Bhai Bahan Sex Kahani भाई-बहन वाली कहानियाँ
02-23-2021, 12:13 PM,
#61
RE: Bhai Bahan Sex Kahani भाई-बहन वाली कहानियाँ
मेरी दीदी मेरी कंबल बनी


मैं उस वक़्त 12त में अड्मिशन लिया था. मैं घर पे रह के पढ़ाई करता था क्यूंकी एक्षांज़ सर पे थे. घर पे अक्सर दीदी ही होती थी क्यूंकी मों और दाद जॉब करते थे. हू मेरा बहुत ख़याल रखती थी. पता नही कब ये उसके चाहत में बदल गया मुझे पता नही चला. हमरी बहुत नीभती थी दोस्ती. हम हमेशा साथ खाना, रहना, सोना और गप्पे करते थे.
मैं भी उनके प्रति आकर्षित होता था. उसके बड़े बड़े गांद के फाँक मुझे खींचते थे. जब वो झुकती थी तब उसके चुचि दीखते थे. मैं पागल हो जाता था. मैने काई बार उसके पनटी चुराई. कभी उस पनटी को मुँह पे रख के सूंघता था मानो दीदी का बर सूंघ रहा हू. और सूंघट सूंघते ही मैं मूठ भी मरता था. काई बार उसकी अपनटी में ही मूठ मार लेता था मगर तुरंत उसे धो के रख भी देता था. डरता था कही दीदी को पता ना चल जाए.

मैं रोज़ उन्हे छोड़ने की बारे में सोचता था मगर हिम्मत नही होती थी. वो बहुत कड़क थी. शायद मैं कभी शुरुआत कर भी नही पता मैं इतना डरता था और शर्मिला भी था. यहा मेरी दीदी पहले स्टार्ट की थी. वो मुझसे 6 साल बड़ी है और मुझे बोहुत चाहती है. एकदिन मेरा सर मेआइं ज़ोर से दर्द कर रहा था तो मैने रिक्वेस्ट किया तोड़ा सा सिर दबाने के लिए वो मान गयी.
वो मेरा सिर दबा रही थी और मुझसे बाते भी कर रही थी. फिर वो मुझसे गर्ल फ्रेंड के बारे में पूछने लगी लेकिन सच तो ये है की मेरा कोई गर्ल फ्रेंड नही थी.
अंजलि: तुमहरि कोई गर्लफ्रेंड है की नही.
मे: नही दीदी कोई नही, किसी लड़की से बात करनी की इच्छा नही होती.
वो फिर मुझे सेक्स के बारे में पूछने लगी तो मैं चुप रहा. क्यूंकी मैं कभी भी किसी के साथ ये सब टॉपिक्स डिसकस नही करता.
अंजलि: तुमने कभी किसी के साथ सेक्स किया है.
मे: नही कभी नही. किसी ने नही अलो किया दीदी.
अंजलि: किसी लड़की को नेकेड देखा है. किसी को भी.
मे : नही कभी नही.
अंजलि: झूट मत बोलो कभी मुझे नहाते वक़्त कीहोल से नही डेका? मैने काई बार महसूस किया की जब मैं नहाने जाती हू तब तुम दरवाजे आस पास रहते हो जैसे मुझे कीहोल से देखा हो. सॅक्स सच बताओ………तुमने मेरे पनटी को भी काई बार हाथ लगाया है. एक जगह पे रखा हुए मेरे पनटी काई बार दूसरी जगह मिलते है. सुखी पनटी गीली या वॉश्ड मिलती है. ऐसा कैसे तेरे अलावा ये कौन कर सकता है.
मे: नो……..नही दीदी कभी नही.
अंजलि: मुझे नंगी देखना चाहोगे? अगर सच बोलॉगे तो मैं दीखा दूँगी. अगर झूठ बोलॉगे तो कभी नही दीखौँगी. मैं तुम्हे टच करने भी दूँगी.
एसा लगा की मेरे कान सुन्न पर गये. मैने ऐसा सोचा ही नही था. मैं कुछ बोल भी नही पाया.
दीदी ने फिर पूछा. “देखना चाहते हो की नही?” मैं फिर भी चुप रहा.
फिर वो बोली, “क्या तुम मेरे साथ सेक्स करोगे””
मुझे लगा की दुनिया घूम गयी मेरी. दीदी ने सॉफ कहा सेक्स करोगे?
मैने कहा, “ये ठीक नही होगा क्यूंकी तुम मेरी बहन हो. और मुझे कुछ भी नही आता है.”

उसने कहा, “बहन की पनटी चुराने में ठीक था अब बहन से सेक्स करने में ठीक नही है. मैं तुमको सब सिख़ाओँगी अब बोलो करोगे मेरे साथ…मुझे नंगी देखोगे….मगर मों दाद को मत बताना……….बहँचोड़ बनॉगे.”
मैं मूर्ति की तारझ क़हदा रहा. इसके बाद वो शुरू हो गई. उसने अपने होंठ मेरे होंठ पे रख दिया. फिर मेरे होंठ चूसने लगी. पहले तो फ्रेंच किस 20 मीं तक और सबसे हैरानी की बॅयात है की ये सब मेरी दीदी खुद करवा रही थी. मैं भी मज़े से उसके लिप्स चूस रहा था. फिर उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में घुसेड दिया. मैं उसे भी चूसने लगा मानो वो टॉफी हो. बहुत टेस्टी लगा उसके जीभ का स्वाद. दीदी वास्तव में मीठी है.
उसने रेग्युलर निघट्य पहना था. मुझे क्या फीलिंग हो रहा था बता नही सकता. फिर मैने उसके कपड़े उतरे. उसने मुझे निघट्य उतरने में मदद की. उसने अंदर पिंक कलर की पनटी पहनी थी.
तब दीदी ने कहा, “अब मेरी पनटी उतरो.”

और मैने उतार दी. उतरते वक़्त मेरा चेहरा उसके छूट के एकद्ूम बगल में था. मैने अपनी गाल पे उसके छूट के सांस महसूस किए. लगा गाल पे कोई गरम साँस ले रहा है. शयड उसके छूट से गर्मी निकल रही हो. मेरा दिल किया की मैं उसके छूट को किस करू मगर मैने ऐसा कुछ नही किया.
वो उस वक़्त वर्जिन थी आंड ऑफ कोर्स मैं भी. हू बिल्कुल नंगी हो गयी. मैं थोड़ी देर तक उसके नंगे बदन को देखता रहा. चिकना चेहरा, सुतला गार्डेन, उन्नत छाती, नोकिला निपल, सता हुआ पेट, पेट पे छोटा सा नाभि, नाभि से नीचे बिना बाल के चिकना बर और चिकने जाँघो वाला पैर. उपर से नीचे बहुत सुंदर, एकद्ूम मलाई. जी करता था खा जौ. दीदी का छूट कैसा था आज भी याद है. एकद्ूम बिना बाल के गोरा चिकना था. बहुत ही सेक्सी और प्यारा. बाहर का लिप्स पिंक था और अंदर में दाना भी रेड और पिंक का मिक्स था.
दीदी बोली, “क्या देख रहा है? क्या देखता ही रहेगा या कुछ करेगा भी?”
मिने दीदी से कहा, “मैं कहा से शुरू करू, मुझे तो कुछ भी नही पता है.”
दीदी मुझसे एकद्ूम लिपट गयी और फिर किस करने लगी. शायद उसे नंगे खड़े रहने में शरम आने लगी. दीदी बिल्कुल मेरे पास खड़ी थी. उसके चुचि बिल्कुल बगल में मैं खुद को रोक नही पा रहा. मैने चुचि को ज़ोर से दबा दिया. दीदी के मुँह से चीख निकल गयी. दीदी की क्या बूब्स थे, गुड 38 साइज़ के. वो मुझे परे हटाने लगी. मुझसे अब बर्दाश्त नही हो रहा था. मैं उसके लिप्स को क़िस्स्स कर दिया. वो पीछे हटी.

मैं इसी बीच उसके नंगे चुचि को फिर से दबा दिया. इस बार में सॉफ्ट्ली दबा रहा था. दीदी शॅंटी से इसके मज़े ले रही थी. उक्से निपल कड़े थे मैने निपल को उंगलिंके बीच ले कर दबाया. मैं कभी बूब्स दबाता कभी निपल दबाता. मैं उसके चुचि को लीक करने लगा. फिर निपल को मुँह में ले कर चूसने लगा. म्‍म्म्मममस्त लग रहा था…………
दीदी बोली, “आआआआअहह…….ज़ोर से चूस इसे मेरे भाई.चूस मेरे बूब्स को. इसे मलाई समझ के खा. आइस क्रीम समझ के चूस.”
मैं बारी बारी से दोनो बूब्स चूस रहा था. बिना कपड़ो के शी वाज़ लुकिंग डॅम सेक्सी.

मेरा मान तो कैसा हुआ, पूछो मत जैसे ही मैने छुआ दीदी बोली, “चुसेगा? एकद्ूम मीठा आम के जैसा है.”
तो मैने कहा, “तुम डोगी तो ज़रूर चुसूंगा. इसमें से दूध निकलेगा क्या.”
मैं जाँबोझ के पूच्छा, “चूसने से तुम्हे दर्द तो नही करेगा ना?”
दीदी हँसने लगी बोली, “हा क्यूँ नही आज सब कुछ तेरे लिए. तुम खूब चूसो. मुझे भी अच्छा लगेगा.”
मैं चूसने लगा………….दीदी के चुचि बिल्कुल गोरी और बहुत सॉफ्ट थी. निपल्स थोड़े छ्होटे मटर के दाने जैसे थे.
फिर मैने पूछा, “अचानक मेरे साथ क्यू? तुम्हारा कोई बॉय फ्रेंड नही है के. उस से करती ये सब. या शादी के बाद करती पति के साथ.”

उसके बाद वो जो बोली इट वाज़ आउट ऑफ मी इमॅजिनेशन. वो बोली, “जब शादी नही करना है तो बॉय फ्रेंड बनके क्या फयडा.” मैं सन्न रह गया. हू शादी ही नही करेगी…..मतलब मैं हमेशा उसे छोड़ सकता हू. फॉर फ्यू सेकेंड्स रियली ई वाज़ डॅम शॉक्ड.
मैं बोला, “अगर किसी को पता चल गया तो क्या होगा?”
“हॅव फेत, नतिंग विल हॅपन. मैं हू ना.” उसने कहा और अपने बहो में भर लिया.
20 मीं के सकिंग के बाद वो मेरे कपड़े उतरने लगी. मैं उनके सामने नंगा नही होना चाहता था और मुझे तोड़ा अजीब भी लग रहा था. पता नही दीदी को मेरा लंड पसंद आएगा की नही. कभी किसी लड़की के सामने मैं नंगा नही हुआ था.
मैं पीछे हटने लगा तब दीदी ने मुझे इशारा किया और बोली, “तुम भी उतरो, मैं अकेली नंगी रहूंगी क्या? मेरा सब कुछ देख लिया अब मुझे भी दीखाओ मेरे भाई के पास क्या है?”
दीदी मेरे शॉर्ट्स खींचने लगी. मैने अपने कपड़े उतरे. मेरा लॉडा झट से दीदी को सल्यूट करने लगा. एकद्ूम एरेक्ट था. उसका टोपा एकद्ूम लाल और नसे भी फदाक राई थी. दीदी मेरे लॉड को बड़े प्यार से देख रही थी. उस वक़्त हम दोनो न्यूड थे. दीदी मेरे लंड को हाथ में लिया और दबाने लगी. वो घुटनो पे बैठ के मेरा लंड को किस करने लगी. उसे मुँह में लिया और लीक किया. दीदी के चूसने से मुझे बिजली के झटके लग रहे थे. मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. मुझे लगा मैं दीदी के मुँह में ही झाड़ जौंगा. मैं इतनी कलडी झड़ना नही चाहता था. अभी तो शुरुआत हुई थी. मैने डिड को अलग किया. फिर दीदी रुक गयी.
दीदी ने कहा, “कितना प्यारा और मस्त लंड है मेरे भाई का. मेरे बर में जाएगा तो फाड़ देगा उससे. प्ल्ज़ मेरे प्यास को बुझाओ क्यूंकी मैं तुम्हे सबसे ज़्यादा ट्रस्ट करती हूँ. मैं चाहती हू तुम ही मेरी सील तोडो…..मुझे सेक्स का स्वाद दो. मुझे आज जाम के छोड़ो?”
मैं शॉक्ड था. उस वक़्त मेरा आगे 19 था ुआर बहन का 25. तब मुझे सब क्लियर हो गया. मैं समझ गया आअज दीदी मुझसे चूड़ेगी. उस दिन मेरा सबसे लकी दिन था. सामने दीदी बिल्कुल नंगी खड़ी था और मैं भी नंगा था. दीदी ने मुझे बाहों में पकड़ा और किस करने लगी. उसने मेरा मुँह लिया और मुझे अपने बूब्स के तरफ धकेली और चूसने को कहा.

मैं उसके बूब्स को चूसने लगा. उस वक़्त वो मेरे पीठ पर हाथ फेर रही थी मानो मैं उसका बच्चा हू. हू मेरे मुँह में अपना चुचि घसेद भी रही थी और मेरे हार्ड लंड को प्रेशर से दबा रही थी. मेरा लंड एकद्ूम कड़ा था. उसके नस वग़ैरह एकद्ूम कड़े थे मानो अभी फट जाएँगे. दीदी हाथो से लंड को फिर से दबा रही थी. मैने उसका हाथ हटाना चाहा क्यूंकी मुझे लगा अब किसी भी वक़्त मेरा पानी निकला सकता है.
मैने कहा, “दीदी हाथ हटाओ मेर अपनी निकल जाएगा.”
दीदी झट से मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी. मेरा तो एग्ज़ाइट्मेंट से हालत खराब हो रह था. फिर 2 मीं लंड चूसने के बाद वो बोली, “सक मी पुसी जब तक मैं तेरा लंड चुस्ती हू.”
हम 69 हो गये. मैने अपना मुँहे दीदी के छूट पे रखा और वो मेरा लंड चूस रही थी. दीदी के छूट में से अच्छी खुसबु आ रही थी. आख़िर कर मुझे वो छूट चूसने मिल गे था जिसका मैं काई दिन से पूजा करता था. मैं छूट के लिप्स को चाटने लगा. दीदी के मुँह से आआआअम्म्म्मममममममम की आवाज़े आ रही थी. मेरा लंड तो लगा अब फट जाएगा मगर दीदी चूस्ते जा रही थी. वो लंड को चुस्ती कभी लंड के टोपा को दाँत से रगड़ती. उसकी हर हरक़त पे मेरे शेरर में सिहरन होता था. कभी वो मेरे बॉल्स मुँह में ले लेती थी.
मैने अपना जीभ दीदी के छूट के फाड़ में घुसेड दिया. वो ज़ोर से चमकी. मैं अंदर का रस पीने लगा. बहुत टेस्टी था दीदी के छूट का रस. मैं जीभ घुसेड घुसेड कर अंदर तक पीना चाहता था. मैं मज़े से दीदी के बर को छत रहा था चूस रहा था. दीदी के छूट का दाना को चाटने लगा. दीदी को मेरा क्लिट चूसना बहुत अच्छा लग रहा था.
दीदी बोली, “चूस मेरा छूट…आग्ग्घह.छूट का दाना चूस भाई.”
उधर डिड के चूसने से अब मेरा लंड पानी छ्चोड़ने वाला था. मैने अपना लंड दीदी के मुँह से निकलना चाहा मगर वो चुस्ती रही.
मैने कहा, “दीदी अब मेरा लॉडा पानी छ्चोड़ेगा……….अब मुझे छ्चोड़ दो………..आआआआहाहहााआआ……………दीदी आआआआआआआ निकाला मेरा पानी.”
और बिना किसी चेतावनी के मेरे लॉड से मेरा पानी निकल गया. दीदी बिना एक बूँद गिराए पूरा पी गयी. मुझे तो विश्वश ही नही हुआ. तभी दीदी के छूट में भी हलचल हुई और मैं ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा.

दीदी बोली, “बच्चे अब मेरा भी पानी निकलने वाला है और ज़ोर से चूसो.आआआआअम्म्म्ममममममममाआअ……..मेरााआआआआआआआ पाााआआआअन्न्‍ननननननन्न्निईीईईईईईई निककककककककककककककल्ल्लाआाआआ…………”
दीदी ने दोनो जाँघ मेरे कान पे ज़ोर से दबाया और तभी उनके बर से एक झटका महसूस हुआ. उनके छूट से पानी सा निकला जिसे मैं पी गया. मुझे नही पता था लड़कीो का भी अपनी निकलता है. मगर मैं दीदी का पानी पी गया जैसे दीदी ने मेरा लूडा का पानी पीया था.
हम दोनो कुछ देर तक आराम किए. हमारा हार्ट बीट बहुत ज़्यादा था जो अब धीरे धीरे नॉर्मल हो रहा था. हम अभी भी नंगे ही थे. मैं सोच रहा था बस यही इतना होगा या और कुछ भी.
मैने दीदी से कहा, “अब और कुछ दीदी, या हो गया?”
दीदी बोलीं “नही मेरे राजा भैया. अभी चुदाई तो बाकी है…….तुम मुझे छोड़ोगे और मेरी सील तोड़ोगे. मैं कितनी एग्ज़ाइटेड हू ये सोच के की मेरा भाई मेरी सील तोड़ेगा. चल आजा मेरे पास.”
फिर दीदी ने मुझे किस करना शुरू किया. लगा दीदी ने मेरे दिल की बात सुन ली. वो फिर से मेरे लुआडे को दबाने लगी थी. दीदी का दबाव और उसके किस करना फिर से मेरे लंड को कड़ा करने लगा. मैं कुछ ही सेकेंड्स में फिर चुदाई के लिए तैयार हो गया.
मैने पूच्छा, “दीदी असली काम कब करोगी? कब तक ऐसे चूसना चलता रहेगा? मेरा मतलब क्या हम चुदाई नही करेंगे?”
यह कह के मैने अपना जीभ कटा मानो मैने कोई ग़लत बोल दी हो. अपनी बहन से अभी भी इतना नही खुला था मैं. दीदी मेरी इस बात को भाँप गयी.
दीदी बोली, “ज़रूर मेरे बही…………..ज़रूर करनेगे…..तुम ऐसे ही भाषा मैं मुझसे बात करो. डरो मत…………मुझे भी ऐसे बोलना अच्छा लगता है………. जब हम चुदाई कर रहे है तो बोलने में क्या हर्ज़ है……… भूल जाओ की मैं तुमहरि बहन हू. मुझे एक रंडी की तरह छोड़ो.”
इतना सुनना था की मैं भी जोश में आ गया. मैने दीदी का एक चूची चूसना शुरू किया और हाथ से दूसरा चूची दबाने लगा. इस डबल अटॅक से दीदी चौंक गयी मगर फिर मुझे चूची चूसने दी. मैं दोनो बूब्स को बाअरी बारी चूसने लगा. मैने उसके आर्म्पाइट्स देखे एकद्ूम चिकने उसके बर की तरह. मैं खुद को रोक नही पाया और उसे भी चाटने लगा. पहले लेफ्ट फिर रिघ्त आर्म्पाइट.
देन ई मूव्ड तो हेर नेवेल लीक्ड हेर तेरे. शी लाइक्ड इट. शी वाज़ एंकरेजिंग मे तो मूव फर्दर डाउन टुवर्ड्स हेर पुसी विच ई हद सक्ड. मैं उसके चूत तक पहुँच गया. अभी उसके छूट से दूसरी तरह की गंध आ रही थी. मैं उसे चूसा टेस्ट भी अलग था. शायद पानी निकालने के बाद टेस्ट बदल जाता है.
दीदी ने कहा, “अब छूट चूसना छ्चोड़ बहँचोड़ और मुझे जल्दी से छोड़…मेरा छूट तेरे लॉड के लिए मारा जा रहा है. छोड़ेगा की नही बहँचोड़ या बाहर से किसी को बूलौऊ मुझे छोड़ने के लिए.”

दीदी मस्ती में जाने क्या क्या बाद बड़ा रही थी. मैं दीदी के उपर आ गया और अपना लंड उसके छूट में दे दिया. मैने धक्का मारा मगर लंड अंदर जाने की जगह फिसल गया.
डिड ने झल्ला के मेरा लॉडा अपने हाथ में ले लिया और बोली, “सेयेल बहँचोड़…बहन के लॉड………….छोड़ना नही आता.लॉडा बाहर ही रग़ाद रहा है मदारचोड़.”
दीदी को आज के अफले ऐसे बात करते नही सुना था. शायद इस चुदाई का बुखार उस पर चाड गया था. मैं भी अब टॉ मैं आ गया था. मुझे भी जोश चाड गया और अनप शनाप बोलने लगा.
मैने कहा, “अरी बापचॉड़ी शांत रह. मेरा लॉडा बौट मोटा है. इसे ऐसा पेलुँगा की तेरा छूट फट जाएगा….रोटी रहेगी कोई सीलने वाला नही मिलेगा. मदारचोड़ साली रंडी……..देख अब मेरे लंड का कमाल.”
और मैने ज़ोर से धक्का मारा…..और मेरा लूडा दीदी की बर में घुसा मगर तोड़ा सा ही क्यूंकी दीदी का छेड़ छ्होटा तह और मेरा लॉडा मोटा. मैने साँस रोक कर एक और ज़ोर का धक्का मारा.
दीदी ज़ोर से चिल्लई, “आआअहह……….बहँचोड़ साला……………….मेरी छूट फाड़ दिया रेर्रररीईईईईईई………मैं मार गयी साला इतना ज़ोर से लंड पेल दिया की हालत खराब कर दी. मगर रूको मत राजा और ज़ोर से छोड़ आज फाड़ ही दो इस छूट को…………..बहुत गरम है तेरे लिए.”
मैने फिर एक जोरदार धक्का मारा…………..मेरा लॉडा दीदी का सील तोड़ता हुआ अंदर पेल गया.
दीदी को बहुत ज़ोर से दर्द हुआ और वो फिर चिल्लई, “मार दल मुझे मेरे मदारचोड़ भाई ने………………मई मार गयी रे…आज के बाद कभी नही चड़वौनगी………….आआआअहहाअ. सला बहुत दर्द हो रहा है ……………..”
मगर मैं अपना छोड़ना जारी रखा. एक सेकेंड को भी नही रुका. दीदी के वैसे गली देने से मुझे बहुत जोश आ रहा था. मैं और दुगुने जोशे दीदी की चुदाई कर रह था.
मैने अपना हाथ दीदी के चूतड़ पे रखा. और उसे ज़ोर से अपनी तरफ खींचा. दीदी भी नीचे से धक्के मरने लगी. अभी उसे दर्द भी अकर रहा था और नज़ा भी आ रहा था. मैने झट से अपनी एक उंगली दीदी केग आंड के छेड़ में डाल दिया. दीदी ज़ोर से चिहुनक गयी और उपर की तरफ उछली. मेरा सारा लॉडा एक ही झटके मीन अंदर चला गया.

