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RE: Bhai Bahan Sex Kahani भाई-बहन वाली कहानियाँ
भैया और सैंया--1
मेरा नाम रवि है। मैं २६ साल का हूँ और एक प्राईवेट फ़र्म में सेल्स मैनेजर हूँ। मेरी शादी नहीं हुई है, अकेला दिल्ली में रह रहा था। दो महीने पहले मेरी ममेरी बहन १२वीं की परीक्षा पास करके मेरे साथ रहने आ गयी। उसको अभी स्पोकेन ईंग्लिश का एक कोर्स करना था और साथ में बी.बी.ए. भी। उसके मम्मी-पापा उसे मेरे घर छोड़ कर चले गए और मुझे उसका गर्जियन बना गए। बी.बी.ए. में एड्मिशन के बाद जब होस्ट्ल मिलता तब उसे होस्ट्ल जाना था। उसका नाम निशु था, १८ साल की निशु की जवानी एक दम से खिली हुई थी। ५’५" की निशु का रंग थोड़ा सा सांवला था, पर एकहरे बदन की निशु की फ़िगर में गजब का नशा था, ३४-२२-३४ की निशु को जब भी मैं देखता मेरे लंड में हल्का हल्का कड़ापन आना शुरु हो जाता। हालाँकि मैं दिखावा करता कि मुझे उसके बदन में कोई दिल्चस्पी नहीं है, पर मुझे पता था कि निशु को भी मेरी नज़र का अहसास है। करीब एक सप्ताह में हमलोग काफ़ी घुल-मिल गए। मैं उसकी पीठ पर हाथ फेर कर उसके ब्रा की स्ट्रैप, हुक आदि महसुस करता, उसको भी इसका अहसास था, पर वो कुछ ना बोलती।
मेरे दोनों करीबी दोस्तों, सुमित और अनवर से भी निशु खुब फ़्रेंड्ली हो गयी थी। वो दोनों लगभग रोज़ मेरे घर आते थे। जुन के दुसरे शनिवार के एक दोपहर की बात है। निशु कोचिंग क्लास गई थी और हम तीनों दोस्त बैठ कर बीयर पी रहे थे। बात का विषय तब निशु ही थी। मेरे दोनों दोस्त उसकी फ़िगर और बोडी की बात कर रहे थे, पर मैं चुपचाप था। अनवर ने मुझे छेड़ा कि मैं एकदम बेवकुफ़ हूँ जब अब तक उसकी जवानी भी नहीं देखी है। मेरे यह कहने पर कि वो मुझे भैया बोलती है, दोनों हंसने लगे और कहा कि वो दोनों उसको थोड़ा ढ़ीठ बनाएंगे और उसको मेरे सामने हीं गन्दी बातें बोल कर उसकी झिझक खत्म करेंगे। उनदोनों ने शर्त रखी कि मैं भी मौका मिलते हीं उसे चोद लुँगा और फिर उन दोनों से अपना ए़क्स्पीरियंस कहूँगा। फिर अनवर बोला की यार उसकी एक पैंटी ला दो, तो मैं अभी मुठ मार लूँ। तभी कौल बेल बज गया, और निशु घर आ गयी। सफ़ेद सल्वार और पीले चिकन के कुर्ते में वह गजब की सेक्सी दिख रही थी। हमसब को बीयर के मजे लेते देख वो मुस्कुराई, और सुमित ने उसको भी बीयर में साथ देने को इन्भाईट किया। मेरे उम्मीद के विपरीत वो हमलोग के साथ बैठ गई। सुमित उसके सामने बीयर रख कर बोला -"पता है निशु, अभी हमलोग तुम्हारे बारे में हीं बात कर रहे थे।" ऊसने पुछा - "कैसी बात - अच्छी या बुरी?", और बीयर की चुस्की ली।
सुमित ने तब कहा-"हमलोग तो अच्छी बात हीं कर रहे थे, पर शायद कहीं तुम्हें बुरी लगे"। उसने अपनी आँखें गोल-गोल नचायी और कहा-"क्यों, ऐसी क्या बात थी कि आपको अच्छी और मुझे बुरी लगेगी?" मैं सुमित की चालाकी समझ रहा था, पर चुप था। सुमित बोला-"तुम्हें अगर बुरा लगे तो बताना, फिर हम ऐसी बात नहीं करेंगे"। अब निशु ने अपना बीयर आधा पी कर कहा-"अरे सुमित भैया, कुछ बताइए तब ना"। और सुमित बोल उठा-"असल में हमलोग तुम्हारी खुबसुरती और सेक्सी फ़ीगर के बारे में बात कर रहे थे, और रवि को छेड़ रहे थे कि दो महिने से साथ रहने के बाद भी वोह साला, तुम्हारी नंगी जवानी नही देखा।" हम सब की नजर निशु के चेहरे पे थी, कि वो कैसे रिएक्ट करती है। पर वोह नोर्मल दिखी। सुमित आगे बोला-"ये साला अनवर तो रवि से तुम्हारी पैंटी माँग रहा था, मुठ मारने के लिए।" निशु ने अपना बीयर पुरा खत्म किया और बोली - "क्या, सच में मैं इस लायक हूँ?" हम समझ गये कि लोहा अब गर्म होने लगा है। अब अनवर बोला - "हाँ, माँ कसम, तुम सच में पटाखा हो यार, एक दम इन्टर्नेशनल मौडल जैसी फ़िगर है तुम्हारी।" वो मुस्कुराई -"हुम्म्म्म्म, मौडल जैसी, ओ.के., क्या मैं आप लोग के लिए कैटवाक करुँ?" अनवर तुरन्त बोला - "श्योर"। और निशु भी सोफ़े से उठी और अपना दुपट्टा जमीन पे गिरा के जबर्दस्त तरीके से कैटवाक किया। दो बार वोह दरवाजे तक गयी और आयी। उसके कमर की लोच और उसकी चाल हमलोगों को दीवाना बना दी थी। सुमित से रहा न गया तो बोल पड़ा -"हाए मेरी जान, जरा ब्रा-पैंटी में कैटवाक कर दो तो हम लोग की ऐसे ही निकल जाएगी"। निशु ने अचानक अपना रंग बदल लिया और सोफ़े पे बैठते हुए कहा -"नहीं रे, आप तीनों मेरे भैया हो और मैं आप सबकी छोटी बहन"। मैं उसके स्टाइल से समझ गया कि, निशु भी भीतर-भीतर एक मस्त लौंडिया है, बस उसको थोड़ी छेड़-छाड़ की जरुरत है, वो लाइन पे आ जायेगी।
इसके बाद हमलोग इधर-उधर की बात करते हुए बीयर का मजा ले रहे थे। बात का विषय लड़कियाँ हीं थी। निशु भी बात सुन सुन कर खुब मजे ले रही थी। तीन बोतल खतम होने के बाद, सुमित बोला कि क्यों न हमलोग ताश खेलें, समय अच्छा कटेगा। सब के हाँ कहने पर मैं ताश ले आया और तब सुमित बोला कि चलो अब आज के दिन को फ़न-डे बनाया जाए। निशु ने हाँ मे हाँ मिलाई। सुमित अब बोला-"हमसब स्ट्रीप-पोकर खेलते हैं, अगर निशु हाँ कहे तब, वैसे भी अब आज फ़न-डे है"। निशु का जवाब था - "अगर रवि भैया को परेशानी नहीं है तो मुझे भी कोई परेशानी नहीं है"। अनवर बोला - निशु, हमलोगों के बदन पर चार कपड़ा है, तुम अपना दुपट्टा हटाओ नहीं तो तुम्हारे पास पाँच कपड़ा होगा। निशु मजे के मूड में थी, बोली-"नहीं, यहाँ अकेली लड़की हूँ, मुझे इतना छुट मिलना चाहिए"। सुमित फ़ैसला करते हुए बोला-"ठीक है, पर हम लड़कों के कपड़े तुम उतारोगी, और तुम्हारा कपड़ा वो लड़का उतारेगा जिसका सबसे ज्यादा प्वांट होगा"। मैं सब सुन रहा था, और मन ही मन में खुश हो रहा था। अब मुझे लग रहा था कि मैं सच में बेवकुफ़ हूँ, निशु तो पहले से मस्त लौंडिया थी।
मेरे सामने अनवर था, निशु मेरे दाहिने और सुमित मेरे बाँए था। पहला गेम अनवर हारा और नियम के मुताबिक निशु ने अनवर की कमीज उतार दी। दुसरे गेम में मैं हार गया, और निशु मुस्कुराते हुए मेरे करीब आयी और मेरा टी-शर्ट उतार दी। पहली बार निशु का ऐसा स्पर्श मुझे अच्छा लगा। तीसरे गेम में निशु हार गयी और सुमित को उसका एक कपड़ा उतारना था। सुमित ने अपने दाहिने हाथ से उसका दुपट्टा हटा दिया और अपने बाँए हाथ से उसकी एक चुची के हल्के से ट्च कर दिया। निशु की भरी-भरी चुची कुर्ती के भीतर से भी मस्त दिख रही थी। मेरा लंड अब सुरसुराने लगा था। अगले दो गेम सुमित हारा और उसके बदन से टी-शर्ट और बनियान दोनों निकल गये। इसके बाद वाली गेम मैं हारा और मेरे बदन से भी बनियान हट गया और फिर जब सुमित हारा तो अब पहली बार किसी का कमर के नीचे से कपड़ा उतरा। निशु ने खुब खुश होते हुए सुमित की जींस खोल दी। मैक्रोमैन ब्रिफ़ में सुमित का लंड हार्ड हो रहा है, साफ़ दिख रहा था। एक नई बीयर की बोतल खुली। उसके मजे लेते हुए पत्ते बंटे, और इस गेम में निशु हार गयी, और अनवर को उसके बदन से कपड़ा हटाना था। निशु अब मेरे सामने अनवर की तरफ़ पीठ करके खड़ी हो गयी, जिससे अनवर को उसके कुर्ते की ज़िप खोलने में सुविधा हो। अनवर ने पहले अपने दोनों हाथ को पीछे से उसकी चुची पे ला कर दो बार चुची मसला, और फिर उसके कुर्ते कि ज़िप खोल करके कुर्ते को उसके बदन से अलग कर दिया। जैसे जैसे कुर्ती उपर उठ रही थी, उसके सपाट पेट की झलक हमें मिल रही थी। एक बार हमारी नज़र मिली, वह मुझे देख कर मुस्कुराई। काले रंग की ब्रा में कसी उसकी सौलिड छाती किसी को भी मस्त कर सकती थी। उसका एकदम सपाट पेट और एक गहरी नाभी देख हम तीनों लड़कों के मुँह से एक ईईईससस निकल गया। वो एकदम नौर्मल दिख रही थी। उसकी नाभी के ठीक नीचे एक काला तिल देख सुमित बोल उठा-"ब्युटी स्पौट भी शानदार जगह पर रखी हो तुम निशु। इतनी जानदार फ़िगर है तुम्हारी, थोड़ा अपने बदन का ख्याल रखो। मैं तुम्हारे अंडर-आर्मस के बालों के बारे में कह रहा हूँ"। सच निशु के काँख में खुब सारे बाल थे, काफ़ी बड़े भी। ऐसा लगता था कि वो काफ़ी दिनों से उसको साफ़ नहीं की है। पहली बार मैं एक जवान लड़्की की काँख में इतना बाल देख रहा था और अपने दोस्तों को दिल में थैंक्स बोल रहा था कि उनकी वजह से मुझे निशु के बदन को देखने का मौका मिल रहा था। निशु पर बीयर का मीठा नशा हो गया था और वो अब खुब मजे ले रही थी हम लड़्कों के साथ। वैसे नशा तो हमसब पर था, बीयर और निशु की जवानी का। ब्रा में कसे हुए निशु की जानदार चुचीओं को एक नज़र देख कर मैने पत्ते बाँट दिए। यह गेम मैं हार गया। मुझे थोड़ी झिझक थी, पर जब निशु खुद मेरे पास आकर बोली-"रवि भैया खड़े हो जाओ, ताकि मैं तुम्हारी पैंट उतारूँ" और मैं भी मस्त हो गया। मैंने कहा - "ओके, जब गेम का यही नियम है तब फ़िर ठीक है, खोल दो मेरा पैंट" और मैं खड़ा हो गया। वह अपने हाथ से मेरे बरमुडा को नीचे खींच दी और जब झुक कर उसको मेरे पैरों से बाहर कर रही थी तब मेरी नज़र उसके ब्रा में कसी हुई चुचीओं पर थी, जो उसके झुके होने से थोड़ा ज्यादा हीं दिख रही थी। अनवर ने अपना हाथ आगे किया और उसके चुतड़ पर एक हल्का सा चपत लगाया। वो चौंक गयी, और हमसब हंसने लगे। मेरा लंड फ़्रेंची में एकदम कड़ा हो गया था और निशु को भी ये पता चल रहा था। साइड से निशु को मेरे लंड की झलक मिल रही थी। अगली बाजी अनवर हारा, और उसकी भी बनियान उतर गयी। पर जबतक निशु उसका बनियान खोल रही थी, वो तबतक उसके पेट और नाभी को सहलाता रहा था। अगली बाजी मैं जीता और निशु हार गयी। पहली बार मुझे निशु के बदन से कपड़ा उतारने का मौका मिला। निशु मेरे समने आकर खड़ी हो गयी। मेरे दिल में जोश था पर थोड़ा झिझक भी था। मुझे निशु की सलवार खोलनी थी। मैंने अभी सलवार की डोरी पकड़ी ही थी कि अनवर बोला-"थोड़ा सम्भल के, जवान लड़कियों की सलवार के भीतर बम रहता है, ध्यान रखना रवि"। मैं झेंप गया, निशु भी थोड़ा झेंपी। मैं उसके सलवार को नीचे कर चुका था, और वोह अपने पैरे उठा के उसको पुरी तरह से निकालने में सहयोग कर रही थी। वो अपने दोनों हाथ से मेरे कन्धे को पकड़ कर अपने पैर उपर कर रही थी, ताकि मैं सलवार पुरी तरह से उतार सकूँ।
अब जब मैं निशु को देखा तो मेरा लंड एक बार पुरी तरह से ठनक गया। काली ब्रा और मरून पैंटी में निशु एक मस्तानी लौंडिया लग रही थी। उसका संवला-सलोना बदन मेरे दोस्तों के भी लंड का बुरा हाल बना रहा था। इसके बाद की बाजी अनवर फ़िर हारा और निशु ने उसका कौटन पैंट खोल दिया। इसबार निशु के चुतड़ पे सुमित ने तबला बजाया, पर अब निशु नहीं चौंकी, वह शायद समझ गयी थी कि अकेली लड़्की होने की वजह से उसको इतना लिफ़्ट हम लड़कों को देना होगा। अब जबकि हमसब अपने अंडरगार्मेंट में थे सुमित बोला-"क्या अब हमलोग गेम रोक दें, इसके बाद नंगा होना पड़ेगा"। वो अपनी बात खत्म भी नहीं किया था कि अनवर बोला-"कोई बात नहीं, नंगा होने के लिए ही तो स्ट्रीप-पोकर खेला जाता है"। मैं दिल से चाह रहा था कि खेल ना रुके और मैं एक बार निशु को नंगा देखुँ। सुमित ने निशु से पुछा-"बोलो निशु, तुम अकेली लड़की हो, आगे खेलोगी?" उस पर तो मजे का नशा था। वो मुझे देखने लगी, तो अनवर बोला-"अरे निशु तुम अपने इस गान्डू भैया की चिंता छोड़ो। अगर तुम मेरी बहन होती, तो जितने दिन से तुम इसके साथ हो, उतने दिन में ये साला तुमको सौ बार से कम नहीं चोदता। देखती नहीं हो, इसका लंड अभी भी एकदम कड़ा है, सुराख में घुसने के लिए"। और उसने अपना हाथ बढ़ाया और अंडरवीयर के उपर से मेरे लंड पे फ़ेर दिया। मैं इस बात की उम्मीद नहीं कर रहा था, चौंक गया। और सबलोग हँसने लगे, निशु भी मेरी हालत पे खुल कर हँसी। बीयर का हल्का नशा अब हम सब पर था।
