02-23-2021, 12:19 PM,
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desiaks
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RE: Bhai Bahan Sex Kahani भाई-बहन वाली कहानियाँ
ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह भैया और चूसो
हैल्लो दोस्तों, मेरी बहन पदमा जब 22 साल की हुई तब में 21 साल का था. मेरा नाम आशु है और में एक प्राइवेट कम्पनी में काम करता हूँ. मेरा कद 5 फुट 11 इंच है और में बहुत कसरती जिस्म का मालिक हूँ. जिस कम्पनी मे में काम करता हूँ उसकी मालकिन मिस कुकरेजा एक 40 साल की महिला है जिसका पति मर चुका है और उसके एक बेटा और एक बेटी है. उसका बेटा अनिल मेरा दोस्त है और वो बिल्कुल लड़की जैसा दिखता है.
अनिल की उम्र कोई 23 साल की है और उसकी बहन अनीला 20 साल की है. दोनों भाई बहन बहुत सुंदर दिखते है. मिस कुकरेजा भी काफ़ी प्रभावशाली औरत है. बेशक अनिल की उम्र 23 साल की हो चुकी है, लेकिन उसकी शादी अभी तक नहीं हुई क्योंकि में कुकरेजा फेमिली का दोस्त हूँ इसलिए मिस कुकरेजा मुझे अपना बेटा ही मानती है. अनिल स्लिम सा लड़का है, बहुत गोरा, गुलाबी होंठ, कद कोई 5 फुट 7 इंच, भूरे बाल और सबसे आकर्षित करने वाली चीज़ उसकी गांड है जो काफ़ी उभरी हुई है. मेरे दोस्त लोग आमतौर पर बातें करते है कि अनिल को लड़की होना चाहिए था क्योंकि उसकी गांड चुदने वाली है. में और अनिल एक साथ पढ़ते थे और पढ़ाई के बाद मुझे उसकी माँ ने नौकरी पर रख लिया था. में कुकरेजा परिवार का बहुत एहसानमंद हूँ.
मेरी माँ यशोदा एक स्कूल में टीचर है और पिता जी का देहांत हो चुका है. मेरी दीदी पदमा कॉलेज में पढ़ती है और बहुत सेक्सी है, पदमा 5 फुट 5 इंच की सेक्सी लड़की है और कई बार लड़के मेरी बहन के कारण एक दूसरे से लड़ाई कर चुके है, लेकिन मेरी बहन किसी को घास नहीं डालती. पदमा का जिस्म 36-24-36 है और गोरा रंग, कटीले नेन. वो अधिकतर टाईट जीन्स और टॉप पहनती है जिसमें से उसकी सेक्सी गांड और चूची का उभार देखने को बनता है. बेशक पदमा मेरी बहन है फिर भी मेरा ध्यान उसके हुस्न की तरफ चला ही जाता है.
एक बार वो अपने रूम मे कपड़े बदल रही थी और दरवाजा लॉक करना भूल गयी और में ग़लती से रूम मे घुस गया. पदमा बिल्कुल नंगी थी और उसका साँचे में ढला हुआ नंगा जिस्म देखकर मेरी साँस रुक गयी. मेरी बहन की लंबी टाँगें, कसरती जांघे और सपाट पेट देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया. उसने झट से अपने हाथों से अपनी बड़ी-बड़ी चूची को ढक लिया, लेकिन में उससे पहले ही पदमा दीदी के जिस्म को देख चुका था. फिर में मांफी मांगता हुआ वापस लौट गया, लेकिन दीदी के नंगे जिस्म की तस्वीर ना भुला सका.
अब 25 जून को मेरी बहन का जन्मदिन है और में कुकरेजा फेमेली को इन्वाईट करने चला गया. सबसे पहले मुझे अनीला मिली अनीला एक स्लिम सी सेक्सी लड़की है, जिसकी चूची कोई 34 करीब होगी और गांड भी बिल्कुल कसी हुई है और मुझे उसके जिस्म पर कोई भी कमी नहीं दिखती. भूरी आँखें और भूरे बालों वाली अनीला क़िसी का भी दिल जीत सकती है और में भी उसके हुस्न का आशिक था.
वो मुझे प्यार की नज़र से कभी-कभी देख लेती थी, लेकिन में उन लोगों के बराबर नहीं था इसलिए में हमेशा अनीला को बस इज़्ज़त की नज़र से देखता था. मिस कुकरेजा ने मेरे इन्विटेशन के बारे मे कहा कि बेटा में तो आ नहीं पाऊँगी, लेकिन अनिल और अनीला पदमा के बर्थ-डे पर ज़रूर आयेंगे. ख़ैर अब मेरी बहन के जन्मदिन पर अनिल पदमा पर फिदा हो गया और या यह कहो कि अनीला मेरी बहन को अपनी भाभी बनाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो गयी.
फिर उसने अपने भाई से ना जाने क्या कहा कि अनिल बोला कि आशु मुझे तेरी बहन बहुत पसंद है और में तुझे अपना साला बनाना चाहता हूँ क्या हुस्न है? तेरी बहन पदमा का, तू मुझे अपना जीजा बना ले. में सारी उम्र उसको हर खुशी दूँगा और अपनी रानी बनाकर रखूँगा. मुझे ये रिश्ता पसंद था अनिल एक ईमानदार लड़का था, सुंदर था, अमीर था. फिर मैंने माँ से बात कि तो वो तुरंत मान गयी, लेकिन अब मिस कुकरेजा पर निर्भर करता था कि ये रिश्ता होगा या नहीं.
फिर अनिल और अनीला ने अपनी माँ से बात चलाई तो मिस कुकरेजा ने मुझे ऑफिस मे बुलाया. मिस कुकरेजा उस वक्त सफेद साड़ी मे अपनी कुर्सी पर बैठी हुई थी. वो बोली कि आशु बेटा मुझे इस रिश्ते से कोई एतराज़ नहीं है अगर तुम अनिल को अच्छी तरह जानते हो, समझते हो और उसको अपनी बहन का सुहाग बनाना चाहते हो तो मुझे ये शादी मंज़ूर है, लेकिन फिर बाद में मुझे क़िसी बात पर दोषी मत ठहराना. फिर में बोल उठा आपको दोषी, नहीं आंटी, कभी नहीं ? आप तो हम लोगों को इतना प्यार करती है, तो ठीक है हम शादी की तैयारी शुरू करते है.
अब पदमा भी बहुत खुश थी, होती भी क्यों ना? उसको इतना पैसे वाला पति मिल रहा था. शादी की शॉपिंग मे में और अनीला भी बहुत काम कर रहे थे और अनीला भी मेरे नज़दीक आ रही थी, वो बात-बात पर हंस देती मुझे पीठ पर हाथ मारती और कई बार तो गले से लिपट जाती. फिर मुझे लगा कि वो मेरे साथ अपना चक्कर चलाने के मूड में है. ऐसी सेक्सी लड़की के साथ संबंध बनाने मे मुझे क्या एतराज़ हो सकता था? अब अनिल और पदमा की शादी हो गयी और कुछ दिन के बाद पदमा हमारे घर वापस आई, लेकिन उसके चेहरे पर कोई खास खुशी नहीं झलक रही थी. मेरा एक दोस्त पदमा की शक्ल देखकर मुझसे अकेले मे बोला आशु क्या बात है? पदमा दीदी खुश नज़र नहीं आती. में तो सोचता था कि शादी के बाद पदमा दीदी खिल उठेगी, लेकिन ये तो मामला ही कुछ और है.
सच कहूँ तो शादी के बाद जब औरत को खूब अच्छा लंड मिले और खूब ज़ोर से चुदाई हो तो पूरा बदन खिल उठता है. आशु कहीं अनिल जीजा जी के लंड मे तो कोई कमी नहीं है. साले अगर मुझे मौका मिलता तो चाहे में पदमा को दीदी पुकारता हूँ, लेकिन उसको चोद-चोदकर कली से फूल बना देता. मुझे मेरे दोस्त की बात पर बहुत गुस्सा आया और मैंने उसको बाहर जाने को कह दिया, लेकिन मेरे दोस्त के शब्द मेरे दिमाग मे टिक गये.
फिर अगले दिन दोपहर को में अनिल से बात करने गया तो पता चला कि वो गोदाम मे गया हुआ है. गोदाम के बाहर चौकीदार ने मुझे देखा तो बोला साहब अन्दर जाने की क़िसी को इजाजत नहीं है, लेकिन आप तो साहब के साले हो तो चले जाओ. फिर में अंदर गया तो सारा गोदाम खाली पड़ा था. में मुड़ने ही वाला था की एक कमरे से आवाज़ें आ रही थी, हह्ह्ह्ह ज़ोर से अकबर भाई, ज़ोर से चोदो अपनी रानी को बहुत दिनों के बाद मौका मिला है, आअहह चोदो मुझे अकबर, क्या मस्त लंड पाया है आपने? वाहह अकबर भाई.
ये आवाज़ तो अनिल की थी और अकबर हमारी कंपनी मे एक ड्राइवर था, दरवाजा कुछ खुला था और मुझे अनिल नग्न रूप मे घुटनों और हाथों के बल झुका हुआ नज़र आया. अनिल की गोरी गांड उठी हुई थी और अकबर का कम से कम 7 इंच लंबा और मोटा लंड अनिल की गांड में घुसा हुआ था. अकबर मेरे जीजा को बेरहमी से चोद रहा था और अनिल मज़े से लंड अपनी गांड मे ले रहा था. अकबर क़िसी कुत्ते की तरह हाँफ रहा था. फिर अकबर बोला हाँ मालिक जब से आप शादी मे व्यस्त थे, मुझे भी ऐसी गांड नहीं मिली.
अब तो मेरी बीवी भी गांड मरवाने से मना करती है और मुझे गांड के बिना कुछ और अच्छा नहीं लगता. मालिक आप ही मेरी रानी बने रहो, मुझे कोई बीवी नहीं चाहिए. अब अनिल भी नीचे से बोला कि अकबर भाई मैंने भी पदमा से शादी करके यू ही मुसीबत मोल ले ली है, अगर मेरी बहन मुझे ना कहती तो में कभी ये शादी नहीं करता, लेकिन में अपनी बहन को क्या कहता कि मुझसे ठीक तरह से चुदाई नहीं होगी? या ये कहता कि में पदमा को क्या चोदूंगा? मुझे तो खुद को अपनी गांड के लिए अकबर भाई का लंड चाहिए. अब में उनकी और बातें सुन नहीं सका और गुस्से से भरा हुआ मिस कुकरेजा के रूम में गया.
फिर में बोला आंटी मेरी बहन शादी से खुश नहीं है, अनिल तो खुद कहता है कि वो ठीक से चोद नहीं सकता, वो तो खुद गांडू है और इस वक्त गोदाम मे अकबर से गांड मरवा रहा है. आंटी मेरी बहन की तो ज़िंदगी बर्बाद हो गयी ना. फिर मिस कुकरेजा अपनी सीट से उठी और मुझे अपनी बाहों में भरकर सीने से लगाते हुए बोली कि आशु बेटा मैंने तुझसे कहा था ना कि कल मुझे दोष मत देना. असल में अनिल के पिता भी लंड के मामले में कमज़ोर थे, लेकिन मुझे ये पता नहीं था कि उसको ये गांड कि भी बीमारी है. बेटा निराश मत होना जो करना होगा में करूँगी.
में कभी पदमा के जज़्बातों का नुकसान नहीं होने दूँगी, आख़िर पदमा अब हमारे घर की बहू है. में अनिल से बात करूँगी और समस्या का हल ढूंढ ही लूँगी और फिर अनीला भी तो तुझसे शादी करना चाहती है, अब मेरी एक नहीं दो बेटियाँ है अनीला और पदमा और जल्द ही अनिल तुझसे बात करेगा. फिर में बोला अनिल साला मुझसे क्या बात करेगा? जो करना था वो ठीक से कर नहीं पाया, लेकिन उसी रात अनिल ने मुझे एक बार में बुलाया और दो पेग विस्की के पीने के बाद मुझसे बोला यार में जान चुका हूँ कि तुझे मेरे उस शौक के बारे मे पता चल गया है और तुम जानते हो कि मेरे लंड में इतनी ताक़त नहीं है, लेकिन मेरे पास एक बहुत अच्छा सुझाव है अगर कहो तो बोलूं?
फिर मैंने कहा अब क्या सुझाव बचा है मेरी बहन की ज़िंदगी बर्बाद करके? देख आशु पदमा की चुदाई तो होगी अगर में नहीं करता तो कोई और करेगा. अब किसी बाहर के आदमी से हो तो घर की इज़्ज़त का क्या होगा? मेरी बात मान लो तुम खुद पदमा की चुदाई जी भरकर कर लो.
तुम दोनों भाई बहन पर क़िसी को शक भी नहीं होगा और में तुझे अपनी मनाली वाली कोठी की चाबी भी दूँगा जहाँ तुम दोनों अपना हनीमून मना लेना. तुझे भी अपनी बहन के जिस्म का मज़ा मिल जायेगा और अगर भगवान की मर्ज़ी हुई तो पदमा माँ भी बन जायेंगी और सारे समाज मे में भी बाप कहलाऊंगा. फिर कल को तुझे ही तो अनीला का पति बनाना है. फिर तुम हमारे घर मे रहकर दोनों को चोद सकते हो बोलो मंज़ूर है? लेकिन में पदमा को कैसे? वो मेरी बहन है, ये कैसे हो सकता है? फिर अनिल पेग पीकर फिर से बोला तो हम क्या पदमा को क़िसी और गैर से चुदने के लिए छोड़ दें ? इससे बेहतर होगा कि तुम ही उसकी जवानी के मज़े लूट लो और घर की इज़्ज़त भी बची रहेगी. फिर में बोला लेकिन अगर मैंने अपनी बहन को स्पर्श भी किया तो वो मुझे जान से मार डालेगी, चोदना तो दूर की बात है.
फिर अनिल बोला तू उसकी चिंता मत कर कल ही हम तीनों मनाली जायेंगे और में पदमा को चोदने की कोशिश करूँगा और जब मुझसे चोदा नहीं जायेगा तो वो मुझे गाली देगी और तब तुम आ जाना. जब चूत जल रही होती है तो रिश्ते नहीं देखती और फिर अपनी बहन की चूत अपने लंड से भर देना, एक बार वो चुद गयी तो सदा के लिए तेरी हो जायेगी.
जीजा की बात सुनकर अचानक मेरा लंड खड़ा होने लगा और अपनी बहन को चोदने की इच्छा सच होती नज़र आने लगी. फिर अगले दिन हम तीनों मनाली की तरफ चल पड़े. पदमा को उत्तेजित करने के लिए अनिल बार-बार उसके जिस्म पर हाथ फेरने लगा. फिर हम दोपहर को शराब पीने लगे, अनिल जानबूझ कर मेरे सामने ही पदमा के साथ सेक्सी बातें करने लगा, जिनको सुनकर पदमा का रंग लाल होने लगा.