दीदी फिर बाद बड़ाने लगी, ‘और छोड़ मुझे …………………..आआआआआअम्म्म्मममममममम………..मज़ा आ रहाआआआआ हाईईईईईईईईईईई……………..और छोड़ो राजा…फाड़ दो इस बर को………………..इसे रोज़ तुम छोड़ना..मैं शादी अँहि आकृंगी उमरा भर तुमसे ही चड़वौनगी………..मुझे छोड़ोगे ना राजा……………………..आआआआआअम्म्म्ममममममम………………और तेज़ और तेज़………”
मैं अपनी रॅफटर तेज़ करता गया…………दीदी का छूट फैल और सिकुड रहा था……हू मज़े से छुड़वा रही थी ……कुछ देर के बाद मुझे लगा की मेरा पानी निकलेगा.
मैने दीदी से कहा, “दीदी अब मेरा पानी निकलेगा. मैं बाहर निकल लू?”
दीदी बोली, “नही निकल अभी………..बहँचोड़ कुछ देर और छोड़ मुझे. मेरा पानी भी निकलेगा……………. दोनो साथ साथ ही पानी छ्चोड़ना.”
मैं कुछ देर बाद पानी छ्चोड़ा, “दीदी संभलो मेरा बीज……..तेरा छूट अब मेरे पानी से फूल गया.”
और मैं दीदी के छूट में ही झड़ने लगा…………
दीदी भी मेरे साथ ही झड़ने लगी…….. “मैं भी तेरे साथ झाड़ रही हू भाई.”
और हम दोनो फारिग हुए. मैं ये देख के दर गया की दीदी के बर से खून निकल रहा था. नीचे चादर भी गंदा हो गया था. मैने डिड को दीखया. मेरे लंड में भी खून लगा था.
दीदी ने मुझे ज़ोर से चुम्मा और कहा, “मेरे राजा भैया अब मैं कुँवारी नही रही. तुम्हारी बहन चुड़क्कड़ हो गयी है. ये उसी का निशानी है. मेरा छूट का सील तुमने तोड़ा. ये सील टूटने का खून है. अब मेरा बर सिर्फ़ और सिर्फ़ तेरा है. अब मैं चुदाई के बिना नही रह सकती.”
मैने कहा, “दीदी आज तुमने मुझे बहँचोड़ बना दिया.”
मैने भी ख़ुसी में दीदी के चुचि दबा दिए. फिर हम दोनो हँसने लगे. दोनो बातरूम में जा के अच्छे से नहा लिए और एक दूसरे को साबुन से सॉफ भी किया. दीदी ने बातरूम में भी मेरा लंड चूसा. मैने दीदी का बर सॉफ किया
फिर रात हुई तो हल्की हल्की ठंड शुरू हो गयी थी. मैने दीदी से कंबल माँगा तो दीदी हँसने लगी. उसने बाते की उसने सारे कंबल धो दिए थे तो आज बिना कंबल के सोना पड़ेगा. मों दाद घर पे नही थे और वो एक दो दिन बाद आने वेल थे. तो हम चाह कर की भी कंबल का उपाय नही कर सकते थे. मैं परेशन हो गया.
तो दीदी हँसने लगी बोली, “मेरा से सात के सोना रात भर ठंड नही लगेगी भाई. मेरे बर में हीटर है. अपना लंड मेरे बर में दे देना बर की गर्मी से सारा ठंड निकल जाएगा.”
ऐसा कह कर दीदी बिल्कुल नंगी हो गयी और मेरे कपड़े उतार दिया.वैसे भी दीदी घर पे दिन भर कपड़े नही पहनती थी.हम दोनो बिस्तर पे नंगे ही सात के सोए थे.
मुझे आइडिया सूझा.मैं उठा और कंप्यूटर ओं कर दिया और वेब कॅमरा सेट कर दिया. मॉनिटर पे हमारा फोटो आने लगा.
दीदी पूच्च्ी, “ये क्या कर रहा है तू?”
मैं बोला, “देखती जाओ दीदी. मैं हमारी चुदाई का रेकॉर्डिंग कर रहा हू. बाद में हम साथ देखेंगे.”
दीदी को ये बात पसदञ आई. बोली, “ठीक है है भाई. मगर इसे किसी और को मत दीखाना.”
मॉनिटर में दीदी का नंगा बदन दीख रहा था. मैं सब सेट कर एक दीदी के बगल में आ के लेट गया. मैं दीदी का एक चुचि दबाने लगा और दूसरा चूसने लगा. मेरा लंड फिर खड़ा हो गया. दीदी ने उसे दबाया और अपने उपर आने को कहा. मैं उसके उपर सो गया तो दीदी ने मेरा लंड अपने छूट में घुसेड दिया.
सुबह से ये दूसरी बार मैं दीदी को छोड़ रहा था. अबकी बार दीदी का बर उतना टाइट नही था. मैने धक्का लगे तो लंड एकद्ूम से अंदर छा गया. सच में अंदर बहुत गर्मी थी. मैं दीदी को छोड़ने लगा. मॉनिटर पे सब दीख रहा था. छोड़ने से और गर्मी आई लगा अब कंबल की ज़रूरत नही है.

मेरा धक्का तेज़ होने लगा. मैं दीदी का चुचि चूसने लगा. दीदी सुबह से ऐसे ही नंगी थी एक कपड़ा नही पहना था उसने. मुझे उसके चुचि से दूध का एहसास हो रहा था. दीदी भी नीचे से धक्के मार रही थी. उसे अभी अक चुदाई ज़्यादा अच्छा लग रह था क्यूंकी अभी उसे दर्द नही था.
दीदी फिर मूड में बोल रही थी, “और धक्के मार राजा ….छोड़ मुझे……………..मुझे अपनी रंडी बन ले बहँचोड़….और ज़ोर से छोड़…………आज इस बर को तूने उद्घाटन किया. आज इसे फाड़ भी दे……………मुझे मज़ा दे.”
मैं पूरी तेज़ी से छोड़ रहा था. हमारे बदन आपस में टकरा रहे थे.
तुप तुप तुप तुप तुप तुप तुप तुप तुप तुप तुप तुप तुप तुप तुप तुप तुप तुप तुप तुप तुप तुप तुप तुप तुप तुप तुप तुप तुप तुप तुप तुप तुप तुप तुप तुप
ऐसी आवाज़े आ रही थी. मैं उन्हे पूरी ताक़त से छोड़ रहा त….बीच में दीदी को दाँत भी काट लेता था.
दीदी बोली, “हाआआआआ…..आआआआअहह.छोड़ो और ज़ोर से छोड़ो. मुझे ज़ोर से दाँत कतो. मुझे लोवे बीते दो… ज़ोर से कजटेक मार………अपने दाँत का निशान छ्चोड़ो मेरे बूब्स पे……………..मेरा चुचि अपने दाँत से लाल कर दो……………ऊऊऊऊऊऊऊऊफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ……आआआआाअगगगगगगगगग.”
मैं दीदी का बात मानते हुए उनके चुचि पे ज़ोर से दाँत काटने लगा जिस से उनके चुचि के नीचे लाल दाग उभर गया. दीदी की आँख में दर्द से आँसू निकल आ गये. मुझे अफ़सोस भी हुआ मगर गर्व भी हाउ के मैने दीदी के बदन पे अपने निशान बना दिए. इतना मस्त सीन था. मैने फिर दीदी केग आंड में अपनी उंगली घुसेड दी. इस से दीदी का बदन कड़ा हो गया और वो ज़ोर से नीचे से धक्के मारी.
दीदी चिल्ला के बाय्ल, “अरे हरामी गांद में क्यू उंगली करता है जब अपना बर तुम्हे मैने फ्री में दे दिया……………छूट छोड़ो सेयेल और मेरा गांद छ्चोड़ो…….आहह…….तेरे गंद में मैं उंगली करूँगी बहँचोड़.”
दीदी ऐसी गंदी बाते करती रही और चुड़वति रही अंगार मैने अपना उंगली उनके गांद से नही निकाला. दीदी की बाते मुझे बहुत गरम कर रही थी. मेरा लॉडा कुछ ही देर में पानी चूड़ने को तैयार हो गया.

मैने दीदी से कहा, “मैं तो तेरे गंद में मर्चॅ पेल दूँगा, उंगली क्या चीज़ है. मैं छोड़ने में मास्टर बन ना चाहता हू. दीदी अब मैं झड़ने वाला हू. तेरे बर में छ्चोड़ डू पानी?”
दीदी बोली, “हाहााआअ. जल्दी छ्चोड़ भाई……..अब मैं भी साथ ही पानी छ्चोड़ूँगी. मेरा भी निकालने वाला है.उूुउउफफफफफफफफफफ्फ़……..उउगगगगगगगगगघह.”
इस बार काफ़ी देर लगा पानी छ्चोड़ने में कुनकी, सुबह से ये तीसरी बार था ना. मगर मैं बहुत देर तक झाड़ता रहा. दीदी के छूट में सारा बीज उंड़ेल दिया. बहुत मज़ा आया दीदी को छोड़ के. कंप्यूटर पे हमारी चुदाई पूरी रेकॉर्ड हो गयी थी. हुँने प्लेबॅक कर के देखा. दीदी मॉनिटर पे और भी सेक्सी लग रही थी. फिर हम वैसे नंगे ही सात के सारी रात सोए और सच में हुमें कंबल की ज़रूरत महसूस नही हुई. दीदी का बदन इतना हॉट है.
हुँने फ़ैसला किया की हम दोनो घर पे नंगे ही रहेंगे जब तक अकेले है और रात को कंबल की जगह एक दूसरे से लिपट के सोएंगे….यानी मों दाद के आने से पहले और किसी भी हालत में उन्हे ये पता नही चलेगा. बाद में, जब में और दीदी कोई जॉब करेंगे तो घर का सारा खर्चा हम दोनो मिल के उठाएँगे.
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02-23-2021, 12:13 PM,
#62
RE: Bhai Bahan Sex Kahani भाई-बहन वाली कहानियाँ
मैंने बेहेन की चुत को गरम किया


हैल्लो दोस्तों, ये स्टोरी तब की है जब छुट्टी के दिन थे और हम सब लोग घर पर ही थे, मेरी बहन जो कि 25 साल की है वो भी सारा दिन घर पर ही होती थी। मेरी उम्र 18 साल है और उस वक्त हम सब लोग छत पर सोते थे। फिर रोज की तरह जब हम लोग रात के 11 बजे सोने गये। अब हम कुछ इस तरह सोये थे कि मेरे लेफ्ट में मेरी बहन, फिर उसके लेफ्ट में मेरी दादी और माँ पापा नीचे घर में ही सोते थे। अब में रोज की तरह नेट पर फेसबुक और कुछ सर्च कर रहा था। फिर मैंने सोचा कि अब कुछ लव स्टोरी पढ़ते है और मैंने चोदन डॉट कॉम वेबसाईट खोली।

फिर मैंने देखा कि उसमें एक भाई-बहन की स्टोरी भी है। फिर मैंने वो स्टोरी पढ़ ली और वो मुझे बहुत पसंद आई। अब में अपना लंड सहलाने लगा था। तभी मेरी दीदी ने करवट बदली और मेरी तरफ मुँह करके सो गई। अब उसकी वजह से मेरा ध्यान उसकी तरफ गया और अब में भी उसके बूब्स की तरफ घूर रहा था और उसके बूब्स का उभार उसकी नाईट ड्रेस के पतले कपड़े की वजह से साफ नज़र आ रहा था। अब में मन ही मन उन्हें हाथ लगाने की सोच रहा था, लेकिन मेरी हिम्मत नहीं हुई। अब में बस उसे देखकर ही गर्म हो रहा था। अब में दीदी के पूरे शरीर को आँखो से निहार रहा था। मुझे आज पहली बार एहसास हुआ कि मेरी दीदी कितनी सुंदर है, अब मेरे मन में हवस पैदा हो गई थी और फिर मैंने हिम्मत करके धीरे-धीरे मेरा हाथ दीदी की छाती की तरफ सरकया तो अब मेरा हाथ कांप रहा था। फिर मैंने हल्के से मेरे सीधे हाथ की पहली उंगली उसके स्तन पर रख दी और 5 मिनट के बाद धीरे से मैंने अपना हाथ उसके स्तन पर रख दिया। अब में उसके स्तन का गोल शेप महसूस कर सकता था।

फिर मैंने इंतजार किया कि कहीं दीदी जाग ना जाए, लेकिन वो गहरी नींद में थी। जब रात के 2 बज गये थे और अचानक से दादी नींद में खांसने लगी तो मैंने झट से मेरा हाथ दीदी के स्तन के ऊपर से हटा लिया और अपनी आँखे बंद कर ली। अब में कुछ वक़्त तक खामोश रहा और करीब 10 मिनट के बाद मैंने मेरी आँखे खोली तो मैंने देखा कि दीदी अब सीधी लेटी हुई थी। अब मैंने फिर से हिम्मत करके मेरा हाथ उसकी छाती पर रख दिया। अब मुझे बहुत अच्छा महसूस हो रहा था। फिर मैंने धीरे-धीरे उसके स्तन को दबाया, तो क्या बताऊँ दोस्तों? मुझे एकदम से करंट सा लग गया। अब मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया था और हवस का नशा मुझ पर पूरी तरह से चढ़ गया था, अब मेरी हिम्मत बढ़ गयी थी और अब में रुक रुककर दीदी के बूब्स दबाने लगा था।

फिर करीब 15 मिनट के बाद मैंने हिम्मत की और में अपनी जगह से थोड़ा ऊपर सरक गया और मैंने एक हाथ से दीदी के गले के ऊपर की ड्रेस थोड़ा ऊपर कर दी और में झुककर उसके स्तन देखने लगा। उसके स्तन बहुत गोरे थे जो एक दूसरे से एकदम चिपके हुए थे और दोनों स्तनों के बीच ऊपर वाले हिस्से में छोटी सी दरार बन गयी थी। फिर मैंने हाथ आगे बढ़ाकर दीदी के गले के पास से मेरा हाथ उसके टॉप के अंदर डाल दिया और मेरी एक उंगली को उस दरार में घुसा दिया। पसीने की वजह से उसके स्तनों के बीच थोड़ा गीलापन था। अब में उसके नंगे स्तनों को छू रहा था और उसका मज़ा ही कुछ और होता है। अब मेरे लंड से पानी टपकने लगा था और अब में बहुत उत्तेजित हो गया था। फिर में रुक रुककर उसके स्तनों पर हाथ फैरने लगा, उस समय दीदी ने ब्रा पहनी थी तो में सिर्फ़ ऊपर वाले हिस्से में ही अपना हाथ फैर रहा था। फिर मैंने सोचा कि दीदी गहरी नींद में है तो मैंने बिना सोचे ही उसके एक स्तन को दबोच लिया और दबाने लगा। दोस्तों ये कहानी आप चोदन डॉट कॉम पर पड़ रहे है।

फिर 5 मिनट के बाद दीदी ने अपना पैर हिलाया, शायद उन्हें मच्छर काट गया था तो मैंने घबराकर अपना हाथ बाहर निकाल लिया और सो गया, लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी तो में फिर से जाग गया। अब दीदी मेरी तरफ पीठ करके सोई थी। उसकी गांड की दरार में उसका पतला गाउन (नाईट ड्रेस जिसमें पेंट नहीं होती जो कि ऊपर से घुटनो के नीचे तक लंबा होता है) फंस गया था और इस वजह से उसकी गांड का उभार बहुत सेक्सी दिख रहा था। अब मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ और फिर में उसके पास गया और अपना हाथ उसकी गांड पर रख दिया। मेरी बहन ना पतली थी ना मोटी थी। उसका फिगर एकदम शानदार था। इसकी वजह से गांड बहुत मुलायम लग रही थी। अब में और उसके करीब आ गया और पीछे से उसके पूरी तरह से चिपक गया, अब मेरी सांसो की हवा से उसके सिर के बाल उड़ रहे थे।

फिर मैंने हिम्मत करके मेरा अपना पैर दीदी के ऊपर रख दिया और अब मेरा लंड उसकी गांड को पीछे से छू रहा था। अब में हल्के से उसकी गांड पर अपने लंड को रगड़ने लगा। जब मेरा लंड पेंट में ही था और मेरी उसे बाहर निकालने की हिम्मत नहीं हो रही थी। अब मेरा लंड पानी छोड़ने लगा था। अब में वैसे ही दीदी के चिपककर लेटा था और मुझे कब नींद लग गई पता ही नहीं चला। फिर जब में सुबह उठा तो मैंने देखा कि दीदी और दादी कब की उठ गई थी और उनका नहाना भी हो गया था। फिर मैंने घड़ी में देखा तो 8 बज गये थे। फिर में भी नहा लिया और जैसे मैंने कल रात दीदी के साथ कुछ किया ही नहीं, ऐसे नॉर्मल रोज की तरह दीदी से बर्ताव करने लगा। अब दीदी भी बिल्कुल नॉर्मल थी तो मेरी जान में जान आ गई, क्योंकि मुझे लगा था कि शायद दीदी ने जागने के बाद मुझे उनसे चिपके हुए लेटे देख लिया होगा, लेकिन शायद में नींद में फिर से अपनी जगह पर सीधा सो गया था। फिर ये दिन चला गया और फिर रात को हम रोज की तरह ऊपर जाकर सो गये।

अब में बस इंतजार कर रहा था कि जल्दी से माँ और दीदी सो ज़ाये और में फिर से मज़ा ले सकूँ, लेकिन आज दीदी माँ की जगह पर सो गई और दादी मेरे पास सो गई। फिर दादी ने पूछा तो वो बोली कि वहाँ पर हवा नहीं आती है इसलिए में यहाँ सो रही हूँ। में निराश हो गया, लेकिन जब सब सो गये तो में उठकर दीदी के पास सो गया और फिर से उसके स्तनों को दबाने लगा और कल की तरह में एक पैर उसकी कमर पर डालकर उसकी गांड को लंड से छूने का मज़ा ले रहा था। अब मुझे बड़ा अच्छा महसूस हो रहा था, में फिर उस रात ज्यादा कुछ कर नहीं पाया और अपनी जगह पर आकर सो गया और किसी को कुछ पता भी नहीं चला ।।
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02-23-2021, 12:14 PM,
#63
RE: Bhai Bahan Sex Kahani भाई-बहन वाली कहानियाँ
ताऊ की लड़की को बायोलॉजी पढ़ाया-1

ये बात तब की है, जब मैं अपने एम बी बी एस के दूसरे साल में था. मैं अपनी फैमिली के साथ रहता था मेरी फैमिली में मेरे पापा-मम्मी और मेरे ताऊ जी रहते थे. मेरे ताऊ की लड़की, जिसका नाम मनीषा है. मनीषा भी हमउम्र होने के कारण मुझको मेरे नाम से ही बुलाती थी.
हमारे घर 3 मंजिल का है. ग्राउंड फ्लोर पर ताऊ जी रहते हैं, दूसरे फ्लोर पर मेरे माँ डैड और लास्ट फ्लोर पर दो रूम थे, जिसमें एक में मैं और दूसरे में मनीषा रहती थी.

वो 12 वीं क्लास में थी. उसने भी विज्ञान विषय ले रखा था और वो भी मेरी तरह डॉक्टर बनना चाहती थी.
चूंकि मैं पढ़ाई में बहुत अच्छा था और मैंने 12 वीं क्लास में भी 87% स्कोर किया था, तो मेरे ताऊ जी ने कहा था कि मनीषा पर ध्यान देते रहना. मैं उस टाइम एम बी बी एस की पढ़ाई भी कर रहा था और घर पर ही 11 वीं और 12 वीं क्लास के स्टूडेंट्स को टयूशन भी देता था.

यह बात जनवरी 2012 की है. मैं और मनीषा दोनों देर रात तक संग ही पढ़ते थे और पढ़ाई खत्म होने के बाद अपने अपने रूम में चले जाते थे.

मैं कॉलेज से आकर करीब शाम 5 बजे से टयूशन पढ़ाता था और मनीषा भी उसी टाइम मेरे से ही टयूशन पढ़ती थी. उसके साथ उसकी कुछ सहेलियां भी पढ़ती थीं. चूंकि वो सारे मेरे ही हमउम्र थे, तो हंसी मजाक में वक़्त यूं ही कट जाता था. धीरे धीरे हम लोगों में फ्रेंड्स जैसा माहौल बन गया. कभी कभी वो लोग मुझसे मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में पूछते थे.
मैं भी उनको बहुत एन्जॉय करता था.

पढ़ाई में मैं उन सभी को सिर्फ बायोलॉजी और फिजिक्स ही पढ़ाया करता था. एक दिन जब उनका बायोलॉजी का टर्न आया तो मैं रोज की तरह उनको पढ़ाने के लिए अपने रूम में आया, तो सारी लड़कियां धीरे धीरे हंस रही थीं. मैं समझ नहीं पाया कि क्यों हंस रही हैं.

मुझे देख कर मनीषा भी हंस रही थी. मैंने उससे पूछा कि मनीषा क्या हुआ.. ये लोग इतना क्यों हंस रहे हैं?
तो उसने भी हंस कर कहा- आज आपके बायोलॉजी का टर्न है ना!
मैंने कहा- तो इसमें हंसने की क्या बात है.. बायोलॉजी पढ़ने का सब्जेक्ट नहीं है क्या?
फिर मैंने और थोड़ा कड़क होते हुए कहा- चलो चलो.. सब अपनी अपनी बुक निकालो और बताओ कि आज कौन सा चैप्टर पढ़ना है?

मनीषा मेरे पास तीसरा चैप्टर ले कर आ गई और बोली- पंकज, आज आपको ये पढ़ाना है.
वो चैप्टर देखकर में भी थोड़ा झिझक गया. चैप्टर था ‘ह्यूमन रिप्रोडक्शन’ का. (मानव प्रजनन)

थोड़ी देर तो मैं कुछ नहीं बोला, लेकिन मैं उस टाइम थोड़ा असहज हो रहा था, मैं बोला- आज नहीं पढ़ा सकता.. ये किसी और दिन पढ़ाऊंगा.
और उस दिन मैंने उनको दूसरा चैप्टर ‘इवोल्यूशन’ का पढ़ाया.