अगली बाजी अनवर हार गया और निशु मुस्कुराते हुए उसको देखी। अनवर अपनी हीं मस्ती में था बोला - आओ, करो नंगा मुझे। तुम्हारे जैसी सेक्सी लौन्डिया के हाथों तो सौ बार मैं नंगा होने को तैयार हूँ। और जब निशु ने उसका अंडरवीयर खोला तो उसका ७" का फ़नफ़नाया हुआ लंड खुले में आ कर अपना प्रदर्शन करने लगा। अनवर भी निशु को अपने बाँहों में कस कर उसके होठ चुमने लगा और उसका लंड निशु की पेट पे चोट कर रहा था। निशु उसकी पकड़ से निकलने के लिए कसमसा रही थी। तीन-चार चुम्बन के बाद वोह निशु को छोड़ा तब वो अपनी सीट पे बैठी। अनवर साइड में बैठ कर अपने लंड से खेलने लगा। वह साथ में अपना बीयर का ग्लास भी ले गया। अगले गेम में निशु हार गयी और मुझे उसका ब्रा खोलना था। वोह आराम से मेरे सामने आ कर मेरी तरफ़ पीठ करके खड़ी हो गयी, और पीठ से अपने बाल समेट कर सामने कर लिए, ताकि मैं अराम से उसके ब्रा की हुक खोल सकूँ। मैंने प्यार से ब्रा का हुक खोला, और वो अब सीधी हो गयी, ताकि मैं उसकी चुचियों पर से ब्रा निकाल सकूँ। अनवर पे सच थोड़ा नशा हो गया था, बोला-"अबे साले गधे के पूत, रवि, अब तो छु ले उसको। बार बार चुची नंगी करके नहीं देगी तेरे को"। उसकी बात सुन मुझे खुब मजा आया, पर निशु को पता नहीं क्या लगा बोली-"मन है तो एक बार टच कर लीजिए"। मौका सही देख मैंने दो-चार बार उसकी चुची पे हाथ फ़ेरा। उसकी चुचिओं के मखमली अहसास से मेरा मन तड़प उठा।
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भैया और सैंया--2
अगली बाजी मैं हार गया। निशु खुब खुश हुई और जोर से बोली "हाँ अब करुँगी आपको नंगा"। मैं खड़ा हो गया और वो मेरे फ़्रेन्ची को नीचे कर दी। मेरा फ़नफ़नाया हुआ लन्ड आजाद हो कर खुश हो गया। मेरा आधा सुपाड़ा मेरे फ़ोरस्कीन से बाहर झांक रहा था। अनवर कैसे चुप रहता, बोल पड़ा-"निशु खेल लो उस लन्ड से, तुम्हारे गान्डु भैया का है"। सुमित बोला-"अब आज के बाद तो भैया और सैंया दोनों अपना यही शेर है।" और वो दोनों हँसने लगे। निशु मेरे लन्ड को ले कर सहलाने लगी कि सुमित बोला-"हाथ से लड़्के खेल्ते हैं निशु, लड़की तो लन्ड का लौलिपौप बना कर चुसती है"। निशु से मैं ये उम्मीद नहीं कर रहा था। पर वो मेरे लन्ड को अपने मुँह में ले कर चुसने लगी। दो-चार बार के बाद उसने बुरा सा मुँह बनाया, शायद उसको अच्छा नहीं लगा तो वो मेरा लन्ड छोड़ दी और सुमित के सामने बैठ गयी। सुमित बोला-"अब की बाजी में खेल खत्म हो जायेगा। इसलिए जो दुसरे को नंगा करेगा वो एक मिनट तक उसके प्राइवेट पार्ट को चुसेगा। मंजूर है तो बोलो वर्ना यहीं पे खेल समाप्त करते हैं"। निशु की आंखे लाल हो गयी थी। वो अब नशे में थी। उसने पत्ते उठा लिए और लास्ट बाजी बंट गई। मैं दिल से दुआ कर रहा था कि निशु हार जाए ताकि उसके चुत का भी आज दर्शन हो जाए। और मेरी दुआ कुबुल हो गयी। सुमित जीत गया और निशु हार गयी। सुमित ने अब निशु हो अपनी बांहो में उठा करके उसको सेन्टर टेबल पे लिटा दिया और उसके दोनों पैरों के बीच आ गया। खुब प्यार से उसके मखमली जांघों को सहलाया और फिर मुझे और अनवर को पास आने का न्योता दिया-"आ जाओ भाई लोग, अब निशु की चुत का दीदार करो"। मैं तो कब से बेचैन था इस पल के लिए। हम तीनों दोस्त टेबुल को घेर कर खड़े हो गये। निशु अब तक मुस्कुरा रही थी। सुमित ने निशु की पैंटी को उपर की एलास्टिक से फ़ोल्ड करना शुरु कर दिया। दुसरे फ़ोल्ड के बाद निशु की झांट की झलक मिलने लगी। धीरे-धीरे उसकी चुत की झलक भी मिलने लगी। सुमित ने उसके पैरों को उपर की तरफ़ करके पैंटी नीचे से पैरों से निकल दी और फ़िर खुब धीरे-धीरे उसके टांगों को थोड़ा साइड की तरफ़ खोल दिया और अब निशु की चुत की फ़ाँक एकदम सामने दिख रही थी। निशु की चुत पे २-२" के बाल थे और इस बड़े-बड़े झांटों की वजह से उसके चुत की घुंडी साफ़ नहीं दिख रही थी। सुमित ने उसके चुत पे हाथ फ़ेरा और फ़िर उसके झांटों को साइड करके हम दोनों को उसके पुरे चुत के दर्शन कराए। जब निशु की नज़र मेरे से मिली तब वोह अपने हाथों से अपना चेहरा ढ़क ली। पर अब मुझे उसके शर्म की परवाह नहीं थी। हम में से किसी को नहीं थी। निशु बोली - अब छोड़ दीजिए। पर सुमित ने उसको याद कराया कि अभी ३५ सेकेंड वो उसकी चुत चुसेगा। इसके बाद वो निशु की चुत चुसने में बिजी हो गया, अनवर मूठ मारने लगा और मैं सब चीज़ समेटने लगा। निशु के मुँह से सिसकारी निकलने लगी थी। हमलोगों की अनुभवी नजरों ने तार लिया था कि अभी निशु कुँवारी है। उसके चुत के भीतर की झलक लेते हुए हम सब ये समझ गये थे।
नई-नई जवानी चढ़ी थी बेचारी पे, इसलिए वो इतना मजा पा कर के शायद झड़ गई और बोली-"अब बस, अब मुझे पेशाब आ रही है। सुमित रुकने का नाम नहीं ले रहा था। वोह बेचारी दो-तीन बार अपने बदन को सुमित के पकड़ से छुड़ाना चाहा, फ़िर उसी टेबल पर हीं सुमित के चेहरे पे सु-सु करने लगी। सुमित ने अब अपना चेहरा हटा लिया। निशु ने अपना बदन एकदम ढीला छोड़ दिया और खुब मुती, फ़िर शांत हो गई। दो मिनट ऐसे ही रहने के बाद उसे कुछ होश आया और तब वह उठी और फ़िर अपने कपड़े उठा कर अपने बेडरूम में चली गई। हमलोगों ने भी अपने कपड़े पहन लिए। हमलोग अब उसको अकेला छोड़ पास की मार्केट की तरफ़ निकल गये, निशु तब बाथरूम में थी। यार लोगों ने मुझे बेस्ट ओफ़ लक विश किया, और मैने उन्हें थैंक्स कहा और मार्केट से सुमित और अनवर अपने घर चले गये और मैं निशु के जवान और नंगे बदन के बारे में सोचते हुए अपने घर चल दिया।
चार दिन आराम से बीते, निशु के साथ ताश के बहाने नंगापने के खेल के बाद। सुमित और अनवर इस बीच घर नहीं आए, पर फोन पर हमेशा मुझसे पुछा कि मैने अब तक निशु को चोदा कि नहीं। मुझे इतना होने के बाद भी हिम्मत नहीं हो रही थी निशु से सेक्स के लिए कहने की। निशु भी ऐसे थी जैसे उस दिन कुछ हुआ ही ना हो। खैर, जब सुमित ने अल्टिमेटम दे दिया कि अगर आज मैंने निशु को नहीं चोदा तो वो उसे पटा के चोदेगा तब मुझे भी जोश आ गया, और शाम में डिनर टेबल पर मैंने निशु से कहा - "निशु, आज रात मेरे साथ सो जाओ ना प्लीज, उस दिन के बाद से मुझे बहुत बेचैनी हो रही है।" यह बात मैंने अपना सर नीचे करके खाना खाते हुए कहा। मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि मैं निशु से नजरें मिलाऊँ। निशु ने मेरे झिझक या शर्म को समझ लिया और फिर मेरे पास आ कर मेरे सर को उठाया और कहा - "आज नहीं, दो-तीन दिन बाद", और मेरे होठ चुम लिए। मुझमें अब हिम्मत आ गई और मैंने पुछा - "आज क्यों नहीं, दो-तीन दिन बाद क्यों?" अब निशु मुस्कुराते हुए मेरे कान के पास फ़ुस्फ़ुसा के बोली - "थोड़ा समझा करो रवि भैया, अभी पीरियड्स चल रहा है, इसीलिए कह रही हूँ, दो-तीन दिन बाद।" मैं खुश हो गया कि चलो अब दो-तीन दिन बाद निशु जैसी एक मस्त लौंडिया मिलेगी चोदने को।
तीसरे दिन जब मैं औफ़िस से लौटा तो निशु एकदम फ़्रेश लग रही थी, मुझसे बोली - "रवि भैया आज कहीं बाहर चलिए डिनर के लिए।" वो तैयार थी। करीब एक घंटे बाद हमलोग एक चाईनीज रेस्ट्रां में बैठे थे। वो मेरे साथ ऐसे बिहेव कर रही थी जैसे वो मेरी गर्लफ़्रेंड हो। मुझे भी मजा आ रहा था। करीब ९ बजे जब हम लौट रहे थे तब निशु ने मुझसे कहा - "रास्ते में कहीं से कन्डोम खरीद लीजिएगा रवि भैया।" यह सुनके मेरा लन्ड गरम होने लगा। मैंने बात हल्के से लेते हुए पुछा - "क्यों, आज रात मेरे साथ सोना है क्या?" और मैंने उसका हाथ जोर से दबा दिया। वो एक कातिल स्माईल के साथ बोली - "आपके साथ बेड पे जब मैं रहूँगी, तब आप सोएँगे या जागेंगे?" मैंने उसको घुरते हुए कहा - "बहुत गहरी चीज हो निशु तुम तो भाई।" वो भी पुरे मूड में थी, बोली - "आप और आपके दोस्तों का किया है सब, वर्ना मैं जब आपके पास आई तब तक मुझे कुछ समझ नहीं थी।" मैंने उसके चुतड़ पे एक चपत लगाया और कहा - "तुम चिंता ना करो, बिना कन्डोम भी मैं जब करुंगा तो अपना माल भीतर नहीं बाहर निकालूँगा।" और हम दोनों घर आ गए।
निशु बोली कि आप चलिए मैं तैयार हो कर आती हूँ। पर मेरे लिए अब रुकना मुश्किल था, बोला - "इसमें तैयार क्या होना है, नंगा होना है बस।" और मैं अपने शर्ट के बटन खोलने लगा। कुछ समय में हीं मैं सिर्फ़ अपने फ़्रेंची अंडरवीयर में था। निशु पास खड़ी देख रही थी, बोली- "बहुत बेचैनी है क्या?" वो मुझे चिढ़ाने के मूड में थी। मैं उसकी ये अदा देख मस्त हो रहा था, पर उपर से बोला- "अब जल्दी से आ और प्यार से चुदवा ले, वर्ना पटक के चूत चोद दुंगा। साले यार लोगों ने रोज़ पुछ पुछ कर कान पका दिया है।" निशु अब सकपकाई, और पुछा - "क्या आप अपने दोस्तों से मेरे बारे में बात करते हैं?" उसके चेहरे से चिंता दिखी, तो मैंने सच कह दिया - "सुमित और अनवर रोज़ पुछते हैं, उस दिन का ताश का खेल भी मेरे और तुम्हारे बीच यही करवाने के लिए ही तो था। इन फ़ैक्ट, जब से तुम आई हो उस दिन से वोह दोनों तेरे बदन के पीछे पड़े हैं।" निशु अब नौर्मल हुई-"अच्छा वो दोनों, मुझे लगा कि कोइ और दोस्त को भी आप बताएँ हैं। क्या आप आज रात की बात भी उनको बताएँगें?" मैंने देखा कि अब सब ठीक है, सो सच कह दिया- "जरूर, वोह जरूर पुछेंगे, और तब मैं बता दुंगा"। और मैंने निशु को पास खींच कर अपने सीने से लगा लिया और उसके होठों का रस पीने लगा।
निशु भी सहयोग कर रही थी, और हमलोग कोई ५ मिनट तक सिर्फ़ होठ हीं चुसते रहे। निशु की साँस थोड़ी गहरी हो गयी थी। मैंने निशु को कहा - "चलो अब बेड पर चलते हैं।" उसने एक बच्चे की तरह मचलते हुए कहा - "मैं खुद नहीं जाउंगी, गोदी में ले चलो मुझे। मैं तुमसे छोटी हूँ कि नहीं।" उसे बच्चों की तरह मचलते देख मुझे मजा आया बोला -"साली, नखरा कर रही है, छोटी है तू, अभी दो मिनट में जवानी चढ़ जायेगी" और उसको मैंने गोदी में उठा लिया। वो मेरे सीने से लग गई और बोली - "ऐसे कभी गोदी लेते क्या आप, अगर मैं न कहती"। मैं ने जवाब दिया - "अरे तेरे जैसी मस्त लौंडिया अगर बोले तो अपने सर पे बिठा के ले जाऊँ उसे"। मै उसको अपने बेड पे ला कर पटक दिया। मुझे पेशाब आ रही थी, तो बाथरूम जाते हुए मैंने कहा - "अब उतार अपने कपड़े, और नंगी हो जा, जब तक मैं आता हूँ"। मैं जब लौटा तब भी निशु अपने पुरे कपड़े में बेड पर दिखी। मैं थोड़ा चिढ़ गया इस बात पर। मैं बोला - "क्या साली नखरे कर रही है, मेरा लन्ड खड़ा करके। मेरे से कपड़े उतरवाना है तो आ जरा लन्ड चुस मेरा।" वो भी थोड़ा तुनक कर बोली - "अच्छा, तो अब मैं आपकी साली हो गई। आप दो बार मुझे साली बोल चुके हैं" फ़िर मुस्कुराने लगी। मैंने हँसते हुए कहा - "तो क्या तुम मुझे बहनचोद बनाना चाहती हो?" इसबार वह सेक्सी अंदाज़ में बोली - "आप मुझे रंडी बना रहे हो तो कोई बात नहीं और मैं आपको बहनचोद भी ना बनाऊँ"। और वो मेरे से सट गई। मैंने उससे नज़र मिला के कहा - "मैं तो तुम्हें अपनी रानी बना रहा हूँ जान, रन्डी नहीं मेरी प्यारी निशु।" मैं फ़िर उसके होठ गाल चुमने लगा। वो साथ देते हुए बोली - "थैंक्स रवि भैया, पर मुझे तो रन्डी बनना पड़ेगा अब। आपके दोनों दोस्त मुझे ज्यादा दिन छोड़ेंगे ही नहीं"। मैने उसकी हाँ में हाँ मिलाई - "यह बात तो है, निशु, पर कोइ बात नहीं एक-दो बार से ज्यादा वो लोग नहीं करेंगे। मैं जनता हूँ उनको"।