फिर मनाली पहुँचकर अनिल बोला आशु तुम पास वाले कमरे मे सो जाओ और में अभी अपनी बीवी के साथ चुदाई के मज़े लेता हूँ. उसकी बात सुनकर पदमा शर्म से लाल हो उठी थी. शराब पी होने की वजह से अनिल का लंड जो थोड़ा बहुत खड़ा होता था वो भी नहीं हुआ था. फिर पदमा गुस्से में चिल्लाने लगी कि अनिल बहनचोद अगर लंड में कमज़ोरी थी तो मुझसे शादी क्यों की? साले अब इस जलती हुई चूत को में कहाँ लेकर जाऊं? मादरचोद की औलाद, साले नपुंसक कहीं के.
फिर अनिल शर्मिंदा हुआ बाहर निकला और बोला आशु तू अब बस 5 मिनट इंतज़ार करना, फिर अंदर चले जाना तेरा मामला फिट हो जायेगा. फिर ठीक 5 मिनट के बाद जब मे पदमा दीदी के रूम मे गया तो मैंने देखा कि पदमा नंगी पलंग पर लेटी हुई है और जांघे फैलाकर अपनी चूत मे उंगली कर रही थी. सच मानो तो उस समय मेरी बहन कोई कामदेवी लग रही थी. उसकी शेव की हुई चूत से पानी टपक रहा था और वो आँखें बंद किए हुई थी और चूत रगड़ रही थी.
फिर मैंने हिम्मत की और पलंग के पास जाकर उसके नंगे जिस्म पर हाथ फेरने लगा तो उसने झट से अपनी आँखें खोल दी और बोली भैया तुम यहाँ क्या कर रहे हो? जाओं यहाँ से, लेकिन फिर मैंने अपने हाथ उसकी चूची पर रख दिए और रगड़कर बोला दीदी में तुझे ऐसे प्यासी कैसे छोड़ दूँ? आख़िर भाई का भी कोई फ़र्ज़ होता है या नहीं? अगर जीजा नपुंसक हो तो क्या भाई का फ़र्ज़ नहीं बनता कि अपनी बहन की चूत की आग ठंडी करे, ऐसा मदमस्त जिस्म क्या भगवान हर क़िसी को देता है? दीदी अपनी भारी-भारी चूची, आपकी मस्त चूत जो बेचारी मस्त लंड के लिए तरस रही है और आपकी गांड सब मुझे पागल बना रही है. दीदी अब मुझे चुदाई से मत रोकना, में अपनी पदमा दीदी की चूत चोदे बिना आज यहाँ से जाने वाला नहीं हूँ, अगर मुझ पर विश्वास नहीं होता तो अपने भाई का लंड देख लो.
फिर मैंने ये कहते ही अपनी पेंट उतार दी और अपना 9 इंच वाला मोटा लंड पदमा को दिखाते हुए उसके हाथ मे दे दिया. मेरा मोटा लंड मेरी काली झांटो के बीच में से क़िसी काले नाग की तरह फूंकार रहा था. दीदी अब बताओ कि आपके भाई का लंड मस्त है या नहीं? आपकी मस्त चूत इसको अंदर लेने के लिए मचल रही है या नहीं? अब पदमा के भाव बता रहे थे कि वो एक पल के लिए झिझकी, लेकिन फिर वासना ने उस पर काबू पा लिया.
फिर मैंने कमीज़ भी उतार दी और कमरे का दरवाजा बंद करने के लिए बढ़ा तो पदमा बोली कि नहीं मेरे प्यारे भैया दरवाज़ा खुला ही रहने दो, अगर मेरा नपुंसक पति देखना चाहे तो देख ले कि मर्द का लंड कैसा होता है? और जवान औरत की प्यास कैसे बुझाई जाती है? आ जाओ भैया और तोड़ दो मेरी सील, जो शायद आज तक मेरे भैया के लिए ही बची हुई थी. मेरे भाई आज मुझे अपना बना लो, मुझे इस मस्त लंड से चोदकर पूरी औरत बना लो, आपकी बहन आज से सिर्फ़ आपकी है.
फिर में भी पदमा दीदी की बात सुनकर पूरा जोश में आ गया और अपनी दीदी के होंठों को चूमने लगा. उसके होंठों पर जीभ फेरते हुए उसके नंगे जिस्म से लिपटने लगा. हमारे जिस्म जल रहे थे और दीदी अभी भी मेरे लंड को पकड़े हुई थी और में उसको चूम रहा था. फिर मैंने बोला कि दीदी तुमने कभी लंड चूसा है? तो दीदी मचलकर बोली कि अभी तक तो नहीं, लेकिन आज अपने भैया का लंड चूसने की इच्छा ज़रूर है. अगर इजाज़त हो तो चूस लूँ? अगर चूस लेती हूँ तो मेरे भैया मेरे सईयां बन जायेंगे.
फिर मैंने दीदी की चूची को चूम लिया और बोला कि देर किस बात की, बना लो मुझे अपना सईयां. फिर दीदी ने झुककर मेरे लंड का टोपा चूम लिया और मेरे अंडकोष थामकर लंड को मुँह में ले लिया. फिर मैंने दीदी के बाल पकड़कर उसका मुँह अपने लंड पर टिका दिया और कमर आगे पीछे करने लगा.
फिर मैंने दीदी को पलंग पर सीधा लेटाकर उसके ऊपर चढ़ गया और अब मेरा मुँह दीदी की लाल चूत पर था और मेरा लंड उसके मुँह में था. हम 69 पोजिशन में एक दूसरे को चाटने लगे. अब दीदी की चूत का रस मुझे बहुत उत्तेजित करने लगा और उसकी चूत फड़फडाने लगी. अब देरी करना फ़िज़ूल था क्योंकि दीदी अब बहुत गर्म हो चुकी थी. मैंने दीदी से पूछा कि अब चुदाई शुरू करें? तो दीदी बोली हाँ भैया, अब इंतज़ार नहीं होता पेल डालो अपना लंड मेरी चूत में भैया और इस रात को यादगार बना दो. अब दीदी ने शर्म छोड़कर मुझे चोदने का निमंत्रण दिया. अब मैंने चूत की भीगी हुई फांकों को फैलाकर लंड चूत के मुँह पर टिका दिया और धड़कते दिल से मैंने लंड को एक धक्का मारा और मेरा पूरा टोपा चूत में घुस गया, ओह भैया धीरे से आहह में मर गयी, अहह भैया धीरे से उई माँआआ धीरे से भैया. फिर मेरे लंड को चूत के अंदर गर्माहट महसूस हुई और मैंने धीरे से लंड और आगे बढ़ा दिया.
फिर में दीदी की गांड को थाम कर धीरे-धीरे लंड अंदर पेलने लगा, सच मानों दोस्तों ऐसा मज़ा मुझे आज तक नहीं मिला था. दीदी की चूत जन्नत का दरवाजा थी. मेरे लंड पर कसी हुई दीदी की चूत की दीवारें मेरे लंड को सहला रही थी. जब आधे से ज्यादा लंड चूत में घुस गया तो दीदी अपने चूतड़ उठाकर और लंड लेने लगी. में दीदी के ऊपर सवार था और जन्नत का मज़ा लेते हुए चुदाई करने लगा और चूत की चिकनाहट के कारण अब लंड आसानी से चूत में घुस रहा था.
फिर कोई 5 मिनट में लंड पूरा चूत में समा गया. मेरी रानी बहन मेरा लंड पूरा अपनी चूत में ले चुकी थी. मेरी रानी तेरी क्या मस्त चूत है? अहहहह क्या मस्त है मेरी बहना? अब तो दर्द नहीं हो रहा पदमा रानी? तो दीदी मज़े से आँखें बंद किए हुए बोली नहीं मेरे राजा भैया, अब तो मज़ा आ रहा है, चोद डालो अपनी लाडली बहना को, शाबाश राजा भैया, पेलो अपना लंड अपनी सजनी की चूत में, अब तो हम भाई बहन सिर्फ़ दुनिया के लिए ही है असल मे तो मेरा भाई मेरा पति है, ऑह्ह्ह्ह मेरे भैया का कितना मस्त लंड है.
अब दीदी अपनी गांड उठाकर चुदवाने लगी थी और में बहुत जोश में आकर ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा. अब पूरा कमरा फ़च फ़च की आवाज़ों से गूँज रहा था और चुदाई का संगीत चारों तरफ था और चुदाई की सिसकियाँ हम दोनों भाई बहन के मुँह से निकल रही थी. मेरा लंड क़िसी पिस्टन की तरह अपनी सग़ी बहन की चूत चोद रहा था. अब हमारे जिस्म पसीना-पसीना हो चुके थे और में आगे झुक कर दीदी के बूब्स चूसने लगा. दीदी मदहोश हो गई और बोली ओह्ह्ह्हह्ह्ह्ह भैया और चूसो आआआआआ म्म्म्मममममम चोदो मेरे राजा चोदो मुझे, मुझे हर रोज ऐसे चोदना भैया. फिर में दीदी को चोदने लगा और दीदी बेकाबू होने लगी, भैया मुझमे समा जाओ, रोज़ चोदना मुझे, भर दो मेरी चूत अपने लंड से, बना दो मुझे अपनी पत्नी, मुझे अपने बच्चे की माँ बना दो भैया. फिर लगातार चुदाई के बाद दीदी झड़ गई और वो पूरी तरह से संतुष्ट हो गई थी. अब हम बहुत चुदाई करते है और खूब मजे लेते है.
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RE: Bhai Bahan Sex Kahani भाई-बहन वाली कहानियाँ
दीदी और उसकी सास चोदा
हैल्लो दोस्तों, कैसे है आप सब? में आज बहुत दिनों के बाद कोई नयी कहानी पेश करने जा रहा हूँ। मुझे चुदाई का चस्का ही मेरी माँ और बुआ ने लगाया था और उन्होंने अपनी भोसड़ी में मुझे ऐसा घुसाया था कि आज तक मेरा उनकी भोसड़ी में ही घुसा रहने को जी चाहता है। हाँ कभी-कभी मेरी बड़ी दीदी भी अपना एक बच्चा पैदा की हुई चूत फैलाकर मुझसे चुदवा लेती है और जब से उसने मुझसे चुदवाया है, तब से वो अपने पति यानी कि जीजा जी का लंड अपनी चूत में लेना पसंद ही नहीं करती है। जब वो पिछली बार यहाँ आई थी, तब मैंने माँ और उसको एक साथ चोदा था, जिसके बारे में फिर कभी बताउंगा। अभी तो में फिलहाल उसकी सास के बारे में आप सबको बताने जा रहा हूँ कि कैसे इस बार मैंने उनकी सास को सैकड़ों धक्के दिए और उसकी भोसड़ी की चुदाई की? हाँ तो बहनों और भाइयों अपने लंड और चूत पर अपना हाथ रख ले। फिर इस बार जब में दीदी के ससुराल गया तो मैंने वहाँ दीदी और उनकी सास के अलावा एक हट्टे-कट्टे पहलवान जैसे आदमी को देखा, जिसकी उम्र 46-47 साल रही होगी और दीदी के ससुर और पति हर बार की तरह इस बार भी कहीं बाहर गये हुए थे।
फिर मैंने दीदी से उस अजनबी के बारे में पूछा तो उसने बताया कि ये मामा जी है माँ के दूर के भाई लगते है, लेकिन असल में माँ जी इनके साथ खूब रंग रेलिया मनाती है, मैंने कई बार इन दोनों को खुद अपनी आँखों से चुदाई करते देखा है। अब मुझे तो यकीन ही नहीं आ रहा था, लेकिन जब दीदी ने बताया तो यकीन करना पड़ा, क्योंकि उसकी सास काफ़ी धर्म-कर्म वाली सीधी साधी औरत लगती थी। फिर मैंने दीदी से कहा कि आपकी सास तो बहुत सीधी साधी लगती है। तो वो बोली कि हाँ बिल्कुल हमारी माँ जैसी ना और ये कहकर हम दोनों हँसने लगे। उनकी सास की उम्र भी हमारी माँ के जितनी ही थी, यानी कि 44-45 साल के करीब और उनकी बड़ी-बड़ी ठोस चूचीयाँ किसी का भी ध्यान अपनी तरफ खींच लेती थी। फिर मैंने दीदी से कहा कि क्या माँ जी मुझसे चुदवाएगी? तो दीदी हँसने लगी और बोली कि मुझे तो यकीन है कि वो चुदवा लेगी, लेकिन इस काम में पहल तुझको ही करनी पड़ेगी।
फिर मैंने कहा कि अगर में इन दोनों को चुदाई करते वक़्त रंगे हाथ पकड़ लूँ तो मेरा काम बन सकता है। तो फिर दीदी बोली कि हाँ तब तो तेरा काम आसान हो जाएगा। फिर मैंने पूछा कि क्या माँ जी रोज़ रात को मामा जी से चुदवाती है? तो दीदी बोली कि नहीं रोज़ तो नहीं, लेकिन अब ये तो खुजली की बात है कभी-कभी वो दोनों दिन में ही शुरू हो जाते है और मैंने तो अक्सर उन दोनों को दिन में ही चुदाई करते देखा है और तब मुझे तुम्हारे लंड की बहुत याद आती है मेरे भाई और इतना कहकर दीदी ने मेरा लंड पकड़ लिया और सहलाने लगी। फिर मैंने कहा कि हाय दीदी कोई देख लेगा, तो हम दोनों के बारे में क्या सोचेगा? फिर दीदी बोली कि आज रात को तुझे मेरी प्यास बुझानी है, मेरी चूत रानी बहुत दिन से सुलग रही है, अब तू आया है तो इस पर मेहरबानी करके जाना। फिर मैंने कहा कि ठीक है दीदी, आज रात को ही तुम्हारी चूत चोदूंगा और तुम्हारी सास को भी रंगे हाथ पकडूँगा।
फिर रात को हम लोग खाना खाने के बाद जल्दी ही अपने-अपने रूम में चले गये। मेरी मामा जी से हाय हैल्लो हुई थी और सासू माँ ने भी मुझे सीने से लगाया था, तब ही से उनकी चूचीयाँ अब तक मेरे सीने में चुभती हुई महसूस हो रही थी। फिर मैंने दीदी से पूछा कि क्या मामा जी माँ के रूम में ही सोते है? तो वो बोली कि नहीं, वो दोनों काफ़ी देर तक बातें करते है और फिर मामा जी गेस्ट रूम में जाकर सो जाते है। फिर थोड़ी देर के बाद हमें सासू माँ के रूम से हंसने खिलखिलाने की आवाज़ आने लगी, तो मैंने कहा कि दीदी लगता है आज मेरी किस्मत अच्छी है, अब बगल वाले रूम में चुदाई का प्रोग्राम शुरू होने जा रहा है। अब आप ये बताओं कि आप अपनी सास की चुदाई कहाँ से देखती हो? फिर दीदी मुझे बाथरूम में लेकर गयी, वहाँ की एक खिड़की आंटी के रूम की तरफ खुलती थी और जिस पर किसी का ध्यान ही नहीं जाता था। फिर मैंने देखा कि मामा जी साड़ी के ऊपर से ही माँ जी की चूचीयाँ दबा रहे थे और माँ जी अपने दोनों हाथ से मामा जी का लंड पजामे से बाहर निकालकर सहला रही थी और मामा जी का लंड खड़ा देखकर में और दीदी भी मस्त हो गये थे।