अब तक उनके सारे चैप्टर खत्म हो चुके थे, तो उन्होंने मुझसे वही छूटा हुआ तीसरा प्रजनन वाला चैप्टर पढ़ने की जिद की. अब मैं उन सबको रोज रोज तो टाल नहीं सकता था. तो मैंने उनको पढ़ाना चालू किया.

दोस्तो, सच बताऊं तो सबसे ज्यादा एन्जॉय हम लोगों ने उसी चैप्टर को पढ़ने में किया. शुरू में तो वो सब भी कुछ पूछने से कतरा रही थीं और मैं भी कुछ बताने से कतरा रहा था. मैंने नोटिस किया कि वो लड़कियां मेरे खड़े लंड को घूर रही थीं. पढ़ाई के बाद मैंने उस दिन दो बार मुठ मारी.

उस समय जनवरी 2013 का महीना चल रहा था, उसी टाइम मतलब फरवरी 2013 में हमारे छोटे चाचा की शादी भी पक्की हो गई. शादी गाँव से होकर थी. कुछ दिन बाद मेरे घर वाले शादी की तैयारी में लग गए. हमारा होम टाउन कानपुर पड़ता है, तो माँ पापा और ताऊ जी सब जाने की तैयारी में लग गए.

मेरा और मनीषा का भी जाने का मन था लेकिन मनीषा के बोर्ड के एग्जाम की वजह से मुझे भी नहीं जाने दिया गया. थोड़ा दुःख तो हुआ लेकिन मुझे स्कोर अच्छा करना था, तो मैंने अपना सारा ध्यान पढ़ाई पे ही लगा दिया.

वो भी दिन आ गया, जिस दिन मेरे पेरेंट्स और ताऊ जी सब गांव चले गए. अब पूरे घर में सिर्फ मैं और मनीषा ही रह गए थे.

उस दिन के बाद सिर्फ हमने टयूशन में सिर्फ ह्यूमन प्रोडक्शन का ही चैप्टर्स पढ़ाई की थी. उस दिन रात में मैं और मनीषा दोनों जब पढ़ाई कर रहे थे, तब मैंने नोटिस किया कि मनीषा वो चैप्टर पूरे ध्यान से पढ़ रही है. मैंने उसको वो चैप्टर पढ़ते देखा, तो मेरा लंड मानो आसमान छूने लगा. उस वक्त मैंने ट्राउजर पहना था, फिर भी मेरा लंड पजामा फाड़ के बाहर आने को तैयार था.

मैंने मनीषा के बारे में ऐसा पहले कभी नहीं सोचा नहीं था, लेकिन ना जाने क्यों उस दिन के बाद मैं हर समय मनीषा के बारे में सोचने लगा.

उस रात पढ़ने के बाद मैं अपने रूम में आ गया और मानो मेरे दिल दिमाग पर सिर्फ मनीषा ही मनीषा दिखाई दे रही थी. मैंने अपना कमरा बंद किया और पूरा नंगा हो गया. उस रात सर्दी बहुत थी, लेकिन फिर भी मानो मुझे गर्मी लग रही थी.

पूरी रात रजाई के अन्दर नंगा लेट कर टीवी पे ब्लू फिल्म देखता रहा. सुबह मेरी आंखें तब खुलीं, जब मनीषा ने गेट खटखटाया.. मैं जल्दी से उठा. थैंक्स गॉड कि मैंने गेट बंद कर रखा था. मैंने जल्दी से कपड़े पहने और बिस्तर सही किया. तकिये की तो बुरी हालत हो चुकी थी. मैंने जल्दी से तकिये का कवर निकाल दिया और फिर कपड़े पहन कर रूम खोला.

रूम खुलते ही चारों तरफ जेस्मिन की खुशबू ही खुशबू थी.

मनीषा ने अपने रूम के अन्दर से ही आवाज लगाई- पंकज मैंने नहा लिया है.. तू भी तैयार हो जा, कॉलेज नहीं जाना क्या?
“हां मनीषा, मैं भी तैयार होने जा रहा हूँ.” यह कहते हुए मैं भी बाथरूम में चला गया.

मैं बाथरूम के अन्दर ब्रश कर ही रहा था कि अचानक मेरी नज़र मनीषा की पेंटी पर पड़ी.

उसकी पिंक कलर की ब्रा और पेंटी देखी तो मुझे मस्त चढ़ गई. मैंने बिना सोचे समझे उन दोनों को हैंगर से उतार लिया. मनीषा की पेंटी अभी मेरे हाथों में ही थी और मेरा लंड मानो फिर से सलामी देने लगा.
उसकी पेंटी में से भी गुलाब और जैस्मिन जैसी खुशबू आ रही थी. मैं पागलों की तरह उसकी पेंटी को सूंघे और चाटे जा रहा था. उसकी पेंटी की वो जैस्मिन और गुलाब की सुगंध के साथ हल्की नमकीन वाली मादक खुशबू मानो मुझ पर ऐसा जुल्म ढहा रही थी कि मेरे लंड की सारी नसें फट कर बाहर आ जाएंगी.

जब मैं उसके पेंटी का चुत वाला हिस्सा चाट रहा था तो मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे मैं उसकी चुत को चाट रहा हूँ.

दोस्तो, मैं बता नहीं सकता कि उस टाइम मुझे कितना मजा आ रहा था. फिर मैंने उसकी पेंटी से ही मुठ मारी और सारा माल उसकी पेंटी में ही छोड़ दिया. इसके बाद उसकी पेंटी वहीं हैंगर पर टांग दी.
उसके बाद मैं नहा धोकर बाथरूम के बाहर आ गया.

मनीषा ने कहा- नाश्ता तैयार है, खा लो.
मैं टीवी देखते देखते ब्रेकफास्ट करने लगा. थोड़ी देर में मनीषा रूम में आई और पूछने लगी- कुछ और चाहिए?

मैं टीवी देखने में मशगूल था, मैंने ना में सर हिला दिया. उसने फिर पूछा, मैंने फिर से बिना उसे देखे ना में सर हिला दिया.

लेकिन फिर उसने तीसरी बार फिर पूछा इस बार मुझे थोड़ा ग़ुस्सा आया और मैंने ये कहते हुए पीछे मुड़ा. उसको देखते ही मानो मेरी ऊपर की सांस ऊपर.. और नीचे की सांस नीचे रह गई.

उसने अपने हाथों में वही गुलाबी पेंटी और ब्रा पकड़ रखी थी. मैं उसको देख के कुछ बोल नहीं सका. फिर वो मुस्कुरा कर जाते हुए बोली- कुछ चाहिए हो तो मुझे बता देना.

मुझे अचानक ही याद आया कि मैंने जो अपना माल उसकी पेंटी में निकाला था, वो मैंने धोया नहीं था. अब मुझे अंदाज़ा हो गया था कि मनीषा ने वो मेरा माल देख लिया होगा. पर बावजूद इसके उसने मुझसे कुछ नहीं कहा. मनीषा की ये बात मैं समझ नहीं पाया.

मेरा उस दिन कॉलेज में मन नहीं लगा. मैं मनीषा के बारे में ही पूरे दिन सोचता रहा. उस दिन में कॉलेज से घर भी जल्दी आ गया, फिर तैयार होकर मैंने सबको टयूशन पढ़ाई. मैं और मनीषा उस दिन एक दूसरे से नज़रें नहीं मिला पा रहे थे. पर चोरी चोरी कनखी निगाहों से एक दूसरे को कभी कभी देख लेते थे.

मेरे उस दिन पढ़ाने का भी मन नहीं कर रहा था, पर मैंने हालात को ठीक से हैंडल किया. मैंने मनीषा से उसके होम वर्क और कुछ इस तरह की बातें की ताकि वो मुझसे बात कर सके. उसने भी मुझसे सही तरह से बात करना शुरू किया.

कुछ देर बाद हम दोनों थोड़ा हंसने बोलने लगे. ऐसा लग रहा था जैसे गाड़ी फिर से पटरी पर आ रही हो.

शाम को मैंने सिचुयेशन को और ठीक करने के लिए कुछ नया प्लान किया. मैंने आज रात का डिनर बाहर से ऑर्डर कर लिया और मनीषा से बोला- आज डिनर मत बनाना.
तो उसने भी उत्सुकतापूर्वक पूछा- क्यों नहीं बनाना है?
तो मैंने कहा- आज मैंने डिनर बाहर से ऑर्डर कर दिया है, चल जब तक खाना नहीं आता, कुछ पढ़ लेते हैं.

शाम के करीब 7:30 हो रहे होंगे, चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा था.

हम दोनों वहीं बेड पर बैठे पढ़ रहे थे. मैंने जानबूझकर उस दिन हाफ पैन्ट पहना हुआ था. मैं आराम से मनीषा के बदन को घूर रहा था. आज मानो मैंने पहली बार उसके बदन को सही तरीके से देखा था.
मनीषा का वो गेहुंआ रंग और हाइट 5 फुट 3 इंच.. बाल घने और लंबे.. और पूरा बदन एकदम भरा हुआ था. उसके लिप्स पे लगी हल्की लिपस्टिक मानो मुझसे कह रही थी कि आ जाओ और होंठों के पूरे रस पी लो.
मैं अपनी बहन की नंगी पीठ और ढकी जाँघों को देखे जा रहा था. उसने सफेद रंग का सूट पहन रखा था, इसमें वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी, उसे देख कर ऐसा लग रहा था, जैसे स्वर्ग से कोई अप्सरा उतर कर आ गई हो.

मेरी नज़र कभी उसके मम्मों पर तो कभी उसकी पेंटी पर जाती. उसके सफ़ेद झीने से सूट में से झलकती ब्लैक पेंटी और ब्रा की हल्की झलक मैं साफ़ देख सकता था. उसके कूल्हे के बगल से जाती वो पेंटी की रबर और उसकी पीठ पर बँधी उसकी ब्रा की पट्टी और उसका हुक मैं साफ़ देख सकता था.

वो मेरी नज़रों को भांप चुकी थी, तभी नज़र से नज़र नहीं मिला रही थी. उसके मम्मों को देख कर मानो मेरे पूरा मुँह पानी से भर गया. मेरा लंड तो हाफ पेंट के अन्दर से बाहर आने को बेताब था. मैं पढ़ते हुए हल्के हल्के अपने लंड को कभी कभी सहला लेता.

मैंने नोटिस किया कि मनीषा भी मेरे लंड को कनखी निगाहों से देख रही है. मैंने उसको भी अपने लंड की हल्की झलक दिखाने में पूरा सहयोग किया. मैंने बैठे-बैठे अपनी एक टाँग को उठा सा लिया और एक घुटने पर बैठ गया. अब मेरा लंड हल्का बाहर आ रहा था. मैंने मनीषा को भी कनखी नगाहों से देखा, वो मेरे लंड को पूरा देखने की कोशिश कर रही थी. उस दिन मैंने जानबूझ कर अंडरवियर भी नहीं पहना था. तनिक खुल जाने से हवा मेरी हाफ पेंट के अन्दर जाने लगी थी और मैं अपने लंड पर हल्की ठंडक महसूस करने लगा था. मेरा लंड अब पूरी तरह खड़ा हो चुका था. लेकिन मैंने जानबूझकर पूरा लंड बाहर नहीं निकाला.

मैंने नोटिस किया कि मनीषा मेरा पूरा लंड देखने के लिए जैसे पागल से हो रही थी.

इससे पहले कि मैं कुछ करता, डोर बेल की आवाज़ ने हम दोनों की मशगूलता में जैसे पूरी तरह खलल डाल दी.
मनीषा ने कहा- पंकज, तू हाथ मुँह धोकर तैयार हो जा. मैं डिनर लगा देती हूँ.

इस टाइम करीब रात के 9:00 बज चुके थे. मैं वॉशरूम में हाथ मुँह धोने के लिए चला गया. जब मैं फ्रेश होकर वापस डिनर टेबल पर आया.. तो देखा कि मनीषा डिनर लेकर लगा रही थी. इस वक्त वो एक नई नाइटी में थी. उसकी नाइटी देख कर मैं दंग रह गया. क्या लग रही थी दोस्तो.. मानो सच में कोई अप्सरा आ गई हो.. जन्नत की हूर धरती पर आ गई हो.

हम दोनों डिनर टेबल पर बैठे, मैं उसको पागलों की तरह घूर रहा था. अचानक उसने मुझे टोका और पूछा- पंकज, खाना कैसा है.
खाना तो वास्तव में टेस्टी था, खाने में जीरा राइस, शाही पनीर और नान के साथ रायता और राजमा भी मँगवाया था.
हम दोनों संग में डिनर कर रहे थे.

मैं हल्के से फुसफुसाया- मनीषा तुम आज बहुत खूबसूरत लग रही हो.
मनीषा ने पूछा- क्या बोला, कुछ कहा क्या तुमने?
‘नन..नहीं..’ मैंने हड़बड़ाते हुए कहा.
वो भी हल्के से मुस्कुराने लगी. फिर मैंने अपना डर निकालते हुए कहा- मनीषा यू आर लुकिंग सो ब्यूटिफुल.
उसने कुछ नहीं कहा और हल्के से मुस्कुराते हुए थैंक्स बोला.

रात को हम दोनों डिनर करके अपने अपने रूम में चले गये.

मैंने अपना रूम बंद किया और फिर से ब्लू फिल्म चालू कर दी. मैं पूरा न्यूड होकर मनीषा के ख्यालों में खोकर रज़ाई में सोते सोते मुठ मार रहा था.

अब करीब रात के 10:30 हो रहे होंगे, मैंने लाइट बंद की और सो गया. थोड़ी देर में मैं वॉशरूम जाने के लिए उठा. इस वक्त घड़ी में रात के करीब 1:20 हो रहे थे. मैंने अपना रूम खोला और वॉशरूम चला गया. वॉशरूम से बाहर आने के बाद मेरी नज़र मनीषा के रूम पर गई, उसके रूम के अन्दर की लाइट अभी भी जल रही थी. मेरे दिल की धड़कन अचानक बढ़ गई और में दबे पांव मनीषा के रूम की तरफ जाने लगा. मैं उसके की-होल से झांक कर अन्दर की तरफ देखने लगा.

अन्दर का नज़ारा देख कर मानो मेरी पूरी नींद गायब हो गई. मैं पूरे तरीके से तो नहीं देख पा रहा था, लेकिन मनीषा अन्दर पूरी नंगी बिस्तर पर पड़ी थी. मैं उसकी टांगें थोड़ी बहुत देख सकता था. उसकी पूरी नंगी टांगें और हिलते कूल्हे देख कर ऐसा लग रहा था वो अपनी चुत में कुछ डाल रही थी.

मैं बदहवाश सा उस डोर के की-होल से जितना हो सकता था, देखने की कोशिश कर रहा था. थोड़ी देर देखने के बाद उसका हिलना बंद हो गया, उसने अपने बेड के पास ही रखे डस्ट बिन में कुछ डाला और फिर लाइट बंद कर दी. मैं भी अपने रूम में वापस आकर सो गया.

अगले दिन सुबह मैं जल्दी ही उठ गया लेकिन कमरे से बाहर नहीं आया. मेरे अन्दर इस बात को जानने की उत्सुकता थी कि मनीषा ने डस्ट बिन में क्या डाला. थोड़ी देर बाद मनीषा बाथरूम में चली गई. मैंने हल्के से अपने रूम का डोर खोला और दबे पांव मनीषा के रूम में चला गया. मैंने डस्ट बिन उठा कर देखा उसमें एक 6-7 इंच का लंबा बैंगन पड़ा था. मैंने उस बैंगन को उठाया और उसको सूंघने लगा. दोस्तो उस बैंगन से मादक नमकीन सी खुशबू आ रही थी उस डस्ट बिन में विश्पर के भी पैकेट पड़े थे. मैंने उनको भी उठा कर देखा हल्के से खूने के दाग से भरे वो विश्पर उसी में पड़े थे.

मैं फटाफट उसके रूम से निकल आया. मनीषा अभी भी बाथरूम में थी. गिरते पानी की आवाज़ से पता चल रहा था कि शायद वो नहा रही होगी.

मैं बाथरूम के दरवाजे के छोटे होल से उसको देखने लगा. अन्दर हल्का सा अंधेरा था, उसने लाइट नहीं ऑन की थी, लेकिन उस डोर से उसकी वही पुरानी जेस्मीन और गुलाब की मिक्स खुशबू आ रही थी.

थोड़ी देर में उसने उसने अपना शावर बंद किया, पानी गिरना बंद हुआ तो मैं झट से अपने कमरे में आ गया. मैंने अपना रूम हल्के से फिर से बंद कर लिया.

वही कल की तरह उसने दुबारा आवाज़ लगाई- पंकज उठ जा, सुबह हो गई.
मैंने भी आवाज़ लगा कर कहा- हां मनीषा बस अभी उठा.

फिर मैंने अपना रूम खोला और बाथरूम में गया. बाथरूम में घुसते ही मेरी नजर हैंगर पर गई, आज भी वहां काले पेंटी लटकी हुई थी. मैंने झट से उसको उठा लिया और पागलों की तरह उसको सूंघने लगा.
दोस्तो, मैं बता नहीं सकता कि कितना मजा आ रहा था. मैं बाथरूम में पूरा नंगा था और शावर चला रखा था, लेकिन मैं नहा नहीं रहा था. बस मिरर के सामने खड़े होकर उसकी पेंटी और ब्रा को पागलों की तरह सूँघे जा रहा था.

अचानक मैंने बाथरूम के दरवाजे के नीचे एक परछाई को नोटिस किया कि मनीषा मुझे डोर के छेद से देख रही थी.

मैंने अपने आप को जल्दी ही संभाला लेकिन मैंने ऐसा बिहेव किया कि उसे शक ना हो कि मैंने उसको देख लिया है. मैं जानबूझ कर डोर के पास आ गया और मैंने बाथरूम की लाइट भी ऑन कर दी ताकि मनीषा मेरे लंड के दर्शन जी भर के कर सके. मेरा लम्बा लंड फड़फड़ाता हुआ डोर के छेद को ही देख रहा था. मैं अपने लंड पर शैम्पू लगा कर धीरे धीरे मुठ मार रहा था और उसकी पेंटी को चाट रहा था. मनीषा इस सब को देख रही थी.

फिर मैंने अपना लंड धोया और सारा शैम्पू साफ़ किया. अब मानो मेरे लंड की सारी नसें फटने सी हो गई थीं. तभी लंड ने उल्टी कर दी और मैंने अपना लंड उसकी ही पेंटी से साफ़ किया. फिर लंड पर थोड़ा तेल लगाया और एक बाक़ी की बची फुहार से मैंने अपना सारा माल उसकी पैंटी में डाल दिया.
ये सब मनीषा डोर के छेद से देख रही थी. अब मैं नहाने लगा, शावर चालू किया और नहाना चालू कर दिया.

मैंने नीचे देखा तो समझ गया कि मनीषा अब जा चुकी थी. थोड़ी देर में मैं नहा धोकर बाहर आया.
फिर मनीषा ने कहा- नाश्ता लगा लिया है.. खा लेना.
मैंने नोटिस किया कि मनीषा पहले की तरह मुझसे बात करने में शर्मा नहीं रही थी, वो मुझसे पहले की तरह खुल कर बातें कर रही थी.

फिर मैं नाश्ता की प्लेट लेकर अपने रूम में चला गया और ब्रेकफास्ट करने लगा. तभी मैंने देखा कि मनीषा बाथरूम में जा रही है.. और मुझे उसके बाथरूम के दरवाजे बंद करने की आवाज़ सुनाई दी.

मैंने तुरत नाश्ता करना छोड़ा और बाथरूम की तरफ दबे पांव आ गया. मैंने छेद से देखा कि मनीषा उसी ब्लैक पेंटी पे लगा मेरा माल चाट रही थी. उसके कंठ से हल्की मादक सिसकारियों की आवाज़ बाहर तक आसानी से सुनाई दे रही थी. तभी मनीषा ने भी बाथरूम की लाइट ऑन कर दी. अब मैं मनीषा को पूरी नंगी देख सकता था. मुझे अहसास हुआ कि मनीषा ने भी मुझे देख लिया है था, पर मैं फिर भी दरवाजे से हटा नहीं.

मनीषा भी मेरी तरह की दरवाजे के पास आ गई और उसने अपने सारे कपड़े उतार दिए. उसकी चुत पर हल्के हल्के बाल थे.

दोस्तो क्या बताऊं.. कितना मज़ा आ रहा था. वो डोर के छेद के पास ही अपनी टांग उठा कर अपनी उंगली अपने चुत में डाल रही थी और कामुक सिसकारियां निकाल रही थी. साथ ही अपनी ही पेंटी को चाटे जा रही थी. मुझे याद था कि मैंने अपना सारा माल उसी पेंटी में छोड़ा था. थोड़ी देर बाद मनीषा शांत हो गई.

फिर जैसे ही उसने लाइट को ऑफ किया, मैं भी अपने रूम में आ गया.
उसने फिर मुझसे पूछा कि और कुछ चाहिए क्या?
मैंने उसके तरफ अपनी गर्दन घुमाई वो मुझे देख कर हल्का मुस्कुरा कर पूछ रही थी- कुछ चाहिए क्या?
इस वक्त उसके हाथों में वही ब्लैक पेंटी थी. मैंने भी मुस्कुराते हुए बोला- और कुछ नहीं चाहिए.
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02-23-2021, 12:14 PM,
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ताऊ की लड़की को बायोलॉजी पढ़ाया-2

उस दिन भी कॉलेज में मेरा मन ही नहीं लग रहा था, मेरा टाइम वहां बिल्कुल भी नहीं कट पा रहा था.

मैं शाम 4 बजे तक वापस घर पर आया. फिर थोड़ा रेस्ट करने के बाद टयूशन पढ़ाना चालू कर दिया. एक सप्ताह हो गया था, घर वालों को गांव गए हुए और पूछो मत हम दोनों ने ये वीक कितना मजा किया.

टयूशन के बाद मैं और मनीषा अपने अपने रूम में वापस आ गये. फिर वो डिनर बनाने में बिज़ी हो गई और मैं टीवी देख रहा था.

फिर रात को डिनर खा कर हम दोनों पढ़ने बैठे, मैंने उस दिन भी हाफ ट्राउजर ही पहन रखा था.

मैंने नोटिस किया कि मनीषा मेरे ट्राउजर के अन्दर झांकने की कोशिश कर रही है. मेरा लंड धीरे धीरे खड़ा तो हो रहा था लेकिन मैंने जानबूझ कर उसको अपने नागराज के दर्शन नहीं करवाए.