निशु थोड़ा गरम होने लगी थी, बोली - "अब छोड़ो ये सब बात और चलो शुरु करो रवि भैया"। मुझे यह सुनके मजा आया - "क्या शुरु करे तुम्हारा रवि भैया, जरा ठीक से तो कहो मेरी छोटी बहना।" मेरा हाथ अब उसकी दाहिनी चुची को कपड़े के उपर से ही मसल रहा था। एक बार फ़िर मैं पुछा - "बोल न मेरी बहना, क्या शुरु करे तुम्हारा भैया। बात करते हुए ज्यादा मजा आयेगा मेरी जान। इसलिए बात करती रहो, जितना गंदा बात बोलोगी, तुम्हारी चूत उतना ज्यादा पानी छोड़ेगी। अब जल्दी बोलो बहन, क्या शुरु करूँ मैं?" उसकी आँखें बन्द थी, बोली -"मेरी चुदाई"। तेरी चुदाई या तेरे चूत की चुदाई? "मेरे चूत की चुदाई", वह बोली। मेरे दोनो हाथ अब उसकी चुतड़ पे थे, मैं हल्के हल्के उन्हें दबा रहा था। फ़िर मैंने उसको बेड पे बिठा दिया, और उसकी कुर्ती धीरे धीरे सर के उपर से निकल दी। इसके बाद मैंने उसकी सलवार खोल दी। अब निशु मेरे सामने एक सफ़ेद ब्रा और काली पैंटी में थी। मैने कहा - "अब ठीक है, आओ लन्ड चुस कर एक पानी निकल दो"। निशु अब मजाक के मूड में थी, अपनी गोल गोल आँख नचाते हुए बोली - "किसका लन्ड चुसूँ, मुझे तो कोई लन्ड दिख नहीं रहा।"
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RE: Bhai Bahan Sex Kahani भाई-बहन वाली कहानियाँ
भैया और सैंया--3
मुझे उसकी ये अदा भा गई, मैने गन्दे तरीके से कहा - "अपने प्यारे भैया का लन्ड निकालो और फ़िर उसको मुँह से चुसो, मेरी रन्डी बहना। अपने भैया को सैंया बना के चुदवाओ अपनी चूत और फ़िर अपनी गांड़ भी मरवाओ"। और मैं सीधा लेट गया। निशु ने मेरा लन्ड चुसना शुरु कर दिया। मैंने उसको लन्ड से खेलना सिखाया और वो जल्दी ही समझ गई और मुझे मजे देने शुरु कर दिये। कोइ १० मिनट चुसाने के बाद मेरा लन्ड जब झरने वाला था, मैने निशु को कहा कि वो रेडी रहे और फ़िर मैं उसके मुँह में झर गया। मेरे कहने से उसने मेरा सारा पानी पी लिया। अब मैने उसकी ब्रा और पन्टी खोल दी। काली काली झांटों से भरी हुई उसकी चूत का एक बार फ़िर दर्शन कर मैं निहाल हो गया। जैसे हीं मेरे हाथ निशु की चूत की तरफ़ गये, वो बोली - "भैया, कुछ होगा तो नहीं। डर लग रहा है, कहीं बदनामी ना हो जाए।" मैने समझाते हुए कहा - "कुछ नहीं होगा। आज तक जब तुम्हारी बदनामी नहीं हुई तो अब क्यों डर रही हो?" उसका जवाव सुन के मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वो बोली थी -"आज पहली बार भीतर करवाऊँगी, इसीलिए डर रही हूँ।" मैं बोला-"क्या, क्या तुम कुँवारी हो अब तक?" उसके हाँ कहने पर मुझे विश्वास नहीं हो रहा था। मैंने बोल ही दिया - "मुझे विश्वास नहीं हो रहा। एक कुँवारी लड़्की होते हुए तुम उस दिन तीन तीन जवान लड़्के के सामने नंगी हो कर खेल रही थी"। वोह हँसते हुए बोली - "इसमें विश्वास न करने वाली बात क्या है? आप तीनों मुझ पर लाईन मार रहे थे कई दिन से, सो उस दिन मैं भी सोची कि चलो आज लाईन दे देती हूँ, बस। आप लोग को मजा आया तो मुझे भी तो मजा आया।" मैं हँस दिया - "बहुत कुत्ती चीज है तु, चल लेट, जरा तेरी चूत की जाँच करूँ, कैसी कुँवारी कली है तु"। और मैंने उसके चूत की फ़ाँक खोल करके भीतर की गुलाबी झिल्ली चेक की। साली सच में कुँवारी थी। सांवले बदन की निशु की चूत थोड़ी काली थी, जिससे उसके चूत का फ़ूल ज्यादा ही गुलाबी दिख रहा था। करीब १० मिनट तक उसकी चुची और चूत को चुमने चाटने के बाद मैने उसके जांघों को साईड में कर के उसके चूत को खोल दिया और खुद बीच में बैठ के लन्ड को निशु के चूत की फ़ाँक पर सेट कर लिया। मजे से निशु की आँख बन्द थी। वह अब सिर्फ़ आह-आह-आह सी सी सी जैसा कर रही थी।
मैने निशु से पुछा -" तैयार हो निशु रानी चुदवाने के लिए? मेरा लन्ड तुम्हारी चूत को चुम्मा ले रहा है। कहो तो पेल दूँ भीतर, और फ़ाड़ दूँ तुम्हारी चूत की झिल्ली? बना दूँ तुम्हें लड़्की से औरत? बोलो जान, बोलो मेरी रानी" अब उससे रहा नहीं जा रहा था, वह बोल पड़ी - "हाँ भैया, चोद दो मेरी बूर अपने लन्ड से। बना दो मुझे औरत। अब मुझे कुँवारी नहीं रहना।" मैं अपना लन्ड पेलने लगा वो थोड़ा कच्मचाई, शायद उसको दर्द हो रहा था। पर मैं नहीं रुका, उसकी गिली बूर में लन्ड ठाँसता चला गया। निशु इइइस्स्स्स आह करती जा रही थी और बोलती जा रही थी -"कर दो मेरे कुँवारेपन का अंत आज। मेरी बूर को जवानी का मजा दो, लूट लो मेरे जवानी को और चोद कर बना दो मुझे रन्डी। चोदो मुझे भैया, खुब चोदो मुझे।" मैं जोश में चोदता जा रहा था। हमदोनों साथ साथ बोलते जा रहे थे। मैं बोल रहा था - "चुद साली चुद। अब फ़ट गई तेरे बूर की झिल्ली। गया तेरा कुँवारा पन। लुटो मजा अपनी जवानी का। साली अभी थोड़ी देर पहले बच्ची बनी हुई थी। गोदी में घुम रही थी। अब इसी चूत से बच्चे पैदा करेगी तू। मैं तुम्हे चोद कर बच्चे पैदा करुँगा।चुदो साली चोदो, खुब चोदवाओ।" निशु भी बड़बड़ा रही थी - "अभी बच्चा नहीं। अभी मुझे अपने बूर का मजा लुटना है। खुब चुदवाऊँगी। जवानी का मजा लुटुँगी। फ़िर बच्चे पैदा करुँगी। आआआहह चोदो और चोदो मुझे। रन्डी बना के चोदो, बहन्चोद। रवि भैया, बहनचोद भैया, चोदो छोटी बहन को।" मैंने अब उसको पलट दिया और पीछे से उसकी बूर में लन्ड पेल दिया और एक बार फ़िर चुदाई चालू हो गई। अब वोह थक कर निढाल हो गयी थी, मैने ८-१० जोर के धक्के लगाये और फ़िर मैं भी झर गया। मैने अपना लन्ड बाहर निकाल लिया था, मेरा माल उसकी चुतड़ पर फ़ैल गया। निशु मेरे नीचे पेट के बल बेड पे थी और मै उसके उपर था। मेरा लन्ड उसके गांड की दरार पर चिपका था। हम दोनों जोर जोर से हाँफ़ रहे थे, जैसे मैराथन दौड़ कर आये हों। तभी घड़ी ने ११ बजे का घंटा बजाया। मैने निशु से कहा - "अब?" वोह हाँफ़ते हुए बोली -"अब कुछ नहीं, बस सोना है" और करवट बदल लिया। हमदोनों नंगे हीं सो गये।
निशु बोली- आप चलिए, मैं तैयार हो कर आती हूँ। पर मेरे लिए अब रुकना मुश्किल था, बोला,"इसमें तैयार क्या होना है, नंगा होना है बस।" और मैं अपने शर्ट के बटन खोलने लगा। कुछ समय में ही मैं सिर्फ़ अपने फ़्रेंची अंडरवीयर में था। निशु पास खड़ी देख रही थी, बोली,"बहुत बेचैनी है क्या?" वो मुझे चिढ़ाने के मूड में थी। मैं उसकी ये अदा देख मस्त हो रहा था, पर उपर से बोला- "अब जल्दी से आ और प्यार से चुदवा ले, वर्ना पटक के चूत चोद दूंगा। साले यार लोगों ने रोज़ पूछ पूछ कर कान पका दिया है।" निशु अब सकपकाई और पूछा,"क्या आप अपने दोस्तों से मेरे बारे में बात करते हैं?" उसके चेहरे से चिंता दिखी तो मैंने सच कह दिया,"सुमित और अनवर रोज़ पूछते हैं, उस दिन का ताश का खेल भी मेरे और तुम्हारे बीच यही करवाने के लिए ही तो था। असल में, जब से तुम आई हो उस दिन से वो दोनों तेरे बदन के पीछे पड़े हैं।" निशु अब सामान्य हुई,"अच्छा वो दोनों, मुझे लगा कि कोई और दोस्त को भी आपने बताया हैं। क्या आप आज रात की बात भी उनको बताएँगें?" मैंने देखा कि अब सब ठीक है, सो सच कह दिया- "जरूर, वो जरूर पूछेंगे, और तब मैं बता दूंगा !" और मैंने निशु को पास खींच कर अपने सीने से लगा लिया और उसके होठों का रस पीने लगा। निशु भी सहयोग कर रही थी, हम लोग कोई ५ मिनट तक सिर्फ़ होठ ही चूसते रहे। निशु की साँस थोड़ी गहरी हो गई थी। मैंने निशु को कहा,"चलो अब बेड पर चलते हैं।" उसने एक बच्चे की तरह मचलते हुए कहा,"मैं खुद नहीं जाउंगी, गोदी मे ले चलो मुझे। मैं तुमसे छोटी हूँ या नहीं।" उसे बच्चों की तरह मचलते देख मुझे मजा आया, बोला,"साली, नखरा कर रही है, छोटी है तू, अभी दो मिनट में जवानी चढ़ जायेगी !" और उसको मैंने गोदी में उठा लिया। वो मेरे सीने से लग गई और बोली,"ऐसे कभी गोदी लेते क्या आप, अगर मैं न कहती !" मैंने जवाब दिया,"अरे तेरे जैसी मस्त लौंडिया अगर बोले तो अपने सर पे बिठा के ले जाऊँ उसे !" मैंने उसको अपने बेड पे ला कर पटक दिया। मुझे पेशाब आ रही थी, तो बाथरूम जाते हुए मैंने कहा,"अब उतार अपने कपड़े, और नंगी हो जा, जब तक मैं आता हूँ"। मैं जब लौटा तब भी निशु अपने पूरे कपड़ों में बेड पर दिखी। मैं थोड़ा चिढ़ गया इस बात पर। मैं बोला - "क्या साली नखरे कर रही है, मेरा लण्ड खड़ा करके। मेरे से कपड़े उतरवाना है तो आ जरा लण्ड चूस मेरा।" वो भी थोड़ा तुनक कर बोली,"अच्छा, तो अब मैं आपकी साली हो गई। आप दो बार मुझे साली बोल चुके हैं !" फ़िर मुस्कुराने लगी। मैंने हँसते हुए कहा,"तो क्या तुम मुझे बहनचोद बनाना चाहती हो?" इस बार वह सेक्सी अंदाज़ में बोली,"आप मुझे रंडी बना रहे हो तो कोई बात नहीं और मैं आपको बहनचोद भी ना बनाऊँ ?" और वो मेरे से सट गई। मैंने उससे नज़र मिला के कहा,"मैं तो तुम्हें अपनी रानी बना रहा हूँ जान, रन्डी नहीं। पर तुम्हारे लिये बहनचोद, क्या तू जो बोल वही बन जाऊँगा मेरी प्यारी निशु।"
मैं फ़िर उसके होंठ, गाल चूमने लगा। वो साथ देते हुए बोली,"थैंक्स संजीव भैया, पर मुझे तो रन्डी बनना पड़ेगा अब। आपके दोनों दोस्त मुझे ज्यादा दिन छोड़ेंगे ही नहीं !" मैंने उसकी हाँ में हाँ मिलाई,"यह बात तो है, निशु, पर कोइ बात नहीं एक-दो बार से ज्यादा वो लोग नहीं करेंगे। मैं जानता हूँ उनको !" निशु थोड़ा गरम होने लगी थी, बोली,"अब छोड़ो ये सब बात और चलो शुरु करो संजीव भैया !" मुझे यह सुनकर मजा आया,"क्या शुरु करे तुम्हारा संजीव भैया, जरा ठीक से तो कहो मेरी छोटी बहना।" मेरा हाथ अब उसकी दाहिनी चुची को कपड़े के उपर से ही मसल रहा था। एक बार फ़िर मैंने पूछा,"बोल न मेरी बहना, क्या शुरु करे तुम्हारा भैया ! बात करते हुए ज्यादा मजा आयेगा मेरी जान। इसलिए बात करती रहो, जितना गंदा बात बोलोगी, तुम्हारी चूत उतना ज्यादा पानी छोड़ेगी। अब जल्दी बोलो बहन, क्या शुरु करूँ मैं?" उसकी आँखें बन्द थी, बोली -"मेरी चुदाई" चुदाई या तेरे चूत की चुदाई? "मेरी चूत की चुदाई", वह बोली। मेरे दोनों हाथ अब उसके चूतड़ों पर थे, मैं हल्के हल्के उन्हें दबा रहा था। फ़िर मैंने उसको बेड पर बिठा दिया, और उसकी कुर्ती धीरे धीरे सर के ऊपर से निकाल दी। इसके बाद मैंने उसकी सलवार खोल दी। अब निशु मेरे सामने एक सफ़ेद ब्रा और काली पैंटी में थी। मैने कहा,"अब ठीक है, आओ लण्ड चूस कर एक पानी निकाल दो !" निशु अब मजाक के मूड में थी, अपनी गोल गोल आँख नचाते हुए बोली,"किसका लण्ड चुसूँ, मुझे तो कोई लण्ड दिख नहीं रहा।" मुझे उसकी ये अदा भा गई, मैने गन्दे तरीके से कहा,"अपने प्यारे भैया का लण्ड निकालो और फ़िर उसको मुँह से चूसो, मेरी रन्डी बहना ! अपने भैया को सैंया बना के चुदवाओ अपनी चूत और फ़िर अपनी गांड भी मरवाओ !" मैं सीधा लेट गया। निशु ने मेरा लण्ड चूसना शुरु कर दिया। मैंने उसको लण्ड से खेलना सिखाया और वो जल्दी ही समझ गई और मुझे मजे देने शुरु कर दिये। कोई १० मिनट चुसाने के बाद मेरा लण्ड जब झरने वाला था, मैने निशु को कहा कि वो तैयार रहे और फ़िर मैं उसके मुँह में झर गया। मेरे कहने से उसने मेरा सारा वीर्य पी लिया। अब मैने उसकी ब्रा और पैन्टी खोल दी। काली काली झांटों से भरी हुई उसकी