शुरु से सनी से हर क्षेत्र में लगातार हार ही रही थी और आज भी उसके सामने पूरी तरह से बेनकाब हो गई और अपनी इसी झेंप को मिटाने के लिये वो आंखे बंद किये हुए अपना सर दांए बांए घुमा रही थी और बड़बड़ाते जा रही थी " नहीं प्लीज छोड़ दो मुझे , बस अब नहीं आह मैं मर जाउंगी मेंरा सर चकरा रहा है मुझे छोड़ दो। नेहा बोले जारही थी लेकिन सनी के उपर इसका कोई असर नहीं हो रहा था बल्कि वो तो और भी उत्तेजित हो रहा था।
सनी अब और तेज गति से उसकी चूत में उंगली ड़ाल रहा था और नेहा अब उत्तेजना के मारे अब अपनी कमर को जोर जोर से उपर तक उछालने लगी और बोलने लगी " पागल हो जाउंगी मैं मुझे छोड़ दो" लेकिन सनी ने उसकी चूत को जो से भीच लिया और धीरे से बोला मैं तुम्हें अभी छोड़ दुंगा लेकिन तुम वादा करो कि तुम अपनी चूत में मुझे अपना लंड़ ड़ालने दोगी और वो भी आज ही , तुम बोलो तो मैं तुम्हें छोड़ देता हूं लेकिन आज रात मैं तुझे जी भर के चोदुंगा। बोल है मंजूर ? नेहा ने बला टालने की गरज से कह दिया ठीक है अभी छोड़ दो। लेकिन सनी भी कम नहीं था उसने तुरंत कहा यदि धोखा दिया तो? परिणाम पता है न? उसने कहा अगर धोखा दिया याद रखना तेरी बहन के सगाई के साथ का प्रोग्राम केंसल .
सनी के मुंह से ऐसी बातें सुन कर नेहा ने चौंक कर उसकी तरफ़ देखा लेकिन सनी हंस रहा था उसके चेहरे पर कुटिल मुस्कान थी। नेहा के इस तरह चौंकने से वो ये समझ गया कि उसका तीर निशाने पर लगा है।
नेहा ने प्रत्युत्तर में कहा तुम्हें जो करना है वो करो मुझे क्या? और नीता के लिये कोई लड़्को की कोई कमी नहीं है , वो नही मरे जा रही है तुमसे शादी करने के लिये तुम्हारी माँ ही पीछे पड़ी थी इस रिश्ते के लिये। और क्या इस तरह से ब्लेकमेल कर के शादी करोगे? अरे तुम क्या केंसल करवाओगे इस सगाई को तुम देखना मैं खुद ही केंसल करवाउंगी इस रिश्ते को और तुझे बेनकाब करवाउंगी सबके सामने। अच्छा हुआ तेरी सच्चाई सामने आ गई। तुझ जैसे से शादी करने से तो अच्छा है कि वो जीवन भर कुंवारी ही रह जाय।
अपनी मां और अपना अपमान सनी सहन नहीं कर पाया और वो क्रोध में पागल हो उठा उसने अपने एक हाथ से नेहा के बाल जोर से पकड़ लिये और दूसरे हाथ से उसकी चूत को बुरी तरह से रगड़ दिया , नेहा के मुंह से आह निकल गई साथ ही साथ उसे ये भी अहसास हो गया कि वो कुछ ज्यादा ही बोल गई है .