मैंने महसूस किया कि मनीषा पागलों की तरह मेरे ट्राउजर को बार बार घूर रही है. मेरा खड़ा लंड भी बाहर आने को बेताब तो हो रहा था, लेकिन मैंने उस दिन जानबूझ कर अंडरवियर पहना था दरअसल मैं उस दिन मनीषा की तड़प देखना चाहता था और शनिवार होने की वजह से हम दोनों में से किसी का भी मन पढ़ाई करने का नहीं किया.

अचानक मनीषा ने मुझसे पूछा- पंकज तेरी कोई गर्लफ्रेंड है क्या?
मैंने मना कर दिया, फिर पूछा- आज ये क्यों पूछा, कोई ख़ास वजह?
वो बोली- नहीं.. बस यूं ही.
फिर मैंने पूछा कि तेरा कोई ब्वॉयफ्रेंड है क्या?
उसने भी ना में अपना सिर हिला दिया.

फिर मैंने उसके साथ इधर उधर की बातें करना शुरू किया और उसने भी मेरे साथ सवाल जवाब किया. उस रात मानो हम एक दूसरे के साथ और भी ज़्यादा खुल गये. शनिवार की वजह से हम दोनों जल्दी ही अपने अपने रूम में सोने चले गये.

रूम क्लोज़ करते ही मैंने अपने ऊपर से सारे कपड़े इतनी जल्दी उतार दिए, जैसे कितनी देर से वो मुझ पर एक बोझ लग रहे थे. फिर मैंने ब्लू फिल्म चालू की और उसकी साउंड थोड़ी स्लो कर दी. मुझे महसूस हुआ कि मनीषा शायद की-होल से देख रही है, तो मैंने अपने रूम की लाइट भी ऑन कर दी. अब शायद मनीषा मुझे सही से देख सकती थी.

मैंने अपने ऊपर से रज़ाई हटाई और दोनों तकियों के साथ सेक्स शुरू कर दिया. मैंने ब्लू फिल्म की आवाज़ भी तेज कर दी और ‘आह.. मनीषा.. मनीषा..’ बोल करके तकियों की माँ चोद दी.

मैंने अपना पूरा माल तकिये पे ही झाड़ दिया, फिर लाइट बंद की.

मनीषा अब तक जा चुकी थी. मेरी आंखों से नींद तो मानो कोसों दूर चली गई थी. मैं सोने की कोशिश भी कर रहा था तो सो नहीं पा रहा था.

मैंने अपने रूम का दरवाजा हल्के से खोला और फिर मनीषा के रूम की तरफ दबे पांव गया. जैसा मैंने सोचा था मनीषा ने भी अपने रूम की लाइट ऑन कर रखी थी और इस बार मनीषा बिल्कुल की-होल के सामने नंगी लेटी हुई थी. मैं समझ चुका था कि मनीषा जानबूझ कर ही की-होल के सामने नंगी बैठी है.

मैंने ध्यान से देखा कि उसकी चुत पैरों में दबी होने के कारण बहुत हल्की सी दिख रही थी, लेकिन उसके चूचों को मैं बिल्कुल साफ़ देख सकता था. उसके मोटे मोटे चुचे मानो कह रहे थे कि अभी जाकर चूस लूँ.

मनीषा भी की-होल की तरफ ही देख रही थी और मादक सिसकारियां ले ले कर अपनी चुत में बैंगन का मजा ले रही थी.

थोड़ी देर में वो शांत हो गई, मैं भी फिर से मुठ मार कर झड़ गया था. उसने नाइटी पहनी और अपने रूम की लाइट बंद कर दी. मैं भी अपने रूम में आ गया.

उस रात मानो मेरे दिल और दिमाग़ पर सिर्फ़ और सिर्फ़ मनीषा ही छाई हुई थी. अब तक मैं समझ चुका था कि आग दोनों तरफ बराबर ही लगी है, पर ये समझ नहीं आ रहा था कि गरम लोहे पर हथौड़ा कब और कैसे मारूं.

जैसे तैसे रात कटी. अगले दिन रविवार था, सारे दोस्तों ने क्रिकेट खेलने का प्लान बनाया था. मैं भी ब्रेकफास्ट करके क्रिकेट खेलने निकल गया. क्रिकेट खेलने के बाद करीब दोपहर के एक बजे वापस आया.

मैंने 2-3 बार बाहर से आवाज़ लगाई मनीषा दरवाजा खोलने नहीं आई. मैंने नोटिस किया कि दरवाजा अन्दर से सेंटर लॉक के थ्रू बंद है. मैंने डुपलीकेट चाभी से डोर खोला.

मैंने अन्दर आ कर ‘मनीषा मनीषा..’ आवाज़ लगाई, पर कोई नहीं आया. मैंने फिर तीसरी मंजिल पर आकर मनीषा के रूम में जाकर देखा, मनीषा निढाल होकर सो रही थी. उसने वही वाइट नाइटी पहनी हुई थी.

दोस्तो, कसम से सोती हुई वो किसी परी से कम नहीं लग रही थी. मैंने उसको पहले तो 2-3 मिनट जी भर के घूर के देखा. मैं उसको ऐसे देख रहा था, जैसे मानो उसको पहली बार देख रहा होऊं.
मैं उसके होंठों पर अपने होंठों को ले गया.
दोस्तो क्या बताऊं, उसकी सांसों से निकलती खुशबू मुझे पागल किये दे रही थी. मैंने धीरे धीरे उसके कानों के बगल में सूंघना शुरू किया. उसके बालों से ऐसी सुगंध आ रही थी जैसे मैं किसी गुलाब और जेस्मीन के बगीचे में आ गया होऊं.

अब मैंने उसके होंठों को हल्का किस किया. वाह मुझे ऐसा लगा, जैसे मैंने गुलाब की पंखुड़ी को चूम लिया हो. उसकी सांसों की खुशबू से जी कर रहा था.. बस उसके लबों से निकलती महक को बस सूंघता ही रहूँ.

मैंने हल्के से उसको किस किया. फिर मैंने उसकी गर्दन के चारों तरफ किस किया. मनीषा अभी भी निढाल होकर सो रही थी. अब मेरी नज़र उसके चूचों पर पड़ी. मैंने उसके चुचे जैसे ही छुए मानो मेरे जिस्म में 11000 किलोवाल्ट का करेंट दौड़ गया. उसके हल्के कठोर और नरम चुचे.. आह.. दोस्तो पूछो ही मत.. कितना मजा आ रहा था. मैं शब्दों में बता नहीं सकता.

अब मेरी नज़र उसकी टांगों पर गई. मैंने उसकी नाइटी को धीरे धीरे ऊपर करना शुरू किया. मनीषा की टांगों पर हल्के रोंए थे. उसकी गोरी गोरी टाँगों और उस नाइटी के अन्दर से निकलती मादक गरम हल्की हवाओं में जैसे फूलों की सुगन्ध मिला दी गई हो.

इस बीच मनीषा ने अपनी करवट बदली. मेरी तो मानो जान ही निकल गई. मुझे लगा कि कहीं वो जाग ना गई हो.

मैं थोड़ी देर के लिए रुक गया. जब मनीषा हल्की शांत सी हो गई तो मैंने फिर से उसकी नाइटी को हल्का सा ऊपर उठाना चालू किया. नाइटी अब जाँघों के नीचे तक आ गई थी. उसकी जांघें इतनी गोरी थी, जैसे दूध की तरह सफेद और संगमरमर की तरह चिकनी हों.

मैं उसकी जांघों पे हाथ फिराने लगा और फिर न जाने क्या हुआ, मैं अपनी जीभ से उसके पैरों को उंगलियों से लेकर जांघों तक चाटने लगा. मुझे उसके जाग जाने का मानो डर ही नहीं रहा.

इस वक्त तो मुझे ऐसा स्वाद आ रहा था जैसे उसके बदन में कूट कूट कर चंदन भर दिया गया हो. तभी मुझे अहसास हुआ कि मनीषा जाग चुकी है. मैं पहले तो थोड़ा हिचकिचाया, पर जब उसने कोई विद्रोह नहीं किया तो मेरे अन्दर भी हौसला आ गया.

अब मैंने उसकी नाइटी को उठाते हुए उसकी जाँघों से ऊपर कर दी, उसने वही पिंक पेंटी पहनी थी. इस वक्त उसकी चुत और मेरे बीच सिर्फ़ वो पिंक पेंटी थी. उसकी हल्की हल्की झांटें भी बाहर आ रही थीं. मैंने हल्के से उसके पेंटी को किस किया.
मेरी बहन की पेंटी से निकलती वो मादक खुशबू मुझे दीवाना बना रही थी. मुझे लग रहा था कि अभी उसकी पेंटी फाड़ दूँ. उस टाइम मेरा लंड फड़फड़ाते हुए काले नाग की तरह बाहर आने को बेताब था.

मैं पागलों की तरह उसकी पेंटी को सूँघे जा रहा था. मैं यह भूल चुका था कि मनीषा को इसकी आहट भी हो सकती है. उसकी गुलाबी पेंटी और उसमें से निकलती मादक खुशबू ने मेरे लंड की नसों को इतना टाइट कर दिया था कि जैसे मेरा लंड फट पड़ेगा.

अब मैंने अपनी बहन की पेंटी हल्के से उतारना चालू किया. धीरे धीरे मैं उसकी पेंटी घुटने तक सरका कर ले आया. मेरी नज़र उसकी नंगी चुत पर टिकी थी.

क्या मस्त चुत थी.. हल्के रेशमी बालों से भरी चुत. उसके वो रोंएदार बाल ऐसे लग रहे थे, मानो उसने अभी तक कभी यहां शेविंग ही नहीं की हो. उसकी चुत पर हल्के-हल्के घुंघराले बाल ऐसे थे, जैसे उन पर कभी ब्लेड नहीं लगाया गया.

मैं उसकी चुत को आंखें बंद करके हल्के हल्के से सूंघने लगा. उसकी झांटें मेरी नाक में घुसकर मुझे छींकने पर मजबूर कर रही थीं. मैंने हल्के हल्के से उसकी चुत को चाटना शुरू किया. मुझे हल्का नमकीन सा स्वाद महसूस हुआ. हालांकि अब तक मैं समझ चुका था कि मनीषा भी अपनी चुत चटवाने का मजा लेने लगी है.

अब मैंने भी अपने सारे कपड़े निकाल दिए और उसके बगल में नंगा होकर लेट गया. मैंने अपना लंड मनीषा के हाथों से सहलाना शुरू किया. क्या बताऊं दोस्तो.. उसके हाथों का मेरे लंड पर स्पर्श पाते ही जैसे मेरा 6 इंच का लंड 7 इंच का हो गया. मेरे लंड से कुछ बूँदों की फुहार सी छूट पड़ी.

मुझे कुछ शक तो हुआ कि मनीषा जाग रही है. अब मैंने अब अपनी सारा डर दूर करते हुए अपनी जीभ धीरे धीरे उसकी चूत के अन्दर देनी शुरू की. थोड़ी देर में उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी. मेरे मुँह की सारी लार उसकी चूत में आ जा रही थी. अब मैंने उसकी चूत में उंगली देना शुरू किया. मैंने जैसे ही मनीषा की चूत में उंगली डाली, मनीषा हल्की सी हिली. मेरी तो मानो गांड ही फट गई हो.

थोड़ी देर के लिए मैं रुक गया. फिर थोड़ी देर बाद मनीषा शांत हो गई, तो मैंने उसकी चूत में फिर से उंगली करना शुरू किया. अब मेरी लार से उसकी चूत इतनी गीली हो चुकी थी कि मेरी उंगली उसकी चूत में आराम से अन्दर बाहर हो रही थी.

मेरा लंड मानो उसकी चूत के अन्दर जाने की ज़िद कर रहा था. उसकी चूत इस वक्त मेरे सामने पूरी खुली पड़ी थी. उसकी नाइटी उसके कमर से भी नीचे थी. मैंने होश गंवाते हुए पास की टेबल पर रखी क्रीम की डिब्बी उठाई और अपने लंड पर क्रीम लगाकर उसकी चूत के मुँह पर सुपारा फिराना चालू किया. उसकी चूत ऐसी थी मानो उसने कभी लंड का स्वाद नहीं चखा था.

मुझे मालूम हो चुका था कि मनीषा जाग रही है, फिर भी मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर रखा और हल्का सा ज़ोर लगाया. मेरा लंड थोड़ा सा ही घुसा था कि मनीषा के मुँह से तेज सी चीख निकली. मैंने झट से अपना हाथ उसके मुँह पर रख दिया और पूरी ताक़त के साथ के और ज़ोर का झटका दे दिया.

इस बार मेरा पूरा लंड मनीषा की चूत के अन्दर था. मनीषा दर्द से चिल्ला रही थी, पर मैंने हाथों से उसके मुँह को दबा रखा था. मनीषा मेरी बांहों से निकलने के लिए अपना पूरा ज़ोर लगा रही थी, पर मेरी मजबूत बांहों ने उसे इस तरह पकड़ रखा था कि छूटना तो दूर, वो हिल भी नहीं पा रही थी.

मेरा अन्दर का शैतान मानो पूरी तरह जाग रहा था. मुझे उसके दर्द का थोड़ा भी ख्याल नहीं रहा. मैं मानो पागल कुत्ते की तरह बस अपनी कमर आगे-पीछे किए जा रहा था.

मनीषा की आंखों से आंसुओं की धार से मेरा पूरा हाथ गीला हो चुका था. लेकिन मैंने फिर भी उसका मुँह दबाए रखा. मुझे डर लग रहा था कि कहीं उसकी चीख बाहर ना चली जाए. पूरा बिस्तर खून से लाल हो चुका था.

थोड़ी देर बाद मैंने मनीषा को समझते हुए अपनी पकड़ कमजोर की. दर्द से कराहते हुए उसने मुझसे मेरा लंड बाहर निकालने की गुहार लगाई. बिस्तर पर खून देख कर तो जैसे उसकी जान ही निकल गई, पर मैंने उसको समझाते हुए शांत किया.
मैं बोला- बस थोड़ी देर बर्दाश्त कर ले.
उसने बोला- पंकज मुझे ज़रा भी अहसास नहीं था कि तू यूं ही अचानक डाल देगा.. अरे कम से कम संभलने का मौका तो दिया होता.

फिर वो हल्की नाराज़गी सा मुँह बना के मुस्कुराने लगी, मैं समझ चुका था कि बात बन चुकी है.

मैंने अपनी कमर को फिर से आगे-पीछे करना शुरू किया. अब मनीषा ने भी मेरा पूरा साथ दिया. उसने भी कमर हिलाना शुरू किया. अब मैंने उसको अपनी बांहों में समेटा और उसको किस करना शुरू कर दिया. हमने एक दूसरे को किस करना शुरू कर दिया. सेक्स का मजा भाई बहन उठाने लगे.

कुछ ही देर तक बहन की चुदाई के बाद मैं झड़ने वाला था. मैंने जल्दी से अपना लंड बाहर निकाला. लंड बाहर निकालते ही मैं बिस्तर पर झड़ गया.
हम दोनों एक दूसरे को देख कर सिर्फ़ मुस्कुरा रहे थे.

मैंने उससे अपनी हरकतों के लिए उससे माफी माँगी. तो उसने भी हंसते हुए कहा- ईडियट बताना तो चाहिए था. जैसे ही तूने डाला, मैं बिल्कुल भी तैयार नहीं थी.. तू बिल्कुल पागल है. कम से कम कुछ इशारा तो करना चाहिए.. ऐसा कोई करता है क्या? देख तो कितना खून निकला है.. सारा बिस्तर खून से लाल हो गया है.. और कितना दर्द हो रहा है मुझे.. पागल कहीं का.

मैंने भी हंसते हुए उससे फिर से माफी माँगी, फिर उसको गले से लगाया और कहा कि वैसे तुझे भी मज़ा आया ना.
“धत तेरी की… मजा न आया होता तो तू टच भी कर पाता?” बोलते हुए शर्मा के उसने अपना मुँह दूसरी तरफ फेर लिया.
मैंने उसको फिर किस करना शुरू किया. इस बार वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी.

किस करते करते हम दोनों मेरे रूम में आ गये. मैं उसके गर्दन के चारों तरफ किस कर रहा था, पागलों की तरह उसके चुचे दबा रहा था.

करीब 10-15 मिनट तक हम एक दूसरे को किस करते रहे. मैं कभी उसके होंठ को, कभी उसकी गर्दन के चारों तरफ किस करता रहा. वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी. वो मेरे भी होंठों को और छाती को पागलों की तरह चूमे जा रही थी. मैंने धीरे धीरे उसके चूचों को चूसना शुरू किया. उसके चुचे हल्के से टाइट हो चुके थे. मैं अब धीरे धीरे नीचे की तरफ सरका.

दोस्तो, अभी शाम के करीब 5 बज रहे थे. रूम खाली होने की वजह से सिर्फ मेरी और मनीषा की सिसकारियों से गूँज रहा था. वो आंहे भरते हुए मेरा नाम लेकर सिसकार रही थी.

अब मैंने उसकी कमर को किस करना शुरू किया. हम दोनों ने एक दूसरे के कपड़े उतारे. अब हम दोनों एक दूसरे के सामने बिल्कुल नंगे खड़े थे. मेरा लंड मानो आसमान छू रहा था. मनीषा कभी मुझे देखती, कभी मेरे खड़े लंड को देखती. हम दोनों फिर से एक दूसरे से चिपक गये.

मनीषा नीचे होते हुए थोड़ी देर मेरे लंड को घूरा, फिर बोली- पंकज, कितने दिन से इसे पूरा देखने की मेरी तमन्ना आज जाकर पूरी हुई है.

इससे पहले कि मैं कुछ बोलता, मनीषा ने मेरा पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया. मेरे मुँह से मानो एक आहह सी निकल पड़ी.
दोस्तो, ऐसा मज़ा.. आह.. पूछो मत. ये अहसास मैं बता नहीं सकता, कितना मज़ा आ रहा था.

मनीषा हल्के हल्के मेरे लंड को पूरा अन्दर तक लेने की कोशिश कर रही थी. मैं भी उसका पूरा साथ दे रहा था.

अब हम दोनों 69 की पोज़िशन में आ गये. मैं उसकी चुत को पागलों की तरह से चूस और चाट रहा था और वो भी मेरे लंड और पोतों को पूरे मज़े से अपने मुँह में लेकर चूस रही थी.

फिर मैंने उसको सीधा बिस्तर पर लेटाया और उसकी कमर के नीचे दो तकिया लगा दिए. अब उसकी खुली चुत मेरे सामने थी. मैंने उसका चेहरा देखा, मानो ऐसा लगा कि उसको इसी दिन का इंतज़ार था.

इस बार मैंने थोड़ा तेल उसके चुत की अन्दर तक लगाया और थोड़ा तेल अपने लंड पे भी लगाया. इसके बाद मैंने अपना लंड मनीषा की चुत पर रखा और उसके गले में बांहें डालकर उसके कानों में फुसफुसाया- अब तो तू तैयार हो ना!

मनीषा ने अपनी आंखें बंद करते हुए हल्के से कहा- पंकज फाड़ दे मेरी चुत को.. आज एक बार में ही पूरा डाल दे. मैं वो दर्द दुबारा महसूस करना चाहती हूँ पंकज प्लीज़ एक बार में ही पूरा डालना.

इतना सुनते ही मैंने मनीषा को पूरी तरह से अपनी बांहों में जकड़ लिया और अपनी कमर को थोड़ा ऊंचा किया. अपने सुपारे को मनीषा की चुत के मुँह पे ले गया और पूरा ज़ोर लगा के एक ही बार में पूरा लंड मनीषा की चुत में ऐसा घुसता चला गया, जैसे गरम सरिया किसी प्लास्टिक को चीरता हुआ पूरा अन्दर तक चला जाता है.

इस बार मनीषा चिल्लाई नहीं, लेकिन एक हल्की सी आहह भर कर उनसे मुझे भी पूरी ताक़त के साथ जकड़ लिया.

थोड़ी देर मैंने अपना लंड उसकी चुत में ऐसे ही घुसा रहने दिया. उसके बाद मैंने अपनी कमर को हिलाना शुरू किया. शायद अब मनीषा को भी मज़ा आ रहा था. वो भी मेरा पूरा साथ देने लगी. उसने भी अपनी कमर को हिलाना शुरू किया. फिर थोड़ी देर बाद मैंने अपना लंड बाहर निकाला, जैसे ही मैंने अपना लंड बाहर निकाला मानो एक अजीब सी मादक खुश्बू सारे कमरे में फ़ैल गई.

अब मैंने उसको घुटनों के बल बिठा दिया. दोस्तो इसको ऑन बेड डॉगी स्टाइल कहते हैं. मैंने अपना लंड फिर से उसके चुत पे टिकाया और धीरे धीरे अन्दर डाल दिया. अब उसकी चुत हल्की सी फ़ैल चुकी थी, तो ज़्यादा टाइट महसूस नहीं हो रहा था. मेरा लंड अब आसानी से अन्दर बाहर जा रहा था.

थोड़ी देर तक उसको चोदने के बाद मैं झड़ने वाला था, तो मैंने मनीषा को बताया कि मैं झड़ने वाला हूँ.. क्या करूँ?
उसने अपना मुँह खोला और कहा- अपना पूरा माल मेरे मुँह में डाल दे.. तेरा ताज़ा ताज़ा माल मैं पीना चाहती हूँ.

ये सुनते ही मैंने पूरा का पूरा माल उसके मुँह में डाल दिया और उसने एक घूँट में ही मेरा पूरा माल पी लिया.

बहन के साथ सेक्स के बाद मैं निढाल हो गया था. हम दोनों थोड़ी देर बिस्तर पर यूं ही नंगे पड़े रहे.

दोस्तो, मैं उन दिनों को कभी भी भूल नहीं सकता. उस दिन के बाद हम रात भी एक ही कमरे में सोते और रात को भी कितनी 3-4 बार सेक्स करते. मैंने उसको अगले दिन बाथरूम में भी चोदा. मनीषा के 12 वीं में अच्छे मार्क्स तो नहीं आए थे, लेकिन आज वो एक सरकारी स्कूल में गेस्ट टीचर है. उसकी शादी हो गई है और उसके एक डेढ़ साल की लड़की भी है. वो आज भी जब घर पर आती है तो मुझसे पहले की तरह ही हंस के बात करती है. उसका हज़्बेंड भी उससे बहुत प्यार करता है. शादी के बाद भी मौका मिलता है और उसका मन करता है तो वो मुझे चुद जाती है.