चूत का एक बार फ़िर दर्शन कर मैं निहाल हो गया। जैसे ही मेरे हाथ निशु की चूत की तरफ़ गये, वो बोली,"भैया, कुछ होगा तो नहीं। डर लग रहा है, कहीं बदनामी ना हो जाए।" मैंने समझाते हुए कहा,"कुछ नहीं होगा। आज तक जब तुम्हारी बदनामी नहीं हुई तो अब क्यो डर रही हो?" उसका जवाव सुन के मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वो बोली थी,"आज पहली बार करवाऊँगी, इसीलिए डर रही हूँ।" मैं बोला-"क्या, क्या तुम कुँवारी हो अब तक?" उसके हाँ कहने पर मुझे विश्वास नहीं हो रहा था। मैंने बोल ही दिया,"मुझे विश्वास नहीं हो रहा। एक कुँवारी लड़की होते हुए तुम उस दिन तीन तीन जवान लड़कों के सामने नंगी हो कर खेल रही थी?" वो हँसते हुए बोली,"इसमें विश्वास न करने वाली बात क्या है? आप तीनों मुझ पर लाईन मार रहे थे कई दिन से, सो उस दिन मैं भी सोचा कि चलो आज लाईन दे देती हूँ, बस। आप लोग को मजा आया तो मुझे भी तो मजा आया।" मैं हँस दिया,"बहुत कुत्ती चीज है तू बहना। चल लेट, जरा तेरी चूत की जाँच करूँ, कैसी कुँवारी कली है तू !" और मैंने उसकी चूत की फ़ाँक खोल करके भीतर की गुलाबी झिल्ली की जांच की। साली सच में कुँवारी थी। सांवले बदन की निशु की चूत थोड़ी काली थी, जिससे उसके चूत का फ़ूल ज्यादा ही गुलाबी दिख रहा था। करीब १० मिनट तक उसकी चुची और चूत को चुमने चाटने के बाद मैने उसकी टांगों को चौड़ा कर के उसकी चूत को खोल दिया और खुद बीच में बैठ के लण्ड को निशु की चूत की फ़ाँक पर सेट कर लिया। मजे से निशु की आँख बन्द थी। वह अब सिर्फ़ आह-आह-आह सी सी सी जैसा कर रही थी। मैंने निशु से पूछा,"तैयार हो निशु रानी चुदवाने के लिए? मेरा लण्ड तुम्हारी चूत को चुम्मा ले रहा है। कहो तो पेल दूँ भीतर और फ़ाड़ दूँ तुम्हारी चूत की झिल्ली? बना दूँ तुम्हें लड़की से औरत? कर दूँ तुम्हारे कुँवारेपन का अंत? बोलो जान, बोलो मेरी रानी, बोल मेरी बहना, चुदवाएगी अपने भैया के लण्ड से अपना बूर?" अब उससे रहा नहीं जा रहा था, वह बोल पड़ी,"हाँ मेरे भैया, चोद दो मेरी बूर अपने लण्ड से। बना दो मुझे औरत। अब मुझे कुँवारी नहीं रहना।"
मैं अपना लण्ड पेलने लगा वो थोड़ा कसमसाई, शायद उसको दर्द हो रहा था। पर मैं नहीं रुका, उसकी गीली बूर में लण्ड ठाँसता चला गया। निशु इइइस्स्स्स आह करती जा रही थी और बोलती जा रही थी,"कर दो मेरे कुँवारेपन का अंत आज । मेरी बूर को जवानी का मजा दो मेरे भैया, लूट लो मेरे जवानी को और चोद कर बना दो मुझे रन्डी। चोदो मुझे भैया, खूब चोदो मुझे। मेरी जवानी का रस लूटो संजीव भैया।" मैं जोश में चोदता जा रहा था। हम दोनों साथ साथ बोलते जा रहे थे। मैं बोल रहा था,"चुद साली चुद। अब फ़ट गई तेरे बूर की झिल्ली। गया तेरा कुँवारा पन। लूटो मजा अपनी जवानी का। साली अभी थोड़ी देर पहले बच्ची बनी हुई थी। गोदी में घूम रही थी। अब इसी चूत से बच्चे पैदा करेगी तू मेरी बहना। मैं तुम्हें चोद कर बच्चे पैदा करुँगा। चुदो साली चुदो, खूब चोदवाओ।" निशु भी बड़बड़ा रही थी,"अभी बच्चा नहीं। अभी मुझे अपने बूर का मजा लूटना है। खूब चुदवाऊँगी। जवानी का मजा लूटूँगी। फ़िर बच्चे पैदा करुँगी। आआआहह चोदो और चोदो मुझे। रन्डी बना के चोदो। बीवी बना के चोदो। साली बना के चोदो। बहन बना के चोदो, नहीं बहन तो हूँ ही। और आप बहनचोद हो। संजीव भैया, बहनचोद भैया, चोदो अपनी छोटी बहन को।" मैंने अब उसको पलट दिया और पीछे से उसकी बूर में लण्ड पेल दिया और एक बार फ़िर चुदाई चालू हो गई। अब वोह थक कर निढाल हो गई थी, मैने ८-१० जोर के धक्के लगाये और फ़िर मैं भी झर गया। मैंने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया था, मेरा माल उसके नितम्बों पर फ़ैल गया। निशु मेरे नीचे पेट के बल बेड पे थी और मैं उसके ऊपर था। मेरा लण्ड उसके गांड की दरार पर चिपका था। हम दोनों जोर जोर से हाँफ़ रहे थे, जैसे मैराथन दौड़ कर आये हों। तभी घड़ी ने ११ बजे का घंटा बजाया। मैने निशु से कहा,"अब?" वोह हाँफ़ते हुए बोली,"अब कुछ नहीं, बस सोना है" और उसने करवट बदल ली। हम दोनों नंगे ही सो गये। जब एक बार निशु को मुझसे चुदाने का मजा मिल गया तब फ़िर क्या परेशानी होनी थी। हम दोनों उसके बाद खुल कर बेहिचक और बेझिझक एक दूसरे के साथ मस्ती करने लगे। निशु होस्टल नहीं गई और मेरे साथ ही रहने लगी। पिछले चार महीने में हम दोनों ने सैकड़ों बार चुदाई का खेल खेला। कुछ नया ऐसा न हुआ कि आप सब को बताया जाए। मेरे दोनों दोस्त अनवर और सुमित भी आते तब भी कुछ खास न हुआ। सुमित को एक नई लड़की मिल गई थी और वो उसके साथ व्यस्त था। अनवर ने भी निशु के साथ सेक्स करने की बात ना की, पर निशु अक्सर कहती कि पता नहीं कब आपके दोस्त लोग मेरे में अपना हिस्सा माँगेंगे। मैं तब उसे समझाता कि वो ऐसे नहीं हैं, बहुत होगा तो एक दो बार वो तुम्हें कहेंगे पर अगर तुम ना कर दोगी तो वो जिद नहीं करेंगे। पर अब करीब चार महीने बाद पिछले रविवार को सुबह ही अनवर मेरे घर आया। मैं अखबार पढ़ रहा था और निशु टीवी देख रही थी। हम दोनों में से चाय कौन बनाए, यह अभी तय नहीं हुआ था। अनवर मेरे पास बैठ गया और इधर-उधर की बात करने लगा। फ़िर सुमित की बात आई कि वो कल रात भी अपनी गर्लफ़्रेंड के साथ था। और तभी अनवर बोला- साले तुम दोनों की चाँदी है, रोज चूत से लण्ड की मालिश करते हो। अब मैं शादी ही कर लेता हूँ, मेरे साथ भी एक हमेशा रहेगी। आज एक महीना हो गया किसी को चोदे। ब्लू फ़िल्म देख कर मुठ मारता हूँ। असल में पहले ऐसा नहीं था, तब हम तीनों के साथ कोई रेगुलर न थी। वो अब निशु को देख रहा था, पर कह नहीं पा रहा था। मैंने निशु को कहा- सुन रही हो ना ! कैसा बेचैन है ! अब जरा बेचारे को चाय तो पिलाओ ! निशु मुस्कुराते हुए चाय बनाने चली गई। वो अब मुझसे पूछने लगा- क्या निशु मुझे एक बार चाँस देगी? मैंने भी कह दिया- खुद ही पूछ कर देख ले ! तभी निशु चाय ले कर आई।वो तब एक ढीली टी-शर्ट और बरमुडा पहने थी। नीचे कोई अन्तर्वस्त्र न था, इसलिए उसकी चुचियाँ चलने से फ़ुदक रही थी। हम सब जब चाय पीने लगे तब वो बोला- निशु, प्लीज न मत कहना ! बहुत मन हो रहा है, एक बार मेरे साथ कर लो ना ! वो एक दम से बोल गया था, सो निशु तुरंत जवाब न दे सकी। अनवर ने फ़िर से निशु से कहा और तब निशु ने मुझे देखा।
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02-23-2021, 12:30 PM,
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desiaks
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RE: Bhai Bahan Sex Kahani भाई-बहन वाली कहानियाँ
भैया और सैंया--4
मैंने भी तब कह दिया- मुझे कोई परेशानी नहीं है, अगर तेरा मन है तो हाँ कह दे। अनवर अब निशु को देखे जा रहा था। मुझे पता था कि निशु को भी एक बार का मन है कि देखे कि अलग लड़के से चुदवा के कैसा लगता है, क्योंकि वो अक्सर सेक्स करते समय ये सब बातें करती थी, और जब मैं कहता कि अलग अलग लड़की का स्वाद अलग अलग होता है, तब वो भी जोश में कहती कि वो भी अलग अलग लड़के का मजा लेगी। निशु थोड़ा सोच कर बोली- ठीक है, जब भैया को एतराज नहीं है, तब एक बार आपके साथ कर लूंगी पर उसके बाद आप भी हमेशा मत कहिएगा। मैंने कई बार सुना है कि एक से करे रानी और बहुत से करे रंडी। आप रुकिए, नाश्ता कर के जाइएगा। अनवर अब खुशी से चहक उठा- अभी नहीं कुछ, अब बस अभी करना है, उसके बाद ही नाश्ता-वाशता ! और जब तक कोइ कुछ समझे कहे, वो निशु के चेहरे को पकड़ उसके होंठ चूमने लगा। निशु बस उम-उम कर रही थी, और अनवर उसके होंठों का रसपान कर रहा था। मैं उसकी यह बेचैनी देख हँस पड़ा और कहा- ठीक है, भाई अब दोनों मस्ती करो, आज मैं नाश्ता ब्रेड-ऑमलेट तैयार करता हूँ, जल्दी तुम लोग खत्म करो ये सब ! अनवर एक बार बोला- थैंक्स ! और तब निशु का भी मुँह फ़्री हुआ और वो भी बोली- बाप रे ! ऐसी बेचैनी का मुझे अन्दाज न था। अनवर यह कहते हुए कि हाँ आज वह बहुत बेचैन है, एक बार फ़िर निशु से लिपट गया। मैं अब वहाँ से उठ गया था, पर मुझे पता था कि अनवर को इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ता, हम सभी दोस्त एक दूसरे के सामने पहले दो-चार बार भाड़े की लड़की यानि काल-गर्ल चोद चुके हैं। मुझे निशु के मुँह से निकल रही सेक्सी आवाजें सुनाई दे रही थी। मुझे पता था कि अभी अनवर उसकी चूत को चूस रहा होगा। हम तीनों में अनवर के चूसने की कला हमेशा ही लड़कियों को भाती रही है। करीब 40-45 मिनट बाद मैं 10 स्लाईस ब्रेड और 3 ऑमलेट ले कर कमरे में आया। कमरे में आवाजें थोड़ी कम ही थी तो मुझे लगा कि , बेचैनी के कारण अनवर एक बार फ़टाफ़ट चुदाई कर चुका होगा। अब मेरे मन में भी था कि देखूँ कि निशु कैसे चुदवाती है। कम से कम अंत भी तो मैं देख सकता था। पर जब कमरे में घुसा तब देखा कि अभी तो असल चुदाई शुरु भी नहीं हुई है। अनवर नीचे कालीन पर लेटा है और निशु उसके लण्ड को चूस रही है। दोनों मादरजात नंगे थे। मेरी तरफ़ निशु की गाण्ड थी और वो झुकी हुई थी इसलिए उसकी गीली, गुलाबी चूत की धारी थोड़ी खुली हुई दिख रही थी। मुझे भीतर आते देख निशु उठ गई और एक तरफ़ सिमट कर अपने दोनों जाँघों को भींच लिया तथा अपने हाथों से अपने चूचियों को ढकने लगी। अनवर का 7" का लण्ड अपने पूरे शवाब पर था। उसकी लाल सुपारी और सुडौलपन देखने लायक था। अनवर को तब पता नहीं चला कि मैं कमरे में आया हूँ। वो बोला- आओ निशु जरा एक बार चूस कर मेरा झाड़ दो, उसके बाद चुदाई करुँगा। सिर्फ़ लण्ड चूसाने के लिए हीं मैं अपना झाँट साफ़ रखता हूँ ताकि किसी लड़की को इन बालों से परेशानी ना हो। अब तक वो मुझे देख कर समझ गया कि निशु क्यों उसके लण्ड से हट गई है। मुझे भी निशु का इस तरह मुझसे शर्माना अच्छा लगा। साफ़ था कि अभी भी निशु दिल्ली की आम लड़की की तरह राँड नहीं हुई थी, छोटे शहर के संस्कार अभी बाकी थे। मैंने बात शुरु की- आओ अब पहले नाश्ता कर लो उसके बाद ये सब करना। अनवर उठते हुए बोला- क्या साला ! के एल पी डी हो गया, थोड़ा रुके क्यों नहीं संजीव यार? मैंने हँस कर कहा- बहुत दिन बाद हुआ ऐसा के एल पी डी ! और तब वो भी हँसने लगा। मैंने निशु को भी कहा- आ जाओ, अब तुम भी नाश्ता कर लो, फ़िर कर लेना ये सब। अनवर ने उसका हाथ पकड़ कर उसे उठा दिया और फ़िर दोनों मेरे दाहिनी तरफ़ सोफ़े पर बैठ गये। निशु मेरे से दूर वाली तरफ़ थी। अनवर ने अपने लण्ड को एक चपत लगाया और बोला- ले साले ! के एल पी डी ! फ़िर निशु से बोला - समझी कुछ ? जब निशु ने न में सर हिलाया तब वो उसको समझा कर बोला- के एल पी डी माने- खड़े लण्ड पे धोखा ! अब यह सुन कर निशु भी मुस्कुराने लगी। मैंने खाना शुरु कर दिया। निशु ने अपनी टी-शर्ट गोदी में रख ली जिससे उसकी चूत छुप जाए और एक स्लाईस उठा लिया। अनवर ने भी खाना शुरु किया पर अपना हाथ बढ़ा उस कपड़े को निशु की गोदी से हटा दिया- मेरा के एल पी डी और तू शरमा रही है? यह नहीं चलेगा। मुझे निशु का इस तरह शर्माना भा रहा था, सो मैंने भी थोड़ा कह दिया- यार अनवर, वो अपने भैया के सामने बैठी है, और अपनी एक आँख मारी। अनवर खाते हुए बोला- चुप साले बहनचोद, रोज़ चोदते हो, गन्दी-गन्दी बात करते हो और अभी मेरे समय समझा रहे हो कि भैया के सामने बैठी है। जवानी का मजा लूटने दो साली निशु को !