फिर मामा जी ने माँ जी की साड़ी उतारकर एक तरफ फेंक दी और उधर दीदी ने मेरा लंड बाहर निकालकर सहलाना चालू कर दिया था, जिससे वो भी खड़ा होने लगा था। अब उनकी सास को मामा जी ने पूरी तरह से नंगा कर दिया था और उनकी चूत पर ढेर सारे बाल भी थे। फिर मामा जी बोले कि शोभा तुमने झाटें कब से नहीं बनाई? अगली बार बना लेना, मुझे बड़ी हुई झाटें अच्छी नहीं लगती है, इधर देखो मेरा लंड कितना चिकना-चिकना है। तो माँ जी बोली कि वक़्त ही नहीं मिल पाता है, पूरे दिन तो बहु घर में रहती है और जब फ्री होती हूँ तो तुम अपना मूसल लेकर चुदाई करने लग जाते हो। अब जल्दी भी करो या बातें ही करते रहोगे? अब मामा जी ने तुरंत ही अपना आसान संभाल लिया और अपने लंड का सुपड़ा माँ जी की बालों से भरी चूत के मुँह पर रखकर एक जोरदार धक्का मारा तो माँ जी की चीख निकल पड़ी।
अब उन्होंने अपने दोनों पैर मामा जी की पीठ से चिपका दिए थे और वो अपने चूतड़ उछालने लगी थी। अब इधर दीदी ने भी अपने सारे कपड़े उतार डाले और मुझसे बोली कि फटाफट मुझे चोदकर माँ जी के रूम में घुस जाओ, तब ही आज रंगे हाथ पकड़ पाओगे। फिर मैंने कहा कि आपको तो में बाद में भी चोद सकता हूँ, अगर मामा जी इतनी देर में झड़ गये तो सब गड़बड़ हो जाएगी। फिर इस पर दीदी बोली कि अरे मेरे भोले भाई में मामा जी को जानती हूँ, वो साला भड़वा पता नहीं क्या खाकर चुदाई करता है? वो बहुत देर तक टिकता है और माँ जी के पसीने छुड़वा देता है, तब तक तुम मुझको निबटा दोगे। तो मैंने कहा कि ठीक है दीदी तुम जानो, अगर आज में तुम्हारे चक्कर में आपकी सास को नहीं चोद पाया तो में आपकी चूत चोदने के बाद आपकी गांड भी फाड़ दूँगा और ये कहकर दीदी की एक टाँग अपने कंधे पर रख ली।
अब वो एक पैर से खड़ी थी और में अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ रहा था। अब हम लोग माँ जी की घमासान चुदाई भी देख रहे थे। फिर मैंने एक धक्का मारा तो मेरा लंड दीदी की चूत में पूरा जा घुसा और फिर हम लोग भी धक्के लगाने लगे। अब चुदाई दोनों तरफ चालू थी, अब एक तरफ सास चुद रही थी तो दूसरी तरफ बहु चुद रही थी, लेकिन वहाँ पर आवाज़ें ज़्यादा माँ जी की ही आ रही थी, जिसका कारण था कि मामा जी बहुत जोरदार चुदाई कर रहे थे। अब एक पैर पर खड़े-खड़े दीदी थक गयी थी तो वो बोली कि राज मुझे अपनी गोद में उठा लो, में तो थक ही गयी हूँ। फिर उसके बाद मैंने दीदी को अपनी गोद में भर लिया और दीदी अपने चूतड़ उछाल-उछालकर मेरा लंड अपनी चूत में लेने लगी। अब उनके उछलने से उनकी बड़ी-बड़ी चूचीयाँ भी हिल रही थी, जिसे में अपने मुँह में भरकर चूस रहा था। अब दीदी आह आआआआ करके झड़ने लगी थी और कुछ धक्को के बाद में भी किनारे लग गया, मगर मामा जी थे कि अभी भी लगे हुए थे। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।
फिर दीदी अपनी चूत को साफ करते हुए बोली कि देखा मैंने कहा था ना कि ये भड़वा साला झड़ता ही नहीं है, काश में भी इससे कभी चुदवा पाती। अब दीदी के मुँह से ऐसी बात सुनकर मुझे थोड़ी हैरानी हुई। फिर मैंने कहा कि क्या आप मामा जी से चुदवाना चाहोगी? तो दीदी बोली कि हाँ क्यों नहीं? आख़िर कौन औरत अपनी चूत में मर्द का लंड ज्यादा देर तक डलवाना पसंद नहीं करेगी? तो मैंने कहा कि ठीक है अगर आज मेरा काम बन गया, तो में तुझे भी मामा जी की टाँगों के नीचे लाने का इंतज़ाम कर दूँगा। फिर इसके बाद मैंने अपना पजामा पहनकर माँ जी के रूम में जाने की तैयारी कर ली और में अचानक से दीदी की सास के कमरे में धड़ाक से दरवाज़ा खोलकर घुस गया और मुझे इस तरह आया देखकर सासू माँ के होश ही उड़ गये थे, लेकिन मामा जी अड़ियल किस्म के लग रहे थे, अब जहाँ सासू माँ ने अपने नंगे बदन को चादर में छुपा लिया था, वहीं मामा जी पूरी तरह से वैसे ही नंगे बैठे रहे थे।
फिर सासू माँ झिझकते हुए बोली कि अरे राज बेटा तू यहाँ इस वक़्त? तुझे तो आराम करना चाहिए था ना? फिर में बोला कि आराम ही करने की कोशिश कर रहा था आंटी, लेकिन आप लोग सोने दो तब ना? इतनी ज़ोर-ज़ोर से धड़ाधड़ आवाजे आ रही थी कि में तो यही सोच रहा था कि कहीं चोर तो नहीं घुस आया और यहाँ आकर देखा तो नज़ारा ही बदला हुआ है। फिर मामा जी बोल पड़े कि हाँ बेटा में समझ गया तुझे यहाँ क्या चीज़ खींचकर लाई है? आख़िर तू है भी ना लंड धारी, बता चूत मारनी है ना इसकी? तो फिर मैंने झूठ का नाटक दिखाते हुए कहा कि मामा जी आप भी कैसी गंदी बातें कर रहे है, भला में आंटी से इस तरह का बर्ताव कैसे कर सकता हूँ? ये मेरी दीदी की सास है और मेरी मम्मी के बराबर है। फिर मामा जी बोले कि अब नाटक मत कर और अपनी लूँगी उतारकर मैदान में आ जा। फिर में झिझकते हुए बेड की तरफ बढ़ा तो मामा जी ने लपककर मेरी लूँगी खोल दी जिससे में पूरा नंगा हो गया।
अब मेरा लंड लटका हुआ था, जिसे मामा जी अपने हाथ से पकड़कर आंटी को दिखाते हुए बोले कि लो भाई अब आज तुम भी जवान लंड का मज़ा ले लो, तुम मुझसे चुदवा-चुदवाकर बोर हो गयी होगी, चलो अब तुम भी चादर हटाकर अपनी चूत इस बेचारे को दिखा ही डालो। फिर उन्होंने सासू माँ की चादर हटा दी और मुझसे बोले कि बेटा सारी शर्म को इसकी चूत में डालकर खुद भी इसकी चूत में घुस जाओ। अब में तो पहले से ही सासू माँ को चोदने की सोचकर आया था और जब रूम में आने के बाद उनका नंगा बदन देखा तो मुझे अपनी मम्मी की याद आ गयी, बिल्कुल वैसी ही बड़ी-बड़ी चूचीयाँ और उन पर उभरे हुए ब्राउन कलर के निप्पल्स तनकर लंबे शेप में थे, जिसे फ़ौरन अपने होंठ में दबाकर चूसने का मन हुआ। फिर मैंने आंटी की चूची पर बहुत आहिस्ता से अपना एक हाथ रख दिया और सहलाने लगा।
अब आंटी भी मुझसे शर्मा नहीं रही थी और तब मामा जी ने उनकी चूत पर अपना हाथ फैरते हुए कहा कि लो रानी ठीक से मज़ा लो, आज दो मर्द तुम्हें एक साथ मज़ा देंगे, में तुम्हारी चूत चूसता हूँ। जब तक तुम मुन्ने को थोड़ा दूध पिलाकर तैयार करो और मेरे मुँह को उनकी चूची की तरफ को बढ़ाते हुए बोले कि लो बेटा दूध पीकर अपने लंड में ताक़त लाओ, साली बहुत लंड मार औरत है। जब में दो बार पेलता हूँ, तब साली का पानी झड़ता है। अब ये सब बातें मेरी दीदी खिड़की से सुन भी रही थी और अंदर का माज़रा देख भी रही थी। में पहले से ही उनसे कहकर आया था कि मामा जी का लंड तेरी चूत में डलवाकर रहूँगा। फिर मैंने सासू माँ की चूचीयाँ अपने मुँह में भर ली और चूसने लगा और उधर मामा जी उनकी चूत अपने होंठो से चूस रहे थे। अब माँ जी की हालत खराब थी, फिर वो बेड पर लेट गयी और में उनके सिरहाने जाकर आराम से उनकी चूची पीने लगा और मामा जी उनकी चूत चूस रहे थे, जिससे उनके मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी।
फिर वो मुझसे बोली कि बेटा और ज़ोर से चूस, दबा-दबाकर चूस। अब में उनके साथ थोड़ी नरमी दिखा रहा था। फिर थोड़ी देर में आंटी पूरी तरह से गर्म गयी और मेरा लंड भी फंनफनाने लग गया तो मामा जी ने कहा कि बेटा अब अपना लंड इसकी चूत घुसेड़ डाल और इसकी चूत का भुर्ता बना डाल। अब मामा जी मम्मी के मुँह के पास जाकर बैठ गये और अपना लंड उनके होंठ पर फैरने लगे थे। अब में अपने लंड की टोपी को उसकी चूत से रगड़ रहा था। तब आंटी ज़ोर से बोली कि साले हरामी रगड़ता ही रहेगा या अंदर भी डालेगा। फिर उसके बाद मुझे भी गुस्सा आ गया और मैंने एक ही बार में अपना 8 इंच लंबा लंड उनकी सूखी चूत में अंदर तक घुसा दिया, जिससे उनकी जोरदार चीख निकल पड़ी आआईयईईईईईईईई आआआआआहह आआअहह हरामी मादरचोऊऊऊऊऊऊऊद, तेरी माँ को कुत्ता चोदे, बहन के लंड कहीं के इतनी ज़ोर से डाला जाता है क्या? पहले कभी चूत नहीं मारी क्या? हरामजादे।
अब मुझे और गुस्सा आ गया था, तो मैंने और ज़ोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए। अब सासू माँ मुझे गंदी-गंदी गालियाँ देने लगी थी। अब उनकी गालियों से माहौल और मस्त हो रहा था। फिर मामा जी ने जब देखा कि आंटी गालियाँ बक रही है तो तब उन्होने अपना लंड उनके मुँह में नहीं डाला और उनकी चूची को ज़ोर-ज़ोर से दबाकर मज़ा लेने लगे। तब तो आंटी और भी जल गयी और बोली कि अब भोसड़ी के बहनचोद तुझे भी मस्ती सवार हो गयी, जो मेरी मुलायम चूचीयों को आटे की तरह बेदर्दी से गूँथ रहा है, आराम-आराम से कर वरना कल तेरी बहु को बुलाकर इसका लंड अंदर घुसवा दूँगी, हरामी कहीं का, भोसड़ी वाला फ्री में चोदने को क्या मिल जाता है? तो अपनी औकात ही भूल जाता है। अब इधर मेरे धक्के जारी थे, तभी आंटी फिर दर्द से कराह उठी क्योंकि मैंने अपना पूरा लंड बाहर निकालकर फिर से अंदर घुसेड़ दिया था। अब ये सब देखकर दीदी की चूत भी गीली हुए जा रही थी, जो बाहर खिड़की से सब देख रही थी।
फिर मामा जी ने अपना लंड आंटी के मुँह में डाल दिया और अंदर बाहर करने लगे। अब में भी झड़ने के करीब आ गया था तो तब ही में झड़ गया और मामा जी ने मुझे धकेलकर तुरंत अपना लंड सटाक से उनकी चूत में डाल दिया और फटाफट चोदने लगे। अब में अपना लंड उनके मुँह में डाले हुए था और मामा जी आंटी की चूत चोद रहे थे। फिर कुछ देर में ही आंटी भी झड़ गयी और फिर मामा जी भी झड़कर एक तरफ लेट गये। अब में अभी भी आंटी के मुँह में अपना लंड डाले हुए था, तब ही मेरे लंड से पानी की बौछार होने लगी, जिसे आंटी बहुत मज़े लेकर चूसने लगी। फिर मैंने अपना थोड़ा सा रस उनके मुँह पर भी गिराया और ढेर सारा उनके बालों में और उनकी चूचीयों पर भी गिरा दिया, जिससे उनकी चूची चमक उठी। फिर आंटी बोली कि लड़के तेरे लंड का पानी तो बहुत रसदार है, तूने बेकार ही इसे बाहर गिरा दिया, भैय्या ज़रा अब तुम मेरी चूची पर गिरा रस चूसकर देखो, इसका पानी कितना मज़ेदार है?
फिर मामा जी सासू माँ की चूचीयों पर सना हुआ मेरा रस चाटने लगे। फिर उसके बाद हम लोग वहीं बेड पर लेट गये। अब में बेचारी दीदी के बारे में सोच रहा था कि अब उनको अपनी उंगली से ही काम चलाना पड़ेगा। तब मैंने यूँ ही सासू माँ से पूछा कि माँ जी आप कह रही थी कि मामा जी की बहु को मुझसे चुदवाओगी? क्या सही में आप मुझसे उनकी बहु को चुदवाओंगी? तो इतने में मामा जी बोल पड़े कि हाँ बेटा क्यों नहीं? तू मेरी बहु को चोद और में तेरी दीदी को चोदूंगा? क्यों तैयार है ना तू? फिर में गुस्सा दिखाता हुआ बोला कि कैसी बातें कर रहे है आप? आपको शर्म आनी चाहिए, आंटी जी आप भी कुछ नहीं बोल रही है ये दीदी के बारे में कैसी कैसी बात कर रहे है? तो मामा जी बोले कि भोसड़ी वाले अब बड़ी मिर्ची लग रही है, मेरी बहु को फ्री में चोदगा क्या?