दोस्तो, ये बहन की चुदाई की कहानी आप लोगों को कैसी लगी
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02-23-2021, 12:14 PM,
#65
RE: Bhai Bahan Sex Kahani भाई-बहन वाली कहानियाँ
ज़रूरतमंद बुआ की लड़की

यह घटना मेरी बुआ की लड़की के साथ हुई थी. वह मुझसे उम्र में बड़ी है, उसकी और मेरी उम्र में तीन या चार साल का अंतर है. उसका नाम सपना है. वह रिश्ते में तो मेरी बहन लगती है और यहीं मेरे घर के पास रहती है. वह दिखने में ऐसी है कि कोई भी उसका दीवाना हो जाए. गदराया हुआ शरीर, बड़े-बड़े मम्मे और मोटी गांड लेकर जब चलती है तो लोगों का लंड खड़ा होने में देर नहीं लगती. उसे देखकर अक्सर मैं मुट्ठ मारकर खुद को शांत कर लेता था, मगर उसे जमकर बजाने का सपना मन में लिए बैठा था.

जब मैं 22 साल का था तब ही उसकी शादी हो गई थी और एक बच्चा भी हो चुका था पर उसके शरीर में कोई बदलाव नहीं आया था. मैं तो हैरान था कि उल्टा वह और सेक्सी दिखने लगी थी और मेरा मन अभी तक उसकी चूत में ही अटका था. उसे जब भी देखता था तो उसके मम्मों को घूरने लगता था. फिर लंड खड़ा होने के बाद मुझे मुट्ठ मारनी ही पड़ती थी.

शादी के दो साल बाद ही उसका उसके पति से आये दिन झगड़ा होने लगा था और अक्सर वह अपने मायके में आकर रहती थी. मैं समझ गया था कि अब उसकी चूत को लंड की भूख लगी ही होगी.
यही सोचकर मैं एक दिन उसके घर गया.

जब मैं उसके घर पर पहुंचा तो वहाँ पर कोई नहीं था और वह घर पर बिल्कुल अकेली थी. घर पर अकेली देख मैंने उसे बातों-बातों में कह दिया- आजकल लडकियाँ शादी के बाद भी दूसरों के साथ सम्बन्धों में रहती हैं.
वह बोली- हाँ, बात तो ठीक है तुम्हारी. मेरी ननद का भी मेरे देवर के साथ सम्बंध है.

फिर मैंने सपना को पटाने के लिए और आगे बात बढ़ाई, मैंने कहा- तो यार इसमें गलत क्या है, सेक्स करना तो सबकी शारीरिक इच्छा होती है. अगर वह बाहर से पूरी नहीं हो रही हो तो घर में ही पूरी कर लेनी चाहिए.
वह बोली- नहीं यार … जब लोगों को पता चलता है तो कितनी बदनामी होती है.

मैं बस उसके मन को टटोलने में लगा हुआ था और मुझे पता चल गया था कि मन तो इसका भी कर रहा है लेकिन यह बदनामी के डर से कुछ नहीं कर पा रही है. मैंने कहा- अगर दोनों मर्जी से कर रहे हैं तो किसी को क्या पता चलेगा. अगर घर में बहन अपने भाई के साथ चुदाई करवा लेती है तो बाहर वालों को उनकी चुदाई के बारे में कैसे पता लग सकता है.
यह बात सुनकर वह थोड़ी घबरा सी गई.
वह बोली- तू ऐसी गंदी बातें क्यों कर रहा है?
मैंने कहा- इसमें गंदा क्या है, चुदाई को तो चुदाई ही कहा जाता है. और यदि और कुछ कहते हों तो तू ही बता?

वह मेरी बात सुनकर हँसने लगी. वह बोली- तुम्हारा भी चल रहा है क्या किसी के साथ?
मैं उसकी आंखों को देख रहा था और मैं समझ गया था कि अब माल तो हाथ आने ही वाला है. इधर मेरा लंड भी हमारी कामुक बातों के कारण पूरा तना हुआ था और मेरी पैंट में अलग से ही शेप बना रहा था. झटके मार-मार कर फटने ही वाला था.

मैंने कहा- नहीं यार, हमारी ऐसी किस्मत कहां और ऐसी कोई बहन भी तो नहीं जिसे जरूरत हो.
वह बोली- तुम पागल हो, तुम नहीं समझोगे.
कहकर वह अंदर कमरे में जाने लगी.

मैंने उसका हाथ पकड़ लिया, मैंने कहा- समझ तो मैं सब कुछ गया हूँ, मगर सामने वाली कुछ खुलकर बोल ही नहीं रही है. अगर वह खुल जाए तो मैं भी सब कुछ खुल कर बोल दूँ.
मेरा इतना कहना था कि उसने रोना शुरू कर दिया.
मैं सोचने लगा कि मैंने कुछ गलत बोल दिया है. यह सोचकर मैं उसके सामने माफी मांगने लगा. फिर वह मेरे गले लगकर रोने लगी.

मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था कि वह क्या चाहती है. मैंने उसको चुप करवाना शुरू किया. मैंने कहा- क्या तुम्हें याद है कि आज मेरा जन्मदिन है?
जब उसने जन्मदिन की बात सुनी तो वह खुद ही अपने आंसू पौंछने लगी.
वह बोली- अरे, मैं तो भूल ही गई थी.
मैंने कहा- अब जब तुम्हें याद दिला दिया है तो फिर गिफ्ट कौन देगा?
वह बोली- बता क्या चाहिए तुझे?
मैंने कहा- सपना तुम्हारी ननद के जैसी ही जरूरत मेरी भी है. मेरे लिए कोई ऐसी लड़की देखो जो मेरी जरूरत को पूरी कर सके.

वह बोली- एक लड़की है, लेकिन वह शादीशुदा है और बदनामी से डरती है.
मैंने कहा- शादीशुदा है तो बिल्कुल चलेगी और बदनामी की बात तो तुम करो ही मत. मैं तो उसके बारे में तुम्हें भी कुछ नहीं बताऊंगा, लेकिन पहले तुम मेरी उसके साथ कुछ बात तो करवा दो. मुझे भी तो पता चल जाए कि वो है कौन और देखने में कैसी है?
वह बोली- पक्का तुम किसी को नहीं बताओगे?
मैंने कहा- मैं चुतिया हूँ क्या जो किसी को बताऊंगा?
वह तपाक से बोली- तो फिर अपनी इस बहन की जरूरत पूरी कर दे.

उसकी यह बात सुनते ही मेरा लौड़ा पूरा तनकर एकदम से खड़ा हो गया. मेरा मन तो कर रहा था कि अभी नंगी करके इसकी चूत के दर्शन कर लूँ मगर मैं कुछ बोल नहीं पाया.
मैंने उसके हाथ को अपने हाथ में ले लिया और वह मेरे गले लगकर नीचे से मेरे लंड को सहलाने लगी. जब उसे पता चला कि मेरा लंड तनकर खड़ा हो चुका है तो वह नीचे मेरे सामने ही बैठ गई.

उसने ऊपर की तरफ देखा और कहा- गिफ्ट चाहिए तुझे?
मैंने हाँ में सिर हिलाया.
इतना कहते ही उसने मेरी पैंट खोलकर मेरी चड्डी पर ही जीभ से सहलाने लगी और झटके से चड्डी को नीचे कर मेरे लौड़े को मुंह में भर लिया और पूरे 5 मिनट तक भूखी शेरनी की तरह मेरे लौड़े को चूसती रही. ऐसा लग रहा था कि पूरा निगल जायेगी. मेरा लंड पूरे चरम पर था इसलिए मैंने उसे रोकने के लिए कहा. मगर वह तो मेरे लंड को ऐसे चूसने में लगी हुई थी जैसे कुछ सुनाई न दे रहा हो उसे.

मैंने उससे कहा कि मेरा निकलने वाला है, मगर वह तब भी नहीं रुकी और मेरे लंड ने वीर्य उसके मुंह में छोड़ दिया. उसका मुंह पूरा भर चुका था. वीर्य को पीने के बाद फिर भी लंड उसने अपने मुंह से बाहर नहीं निकाला और पूरा वीर्य पीकर मेरे लंड को चूसकर साफ़ करने लगी. फिर उसे ऐसे प्यार करने लगी जैसे किसी छोटे बच्चे को प्यार किया जाता है.
वह बोली- यह रहा तुम्हारा गिफ्ट!
मैंने कहा- अब रिटर्न गिफ्ट भी तो देना पड़ेगा!

और इतना कहकर मैंने उसे गोद में उठा लिया उसे उठाकर अंदर कमरे में पलंग पर ले गया. उसे पलंग पर लिटाकर उसकी साड़ी को खोलने लगा और पलभर में वह मेरे सामने नंगी थी. उसके बड़े-बड़े मम्मे देखकर मेरा लौड़ा वापस खड़ा हो गया और मैं उसके मम्मे चूसने लगा. वह पागलों के जैसे मुझे सहलाने लगी, कभी मेरा लौड़ा सहलाती, कभी मेरी गांड में उंगली फिराने लगती.

मम्मे चूसते-चूसते मैं उसकी चूत पर आ गया. उसकी चूत गर्म हो रही थी. उसकी गर्म चूत पर मैंने जैसे ही जीभ रखी तो वह तड़प उठी और उसके मुंह से सिसकारी निकल गई.
मैं पागलों की तरह उसकी चूत चाटने लगा. आज मेरा सपना हकीकत में बदल रहा था. यही सोचते-सोचते पूरी जीभ उसकी चूत में घुसा दी. वह पागलों की तरह आह … आह … करके सिसकारियां निकाल रही थी.

थोड़ी देर चूत चटाई करते हुए हम 69 की पोजीशन में आ गये और लंड उसके गले तक डालकर उसकी चूत चाटते हुए मैं उसका मुंह चोदने लगा. वह भी पूरे मजे ले रही थी.
मजे लेते हुए बोली- अब चाटते ही रहोगे या इस कुँए में पानी भी भरोगे?
मैं समझ गया और सीधा उसकी टांगों के बीच में बैठकर लौड़े को चूत पर फेरने लगा. वह लौड़े को अंदर डालने के लिए कहने लगी और मैंने एक ही झटके में लौड़ा उसकी चूत में डाल दिया.

जब मैंने लौड़ा उसकी चूत में डाला तो उसका मुंह खुला का खुला रह गया. कोई आवाज़ नहीं आई. मुझे यह देखकर बहुत खुशी हो रही थी. फिर वह आह … आह … करते हुए अपनी गांड को ऊपर उठाकर मेरे लंड से चुदने लगी और चुदाई के मजे लेने लगी. काफी देर तक मैं उसकी चूत में लंड को पेलता रहा. चूंकि मैंने पहली बार सपना की चूत मारी थी तो ज्यादा देर तक मैं भी रुक नहीं पाया.
मैंने कहा- मेरा निकलने वाला है. कहाँ निकालूँ, जल्दी बताओ.
उसने कहा- चूत के अंदर ही निकाल दो.
मैंने कहा- अगर तुझे बच्चा हो गया तो?
वह बोली- तुम उसकी चिंता मत करो, इस वक्त केवल चूत पर ध्यान दो.

फिर मैंने उसको कुतिया बना दिया. मुझे कुतिया बनाकर चूत के अंदर पानी छोड़ने में बहुत मजा आता है. वह एकदम से कुतिया बन गई और फिर उसकी गांड मेरे सामने हिलने लगी जिसके कारण मेरे लंड से पानी निकलने को तैयार हो गया. मैंने उसकी गांड को हाथों से पकड़ लिया और लौड़े को पूरा अंदर तक पेल दिया.
झटकों के साथ मैंने उसकी चूत में पानी भर दिया.

वह बोली- आह … मजा आ गया मेरे शेर!

उसके बाद वह मेरी बांहों में लेटकर सोने लगी. मैंने सोचा कि अभी घर में रुकना ठीक नहीं है. बुआ भी शायद आने ही वाली थी. मैंने एक बार फिर से उसको लंड चुसवाया. उसने दूसरी बार भी मेरा माल पी लिया. फिर मेरे लंड को साफ किया.
वह कहने लगी- किसी को बताना मत, नहीं तो मैं मर जाऊंगी.
मैंने कहा- मैं बेवकूफ हूं तो हाथ में आए हीरे को ऐसे जाने दूंगा.
यह सुनकर वह मुझे बांहों में लेकर मेरे होंठों को चूसने लगी.

उसके बाद मैं अपने घर आ गया. मेरा सपना उस दिन पूरा हो गया था. अब जब भी वह घर पर अकेली होती है तो मैं उसकी चूत चुदाई करके उसको संतुष्ट करने पहुंच जाता हूँ.

हमारा यह संबंध अभी भी चल रहा है. मेरी शादी भी हो चुकी है लेकिन बुआ की लड़की सपना की चूत मेरे लंड से ही शांत होती है. अब वह चाहती है कि मैं उसकी सहेली को भी चोदूँ. उसकी सहेली भी उसी की तरह ज़रूरतमंद है.

आप मुझे बताएँ कि मैं क्या करूँ? मैं शादीशुदा हूँ लेकिन अपनी बहन को खुश देखना चाहता हूँ. मुझे भी उसको चोदने में मजा आता है. लेकिन क्या यह सब ठीक है?
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02-23-2021, 12:14 PM,
#66
RE: Bhai Bahan Sex Kahani भाई-बहन वाली कहानियाँ
अच्छा तो लग रहा है लेकिन तुम मेरे भाई हो

मुझे मेरी कज़िन सिस्टर अविका शुरू से ही बहुत मस्त लगती थी और मेरे मन में कहीं न कहीं उसको चोदने की ललक थी. लेकिन वो मेरी ममेरी बहन थी, जिस वजह से मैं उसको चोदने का नजरिया बना ही नहीं पा रहा था. तब भी मैं उसके साथ हमेशा बातचीत करता रहा था. गर्मियों की छुट्टी में जब मैं मामा के घर रहने आ जाता था, तो हम दोनों बहुत मस्ती करते थे.

आगे बढ़ने से पहले आप भी अविका के रंग रूप और फिगर के बारे में जान लीजियेगा ताकि लंड हिलाने में आसानी हो. अविका की हाइट थोड़ी कम है, पर वो देखने में एक कांटा माल है. उसका फिगर 32-28-30 का है. जब भी मैं उसे देखता हूँ तो उसे चोदने का मन होने लगता है. मैंने उसके नाम की बहुत बार मुठ भी मारी है. उसको ध्यान में रख कर मैं 3 लड़कियों के साथ सेक्स भी कर चुका हूँ. जिनकी चुदाई करते वक्त मैं अविका को ही याद करके चुदाई का मजा लेता था.

मैं पिछले साल होली पर उसके घर गया था. हालांकि मैं होली नहीं खेलता लेकिन उस दिन की होली ने मेरी लाइफ बदल दी. हुआ यूं कि मैं कमरे में अपने बेड पर लेटा हुआ आँख बंद करके कुछ सोच रहा था. तभी अचानक से अविका कमरे में आई और उसने एकदम से मुझे रंग लगा दिया. उन दिनों हल्की ठंडक रहती ही है उसके ठंडे हाथ से मैं एकदम से बौखला सा गया और जब रंग लगा देखा तो मुझे बहुत गुस्सा आया.

मैं उस पर चिल्लाने लगा और उसे पकड़ने के लिए बेड से उठा ही था कि वो हंसते हुए दौड़ लगा कर भाग गयी. मैं उसे पकड़ने को उसके पीछे भागा. मैं मामी को आवाज लगाते हुए उसकी शिकायत करने लगा. लेकिन उस समय मेरी मामी मंदिर गयी थीं.

उधर अविका भागते हुए बाथरूम में घुस गयी और उसने बाथरूम का दरवाजा अन्दर से बंद कर लिया. मैं भी गाल से रंग साफ़ करता हुआ बाथरूम के बाहर खड़ा खड़ा बड़बड़ाने लगा. वो अन्दर हंस रही थी और मेरी हालत का मजा ले रही थी.

मुझे एक तरकीब समझ में आई. मैं पैर पटकते हुए ऐसे आवाज करने लगा, जैसे मैं वहां से चला गया हूँ. लेकिन मैं बाथरूम के बाहर ही उसके निकलने का वेट करने लगा. पांच मिनट बाद जब उसे लगा कि शायद मैं चला गया हूँ. फिर जैसे ही उसने दरवाजा खोला, तो मैं भी बाथरूम के अन्दर घुस गया और उसे पकड़ कर उसकी पैन्ट की जेब से रंग निकाल कर उसे लगाने लगा.

मैंने उसके चेहरे पर उसकी कमर पर भी रंग लगाया. रंग लगाते समय वो मुझसे बचने की कोशिश कर रही थी, जिस चक्कर में मेरे हाथ उसके मम्मों पर लगे जा रहे थे. मैंने उसे इस तरह से पहले कभी टच नहीं किया था. आज ऐसा करते ही मेरा लंड खड़ा होने लगा. इस वक्त मैंने उससे कसके पकड़ा हुआ था. मैं उसकी बॉडी फील कर सकता था. उसकी मदमस्त जवानी के स्पर्श से मैं अपना कंट्रोल खो चुका था. मेरी कजिन को भी मेरे हाथों की हरकत से और लंड की सख्ती से पता चल गया था कि मेरा सेक्स का मूड बन गया है और लंड खड़ा हो चुका है.

फिर ऐसे ही में मैंने शॉवर ऑन कर दिया. पानी गिरने से हम दोनों गीले हो गए. उसके कपड़े उसके जिस्म से चिपक गए. बस फिर मेरा दिमाग़ खराब हो चुका था. अब मैंने उसे किस करना प्रारम्भ कर दिया और अपने एक हाथ से उसके एक उरोज दबाने लगा.
वो मेरी इस हरकत से मुझे कहने लगी- ये क्या कर रहे हो, ये गलत है.
वो मुझे मना तो कर रही थी, लेकिन मुझसे अलग होने का प्रयास नहीं कर रही थी.

मैंने उससे चूमते हुए पूछा- क्या तुमको ये सब अच्छा नहीं लग रहा है?
उसने कहा- वो बात नहीं है शुभ … मुझे ये सब अच्छा तो लग रहा है लेकिन तुम मेरे भाई हो.
मेरा लंड फटने वाला था, मैंने कहा- तुम जवान हो और क्या तुमने भाई बहन के सेक्स की कहानियां नहीं पढ़ीं हैं?
बोली- हां मगर!
मैं कहा- बस कुछ नहीं बोलो … मैं तुमको बहुत पसंद करता हूँ. हम दोनों एक दूसरे के इस राज को राज ही बने रहने देंगे और अपनी आग को भी बुझा लेंगे.
ये सुनते ही उसने मुझे जकड़ लिया और कहने लगी- आह … शुभ मैं भी तुमको बहुत चाहती हूँ. पर समाज के भय से मैं अपनी बात तुमसे कह न सकी.

अब तक हम दोनों बहुत गर्म हो चुके थे और एक दूसरे को चूमने और चूसने में लग गए थे. तभी मैंने अपने आपको संभाला और मामी के आने के डर से उससे कहा कि हम लोग बाकी की प्यास बाहर चल कर बुझा लेंगे, अभी जल्दी से बाहर चलना चाहिए. तुम्हारी मम्मी भी आती होंगी.
उसने मेरी बात सुनकर एकदम से होश सा सम्भाला. हम दोनों जल्दी जल्दी फ्रेश हुए और नॉर्मल होकर बाहर आ गए.

वो इस दिन से मुझसे सैट हो गई थी. उस दिन के बाद जब भी चान्स मिलता तो हम किस कर लेते थे. मैं कभी उसके पीछे से किचन में जाकर उसके बूब दबा देता था.
उसके घर से आने का मन तो नहीं था. लेकिन मजबूरी में वापस आना पड़ा.

फिर हम दोनों की फोन पर ज़्यादा बात होने लगी. हम दोनों कजिन सेक्स के मौके की तलाश में थे.

तभी एक दिन उसके गांव में किसी के घर शादी थी, तो मामी और उसका भाई बरात में चले गए. अब घर में सिर्फ़ वो और उसकी दादी थीं. मामा ड्राइवर हैं, तो वो ज़्यादातर बाहर ही रहते हैं.

उस रात हमने प्लानिंग की और मैं रात में अपने घर से बिना किसी को बताए बाइक लेकर उसके घर पहुँच गया. उसने मुझसे कह दिया था कि तुम आकर बाहर वाले कमरे में ही आकर मुझे फोन कर देना. मैं कमरे की कुण्डी खोल कर ही अन्दर वाले कमरे में रहूंगी.

मेरी नानी यानि अविका की दादी को थोड़ा कम दिखाई देता है, तो ज़्यादा प्राब्लम नहीं थी. मैंने उसे आते ही फोन कर दिया था कि मैं बाहर वाले कमरे में आ गया हूँ.

रात को 11:30 बजे वो उस दूसरे रूम में आ गयी, जहां मैं छुपा हुआ था. उसके आते ही मैंने उसे ज़ोर से हग किया और एक दूसरे को किस करने लग गए. उसने टॉप और पजामा पहना हुआ था. फिर हम बेड पर आ गए.
पहले हमने कुछ देर मेरे फोन में पॉर्न मूवी देखी. वो बहुत गर्म हो गयी थी. तब फोन बंद किया और हम दोनों की किसिंग शुरू हो गई. मैं उसके मम्मों को दबाने का मजा लेने लगा. सच में उसके आमों ही मजा ही अलग है.

फिर मैंने धीरे धीरे अपनी ममेरी बहन को नंगी कर दिया और उसे बिस्तर पर लिटा दिया. बिस्तर पर उसकी टांगें फैला कर उसकी पकौड़ा सी फूली अनचुदी चुत को चाटने लगा. वो चुदास से तड़प रही थी. उसने अपनी गांड उठा कर मेरे मुँह पर अपनी बुर रगड़ना चालू कर दिया था.

मैंने उसकी चुदास देखी तो झट से अपने कपड़े निकाल दिए. अब तक मेरा लंड पूरा खड़ा हो चुका था. तब भी मैंने अविका से लंड चूसने को बोला. पहले वो मना करने लगी. जैसे सब लड़कियां शुरुआत में लंड चूसने से मना करती हैं, अविका भी मना कर रही थी.

फिर वो लंड चूसने को राजी हो गई. उसने मेरा सुपारा जीभ से चाटा फिर लंड को मुँह में भर लिया. वो लंड को दबा कर चूसने लगी. मैं भी उसके मुँह को चोदने लगा.