मेरा अब मन कर रहा था कि मैं निशु को अनवर से चुदवाते देखूँ, सो मैं बोला- अबे साले भड़को मत, दो मजा उसको। मैं मना थोड़े कर रहा हूँ ? फ़िर मैंने निशु से कहा- हाँ निशु, बिल्कुल बिंदास हो कर लो मजा। अनवर लड़की की चूत खाने में माहिर है, साला 15 साल का था तब अपनी बुड्डी मामी की चूत चूसकर ही जवान हुआ। सौ से कम लड़कियाँ नहीं चोदी होंगी इसने, आज देखो कैसे बेचैन है। अनवर ने हँस कर कहा- अरे 38-40 की थी मामी यार ! ऐसी बूढ़ी नहीं थी। मैंने भी कहा- अबे साले ! निशु ने 19 भी पूरे नहीं किए हैं अभी ! निशु सब सुनते हुए खा रही थी। उसकी जाँघें अभी भी भिंची हुई थी जिससे उसकी चूत की फ़ाँक नहीं दिख रही थी, सिर्फ़ ऊपर के झाँट देख रहे थे। यहाँ मैं आप लोगों को बता दूँ कि निशु के चूत और काँख पर खूब बाल हैं। नाश्ता खत्म हुआ तब अनवर का लण्ड अपना आधा जोश खो चुका था, अनवर बोला- अब जल्दी से हाथ धो कर आ जाओ, तुमको फ़िर से मेरा लण्ड मस्त करना होगा, तभी सही मजा मिलेगा तुमको ! निशु सब प्लेट वगैरह ले कर बाहर निकल गई, तब मैंने अनवर से कहा- मैं सब देखना चाहता हूँ, पता नहीं निशु मानेगी या नहीं? देख नहीं रहे मेरे सामने कैसे चुप-चुप थी। अनवर बोला- चिंता नहीं दोस्त, आज तुमको सब दिखेगा, साली को ऐसा मस्त कर दूंगा कि चौक पर पूरी दुनिया के सामने चुदवा लेगी, यहाँ तो बस तुम ही हो। बहुत मस्त लौन्डिया है निशु, इतना तो मुझे अभी तक समझ आ गया है। जब चुदेगी तब बिन्दास चुदेगी। तभी निशु आ गई। उसने एक तौलिए को अपने वक्ष पर लपेट लिया था, जो उसकी आधी जाँघ भी ढ़के हुए था। अनवर फ़िर पहले की तरह काकीन पर लेट गया और लण्ड हाथ में ले हिला कर निशु को आने का न्योता दिया। निशु भी पास बैठ तो गई पर सर नीचे किये हुए शायद मेरे जाने का इन्तजार करने लगी। तभी अनवर सब भाँप बोला- आ निशु डीयर, देख तेरा खिलौना, तेरा लॉलीपॉप तेरे मुँह में जाने के लिए बेकरार है। अपने भैया की फ़िक्र छोड़ो और मस्ती करो। मैंने भी निशु की हिम्मत बढ़ाई यह कहते हुए कि मैंने तुमको कई बार चोदा, पर आज तुमको किसी और से चुदवाते देखना चाहता हूँ ! उसके बदन से तौलिया खींच दिया। फ़िर मैंने उसकी दोनों चूचियों को मसल दिया और फ़िर वहीं सोफ़े पर निशु के बिल्कुल सामने बैठ गया। अनवर ने निशु को अपने ऊपर खींच लिया और निशु को अपने पूरे बदन पर फ़ैला कर उसके होंठ चूसने शुरु कर दिये। निशु अब भी अपने दोनों टाँगों को सटाए हुइ थी, उन दोनों के सर मेरी ओर थे। निशु की छाती अनवर के सीने पे दबी हुई थी। अनवर अब निशु को वैसे ही चिपटाये हुए पलट गया और निशु अब उसके नीचे हो गई।वो अब उसके चुम्मे का जवाब देने लगी थी। अनवर 2-3 मिनट के बाद हटा और फ़िर उसकी दाहिनी चूची को चूसने लगा। वह अपने एक हाथ से उसकी बाँई चूची को हल्के से मसल भी रहा था। निशु की आँखें बन्द थी और उसकी साँस गहरी हो चली थी। जल्द ही निशु अपने पैर को हल्के हल्के हिलाने, आपसे में रगड़ने लगी। उसकी चूत गीली होने लगी थी। जैसे ही उसने एक सिसकारी भरी, अनवर उसके ऊपर से पूरी तरह हट गया और मुझे उसके पैरों की तरफ़ जाने का इशारा किया। मैं अब निशु की सर की तरफ़ से हट कर उसके पैरों की तरफ़ हो गया। अनवर अब उसकी चूत पर झुका। होठों के बीच उसकी झाँटों को ले कर दो-चार बार हलके से खींचा और फ़िर उसकी जाँघ खोल दी। उसकी चूत की फ़ाँक खुद के पानी से गीली हो कर चमक रही थी। अनवर अपने स्टाईल में जल्द ही चूत चूसने लगा और निशु के मुँह से आआअह आआअह ऊऊऊऊऊओह जैसी आवाज ही निकल रही थी। अनवर चूसता रहा और निशु चरम सुख पा सिसक सिसक कर, काँप काँप कर हम लोगों को बता रही थी कि उसको आज पूरी मस्ती का मजा मिल रहा है। जल्द ही वो निढ़ाल हो कर थोड़ा शान्त हो गई। तब अनवर ने उसको कहा कि अब वो उसके लण्ड को चूस कर उसको एक पानी झाड़े। निशु शान्त पड़ी रही, पर अनवर उसके बदन को हलके हलके सहला कर होश में लाया और फ़िर उसको लण्ड चूसने को कहा। निशु एक प्यारी से अदा के साथ उठी और फ़िर अनवर के लण्ड को अपने मुँह में ले लिया। वो अब मुझसे बिना शर्म किए खूब मजे लेने के मूड में थी। कभी हाथ से वो मुठ मारती, कभी चूसती और जल्द ही अनवर का लण्ड फ़ुफ़कारने लगा, फ़िर झड़ भी गया। झड़ते समय अनवर ने पूछा- क्या वो माल खाएगी? पर निशु ने ना में सर हिला दिया, तब अनवर तुरंत उठा और सारा माल निशु की चूची पर निकाल दिया। झड़ने के बाद भी अनवर का लण्ड हल्का सा ही ढीला हुआ था, जिसको उसने अपने हथेली से पौंछ दिया और फ़िर निशु को कहा- अब इसको चूस कर फ़िर से तैयार कर ! निशु बोली- पानी से धो लीजिए ना थोड़ा, ऐसे तो सब मेरे मुँह में चला जाएगा !
मुझे पता था कि निशु ने अभी तक लण्ड के माल को चखा नहीं है। मैं सोच रहा था कि आज निशु को मर्द के माल का स्वाद मिल जाए तो मुझे भी मजा आएगा। अनवर ने उसके अनुरोध की बिना परवाह किए कहा- चल आ जा अब, देर ना कर ! नहीं तो अगली बार माल तेरी बुर में निकाल दूँगा ! फ़िर मेरी तरफ़ देख बोला- क्या यार बहन को अभी तक बताया नहीं कि मर्द का माल लौंडिया के लिये कैसा टौनिक है? मैंने भी जड़ दिया- हाँ यार, यह साली बहन जी की बहन जी ही रहेगी, देख नहीं रहे हो आज तक झाँट भी साफ़ नहीं की, जबकि कई बार मैंने कहा भी कि मै शेव कर दूँगा, पर देख लो ! कहती है कि मम्मी कहती है कि कुँवारी लड़की को ये बाल नहीं साफ़ करना चाहिएँ, नहीं तो मर्द समझेगा कि बीवी अन्छुई नहीं है। अनवर हँसने लगा- अब तक निशु अपने को कुँवारी समझ रही है, कमाल है? क्या इसकी माँ, जब यह घर जाएगी, तब इसको नंगा करके देखेगी? और उसने अब निशु को नीचे लिटा दिया। फ़िर उसकी टाँगों को पेट की तरफ़ मोड़ दिया, खुद अपने फ़नफ़नाए लण्ड के साथ बिल्कुल उसकी खुली हुई बुर के पास घुटने पर बैठ गया। हल्के हल्के से लण्ड अब उसकी बुर के मुहाने पे दस्तक देने लगा था। निशु अपनी आँख बन्द करके अपने बुर के भीतर घुसने वाले लण्ड का इन्तजार कर रही थी। अनवर ने अपने लण्ड को अपने बाँए हाथ से उसकी बुर पर टिकाया और फ़िर उसको धीरे धीरे भीतर पेलने लगा। निशु के मुँह से सिसकारी निकल गई और जब लण्ड आधा भीतर घुस गया, तब अनवर ने अपने वजन को बैंलेन्स करके एक जोर का धक्का लगाया और पूरा 7" भीतर पेल दिया। निशु हल्के से चीखी- उई ई ईईई ईईईए स्स्स्स्स् स माँ आआआह ! और निशु की चुदाई शुरु हो गई। जल्द ही वह भी अपनी बुर को अनवर के लण्ड के साथ "ताल से ताल मिला" के अन्दाज में हिला हिला कर मस्त आवाज निकाल निकाल कर चुद रही थी। साथ ही बोले जा रही थी- आह चोदो ! वाह, मजा आ रहा है, और चोदो, जोर से चोदो, लूटो मजा मेरी बुर का, मेरी चूत का, बहुत मजा आ रहा है, खूब चोदो ! खूब चोदो ! फ़िर जब अनवर ने चुदाई की रफ़्तार बढ़ाई, निशु के मुँह से गालियाँ भी निकलने लगी- आआह मादरचोद ! ऊऊ ऊ ऊओह बहनचोद ! साले चोद जोर से चोदो रे साले मादरचोद। अनवर भी मस्त हो रहा था, यह सब सुन सुन कर मस्ती में चोदे जा रहा था और निशु की गाली का जवाब गाली से दे रहा था- ले चुद साली, बहुत फ़ड़क रही थी, देख आज कैसे बुर फ़ाड़ता हूँ। साली कुतिया, आज लण्ड से तेरी बच्चादानी हिला के चोद दूँगा। साली बेटी पैदा करके उसको भी तेरे सामने चोदूँगा इसी लण्ड से ! देखना तू ! दोनों एक दूसरे को खूब गन्दी गन्दी गाली दे रहे थे और चुदाई चालू थी। थोड़ी देर बाद अनवर थक गया शायद, और उसने अब लण्ड बाहर निकाल लिया। तब निशु ने उसको लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गई। वो अब ऊपर से उसके लण्ड पर कुद रही थी और मैं उसके सामने होकर देख रहा था कि कैसे लण्ड को उसकी बुर लील रही थी। 4-5 मिनट बाद अनवर फ़िर उठने लगा और फ़िर निशु को पलट कर उसको घुटनों और हाथों पर कर दिया फ़िर पीछे से उसकी बुर में पेल दिया, बोला- अब बन गई ना निशु तू कुतिया ! साली चुद और चुद साली ! मम्मी को अपना झाँट दिखा के बेवकूफ़ बना और यहाँ लण्ड खा गपागप गपागप गपागप। मादरचोद ! भैया से चुदी, अब भतार से चुद चुद साली रन्डी। एक से चुदे बीवी, दो से चुदे कौन, बोल रन्डी, बोल साली कुतिया, बोल दो से चुदे कौन? और वो बोल पड़ी- रन्डी रन्डी, साले बहनचोद तुम लोगों ने मुझे रन्डी बना दिया। अनवर अब एक बार फ़िर लण्ड बाहर निकाल लिया और फ़िर उसको सीधा लिटा दिया। ऊपर से एक बार फ़िर चुदाई शुरु कर दी। वो बोले जा रहा था- रन्डी,रन्डी, निशु कौन, निशु कौन? निशु बोलती- निशु है रन्डी, निशु है रन्डी। और करीब 30 मिनट के बाद निशु एक बार फ़िर काँपने लगी, वो फ़िर एक बार झर रही थी। तभी अनवर भी झरा- एक जोर का आआआआह और फ़िर पिचकारी निशु की झाँट पे। सारा सफ़ेद माल काली काली झाँटों पर फ़ैल गया। दोनों निढ़ाल हो कर अब एक दम शान्त हो कर एक दूसरे के बगल में लेट कर शन्त हो गये। मेरा लण्ड भी यह सब देख अपना माल मेरी पैंट में निकाल चुका था। अब एक दम शान्ति थी। करीब 5 मिनट तक वैसे ही रहने के बाद निशु उठी और अपने कपड़े ले कर बाथरुम में चली गई। अनवर भी अपने कपड़े पहनने लगा- यार बहुत मस्त माल है ये, थैंक्स ! मैंने कहा- हाँ यार, पर अब उसको परेशान नहीं करना, या चिढ़ाना मत। अनवर बोला- क्या दोस्त, अभी तक तुझे लगता है कि मैं ऐसा कमीना हूँ? यार मुझे पता है कि लड़की को कैसे इज्जत देनी चाहिए। निशु तब तक आ गई थी और बात भी सुनी थी, अनवर भी उसको बोला- हाँ, निशु तुम बिल्कुल दिल पर न लेना कोई बात। यह सब बस करते समय की बात है, जो भी मैं बोला ! अब आगे से जैसा पहले था, वैसा ही रिश्ता रहेगा हम लोगों का ! निशु ने मुस्कुराते हुए कहा- मुझे पता है अनवर भैया, मैं चाय बनाती हूँ। वो बाहर निकल गई, और हम दोनों दोस्त टीवी खोल कर बैठ इधर-उधर की बातें करते हुए चाय का इन्तज़ार करने लगे।
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02-23-2021, 12:30 PM,
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RE: Bhai Bahan Sex Kahani भाई-बहन वाली कहानियाँ
भैया और सैंया--5