तब आंटी बोली कि बेटा इसमें बुरा क्या है? अपनी बहन को इनसे चुदवा देना, वैसे भी मेरा बेटा कई कई दिनों तक बाहर रहता है, तो वो बेचारी लंड की चाहत में तड़पति रहती है, मैंने कई बार उसको अपनी चूत में उंगली करते हुए देखा है। अब में तो चाहता ही यही था तो मैंने कहा कि ठीक है आंटी, अब आप कह रही है तो मुझे कोई हर्ज़ नहीं है। फिर चुदाई का दूसरे दिन का प्रोग्राम सेट हो गया, फिर इसके बाद किस तरह से मामा जी ने मेरे सामने मेरी बहन को चोदा? और मैंने उनकी बहु को और दीदी की सास ने मिलकर उनकी बहु को चोदा, इसके बारे में अगले पार्ट में बताउंगा ओके, तब तक अपने हाथ लंड पर रखे रहिए और अपनी चूत में उंगली डाले रहिए ।।
धन्यवाद …
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02-23-2021, 12:21 PM,
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RE: Bhai Bahan Sex Kahani भाई-बहन वाली कहानियाँ
रक्षाबन्धन पर शालू दीदी की चुदाई
यह उन दिनों की बात है जब मैंने 10वीं क्लास के एग्जाम दिए थे और में अब फ्री बैठा था, सुबह क्रिकेट खेलकर आता था और दोपहर में टी.वी देख लेता था और सो जाता था और पतंग उड़ाता था और कॉमिक्स पढ़ता था। ऐसे ही मेरे दिन कट रहे थे। मैंने कभी सोचा नहीं था कि सेक्स का मज़ा कितना अच्छा होता है और कितना प्यारा होता है। एक बार यह आपको लग जाए तो बस क्या कहने? एक बार में छत पर पतंग उड़ा रहा था, तो एक पतंग कट कर मेरे पास वाले घर में जा रही थी, वहाँ एक अंकल आंटी रहते थे और उनकी एक लड़की थी, जिसका नाम शालू था। में उनको दीदी बुलाता था, क्योंकि वो मुझसे 3-4 साल बड़ी थी और वो मुझे राखी भी बाँधती थी तो अब में स्टोरी पर आता हूँ।
फिर पतंग कट कर उनकी छत पर चली गयी और में भी अपनी छत से कूदकर उनकी छत पर आ गया, ऊपर वाला कमरा शालू दीदी का ही था। पतंग उनके कमरे के ऊपर थी, में वहाँ चढ़कर पतंग निकाल रहा था तो शालू दीदी भागकर बाहर आई, क्योंकि उन्हें खटपट की आवाज़ आई थी। फिर उन्होंने कहा कि कौन है वहाँ? तो मैंने बोला दीदी में हूँ पतंग लेने आया था, तो वो बोली ठीक है। फिर मैंने कहा दीदी पानी पीना है तो वो पानी देने लगी और फिर में पानी पीकर वहीं रुक गया और इंतज़ार करने लगा कि शायद कोई पतंग और कटकर आ जाए और फिर घर जाऊंगा। दीदी को लगा शायद में चला गया हूँ तो वो चेंज कर रही थी, में उनके रूम पर फिर से पानी की बोतल लेने गया तो देखा कि दीदी अपनी ब्रा चेंज कर रही थी और मैंने उनके छोटे-छोटे बूब्स देख लिए, वो ब्रा उतार कर अपनी बॉडी पर क्रीम लगा रही थी। यह देखकर मेरा लंड अपनी जीन्स में खड़ा हो गया और फिर उन्होंने ब्रा और टॉप पहन लिया और में भी चुपके से वहाँ से निकल गया। फिर जब रात हुई तो मेरा दिमाग़ और खराब हो गया। मुझे तो बस शालू दीदी के बूब्स नज़र आ रहे थे, मेरा मन कर रहा था कि उनके बूब्स को हाथ में लेकर उनको मसल दूँ। अब यही प्लान बनाने लगा कि भाड़ में जाए पतंगबाज़ी, अब तो बस एक बार शालू दीदी की चूत मिल जाए, पर कैसे? एक तो वो मुझे राखी बाँधती थी और उनको सेट करूँ तो कैसे? फिर 4-5 दिन तो मैंने मुठ मार कर काट लिए, लेकिन अब दिन नहीं कट रहे थे।
एक बार दोपहर को मैंने उनके रूम पर जाने का प्लान बनाया और फिर उनके रूम पर जाकर मैंने उनसे कहा कि दीदी पढ़ने के लिए कुछ कॉमिक्स है क्या? में बोर हो रहा हूँ। फिर उन्होंने मुझे पढ़ने के लिए कॉमिक्स दी और फिर में वही कॉमिक्स पढ़ने लगा, वहाँ रूम में दीदी का एक सिंगल बेड ही था। फिर थोड़ी देर के बाद मैंने कहा दीदी नींद आ रही है, तो वो बोली इधर ही सो जा, में भी यही प्लान बनाकर आया था, क्योंकि सिंगल बेड था। फिर थोड़ी देर के बाद दीदी भी सोने के लिए आ गई, वो एक कट आर्म्स वाला पिंक टॉप और वाइट शॉर्ट्स पहने थी। उनको लगा कि में सो रहा होगा, लेकिन में तो मौके कि तलाश में लेटा था। फिर 10 मिनट होने के बाद मुझे लगा कि दीदी सो गयी है तो मैंने करवट बदलकर एक हाथ उनके ऊपर रख लिया। फिर थोड़ी देर के बाद दीदी मुझसे और चिपक गयी और उनकी बॉडी मेरे से टच होने लगी, उनकी खुशबू मेरा दिमाग़ ख़राब कर रही थी मेरा मन कर रहा था कि बस अभी सब कुछ कर दूँ। फिर मैंने अपना मुँह उनके पास लिया और महसूस किया, तो उनके मुँह से गर्म-गर्म साँसे निकल रही थी, फिर मैंने अपनी जीभ उनके लिप्स पर लगाई, उनके बड़े सॉफ्ट लिप्स थे।
फिर मैंने उनके लिप्स पर एक किस किया और फिर अपनी एक उंगली उनके टॉप में डाली जहाँ से बूब्स स्टार्ट होता है और ऊपर से धारी दिखती है, साला वहां बड़ा ही सॉफ्ट पार्ट था। फिर मैंने उसमें अपनी पूरी उंगली डाल दी, लेकिन साली ब्रा बीच में आने लगी, तो में उनके बूब्स को ऊपर से पकड़कर दबाने लगा। फिर थोड़ी देर के बाद जब दीदी हिली तो मैंने अपना हाथ हटा लिया और उनसे चिपककर सो गया। फिर जब में उठा तो मैंने देखा कि दीदी भी उठने वाली थी और फिर उन्होंने मेरे माथे पर किस किया तो मुझे अच्छा लगा और मैंने उनको गले से लगा लिया और मेरा मुँह उनके बूब्स पर था। फिर मैंने उनसे कहा दीदी मुझे भी किस करने दो, तो वो बोली कर ले तो मैंने उनके गालों पर किस किया। फिर मैंने कहा कि दीदी और करूँ तो वो बोली करो ना। फिर मैंने कहा कि दीदी आपके लिप्स पर कर लूँ? तो वो थोड़ा सोचने लगी और फिर बोली कि चलो कर लो। दोस्तों ये कहानी आप चोदन डॉट कॉम पर पड़ रहे है।
फिर मैंने उनके लिप्स पर किस किया तो उन्होंने कुछ प्रतिक्रिया नहीं दी। फिर मैंने कहा दीदी मैंने आपको इतने किस किए, लेकिन आप नहीं करती तो वो बोली कि अच्छा करती हूँ, तो मैंने कहा लिप्स पर ही करना। फिर तब उन्होंने लिप्स पर किस किया और फिर मैंने भी उनका पूरा साथ दिया। फिर वो नहाने जाने लगी तो में वहीं पर लेटा था। फिर वो नहाकर बाहर आई और उनके गीले-गीले बाल मस्त लग रहे थे। फिर मैंने उनसे कहा कि दीदी एक प्रोब्लम है, तो वो बोली क्या? मैंने कहा शर्म आती है तो उन्होंने कहा कि बता ना क्या बात है? तो मैंने अपने लंड की तरह उंगली करके कहा कि दीदी मुझे दर्द होता है और खुजली भी होती है। तो वो बोली क्या बात कर रहा है? फिर मैंने कहा आप प्लीज देख सकती हो, तो फिर वो बोली मुझे ऐसे नहीं पता क्या प्रोब्लम है?
फिर मैंने कहा कि घर पर बताने में शर्म आ रही है इसलिए आपको बताया है। फिर वो मुझे बाथरूम में ले गयी और फिर उन्होंने कहा कि दिखाओ, तब मैंने जीन्स और अंडरवियर उतारकर अपना लंड दिखाया और कहा कि दीदी यहाँ दर्द होता है पता नहीं क्यों? फिर दीदी ने उसको अपने हाथ में लिया तो वो खड़ा होने लगा। तो मैंने कहा कि दीदी इसमें खुजली भी होती है, फिर उन्होंने कहा यह तो होता रहता है। फिर मैंने कहा कि दीदी मुझे आपका नीचे का देखना है, तो वो कहने लगी पागल है क्या? तो मैंने कहा दीदी प्लीज दिखाओ कैसी होती है? मैंने आज तक किसी का नहीं देखा, तो वो मान गयी और अपना शॉर्ट्स और पेंटी उतार दिया। फिर मैंने कहा दीदी रूम में चलो यहाँ अंधेरा है तो फिर हम रूम में गए और अब में उनकी चूत पर हाथ फेर रहा था। अब उनको सेक्स चढ़ने लगा था तो मैंने कहा कि दीदी मेरे लंड में खुजली हो रही है, तो वो बोली दिखा ज़रा और उसको मुँह में लेकर चूसने लगी। फिर 5 मिनट के बाद मेरा पूरा पानी उनके मुँह में ही चला गया और वो लेट गयी और फिर वो बोली रात को आना और मज़े करेंगे।
फिर में रात को उनके रूम में पढ़ने के बहाने गया तो वो वहाँ बैठी हुई थी। फिर मैंने रूम का लॉक लगाया और कहा कि दीदी मुझे आपको पूरा नंगा देखना है तो उन्होंने अपने पूरे कपड़े उतार दिए और मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए और उनके बूब्स से खेलने लगा। अब वो भी मेरा पूरा साथ देने लगी थी। फिर उन्होंने मुझसे कहा कि अपना लंड मेरी चूत में डालो तो मैंने कहा कि दीदी कैसे करना है? तो वो बोली इसमें डालो और झटके दो, लेकिन में डालने से पहले ही झड़ गया था और फिर दो तीन दिन ऐसे ही चलता रहा। फिर मैंने उनसे कहा कि आज पूरा करेंगे, तो वो खुश हो गयी और फिर मैंने उनको पूरा नंगा किया और अपना लंड उनके मुँह में चूसने को कहा। अब उनको भी मज़ा आ रहा था।
फिर मैंने देर ना करते हुए उनकी चूत में अपना लंड डाला, लेकिन लंड चूत में नहीं घुस रहा था, तो दीदी ने कहा कि जोर-जोर से झटका दो तो ये अन्दर जायेगा। फिर मैंने दम लगाकर एक झटका दिया तो वो उनकी चूत के छेद में चला गया और फिर मैंने झटके देने चालू किए। अब उन्हें भी बड़ा मज़ा आ रहा था, पहले तो वो चिल्लाई फिर मेरा अच्छा साथ देने लगी। जब में झटके दे रहा था तो मुझे लग ही नहीं रहा था कि में फर्स्ट टाईम सेक्स कर रहा हूँ। उनकी चूत में मेरा लंड ऐसा लग रहा था कि जैसे लंड आग की भट्टी के अंदर हो। साला वहां बहुत गर्म था। फिर यही सिलसिला में 12वी क्लास तक करता रहा और फिर उनकी शादी हो गयी। अब जब भी वो घर आती है तो मुझे मौका मिलता है और में उनकी चूत लेने से नहीं चूकता, क्योंकि यार वो माल बहुत मस्त था। अब तो उनके बूब्स बड़े हो गये है और उनके एक लड़की भी हो गयी। अब रक्षाबन्धन पर वो नहीं आती तो में उनके पास राखी बंधवाने चला जाता हूँ और अपना काम करके आ जाता हूँ। तो दोस्तों यह मेरी पहली कहानी थी ।।
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बुर की सील
यह बात 2016 की है, मैं उस समय 19 साल का था और 12 वीं क्लास में था. उस समय मेरे लंड का साइज़ 6 इंच हो गया था. मेरी बहन छवि, जो उस समय 21 वर्ष की थी और थर्ड इयर में पढ़ती थी. उसका रंग बेहद गोरा है, हाईट कोई 5 फिट और 30-28-32 का मादक फ़िगर है. उसके बोबे बहुत सख्त और तने हुए थे.
मैंने मेरी बहन को कभी गंदी नज़र से नहीं देखा था, पर एक बार मेरी बहन बाज़ार जाने के लिए कपड़े बदल रही थी. उस जल्दी की वजह से वो गलती से दरवाजा बंद करना भूल गयी और उसी समय मैं अपनी बुक लेने उस कमरे में चला गया. मैंने जैसे ही दरवाज़ा खोला, मेरी आंखें फ़टी की फ़टी रह गईं और मेरा लंड खड़ा हो गया. मेरी बहन इस वक्त रेड कलर की ब्रा और पैंटी में थी. पहले तो मैं डर गया और सॉरी कह कर दरवाजा बंद करके वापस चला गया. पर मेरी निगाहें अब भी उसी लाल ब्रा पेंटी में बंद उसकी चूचियां और फूली हुई चूत पर ही मंथन कर रही थीं. मेरा लंड एकदम से खड़ा हो चुका था. मैं बाथरूम में जा कर दीदी के नाम की मुठ मारने लगा.
उस दिन से ही मैं अपनी दीदी को गंदी नजर से देख़ने लगा और मुठ मार कर अपनी हवस शांत करने लगा.
एक बार घर पर मेरे और दीदी के अलावा कोई नहीं था. मैंने मौका देखा और कुछ तय कर लिया. जब दीदी नहाने बाथरूम में गईं, तो बाथरूम के छेद में से देखने लगा.
दीदी ने सबसे पहले अपनी टी-शर्ट और कैपरी उतारी. ऊपरी कपड़े उतरने के बाद वो सिर्फ काले कलर की ब्रा पैंटी में रह गई थी. उसके दूध से सफ़ेद शरीर पर काले रंग के अंडरगारमेंट्स देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया.