कुछ ही पलों में वो आउट ऑफ द कंट्रोल हो गई थी. अविका बोल रही थी- बस करो शुभम … अब रहा नहीं जाता … प्लीज़ अन्दर डाल दो.
मैंने कंडोम लगाया और चुदाई का खेल शुरू हो गया. मेरे लपलपाते लंड के सामने कुंवारी चुत चुदने को रेडी थी, जिसकी सील टूटने का पल आ गया था.

मैं धीरे धीरे उसकी चुत पर लंड घिस रहा था. उसकी टांगें लंड के स्पर्श से खुद ब खुद फैलने लगी थीं. मैंने उसकी टांगें पूरी तरह से खोल कर चुत फैलाई और लंड के सुपारे को बुर की फांकों में डालने लगा.

अभी मेरे लंड की सिर्फ़ टोपी ही अन्दर गयी थी, वो मना करने लगी. उसे अपनी बुर चिरती सी महसूस हो रही थी जोकि उसकी फैलती आँखों से समझ आ रहा था. मैंने बड़ी मुश्किल से अविका को समझाया और अपने लंड को धीरे धीरे घुसेड़ने लगा. मैंने उसके मुँह पर अपने होंठों का ढक्कन लगाया और जोर से लंड को पेला. मेरा लंड उसकी सील तोड़ता हुआ अन्दर तक चला गया.

वो चिल्लाने को हुई … लेकिन मुँह बंद होने से वो चीख न सकी, लेकिन उसकी छटपटाहट बता रही थी कि उसे भयंकर पीड़ा हो रही है. मैं अपना लंड अपनी कजिन की कुंवारी बुर में लंड घुसेड़ कर कुछ देर ऐसे ही रुक गया.
जब उसका दर्द थोड़ा कम हुआ, तो उसकी कमर ने हरकत करनी शुरू कर दी. मैं समझ गया कि इसको अब दर्द नहीं रहा. बस मैं उसकी चुदाई करने में लग गया. मैं ताबड़तोड़ धक्का लगाना चालू कर दिया. वो भी मस्त होकर लंड का मजा लेने लगी थी. यही कोई 12-13 मिनट तक मैंने उसे हचक कर चोदा और चूंकि मैंने कंडोम लगाया हुआ था तो उसकी बुर में ही मेरा पानी निकल गया. मेरे लंड का पानी तो मेरी बहन की चूत नहीं पी पाई फिर भी मेरे लंड फड़कने से उसकी बुर को भी बहुत सुकून मिला होगा.

उस रात मैंने उसे तीन बार चोदा फिर सुबह चार बजे अंधेरे में ही उसके घर से निकल कर अपने घर वापस आ गया.
इसके बाद तो जैसे हम दोनों को एक दूसरे की लत लग गई थी. हम दोनों ने ठान लिया है कि जब तक हम दोनों की शादी नहीं होगी, तब तक मैं उसे चोदता रहूँगा.
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02-23-2021, 12:14 PM,
#67
RE: Bhai Bahan Sex Kahani भाई-बहन वाली कहानियाँ
जिस्म तो जिस्म को ही जानता है

मेरी एक बड़ी बहन रचना (मौसी की लड़की) है, जो सिवनी (मध्य प्रदेश) में रहती थी. मैं नागपुर (महाराष्ट्र) में रहता हूँ.
वो और मैं बहुत अच्छे दोस्त हैं. मेरी सारी निजी बातें उनको पता थीं और मुझे उनकी सारी बातें मालूम थीं. हम अपनी बातें हमेशा शेयर करते थे. उस वक्त मैं 18 साल का था और वो 20 साल की थीं. हम दोनों में अंडरस्टैंडिंग बहुत ही अच्छी थी. अगर मुझे कोई तकलीफ होती तो उनको तुरंत पता चल जाता था और उन्हें कुछ हो तो मुझे खबर मिल जाती थी.
एक दिन मैं उनसे फोन पर बात कर रहा था तो मुझे लगा कुछ गड़बड़ है, मैंने पूछा- दीदी क्या हुआ?
उन्होंने बताया कि मेरे भैया ने मुझे और मेरे ब्वॉयफ्रेंड को एक साथ में देख लिया. इसके बाद भैया ने उस लड़के की बहुत पिटाई की.
मैंने बोला- आपका प्यार सच्चा है क्या?
उन्होंने बोला- हां, और मैं उससे मिलना चाहती हूँ.
मैंने बोला- तो मिल लो.
दीदी बोलीं- कैसे..? भैया ने कहीं भी आने जाने को मना किया है.
मैंने उनसे बोला- आप नागपुर आ जाओ. फिर एक दिन उसे भी नागपुर बुला लेंगे. आप यहां पर मिल लेना, पर कुछ ही घंटे मिलने मिल पाएगा.
दीदी बोलीं- ठीक है.
फिर योजना के अनुसार दीदी नागपुर आ गईं. उन्हें देखते ही मेरे चेहरे पर एक अलग ही चमक आ गई. हालांकि मैं कभी भी उन्हें बुरी नज़र से नहीं देखता था, वो मेरी सबसे अच्छी बहन थी. वो माँ पिताजी से मिलीं और सीधा मेरे कमरे में आ गईं.
वो बोलीं- लो मैं ला गई, आगे क्या सोचा है?
मैंने बोला- वो कब आ रहा है?
दीदी ने बोला- वो कल ही आ जाएगा.
मैं- अच्छा.. और आप कितने दिन के लिए आई हो?
वो बोलीं- सात दिन के लिए.
मैं बोला- बढ़िया है.. बहुत मस्ती करेंगे.
अब हम यहां वहां की बातें करने लगे. फिर रात को खाना खा कर सोने चले गए. जैसे कि हम बचपन से ही साथ में सोते हैं, वैसे ही आज भी हम साथ में लेट गए. मैंने उनके हाथ को अपने गालों के नीचे रखा और सो गया.
दूसरे दिन योजना के हिसाब से हम घर से निकले और उसके ब्वॉयफ्रेंड को मिलने चले गए. दीदी मेरी साथ गई थीं, इसलिए कोई संदेह भी नहीं कर सकता था. वो एक गार्डन में मिले, मैंने कुछ देर उन दोनों को अकेला छोड़ दिया.
मैं दीदी से बोला- मैं बाद में आता हूँ.
मैं चार घंटे बाद गया, तब भी उनकी बातें खत्म नहीं हुई थीं. मैं बोला- अब चलो.
फिर हम दोनों घर आ गए.
आज वो बहुत खुश थीं, उन्होंने मुझको बहुत बार थैंक्स बोला.
मैं बोला- अब खुश तो हो.
दीदी बोली- बहुत..
वो ख़ुशी से कूदने लगीं, तब पहली बार मेरी नज़र उनके मचलते मम्मों पे पड़ी. वो हिल ही ऐसे रहे थे. दीदी की हाइट कुछ 5 फुट 2 इंच थी, साइज़ लगभग 34-28-30 का रहा होगा. उभरे हुए चूचे और पतली कमर गोरा रंग. मैं साढ़े पांच फुट की हाइट थी और तब जिम जाता था, तो मेरी बॉडी भी ठीक ही थी.
रात को खाना खाने के बाद हम हमेशा की तरह सोने की तैयारी करने लगे. मैंने बरमूडा और टी-शर्ट पहन लिया और दीदी ने नॉर्मली रेड सूट पहन लिया था. हम दोनों बिस्तर पर लेट गए. बहुत देर तक दीदी और मैं बातें करते रहे. बाद में हम दोनों सो गए, पर पता नहीं उसे रात मुझे क्या हुआ. उस रात मुझे कुछ अलग ही सेक्सी सपने आ रहे थे और बहुत में बेचैन हो रहा था. पर जैसे तैसे मुझे नींद लग गई.
पर जब रात को मेरी नींद खुली तो मेरा हाथ दीदी के चूचे पे था. मैं थोड़ा सा डर गया, पर न जाने क्यों मैंने दीदी के मम्मों से हाथ नहीं हटाया. मैंने सोचा अगर एकदम से हाथ हटा लूँ, तो शायद दीदी जाग जाएंगी. मैं उन्हें वैसे ही देखता रहा, दीदी बहुत ही खूबसूरत लग रही थीं. उनका गोरा बदन उस पर रेड कलर का सूट.. और कमरे की डिम लाइट.. हाय.. क्या बताऊं क्या मस्त माल लग रही थीं, मेरी कामवासना मुझे दीदी की चुदाई के लिए कह रही थी.
ये सोचते सोचते ही पता ही नहीं चला कि मेरे हाथों ने उनके मम्मों को कब धीरे धीरे दबाना शुरू कर दिया. मुझे भी अच्छा लग रहा था. पर कुछ देर बाद मैंने अपने हाथ को वापस खींच लिया.
मैं बहुत देर तक दीदी के बारे में सोचता रहा. फिर मैंने सोचा केवल दबा ही तो रहा था, वैसे भी दीदी को कुछ पता नहीं चला.
मैंने फिर से दीदी के तरफ मुड़ा और थोड़ी हिम्मत करके फिर से दीदी के मम्मों पर एक हाथ रख कर धीरे धीरे दबाना शुरू कर दिया.
दीदी नहीं उठीं तो मेरी थोड़ी हिम्मत बढ़ गई. मैंने धीरे से उनके होंठों को हाथ लगाया. बड़े ही कोमल होंठ थे. मैंने फिर से दीदी के मम्मों को दबाना शुरू कर दिया. एकदम से दीदी मेरी तरफ पलटीं मैं डर गया, मुझे ऐसा लगा कि जैसे वो जाग गई हों. पर उन्होंने केवल करवट ली और सो गईं.
मैंने फिर से मम्मों को दबाना शुरू कर दिया और अपने चेहरे को उनके चेहरे के पास ले जाकर उनके होंठों को धीरे से चूम लिया.
दीदी फिर भी सोती रहीं.
मेरी हिम्मत और अधिक बढ़ गई. मैंने धीरे धीरे उनके पूरे बदन पे हाथ फेरा, अब मेरी नींद पूरी तरह से उड़ गई और मुझे बहुत मजा आ रहा था.
अब तक तो मैं ये भी भूल गया था कि ये मेरे दीदी हैं.
मैं अपने आपको रोक ही नहीं पा रहा था. मैंने धीरे से दीदी के सूट के अन्दर हाथ डाला और उनके मम्मों को दबाना शुरू कर दिया. फिर अपने हाथ को उनके पीछे ले गया और उनकी ब्रा का हुक खोल दिया. फिर मैं अपने हाथों को आगे लाकर उनके मम्मों को दबाने लगा.
बहुत देर तक दूध दबाने के बाद भी दीदी नहीं उठीं, तो मेरी हिम्मत पूरी तरह से खुल गई. मैं अपने हाथ दीदी के नीचे ले ही जा रहा था कि अचानक दीदी ने मेरे हाथों को पकड़ लिया. मुझे लगा दीदी उठ गईं, मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं और सोने का नाटक करने लगा. पर मैं बहुत डर गया था, इसलिए मैं सो गया.
अगले दिन सुबह जब हम दोनों उठे, तो दीदी ने मुझे हमेशा की तरह एक हल्की सी मुस्कान दी और चली गईं. पर मैं दीदी से नज़र नहीं मिला पा रहा था. मुझे लगा दीदी को पता ही नहीं चला. क्योंकि वो हर राज की तरह ही मुझसे बात कर रही थीं.
फिर दूसरी रात को हम कल की तरह सो गए. मेरी नींद फिर से खुल गई. मैंने फिर से हिम्मत की और पहले दिन की तरह हाथ से बढ़ा कर उनके अन्दर डाला, दूध दबाए.. पर आज मैंने हाथ नीचे नहीं ले गया. थोड़ा सा करीब हो कर उनके पजामे का नाड़ा खोल दिया. जब दीदी बेसुध पड़ी रहीं तो धीरे से अपने हाथों को पजामे से बाहर निकाल लिया.
फिर मैंने धीरे से उनका शर्ट ऊपर करना शुरू किया. उनका शर्ट मम्मों तक ऊपर लाने के बाद मैंने दीदी के हाथ पकड़ को अपने बरमूडे में डाल दिया और दीदी के पजामे को धीरे से नीचे करना शुरू किया.
तभी मैंने महसूस किया कि दीदी का हाथ मेरा लिंग को हल्का हल्का दबा रहा है. मैंने सोचा दीदी जानबूझ कर दबा रही हैं.
इसके बाद मेरी और हिम्मत बढ़ गई. मैंने धीरे से दीदी का पजामा और अंडरवियर उतार दिया. इस सब में मुझे पूरा आधा घंटा लग गया. मैंने दीदी की योनि देखी, तो देखता ही रह गया. क्योंकि आज तक मैंने केवल टीवी पे ब्लू फिल्म में ही योनि देखी थी.
अब मैंने अपना बरमूडा भी उतार दिया और दीदी के हाथों में अपना लिंग पकड़ा दिया. अपने हाथों से दीदी को अपनी ओर खींचा और उन्हें धीरे धीरे चूमना शुरू कर दिया.
मैंने महसूस किया कि चूमने में भी दीदी मेरा साथ दे रही थीं और देखते ही देखते हम एक दूसरे में डूब गए. हम एक दूसरे को जोर जोर के चूमने लगे.
करीब 20 मिनट हम लोग तक चूमते रहे. अब मैं खुल कर दीदी के मम्मों को पकड़ कर जोर जोर से दबाने लगा. दीदी भी मादक सिसकारियां ले रही थीं. दरअसल हम दोनों की जवानी उफान मार रही थी. दीदी भी मुझे जोर के जकड़ लिया था.
फिर मैंने दीदी की योनि में हाथ लगाया और सहलाना शुरू किया.. तो एकदम से दीदी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोलीं- राहुल नहीं.. बस इतना ही.. और आगे नहीं.
पर तब तक तो मेरे अन्दर हवस भर चुकी थी, मैंने दीदी से कहा- दीदी प्यार अलग है और शरीर की जरूरत अलग बात है.
फिर उसने मुझसे बोला- पर तू मेरा छोटा भाई है.
मैंने उनसे बोला- दीदी जिस्म की आग के सामने क्या बड़ा और क्या छोटा, क्या भाई और क्या बहन, क्या बाप और क्या माँ, क्या बेटा और क्या बेटी, क्या ब्वॉयफ्रेंड और क्या पति, क्या जीएफ और क्या पत्नी.. ये सब बेकार की बातें हैं. बस जिस्म तो जिस्म को ही जानता है.
दीदी की हवस भी जागने लगी थी.
मैं अपनी रौ में कहे जा रहा था- अभी हम दोनों को केवल एक शरीर की जरूरत है. मुझे एक लड़की की और आपको एक लड़के की.
उनकी हवस जागने के बावजूद भी वो समझ नहीं पा रही थीं, वो बोलीं- पर राहुल..
मैंने दीदी को रोकते हुए बोला- दीदी प्लीज़ और कुछ मत कहो.
मैं उनको जबरदस्त चूमने लगा.
कुछ देर बाद दीदी भी मुझे चूमने लगीं. मैंने धीरे से दीदी का हाथ पकड़ कर अपना लंड थमा दिया. दीदी ने भी लंड पकड़ लिया और लंड को दबाना भी शुरू कर दिया.
मैं समझ गया कि दीदी के ऊपर भी प्यार का नशा चढ़ने लगा है, मैं भी दीदी की योनि को सहलाने लगा.
अब मैंने दीदी के सूट को ऊपर से खींच कर निकाल दिया और अपने भी पूरे कपड़े उतार लिए. अब हम दोनों बिना कपड़े के थे. पर अब फिर से दीदी ने आँखें खोलीं और फिर बोलीं- राहुल ये सही नहीं है.
मैं उठा और कमरे की नाइट लाइट भी बुझा आया. मैं दीदी के कान में बोला- रचना.. मैं सौरभ हूँ.. तुम कैसी हो.
सौरभ दीदी के ब्वॉयफ्रेंड का नाम था.
दीदी बोलीं- पर तू तो राहुल है ना?
मैंने बोला- आपको मेरा चेहरा दिख रहा है क्या?
वो बोलीं- नहीं..
मैंने उनसे कहा- तो आप मुझे सौरभ ही समझ लो.
वो अचानक मुझसे लिपट गईं और भूखी शेरनी की तरह मुझे चूमने लगीं. मैंने भी पूरा पूरा साथ दिया और अपने हाथों से उनके मम्मों को खूब दबाया और योनि पर हाथ भी रगड़ने लगा. फिर धीरे से उनके गालों को किस किया.. गले पे चूमा.
दीदी कामुक सिसकारियां भर रही थीं. फिर दीदी ने मुझे नीचे किया और वो चूमने लगीं. मुझे चूमते चूमते वो नीचे की ओर आने लगीं. दीदी ने मेरे लिंग को पकड़ लिया और हल्के से किस किया. मैं झनझना गया. दीदी ने मुझे फिर से किस किया और वो ऐसा करते करते मेरे ऊपर की तरफ आ गईं. मैं भी उनको किस करने लगा और किस करते करते मैं नीचे की तरफ आ गया.
रचना दीदी तड़पने लगीं और जोर जोर से सिसकारियां भरने लगीं. मैं उनकी योनि के पास तक पहुँचता, इससे पहले रचना दीदी ने मुझे ऊपर की तरफ खींचा और मेरे ऊपर चढ़ गईं.
दीदी मुझसे बोलने लगीं- प्लीज़ करो ना.
मैंने मेरे लिंग को उनकी योनि पे रखा और डालने की कोशिश की, पर उन्हें बहुत दर्द हो रहा था.
वो वापस उठ गईं और बोलीं- सौरभ, बहुत दर्द हो रहा है.
मैंने उनसे कहा- डार्लिंग, थोड़ा तो दर्द होता ही है.
शायद ये उनका भी पहली बार था.. मेरा तो था ही पहली बार. मैंने उसे नीचे किया और मैं उनके ऊपर चढ़ गया.
मैंने अपने लिंग को उनकी योनि पे रखा और अपने हाथों से उनके पैरों को ऊपर की तरफ खींचा. उनके हाथों को अपनी पीठ पर रखवा दिए और कहा- अगर थोड़ा भी दर्द हुआ, तो मुझे जोर से पकड़ लेना.
अब मैंने धीरे से अपने लिंग को प्रेस किया, उन्हें थोड़ा दर्द हुआ और वो बोलने लगीं- आह.. सौरभ बहुत दर्द हो रहा है.. प्लीज़ मत करो ना.
मैंने लिंग को थोड़ा बाहर निकाला और फिर से जोर से अन्दर डाला. तब भी पूरा नहीं गया. दीदी थोड़ा चिल्लाईं और मैंने जल्दी से एक बार फिर जल्दी से लिंग बाहर निकाल कर उतनी तेजी से वापस अन्दर पेल दिया.
इस बार दीदी की आँखों से आंसू निकल आए.
वो जोर से चिल्ला उठीं- आहह.. आआअहह.. सौरभ बहुत दर्द हो रहा है.
दीदी ने अपने पैने नाखून मुझे गड़ा दिए. मैं और भी जोश में आ गया. फिर मैं उन्हें झटके देने लगा.
कुछ देर बाद दीदी की चुत का दर्द खत्म हो गया और वो चिल्लाने लगीं ऊऊ.. ओहोहो.. ऊऊह.. सौरभ और करो.. तेज करो.. और तेज करो.
मैं और ज़्यादा तेज चुदाई करने लगा.
फिर मैंने उनके पैर छोड़े और उनके मस्त रसीले मम्मों को दबाना शुरू कर दिया. क्या मस्त चूचे थे, एकदम कड़क और पूरे गोल.. मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. उन्होंने भी अपने पैरों से मुझे जकड़ लिया था, जैसे कोई अजगर अपने शिकार को पकड़ लेता है.
मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि रचना में इतना दम किधर से आ गया है. पर बहुत मजा आ रहा था.
अब मैंने उन्हें लिप किस करना शुरू किया, यहां एक हाथ से उनके मम्मों को जोर जोर से दबा रहा था, दूसरे हाथ से उनकी गांड जोर जोर दबा रहा था. इसके साथ ही मैं अपने लिंग को अन्दर बाहर कर रहा था.
वो भी भी पूरा साथ दे रही थीं, उन्होंने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और जबरदस्त किस कर रही थीं, दीदी अपने दोनों हाथों से मेरे पीठ पर नोंच रही थीं.
उनके पैरों के बारे में तो पहले ही बता चुका हूँ. सेक्स करने में हम दोनों नए थे इसलिए जैसे जैसे हम आगे बढ़े… हम दोनों को और ज़्यादा मजा आने लगा. कुछ देर बाद दीदी झड़ गईं, पर मेरे लंड में अभी भी जान थी, मैं दीदी की चुदाई करता रहा.
अब उन्होंने बोलना शुरू कर दिया- आह.. बस अब और नहीं, मुझे जलन हो रही है.. अब और नहीं..
ये सुन कर मुझे अचानक और जोश आ गया. मैं और जोर जोर से चुदाई करने लगा. मुझे तो ऐसा लग रहा था कि अपने लिंग को इनकी योनि के आर पार कर दूँ.
वो अब चिल्लाने लगीं- अह.. नहीं करो.. दर्द हो रहा है.. प्लीज़ रुक जाओ.
दीदी के आंसू रुक ही नहीं रहे थे और वो रोते ही जा रही थीं.
तब मुझे ये सब नहीं देख रहा था, मेरे ऊपर तो बस चोदने का भूत सवार था. फिर कुछ देर बाद मैं एकदम से तेज हो गया और उनकी योनि के अन्दर ही अपना पूरा रस छोड़ दिया.
अब मैं भी शांत हो गया और उनके ऊपर वैसे ही लेटा रहा.
कुछ देर बाद उठा, लाइट जलाई और दीदी के बाजू में लेट कर उनको प्यार से देखने लगा. यह देख के दीदी को भी शरम आ रही थी, वो अपना मुँह छुपाने लगीं.
मैंने अपने हाथों से उनके मुँह को ऊपर किया और एक जोरदार लिप किस करके थैंक्स बोला.
वो थोड़ा हंसी और उसने मुझे किस करके मुझे भी थैंक्स बोला.
फिर हम दोनों ने अपने कपड़े पहने और सो गए.
सुबह जब उठा को बड़ा थका थका सा लग रहा था, पर अच्छा भी लग रहा था. वो मेरे पास आईं और बोलीं- मैं प्रेग्नेंट तो नहीं हो जाऊंगी ना?
मैंने उन्हें मना कर दिया- नहीं ना रचना दीदी.. एक बार में थोड़ी ना कुछ होता है.
मैंने कह तो दिया, पर टेंशन तो मुझे भी बहुत हो रही थी. मैंने जल्दी से कंप्यूटर ऑन किया और गूगल से सब जानकारी निकाली. वहां से पता चला कि दीदी प्रेग्नेंट हो सकती हैं तो उससे बचने के तरीके निकाले. अब पता चला कि कुछ गोलियां आती हैं.
मैंने गोली का नाम लिखा और मार्केट से ले कर आ गया. मैंने दीदी को गर्भनिरोधक गोली खिला दी.
अब ज़रा सांस में सांस आई.
सुबह शाम अब तो बस मैं दीदी की चूत और चुदाई के बारे में ही सोचता रहता.
मैंने फिर कंप्यूटर ऑन किया और सेक्स के बारे में पढ़ना शुरू किया. वहां से मुझे चुदाई की बहुत सारी जानकारी मिली. सेक्स के पूरे 52 स्टेप मिले, सेक्स से पहले क्या करना चाहिए और बाद में क्या करना चाहिए. फिर मैंने कुछ वीडियो भी डाउनलोड किए.
इसके बाद मैंने और दीदी ने बहुत मजे किए..
सच मानिए हर एक चीज़ में अपना ही एक मजा है. मैं आशा करता हूँ कि आपको मेरी दीदी की चुत चुदाई की कहानी पसंद आई होगी.