जब सुमित को पता चला कि अनवर ने भी निशु की कमसिन जवानी का मजा लूट लिया है तब उसने भी निशु के साथ सेक्स करने की इच्छा जताई। सुमित और अनवर निशु के लिए नये नहीं थे और जब से उसने वो ताश का खेल हम लोगों के साथ खेला था तब से ही उसको पता था कि उसको मेरे दोनों दोस्त आज न कल चोदेंगे ही। साथ ही मैं भी कहता कि तुम परेशान न हो, वो अगर सेक्स करेंगे भी तो हमेशा नहीं एक दो बार ही करेंगे, क्योंकि उनको पता है कि तुम मेरी बहन कम गर्लफ़्रेन्ड ज्यादा हो। मानसिक रूप से निशु भी अनवर से चुदाने के बाद सुमित से सेक्स करने के लिए तैयार थी। जब सुमित ने मुझे अपनी इच्छा बताई तो मैंने उसको सीधे निशु से बात करने को कहा। अगले रविवार को हम तीनों दोस्त जमा थे और निशु चिकेन पका रही थी कि फ़िर सुमित ने यह बात की। तय हुआ कि आज खाने की मेज पर सुमित निशु से बात कर ले। जैसा तय था, खाने की मेज पर सुमित ने निशु से पूछ लिया कि क्या वो उसके साथ एक बार सेक्स करेगी। निशु भी मुस्कुरा कर बोली कि वो तो बहुत पहले से ही ये सोच रही है कि इतने दिनों तक आखिर सुमित भैया यह बात कह क्यों नहीं रहे हैं और फ़िर उसने तीन चार दिन बाद की बात कही क्योंकि तब उसके पीरियड्स के दिन शुरु हो गये थे। अनवर ने ठहाका लगा कर जोर से कहा- "के एल पी डी" और हम सब हंसने लगे। सुमित का चेहरा देखने लायक था। फ़िर वो निशु से बोल पड़ा- ठीक है पर रोकने का मुझे हर्जाना देना होगा। निशु भी हंसते हुए पूछन लगी- क्या? और सुमित ने कहा-तुम्हें मुझसे अपनी गाण्ड भी मरवानी होगी ! मुझे पता था कि सुमित साला एक नम्बर का हरामी है और चुदाई के मामले में वो लड़की से पूरा मजा लूटता है। अब मुझे निशु के जवाब का इंतजार था, उसका जवाब तुरंत आया- नहीं रे बाप, जब आगे घुसवाने में इतना दर्द होता है तब वहाँ करवाने में तो मैं मर जाउँगी ! पर सुमित भी मिन्न्तें करने लगा। जहाँ निशु कहती कि नहीं और सुमित कहता- सिर्फ़ एक बार ! इसके बाद वो कभी निशु से सेक्स की मांग नहीं करेगा। थोड़ी देर बाद जब निशु का सुर बदलने लगा तो मुझे भी लगने लगा कि अब निशु को सेक्स में पूरा पी०एच०डी० मिल जायेगा। निशु ने तब कहा था- अभी तक सिर्फ़ मैंने सुना है गाण्ड चोदन के बारे में ! तब अनवर ने भी निशु को चढ़ाया कि वो एक बार यह अनुभव भी ले।
निशु ने तब मुझसे पूछा कि क्या मैंने कभी ऐसा किया है, और मैंने सच कह दिया कि नहीं, पर साथ ही कहा कि सुमित ही ऐसा करता रहता है लड़कियों के साथ, वो इस मामले में अनुभवी है। अनवर ने अपनी बात कही कि उसने दो-चार बार गांड मारी है और उसको खूब मजा आया, पर सब लड़कियाँ राजी नहीं होती हैं इसलिए बहुत मौका नहीं मिला। सुमित ने उसको तब आश्वस्त किया कि वह निशु को खूब प्यार से पहले गांड मरवाना सिखाएगा और तब उसकी गाण्ड मारेगा। निशु भी तब बोली- ठीक है, पर अगर मुझे दर्द हुआ तो आप भी रुक जाएँगे ! और मुझे और अनवर को इसकी गारंटी लेने को कहा। मुझे तो कोइ आपत्ति होनी नहीं थी। मैं खुश था कि चलो अब निशु के साथ मुझे और ज्यादा मजा का मौका मिलेगा। आखिर सुमित से गाण्ड मराने के बाद उसको मुझसे तो मरवाना ही था। तय हुआ कि सुमित रोज़ शाम को एक घण्टा निशु के साथ बितायेगा और धीरे धीरे उसके डर को एक सप्ताह में खत्म करेगा। गुरुवार को सुमित का फ़ोन आया कि आज वो शाम आठ बजे आयेगा। उस दिन वो एक डी०वी०डी० लाया जिसमें करीब बीस क्लिप थी, सब में 20-22 साल की लड़कियों को चोदा गया था और गाण्ड भी मारी गई थी। दो क्लिप भारत की भी थी। चाय पीने के बाद सुमित ने उस फ़िल्म को चला दिया और फ़िर निशु को अपने सोफ़े के सामने टीवी की तरफ़ मुँह करके झुकने को कहा। निशु सेन्टर टेबल के सहारे झुक गई और
फ़िल्म देखने लगी। सुमित ने उसका लम्बा स्कर्ट कमर से ऊपर कर दिया और फ़िर पैन्टी खोल दी। निशु अब तक बिल्कुल बेशर्म हो गई थी, बोली- आप तो बोले थे कि मुझे पहले सिखाएँगे कि कैसे किया जाता है, फ़िर अभी क्यों? सुमित हँसा-"हाँ मुझे याद है ! आज तुमको सिखाउँगा ही, कुछ दिन में जब तुमको अपनी गाण्ड की मांसपेशियाँ खुद ढीला करना आ जायेगा तब पेलूंगा भीतर ! और फ़िर उसने निशु की बुर पर हाथ फ़ेरना शुरु किया। फ़िल्म देखते हुए और बुर को ऐसे मसलवाते हुए निशु भी धीरे धीरे कसमसाने लगी। जब उसकी बूर पनीया गई। तब सुमित ने उसकी बुर के पानी को ही उसकी गाण्ड के छेद पर लगाया और फ़िर थूक लगा लगा कर निशु की गाण्ड से खेलने लगा। उसका एक हाथ बूर के साथ खेल रहा था और एक हाथ गाण्ड के साथ। 15 मिनट बाद सुमित ने अपनी उँगली निशु की गाण्ड में ठेली। उसकी उँगली के दबाब को महसूस कर निशु पीछे पलटी, पर फ़िर उसको पता था कि क्या होना है सो वापस अपना ध्यान टीवी पे ले गई। इसी तरह से रोज़ गाण्ड में उँगली करते करते चार दिन बाद रविवार को जब अनवर भी था तब सुमित ने हमें दिखाया कि निशु अब बड़े प्यार से अपना गाण्ड ढीली करके दो ऊँगलियाँ भीतर ले रही थी। इस चार दिनों में जिस तरह से निशु को तैयार किया जा रहा था, उसमें निशु को खुद मजा आने लगा था। उसे लगता था कि वो एक स्पेशल लड़की है। मैंने भी जब उसको चोदा या घर में जब मौका मिला उसकी गाण्ड में उँगली जरूर की। उसको अब समझ में आने लगा था कि इस काम का एक अलग मजा है। मंगल को एक छुट्टी थी, तय हुआ कि उसी दिन दोपहर में निशु की गाण्ड का उदघाटन हो। सुमित ने निशु को पेट साफ़ करने के लिए दवा दी और कहा कि सोमवार की रात वो उसे खा ले और फ़िर मंगल को जब तक उसकी गाण्ड नही मारी जाती वो खाली पेट रहे। मैं और अनवर ऐसे बेचैन हो रहे थे
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02-23-2021, 12:31 PM,
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RE: Bhai Bahan Sex Kahani भाई-बहन वाली कहानियाँ
मेरी कुंवारी बहन की चुदाई
मेरी पहली चुदाई का मजा बहन की चुत चुदाई से मिला था. मेरी दीदी दिखने में एकदम राबचिक पटाखा माल है लेकिन मैं दीदी की चूत के बारे में नहीं सोचता था. फिर एक दिन …
नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम रॉय जैन है. मैं इंदौर का रहने वाला हूँ. आज मैं आपको बताऊंगा कि कैसे मैंने अपने जीवन की पहली चुदाई का आनन्द लिया वो भी खुद अपनी सगी बहन के साथ.
पहले परिचय दे देता हूँ. मेरी बहन का नाम अंकिता है और उसकी उम्र 21 साल की है. मेरी उम्र 19 है. मेरे लंड का साइज 7 इंच है और मैं दिखने में बहुत स्मार्ट हूँ. मैंने अपनी पहली गर्लफ्रेंड स्कूल में ही बना ली थी. इससे आप समझ ही सकते हैं कि मैं किस प्रकार का इंसान हूँ. मगर पहली चुदाई का मजा बहन की चुत चुदाई से शुरू हुआ था.
मेरी दीदी दिखने में एकदम राबचिक माल है और उसके मम्मों का साइज 32 इंच है. गांड मस्त उभरी हुई है और उसका साइज 34 इंच है. उसकी पतली कमर को देखकर तो कामदेव भी उसे चोदने को अपना औज़ार तैयार कर लें … ऐसी पटाखा माल है.
मेरे घर में मां पापा और हम दोनों भाई बहन हैं. पापाजी गुजरात में जॉब करते हैं. वो साल में 1 या 2 बार ही आते हैं. मम्मी हाउसवाइफ हैं. मेरी बहन कॉलेज के फाइनल में है और मैं फर्स्ट ईयर में हूँ.
जैसा कि मैंने आपको बताया कि मेरी बहन दिखने में बहुत सुन्दर है, पर आज तक उसने कभी किसी लड़के की तरफ देखा भी नहीं था, मतलब वो बहुत ही सीधी साधी लड़की थी. मैंने भी अपनी दीदी को कभी गलत नज़र से नहीं देखा था … बस पोर्न देख कर मुठ मारता रहता था.
एक बार पापाजी घर आए हुए थे, तो मम्मी ने कहा- चलो शिखर जी घूमने चलते हैं.
पापाजी ने कहा- हां चलो. मगर कल ही चलना होगा. इस बार मुझे ज्यादा दिन का ऑफ़ नहीं मिला है.
उस वक्त मेरे फर्स्ट सेम के एग्जाम्स चल रहे थे और आखिरी पेपर बचा था. मैं तो जा ही नहीं सकता था. दीदी के भी एग्जाम्स चल रहे थे … तो उसने भी जाने से मना कर दिया. इस प्रकार पापा और मम्मी का अकेले जाने का प्लान बन गया.
उन्होंने जाने के लिए पैकिंग करना शुरू कर दी और अगले दिन की मैंने टिकट बुक करवा दी. सुबह सुबह मैं उन्हें कार से स्टेशन छोड़ने गया और फिर आकर सो गया. अगले दिन मेरा पेपर था, तो सारा दिन और रात भर जाग कर पढ़ाई करनी थी. पहले मैंने सुबह सोने का सोचा.
मैं सुबह के लगभग 9 बजे के करीब उठ गया. दीदी तो पहले ही उठ चुकी थी. उसने मुझे चाय बना कर दी.
मेरे घर में 3 कमरे हैं. एक दी के लिए एक मेरे लिए … और एक मां के लिए. सबके बाथरूम भी अलग अलग हैं. अभी तक तो मेरे मन में दीदी के लिए कोई गलत भाव नहीं थे.
पर जब हम लोग नाश्ता करने बैठे तो पता नहीं दीदी को क्या हुआ था. वो बार बार अपने लोअर को ठीक कर रही थी … और चोरी चोरी नजरों से मुझे देख रही थी. तब मैं पहली बार दीदी के बारे में गलत सोचने को मजबूर हो गया. शायद उसकी पैंटी सही तरीके से सैट नहीं थी, तो वो उसे ही सैट कर रही थी. इसीलिए नाश्ता करने के बाद वो सीधा बाथरूम में गयी थी.
अभी तक मैं अपनी दीदी को पेंटी में होने की कल्पना भी कर चुका था. मेरे मन में रह रह कर गलत ख्याल आने लगे थे, पर हुआ कुछ नहीं. मैं अपने कमरे में आकर पढ़ाई करने लगा और दीदी किचन का काम निपटा कर अपने कमरे जाकर पढ़ाई करने लगी.
पढ़ते पढ़ते शाम हो गयी, जब मैं अपने कमरे से बाहर निकला … तो दीदी रात के खाने की तैयारी कर रही थी. मैं भी किचन में जाकर उसकी मदद करने लगा.
उसने पूछा- कैसी चल रही पढ़ाई?
मैंने कहा- बढ़िया … और आपकी?
उसने बोला- हां मेरी भी ठीक ठाक ही चल रही है. एक ही पेपर बचा है.
मैंने कहा- हां मेरा भी आखिरी ही बचा है.
ये कह कर मैं चुप हो गया.
दीदी ने बोला- आज रात को मूवी देखें?
मैंने बोला- कल पेपर है दोनों का.
तो वो बोली- अरे पेपर तो हो ही जाएगा और वैसे भी साल भर से पेपर के लिए ही तो पढ़ रहे हैं.
मैंने कहा- ठीक है … पर कौन सी फिल्म देखेंगे?
वो बोली- एवेंजर एन्ड गेम.
मैंने कहा- वो तो मैं 40 बार देख चुका हूँ.
वो कहने लगी कि तो क्या हुआ. … एक बार और देख ले मेरे लिए.
मैंने कहा- चलो ठीक है.
फिर हम दोनों ने खाना बनाया और खाना खाकर मैं अपने कमरे में चला गया और दीदी किचन में बर्तन साफ करने चली गयी.
कुछ मिनट बाद वो आयी. लैपटॉप उसके हाथ में था और वो मेरे पलंग पर आकर बैठ गयी. दीदी ने ब्लू कलर का टॉप पहना हुआ था और ब्लैक कलर का कैफ्री डाली हुई थी. मैं सिर्फ बरमूडा में पढ़ाई कर रहा था … ऊपर मैं हाफ टी-शर्ट पहने हुए था.