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06-28-2019, 02:00 PM,
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RE: Bhabhi ki Chudai कमीना देवर
अब सनी ने बोलना चालू किया "साली मादरचोद कभी घर में खाने के ठिकाने नहीं थे यहां खा खा कर गांड़ मोटा गई है तेरी, शादी के लिये तन ढकने के लिये दो कपड़े देते की हैसियत भी तो है नहीं तुम्हारे परिवार की और बोलती है कि उसके लिये लड़्कों की कमी नहीं है , कौन करेगा तुम जैसे भुख्खड़ भिखारियों से रिश्ता? जा, कर के देख तब पता चलेगा कैसे तय होते है रिश्ते? और मेंरी जिस मां के बारे में तू कह रही है कि वो पिछे पड़ी है इस रिश्ते के लिये तो सुन साली मादरचोद मेंरी उसी मां की बदौलत ही तू इस घर में है . ये उसी के विचार है कि तू गरीब परिवार की होने बाद भी हमरे घर की बहू है समझी।
सनी अभी भी तनिक क्रोधित ही था उसने धक्का दे कर उसे अपने से दूर कर दिया . और नेहा अब उससे एक हाथ की दूरी पर जमीन पर नंगी बैठी थी उसकी तफ़ पीठ किये हुए और वो उसे घूर रहा था। नेहा ने अपना चेहरा अपने हाथों से छुपा लिया और सुबकने लगी।
ठुकराया जाना किसी भी स्त्री के लिये सबसे बड़ा अपमान होता है, सनी ने जब नेहा को धक्का दे कर दूर हटा दिया तो उसके मन में एक अघात सा लगा . एक जवान खुबसुरत औरत पूर्णत: नग्न किसी मर्द के सामने हो और वो उसे ठुकरा दे ये तो किसी भी स्त्री के लिये बड़ी शर्मनाक बात होती है और खतरे की घंटी भी। स्त्री के जिस नग्न रुप को देखने और पाने के लिये पुरुष तरह तरह की कवायदें करता है उसी स्त्री को यदि कोई पुरुष नंगी करके ठुकरा दे ये तो उसके लिये बलात्कार से भी बड़ा अपमान होता है।
सनी की बातों का असर नेहा पर हुआ जरुर लेकिन थोड़ी देर के बाद और दोनों की आपस में नोंक झोंक औत तू तू मैं मैं के बाद। अब जमीन पर अपने पांव मोड़ कर बैठी नंगी नेहा सोचने लगी कि यदि इसने सचमुच नीता के साथ सगाई से मना कर दिया तो? मेंरा परिवार नाहक ही बदनाम हो जायेगा . और फ़िर पता नहीं सनी क्या कारण बतायेगा सगाई न करने के लिये? अब उसे कुछ घबराहट होने लगी , उसकी स्थिती सांप छछूंदर वाली हो गई थी न उगलते बन रहा था और ना ही निगलते।
नेहा की स्थिती बड़ी ही दुविधा वाली हो गई थी , इधर कुंआ तो उधर खाई . सनी की शर्त ही ऐसी थी यदि नीता के साथ सगाई करवानी है तो उसे अपनी बुर चुदवानी होगा सनी के लंड़ से और यदि सनी कि बात ना मानी तो सनी चोदेगा उसके परिवार की इज्जत को पूरे समाज के सामने। आपनी स्थिती पर खुद नेहा को ही तरस आ रहा था लेकिन कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था उसे इस विकट परिस्थिती से बाहर आने के लिये। वो सनी को इतना ज्यादा बोल चुकी थी कि अब उससे वापस होने का तो कोई सवाल ही नहीं उठता था क्योंकि अपनी बात वापस लेने या उसके सामने विनम्र होने का मतलब था उसके सामने समर्पण करना, सो उसने उसका हिम्मत से सामना करने का निश्चय किया।
नेहा लगभग पिछले २० मीनट से सनी के सामने नंगी पड़ी थी सो अब शर्म जैसी बात काफ़ी खतम हो चुकी थी . जिस शरीर को छुपाने में स्त्री अपना सर्वस्व लगा देती है उसे यदि सनी ने देख लिया है तो थोडी देर और सही देख जितना देख सकता है फ़िर तो इसे कभी मेंरी परछाई भी देखने को नसीब नहीं होने वाली ऐसा सोच कर नेहा पलटी और सनी को बोली " सुन अब ना तो मैं यहां रहने वाली हूं और ना ही मुझे इस बात से कोई मतलब कि तुम क्या फ़ैसला लेते हो मेंरी नजर में तुम्हारी जो इज्जत थी वो खतम हो चुकी है और मैं ये बात अपने दिल से कह रही हूं कि यदि तुम्हारे साथ नीता की सगाई ना हो तो नीता से ज्यादा कोई भाग्यवान नहीं होगा, लेकिन तुम यदि ये सोच रहे हो कि अपनी गंदी
मानसिकता और हरकतों से अपने और खासतौर मेंरे परिवार को जिस मुसीबत में ड़ालने की सोच रहे हो तो मैं तुम्हारे मंसूबे कभी भी पूरे नहीं होने दूंगी। उसने बोलना जारी रखा "यदि तुमने सगाई तोड़ने की कोशीश भी की तो मैं तुम्हारी सच्चाई तुम्हारे घर वालों को बता दूंगी और यदि जरुरत पड़ी तो तुम्हारे खिलाफ़ F.I.R. भी लिखवाउंगी। उसने सनी को धमकाते हुए कहा तुम्हारी भलाई इसी में है कि तुम नीता से बिना शर्त सगाई कर लो वर्ना इसका अंजाम बहुत बुरा होगा . और फ़िर मेंरी बातों से तुम्हारे परिवार की जो बेईज्जती होगी और मम्मी,पापा,दिया और संजय को तकलिफ़ होगी उसका जिम्मेंदार केवल तू होगा सनी। अब नेहा ने भी उसके साथ सभ्यता से बात करना छोड़ दिया और वो उससे तू तड़ाक की भाषा बोलने लगी।
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