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02-23-2021, 12:14 PM,
#68
RE: Bhai Bahan Sex Kahani भाई-बहन वाली कहानियाँ
दीदी एक बार डालने दो

मेरे घर में केवल 3 लोग हैं. पिता के गुजरने के बाद मेरी माँ को उनकी जगह नौकरी मिल गई. माँ के काम के चलते ज्यादातर समय हम दोनों भाई बहन घर पर अकेले रहते थे. मेरी दीदी का नाम नीतू है. उनकी उम्र 24 साल है, वो मुझसे ढाई साल बड़ी हैं. उनकी लम्बाई 5 फुट 4 इंच है, रंग गोरा है और भरा हुआ शरीर है. वो बहुत सेक्सी दिखती हैं. उनका फिगर 38-28-36 का है. उनकी अभी शादी नहीं हुई है. वो एकदम काम की देवी का रूप लगती हैं. उनकी बड़ी सी गांड इतनी जबरदस्त मटकती है, जब वो जीन्स पहनकर चलती हैं कि सब देखने वालों के लंड खड़े हो जाते हैं.
तो आप ये तो जान ही चुके हैं कि मेरी नीतू दीदी बला की खूबसूरत हैं.
दीदी मेरे साथ बहुत ही घुलमिल कर रहती थीं. हम दोनों अक्सर देर रात तक अकेले गप्पें मारते और मजाक करते रहते थे. दीदी के बारे में अपने दिल की एक बात बताऊँ.. तो वो मुझे बहुत अच्छी लगती थीं, पर उनको मैंने कभी गलत नजरिए से नहीं देखा था.
लेकिन उस दिन की घटना के बाद से दीदी के लिए मेरा नजरिया ही बदल गया. उस दिन दीदी अपनी सहेली की शादी में जाने के लिए तैयार हो रही थीं. जब वो तैयार होकर अपने कमरे से बाहर आईं तो एक पल के लिए मेरी साँसें थम गईं.
गोरे बदन पे लाल रंग की साड़ी, जिसका पल्लू जालीदार था. जालीदार पल्लू होने की वजह से पूरा ब्लाउज साफ दिखाई पड़ रहा था. उभरी हुई छाती, गहरे गले का ब्लाउज पहने हुए दीदी एकदम मादक माल लग रही थीं. दीदी ने साड़ी नाभि के नीचे बांधी ताकि उनकी नाभि की रिंग एकदम साफ दिखाई दे. दीदी स्वर्ग की अप्सरा रंभा के समान लग रही थीं.
दीदी ने मुझसे उन्हें अपनी सहेली के घर तक छोड़ने को कहा. इतना कह कर दीदी आगे बढ़ गईं. जैसे ही मैंने पीछे से उनकी गदराई हुई गांड को ठुमकते हुए देखा तो मेरे होश उड़ गए.
मैं दीदी को छोड़ कर घर वापस आ गया.
रात के करीब दस बज चुके थे. माँ ने मुझे खाना दिया और अपने कमरे में सोने चली गईं. मैं खाना खाकर अपने कमरे में गया, पर मेरा ध्यान मेरी दीदी से हट ही नहीं रहा था. मैं उनके कमरे में गया, लाईट जलाई और सीधा उनके बाथरूम में घुस गया. बाथरूम में एक किनारे पे उनकी नाईटी रखी थी, जैसे ही मैंने उसको उठाया, उसमें से उनकी ब्रा और पैन्टी नीचे गिर गई. दीदी की ब्रा और पैन्टी को देख कर मुझपे मदहोशी सी छाने लगी. मैंने ब्रा और पैन्टी को सूंघा. सूंघते ही मुझे नशा सा होने लगा. मैंने पहली बार दीदी को सोचकर मुठ मारी और सारा मुठ उनकी ब्रा और पैन्टी पे गिरा कर सोने चला गया.
अगले दिन जब दीदी वापस आईं तो मैं सो रहा था. जब उठा तो फ्रेश हो कर नाश्ते की टेबल पे गया. दीदी पहले से ही वहां थीं और मुझे घूर रही थीं. मैं समझ गया कि दीदी ने ब्रा और पैन्टी में लगे मेरे मुठ को देख लिया है. दीदी ने कुछ नहीं बोला और अपने कमरे में चली गईं.
अब मैं अपनी दीदी को बहन की नजर से नहीं बल्कि एक जवान लड़की की नजर से देखने लगा. मेरा पूरा ध्यान अब दीदी पे ही रहने लगा. मैं उनकी जवानी की झलक पाने का कोई मौका नहीं गंवाता था. झाडू पोंछा करते वक्त जब वो झुकती थीं तो मैं उनकी चूचियों को गौर से देखता. शायद उन्हें भी पता था कि मेरा ध्यान उन्हीं पर है, इसलिए वो जानबूझ कर ऐसी हरकतें करती थीं, जिससे मेरा ध्यान उन पर जाए.
माँ के बाहर काम करने की वजह से दीदी को आजादी मिल गई. अब वो और भी भड़कीले कपड़े घर में पहनने लगीं और अपनी मादक जवानी से मुझे सम्मोहित करने लगीं. मैं उनकी वासना को भड़काने के लिए रोज उनकी ब्रा पैन्टी में मुठ मारकर वैसे ही रख देता था. दीदी को भी और मुझे भी दोनों को पता था कि हम क्या कर रहे हैं और क्यों कर रहे हैं.
एक दिन दीदी के रूम का एसी खराब हो गया, जिसकी वजह से उन्हें मेरे कमरे में सोने की वजह मिल गई. उनकी हवस से भरी आँखें साफ चमक रही थीं. माँ, दीदी और मैं खाना खाकर उठे. माँ को सुबह ऑफिस जाना था, इसलिए वो खाना खाकर सोने चली गईं. मैं भी अपने कमरे में चला गया. आधे घण्टे के बाद दीदी मेरे कमरे में आईं.
मैंने दीदी को देखा तो हैरान रह गया. उन्होंने एक काले रंग की पारदर्शी सिल्की फ्रॉकनुमा नाईटी, जो सिर्फ उनकी जाँघों तक आ रही थी.. उसे पहनी थी. उसके अन्दर की ब्रा और पैन्टी साफ साफ दिखाई दे रही थी. सिंगल बेड होने के कारण वो मेरे एकदम करीब आकर लेट गईं. दीदी के शरीर से निकलती मादक महक से मेरे लंड का बुरा हाल हो गया था. दीदी लेटते ही नींद के आगोश में चली गईं. पर उनके शरीर की खुशबू से मेरी नींद उड़ गई थी.
रात करीब एक बजे दीदी ने जब करवट बदली तो उनकी गदराई गांड मेरी तरफ थी. अब मुझसे काबू नहीं हुआ तो मैंने अपना लंड दीदी की गांड के पास कर दिया और धीरे धीरे दबाव बढ़ाने लगा. दीदी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.
मैंने हिम्मत न होने के कारण आगे कुछ नहीं किया और सो गया. ऐसा करीब 3 दिन चलता रहा.
एक दिन मैंने कोशिश की, वो गहरी नींद में सो रही थीं. दीदी ने 2 पीस वाला गाउन पहना था और अन्दर ब्रा भी पहनी थी. रात के 2 बजे की बात है, मैं उठा और कमरे की लाइट जला दी. नीतू दीदी सो रही थी, उनकी चूचियां साफ दिखाई दे रही थीं. मुझे थोड़ा सा डर भी लग रहा था कि वो मुझे देख ना लें, पर मैंने हिम्मत करके उनकी चूची पर हाथ रखा. पहले मैंने गाउन के ऊपर रखा.. फिर धीरे से दीदी की एक चूची दबाई और फिर दोनों हाथ से दोनों चूचियों को दबाने लगा. सच में मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.
अब मैंने उनके रसीले होंठों को चूमा, फिर उनकी गर्दन पर चूमा. इतने में मुझे लगा कि शायद दीदी जाग गई हैं और सोने का नाटक कर रही हैं. मुझे इससे और हिम्मत मिल गई, मैंने उनका गाउन नीचे से ऊपर किया, तो उनकी गोरी और चिकनी जांघें मुझे दिखने लगी थीं.
इतने में वो उठ गईं और बोल पड़ीं- यह क्या कर रहा है तू?
मेरे तो जैसे होश उड़ गए.
मैं बोला- दीदी, मैंने कभी किस नहीं किया, मुझे नहीं पता कि किस कैसे करते हैं.
पहले तो वे मुझे देखती रहीं फिर दीदी मुस्कुरा कर बोलीं- मुझे भी नहीं पता, आज करके देखते हैं.
मैं दीदी के पास जाकर बैठ गया, दीदी ने मुझे अपनी बाँहों में ले लिया. मैंने भी दीदी को बाँहों में ले लिया और उनके रसीले होंठों को चूमने लगा. लगभग 5 मिनट तक हम एक दूसरे को चूमते रहे.
तभी एकदम से दीदी बोलीं- अमित, अब बस करो. मुझे कुछ अजीब सा लग रहा है.
मैं समझ गया कि दीदी गर्म होने लगी हैं, मैंने कहा- दीदी, मुझे आपसे किस करके बहुत अच्छा लग रहा है.
वो कुछ नहीं बोलीं. मैंने फिर से उन्हें चूमना शुरू कर दिया. मैं समझ गया कि वो चुदवाने के मूड में आ गई हैं. मैं दीदी की चूचियों को जोर से मसलने लगा. दीदी के मुँह से कामुक सिसकारियाँ निकलने लगीं. मैंने धीरे से दीदी की गाउन खोला और चूची चूसने लगा.
दीदी के कुछ भी न बोलने पर मैंने कहा- दीदी, गाउन उतार दो न प्लीज.
वो बोलीं- अमित मुझे डर लग रहा है, किसी को पता चल गया तो?
मैं बोला- दीदी कुछ नहीं होगा, किसी को पता नहीं चलेगा.
वो मान गईं. मैं दीदी की बुर सहलाने लगा, दीदी की बुर एकदम गीली हो चुकी थी, दीदी बोलीं- देखो अमित हम जो कर रहे हैं, ये सही नहीं है.
मैं कुछ नहीं बोला तो दीदी ने कहा- अब बस करो.
पर मैंने दीदी की एक न सुनी. उनको चूमने के बाद मैंने अपनी पैंट उतारी और अपना 7 इंच का लंड निकाला तो दीदी के होश उड़ गए.
मैंने कहा- दीदी एक बार डालने दो.
दीदी बोलीं- इतना बड़ा.. मुझे मारना है क्या?
मैं बोला- तुम एक बार डलवाओ तो सही, कुछ नहीं होगा.
दीदी के मन में उत्सुकता और डर दोनों था. मैंने दीदी को बेड पर लिटाया और अपना लंड उनकी बुर में धीरे धीरे डालने लगा. वो दर्द से कसमसाने लगीं. फिर मैं जोर जोर से झटके मारने लगा. दीदी चीखने लगीं. मैंने उनके होंठों को अपने होंठों से दबा दिया ताकि माँ को न सुनाई दे.
दीदी कराहते हुए बोलीं- बस करो, बहुत तेज दर्द हो रहा है.
लेकिन मैं कहाँ सुनने वाला था. मैं दीदी की चूत में लंड पेलता चला गया. दीदी की सील टूट गई थी. दीदी की बुर से हल्का हल्का खून निकल रहा था. मैं उनको हचक कर चोदने लगा. दीदी भी मस्ती से चुदवाने लगी थीं
अभी 15 मिनट हुए थे कि मेरा सारा जोश दीदी की बुर में निकल गया. मैं हांफता हुआ दीदी की चूचियों पर गिर गया. दीदी भी झड़ चुकी थीं.
फिर मैंने दीदी की नाभि को चूमना शुरू किया. नाभि को चूमने से दीदी फिर से गरम हो गईं और उन्होंने मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया, जिससे हम दोनों दुबारा चुदाई के लिए तैयार हो गए. फिर दीदी ने मुझे लेटने को कहा और खुद अपनी गांड के छेद को मेरे लंड पर रख कर अपनी गांड मरवाई. शायद दीदी पहले भी किसी से गांड मरवा चुकी थीं.
जब मैंने उनसे इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि नहीं मैंने अभी तक किसी से गांड नहीं मरवाई है, वो तो ब्लू-फिल्म देखते हुए मैंने मूली वगैरह से अपनी गांड को ढीला कर लिया था.
मैंने पूछा कि चूत में मूली क्यों नहीं की?
तो बोलीं- मैं चूत की सील लंड से ही खुलवाना चाहती थी.
अब मैं बेफिक्र होकर दीदी की गांड मारने लगा. मुझे उनकी चूत से ज्यादा मजा गांड मारने में आ रहा था.
करीब दस मिनट के बाद दीदी की गांड में ही मेरा पानी निकल गया और हम दोनों उसी तरह एक दूसरे से लिपट कर सो गए.
इसके बाद तो माँ के ऑफिस जाने के बाद दीदी और मैं नंगे ही घर में चुत चुदाई का सुख भोगने लगते थे.

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02-23-2021, 12:14 PM,
#69
RE: Bhai Bahan Sex Kahani भाई-बहन वाली कहानियाँ
तड़प बढ़ती गई -1

यह कहानी है 19-20 साल की एक लड़की मंजरी की जिसके घर में उसकी माँ माधुरी, नानी और एक भाई माणिक हैं. आय के नाम पर माधुरी एक प्ले वे स्कूल चलाती है. माधुरी तलाकशुदा है तो इसके साथ नानी और माँ को विधवा पेंशन आती है. घर का गुजारा मुश्किल से चलता है.
ऐसा नहीं कि यह परिवार शुरू से इस हालत में था, यह खाता पीता परिवार था, मंजरी के नाना की हरियाणा के एक गाँव में जमीन थी और वे गाँव के जाने माने वैद्य थे तो अच्छी खासी आय हो जाती थी. माधुरी की शादी भी एक पंजाब के अमीर घर में हुई थी. लेकिन शादी के बाद से ही ससुराल वाले उसे तंग करते थे. इसी बीच माणिक और मंजरी हो गए.
आखिर परेशान होकर माधुरी अपने पति को छोड़ कर अपने पिता के पास आ गई. तलाक का केस सालों चलता रहा, इसी बीच इस गम से माधुरी के पिता बीमार रहने लगे. माधुरी के भाइयों ने घर की जमीन बेच कर कारोबार किया और सारा पैसा कारोबार के नुकसान में चला गया, घर बैंक वालों ने नीलाम करा दिया.
माधुरी को तलाक के फैसले से जो पैसा मिला उससे उसने एक काम चलाऊ घर खरीदा और अपने माँ बाप को लेकर इस घर में आ गई क्योंकि माधुरी के भाई पहले ही अलग घर किराए पर लेकर रहने लगे थे.
ससुराल छोड़ कर आने के बाद माधुरी ने पढ़ाई की और किसी स्कूल में नौकरी करने लगी. किसी कारण से वो स्कूल बंद हो गया तो उसने अपना प्ले वे स्कूल खोल लिया लेकिन वो कुछ ज्यादा अच्छा नहीं चल रहा था.
कुछ समय बाद माधुरी के पिता की मृत्यु हो गई.
अब मंजरी और माणिक कॉलेज में पढ़ रहे हैं. उनके सपने ऊंचे है क्योंकि वे अपने रिश्तेदारों को देखते हैं तो उनका मन भी वैसे ही रहन सहन को करता है. और रिश्तेदार हैं कि पास नहीं फटकते.
मंजरी अब जवान हो रही थी उसका बदन खिलने लगा था, तो उसके दूर के एक मामा के लड़के पुलकित की नजर उस पर पड़ी. पुलकित हरियाणा में ही किसी दूसरे शहर में रहता था, एक घंटे का रास्ता था, उसने अपनी बुआ के घर आना जाना शुरू कर दिया और कुछ ही समय में उसने मंजरी को अपने जाल में फंसा लिया क्योंकि मंजरी में नादानी अभी भी बाक़ी थी.
माधुरी के पास साधारण सा फोन था तो मंजरी उस फोन से पुलकित को मिस काल करके उससे खूब बातें करती थी. कॉलेज जाने के नाम पर वे दोनों बाहर भी मिलने लगे थे. पुलकित मंजरी को रेस्तराँ में ले जाता, खूब खिलाता पिलाता, मंजरी बहुत खुश थी क्योंकि वो खाने पीने की शौकीन थी.
उधर माधुरी पुलकित और मंजरी को भाई बहन समझती थी तो उनकी नजदीकी को भाई बहन का प्यार समझ कर अनदेखा करती थी.
कॉलेज की छुट्टियों में दोनों का मिलना जब मुश्किल होता तो पुलकित अक्सर माधुरी के घर आ जाता था और शाम के धुंधलके में किसी बहाने दोनों स्कूटर लेकर चले जाते और सुनसान सड़क या स्थान पर जाकर खूब चूमाचाटी करते और जितना हो सकता एक दूसरे के बदन का मजा लेते थे.
रात को पुलकित घर में ही रुकता था तो देर रात में भी चुपचाप दोनों घर की छत पर या कहीं और दूसरे कमरे में जाकर सेक्स भरी हरकतें करते थे.
मंजरी ने बहुत बार पुलकित के लंड को अपने हाथ में पकड़ कर देखा था, एक दो बार पुलकित के कहने पर अपने मुंह में लेकर चूसा भी था. पुलकित तो हमेशा ही उसकी अमरूद की सी चूचियाँ दबाता, उसके चूतड़ सहलाता… कपड़ों के ऊपर से ही या हाथ अंदर डाल कर उसकी चूत को सहलाता. वो ये सब कुछ करते रहते थे, मगर कभी भी पुलकित का लंड मंजरी की चूत में नहीं गया था. पुलकित ने यह बात साफ तौर पर मंजरी से कही थी- जिस दिन मौका मिला चोद दूँगा तुझे!
मंजरी भी कहती- यार… मैं तो खुद उस दिन का इंतज़ार कर रही हूँ. पता नहीं वो दिन कब आएगा?
दोनों प्रेमी भाई बहन चुदाई के लिए तड़प रहे थे, मगर उन्हें कोई मौका नहीं मिल रहा था कि दोनों दो जिस्म एक जान हो सकें. अभी तक दोनों ने चाहे कितनी चूमाचाटी की हो या और सब कुछ किया हो लेकिन वो अभी तक चुदाई नहीं कर पाए थे क्योंकि मंजरी को किसी होटल वगैरा में जाकर कमरा लेकर सेक्स करने से डर लगता था.
एक बार पड़ोस में माधुरी के पड़ोस में से शादी का निमंत्रण आया तो मंजरी ने हिसाब लगाया कि उसकी मम्मी और भाई शादी में जायेंगे तो 2-3 घंटे लग जायेंगे, उसने फोन करके पुलकित को सुबह ही बुला लिया और आपस में यह तय कर लिया कि जब उसकी मम्मी और भाई शादी में जाएंगे तो उनके पास कम से कम दो घंटे का वक्त होगा क्योंकि बूढ़ी नानी तो खाना खाकर एक कमरे में जाकर सो जायेगी और उन दोनों को पूरा वक्त मिलेगा घर में ही मस्ती करने का…
रविवार का दिन था, रात को आठ बजे शादी में जाना था तो पुलकित सुबह दस बजे ही उनके पास आ गया. वो पुराने मॉडल का एक आई फोन मंजरी के लिए लाया और यह कह कि उसने नया फोन ले लिया है तो यह पुराना फोन मंजरी को दे दिया. यह काम उसने सबके सामने ही किया ताकि कोई इन दोनों पर शक ना करे.
माधुरी ने इस बात को भाई बहन का प्यार समझ कर सामान्य रूप से लिया और वो खुश हो गई कि वो अपनी बेटी को फोन नहीं दिला सकी थी तो अब यह अच्छा हो गया कि उसके पास भी अपना फोन हो गया.
अब रात हुई तो माधुरी ने सबको शादी में चलने के लिए कहा. नानी तो नहीं जा सकती थी तो उसके लिए माधुरी ने दो रोटी दिन की दाल सब्जी से दे दी.
अब उनके पास स्कूटर एक ही था तो सब एक साथ शादी में नहीं जा सकते थे. मंजरी ने मना कर दिया कि वो शादी में नहीं जाएगी, पुलकित ने भी कह दिया कि उसका जाना ठीक नहीं लगेगा.
लेकिन माधुरी जिद कर रही थी कि दो तीन चक्कर लगा कर सब लोग शादी में जा सकते हैं.
अब मंजरी और पुलकित शादी में नहीं जाते तो उनके खाने की समस्या थी तो यह हल निकाला गया कि पहले मंजरी और पुलकित शादी में जाकर कुछ खा पी आयें उसके बाद माणिक और माधुरी शादी में चले जायेंगे.
सब कुछ मंजरी और पुलकित के मन मुताबिक़ हो रहा था. वे दोनों आठ बजे से पहले ही स्कूटर ले कर निकल गए और पहले तो उन दोनों वे उसी तरह किसी निर्जन सड़क पर जाकर खूब चूमा चाटी की और तय कर लिया कि आज वो सब कुछ कर ही डालेंगे.
यह सब करने के बाद वो शादी में गये और फटाफट चाट टिक्की खाकर घर आ गए.
माधुरी और माणिक उनका ही इन्तजार कर रहे थे, उनके आते ही वे दोनों जल्दी से शादी में चले गए.
जिस लड़के की शादी थी, वो माणिक का दोस्त था तो वे शादी में से देर में ही आने वाले थे, यह बात मंजरी जानती थी.
अब घर में सिर्फ नानी और वे दोनों थे. नौ से ऊपर का वक्त हो गया था. नानी लेट चुकी थी, लेकिन सोई नहीं थी. उनके पास दो ही कमरे थे, एक बेडरूम और एक ड्राइंग रूम.. सब जाने बेडरूम में एक्स्ट्रा चारपाई लगा कर एक साथ सोते थे.
पुलकित के आने से आज नानी अपने आप ही ड्राइंग रूम में बिछे दीवान पर सो गई.
अब मंजरी बाहर का मेन गेट अच्छे से बंद करके बड़े अंदाज़ से मटकती हुई धीरे धीरे आई. सामने ही आँगन में पुलकित खड़ा था, वो उसका पास आई, उसके गले में अपनी बाहें डाल दी, पुलकित ने भी उसकी कमर में अपनी बाहें डाल दी उसे अपनी तरफ खींचा और कस कर अपने सीने से लगा लिया.
दोनों आगे बढ़े और पहली बार पूरी आज़ादी और बेफिक्री से दोनों के होंठ एक दूसरे से मिले. आँगन में खड़े दोनों बहन भाई अब प्रेमी बन चुके थे, और एक लंबे और प्रगाढ़ चुंबन में लिप्त थे.
दोनों के दिल की धड़कन तेज़ थी.
एक लंबे चुंबन के बाद जब दोनों के होंठ अलग हुये, तो मंजरी बोली- यार, नानी अभी जाग रही होगी… पता नहीं उठ कर आ जाए तो? एक बार देख आऊँ!
मंजरी ने पहले जाकर ड्राइंग रूम में देखा, अब पता नहीं नानी जाग रही थी, या सो रही थी. बस एक बार देख कर ही मंजरी पुलकित को अपने रूम में ले गई.
स्लेटी रंग के फूलों वाले प्रिंट की लॉन्ग फ्रॉक पहने मंजरी बहुत खूबसूरत और सेक्सी लग रही थी. शादी में जाने के कारण उसने लिपस्टिक, बिंदी, काजल और न जाने क्या क्या मेकअप किया हुआ था.
पुलकित तो वैसे ही बहुत गोरा चिट्टा था, तो उसे किसी मेकअप की ज़रूरत नहीं थी.
बेडरूम में जा कर मंजरी बेड के पास जा कर खड़ी हो गई. पुलकित ने पहले बेडरूम की कुंडी लगाई और फिर वो भी मंजरी के पास आ कर उसके पीछे खड़ा हो गया. पुलकित ने उसको कंधे से पकड़ कर अपनी ओर घुमाया, तो मंजरी खुद ही उसके सीने से लग गई.
‘ओह, मेरी प्यारी मंजरी, आज मौका मिला है मुझे तुम्हें अपनी पत्नी बनाने का!’ कह कर पुलकित ने मंजरी को बांहों में जकड़ कर ऊपर को उठा लिया तो मंजरी ने अपनी आँखें बंद कर लीं.
अभी कुछ देर पहले जिस लड़की ने खुले आँगन में अपने प्रेमी को चुम्बन दिया था, अब अपने उसी प्रेमी से शरमा रही थी क्योंकि अब वो जानती थी कि आगे क्या होने वाला है.
पुलकित ने भी बिना कोई और बात किए, मंजरी के लिपस्टिक लगे सुर्ख होंठों पर अपने होंठ धर दिये. जैसे ही पुलकित ने मंजरी का ऊपर वाला होंठ अपने होंठों में लिए, मंजरी ने भी पुलकित का नीचे वाला होंठ अपने होंठों में ले लिया दोनों बारी बारी से कभी ऊपर वाला तो कभी नीचे वाला होंठ चूस रहे थे, दोनों की साँसें तेज़, धड़कन भी तेज़… दोनों ज़ोर ज़ोर से एक दूसरे को अपनी बाहों में समेटने की ऐसी कोशिश कर रहे थे, जैसे एक दूसरे को खुद में समा लेना चाहते हों.
इसी चूमा चाटी में पुलकित ने मंजरी को पीछे को धकेल कर बेड पे लिटा दिया और खुद भी उसके ऊपर ही लेट गया. पुलकित का तना हुआ लंड मंजरी के पेट पर रगड़ खा रहा था.
पुलकित ने मंजरी के कानों के झुमके, गले की माला सब उतार दिये. एक बार फिर पुलकित झपटा मंजरी पर और उसके गर्दन और कंधों पर यहाँ वहाँ चूमने चाटने लगा.
मंजरी की भी हालत बहुत खराब हो रही थी, वो भी आँखें बंद किए बस ‘आह, आ… स्स… उफ़्फ़…’ ही बोल पा रही थी.
पुलकित ने अपने जूते उतारे, और फिर अपने कपड़े भी उतारने लगा और मन ही मन सोच रहा था कि ‘बस अब सब्र नहीं होता, पहले एक शॉट लगा लूँ, फिर सोचूँगा कि बाद में क्या करना है.’
एक ही मिनट में पुलकित नंगा हो गया. छह इंच का भूरे रंग का तीखा लंड ऊपर को मुँह उठाए हवा में झूल रहा था.
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02-23-2021, 12:19 PM,
#70
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तड़प बढ़ती गई -2