दीदी कमरे में आयी और फिर हमने एन्ड गेम लगाकर देखने लगे. मैं थोड़ी ही देर में बोर होने लगा क्योंकि मैं उसे बहुत बार पहले भी देख चुका था.
मैं दीदी को देखने लगा, तो दीदी मुझसे कहने लगी- मूवी क्यों नहीं देख रहा, मुझे क्यों देख रहा है?
मैंने कहा- मैं बहुत बार देख चुका हूं … कुछ और करते हैं.
वो कहने लगी- क्या?
मैंने कहा- चलो ट्रुथ और डेयर खेलते हैं.
वो बोली- चलो ठीक है.
मैं पेप्सी की वो छोटी वाली शीशी होती है ना … वो फ्रिज से ले आया.
आधी मैंने पी ली और आधी दीदी को पीने के लिए दे दी.
फिर मैंने कहा- अब शुरू करें?
दी बोली- हां.
सबसे पहले मैंने बोतल को घुमाया, तो वो आकर मेरे पास ही रुकी.
दीदी ने बोला- बोल क्या लेता है … ट्रुथ या डेयर?
मैंने कहा- ट्रुथ.
उन्होंने एकदम से मुझसे पूछा- तेरी कोई गर्लफ्रेंड है कि नहीं?
मेरी तो फट ही गयी. आज तक दीदी और मेरे बीच कभी भी ऐसे प्रकार की बात ही नहीं हुई थी, पर आज पता नहीं दीदी कौन से मूड में थी.
मैंने भी बोल दिया- हां, मेरी गर्लफ्रेंड है.
चूंकि मेरी तो 3-4 जुगाड़ें हैं … पर मैंने दीदी को सिर्फ एक की बात बताई. फिर वो कहने लगी कि उसकी फोटो दिखाओ.
मैंने कहा- एक बार में एक ही सवाल.
वो हंसने लगी.
मैंने फिर से बोतल को घुमाया. इस बार वो बोतल का मुँह दीदी के पास जाकर रुका.
उसने भी ट्रुथ ही लिया.
दीदी की गर्लफ्रेंड वाले सवाल से मुझमें भी जोश आ गया था. मैंने भी उससे पूछ लिया- आपका कोई बॉयफ्रेंड है?
उसने साफ मना कर दिया. मेरी दीदी बहुत सीधी है, मैंने आपको पहले ही बताया था.
इसके बाद फिर से बोतल घुमायी गई. इस बार फिर से उसके पास ही जाकर रुकी. उसने इस बार भी ट्रुथ ही लिया. मेरी हिम्मत थोड़ी थोड़ी बढ़ती जा रही थी.
मैंने इस बार पूछ लिया कि जब सुबह आप नाश्ता रही थीं, तो बार बार लोअर ठीक क्यों कर रही थीं?
मैं डरते डरते उनके चेहरे को ही देख रहा था. उसने थोड़ी देर तक तो कुछ नहीं बोला, पर फिर वो बोली- वो मेरी पैंटी सही सैट नहीं थी, इसीलिए.
उसके मुँह से पैंटी सुनकर मैं हैरान रह गया.
उसके बाद उसने कहा- अब ख़त्म करो … मुझे नींद आ रही है.
मैंने कहा- ओके.
वो मेरे कमरे में ही सो गयी. मैं पढ़ाई करने लगा. रात के 2 बजे तक मैं पढ़ता रहा … फिर दीदी के बगल में आकर सो गया. दीदी सीधी लेटी हुई थी और उसके 32 इंच के चुचे उसकी सांस के साथ साथ ऊपर और नीचे हो रहे थे. मैं काफी देर तक उसके मम्मों को देखता रहा, पर मेरी हिम्मत उन्हें टच करने की नहीं हुई.
मैंने बाथरूम में जाकर मोबाइल में पोर्न देख कर मुठ मारी और आकर सो गया.
सुबह पेपर था, तो मैं जल्दी उठ गया और दीदी भी नाश्ता करके हम दोनों अपने अपने कॉलेज निकल गए.
दीदी का कॉलेज मेरी कॉलेज के रास्ते में पड़ता है, तो रोज मैं उसे अपनी बाइक से छोड़ता हुआ जाता हूँ. आज बात कुछ अलग थी. कल हम दोनों के बीच में कुछ अलग ही बातचीत हुई थी, जिससे कि मैं दीदी के बारे में काम भाव से देखने लगा था. आज मैं ब्रेक भी बार बार लगा रहा था और दीदी भी अपने गोल गोल बूब्स बार बार मेरी पीठ पर दबा रही थी.
बस ऐसे ही हम लोग कॉलेज पहुंच गए. लौटते टाइम भी मैंने बहुत ब्रेक लगाए और दीदी के मम्मों का आनन्द उठाया. शायद दीदी भी थोड़ा थोड़ा समझ गयी थी.
इसके बाद हम लोग घर आ गए. हम दोनों के ही आज सारे पेपर खत्म हो गए थे, तो दोनों ही फ्री थे. पर मुझे नींद आ रही थी … क्योंकि मैं रात में लेट सोया था. मैं जल्दी सो गया.
जब मैं सो रहा था, तो मुझे किसी के चिल्लाने की आवाज ने जगा दिया. मैंने जब वो आवाज ध्यान से सुनी, तो वो मेरी बहन चिल्ला रही थी. मैंने जाकर देखा, तो मेरे होश उड़ गए. मेरी बहन किचन में स्टूल पर से गिर गयी थी और उसके ऊपर बेसन का डिब्बा भी गिर गया था, जिससे उसके सिर में भी चोट लग गई थी. उससे खड़ा होते भी नहीं बन रहा था. पहले मैं उसको गोद में उठा कर ले गया और उसके पलंग पर लिटा दिया. फिर डॉक्टर को कॉल किया. मैं बेहद घबरा गया था.
डॉक्टर आया और उसने दवाई दी. वो कहने लगा कि दिक्कत की कोई बात नहीं है … बस मालिश की जरूरत पड़ेगी.
ये कह कर उसने मुझे एक तेल की शीशी दी और कहा कि इससे, अपनी बहन के पैर की मालिश कर देना.
डॉक्टर चला गया.
उस दिन मैंने खाना बाहर से मंगवा लिया और दीदी को लेटे लेटे ही खिलाया.
उसके बाद मैं जाने लगा, तो उसने मुझे बुलाया.
फिर बोली- कुछ नहीं.
शायद वो मुझसे कुछ कहना चाहती थी, पर शर्मा रही थी.
मैंने पूछा- बोलो ना!
उसने बात पलट दी और कहने लगी- वो तेल से पैर की मालिश कर दे.
मैंने भी भूलने जैसे रिएक्ट किया और तेल की शीशी ले आया. मैं उसके पंजे की मालिश करने लगा. वैसे भी वो घर में कैप्री पहनती थी, तो मालिश करने में कोई दिक्कत नहीं आ रही थी.
अभी भी मैं उसके चेहरे पर कुछ परेशानी देख सकता था. तो मैंने फिर से पूछा- बताओ न दीदी … क्या दिक्कत है?
वो बोली- बेसन मेरी ब्रा के अन्दर भी चला गया है … और ऐसी हालत में मैं खुद से उसे उतार नहीं सकती हूँ.
मैंने बीच में ही टोकते हुए कहा- अरे … मैं आपका भाई ही तो हूँ … मुझसे क्या शर्म?
उसने बोला- ठीक है.
पहले मैंने उसको बैठाया और उसका टॉप उतार दिया. अब मेरी खुद की सगी बहन मेरे सामने सिर्फ ब्रा में थी. मैं तो उसको ही देख रहा था.
उसने गुस्सा होते हुए मुझसे कहा- ऐसे क्या देख रहा है?
मैंने कहा- सॉरी … कुछ नहीं!
फिर मैं टॉवल ले आया और उसकी पेट और पीठ सभी जगह लगे बेसन को साफ करने लगा, पर ब्रा की वजह से ठीक से साफ नहीं कर पा रहा था.
मैंने उससे कहा- ब्रा भी उतार दो.
वो गुस्से से बोली- अपनी बहन को नंगी देखना चाहता है.
मैं बोला- मुझे क्या है … तुझे ही बेसन अच्छा नहीं लग रहा था … तो मैं बोल रहा हूँ … और तू मुझे ही गुस्सा बता रही है.
थोड़ा गुस्सा मैंने भी बताया, तो वो फिर प्यार से बोली- अरे मैं वो नहीं कह रही … पर हम भाई बहन हैं, तो मैं तेरे सामने नंगी कैसे हो सकती हूं.
मैंने कहा- जैसे मैं नंगा हो सकता हूँ, तो तुम भी हो सकती हो.
ये कहते हुए मैंने अपनी टी-शर्ट उतार कर फेंक दी.
फिर वो कहने लगी- अच्छा ठीक है.
मैं ख़ुशी से उछल पड़ा.
उसने फिर कहा- आकर खोलो तो इसे अब.
मैंने स्पीड में जाकर उसकी ब्रा के हुक को खोल दिया और उसके 2 गोरे गोरे गोल गोल बूब्स, जिन पर हल्का हल्का बेसन लगा हुआ था, मेरी आंखों के सामने आ गए.
मेरा लंड आज तक इतने उफान पर नहीं आया, पर खुद की बहन के चुचे देख कर आज साला क़ुतुबमीनार को भी मात दे रहा था.
फिर मैं टॉवल लेकर उसके बाजू में खड़े होकर उसके मम्मों को साफ करने लगा.
इस प्रक्रिया में उसके हाथ में मेरा लंड टकराने लगा. वो कहने लगी- ये क्या है जो मेरे हाथ में बार बार लग रहा है.
मैंने ‘कुछ नहीं..’ कहा, तो वो कहने लगी दिखाओ- क्या है?
मैंने कहा- लंड है मेरा.
वो कहने लगी- दिखाओ मुझे.
मैंने झट से अपने पेंट को नीचे सरका दिया और साथ में मेरी अंडरवियर भी उतर गयी.
मेरे लंड को देखकर दीदी बोली- इतना बड़ा. वो भी खुद की बहन को देखकर ये सलामी मार रहा है … शर्म नहीं आती तुझे.
मैंने कहा- क्या करूं … आप हो ही इतनी सेक्सी.
वो मेरे मुँह से सेक्सी सुनकर हैरान हो गई और कहने लगी- कब से लग रही हूँ मैं तुझे सेक्सी?
मैंने कहा- जब आप अपना लोअर ठीक कर रही थी, तब से.
वो कहने लगी- अच्छा बच्चू.
मैंने कहा- दीदी एक बार बस आपके दूध पी लेने दे.
वो कहने लगी- सिर्फ दूध ही पियेगा या कुछ और भी करेगा.
मैंने कहा- जो जो आप कहोगी.
मैं फटाक से उठा और दीदी के मम्मों को चूसने लगा और दीदी गरम आहें भरने लगीं ‘आह आह आह…’
इससे मुझे और जोश चढ़ने लगा. मैं तो पहले से ही नंगा था, मैंने दीदी की कैप्री को एक झटके में उतार कर अलग कर दिया और फिर उनकी नारंगी रंग की पैंटी को देखने लगा.
वो कहने लगी- ऐसे क्या देख रहा है?
मैंने कहा- इसका रस पीना है मुझे.
दीदी कहने लगी- तुझे रोका किसने है?
मैंने फटाक से दीदी की पैंटी उतार दी. और अपनी जीभ को उसकी बिना वालों वाली बुर में घुसेड़ दी.
दीदी अभी तक वर्जिन थी … तो उसकी चूत चिपकी हुई थी और फूली थी. कुछ मिनट चुत चूसने के बाद मैंने उसे एक लंबा सा फ्रेंच किस किया. अब तक वो भी पूरे जोश में आ चुकी थी और मेरा पूरा पूरा साथ दे रही थी.
मैंने अपने होंठ उसके होंठ से हटा कर उसके मम्मों पर लगा दिए और एक हाथ से उसकी चूत से खेलने लगा.
उसके मुँह से मस्त आवाजें निकल रही थीं.
मैंने दीदी को अपना लंड दिखाते हुए बोला कि इसको मुँह में लो.
उसने लंड चूसने से मना कर दिया. मैंने भी ज्यादा जबर्दस्ती नहीं की.
इसके बाद मैं कोल्ड क्रीम ले आया, वो मैंने अपने लंड पर लगायी और थोड़ा सा दीदी की चूत पर भी लगा दी. फिर उसकी गांड के नीचे एक तकिया रखा और अपना लंड डालने का प्रयास करने लगा. मेरी बहन की चुत सील पैक होने के कारण बार बार मेरा लंड फिसल रहा था.
फिर मैंने दीदी की टांगों को अपने कंधों पर रखा और पेलने की तैयारी में आ गया.
दीदी कहने लगी- धीरे से करना.
मगर मैंने पूरी ताकत से अपना लंड उसकी चुत के छेद में लगा कर घुसेड़ दिया. एक ही झटके में मेरा आधे से ज्यादा लंड उसकी चूत में समां गया और वो चीख पड़ी. उसकी आंखों से आंसू आ गए.
शायद उसकी.सील टूट चुकी थी. मेरे लंड में भी बहुत दर्द हो रहा था. मैं थोड़ी देर के लिए रुक गया. फिर दीदी धीरे धीरे अपनी गांड हिलाने लगी, तो मैं समझ गया कि अब वो चुदने को तैयार है. अब अगले झटके दिए जा सकते हैं.
मैंने फिर एक बार पूरी ताकत से झटका मारा और इस बार मेरा पूरा लंड दीदी की चूत में समा गया.
इस बार उसको थोड़ा कम दर्द हुआ पर वो लगातार चीख रही थी ‘आह आह..’
मैं रुक गया.
थोड़ी देर बाद जब दीदी नार्मल हो गई, तो मैं धक्के लगाने लगा. वो भी गांड उठा उठा कर चुदवाने लगी. हम दोनों पूरे दस मिनट तक ऐसे ही चुदाई करते रहे. फिर थोड़ी देर में हम दोनों एक साथ झड़ गए. मैं नंगा ही दीदी के ऊपर पड़ा रहा. फिर थोड़ी देर बाद मैं उसके बाजू में सो गया.
तो दोस्तो, कैसे लगी मेरी बहन के साथ सेक्स कहानी …
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02-23-2021, 12:31 PM,
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RE: Bhai Bahan Sex Kahani भाई-बहन वाली कहानियाँ
मेरी प्यारी बहना की बुर की चुदाई
अपने दोस्त की बहन की चुदाई का कोई मौक़ा मुझे नहीं मिल रहा था तो मैं चूत का प्यासा हो रहा था. इसी बीच मुझे अपनी कुंवारी छोटी बहन की बुर की चुदाई का मौक़ा कैसे मिला?
नमस्कार दोस्तो, मैं राज आज एक नई कहानी को लेकर हाजिर हूँ।
दोस्तो, पिछले महीने की उन्नीस तारीख को एक दोस्त की शादी में मैं और मनीष दोनों गांव आये हुए थे।
पड़ोस में ही शादी हो रही थी और मनीष घर पर था तो मुझे पीहू को चोदने का कोई मौका नहीं मिल रहा था। इसलिए खाना खाकर मैं छत पर जाकर पीहू से फोन पर बात करने लगा।
मैं उससे बातें कर रहा तभी मेरी बहन ज्योति छत पर आ गयी और उसने मुझे रोमांटिक बातें करते हुए सुन लिया।
वो मेरे पास आकर बोली- किससे बात कर रहे हो?