फिर उसने शीशे देखते हुए अपनी ब्रा को उतार दिया और वो अपने तने हुए मम्मों को खुद ही प्यार से देखने लगी. उसके बूब्स एकदम मक्खन से चिकने और एकदम गोरे थे.. उन पर लाइट पिंक कलर के निप्पल जड़े हुए थे. वो अपने निप्ल्लों से खेलने लगी. एक मिनट में ही उसके निप्पल एकदम तन गए. फिर उसने अपनी पेंटी उतारी. उसकी चूत पर थोड़े बाल थे, लेकिन पिंक कलर की चूत बड़ी मस्त लग रही थी. चूंकि बाथरूम में शीशे की पोजीशन दरवाजे वाली दीवार पर थी, इसलिए मैं अपनी दीदी के चूचे और चूत को पूरे साफ़ तौर पर देख पा रहा था. मैं यह सब देखने में मस्त हो गया. दीदी अपनी चूत पर अपनी हथेली से थपथपाने लगी. शायद वो अपनी चूत की आग को मिरर में देख कर थपथपा कर ठंडी करना चाह रही थी.
मैं उसकी हरकत को देख कर अपना लंड हिलाने लगा था. तभी घर की डोर बेल बजी, मैं तुरंत वहां से हट गया और मेन दरवाजे पर जाकर देखा, तो मेरा कजिन भाई आया था.
दीदी ने भी अन्दर से आवाज देकर पूछा- कौन आया है?
मैंने बताया और कुछ देर बाद वो भी नहा कर बाहर आ गयी.
उस दिन के बाद मैं अपनी दीदी को चोदने के मौके का इंतज़ार करने लगा. मैं कई बार उसकी बाथरूम की चूत और चूचियों के साथ खेलने की हरकत से भी अंदाज लगा लिया था कि दीदी को भी लंड की जरूरत है.
एक दिन वो पलंग पे बैठी थी. मैं वहां गया और उससे पढ़ने लगा. मैं बार बार अपना हाथ उसकी जांघ पे रख कर सहला रहा था. वो भी स्माइल दे रही थी और कुछ भी नहीं कह रही थी.
मैंने उसकी तरफ देखा और पूछा- स्माइल क्यों कर रही हो?
दीदी बोली- जब तू हाथ फेरता है तो गुदगुदी लगती है.
मैंने पूछा- और क्या लगता है?
वो आंख मारते हुए हंसने लगी.
तो मैंने उसको अपनी बांहों में उठा कर बेड पे लिटा दिया और उसके दोनों हाथों को पकड़ कर उसके होंठों पर किस करने लग गया. वो भी मुझसे लिपट गयी. हम दोनों एक दूसरे में समाने की कोशिश करने लगे. जब वो पूरी तरह गर्म हो गयी, तो मैं अपना एक हाथ उसके चूचे पे रख कर सहलाने लगा.
पर उतने में पापा मम्मी घर आ गए और हम जल्दी से अलग होकर पढ़ाई करने लगे. लेकिन अब मामला सैट हो चुका था, बस एकांत की जरूरत थी.
दूसरे ही दिन जब पापा ऑफिस चले गए, तब मम्मी को किसी काम से मामा के घर जाना पड़ा. मम्मी के जाते ही मैंने छवि दीदी को बांहों में उठाकर मेरे बेड पे लिटा दिया और हम दोनों वासना के खेल में शुरू हो गए. मैंने पहले दीदी को किस किया, फिर एक एक करके उसके सारे कपड़े उतार दिए. आज दीदी ने पिंक कलर की ब्रा पैंटी पहनी थी. दीदी उसमें बड़ी हॉट एंड सेक्सी लग रही थी.
मैंने दीदी को नंगी कर दिया और उसकी चूत के सामने पहली बार इतने नजदीक से दीदार किए. दीदी की चुत पे छोटे छोटे सुनहले से बाल थे, ऐसा लग रहा था कि कभी किसी ने इसको छुआ भी न हो. दीदी की चूत बिल्कुल सील बंद थी. मैं उसकी बंद चूत को देख कर पागल हो गया और उसके सख्त चूचे को पकड़ कर जोर जोर से दबाने लगा.
हम दोनों के होंठ एक हो चुके थे. मैंने अपना एक हाथ धीरे से उसकी चुत तक ले गया और उसे बड़े ही प्यार से सहलाने लगा. उसने भी अपनी चूत खोल दी और मेरी उंगली को चूत सहलाने के लिए चुदास जाहिर कर दी.
मैंने उंगली में थोड़ा सा थूक लगा कर अपनी एक उंगली दीदी की चूत के अन्दर डाल दी. उंगली घुसी, तो उसकी आह सी निकली. जब मुझे उसकी चुत गीली महसूस हुई, तो मैंने कुछ देर फिंगर करने के बाद चूत को चाटना शुरू कर दिया. दीदी अपनी टांगें पूरी खोल कर मेरी जीभ से चूत चटाई का मजा ले रही थी. मैं जोर जोर से अपनी जीभ से उसे चोदने लगा.
वो जोर जोर से सिसकारियां भर रही थी और आंखें बंद किए हुए बोल रही थी- आह … यश आराम से.
कुछ ही देर में मैंने उसकी चुत गीली महसूस की, तो मैंने अपना लंड चुत पे रख दिया. लंड का अहसास करते ही उसने आंखें खोल दीं और थोड़ा हिलने की कोशिश की. पर मेरे एक बार कहते ही वो चुदाई के लिए मान गयी. बस फिर मैंने अपने हाथ उसके मम्मों पे रखकर थोड़ा सा धक्का मारा, तो मेरे लंड का टोपा उसकी चुत में घुस गया था. उम्म्ह… अहह… हय… याह… वो दर्द के मारे रोने लग गयी, उसकी आंखों में आंसू और मुँह से झलकती पीड़ा से साफ पता लग रहा था कि बहुत डर रही है.
मैंने कुछ देर बाद एक और धक्का मारा, तो उसकी चीख निकल गयी. पर मेरा आधा लौड़ा उसकी चुत में जा चुका था. वो दर्द से चिल्ला रही थी और बोल रही थी- बस यश, निकाल लो, बहुत तेज दर्द हो रहा है.
मगर मैंने कोई परवाह न की बस लंड पेले हुए रुका रहा. कोई 2-3 मिनट बाद मैंने तीसरे झटके में अपना लंड पूरा अन्दर डाल दिया था. इस बार उसकी सील टूट गयी थी और खून निकलने लगा था. हम दोनों कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे, जब तक उसका दर्द कम नहीं हो गया. फिर कुछ देर में मैं अपने लंड को हिलाने लगा और ट्रेन की तरह अपनी स्पीड को बढ़ाने लगा. अब तो उसको भी मजे आ रहे थे और वो कामुक सिसकारियां ले रही थी.
इस वक्त मुझमें और राजधानी ट्रेन में कोई ज्यादा फर्क नहीं था. मैंने बहुत तेज स्पीड से अपनी दीदी की चूत को चोदने में लगा था.. पूरा बेड हिल रहा था.
कुछ देर बाद मैं झड़ने वाला था, तो मैंने लंड बाहर निकाल कर पूरा माल उसके फेस और मम्मों पे डाल दिया. वो भी मस्ती से मेरे कम को अपने जिस्म पर महसूस करने लगी अपनी मम्मों पर वीर्य को फैला कर मलने लगी.
हम दोनों आराम से बेड पर लेट गए और एक दूसरे को देख कर बस हंस रहे थे. कुछ टाइम बाद हम दोनों की आग फिर से भड़क उठी और फिर से चुदाई शुरू की. इस बार मैंने उसको घोड़ी बनने को बोला, तो झट से वो बन गयी. हम दोनों ने फिर से ब्लू फिल्म स्टाइल में चुदम चुदाई शुरू कर दी.
दीदी की चूत चोद कर मैंने अपना काम पूरा किया. बाद में उसी ने मुझे बताया कि वो खुद भी मुझसे अपनी सील तुड़वाना चाहती थी.
मेरी रियल सेक्स स्टोरी आपको मस्त लगी?
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02-23-2021, 12:22 PM,
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RE: Bhai Bahan Sex Kahani भाई-बहन वाली कहानियाँ
बहन के साथ सुहागरात
ये बात करीब डेढ़ साल साल पहले की है, मेरी छोटी बहन, जिसका नाम मालिनी है, उसने अपनी बारहवीं पास की, उस वक्त उसकी उम्र 18 साल से ऊपर थी. उसका रिजल्ट बहुत अच्छा नहीं आया था, तो उसे किसी अच्छे कॉलेज में दाखिला नहीं मिला. इस बात को लेकर मालिनी ने मुझे फ़ोन किया और मुझसे सुझाव लेने लगी कि उसे क्या करना चाहिए.
मैंने उससे कहा- तुम जे बी टी कर सकती हो, मैं आसानी से भोपाल में तुम्हारा दाखिला करवा दूंगा.
मेरी बात सुनकर मालिनी बहुत खुश हुई और भोपाल आने की तैयारी करने लगी. मैंने भी पिछले 2 साल से अपनी बहन को सिर्फ तस्वीरों में देखा था. मैंने अपने माता-पिता को समझा दिया और उन्हें मना लिया.
दाखिले एक महीने बाद से शुरू होने थे लेकिन मालिनी ने तुरंत आने की जिद की, जिसे मैंने मान लिया. अगले शनिवार को मालिनी को आना था. मैंने अपने मकान मालिक को मालिनी के बारे में कुछ नहीं बताया, मैंने सोचा जब मालिनी आ जाएगी तब बता दूंगा, वर्ना वो मकान किराए को लेकर ड्रामा करेंगे. तय वक्त के मुताबिक़ मालिनी शनिवार की सुबह आने के लिए ट्रेन में शुक्रवार बैठ गयी.
शनिवार की सुबह मैं भी नहाकर स्टेशन पर पहुंच गया और मालिनी का इन्तजार करने लगा. आठ बजे ट्रेन पहुंच गयी, चूँकि मैंने पिछले 2 सालों से मालिनी को सिर्फ तस्वीरों में देखा था, इसलिए मैं भी काफी उत्साहित था. जैसे ही मालिनी ट्रेन से उतरी, मैं उसे देखता ही रह गया. करीब 5 फुट 5 इंच की लम्बाई और 34सी के चूचों के साथ मालिनी 23-24 साल की लड़की लग रही थी. मालिनी ने उस वक्त टी-शर्ट और लोअर डाला हुआ था. उसको देखते ही मेरा लौड़ा खड़ा हो गया और मेरे दिमाग में शैतानी आने लगी.
मैंने मालिनी को अपनी कार में बैठाया और अपने घर की तरफ चलने लगा. मैंने मालिनी से कहा कि मेरा मकान मालिक बहुत सख्त है और वो किसी और को मेरे घर में रहने की परमिशन नहीं देगा. इससे बचने के लिए मैंने उसे बोल दिया कि मेरी पत्नी आ रही है.
इस पर मालिनी हैरान हो गयी और बोली- मैं आपकी बहन हूँ.
मैंने मजबूरी का हवाला दिया और कहा कि जल्दी ही मैं नया कमरा देख लूँगा.
तब जाकर मालिनी खामोश हुई, लेकिन पूरे रास्ते वो मन ही मन हंस रही थी. मैंने भी सोचा चलो पहली परेशानी तो दूर हुई. रास्ते में मैंने कार एक पेट्रोल पंप पर रोकी और अपने मकान मालिक की बीवी, राखी आंटी को फ़ोन करके कहा कि मेरी पत्नी आ रही है.
आंटी ने हैरानी जताई और बोलीं- तुमने कभी बताया नहीं कि तुम्हारी शादी हो चुकी है.
मैंने बस हंस कर कह दिया- आपने कभी पूछा ही नहीं.
वो बोलीं- चलो अच्छा है कि अब वो तुम्हारा घर संभाल लेगी.
कुछ ही देर में हम घर पहुंच गए, जैसे ही हम घर में घुसने लगे, पीछे से आवाज आई तो देखा कि मकान मालकिन हाथ में चावल से भरा लोटा लेकर खड़ी थीं. ये सब देखकर मालिनी हंसने लगी.
मैंने मालिनी से कहा- किसी की भावनाओं का मजाक नहीं उड़ाते.
मालिनी ने अपने सीधे पांव से लोटे को गिराया और अन्दर घुसी.
राखी आंटी ने कहा- बेटी, अब तुम्हारी शादी हो चुकी और तुम्हें अपने पति से आशीर्वाद लेना चाहिए.
मालिनी के पास कोई आप्शन नहीं था, वो मेरे पास आई और एक पत्नी की तरह मेरे पांव छुए.
आंटी ने कहा- बेटी अब तुम आ गयी हो, तो ये रुचित भी संभल जाएगा और सिगरेट और शराब की आदत छोड़ देगा.
यह कहने के बाद आंटी चली गईं.
इतने ड्रामे से मालिनी परेशान नहीं हुई बल्कि हंसने लगी. मैंने भी सोचा चलो दूसरा काम भी हो गया और सब कुछ प्लान के मुताबिक़ चल रहा है और अच्छा ही हुआ कि आंटी ने मेरे सिगरेट और शराब की बात बोल दी.
मैंने गेट बंद किया और अपनी जेब से एक सिगरेट निकाली और कश लेने लगा. मालिनी मेरी तरफ अजीब से भाव से देख रही थी जैसे कह रही हो कि वो भी सिगरेट के कश लेना चाहती है, मगर शायद उसकी हिम्मत नहीं हुई.
दोपहर को आंटी खाना लेकर आ गईं, उस वक्त हम दोनों सो रहे थे. मालिनी ने उठ कर दरवाजा खोला, उस वक्त उसके बाल फैले हुए थे. मालिनी को ऐसे देखकर आंटी हंसने लगीं.
मैंने आंटी से पूछा- क्या हुआ?
तो आंटी जी बोलीं- लगता है आते ही पहला राउंड ले लिया तुमने मालिनी के साथ, कम से कम आज तो आराम करने देते.
ये सुनकर मालिनी शरमा गयी और खाना लेकर रसोई में चली गयी. आंटी वहीं खड़ी रहीं और बोलीं- कल एक व्रत है, जिसे सुहागन औरतें अपने पति के लिए रखती हैं और अब चूँकि मालिनी भी यहीं है, तो उसे भी रखना है.
मैं वहीं से मालिनी को देख रहा था, उसे व्रत के नाम से चिढ़ है.
मैंने आंटी जी को बोल दिया कि मालिनी जरूर रखेगी. आंटी जी के हाथ में एक पोलीथिन थी, उसमें से उन्होंने एक साड़ी निकाली और बोलीं कि ये मालिनी के लिए है. ब्लाउज आदि वो अपने हिसाब से काट-छांट कर लेगी और पहन लेगी.
आंटी के जाने के बाद मालिनी गुस्से में मेरे पास आई और बोली कि ये बहुत दखल दे रही है, ऐसे तो मुझे सच में तुम्हारी पत्नी बनकर रहना होगा.
मैंने उससे कहा कि कुछ दिन संभाल लो, मैं दूसरा कमरा देख लूँगा.
इस पर मालिनी मान गयी क्योंकि वो वापिस दिल्ली नहीं जा सकती थी. वहां उसे इतनी आजादी भी नहीं थी.