मंजरी भी अपनी कपड़े उतारने लगी तो पुलकित ने मना कर दिया- नहीं, मेरी दुल्हन को मैं ऐसे ही चोदूँगा!
वो बोला.
मंजरी वैसे ही रुक गई.
पुलकित ने पहले मंजरी को बेड पे बिठाया, उसके पाँव नीचे ही लटक रहे थे, फिर उसने मंजरी को लेटा दिया. उसका घागरा ऊपर उठाया, नीचे उसने काले रंग की चड्डी पहनी थी. उसने एक झटके में उसकी चड्डी उतार फेंकी. नीचे आज ही शेव की हुई, गोरी चूत उसके सामने नंगी हो गई.
“वाह क्या मस्त चूत है तेरी, तुझे तो चोद कर जन्नत का नज़ारा आ जाएगा!” कह कर पुलकित ने उसकी दोनों टाँगें उठाई और अपने कंधे पे रख ली, मंजरी को थोड़ा अपनी तरफ खींचा, और अपना लंड उसने मंजरी की चूत पे रख दिया.
इससे पहले के मंजरी इसके लिए तैयार हो पाती, पुलकित ने ज़ोर लगा कर अपना लंड मंजरी की चूत में ठेल दिया.
मंजरी दर्द से तड़पी- धीरे पुलकित, दर्द होता है!
वो बोली.
मगर पुलकित ने उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया और फिर से अपना लंड उसकी चूत में ज़ोर से पेला, मंजरी फिर से तड़पी, मगर वो तड़पती रही, और पुलकित ज़ोर लगाता गया, जब तक के उसका पूरा लंड मंजरी की चूत में नहीं घुस गया.
मंजरी को यह उम्मीद नहीं थी कि उसका पहला सेक्स ऐसा होगा, वो तो सोच रही थी कि पुलकित पहले उससे बहुत सारा प्यार करेगा, फिर सेक्स करेगा, मगर पुलकित ने बहुत ही ज़्यादा जल्दबाज़ी की.
पुलकित को यह भय था कि अगर मंजरी का भाई और मम्मी घर आ गए तो कहीं उसे यह मौका भी न गंवाना पड़े, तो पहले एक बार मंजरी कंजरी को ठोक लो, चुदाई कर लो, प्यार बाद में करते रहेंगे.
बेशक मंजरी की चूत भी पूरी गीली थी और पुलकित का लंड ‘पिच पिच’ की आवाज़ करता हुआ अंदर बाहर आ जा रहा था, मगर फिर भी मंजरी को काफी दर्द हो रहा था. उसका पहला सेक्स जो था.
पुलकित नीचे झुका और उसे मंजरी के ब्लाउज़ की डोरी खोलनी शुरू की और उसका ब्लाउज़ ढीला करके उतार दिया. पहले भी उसने मंजरी के बोबे बहुत बार दबाये थे, चूसे थे, मगर आज का मज़ा ही कुछ और था.
पुलकित ने मंजरी के दोनों बोबे पकड़े और खूब ज़ोर ज़ोर से दबाये, जैसे नींबू में से रस निकाल रहा था. उसकी सख्त उंगलियों के निशान मंजरी के बोबों पर कई जगह बन गए थे. पुलकित किसी वहशी की तरह उसे नोच रहा था. कभी उसके होंठ चबा जाता कभी उसके निप्पल.
और सिर्फ 5 मिनट की चुदाई के बाद ही पुलकित ने अपनी जवानी के रस से मंजरी की चूत को भर दिया.
मंजरी को इस सेक्स में बिल्कुल मज़ा नहीं आया. न पुलकित ने उसे प्यार किया, न प्यार से सेक्स किया. वो वैसे ही नंगी लेटी छत को देखती रही. वो सोच रही थी, ये क्या किया है पुलकित ने, ये प्यार था या हवस की पूर्ति.
और मुझे तो उसने शांत ही नहीं किया, खुद की तसल्ली की और ठण्डा पड़ गया, मैं तो प्यासी ही रह गई.
भाई ने फुफेरी बहन को चोदा लेकिन बहन को मजा नहीं आया.
मगर फिर भी मंजरी ने दिल नहीं छोटा किया, वो पुलकित से एक पत्नी की भान्ति बोली- सुनिए जी, जब हम नहीं मिले थे न, तब मैं सोचती थी कि हमारा पहला मिलन बहुत ही यादगार होगा, आप मुझे बहुत प्यार करोगे, मगर आप ने तो बस अपनी ही आग बुझाई है, मैं तो अभी भी जल रही हूँ.
पुलकित बोला- जानेमन, मेरा भी अभी मन नहीं भरा है, मैं तो बस इस जल्दबाज़ी में के कहीं तुम्हारे घर के ना आ जाएँ, जल्दी गेम खत्म कर दी. अभी थोड़ी देर में मैं एक और पारी खेलूँगा, उसमें मैं तुम्हारे सारे शिकवे दूर कर दूँगा.
इसके बाद पुलकित ने मंजरी को एक किस किया. मंजरी उठ कर गई और बाथरूम में जा कर उसने अपना घागरा भी उतार दिया, पूरी तरह नंगी होकर उसने स्नान किया और बाहर आई.
मंजरी कमरे में आई तो पुलकित वैसे ही बेड पर लेटा था, उसका लंड ढीला सा हो कर एक तरफ को लटका पड़ा था और थोड़ा सा वीर्य उसके लंड से उसकी जांघ पर भी चू रहा था.
मंजरी को बाहर आते देख, पुलकित उठ कर बाथरूम में चला गया, और वो भी नहा कर बाहर आया. मंजरी ने अभी कपड़े नहीं पहने थे, वो सिर्फ अपने बदन पर अपना दुपट्टा लपेट कर ही बैठी थी. झीने दुपट्टे से उसका गोरा बदन अपनी झलक दिखा रहा था.
‘अरे…’ पुलकित बोला- यार माजरी, इस चुनरी में तो तू बहुत सेक्सी लग रही है.
मंजरी शर्मा गई.
पुलकित उसके पास आया, उसका हाथ पकड़ा और उसके पास बैठ गया- आज सच कहता हूँ, ज़िंदगी का पहला सेक्स करके मज़ा आ गया!
पुलकित बोला. मन ही मन वो सोच रहा था कि साली इस कंजरी मंजरी की सील बंद चूत पहली बार मिली है, इससे पहले तो सब रंडियां ही चोदी है.
“मगर मुझे कोई मज़ा नहीं आया” मंजरी बोली- सिर्फ एक उत्तेजना थी कि पहली बार सेक्स कर रही हूँ, मगर मज़ा नहीं आया. मुझे तो धीरे धीरे प्यार करने में मज़ा आता है. आप तो किसी वहशी की तरह टूट पड़े मुझ पर!
पुलकित ने उसे अपनी बाहों में जकड़ा और फिर से बेड पर लेट गया. मंजरी उसके सीने पर अपना सर रख कर लेटी रही.
पहले तो पुलकित मंजरी की पीठ पर हाथ फेरता हुआ इधर उधर की बातें करता रहा, फिर उसने मंजरी का दुपट्टा उतार दिया. मंजरी ने कोई ना नुकर नहीं की. अब मंजरी फिर से पुलकित
के सामने नग्न थी. पुलकित उसकी कमर के ऊपर चढ़ कर बैठ गया, उसका ढीला लंड मंजरी की नाभि को छू रहा था. दोनों प्रेमी एक दूसरे की आँखों में देख रहे थे.
मंजरी ने हल्के से अपना सर हिला कर पुलकित को आने को कहा, पुलकित नीचे को झुका और उसने मंजरी के होंठों को चूम लिया.
फिर मंजरी ने, फिर पुलकित ने, फिर मंजरी ने और इस तरह चुंबनों के आदान प्रदान का सिलसिला ही चल पड़ा. पता नहीं कितनी बार दोनों ने एक दूसरे को चूमा. जब भी दोनों के होंठ आपस में मिलते दोनों के बदन में काम ज्वाला प्रज्वलित होती, दोनों में उत्तेजना बढ़ती और इसी उत्तेजना ने जहां पुलकित के लंड को फिर से सख्त कर दिया, उसी उत्तेजना ने मंजरी की चूत को फिर से पानी से भिगो दिया.
पुलकित बोला- मैंने कहा सुनती हो! अपने पति का लंड चूसोगी क्या?
और वो हंसा.
मंजरी ने उसको एक मीठी झिड़की दी- छी… ऐसे नहीं बोलते, ऐसे कहो कि मेरी चॉकलेट खाओगी क्या?
“अच्छा जी” पुलकित बोला- और अगर मुझे तुम्हारी चूत चाटनी हो तो?
मंजरी ने बनावटी गुस्सा दिखाते हुये कहा- उंह, फिर वही बात, आप बोलो, मुझे कचोड़ी खानी है.
पुलकित भी हंस दिया- ओ के जी, तो क्या हम दोनों चॉकलेट और कचोड़ी एक साथ खा सकते हैं?
मंजरी बोली- हाँ, क्यों नहीं!
“तो पहले तुम मुझे चॉकलेट खा कर दिखाओ!” पुलकित बोला.
मंजरी उठी और उठ कर उसने पुलकित का लंड अपने हाथ में पकड़ा और अपने मुँह में ले लिया. मंजरी के नर्म, भीगे लबों के एहसास ने पुलकित के मन को एक अजीब से शांति दी, उसने अपनी आँखें बंद कर ली.
मगर मंजरी का भी यह पहला मौका था, किसी लंड को चूसने का, तो वो सिर्फ पुलकित के लंड को अपने मुँह में लेकर बैठी रही तो पुलकित बोला- सिर्फ मुँह में मत लो, इसे चूसो, जैसे मैंने तुम्हारी चूची पी थी, और अपनी जीभ से इस को चाटो भी.
मंजरी ने वैसे ही किया, तो पुलकित ने मौज में आ कर अपनी कमर को आगे को धकेला तो उसके लंड की चमड़ी पीछे हट गई और उसके लंड का टोपा मंजरी के मुँह में और आगे घुस गया.
मंजरी को एक उबकाई सी आई, मगर उसने फिर भी अपने मुँह से लंड बाहर नहीं निकाला और चूसती रही.
जब पुलकित ने देखा कि मंजरी अपनी आँखें बंद किए उसका लंड चूस रही है, तो वो भी घूमा और उल्टा हो कर मंजरी के ऊपर ही लेट गया. मंजरी की दोनों जांघें खोल कर पुलकित ने बीच में देखा, मंजरी ने शायद आज ही अपनी चूत के बाल साफ किए थे, इसलिए बहुत ही साफ और गोरी चूत थी. अंदर से गुलाबी, जब पुलकित ने उसकी चूत के दोनों होंठ अपनी उंगली से खोल कर देखे तो अंदर से उसकी चूत पूरी तरह से गीली थी.
पुलकित ने पहले तो उसकी चूत के ऊपर ही किस किया, फिर उसकी बाहर को उभरी हुई चूत को अपने मुँह में लिया और अपनी जीभ उसकी चूत की दरार में घुमाई. मंजरी ने अपनी जांघें भींच ली, शायद उसे बहुत मज़ा आया, या गुदगुदी हुई. मगर पुलकित को भी उसकी चूत का हल्का नमकीन स्वाद बहुत अच्छा लगा. उसने मंजरी की दोनों टाँगें पूरी तरह से खोल दी और अपना पूरा मुँह उसकी चूत से सटा दिया कि उसके होंठों और मंजरी की चूत के होंठों में से हवा भी न गुज़र सके.
मंजरी शायद पुलकित से भी ज़्यादा उत्तेजित थी, क्योंकि पुलकित एक बार स्खलित हो चुका था, मगर मंजरी नहीं हो पाई थी. इसी वजह से जैसे जैसे पुलकित मंजरी की चूत चाटता जा रहा था, मंजरी की तड़प बढ़ती जा रही थी.
अब तो मंजरी पुलकित के लंड को खा जाने की हद तक चूस रही थी, कभी कभी तो वो उसका पूरा का पूरा लंड निगल जाती, और उसके लंड की जड़ में जा कर अपने दाँतो से काट देती. कभी कभी मंजरी इतनी ज़ोर से अपनी कमर को झटका देती के पुलकित का मुँह उसकी चूत से फिसल जाता, मगर उसने भी मंजरी की कमर को पूरी मजबूती से पकड़ा हुआ था.
जितना मंजरी तड़पती, उतना पुलकित उसे काबू कर के रखता. लंड मुँह में होने के बावजूद मंजरी के मुँह से ‘ऊंह… ऊँ… हूँ…’ निकल रही थी.
आज तो ये आलम था कि अगर मंजरी का बस चलता तो वो पुलकित के लंड को चबा कर खा जाती.
तड़प बढ़ती गई और तड़पते तड़पते, उछलते कूदते, मंजरी स्खलित हो गई. जब वो स्खलित हुई तो उसने पुलकित का लंड अपना मुँह से निकाल दिया और उसकी जांघ पर बहुत ज़ोर से काट लिया. पुलकित को दर्द हुआ, पर फिर भी उसने मंजरी की चूत चाटनी नहीं छोड़ी. मंजरी अपने दोनों हाथों से पुलकित का सर अपनी दोनों जांघों से निकालना चाहती थी, वो चाहती थी कि पुलकित के होंठ उसकी चूत से हट जाएँ, मगर पुलकित उसको शांत होने से पहले छोड़ना नहीं चाहता था इसलिए उसने मंजरी को खूब तड़पाया.
बहुत तड़प के बाद मंजरी शांत हुई तो पुलकित ने अपना मुँह ऊपर उठाया. मंजरी के बोबों के दोनों निप्पल तीर की तरह तीखे ऊपर को उठे हुये थे. मंजरी को हल्का पसीना भी आ रहा था, तेज़ तेज़ चलती सांस, तेज़ धक धक धड़कता दिल.
उसने पुलकित की ओर देखा- तुमने तो मुझे मार ही दिया था, मुझे नहीं पता था कि सेक्स करने में इतना मज़ा आता है, मेरे तो सारा बदन झनझना उठा है.
कह कर वो पुलकित की ओर देख कर मुस्कुराई. उसके चेहरे पर बहुत ही संतुष्टि के और पुलकित के लिए प्रेम के भाव थे.
पुलकित बोला- अब मैं अपना काम भी कर लूँ.
मंजरी ने अपने हाथ में पुलकित का लंड पकड़ा और अपनी और खींच कर बोली- मेरी क्या औकात स्वामी कि मैं आप को रोक सकूँ!
पुलकित ने मंजरी को उल्टा कर के लेटाया और पीछे से अपना लंड उसकी चूत पर रखा और अंदर डाल दिया. गीली भीगी चूत में उसका लंड फच्च से घुस गया. मंजरी को दर्द हुआ पर वो संतुष्ट हो कर लेटी रही.
अगले 10 मिनट तक पुलकित ने अपनी पूरी ताकत लगा दी मंजरी पर. पूरे ज़ोर से वो अपना लंड मंजरी की चूत के अंदर मारता, मंजरी को लगता जैसे पुलकित का लंड उसके पेट तक पहुँच जाता हो. मगर वो अब पुलकित के हर ज़ुल्मो सितम को सहने को तैयार थी.
वो शांत लेटी रही और पुलकित उसे फिर किसी वहशी की तरह नोचे जा रहा था.
मगर अब मंजरी को इस नोचने में भी आनन्द आ रहा था. इस बार फिर पुलकित ने मंजरी से पहले हार मान ली. हालांकि एक मिनट और भी वो खुद को रोक लेता तो मंजरी भी उसके साथ ही धराशायी हो जाती. मगर जैसे ही पुलकित स्खलित हुआ, मंजरी बोली- थोड़ी देर और करो यार, मेरा भी होने वाला है.
मगर तब तक पुलकित की विकेट गिर चुकी थी, वो निढाल होकर गिर गया.
मंजरी ने तभी अपनी दो उंगलियाँ अपनी चूत में डाली और ज़ोर ज़ोर से आगे पीछे करने लगी और 10 सेकंड में ही उसने भी अपनी जांघें भींच ली. दो बदन निहाल हुये पड़े थे, कितनी देर दोनों नंगे लेटे रहे, फिर दोनों ने उठ कर कपड़े पहने और खुद को और कमरे को व्यवस्थित किया.
उसके बाद मंजरी पुलकित की गोद में सर रख कर लेट गई और सो गई.
पुलकित टीवी देखता रहा.
करीब एक घंटे बाद माधुरी और उसका बेटा घर वापिस आए.
जब माधुरी कमरे में घुसी तो बोली- यह कैसी अजीब से गंध आ रही है कमरे से?
मगर पुलकित और मंजरी दोनों मुकर गए- कैसी गंध? हमें तो नहीं आ रही, कहीं बाहर से आ रही होगी.
खैर माधुरी भी थकी थी, कपड़े बदल कर सब सो गए.
सुबह पुलकित अपने घर चला गया.
उसके बाद 4 साल तक मंजरी और पुलकित का अफेयर चला. मगर पुलकित ने उस से शादी नहीं की. पुलकित तो मन ही मन मंजरी को मंजरी नहीं कंजरी कहता था. उसे तो चूत से मतलब था.
मंजरी को भी पता था कि वो उसका रिश्ते में भाई लगता है तो दोनों की शादी होना मुश्किल है. और दोनों का यह अफेयर तो चला ही चुदाई के लिए थी.
पता नहीं क्यों जिस लड़की को लड़का खुद शादी से पहले चोद लेता है, उस से शादी क्यों नहीं करता.
शायद लड़का यह सोचता है कि शादी से पहले ही चुद गई तो पता नहीं किस किस से चुदती होगी.

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