मैंने कहा- किसी से नहीं!
तो उसने कहा कि मैंने सुना है तुम किसी से बात कर रहे थे।
मैंने अपना बड़ा वाला फोन उसे देते हुए बोला- देखो किसी से बात नहीं कर रहा था।
मेरी बहन ने कहा- ज्यादा चालाकी मत करो भैय्या, तुम किसी से तो बात कर रहे थे।
इतना कहकर वो मुझसे मेरा छोटा वाला फोन झटके से छीन लिया.
उससे मैंने अपना फोन छीनने का प्रयास किया तो फोन को वो दोनों हाथों से कसकर दबाकर घुटनों के बल बैठ गयी उसके हाथ उसकी गोद में उसके घुटनों और सीने के बीच में था।
मैंने उससे कहा- प्लीज फोन दे दो!
तो मेरी बहन ने कहा- पहले बताओ?
मैंने कहा- यार कुछ बातें पर्सनल होती हैं.
और उससे फ़ोन छीनने के लिए उसके पीछे आकर उसके दोनों हाथों को बाहर खींचने का प्रयास किया पर सफल नहीं हो पाया।
उसके बाद मैंने उसके दोनों हाथों के कंधे के नीचे थोड़ी जगह जो बची थी उसमें से अपने हाथ झटके से अंदर डाल दिया मेरे हाथ अंदर जाते ही वो और कसकर चिपक गयी और मेरे हाथों के पंजे उसकी दोनों चूचियों पर लग गए।
चूंकि वो कसकर चिपक कर बैठी थी तो मेरे हाथों के पंजे उसकी नर्म चूचियों का अहसाह पा रहे थे। उसकी चूचियों का अहसास होते ही मेरे अंदर वासना जागने लगी।
अंधेरा काफी हो चुका था इसलिए मैं भी निश्चिन्त था कि कोई हमें देख नहीं पायेगा और वासना के वशीभूत होकर मैं उसे चोदने की तरकीब सोचने लगा।
मैं उससे सट कर उसकी चूचियों पर हाथों का दबाब बढ़ाते हुए उससे बोला- ज्योति प्लीज दे दो.
तो वो हँसती हुई बोली- नहीं भैय्या, मैं नहीं दूंगी।
मैंने अपने हाथों का दबाब उसकी चूचियों पर थोड़ा और बढ़ाते हुए, जिससे उसे पता चल जाये कि मैं उसकी चूचियाँ दबा रहा हूँ, और अपने होंठों को उसके गर्दन से सटाते हुए बोला- ज्योति दे दो।
ज्योति हँसती हुई बोली- भइया, मैं नहीं दूंगी.
अब तक उसकी सांसें तेज़ चलने लगी थी जिन्हें मैं महसूस कर रहा था।
अब तक मैं भी समझ गया था कि जो मैं कर रहा हूँ ज्योति भी उसका मज़ा ले रही है इसलिए डर मेरे मन से निकल गया। मैंने ज्योति की चूचियाँ दबाते हुए उसे खड़ा कर दिया। उसकी दोनों चूचियों को दबाए हुए ही मैं अपने होंठों को उसके कानों के पास ले जा कर उससे कहा रहा था- ज्योति प्लीज दे दो!
और वो कह रही थी- नहीं दूंगी।
ज्योति अपने चूचियों पर से मेरे हाथों को हटाने का कोई प्रयास नहीं कर रही थी बस उसकी सांसें तेज़ हो गयी थी और हंसकर वो कह रही थी- नहीं दूंगी।
बहन का कोई प्रतिरोध नहीं देख कर मैं समझ गया कि रास्ता क्लियर है और खुलकर बहन की दोनों चूचियाँ दबाने लगा.
तब भी वो कुछ नहीं बोली।
तब मैं बहन की गर्दन पर अपने होंठों से किस करने लगा।
अपने दोनों हाथों को मैंने उसकी टीशर्ट के नीचे डालकर उसकी ब्रा के ऊपर से बहन की चूचियाँ दबाने लगा.
इस पर ज्योति बोली- भइया क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- कुछ नहीं … बस तुमसे प्यार कर रहा हूँ। क्या तुम्हारा मन नहीं करता है कि कोई तुमसे प्यार करे … अपनी बांहों में भरकर तुम्हें जिंदगी का सबसे हसीन सुख दे दे।
ज्योति ने कहा- भइया, आप मेरे भाई हैं. किसी को पता चल गया तो कितनी बदनामी होगी।
मैंने कहा- मैं तो किसी से नहीं बताऊंगा. क्या तुम बताओगी?
तो उसने कहा- नहीं।
तब मैंने कहा- बस तो जिंदगी के मज़े लो! क्या तुम्हें मज़ा नहीं आ रहा है?
तो बहन ने कहा- भाई, बहुत मज़ा आ रहा है।
तब तक मम्मी ने नीचे से आवाज दी और ज्योति ने मुझसे कहा- भैया मुझे जाना होगा.
तो मैंने कहा- सबके सोने के बाद छत के ऊपर वाले मेरे रूम में आ जाना.
बहन ने कहा- दरवाजा खुला रखना।
मैं भी उसके जाने के बाद अपने कमरे में आकर आराम करने लगा। मुझे नींद नहीं आ रही थी.
रात में लगभग ग्यारह बजे कमरे का दरवाजा खुला और मेरी बहन ज्योति अंदर आकर दरवाजा बंद करने लगी।
इतने में मैं उठकर उसके पास गया और पीछे से बहन की दोनों चूचियाँ पकड़ कर दबाते हुए बोला- कितना इंतज़ार करवा कर तड़पा रही थी!
तो उसने कहा- भईया, जब सब सो गए तो मैं आयी हूँ।
ज्योति को पलट कर मैं उसके पूरे चेहरे पर किस करने लगा. मेरी बहन ने भी मदहोश होकर मुझे कसकर अपनी बांहों में भर लिया।
बहन ने मुझसे कहा- भैया, लाइट बन्द कर दो, शर्म आ रही है.
तो मैंने कहा- मेरी प्यारी बहना … कुछ देर बाद तुम्हें चोदकर तुम्हारी शर्म मिटा दूंगा।
उसने अपना सर मेरे सीने में छिपा लिया।
मैंने उसके हाथों को ऊपर उठाकर बहन की टीशर्ट को उठाकर निकाल दिया। बहन की नंगी पीठ पर हाथ फिराते हुए मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल कर ब्रा भी निकाल दी।
तब मैंने अपना टीशर्ट और बनियान निकाल दिया।
बहन की बर चुदाई
बहन की बर चुदाई
मैंने कहा- ज्योति, तुम बहुत खूबसूरत हो!
तो उसने आँखें खोल कर मेरी आँखों में देखते हुए कहा- सच में भैया?
मैंने कहा- पागल … तेरे भैया तुमसे क्यों झूठ बोलेंगे?
और उसके होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगा. वो भी मेरा साथ देने लगी।
कुछ देर उसके होंठों को चूसने के बाद मैं झुककर बारी बारी बहन की दोनों चूचियाँ को चूसने लगा. वो आँखें बंद कर मेरा सर सहलाते हुए चूचियाँ चुसवाने का मज़ा ले रही थी।
इसके बाद मैं उसके सामने घुटनों के बल बैठ गया और उसके पेट को चूमने और अपनी जीभ से उसकी ठोढ़ी के आसपास चाटने लगा।
ज्योति अपनी आँखें बंद कर मेरे सर के बालों को सहला रही थी।
उसके बाद मैंने बहन की लैग्गिंग्स उतार दी. फिर मैंने बहन की पैंटी भी उतार दी। अब मेरी बहन मेरे सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी.
मेरी बहन की बुर पर एक भी बाल नहीं था. लग रहा था शाम को ही उसने अपनी चूत के बाल साफ किये हैं।
मैंने ज्योति को दीवार से सटा कर खड़ी कर दिया और उससे कहा कि वो अपना एक पैर मेरे कंधे पर रख दे.
वो अपना एक पैर मेरे कंधे पर रखकर मेरे सर को पकड़ कर दीवाल के सहारे खड़ी हो गई।
मैंने ज्योति की कमर को पकड़ कर बहन की बुर पर एक किस किया.
वो सिहर गयी.
फिर मैंने अपनी बहन की बुर में अपनी जीभ डाल कर चूसना शुरू कर दिया.
वो मुझसे कहने लगी- भईया प्लीज छोड़ दीजिए!
लेकिन मैंने उसकी बातों पर ध्यान नहीं दिया और बहन की बुर चूसता रहा.
लगभग सात या आठ मिनट बाद ज्योति का शरीर अकड़ने लगा और मेरी बहन की बुर ने पानी छोड़ दिया मैं उसका सारा पानी पी गया।
इसके बाद ज्योति ने मुझसे कहा- भैया, मुझे आपसे बात नहीं करनी है. आप मेरी बात नहीं मानते हैं.
मैंने उसके माथे पर एक किस करते हुए कहा- पागल ये बता कि तुझे मज़ा आया या नहीं?
तो उसने मेरे सीने पर किस करते हुए अपना चेहरा मेरे सीने में छिपा लिया।
मैंने ज्योति को सामने बैठने का इशारा किया तो वो मेरे सामने घुटनों के बल बैठ गयी।
मेरे इशारे पर ज्योति ने मेरे लोवर और अंडरवियर को उतार दिया।
अब मेरा खड़ा लन्ड उसके सामने था. वो बोली- भइया कितना मोटा और बड़ा है आपका!
तो मैंने कहा- मेरा लंड मेरी बहन के लिए है!
वो शरमा गयी।
मैंने उसे लन्ड को चूसने का इशारा किया तो वो मेरा लन्ड अपने हाथों में लेकर चूसने लगी और मैं उसके सर के बालों में अपनी उंगलियां फिराने लगा।
कुछ देर तक लन्ड चुसवाने के बाद मैंने ज्योति को खड़ी कर दिया और उससे पूछा- कभी किसी से चुदी हो?
तो वो मेरा कसम खा कर कहने लगी- नहीं भईया!
मैंने कहा- पागल, कसम खाने की क्या जरूरत है? मुझे अपनी बहन पर पूरा भरोसा है।
फिर मैंने उससे पूछा- तू इतनी खूबसूरत है, तेरे चक्कर में तो बहुत सारे लड़के पड़े होंगे?
तब उसने कहा- हाँ बहुत लड़कों ने मुझे प्रपोज़ किया है पर मैंने किसी का असेप्ट नहीं किया है।
मैंने कहा- ज्योति कोई पसन्द हो तो बताना. मैं उसके बारे में पता कर बताऊंगा कि वो तुम्हारे लायक है कि नहीं.
इस पर ज्योति बोली- अब से सिर्फ आप और जिसे आप मेरे लिए ढूँढेंगे, वो ही मेरी जिंदगी में होगा।
मैंने ज्योति को गोद में उठा लिया औऱ बिस्तर पर लिटा दिया. बहन की दोनों टाँगों को फैलाकर उनके बीच घुटनों के बल बैठ गया।
मैं अपने लन्ड को बहन की बुर पर सेट करने जा रहा था कि ज्योति ने मुझे रोक दिया और बोली- भैया सच बताइए, अब तक कितनी लड़कियों को चोदा है?
तो मैंने कहा- बस पीहू को!
वो बोली- बस एक लड़की अभी तक?
तो मैंने कहा- नहीं … आज दूसरी चोदूंगा।
ज्योति हँसते हुए बोली- हाँ … और दोनों तुम्हारी बहनें ही हैं।
मेरी बहन ने फिर कहा- कोई बात नहीं भईया, अब आपकी लड़कियों से सेटिंग मैं ही करवाऊँगी।
मैं अपने लन्ड पर थूक लगाते हुए बोला- ज्योति पहली बार में दर्द होगा, उसको सह लेना. शोर मत मचाना.
तो उसने आँखों से इशारा किया- ठीक है।
इसके बाद मैंने अपने लन्ड का सुपारा बहन की बुर के छेद पर रखकर हल्का सा पुश किया तो उसकी बुर के छेद में सुपारा सेट हो गया.
मैंने झुककर ज्योति के दोनों होंठों को अपने मुंह में लेकर एक झटका उसके दोनों कंधों को अपने हाथों से दबाते हुए लगाया. तो आधा लन्ड मेरी बहन की बुर में धंस गया.
पीहू नीचे छटपटाने लगी थी.
तभी मैंने दूसरा धक्का मारकर पूरा लन्ड बहन की बुर में डाल दिया।
मुझे ऐसा लगा जैसे मेरा लन्ड कुछ चीरते हुए आग की भट्टी में चला गया है।
नीचे मेरी बहन छटपटाकर रह गयी.
कुछ देर बाद मैंने उसके होंठों को छोड़ दिया तो वो बोली- भईया, आप बहुत बेरहम हो. निकालिये इसे … बहुत दर्द हो रहा है.
तब मैंने उससे कहा- कुछ देर और सह लो, उसके बाद मज़ा आएगा।
कुछ देर बाद मैंने धीरे धीरे धक्के लगाकर उसे चोदना शुरू किया।
थोड़ी देर बाद उसने अपने दोनों पैरों को मेरी कमर में लपेट दिया और कसकर मुझे अपनी बांहों में भर लिया.
मैं समझ गया कि मेरी बहन अब अपनी चुदाई का मज़ा ले रही है।
मैंने ज्योति से पूछा- बहना … चुदाई का मज़ा आ रहा है?
तो उसने कहा- हाँ भइया।
लगभग दस मिनट बाद उसका शरीर अकड़ने लगा और उसकी बुर ने पानी छोड़ दिया।
उसके बाद मैंने भी जोर जोर धक्के लगाकर ज्योति को चोदना शुरू कर दिया. कमरा फच फच की आवाज से गूँजने लगा।
मैं बहन की बुर में से लन्ड किनारे तक निकाल कर उसके कंधों को अपने दोनों हाथों से दबाकर जोर का झटका लगाकर उसकी बुर चोद रहा था। हर झटके पर पूरा बेड हिल जा रहा था।
ज्योति भी अपनी गांड उठाकर हर धक्के का जवाब दे रही थी।
करीब दस मिनट और चोदने के बाद मेरे लन्ड ने बहन की बुर में पानी छोड़ दिया, मेरा पूरा शरीर कांप गया।
पानी छोड़ने के बाद भी दो मिनट तक बहन की बुर में धक्के लगाता रहा और उसके बाद निढाल होकर ज्योति के ऊपर ही लेट गया।
उस रात मैंने ज्योति को एक बार और चोदा.
वो सही से खड़ा नहीं हो पा रही थी. मैंने उसे दर्द की गोली दी और उसे उसके कमरे में छोड़ कर वापस अपने कमरे में आ गया।
दोस्तो आपको मेरी बहन की बुर चुदाई की गर्म कहानी कैसी लगी?
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