अगले दिन आंटी जी सुबह ही आ गईं, उन्होंने दरवाजा बजाया, जिससे मेरी आंख खुल गयी. मैंने देखा कि मालिनी अपने कमरे में नहीं थी, मैंने दरवाजा खोला. इतने में मालिनी रसोई में से निकलकर आई. उसने आंटी की दी हुई साड़ी पहन रखी थी और उसमें वो क़यामत लग रही थी.
मालिनी मेरे पास आकर खड़ी हो गयी, मालिनी को देखकर आंटी बोलीं- लगता है पूरी रात बहुत मजा दिया है, बहू को अपने वश में कर लिया है.
मैंने भी सोचा मौका है, मैंने मालिनी को बांहों में लिया और कहा- मालिनी तो मेरी जान है.
आंटी ने मेरे गालों पर एक हल्का थप्पड़ मारा और मुझे अलग किया.
आंटी बोलीं- तुम दोनों बहुत शैतान हो.
इसके 2 घंटे बाद मालिनी पूजा करके आ गयी और आते ही एक अच्छी पत्नी की तरह उसने मेरे पैर छुए.
मैंने कहा- तुम बहुत सुन्दर लग रही हो, काश सच में तुम मेरी पत्नी होती, तो मैं तुम्हें रानी बना कर रखता.
मालिनी खुल कर बोली- भोपाल में तो मैं तुम्हारी पत्नी ही हूँ, अब जब तक हम भोपाल में हैं. पति-पत्नी की तरह रहेंगे और मैं भी तुम्हें पसंद करती हूँ.
मैंने हैरानी से कहा- क्या … तुम्हें कोई ऐतराज नहीं है?
मालिनी बोली- ऐतराज होता तो मैं पहले ही नहीं आती क्योंकि मैंने तुम्हारी और आंटी की बातें सुन ली थी. जब तुम आंटी से फ़ोन पर बातें कर रहे थे.
मैंने मालिनी को बांहों में भरा और उसके होंठों पर एक जोरदार चुम्बन दिया. मैंने मालिनी को गोद में उठाया और अपने बिस्तर पर कर दिया.
क्योंकि उसने लाल साड़ी पहन रखी थी तो मैंने कहा- आज हमारी सुहागरात है और आज से मेरी हर चीज पर तुम्हारा हक है.
मैंने हल्के से उसकी साड़ी उतारी. अब मालिनी खुद को मेरी पत्नी मान चुकी थी, तो वो मेरा पूरा साथ दे रही थी. मैंने भी अपनी टी-शर्ट और पजामा उतारा और फिर अपना अंडरवियर उतार कर अपना लौड़ा मालिनी के सामने कर दिया.
मेरा 7 इन्च लम्बा और 3.5 इंच लौड़ा देखकर मालिनी सहम गयी. फिर हंसते हुए बोली- अब से इस फौलादी लौड़े पर मेरा हक है.
मैंने कहा- हां जानेमन, अब से ये लौड़ा तुम्हारी चूत की गुलामी के लिए हमेशा तैयार रहेगा.
फिर मैंने मालिनी का ब्लाउज उसके बदन से अलग किया और उसने लाल ही कलर की ब्रा पहन रखी थी, मैं समझ गया कि मालिनी ने पहले से ही सब प्लान कर रखा है. मैं ब्रा के ऊपर से ही उसके दूध पीने लगा, मालिनी मेरे लौड़े से खेलने लगी. मेरे लौड़े को ऊपर नीचे घुमाने लगी. मैंने इतने में उसका पेटीकोट भी अलग कर दिया और उसको ब्रा-पेंटी में कर दिया. मैंने उसको पकड़ा और उसकी पेंटी भी उतार दी और उसकी चूत को चाटने लगा.
चूत पर मेरी जीभ पाते ही मालिनी सिहर गयी. शायद थोड़ी देर पहले ही उसने मूता था, उसकी पेशाब की गंध अभी तक थी, लेकिन मैंने चाटकर उसकी चूत को गीला किया.
मेरी बहन अब पूरी तरह गर्म हो चुकी थी, उसने लपक कर मेरा लौड़ा पकड़ लिया और उसे चाटने लगी. वो एक अनुभवी औरत की तरह सब कर रही थी. मैं भी अपनी छोटी बहन की चूत चाट रहा था. हम दोनों 6-9 की पोजीशन बनाये हुए थे और एक दूसरे को चाट रहे थे.
करीब 10 मिनट एक-दूसरे को चाटने के बाद मेरी बहन मेरा लौड़ा चूत में लेने को तैयार थी, मैंने मालिनी को लिटाया और उसकी गांड के नीचे एक तकिया रख दिया. फिर उसकी चूत के दरवाजे पर अपना लौड़ा सैट किया और एक हल्का झटका दिया.
मालिनी के मुँह से एक हल्की सी आवाज निकली, तब मुझे लगा कि मालिनी लौड़ा सहन कर लेगी, इसलिए मैंने एक तेज झटका मारा और अपना आधे से ज्यादा लौड़ा उसकी चूत में पेल दिया.
मालिनी के मुँह से एक तेज चीख निकल गयी, वो चिल्लाने लगी और साथ में गालियां बकने लगी- बहनचोद, अपनी बहन पर रहम कर, उम्म्ह… अहह… हय… याह… इतना मोटा लौड़ा मेरी चूत में पेल दिया. पहले दिन तो रहम करता, अब तो अगले 2 साल तक मैं तेरी रंडी हूँ, जब मन करे तब चोद दियो, आज तो छोड़ दे. इतना दर्द तो तब भी नहीं हुआ था, जब बड़े भैया ने मुझे चोदा था.
यह सुनकर मैं समझ गया कि मेरे बड़े भैया मोहित पहले ही मालिनी को चोद चुके हैं. मालिनी शायद दर्द के मारे बोल गयी. इसके बाद मेरे मन में बची-खुची शर्म भी चली गयी. मैंने सोचा जब पहले ही मोहित भैया चोद चुके हैं, तो मैं क्यों पीछे रहूँ.
मैंने अपने झटके चालू रखे और करीब बीस मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों अलग हुए.
इस तरह हम भाई बहन ने सुहागरात मनायी. इस चुदाई के बाद मालिनी और मैं अब पूरी तरह खुल चुके थे.
आपको भाई बहन की सुहागरात की कहानी कैसी लगी, उसके लिए कमेंट्स कीजिये.
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02-23-2021, 12:22 PM,
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ताउजी की चुदासी बिटिया
मेरे ताऊ की लड़की का नाम निहारिका (बदला हुआ) था।
उसकी लंबाई सामान्य लड़कियों से कुछ अधिक थी।
बूब्स का आकार ऐसा था मानो वो तीन बच्चों की माँ हो। कहने का अर्थ है कि उसके चूचे बहुत ही ज्यादा बड़े थे. उसकी गांड का तो कहना ही क्या! इतनी सम्मोहित करने वाली गांड थी कि अगर कोई छक्का भी देख ले तो उसका भी औजार तनकर नब्बे डिग्री के एंगल पर खड़ा हो जाये।
दिखने में भले ही वो कटरीना कैफ न हो परंतु सेक्सी इतनी थी कि उसे देखते ही उसकी गांड में अपना लंड डालने का मन हो उठे। वैसे मेरा और निहारिका के बीच सेक्स बहुत छोटी ही उम्र से चलता आ रहा था। मगर यह शरीर तक नहीं पहुंचा था.
अभी तक वह नजरों से ही मेरे बदन की प्यासी दिखाई पड़ती थी. चूंकि मैं उससे काफी छोटा था और वह मुझसे उम्र में सात साल बड़ी थी, वह बचपन से ही मुझ पर नजर रखे हुए थी. उस वक्त तो मैं छोटा था और इन सब बातों के बारे में ज्यादा कुछ जानता नहीं था.
मगर जब मैं 18 साल को पार कर गया तो मुझे बचपन की वो सारी बातें समझ में आने लगीं कि वह मुझसे क्या चाहती थी. मगर जवानी से पहले उसने कभी मेरे साथ कुछ गलत हरकत करने की कोशिश नहीं की थी. वह भी शायद मेरे जवान होने का इंतजार कर रही थी. जवान हुआ तो उसने अपना हवस भरा खेल मेरे साथ शुरू कर दिया. वो मुझे अपने साथ बैठाकर कभी मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसती तो कभी मेरे मुँह को चूमती।
कभी दीदी अपने बूब्स को चुसवाती तो कभी अपनी चूत को मेरी उंगलियों से सहलाती। बिल्कुल सत्य कहूँ तो मित्रों मुझे बड़ा आनंद मिलता था इस सब क्रियाओं में उसके साथ। एक रात जब घर में कोई न था तब उसने अचानक मुझे अपने आगोश में ले लिया और मुझे उठाकर एक अंधेरी सी जगह पर ले गयी। मैं डरने का झूठा नाटक कर रहा था परंतु अंदर ही अंदर मैं बहुत प्रसन्न था। अंधेरे में ले जाकर उसने अचानक कुछ ऐसा किया जो उसने पहले कभी नहीं किया था।
पहले तो उसने मेरा लंड अपने हाथों से पकड़ा और जोर-जोर से हिलाने लगी फिर दीदी ने मेरा लंड अपने मुँह से छुआ। जिससे मेरे अंदर सरसरी सी दौड़ गयी। ऐसा अहसास मुझे पहले कभी नहीं हुआ था। मेरा लंड तन कर तकरीबन 6 इंच का हो गया। मेरे लंड को तना हुआ देखकर वो बहुत खुश हो गयी। फिर उसने जो किया मैं शायद कभी अपनी ज़िंदगी में न भूल पाऊंगा।
उसने अपनी गांड मेरी ओर की और मुझसे कहा- इसके अंदर अपना लंड डाल!
मैं थोड़ी देर तो सकपकाया सा रह गया। फिर उसने थोड़ा और जोर दिया तो मैंने अपने लंड को उसकी गांड में घुसाने का प्रयत्न करना शुरू कर दिया। पहले तो मुझे थोड़ी मुश्किल हुई पर उसके द्वारा मेरे लंड को चूसे जाने से मेरा लंड काफी चिकना हो गया और सीधा दीदी की गांड में 3 इंच अंदर तक पूरा चला गया। उसकी जोर से चीख निकली पर फिर उसने अपनी आवाज़ दबा ली।
मैं बाकी के लेखकों की तरह झूठ नहीं बोलूंगा. उस उम्र में तजुर्बा ना होने की वजह से मेरा लंड घुसते ही सम्पूर्णतः आनंदमय होकर पुनः छोटा हो गया। आप समझ सकते हैं कि पहली बार नारी के बदन का भेदन करने पर भला कौन होगा जो खुद पर इतना कंट्रोल रख पाए. इसलिए मैं तो 2 मिनट भी नहीं टिक सका. मगर निहारिका का मन अभी नहीं भरा था वो अपनी गांड को बहुत जोर-जोर से पीछे करके मेरे लंड को अंदर लेने लगी।
इतनी जोर से कि मुझे शीघ्र ही दर्द होने लगा।
थोड़ी देर बाद वो रुकी और दीदी ने मेरे लंड को पुनः चूसा और मुझे गाल पर किस देकर मुझे मेरे घर छोड़ आयी। उस दिन मुझे जो अनुभव मिला वो मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं आया। मेरे मन में आया कि अब मुझे निहारिका से दूर रहना चाहिए और पढ़ाई पर ध्यान लगाना चाहिए इसलिए मैंने तब से लेकर दो साल बाद तक उससे दूरी बनाये रखी।
किंतु जब मैं कॉलेज में पहुंचा तो मेरे अंदर सेक्स के प्रति अनुराग फिर से जाग गया। मुझे फिर से निहारिका की याद आयी। अब मेरा मन किया कि क्यों न अब मुझे अपनी जवानी में उसे थोड़ा दर्द देने का मौका मिले? मैंने यह निश्चित किया कि अब मैं उससे अधिक से अधिक बात करने का प्रयत्न करूंगा. साथ ही साथ उसे सम्मोहित करने की भी कोशिश करूंगा। मैं कोई न कोई बहाना लेकर उसके पास जाने लगा।
वो भी ऐसा नाटक करने लगी थी जैसे इससे पहले हमारे बीच में कुछ हुआ ही न हो। बड़े ही सामान्य तरीके से मुझसे बातें करने लगी थी वो। पर मुझे उसकी आँखों में दिखता था कि वो अभी भी कुछ नहीं भूली और उसके अंदर संभोग करने की कितनी प्यास थी। मैं भी उसके साथ थोड़े बहुत मज़े लेने लगा। जैसे कभी उसकी गांड को छूकर अचानक से गुजर जाना, कभी उसके बूब्स को अचानक अकस्मात छू लेना इत्यादि। कुछ दिनों तक ऐसा ही चलता रहा.
फिर आया दिसंबर … उस साल सर्दियां थोड़ी कम पड़ रही थीं। एक रात को मैंने उसे उसकी छत पर टहलते- टहलते हमारे चाचा की लड़की के साथ अंताक्षरी खेलते हुए पाया।
मेरे अंदर से आवाज़ आयी कि आज तेरा दिन है कि तू भी कुछ करके दिखा। संयोग से उस दिन बिजली भी पूरे जिले में ही नहीं थी। ऐसा बढ़िया मौका शायद ही दोबारा मिलता। मैं भी उसकी छत पर अंताक्षरी खेलने के बहाने चला आया। मेरी अच्छी छवि के कारण उन्होंने शीघ्र ही मुझे भी उनके साथ खेलने की स्वीकृति दे दी। हम तीनों छत पर टहलते-टहलते खेलने लगे।
वो बीच में थी और मैं और उसकी चचेरी बहन दायीं और बायीं ओर थे।
अंधेरा बहुत अधिक था इसलिये कोई भी एक दूसरे को आसानी से नहीं देख सकता था। मुझे बहुत अच्छा मौका मिल गया। मैं धीरे-धीरे उसके बूब्स और गांड पर हाथ फेरने लगा। शायद उसे भी आनंद आ रहा था इसलिए उसने कुछ नहीं कहा. वरना चाहती तो वो अपनी चचेरी बहन से कहकर बहुत बड़ा हंगामा खड़ा करवा सकती थी।
मुझे भी अब ग्रीन सिग्नल मिल गया था. मैं भी अब जोर-जोर से रगड़ने लगा। फिर कुछ समय बाद अचानक निहारिका के बाकी भाई बहन भी ऊपर छत पर आ गए और मेरा प्लान बर्बाद होता दिखने लगा. परंतु मैं उस दिन हार मानने के मूड में नहीं था। अब हम सभी लोग फिर से अंताक्षरी खेलने लगे। मैं निहारिका और एक दो और लोग, हम सब एक टीम में और बाकी सब दूसरी टीम में अंताक्षरी खेलने लगे। मैं और मेरी टीम के बाकी सदस्य निहारिका के पीछे जाकर खड़े हो गए। मैं उसके बिल्कुल पीछे जाकर खड़ा हो गया।
अंधेरा अभी भी बहुत अधिक था।
कोई भी एक दूसरे को अच्छे से नहीं देख पा रहा था। मेरा लंड अब बिल्कुल खड़ा हो चुका था। मेरे लंड की लंबाई भी तकरीबन सात इंच के लगभग हो गयी थी। तब मुझे एक तरकीब सूझी कि क्यों न लंड को पैंट के अंदर ही रख कर थोड़े मज़े लिए जाएं? मैं पैंट के अंदर से ही उसे अपने लंड से धक्के देने लगा।
पहले तो उसे थोड़ा अजीब लगा परंतु बाद में वो सामान्य होकर धक्के सहन करने लगी। ऐसा ही तकरीबन 15 मिनट तक चला और मैं झड़ गया। मेरी जवानी का वीर्य मेरी पैंट के अंदर ही रह गया और किसी को बिल्कुल भी खबर नहीं हुई। किंतु दो साल पहले हवस का जो भूत निहारिका के दिमाग पर सवार था वही भूत आज मेरे दिमाग में भरा हुआ था.
अभी मैं संतुष्ट नहीं हुआ था. थोड़ी ही देर में मेरा औजार फिर से खड़ा हो गया। अब अंताक्षरी खेलते-खेलते भी बहुत समय हो गया था. सभी लोग जाने लगे। अब सभी लोग छत से जा चुके थे और मैं, निहारिका और उसके दो भाई-बहन छत पर थे। हम लोग वैसे ही कुछ देर तक बात करने लगे. मैं भी निहारिका को उसके बदन पर कभी यहाँ तो कभी वहाँ छू-छूकर गर्म करने की कोशिश करने लगा। वो अब बहुत गर्म हो चुकी थी.
उसकी साँसों से मैं बता सकता था कि वो बहुत ही ज्यादा गर्म हो चुकी है।
थोड़ी ही देर में वो नीचे जाने के लिए उठी। मैं भी उसको उठता देखकर उसके पीछे जाने लगा। अभी भी बिजली नहीं आयी थी और नीचे जाने वाली सीढ़ियों पर बहुत अंधेरा था। वह सीढ़ियों से नीचे उतरने लगी. मैं भी उससे एक-एक सीढ़ी पीछे उतरने लगा। अंतिम सीढ़ी पर जाकर वो रुकी और मेरी ओर मुड़ गयी। मेरा दिल जोर से धड़कने लगा।
निचली सीढ़ियों पर खड़े हुए मेरा दिल धक-धक कर रहा था.
घबराहट पकड़े जाने की नहीं बल्कि हवस को पूरा करने की थी. हवस जब नई-नई जागना शुरू होती है इस तरह की घबराहट अक्सर महसूस होती है जैसी मुझे उस वक्त हो रही थी.
निहारिका नीचे वाली सीढ़ी पर खड़ी हुई थी और मैं इस इंतजार में था कि अब अगले पल में क्या होने वाला है. दो पल तक उसका इंतजार करने के बाद मैं उसको पीछे से पकड़ने के लिए अपने हाथ आगे बढ़ाने ही वाला था कि निहारिका ने मेरी पैंट के ऊपर से मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया.
मेरा काम बन गया था. जो आग मेरे अंदर जल रही थी उसी आग में निहारिका भी तप रही थी. उसने मेरे लंड को खड़ा होने के बाद अपने हाथों में भरने की कोशिश की मगर पैंट बीच में आ रही थी. वह मेरे लंड को पकड़ कर उसकी पूरी फील लेने का मजा ले रही थी. उसके हाथ में जाकर मेरा लंड भी आनंद में गोते लगाने लगा था.
इससे पहले भी दीदी ने मेरे लंड को अपने हाथ में लिया था मगर आज की बात ही कुछ निराली थी. एक तो सीढ़ियों पर अंधेरा था. ऐसे में सेक्स का खुमार घरवालों के डर पर हावी हो जाता है. हम दोनों भी बिना किसी की परवाह किये एक दूसरे में खो जाने को बेताब थे.
मैंने निहारिका की चूचियों को पकड़ कर उनको जोर से दबाना शुरू कर दिया. वह नीचे से मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर बार-बार दबाकर उसको नाप रही थी. मेरा लंड फटने वाला था. जब मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ तो मैंने अपना हाथ अपनी चेन की तरफ बढ़ाया मगर निहारिका ने इससे पहले ही मेरे हाथ को रोक लिया.
निहारिका मेरे चूतड़ों को अपने दोनों से पकड़ लिया. वह थोड़ी नीचे की तरफ झुकी और उसने मेरी पैंट में तने हुए मेरे लंड पर अपने होंठों को रगड़ना शुरू कर दिया. आनंद के मारे मेरी आंखें बंद हो गईं. मैंने उसके सिर को पकड़ कर उसके होंठों को अच्छे तरीके से अपने लंड पर रगड़वाना चालू कर दिया.
मम्मी कसम … वह पल जब याद करता हूँ तो आज भी लंड सलामी देने लगता है. निहारिका मेरे लंड को बार-बार पैंट के ऊपर से ही चूम रही थी. वह मुझमें पूरा जोश भर देना चाहती थी. मैंने उसकी चूचियों के अंदर हाथ डाल दिया था और उनको जोर-जोर से भींचना शुरू कर दिया था.
हम दोनों को यह भी ध्यान नहीं रहा कि हम सीढ़ियों में खड़े होकर यह सब कर रहे हैं. सारा होश हवस के नशे रफू चक्कर हो गया था. मेरा मन तो कर रहा था कि अभी लंड बस निहारिका के मुंह में चला जाए. मगर पता नहीं वह मुझे क्यों तड़पाने में लगी हुई थी.
कुछ देर तक मेरे लंड को अपने होंठों से सहलाने के बाद निहारिका ने आगे कदम बढ़ाया.
अचानक से उसने मेरी पैंट को खोला और मेरे अंडरवियर में से मेरा लंड निकाल कर अपने हाथ से हिलाने लगी। फिर अचानक से उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया। उसकी छुअन बहुत ही सुंदर प्रतीत हुई और मुझे अपार आनंद देने लगी। उसने मेरे लंड को मुंह में लेकर वहीं पर चूसना शुरू कर दिया.
मुझे इतना आनंद आ रहा था कि मैंने अपने चूतड़ों को आगे की तरफ धकेलते हुए उसके मुंह को चोदना शुरू कर दिया था, ऐसा लगा कि मैं सीधा झड़ ही जाऊंगा। दीदी मेरे लंड को मुंह में लेकर इतने प्यार से चूस रही थी जैसे उसके होंठ लंड को प्यार देने के लिए बनाए हैं ईश्वर ने. मेरी हालत वहीं पर खराब होना शुरू हो गई थी. स्थिति मेरे नियंत्रण के बाहर होती जा रही थी. मन कर रहा था अभी उसको दीवार के सहारे लगाकर बुरी तरह से चोद दूँ. मगर सीढ़ियों पर चुदाई करने में काफी रिस्क था.
मेरी पैंट सरकते हुए नीचे मेरे टखनों में जाकर बैठ गई थी. मेरा अंडरवियर मेरे घुटनों तक पहुंच चुका था. निहारिका कभी मेरे लंड को चूसने लगती तो कभी उसको हाथ में लेकर मुट्ठ मारने लगती. उफ्फ … मैं तो बेकाबू हो रहा था उसकी हरकतों के कारण. फिर उसके बाद उसने जो किया वह तो आनंद की परम सीमा थी. उसने मेरी गांड को अच्छे तरीके से अपने हाथों में पकड़ लिया. उसके दोनों हाथ मेरे एक-एक चूतड़ पर पीछे की तरफ आकर सेट हो गये थे. उसकी उंगलियां मेरी गांड की दरार तक पहुंच गई थीं.
निहारिका ने मेरी गांड पर अपनी उंगलियों की पकड़ को टाइट किया और मेरे खड़े लंड के टोपे को ऊपर से चूसते मेरे पूरे डंडे पर अपनी जीभ को फिराते हुए नीचे तक अपनी जीभ से मेरे लंड को गीला करने लगी. उसके बाद उसने अगले ही पल मेरे अंडकोषों को अपने होंठों में भर लिया और उसकी नाक मेरे लंड की जड़ में आकर धंस गई. वह अपनी जीभ से मेरे अंडकोषों को मुंह के अंदर ही पपोलने लगी.
उसकी इस हरकत ने मेरे सब्र की सारी सीमाओं को पार कर दिया. बस अब मैं और बर्दाश्त नहीं कर सकता था. मैंने तुरंत उसके अपने लंड के नीचे से हटा दिया. अगर दो-तीन सेकेण्ड भी वह ऐसा और कर देती तो मेरा वीर्य उसके सिर के बालों को नहला देता.
मैंने उसको अपने हाथों से पीछे हटा दिया और अपने अंडरवियर को ऊपर कर लिया. मैंने लंड को ढक लिया और फिर पैंट को भी ऊपर कर लिया. धीरे से निहारिका के कान के पास अपने होंठों को ले गया और मैंने उससे पलंग पर चलने को कहा.
उसने कहा- वहां घरवालों के आने का डर है।
अचानक से फिर से निहारिका ने मेरी पैंट को खोल दिया और जोर-जोर से मेरा लंड चूसने लगी।
मुझे तो स्वर्ग की अनुभूति सी होने लगी। मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ. यह नहीं रुकने वाली आज. फिर वो अचानक रुकी और खड़ी हो गयी।
मैंने थोड़ी देर उसकी कुर्ती में से उसके तने हुए बूब्स को दबाया फिर मैं उसके बूब्स को बाहर निकालकर चूसने लगा। मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। आज भी मुझे उस घटना का एक-एक पल याद है। फिर दीदी ने अपनी पैंटी को उतारा और मुझसे अपना लंड उसकी चूत में घुसाने को कहा।
मैंने अचानक से घुसाया तो उसे बहुत जोर का दर्द हुआ. वो थोड़ा सा चीख पड़ी. फिर मैं धीरे-धीरे उसे किस करते-करते धक्के लगाने लगा। उसे भी मज़ा आने लगा. वो भी खड़े-खड़े ही अपने आप को आगे की ओर करने लगी। थोड़ी देर बाद मैं उसके अंदर ही झड़ गया।
पहली बार उसकी चूत में मेरा वीर्य जब झड़ा तो उसका आनंद कभी नहीं भूल सकता मैं. मैंने उसको किस करके बाय कहा और मैं अपने घर वापस आ गया।
अब उसकी एक दुबले से व्यक्ति से शादी हो चुकी है. मैंने उसके पति को देखा है. उसकी सेहत देख कर तो लगता है कि वह उसको शायद ही खुश कर पाता होगा. काम वासना की जितनी आग निहारिका के अंदर मैंने देखी है उसके लिए तो उसको एक रति-क्रिया में माहिर मर्द चाहिए जो उसकी योनि की अग्नि में अपने वीर्य की बरसात कर सके.
मैं अभी भी निहारिका की तरफ आकर्षित होता रहता हूँ. मुझे अभी भी लगता है कि वो भी मेरे साथ किये गए सेक्स के बारे में रोज़ सोचती होगी। अभी भी जब वो मायके वापस आती है तो मैं उसे चोदने की कोशिश में लगा रहता हूँ पर अभी तक सही मौका नहीं बन पाया है।
मैं पूरी कोशिश में हूँ कि जैसे ही निहारिका दीदी के साथ चुदाई का सीन बनेगा मैं आप सबको जरूर बताऊंगा. शादी के बाद लड़कियों की सोच और शरीर में काफी परिवर्तन हो जाता है. मैं यह देखने के लिए हमेशा उतावला रहता हूँ कि निहारिका की सोच में कुछ परिवर्तन आया या नहीं. साथ ही साथ मुझे इस बात की भी जिज्ञासा है कि निहारिका के शरीर में क्या-क्या बदलाव आए हैं. यह सब तो तभी पता लग पाएगा जब उसको फिर से चोदने का मौका मिलेगा और मैं आज तक उसी मौके की तलाश में हूँ.
मेरी यह सच्ची कहानी आपको कैसी लगी,
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02-23-2021, 12:22 PM,
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desiaks
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RE: Bhai Bahan Sex Kahani भाई-बहन वाली कहानियाँ
बहन का कुँवारापन
मेरी फैमिली में मम्मी-डैडी और मेरी एक बहन है. मेरी मम्मी एक हाउस वाइफ हैं और पापा का अपना रिटेल का बिजनेस है. मेरी बहन मुझसे दो साल छोटी है.. लेकिन हम दोनों एक ही कॉलेज में अपनी पढ़ाई कर रहे हैं.
मेरे घर में सभी काफी हंसमुख स्वभाव के हैं ख़ास तौर पर मेरे डैडी और मेरी बहन बहुत ही हंसमुख हैं.
जिस तरह से मैं और मेरी बहन दोनों एक ही कॉलेज में हैं.. तो वो ज़्यादा मॉडर्न बनकर पेश नहीं आती है. मेरे डैडी एकदम जॅकी श्रॉफ से दिखते हैं. कॉलेज में भी अक्सर मेरी फ्रेंड्स कहते हैं कि मेरे डैडी की काफ़ी अच्छी पर्सनॅलिटी है.
यह कहानी पूरी तरह से मेरे और मेरी बहन रीमा के साथ जुड़ी है.
वो रोज मेरे साथ मेरी बाइक पर कॉलेज जाती है.. लेकिन आने के टाइम वो अपनी फ्रेंड्स के साथ आ जाती है. वो ये भी समझती है कि मुझे भी कॉलेज में लड़कियों के साथ घूमना पसंद है.
कॉलेज में मेरी इमेज एक प्लेबाय से कम नहीं है.. लेकिन कभी सेक्स का एक्सपीरियेन्स नहीं ले पाया.. क्योंकि दिल्ली में जगह अरेंज करना इतना ईज़ी नहीं है.
मैं अभी फाइनल इयर में था और मेरी बहन अभी फर्स्ट इयर में है.
उसे ट्रेडीशनल कपड़े ही पहनना ही पसंद हैं इसलिए वो सलवार सूट वगैरह पहन कर ही कॉलेज आती है. कभी-कभी मम्मी के कहने पर स्कर्ट भी पहन लेती है. मेरी कुछ खास फ्रेंड्स हैं जो अक्सर कहती हैं कि स्वप्निल अगर रीमा चाहे तो तुझसे हॉट दिख सकती है.
अक्सर मैं जब उसे बाइक पर कॉलेज के गेट पर ड्रॉप करता था.. तो उसके जाने के बाद मेरी फ्रेंड्स अक्सर कहती थीं ‘शुक्र है.. रीमा का भाई यहाँ पर है.. नहीं तो वो कॉलेज में एक हॉट बॉम्ब के नाम से जानी जाती..’
ये सब सुनकर मुझे अजीब लगता था कि मेरी वजह से मेरी बहन खुद को कुछ दबाव में महसूस कर रही है.
मैं उन लड़कियों से अक्सर पूछता कि आख़िर क्यों रीमा तुम्हें हॉट लगती है.. तो वो सब अक्सर कहतीं कि एक भाई की नज़र से मत देख.. और फिर देख.. ‘लुक एट हर बूब्स.. जैसे अन्दर कोई आयरन बॉल लगी हो.’
‘लुक एट हर बैक.. पता नहीं कितने जवान दिलों की धड़कन होगी ये..’
ये सब सुनकर मैं भी अपनी बहन को गौर से देखने लगा, यहाँ तक कि घर में भी मैं उसे गौर से देखता.
मेरी गर्ल-फ्रेंड अक्सर कहती- स्वप्निल मेरे साथ कहीं चलो न.. हम लोग सेक्स का मजा लेंगे..
तो मैं उसे अक्सर पूछता- क्या लड़कियों का भी माइंड सेक्स की तरफ घूमता रहता है?
तो वो कहती- हाँ.. लड़कों से ज़्यादा..
फिर वो मुझ पर कमेंट भी मारती- लेकिन मैं क्या करूँ.. मेरा बॉयफ़्रेंड तो कुछ करता ही नहीं है.
मैं हँस देता..
मैंने अपनी गर्ल-फ्रेंड को बताया- देख मेरी बहन को.. वो भी तो कॉलेज आती है लेकिन वो इस बारे में नहीं सोचती.
तो वो बोली- वो तुम्हारी बहन है.. तुम्हें थोड़ी ना बताएगी.. नहीं तो वो भी तरस रही होगी कि उसे कोई आकर मसल के रख दे.
मैं अपनी बहन से इतना फ्रैंक नहीं था लेकिन मैंने इन्हीं सब बातों को सोच कर धीरे-धीरे उसके साथ फ्रैंक होना शुरू कर दिया.
घर पर उसके सामने अपनी गर्ल-फ्रेंड्स से बात करना.. उसके कमरे में कभी-कभी स्मोकिंग कर लेना इत्यादि..
मैं उससे अक्सर पूछता भी रहता था- तुम्हें बुरा तो नहीं लगता.. तो वो अक्सर कहती- अरे ये सब तो आजकल लड़कों में नॉर्मल बातें हैं इनका क्या बुरा मानना.
धीरे-धीरे मैं उसके दिल का हाल जानने की कोशिश करने लगा और उसे मैंने बताया- मेरी गर्ल-फ्रेंड ये कहती है कि हर लड़की हॉट दिखना चाहती है.
तो रीमा ने कहा- हाँ.. ये बात सच है..
फिर मैंने कहा- तुम कॉलेज इतनी सिंपल बन कर क्यों जाती हो?
तो उसने कहा- लड़की हॉट दिखती है तो लड़के 100 बार कमेंट करते हैं और वो सब मेरे भाई को अच्छा नहीं लगेगा.
मैंने कहा- मुझे नहीं लगता कि रीमा तुम इतनी हॉट दिख पाओगी कि लड़के तुम पर कमेंट करेंगे.
वो बोली- चलो फिर आज शॉपिंग करने चलते हैं.. फिर कल कॉलेज में देखते हैं कि क्या होता है.
मैंने बाइक घर से निकाल ली और आज रीमा खुश थी. फिर हम शॉपिंग मॉल में पहुँचे.. जहाँ रीमा ने कहा- अच्छा तुमको लड़की कैसे हॉट लगती है?
मैंने कहा- ये बात मैं तुम्हें कैसे बताऊँ?
उसने कहा- भाई शर्माओ मत.. मुझे सब पता है कि तुम कैसे लड़कियों को आँखें खोल-खोल कर देखते हो.
तो मैंने भी उसे खुल कर बता दिया- लड़की का एक हॉट लुक हो.. जिसे देख कर दिल में ‘हॉट थॉट्स’ आएं.. चाहे वो सेक्स के ही क्यों ना हों.
रीमा बिल्कुल भी शर्मा नहीं रही थी और वो मेरी बातों को हंस कर सुन रही थी. फिर मैंने बताया- बूब्स की क्लीवेज अच्छा होना चाहिए और बूब्स थोड़े से तो उभरे हुए दिखने ही चाहिए. लड़की की चाल में एक बात होनी चाहिए.. हिप्स का चाल के साथ बैलेंस बनना चाहिए.. मतलब हिप्स का मटकना अच्छा होना चाहिए.
फिर उसने शॉपिंग मॉल में बहुत सारे फैशन टॉप्स और बॉटम ट्राई किए.. लेकिन मुझे ट्रायल रूम के बाहर निकल कर नहीं दिखाए. फाइनली उसने कुछ कपड़े खरीदे और हम घर आ गए.
रात में उसने कहा- भैया कल आप कॉलेज अकेले जाएँगे और मैं आपके बाद खुद आ जाऊँगी.
मैंने भी कहा- ठीक है..
अगले दिन मैं कॉलेज पहुँच गया.
कुछ देर बाद मेरी गर्लफ्रेण्ड आई और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे कॉलेज के गेट पर ले जाने लगी.
मैंने पूछा- क्या बात है?
लेकिन उसने नहीं बताया.
मैं कॉलेज के गेट पर पहुँचा और देख कर दंग रह गया कि मेरी बहन एक ‘सुपर हॉट बॉम्ब’ की तरह खड़े होकर अपनी फ्रेंड्स से बातें कर रही है और सब उसे ऐसे देख रहे हैं जैसे कोई ‘हॉट सेलेब्रिटी’ आ गई हो.
गहरे गले वाला टॉप और लो-वेस्ट स्लिम फिट जीन्स.. लाइट मेकअप और उसके लाइट पर्फ्यूम की खुश्बू चारों तरफ बिखर रही थी. उसके मम्मों का क्या बताऊँ कैसे लग रहे थे.. इससे पहले मुझे कभी अहसास नहीं हुआ कि उसके मम्मे इतने हार्ड होंगे.
उसने मुझे देखा.. एक स्वीट सी स्माइल दी और फिर अन्दर कॉलेज की तरफ जाने लगी.
सभी लड़कियों उसे इन्फीरियरटी कॉम्प्लेक्स के साथ देख रही थीं.
सच में वो सबसे अलग दिख रही थी. वो अन्दर ऐसे जा रही थी जैसे कोई रैम्प पर चल रहा हो.
उसके इस रूप से तो मैं दंग रह गया, वो आज़ आग का शोला दिख रही थी.
कोई लड़का कुछ बोल रहा.. तो कोई कुछ.. पहली बार मैंने फील किया कि अपनी बहन को देख कर मेरा लण्ड खड़ा होने लगा था. मैं चकित था कि ये कैसे हो गया.. एक सलवार-सूट में दिखने वाली सिंपल लड़की एक ‘सेक्स बॉम्ब’ कैसे बन गई है.
कॉलेज में वो दिन काफ़ी अजीब रहा.. शाम को रीमा ने कहा- भैया मैं अब आपके साथ ही जाऊँगी.
अगले दिन से वो फिर से मेरे साथ बाइक पर बैठ गई.. पहले अक्सर वो दोनों टाँगें एक साइड करके बैठती थी.. लेकिन उस दिन फिल्मी स्टाइल में वो दोनों तरफ अपनी टाँगें फैला कर बाइक पर बैठी.
उफ़फ्फ़.. उसके बैठने का तरीका.. मैं तो पागल ही हो गया..
मैं पूरे रास्ते भर उसके मम्मों को महसूस करता रहा.. वो भी काफ़ी चिपक कर बैठी हुई थी.
रास्ते में लड़के कमेंट भी कर रहे थे कि ‘क्या माल है..’ कोई कह रहा था कि ‘क्या कपल है!’
एक मेरा लण्ड भी बैठने का नाम नहीं ले रहा था.
किसी तरह से हम घर पहुँचे.. घर पर मम्मी नहीं थीं.. वो सब्जियाँ लेने के लिए गई थीं.
हम दोनों घर के अन्दर गए.. मैं सोफे पर शांत जाकर बैठ गया.
थोड़ी देर बाद मेरी बहन मुझे पानी देने के लिए आई, उसने जीन्स चेंज कर ली थी और एक शॉर्ट पहन कर आई थी.. जिसमें उसकी जाँघों ने मुझे और भड़का दिया.
पानी देते समय उसने एक स्माइल दी और कहा- लो, ठंडा पानी पी लो..
मैं खुद को रिलेक्स करने के लिए स्मोकिंग करने लगा. अपनी बहन का वो रूप बार-बार मुझे पागल कर रहा था.
थोड़ी देर बाद मेरी बहन आई.. सामने वाले सोफे पर बैठ गई और कहने लगी- भैया टेन्शन में क्यों हो?
वो हंस भी रही थी.. मैंने कहा- शायद मुझे कुछ चाहिए..
मेरी बहन तपाक से बोली- यस आई नो यू नीड सेक्स नाओ..
इतना सुनते ही मैं उस पर टूट पड़ा.. उसने कहा- वेट ब्रदर.. अभी मम्मी का आने का ख़तरा है.. हम लोग रात में पूरी मस्ती से सब कुछ करेंगे.
मैं बहुत खुश हुआ और उसके होंठों पर एक हार्ड स्मूच किया.
अब मैं रात होने की प्रतीक्षा करने लगा, भूख भी नहीं लग रही थी.. कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था.. बस अपनी बहन की चूचियाँ दिमाग में घूम रही थीं.
मैं आज तक कुँवारा था.. सो मैं बाथरूम गया और थोड़ा सा तेल लेकर अपने लण्ड की मालिश करने लगा. इसकी मोटाई से ही अहसास हो रहा था कि आज मेरी बहन को इसे झेलना भारी पड़ेगा. मेरे लंड का रूप बहुत खतरनाक लग रहा था.
शाम में मैं अपनी छत पर घूम रहा था, तभी बहन आई और बोली- क्या हुआ? टाइम नहीं कट रहा?
मैंने कहा- दिल कर रहा है कि तुझे यहीं लिटा लूँ और पूरी रात पेलता रहूँ.
मेरी बहन ने कहा- बातों से नहीं किसी और चीज से पेला जाता है.
मुझे लगा कि जैसे वो मुझे चैलेंज कर रही है.
‘ठीक है.. बताता हूँ किस चीज से पेला जाता है.’
वो कंटीली अदा से आँख मार कर भाग गई.
रात हुई और वो मेरे कमरे में आई, करीब 5 मिनट के बाद उसने आँखों से इशारा किया- शुरू करें..
उसने पिंक ट्रांसन्स्पेरेंट नाइटी पहनी हुई थी और वो बला की खूबसूरत लग रही थी.
मैंने उसे होंठों पर किस करना शुरू किया वो भी पूरा सपोर्ट कर रही थी.. किस करते-करते वो मेरी शर्ट के बटन खोल रही थी और अन्दर बालों भारी छाती पर हाथ फिरा रही थी.
उसकी सिसकारियाँ मुझे और पागल कर रही थीं. धीरे-धीरे मैंने अपने हाथ उसके मम्मों पर पहुँचा दिए.
ओह माय गॉड.. उसकी ब्रा के अन्दर उसके मम्मे बाहर आने को छटपटा रहे थे.
मैंने ब्रा का हुक तोड़ दिया.
रीमा ने कहा- ब्रो रिलॅक्स.. आई एम ऑल युअर्ज़.
फिर उसने धीरे से मुझे कान पर किस करते हुए कहा- मेरे बूब्स को नहीं चूमोगे?
उसके मुँह से ये बात सुनकर मैं एकदम से पागल हो गया और उसके नंगे मम्मों को चाटने लगा.
वो भी ‘अहहहा हाहहाआ.. आहहहहाहा..’ करती जा रही थी.
इसके बाद उसने अपने हाथों से मेरे लण्ड को टटोलना शुरू कर दिया.
लाइट्स ऑफ थीं.
उसके हाथ में मेरा बड़ा लण्ड जैसे ही आया.. तो रीमा ने कहा- प्लीज़ स्विच ऑन करो न.. मुझे तुम्हारा बड़ा लण्ड देखना है..
मैंने लाइट्स ऑन कीं और वो मेरे सामने घुटनों के बल बैठ गई. मेरी जीन्स और अंडरवियर नीचे करने के बाद उसके मुँह से निकला- वोउव.. उसके गोरे हाथों की ऊँगलियों के बीच मेरा मजबूत काला भुजंग लण्ड साफ़ दिख रहा था.
थोड़ी देर बाद उसने अपने होंठों के स्पर्श से मुझे पागल कर दिया.
उसकी फ्लेवर्ड लिपस्टिक से मेरा लण्ड महकने और रंगने लगा था. वो भी ऐसे पेश आ रही थी.. जैसे सकिंग में कितनी एक्सपर्ट है.
मेरे लण्ड से वो बिल्कुल भी डर नहीं रही थी.
फिर मैंने उसे सिसकारते हुए कहा- आह.. अगर तुमने इसे ज़्यादा चूसा तो मैं तुम्हारे मुँह में ही डिसचार्ज हो जाऊँगा.
वो समझ गई और उसने मुँह से लवड़ा निकाल दिया.
इसके बाद मैंने उसे बिस्तर पर धक्का दे करके लिटा दिया और उसकी पेंटी को उतारने लगा. उसने अपनी चूत को बिल्कुल चिकना किया हुआ था.
मैंने ज़्यादा टाइम ना लगाते हुए अपने होंठ उसकी चूत से लगा दिए.
वो पागल हो चुकी थी और बोले जा रही थी- फक्क मीईईईई.. अहह.. भाई.. लण्ड पेल दो..
थोड़ी देर के बाद मैंने अपने लण्ड को उसकी चूत पर लगाया, मैं खुद भी सोच रहा था कि इतना बड़ा लौड़ा इसकी जरा सी फांक में कैसे अन्दर जाएगा.
फिर एक हल्का सा स्ट्रोक लगाया.. बिल्कुल ऐसा अहसास हुआ कि उसका कुँवारापन टूट गया.
उसकी साँसें अटक गई.. आँखें ठहर गईं.. और वो मरी सी आवाज में बोल रही थी- ओह्ह.. स्लोय्यययई.. बहुत मोटा है.. तुम्हारा लण्ड है या गरम रॉड.. दर्द हो रहा है.. धीरे.. आह्ह..
मैं पूरे संयम के साथ लगा रहा.. उसके मम्मों को चूसता रहा.
फिर थोड़ी देर के बाद वो नॉर्मल हुई.. और मैंने तेज धक्के देना शुरू किए.
हम आपस में बहुत गंदी-गंदी बातें कर रहे थे. पूरा कमरा चूत चुदाई की ‘फच फच..’ की आवाजों के साथ गूँज रहा था.
कुछ देर के बाद वो शांत हो गई और मैं भी.. निढाल हो गया.
उसके चेहरे पर तृप्ति के भाव थे.
तब से मेरी छोटी बहन को बस सेक्स की भूख है..
आप तो जानते ही हैं कि जब जलेबी शीरा पी जाती है तो वो कितनी मीठी हो जाती है इसी तरह वो भी बेहद खूबसूरत और मस्त हो चुकी है.
यह मेरा पहला फैमिली सेक्स अनुभव था..
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